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Fantasy ब्रह्माराक्षस

sunoanuj

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Bhaut hi behtarin updates… superb 👏🏻👏🏻👏🏻
 
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अध्याय बहत्तर

उसके इतना बोलते ही वो दूसरा संदेश हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आया और और देखते ही देखते उसका आकर बढ़ने लगा और फिर वो संदेश एक मायावी द्वार मे परावर्तित हो गया जिसके बाद मे भी बिना कुछ सोचे समझे उस संदेश रूपी मायावी द्वार मे घुस गया

अभी मे जिस जगह पर था उसका वर्णन करना नामुमकिन था क्योंकि उसमे वर्णन करने जैसा कुछ था ही नही हर तरफ खाली बंजर पड़ा मैदान हर तरफ रेत और पत्थर के सिवा और कुछ नही था

अभी मे उस जगह को देखकर अपने दिमाग मे योजना बना रहा था की तभी वहाँ की जमीन धीरे धीरे हिलने लगी और मुझे वहाँ किसी के घूर्राने की आवाज सुनाई देने लगी

और जब मैने उस आवाज का पीछा किया तो वहाँ देखकर मेरी हालत खराब होने लगी क्योंकि इस वक्त मेरे सामने एक 50 फीट से ज्यादा लंबा और चौडा एक भेड़िया था जिसके मुह से लार जैसा कुछ निकल कर गिर रहा था

और जहां जहां वो लार गिर रहा थी वहां से काले रंग का धुआं निकल रहा था जिसे देखकर मे यहाँ की जमीन के बंजर होने का रहस्य तो जान गया था

लेकिन अब मे ये नही समझ पा रहा था की मे इस भेड़िये को कैसे हराउ अभी मे उसे हराने के बारे मे सोच रहा था कि तभी मुझे एक झटका और लगा

भेड़िया :- वाह इतने लंबे समय के बाद की मानव यहाँ तक पहुँच पाया है आज तो इस मानव का माँस खाने मे बड़ा मज़ा आयेगा

मै उसकी आवाज सुन कर दंग रह गया था क्योंकि उसकी आवाज मे दरिंदगी साफ झलक रही थी न सिर्फ उसकी दरिंदगी बल्कि जब भी वो अपना मुह खोलता

तो उसके वो सफेद और नुकीले दात उन्हे देखकर ऐसा लगता कि जैसे उन दातों के बीच मे ही मे फँस के मर जाऊंगा मे अभी कुछ और कर पाता उससे पहले ही उस भेड़िये ने मुझे अपने पैरों के नीचे कुचलना चाहा


लेकिन उसका पैर मुझ पर पड़ता की उससे पहले ही मे वहाँ कूद कर बाजू हट गया लेकिन फिर भी उसके पैर के जमीन से टकराने से वहाँ जो हलचल निर्माण हुई थी

उस हलचल की वजह से मेरा संतुलन बिगड़ गया था जिसे मैने बड़ी मुश्किल से संभाल लिया था और उसके बाद अब मे भी तैयार था उसके उपर हमला करने के लिए यहाँ एक बात अच्छी थी

की मे यहाँ अपनी शक्तियों का इस्तेमाल खुलकर कर सकता हूँ और सबसे पहले मैने अपनी संपूर्ण ऊर्जा को अपने सप्तचक्रों मै प्रवाहित करना आरंभ कर दिया और जब मेरी ऊर्जा के कारण मेरे सप्तचक्र जाग्रुत हो गए

तो मैने उन चक्रों की ऊर्जा के मदद से सर्व प्रथम अपने आकार को इतना बढ़ा दिया जिससे अब मे उस भेड़िये की आँखों मे आँखे डालकर युद्ध कर सकता था


तो वही मेरा आकार बढ़ता देख उस भेड़िये के भी चेहरे पर अब मुझे उलझन दिख रही थी और जैसे ही उसकी आँखो मे मुझे हैरत दिखी वैसे ही मैने अपने घुसे से उसके चेहरे पर मैने एक झबरदस्त घुसा जड़ दिया

जिससे वो दो कदम पीछे हो गया जो देखकर मेरी और उस भेड़िये दोनों की भी आँखे हैरानी से फैल गयी क्योंकि मैने जो उसे घुसा जड़ा था उसमे मैने उतनी ही ताकत डाली थी

