• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Fantasy ब्रह्माराक्षस

Rohit1988

Well-Known Member
2,348
7,224
158
अध्याय सत्तावन

जहाँ एक तरफ मायासुर ने विराज को मारकर पूरे असुर साम्राज्य के साथ साथ ही पूरे पाताल लोक पर अपना राज स्थापित कर लिया था तो वही भद्रा ने भी मायासुर की कैद से अपने माता पिता और संपूर्ण प्रजा को आजाद कर लिया था

और इस वक्त वो सभी कालविजय आश्रम के बाहर पहुँच गए थे वो चाहता तो सबको लेकर सीधे कालविजय आश्रम के अंदर मायावी द्वार के मदद से पहुँच जाता

लेकिन उसने ऐसा न करते हुए सबको आश्रम के द्वार तक ला दिया और इसके पीछे का कारण साफ था कि आश्रम मे अभी सब युद्ध से थक कर आये है और फिर कही इन सब का राक्षसी रूप देखकर हमला न का दे

ये सोचकर भद्रा ने उन सबको आश्रम के बाहर ही लाने का फैसला किया और फिर इसके आगे वो सब हवाई मार्ग से जाने का फैसला किया जिसमे सबसे आगे भद्रा और प्रिया थे तो वही उनके पीछे दमयंती, त्रिलोकेश्वर और शिबू थे और सबसे आखिर बाकी प्रजाजन थे

तो वही जब आश्रम में सबने आसमान से एक साथ इतने सारे लोगों को आते देखकर वहा हड़कंप मच गया सबको लगने लगा की असुरों ने फिर से हमला कर दिया


जिस वजह से वहा सबने अपने धनुष उठा लिए और हमले के लिए सज्ज हो गए और तब तक वहा पर सारे गुरु भी आ गए और अभी वो सभी हमला करते की तभी उन सबको मे दिखने लगा

और मुझे देखते ही महागुरु ने सबको अस्त्र नीचे रखने का आदेश दिया उनका आदेश मानते हुए सबने ठीक वैसा ही किया और जब मेने आश्रम का हाल देखा तो मेने सारी प्रजा को आसमान में ही रुकने का आदेश दिया

और फिर मे प्रिया माँ बाबा और शिबू भी हम पांचो ही नीचे आश्रम मे पहुँचे और मेरे नीचे उतरते ही सारे गुरुओं ने मुझपर सवालों की झड़ी लगा दी तो वही महागुरु केवल बाबा (त्रिलोकेश्वर) को घूरे जा रहे थे

शांति :- भद्रा ये सब कौन है और तुम उन्हे लेकर यहाँ क्यों आये हो आखिर क्या चल रहा है मुझे सब बताओ

शैलेश :- हाँ भद्रा पहले तो तुम उस युद्ध से बिना कुछ बोले निकल गए और अब वापस आ रहे हो और वो भी इन असुरों के साथ

अभी मे कुछ बोलता की तभी महागुरु चलते हुए बाबा के सामने गए और उनके सामने पहुँचते ही महागुरु ने उनके सामने हाथ जोड़ कर प्रणाम किया और उसके बाद जो उन्होंने कहा वो सुनकर सब दंग रह गए

महागुरु :- ब्रम्हराक्षस प्रजाति के सम्राट और इस कालविजय आश्रम के निर्माता त्रिलोकेश्वर को इस सदी के मायावी महागुरु का प्रणाम स्वीकार करे

महागुरु की बात सुनकर बाबा के चेहरे पर मुस्कान छा गयी जिसके बाद उन्होंने भी अपने हाथ जोड़कर महागुरु को प्रणाम किया तो वही बाबा का परिचय सुनकर वहा सब दंग रह गए जिसके बाद मेने बोलना शुरू किया

मै :- हा सही कहा आपने महागुरु ये ब्रम्हराक्षस प्रजाति के सम्राट है त्रिलोकेश्वर और उनके बगल मे खड़ी स्त्री उनकी पत्नी है दमयंती और यही वो अभियान हौ जिसके लिए मे युद्ध के मैदान से ऐसे जल्दबाजी मे निकल गया था

शांति :- मे अभी भी समझी नही तुम इन्हे बचाने इतने जल्दबाजी मे क्यों निकल गए क्या संबंध है तेरा इनसे

मै :- मेरा इनसे वही संबंध है जो हम सबका इस धरती मा से है मेरा इनसे वही संबंध है जो हर बेटे का होता है अपनी माँ से अपने पिता से मेरा इन सबसे वही नाता है जो एक राजकुमार का होता है उसके राज्य से मे हूँ दमयंती और त्रिलोकेश्वर की संतान ब्रम्हा राक्षस प्रजाति का राजकुमार

मेरी बात सुनकर वहा खड़े हर एक शक्स का हैरानी के मारे मुह खुला का खुला रह गया

तो वही दूसरी तरफ धरती से कोसों मिल दूर किसी अलग ग्रह पर इस वक्त उस ग्रह के सभी निवासी हँसी खुशी से जिंदगी जी रहे थे हर तरफ शांतता और मनमोहक दृश्य और जहाँ देखो वहा पर हरियाली छाई हुई थी


ऐसा भी कह सकते हो की पूरे ब्रम्हांड का सबसे खुश और शांत ग्रह है लेकिन अब ज्यादा देर नही रहने वाला था अभी इस ग्रह पर सब सही से चल रहा था

कि तभी इस ग्रह के सबसे ऊँचे पहाड़ पर अचानक दरारे पड़ने लगी ऐसा लग रहा था कि अब वो पहाड़ किसी भी पल टूटकर बिखर जायेगा की तभी उस पहाड़ से तेज रोशनी निकालने लगी थी जो की लाल रंग की थी और उसके साथ एक अजीब सा धुआ भी निकल रहा था

तो वही जैसे जैसे उस पहाड़ से वो लाल रोशनी और वो धुआ निकल रही थी कि तभी उस पूरे ग्रह पर भूकंप के झटके महसूस होने लगे जिससे उस पूरे ग्रह पर हड़कंप सा मच गया था


हर कोई यहाँ वहा भाग रहा था अपनी जान बचाने के लिए सभी अपने घरों के तरफ भाग रहे थे और अभी वो सभी अपने अपने घरों मे छुप गए थे

की तभी उस जगह पर तेज हवाएं चलने लगी भारी पैमाने में बारिश होने लगी सबको यही लग रहा था कि आज उनके इस ग्रह का अंतिम दिन है प्रलय का समय आ गया है इसीलिए वो सभी अपने अपने इष्ट को स्मरण कर रहे थे उनके गुनाहों के लिए माफी माँग रहे थे

की तभी उस पहाड़ से निकलने वाली लाल रोशनी उस ग्रह के पूरे वातावरण में फैल गयी थी जिसे देखने से ऐसे लग रहा था कि आसमान में की महाभयंकर युद्ध चल रहा हो और उसमे मरने वाले सिपाहियों का रक्त पूरे आसमान में फैल गया था

जो देखकर उस ग्रह के सारे निवासी और ज्यादा घबरा रहे थे की तभी बाहर से किसी की आवाज आने लगी जी सुनकर सभी ग्रह के निवासी जैसे सम्मोहित हो रहे थे

उनके आँखों की पुतलिया पहले से भी ज्यादा बड़ी और काले रंग की हो गयी थी और फिर वो सभी किसी आज्ञाकारी दास समान उस आवाज के कहे अनुसार अपने घरों के द्वार खोल कर उस आवाज की दिशा मे चल पड़े


और जैसे ही वो सारे बाहर निकले तर वैसे ही उस पहाड़ से निकलने वाले धुए ने अपने काबू में कर लिया और उनकी आँखों की पुतलिया अब पूरी तरह से सफेद हो गयी थी और फिर वो सभी चलते हुए आगे बढ़ने लगे

और वो सीधा उस पहाड़ के पास पहुँच गए और जैसे ही सभी उस पहाड़ के पास पहुंचे वैसे ही उस पहाड़ से आवाज आने लगी वो आवाज इतनी कर्कश और भयंकर थी की अगर ये सभी सम्मोहित न होते तो कब के हृदयघात से मर जाते

