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Romance भंवर (पूर्ण)

aman rathore

Enigma ke pankhe
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Update:-135






निम्मी:- मै बहुत छोटे से कस्बे में पली हूं, चाकू चलाने का काफी शौक था, ये शौक मुझे गांव के मेले से आया, जब तमाशा दिखाने वाले चाकू का खेल दिखाया करते थे। छोटी सी उम्र का शौक, प्रैक्टिस करते-करते मैं इतना महिर हो गई की लोग मुझसे दूरियां, सिर्फ चाकू की वजह से बनाकर रखते थे। मै गांव के माहौल से वाकिफ थी, नज़रों में हवस और मौके की तलाश, इसलिए मै ज्यादा किसी को मुंह नहीं लगाया करती थी।

एक दिन मै गांव की सरहद पर थी, जब लोकेश की गाड़ी गुजर रही थी। शायद मेरे जिंदगी कि बहुत बड़ी भुल, क्योंकि हमारे यहां देवता की तरह वो पूजा जाता था। उसकी गाड़ी जब रुकी तो मै जिंदगी में पहली बार अपनी पूरी खुशी का इजहार कर दी। मुझे लगा भले लोग है, इसलिए उनकी मेहमान नवाजी भी स्वीकार कर ली। लगा सहर के लोग है किसी के हसने या बोलने का गलत मतलब ये लोग थोड़े ना निकाल सकते है। दिल्ली में तो मुझसे भी खूबसूरत लड़कियां बेवाक होकर हर तरह की बातें कर देती है। ये लोग कंजर्वेटिव माइंड के नहीं होंगे। मेरा बहुत बरा भ्रम, जिसका खामियाजा मुझे इस तरह से देना परा की अब बस दृश्य भईया के साथ टांग जाऊंगी और उन्हीं के साथ काम करूंगी। इतनी ही कहानी है मेरे बारे में।


पार्थ:- तुम्हारी कहानी में मै नहीं?


निम्मी:- तुम भी सहर के ओपन खयालात के लोग हो पार्थ।


पार्थ:- चलो मान लो कि मेरी जगह अपस्यु होता और वो तुमसे अपने दिल की बात कर रहा होता, तो तुम क्या करती।


निम्मी:- पार्थ गलत टॉपिक है ये, यहां बात हम दोनों की है।


पार्थ:- हां क्यों नहीं। वो छोटी आंख वाला, मासूम सी सूरत वाला जिसे प्यार तो बचपन से था और चुपके से अफेयर में भी था। अफेयर में होने के बावजूद भी उसके संबंध.. संबंध मतलब फिजिकल संबंध, कम से कम 12 लड़कियों से होंगे और वो मेघा भी इसकी लिस्ट में आती है।


जैसे ही पार्थ संबंध पर था, ठीक उसी वक़्त ऐमी ने ऑडियो पॉज कर दिया.... जैसे ही ऑडियो पॉज हुआ, हर कोई हैरानी से देख रहा था। ऐमी, अपस्यु का हाथ थामकर बस मुस्कुरा रही थी। स्वास्तिका सबका कन्फ्यूजन दूर करती हुई कहने लगी…. "वो कहावत नहीं सुनी क्या, हर एक फ्रेंड कामिना होता है।"..


अश्क:- लेकिन फिर भी ये ऐमी की बच्ची कलंक है लड़कियों के नाम पर। अभी तक तो झगड़ा करके रूठ जाना चाहिए था, थोड़ा भाव खाना चाहिए था, ड्रामे 3 दिनों तक होते रहने चाहिए थे।


कुंजल:- हुंह ! जब दोनो प्यार करते है तो इतने ड्रामे क्यों? पुरानी सोच।


अश्क:- इसको कोई अब तक मिला नहीं है क्या?


ऐमी:- हमारे घर की पहली अरेंज मैरेज होगी, कुंजल की शादी।


कुंजल:- येस !!


अश्क:- ठीक है बेटा तुझसे बात मैं तेरे शादी के बाद करूंगी, और फिर जान लूंगी तेरी फिलॉस्फी भी..


आरव:- तुम सब बाहर जाकर ये ड्रामा करो, भाभी ऑडियो ऑन करो, सुनने तो दो, उस कमिने का घर बसा या नहीं?


जैसे ही ऑडियो ऑन हुई, उधर से निम्मी कह रही थी…. "किसी को गलत साबित करके खुद कैसे सही हो सकते हो पार्थ, वैसे भी यकीन बड़ी बात है। मै तुम दोनों को निंजी तौर पर नहीं जानती, फिर उनका कैरेक्टर कैसे तय कर सकती हूं?"


पार्थ:- हां दुनिया में एक चरेक्टरलेस मै ही हूं।


निम्मी:- अगर ऐसा है तो फिर पहले कैरेक्टर को ही सुधारो।


पार्थ:- अरे यार और कितना भाव खाओगी, कुछ तो बताओ की क्या करूं मै तुम्हारे लिए।


निम्मी:- अभी जितनी बातें हमारे बीच हुई है उसमे तुम्हारे सवालों के जवाब है। अपनी दिलफेंक आदतें बंद कर देना और जवाब जल्दी ढूंढ लेना, क्योंकि मै दृश्य भईया की टीम ज्वाइन कार चुकी हूं और मुझे उनके साथ काम करने में काफी मज़ा भी आ रहा है।


शायद इनकी बातें बन गई, अभी के माहौल से तो ऐसा ही लग रहा था। और बात बने भी क्यों ना, आज का तो दिन ही है हर बात के बनने का। एक लंबे से युद्ध का लगभग विराम लग चुका था। वक़्त अभी तो पूर्ण खुशी का नहीं था, किन्तु जो लोग दर्द को भी चीरकर, खुशी के पल ढूंढ लेते हो, उनके लिए तो वाकई ये बहुत बड़ा खुशी का समय चल रहा था।


फिर वही हो जाता है, अकेले खुश हुए तो क्या खुश हुए। अपस्यु के साथियों के अलावा भी कई ऐसे लोग थे जो उनके काम के परिणाम से काफी खुश थे। वहां काम कर रहे स्टाफ के लिए आज इतनी खुशी की रात थी कि उनकी खुशी देखते बनती थी। जबतक लोग बातों में लगे थे, तबतक उनके पास ही खाने से लेकर ड्रिंक तक सर्व होने लगा।


सबसे खास ट्रे तो अपस्यु के आगे लगा। उसकी पसंदीदा ड्रिंक सर्व की जाने लगी और वो सबसे बात करते हुए आराम से ड्रिंक का मज़ा लेने लगा… "अबे कितना पिएगा, तुम्हे चढ़ती है कि नहीं।"… दृश्य अपस्यु को एक हाथ मारते हुए पूछा।


आरव:- ये और इसकी ड्रिंक, कभी ना छुटने वाली है। भोले बाबा की आराधना करते-करते ये पक्का नशेड़ी बन गया हैं।


दृश्य:- पागल हो तुम लोग, 4 पेग के बाद बॉडी रिस्पॉन्ड करती है अल्कोहल। हां लोग कम, ज्यादा या बहुत ज्यादा ड्रिंक लेते है, लेकिन उन सबमें एक बात सामान्य होती है उनका नाश में होना। कितना भी छिपाने कि कोशिश क्यों ना करे नशा में है पता चल जाता है।


स्वास्तिका:- प्वाइंट तो बी नोटेड, लेकिन ये कितना भी पीकर दिखाने की कोशिश करे, पता नहीं चलता कि ये नशे में है। इसका मतलब साफ है या तो इसे पता है कि ये "क्यों" पी रहा है। या फिर इसे अपने "क्यों" का पता नहीं लेकिन अपने उसी "क्यों" के लिए पीता है। भाभी जी जारा इस राज से पर्दा उठा देंगी।


ऐमी:- अरे यार कुछ नहीं बस ये अपने ध्यान लगाने की प्रक्रिया को निपुण कर रहे है। शून्य काल तक कैसे अपने मस्तिष्क को पहुंचाया जाए, उसी की प्रैक्टिस जारी है। ये नशे के लिए नहीं बल्कि अपने मस्तिष्क में उपजे नशे को कंट्रोल करने का एक्सपेरिमेंट कर रहे। सीधा-सीधा कहूं तो सेंट्रल नर्वस सिस्टम को ऑटो मोड से मैनुअल मोड पर डालने की कोशिश जारी है।


दृश्य:- कमाल का कॉन्सेप्ट है, मै भी ट्राय करूं क्या क्यूटी।


अश्क:- पहले नाजायज बच्चों पर कंट्रोल करना सीखो, अभी तो यूएस नहीं गई 2-3 साल वहां भी तो रुके थे।


सब लोगों के ठहाके निकल आए। रातें छोटी सी थी और बातें काफी लंबी। सुबह के 4 बज चुके थे। एक-एक करके हर कोई उसी हॉल में सो गया। बस केवल दृश्य और अपस्यु जागे थे। दोनो भाई एक छोटे से वॉक पर निकले..


अपस्यु:- अब कहां निकल रहे हो भाई।


दृश्य:- निजी स्वार्थ के कारन तो बहुत खून बहाया है अपस्यु, अब ऑर्डर फॉलो करूंगा। बक्शी सर ने एक रिजिलियांट ग्रुप का केस दिया है, पूरी टीम को लेकर मै उसी मिशन पर निकल रहा हूं। वैसे तुमने काफी हैरान किया, तुम्हारे रिफ्लेक्स इतने तेज थे कि कई मौकों पर मै जबतक देखता, उससे पहले तुम काम खत्म कर चुके होते। मैं तो कभी उतनी तेज रिफ्लेक्स की सोच भी नहीं सकता। तुम्हारी तैयारी इन चूहों से बहुत ऊपर की है.. फिर इतना वक़्त इंतजार क्यों?


अपस्यु:- वक़्त मैंने बदला लेने के लिए नहीं लिया था भई, बल्कि मुझे लोगों को उनके जीने कि वजह देनी थी, वरना आज जो अच्छा दिख रहा है वो कल को बुरा बनते देर नहीं लगती। इसलिए मै तो बस अपना परिवार समेट रहा था।


दृश्य:- तुमसे बहुत कुछ सीखना है अपस्यु। चाहत तो मेरी यह थी कि तुम्हे भी इस मिशन के लिए आमंत्रण दू, लेकिन मुझे यकीन है कि तुमने अपनी कहानी मुझे पूरी नहीं बताई। थोड़ा बुरा जरूर लगा है इस बात का, लेकिन शायद कुछ सोचकर ही नहीं बताया होगा।


अपस्यु:- सॉरी भईया, मै नहीं चाहता था कि आप अपना फोकस मुझ पर दे, सिर्फ इस वजह से नहीं बताया। हा लेकिन आपका मेरे पास आना, मेरे प्लान का हिस्सा था। तब मुझे निम्मी का केस तो पता नहीं था, लेकिन वीरदोयी के सामने हमारी टीम नहीं टिक पाती, इसलिए मैंने गुप्त रूप से आप तक सूचना भिजवाई थी कि आपका बच्चा मेरे पास है।


दृश्य:- पागल है तू पुरा। कितनी जल्दी और कितनी सफाई से तू प्लान कर लेता है।


अपस्यु:- हां लेकिन आप बिना प्लान के ही किसी कि भी धज्जियां उड़ा सकते हो। वैसे भाभी से मैंने अब तक माफी नहीं मांगी और शायद हिम्मत भी नहीं होगी। आपको भड़काने कि बहुत चिप ट्रिक अपनाया था मैंने।


दृश्य:- हाहाहाहा.. और भड़काने के बाद भी जिंदा बच गया, कमाल का गुट्स और कमाल की प्लांनिंग थी। वैसे उस दिन अनजाने में ही बहुत सी बातें सीखा गए, और मुझे ऐमी की याद दिला गए।


अपस्यु:- अारूब जब उनके बारे में बता रहा था, उनके जाज़्बे और आप सब के साथ की कहानी ने रुला दिया। एक स्वार्थहिन चालाक मेंटोर की कहानी जो हर खतरे से निकल सकती थी, बस दोस्ती के मोह में फस गई।


दृश्य:- सुन ना मै समर वैकेशन में सब बच्चो…

अपस्यु:- बस भाई ये समर वैकेशन की बात अभी रहने दो फिर कभी कर लेंगे। वैसे मुझ पर विश्वास दिखाकर मेरा प्लान फॉलो करने के लिए दिल से धन्यवाद।


दृश्य:- अरे ऐसे कैसे थैंक्स, हम दोनों को एक दूसरे की जरूरत थी, अब मुझे तुम्हारी कैसे जरूरत थी वो एक्सप्लेन करने पर मजबूर ना कर और पहले तू मेरा सुन.. मै उन वीरदोयी के बच्चों के लिए कुछ नहीं कर पाया, इसलिए मेरे ओर से उसकी जिम्मेदारी भी तू उठा लेना। कल कंपनी मर्ज के पेपर मिल जाएगा, आरव को बोलना दोनो कंपनी की रेस्पोसिबिलिटी ले लेने के लिए। मै अपनी पायल दीदी और जीजू को कंपनी से रिलीफ करना चाहता हूं, ताकि जो ज़िन्दगी जीना भूलकर कंपनी के पीछे पीस रहे है, वो छोड़कर पुरा वक़्त घर पर दे सके। वैसे भी जीजू बहुत बुरे बिजनेसमैन है यार। और अंत में मुझे बहुत से टेक्निकल सपोर्ट की जरूरत होगी, इसलिए क्या ऐमी फ्री रहेगी हमे टेक्निकल सपोर्ट देने के लिए।


अपस्यु:- सारी बातें तो अच्छी है, लेकिन ये कंपनी मर्जर कुछ ज्यादा ना हो रहा।


दृश्य:- ओह बातों बातों में मै भुल ही गया, मै वैदेही को भेज रहा हूं दिल्ली, वो तुम लोगो के साथ रहेगी। 10000 करोड़ का एक फंड मै हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर के लिए सेंक्शन कर चुका हूं, लेकिन किसी पर यकीन नहीं था इसलिए वैदेही को अकेले ही रिसर्च करने के लिए कहा। स्वास्तिका से बाकी बातें हो गई है। दोनो मिलकर एक साथ काम करेंगे और दोनो की जैसी रिक्वायरमेंट हो वैसा पुरा करवा देना, पैसों की कोई चिंता मत करना।


अपस्यु:- भई वो सब तो ठीक है लेकिन कंपनी मर्जर..


दृश्य:- देख सिम्पल सी बात है हम में से तो किसी से कंपनी चलने से रही। मेरे जीजू भी हम में से एक ही है। अब किसी दूसरे के हाथ में कंपनी देने से कहीं लोकेश वाला ना हाल हो जाए, यार पैसे का सीधा रिश्ता पॉवर से होता है और पॉवर का नशा तो तू जानता ही है ना। इसलिए अब कोई बहस नहीं, और हां उस वैदेही मत कहना बल्कि वेली पुकारना।


अपस्यु:- और कोई हुक्म सर..


दृश्य:- नहीं सर, चलकर आराम किया जाए। तेरे मुताबिक जगह की पूरी बनावट कर दी गई है, अारूब ने पूरी डिटेल ऐमी से साझा कर दिया है। और हां जल्दी से अब उन्हें भी अंजाम तक पहुंचा दो, जो बचे हुए है और मुझे फिर पूरी कहानी डिटेल में बता देना।
:superb: :good: amazing update hai nain bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai
 

Nevil singh

Well-Known Member
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Update:-136








लंबे चले सेशन के बाद दोनो सोने चल दिए। अपस्यु सोने से पहले कुछ जरूरी काम निपटाने बैठ गया, जिसके लिए ऐमी को भी जगाना पर गया। सबसे पहले तो कॉल गया होम मिनिस्टर के पास। पूरी कहानी समझाने के बाद अपस्यु ने पूछ लिया कि 10000 करोड़ का क्या किया जाए?


