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Nice and superb update....अध्याय साठ
जहाँ एक तरफ भद्रा अपने ही मस्ती मे मस्त हो कर सो रहा था तो वही दूसरी तरफ पताल लोक के गहराइयों मे इस वक़्त महासुरों के एक बीज ने अपना साम्राज्य स्थापित कर दिया था
पाताल लोक के उस भाग मे जो भी मौजूद था उसे उन्होंने अपने जादुई धुए के मदद से अपने वश में ले लिया था और जो भी उस भाग में कदम रखता वो भी तुरंत उन महासुरों के वश मे आ जाता चाहे वो की असुर हो या कोई मायावी जीव
लेकिन उस धुए से कोई बच नही पाया था ऐसे मे एक शक्स बिना रुके उस हिस्से के अंदर जा रहा था और आश्चर्य की बात थी कि उस पर इस जादुई धुए का कुछ भी असर नहीं हो रहा था
और जब उस महासूर के सिपाहियों ने एक अज्ञात असुर को अपने इलाके मे आते देखा तो वो सभी हमला करने के लिए उसके पास बढ़ने लगे लेकिन उन्हे इस बात का बोध नही था कि ये उनके लिए कितना भारी पड़ सकता हैं
शायद अगर अभी उनके पास उनकी बुद्धि होती तो वो ये गलती नही करते अभी वो सब उस पर आक्रमण करते उससे पहले ही वहाँ वातावरण में फिर एक बार महासूर की आवाज गूंजने लगी जिसने उन सभी लोगों को रोक दिया
महासूर :- असुर कुल गुरु महान आचार्य शुक्राचार्य को मेरा प्रणाम
शुक्राचार्य:- आप भी मेरा प्रणाम स्वीकार करे महासूर
महासूर :- कहिये आपका यहाँ आना कैसे हुआ और क्या मकसद था मुझे और मेरे भाईयों को समय से पूर्व इस संसार मे लाने का
शुक्राचार्य :- मेरे जीवन का एक मात्र मकसद यही है कि असुर जाती को त्रिलोक विजयी बनाउ और इसी मकसद से मैने सभी महासुरों को समय से पूर्व बुलाया है
महासूर :- मैने आपसे पहले भी कहाँ था कि जब तक असुर जातियों में एकता नही होगी तब तक आपकी सारी योजनाएं विफल जायेंगी जिसका उदाहरण अभी हाल ही मे हुआ संग्राम जहाँ पर आप जीता हुआ युद्ध हार गए
शुक्राचार्य:- मे आपकी इस बात से सर्वथा सहमत हूँ इसीलिए मैने अपने सबसे काबिल शिष्य को असुर कुल का सम्राट बनाया है और अब मे चाहता हूँ कि आप और आपके सभी भाई असुर कुल के मार्गदर्शक बने
महासूर :- सर्व प्रथम हमे उस बालक को रोकने के लिए कोई उपाय करना होगा जो बालक सातों अस्त्रों को इतनी कुशलता से इस्तेमाल करने के लिए सक्षम है उससे बिना किसी योजना के ललकारना सबसे बड़ी मूर्खता होगी
शुक्राचार्य :- मे आपके सुझाव को ध्यान मे रखूँगा पहले मे उस बालक को खुद से परखूँगा और उसके बाद खास अपने हाथों से उसके लिए जाल बिछऊंगा
महासूर :- अब आप जाइये और एक विशाल और शक्तिशाली योद्धाओं की फौज तैयार कीजिये क्योंकि अब जैसे ही 15 दिन पूर्ण होंगे वैसे ही ये विश्व इस युग के महाप्रलयंकारी और विध्वंशक युद्ध का साक्षी बनेगा
शुक्राचार्य :- अब आपसे मुलाकात 15 दिनों पश्चात ही होगी
महासुर:- नही मेरा अनुभव कह रहा है कि आप 15 दिनों की अवधी पूर्ण होने से पूर्व ही आने वाले हो
जहाँ एक तरफ इन दोनों ने अपनी पूरी योजना बना ली थी
तो वही दूसरी तरफ मे दुनिया की सारी परेशानियों को भूल कर अपनी दोनों प्रेमिकाओं को अपने आलिंगन मे लेकर चैन की नींद सो रहा था की तभी मुझे मेरे शरीर में अचानक पीड़ा होने लगी जिससे मेरी नींद खुल गई
और जब मे अपनी आँखे खोली तो मुझे एक बहुत बड़ा झटका लगा क्योंकि इस वक़्त न मेरे पास मै जहाँ शांति प्रिया लेटी हुई थी वहा अब कोई नहीं था
और जब मे पूरी तरह होश मे आया तब मुझे ज्ञात हुआ की मे अपने कमरे न होके किसी और ही दुनिया में पहुँच गया था जहाँ एक तरह घना जंगल तो दूसरी तरफ असीमित समुद्र उपर तपता आग उगलता सूरज तो नीचे रेत ही रेत
मे अभी इस सब का निरीक्षण कर ही रहा था कि तभी मुझे वहाँ पर एक जगह से तेज प्रकाश आते दिखाई देने लगा जो देखकर मे तुरंत उस प्रकाश के तरफ बढ़ने लगा
और जैसे ही मे वहाँ पहुँचा वैसे ही मुझे वहाँ पर 7 पुरुष दिखाई दिये उन सातों के चेहरे पर उगी हुई सफेद दाड़ी और बालों को देखकर ऐसा लगता कि वो सातों अब वृद्ध हो चुके है
लेकिन उनके चेहरे का तेज देखकर ऐसा लगता कि उन सभीने अभी अपनी गृहावस्था मे प्रवेश किया है पहले तो मे उन्हे देखकर सोच मे पड़ गया
क्योंकि मुझे लग रहा था कि मैने इन्हे पहले भी कही देखा है और जब मुझे याद आ गया तब मे तुरंत उनके सामने झुक गया
