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Fantasy ब्रह्माराक्षस

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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259
अध्याय तिहत्तर

अब मेरे पूरे शरीर से अग्नि निकलने लगी जिसे वो कुरुमा ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसने अपनी पकड़ को ढीला कर दिया जिसके बाद मैंने एक ऊंची छलांग मारी और कुरुमा के ठीक सामने खड़ा हो गया

अब तक मे इतना तो समझ गया था की इसे मारना या ताकत के जौर पर काबू करना बहुत मुश्किल है और मेरे पास उतना समय भी नही है यही सोचकर मैने अपने आकार को थोड़ा कम किया

और एक छलांग लगा कर उस कुरुमा के पीठ पर बैठ गया और इससे पहले की वो कुछ समझ पाता उससे पहले ही मैने अपनी पूरी ऊर्जा की अपने सप्तचक्रों मे प्रवाहित की और ऐसे होते ही

मैने अपनी सप्तचक्रों की ऊर्जा को कुरुमा के शरीर में प्रवाहित कर दिया जिससे अब हम दोनों की ऊर्जा एक हो गयी थी

जिसके बाद मैने उस कुरुमा की सारी ऊर्जा और उसके जीवन ऊर्जा को अपने अंदर सोख लिया


(ये कुमार की शक्तियों मे से एक है जो उसके ब्रामहारक्षस के ऊर्जा मे सम्मलित है)

और जैसे ही मैने ऐसा किया वैसे ही वो दर्द से तड़पने लगा और जैसे ही उसका तड़पना बंद हुआ वो एक लाल ऊर्जा मे तब्दील होकर मेरे शरीर मे समा गया

जिसके बाद उस मैदान मे धरती के नीचे से एक बड़ा पत्थर निकला जिसके उपर तलवार का चित्र बना हुआ था और उसके पास कुछ लिखा हुआ था

*शब्बाश मानव आज तुमने कुरुमा को हराकर उसे अपना गुलाम बना लिया है अब वो तुम्हारे एक आदेश पर पूरे ग्रह को खतम कर देगा लेकिन याद रखना बड़ी ताकत के साथ आती है बड़ी जिम्मेदारिया अब तुम्हे मिले हुए सभी संदेशों को यहाँ तलवार के उपर रख दो जिसके बाद तुम्हे मिलेगा वो अजेय अस्त्र जिससे तुम्हे मिलेगा वो अजेय अस्त्र जिससे तुम उन महासुरों के अंदर के सप्तस्त्रों के अंश का विनाश कर पाओगे याद रखना तुम इस अजेय अस्त्र को केवल 7 बार इस्तेमाल कर पाओगे यानी हर महासुर के लिए केवल 1 ही मौका होगा*

ये पढ़ने के बाद मैने सारे संदेशों को उस तलवार के उपर रख दिया जिसके बाद उस पत्थर पर 7 अलग अलग तलवारे आ गयी जो कुछ देर मे ही एक दूसरे मे समा कर एक तलवार बन गई


और फिर वो तलवार मेरे शरीर में समा गयी और उस के समाते ही मे उसी जगह पर आ गया जहाँ से सब आरंभ हुआ था कालविजय आश्रम के पीछे नदी के पास जब मे वहाँ पहुंचा तो मे हैरान रह गया

क्योंकि वहाँ का पुरा आसमान लाल हो गया था जैसे आसमान मे खून उतर आया हो और जब मे आश्रम में पहुँचा तो वहाँ की हालत और भी खराब थी वहाँ आश्रम की सारी जगह पर केवल तबाही ही दिखाई दे रही थी

ये सब देखकर मे बहुत हैरान हो गया था जिसके बाद में आश्रम मे यहाँ वहाँ घूम कर हर तरफ देख रहा था कि तभी मेरी नज़र एक कोने में गयी जहाँ आश्रम का ही एक आदमी दर्द से कराह रहा था