आवाज :- आओ मेरे दास दसियों आओ आज से तुम्हारे इस वेदस्त ग्रह पर मेरा राज स्थापित होता है और आज से तुम सब मेरे योध्दा हो

उस आवाज के इतने बोलते ही उस पहाड़ से जो लाल रंग की रोशनी निकल रही थी वो और अधिक तीर्व हो गयी और फिर उस रोशनी ने सारे ग्रह वासियों को अपने कब्जे में कर लिया और जब वो रोशनी हटी


तो वहा पर जितने भी लोग थे उन सभी वस्त्र बदल चुके थे और अब वो सारे बिल्कुल किसी क्रूर और घातक सेना समान दिख रहे थे

और ये सब केवल इस वेदस्त ग्रह पर नही बल्कि और 6 ग्रह ऐसे थे जहाँ बिल्कुल ऐसे ही तबाही मचने लगी थी कही पूरे पूरे ग्रह इसके चपेट में आते तो कही केवल उस ग्रह का कोई खास हिस्सा

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~



Fantastic update
 

Rusev

Banned
19,388
6,367
184
अध्याय छप्पन

इस वक्त मध्य रात्रि के समय में कालविजय आश्रम मे एक अलग ही चमक थी केवल कालविजय ही नही बल्कि कालदृष्टि और कालदिशा आश्रम मे भी वही अलग चमक थी

ये चमक किसी अस्त्र या माया से नही बल्कि आश्रमवासियों के जोश और उत्साह से आई थी आश्रम मे इस वक़्त इतने दीप जल रहे थे की मानो वहा पर की दूर से देखे तो उस की छोटा सूरज लगे

आज तीनों आश्रमों मे दिवाली मनाई जा रही थी अच्छाई की बुराई पर जीत के प्रतिरूप मै रात्रि के घने अंधेरे पर केवल दीपों की रोशनी से उन सबने विजय पा ली थी

जहाँ एक तरफ अच्छाई पक्ष में सप्तस्त्रों की शक्ति को काबू करने के बाद उनकी ताकते 100 गुना अधिक बढ़ गयी थी भद्रा के द्वारा युद्ध किया गया पराक्रम देखकर उसकी ताकतों को देख कर अच्छाई के हर एक योद्धा का जोश उत्साह जुनून पहले से 10 गुना अधिक बढ़ गया था


जो लोग कल तक भद्रा को महागुरु का उत्तराधिकारी होने का अंदेशा लगा रहे थे आज वो सभी को शत प्रतिशत यकीन हो गया था की भद्रा ही उनका अगला महागुरु होगा

तो वही सातों गुरुओं ने कालविजय आश्रम आते ही खुद को महागुरु के सभाग्रुह मै कैद कर दिया था और उनकी इस हरकत से बाहर सभी सैनिक और योध्दा यही समझ रहे थे की जैसे भद्रा को गुरु पृथ्वी का दर्जा देने से पहले सभी बड़ी देर तक विचार विमर्श कर रहे थे


तो वैसे ही आज भी ये सब विचार विमर्श करके भद्रा को महागुरु का स्थान देंगे अभी सब लोग इस बात को सोचकर उत्साहित हो रहे थे की तभी उन्हे आसमान से की अपने तरफ आता दिखा और जब सबने ध्यान से देखा उन्हे देखकर कालविजय आश्रम मे हड़कंप मच गया था

तो वही बुराई के पक्ष यानी पाताल लोक पर भी नज़र डाल लेते है जहाँ पाताल लोक के राज महल के दरबार में इस वक़्त बहुत ही गंभीर माहौल था


जहाँ सिंहासन पर बैठे हुए थे असुर प्रजाति के सम्राट विराज और उसके सामने खड़े थे मायासुर मोहिनी और कामिनी जो की कैदियों की तरह बेड़ियों मे जकड़े हुए थे और उनके आसपास अपने अपने राजगद्दीयों पर बैठे हुए असुर मंत्री थे

विराज :- (क्रोध मे) मायासुर तुम्हारे वजह से हम फिर से एक बार युद्ध हार गए है तुमने ही इस बात की जिम्मेदारी उठाई थी कि तुम इस बार उन अस्त्र धारकों को खतम करके रहोगे लेकिन हुआ क्या तुम न सिर्फ युद्ध हरा दिया बल्कि 1,00,000 असुरी सेना उसके साथ 25,000 प्रेत, भूत, पिशाच, नरभेड़िये, तांत्रिकों की सेना को भी तुमने मरवा दिया और उसके साथ ही तुमने 10 महाकाय असुर और साथ मे हमारे शक्तिशाली गटों मेसे विध्वंसक को भी खतम करवा दिया आज तुमने ये साबित करवा दिया की मेरा मानना सही था की तुम असुर सेनापति तो का असुर दल मे सामिल होने के भी लायक नही हो

विराज की ये बात सुनकर मायासुर के आँखों में खून उतर आया था उसने असुर सेनापति बनने के लिए कितनी मुश्किले सही थी ये बस वो या गुरु शुक्र ही जानते थे और उसी वजह से वो शुक्राचार्य के खास सैन्य दल का सैन्य नायक भी बना था (इस दल के बारे में आगे पता चलेगा)

मायासुर :- और मैने भी आपसे निवेदन किया था सम्राट की मुझे मेरी शक्तियां वापस दे दीजिये लेकिन आप ही नही माने और ये उसी का परिणाम है

विराज :- (क्रोधित स्वर मे) तुम्हारी इतनी हिम्मत की तुम हमे ज्ञान दो (मायासुर के पास जाते हुए) तुम एक तुच्छ असुर मुझे सिखाओगे की राज कैसे करना है

जब विराज चलते हुए मायासुर के पास बढ़ रहा था तो उसके सारे शरीर से उसकी असुरी ऊर्जा हर तरफ प्रवाहित हो रही थी जिससे कामिनी और मोहिनी दोनों के ही शरीर भय के मारे कपकपि सी आ गयी

और जब वो उनके पास पहुँचा तो उसकी रक्त समान लाल सुर्ख आँखे देखकर उन दोनों के हाथ पाऊँ कांपने लगे थे उनकी आँखे भय के मारे बंद हो गयी थी अभी वो सिर्फ वहा खड़े होकर अपने मृत्यु का इंतेज़ार कर रहे थे

लेकिन जब उन्होंने कुछ समय तक उन्हे कुछ महसूस नही हुआ तो वो दोनो हैरान रह गए और जब उन्होंने अपनी आँखे खोली तो उनके पैरों तले से जमीन ही खिसक गयी


क्योंकि उनका सम्राट इस वक़्त उनके चरणों मे गिरा हुआ था और उनके सामने मायासुर सम्राट के सिंहासन पर बैठा हुआ था और उसके हाथ मे खून से भीगी हुई तलवार थी

जो देखकर केवल वो दोनों ही नही बल्कि हर एक मंत्री जो वहा खड़ा था सभी दंग रह गए थे

हुआ यू की जब विराज अपने सिंहासन से उठकर उनके पास आ रहा था तो जहाँ पर कामिनी और मोहिनी डर से कांप रही थी


तो वही मायासुर के चेहरे पर कमीनी मुस्कान आ गयी थी और जब वो उनके पास पहुँचा तो मायासुर ने अपनी माया का इस्तेमाल कर दिया

और जब विराज ने मायासुर का गला पकड़ना चाहा तो उसका हाथ मायासुर के आर पार निकल गया


जिससे विराज मायासुर की माया को पहचान गया और वो कुछ करता की तभी मायासुर ने गुरु शुक्राचार्य द्वारा मिली हुई तलवार विराज के पीठ मे घुसा दी जिससे वहा खड़े सारे मंत्री हैरान हो गए

और इससे पहले की वो सब कुछ कर पाते की मायासुर के विश्वसनीय सिपाहियों ने सभी मत्रियों के गर्दन पर तलवार रख दी

