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Fantasy ब्रह्माराक्षस

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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parkas

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अध्याय उनसठ

मे उन सब चित्रों के बारे में सोचकर परेशान हो रहा था तो वही मेरी ये परेशानी से भरा चेहरा वहा मौजूद चार आँखों से छुप न सका जो किसी और की नही बल्कि प्रिया और शांति की ही थी

जब उन दोनों ने मुझे ऐसे परेशान देखा तो वो दोनों भी चिंतित हो गयी और दोनों मुझे इस परेशानी से निकालने के लिए रास्ता ढूँढने लगे और जल्द ही प्रिया के चेहरे पर एक रहस्यमयी परंतु शैतानी मुस्कान आ गयी

जैसे कि उसे कोई तरकीब मिल गयी थी और फिर उसने शांति के कान मे भी ये तरकीब बता दी जिससे तो मानो शांति को झटका ही लग गया वो प्रिया को देखकर डरते हुए ना मे सर हिलाने लगी

शांति :- नही प्रिया मे ये नही कर पाऊँगी मुझे शर्म आयेगी

प्रिया :- अरे मेरी बन्नो हमे ये करना ही होगा नही तो भद्रा आने वाले युद्ध मे अपनी पूरी शक्ति का इस्तेमाल नही कर पायेगा देखा नही आज वो कितना परेशान था

शांति :- लेकिन

प्रिया :- लेकिन वेकिन कुछ नहीं हमे ये करना ही होगा भद्रा के लिए और तुम मना नही कर सकती तुम्हे भद्रा की कसम

शांति लाख बार मना करती रही लेकिन प्रिया ने उसकी एक ना सुनी और और जब उसने शांति को मेरी कसम दे दी तो सब वही खतम हो गया अब शांति मना नही कर सकती थी और न ही कुछ बोल सकती थी


जिससे अब शांति ने भी प्रिया के सामने हार मान ली थी क्योंकि वो जानती थी कि जबसे प्रिया ने पूरी तरीके से महारानी वृंदा को अपनाया था तबसे ही वो और भी ज्यादा जिद्दी हो गयी थी

जहाँ एक तरफ ये दोनों अपनी योजना बनाकर उसपर अमल भी करने लगी थी तो वही दूसरी तरफ मे आश्रम में यहाँ से वहा टहल रहा था और ऐसे ही टहलते मे अपने कुटिया के पास पहुँच गया

और जैसे ही मे अंदर घुसा तो मे दंग रह गया क्योंकि मेरा कमरा इस वक़्त पूरी तरह से सजाया गया था जैसे कि किसी की सुहागरात हो अंदर कमरे मे शांति और प्रिया दोनों मौजूद थे

मे :- प्रिया शांति ये सब क्या है


जब उन दोनों ने मुझे देखा तो उन दोनों के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी जिसके बाद प्रिया तुरंत मेरे पास आ गयी

प्रिया :- (मोहक स्वर मे) आ गए आप आइये स्वामी हम दोनों आपका ही इंतज़ार कर रहे थे की कब आप आये और हमारे इस कामग्नि se तड़पते शरीर को भोगकर इसकी कामग्नि को शांत करे

मे :- ये क्या है प्रिया तुम्हे पता है ना की इस वक़्त मेरे दिमाग मे कितनी सारी बाते चल रही है और ऐसे में ये सब नही प्रिया पहले सारी परेशानिया खतम होने दो फिर हम तीनों बाहर जायेंगे और जैसा तुम बोलोगी वैसा ही करेंगे ये मेरा वचन है

प्रिया :- नही हम अभी करेंगे

मै :- समझा करो प्रिया अभी जो माहौल है उसमे ये सब सही नही है अभी परेशानियों की तलवार हमारे सर पे लटक रही है और तुम्हे

मेरी बात सुनकर प्रिया ने एक बार मुझे घूर के देखा और फिर से शांति के पास चली गई जिसके बाद मे बेड पर जाके लेट गया

तो वही प्रिया और शांति बेड के सामने वाले सोफे पर जाके बैठ गयी जब वो मेरे सामने बैठे थे तब मुझे उनके हुस्न का दीदार होने लगा जिसपे अभी तक मेरा ध्यान ही नही गया था

जहाँ एक तरफ प्रिया ने हमेशा की तरह टाइट जींस और टॉप पहना हुआ था जिसमे उसके शरीर का हर उभार साफ साफ दिख रहा था तो वही शांति ने भी सारी पहनी हुई थी जिसके ब्लाउज से उसकी चुचिया साफ दिख रही थी

उन दोनों का ये अवतार देखकर मेरा लंड भी अब अपने पूरे उफान पर था अब मुझे अपने फैसले पर पछतावा होने लगा था तो वही प्रिया ने जब मेरे कपड़ों के उपर से मेरे खड़े लंड के उभर को देखा

जिससे उसकी आँखों में एक नटखट चमक आ गयी. जिसके बाद उसने शांति को अपने बाहों में ले लिया

प्रिया (शांति को आँख मारते हुए) :- शांति डार्लिंग चल ऐसा करते हैं कि हम अपना काम शुरू करते हैं, मे भी तो देखु की ये कितनी देर ऐसे ही खुद पर काबू रख सकता हैं

प्रिया की बात सुनकर जहाँ पर शांति हैरानी और शर्म के मारे प्रिया को घूरे जा रही थी तो वही मेरे मन मे एक अजीब सा उत्साह एक अजीब भावना ने उफान लेना शुरू किया था

जिससे मेरे लंड भी कपड़ो के अंदर ही बार बार झटके मारे जा रहा था शायद वो मुझे मेरे फैसले के कारण गालियाँ दे रहा था लेकिन अब बात मेरे सम्मान पर आ गयी थी

अगर मे अभी उन दोनों के बीच में कूद पड़ता तो मेरे उतावले पण पर वो दोनों जरूर मुझे हर वक़्त चिढ़ाते जिस कारण अब मे भी अपने जिद्द पर अड़ गया था और सोने का प्रयास करने लगा


तो वही अब तक दोनों एक दूसरे की बाँहों में थी और लिपटकर चूमाचाटी कर रही थी. धीरे धीरे उन्हों ने एक दूसरे के कपड़ों को भी उनके शरीर से अलग कर दिया था सबसे पहले प्रिया ने तुरंत ही अपना टॉप और जीन्स निकाल डाले और अब सिर्फ़ सफ़ेद रंग की ब्रा और पेन्टी ही उनके शरीर पर रही गई थी

जिसके बाद प्रिया अब शांति की साड़ी और ब्लाउज़ बड़े प्यार से उतारने लगी थी जिससे अब शांति भी मेरे सामने काली ब्रा और पैंटी पहने थी और उनके गोरे रंग पर वह काले अंतवस्त्र गजब ढा रहे थे

तो वही उन्हे देखकर मे बेड पर लेटा तड़प रहा था मे अपनी पूरी कोशिश करता की उन पर ध्यान न दूँ लेकिन उनकी हरकते देखकर मे हर पल हैरान हो रहा था शांति की भी शर्म जैसे अब धीरे धीरे मिट रही थी


वो दोनों अब वहीं पलंग के सामने पड़े सोफ़े पर बैठ कर एक दूसरे से लिपटकर चुम्मा चाटी करने लगी. एक दूसरे के चुंबन लेना, अपने हाथों से अपनी जोड़ीदार का शरीर सहलाना और ब्रा के ऊपर से ही चुचियों का मर्दन करना इत्यादि काम क्रीड़ा उन दोनो के बीच शुरू हो गई थी

और ये कम था जो वो अभी एक दूसरे की जांघों के बीच हाथ डालकर वे एक दूसरे की बुर को पेन्टी पर से ही रगडने लगे अब मेरा खुद के उपर से काबू हटने लगा था

लेकिन मेरी जिद्द और मेरा अहंकार था जो बार बार मुझे रोक रहा था लेकिन इस सब की सज़ा मेरे बिचारे लंड को मिल रही थी तो वही कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे के शरीर से अच्छे से खेलने के बाद उन्होंने अपना चुंबन तोड़ दिया

उनकी आँखे देखकर ही मुझे पता पड़ गया था कि वो दोनो अब वो दोनों पूरी तरह से मस्ती मे डूब चुके है जिसके बाद उन दोनों ने अपने शरीर पर बचे हुए अंतवस्त्र भी निकाल दिये जिससे अब वो दोनों भी पूरी नग्न अवस्था मे मेरे सामने थे


लेकिन प्रिया के लिए मुझे इतना तड़पाना भी काफी नही था इसीलिए तो वो शांति को लेकर सीधा मेरे बगल मे लेट गयी और उसके बाद वो दोनों अब वहीं मेरे दोनों तरफ आकर बैठे गयी एक तरफ प्रिया और दूसरी तरफ शांति बैठी थी

जिसके बाद प्रिया ने शांति को कुछ इशारा किया जिसके बाद प्रिया ने धीरे धीरे से मेरे कानों के निचले हिस्से को अपने लबों मे भरकर चूसना शुरू किया जिसके साथ ही शांति ने कपड़ो के उपर से ही मेरे लंड को मसलना आरंभ किया


इस दो तरफा हमले से अब मेरा भी खुदके उपर से काबू हट गया और मैने तुरंत प्रिया को अपने बाहों में भर लिया और उसके अधरों को अपने अधरों मे भरकर चूसने लगा