होम मिनिस्टर अमाउंट सुनकर ही झटका खा गए। सबसे पहले तो उन्होंने 5000 करोड़ का काला धन की पूरी डिटेल सेंड करने बोल दिया, ताकि देश को फायदा हो और केस पुरा मजबूत बने। उसके बाद 2000 करोड़ का अनुदान उन्होंने अपने स्विस अकाउंट में लिया, वो भी पुरा कारन समझते…. कि कुछ कमीनो को आउटसोर्स से हटाना होता है, जिसके लिए काफी पैसे लगते है। कभी-कभी गलत को गलत साबित करने के लिए भी पैसे देने पड़ते है, ठीक वैसे ही जैसे आज गिरफ्तार लोग अंजाम तक पहुंचेंगे।


बचे 3000 करोड़ के फैसले के लिए होम मिनिस्टर ने विपक्ष और पक्ष के अध्यक्ष को कॉन्फ्रेंस में लिया और पकड़े गए लोगों को कोर्ट से सजा के लिए डील तय होना शुरू हो गया। 500-500 करोड़ दोनो अध्यक्ष के निजी खाते में और बचे 2000 करोड़ में से 600 करोड़ विपक्ष के पार्टी फंड और 1400 करोड़ पक्ष के पार्टी फंड में जमा करने का फैसला लिया गया।


होम मिनिस्टर से पैसों और सजा का हिसाब किताब होने के बाद अपस्यु ने पूरे घटना की मीडिया कहानी भी उसे अच्छे से समझा दिया। जबतक बात हो रही थी तबतक ऐमी सबके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर मारकर चेक करने के लिए बोल दी। होम मिनिस्टर तो सुनिश्चित था, लेकिन पक्ष और विपक्ष जिसका समर्थन अब तक पन्नों पर था, पैसा मिलते ही सुबह से अमल में आना शुरू हो गया।


होम मिनिस्टर से बात करने के बाद अपस्यु ने नंदनी को कॉल लगाया। नंदनी को सबसे पहले सुकून देते हुए बता दिया कि हर एक सुरक्षित है और वो अपने पिता के सपने को अब पुरा साकार कर सकती है। कुछ देर की बातचीत के बाद कॉल डिस्कनेक्ट ही गया।


जैसे ही फोन सर्विस का काम खत्म हुआ ऐमी…… "अपस्यु जीतनें भी लोगों ने आज अपने काला अकाउंट को पार्टी हॉल से लॉगिन किया था, उसके टोटल अमाउंट 22000 करोड़ है, और 41 लॉगिन। इसके अलावा लोकेश के अकाउंट में 12000 करोड़, विक्रम के अकाउंट में 600 करोड़ और कौन बनेगा अरबपति में प्रकाश जिंदल ने तो सबसे ज्यादा बाजी मारी है, 16000 करोड़।


अपस्यु आश्चर्य से आखें बड़ी करते… "50600 करोड़। सालों ने कितनो कि लाश के ऊपर से ये पैसा बनाया होगा। पॉलिटीशियन को शो कर दूं ये अमाउंट तो पता ना कितने पैसे देश के पास पहुंचेगा, मै चाहता हूं ये पुरा अमाउंट आरबीआई को जाए।


ऐमी:- मामला ठंडा होने दो वरना होम मिनिस्टर को शक हो जाएगा और ये पैसा भी हवा हो जाएगा। दृश्य भईया का अमाउंट वैसे ट्रांसफर मार दिया है, और ये 50600 करोड़, 9500 करोड़ वाले अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया है। दृश्य भईया को केवल उनके 9500 करोड़ ट्रांसफर किए है, और मेघा के 500 करोड़ भी अपने ही पास है। इनके हिसाब का क्या करना है। 1000 करोड़ का कैश भी परा है यार।


अपस्यु:- एक काम करो मेघा को 1000 करोड़ ट्रांसफर कर दो, और उस 50600 करोड़ के फिगर को राउंड करके, बचे पैसे उन्हीं से पूछकर ट्रांसफर मार देना।.. कैश को फिलहाल यहीं के लॉकर में रखवा दो, उसका बाद में सोचते है। थक गया स्वीटी, कोई काम और बचा है क्या..


ऐमी:- हां, बस मुझे प्यार से चूमना रह गया।


अपस्यु, बिस्तर पर लेटकर, ऐमी को बाहों में भींचते प्यार से उसके होंठ को चूमा और सुकून से आखें मूंद लिया। दोनो कुछ ही देर में काफी गहरी नींद में थे। वैसे यह कहना भी गलत नहीं होगा कि आज इस महल में जितने भी लोग सो रहे थे वो काफी सुकून में थे।


16 अगस्त के सुबह 5 बजे से ही खबरों का बाजार गरम था। लोग इंटेलिजेंस टीम की छापेमारी और हाई प्रोफाइल लोगों को सलाखों के पीछे की खबर सुनकर आधी खुली नींद चौंक कर पूरी खुल जाती। 16 अगस्त की खबरों में सुबह से ही होम मिनिस्ट्री और इंटेलिजेंस के ही छापे की चर्चा चल रही थी, जिसमें लगभग 70 लोगों पर काले धन छुपाना और देशद्रोह जैसे इल्ज़ाम, सबके ऊपर सामान्य रूप से लगे थे। इसके अलावा मिले सबूत के अनुसार हर किसी पर अलग-अलग लोगों मारने की साजिश रचने और बलात्कार जैसे इल्ज़ाम भी लगे थे। 40 अरेस्ट होकर पहुंचे थे 27 को इंटेलिजेंस टीम ने उनके घर से उठाया था, जिसमें से एक विक्रम का बड़ा बेटा कंवल भी था।


3 मास्टरमाइंड, प्रकाश जिंदल, विक्रम राठौड़ और लोकेश राठौड़ भागने में कामयाब हो गए। जिस पर देशद्रोह और मर्डर केस के अलावा नंदनी रघुवंशी के पति और बेटे की हत्या कि साजिश रचने और कुंवर सिंह राठौड़ के पूरे परिवार की हत्या का इल्ज़ाम लग चुका था। देशभर के तमाम थाने में तीनों की तस्वीर पहुंचा दी गई थी। 80 लोगों को इंटेलिजेंस टीम ने मौके पर मार गिराया जो इन मास्टरमाइंड के इशारे पर किसी भी काम को अंजाम दिया करते थे।


कई सारे लोग जो लापता हो चुके थे, वो लोकेश के सिस्टम से मिल गए, जिनका कत्ल यहीं उसके बेस पर किया गया था। कुल मिलाकर सभी के लिए ऐसा केस बाना था जिसमे कम से कम उम्र कैद तो तय थी।


नील, काया, मेघा, और वहां काम करने वाले कई लोग सरकारी गवाह थे, जिनकी गवाही से केस को और भी ज्यादा मजबूत बनाया गया और उसी के साथ यूएस पॉलिटिक्स में भी काफी भूचाल देखने को मिला था, जहां के एक सीनेटर को किसी विदेशी अदालत में सजा तय होनी थी और ये सजा तय करवाने में जेम्स हॉप्स और उसकी टीम की गवाही भी अहम थी।


मेघा उसी वक़्त से जेम्स हॉप्स जैसे लोगों पर हंस रही थी, जबसे उसे पता चला था कि हवाले के पैसे गायब करने में अपस्यु का हाथ था और ये निकम्मे बस केवल संभावित कारणों को लेकर आगे बढ़े थे, ताकि काम देने वालों का विश्वास बाना रहे। तभी से मेघा ने उसकी पूरी टीम को स्टैंडबाय मोड पर डाल चुकी थी। अपस्यु ने सुबह ही मेघा को कॉल करके उसका भविष्य बताया था, इसी के चलते मेघा ने पहले अपने पिता का कच्चा चिट्ठा यूएस में खुलवा दिया और यहां अपनी टीम के साथ गवाही दर्ज करवाने चली आयी थी।


अपस्यु के साथ देने का कारन भी साफ नजर आ रहा था। शायद उस घमंडी मेघा में इतनी तो अक्ल जरूर थी, जो भांप चुकी थी कि जो लड़का इंडिया में बैठकर, योजना बनाकर यूरोप से पैसा ले उड़ा, वो कोई मामूली प्लानर नहीं हो सकता। जो लड़का सबके सामने रहकर भी छिपा रहा वो दिमाग का इतना भी कमजोर नहीं हो सकता की लोकेश के मौत के जाल में फस जाए। सभी बातों पर समीक्षा करके अंत में फैसला उसने यही किया कि वो बस किनारे होकर तमाशा देखने में विश्वास रखेगी, चाहे नतीजा जो भी हो।


शायद ये बात वो होशियार लोकेश समझ जाता तो आज उसकी स्थिति मजबूत होती। लेकिन गलती लोकेश की भी नहीं थी, क्योंकि अपस्यु की शार्प प्लांनिंग का ही असर था, कि वो पुरा समय लेकर अंदर जड़ तक घुसा। उसे किसी भी बात की जल्दी बिल्कुल नहीं थी। खुद को हमेशा काम का साबित किया, जिससे उसका वर्तमान रौशन नजर आए और अतीत पर किसी की भनक तक ना परे।


खुद को अकेला काम करने वाला दिखाया ताकि कोई समझ ना पाए कि ये यूरोप जैसे देश में भी अपने ऑपरेशन करता आया हो। क्या दिमाग पाया था उसने। लोग हमेशा छिपे हुए को ढूंढ़ते है और ये कभी किसी से छिपा ही नहीं। किसी के साथ ना होकर भी उसे सामने से ऑब्जर्व करता रहा। खुद को इतना आसान टारगेट दिखाया कि लोगों को हमेशा ये फीलिंग रही की इसे मारना तो कितना आसान है और जब वक़्त आया तांडव दिखने का, फिर तो ऐसा उत्पात मचाया की किसी के पास रिएक्ट करने तक का मौका नहीं था।


संतुलन बनाए रखने की अभूपूर्व नीति, जिसमे पॉलिटीशियन के साथ ना होकर भी, उनके ही बीच के लोगों को सजा तक पहुंचना। किसे पकड़ना है, किसे छोड़ना है और पैसों को कहां लुटा दिया जाए, इसका ज्ञान का ही नतीजा था कि जितने भी बिग शॉट पकड़े गए थे, एक तरफ तो उन्हें आर्थिक रूप से इतना कंगाल कर चुका था कि वो अपने केस में किसी को खरीद ना सके, वहीं दूसरी ओर उसी का पैसा इस्तमाल करके, उन्हें सही या ग़लत तरीके से उनकी सजा लगभग तय करवा चुका था।


वहीं दूसरी बड़ी खबर में, नंदनी, सिन्हा जी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही थी, जहां पहले नंदनी चुप थी और सिन्हा जी एक-एक करके सारे टेक्निकल सवाल ले रहे थे। नंदनी रघुवंशी के इतने सालों तक छिपे रहने कि वजह सामने आ चुकी थी। इस मामले में एक बार और होम मिनिस्ट्री को ही क्रेडिट दिया गया, जहां नंदनी रघुवंशी अपनी बात रखती हुई बताई की उसके पति और बेटे की हत्या हुई थी और ठीक उसी वक़्त यहां उसके परिवार को भी मार दिया गया था।


तब उसके ऊपर बच्चो कि जीमेमदरी थी और उनके बच्चों के कत्ल की आशंका भी, इसलिए वो छिपकर अपने बच्चो को पाल रही थी और साथ में मौत के गुत्थी को भी सुलझने की कोशिश कर रही थी। इसी सिलसिले में साल भर पहले होम मिनिस्टर से उनकी पहली मुलाकात हुई और ये केस इंटेलिजेंस वालों को सौंपा गया। काफी तकलीफ झेलनी पड़ी लेकिन न्यान पालिका ने अपना काम किया।

कंपनी के अधिकार और विक्रम के परिवार को लेकर जब सवाल हुए उसपर नंदनी जवाब देती हुई कहने लगी… जो गुनहगार थे उन्हें सजा मिल गई, लेकिन जो निर्दोष है उनके साथ अन्याय नहीं होना चाहिए, इसलिए नंदनी रघुवंशी ने विक्रम की दोनो बहू में 5000 करोड़ को राशि बराबर बंटवारा करने का फैसला लिया, जिसपर पूर्ण रूप से उनका अधिकार होगा।

विक्रम राठौड़ की बेटी कुसुम को कंपनी अगले 10 वर्षों तक कंपनी का 30% प्रोफिट दिया जाएगा। यह एक स्पेशल क्लोज लिया गया है ताकि कुसुम राठौड़ और उसकी मां को पूर्ण सहयोग मिले। इन सबके अलावा ये अभी शुरवती फैसले है, आगे विक्रम राठौड़ की फैमिली से विचार करके यदि कोई फेर बदल होती है तो सूचना मिल जाएगा।


कंपनी के नया मालिक के विषय में चर्चा करती हुई नंदनी रघुवंशी ने साफ तौर पर अपनी मनसा जाहिर कर दी कि कंपनी उनके बच्चों के बीच बराबर की है, लेकिन कंपनी चलाने का स्वतंत्र प्रभार केवल और केवल आरव रघुवंशी का होगा, जिसमें उसकी भी कोई दखलंदाजी नहीं होगी।


साथ ही साथ उनके पिताजी एक सपना था हाई टेक मॉडल गांव जिसके तर्ज पर उन्होंने विशेन गांव (वहीं गांव जो लोकेश का बेस था) का निर्माण किया था। अफ़सोस उस गांव को किसी और काम के लिए इस्तमाल कर लिया गया और क्रेडिट खुद बटोर कर अच्छे आदमी को बदनाम कर दिया गया। इसके अलावा जो हमारा पैतृक गांव हुआ करता था, निषेम गांव (वीरभद्र का गांव), वहां के मॉडल पर काम शुरू होने से पहले ही उन्हें कत्ल कर दिया गया। इसलिए मै उस अधूरे काम को शुरू करने के लिए आज शाम ही नीव रखूंगी और आनेवाले 3 महीने में वो गांव भी पुरा तैयार हो चुका होगा। उसके बाद दोनो गांव सैलानियों तथा अन्य लोगों के लिए खोल दिए जाएंगे।


सुबह का समाचार जैसे कईयों के लिए खुशी के का संकेत लेकर आया था, वहीं काफी लोग हताश भी थे। दोपहर के खाने के वक़्त से थोड़ा पहले ऐमी और अपस्यु को जगाया गया। दोनो जागते ही सबसे पहले न्यूज ही देखना शुरू किये। जिंदगी में पहली बार न्यूज देखना इतने सुकून भड़ा लग रहा था।


कुछ ही देर में सभी लोग फ्रेश होकर नीचे महल के हॉल में पहुंचे। हर कोई चेहरे से खुश नजर आ रहा था।…. "पार्थ नजर नहीं आ रहा यहां।".. ऐमी पूछी।


स्वास्तिका:- कहां गया होगा, अपनी लैला के पीछे-पीछे उसके घर।


अपस्यु:- मां ने सबको वीरभद्र के यहां 5 बजे तक पहुंचने कहा है, आज उस गांव को भी हाई-टेक बनाने की नीव रखी जाएगी।


ऐमी:- ठीक है फिर चलो, अधूरा काम पूरा कर लिया जाए।


अपस्यु:- स्वास्तिका, हमारे गुनहगारों के सारे काम पूरा हो गए है क्या?


स्वास्तिका:- हां


तीन बड़े सूटकेस तैयार रखे थे। हेलीकॉप्टर ले जाने के लिए एविएशन डिपार्टमेंट की भी क्लीयरेंस मिल चुकी थी, लेकिन स्वास्तिका की हिम्मत नहीं हुई अपस्यु के साथ जाने की और जब स्वास्तिका नहीं गई तो कुंजल भी स्वास्तिका के साथ वीरभद्र के यहां निकलने का फैसला कर ली।
Bandhu bahut hi utam akshro se ek aur santulit update bemishaal hai.
 

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Enigma ke pankhe
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लंबे चले सेशन के बाद दोनो सोने चल दिए। अपस्यु सोने से पहले कुछ जरूरी काम निपटाने बैठ गया, जिसके लिए ऐमी को भी जगाना पर गया। सबसे पहले तो कॉल गया होम मिनिस्टर के पास। पूरी कहानी समझाने के बाद अपस्यु ने पूछ लिया कि 10000 करोड़ का क्या किया जाए?