क्योंकि मेरे सामने कोई और नही बल्कि पूरे संसार के प्रथम सप्त ऋषि मौजूद थे जिनके बारे में मुझे महागुरु ने बताया था
गुरु नंदी :- आपको हमारे सामने झुकने की आवश्यकता नहीं है कुमार
मै :- आप सब इस संसार के सर्व प्रथम सप्तऋषि है
गुरु अग्नि:- हम सभी आपकी भावनाओं का सन्मान करते है कुमार लेकिन अभी हमारे पास इस सभी शिष्टाचार का समय नही है आज से ठीक 15 दिन बाद इस संसार में फिरसे एक बार महासुरों के अन्यायों का साक्षी बनेगा और इस अनर्थ को रोकने के लिए स्वयं आदिदेव ने तुम्हे चुना है
गुरु पृथ्वी :- और हम यहाँ तुम्हे उसके लिए ही तैयार करने आये है आने वाले युद्ध मे न सिर्फ अकेले पृथ्वी गृह बल्कि पूरे संसार का भविष्य दांव पर लगा है
मे :- सप्तस्त्रो के शक्तियों के मदद से और आप सबसे शिक्षा लेने के बाद में किसी भी असुर या महासूर को हरा सकता हूँ
गुरु काल :- आत्मविश्वास अच्छा है कुमार लेकिन घमंड नही आपको हम सभी एक एक करके आपको शिक्षा प्रदान करेंगे और जब तक आप वो शिक्षा को ग्रहण करके हमारी परीक्षाओं में आप उत्तीर्ण न हो जाओ तब तक आप अपनी दुनिया में वापस नही जा सकते
मै :- मे तैयार हूँ सबके लिए
गुरु काल :- याद रखना इस दुनिया मे आप किसी भी अस्त्र का इस्तेमाल नही कर पाओगे
मे :- तो मे अस्त्रों की शक्तियों को काबू करना उनका इस्तेमाल करना कैसे सीखूँगा
गुरु नंदी :- वो आपको अस्त्र स्वयं सिखा देंगे लेकिन पहले आपको खुदको उसके लिए शक्तिशाली बनाना होगा
गुरु जल :- याद रखना कुमार अस्त्र आपको नही आप अस्त्रों को ऊर्जा देते हो आप जितने शक्तिशाली होंगे उतने ही ज्यादा शक्तिशाली अस्त्र होंगे
मै :- ठीक है अब जो भी हो मे हार नही मानूँगा
मेरे इतना बोलते ही वहाँ के आसमान का रंग नीले से बदल कर लाल रंग मे बदल गया और पूरे आसमान मे भयंकर बिजलियाँ कडकड़ाने लगी ऐसा लगने लगा था की कोई बहुत बड़ी अनहोनी होने वाली है
ये सब देखकर एक बार की तो मेरे मन में भी भय और पीछे हटने के ख्यालों ने जन्म ले लिया था लेकिन मैने तुरंत ही उन्हे अपने मन से निकालने लगा और पूर्ण दृढ़ता के साथ मे सप्तऋषियों के समक्ष खड़ा हो गया
गुरु काल :- लगता हैं अब तुम तैयार हो तो सबसे पहले तुम्हे शिक्षा देंगे गुरु नंदी याद रखना इस जगह पर कोई भी अस्त्र या शस्त्र काम नही करता यहाँ केवल तुम्हे अपने बुद्धि और बाहु बल से ही हर चुनौती को पार करना होगा
उनके इतना बोलने के बाद मे और गुरु नंदी अचानक गायब हो गए
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आज के लिए इतना ही
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Nice update....अध्याय साठ
जहाँ एक तरफ भद्रा अपने ही मस्ती मे मस्त हो कर सो रहा था तो वही दूसरी तरफ पताल लोक के गहराइयों मे इस वक़्त महासुरों के एक बीज ने अपना साम्राज्य स्थापित कर दिया था
पाताल लोक के उस भाग मे जो भी मौजूद था उसे उन्होंने अपने जादुई धुए के मदद से अपने वश में ले लिया था और जो भी उस भाग में कदम रखता वो भी तुरंत उन महासुरों के वश मे आ जाता चाहे वो की असुर हो या कोई मायावी जीव
लेकिन उस धुए से कोई बच नही पाया था ऐसे मे एक शक्स बिना रुके उस हिस्से के अंदर जा रहा था और आश्चर्य की बात थी कि उस पर इस जादुई धुए का कुछ भी असर नहीं हो रहा था
और जब उस महासूर के सिपाहियों ने एक अज्ञात असुर को अपने इलाके मे आते देखा तो वो सभी हमला करने के लिए उसके पास बढ़ने लगे लेकिन उन्हे इस बात का बोध नही था कि ये उनके लिए कितना भारी पड़ सकता हैं
शायद अगर अभी उनके पास उनकी बुद्धि होती तो वो ये गलती नही करते अभी वो सब उस पर आक्रमण करते उससे पहले ही वहाँ वातावरण में फिर एक बार महासूर की आवाज गूंजने लगी जिसने उन सभी लोगों को रोक दिया
महासूर :- असुर कुल गुरु महान आचार्य शुक्राचार्य को मेरा प्रणाम
शुक्राचार्य:- आप भी मेरा प्रणाम स्वीकार करे महासूर
महासूर :- कहिये आपका यहाँ आना कैसे हुआ और क्या मकसद था मुझे और मेरे भाईयों को समय से पूर्व इस संसार मे लाने का
शुक्राचार्य :- मेरे जीवन का एक मात्र मकसद यही है कि असुर जाती को त्रिलोक विजयी बनाउ और इसी मकसद से मैने सभी महासुरों को समय से पूर्व बुलाया है