जब मे उसके पास पहुँचा तब तक उसका काफी खून निकल चुका था इसीलिए मैने सबसे पहले उसके उपर अपने शक्तियों का इस्तेमाल कर उसके घाव और दर्द का उपचार किया


जिसके बाद वो मुझे मेरे जाने के बाद यहाँ जो कुछ भी हुआ वो सब बताने लगा

उसके बताये मुताबिक़ मेरे जाने से लेकर अगले 13 दिनों तक तो कुछ नही हुआ केवल वहाँ सब मुझे लेकर चिंता मे थे क्योंकि मे 7 दिनों का बोल कर गया था लेकिन 13 दिनों तक नही आया था

कुछ घंटे पहले

अभी सब लोग आराम से आश्रम मे बैठकर युद्ध की रणनिति बना रहे थे आज भद्रा के जाने के बाद से चौदहवा दिन था और जैसा भद्रा ने बताया था

उसके अनुसार आज का दिन ही वो दिन था जब गुरु शुक्राचार्य का यज्ञ पूर्ण तरफ से कामयाब हो जायेगा और सातों महासुर अपने आतंक को फैलाने के लिए पुनर्जन्म लेंगे

और उन्हे रोकने की शक्ति केवल एक ही मे है और वो है भद्रा लेकिन वहाँ पर जितने भी लोग मौजूद थे उन मेसे किसी को भी ये नही पता था की भद्रा इस वक़्त कहाँ है वो किसी को भी नही पता

वो कब लौटेगा ये भी किसी को नही पता था वो 7 दिन का बोलके गया था लेकिन आज चौदहवा दिन है परंतु अभी तक भद्रा तो दूर उसका कोई समाचार तक नही आया था

सब लोग इसी चिंता मे डूबे हुए थे की अब आगे क्या होगा और उन्हे क्या करना है जाने से पहले जो भी कार्य भद्रा ने उन्हे दिया दिया था वो सब कुछ पूर्ण कर दिया था


असुरों के जो भी संभावित प्रवेश द्वार थी उन सब जगहों पर प्राणघाती जाल बिछा दिये थे तो वही औषधि और अस्त्र शस्त्रों का भी बहुत अधिक प्रमाण मे जमा करके रख दिया था

तो वही शिबू ने सभी योद्धाओं को कुछ ऐसे युद्ध कलाएँ सिखा दी थी जिनके इस्तेमाल से वो सभी पहले से भी अधिक शक्ति शाली हो गए थे अब सब लोग केवल युद्ध के आरंभ होने का इंतज़ार कर रहे थे

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

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Bohot achhe vajradhikari bhai :laughclap: :laughclap:
Kuruma ko gulam banakar, or ajey astra prapt karne k baad bhadra aashram to pahuch gaya per use waha sab bikhra hua mila? Kisne kiya hoga ye? Kya kisi asur ne? Ya kisi mahasur ne? Ye dekhne wali waat hai👍 awesome update and superb writing ✍️ again 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥💥💥💥💥💥
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अध्याय तिहत्तर

अब मेरे पूरे शरीर से अग्नि निकलने लगी जिसे वो कुरुमा ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसने अपनी पकड़ को ढीला कर दिया जिसके बाद मैंने एक ऊंची छलांग मारी और कुरुमा के ठीक सामने खड़ा हो गया

अब तक मे इतना तो समझ गया था की इसे मारना या ताकत के जौर पर काबू करना बहुत मुश्किल है और मेरे पास उतना समय भी नही है यही सोचकर मैने अपने आकार को थोड़ा कम किया

और एक छलांग लगा कर उस कुरुमा के पीठ पर बैठ गया और इससे पहले की वो कुछ समझ पाता उससे पहले ही मैने अपनी पूरी ऊर्जा की अपने सप्तचक्रों मे प्रवाहित की और ऐसे होते ही

मैने अपनी सप्तचक्रों की ऊर्जा को कुरुमा के शरीर में प्रवाहित कर दिया जिससे अब हम दोनों की ऊर्जा एक हो गयी थी