तो वही मुझे हरकत मे आते देख शांति ने मेरे कपड़े भी उतारना शुरू कर दिये जिससे मे भी कुछ ही पलों नग्न हो गया और जब मे नग्न हो गया तो शांति अब मेरे पैरों के पास आ गयी और मेरे लंड को अपने मुह में भर के चूसने लगी

वही शांति के इस हमले से अब मे भी पूरे जोश मे आकर शांति को चूमने लगा और मेरे हाथ अब प्रिया चुचियों पर पहुँच गए थे और मे उन्हे बेदर्दी से मसलने लगा जिससे प्रिया की चीख निकलने लगी


लेकिन उसकी चीखे मेरे मुह मै ही दब गयी तो वही बाद में मैने प्रिया को बेड पर लिटा दिया और शांति को उसके उपर कुछ इस तरह बिठाया की जिससे शांति की चूत प्रिया के होठों के पास थी जिसके बाद प्रिया ने तुरंत ही शांति की चूत को चूमना और चूसना शुरू किया

और शांति ने प्रिया के चुचियों के साथ खेलना आरंभ किया जिससे वो दोनों फिर से एक बार जोश मे आ गए थे और इसी बात का फायदा उठा कर मेने भी इतने वक़्त से जो इन्होंने मुझे तड़पाया था उसका बदला लेने के लिए तैयार हो गया

और जब शांति और प्रिया दोनो भी झड़ने के करीब थी कि तभी मेरे अपना पुरा लंड एक ही झटके में प्रिया की चूत में घुसा दिया जिससे प्रिया की चीख निकलने वाली थी लेकिन शांति की चूत उसके मुह पर होने से वो चीख नही पायी लेकिन उसने शांति की चूत को जोरों से काट लिया


जिससे शांति उसके मुह पर उतर कर साइड मे लेट कर अपनी चूत सहलाने लगी थी जो देखकर मैने प्रिया को शांति के उपर लिटा दिया और फिर पूरे जोर से धक्के लगाने लगा वही मेरे धक्कों के कारण प्रिया लगातार आगे पीछे हो रही थी जिससे अब दोनों की चुचियाँ एक दूसरे से रगड़ने लगी थी

जिस कारण प्रिया अलग ही दुनिया में पहुँच गयी थी तो वही शांति भी अब बेहद चुदासी हो चुकी थी, उसने प्रिया का चहेरा पकड़ा और उसके होठों को जानवरों की तरह चूसने लगी जिससे प्रिया की आहे शांति के मुह के अंदर अंदर ही दम घोट रही थी

की तभी मैने अपना लंड प्रिया की चूत से निकाल कर शांति की चूत मे डाल दिया और धक्के मारने लगा और अपने हाथ की दो उंगलियों को मैने प्रिया की चूत मे घुसा कर आगे पीछे करने लगा जिससे अब दोनों को ही एक साथ चुदाई का आनंद मिल रहा था

अब वहाँ के पूरे वातावरण में चुदाई की खुशबू महक रही थी जो की हम तीनों के कामरस और पसीने की महक के मिश्रण से बनी थी तो वही उस वातावरण में फैली खुशबू हम तीनों के अंदर जाके हमारी कामग्नि को भड़काने का काम करने लगी थी

तो वही इतने समय तड़पने की बाद संभोग का ऐसा आनंद जिसके बारे में सोचते ही मुझे आनंद और वासना की एक नई परिभाषा समझ में आने लगी तो वही इस असीम सुख से प्रिया और शांति दोनों की भी आंखे बंद होते चली गई

और फिर कुछ देर ऐसे ही इस तरह के संभोग का आनंद उठाने के बाद मुझे मेरे अंदर से कुछ उबलता हुआ महसूस होने लगा। मे अब अपने चरमसुख की तरफ आगे बढ़ रहा था

जिससे अब मेरे धक्कों की गति तेज हो गयी थी मे कभी प्रिया की चूत मे अपना लंड डालता तो कभी शांति की चूत मे जिसे अब उस पूरे कमरे मे उनकी चीखे और सिसकरियाँ गूंज रही थी


लेकिन मे रुका नही बल्कि किसी मशीन की तरह प्रिया और शांति की चूत को चोदते जा रहा था ऐसे ही 30 मिनिट की चुदाई के बाद जब मेरा निकलने वाला था तब मैने अपना लंड बाहर निकाल कर हिलाने लगा

जिससे मेरी पूरी पिचकारी उन दोनों के गांड पर खाली हो गयी तो वही इस 30 मिनिट के चुदाई मे वो दोनों भी 2 बार झड़ चुकी थी

जिसके बाद उस पूरी रात में एक बार प्रिया की तो एक बार शांति की चुदाई की जिसके बाद हम

तीनो नंगे ही एक दूसरे के बाहों मे सो गये

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~
Bahut hi badhiya update diya hai VAJRADHIKARI bhai....
Nice and beautiful update....
 

kas1709

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मे उन सब चित्रों के बारे में सोचकर परेशान हो रहा था तो वही मेरी ये परेशानी से भरा चेहरा वहा मौजूद चार आँखों से छुप न सका जो किसी और की नही बल्कि प्रिया और शांति की ही थी

जब उन दोनों ने मुझे ऐसे परेशान देखा तो वो दोनों भी चिंतित हो गयी और दोनों मुझे इस परेशानी से निकालने के लिए रास्ता ढूँढने लगे और जल्द ही प्रिया के चेहरे पर एक रहस्यमयी परंतु शैतानी मुस्कान आ गयी

जैसे कि उसे कोई तरकीब मिल गयी थी और फिर उसने शांति के कान मे भी ये तरकीब बता दी जिससे तो मानो शांति को झटका ही लग गया वो प्रिया को देखकर डरते हुए ना मे सर हिलाने लगी

शांति :- नही प्रिया मे ये नही कर पाऊँगी मुझे शर्म आयेगी

प्रिया :- अरे मेरी बन्नो हमे ये करना ही होगा नही तो भद्रा आने वाले युद्ध मे अपनी पूरी शक्ति का इस्तेमाल नही कर पायेगा देखा नही आज वो कितना परेशान था

शांति :- लेकिन

प्रिया :- लेकिन वेकिन कुछ नहीं हमे ये करना ही होगा भद्रा के लिए और तुम मना नही कर सकती तुम्हे भद्रा की कसम

शांति लाख बार मना करती रही लेकिन प्रिया ने उसकी एक ना सुनी और और जब उसने शांति को मेरी कसम दे दी तो सब वही खतम हो गया अब शांति मना नही कर सकती थी और न ही कुछ बोल सकती थी


जिससे अब शांति ने भी प्रिया के सामने हार मान ली थी क्योंकि वो जानती थी कि जबसे प्रिया ने पूरी तरीके से महारानी वृंदा को अपनाया था तबसे ही वो और भी ज्यादा जिद्दी हो गयी थी

जहाँ एक तरफ ये दोनों अपनी योजना बनाकर उसपर अमल भी करने लगी थी तो वही दूसरी तरफ मे आश्रम में यहाँ से वहा टहल रहा था और ऐसे ही टहलते मे अपने कुटिया के पास पहुँच गया

और जैसे ही मे अंदर घुसा तो मे दंग रह गया क्योंकि मेरा कमरा इस वक़्त पूरी तरह से सजाया गया था जैसे कि किसी की सुहागरात हो अंदर कमरे मे शांति और प्रिया दोनों मौजूद थे

मे :- प्रिया शांति ये सब क्या है


जब उन दोनों ने मुझे देखा तो उन दोनों के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी जिसके बाद प्रिया तुरंत मेरे पास आ गयी

प्रिया :- (मोहक स्वर मे) आ गए आप आइये स्वामी हम दोनों आपका ही इंतज़ार कर रहे थे की कब आप आये और हमारे इस कामग्नि se तड़पते शरीर को भोगकर इसकी कामग्नि को शांत करे

मे :- ये क्या है प्रिया तुम्हे पता है ना की इस वक़्त मेरे दिमाग मे कितनी सारी बाते चल रही है और ऐसे में ये सब नही प्रिया पहले सारी परेशानिया खतम होने दो फिर हम तीनों बाहर जायेंगे और जैसा तुम बोलोगी वैसा ही करेंगे ये मेरा वचन है

प्रिया :- नही हम अभी करेंगे

मै :- समझा करो प्रिया अभी जो माहौल है उसमे ये सब सही नही है अभी परेशानियों की तलवार हमारे सर पे लटक रही है और तुम्हे

मेरी बात सुनकर प्रिया ने एक बार मुझे घूर के देखा और फिर से शांति के पास चली गई जिसके बाद मे बेड पर जाके लेट गया

तो वही प्रिया और शांति बेड के सामने वाले सोफे पर जाके बैठ गयी जब वो मेरे सामने बैठे थे तब मुझे उनके हुस्न का दीदार होने लगा जिसपे अभी तक मेरा ध्यान ही नही गया था

जहाँ एक तरफ प्रिया ने हमेशा की तरह टाइट जींस और टॉप पहना हुआ था जिसमे उसके शरीर का हर उभार साफ साफ दिख रहा था तो वही शांति ने भी सारी पहनी हुई थी जिसके ब्लाउज से उसकी चुचिया साफ दिख रही थी

उन दोनों का ये अवतार देखकर मेरा लंड भी अब अपने पूरे उफान पर था अब मुझे अपने फैसले पर पछतावा होने लगा था तो वही प्रिया ने जब मेरे कपड़ों के उपर से मेरे खड़े लंड के उभर को देखा