मंत्री 1 :- मायासुर ये तुमने क्या किया असुर श्रेष्ठ को मार दिया

मायासुर :- असुर श्रेष्ठ और वो भी ये विराज तुम्हारी भूल है मंत्री अब से मे हूँ तुम सबका सम्राट असुरों मे सर्व श्रेष्ठ सर्व शक्तिशाली असुर मायासुर

मंत्री 2 :- मै ये नही मानता मे विद्रोह करूँगा तुम्हारे खिलाफ

मंत्री 2 की बात सुनकर मायासुर कुछ बोला नही बस उसने अपने सिपाही को इशारा किया और मायासुर का इशारा मिलते ही उस सिपाही ने तुरंत ही उस मंत्री की गर्दन उसके धड़ से अलग कर दी


जिससे वहा पर फिर एक बार शांति छा गयी लेकिन कुछ मंत्री ऐसे थे जिन्हे शायद अभी भी बुद्धि नही आई थी इसीलिए उन्होंने मायासुर के खिलाफ अपनी आवाज उठाई

और इससे पहले की कोई कुछ बोल या कर पाते उससे पहले ही वहा एक आवाज वातावरण मे गूंजने लगी जिसे सुनकर सबका ध्यान दरबार के मुख्य द्वार पर चला गया जहाँ से वो आवाज आई थी

और जब सबने उस तरफ देखा तो सब फिर से दंग रह गए क्योंकि उनके सामने इस स्वयं गुरु शुक्र थे

गुरु शुक्राचार्य :- आज से और अभी से मे असुर कुल गुरु गुरु शुक्राचार्य मायासुर को असुरों का सम्राट घोषित करता हूँ और जो भी सम्राट के विरुद्ध आवाज उठाने की सोची भी तो वो असुर कुल द्रोही माना जायेगा

इतना बोलके गुरु शुक्राचार्य ने असुर सम्राट का मुकुट मायासुर के सर पर रख दिया जिससे न सिर्फ उसे असुर सम्राट की शक्तियां मिली बल्कि उसे उसकी छीनी गयी शक्तियां भी वापस मिल गयी अब पूरे पाताल लोक पर मायासुर का राज्य था

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Nice update bro
 

Rusev

Banned
19,388
6,367
184
अध्याय सत्तावन

जहाँ एक तरफ मायासुर ने विराज को मारकर पूरे असुर साम्राज्य के साथ साथ ही पूरे पाताल लोक पर अपना राज स्थापित कर लिया था तो वही भद्रा ने भी मायासुर की कैद से अपने माता पिता और संपूर्ण प्रजा को आजाद कर लिया था

और इस वक्त वो सभी कालविजय आश्रम के बाहर पहुँच गए थे वो चाहता तो सबको लेकर सीधे कालविजय आश्रम के अंदर मायावी द्वार के मदद से पहुँच जाता

लेकिन उसने ऐसा न करते हुए सबको आश्रम के द्वार तक ला दिया और इसके पीछे का कारण साफ था कि आश्रम मे अभी सब युद्ध से थक कर आये है और फिर कही इन सब का राक्षसी रूप देखकर हमला न का दे

ये सोचकर भद्रा ने उन सबको आश्रम के बाहर ही लाने का फैसला किया और फिर इसके आगे वो सब हवाई मार्ग से जाने का फैसला किया जिसमे सबसे आगे भद्रा और प्रिया थे तो वही उनके पीछे दमयंती, त्रिलोकेश्वर और शिबू थे और सबसे आखिर बाकी प्रजाजन थे

तो वही जब आश्रम में सबने आसमान से एक साथ इतने सारे लोगों को आते देखकर वहा हड़कंप मच गया सबको लगने लगा की असुरों ने फिर से हमला कर दिया


जिस वजह से वहा सबने अपने धनुष उठा लिए और हमले के लिए सज्ज हो गए और तब तक वहा पर सारे गुरु भी आ गए और अभी वो सभी हमला करते की तभी उन सबको मे दिखने लगा

और मुझे देखते ही महागुरु ने सबको अस्त्र नीचे रखने का आदेश दिया उनका आदेश मानते हुए सबने ठीक वैसा ही किया और जब मेने आश्रम का हाल देखा तो मेने सारी प्रजा को आसमान में ही रुकने का आदेश दिया

और फिर मे प्रिया माँ बाबा और शिबू भी हम पांचो ही नीचे आश्रम मे पहुँचे और मेरे नीचे उतरते ही सारे गुरुओं ने मुझपर सवालों की झड़ी लगा दी तो वही महागुरु केवल बाबा (त्रिलोकेश्वर) को घूरे जा रहे थे

शांति :- भद्रा ये सब कौन है और तुम उन्हे लेकर यहाँ क्यों आये हो आखिर क्या चल रहा है मुझे सब बताओ

शैलेश :- हाँ भद्रा पहले तो तुम उस युद्ध से बिना कुछ बोले निकल गए और अब वापस आ रहे हो और वो भी इन असुरों के साथ

अभी मे कुछ बोलता की तभी महागुरु चलते हुए बाबा के सामने गए और उनके सामने पहुँचते ही महागुरु ने उनके सामने हाथ जोड़ कर प्रणाम किया और उसके बाद जो उन्होंने कहा वो सुनकर सब दंग रह गए

महागुरु :- ब्रम्हराक्षस प्रजाति के सम्राट और इस कालविजय आश्रम के निर्माता त्रिलोकेश्वर को इस सदी के मायावी महागुरु का प्रणाम स्वीकार करे

महागुरु की बात सुनकर बाबा के चेहरे पर मुस्कान छा गयी जिसके बाद उन्होंने भी अपने हाथ जोड़कर महागुरु को प्रणाम किया तो वही बाबा का परिचय सुनकर वहा सब दंग रह गए जिसके बाद मेने बोलना शुरू किया

मै :- हा सही कहा आपने महागुरु ये ब्रम्हराक्षस प्रजाति के सम्राट है त्रिलोकेश्वर और उनके बगल मे खड़ी स्त्री उनकी पत्नी है दमयंती और यही वो अभियान हौ जिसके लिए मे युद्ध के मैदान से ऐसे जल्दबाजी मे निकल गया था

शांति :- मे अभी भी समझी नही तुम इन्हे बचाने इतने जल्दबाजी मे क्यों निकल गए क्या संबंध है तेरा इनसे

मै :- मेरा इनसे वही संबंध है जो हम सबका इस धरती मा से है मेरा इनसे वही संबंध है जो हर बेटे का होता है अपनी माँ से अपने पिता से मेरा इन सबसे वही नाता है जो एक राजकुमार का होता है उसके राज्य से मे हूँ दमयंती और त्रिलोकेश्वर की संतान ब्रम्हा राक्षस प्रजाति का राजकुमार

मेरी बात सुनकर वहा खड़े हर एक शक्स का हैरानी के मारे मुह खुला का खुला रह गया

तो वही दूसरी तरफ धरती से कोसों मिल दूर किसी अलग ग्रह पर इस वक्त उस ग्रह के सभी निवासी हँसी खुशी से जिंदगी जी रहे थे हर तरफ शांतता और मनमोहक दृश्य और जहाँ देखो वहा पर हरियाली छाई हुई थी


ऐसा भी कह सकते हो की पूरे ब्रम्हांड का सबसे खुश और शांत ग्रह है लेकिन अब ज्यादा देर नही रहने वाला था अभी इस ग्रह पर सब सही से चल रहा था

कि तभी इस ग्रह के सबसे ऊँचे पहाड़ पर अचानक दरारे पड़ने लगी ऐसा लग रहा था कि अब वो पहाड़ किसी भी पल टूटकर बिखर जायेगा की तभी उस पहाड़ से तेज रोशनी निकालने लगी थी जो की लाल रंग की थी और उसके साथ एक अजीब सा धुआ भी निकल रहा था

तो वही जैसे जैसे उस पहाड़ से वो लाल रोशनी और वो धुआ निकल रही थी कि तभी उस पूरे ग्रह पर भूकंप के झटके महसूस होने लगे जिससे उस पूरे ग्रह पर हड़कंप सा मच गया था