महासूर :- मैने आपसे पहले भी कहाँ था कि जब तक असुर जातियों में एकता नही होगी तब तक आपकी सारी योजनाएं विफल जायेंगी जिसका उदाहरण अभी हाल ही मे हुआ संग्राम जहाँ पर आप जीता हुआ युद्ध हार गए
शुक्राचार्य:- मे आपकी इस बात से सर्वथा सहमत हूँ इसीलिए मैने अपने सबसे काबिल शिष्य को असुर कुल का सम्राट बनाया है और अब मे चाहता हूँ कि आप और आपके सभी भाई असुर कुल के मार्गदर्शक बने
महासूर :- सर्व प्रथम हमे उस बालक को रोकने के लिए कोई उपाय करना होगा जो बालक सातों अस्त्रों को इतनी कुशलता से इस्तेमाल करने के लिए सक्षम है उससे बिना किसी योजना के ललकारना सबसे बड़ी मूर्खता होगी
शुक्राचार्य :- मे आपके सुझाव को ध्यान मे रखूँगा पहले मे उस बालक को खुद से परखूँगा और उसके बाद खास अपने हाथों से उसके लिए जाल बिछऊंगा
महासूर :- अब आप जाइये और एक विशाल और शक्तिशाली योद्धाओं की फौज तैयार कीजिये क्योंकि अब जैसे ही 15 दिन पूर्ण होंगे वैसे ही ये विश्व इस युग के महाप्रलयंकारी और विध्वंशक युद्ध का साक्षी बनेगा
शुक्राचार्य :- अब आपसे मुलाकात 15 दिनों पश्चात ही होगी
महासुर:- नही मेरा अनुभव कह रहा है कि आप 15 दिनों की अवधी पूर्ण होने से पूर्व ही आने वाले हो
जहाँ एक तरफ इन दोनों ने अपनी पूरी योजना बना ली थी
तो वही दूसरी तरफ मे दुनिया की सारी परेशानियों को भूल कर अपनी दोनों प्रेमिकाओं को अपने आलिंगन मे लेकर चैन की नींद सो रहा था की तभी मुझे मेरे शरीर में अचानक पीड़ा होने लगी जिससे मेरी नींद खुल गई
और जब मे अपनी आँखे खोली तो मुझे एक बहुत बड़ा झटका लगा क्योंकि इस वक़्त न मेरे पास मै जहाँ शांति प्रिया लेटी हुई थी वहा अब कोई नहीं था
और जब मे पूरी तरह होश मे आया तब मुझे ज्ञात हुआ की मे अपने कमरे न होके किसी और ही दुनिया में पहुँच गया था जहाँ एक तरह घना जंगल तो दूसरी तरफ असीमित समुद्र उपर तपता आग उगलता सूरज तो नीचे रेत ही रेत
मे अभी इस सब का निरीक्षण कर ही रहा था कि तभी मुझे वहाँ पर एक जगह से तेज प्रकाश आते दिखाई देने लगा जो देखकर मे तुरंत उस प्रकाश के तरफ बढ़ने लगा
और जैसे ही मे वहाँ पहुँचा वैसे ही मुझे वहाँ पर 7 पुरुष दिखाई दिये उन सातों के चेहरे पर उगी हुई सफेद दाड़ी और बालों को देखकर ऐसा लगता कि वो सातों अब वृद्ध हो चुके है
लेकिन उनके चेहरे का तेज देखकर ऐसा लगता कि उन सभीने अभी अपनी गृहावस्था मे प्रवेश किया है पहले तो मे उन्हे देखकर सोच मे पड़ गया
क्योंकि मुझे लग रहा था कि मैने इन्हे पहले भी कही देखा है और जब मुझे याद आ गया तब मे तुरंत उनके सामने झुक गया
क्योंकि मेरे सामने कोई और नही बल्कि पूरे संसार के प्रथम सप्त ऋषि मौजूद थे जिनके बारे में मुझे महागुरु ने बताया था
गुरु नंदी :- आपको हमारे सामने झुकने की आवश्यकता नहीं है कुमार
मै :- आप सब इस संसार के सर्व प्रथम सप्तऋषि है
गुरु अग्नि:- हम सभी आपकी भावनाओं का सन्मान करते है कुमार लेकिन अभी हमारे पास इस सभी शिष्टाचार का समय नही है आज से ठीक 15 दिन बाद इस संसार में फिरसे एक बार महासुरों के अन्यायों का साक्षी बनेगा और इस अनर्थ को रोकने के लिए स्वयं आदिदेव ने तुम्हे चुना है
गुरु पृथ्वी :- और हम यहाँ तुम्हे उसके लिए ही तैयार करने आये है आने वाले युद्ध मे न सिर्फ अकेले पृथ्वी गृह बल्कि पूरे संसार का भविष्य दांव पर लगा है
मे :- सप्तस्त्रो के शक्तियों के मदद से और आप सबसे शिक्षा लेने के बाद में किसी भी असुर या महासूर को हरा सकता हूँ
गुरु काल :- आत्मविश्वास अच्छा है कुमार लेकिन घमंड नही आपको हम सभी एक एक करके आपको शिक्षा प्रदान करेंगे और जब तक आप वो शिक्षा को ग्रहण करके हमारी परीक्षाओं में आप उत्तीर्ण न हो जाओ तब तक आप अपनी दुनिया में वापस नही जा सकते
मै :- मे तैयार हूँ सबके लिए
गुरु काल :- याद रखना इस दुनिया मे आप किसी भी अस्त्र का इस्तेमाल नही कर पाओगे
मे :- तो मे अस्त्रों की शक्तियों को काबू करना उनका इस्तेमाल करना कैसे सीखूँगा
गुरु नंदी :- वो आपको अस्त्र स्वयं सिखा देंगे लेकिन पहले आपको खुदको उसके लिए शक्तिशाली बनाना होगा
गुरु जल :- याद रखना कुमार अस्त्र आपको नही आप अस्त्रों को ऊर्जा देते हो आप जितने शक्तिशाली होंगे उतने ही ज्यादा शक्तिशाली अस्त्र होंगे
मै :- ठीक है अब जो भी हो मे हार नही मानूँगा