जिससे उसकी आँखों में एक नटखट चमक आ गयी. जिसके बाद उसने शांति को अपने बाहों में ले लिया

प्रिया (शांति को आँख मारते हुए) :- शांति डार्लिंग चल ऐसा करते हैं कि हम अपना काम शुरू करते हैं, मे भी तो देखु की ये कितनी देर ऐसे ही खुद पर काबू रख सकता हैं

प्रिया की बात सुनकर जहाँ पर शांति हैरानी और शर्म के मारे प्रिया को घूरे जा रही थी तो वही मेरे मन मे एक अजीब सा उत्साह एक अजीब भावना ने उफान लेना शुरू किया था

जिससे मेरे लंड भी कपड़ो के अंदर ही बार बार झटके मारे जा रहा था शायद वो मुझे मेरे फैसले के कारण गालियाँ दे रहा था लेकिन अब बात मेरे सम्मान पर आ गयी थी

अगर मे अभी उन दोनों के बीच में कूद पड़ता तो मेरे उतावले पण पर वो दोनों जरूर मुझे हर वक़्त चिढ़ाते जिस कारण अब मे भी अपने जिद्द पर अड़ गया था और सोने का प्रयास करने लगा


तो वही अब तक दोनों एक दूसरे की बाँहों में थी और लिपटकर चूमाचाटी कर रही थी. धीरे धीरे उन्हों ने एक दूसरे के कपड़ों को भी उनके शरीर से अलग कर दिया था सबसे पहले प्रिया ने तुरंत ही अपना टॉप और जीन्स निकाल डाले और अब सिर्फ़ सफ़ेद रंग की ब्रा और पेन्टी ही उनके शरीर पर रही गई थी

जिसके बाद प्रिया अब शांति की साड़ी और ब्लाउज़ बड़े प्यार से उतारने लगी थी जिससे अब शांति भी मेरे सामने काली ब्रा और पैंटी पहने थी और उनके गोरे रंग पर वह काले अंतवस्त्र गजब ढा रहे थे

तो वही उन्हे देखकर मे बेड पर लेटा तड़प रहा था मे अपनी पूरी कोशिश करता की उन पर ध्यान न दूँ लेकिन उनकी हरकते देखकर मे हर पल हैरान हो रहा था शांति की भी शर्म जैसे अब धीरे धीरे मिट रही थी


वो दोनों अब वहीं पलंग के सामने पड़े सोफ़े पर बैठ कर एक दूसरे से लिपटकर चुम्मा चाटी करने लगी. एक दूसरे के चुंबन लेना, अपने हाथों से अपनी जोड़ीदार का शरीर सहलाना और ब्रा के ऊपर से ही चुचियों का मर्दन करना इत्यादि काम क्रीड़ा उन दोनो के बीच शुरू हो गई थी

और ये कम था जो वो अभी एक दूसरे की जांघों के बीच हाथ डालकर वे एक दूसरे की बुर को पेन्टी पर से ही रगडने लगे अब मेरा खुद के उपर से काबू हटने लगा था

लेकिन मेरी जिद्द और मेरा अहंकार था जो बार बार मुझे रोक रहा था लेकिन इस सब की सज़ा मेरे बिचारे लंड को मिल रही थी तो वही कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे के शरीर से अच्छे से खेलने के बाद उन्होंने अपना चुंबन तोड़ दिया

उनकी आँखे देखकर ही मुझे पता पड़ गया था कि वो दोनो अब वो दोनों पूरी तरह से मस्ती मे डूब चुके है जिसके बाद उन दोनों ने अपने शरीर पर बचे हुए अंतवस्त्र भी निकाल दिये जिससे अब वो दोनों भी पूरी नग्न अवस्था मे मेरे सामने थे


लेकिन प्रिया के लिए मुझे इतना तड़पाना भी काफी नही था इसीलिए तो वो शांति को लेकर सीधा मेरे बगल मे लेट गयी और उसके बाद वो दोनों अब वहीं मेरे दोनों तरफ आकर बैठे गयी एक तरफ प्रिया और दूसरी तरफ शांति बैठी थी

जिसके बाद प्रिया ने शांति को कुछ इशारा किया जिसके बाद प्रिया ने धीरे धीरे से मेरे कानों के निचले हिस्से को अपने लबों मे भरकर चूसना शुरू किया जिसके साथ ही शांति ने कपड़ो के उपर से ही मेरे लंड को मसलना आरंभ किया


इस दो तरफा हमले से अब मेरा भी खुदके उपर से काबू हट गया और मैने तुरंत प्रिया को अपने बाहों में भर लिया और उसके अधरों को अपने अधरों मे भरकर चूसने लगा

तो वही मुझे हरकत मे आते देख शांति ने मेरे कपड़े भी उतारना शुरू कर दिये जिससे मे भी कुछ ही पलों नग्न हो गया और जब मे नग्न हो गया तो शांति अब मेरे पैरों के पास आ गयी और मेरे लंड को अपने मुह में भर के चूसने लगी

वही शांति के इस हमले से अब मे भी पूरे जोश मे आकर शांति को चूमने लगा और मेरे हाथ अब प्रिया चुचियों पर पहुँच गए थे और मे उन्हे बेदर्दी से मसलने लगा जिससे प्रिया की चीख निकलने लगी


लेकिन उसकी चीखे मेरे मुह मै ही दब गयी तो वही बाद में मैने प्रिया को बेड पर लिटा दिया और शांति को उसके उपर कुछ इस तरह बिठाया की जिससे शांति की चूत प्रिया के होठों के पास थी जिसके बाद प्रिया ने तुरंत ही शांति की चूत को चूमना और चूसना शुरू किया

और शांति ने प्रिया के चुचियों के साथ खेलना आरंभ किया जिससे वो दोनों फिर से एक बार जोश मे आ गए थे और इसी बात का फायदा उठा कर मेने भी इतने वक़्त से जो इन्होंने मुझे तड़पाया था उसका बदला लेने के लिए तैयार हो गया

और जब शांति और प्रिया दोनो भी झड़ने के करीब थी कि तभी मेरे अपना पुरा लंड एक ही झटके में प्रिया की चूत में घुसा दिया जिससे प्रिया की चीख निकलने वाली थी लेकिन शांति की चूत उसके मुह पर होने से वो चीख नही पायी लेकिन उसने शांति की चूत को जोरों से काट लिया


जिससे शांति उसके मुह पर उतर कर साइड मे लेट कर अपनी चूत सहलाने लगी थी जो देखकर मैने प्रिया को शांति के उपर लिटा दिया और फिर पूरे जोर से धक्के लगाने लगा वही मेरे धक्कों के कारण प्रिया लगातार आगे पीछे हो रही थी जिससे अब दोनों की चुचियाँ एक दूसरे से रगड़ने लगी थी

जिस कारण प्रिया अलग ही दुनिया में पहुँच गयी थी तो वही शांति भी अब बेहद चुदासी हो चुकी थी, उसने प्रिया का चहेरा पकड़ा और उसके होठों को जानवरों की तरह चूसने लगी जिससे प्रिया की आहे शांति के मुह के अंदर अंदर ही दम घोट रही थी

की तभी मैने अपना लंड प्रिया की चूत से निकाल कर शांति की चूत मे डाल दिया और धक्के मारने लगा और अपने हाथ की दो उंगलियों को मैने प्रिया की चूत मे घुसा कर आगे पीछे करने लगा जिससे अब दोनों को ही एक साथ चुदाई का आनंद मिल रहा था

अब वहाँ के पूरे वातावरण में चुदाई की खुशबू महक रही थी जो की हम तीनों के कामरस और पसीने की महक के मिश्रण से बनी थी तो वही उस वातावरण में फैली खुशबू हम तीनों के अंदर जाके हमारी कामग्नि को भड़काने का काम करने लगी थी

तो वही इतने समय तड़पने की बाद संभोग का ऐसा आनंद जिसके बारे में सोचते ही मुझे आनंद और वासना की एक नई परिभाषा समझ में आने लगी तो वही इस असीम सुख से प्रिया और शांति दोनों की भी आंखे बंद होते चली गई

और फिर कुछ देर ऐसे ही इस तरह के संभोग का आनंद उठाने के बाद मुझे मेरे अंदर से कुछ उबलता हुआ महसूस होने लगा। मे अब अपने चरमसुख की तरफ आगे बढ़ रहा था

जिससे अब मेरे धक्कों की गति तेज हो गयी थी मे कभी प्रिया की चूत मे अपना लंड डालता तो कभी शांति की चूत मे जिसे अब उस पूरे कमरे मे उनकी चीखे और सिसकरियाँ गूंज रही थी


लेकिन मे रुका नही बल्कि किसी मशीन की तरह प्रिया और शांति की चूत को चोदते जा रहा था ऐसे ही 30 मिनिट की चुदाई के बाद जब मेरा निकलने वाला था तब मैने अपना लंड बाहर निकाल कर हिलाने लगा

जिससे मेरी पूरी पिचकारी उन दोनों के गांड पर खाली हो गयी तो वही इस 30 मिनिट के चुदाई मे वो दोनों भी 2 बार झड़ चुकी थी

जिसके बाद उस पूरी रात में एक बार प्रिया की तो एक बार शांति की चुदाई की जिसके बाद हम

तीनो नंगे ही एक दूसरे के बाहों मे सो गये

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आज के लिए इतना ही

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Nice update....
 