होम मिनिस्टर अमाउंट सुनकर ही झटका खा गए। सबसे पहले तो उन्होंने 5000 करोड़ का काला धन की पूरी डिटेल सेंड करने बोल दिया, ताकि देश को फायदा हो और केस पुरा मजबूत बने। उसके बाद 2000 करोड़ का अनुदान उन्होंने अपने स्विस अकाउंट में लिया, वो भी पुरा कारन समझते…. कि कुछ कमीनो को आउटसोर्स से हटाना होता है, जिसके लिए काफी पैसे लगते है। कभी-कभी गलत को गलत साबित करने के लिए भी पैसे देने पड़ते है, ठीक वैसे ही जैसे आज गिरफ्तार लोग अंजाम तक पहुंचेंगे।


बचे 3000 करोड़ के फैसले के लिए होम मिनिस्टर ने विपक्ष और पक्ष के अध्यक्ष को कॉन्फ्रेंस में लिया और पकड़े गए लोगों को कोर्ट से सजा के लिए डील तय होना शुरू हो गया। 500-500 करोड़ दोनो अध्यक्ष के निजी खाते में और बचे 2000 करोड़ में से 600 करोड़ विपक्ष के पार्टी फंड और 1400 करोड़ पक्ष के पार्टी फंड में जमा करने का फैसला लिया गया।


होम मिनिस्टर से पैसों और सजा का हिसाब किताब होने के बाद अपस्यु ने पूरे घटना की मीडिया कहानी भी उसे अच्छे से समझा दिया। जबतक बात हो रही थी तबतक ऐमी सबके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर मारकर चेक करने के लिए बोल दी। होम मिनिस्टर तो सुनिश्चित था, लेकिन पक्ष और विपक्ष जिसका समर्थन अब तक पन्नों पर था, पैसा मिलते ही सुबह से अमल में आना शुरू हो गया।


होम मिनिस्टर से बात करने के बाद अपस्यु ने नंदनी को कॉल लगाया। नंदनी को सबसे पहले सुकून देते हुए बता दिया कि हर एक सुरक्षित है और वो अपने पिता के सपने को अब पुरा साकार कर सकती है। कुछ देर की बातचीत के बाद कॉल डिस्कनेक्ट ही गया।


जैसे ही फोन सर्विस का काम खत्म हुआ ऐमी…… "अपस्यु जीतनें भी लोगों ने आज अपने काला अकाउंट को पार्टी हॉल से लॉगिन किया था, उसके टोटल अमाउंट 22000 करोड़ है, और 41 लॉगिन। इसके अलावा लोकेश के अकाउंट में 12000 करोड़, विक्रम के अकाउंट में 600 करोड़ और कौन बनेगा अरबपति में प्रकाश जिंदल ने तो सबसे ज्यादा बाजी मारी है, 16000 करोड़।


अपस्यु आश्चर्य से आखें बड़ी करते… "50600 करोड़। सालों ने कितनो कि लाश के ऊपर से ये पैसा बनाया होगा। पॉलिटीशियन को शो कर दूं ये अमाउंट तो पता ना कितने पैसे देश के पास पहुंचेगा, मै चाहता हूं ये पुरा अमाउंट आरबीआई को जाए।


ऐमी:- मामला ठंडा होने दो वरना होम मिनिस्टर को शक हो जाएगा और ये पैसा भी हवा हो जाएगा। दृश्य भईया का अमाउंट वैसे ट्रांसफर मार दिया है, और ये 50600 करोड़, 9500 करोड़ वाले अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया है। दृश्य भईया को केवल उनके 9500 करोड़ ट्रांसफर किए है, और मेघा के 500 करोड़ भी अपने ही पास है। इनके हिसाब का क्या करना है। 1000 करोड़ का कैश भी परा है यार।


अपस्यु:- एक काम करो मेघा को 1000 करोड़ ट्रांसफर कर दो, और उस 50600 करोड़ के फिगर को राउंड करके, बचे पैसे उन्हीं से पूछकर ट्रांसफर मार देना।.. कैश को फिलहाल यहीं के लॉकर में रखवा दो, उसका बाद में सोचते है। थक गया स्वीटी, कोई काम और बचा है क्या..


ऐमी:- हां, बस मुझे प्यार से चूमना रह गया।


अपस्यु, बिस्तर पर लेटकर, ऐमी को बाहों में भींचते प्यार से उसके होंठ को चूमा और सुकून से आखें मूंद लिया। दोनो कुछ ही देर में काफी गहरी नींद में थे। वैसे यह कहना भी गलत नहीं होगा कि आज इस महल में जितने भी लोग सो रहे थे वो काफी सुकून में थे।


16 अगस्त के सुबह 5 बजे से ही खबरों का बाजार गरम था। लोग इंटेलिजेंस टीम की छापेमारी और हाई प्रोफाइल लोगों को सलाखों के पीछे की खबर सुनकर आधी खुली नींद चौंक कर पूरी खुल जाती। 16 अगस्त की खबरों में सुबह से ही होम मिनिस्ट्री और इंटेलिजेंस के ही छापे की चर्चा चल रही थी, जिसमें लगभग 70 लोगों पर काले धन छुपाना और देशद्रोह जैसे इल्ज़ाम, सबके ऊपर सामान्य रूप से लगे थे। इसके अलावा मिले सबूत के अनुसार हर किसी पर अलग-अलग लोगों मारने की साजिश रचने और बलात्कार जैसे इल्ज़ाम भी लगे थे। 40 अरेस्ट होकर पहुंचे थे 27 को इंटेलिजेंस टीम ने उनके घर से उठाया था, जिसमें से एक विक्रम का बड़ा बेटा कंवल भी था।


3 मास्टरमाइंड, प्रकाश जिंदल, विक्रम राठौड़ और लोकेश राठौड़ भागने में कामयाब हो गए। जिस पर देशद्रोह और मर्डर केस के अलावा नंदनी रघुवंशी के पति और बेटे की हत्या कि साजिश रचने और कुंवर सिंह राठौड़ के पूरे परिवार की हत्या का इल्ज़ाम लग चुका था। देशभर के तमाम थाने में तीनों की तस्वीर पहुंचा दी गई थी। 80 लोगों को इंटेलिजेंस टीम ने मौके पर मार गिराया जो इन मास्टरमाइंड के इशारे पर किसी भी काम को अंजाम दिया करते थे।


कई सारे लोग जो लापता हो चुके थे, वो लोकेश के सिस्टम से मिल गए, जिनका कत्ल यहीं उसके बेस पर किया गया था। कुल मिलाकर सभी के लिए ऐसा केस बाना था जिसमे कम से कम उम्र कैद तो तय थी।


नील, काया, मेघा, और वहां काम करने वाले कई लोग सरकारी गवाह थे, जिनकी गवाही से केस को और भी ज्यादा मजबूत बनाया गया और उसी के साथ यूएस पॉलिटिक्स में भी काफी भूचाल देखने को मिला था, जहां के एक सीनेटर को किसी विदेशी अदालत में सजा तय होनी थी और ये सजा तय करवाने में जेम्स हॉप्स और उसकी टीम की गवाही भी अहम थी।


मेघा उसी वक़्त से जेम्स हॉप्स जैसे लोगों पर हंस रही थी, जबसे उसे पता चला था कि हवाले के पैसे गायब करने में अपस्यु का हाथ था और ये निकम्मे बस केवल संभावित कारणों को लेकर आगे बढ़े थे, ताकि काम देने वालों का विश्वास बाना रहे। तभी से मेघा ने उसकी पूरी टीम को स्टैंडबाय मोड पर डाल चुकी थी। अपस्यु ने सुबह ही मेघा को कॉल करके उसका भविष्य बताया था, इसी के चलते मेघा ने पहले अपने पिता का कच्चा चिट्ठा यूएस में खुलवा दिया और यहां अपनी टीम के साथ गवाही दर्ज करवाने चली आयी थी।


अपस्यु के साथ देने का कारन भी साफ नजर आ रहा था। शायद उस घमंडी मेघा में इतनी तो अक्ल जरूर थी, जो भांप चुकी थी कि जो लड़का इंडिया में बैठकर, योजना बनाकर यूरोप से पैसा ले उड़ा, वो कोई मामूली प्लानर नहीं हो सकता। जो लड़का सबके सामने रहकर भी छिपा रहा वो दिमाग का इतना भी कमजोर नहीं हो सकता की लोकेश के मौत के जाल में फस जाए। सभी बातों पर समीक्षा करके अंत में फैसला उसने यही किया कि वो बस किनारे होकर तमाशा देखने में विश्वास रखेगी, चाहे नतीजा जो भी हो।


शायद ये बात वो होशियार लोकेश समझ जाता तो आज उसकी स्थिति मजबूत होती। लेकिन गलती लोकेश की भी नहीं थी, क्योंकि अपस्यु की शार्प प्लांनिंग का ही असर था, कि वो पुरा समय लेकर अंदर जड़ तक घुसा। उसे किसी भी बात की जल्दी बिल्कुल नहीं थी। खुद को हमेशा काम का साबित किया, जिससे उसका वर्तमान रौशन नजर आए और अतीत पर किसी की भनक तक ना परे।


खुद को अकेला काम करने वाला दिखाया ताकि कोई समझ ना पाए कि ये यूरोप जैसे देश में भी अपने ऑपरेशन करता आया हो। क्या दिमाग पाया था उसने। लोग हमेशा छिपे हुए को ढूंढ़ते है और ये कभी किसी से छिपा ही नहीं। किसी के साथ ना होकर भी उसे सामने से ऑब्जर्व करता रहा। खुद को इतना आसान टारगेट दिखाया कि लोगों को हमेशा ये फीलिंग रही की इसे मारना तो कितना आसान है और जब वक़्त आया तांडव दिखने का, फिर तो ऐसा उत्पात मचाया की किसी के पास रिएक्ट करने तक का मौका नहीं था।


संतुलन बनाए रखने की अभूपूर्व नीति, जिसमे पॉलिटीशियन के साथ ना होकर भी, उनके ही बीच के लोगों को सजा तक पहुंचना। किसे पकड़ना है, किसे छोड़ना है और पैसों को कहां लुटा दिया जाए, इसका ज्ञान का ही नतीजा था कि जितने भी बिग शॉट पकड़े गए थे, एक तरफ तो उन्हें आर्थिक रूप से इतना कंगाल कर चुका था कि वो अपने केस में किसी को खरीद ना सके, वहीं दूसरी ओर उसी का पैसा इस्तमाल करके, उन्हें सही या ग़लत तरीके से उनकी सजा लगभग तय करवा चुका था।


वहीं दूसरी बड़ी खबर में, नंदनी, सिन्हा जी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही थी, जहां पहले नंदनी चुप थी और सिन्हा जी एक-एक करके सारे टेक्निकल सवाल ले रहे थे। नंदनी रघुवंशी के इतने सालों तक छिपे रहने कि वजह सामने आ चुकी थी। इस मामले में एक बार और होम मिनिस्ट्री को ही क्रेडिट दिया गया, जहां नंदनी रघुवंशी अपनी बात रखती हुई बताई की उसके पति और बेटे की हत्या हुई थी और ठीक उसी वक़्त यहां उसके परिवार को भी मार दिया गया था।


तब उसके ऊपर बच्चो कि जीमेमदरी थी और उनके बच्चों के कत्ल की आशंका भी, इसलिए वो छिपकर अपने बच्चो को पाल रही थी और साथ में मौत के गुत्थी को भी सुलझने की कोशिश कर रही थी। इसी सिलसिले में साल भर पहले होम मिनिस्टर से उनकी पहली मुलाकात हुई और ये केस इंटेलिजेंस वालों को सौंपा गया। काफी तकलीफ झेलनी पड़ी लेकिन न्यान पालिका ने अपना काम किया।

कंपनी के अधिकार और विक्रम के परिवार को लेकर जब सवाल हुए उसपर नंदनी जवाब देती हुई कहने लगी… जो गुनहगार थे उन्हें सजा मिल गई, लेकिन जो निर्दोष है उनके साथ अन्याय नहीं होना चाहिए, इसलिए नंदनी रघुवंशी ने विक्रम की दोनो बहू में 5000 करोड़ को राशि बराबर बंटवारा करने का फैसला लिया, जिसपर पूर्ण रूप से उनका अधिकार होगा।

विक्रम राठौड़ की बेटी कुसुम को कंपनी अगले 10 वर्षों तक कंपनी का 30% प्रोफिट दिया जाएगा। यह एक स्पेशल क्लोज लिया गया है ताकि कुसुम राठौड़ और उसकी मां को पूर्ण सहयोग मिले। इन सबके अलावा ये अभी शुरवती फैसले है, आगे विक्रम राठौड़ की फैमिली से विचार करके यदि कोई फेर बदल होती है तो सूचना मिल जाएगा।


कंपनी के नया मालिक के विषय में चर्चा करती हुई नंदनी रघुवंशी ने साफ तौर पर अपनी मनसा जाहिर कर दी कि कंपनी उनके बच्चों के बीच बराबर की है, लेकिन कंपनी चलाने का स्वतंत्र प्रभार केवल और केवल आरव रघुवंशी का होगा, जिसमें उसकी भी कोई दखलंदाजी नहीं होगी।


साथ ही साथ उनके पिताजी एक सपना था हाई टेक मॉडल गांव जिसके तर्ज पर उन्होंने विशेन गांव (वहीं गांव जो लोकेश का बेस था) का निर्माण किया था। अफ़सोस उस गांव को किसी और काम के लिए इस्तमाल कर लिया गया और क्रेडिट खुद बटोर कर अच्छे आदमी को बदनाम कर दिया गया। इसके अलावा जो हमारा पैतृक गांव हुआ करता था, निषेम गांव (वीरभद्र का गांव), वहां के मॉडल पर काम शुरू होने से पहले ही उन्हें कत्ल कर दिया गया। इसलिए मै उस अधूरे काम को शुरू करने के लिए आज शाम ही नीव रखूंगी और आनेवाले 3 महीने में वो गांव भी पुरा तैयार हो चुका होगा। उसके बाद दोनो गांव सैलानियों तथा अन्य लोगों के लिए खोल दिए जाएंगे।


सुबह का समाचार जैसे कईयों के लिए खुशी के का संकेत लेकर आया था, वहीं काफी लोग हताश भी थे। दोपहर के खाने के वक़्त से थोड़ा पहले ऐमी और अपस्यु को जगाया गया। दोनो जागते ही सबसे पहले न्यूज ही देखना शुरू किये। जिंदगी में पहली बार न्यूज देखना इतने सुकून भड़ा लग रहा था।


कुछ ही देर में सभी लोग फ्रेश होकर नीचे महल के हॉल में पहुंचे। हर कोई चेहरे से खुश नजर आ रहा था।…. "पार्थ नजर नहीं आ रहा यहां।".. ऐमी पूछी।


स्वास्तिका:- कहां गया होगा, अपनी लैला के पीछे-पीछे उसके घर।


अपस्यु:- मां ने सबको वीरभद्र के यहां 5 बजे तक पहुंचने कहा है, आज उस गांव को भी हाई-टेक बनाने की नीव रखी जाएगी।


ऐमी:- ठीक है फिर चलो, अधूरा काम पूरा कर लिया जाए।


अपस्यु:- स्वास्तिका, हमारे गुनहगारों के सारे काम पूरा हो गए है क्या?


स्वास्तिका:- हां


तीन बड़े सूटकेस तैयार रखे थे। हेलीकॉप्टर ले जाने के लिए एविएशन डिपार्टमेंट की भी क्लीयरेंस मिल चुकी थी, लेकिन स्वास्तिका की हिम्मत नहीं हुई अपस्यु के साथ जाने की और जब स्वास्तिका नहीं गई तो कुंजल भी स्वास्तिका के साथ वीरभद्र के यहां निकलने का फैसला कर ली।
:superb: :good: amazing update hai nain bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
saara paisa ka apasyu ne hisaab kitaab laga diya hai,
Aur idhar nandani Raghuvanshi ne bhi apne planning ke baare mein media ko bata diya hai,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai
 

Nevil singh

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इधर अपस्यु, ऐमी और आरव बड़ा सा सूटकेस लेकर हेलीकॉप्टर से निकल गए। जैसे-जैसे वो अपने बचपन के ठिकाने पर पहुंचने लगे, तीनों की ही धड़कने काफी बढ़ी हुई थी, और सीने में दर्द सा उठने लगा था।….


जैसे-जैसे हेलीकॉप्टर नीचे आ रही थी, गुरुकुल की वो जगह देखकर तीनों के आखों से कब आशु आने लगे, उन्हें खुद भी पता नहीं चला। आरव और ऐमी के लिए खुद को संभालना अब मुश्किल हो रहा था। दोनो अपस्यु के कंधे पर अपना सर डाले रोते रहे। रुवासी आवाज़ में अपस्यु कहने लगा… "हमने उन्हें आजमा लिया आरव, ऐमी.. कहीं दूर तक नहीं वो हमारे सामने टिक नहीं पाए। चलो अपनी तरप का बदला लिया जाए, उनको सजा दिया जाए।"…


लोकेश की जब आखें खुली तब वो जंगल के किसी इलाके में खुद को लेटा हुआ पाया। हाथ और पाऊं बंधे हुए थे, जिसका एक सिरा खूंटे से बंधा था। लेकिन खूंटा निकालने के लिए बेचारा कोशिश भी नहीं कर सकता था क्योंकि उसके दोनो हथेली फिलहाल तो काम करने से रहे।


पास में ही उसके पापा और प्रकाश जिंदल भी लेटा हुआ था। लोकेश उसे हिलाते और "पैं, पै" करते उठाने लगा। निम्मी के वार से जुबान ने भी काम करना बंद कर दिया था। 2 बार थोड़ी सी आवाज निकालने से ही दर्द का ऐसा आभाष हुआ कि उसने बोलना बंद करके, किसी तरह हिलाने लगा।


प्रकाश और विक्रम उठकर पहले लोकेश को देखे फिर चारो ओर देखने लगे। प्रकाश, लोकेश से पूछने लगा… "ये हमें कहां लेकर आया है?".. लोकेश इशारों में बताने लगा कि उसकी जुबान काम नहीं कर रही और वो कुछ बोलने कि हालात में नहीं है। तभी अचानक से प्रकाश तेज तेज चिंखने लगा… "नहीं, नहीं, नहीं.. ये नहीं हो सकता… नहीं।"..