मेरे इतना बोलते ही वहाँ के आसमान का रंग नीले से बदल कर लाल रंग मे बदल गया और पूरे आसमान मे भयंकर बिजलियाँ कडकड़ाने लगी ऐसा लगने लगा था की कोई बहुत बड़ी अनहोनी होने वाली है
ये सब देखकर एक बार की तो मेरे मन में भी भय और पीछे हटने के ख्यालों ने जन्म ले लिया था लेकिन मैने तुरंत ही उन्हे अपने मन से निकालने लगा और पूर्ण दृढ़ता के साथ मे सप्तऋषियों के समक्ष खड़ा हो गया
गुरु काल :- लगता हैं अब तुम तैयार हो तो सबसे पहले तुम्हे शिक्षा देंगे गुरु नंदी याद रखना इस जगह पर कोई भी अस्त्र या शस्त्र काम नही करता यहाँ केवल तुम्हे अपने बुद्धि और बाहु बल से ही हर चुनौती को पार करना होगा
उनके इतना बोलने के बाद मे और गुरु नंदी अचानक गायब हो गए
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आज के लिए इतना ही
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Bahut hi shaandar update diya hai VAJRADHIKARI bhai....अध्याय साठ
जहाँ एक तरफ भद्रा अपने ही मस्ती मे मस्त हो कर सो रहा था तो वही दूसरी तरफ पताल लोक के गहराइयों मे इस वक़्त महासुरों के एक बीज ने अपना साम्राज्य स्थापित कर दिया था
पाताल लोक के उस भाग मे जो भी मौजूद था उसे उन्होंने अपने जादुई धुए के मदद से अपने वश में ले लिया था और जो भी उस भाग में कदम रखता वो भी तुरंत उन महासुरों के वश मे आ जाता चाहे वो की असुर हो या कोई मायावी जीव
लेकिन उस धुए से कोई बच नही पाया था ऐसे मे एक शक्स बिना रुके उस हिस्से के अंदर जा रहा था और आश्चर्य की बात थी कि उस पर इस जादुई धुए का कुछ भी असर नहीं हो रहा था
और जब उस महासूर के सिपाहियों ने एक अज्ञात असुर को अपने इलाके मे आते देखा तो वो सभी हमला करने के लिए उसके पास बढ़ने लगे लेकिन उन्हे इस बात का बोध नही था कि ये उनके लिए कितना भारी पड़ सकता हैं
शायद अगर अभी उनके पास उनकी बुद्धि होती तो वो ये गलती नही करते अभी वो सब उस पर आक्रमण करते उससे पहले ही वहाँ वातावरण में फिर एक बार महासूर की आवाज गूंजने लगी जिसने उन सभी लोगों को रोक दिया
महासूर :- असुर कुल गुरु महान आचार्य शुक्राचार्य को मेरा प्रणाम
शुक्राचार्य:- आप भी मेरा प्रणाम स्वीकार करे महासूर
महासूर :- कहिये आपका यहाँ आना कैसे हुआ और क्या मकसद था मुझे और मेरे भाईयों को समय से पूर्व इस संसार मे लाने का
शुक्राचार्य :- मेरे जीवन का एक मात्र मकसद यही है कि असुर जाती को त्रिलोक विजयी बनाउ और इसी मकसद से मैने सभी महासुरों को समय से पूर्व बुलाया है
महासूर :- मैने आपसे पहले भी कहाँ था कि जब तक असुर जातियों में एकता नही होगी तब तक आपकी सारी योजनाएं विफल जायेंगी जिसका उदाहरण अभी हाल ही मे हुआ संग्राम जहाँ पर आप जीता हुआ युद्ध हार गए
शुक्राचार्य:- मे आपकी इस बात से सर्वथा सहमत हूँ इसीलिए मैने अपने सबसे काबिल शिष्य को असुर कुल का सम्राट बनाया है और अब मे चाहता हूँ कि आप और आपके सभी भाई असुर कुल के मार्गदर्शक बने
महासूर :- सर्व प्रथम हमे उस बालक को रोकने के लिए कोई उपाय करना होगा जो बालक सातों अस्त्रों को इतनी कुशलता से इस्तेमाल करने के लिए सक्षम है उससे बिना किसी योजना के ललकारना सबसे बड़ी मूर्खता होगी
शुक्राचार्य :- मे आपके सुझाव को ध्यान मे रखूँगा पहले मे उस बालक को खुद से परखूँगा और उसके बाद खास अपने हाथों से उसके लिए जाल बिछऊंगा
महासूर :- अब आप जाइये और एक विशाल और शक्तिशाली योद्धाओं की फौज तैयार कीजिये क्योंकि अब जैसे ही 15 दिन पूर्ण होंगे वैसे ही ये विश्व इस युग के महाप्रलयंकारी और विध्वंशक युद्ध का साक्षी बनेगा
शुक्राचार्य :- अब आपसे मुलाकात 15 दिनों पश्चात ही होगी
महासुर:- नही मेरा अनुभव कह रहा है कि आप 15 दिनों की अवधी पूर्ण होने से पूर्व ही आने वाले हो
जहाँ एक तरफ इन दोनों ने अपनी पूरी योजना बना ली थी
तो वही दूसरी तरफ मे दुनिया की सारी परेशानियों को भूल कर अपनी दोनों प्रेमिकाओं को अपने आलिंगन मे लेकर चैन की नींद सो रहा था की तभी मुझे मेरे शरीर में अचानक पीड़ा होने लगी जिससे मेरी नींद खुल गई
और जब मे अपनी आँखे खोली तो मुझे एक बहुत बड़ा झटका लगा क्योंकि इस वक़्त न मेरे पास मै जहाँ शांति प्रिया लेटी हुई थी वहा अब कोई नहीं था