dhparikh

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अध्याय उनसठ

मे उन सब चित्रों के बारे में सोचकर परेशान हो रहा था तो वही मेरी ये परेशानी से भरा चेहरा वहा मौजूद चार आँखों से छुप न सका जो किसी और की नही बल्कि प्रिया और शांति की ही थी

जब उन दोनों ने मुझे ऐसे परेशान देखा तो वो दोनों भी चिंतित हो गयी और दोनों मुझे इस परेशानी से निकालने के लिए रास्ता ढूँढने लगे और जल्द ही प्रिया के चेहरे पर एक रहस्यमयी परंतु शैतानी मुस्कान आ गयी

जैसे कि उसे कोई तरकीब मिल गयी थी और फिर उसने शांति के कान मे भी ये तरकीब बता दी जिससे तो मानो शांति को झटका ही लग गया वो प्रिया को देखकर डरते हुए ना मे सर हिलाने लगी

शांति :- नही प्रिया मे ये नही कर पाऊँगी मुझे शर्म आयेगी

प्रिया :- अरे मेरी बन्नो हमे ये करना ही होगा नही तो भद्रा आने वाले युद्ध मे अपनी पूरी शक्ति का इस्तेमाल नही कर पायेगा देखा नही आज वो कितना परेशान था

शांति :- लेकिन

प्रिया :- लेकिन वेकिन कुछ नहीं हमे ये करना ही होगा भद्रा के लिए और तुम मना नही कर सकती तुम्हे भद्रा की कसम

शांति लाख बार मना करती रही लेकिन प्रिया ने उसकी एक ना सुनी और और जब उसने शांति को मेरी कसम दे दी तो सब वही खतम हो गया अब शांति मना नही कर सकती थी और न ही कुछ बोल सकती थी


जिससे अब शांति ने भी प्रिया के सामने हार मान ली थी क्योंकि वो जानती थी कि जबसे प्रिया ने पूरी तरीके से महारानी वृंदा को अपनाया था तबसे ही वो और भी ज्यादा जिद्दी हो गयी थी

जहाँ एक तरफ ये दोनों अपनी योजना बनाकर उसपर अमल भी करने लगी थी तो वही दूसरी तरफ मे आश्रम में यहाँ से वहा टहल रहा था और ऐसे ही टहलते मे अपने कुटिया के पास पहुँच गया

और जैसे ही मे अंदर घुसा तो मे दंग रह गया क्योंकि मेरा कमरा इस वक़्त पूरी तरह से सजाया गया था जैसे कि किसी की सुहागरात हो अंदर कमरे मे शांति और प्रिया दोनों मौजूद थे

मे :- प्रिया शांति ये सब क्या है


जब उन दोनों ने मुझे देखा तो उन दोनों के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी जिसके बाद प्रिया तुरंत मेरे पास आ गयी

प्रिया :- (मोहक स्वर मे) आ गए आप आइये स्वामी हम दोनों आपका ही इंतज़ार कर रहे थे की कब आप आये और हमारे इस कामग्नि se तड़पते शरीर को भोगकर इसकी कामग्नि को शांत करे

मे :- ये क्या है प्रिया तुम्हे पता है ना की इस वक़्त मेरे दिमाग मे कितनी सारी बाते चल रही है और ऐसे में ये सब नही प्रिया पहले सारी परेशानिया खतम होने दो फिर हम तीनों बाहर जायेंगे और जैसा तुम बोलोगी वैसा ही करेंगे ये मेरा वचन है

प्रिया :- नही हम अभी करेंगे

मै :- समझा करो प्रिया अभी जो माहौल है उसमे ये सब सही नही है अभी परेशानियों की तलवार हमारे सर पे लटक रही है और तुम्हे

मेरी बात सुनकर प्रिया ने एक बार मुझे घूर के देखा और फिर से शांति के पास चली गई जिसके बाद मे बेड पर जाके लेट गया

तो वही प्रिया और शांति बेड के सामने वाले सोफे पर जाके बैठ गयी जब वो मेरे सामने बैठे थे तब मुझे उनके हुस्न का दीदार होने लगा जिसपे अभी तक मेरा ध्यान ही नही गया था

जहाँ एक तरफ प्रिया ने हमेशा की तरह टाइट जींस और टॉप पहना हुआ था जिसमे उसके शरीर का हर उभार साफ साफ दिख रहा था तो वही शांति ने भी सारी पहनी हुई थी जिसके ब्लाउज से उसकी चुचिया साफ दिख रही थी

उन दोनों का ये अवतार देखकर मेरा लंड भी अब अपने पूरे उफान पर था अब मुझे अपने फैसले पर पछतावा होने लगा था तो वही प्रिया ने जब मेरे कपड़ों के उपर से मेरे खड़े लंड के उभर को देखा

जिससे उसकी आँखों में एक नटखट चमक आ गयी. जिसके बाद उसने शांति को अपने बाहों में ले लिया

प्रिया (शांति को आँख मारते हुए) :- शांति डार्लिंग चल ऐसा करते हैं कि हम अपना काम शुरू करते हैं, मे भी तो देखु की ये कितनी देर ऐसे ही खुद पर काबू रख सकता हैं

प्रिया की बात सुनकर जहाँ पर शांति हैरानी और शर्म के मारे प्रिया को घूरे जा रही थी तो वही मेरे मन मे एक अजीब सा उत्साह एक अजीब भावना ने उफान लेना शुरू किया था

जिससे मेरे लंड भी कपड़ो के अंदर ही बार बार झटके मारे जा रहा था शायद वो मुझे मेरे फैसले के कारण गालियाँ दे रहा था लेकिन अब बात मेरे सम्मान पर आ गयी थी

अगर मे अभी उन दोनों के बीच में कूद पड़ता तो मेरे उतावले पण पर वो दोनों जरूर मुझे हर वक़्त चिढ़ाते जिस कारण अब मे भी अपने जिद्द पर अड़ गया था और सोने का प्रयास करने लगा


तो वही अब तक दोनों एक दूसरे की बाँहों में थी और लिपटकर चूमाचाटी कर रही थी. धीरे धीरे उन्हों ने एक दूसरे के कपड़ों को भी उनके शरीर से अलग कर दिया था सबसे पहले प्रिया ने तुरंत ही अपना टॉप और जीन्स निकाल डाले और अब सिर्फ़ सफ़ेद रंग की ब्रा और पेन्टी ही उनके शरीर पर रही गई थी

जिसके बाद प्रिया अब शांति की साड़ी और ब्लाउज़ बड़े प्यार से उतारने लगी थी जिससे अब शांति भी मेरे सामने काली ब्रा और पैंटी पहने थी और उनके गोरे रंग पर वह काले अंतवस्त्र गजब ढा रहे थे

तो वही उन्हे देखकर मे बेड पर लेटा तड़प रहा था मे अपनी पूरी कोशिश करता की उन पर ध्यान न दूँ लेकिन उनकी हरकते देखकर मे हर पल हैरान हो रहा था शांति की भी शर्म जैसे अब धीरे धीरे मिट रही थी


वो दोनों अब वहीं पलंग के सामने पड़े सोफ़े पर बैठ कर एक दूसरे से लिपटकर चुम्मा चाटी करने लगी. एक दूसरे के चुंबन लेना, अपने हाथों से अपनी जोड़ीदार का शरीर सहलाना और ब्रा के ऊपर से ही चुचियों का मर्दन करना इत्यादि काम क्रीड़ा उन दोनो के बीच शुरू हो गई थी

और ये कम था जो वो अभी एक दूसरे की जांघों के बीच हाथ डालकर वे एक दूसरे की बुर को पेन्टी पर से ही रगडने लगे अब मेरा खुद के उपर से काबू हटने लगा था

लेकिन मेरी जिद्द और मेरा अहंकार था जो बार बार मुझे रोक रहा था लेकिन इस सब की सज़ा मेरे बिचारे लंड को मिल रही थी तो वही कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे के शरीर से अच्छे से खेलने के बाद उन्होंने अपना चुंबन तोड़ दिया

उनकी आँखे देखकर ही मुझे पता पड़ गया था कि वो दोनो अब वो दोनों पूरी तरह से मस्ती मे डूब चुके है जिसके बाद उन दोनों ने अपने शरीर पर बचे हुए अंतवस्त्र भी निकाल दिये जिससे अब वो दोनों भी पूरी नग्न अवस्था मे मेरे सामने थे


लेकिन प्रिया के लिए मुझे इतना तड़पाना भी काफी नही था इसीलिए तो वो शांति को लेकर सीधा मेरे बगल मे लेट गयी और उसके बाद वो दोनों अब वहीं मेरे दोनों तरफ आकर बैठे गयी एक तरफ प्रिया और दूसरी तरफ शांति बैठी थी

जिसके बाद प्रिया ने शांति को कुछ इशारा किया जिसके बाद प्रिया ने धीरे धीरे से मेरे कानों के निचले हिस्से को अपने लबों मे भरकर चूसना शुरू किया जिसके साथ ही शांति ने कपड़ो के उपर से ही मेरे लंड को मसलना आरंभ किया


इस दो तरफा हमले से अब मेरा भी खुदके उपर से काबू हट गया और मैने तुरंत प्रिया को अपने बाहों में भर लिया और उसके अधरों को अपने अधरों मे भरकर चूसने लगा

तो वही मुझे हरकत मे आते देख शांति ने मेरे कपड़े भी उतारना शुरू कर दिये जिससे मे भी कुछ ही पलों नग्न हो गया और जब मे नग्न हो गया तो शांति अब मेरे पैरों के पास आ गयी और मेरे लंड को अपने मुह में भर के चूसने लगी