प्रकाश:- क्या हुआ विक्रम?


विक्रम:- ये वही आश्रम है जिसे हमने प्लान बनाकर जला दिया था।


प्रकाश और लोकेश दोनो सवालिया नज़रों से विक्रम को देखने लगा। तभी पीछे से तीनों ताली बजाते हुए सामने आए… "7 साल पुरानी बात याद आ गई।"


विक्रम, काफी हैरानी से उन तीनों को देखते हुए… "कौन हो तुम लोग?"..


अपस्यु:- बस थोड़ी देर में ही पता चल जाएगा… हमने भी इस पल का बहुत लंबे अरसे से इंतजार किया है, थोड़ा तुम भी कर लो। आरव तीनों को लोड कर दे जरा।


आरव ने खुली ट्रूक में उन्हें किसी सामान की तरह लोड कर दिया। ऐमी और आरव ड्राइव करने लगे और अपस्यु विक्रम और प्रकाश को बिठाकर वो जगह दिखाते हुए… "ये सारा इलाका देख रहा है, कुछ दिन पहले ही तुम लोगों के हवाले के जो पैसे उड़ाए थे उससे ये सारी जमीन खरीद ली। कमाल है ना। अरे प्रकाश, विक्रम पहुंच गए यार..


जैसे ही विक्रम ने वो जगह देखी लड़खड़ा कर पीछे हो गया। वहां अब भी 20 फिट गहरा और तकरीबन 5 मीटर के रेडियस का गोलाकार बना हुआ था। आरव अपने आखों में खून उतारकर विक्रम का गला पकड़ते हुए कहने लगा… "क्या हुआ खुद का भी वहीं हाल सोचकर कलेजा दहल रहा है क्या? फिक्र मत कर तेरे लिए सजा तय हुई है मौत नहीं।"


वहां एक पिलर में लगे एक स्विच को ऐमी ने ऑन किया और नीचे का सरफेस ऊपर आने लगा। ऐमी प्रकाश के सर पर एक टाफ्ली मारती… "अबे देख क्या रहा है घोंचू, ये स्पेशल लिफ्ट है।


लिफ्ट की बनावट कुछ इस प्रकार थी कि गड्ढे के ऊपर जब वो आयी तो उसके उपरी सुरफेस और नीचे के बीच 7 फिट लोहे का का चादर लगा था। ऐमी उस लोहे के चादर पर अपनी हथेली लगाई और बीच से दरवाजा खुल गया… "देवर जी मेहमानों को अंदर ले आओ।"


ओह माय गॉड.. लिफ्ट जब ऊपर अाई तो उसके उपरी सरफेस पुरा धूल में डूबा था। सरफेस से नीचे तक जो 7 फिट की चादर थी वो जंग लगी, और जब अंदर दाखिल हुए तो पुरा फर्निश लुक। चारो ओर हार्ड फाइबर बिल्कुल चमचमाता हुआ। हर जगह डिजिटल लुक और तभी ऐमी ने अपने आवाज़ का कमांड दिया… "जारा चेहरा दिखाने के लिए आइना लगा दिया जाए, मेरी ननद स्वास्तिका ने कुछ कीड़ों के रूप को सवार दिया है।"


जैसे ही ऐमी ने कमांड दिया चारो ओर सीसे आ गए जिसमें विक्रम, जिंदल और लोकेश खुद को पाऊं से लेकर सर तक देख सकता था.. जैसे ही लोकेश ने अपना हुलिया देखा, आखें बड़ी करते… फिर से बोलने कि नाकाम कोशिश… "पै, पै".. और दो बार बोलकर अपना सर इधर उधर झटकने लगा।


लोकेश के साथ-साथ विक्रम और प्रकाश का भी वही हाल था। ऊपर सर के बाल ऐसे गायब हुए थे, जैसे वो कभी थे है नहीं। चेहरे से लेकर हाथों तक के बाल गायब। कपड़े उतारे नहीं, वरना शरीर से पुरा बाल गायब हो चुका था। हाथ और पाऊं के नाखून भी गायब हो चुके थे।


प्रकाश और विक्रम चिल्लाने लगे, बेबस होकर उनसे पूछने लगे…. "आखिर वो उनके साथ करने क्या वाले है?"..


अपस्यु मुसकुराते हुए…. "कई सारे सवालों के जवाब ढूंढ़ने में हमे वर्षों लग गए, थोड़ा धीरज रख सब पता चलेगा।"


लिफ्ट के रुकते ही ऐमी ने फिर से अपने हथेली का कमांड दिया और सामने से एक दरवाजा तो खुला, लेकिन कुछ नजर नहीं आ रहा था।… "भाभी आज पहला दिन है, जारा इनके नए घर को रौशन तो कर दो।"…. "ठीक है देवर जी, जैसा आप कहें।" .. ऐमी, आरव की बात मानकर लाइट का कमांड दी। दरवाजा से लगा 5 फिट का पैसेज नजर आने लगा जो तकरीबन 20 फिट लंबा था।


पैसेज का जब अंत हुआ तो अंदर की जगह काफी लंबी-चौड़ी और बड़ी थी। ऐसा लग रहा था किसी होटल के रिसेप्शन में खड़े है।… आरव, प्रकाश और विक्रम के सर कर हाथ मारते हुए कहने लगा… "मस्त बनी है ना जगह, तुम लोगों के हवाले के पैसे जो हमने गायब किए थे उसका पूरा इस्तमाल यहीं किया है। आओ अब कमरा में ले चलता हूं।"


ऐमी ने कमांड दिया और किनारे से 3 दरवाजे खुले। जैसे ही तीनों ने अंदर झांका, बड़ा ही अजीब सा बनावट था। नीचे कोई फर्श नहीं बल्कि रेत थी। तीन ओर की दीवार रस्सी और पुआल की बनी दीवार थी जिसके ऊपर जालीदार लगा कर पुरा टाईट किया गया था।


आरव:- भाभी इनका जीवन कैसा होना है जारा डेमो दे दिया जाए..


ऐमी मुस्कुराती हुई… "हां बिल्कुल देवर जी, क्यों नहीं। डालना शुरू करो अंदर।


पहले लोकेश को डाला जा रहा था एक दरवाजे के अंदर, वो प्रतिरोध तो कर रहा था लेकिन उसे खुद के शरीर में कुछ जान ही नहीं लग रहा था। जैसे ही वो गया, ऐमी ने उसका दरवाजा बंद कर दिया। ठीक यही सब एक के बाद एक प्रकाश और विक्रम के साथ भी हुआ।


तकरीबन 10 मिनट बाद ऐमी ने दरवाजा खोला। तीनों 10 मिनट में ही पागल की तरह बाहर आए। बाहर आते ही विक्रम, प्रकाश और लोकेश जमीन पर बैठ कर पाऊं पड़ने लगे।…. मात्र 10 मिनट अंधेरे में बिताया गया समय का असर था, जो तीनों भविष्य की कल्पना कर डर चुके थे।


प्रकाश:- तुम जो बोलोगे वो मै करूंगा, मेरे पास उम्मीद से बढ़कर पैसा है वो सब ले लो लेकिन मुझे जाने दो।


अपस्यु:- कितना पैसा है रे खजूर… यदि तू अपने 16000 करोड़ की बात कर रहा तो उसे मैंने उड़ा दिया। इसके अलावा है तो बता फिर तेरी रिहाई का सोचूंगा।


प्रकाश अपस्यु का गला पकड़ते…. "तूने मेरे सारे पैसे चोरी कर लिए।"..


अपस्यु ने बस नजर घुमा कर ऐमी और आरव के ओर देखा और दोनो के हाथ की पतली छड़ी उन पर बरसने लगी। विक्रम का भी पैसा गायब हो चुका था लेकिन प्रकाश के पीठ पर छड़ी के मार के छाले को देखकर उसने कुछ ना किया। दोनो में लोकेश चालाक निकला। उंगलियां चलाकर उसने अपना दूसरा अकाउंट ओपन किया और उस खाते के पैसे को देखकर तो आरव का मुंह खुला रह गया… "साला मामलामाल वीकली एक्सप्रेस, 30000 करोड़ इस खाते में भी हैं।"..


अपस्यु:- चल भाई लोकेश तू पीछे बैठ जा तेरी रिहाई का समय आ गया है। हां लेकिन बाप को ले जाने की बात करेगा तो जा नहीं पाएगा।


लोकेश अपने रिहाई की बात सुनकर खुश होते हुए एक किनारे बैठ गया। अपस्यु प्रकाश और विक्रम को देखकर कहने लगा… "यार तुम दोनो ने तो पैसे दिए नहीं, अच्छा चलो मेरे सवाल का जवाब दे दो और बदले में अपनी रिहाई ले लो। एक और बंपर ऑफर है, जवाब यदि काम का हुआ तो बदले में सारे केस हटवाकर खाते में 1000 करोड़ भी डलवा दूंगा, ताकि तुम्हारी बची जिंदगी आराम से कट सके। तो तैयार हो।"…. दोनो ने अपना सर हां में हिला दिया।


अपस्यु:- चन्द्रभान रघुवंशी के बच्चे के बारे में बताओ।


विक्रम:- चन्द्रभान रघुवंशी, तुम कैसे जानते हो?


चार छड़ी विक्रम की पीठ पर और छटपटा कर रह गया वो…. "सवालों के जवाब बस चाहिए, सवाल के बदले सवाल नहीं।"


ऐमी:- हुंह !


अपस्यु:- तुम्हे क्या हुआ स्वीटी.. अब ये गुस्सा क्यों?


ऐमी:- बेबी थोड़ा सा दे दो ना क्लैरिफिकेशन..


अपस्यु:- ऐमी ने कहा इसलिए बता देता हूं। हम तीनो इसी गुरुकुल के शिष्य है, और अपने 160 साथियों का बदला ले रहे है। विक्रम तुम्हारी सच्चाई जब मैंने नंदनी रघुवंशी से बताई तो वो मेरी हर बात मानती चली गई। उसे जो चाहिए था वो उसे मिला, और मुझे जो चाहिए था वो मुझे मिला। इसके बाद अब कोई सवाल मत पूछना, वरना बिना जवाब लिए मै जाऊंगा और तुम्हारी पूरी जिंदगी नरक बाना दूंगा। चन्द्रभान रघुवंशी के बच्चे के बारे में बताओ।


विक्रम:- उसकी 2 शादियां थी। एक शादी उसकी देहरादून में हुई थी, अचार्य माहिदीप की बहन अनुप्रिया से, और दूसरी शादी उसकी राजस्थान में कहीं हुई थी। अनुप्रिया से उसके 3 बच्चे है… सबसे बड़ी बेटी कलकी राधाकृष्ण, उससे छोटा एक बेटा परमहंस राधाकृष्ण और सबसे छोटा युक्तेश्वर राधाकृष्ण। दूसरी पत्नी को वो विदेश में रखता था इसलिए उसके बारे में पता नहीं, बस एक बेटा था उस पत्नी से।


अपस्यु:- बड़ा पेंचीदा इतिहास है रे बाबा। पहले तो तू ये बता की क्या अनुप्रिया को चन्द्रभान कि दूसरी शादी के बारे में पता था, और क्या उसकी दूसरी पत्नी या उसके परिवार को चन्द्रभान कि पहली शादी के बारे में पता था?


प्रकाश:- चन्द्रभान की दूसरी पत्नी को चन्द्रभान के बारे में कुछ नहीं पता था, और ना ही उसके परिवार को। हालांकि उनके परिवार को शक था लेकिन उन्हें इस बात का कभी फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि वो किसी भी तरह से अपनी बेटी की ब्याहना चाहते थे। दहेज में काफी धन संपत्ति भी मिला था चन्द्रभान को। शुरू में दोनो जयपुर रहे लेकिन बाद में चन्द्रभान कि दूसरी पत्नी की बहन ने चन्द्रभान को यूरोप में बिजनेस शुरू करने के लिए काफी मदद कि और वो लोग वहीं सैटल हो गए। यूं समझ लो कि उसकी दूसरी पत्नी के कारन वो खुद को यूरोप में स्थापित कर चुका था।


अपस्यु:- इसकी पहली पत्नी अनुप्रिया के बारे में बता?


प्रकाश:- अनुप्रिया मोहिनी है, ऐसा रूप जिसमे हर कोई फंस जाय।


विक्रम:- साले ठीक से बता ना तेरे भी उसके साथ संबंध रहे है, और ये जो तू कुछ साल पहले तक उसे आंख बंद करके सपोर्ट जो करता था, वो क्यों करता था?


अपस्यु:- मैंने सोचा छड़ी का प्रयोग ना करू लेकिन तुम मजबुर कर रहे विक्रम…


प्रकाश:- "मै बताता हूं पूरी कहानी। यदि तुम इस गुरुकुल के शिष्य रहे हो तो ये लोग तुम्हारे सीनियर बैच के है। गुरु निशी के पहले शिष्य। अनुप्रिया मतलब यूं समझ लो कि हम सबकी बॉस, आचार्य माहीदीप उसका भाई और उसकी साम्राज्य का सबसे दमदार खिलाड़ी, उसे सेकंड बॉस मान लो। जब इनकी सिक्षा पूरी हुई थी, तब इन दोनों भाई बहन ने गुरु निशी के नक्शे पर चलने का फैसला लिया और गुरुकुल का प्रचार करते थे।"

"गुरु निशी नैनीताल में आश्रम बनाए हुए थे और उनका आश्रम देहरादून के आसपास था। आचार्य माहीदीप देहरादून में शिष्यों को शिक्षा देते थे। वहीं अनुप्रिया भ्रमण करके गुरुकुल की सीक्षा का प्रचार किया करती थी। इसके 2 साथी और थे, जो शुरू से छिपे है। हालांकि हम लोगों के बीच ये चर्चा आम थी कि अनुप्रिया के द्वारा ये 2 साथी केवल भ्रमाने के लिए बताए गए थे, वरना इनका कोई अस्तित्व नहीं।"

"अगर उस मनगढ़ंत कैरेक्टर को सच भी मान ले तो ये लोग कुल 4 साथी थे, जिनके अंदर पागलपन कि भूख सवार रहती थी। मेरे पापा यूएस में एक प्रोफेसर थे और हमारी आमदनी भी अच्छी थी। हमारी पहली मुलाकात यूएस में ही हुई थी, जब अनुप्रिया यहां गुरुकुल के प्रचार के लिए आयी थी।"

"मै अनुप्रिया को देखकर जैसे पागल सा हो गया था। फिर उसके प्रवचन सुनने लगा। इनकी टोली में सामिल हो गया और 3 महीने मुझे माहीदीप के पास रखकर इसने मुझे ढोंगी वाचक बनना सिखाया था। मै पहली बार इसके मकसद से रू बरु हो रहा था। अनुप्रिया ने उसी दिन मुझ से कहा था, यदि मै उसके बताए रास्ते पर चलूंगा तो कुछ सालों बाद यूएस की पॉलिटिक्स में मेरा बहुत बड़ा नाम होगा। "

"जैसा-जैसा वो बोलती गई, वैसा मैं करता गया। इंडियन कम्युनिटी में मेरा अच्छा नाम हुआ। इसके अलावा कई यूएस के सिटिज़न भी हम से जुड़ गए और देखते ही देखते वहां मेरा नाम होने लगा।"

आरव अपने सर का बाल नोचते, 4-5 छड़ी घुमा दिया… "चुटिया हम तुम्हारा भूतो और वर्तमान तो जानते ही है, ज्यादा बकवास की ना तो भविष्य भी यहीं लिख देंगे।"
khubsurat akshro se ek naayab ruperekha taiyar ki hai kaal ke gerbh se aur le aay Nain bhai sunhari update.
 