हर कोई यहाँ वहा भाग रहा था अपनी जान बचाने के लिए सभी अपने घरों के तरफ भाग रहे थे और अभी वो सभी अपने अपने घरों मे छुप गए थे

की तभी उस जगह पर तेज हवाएं चलने लगी भारी पैमाने में बारिश होने लगी सबको यही लग रहा था कि आज उनके इस ग्रह का अंतिम दिन है प्रलय का समय आ गया है इसीलिए वो सभी अपने अपने इष्ट को स्मरण कर रहे थे उनके गुनाहों के लिए माफी माँग रहे थे

की तभी उस पहाड़ से निकलने वाली लाल रोशनी उस ग्रह के पूरे वातावरण में फैल गयी थी जिसे देखने से ऐसे लग रहा था कि आसमान में की महाभयंकर युद्ध चल रहा हो और उसमे मरने वाले सिपाहियों का रक्त पूरे आसमान में फैल गया था

जो देखकर उस ग्रह के सारे निवासी और ज्यादा घबरा रहे थे की तभी बाहर से किसी की आवाज आने लगी जी सुनकर सभी ग्रह के निवासी जैसे सम्मोहित हो रहे थे

उनके आँखों की पुतलिया पहले से भी ज्यादा बड़ी और काले रंग की हो गयी थी और फिर वो सभी किसी आज्ञाकारी दास समान उस आवाज के कहे अनुसार अपने घरों के द्वार खोल कर उस आवाज की दिशा मे चल पड़े


और जैसे ही वो सारे बाहर निकले तर वैसे ही उस पहाड़ से निकलने वाले धुए ने अपने काबू में कर लिया और उनकी आँखों की पुतलिया अब पूरी तरह से सफेद हो गयी थी और फिर वो सभी चलते हुए आगे बढ़ने लगे

और वो सीधा उस पहाड़ के पास पहुँच गए और जैसे ही सभी उस पहाड़ के पास पहुंचे वैसे ही उस पहाड़ से आवाज आने लगी वो आवाज इतनी कर्कश और भयंकर थी की अगर ये सभी सम्मोहित न होते तो कब के हृदयघात से मर जाते

आवाज :- आओ मेरे दास दसियों आओ आज से तुम्हारे इस वेदस्त ग्रह पर मेरा राज स्थापित होता है और आज से तुम सब मेरे योध्दा हो

उस आवाज के इतने बोलते ही उस पहाड़ से जो लाल रंग की रोशनी निकल रही थी वो और अधिक तीर्व हो गयी और फिर उस रोशनी ने सारे ग्रह वासियों को अपने कब्जे में कर लिया और जब वो रोशनी हटी


तो वहा पर जितने भी लोग थे उन सभी वस्त्र बदल चुके थे और अब वो सारे बिल्कुल किसी क्रूर और घातक सेना समान दिख रहे थे

और ये सब केवल इस वेदस्त ग्रह पर नही बल्कि और 6 ग्रह ऐसे थे जहाँ बिल्कुल ऐसे ही तबाही मचने लगी थी कही पूरे पूरे ग्रह इसके चपेट में आते तो कही केवल उस ग्रह का कोई खास हिस्सा

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Nice update bro
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
21,905
57,947
259
अध्याय सत्तावन

जहाँ एक तरफ मायासुर ने विराज को मारकर पूरे असुर साम्राज्य के साथ साथ ही पूरे पाताल लोक पर अपना राज स्थापित कर लिया था तो वही भद्रा ने भी मायासुर की कैद से अपने माता पिता और संपूर्ण प्रजा को आजाद कर लिया था

और इस वक्त वो सभी कालविजय आश्रम के बाहर पहुँच गए थे वो चाहता तो सबको लेकर सीधे कालविजय आश्रम के अंदर मायावी द्वार के मदद से पहुँच जाता

लेकिन उसने ऐसा न करते हुए सबको आश्रम के द्वार तक ला दिया और इसके पीछे का कारण साफ था कि आश्रम मे अभी सब युद्ध से थक कर आये है और फिर कही इन सब का राक्षसी रूप देखकर हमला न का दे

ये सोचकर भद्रा ने उन सबको आश्रम के बाहर ही लाने का फैसला किया और फिर इसके आगे वो सब हवाई मार्ग से जाने का फैसला किया जिसमे सबसे आगे भद्रा और प्रिया थे तो वही उनके पीछे दमयंती, त्रिलोकेश्वर और शिबू थे और सबसे आखिर बाकी प्रजाजन थे

तो वही जब आश्रम में सबने आसमान से एक साथ इतने सारे लोगों को आते देखकर वहा हड़कंप मच गया सबको लगने लगा की असुरों ने फिर से हमला कर दिया


जिस वजह से वहा सबने अपने धनुष उठा लिए और हमले के लिए सज्ज हो गए और तब तक वहा पर सारे गुरु भी आ गए और अभी वो सभी हमला करते की तभी उन सबको मे दिखने लगा

और मुझे देखते ही महागुरु ने सबको अस्त्र नीचे रखने का आदेश दिया उनका आदेश मानते हुए सबने ठीक वैसा ही किया और जब मेने आश्रम का हाल देखा तो मेने सारी प्रजा को आसमान में ही रुकने का आदेश दिया

और फिर मे प्रिया माँ बाबा और शिबू भी हम पांचो ही नीचे आश्रम मे पहुँचे और मेरे नीचे उतरते ही सारे गुरुओं ने मुझपर सवालों की झड़ी लगा दी तो वही महागुरु केवल बाबा (त्रिलोकेश्वर) को घूरे जा रहे थे

शांति :- भद्रा ये सब कौन है और तुम उन्हे लेकर यहाँ क्यों आये हो आखिर क्या चल रहा है मुझे सब बताओ

शैलेश :- हाँ भद्रा पहले तो तुम उस युद्ध से बिना कुछ बोले निकल गए और अब वापस आ रहे हो और वो भी इन असुरों के साथ

अभी मे कुछ बोलता की तभी महागुरु चलते हुए बाबा के सामने गए और उनके सामने पहुँचते ही महागुरु ने उनके सामने हाथ जोड़ कर प्रणाम किया और उसके बाद जो उन्होंने कहा वो सुनकर सब दंग रह गए

महागुरु :- ब्रम्हराक्षस प्रजाति के सम्राट और इस कालविजय आश्रम के निर्माता त्रिलोकेश्वर को इस सदी के मायावी महागुरु का प्रणाम स्वीकार करे

महागुरु की बात सुनकर बाबा के चेहरे पर मुस्कान छा गयी जिसके बाद उन्होंने भी अपने हाथ जोड़कर महागुरु को प्रणाम किया तो वही बाबा का परिचय सुनकर वहा सब दंग रह गए जिसके बाद मेने बोलना शुरू किया

मै :- हा सही कहा आपने महागुरु ये ब्रम्हराक्षस प्रजाति के सम्राट है त्रिलोकेश्वर और उनके बगल मे खड़ी स्त्री उनकी पत्नी है दमयंती और यही वो अभियान हौ जिसके लिए मे युद्ध के मैदान से ऐसे जल्दबाजी मे निकल गया था

शांति :- मे अभी भी समझी नही तुम इन्हे बचाने इतने जल्दबाजी मे क्यों निकल गए क्या संबंध है तेरा इनसे

मै :- मेरा इनसे वही संबंध है जो हम सबका इस धरती मा से है मेरा इनसे वही संबंध है जो हर बेटे का होता है अपनी माँ से अपने पिता से मेरा इन सबसे वही नाता है जो एक राजकुमार का होता है उसके राज्य से मे हूँ दमयंती और त्रिलोकेश्वर की संतान ब्रम्हा राक्षस प्रजाति का राजकुमार