और जब मे पूरी तरह होश मे आया तब मुझे ज्ञात हुआ की मे अपने कमरे न होके किसी और ही दुनिया में पहुँच गया था जहाँ एक तरह घना जंगल तो दूसरी तरफ असीमित समुद्र उपर तपता आग उगलता सूरज तो नीचे रेत ही रेत
मे अभी इस सब का निरीक्षण कर ही रहा था कि तभी मुझे वहाँ पर एक जगह से तेज प्रकाश आते दिखाई देने लगा जो देखकर मे तुरंत उस प्रकाश के तरफ बढ़ने लगा
और जैसे ही मे वहाँ पहुँचा वैसे ही मुझे वहाँ पर 7 पुरुष दिखाई दिये उन सातों के चेहरे पर उगी हुई सफेद दाड़ी और बालों को देखकर ऐसा लगता कि वो सातों अब वृद्ध हो चुके है
लेकिन उनके चेहरे का तेज देखकर ऐसा लगता कि उन सभीने अभी अपनी गृहावस्था मे प्रवेश किया है पहले तो मे उन्हे देखकर सोच मे पड़ गया
क्योंकि मुझे लग रहा था कि मैने इन्हे पहले भी कही देखा है और जब मुझे याद आ गया तब मे तुरंत उनके सामने झुक गया
क्योंकि मेरे सामने कोई और नही बल्कि पूरे संसार के प्रथम सप्त ऋषि मौजूद थे जिनके बारे में मुझे महागुरु ने बताया था
गुरु नंदी :- आपको हमारे सामने झुकने की आवश्यकता नहीं है कुमार
मै :- आप सब इस संसार के सर्व प्रथम सप्तऋषि है
गुरु अग्नि:- हम सभी आपकी भावनाओं का सन्मान करते है कुमार लेकिन अभी हमारे पास इस सभी शिष्टाचार का समय नही है आज से ठीक 15 दिन बाद इस संसार में फिरसे एक बार महासुरों के अन्यायों का साक्षी बनेगा और इस अनर्थ को रोकने के लिए स्वयं आदिदेव ने तुम्हे चुना है
गुरु पृथ्वी :- और हम यहाँ तुम्हे उसके लिए ही तैयार करने आये है आने वाले युद्ध मे न सिर्फ अकेले पृथ्वी गृह बल्कि पूरे संसार का भविष्य दांव पर लगा है
मे :- सप्तस्त्रो के शक्तियों के मदद से और आप सबसे शिक्षा लेने के बाद में किसी भी असुर या महासूर को हरा सकता हूँ
गुरु काल :- आत्मविश्वास अच्छा है कुमार लेकिन घमंड नही आपको हम सभी एक एक करके आपको शिक्षा प्रदान करेंगे और जब तक आप वो शिक्षा को ग्रहण करके हमारी परीक्षाओं में आप उत्तीर्ण न हो जाओ तब तक आप अपनी दुनिया में वापस नही जा सकते
मै :- मे तैयार हूँ सबके लिए
गुरु काल :- याद रखना इस दुनिया मे आप किसी भी अस्त्र का इस्तेमाल नही कर पाओगे
मे :- तो मे अस्त्रों की शक्तियों को काबू करना उनका इस्तेमाल करना कैसे सीखूँगा
गुरु नंदी :- वो आपको अस्त्र स्वयं सिखा देंगे लेकिन पहले आपको खुदको उसके लिए शक्तिशाली बनाना होगा
गुरु जल :- याद रखना कुमार अस्त्र आपको नही आप अस्त्रों को ऊर्जा देते हो आप जितने शक्तिशाली होंगे उतने ही ज्यादा शक्तिशाली अस्त्र होंगे
मै :- ठीक है अब जो भी हो मे हार नही मानूँगा
मेरे इतना बोलते ही वहाँ के आसमान का रंग नीले से बदल कर लाल रंग मे बदल गया और पूरे आसमान मे भयंकर बिजलियाँ कडकड़ाने लगी ऐसा लगने लगा था की कोई बहुत बड़ी अनहोनी होने वाली है
ये सब देखकर एक बार की तो मेरे मन में भी भय और पीछे हटने के ख्यालों ने जन्म ले लिया था लेकिन मैने तुरंत ही उन्हे अपने मन से निकालने लगा और पूर्ण दृढ़ता के साथ मे सप्तऋषियों के समक्ष खड़ा हो गया
गुरु काल :- लगता हैं अब तुम तैयार हो तो सबसे पहले तुम्हे शिक्षा देंगे गुरु नंदी याद रखना इस जगह पर कोई भी अस्त्र या शस्त्र काम नही करता यहाँ केवल तुम्हे अपने बुद्धि और बाहु बल से ही हर चुनौती को पार करना होगा
उनके इतना बोलने के बाद मे और गुरु नंदी अचानक गायब हो गए
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आज के लिए इतना ही
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Nice update.....अध्याय साठ
जहाँ एक तरफ भद्रा अपने ही मस्ती मे मस्त हो कर सो रहा था तो वही दूसरी तरफ पताल लोक के गहराइयों मे इस वक़्त महासुरों के एक बीज ने अपना साम्राज्य स्थापित कर दिया था
पाताल लोक के उस भाग मे जो भी मौजूद था उसे उन्होंने अपने जादुई धुए के मदद से अपने वश में ले लिया था और जो भी उस भाग में कदम रखता वो भी तुरंत उन महासुरों के वश मे आ जाता चाहे वो की असुर हो या कोई मायावी जीव
लेकिन उस धुए से कोई बच नही पाया था ऐसे मे एक शक्स बिना रुके उस हिस्से के अंदर जा रहा था और आश्चर्य की बात थी कि उस पर इस जादुई धुए का कुछ भी असर नहीं हो रहा था
और जब उस महासूर के सिपाहियों ने एक अज्ञात असुर को अपने इलाके मे आते देखा तो वो सभी हमला करने के लिए उसके पास बढ़ने लगे लेकिन उन्हे इस बात का बोध नही था कि ये उनके लिए कितना भारी पड़ सकता हैं