वही शांति के इस हमले से अब मे भी पूरे जोश मे आकर शांति को चूमने लगा और मेरे हाथ अब प्रिया चुचियों पर पहुँच गए थे और मे उन्हे बेदर्दी से मसलने लगा जिससे प्रिया की चीख निकलने लगी


लेकिन उसकी चीखे मेरे मुह मै ही दब गयी तो वही बाद में मैने प्रिया को बेड पर लिटा दिया और शांति को उसके उपर कुछ इस तरह बिठाया की जिससे शांति की चूत प्रिया के होठों के पास थी जिसके बाद प्रिया ने तुरंत ही शांति की चूत को चूमना और चूसना शुरू किया

और शांति ने प्रिया के चुचियों के साथ खेलना आरंभ किया जिससे वो दोनों फिर से एक बार जोश मे आ गए थे और इसी बात का फायदा उठा कर मेने भी इतने वक़्त से जो इन्होंने मुझे तड़पाया था उसका बदला लेने के लिए तैयार हो गया

और जब शांति और प्रिया दोनो भी झड़ने के करीब थी कि तभी मेरे अपना पुरा लंड एक ही झटके में प्रिया की चूत में घुसा दिया जिससे प्रिया की चीख निकलने वाली थी लेकिन शांति की चूत उसके मुह पर होने से वो चीख नही पायी लेकिन उसने शांति की चूत को जोरों से काट लिया


जिससे शांति उसके मुह पर उतर कर साइड मे लेट कर अपनी चूत सहलाने लगी थी जो देखकर मैने प्रिया को शांति के उपर लिटा दिया और फिर पूरे जोर से धक्के लगाने लगा वही मेरे धक्कों के कारण प्रिया लगातार आगे पीछे हो रही थी जिससे अब दोनों की चुचियाँ एक दूसरे से रगड़ने लगी थी

जिस कारण प्रिया अलग ही दुनिया में पहुँच गयी थी तो वही शांति भी अब बेहद चुदासी हो चुकी थी, उसने प्रिया का चहेरा पकड़ा और उसके होठों को जानवरों की तरह चूसने लगी जिससे प्रिया की आहे शांति के मुह के अंदर अंदर ही दम घोट रही थी

की तभी मैने अपना लंड प्रिया की चूत से निकाल कर शांति की चूत मे डाल दिया और धक्के मारने लगा और अपने हाथ की दो उंगलियों को मैने प्रिया की चूत मे घुसा कर आगे पीछे करने लगा जिससे अब दोनों को ही एक साथ चुदाई का आनंद मिल रहा था

अब वहाँ के पूरे वातावरण में चुदाई की खुशबू महक रही थी जो की हम तीनों के कामरस और पसीने की महक के मिश्रण से बनी थी तो वही उस वातावरण में फैली खुशबू हम तीनों के अंदर जाके हमारी कामग्नि को भड़काने का काम करने लगी थी

तो वही इतने समय तड़पने की बाद संभोग का ऐसा आनंद जिसके बारे में सोचते ही मुझे आनंद और वासना की एक नई परिभाषा समझ में आने लगी तो वही इस असीम सुख से प्रिया और शांति दोनों की भी आंखे बंद होते चली गई

और फिर कुछ देर ऐसे ही इस तरह के संभोग का आनंद उठाने के बाद मुझे मेरे अंदर से कुछ उबलता हुआ महसूस होने लगा। मे अब अपने चरमसुख की तरफ आगे बढ़ रहा था

जिससे अब मेरे धक्कों की गति तेज हो गयी थी मे कभी प्रिया की चूत मे अपना लंड डालता तो कभी शांति की चूत मे जिसे अब उस पूरे कमरे मे उनकी चीखे और सिसकरियाँ गूंज रही थी


लेकिन मे रुका नही बल्कि किसी मशीन की तरह प्रिया और शांति की चूत को चोदते जा रहा था ऐसे ही 30 मिनिट की चुदाई के बाद जब मेरा निकलने वाला था तब मैने अपना लंड बाहर निकाल कर हिलाने लगा

जिससे मेरी पूरी पिचकारी उन दोनों के गांड पर खाली हो गयी तो वही इस 30 मिनिट के चुदाई मे वो दोनों भी 2 बार झड़ चुकी थी

जिसके बाद उस पूरी रात में एक बार प्रिया की तो एक बार शांति की चुदाई की जिसके बाद हम

तीनो नंगे ही एक दूसरे के बाहों मे सो गये

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आज के लिए इतना ही

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Nice update....
 

Mahakaal

The Destroyer
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Rusev

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अध्याय उनसठ

मे उन सब चित्रों के बारे में सोचकर परेशान हो रहा था तो वही मेरी ये परेशानी से भरा चेहरा वहा मौजूद चार आँखों से छुप न सका जो किसी और की नही बल्कि प्रिया और शांति की ही थी

जब उन दोनों ने मुझे ऐसे परेशान देखा तो वो दोनों भी चिंतित हो गयी और दोनों मुझे इस परेशानी से निकालने के लिए रास्ता ढूँढने लगे और जल्द ही प्रिया के चेहरे पर एक रहस्यमयी परंतु शैतानी मुस्कान आ गयी

जैसे कि उसे कोई तरकीब मिल गयी थी और फिर उसने शांति के कान मे भी ये तरकीब बता दी जिससे तो मानो शांति को झटका ही लग गया वो प्रिया को देखकर डरते हुए ना मे सर हिलाने लगी

शांति :- नही प्रिया मे ये नही कर पाऊँगी मुझे शर्म आयेगी

प्रिया :- अरे मेरी बन्नो हमे ये करना ही होगा नही तो भद्रा आने वाले युद्ध मे अपनी पूरी शक्ति का इस्तेमाल नही कर पायेगा देखा नही आज वो कितना परेशान था

शांति :- लेकिन

प्रिया :- लेकिन वेकिन कुछ नहीं हमे ये करना ही होगा भद्रा के लिए और तुम मना नही कर सकती तुम्हे भद्रा की कसम

शांति लाख बार मना करती रही लेकिन प्रिया ने उसकी एक ना सुनी और और जब उसने शांति को मेरी कसम दे दी तो सब वही खतम हो गया अब शांति मना नही कर सकती थी और न ही कुछ बोल सकती थी


जिससे अब शांति ने भी प्रिया के सामने हार मान ली थी क्योंकि वो जानती थी कि जबसे प्रिया ने पूरी तरीके से महारानी वृंदा को अपनाया था तबसे ही वो और भी ज्यादा जिद्दी हो गयी थी

जहाँ एक तरफ ये दोनों अपनी योजना बनाकर उसपर अमल भी करने लगी थी तो वही दूसरी तरफ मे आश्रम में यहाँ से वहा टहल रहा था और ऐसे ही टहलते मे अपने कुटिया के पास पहुँच गया

और जैसे ही मे अंदर घुसा तो मे दंग रह गया क्योंकि मेरा कमरा इस वक़्त पूरी तरह से सजाया गया था जैसे कि किसी की सुहागरात हो अंदर कमरे मे शांति और प्रिया दोनों मौजूद थे

मे :- प्रिया शांति ये सब क्या है


जब उन दोनों ने मुझे देखा तो उन दोनों के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी जिसके बाद प्रिया तुरंत मेरे पास आ गयी

प्रिया :- (मोहक स्वर मे) आ गए आप आइये स्वामी हम दोनों आपका ही इंतज़ार कर रहे थे की कब आप आये और हमारे इस कामग्नि se तड़पते शरीर को भोगकर इसकी कामग्नि को शांत करे

मे :- ये क्या है प्रिया तुम्हे पता है ना की इस वक़्त मेरे दिमाग मे कितनी सारी बाते चल रही है और ऐसे में ये सब नही प्रिया पहले सारी परेशानिया खतम होने दो फिर हम तीनों बाहर जायेंगे और जैसा तुम बोलोगी वैसा ही करेंगे ये मेरा वचन है

प्रिया :- नही हम अभी करेंगे

मै :- समझा करो प्रिया अभी जो माहौल है उसमे ये सब सही नही है अभी परेशानियों की तलवार हमारे सर पे लटक रही है और तुम्हे

मेरी बात सुनकर प्रिया ने एक बार मुझे घूर के देखा और फिर से शांति के पास चली गई जिसके बाद मे बेड पर जाके लेट गया

तो वही प्रिया और शांति बेड के सामने वाले सोफे पर जाके बैठ गयी जब वो मेरे सामने बैठे थे तब मुझे उनके हुस्न का दीदार होने लगा जिसपे अभी तक मेरा ध्यान ही नही गया था

जहाँ एक तरफ प्रिया ने हमेशा की तरह टाइट जींस और टॉप पहना हुआ था जिसमे उसके शरीर का हर उभार साफ साफ दिख रहा था तो वही शांति ने भी सारी पहनी हुई थी जिसके ब्लाउज से उसकी चुचिया साफ दिख रही थी

उन दोनों का ये अवतार देखकर मेरा लंड भी अब अपने पूरे उफान पर था अब मुझे अपने फैसले पर पछतावा होने लगा था तो वही प्रिया ने जब मेरे कपड़ों के उपर से मेरे खड़े लंड के उभर को देखा

जिससे उसकी आँखों में एक नटखट चमक आ गयी. जिसके बाद उसने शांति को अपने बाहों में ले लिया