मेरी बात सुनकर वहा खड़े हर एक शक्स का हैरानी के मारे मुह खुला का खुला रह गया

तो वही दूसरी तरफ धरती से कोसों मिल दूर किसी अलग ग्रह पर इस वक्त उस ग्रह के सभी निवासी हँसी खुशी से जिंदगी जी रहे थे हर तरफ शांतता और मनमोहक दृश्य और जहाँ देखो वहा पर हरियाली छाई हुई थी


ऐसा भी कह सकते हो की पूरे ब्रम्हांड का सबसे खुश और शांत ग्रह है लेकिन अब ज्यादा देर नही रहने वाला था अभी इस ग्रह पर सब सही से चल रहा था

कि तभी इस ग्रह के सबसे ऊँचे पहाड़ पर अचानक दरारे पड़ने लगी ऐसा लग रहा था कि अब वो पहाड़ किसी भी पल टूटकर बिखर जायेगा की तभी उस पहाड़ से तेज रोशनी निकालने लगी थी जो की लाल रंग की थी और उसके साथ एक अजीब सा धुआ भी निकल रहा था

तो वही जैसे जैसे उस पहाड़ से वो लाल रोशनी और वो धुआ निकल रही थी कि तभी उस पूरे ग्रह पर भूकंप के झटके महसूस होने लगे जिससे उस पूरे ग्रह पर हड़कंप सा मच गया था


हर कोई यहाँ वहा भाग रहा था अपनी जान बचाने के लिए सभी अपने घरों के तरफ भाग रहे थे और अभी वो सभी अपने अपने घरों मे छुप गए थे

की तभी उस जगह पर तेज हवाएं चलने लगी भारी पैमाने में बारिश होने लगी सबको यही लग रहा था कि आज उनके इस ग्रह का अंतिम दिन है प्रलय का समय आ गया है इसीलिए वो सभी अपने अपने इष्ट को स्मरण कर रहे थे उनके गुनाहों के लिए माफी माँग रहे थे

की तभी उस पहाड़ से निकलने वाली लाल रोशनी उस ग्रह के पूरे वातावरण में फैल गयी थी जिसे देखने से ऐसे लग रहा था कि आसमान में की महाभयंकर युद्ध चल रहा हो और उसमे मरने वाले सिपाहियों का रक्त पूरे आसमान में फैल गया था

जो देखकर उस ग्रह के सारे निवासी और ज्यादा घबरा रहे थे की तभी बाहर से किसी की आवाज आने लगी जी सुनकर सभी ग्रह के निवासी जैसे सम्मोहित हो रहे थे

उनके आँखों की पुतलिया पहले से भी ज्यादा बड़ी और काले रंग की हो गयी थी और फिर वो सभी किसी आज्ञाकारी दास समान उस आवाज के कहे अनुसार अपने घरों के द्वार खोल कर उस आवाज की दिशा मे चल पड़े


और जैसे ही वो सारे बाहर निकले तर वैसे ही उस पहाड़ से निकलने वाले धुए ने अपने काबू में कर लिया और उनकी आँखों की पुतलिया अब पूरी तरह से सफेद हो गयी थी और फिर वो सभी चलते हुए आगे बढ़ने लगे

और वो सीधा उस पहाड़ के पास पहुँच गए और जैसे ही सभी उस पहाड़ के पास पहुंचे वैसे ही उस पहाड़ से आवाज आने लगी वो आवाज इतनी कर्कश और भयंकर थी की अगर ये सभी सम्मोहित न होते तो कब के हृदयघात से मर जाते

आवाज :- आओ मेरे दास दसियों आओ आज से तुम्हारे इस वेदस्त ग्रह पर मेरा राज स्थापित होता है और आज से तुम सब मेरे योध्दा हो

उस आवाज के इतने बोलते ही उस पहाड़ से जो लाल रंग की रोशनी निकल रही थी वो और अधिक तीर्व हो गयी और फिर उस रोशनी ने सारे ग्रह वासियों को अपने कब्जे में कर लिया और जब वो रोशनी हटी


तो वहा पर जितने भी लोग थे उन सभी वस्त्र बदल चुके थे और अब वो सारे बिल्कुल किसी क्रूर और घातक सेना समान दिख रहे थे

और ये सब केवल इस वेदस्त ग्रह पर नही बल्कि और 6 ग्रह ऐसे थे जहाँ बिल्कुल ऐसे ही तबाही मचने लगी थी कही पूरे पूरे ग्रह इसके चपेट में आते तो कही केवल उस ग्रह का कोई खास हिस्सा

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Bohot hi badhiya update tha vajradhikari bhaiya 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
Bhadra ke kaal vijay ashram pahuchne or sabko apne baare me batane se lekar sudoor graho ki tatkalik stithi batane tak sab kuch bohot hi jubarjust tha. Superb update 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻🔥🔥🔥🔥🔥🔥🎉🎉
 

park

Well-Known Member
11,770
13,995
228
अध्याय सत्तावन

जहाँ एक तरफ मायासुर ने विराज को मारकर पूरे असुर साम्राज्य के साथ साथ ही पूरे पाताल लोक पर अपना राज स्थापित कर लिया था तो वही भद्रा ने भी मायासुर की कैद से अपने माता पिता और संपूर्ण प्रजा को आजाद कर लिया था

और इस वक्त वो सभी कालविजय आश्रम के बाहर पहुँच गए थे वो चाहता तो सबको लेकर सीधे कालविजय आश्रम के अंदर मायावी द्वार के मदद से पहुँच जाता

लेकिन उसने ऐसा न करते हुए सबको आश्रम के द्वार तक ला दिया और इसके पीछे का कारण साफ था कि आश्रम मे अभी सब युद्ध से थक कर आये है और फिर कही इन सब का राक्षसी रूप देखकर हमला न का दे

ये सोचकर भद्रा ने उन सबको आश्रम के बाहर ही लाने का फैसला किया और फिर इसके आगे वो सब हवाई मार्ग से जाने का फैसला किया जिसमे सबसे आगे भद्रा और प्रिया थे तो वही उनके पीछे दमयंती, त्रिलोकेश्वर और शिबू थे और सबसे आखिर बाकी प्रजाजन थे

तो वही जब आश्रम में सबने आसमान से एक साथ इतने सारे लोगों को आते देखकर वहा हड़कंप मच गया सबको लगने लगा की असुरों ने फिर से हमला कर दिया


जिस वजह से वहा सबने अपने धनुष उठा लिए और हमले के लिए सज्ज हो गए और तब तक वहा पर सारे गुरु भी आ गए और अभी वो सभी हमला करते की तभी उन सबको मे दिखने लगा

और मुझे देखते ही महागुरु ने सबको अस्त्र नीचे रखने का आदेश दिया उनका आदेश मानते हुए सबने ठीक वैसा ही किया और जब मेने आश्रम का हाल देखा तो मेने सारी प्रजा को आसमान में ही रुकने का आदेश दिया

और फिर मे प्रिया माँ बाबा और शिबू भी हम पांचो ही नीचे आश्रम मे पहुँचे और मेरे नीचे उतरते ही सारे गुरुओं ने मुझपर सवालों की झड़ी लगा दी तो वही महागुरु केवल बाबा (त्रिलोकेश्वर) को घूरे जा रहे थे

शांति :- भद्रा ये सब कौन है और तुम उन्हे लेकर यहाँ क्यों आये हो आखिर क्या चल रहा है मुझे सब बताओ

शैलेश :- हाँ भद्रा पहले तो तुम उस युद्ध से बिना कुछ बोले निकल गए और अब वापस आ रहे हो और वो भी इन असुरों के साथ

अभी मे कुछ बोलता की तभी महागुरु चलते हुए बाबा के सामने गए और उनके सामने पहुँचते ही महागुरु ने उनके सामने हाथ जोड़ कर प्रणाम किया और उसके बाद जो उन्होंने कहा वो सुनकर सब दंग रह गए

महागुरु :- ब्रम्हराक्षस प्रजाति के सम्राट और इस कालविजय आश्रम के निर्माता त्रिलोकेश्वर को इस सदी के मायावी महागुरु का प्रणाम स्वीकार करे

