Update:-123
अजय:- सर अपने 4 हाई क्लास स्नाइपर, 22 हाई क्लास ट्रेंड सिपाही लापता है। गोवा के एक गैंग के 20 मेंबर इस वक़्त हॉस्पिटल में है। उनकी गंभीर हालात देखकर और अन्य जगह पता लगाने के बाद, गोवा के कॉन्ट्रैक्ट किलर्स ने अपने टारगेट का कॉन्ट्रैक्ट लेने से मना कर दिया। दिल्ली और मुंबई में तो इस से भी बुरे हाल थे। गोवा में तो एक ने कॉन्ट्रैक्ट ले भी लिया लेकिन मुंबई और दिल्ली के किसी भी कॉन्ट्रैक्ट किलर में इतनी हिम्मत नहीं थी कि उनका कॉन्ट्रैक्ट ले सके। आपने अपने दुश्मन को बहुत कम आंका सर।
अजय की पूरी डिटेल सुनने के बाद लोकेश तो पागल सा हो गया। कहां होम मिनिस्टर को मारने कि प्लांनिंग हो रही थी और यहां एक लड़का और उसका परिवार मार नहीं पाए, उल्टा अपने सबसे बेस्ट लड़के और शार्प शूटर्स को भी खो दिया। अजय को खींचकर 2 थप्पड़ लगाने के बाद वहां उसे कंट्रोल रूम से बाहर भेजकर लोकेश सभी फुटेज को देखने लगा।
एक ही सीन को बार-बार, कई बार दोहरा कर देखते हुए समझने की कोशिश कर रहा था कि वहां हुआ क्या होगा? कौन है ये अपस्यु और कितनी बड़ी है उसकी गैंग, जिसकी सुपाड़ी अंडरवर्ल्ड तक नहीं के रहा।
लोकेश को जब कुछ समझ में नहीं आया, तब उसने मेघा को दिल्ली से वापस अपने बेस पर बुला लिया। लोकेश ने अजय को भी वापस कंट्रोल रूम में बुलाया और बंद हुए ऑडियो वीडियो डिवाइस से पुनः कनेक्शन बनाने के लिए कहने लगा। अजय अपने काम में लग गया और लोकेश अपनी मूर्खता पर बस इतना ही सोच रहा था कि…..
"मैंने पूरी ताकत से हमला किया, उस लड़के को कोई फर्क नहीं पड़ा, ये दिल्ली में ही था, जब चाहता तब मुझे मार सकता था, लेकिन क्षमता होने के बावजूद भी मारा क्यों नहीं?"..
लोकेश का दिमाग पजल बाना हुआ था और अपस्यु उसके लिए किसी रहस्य से कम नहीं। तभी ऑपरेटर अजय चौंककर कहने लगा… "सर स्क्रीन देखो।"
लोकेश ने जैसे ही स्क्रीन देखा… सामने अपस्यु, ऐमी, और आरव तीनों उनके लाइन पर थे और अपना हाथ हिला रहे थे। लोकेश उन्हें देखकर जवाब में अपना हाथ हिलाया।
आरव:- क्यों खडूस ये अपने लोकेश भईया कुछ ज्यादा ही कंफ्यूज दिख रहे है।
अपस्यु:- हां कंफ्यूज तो दिख रहा है ये आस्तीन का सांप, लेकिन सुबह से कितना डराया है हमे। अपने बुआ के परिवार पर हमला, जारा इसे भी डर से परिचय करवाओ।
ऐमी:- क्यों नहीं अभी करवा देते है।
लोकेश ख़ामोश होकर तीनों की बातें सुन रहा था, तभी उनके स्क्रीन पर चिल्ड्रंस केयर की विजुअल आने लगे, जहां लोकेश की प्यारी पत्नी मीरा और उसकी लाडली बहन कुसुम, चिल्ड्रंस केयर के लड़के-लड़कियों के साथ प्यार से वक़्त बिता रहे थे।
लोकेश अपने चेहरे का पसीना साफ करते…. "देखो मानता हूं मैंने गलत किया है, लेकिन प्लीज उन्हें जाने दो।"
आरव:- लोकेश भईया, पत्नी तो सबको प्यारी होती है, फिर मेरी होने वाली पत्नी पर हमला।