शायद अगर अभी उनके पास उनकी बुद्धि होती तो वो ये गलती नही करते अभी वो सब उस पर आक्रमण करते उससे पहले ही वहाँ वातावरण में फिर एक बार महासूर की आवाज गूंजने लगी जिसने उन सभी लोगों को रोक दिया
महासूर :- असुर कुल गुरु महान आचार्य शुक्राचार्य को मेरा प्रणाम
शुक्राचार्य:- आप भी मेरा प्रणाम स्वीकार करे महासूर
महासूर :- कहिये आपका यहाँ आना कैसे हुआ और क्या मकसद था मुझे और मेरे भाईयों को समय से पूर्व इस संसार मे लाने का
शुक्राचार्य :- मेरे जीवन का एक मात्र मकसद यही है कि असुर जाती को त्रिलोक विजयी बनाउ और इसी मकसद से मैने सभी महासुरों को समय से पूर्व बुलाया है
महासूर :- मैने आपसे पहले भी कहाँ था कि जब तक असुर जातियों में एकता नही होगी तब तक आपकी सारी योजनाएं विफल जायेंगी जिसका उदाहरण अभी हाल ही मे हुआ संग्राम जहाँ पर आप जीता हुआ युद्ध हार गए
शुक्राचार्य:- मे आपकी इस बात से सर्वथा सहमत हूँ इसीलिए मैने अपने सबसे काबिल शिष्य को असुर कुल का सम्राट बनाया है और अब मे चाहता हूँ कि आप और आपके सभी भाई असुर कुल के मार्गदर्शक बने
महासूर :- सर्व प्रथम हमे उस बालक को रोकने के लिए कोई उपाय करना होगा जो बालक सातों अस्त्रों को इतनी कुशलता से इस्तेमाल करने के लिए सक्षम है उससे बिना किसी योजना के ललकारना सबसे बड़ी मूर्खता होगी
शुक्राचार्य :- मे आपके सुझाव को ध्यान मे रखूँगा पहले मे उस बालक को खुद से परखूँगा और उसके बाद खास अपने हाथों से उसके लिए जाल बिछऊंगा
महासूर :- अब आप जाइये और एक विशाल और शक्तिशाली योद्धाओं की फौज तैयार कीजिये क्योंकि अब जैसे ही 15 दिन पूर्ण होंगे वैसे ही ये विश्व इस युग के महाप्रलयंकारी और विध्वंशक युद्ध का साक्षी बनेगा
शुक्राचार्य :- अब आपसे मुलाकात 15 दिनों पश्चात ही होगी
महासुर:- नही मेरा अनुभव कह रहा है कि आप 15 दिनों की अवधी पूर्ण होने से पूर्व ही आने वाले हो
जहाँ एक तरफ इन दोनों ने अपनी पूरी योजना बना ली थी
तो वही दूसरी तरफ मे दुनिया की सारी परेशानियों को भूल कर अपनी दोनों प्रेमिकाओं को अपने आलिंगन मे लेकर चैन की नींद सो रहा था की तभी मुझे मेरे शरीर में अचानक पीड़ा होने लगी जिससे मेरी नींद खुल गई
और जब मे अपनी आँखे खोली तो मुझे एक बहुत बड़ा झटका लगा क्योंकि इस वक़्त न मेरे पास मै जहाँ शांति प्रिया लेटी हुई थी वहा अब कोई नहीं था
और जब मे पूरी तरह होश मे आया तब मुझे ज्ञात हुआ की मे अपने कमरे न होके किसी और ही दुनिया में पहुँच गया था जहाँ एक तरह घना जंगल तो दूसरी तरफ असीमित समुद्र उपर तपता आग उगलता सूरज तो नीचे रेत ही रेत
मे अभी इस सब का निरीक्षण कर ही रहा था कि तभी मुझे वहाँ पर एक जगह से तेज प्रकाश आते दिखाई देने लगा जो देखकर मे तुरंत उस प्रकाश के तरफ बढ़ने लगा
और जैसे ही मे वहाँ पहुँचा वैसे ही मुझे वहाँ पर 7 पुरुष दिखाई दिये उन सातों के चेहरे पर उगी हुई सफेद दाड़ी और बालों को देखकर ऐसा लगता कि वो सातों अब वृद्ध हो चुके है
लेकिन उनके चेहरे का तेज देखकर ऐसा लगता कि उन सभीने अभी अपनी गृहावस्था मे प्रवेश किया है पहले तो मे उन्हे देखकर सोच मे पड़ गया
क्योंकि मुझे लग रहा था कि मैने इन्हे पहले भी कही देखा है और जब मुझे याद आ गया तब मे तुरंत उनके सामने झुक गया
क्योंकि मेरे सामने कोई और नही बल्कि पूरे संसार के प्रथम सप्त ऋषि मौजूद थे जिनके बारे में मुझे महागुरु ने बताया था
गुरु नंदी :- आपको हमारे सामने झुकने की आवश्यकता नहीं है कुमार
मै :- आप सब इस संसार के सर्व प्रथम सप्तऋषि है
गुरु अग्नि:- हम सभी आपकी भावनाओं का सन्मान करते है कुमार लेकिन अभी हमारे पास इस सभी शिष्टाचार का समय नही है आज से ठीक 15 दिन बाद इस संसार में फिरसे एक बार महासुरों के अन्यायों का साक्षी बनेगा और इस अनर्थ को रोकने के लिए स्वयं आदिदेव ने तुम्हे चुना है
गुरु पृथ्वी :- और हम यहाँ तुम्हे उसके लिए ही तैयार करने आये है आने वाले युद्ध मे न सिर्फ अकेले पृथ्वी गृह बल्कि पूरे संसार का भविष्य दांव पर लगा है
मे :- सप्तस्त्रो के शक्तियों के मदद से और आप सबसे शिक्षा लेने के बाद में किसी भी असुर या महासूर को हरा सकता हूँ