महागुरु की बात सुनकर बाबा के चेहरे पर मुस्कान छा गयी जिसके बाद उन्होंने भी अपने हाथ जोड़कर महागुरु को प्रणाम किया तो वही बाबा का परिचय सुनकर वहा सब दंग रह गए जिसके बाद मेने बोलना शुरू किया

मै :- हा सही कहा आपने महागुरु ये ब्रम्हराक्षस प्रजाति के सम्राट है त्रिलोकेश्वर और उनके बगल मे खड़ी स्त्री उनकी पत्नी है दमयंती और यही वो अभियान हौ जिसके लिए मे युद्ध के मैदान से ऐसे जल्दबाजी मे निकल गया था

शांति :- मे अभी भी समझी नही तुम इन्हे बचाने इतने जल्दबाजी मे क्यों निकल गए क्या संबंध है तेरा इनसे

मै :- मेरा इनसे वही संबंध है जो हम सबका इस धरती मा से है मेरा इनसे वही संबंध है जो हर बेटे का होता है अपनी माँ से अपने पिता से मेरा इन सबसे वही नाता है जो एक राजकुमार का होता है उसके राज्य से मे हूँ दमयंती और त्रिलोकेश्वर की संतान ब्रम्हा राक्षस प्रजाति का राजकुमार

मेरी बात सुनकर वहा खड़े हर एक शक्स का हैरानी के मारे मुह खुला का खुला रह गया

तो वही दूसरी तरफ धरती से कोसों मिल दूर किसी अलग ग्रह पर इस वक्त उस ग्रह के सभी निवासी हँसी खुशी से जिंदगी जी रहे थे हर तरफ शांतता और मनमोहक दृश्य और जहाँ देखो वहा पर हरियाली छाई हुई थी


ऐसा भी कह सकते हो की पूरे ब्रम्हांड का सबसे खुश और शांत ग्रह है लेकिन अब ज्यादा देर नही रहने वाला था अभी इस ग्रह पर सब सही से चल रहा था

कि तभी इस ग्रह के सबसे ऊँचे पहाड़ पर अचानक दरारे पड़ने लगी ऐसा लग रहा था कि अब वो पहाड़ किसी भी पल टूटकर बिखर जायेगा की तभी उस पहाड़ से तेज रोशनी निकालने लगी थी जो की लाल रंग की थी और उसके साथ एक अजीब सा धुआ भी निकल रहा था

तो वही जैसे जैसे उस पहाड़ से वो लाल रोशनी और वो धुआ निकल रही थी कि तभी उस पूरे ग्रह पर भूकंप के झटके महसूस होने लगे जिससे उस पूरे ग्रह पर हड़कंप सा मच गया था


हर कोई यहाँ वहा भाग रहा था अपनी जान बचाने के लिए सभी अपने घरों के तरफ भाग रहे थे और अभी वो सभी अपने अपने घरों मे छुप गए थे

की तभी उस जगह पर तेज हवाएं चलने लगी भारी पैमाने में बारिश होने लगी सबको यही लग रहा था कि आज उनके इस ग्रह का अंतिम दिन है प्रलय का समय आ गया है इसीलिए वो सभी अपने अपने इष्ट को स्मरण कर रहे थे उनके गुनाहों के लिए माफी माँग रहे थे

की तभी उस पहाड़ से निकलने वाली लाल रोशनी उस ग्रह के पूरे वातावरण में फैल गयी थी जिसे देखने से ऐसे लग रहा था कि आसमान में की महाभयंकर युद्ध चल रहा हो और उसमे मरने वाले सिपाहियों का रक्त पूरे आसमान में फैल गया था

जो देखकर उस ग्रह के सारे निवासी और ज्यादा घबरा रहे थे की तभी बाहर से किसी की आवाज आने लगी जी सुनकर सभी ग्रह के निवासी जैसे सम्मोहित हो रहे थे

उनके आँखों की पुतलिया पहले से भी ज्यादा बड़ी और काले रंग की हो गयी थी और फिर वो सभी किसी आज्ञाकारी दास समान उस आवाज के कहे अनुसार अपने घरों के द्वार खोल कर उस आवाज की दिशा मे चल पड़े


और जैसे ही वो सारे बाहर निकले तर वैसे ही उस पहाड़ से निकलने वाले धुए ने अपने काबू में कर लिया और उनकी आँखों की पुतलिया अब पूरी तरह से सफेद हो गयी थी और फिर वो सभी चलते हुए आगे बढ़ने लगे

और वो सीधा उस पहाड़ के पास पहुँच गए और जैसे ही सभी उस पहाड़ के पास पहुंचे वैसे ही उस पहाड़ से आवाज आने लगी वो आवाज इतनी कर्कश और भयंकर थी की अगर ये सभी सम्मोहित न होते तो कब के हृदयघात से मर जाते

आवाज :- आओ मेरे दास दसियों आओ आज से तुम्हारे इस वेदस्त ग्रह पर मेरा राज स्थापित होता है और आज से तुम सब मेरे योध्दा हो

उस आवाज के इतने बोलते ही उस पहाड़ से जो लाल रंग की रोशनी निकल रही थी वो और अधिक तीर्व हो गयी और फिर उस रोशनी ने सारे ग्रह वासियों को अपने कब्जे में कर लिया और जब वो रोशनी हटी


तो वहा पर जितने भी लोग थे उन सभी वस्त्र बदल चुके थे और अब वो सारे बिल्कुल किसी क्रूर और घातक सेना समान दिख रहे थे

और ये सब केवल इस वेदस्त ग्रह पर नही बल्कि और 6 ग्रह ऐसे थे जहाँ बिल्कुल ऐसे ही तबाही मचने लगी थी कही पूरे पूरे ग्रह इसके चपेट में आते तो कही केवल उस ग्रह का कोई खास हिस्सा

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Nice and superb update....
 

parkas

Well-Known Member
28,424
62,732
303
अध्याय सत्तावन

जहाँ एक तरफ मायासुर ने विराज को मारकर पूरे असुर साम्राज्य के साथ साथ ही पूरे पाताल लोक पर अपना राज स्थापित कर लिया था तो वही भद्रा ने भी मायासुर की कैद से अपने माता पिता और संपूर्ण प्रजा को आजाद कर लिया था

और इस वक्त वो सभी कालविजय आश्रम के बाहर पहुँच गए थे वो चाहता तो सबको लेकर सीधे कालविजय आश्रम के अंदर मायावी द्वार के मदद से पहुँच जाता

लेकिन उसने ऐसा न करते हुए सबको आश्रम के द्वार तक ला दिया और इसके पीछे का कारण साफ था कि आश्रम मे अभी सब युद्ध से थक कर आये है और फिर कही इन सब का राक्षसी रूप देखकर हमला न का दे

ये सोचकर भद्रा ने उन सबको आश्रम के बाहर ही लाने का फैसला किया और फिर इसके आगे वो सब हवाई मार्ग से जाने का फैसला किया जिसमे सबसे आगे भद्रा और प्रिया थे तो वही उनके पीछे दमयंती, त्रिलोकेश्वर और शिबू थे और सबसे आखिर बाकी प्रजाजन थे

तो वही जब आश्रम में सबने आसमान से एक साथ इतने सारे लोगों को आते देखकर वहा हड़कंप मच गया सबको लगने लगा की असुरों ने फिर से हमला कर दिया


जिस वजह से वहा सबने अपने धनुष उठा लिए और हमले के लिए सज्ज हो गए और तब तक वहा पर सारे गुरु भी आ गए और अभी वो सभी हमला करते की तभी उन सबको मे दिखने लगा

और मुझे देखते ही महागुरु ने सबको अस्त्र नीचे रखने का आदेश दिया उनका आदेश मानते हुए सबने ठीक वैसा ही किया और जब मेने आश्रम का हाल देखा तो मेने सारी प्रजा को आसमान में ही रुकने का आदेश दिया

और फिर मे प्रिया माँ बाबा और शिबू भी हम पांचो ही नीचे आश्रम मे पहुँचे और मेरे नीचे उतरते ही सारे गुरुओं ने मुझपर सवालों की झड़ी लगा दी तो वही महागुरु केवल बाबा (त्रिलोकेश्वर) को घूरे जा रहे थे