जितनी मैने उस दीवार को तोड़ने के लिए इस्तेमाल की थी मुझे लगा था कि इतनी ताकत मे उसका काम निपट जायेगा लेकिन वो तो सिर्फ 2 कदम ही पीछे गया तो वही

भेड़िया (मन में) :- ये मानव आखिर है कौन जिसने मुझे महान कुरुमा को एक घुसे मे दो कदम पीछे ढकेल दिया इसे कम नही समझना चाहिए (मुझसे) तुम कोई साधारण बालक नही लग रहे हो कौन हो तुम जिसने इस महान कुरुमा को भी 2 कदम पीछे धकेल दिया

मै :- तेरा बाप हूँ मे कुरुमा

इतना बोलके में अपने एक हात मे तलवार को प्रकट किया और सीधा उसके उपर तलवार से हमला कर दिया लेकिन वो भी बड़ा फ़ुर्तिला था वो तुरंत मेरी तलवार से बचता हुआ बाजू मे कूद गया

और जैसे ही वो बाजू मे हुआ वैसे ही उसने मुझे पर भयानक अग्नि से वार कर दिया जिससे मे बच तो गया लेकिन उससे मे नीचे गिर गया

कुरुमा :- क्या हुआ बच्चे लगी तो नही

उसकी ये बात मेरे दिल में लग गयी जिससे अब मे अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाने लगा और अब मैंने उस परदो तरफ़ा हमले की सोची


जिसके लिए मैंने फिर से एक बार तलवार का आह्वान किया तलवार हाथ में आते ही मैंने उसके सर की तरफ फेंक दिया जिससे वो तलवार उस कुरुमा के एक सिर के सामने रुक गई

और फिर मैने अपनी जल शक्ति को तलवार मे प्रवाहित मे कर दिया जिससे उस तलवार मे से पूरी ताकत से पानी निकल कर भेड़िये की तरफ बढ़ने लगा उस भेड़िये ने ऐसा कुछ होगा सोचा भी नही था

जिस कारण ये ताकत उसके हिसाब से बहुत खतरनाक थी, और इसीलिए जब वो पानी भेड़िये को लगा तो वो पीछे जाने लगा और मे भी इसी का इंतज़ार कर रहा था

जैसे ही वो उस पानी की धार से उलझने मे व्यस्त हो गया था तो मे दौड़ते हुए उस भेड़िये के पीछे पहुंचा.उसके पीछे पहुंच कर मैंने एक जोर की छलांग लगाई

और अपने हाथ मे शिबू की तलवार को याद किया और एक ही झटके मे उस भेड़िये कुरुमा के एक सिर को उसके धड़ से अलग कर दिया जो देखकर मे जोर जोर से चिल्लाने लगा

मै :- क्यों कुरुमा अब लगी क्या तुझे

मै अभी ये बोल ही रहा था कि तभी मुझे ऐसा लगा जैसे मुझे कोई कसकर बांध रहा है और जब मैने ध्यान दिया तो ये उस भेड़िये की पूछ थी जो मुझे लपेट अपने मे लपेट रही थी


मेरी तो हालत खराब हो गई मैंने ऊपर देखा तो एक नया झटका मेरा इंतजार कर रहा था उस भेड़िये का सर जो मैंने काट दिया था उसकी जगह एक नये सर ने ले ली थी ये देखकर मेरा पूरा आत्मविश्वास ही ख़त्म हो गया था

इधर वो भेड़िये की पूछ किसी सांप की तरह मेरे इर्द गिर्द मेरे शरीर पर कसती जा रही थी जिसके बाद मैने मुश्किल से अपने दर्द को काबू मे किया और उसे अपनी ऊर्जा मे तब्दील कर दिया


जिससे ये परिणाम हुआ की जहाँ मैं अभी भी भेड़िये की दुम में फ़सा हुआ था लेकिन अब मुझे ज़रा सा भी दर्द नहीं हो रहा था जिसके बाद मैने अपना दिमाग लगाया और फिर मैने अपने अग्नि अस्त्र की शक्ति जाग्रुत कर दी

जिससे अब मेरे पूरे शरीर से अग्नि निकलने लगी जिसे वो कुरुमा ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसने अपनी पकड़ को ढीला कर दिया जिसके बाद मैंने एक ऊंची छलांग मारी और कुरुमा के ठीक सामने खड़ा हो गया