प्रिया (शांति को आँख मारते हुए) :- शांति डार्लिंग चल ऐसा करते हैं कि हम अपना काम शुरू करते हैं, मे भी तो देखु की ये कितनी देर ऐसे ही खुद पर काबू रख सकता हैं

प्रिया की बात सुनकर जहाँ पर शांति हैरानी और शर्म के मारे प्रिया को घूरे जा रही थी तो वही मेरे मन मे एक अजीब सा उत्साह एक अजीब भावना ने उफान लेना शुरू किया था

जिससे मेरे लंड भी कपड़ो के अंदर ही बार बार झटके मारे जा रहा था शायद वो मुझे मेरे फैसले के कारण गालियाँ दे रहा था लेकिन अब बात मेरे सम्मान पर आ गयी थी

अगर मे अभी उन दोनों के बीच में कूद पड़ता तो मेरे उतावले पण पर वो दोनों जरूर मुझे हर वक़्त चिढ़ाते जिस कारण अब मे भी अपने जिद्द पर अड़ गया था और सोने का प्रयास करने लगा


तो वही अब तक दोनों एक दूसरे की बाँहों में थी और लिपटकर चूमाचाटी कर रही थी. धीरे धीरे उन्हों ने एक दूसरे के कपड़ों को भी उनके शरीर से अलग कर दिया था सबसे पहले प्रिया ने तुरंत ही अपना टॉप और जीन्स निकाल डाले और अब सिर्फ़ सफ़ेद रंग की ब्रा और पेन्टी ही उनके शरीर पर रही गई थी

जिसके बाद प्रिया अब शांति की साड़ी और ब्लाउज़ बड़े प्यार से उतारने लगी थी जिससे अब शांति भी मेरे सामने काली ब्रा और पैंटी पहने थी और उनके गोरे रंग पर वह काले अंतवस्त्र गजब ढा रहे थे

तो वही उन्हे देखकर मे बेड पर लेटा तड़प रहा था मे अपनी पूरी कोशिश करता की उन पर ध्यान न दूँ लेकिन उनकी हरकते देखकर मे हर पल हैरान हो रहा था शांति की भी शर्म जैसे अब धीरे धीरे मिट रही थी


वो दोनों अब वहीं पलंग के सामने पड़े सोफ़े पर बैठ कर एक दूसरे से लिपटकर चुम्मा चाटी करने लगी. एक दूसरे के चुंबन लेना, अपने हाथों से अपनी जोड़ीदार का शरीर सहलाना और ब्रा के ऊपर से ही चुचियों का मर्दन करना इत्यादि काम क्रीड़ा उन दोनो के बीच शुरू हो गई थी

और ये कम था जो वो अभी एक दूसरे की जांघों के बीच हाथ डालकर वे एक दूसरे की बुर को पेन्टी पर से ही रगडने लगे अब मेरा खुद के उपर से काबू हटने लगा था

लेकिन मेरी जिद्द और मेरा अहंकार था जो बार बार मुझे रोक रहा था लेकिन इस सब की सज़ा मेरे बिचारे लंड को मिल रही थी तो वही कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे के शरीर से अच्छे से खेलने के बाद उन्होंने अपना चुंबन तोड़ दिया

उनकी आँखे देखकर ही मुझे पता पड़ गया था कि वो दोनो अब वो दोनों पूरी तरह से मस्ती मे डूब चुके है जिसके बाद उन दोनों ने अपने शरीर पर बचे हुए अंतवस्त्र भी निकाल दिये जिससे अब वो दोनों भी पूरी नग्न अवस्था मे मेरे सामने थे


लेकिन प्रिया के लिए मुझे इतना तड़पाना भी काफी नही था इसीलिए तो वो शांति को लेकर सीधा मेरे बगल मे लेट गयी और उसके बाद वो दोनों अब वहीं मेरे दोनों तरफ आकर बैठे गयी एक तरफ प्रिया और दूसरी तरफ शांति बैठी थी

जिसके बाद प्रिया ने शांति को कुछ इशारा किया जिसके बाद प्रिया ने धीरे धीरे से मेरे कानों के निचले हिस्से को अपने लबों मे भरकर चूसना शुरू किया जिसके साथ ही शांति ने कपड़ो के उपर से ही मेरे लंड को मसलना आरंभ किया


इस दो तरफा हमले से अब मेरा भी खुदके उपर से काबू हट गया और मैने तुरंत प्रिया को अपने बाहों में भर लिया और उसके अधरों को अपने अधरों मे भरकर चूसने लगा

तो वही मुझे हरकत मे आते देख शांति ने मेरे कपड़े भी उतारना शुरू कर दिये जिससे मे भी कुछ ही पलों नग्न हो गया और जब मे नग्न हो गया तो शांति अब मेरे पैरों के पास आ गयी और मेरे लंड को अपने मुह में भर के चूसने लगी

वही शांति के इस हमले से अब मे भी पूरे जोश मे आकर शांति को चूमने लगा और मेरे हाथ अब प्रिया चुचियों पर पहुँच गए थे और मे उन्हे बेदर्दी से मसलने लगा जिससे प्रिया की चीख निकलने लगी


लेकिन उसकी चीखे मेरे मुह मै ही दब गयी तो वही बाद में मैने प्रिया को बेड पर लिटा दिया और शांति को उसके उपर कुछ इस तरह बिठाया की जिससे शांति की चूत प्रिया के होठों के पास थी जिसके बाद प्रिया ने तुरंत ही शांति की चूत को चूमना और चूसना शुरू किया

और शांति ने प्रिया के चुचियों के साथ खेलना आरंभ किया जिससे वो दोनों फिर से एक बार जोश मे आ गए थे और इसी बात का फायदा उठा कर मेने भी इतने वक़्त से जो इन्होंने मुझे तड़पाया था उसका बदला लेने के लिए तैयार हो गया

और जब शांति और प्रिया दोनो भी झड़ने के करीब थी कि तभी मेरे अपना पुरा लंड एक ही झटके में प्रिया की चूत में घुसा दिया जिससे प्रिया की चीख निकलने वाली थी लेकिन शांति की चूत उसके मुह पर होने से वो चीख नही पायी लेकिन उसने शांति की चूत को जोरों से काट लिया


जिससे शांति उसके मुह पर उतर कर साइड मे लेट कर अपनी चूत सहलाने लगी थी जो देखकर मैने प्रिया को शांति के उपर लिटा दिया और फिर पूरे जोर से धक्के लगाने लगा वही मेरे धक्कों के कारण प्रिया लगातार आगे पीछे हो रही थी जिससे अब दोनों की चुचियाँ एक दूसरे से रगड़ने लगी थी

जिस कारण प्रिया अलग ही दुनिया में पहुँच गयी थी तो वही शांति भी अब बेहद चुदासी हो चुकी थी, उसने प्रिया का चहेरा पकड़ा और उसके होठों को जानवरों की तरह चूसने लगी जिससे प्रिया की आहे शांति के मुह के अंदर अंदर ही दम घोट रही थी

की तभी मैने अपना लंड प्रिया की चूत से निकाल कर शांति की चूत मे डाल दिया और धक्के मारने लगा और अपने हाथ की दो उंगलियों को मैने प्रिया की चूत मे घुसा कर आगे पीछे करने लगा जिससे अब दोनों को ही एक साथ चुदाई का आनंद मिल रहा था

अब वहाँ के पूरे वातावरण में चुदाई की खुशबू महक रही थी जो की हम तीनों के कामरस और पसीने की महक के मिश्रण से बनी थी तो वही उस वातावरण में फैली खुशबू हम तीनों के अंदर जाके हमारी कामग्नि को भड़काने का काम करने लगी थी

तो वही इतने समय तड़पने की बाद संभोग का ऐसा आनंद जिसके बारे में सोचते ही मुझे आनंद और वासना की एक नई परिभाषा समझ में आने लगी तो वही इस असीम सुख से प्रिया और शांति दोनों की भी आंखे बंद होते चली गई

और फिर कुछ देर ऐसे ही इस तरह के संभोग का आनंद उठाने के बाद मुझे मेरे अंदर से कुछ उबलता हुआ महसूस होने लगा। मे अब अपने चरमसुख की तरफ आगे बढ़ रहा था

जिससे अब मेरे धक्कों की गति तेज हो गयी थी मे कभी प्रिया की चूत मे अपना लंड डालता तो कभी शांति की चूत मे जिसे अब उस पूरे कमरे मे उनकी चीखे और सिसकरियाँ गूंज रही थी


लेकिन मे रुका नही बल्कि किसी मशीन की तरह प्रिया और शांति की चूत को चोदते जा रहा था ऐसे ही 30 मिनिट की चुदाई के बाद जब मेरा निकलने वाला था तब मैने अपना लंड बाहर निकाल कर हिलाने लगा

जिससे मेरी पूरी पिचकारी उन दोनों के गांड पर खाली हो गयी तो वही इस 30 मिनिट के चुदाई मे वो दोनों भी 2 बार झड़ चुकी थी

जिसके बाद उस पूरी रात में एक बार प्रिया की तो एक बार शांति की चुदाई की जिसके बाद हम

तीनो नंगे ही एक दूसरे के बाहों मे सो गये

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आज के लिए इतना ही

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Nice update bro
 

sunoanuj

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Bhaut hi behtarin or kamuk updates 👏🏻👏🏻👏🏻
 