शांति :- भद्रा ये सब कौन है और तुम उन्हे लेकर यहाँ क्यों आये हो आखिर क्या चल रहा है मुझे सब बताओ

शैलेश :- हाँ भद्रा पहले तो तुम उस युद्ध से बिना कुछ बोले निकल गए और अब वापस आ रहे हो और वो भी इन असुरों के साथ

अभी मे कुछ बोलता की तभी महागुरु चलते हुए बाबा के सामने गए और उनके सामने पहुँचते ही महागुरु ने उनके सामने हाथ जोड़ कर प्रणाम किया और उसके बाद जो उन्होंने कहा वो सुनकर सब दंग रह गए

महागुरु :- ब्रम्हराक्षस प्रजाति के सम्राट और इस कालविजय आश्रम के निर्माता त्रिलोकेश्वर को इस सदी के मायावी महागुरु का प्रणाम स्वीकार करे

महागुरु की बात सुनकर बाबा के चेहरे पर मुस्कान छा गयी जिसके बाद उन्होंने भी अपने हाथ जोड़कर महागुरु को प्रणाम किया तो वही बाबा का परिचय सुनकर वहा सब दंग रह गए जिसके बाद मेने बोलना शुरू किया

मै :- हा सही कहा आपने महागुरु ये ब्रम्हराक्षस प्रजाति के सम्राट है त्रिलोकेश्वर और उनके बगल मे खड़ी स्त्री उनकी पत्नी है दमयंती और यही वो अभियान हौ जिसके लिए मे युद्ध के मैदान से ऐसे जल्दबाजी मे निकल गया था

शांति :- मे अभी भी समझी नही तुम इन्हे बचाने इतने जल्दबाजी मे क्यों निकल गए क्या संबंध है तेरा इनसे

मै :- मेरा इनसे वही संबंध है जो हम सबका इस धरती मा से है मेरा इनसे वही संबंध है जो हर बेटे का होता है अपनी माँ से अपने पिता से मेरा इन सबसे वही नाता है जो एक राजकुमार का होता है उसके राज्य से मे हूँ दमयंती और त्रिलोकेश्वर की संतान ब्रम्हा राक्षस प्रजाति का राजकुमार

मेरी बात सुनकर वहा खड़े हर एक शक्स का हैरानी के मारे मुह खुला का खुला रह गया

तो वही दूसरी तरफ धरती से कोसों मिल दूर किसी अलग ग्रह पर इस वक्त उस ग्रह के सभी निवासी हँसी खुशी से जिंदगी जी रहे थे हर तरफ शांतता और मनमोहक दृश्य और जहाँ देखो वहा पर हरियाली छाई हुई थी


ऐसा भी कह सकते हो की पूरे ब्रम्हांड का सबसे खुश और शांत ग्रह है लेकिन अब ज्यादा देर नही रहने वाला था अभी इस ग्रह पर सब सही से चल रहा था

कि तभी इस ग्रह के सबसे ऊँचे पहाड़ पर अचानक दरारे पड़ने लगी ऐसा लग रहा था कि अब वो पहाड़ किसी भी पल टूटकर बिखर जायेगा की तभी उस पहाड़ से तेज रोशनी निकालने लगी थी जो की लाल रंग की थी और उसके साथ एक अजीब सा धुआ भी निकल रहा था

तो वही जैसे जैसे उस पहाड़ से वो लाल रोशनी और वो धुआ निकल रही थी कि तभी उस पूरे ग्रह पर भूकंप के झटके महसूस होने लगे जिससे उस पूरे ग्रह पर हड़कंप सा मच गया था


हर कोई यहाँ वहा भाग रहा था अपनी जान बचाने के लिए सभी अपने घरों के तरफ भाग रहे थे और अभी वो सभी अपने अपने घरों मे छुप गए थे

की तभी उस जगह पर तेज हवाएं चलने लगी भारी पैमाने में बारिश होने लगी सबको यही लग रहा था कि आज उनके इस ग्रह का अंतिम दिन है प्रलय का समय आ गया है इसीलिए वो सभी अपने अपने इष्ट को स्मरण कर रहे थे उनके गुनाहों के लिए माफी माँग रहे थे

की तभी उस पहाड़ से निकलने वाली लाल रोशनी उस ग्रह के पूरे वातावरण में फैल गयी थी जिसे देखने से ऐसे लग रहा था कि आसमान में की महाभयंकर युद्ध चल रहा हो और उसमे मरने वाले सिपाहियों का रक्त पूरे आसमान में फैल गया था

जो देखकर उस ग्रह के सारे निवासी और ज्यादा घबरा रहे थे की तभी बाहर से किसी की आवाज आने लगी जी सुनकर सभी ग्रह के निवासी जैसे सम्मोहित हो रहे थे

उनके आँखों की पुतलिया पहले से भी ज्यादा बड़ी और काले रंग की हो गयी थी और फिर वो सभी किसी आज्ञाकारी दास समान उस आवाज के कहे अनुसार अपने घरों के द्वार खोल कर उस आवाज की दिशा मे चल पड़े


और जैसे ही वो सारे बाहर निकले तर वैसे ही उस पहाड़ से निकलने वाले धुए ने अपने काबू में कर लिया और उनकी आँखों की पुतलिया अब पूरी तरह से सफेद हो गयी थी और फिर वो सभी चलते हुए आगे बढ़ने लगे

और वो सीधा उस पहाड़ के पास पहुँच गए और जैसे ही सभी उस पहाड़ के पास पहुंचे वैसे ही उस पहाड़ से आवाज आने लगी वो आवाज इतनी कर्कश और भयंकर थी की अगर ये सभी सम्मोहित न होते तो कब के हृदयघात से मर जाते

आवाज :- आओ मेरे दास दसियों आओ आज से तुम्हारे इस वेदस्त ग्रह पर मेरा राज स्थापित होता है और आज से तुम सब मेरे योध्दा हो

उस आवाज के इतने बोलते ही उस पहाड़ से जो लाल रंग की रोशनी निकल रही थी वो और अधिक तीर्व हो गयी और फिर उस रोशनी ने सारे ग्रह वासियों को अपने कब्जे में कर लिया और जब वो रोशनी हटी


तो वहा पर जितने भी लोग थे उन सभी वस्त्र बदल चुके थे और अब वो सारे बिल्कुल किसी क्रूर और घातक सेना समान दिख रहे थे

और ये सब केवल इस वेदस्त ग्रह पर नही बल्कि और 6 ग्रह ऐसे थे जहाँ बिल्कुल ऐसे ही तबाही मचने लगी थी कही पूरे पूरे ग्रह इसके चपेट में आते तो कही केवल उस ग्रह का कोई खास हिस्सा

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Bahut hi badhiya update diya hai VAJRADHIKARI bhai....
Nice and beautiful update....
 

kas1709

Well-Known Member
10,096
10,642
213
अध्याय सत्तावन

जहाँ एक तरफ मायासुर ने विराज को मारकर पूरे असुर साम्राज्य के साथ साथ ही पूरे पाताल लोक पर अपना राज स्थापित कर लिया था तो वही भद्रा ने भी मायासुर की कैद से अपने माता पिता और संपूर्ण प्रजा को आजाद कर लिया था

और इस वक्त वो सभी कालविजय आश्रम के बाहर पहुँच गए थे वो चाहता तो सबको लेकर सीधे कालविजय आश्रम के अंदर मायावी द्वार के मदद से पहुँच जाता

लेकिन उसने ऐसा न करते हुए सबको आश्रम के द्वार तक ला दिया और इसके पीछे का कारण साफ था कि आश्रम मे अभी सब युद्ध से थक कर आये है और फिर कही इन सब का राक्षसी रूप देखकर हमला न का दे