लोकेश:- देखो मै ताकत के नशे में अंधा हो गया था। प्लीज उन्हें जाने दो… (लोकेश यहां तक मिन्नते भरे लहजे में विनती कर रहा था.. उसके बाद गूंजी उसकी अट्टहास भारी हंसी)… या फिर खुद ही रख ले या मार दे, लेकिन तुम जैसे पिद्दी ये सोच लो कि मुझे ब्लैकमेल कर सकते हो, तो यह तुम्हारी भुल होगी। मेरे पास इतना पैसा है कि मै मीरा जैसी चार पत्नियां घर में रख लूं। दूसरी वो बहन, जब तेरे मामा ने अपनी जिंदा बहन का श्राद्ध कर दिया। मेरा बाप तेरी मां को गोली मारने से पहले सोचेगा तक नहीं, ऐसे कुल में पैदा हुए लड़के को तू बहन के नाम से डरा रहा है। शौक से मार दे।
अपस्यु:- जैसी तुम्हारी इक्छा।
अपस्यु इतना कहकर इशारा किया और लोकेश के नज़रों के सामने 2 स्निपर की गोली एक साथ चली, एक कुसुम और दूसरी मीरा को लगी। लोकेश हंसते हुए कहने लगा…. "तेरा तो मै फैन हो गया। मुझे ऐसे लोग पसन्द है जो बातों से ज्यादा एक्शन दिखाते है। मैंने तेरे परिवार को जान से मारने कि कोशिश की और बदले में तुमने मेरे 26 लोग और 2 परिवार के सदस्य को लुढ़का दिया। दिल जीत लिया तूने।"
आरव:- ये भाई इतनी तारीफ काहे कर रहा है। लगता है दिमाग में कहीं ना कहीं होगा की लोभ दो, अपने बेस पर बुलाओ और टपका डालो।
लोकेश:- ओह मतलब मुझपर पूरा होमवर्क करके आए हो। मेरा कोई बेस है यह तक पता है तुम लोगों को। शाबाश !!!
ऐमी:- सॉरी जेठ जी, लेकिन आप जैसे लोग को यहां दिल्ली में चुटिया कहते है। हमे तो बस विक्रम राठौड़ चाहिए, आप बेकार में खुद को हाईलाइट किए हो।
लोकेश:- कुछ बातें पब्लिक के बीच ना हो तो ही अच्छा है। मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है कि हम साथ मिलकर बहुत ज्यादा धमाल कर सकते हैं। तुम तीनों कोई आम इंसान तो कतई नहीं हो सकते। मेरा न्योता स्वीकार करो और यहां चले आओ।
अपस्यु:- तुम पर भरोसा नहीं लोकेश… इसलिए तुम ही यहां दिल्ली क्यों नहीं चले आते।
लोकेश:- भरोसा तो तुम पर भी मुझे नहीं अपस्यु। अभी-अभी तुम्हारे परिवार को मारने कि मैंने कोशिश की और जिस हिसाब से तुमने उन्हें सुरक्षा दे रखा था, तुम पहले से हमले ले लिए तैयार थे। इसलिए हालात को समझे और परिवार के प्रति तुम्हारे प्यार को देखते हुए मेरी तो इक्छा ही मर गई अपने बेस से निकलने की।
अपस्यु:- फिर चलने दो चूहे बिल्ली का खेल, मुझे तो मज़ा आ रहा है।
लोकेश:- लेकिन मुझे तो मज़ा नहीं आ रहा ना। तुम कुछ ऐसा बताओ जिसके करने के बाद तुम्हे मुझ पर यकीन हो जाए।
अपस्यु:- तुम पर यकीन नहीं लेकिन मै खुद पर तो यकीन करता हूं। 15 अगस्त की शाम, आजादी का जश्न तुम्हारे यहां ही होगा। तुम्हारे सारे आदमी सुरक्षित है, कल उन्हें 16 अगस्त के बाद उठा लेना। तुम्हारी प्यारी पत्नी और बहन को मैंने ट्रांकुलाइजार दिया था। उनके होश में आते ही मै उन्हें सुरक्षित पहुंचा दूंगा।
लोकेश:- रहम दिल अपस्यु। खैर अब मेरे ओर से भी कोई कोशिश नहीं होगी, मिलते हैं 15 अगस्त को फिर।
जबतक लोकेश अपस्यु से बात कर रहा था, मेघा भी वहां पहुंच गई। वो ख़ामोश एक कोने में खड़ी होकर दोनो की बातें सुन रही थी। अपस्यु से बात समाप्त करके लोकेश और मेघा प्राइवेट मीटिंग रूम में पहुंचे। कल से जो जीत के घोड़े पर सवार था, आज मेघा से बात करते वक़्त तो ऐसा लग रहा था कि उसके जीत के घोड़े में पंख भी लग गया हो।