जिसके बाद मैने उस कुरुमा की सारी ऊर्जा और उसके जीवन ऊर्जा को अपने अंदर सोख लिया


(ये कुमार की शक्तियों मे से एक है जो उसके ब्रामहारक्षस के ऊर्जा मे सम्मलित है)

और जैसे ही मैने ऐसा किया वैसे ही वो दर्द से तड़पने लगा और जैसे ही उसका तड़पना बंद हुआ वो एक लाल ऊर्जा मे तब्दील होकर मेरे शरीर मे समा गया

जिसके बाद उस मैदान मे धरती के नीचे से एक बड़ा पत्थर निकला जिसके उपर तलवार का चित्र बना हुआ था और उसके पास कुछ लिखा हुआ था

*शब्बाश मानव आज तुमने कुरुमा को हराकर उसे अपना गुलाम बना लिया है अब वो तुम्हारे एक आदेश पर पूरे ग्रह को खतम कर देगा लेकिन याद रखना बड़ी ताकत के साथ आती है बड़ी जिम्मेदारिया अब तुम्हे मिले हुए सभी संदेशों को यहाँ तलवार के उपर रख दो जिसके बाद तुम्हे मिलेगा वो अजेय अस्त्र जिससे तुम्हे मिलेगा वो अजेय अस्त्र जिससे तुम उन महासुरों के अंदर के सप्तस्त्रों के अंश का विनाश कर पाओगे याद रखना तुम इस अजेय अस्त्र को केवल 7 बार इस्तेमाल कर पाओगे यानी हर महासुर के लिए केवल 1 ही मौका होगा*

ये पढ़ने के बाद मैने सारे संदेशों को उस तलवार के उपर रख दिया जिसके बाद उस पत्थर पर 7 अलग अलग तलवारे आ गयी जो कुछ देर मे ही एक दूसरे मे समा कर एक तलवार बन गई


और फिर वो तलवार मेरे शरीर में समा गयी और उस के समाते ही मे उसी जगह पर आ गया जहाँ से सब आरंभ हुआ था कालविजय आश्रम के पीछे नदी के पास जब मे वहाँ पहुंचा तो मे हैरान रह गया

क्योंकि वहाँ का पुरा आसमान लाल हो गया था जैसे आसमान मे खून उतर आया हो और जब मे आश्रम में पहुँचा तो वहाँ की हालत और भी खराब थी वहाँ आश्रम की सारी जगह पर केवल तबाही ही दिखाई दे रही थी

ये सब देखकर मे बहुत हैरान हो गया था जिसके बाद में आश्रम मे यहाँ वहाँ घूम कर हर तरफ देख रहा था कि तभी मेरी नज़र एक कोने में गयी जहाँ आश्रम का ही एक आदमी दर्द से कराह रहा था

जब मे उसके पास पहुँचा तब तक उसका काफी खून निकल चुका था इसीलिए मैने सबसे पहले उसके उपर अपने शक्तियों का इस्तेमाल कर उसके घाव और दर्द का उपचार किया


जिसके बाद वो मुझे मेरे जाने के बाद यहाँ जो कुछ भी हुआ वो सब बताने लगा

उसके बताये मुताबिक़ मेरे जाने से लेकर अगले 13 दिनों तक तो कुछ नही हुआ केवल वहाँ सब मुझे लेकर चिंता मे थे क्योंकि मे 7 दिनों का बोल कर गया था लेकिन 13 दिनों तक नही आया था

कुछ घंटे पहले

अभी सब लोग आराम से आश्रम मे बैठकर युद्ध की रणनिति बना रहे थे आज भद्रा के जाने के बाद से चौदहवा दिन था और जैसा भद्रा ने बताया था

उसके अनुसार आज का दिन ही वो दिन था जब गुरु शुक्राचार्य का यज्ञ पूर्ण तरफ से कामयाब हो जायेगा और सातों महासुर अपने आतंक को फैलाने के लिए पुनर्जन्म लेंगे