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आज के लिए इतना ही

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Nice update bro
 
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park

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अध्याय बहत्तर

उसके इतना बोलते ही वो दूसरा संदेश हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आया और और देखते ही देखते उसका आकर बढ़ने लगा और फिर वो संदेश एक मायावी द्वार मे परावर्तित हो गया जिसके बाद मे भी बिना कुछ सोचे समझे उस संदेश रूपी मायावी द्वार मे घुस गया

अभी मे जिस जगह पर था उसका वर्णन करना नामुमकिन था क्योंकि उसमे वर्णन करने जैसा कुछ था ही नही हर तरफ खाली बंजर पड़ा मैदान हर तरफ रेत और पत्थर के सिवा और कुछ नही था

अभी मे उस जगह को देखकर अपने दिमाग मे योजना बना रहा था की तभी वहाँ की जमीन धीरे धीरे हिलने लगी और मुझे वहाँ किसी के घूर्राने की आवाज सुनाई देने लगी

और जब मैने उस आवाज का पीछा किया तो वहाँ देखकर मेरी हालत खराब होने लगी क्योंकि इस वक्त मेरे सामने एक 50 फीट से ज्यादा लंबा और चौडा एक भेड़िया था जिसके मुह से लार जैसा कुछ निकल कर गिर रहा था

और जहां जहां वो लार गिर रहा थी वहां से काले रंग का धुआं निकल रहा था जिसे देखकर मे यहाँ की जमीन के बंजर होने का रहस्य तो जान गया था

लेकिन अब मे ये नही समझ पा रहा था की मे इस भेड़िये को कैसे हराउ अभी मे उसे हराने के बारे मे सोच रहा था कि तभी मुझे एक झटका और लगा

भेड़िया :- वाह इतने लंबे समय के बाद की मानव यहाँ तक पहुँच पाया है आज तो इस मानव का माँस खाने मे बड़ा मज़ा आयेगा

मै उसकी आवाज सुन कर दंग रह गया था क्योंकि उसकी आवाज मे दरिंदगी साफ झलक रही थी न सिर्फ उसकी दरिंदगी बल्कि जब भी वो अपना मुह खोलता

तो उसके वो सफेद और नुकीले दात उन्हे देखकर ऐसा लगता कि जैसे उन दातों के बीच मे ही मे फँस के मर जाऊंगा मे अभी कुछ और कर पाता उससे पहले ही उस भेड़िये ने मुझे अपने पैरों के नीचे कुचलना चाहा


लेकिन उसका पैर मुझ पर पड़ता की उससे पहले ही मे वहाँ कूद कर बाजू हट गया लेकिन फिर भी उसके पैर के जमीन से टकराने से वहाँ जो हलचल निर्माण हुई थी

उस हलचल की वजह से मेरा संतुलन बिगड़ गया था जिसे मैने बड़ी मुश्किल से संभाल लिया था और उसके बाद अब मे भी तैयार था उसके उपर हमला करने के लिए यहाँ एक बात अच्छी थी

की मे यहाँ अपनी शक्तियों का इस्तेमाल खुलकर कर सकता हूँ और सबसे पहले मैने अपनी संपूर्ण ऊर्जा को अपने सप्तचक्रों मै प्रवाहित करना आरंभ कर दिया और जब मेरी ऊर्जा के कारण मेरे सप्तचक्र जाग्रुत हो गए

तो मैने उन चक्रों की ऊर्जा के मदद से सर्व प्रथम अपने आकार को इतना बढ़ा दिया जिससे अब मे उस भेड़िये की आँखों मे आँखे डालकर युद्ध कर सकता था


तो वही मेरा आकार बढ़ता देख उस भेड़िये के भी चेहरे पर अब मुझे उलझन दिख रही थी और जैसे ही उसकी आँखो मे मुझे हैरत दिखी वैसे ही मैने अपने घुसे से उसके चेहरे पर मैने एक झबरदस्त घुसा जड़ दिया

जिससे वो दो कदम पीछे हो गया जो देखकर मेरी और उस भेड़िये दोनों की भी आँखे हैरानी से फैल गयी क्योंकि मैने जो उसे घुसा जड़ा था उसमे मैने उतनी ही ताकत डाली थी

जितनी मैने उस दीवार को तोड़ने के लिए इस्तेमाल की थी मुझे लगा था कि इतनी ताकत मे उसका काम निपट जायेगा लेकिन वो तो सिर्फ 2 कदम ही पीछे गया तो वही