कहानी जैसे पुरा ही पलटी मार चुकी थी, और कहानी की यह पलटी कहीं ना कहीं मेघा के मन में वो ज़हर घोल गई, जिसका अंदाज़ा लोकेश नहीं लगा सकता था। जिस अपस्यु को महज एक छोटा मोहरा बोलकर मेघा को यह कहने पर मजबूर किया गया कि… "काम को लेकर अब उसकी रुचि अपस्यु में नहीं रही"… आज वही लोकेश, अपस्यु के साथ मिलकर अपने भविष्य की नीति बाना रहा था।
आज उसी लोकेश को अपस्यु एक मामूली प्यादा नहीं, बल्कि बराबर का एक साथी मान रहा था। जिस होम मिनिस्टर को कल से मारने का सपना संजोए जा रहे थे, आज उसी होम मिनिस्टर को अपने पाले में मिलने और आने वाला लोकनसभा इलेक्शन पर नजरें बनाया जा रहा था। एक ही रात में कहानी ने ऐसी पलटी मारी, की मेघा का दिमाग ही घूम गया।
अपस्यु को लेकर उसके बदले विचार के बारे में जब पूछा गया, तब लोकेश ने अजय को बुला लिया और सुबह से हुई सारी घटना सुनाने के लिए बोल दिया। अजय जब एक-एक करके सभी बातों पर प्रकाश डाला, तब कहीं जाकर मेघा के दिल को सुकून मिला। मेघा अपने साथ हुए धोक को लेकर हताश तो थी ही किन्तु उसे लोकेश का भविष्य भी समझ में आ चुका था।
सारी बातें सुनने के बाद मेघा हंसती हुई कहने लगी… "कल तो मै उसे साथ मिलाकर काम करने वाली थी, और आज उसी अपस्यु को तुमने अपने पाले में मिला लिया।"
लोकेश:- तुमने उसे कम आंका और मैंने उसी अनुसार योजना बनाई। आज सुबह जब मै उससे टकराया तब मुझे उसकी क्षमता का अंदाज़ा हुआ।
मेघा:- क्षमता का अंदाज़ा तो ठीक है लेकिन क्या वो साथ काम करेगा ?
लोकेश:- देखा जाए तो अभी वो 40000 करोड़ का वारिस है। जितना क्षमता और कनेक्शन है उसके, वो चाहता तो कबका मायलो ग्रुप का पूरा मालिक बन जाता। और हां ! मैं तो उसके बारे में कल से जाना हूं, लेकिन वो तो मेरे बारे में बहुत पहले से जानता था। एक छोटी सी भी यदि वो प्लांनिंग करता, तो मुझे भनक भी नहीं लगती और मैं खत्म। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, इसका मतलब साफ है वो दुश्मन बनाने में नहीं, बल्कि साथ मिलकर काम करने में विश्वास रखता है।
मेघा:- एक ही दिन में इतना विश्वास?
लोकेश:- विश्वास की कहानी इतनी सी है कि हम दोनों को साथ काम करना है। कुछ तो छिपे मकसद उसके भी है और कुछ छिपे मकसद मेरे। हम दोनों के छिपे मकसद जबतक पूरे नहीं होते तबतक हम एक दूसरे को नहीं ही मार सकते है।
मेघा:- और उसके बाद..
लोकेश:- उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को जान चुके होंगे। तब तो 2 ही बात होगा, या तो मौका देखकर हम में से कोई एक दूसरे को खत्म कर देगा या फिर एक मकसद खत्म होने के बाद किसी दूसरे मकसद के लिए राजी कर लिया जाए।
मेघा:- ऐसा लग रहा है तुम्हारे सारे सितारे जोड़ मार रहे है। ..
लोकेश हंसते हुए कहने लगा… "मेरे सितारे की नई दिशा जो तय करने वाला है वो लकी तो तुम्हारे गोद में पुरा बैठा है, ये क्यों भुल जाती हो। हो ना हो वो अपने हर काम में तुम्हे साथ रखेगा।"..
मेघा:- वो तो आने वाले 15 तारीख को ही पता चलेगा… फिलहाल और कुछ जो हमे करना चाहिए..