ये सोचकर भद्रा ने उन सबको आश्रम के बाहर ही लाने का फैसला किया और फिर इसके आगे वो सब हवाई मार्ग से जाने का फैसला किया जिसमे सबसे आगे भद्रा और प्रिया थे तो वही उनके पीछे दमयंती, त्रिलोकेश्वर और शिबू थे और सबसे आखिर बाकी प्रजाजन थे

तो वही जब आश्रम में सबने आसमान से एक साथ इतने सारे लोगों को आते देखकर वहा हड़कंप मच गया सबको लगने लगा की असुरों ने फिर से हमला कर दिया


जिस वजह से वहा सबने अपने धनुष उठा लिए और हमले के लिए सज्ज हो गए और तब तक वहा पर सारे गुरु भी आ गए और अभी वो सभी हमला करते की तभी उन सबको मे दिखने लगा

और मुझे देखते ही महागुरु ने सबको अस्त्र नीचे रखने का आदेश दिया उनका आदेश मानते हुए सबने ठीक वैसा ही किया और जब मेने आश्रम का हाल देखा तो मेने सारी प्रजा को आसमान में ही रुकने का आदेश दिया

और फिर मे प्रिया माँ बाबा और शिबू भी हम पांचो ही नीचे आश्रम मे पहुँचे और मेरे नीचे उतरते ही सारे गुरुओं ने मुझपर सवालों की झड़ी लगा दी तो वही महागुरु केवल बाबा (त्रिलोकेश्वर) को घूरे जा रहे थे

शांति :- भद्रा ये सब कौन है और तुम उन्हे लेकर यहाँ क्यों आये हो आखिर क्या चल रहा है मुझे सब बताओ

शैलेश :- हाँ भद्रा पहले तो तुम उस युद्ध से बिना कुछ बोले निकल गए और अब वापस आ रहे हो और वो भी इन असुरों के साथ

अभी मे कुछ बोलता की तभी महागुरु चलते हुए बाबा के सामने गए और उनके सामने पहुँचते ही महागुरु ने उनके सामने हाथ जोड़ कर प्रणाम किया और उसके बाद जो उन्होंने कहा वो सुनकर सब दंग रह गए

महागुरु :- ब्रम्हराक्षस प्रजाति के सम्राट और इस कालविजय आश्रम के निर्माता त्रिलोकेश्वर को इस सदी के मायावी महागुरु का प्रणाम स्वीकार करे

महागुरु की बात सुनकर बाबा के चेहरे पर मुस्कान छा गयी जिसके बाद उन्होंने भी अपने हाथ जोड़कर महागुरु को प्रणाम किया तो वही बाबा का परिचय सुनकर वहा सब दंग रह गए जिसके बाद मेने बोलना शुरू किया

मै :- हा सही कहा आपने महागुरु ये ब्रम्हराक्षस प्रजाति के सम्राट है त्रिलोकेश्वर और उनके बगल मे खड़ी स्त्री उनकी पत्नी है दमयंती और यही वो अभियान हौ जिसके लिए मे युद्ध के मैदान से ऐसे जल्दबाजी मे निकल गया था

शांति :- मे अभी भी समझी नही तुम इन्हे बचाने इतने जल्दबाजी मे क्यों निकल गए क्या संबंध है तेरा इनसे

मै :- मेरा इनसे वही संबंध है जो हम सबका इस धरती मा से है मेरा इनसे वही संबंध है जो हर बेटे का होता है अपनी माँ से अपने पिता से मेरा इन सबसे वही नाता है जो एक राजकुमार का होता है उसके राज्य से मे हूँ दमयंती और त्रिलोकेश्वर की संतान ब्रम्हा राक्षस प्रजाति का राजकुमार

मेरी बात सुनकर वहा खड़े हर एक शक्स का हैरानी के मारे मुह खुला का खुला रह गया

तो वही दूसरी तरफ धरती से कोसों मिल दूर किसी अलग ग्रह पर इस वक्त उस ग्रह के सभी निवासी हँसी खुशी से जिंदगी जी रहे थे हर तरफ शांतता और मनमोहक दृश्य और जहाँ देखो वहा पर हरियाली छाई हुई थी


ऐसा भी कह सकते हो की पूरे ब्रम्हांड का सबसे खुश और शांत ग्रह है लेकिन अब ज्यादा देर नही रहने वाला था अभी इस ग्रह पर सब सही से चल रहा था

कि तभी इस ग्रह के सबसे ऊँचे पहाड़ पर अचानक दरारे पड़ने लगी ऐसा लग रहा था कि अब वो पहाड़ किसी भी पल टूटकर बिखर जायेगा की तभी उस पहाड़ से तेज रोशनी निकालने लगी थी जो की लाल रंग की थी और उसके साथ एक अजीब सा धुआ भी निकल रहा था

तो वही जैसे जैसे उस पहाड़ से वो लाल रोशनी और वो धुआ निकल रही थी कि तभी उस पूरे ग्रह पर भूकंप के झटके महसूस होने लगे जिससे उस पूरे ग्रह पर हड़कंप सा मच गया था


हर कोई यहाँ वहा भाग रहा था अपनी जान बचाने के लिए सभी अपने घरों के तरफ भाग रहे थे और अभी वो सभी अपने अपने घरों मे छुप गए थे

की तभी उस जगह पर तेज हवाएं चलने लगी भारी पैमाने में बारिश होने लगी सबको यही लग रहा था कि आज उनके इस ग्रह का अंतिम दिन है प्रलय का समय आ गया है इसीलिए वो सभी अपने अपने इष्ट को स्मरण कर रहे थे उनके गुनाहों के लिए माफी माँग रहे थे

की तभी उस पहाड़ से निकलने वाली लाल रोशनी उस ग्रह के पूरे वातावरण में फैल गयी थी जिसे देखने से ऐसे लग रहा था कि आसमान में की महाभयंकर युद्ध चल रहा हो और उसमे मरने वाले सिपाहियों का रक्त पूरे आसमान में फैल गया था

जो देखकर उस ग्रह के सारे निवासी और ज्यादा घबरा रहे थे की तभी बाहर से किसी की आवाज आने लगी जी सुनकर सभी ग्रह के निवासी जैसे सम्मोहित हो रहे थे

उनके आँखों की पुतलिया पहले से भी ज्यादा बड़ी और काले रंग की हो गयी थी और फिर वो सभी किसी आज्ञाकारी दास समान उस आवाज के कहे अनुसार अपने घरों के द्वार खोल कर उस आवाज की दिशा मे चल पड़े


और जैसे ही वो सारे बाहर निकले तर वैसे ही उस पहाड़ से निकलने वाले धुए ने अपने काबू में कर लिया और उनकी आँखों की पुतलिया अब पूरी तरह से सफेद हो गयी थी और फिर वो सभी चलते हुए आगे बढ़ने लगे

और वो सीधा उस पहाड़ के पास पहुँच गए और जैसे ही सभी उस पहाड़ के पास पहुंचे वैसे ही उस पहाड़ से आवाज आने लगी वो आवाज इतनी कर्कश और भयंकर थी की अगर ये सभी सम्मोहित न होते तो कब के हृदयघात से मर जाते

आवाज :- आओ मेरे दास दसियों आओ आज से तुम्हारे इस वेदस्त ग्रह पर मेरा राज स्थापित होता है और आज से तुम सब मेरे योध्दा हो

उस आवाज के इतने बोलते ही उस पहाड़ से जो लाल रंग की रोशनी निकल रही थी वो और अधिक तीर्व हो गयी और फिर उस रोशनी ने सारे ग्रह वासियों को अपने कब्जे में कर लिया और जब वो रोशनी हटी


तो वहा पर जितने भी लोग थे उन सभी वस्त्र बदल चुके थे और अब वो सारे बिल्कुल किसी क्रूर और घातक सेना समान दिख रहे थे

और ये सब केवल इस वेदस्त ग्रह पर नही बल्कि और 6 ग्रह ऐसे थे जहाँ बिल्कुल ऐसे ही तबाही मचने लगी थी कही पूरे पूरे ग्रह इसके चपेट में आते तो कही केवल उस ग्रह का कोई खास हिस्सा

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Nice update.....
 
Top