भेड़िया (मन में) :- ये मानव आखिर है कौन जिसने मुझे महान कुरुमा को एक घुसे मे दो कदम पीछे ढकेल दिया इसे कम नही समझना चाहिए (मुझसे) तुम कोई साधारण बालक नही लग रहे हो कौन हो तुम जिसने इस महान कुरुमा को भी 2 कदम पीछे धकेल दिया

मै :- तेरा बाप हूँ मे कुरुमा

इतना बोलके में अपने एक हात मे तलवार को प्रकट किया और सीधा उसके उपर तलवार से हमला कर दिया लेकिन वो भी बड़ा फ़ुर्तिला था वो तुरंत मेरी तलवार से बचता हुआ बाजू मे कूद गया

और जैसे ही वो बाजू मे हुआ वैसे ही उसने मुझे पर भयानक अग्नि से वार कर दिया जिससे मे बच तो गया लेकिन उससे मे नीचे गिर गया

कुरुमा :- क्या हुआ बच्चे लगी तो नही

उसकी ये बात मेरे दिल में लग गयी जिससे अब मे अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाने लगा और अब मैंने उस परदो तरफ़ा हमले की सोची


जिसके लिए मैंने फिर से एक बार तलवार का आह्वान किया तलवार हाथ में आते ही मैंने उसके सर की तरफ फेंक दिया जिससे वो तलवार उस कुरुमा के एक सिर के सामने रुक गई

और फिर मैने अपनी जल शक्ति को तलवार मे प्रवाहित मे कर दिया जिससे उस तलवार मे से पूरी ताकत से पानी निकल कर भेड़िये की तरफ बढ़ने लगा उस भेड़िये ने ऐसा कुछ होगा सोचा भी नही था

जिस कारण ये ताकत उसके हिसाब से बहुत खतरनाक थी, और इसीलिए जब वो पानी भेड़िये को लगा तो वो पीछे जाने लगा और मे भी इसी का इंतज़ार कर रहा था

जैसे ही वो उस पानी की धार से उलझने मे व्यस्त हो गया था तो मे दौड़ते हुए उस भेड़िये के पीछे पहुंचा.उसके पीछे पहुंच कर मैंने एक जोर की छलांग लगाई

और अपने हाथ मे शिबू की तलवार को याद किया और एक ही झटके मे उस भेड़िये कुरुमा के एक सिर को उसके धड़ से अलग कर दिया जो देखकर मे जोर जोर से चिल्लाने लगा

मै :- क्यों कुरुमा अब लगी क्या तुझे

मै अभी ये बोल ही रहा था कि तभी मुझे ऐसा लगा जैसे मुझे कोई कसकर बांध रहा है और जब मैने ध्यान दिया तो ये उस भेड़िये की पूछ थी जो मुझे लपेट अपने मे लपेट रही थी


मेरी तो हालत खराब हो गई मैंने ऊपर देखा तो एक नया झटका मेरा इंतजार कर रहा था उस भेड़िये का सर जो मैंने काट दिया था उसकी जगह एक नये सर ने ले ली थी ये देखकर मेरा पूरा आत्मविश्वास ही ख़त्म हो गया था

इधर वो भेड़िये की पूछ किसी सांप की तरह मेरे इर्द गिर्द मेरे शरीर पर कसती जा रही थी जिसके बाद मैने मुश्किल से अपने दर्द को काबू मे किया और उसे अपनी ऊर्जा मे तब्दील कर दिया


जिससे ये परिणाम हुआ की जहाँ मैं अभी भी भेड़िये की दुम में फ़सा हुआ था लेकिन अब मुझे ज़रा सा भी दर्द नहीं हो रहा था जिसके बाद मैने अपना दिमाग लगाया और फिर मैने अपने अग्नि अस्त्र की शक्ति जाग्रुत कर दी

जिससे अब मेरे पूरे शरीर से अग्नि निकलने लगी जिसे वो कुरुमा ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसने अपनी पकड़ को ढीला कर दिया जिसके बाद मैंने एक ऊंची छलांग मारी और कुरुमा के ठीक सामने खड़ा हो गया

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आज के लिए इतना ही

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Nice and superb update...
 