Nevil singh

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आरव अपने सर का बाल नोचते, 4-5 छड़ी घुमा दिया… "चुटिया हम तुम्हारा भूतो और वर्तमान तो जानते ही है, ज्यादा बकवास की ना तो भविष्य भी यहीं लिख देंगे।


ऐमी:- देवरजी, मै भी यहीं हूं, थोड़ा लहजा रखिए।


आरव:- सॉरी भाभी।


अपस्यु:- एक मिनिट थोड़ा शांत हो जाओ, और प्रकाश सर को बोलने दो। इतिहास के कुछ पन्ने शायद अछूते है, उन्हें जानने का मौका मिला है। प्रकाश सर आपके यूएस की कहानी पता है। पहले चिंदिगीरी करके भक्त बनाए, फिर एक गरीब पॉलिटीशियन की बेटी से शादी किए और बाद में उसके कुछ समाज सेवा और अपनी कुछ चिंदिगिरी से यूएस सीनेटर तक का सफर तय किया। ऑटोबायोग्राफी लिखने के लिए बहुत समय है अभी। इंट्रेस्टिंग पार्ट तो यह है कि तुमलोग से वो नकारा चन्द्रभान कैसे टकरा गया।


विक्रम:- "इसे यहां के बारे में कुछ पता हो तो ना। मै बताता हूं राजस्थान की कहानी। तब कुंवर सिंह और चन्द्रभान के पिता के बीच मूंछ की लड़ाई थी, हालांकि रघुवंशी परिवार की कोई आैकाद ही नहीं थी कुंवर के आगे, लेकिन समाज में जहां कहीं भी दोनो आमने-सामने होते, बस एक दूसरे पर तंज कसा करते थे। हालांकि मेरे चाचा कुंवर सिंह, चन्द्रभान और मेरे पिता को जोकर से ज्यादा कुछ नहीं समझते थे, इसलिए केवल अपने मनोरंजन के लिए उनकी बात सुना करते थे।"

"हम एक ही परिवार के थे लेकिन हमारी स्थिति भी रघुवंशी से ज्यादा अच्छी नहीं थी। कुंवर सिंह से मै भी खुन्नस खाए घूम रहा था और चन्द्रभान भी। बस ऐसे ही एक सामाजिक कार्यक्रम में हम दोनों की मुलाकात हुई, मकसद एक जैसे थे इसलिए जल्द ही हम में घनिष्ठता भी हो गई।"

"अभी तुमने अनुप्रिया और उसके 3 साथियों के बारे में सुने, कोई दो राय नहीं की ये चारो मिलकर आज पूरे देश की सरकार को ही चला रहे है, लेकिन चन्द्रभान रघुवंशी इन सब का भी बाप था। उसके दिमाग में अगले 20 साल तक का प्रोजेक्शन चलता था। उसी ने पहले मुझे सैटल किया। उसी के कहने पर मै कुंवर सिंह के करीब पहुंचा और भीख में अपनी संपत्ति बनाई थी।"

"वहीं चन्द्रभान अब भी बड़े मौके की तलाश में था और वो मौक अनुप्रिया बनकर आयी थी। अनुप्रिया प्रचार के सिलसिले में जयपुर पहुंची, वहीं पहली बार अनुप्रिया और चन्द्रभान कि मुलाकात हुई। मै भी था उस वक़्त चन्द्रभान के साथ। पहली मुलाकात में ही उसने अनुप्रिया से सामने से कहा था…. "तुम मेरी पत्नी बन जाओ, मै तुम्हारे हर सपने को साकार कर दूंगा।"

"अनुप्रिया अचंभित, उसके सेवक आक्रोशित लेकिन चन्द्रभान वहां अडिग खड़ा रहा। लंबी बहस के बाद अनुप्रिया ने कुछ सोचकर उसे बोलने का मौका दिया। फिर चन्द्रभान ने अपनी भविष्य नीति को बताया कि उसके और अनुप्रिया के मिलने से अगले 5 साल में वो कहां होगा, 10 साल में कहां पहुंचेगा और आने वाले 20 साल में वो कहां होंगे।"

"अनुप्रिया उससे इंप्रेस तो हुई, लेकिन उसने चन्द्रभान से खुद को साबित करने के लिए कही। चन्द्रभान ने अनुप्रिया का अपॉइंटमेंट राजस्थान के सीएम से लीया। उस मीटिंग में चन्द्रभान ने सीधे उस सीएम से कहा था कि वो उसके ट्रस्ट में इन्वेस्ट करे, कुछ ही दिनों में वो उसके ब्लैक को व्हाइट में बदल देगा।"

"सीएम ने साफ मना कर दिया और दोनो को निकाल दिया। सीएम तो हाथ नहीं लगा, लेकिन छोटे-छोटे पॉलिटीशियन जो अपना माल सीएम और पार्टी अध्यक्ष से छिपाकर जमा करते थे, उसके काम मिलने शुरू हो गए। साथ ही साथ उन लोगों ने पॉलिटिकल पार्टी के प्रचार का भी जिम्मा उठाया और अलग-अलग तरह के प्रचार के लिए अलग-अलग रेट तय हुआ।"

"खैर ये अनुप्रिया और चन्द्रभान कि मुलाकात का पहला साल था और पहले साल में ही चन्द्रभान ने खुद को सबसे काबिल साबित कार दिया था। अनुप्रिया चन्द्रभान चन्द्रभान का प्रस्ताव मानकर गुप्त विवाह कर ली। कहानी इनकी आगे बढ़ते रही और कमाल के दिमाग वाले समूह का एक मजबूत हिस्सा था चन्द्रभान।"

"उन्हीं दिनों चन्द्रभान के घर से उसके शादी का दवाब आने लगा। अनुप्रिया और चन्द्रभान अपनी शादी गुप्त रखने के लिए, अनप्रिया ने ही चन्द्रभान को शादी कर लेने के लिए कही और चन्द्रभान से शादी कर ली। इस शादी के बाद तो जैसे उसके स्लो विजन को रातों रात पंख मिल गए हो।"


प्रकाश:- हां पंख क्यों ना लगेंगे, क्योंकि प्रताप ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक प्रताप सिंह ने पूरी एक कंपनी खड़ी करके दी थी, वो भी अपनी पत्नी के कहने पर, उसकी छोटी बहन और जमाई को। कुछ समझे की नहीं विक्रम या साले अब भी अक्ल पर पर्दा परा है। ये दोनो चन्द्रभान के लड़के है। दोनो का दिमाग तो अपने बाप से भी 10 कदम आगे का है रे।


अपस्यु ने आरव के ओर देखा और दोनो पर छड़ी पड़ने शुरू हो गए…. "क्यों इतने एक्साइटेड हो रहे हो, मुझे तुम दोनो में कोई दिलचस्पी नहीं है, छूट जाओगे। अभी रिश्तेदारी निभाने का वक़्त नहीं है रे। बस मुझे कुछ समझना है वो समझा दो। गुरु निशी और उनके शिष्यों को मारना जरूरी था क्या? और क्या तुम्हे पता था कि चन्द्रभान के 2 बेटे है?


विक्रम और प्रकाश एक साथ… नाह ! हमे केवल इतना पता था कि चन्द्रभान का केवल 1 बेटा है और वो चन्द्रभान साल में एक बार जब अपनी पत्नी को भारत लाता था, तो वो उसे गुरू निशी के आश्रम में छोड़कर खुद माहीदीप के साथ वाले आश्रम में रहता था।


अपस्यु:- इस कहानी में भूषण रघुवंशी का रोल क्या था?


विक्रम:- उसे नंदनी के शादी के कारण अपने जान से हाथ धोना पड़ा था। एक लंबे प्लान के हिस्से के तहत चन्द्रभान ने भूषण को अपनी कंपनी में पार्टनरशिप दी थी और उसके दिमाग में मायलो ग्रुप टारगेट हो रहा था। लेकिन वो नेक्स्ट स्टेप प्लान था, क्योंकि एक पूरी रॉयल फैमिली को हटाने के लिए स्ट्रॉन्ग बैकअप और कंप्लीट प्लान की जरूरत पड़ती और हवाले का काम जैसे-जैसे आगे बढ़ता जा रहा था, हमे पॉलिटिकल और एडमिनिस्ट्रेटिव बैकअप मजबूत होता जा रहा था।


अपस्यु:- अबे कम अक्ल लोग तुम तो चन्द्रभान के बारे में डिटेल कर दिए, सवाल का पहले हिस्सा का जवाब कौन देगा?


प्रकाश:- गुरु निशी और उसके शिष्यों को साफ कर की प्लांनिंग यूएस में मेरे यहां ही हुई थी। हम पॉलिटिकली काफी स्ट्रॉन्ग हो चुके थे, ब्लैक मनी हमारे पास हद से ज्यादा थी, और मायलो ग्रुप पर कब्जे की पूर्ण तैयारी चल रही थी।


अपस्यु:- अबे "सी.ए.बी" कंपनी तो पहले से ही थी ना उसके पास, फिर मायलो ग्रुप।


प्रकाश:- "चन्द्रभान की कंपनी ब्लैक लिस्टेड हो गई थी क्योंकि बिना कोई माल बेचे ये कंपनी प्रोफिट में जा रही थी। खैर ये बहुत छोटा कारण था। दरअसल मायलो ग्रुप काफी दान करती थी, और हमारे अपने ब्लैक को व्हाइट करने का समय आ चुका था। तय ये हुआ कि मायलो ग्रुप के मालिक को साथ मिलाकर 4 साल का सपोर्ट लेंगे। पहले उनकी कंपनी को प्रोफिट करवाएंगे और बाद में उस प्रोफिट को हम दान के रूप लेंगे। वो दान के पैसे बिल्कुल व्हाइट मनी होते जिसे कहीं भी इन्वेस्ट करके उससे पैसे कमाए जाते।"

"कुंवर सिंह राठौड़ इस बात के लिए राजी नहीं हुआ, तब एक खेल रचा गया "टोटल कंट्रोल"। जिसकी प्लांनिंग मेरे घर पर हुई। चन्द्रभान की कंप्लीट प्लांनिंग का नतीजा है ये पुरा एम्पायर। विक्रम के हाथ आयी मायलो ग्रुप का कंट्रोल, और हमारी ब्लैक मनी आसानी से व्हाइट होनी शुरू हो गई।"

"गुरु निशी और उसके शिष्यों को हटाने की जरूरत ना होती, यदि गुरु निशी अरे नहीं होते। हमने उन्हें भी मिलकर काम करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने तो युद्ध छेड़ने की बात कह दी। प्रस्ताव मै और विक्रम लेकर गए थे और गुरु निशी को पता तक नहीं था कि आस्तीन में उन्होंने कितने सांप पाले है। गुरु निशी हमारे खिलाफ जंग करने की तैयारी में थे और कानूनन उन्होंने ट्रस्ट माहीदीप के नाम कर दिया।"

"बुड्ढे की क्षमता को हम नजरंदाज नहीं कर सकते थे, क्योंकि उन्होंने अगर कुछ करने की ठान ली हो, फिर तो उसके रास्ते में भगवान क्यों ना आ जाए, वो उससे भी लड़कर जीत हासिल कर सकता था। इसलिए यहां भी कुंवर सिंह के परिवार की तरह, गुरु निशी और उसके समस्त परिवार को एक साथ साफ कर दिया। पूर्ण योजना थी गुरु निशी के भी केस में। हमे बस मॉनिटर करना था। सोच बहुत साफ थी हमारी, जिसने भी आवाज़ उठाया उसे गायब कर देना। क्योंकि इतने सारे लोग में कौन मरा कौन बचा, कौन हिसाब रखे। जो मिला उसे आग में झोंक दो, और बचे हुए लोग जब हल्ला करे तो उसे गायब कर दो।"

"लगभग 4 सालों तक अनुप्रिया अपने ब्लैक मनी मायलो के प्रोफिट में दिखाती रही। जितना भी रकम प्रोफिट में जाता, उसका 20% हिस्सा मुझे और विक्रम को मिलता, 10% हिस्सा कंपनी ग्रोथ में और 70% हिस्सा उनके ट्रस्ट को दान। 4 सालों में अनुप्रिया की जब खुद की कंप्लीट इंडस्ट्री तैयार हो गई, जहां वो खुद के ब्लैक पैसे को, खुद के ही इंडस्ट्री में प्रोफिट दिखाकर वापस उसे मार्केट में इन्वेस्ट कर सकती थी, तब उसने मायलो से रिश्ता तोड़ लिया। उसने हमे अपने धंधे के लिए स्वतंत्र कर दिया और वो खुद अपने धंधे में व्यस्त हो गई।


आरव:- अबे जब गुरु निशी ने ट्रस्टी माहीदीप को बनाया था, फिर मेघा के नाम मुख्य ट्रस्टी में क्यों रजिस्टर है?


प्रकाश:- लंबी योजना का एक छोटा सा हिस्सा था। जिस लीगल डॉक्यूमेंट पर गुरु निशी ने सिग्नेचर किए वहां मेघा का नाम डाला गया था। पैसे को घूमने की कमाल कि नीति। अनुप्रिया को अपने ब्लैक को जल्द से जल्द व्हाइट बनाना था, इसलिए आधे पैसे मायलो से व्हाइट होकर सीधा अनुप्रिया के ट्रस्ट में दान दिया जाता था। वहीं मेघा यूएस सिटिज़न थी, इसलिए ट्रस्ट को यूएस में लीगल किया गया और वहां के लॉ के हिसाब से हमे यहां आसानी हो गई। यहां तो सीधा ट्रस्ट के अकाउंट में पैसा आता था और गुरु निशी का विदेशी ट्रस्ट अपने देशी ट्रस्ट की स्तिथि मजबूत करने के लिए सीधा दान करती थी।


अपस्यु:- चलो बस एक छोटी सी गुत्थी थी, जो अब सुलझ गई। जल्द ही वो लोग भी यहां होंगे…


प्रकाश:- फूड इंडस्ट्री, शिपिंग इंडस्ट्री, फार्मास्यूटकल्स, होटल चेन, रिटेल मार्केटिंग चेन, फिल्म इंडस्ट्री में अपना प्रोडक्शन हाउस। दिल्ली एनसीआर में 40 एकर में फैला उसका शमशान घाट। हर दिन निम्मी जैसी लड़कि को जहां नोचा जाता हो। खुदाई करवाई वहां की तो ना जाने कितने कंकाल मिलेंगे। असेम्बली के दीगर नेता जहां अपने कपड़े उतारकर हवस मिटाते है, तुम्हारा मुंह बोला बाप जिसके किसी भी नाजायज मांग को ना नहीं कर सकता.. ऐसे लोग को तुम यहां लाओगे। मस्त खवाब है। जैसा कि तुम्हारे बाप ने अनुप्रिया से कहा था, अगले 25 से 30 सालों में वो पुरा पॉवर उसके कदमों में ला देगा, सो उसने कर दिखाया। तुम अगले 50 साल तक कोशिश कर लो, वो इतने मजबूत और संगठित है की अपनी ज़िंदगी जी कर वो मर जाएंगे, लेकिन तुम कभी उसे यहां तक नहीं ला पाओगे।


आरव:- यार काफी इंफॉर्मेशन जब इन लोगो ने हमे दी है, तो बदले में हम भी एक इंफॉर्मेशन दे देते है। विक्रम राठौड़ जिस लोकेश राठौड़ को तुम अपना बेटा मानते हो वो दरअसल माहीदीप अचार्य का बेटा है। शायद अब तुम समझ सकते हो कि क्यों तेरे गावर से परिवार में ये एक दिमाग वाला आ गया, और ऐसा क्या हो गया था जो तेरी पत्नी ने बोलना ही छोड़ दिया। वो इतने गहरे सदमे में थी कि कब ये लोकेश पैदा हो गया उसे होश ही नहीं था।


जबतक आरव यह झटका दे रहा था तब तक अपस्यु, लोकेश को भी खींचकर ले आया। तीनों को कैद में डालने से पहले, उन्हें देखकर हंसते हुए अपस्यु कहने लगा… "बड़बोला कहीं का, कुछ ज्यादा ही तारीफ कर गया हमारे दुश्मनों का।"…


तीनों के कर्म की सजा का वक़्त आ चुका था। खास अंधेरी कोठरी जिसके चारो ओर की दीवार, परत दर परत गद्दे का बना हुआ था, जिसका आखरी सरफेस पर पुआल और रस्सी के बंधे काम दिखते थे, लेकिन था वो भी गद्दा, जिसके ऊपर 2 जाली लगाकर टाईट किया गया था। नीचे फर्श पर रेत। बाल गायब नाखून गायब और साथ ही आत्महत्या कि जितनी भी कोशिश हो सकती थी वो सब गायब कर दिया गया था। लोकेश, प्रकाश और विक्रम के हिस्से की बची जिंदगी, जिसमें मरने कि इजाज़त नहीं थी बस अंधेरे में अकेले जिंदगी बितानी थी।


तीनों जब लिफ्ट के ओर बढ़ रहे थे तब ऐमी…. "बेबी यहां कौन से सवाल के जवाब ढूंढ़ने आए थे?"


इस से पहले को अपस्यु कुछ कहता, आरव कहने लगा…. "भाभी, मेरी मां जनवरी में आश्रम आती थी, उस साल जून में आयी थी। सवाल ये था कि क्या चन्द्रभान रघुवंशी किसी दबाव में आकर, अचानक उस आश्रम को जलाने आया था जहां उसके बीवी और बच्चे थे, या फिर अपने पूरे परिवार को ही खत्म करने की मनसा से वो सबको यहां लेकर आया था?