लोकेश:- हां बिल्कुल, मायलो ग्रुप की मालकिन लौट आयी है, ये बात सबको पता चलना चाहिए।
लोकेश और मेघा अपनी बातचीत खत्म करके दिल्ली के लिए रवाना हो गए। कुछ ही देर में एक बड़े से प्रेस कॉन्फेंस का आयोजन किया गया, जिसमें मायलो ग्रुप की मालकिन को दिखाया गया। साथ ही साथ कई सारे सवालों का जवाब लोकेश और विक्रम ने दिए।
मायलो ग्रुप के मालकिन के बारे में जानकर फिर तो प्रेस रिपोर्ट्स ने सवालों के बौछार लगा दिए। जिसमे नंदनी रघुवंशी का उनके साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में ना आना, पारिवारिक कलह और बीते इतने वर्षों में वो क्यों छिपी रही, यह प्रमुख सवालों में से एक था।
लोकेश सभी सवालों से बचते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया और बस यह कहकर निकल लिया की उनके सवाल का जवाब नंदनी बेहतर तरीके से दे सकती है। उन्हें भी नंदनी रघुवंशी के बारे में आज ही पता चला है, वो भी कई वर्षों की तलाश के बाद।
अपस्यु बड़े सुकून से अपने घर के हॉल में बैठा हुआ था। ऐमी बिल्कुल उसके पास और दोनो बैठकर आराम से लोकेश के प्रेस कॉन्फ्रेंस का मज़ा ले रहे थे। ऐमी, अपस्यु के ओर मुस्कुराती हुई देखने लगी…
अपस्यु:- हेय लव तुम्हे क्या हुआ?
ऐमी:- शायद कल रात हम दोनों की कुछ चिंता थी, अभी काफी सुकून मिल रहा है।
अपस्यु, किनारे से ऐमी को अपने बाहों में समेटकर उसके गले को चूमते…. "आह ! ऐसा नहीं लग रहा, काफी सुकून में आ गए हैं हम दोनों।"
ऐमी:- अच्छा और सुकून में आते ही ये तुम्हारे हाथ जो साइड से शरारतें कर रहा है उसका क्या?
अपस्यु, ऐमी के कानो को नीचे चूमते… "आप को जब पता हो कि कल आपके पूरे परिवार पर हमला होने वाला है, तब ऐसे ऐसे बुरे ख्याल दिल में आते है कि एक पल काटना दूभर हो जाता है।
"आव, बेशर्म... दूर रहो थोड़ा सा, और चलो जारा अपने गॉडफादर और गॉडमदर से भी बात कर लिया जाए। दोनो वादा करके मुकड़ गए।"… ऐमी अपस्यु के बाहों के घेरे से उठती हुई, अपनी बात कही और प्राइवेट लाइन से कनेक्ट हो गए..
पल्लवी:- हाय रात को याद कर रहा है मेरा देवर, कुछ-कुछ होने तो ना लगा..
ऐमी:- भाभी, मेरे होने वाले को रिझाना बंद करो, वरना झगड़ा हो जाएगा।
पल्लवी:- सुन ले अपस्यु मै कहे देती हूं, ये ऐमी की बच्ची तेरे लिए ठीक ना है, अभी से हमारे बीच की दीवार बन रही है।
अपस्यु:- आप दोनो बस भी करो। भाभी काम कि बात कुछ कर ले।
पल्लवी:- सबसे ज्यादा काम कि बात तो कर ही रही हूं, तू है कि दुनिया कि तमाम चीजें कर केवल एक यह जबरदस्त काम छोड़कर।
जेके:- बस भी करो तुम पल्लवी। अपस्यु बधाई हो, आज तो कमाल ही कर दिया। हम दोनों न्यूज में तुम्हारी ही खबर देख रहे थे।
अपस्यु:- आप सब तो शर्मिंदा ना कीजिए। किसने बताया था मुझे की लोकेश आधे दिन में हमारे परिवार की पूरी जानकारी पता लगाएगा। बचे आधे दिन में वो अपने सारे एक्सपर्ट को हमारे पूरे परिवार को मारने के लिए हमारे पीछे लगाएगा और अगले दिन सुबह से ही मौका देखकर सबको साफ कर दिया जाएगा।
जेके:- तुमने भी तो जगदीश राय की तिजोरी से मुझे वो डायरी दी थी, जिसकी मदद से 6 महीने में सॉल्व होने वाला केस, सिर्फ 2 महिने में निपट गया। ऊपर से हम जिसे नहीं ढूंढ पाते, उस डायरी की मदद से हमने उन्हें भी खोद निकला।
अपस्यु:- इसमें तो थैंक्स फिर मेरे ससुर जी को दे दो। क्योंकि उन्होंने ही मुझे जगदीश राय की तिजोरी खोलने का कॉन्ट्रैक्ट दिया था और वहीं पर ये काम की डायरी दिख गई तो मैंने चुरा लिया।
जेके:- और इसी डायरी की वज़ह से मैंने केस जल्दी सॉल्व कर लिया और एनएसए (NSA) हेड को लगा कि दिल्ली में मेरे बहुत ज्यादा कॉन्टैक्ट है इसलिए केस का नतीजा इतना जल्दी आ गया। इसी गलतफहमी के साथ वो अपनी एक समस्या मुझ से डिस्कस कर गए।