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RAAZ

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अध्याय अडसठ

जिसके बाद में वही पर खड़ा हो कर इस दृश्य के बारे में सोचने लगा की तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली की इतने सारे सांप पृथ्वी लोक पर एक ही जगह पर एक साथ मिल सकते है और वो है ब्राज़ील मे स्थित सर्प द्वीप (snake island)

सर्प द्वीप (Snake Island) ब्राजील के तट से कुछ ही दूरी पर है. यहां हर कदम पर सांप ही सांप मिलेंगे. दुनिया के सबसे ज़हरीले सांप अगर कहीं हैं, तो वो यहीं हैं.

यह पृथ्वी पर एकमात्र ऐसी जगह है जहां आपको गोल्डन लैंसहेड (Golden lancehead) सांप मिल सकता है. सांप की यह प्रजाति इतनी घातक है कि इस द्वीप को लोगों की पहुंच से दूर कर दिया गया है

और यही कारण है की मे वहाँ जाने से पहले इतना सोच रहा था वहाँ पर मौजूद ऐसे सर्प जो विलुप्त होने के कगार पे है और अगर वहाँ मैने गलती से भी किसी जादू का या शक्ति का इस्तेमाल नही कर सकता

और अगर मैने ऐसा किया तो वहाँ मौजूद अलौकिक सर्प जिनकी प्रजाति विलुप्त होने के नजदीक है उन्हे नुकसान हो सकता हैं जबकि वो सभी सर्पों की कोई गलती भी नही है


जो मे नही चाहता था इसीलिए मुझे वहाँ बेहद सावधान रहना होगा और गुरु काल ने भी मुझे चेतवानी दी थी की अगर अस्त्र को पाने की राह में किसी बेगुनाह को मेरे कारण हानि पहुंची तो वो अजेय अस्त्र मुझे कभी भी नही मिलेगा (update 63)

और मे ऐसा नही चाहता था लेकिन अब मे पीछे हट भी नही सकता था और न इसके अलावा कोई रास्ता बचा था इसीलिए मेंने अपने सभी इंद्रियों को तेज किया और पहुँच गया सर्प द्वीप पर

जहाँ पहुँचते ही मेरे सामने एक घना जंगल था जिस जंगल मे मुझे कुछ भी दिखाई नही दे रहा था लेकिन मेरे इंद्रियों के कारण मे जंगल मे मौजूद हर सर्प को महसूस कर सकता था जंगल इतना घना था कि वहाँ सूरज की रोशन भी न आ पाए


मे उस जंगल के अंधेरे को देखकर ये तो जान गया था कि अंदर अंधेरे मे मेरी आँखे मेरा साथ नही देंगी बल्कि मेरे लिए मुश्किल बढ़ा देगी मुझे हर कदम अपने इंद्रियों को बल पर ही रखना था

और न सिर्फ अपने इंद्रियों के बल पर बल्कि मुझे अपने अंदर के एकोलकेशन पर भी भरोसा करना होगा एकोलोकाशन एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें जानवर, अंधेरे में ध्वनि तरंगें उत्पन्न करके अपना रास्ता ढूंढते हैं

जो किसी वस्तु से परावर्तित होने पर गूंजती हैं बिल्कुल किसी चमगादड़ के तरह क्योंकि वे ज्यादातर रात के अंधेरे में शिकार करते हैं, जब रोशनी की स्थिति, निश्चित रूप से, बहुत अंधेरा होती है,

चमगादड़ शिकार के सटीक स्थानों को इंगित करने के लिए इकोलोकेशन पर भरोसा करते हैं और अब मुझे भी इसी तरह आगे बढ़ना था मेरी इंद्रियों को तो मेने पहले ही तेज कर दिया था

लेकिन अब मैने अपने माया से अपने चारों तरफ लगातार एक हल्की ध्वनि का निर्माण करना शुरू कर दिया था बिल्कुल किसी चमगादड़ के तरह और फिर में अपने आँखों पर भी एक पट्टी बाँध दी थी जिससे मे अपने एकोलोकेशन विद्या पर ध्यान दें सकु

और फिर मे धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा था जिससे अब मुझे मेरी आँखे बंद होने के बाद भी पेड़ पौधे पत्थर और सांप सब कहाँ है कैसे चल रहे है मेरे पास आ रहे है या दूर जा रहे हैं सब कुछ पता चल रहा था

सब कुछ मे महसूस कर पा रहे यहाँ तक मे हवा को भी अब महसूस कर पा रहा था ऐसे ही मे आगे चलते जा रहा था मुझे ही पता नही था मे कहाँ जा रहा हूँ के सिर्फ अपने इंद्रियों पर भरोसा रखे चले जा रहा था