अपस्यु:- गुस्से में उसे फांसी देने का बहुत अफ़सोस हो रहा है आज मुझे… सामने से चैलेंज करने की इक्छा हो रही। खैर मुझे एक बात और जाननी थी, गुरु निशी के गुरुकुल में चन्द्रभान का बेटा था, यह बात इन लोगों को पता थी या नहीं। कमाल का प्लानर, वो शुरू से हम सब को मारना चाह रहा था, इसलिए उसने मुझे यहां छोड़ा, ताकि जब भी वो अपने फ्यूचर प्लान पर अमल करे, हम भी स्वाहा हो जाएं। चलो चला जाए, 4.45 यहीं हो गए, देर ज्यादा हुई तो नंदनी रघुवंशी हमारा खाल खींच लेगी…


ऐमी:- बेबी एक ट्विस्ट तो मुझे भी नहीं बताया, लोकेश वाकई आचार्य का बेटा है।


अपस्यु:- मुझे क्या पता, वो तो आरव के दिमाग की उपज थी, जो मुझे भी अभी अभी पता चली।


ऐमी:- हीहीहीहीही… देवर जी मस्त तीर मारा है। 4 साल में जिस लोकेश ने 46000 करोड़ बनाए हो, वो तो अनुप्रिया का भी बाप होगा। देखते है ये अनुप्रिया की लंका का विभीषण बनता है या नहीं।


तीनों वापस उस जगह से उड़ चले थे। आखों का विश्वास बता रहा था कि उन्होंने क्या हासिल करके यहां से निकले है। युद्ध की धुनकी तो कल रात से ही शुरू थी। एक आजमाइश हो गई थी, अब बस आखरी पड़ाव बाकी था…
Behtreen shabd shrinkhla laaye hai Apsue bhai.
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
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इधर अपस्यु, ऐमी और आरव बड़ा सा सूटकेस लेकर हेलीकॉप्टर से निकल गए। जैसे-जैसे वो अपने बचपन के ठिकाने पर पहुंचने लगे, तीनों की ही धड़कने काफी बढ़ी हुई थी, और सीने में दर्द सा उठने लगा था।….


जैसे-जैसे हेलीकॉप्टर नीचे आ रही थी, गुरुकुल की वो जगह देखकर तीनों के आखों से कब आशु आने लगे, उन्हें खुद भी पता नहीं चला। आरव और ऐमी के लिए खुद को संभालना अब मुश्किल हो रहा था। दोनो अपस्यु के कंधे पर अपना सर डाले रोते रहे। रुवासी आवाज़ में अपस्यु कहने लगा… "हमने उन्हें आजमा लिया आरव, ऐमी.. कहीं दूर तक नहीं वो हमारे सामने टिक नहीं पाए। चलो अपनी तरप का बदला लिया जाए, उनको सजा दिया जाए।"…


लोकेश की जब आखें खुली तब वो जंगल के किसी इलाके में खुद को लेटा हुआ पाया। हाथ और पाऊं बंधे हुए थे, जिसका एक सिरा खूंटे से बंधा था। लेकिन खूंटा निकालने के लिए बेचारा कोशिश भी नहीं कर सकता था क्योंकि उसके दोनो हथेली फिलहाल तो काम करने से रहे।


पास में ही उसके पापा और प्रकाश जिंदल भी लेटा हुआ था। लोकेश उसे हिलाते और "पैं, पै" करते उठाने लगा। निम्मी के वार से जुबान ने भी काम करना बंद कर दिया था। 2 बार थोड़ी सी आवाज निकालने से ही दर्द का ऐसा आभाष हुआ कि उसने बोलना बंद करके, किसी तरह हिलाने लगा।


प्रकाश और विक्रम उठकर पहले लोकेश को देखे फिर चारो ओर देखने लगे। प्रकाश, लोकेश से पूछने लगा… "ये हमें कहां लेकर आया है?".. लोकेश इशारों में बताने लगा कि उसकी जुबान काम नहीं कर रही और वो कुछ बोलने कि हालात में नहीं है। तभी अचानक से प्रकाश तेज तेज चिंखने लगा… "नहीं, नहीं, नहीं.. ये नहीं हो सकता… नहीं।"..


प्रकाश:- क्या हुआ विक्रम?


विक्रम:- ये वही आश्रम है जिसे हमने प्लान बनाकर जला दिया था।


प्रकाश और लोकेश दोनो सवालिया नज़रों से विक्रम को देखने लगा। तभी पीछे से तीनों ताली बजाते हुए सामने आए… "7 साल पुरानी बात याद आ गई।"


विक्रम, काफी हैरानी से उन तीनों को देखते हुए… "कौन हो तुम लोग?"..


अपस्यु:- बस थोड़ी देर में ही पता चल जाएगा… हमने भी इस पल का बहुत लंबे अरसे से इंतजार किया है, थोड़ा तुम भी कर लो। आरव तीनों को लोड कर दे जरा।


आरव ने खुली ट्रूक में उन्हें किसी सामान की तरह लोड कर दिया। ऐमी और आरव ड्राइव करने लगे और अपस्यु विक्रम और प्रकाश को बिठाकर वो जगह दिखाते हुए… "ये सारा इलाका देख रहा है, कुछ दिन पहले ही तुम लोगों के हवाले के जो पैसे उड़ाए थे उससे ये सारी जमीन खरीद ली। कमाल है ना। अरे प्रकाश, विक्रम पहुंच गए यार..


जैसे ही विक्रम ने वो जगह देखी लड़खड़ा कर पीछे हो गया। वहां अब भी 20 फिट गहरा और तकरीबन 5 मीटर के रेडियस का गोलाकार बना हुआ था। आरव अपने आखों में खून उतारकर विक्रम का गला पकड़ते हुए कहने लगा… "क्या हुआ खुद का भी वहीं हाल सोचकर कलेजा दहल रहा है क्या? फिक्र मत कर तेरे लिए सजा तय हुई है मौत नहीं।"


वहां एक पिलर में लगे एक स्विच को ऐमी ने ऑन किया और नीचे का सरफेस ऊपर आने लगा। ऐमी प्रकाश के सर पर एक टाफ्ली मारती… "अबे देख क्या रहा है घोंचू, ये स्पेशल लिफ्ट है।


लिफ्ट की बनावट कुछ इस प्रकार थी कि गड्ढे के ऊपर जब वो आयी तो उसके उपरी सुरफेस और नीचे के बीच 7 फिट लोहे का का चादर लगा था। ऐमी उस लोहे के चादर पर अपनी हथेली लगाई और बीच से दरवाजा खुल गया… "देवर जी मेहमानों को अंदर ले आओ।"


ओह माय गॉड.. लिफ्ट जब ऊपर अाई तो उसके उपरी सरफेस पुरा धूल में डूबा था। सरफेस से नीचे तक जो 7 फिट की चादर थी वो जंग लगी, और जब अंदर दाखिल हुए तो पुरा फर्निश लुक। चारो ओर हार्ड फाइबर बिल्कुल चमचमाता हुआ। हर जगह डिजिटल लुक और तभी ऐमी ने अपने आवाज़ का कमांड दिया… "जारा चेहरा दिखाने के लिए आइना लगा दिया जाए, मेरी ननद स्वास्तिका ने कुछ कीड़ों के रूप को सवार दिया है।"


जैसे ही ऐमी ने कमांड दिया चारो ओर सीसे आ गए जिसमें विक्रम, जिंदल और लोकेश खुद को पाऊं से लेकर सर तक देख सकता था.. जैसे ही लोकेश ने अपना हुलिया देखा, आखें बड़ी करते… फिर से बोलने कि नाकाम कोशिश… "पै, पै".. और दो बार बोलकर अपना सर इधर उधर झटकने लगा।


लोकेश के साथ-साथ विक्रम और प्रकाश का भी वही हाल था। ऊपर सर के बाल ऐसे गायब हुए थे, जैसे वो कभी थे है नहीं। चेहरे से लेकर हाथों तक के बाल गायब। कपड़े उतारे नहीं, वरना शरीर से पुरा बाल गायब हो चुका था। हाथ और पाऊं के नाखून भी गायब हो चुके थे।


प्रकाश और विक्रम चिल्लाने लगे, बेबस होकर उनसे पूछने लगे…. "आखिर वो उनके साथ करने क्या वाले है?"..


अपस्यु मुसकुराते हुए…. "कई सारे सवालों के जवाब ढूंढ़ने में हमे वर्षों लग गए, थोड़ा धीरज रख सब पता चलेगा।"


लिफ्ट के रुकते ही ऐमी ने फिर से अपने हथेली का कमांड दिया और सामने से एक दरवाजा तो खुला, लेकिन कुछ नजर नहीं आ रहा था।… "भाभी आज पहला दिन है, जारा इनके नए घर को रौशन तो कर दो।"…. "ठीक है देवर जी, जैसा आप कहें।" .. ऐमी, आरव की बात मानकर लाइट का कमांड दी। दरवाजा से लगा 5 फिट का पैसेज नजर आने लगा जो तकरीबन 20 फिट लंबा था।


पैसेज का जब अंत हुआ तो अंदर की जगह काफी लंबी-चौड़ी और बड़ी थी। ऐसा लग रहा था किसी होटल के रिसेप्शन में खड़े है।… आरव, प्रकाश और विक्रम के सर कर हाथ मारते हुए कहने लगा… "मस्त बनी है ना जगह, तुम लोगों के हवाले के पैसे जो हमने गायब किए थे उसका पूरा इस्तमाल यहीं किया है। आओ अब कमरा में ले चलता हूं।"


ऐमी ने कमांड दिया और किनारे से 3 दरवाजे खुले। जैसे ही तीनों ने अंदर झांका, बड़ा ही अजीब सा बनावट था। नीचे कोई फर्श नहीं बल्कि रेत थी। तीन ओर की दीवार रस्सी और पुआल की बनी दीवार थी जिसके ऊपर जालीदार लगा कर पुरा टाईट किया गया था।


आरव:- भाभी इनका जीवन कैसा होना है जारा डेमो दे दिया जाए..


ऐमी मुस्कुराती हुई… "हां बिल्कुल देवर जी, क्यों नहीं। डालना शुरू करो अंदर।


पहले लोकेश को डाला जा रहा था एक दरवाजे के अंदर, वो प्रतिरोध तो कर रहा था लेकिन उसे खुद के शरीर में कुछ जान ही नहीं लग रहा था। जैसे ही वो गया, ऐमी ने उसका दरवाजा बंद कर दिया। ठीक यही सब एक के बाद एक प्रकाश और विक्रम के साथ भी हुआ।


तकरीबन 10 मिनट बाद ऐमी ने दरवाजा खोला। तीनों 10 मिनट में ही पागल की तरह बाहर आए। बाहर आते ही विक्रम, प्रकाश और लोकेश जमीन पर बैठ कर पाऊं पड़ने लगे।…. मात्र 10 मिनट अंधेरे में बिताया गया समय का असर था, जो तीनों भविष्य की कल्पना कर डर चुके थे।


प्रकाश:- तुम जो बोलोगे वो मै करूंगा, मेरे पास उम्मीद से बढ़कर पैसा है वो सब ले लो लेकिन मुझे जाने दो।


अपस्यु:- कितना पैसा है रे खजूर… यदि तू अपने 16000 करोड़ की बात कर रहा तो उसे मैंने उड़ा दिया। इसके अलावा है तो बता फिर तेरी रिहाई का सोचूंगा।


प्रकाश अपस्यु का गला पकड़ते…. "तूने मेरे सारे पैसे चोरी कर लिए।"..


अपस्यु ने बस नजर घुमा कर ऐमी और आरव के ओर देखा और दोनो के हाथ की पतली छड़ी उन पर बरसने लगी। विक्रम का भी पैसा गायब हो चुका था लेकिन प्रकाश के पीठ पर छड़ी के मार के छाले को देखकर उसने कुछ ना किया। दोनो में लोकेश चालाक निकला। उंगलियां चलाकर उसने अपना दूसरा अकाउंट ओपन किया और उस खाते के पैसे को देखकर तो आरव का मुंह खुला रह गया… "साला मामलामाल वीकली एक्सप्रेस, 30000 करोड़ इस खाते में भी हैं।"..


अपस्यु:- चल भाई लोकेश तू पीछे बैठ जा तेरी रिहाई का समय आ गया है। हां लेकिन बाप को ले जाने की बात करेगा तो जा नहीं पाएगा।


लोकेश अपने रिहाई की बात सुनकर खुश होते हुए एक किनारे बैठ गया। अपस्यु प्रकाश और विक्रम को देखकर कहने लगा… "यार तुम दोनो ने तो पैसे दिए नहीं, अच्छा चलो मेरे सवाल का जवाब दे दो और बदले में अपनी रिहाई ले लो। एक और बंपर ऑफर है, जवाब यदि काम का हुआ तो बदले में सारे केस हटवाकर खाते में 1000 करोड़ भी डलवा दूंगा, ताकि तुम्हारी बची जिंदगी आराम से कट सके। तो तैयार हो।"…. दोनो ने अपना सर हां में हिला दिया।


अपस्यु:- चन्द्रभान रघुवंशी के बच्चे के बारे में बताओ।


विक्रम:- चन्द्रभान रघुवंशी, तुम कैसे जानते हो?


चार छड़ी विक्रम की पीठ पर और छटपटा कर रह गया वो…. "सवालों के जवाब बस चाहिए, सवाल के बदले सवाल नहीं।"


ऐमी:- हुंह !


अपस्यु:- तुम्हे क्या हुआ स्वीटी.. अब ये गुस्सा क्यों?


ऐमी:- बेबी थोड़ा सा दे दो ना क्लैरिफिकेशन..


अपस्यु:- ऐमी ने कहा इसलिए बता देता हूं। हम तीनो इसी गुरुकुल के शिष्य है, और अपने 160 साथियों का बदला ले रहे है। विक्रम तुम्हारी सच्चाई जब मैंने नंदनी रघुवंशी से बताई तो वो मेरी हर बात मानती चली गई। उसे जो चाहिए था वो उसे मिला, और मुझे जो चाहिए था वो मुझे मिला। इसके बाद अब कोई सवाल मत पूछना, वरना बिना जवाब लिए मै जाऊंगा और तुम्हारी पूरी जिंदगी नरक बाना दूंगा। चन्द्रभान रघुवंशी के बच्चे के बारे में बताओ।


विक्रम:- उसकी 2 शादियां थी। एक शादी उसकी देहरादून में हुई थी, अचार्य माहिदीप की बहन अनुप्रिया से, और दूसरी शादी उसकी राजस्थान में कहीं हुई थी। अनुप्रिया से उसके 3 बच्चे है… सबसे बड़ी बेटी कलकी राधाकृष्ण, उससे छोटा एक बेटा परमहंस राधाकृष्ण और सबसे छोटा युक्तेश्वर राधाकृष्ण। दूसरी पत्नी को वो विदेश में रखता था इसलिए उसके बारे में पता नहीं, बस एक बेटा था उस पत्नी से।


अपस्यु:- बड़ा पेंचीदा इतिहास है रे बाबा। पहले तो तू ये बता की क्या अनुप्रिया को चन्द्रभान कि दूसरी शादी के बारे में पता था, और क्या उसकी दूसरी पत्नी या उसके परिवार को चन्द्रभान कि पहली शादी के बारे में पता था?


प्रकाश:- चन्द्रभान की दूसरी पत्नी को चन्द्रभान के बारे में कुछ नहीं पता था, और ना ही उसके परिवार को। हालांकि उनके परिवार को शक था लेकिन उन्हें इस बात का कभी फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि वो किसी भी तरह से अपनी बेटी की ब्याहना चाहते थे। दहेज में काफी धन संपत्ति भी मिला था चन्द्रभान को। शुरू में दोनो जयपुर रहे लेकिन बाद में चन्द्रभान कि दूसरी पत्नी की बहन ने चन्द्रभान को यूरोप में बिजनेस शुरू करने के लिए काफी मदद कि और वो लोग वहीं सैटल हो गए। यूं समझ लो कि उसकी दूसरी पत्नी के कारन वो खुद को यूरोप में स्थापित कर चुका था।


अपस्यु:- इसकी पहली पत्नी अनुप्रिया के बारे में बता?


प्रकाश:- अनुप्रिया मोहिनी है, ऐसा रूप जिसमे हर कोई फंस जाय।


विक्रम:- साले ठीक से बता ना तेरे भी उसके साथ संबंध रहे है, और ये जो तू कुछ साल पहले तक उसे आंख बंद करके सपोर्ट जो करता था, वो क्यों करता था?