और उन्हे रोकने की शक्ति केवल एक ही मे है और वो है भद्रा लेकिन वहाँ पर जितने भी लोग मौजूद थे उन मेसे किसी को भी ये नही पता था की भद्रा इस वक़्त कहाँ है वो किसी को भी नही पता

वो कब लौटेगा ये भी किसी को नही पता था वो 7 दिन का बोलके गया था लेकिन आज चौदहवा दिन है परंतु अभी तक भद्रा तो दूर उसका कोई समाचार तक नही आया था

सब लोग इसी चिंता मे डूबे हुए थे की अब आगे क्या होगा और उन्हे क्या करना है जाने से पहले जो भी कार्य भद्रा ने उन्हे दिया दिया था वो सब कुछ पूर्ण कर दिया था


असुरों के जो भी संभावित प्रवेश द्वार थी उन सब जगहों पर प्राणघाती जाल बिछा दिये थे तो वही औषधि और अस्त्र शस्त्रों का भी बहुत अधिक प्रमाण मे जमा करके रख दिया था

तो वही शिबू ने सभी योद्धाओं को कुछ ऐसे युद्ध कलाएँ सिखा दी थी जिनके इस्तेमाल से वो सभी पहले से भी अधिक शक्ति शाली हो गए थे अब सब लोग केवल युद्ध के आरंभ होने का इंतज़ार कर रहे थे

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आज के लिए इतना ही

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Behtreen aur shandar update
 
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अब मेरे पूरे शरीर से अग्नि निकलने लगी जिसे वो कुरुमा ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसने अपनी पकड़ को ढीला कर दिया जिसके बाद मैंने एक ऊंची छलांग मारी और कुरुमा के ठीक सामने खड़ा हो गया

अब तक मे इतना तो समझ गया था की इसे मारना या ताकत के जौर पर काबू करना बहुत मुश्किल है और मेरे पास उतना समय भी नही है यही सोचकर मैने अपने आकार को थोड़ा कम किया

और एक छलांग लगा कर उस कुरुमा के पीठ पर बैठ गया और इससे पहले की वो कुछ समझ पाता उससे पहले ही मैने अपनी पूरी ऊर्जा की अपने सप्तचक्रों मे प्रवाहित की और ऐसे होते ही

मैने अपनी सप्तचक्रों की ऊर्जा को कुरुमा के शरीर में प्रवाहित कर दिया जिससे अब हम दोनों की ऊर्जा एक हो गयी थी

जिसके बाद मैने उस कुरुमा की सारी ऊर्जा और उसके जीवन ऊर्जा को अपने अंदर सोख लिया


(ये कुमार की शक्तियों मे से एक है जो उसके ब्रामहारक्षस के ऊर्जा मे सम्मलित है)

और जैसे ही मैने ऐसा किया वैसे ही वो दर्द से तड़पने लगा और जैसे ही उसका तड़पना बंद हुआ वो एक लाल ऊर्जा मे तब्दील होकर मेरे शरीर मे समा गया

जिसके बाद उस मैदान मे धरती के नीचे से एक बड़ा पत्थर निकला जिसके उपर तलवार का चित्र बना हुआ था और उसके पास कुछ लिखा हुआ था

*शब्बाश मानव आज तुमने कुरुमा को हराकर उसे अपना गुलाम बना लिया है अब वो तुम्हारे एक आदेश पर पूरे ग्रह को खतम कर देगा लेकिन याद रखना बड़ी ताकत के साथ आती है बड़ी जिम्मेदारिया अब तुम्हे मिले हुए सभी संदेशों को यहाँ तलवार के उपर रख दो जिसके बाद तुम्हे मिलेगा वो अजेय अस्त्र जिससे तुम्हे मिलेगा वो अजेय अस्त्र जिससे तुम उन महासुरों के अंदर के सप्तस्त्रों के अंश का विनाश कर पाओगे याद रखना तुम इस अजेय अस्त्र को केवल 7 बार इस्तेमाल कर पाओगे यानी हर महासुर के लिए केवल 1 ही मौका होगा*