VAJRADHIKARI

Hello dosto
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अध्याय साठ

जहाँ एक तरफ भद्रा अपने ही मस्ती मे मस्त हो कर सो रहा था तो वही दूसरी तरफ पताल लोक के गहराइयों मे इस वक़्त महासुरों के एक बीज ने अपना साम्राज्य स्थापित कर दिया था

पाताल लोक के उस भाग मे जो भी मौजूद था उसे उन्होंने अपने जादुई धुए के मदद से अपने वश में ले लिया था और जो भी उस भाग में कदम रखता वो भी तुरंत उन महासुरों के वश मे आ जाता चाहे वो की असुर हो या कोई मायावी जीव

लेकिन उस धुए से कोई बच नही पाया था ऐसे मे एक शक्स बिना रुके उस हिस्से के अंदर जा रहा था और आश्चर्य की बात थी कि उस पर इस जादुई धुए का कुछ भी असर नहीं हो रहा था

और जब उस महासूर के सिपाहियों ने एक अज्ञात असुर को अपने इलाके मे आते देखा तो वो सभी हमला करने के लिए उसके पास बढ़ने लगे लेकिन उन्हे इस बात का बोध नही था कि ये उनके लिए कितना भारी पड़ सकता हैं

शायद अगर अभी उनके पास उनकी बुद्धि होती तो वो ये गलती नही करते अभी वो सब उस पर आक्रमण करते उससे पहले ही वहाँ वातावरण में फिर एक बार महासूर की आवाज गूंजने लगी जिसने उन सभी लोगों को रोक दिया

महासूर :- असुर कुल गुरु महान आचार्य शुक्राचार्य को मेरा प्रणाम

शुक्राचार्य:- आप भी मेरा प्रणाम स्वीकार करे महासूर

महासूर :- कहिये आपका यहाँ आना कैसे हुआ और क्या मकसद था मुझे और मेरे भाईयों को समय से पूर्व इस संसार मे लाने का

शुक्राचार्य :- मेरे जीवन का एक मात्र मकसद यही है कि असुर जाती को त्रिलोक विजयी बनाउ और इसी मकसद से मैने सभी महासुरों को समय से पूर्व बुलाया है

महासूर :- मैने आपसे पहले भी कहाँ था कि जब तक असुर जातियों में एकता नही होगी तब तक आपकी सारी योजनाएं विफल जायेंगी जिसका उदाहरण अभी हाल ही मे हुआ संग्राम जहाँ पर आप जीता हुआ युद्ध हार गए

शुक्राचार्य:- मे आपकी इस बात से सर्वथा सहमत हूँ इसीलिए मैने अपने सबसे काबिल शिष्य को असुर कुल का सम्राट बनाया है और अब मे चाहता हूँ कि आप और आपके सभी भाई असुर कुल के मार्गदर्शक बने

महासूर :- सर्व प्रथम हमे उस बालक को रोकने के लिए कोई उपाय करना होगा जो बालक सातों अस्त्रों को इतनी कुशलता से इस्तेमाल करने के लिए सक्षम है उससे बिना किसी योजना के ललकारना सबसे बड़ी मूर्खता होगी

शुक्राचार्य :- मे आपके सुझाव को ध्यान मे रखूँगा पहले मे उस बालक को खुद से परखूँगा और उसके बाद खास अपने हाथों से उसके लिए जाल बिछऊंगा

महासूर :- अब आप जाइये और एक विशाल और शक्तिशाली योद्धाओं की फौज तैयार कीजिये क्योंकि अब जैसे ही 15 दिन पूर्ण होंगे वैसे ही ये विश्व इस युग के महाप्रलयंकारी और विध्वंशक युद्ध का साक्षी बनेगा

शुक्राचार्य :- अब आपसे मुलाकात 15 दिनों पश्चात ही होगी

महासुर:- नही मेरा अनुभव कह रहा है कि आप 15 दिनों की अवधी पूर्ण होने से पूर्व ही आने वाले हो

जहाँ एक तरफ इन दोनों ने अपनी पूरी योजना बना ली थी

तो वही दूसरी तरफ मे दुनिया की सारी परेशानियों को भूल कर अपनी दोनों प्रेमिकाओं को अपने आलिंगन मे लेकर चैन की नींद सो रहा था की तभी मुझे मेरे शरीर में अचानक पीड़ा होने लगी जिससे मेरी नींद खुल गई

और जब मे अपनी आँखे खोली तो मुझे एक बहुत बड़ा झटका लगा क्योंकि इस वक़्त न मेरे पास मै जहाँ शांति प्रिया लेटी हुई थी वहा अब कोई नहीं था

और जब मे पूरी तरह होश मे आया तब मुझे ज्ञात हुआ की मे अपने कमरे न होके किसी और ही दुनिया में पहुँच गया था जहाँ एक तरह घना जंगल तो दूसरी तरफ असीमित समुद्र उपर तपता आग उगलता सूरज तो नीचे रेत ही रेत

मे अभी इस सब का निरीक्षण कर ही रहा था कि तभी मुझे वहाँ पर एक जगह से तेज प्रकाश आते दिखाई देने लगा जो देखकर मे तुरंत उस प्रकाश के तरफ बढ़ने लगा

और जैसे ही मे वहाँ पहुँचा वैसे ही मुझे वहाँ पर 7 पुरुष दिखाई दिये उन सातों के चेहरे पर उगी हुई सफेद दाड़ी और बालों को देखकर ऐसा लगता कि वो सातों अब वृद्ध हो चुके है

लेकिन उनके चेहरे का तेज देखकर ऐसा लगता कि उन सभीने अभी अपनी गृहावस्था मे प्रवेश किया है पहले तो मे उन्हे देखकर सोच मे पड़ गया

क्योंकि मुझे लग रहा था कि मैने इन्हे पहले भी कही देखा है और जब मुझे याद आ गया तब मे तुरंत उनके सामने झुक गया

क्योंकि मेरे सामने कोई और नही बल्कि पूरे संसार के प्रथम सप्त ऋषि मौजूद थे जिनके बारे में मुझे महागुरु ने बताया था

गुरु नंदी :- आपको हमारे सामने झुकने की आवश्यकता नहीं है कुमार

मै :- आप सब इस संसार के सर्व प्रथम सप्तऋषि है

गुरु अग्नि:- हम सभी आपकी भावनाओं का सन्मान करते है कुमार लेकिन अभी हमारे पास इस सभी शिष्टाचार का समय नही है आज से ठीक 15 दिन बाद इस संसार में फिरसे एक बार महासुरों के अन्यायों का साक्षी बनेगा और इस अनर्थ को रोकने के लिए स्वयं आदिदेव ने तुम्हे चुना है

गुरु पृथ्वी :- और हम यहाँ तुम्हे उसके लिए ही तैयार करने आये है आने वाले युद्ध मे न सिर्फ अकेले पृथ्वी गृह बल्कि पूरे संसार का भविष्य दांव पर लगा है

मे :- सप्तस्त्रो के शक्तियों के मदद से और आप सबसे शिक्षा लेने के बाद में किसी भी असुर या महासूर को हरा सकता हूँ

गुरु काल :- आत्मविश्वास अच्छा है कुमार लेकिन घमंड नही आपको हम सभी एक एक करके आपको शिक्षा प्रदान करेंगे और जब तक आप वो शिक्षा को ग्रहण करके हमारी परीक्षाओं में आप उत्तीर्ण न हो जाओ तब तक आप अपनी दुनिया में वापस नही जा सकते

मै :- मे तैयार हूँ सबके लिए

गुरु काल :- याद रखना इस दुनिया मे आप किसी भी अस्त्र का इस्तेमाल नही कर पाओगे

मे :- तो मे अस्त्रों की शक्तियों को काबू करना उनका इस्तेमाल करना कैसे सीखूँगा

गुरु नंदी :- वो आपको अस्त्र स्वयं सिखा देंगे लेकिन पहले आपको खुदको उसके लिए शक्तिशाली बनाना होगा

गुरु जल :- याद रखना कुमार अस्त्र आपको नही आप अस्त्रों को ऊर्जा देते हो आप जितने शक्तिशाली होंगे उतने ही ज्यादा शक्तिशाली अस्त्र होंगे

मै :- ठीक है अब जो भी हो मे हार नही मानूँगा

मेरे इतना बोलते ही वहाँ के आसमान का रंग नीले से बदल कर लाल रंग मे बदल गया और पूरे आसमान मे भयंकर बिजलियाँ कडकड़ाने लगी ऐसा लगने लगा था की कोई बहुत बड़ी अनहोनी होने वाली है

ये सब देखकर एक बार की तो मेरे मन में भी भय और पीछे हटने के ख्यालों ने जन्म ले लिया था लेकिन मैने तुरंत ही उन्हे अपने मन से निकालने लगा और पूर्ण दृढ़ता के साथ मे सप्तऋषियों के समक्ष खड़ा हो गया

गुरु काल :- लगता हैं अब तुम तैयार हो तो सबसे पहले तुम्हे शिक्षा देंगे गुरु नंदी याद रखना इस जगह पर कोई भी अस्त्र या शस्त्र काम नही करता यहाँ केवल तुम्हे अपने बुद्धि और बाहु बल से ही हर चुनौती को पार करना होगा

उनके इतना बोलने के बाद मे और गुरु नंदी अचानक गायब हो गए

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आज के लिए इतना ही

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sunoanuj

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Bahut hi behtarin update … Akhir ab Bhadra ki shikshaa diksha sapt rishiyon ke dwara hee purn hogi … next update ka badi betabi se intezar rahega …. 👏🏻👏🏻👏🏻
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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अध्याय साठ