अपस्यु:- मैंने सोचा छड़ी का प्रयोग ना करू लेकिन तुम मजबुर कर रहे विक्रम…


प्रकाश:- "मै बताता हूं पूरी कहानी। यदि तुम इस गुरुकुल के शिष्य रहे हो तो ये लोग तुम्हारे सीनियर बैच के है। गुरु निशी के पहले शिष्य। अनुप्रिया मतलब यूं समझ लो कि हम सबकी बॉस, आचार्य माहीदीप उसका भाई और उसकी साम्राज्य का सबसे दमदार खिलाड़ी, उसे सेकंड बॉस मान लो। जब इनकी सिक्षा पूरी हुई थी, तब इन दोनों भाई बहन ने गुरु निशी के नक्शे पर चलने का फैसला लिया और गुरुकुल का प्रचार करते थे।"

"गुरु निशी नैनीताल में आश्रम बनाए हुए थे और उनका आश्रम देहरादून के आसपास था। आचार्य माहीदीप देहरादून में शिष्यों को शिक्षा देते थे। वहीं अनुप्रिया भ्रमण करके गुरुकुल की सीक्षा का प्रचार किया करती थी। इसके 2 साथी और थे, जो शुरू से छिपे है। हालांकि हम लोगों के बीच ये चर्चा आम थी कि अनुप्रिया के द्वारा ये 2 साथी केवल भ्रमाने के लिए बताए गए थे, वरना इनका कोई अस्तित्व नहीं।"

"अगर उस मनगढ़ंत कैरेक्टर को सच भी मान ले तो ये लोग कुल 4 साथी थे, जिनके अंदर पागलपन कि भूख सवार रहती थी। मेरे पापा यूएस में एक प्रोफेसर थे और हमारी आमदनी भी अच्छी थी। हमारी पहली मुलाकात यूएस में ही हुई थी, जब अनुप्रिया यहां गुरुकुल के प्रचार के लिए आयी थी।"

"मै अनुप्रिया को देखकर जैसे पागल सा हो गया था। फिर उसके प्रवचन सुनने लगा। इनकी टोली में सामिल हो गया और 3 महीने मुझे माहीदीप के पास रखकर इसने मुझे ढोंगी वाचक बनना सिखाया था। मै पहली बार इसके मकसद से रू बरु हो रहा था। अनुप्रिया ने उसी दिन मुझ से कहा था, यदि मै उसके बताए रास्ते पर चलूंगा तो कुछ सालों बाद यूएस की पॉलिटिक्स में मेरा बहुत बड़ा नाम होगा। "

"जैसा-जैसा वो बोलती गई, वैसा मैं करता गया। इंडियन कम्युनिटी में मेरा अच्छा नाम हुआ। इसके अलावा कई यूएस के सिटिज़न भी हम से जुड़ गए और देखते ही देखते वहां मेरा नाम होने लगा।"

आरव अपने सर का बाल नोचते, 4-5 छड़ी घुमा दिया… "चुटिया हम तुम्हारा भूतो और वर्तमान तो जानते ही है, ज्यादा बकवास की ना तो भविष्य भी यहीं लिख देंगे।"
:superb: :good: amazing update hai nain bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
ab to ek Naya hi mastermind ubharkar saamne aaya hai,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
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Update:-138





आरव अपने सर का बाल नोचते, 4-5 छड़ी घुमा दिया… "चुटिया हम तुम्हारा भूतो और वर्तमान तो जानते ही है, ज्यादा बकवास की ना तो भविष्य भी यहीं लिख देंगे।


ऐमी:- देवरजी, मै भी यहीं हूं, थोड़ा लहजा रखिए।


आरव:- सॉरी भाभी।


अपस्यु:- एक मिनिट थोड़ा शांत हो जाओ, और प्रकाश सर को बोलने दो। इतिहास के कुछ पन्ने शायद अछूते है, उन्हें जानने का मौका मिला है। प्रकाश सर आपके यूएस की कहानी पता है। पहले चिंदिगीरी करके भक्त बनाए, फिर एक गरीब पॉलिटीशियन की बेटी से शादी किए और बाद में उसके कुछ समाज सेवा और अपनी कुछ चिंदिगिरी से यूएस सीनेटर तक का सफर तय किया। ऑटोबायोग्राफी लिखने के लिए बहुत समय है अभी। इंट्रेस्टिंग पार्ट तो यह है कि तुमलोग से वो नकारा चन्द्रभान कैसे टकरा गया।


विक्रम:- "इसे यहां के बारे में कुछ पता हो तो ना। मै बताता हूं राजस्थान की कहानी। तब कुंवर सिंह और चन्द्रभान के पिता के बीच मूंछ की लड़ाई थी, हालांकि रघुवंशी परिवार की कोई आैकाद ही नहीं थी कुंवर के आगे, लेकिन समाज में जहां कहीं भी दोनो आमने-सामने होते, बस एक दूसरे पर तंज कसा करते थे। हालांकि मेरे चाचा कुंवर सिंह, चन्द्रभान और मेरे पिता को जोकर से ज्यादा कुछ नहीं समझते थे, इसलिए केवल अपने मनोरंजन के लिए उनकी बात सुना करते थे।"

"हम एक ही परिवार के थे लेकिन हमारी स्थिति भी रघुवंशी से ज्यादा अच्छी नहीं थी। कुंवर सिंह से मै भी खुन्नस खाए घूम रहा था और चन्द्रभान भी। बस ऐसे ही एक सामाजिक कार्यक्रम में हम दोनों की मुलाकात हुई, मकसद एक जैसे थे इसलिए जल्द ही हम में घनिष्ठता भी हो गई।"

"अभी तुमने अनुप्रिया और उसके 3 साथियों के बारे में सुने, कोई दो राय नहीं की ये चारो मिलकर आज पूरे देश की सरकार को ही चला रहे है, लेकिन चन्द्रभान रघुवंशी इन सब का भी बाप था। उसके दिमाग में अगले 20 साल तक का प्रोजेक्शन चलता था। उसी ने पहले मुझे सैटल किया। उसी के कहने पर मै कुंवर सिंह के करीब पहुंचा और भीख में अपनी संपत्ति बनाई थी।"

"वहीं चन्द्रभान अब भी बड़े मौके की तलाश में था और वो मौक अनुप्रिया बनकर आयी थी। अनुप्रिया प्रचार के सिलसिले में जयपुर पहुंची, वहीं पहली बार अनुप्रिया और चन्द्रभान कि मुलाकात हुई। मै भी था उस वक़्त चन्द्रभान के साथ। पहली मुलाकात में ही उसने अनुप्रिया से सामने से कहा था…. "तुम मेरी पत्नी बन जाओ, मै तुम्हारे हर सपने को साकार कर दूंगा।"

"अनुप्रिया अचंभित, उसके सेवक आक्रोशित लेकिन चन्द्रभान वहां अडिग खड़ा रहा। लंबी बहस के बाद अनुप्रिया ने कुछ सोचकर उसे बोलने का मौका दिया। फिर चन्द्रभान ने अपनी भविष्य नीति को बताया कि उसके और अनुप्रिया के मिलने से अगले 5 साल में वो कहां होगा, 10 साल में कहां पहुंचेगा और आने वाले 20 साल में वो कहां होंगे।"

"अनुप्रिया उससे इंप्रेस तो हुई, लेकिन उसने चन्द्रभान से खुद को साबित करने के लिए कही। चन्द्रभान ने अनुप्रिया का अपॉइंटमेंट राजस्थान के सीएम से लीया। उस मीटिंग में चन्द्रभान ने सीधे उस सीएम से कहा था कि वो उसके ट्रस्ट में इन्वेस्ट करे, कुछ ही दिनों में वो उसके ब्लैक को व्हाइट में बदल देगा।"

"सीएम ने साफ मना कर दिया और दोनो को निकाल दिया। सीएम तो हाथ नहीं लगा, लेकिन छोटे-छोटे पॉलिटीशियन जो अपना माल सीएम और पार्टी अध्यक्ष से छिपाकर जमा करते थे, उसके काम मिलने शुरू हो गए। साथ ही साथ उन लोगों ने पॉलिटिकल पार्टी के प्रचार का भी जिम्मा उठाया और अलग-अलग तरह के प्रचार के लिए अलग-अलग रेट तय हुआ।"

"खैर ये अनुप्रिया और चन्द्रभान कि मुलाकात का पहला साल था और पहले साल में ही चन्द्रभान ने खुद को सबसे काबिल साबित कार दिया था। अनुप्रिया चन्द्रभान चन्द्रभान का प्रस्ताव मानकर गुप्त विवाह कर ली। कहानी इनकी आगे बढ़ते रही और कमाल के दिमाग वाले समूह का एक मजबूत हिस्सा था चन्द्रभान।"

"उन्हीं दिनों चन्द्रभान के घर से उसके शादी का दवाब आने लगा। अनुप्रिया और चन्द्रभान अपनी शादी गुप्त रखने के लिए, अनप्रिया ने ही चन्द्रभान को शादी कर लेने के लिए कही और चन्द्रभान से शादी कर ली। इस शादी के बाद तो जैसे उसके स्लो विजन को रातों रात पंख मिल गए हो।"


प्रकाश:- हां पंख क्यों ना लगेंगे, क्योंकि प्रताप ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक प्रताप सिंह ने पूरी एक कंपनी खड़ी करके दी थी, वो भी अपनी पत्नी के कहने पर, उसकी छोटी बहन और जमाई को। कुछ समझे की नहीं विक्रम या साले अब भी अक्ल पर पर्दा परा है। ये दोनो चन्द्रभान के लड़के है। दोनो का दिमाग तो अपने बाप से भी 10 कदम आगे का है रे।


अपस्यु ने आरव के ओर देखा और दोनो पर छड़ी पड़ने शुरू हो गए…. "क्यों इतने एक्साइटेड हो रहे हो, मुझे तुम दोनो में कोई दिलचस्पी नहीं है, छूट जाओगे। अभी रिश्तेदारी निभाने का वक़्त नहीं है रे। बस मुझे कुछ समझना है वो समझा दो। गुरु निशी और उनके शिष्यों को मारना जरूरी था क्या? और क्या तुम्हे पता था कि चन्द्रभान के 2 बेटे है?


विक्रम और प्रकाश एक साथ… नाह ! हमे केवल इतना पता था कि चन्द्रभान का केवल 1 बेटा है और वो चन्द्रभान साल में एक बार जब अपनी पत्नी को भारत लाता था, तो वो उसे गुरू निशी के आश्रम में छोड़कर खुद माहीदीप के साथ वाले आश्रम में रहता था।


अपस्यु:- इस कहानी में भूषण रघुवंशी का रोल क्या था?


विक्रम:- उसे नंदनी के शादी के कारण अपने जान से हाथ धोना पड़ा था। एक लंबे प्लान के हिस्से के तहत चन्द्रभान ने भूषण को अपनी कंपनी में पार्टनरशिप दी थी और उसके दिमाग में मायलो ग्रुप टारगेट हो रहा था। लेकिन वो नेक्स्ट स्टेप प्लान था, क्योंकि एक पूरी रॉयल फैमिली को हटाने के लिए स्ट्रॉन्ग बैकअप और कंप्लीट प्लान की जरूरत पड़ती और हवाले का काम जैसे-जैसे आगे बढ़ता जा रहा था, हमे पॉलिटिकल और एडमिनिस्ट्रेटिव बैकअप मजबूत होता जा रहा था।


अपस्यु:- अबे कम अक्ल लोग तुम तो चन्द्रभान के बारे में डिटेल कर दिए, सवाल का पहले हिस्सा का जवाब कौन देगा?


प्रकाश:- गुरु निशी और उसके शिष्यों को साफ कर की प्लांनिंग यूएस में मेरे यहां ही हुई थी। हम पॉलिटिकली काफी स्ट्रॉन्ग हो चुके थे, ब्लैक मनी हमारे पास हद से ज्यादा थी, और मायलो ग्रुप पर कब्जे की पूर्ण तैयारी चल रही थी।


अपस्यु:- अबे "सी.ए.बी" कंपनी तो पहले से ही थी ना उसके पास, फिर मायलो ग्रुप।


प्रकाश:- "चन्द्रभान की कंपनी ब्लैक लिस्टेड हो गई थी क्योंकि बिना कोई माल बेचे ये कंपनी प्रोफिट में जा रही थी। खैर ये बहुत छोटा कारण था। दरअसल मायलो ग्रुप काफी दान करती थी, और हमारे अपने ब्लैक को व्हाइट करने का समय आ चुका था। तय ये हुआ कि मायलो ग्रुप के मालिक को साथ मिलाकर 4 साल का सपोर्ट लेंगे। पहले उनकी कंपनी को प्रोफिट करवाएंगे और बाद में उस प्रोफिट को हम दान के रूप लेंगे। वो दान के पैसे बिल्कुल व्हाइट मनी होते जिसे कहीं भी इन्वेस्ट करके उससे पैसे कमाए जाते।"

"कुंवर सिंह राठौड़ इस बात के लिए राजी नहीं हुआ, तब एक खेल रचा गया "टोटल कंट्रोल"। जिसकी प्लांनिंग मेरे घर पर हुई। चन्द्रभान की कंप्लीट प्लांनिंग का नतीजा है ये पुरा एम्पायर। विक्रम के हाथ आयी मायलो ग्रुप का कंट्रोल, और हमारी ब्लैक मनी आसानी से व्हाइट होनी शुरू हो गई।"

"गुरु निशी और उसके शिष्यों को हटाने की जरूरत ना होती, यदि गुरु निशी अरे नहीं होते। हमने उन्हें भी मिलकर काम करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने तो युद्ध छेड़ने की बात कह दी। प्रस्ताव मै और विक्रम लेकर गए थे और गुरु निशी को पता तक नहीं था कि आस्तीन में उन्होंने कितने सांप पाले है। गुरु निशी हमारे खिलाफ जंग करने की तैयारी में थे और कानूनन उन्होंने ट्रस्ट माहीदीप के नाम कर दिया।"

"बुड्ढे की क्षमता को हम नजरंदाज नहीं कर सकते थे, क्योंकि उन्होंने अगर कुछ करने की ठान ली हो, फिर तो उसके रास्ते में भगवान क्यों ना आ जाए, वो उससे भी लड़कर जीत हासिल कर सकता था। इसलिए यहां भी कुंवर सिंह के परिवार की तरह, गुरु निशी और उसके समस्त परिवार को एक साथ साफ कर दिया। पूर्ण योजना थी गुरु निशी के भी केस में। हमे बस मॉनिटर करना था। सोच बहुत साफ थी हमारी, जिसने भी आवाज़ उठाया उसे गायब कर देना। क्योंकि इतने सारे लोग में कौन मरा कौन बचा, कौन हिसाब रखे। जो मिला उसे आग में झोंक दो, और बचे हुए लोग जब हल्ला करे तो उसे गायब कर दो।"

"लगभग 4 सालों तक अनुप्रिया अपने ब्लैक मनी मायलो के प्रोफिट में दिखाती रही। जितना भी रकम प्रोफिट में जाता, उसका 20% हिस्सा मुझे और विक्रम को मिलता, 10% हिस्सा कंपनी ग्रोथ में और 70% हिस्सा उनके ट्रस्ट को दान। 4 सालों में अनुप्रिया की जब खुद की कंप्लीट इंडस्ट्री तैयार हो गई, जहां वो खुद के ब्लैक पैसे को, खुद के ही इंडस्ट्री में प्रोफिट दिखाकर वापस उसे मार्केट में इन्वेस्ट कर सकती थी, तब उसने मायलो से रिश्ता तोड़ लिया। उसने हमे अपने धंधे के लिए स्वतंत्र कर दिया और वो खुद अपने धंधे में व्यस्त हो गई।


आरव:- अबे जब गुरु निशी ने ट्रस्टी माहीदीप को बनाया था, फिर मेघा के नाम मुख्य ट्रस्टी में क्यों रजिस्टर है?