गुरु काल :- आत्मविश्वास अच्छा है कुमार लेकिन घमंड नही आपको हम सभी एक एक करके आपको शिक्षा प्रदान करेंगे और जब तक आप वो शिक्षा को ग्रहण करके हमारी परीक्षाओं में आप उत्तीर्ण न हो जाओ तब तक आप अपनी दुनिया में वापस नही जा सकते
मै :- मे तैयार हूँ सबके लिए
गुरु काल :- याद रखना इस दुनिया मे आप किसी भी अस्त्र का इस्तेमाल नही कर पाओगे
मे :- तो मे अस्त्रों की शक्तियों को काबू करना उनका इस्तेमाल करना कैसे सीखूँगा
गुरु नंदी :- वो आपको अस्त्र स्वयं सिखा देंगे लेकिन पहले आपको खुदको उसके लिए शक्तिशाली बनाना होगा
गुरु जल :- याद रखना कुमार अस्त्र आपको नही आप अस्त्रों को ऊर्जा देते हो आप जितने शक्तिशाली होंगे उतने ही ज्यादा शक्तिशाली अस्त्र होंगे
मै :- ठीक है अब जो भी हो मे हार नही मानूँगा
मेरे इतना बोलते ही वहाँ के आसमान का रंग नीले से बदल कर लाल रंग मे बदल गया और पूरे आसमान मे भयंकर बिजलियाँ कडकड़ाने लगी ऐसा लगने लगा था की कोई बहुत बड़ी अनहोनी होने वाली है
ये सब देखकर एक बार की तो मेरे मन में भी भय और पीछे हटने के ख्यालों ने जन्म ले लिया था लेकिन मैने तुरंत ही उन्हे अपने मन से निकालने लगा और पूर्ण दृढ़ता के साथ मे सप्तऋषियों के समक्ष खड़ा हो गया
गुरु काल :- लगता हैं अब तुम तैयार हो तो सबसे पहले तुम्हे शिक्षा देंगे गुरु नंदी याद रखना इस जगह पर कोई भी अस्त्र या शस्त्र काम नही करता यहाँ केवल तुम्हे अपने बुद्धि और बाहु बल से ही हर चुनौती को पार करना होगा
उनके इतना बोलने के बाद मे और गुरु नंदी अचानक गायब हो गए
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आज के लिए इतना ही
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अध्याय साठ
जहाँ एक तरफ भद्रा अपने ही मस्ती मे मस्त हो कर सो रहा था तो वही दूसरी तरफ पताल लोक के गहराइयों मे इस वक़्त महासुरों के एक बीज ने अपना साम्राज्य स्थापित कर दिया था
पाताल लोक के उस भाग मे जो भी मौजूद था उसे उन्होंने अपने जादुई धुए के मदद से अपने वश में ले लिया था और जो भी उस भाग में कदम रखता वो भी तुरंत उन महासुरों के वश मे आ जाता चाहे वो की असुर हो या कोई मायावी जीव
लेकिन उस धुए से कोई बच नही पाया था ऐसे मे एक शक्स बिना रुके उस हिस्से के अंदर जा रहा था और आश्चर्य की बात थी कि उस पर इस जादुई धुए का कुछ भी असर नहीं हो रहा था
और जब उस महासूर के सिपाहियों ने एक अज्ञात असुर को अपने इलाके मे आते देखा तो वो सभी हमला करने के लिए उसके पास बढ़ने लगे लेकिन उन्हे इस बात का बोध नही था कि ये उनके लिए कितना भारी पड़ सकता हैं
शायद अगर अभी उनके पास उनकी बुद्धि होती तो वो ये गलती नही करते अभी वो सब उस पर आक्रमण करते उससे पहले ही वहाँ वातावरण में फिर एक बार महासूर की आवाज गूंजने लगी जिसने उन सभी लोगों को रोक दिया
महासूर :- असुर कुल गुरु महान आचार्य शुक्राचार्य को मेरा प्रणाम
शुक्राचार्य:- आप भी मेरा प्रणाम स्वीकार करे महासूर
महासूर :- कहिये आपका यहाँ आना कैसे हुआ और क्या मकसद था मुझे और मेरे भाईयों को समय से पूर्व इस संसार मे लाने का
शुक्राचार्य :- मेरे जीवन का एक मात्र मकसद यही है कि असुर जाती को त्रिलोक विजयी बनाउ और इसी मकसद से मैने सभी महासुरों को समय से पूर्व बुलाया है
महासूर :- मैने आपसे पहले भी कहाँ था कि जब तक असुर जातियों में एकता नही होगी तब तक आपकी सारी योजनाएं विफल जायेंगी जिसका उदाहरण अभी हाल ही मे हुआ संग्राम जहाँ पर आप जीता हुआ युद्ध हार गए
शुक्राचार्य:- मे आपकी इस बात से सर्वथा सहमत हूँ इसीलिए मैने अपने सबसे काबिल शिष्य को असुर कुल का सम्राट बनाया है और अब मे चाहता हूँ कि आप और आपके सभी भाई असुर कुल के मार्गदर्शक बने
महासूर :- सर्व प्रथम हमे उस बालक को रोकने के लिए कोई उपाय करना होगा जो बालक सातों अस्त्रों को इतनी कुशलता से इस्तेमाल करने के लिए सक्षम है उससे बिना किसी योजना के ललकारना सबसे बड़ी मूर्खता होगी
शुक्राचार्य :- मे आपके सुझाव को ध्यान मे रखूँगा पहले मे उस बालक को खुद से परखूँगा और उसके बाद खास अपने हाथों से उसके लिए जाल बिछऊंगा
महासूर :- अब आप जाइये और एक विशाल और शक्तिशाली योद्धाओं की फौज तैयार कीजिये क्योंकि अब जैसे ही 15 दिन पूर्ण होंगे वैसे ही ये विश्व इस युग के महाप्रलयंकारी और विध्वंशक युद्ध का साक्षी बनेगा