जहाँ एक तरफ भद्रा अपने ही मस्ती मे मस्त हो कर सो रहा था तो वही दूसरी तरफ पताल लोक के गहराइयों मे इस वक़्त महासुरों के एक बीज ने अपना साम्राज्य स्थापित कर दिया था

पाताल लोक के उस भाग मे जो भी मौजूद था उसे उन्होंने अपने जादुई धुए के मदद से अपने वश में ले लिया था और जो भी उस भाग में कदम रखता वो भी तुरंत उन महासुरों के वश मे आ जाता चाहे वो की असुर हो या कोई मायावी जीव


लेकिन उस धुए से कोई बच नही पाया था ऐसे मे एक शक्स बिना रुके उस हिस्से के अंदर जा रहा था और आश्चर्य की बात थी कि उस पर इस जादुई धुए का कुछ भी असर नहीं हो रहा था

और जब उस महासूर के सिपाहियों ने एक अज्ञात असुर को अपने इलाके मे आते देखा तो वो सभी हमला करने के लिए उसके पास बढ़ने लगे लेकिन उन्हे इस बात का बोध नही था कि ये उनके लिए कितना भारी पड़ सकता हैं

शायद अगर अभी उनके पास उनकी बुद्धि होती तो वो ये गलती नही करते अभी वो सब उस पर आक्रमण करते उससे पहले ही वहाँ वातावरण में फिर एक बार महासूर की आवाज गूंजने लगी जिसने उन सभी लोगों को रोक दिया

महासूर :- असुर कुल गुरु महान आचार्य शुक्राचार्य को मेरा प्रणाम

शुक्राचार्य:- आप भी मेरा प्रणाम स्वीकार करे महासूर

महासूर :- कहिये आपका यहाँ आना कैसे हुआ और क्या मकसद था मुझे और मेरे भाईयों को समय से पूर्व इस संसार मे लाने का

शुक्राचार्य :- मेरे जीवन का एक मात्र मकसद यही है कि असुर जाती को त्रिलोक विजयी बनाउ और इसी मकसद से मैने सभी महासुरों को समय से पूर्व बुलाया है

महासूर :- मैने आपसे पहले भी कहाँ था कि जब तक असुर जातियों में एकता नही होगी तब तक आपकी सारी योजनाएं विफल जायेंगी जिसका उदाहरण अभी हाल ही मे हुआ संग्राम जहाँ पर आप जीता हुआ युद्ध हार गए

शुक्राचार्य:- मे आपकी इस बात से सर्वथा सहमत हूँ इसीलिए मैने अपने सबसे काबिल शिष्य को असुर कुल का सम्राट बनाया है और अब मे चाहता हूँ कि आप और आपके सभी भाई असुर कुल के मार्गदर्शक बने

महासूर :- सर्व प्रथम हमे उस बालक को रोकने के लिए कोई उपाय करना होगा जो बालक सातों अस्त्रों को इतनी कुशलता से इस्तेमाल करने के लिए सक्षम है उससे बिना किसी योजना के ललकारना सबसे बड़ी मूर्खता होगी

शुक्राचार्य :- मे आपके सुझाव को ध्यान मे रखूँगा पहले मे उस बालक को खुद से परखूँगा और उसके बाद खास अपने हाथों से उसके लिए जाल बिछऊंगा

महासूर :- अब आप जाइये और एक विशाल और शक्तिशाली योद्धाओं की फौज तैयार कीजिये क्योंकि अब जैसे ही 15 दिन पूर्ण होंगे वैसे ही ये विश्व इस युग के महाप्रलयंकारी और विध्वंशक युद्ध का साक्षी बनेगा

शुक्राचार्य :- अब आपसे मुलाकात 15 दिनों पश्चात ही होगी

महासुर:- नही मेरा अनुभव कह रहा है कि आप 15 दिनों की अवधी पूर्ण होने से पूर्व ही आने वाले हो

जहाँ एक तरफ इन दोनों ने अपनी पूरी योजना बना ली थी


तो वही दूसरी तरफ मे दुनिया की सारी परेशानियों को भूल कर अपनी दोनों प्रेमिकाओं को अपने आलिंगन मे लेकर चैन की नींद सो रहा था की तभी मुझे मेरे शरीर में अचानक पीड़ा होने लगी जिससे मेरी नींद खुल गई

और जब मे अपनी आँखे खोली तो मुझे एक बहुत बड़ा झटका लगा क्योंकि इस वक़्त न मेरे पास मै जहाँ शांति प्रिया लेटी हुई थी वहा अब कोई नहीं था

और जब मे पूरी तरह होश मे आया तब मुझे ज्ञात हुआ की मे अपने कमरे न होके किसी और ही दुनिया में पहुँच गया था जहाँ एक तरह घना जंगल तो दूसरी तरफ असीमित समुद्र उपर तपता आग उगलता सूरज तो नीचे रेत ही रेत


मे अभी इस सब का निरीक्षण कर ही रहा था कि तभी मुझे वहाँ पर एक जगह से तेज प्रकाश आते दिखाई देने लगा जो देखकर मे तुरंत उस प्रकाश के तरफ बढ़ने लगा

और जैसे ही मे वहाँ पहुँचा वैसे ही मुझे वहाँ पर 7 पुरुष दिखाई दिये उन सातों के चेहरे पर उगी हुई सफेद दाड़ी और बालों को देखकर ऐसा लगता कि वो सातों अब वृद्ध हो चुके है


लेकिन उनके चेहरे का तेज देखकर ऐसा लगता कि उन सभीने अभी अपनी गृहावस्था मे प्रवेश किया है पहले तो मे उन्हे देखकर सोच मे पड़ गया

क्योंकि मुझे लग रहा था कि मैने इन्हे पहले भी कही देखा है और जब मुझे याद आ गया तब मे तुरंत उनके सामने झुक गया

क्योंकि मेरे सामने कोई और नही बल्कि पूरे संसार के प्रथम सप्त ऋषि मौजूद थे जिनके बारे में मुझे महागुरु ने बताया था

गुरु नंदी :- आपको हमारे सामने झुकने की आवश्यकता नहीं है कुमार

मै :- आप सब इस संसार के सर्व प्रथम सप्तऋषि है

गुरु अग्नि:- हम सभी आपकी भावनाओं का सन्मान करते है कुमार लेकिन अभी हमारे पास इस सभी शिष्टाचार का समय नही है आज से ठीक 15 दिन बाद इस संसार में फिरसे एक बार महासुरों के अन्यायों का साक्षी बनेगा और इस अनर्थ को रोकने के लिए स्वयं आदिदेव ने तुम्हे चुना है

गुरु पृथ्वी :- और हम यहाँ तुम्हे उसके लिए ही तैयार करने आये है आने वाले युद्ध मे न सिर्फ अकेले पृथ्वी गृह बल्कि पूरे संसार का भविष्य दांव पर लगा है

मे :- सप्तस्त्रो के शक्तियों के मदद से और आप सबसे शिक्षा लेने के बाद में किसी भी असुर या महासूर को हरा सकता हूँ

गुरु काल :- आत्मविश्वास अच्छा है कुमार लेकिन घमंड नही आपको हम सभी एक एक करके आपको शिक्षा प्रदान करेंगे और जब तक आप वो शिक्षा को ग्रहण करके हमारी परीक्षाओं में आप उत्तीर्ण न हो जाओ तब तक आप अपनी दुनिया में वापस नही जा सकते

मै :- मे तैयार हूँ सबके लिए

गुरु काल :- याद रखना इस दुनिया मे आप किसी भी अस्त्र का इस्तेमाल नही कर पाओगे

मे :- तो मे अस्त्रों की शक्तियों को काबू करना उनका इस्तेमाल करना कैसे सीखूँगा

गुरु नंदी :- वो आपको अस्त्र स्वयं सिखा देंगे लेकिन पहले आपको खुदको उसके लिए शक्तिशाली बनाना होगा

गुरु जल :- याद रखना कुमार अस्त्र आपको नही आप अस्त्रों को ऊर्जा देते हो आप जितने शक्तिशाली होंगे उतने ही ज्यादा शक्तिशाली अस्त्र होंगे

मै :- ठीक है अब जो भी हो मे हार नही मानूँगा

मेरे इतना बोलते ही वहाँ के आसमान का रंग नीले से बदल कर लाल रंग मे बदल गया और पूरे आसमान मे भयंकर बिजलियाँ कडकड़ाने लगी ऐसा लगने लगा था की कोई बहुत बड़ी अनहोनी होने वाली है

ये सब देखकर एक बार की तो मेरे मन में भी भय और पीछे हटने के ख्यालों ने जन्म ले लिया था लेकिन मैने तुरंत ही उन्हे अपने मन से निकालने लगा और पूर्ण दृढ़ता के साथ मे सप्तऋषियों के समक्ष खड़ा हो गया

गुरु काल :- लगता हैं अब तुम तैयार हो तो सबसे पहले तुम्हे शिक्षा देंगे गुरु नंदी याद रखना इस जगह पर कोई भी अस्त्र या शस्त्र काम नही करता यहाँ केवल तुम्हे अपने बुद्धि और बाहु बल से ही हर चुनौती को पार करना होगा

उनके इतना बोलने के बाद मे और गुरु नंदी अचानक गायब हो गए

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आज के लिए इतना ही

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Awesome update and great writing vajradhikari bhai👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️👌🏻👌🏻👌🏻
 
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