ये पढ़ने के बाद मैने सारे संदेशों को उस तलवार के उपर रख दिया जिसके बाद उस पत्थर पर 7 अलग अलग तलवारे आ गयी जो कुछ देर मे ही एक दूसरे मे समा कर एक तलवार बन गई


और फिर वो तलवार मेरे शरीर में समा गयी और उस के समाते ही मे उसी जगह पर आ गया जहाँ से सब आरंभ हुआ था कालविजय आश्रम के पीछे नदी के पास जब मे वहाँ पहुंचा तो मे हैरान रह गया

क्योंकि वहाँ का पुरा आसमान लाल हो गया था जैसे आसमान मे खून उतर आया हो और जब मे आश्रम में पहुँचा तो वहाँ की हालत और भी खराब थी वहाँ आश्रम की सारी जगह पर केवल तबाही ही दिखाई दे रही थी

ये सब देखकर मे बहुत हैरान हो गया था जिसके बाद में आश्रम मे यहाँ वहाँ घूम कर हर तरफ देख रहा था कि तभी मेरी नज़र एक कोने में गयी जहाँ आश्रम का ही एक आदमी दर्द से कराह रहा था

जब मे उसके पास पहुँचा तब तक उसका काफी खून निकल चुका था इसीलिए मैने सबसे पहले उसके उपर अपने शक्तियों का इस्तेमाल कर उसके घाव और दर्द का उपचार किया


जिसके बाद वो मुझे मेरे जाने के बाद यहाँ जो कुछ भी हुआ वो सब बताने लगा

उसके बताये मुताबिक़ मेरे जाने से लेकर अगले 13 दिनों तक तो कुछ नही हुआ केवल वहाँ सब मुझे लेकर चिंता मे थे क्योंकि मे 7 दिनों का बोल कर गया था लेकिन 13 दिनों तक नही आया था

कुछ घंटे पहले

अभी सब लोग आराम से आश्रम मे बैठकर युद्ध की रणनिति बना रहे थे आज भद्रा के जाने के बाद से चौदहवा दिन था और जैसा भद्रा ने बताया था

उसके अनुसार आज का दिन ही वो दिन था जब गुरु शुक्राचार्य का यज्ञ पूर्ण तरफ से कामयाब हो जायेगा और सातों महासुर अपने आतंक को फैलाने के लिए पुनर्जन्म लेंगे

और उन्हे रोकने की शक्ति केवल एक ही मे है और वो है भद्रा लेकिन वहाँ पर जितने भी लोग मौजूद थे उन मेसे किसी को भी ये नही पता था की भद्रा इस वक़्त कहाँ है वो किसी को भी नही पता

वो कब लौटेगा ये भी किसी को नही पता था वो 7 दिन का बोलके गया था लेकिन आज चौदहवा दिन है परंतु अभी तक भद्रा तो दूर उसका कोई समाचार तक नही आया था

सब लोग इसी चिंता मे डूबे हुए थे की अब आगे क्या होगा और उन्हे क्या करना है जाने से पहले जो भी कार्य भद्रा ने उन्हे दिया दिया था वो सब कुछ पूर्ण कर दिया था


असुरों के जो भी संभावित प्रवेश द्वार थी उन सब जगहों पर प्राणघाती जाल बिछा दिये थे तो वही औषधि और अस्त्र शस्त्रों का भी बहुत अधिक प्रमाण मे जमा करके रख दिया था

तो वही शिबू ने सभी योद्धाओं को कुछ ऐसे युद्ध कलाएँ सिखा दी थी जिनके इस्तेमाल से वो सभी पहले से भी अधिक शक्ति शाली हो गए थे अब सब लोग केवल युद्ध के आरंभ होने का इंतज़ार कर रहे थे

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आज के लिए इतना ही

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Nice and superb update....
 
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