शुक्राचार्य :- अब आपसे मुलाकात 15 दिनों पश्चात ही होगी
महासुर:- नही मेरा अनुभव कह रहा है कि आप 15 दिनों की अवधी पूर्ण होने से पूर्व ही आने वाले हो
जहाँ एक तरफ इन दोनों ने अपनी पूरी योजना बना ली थी
तो वही दूसरी तरफ मे दुनिया की सारी परेशानियों को भूल कर अपनी दोनों प्रेमिकाओं को अपने आलिंगन मे लेकर चैन की नींद सो रहा था की तभी मुझे मेरे शरीर में अचानक पीड़ा होने लगी जिससे मेरी नींद खुल गई
और जब मे अपनी आँखे खोली तो मुझे एक बहुत बड़ा झटका लगा क्योंकि इस वक़्त न मेरे पास मै जहाँ शांति प्रिया लेटी हुई थी वहा अब कोई नहीं था
और जब मे पूरी तरह होश मे आया तब मुझे ज्ञात हुआ की मे अपने कमरे न होके किसी और ही दुनिया में पहुँच गया था जहाँ एक तरह घना जंगल तो दूसरी तरफ असीमित समुद्र उपर तपता आग उगलता सूरज तो नीचे रेत ही रेत
मे अभी इस सब का निरीक्षण कर ही रहा था कि तभी मुझे वहाँ पर एक जगह से तेज प्रकाश आते दिखाई देने लगा जो देखकर मे तुरंत उस प्रकाश के तरफ बढ़ने लगा
और जैसे ही मे वहाँ पहुँचा वैसे ही मुझे वहाँ पर 7 पुरुष दिखाई दिये उन सातों के चेहरे पर उगी हुई सफेद दाड़ी और बालों को देखकर ऐसा लगता कि वो सातों अब वृद्ध हो चुके है
लेकिन उनके चेहरे का तेज देखकर ऐसा लगता कि उन सभीने अभी अपनी गृहावस्था मे प्रवेश किया है पहले तो मे उन्हे देखकर सोच मे पड़ गया
क्योंकि मुझे लग रहा था कि मैने इन्हे पहले भी कही देखा है और जब मुझे याद आ गया तब मे तुरंत उनके सामने झुक गया
क्योंकि मेरे सामने कोई और नही बल्कि पूरे संसार के प्रथम सप्त ऋषि मौजूद थे जिनके बारे में मुझे महागुरु ने बताया था
गुरु नंदी :- आपको हमारे सामने झुकने की आवश्यकता नहीं है कुमार
मै :- आप सब इस संसार के सर्व प्रथम सप्तऋषि है
गुरु अग्नि:- हम सभी आपकी भावनाओं का सन्मान करते है कुमार लेकिन अभी हमारे पास इस सभी शिष्टाचार का समय नही है आज से ठीक 15 दिन बाद इस संसार में फिरसे एक बार महासुरों के अन्यायों का साक्षी बनेगा और इस अनर्थ को रोकने के लिए स्वयं आदिदेव ने तुम्हे चुना है
गुरु पृथ्वी :- और हम यहाँ तुम्हे उसके लिए ही तैयार करने आये है आने वाले युद्ध मे न सिर्फ अकेले पृथ्वी गृह बल्कि पूरे संसार का भविष्य दांव पर लगा है
मे :- सप्तस्त्रो के शक्तियों के मदद से और आप सबसे शिक्षा लेने के बाद में किसी भी असुर या महासूर को हरा सकता हूँ
गुरु काल :- आत्मविश्वास अच्छा है कुमार लेकिन घमंड नही आपको हम सभी एक एक करके आपको शिक्षा प्रदान करेंगे और जब तक आप वो शिक्षा को ग्रहण करके हमारी परीक्षाओं में आप उत्तीर्ण न हो जाओ तब तक आप अपनी दुनिया में वापस नही जा सकते
मै :- मे तैयार हूँ सबके लिए
गुरु काल :- याद रखना इस दुनिया मे आप किसी भी अस्त्र का इस्तेमाल नही कर पाओगे
मे :- तो मे अस्त्रों की शक्तियों को काबू करना उनका इस्तेमाल करना कैसे सीखूँगा
गुरु नंदी :- वो आपको अस्त्र स्वयं सिखा देंगे लेकिन पहले आपको खुदको उसके लिए शक्तिशाली बनाना होगा
गुरु जल :- याद रखना कुमार अस्त्र आपको नही आप अस्त्रों को ऊर्जा देते हो आप जितने शक्तिशाली होंगे उतने ही ज्यादा शक्तिशाली अस्त्र होंगे
मै :- ठीक है अब जो भी हो मे हार नही मानूँगा
मेरे इतना बोलते ही वहाँ के आसमान का रंग नीले से बदल कर लाल रंग मे बदल गया और पूरे आसमान मे भयंकर बिजलियाँ कडकड़ाने लगी ऐसा लगने लगा था की कोई बहुत बड़ी अनहोनी होने वाली है
ये सब देखकर एक बार की तो मेरे मन में भी भय और पीछे हटने के ख्यालों ने जन्म ले लिया था लेकिन मैने तुरंत ही उन्हे अपने मन से निकालने लगा और पूर्ण दृढ़ता के साथ मे सप्तऋषियों के समक्ष खड़ा हो गया
गुरु काल :- लगता हैं अब तुम तैयार हो तो सबसे पहले तुम्हे शिक्षा देंगे गुरु नंदी याद रखना इस जगह पर कोई भी अस्त्र या शस्त्र काम नही करता यहाँ केवल तुम्हे अपने बुद्धि और बाहु बल से ही हर चुनौती को पार करना होगा
उनके इतना बोलने के बाद मे और गुरु नंदी अचानक गायब हो गए
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आज के लिए इतना ही
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