और फिर ऐसे ही चलते हुए मे कुछ दूरी पर आ गया था और अब मुझे कुछ भी महसूस नही हो रहा न ही मुझे न ही कोई पेड़ न ही कोई सांप केवल वहाँ अब मुझे सूरज की तपिश और एक अजीब सी मधुर आवाज आ रही थी

जो महसूस करते ही मैने अपनी आँखे खोली तो मे सर्प द्वीप पर न होके किसी और ही जगह पर था जहाँ मेरे सामने पहले की तरह ही एक बक्शा था जो मेरे सामने हवा मे उड़ रहा था


जिसे मेने तुरंत अपने पास खींच लिया और जब मैने उसे खोला तो उसमे से एक संदेश पत्र निकला जो मेरे सामने आकर हवा मे उड़ने लगा

संदेश :- शब्बाश कुमार तुमने सर्प द्वीप को पर कर के एक महा शक्ति को पा लिया है जो है अमृत शक्ति ये वो अमृत नही है जिससे देवता अमर हुए थे ये एक ऐसा अमृत है जिससे तुम्हे इस पूरे संसार के सभी विष से बचने की शक्ति मिल जायेगी और इस शक्ति को पाने के लिए तुम्हे इस एक चुनौती को पार करना होगा

उस संदेश मे इतना पढ़ते ही वहाँ की जमीन हिलने लगी और उस जमीन से एक कालि रोशनी निकलने लगी और जब वो रोशनी हटी तो ये वही मैदान था जो चित्र मे दिखा था

जिसकी जमीन बिल्कुल बुद्धि बल के जैसी थी एक खाना सफेद और एक खाना काले रंग का था और जो सफेद खाने थे वो काले खाने से उपर उठी हुई थी

और सभी खानों के चारों तरफ एक नीली रोशनी निकल रही थी अभी मे उस मैदान को देख रहा था की तभी वो पत्र फिर से मेरे आँखों के सामने आ गया

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आज के लिए इतना ही

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Badi vikat pariksha thee jisey cross kar liya magar abhi ek part baqi hai dekhtey hai Bhadra kaisay isko bhi paar karta hain
 
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VAJRADHIKARI

Hello dosto
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अध्याय तिहत्तर

अब मेरे पूरे शरीर से अग्नि निकलने लगी जिसे वो कुरुमा ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसने अपनी पकड़ को ढीला कर दिया जिसके बाद मैंने एक ऊंची छलांग मारी और कुरुमा के ठीक सामने खड़ा हो गया

अब तक मे इतना तो समझ गया था की इसे मारना या ताकत के जौर पर काबू करना बहुत मुश्किल है और मेरे पास उतना समय भी नही है यही सोचकर मैने अपने आकार को थोड़ा कम किया

और एक छलांग लगा कर उस कुरुमा के पीठ पर बैठ गया और इससे पहले की वो कुछ समझ पाता उससे पहले ही मैने अपनी पूरी ऊर्जा की अपने सप्तचक्रों मे प्रवाहित की और ऐसे होते ही

मैने अपनी सप्तचक्रों की ऊर्जा को कुरुमा के शरीर में प्रवाहित कर दिया जिससे अब हम दोनों की ऊर्जा एक हो गयी थी

जिसके बाद मैने उस कुरुमा की सारी ऊर्जा और उसके जीवन ऊर्जा को अपने अंदर सोख लिया

(ये कुमार की शक्तियों मे से एक है जो उसके ब्रामहारक्षस के ऊर्जा मे सम्मलित है)

और जैसे ही मैने ऐसा किया वैसे ही वो दर्द से तड़पने लगा और जैसे ही उसका तड़पना बंद हुआ वो एक लाल ऊर्जा मे तब्दील होकर मेरे शरीर मे समा गया

जिसके बाद उस मैदान मे धरती के नीचे से एक बड़ा पत्थर निकला जिसके उपर तलवार का चित्र बना हुआ था और उसके पास कुछ लिखा हुआ था

*शब्बाश मानव आज तुमने कुरुमा को हराकर उसे अपना गुलाम बना लिया है अब वो तुम्हारे एक आदेश पर पूरे ग्रह को खतम कर देगा लेकिन याद रखना बड़ी ताकत के साथ आती है बड़ी जिम्मेदारिया अब तुम्हे मिले हुए सभी संदेशों को यहाँ तलवार के उपर रख दो जिसके बाद तुम्हे मिलेगा वो अजेय अस्त्र जिससे तुम्हे मिलेगा वो अजेय अस्त्र जिससे तुम उन महासुरों के अंदर के सप्तस्त्रों के अंश का विनाश कर पाओगे याद रखना तुम इस अजेय अस्त्र को केवल 7 बार इस्तेमाल कर पाओगे यानी हर महासुर के लिए केवल 1 ही मौका होगा*

ये पढ़ने के बाद मैने सारे संदेशों को उस तलवार के उपर रख दिया जिसके बाद उस पत्थर पर 7 अलग अलग तलवारे आ गयी जो कुछ देर मे ही एक दूसरे मे समा कर एक तलवार बन गई

और फिर वो तलवार मेरे शरीर में समा गयी और उस के समाते ही मे उसी जगह पर आ गया जहाँ से सब आरंभ हुआ था कालविजय आश्रम के पीछे नदी के पास जब मे वहाँ पहुंचा तो मे हैरान रह गया

क्योंकि वहाँ का पुरा आसमान लाल हो गया था जैसे आसमान मे खून उतर आया हो और जब मे आश्रम में पहुँचा तो वहाँ की हालत और भी खराब थी वहाँ आश्रम की सारी जगह पर केवल तबाही ही दिखाई दे रही थी

ये सब देखकर मे बहुत हैरान हो गया था जिसके बाद में आश्रम मे यहाँ वहाँ घूम कर हर तरफ देख रहा था कि तभी मेरी नज़र एक कोने में गयी जहाँ आश्रम का ही एक आदमी दर्द से कराह रहा था

जब मे उसके पास पहुँचा तब तक उसका काफी खून निकल चुका था इसीलिए मैने सबसे पहले उसके उपर अपने शक्तियों का इस्तेमाल कर उसके घाव और दर्द का उपचार किया

जिसके बाद वो मुझे मेरे जाने के बाद यहाँ जो कुछ भी हुआ वो सब बताने लगा

उसके बताये मुताबिक़ मेरे जाने से लेकर अगले 13 दिनों तक तो कुछ नही हुआ केवल वहाँ सब मुझे लेकर चिंता मे थे क्योंकि मे 7 दिनों का बोल कर गया था लेकिन 13 दिनों तक नही आया था

कुछ घंटे पहले

अभी सब लोग आराम से आश्रम मे बैठकर युद्ध की रणनिति बना रहे थे आज भद्रा के जाने के बाद से चौदहवा दिन था और जैसा भद्रा ने बताया था

उसके अनुसार आज का दिन ही वो दिन था जब गुरु शुक्राचार्य का यज्ञ पूर्ण तरफ से कामयाब हो जायेगा और सातों महासुर अपने आतंक को फैलाने के लिए पुनर्जन्म लेंगे

और उन्हे रोकने की शक्ति केवल एक ही मे है और वो है भद्रा लेकिन वहाँ पर जितने भी लोग मौजूद थे उन मेसे किसी को भी ये नही पता था की भद्रा इस वक़्त कहाँ है वो किसी को भी नही पता

वो कब लौटेगा ये भी किसी को नही पता था वो 7 दिन का बोलके गया था लेकिन आज चौदहवा दिन है परंतु अभी तक भद्रा तो दूर उसका कोई समाचार तक नही आया था

सब लोग इसी चिंता मे डूबे हुए थे की अब आगे क्या होगा और उन्हे क्या करना है जाने से पहले जो भी कार्य भद्रा ने उन्हे दिया दिया था वो सब कुछ पूर्ण कर दिया था

असुरों के जो भी संभावित प्रवेश द्वार थी उन सब जगहों पर प्राणघाती जाल बिछा दिये थे तो वही औषधि और अस्त्र शस्त्रों का भी बहुत अधिक प्रमाण मे जमा करके रख दिया था

तो वही शिबू ने सभी योद्धाओं को कुछ ऐसे युद्ध कलाएँ सिखा दी थी जिनके इस्तेमाल से वो सभी पहले से भी अधिक शक्ति शाली हो गए थे अब सब लोग केवल युद्ध के आरंभ होने का इंतज़ार कर रहे थे

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आज के लिए इतना ही

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