प्रकाश:- लंबी योजना का एक छोटा सा हिस्सा था। जिस लीगल डॉक्यूमेंट पर गुरु निशी ने सिग्नेचर किए वहां मेघा का नाम डाला गया था। पैसे को घूमने की कमाल कि नीति। अनुप्रिया को अपने ब्लैक को जल्द से जल्द व्हाइट बनाना था, इसलिए आधे पैसे मायलो से व्हाइट होकर सीधा अनुप्रिया के ट्रस्ट में दान दिया जाता था। वहीं मेघा यूएस सिटिज़न थी, इसलिए ट्रस्ट को यूएस में लीगल किया गया और वहां के लॉ के हिसाब से हमे यहां आसानी हो गई। यहां तो सीधा ट्रस्ट के अकाउंट में पैसा आता था और गुरु निशी का विदेशी ट्रस्ट अपने देशी ट्रस्ट की स्तिथि मजबूत करने के लिए सीधा दान करती थी।


अपस्यु:- चलो बस एक छोटी सी गुत्थी थी, जो अब सुलझ गई। जल्द ही वो लोग भी यहां होंगे…


प्रकाश:- फूड इंडस्ट्री, शिपिंग इंडस्ट्री, फार्मास्यूटकल्स, होटल चेन, रिटेल मार्केटिंग चेन, फिल्म इंडस्ट्री में अपना प्रोडक्शन हाउस। दिल्ली एनसीआर में 40 एकर में फैला उसका शमशान घाट। हर दिन निम्मी जैसी लड़कि को जहां नोचा जाता हो। खुदाई करवाई वहां की तो ना जाने कितने कंकाल मिलेंगे। असेम्बली के दीगर नेता जहां अपने कपड़े उतारकर हवस मिटाते है, तुम्हारा मुंह बोला बाप जिसके किसी भी नाजायज मांग को ना नहीं कर सकता.. ऐसे लोग को तुम यहां लाओगे। मस्त खवाब है। जैसा कि तुम्हारे बाप ने अनुप्रिया से कहा था, अगले 25 से 30 सालों में वो पुरा पॉवर उसके कदमों में ला देगा, सो उसने कर दिखाया। तुम अगले 50 साल तक कोशिश कर लो, वो इतने मजबूत और संगठित है की अपनी ज़िंदगी जी कर वो मर जाएंगे, लेकिन तुम कभी उसे यहां तक नहीं ला पाओगे।


आरव:- यार काफी इंफॉर्मेशन जब इन लोगो ने हमे दी है, तो बदले में हम भी एक इंफॉर्मेशन दे देते है। विक्रम राठौड़ जिस लोकेश राठौड़ को तुम अपना बेटा मानते हो वो दरअसल माहीदीप अचार्य का बेटा है। शायद अब तुम समझ सकते हो कि क्यों तेरे गावर से परिवार में ये एक दिमाग वाला आ गया, और ऐसा क्या हो गया था जो तेरी पत्नी ने बोलना ही छोड़ दिया। वो इतने गहरे सदमे में थी कि कब ये लोकेश पैदा हो गया उसे होश ही नहीं था।


जबतक आरव यह झटका दे रहा था तब तक अपस्यु, लोकेश को भी खींचकर ले आया। तीनों को कैद में डालने से पहले, उन्हें देखकर हंसते हुए अपस्यु कहने लगा… "बड़बोला कहीं का, कुछ ज्यादा ही तारीफ कर गया हमारे दुश्मनों का।"…


तीनों के कर्म की सजा का वक़्त आ चुका था। खास अंधेरी कोठरी जिसके चारो ओर की दीवार, परत दर परत गद्दे का बना हुआ था, जिसका आखरी सरफेस पर पुआल और रस्सी के बंधे काम दिखते थे, लेकिन था वो भी गद्दा, जिसके ऊपर 2 जाली लगाकर टाईट किया गया था। नीचे फर्श पर रेत। बाल गायब नाखून गायब और साथ ही आत्महत्या कि जितनी भी कोशिश हो सकती थी वो सब गायब कर दिया गया था। लोकेश, प्रकाश और विक्रम के हिस्से की बची जिंदगी, जिसमें मरने कि इजाज़त नहीं थी बस अंधेरे में अकेले जिंदगी बितानी थी।


तीनों जब लिफ्ट के ओर बढ़ रहे थे तब ऐमी…. "बेबी यहां कौन से सवाल के जवाब ढूंढ़ने आए थे?"


इस से पहले को अपस्यु कुछ कहता, आरव कहने लगा…. "भाभी, मेरी मां जनवरी में आश्रम आती थी, उस साल जून में आयी थी। सवाल ये था कि क्या चन्द्रभान रघुवंशी किसी दबाव में आकर, अचानक उस आश्रम को जलाने आया था जहां उसके बीवी और बच्चे थे, या फिर अपने पूरे परिवार को ही खत्म करने की मनसा से वो सबको यहां लेकर आया था?


अपस्यु:- गुस्से में उसे फांसी देने का बहुत अफ़सोस हो रहा है आज मुझे… सामने से चैलेंज करने की इक्छा हो रही। खैर मुझे एक बात और जाननी थी, गुरु निशी के गुरुकुल में चन्द्रभान का बेटा था, यह बात इन लोगों को पता थी या नहीं। कमाल का प्लानर, वो शुरू से हम सब को मारना चाह रहा था, इसलिए उसने मुझे यहां छोड़ा, ताकि जब भी वो अपने फ्यूचर प्लान पर अमल करे, हम भी स्वाहा हो जाएं। चलो चला जाए, 4.45 यहीं हो गए, देर ज्यादा हुई तो नंदनी रघुवंशी हमारा खाल खींच लेगी…


ऐमी:- बेबी एक ट्विस्ट तो मुझे भी नहीं बताया, लोकेश वाकई आचार्य का बेटा है।


अपस्यु:- मुझे क्या पता, वो तो आरव के दिमाग की उपज थी, जो मुझे भी अभी अभी पता चली।


ऐमी:- हीहीहीहीही… देवर जी मस्त तीर मारा है। 4 साल में जिस लोकेश ने 46000 करोड़ बनाए हो, वो तो अनुप्रिया का भी बाप होगा। देखते है ये अनुप्रिया की लंका का विभीषण बनता है या नहीं।


तीनों वापस उस जगह से उड़ चले थे। आखों का विश्वास बता रहा था कि उन्होंने क्या हासिल करके यहां से निकले है। युद्ध की धुनकी तो कल रात से ही शुरू थी। एक आजमाइश हो गई थी, अब बस आखरी पड़ाव बाकी था…
Wow bhai kya adbhut update hai,
 

Aryan s.

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Review of update 121 and 122 :
Megha ko lag raha hai ki apashyu aur uske parivar ko asani se lokesh shikar kar lega .....
Uss liye woh lokesh ke sath deni lagi hai....
Idhar Apashyu aur Shreya ke beech deal tay ho gaya hai, "3 din ke andar lokesh ki khel khatam"
Abhi tak yeh nehi pata chala hai ki Shreya ki target aur Apashyu ki target common kyun hai....
Kya yeh ek mahaj ittefaq haj ya kuch aur.....
Nice going....
:thanks: for the update....
 

Aryan s.

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Update:-122




तकरीबन 10 मिनट बाद वहां से ऑडियो और वीडियो दोनो आने बंद हो गए। ऑपरेटर हेल्लो, हेल्लो करता रह गया, लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया। ऑपरेटर अजय से जब ये गुत्थी नहीं सुलझी, तब वो आनन फानन में गोवा के लोकल गैंग से संपर्क किया और 2 करोड़ की एक डील तय करके आधे पैसे उन तक पहुंचा दिए।


लोकल गैंग के लिए लाख रुपए में कत्ल करना कोई बड़ी बात नहीं थी, यहां तो मामला करोड़ में था। तकरीबन 20 गुंडों की टीम मोरजिम बीच के लिए रवाना हो गई। आरव और लावणी दोनो एक छोटे से पत्थर पर बैठकर सुबह के हसीन नजारा का लुफ्त उठा रहे थे।


इधर 20 लोगों की टीम जब निकली तो वो भी ऑडियो और वीडियो के साथ कनेक्ट होकर निकली थी। ये लोग जंगल में छिपकर, बड़ी सी स्निपर राइफल निकालकर, चुपके से निशाना लगाने वालों में से नहीं थे, बल्कि सीधा घुसो मारकर निकलो वाली नीति थी।


4 जीप में 5-5 लोग सवार होकर, घनघनाते हुए, मोरजिम बीच पर अपनी गाड़ी आगे बढाते टारगेट की पहचान करने लगे। बीच के दूसरे किनारे टारगेट की पहचान हो गई। फिर तो जीप पूरे पिकअप के साथ आगे बढ़ी। लेकिन जीप जब आधे रास्ते पर थी, तभी समुद्र के लहरों के साथ 20-25 अनियंत्रित जेट-की हवा से छलांग लगती एक साथ चारो जीप से टकराई।


क्या नजारा था वो जेट-की उड़ती हुई सीधा जीप के ऊपर गिर रही थी और उनके घेरे में तो वो सभी जीप दिखना ही बंद हो गए थे। ऑपरेट और कमांड दे रहे अजय को, गोवा में क्या चल रहा है कुछ भी समझ में ही नहीं आ रहा था। पहले 9 लोग गायब हो गए, अब ये 20 लोग गंभीर रूप से घायल होकर हॉस्पिटल में। ऊपर से कोई जवाब तक नहीं दे पा रहा था।


सुबह के 5 से 6 बजे के खेल में लोकेश के टारगेट को भनक तक ना लगी कि उसपर जानलेवा हमला होने वाला है और किसी ने आकर उसके पूरे गेम की बैंड बजा दी। अजय कुछ सोचकर गोवा के ऑपरेशन को होल्ड में डालकर मुंबई और दिल्ली पर फोकस करने लगा।


अजय को लगने लगा था कि अपस्यु ही इकलौता सबको मॉनिटर कर रहा है और यदि अपस्यु साफ हो गया तो नंदनी का पूरा परिवार साफ हो जाएगा। वक़्त था एक जल्दी एक्शन का इसलिए अजय ने तुरंत 4 बेस्ट फाइटर को अपस्यु के फ्लैट पर ही रवाना होने बोल दिया।


8 बजे तक वो चारो अपस्यु के अपार्टमेंट में थे और निर्भीक होकर फ्लैट नंबर 301 के लिए बढ़ने लगे। ये चारो भी ऑडियो वीडियो के साथ आगे बढ़ रहे थे। चारो, चोरी से जैसे ही अपस्यु के घर में दाखिल हुए, गेट अपने आप की लॉक हो गया। सारे मीडिया कनेक्शन ऑटोमेटिक डिस्कनेक्ट हो गए। अजय हेल्लो-हेल्लो करता रह गया लेकिन उधर से कोई आवाज़ नहीं आया।


इधर जैसे ही वो चारो अंदर दाखिल हुए, अपस्यु आराम से डायनिंग टेबल पर बैठकर सूप पी रहा था और अपने कंप्यूटर स्क्रीन को देख रहा था। चारो अंदर आते ही अपस्यु को देखकर तेजी दिखाते हुए, आव देखा ना ताव और एसएमजी (smg) से फायरिंग शुरू कर दी।


बौखलाहट में फायरिंग तो शुरू कर दिया, लेकिन पूरे मैगज़ीन खाली करने के बाद भी अपस्यु वहीं बैठकर आराम से अब भी सूप पी रहा था। चारो अपनी बड़ी सी आखें किए बस अपस्यु को ही देख रहे थे…. "अबे वो काल्पनिक इमेज देख रहे हो, होलोग्राम वाली गधे।"


चारो ओर से अपस्यु की आवाज़ गूंजने लगी और आवाज़ के साथ ही अपस्यु ने एक छोटा सा कमांड दिया और दीवार के अंदर से कई सारी पतली पाइप निकल आयी। देखते ही देखते उनसे निडिल निकलकर उन चारो के बदन में घुस गए। चारो वहीं बेहोश।


अजय ने जिनको भेजा था वो चार केवल ट्रेंड प्रोफेशनल नहीं थे बल्कि वो लोकेश के टीम के वो जल्लाद थे, जिन्होंने आज तक हार का मुंह नहीं देखा था। अजय का इन लोगों से भी संपर्क टूट चुका था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे क्या ना करें। अजय को ऐसा महसूस हो रहा था कि उसके दिमाग के नसों की सारी वायरिंग ही ढीली पर चुकी है।


बौखलाए अजय ने दिल्ली में कई सक्रिय गैंग से संपर्क किया लेकिन जब सबने टारगेट डिटेल मांगी और नाम अपस्यु रघुवंशी का आया, तो किसी ने भी काम हाथ में नहीं लिया, क्योंकि सिन्हा जी के होने वाला दामाद और होने मिनिस्टर का मुंह बोले बेटे से किसी भी कीमत पर पंगा लेने की हिम्मत किसी में नहीं थी।


सबका एक ही बात कहना था, कुछ दिन पहले अपस्यु रघुवंशी और उसकी होने वाली बीवी ऐमी सिन्हा पर पार्किंग में हमला हुआ था, दोनो तो बच गए लेकिन उसी रात दिल्ली में तूफान सा आया था। एक पूरी लोकल गैंग गायब हो गई। उस लोकल गैंग को जिस प्रोफेशनल ने हायर किया था उनकी लाश उसी के अपार्टमेंट से निकली और जिसने मर्डर प्लान किया था, उसे घर में घुसकर गोली मारी थी। यहां प्रशाशन से बढ़कर कोई गुंडा नहीं, अपस्यु रघुवंशी को दिल्ली में मारने का मतलब है, खुद के मौत की तैयारी कर लो, फिर 500 करोड़ की डील हो या 1000 करोड़ की, जान जाने के बाद किसका होगा ये पैसा।


अजय अब तक समझ चुका था कि जल्दबाजी में लोकेश से भयंकर चूक हो गई है। जिन लोगों को बेस से बाहर भेजकर काम पर लगाया गया था, वो लोकेश के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट के वो सिपाही थे, जो अब तक किसी भी असंभव काम को संभव करते आए थे। उनके फसने का सीधा मतलब था कि लोकेश के जीत का राज सामने आ जाना, ऊपर से दिल्ली के सभी लोकल गैंग और गुंडों ने अपस्यु पर हाथ डालने से मना कर दिया।


असमंजस की स्तिथि में अजय ने बेस से एक पूरी टीम भेजी, जिसमें 1 स्नाइपर, 2 शूटर और 7 फाइटर थे। 4 खास हाई क्लास प्रोफेशनल को गवाने के बाद अजय की बुद्धि थोड़ी खुली। अगली टीम को उसके घर के अंदर हमला ना करके, घात लगाकर बस वहां रुके और अपस्यु के बाहर निकालने का इंतजार करे।


इधर मुंबई में 2 टारगेट, स्वास्तिका और कुंजल और फ्लैट के बाहर खबरी नजर दिए। दोनो ही बहने आपस में हंसी मज़ाक में लगी हुई थी और नंदनी सुबह का नाश्ता तैयार कर रही थी। 2 दिन बाद ही वापस दिल्ली लौटना था इसलिए चोरी से दीपेश के साथ कुछ वक़्त बिताने का प्लान बना।


दोनो बहन 11 बजे के लगभग शॉपिंग के बहाने फ्लैट से निकली। जैसे ही खबरी दोनो को बाहर जाते देखा, एक के बाद एक, चेन के माध्यम से यह खबर ऑपरेटर तक पहुंची। वो ऑपरेटर अजय अब बेहद ही चिंता में आ चुका था। हर जगह पहुंची उसकी हमला करने वाली टीम गायब हो रही थी, जिसकी कोई खबर ना थी। उपर से लोकल कॉन्ट्रैक्ट किलर भी निकम्मे साबित हो चुके थे। गोवा और दिल्ली के शिकस्त के बाद, अजय ने फिर से हिम्मत बांधी और गोवा की तरह यहां भी 2 स्नाइपर और 7 गनमैन फाइटर की टीम को पीछे लगाया।


उपयुक्त माहौल कुछ देर में ही मिल गया। कुंजल और स्वास्तिका एक बड़े से शॉपिंग मॉल की पार्किंग में अपनी कार पार्क कर रही थी और सभी गनमैन क्लोज रेंज में निशाना लेना शुरू कर दिए। इधर नंदनी को उसके फ्लैट से उठाने के लिए 4 लोग उसके फ्लैट के ओर बढ़े।


अजय और उसके सहयोगी लगातार स्क्रीन पर बने हुए थे। एक ओर जहां पार्किंग के सीने में घटना यह हो गई की कुछ लोगों की भीड़ अचानक से वहां पहुंच गई और गनमैन अपना शॉट लेते-लेते रुक गए। लेकिन इस बार हमले के तरीके में अजय ने बदलाव कर दिया था। सभी 7 गनमैन को पार्किंग में फ़ैल जाने तथा जैसे ही भिड़ से हटकर दोनो लड़कियां दिखे, सीधा शूट कर देना।


गनमैन सब फ़ैल चुके थे। स्वास्तिका कार के बाहर खड़ी होकर दीपेश को कॉल लगाई और कुछ देर की बातचीत के बाद दोनो बहने पैदल निकली। दोनो कुछ ही कदम आगे बढ़ी, और वो भिड़ से अलग हो गई, इस से पहले की पिस्तौल से कोई फायरिंग होती, वहां चारो ओर धुआं ही धुआं हो गया, केवल बाहर निकालने वाले रास्ते को छोड़कर।


स्क्रीन पर धुआं का नजारा देखकर ही अजय पागलों की तरह चिल्लाने लगा…. "नहीं, नहीं, नहीं… ये नहीं हो सकता। साला ये आधा कच्चा इंसान हमे इतनी आसानी से मात नहीं से सकता।"…


जैसा कि धुआं देखकर अजय को पहले ही समझ में आ चुका था कि पार्किंग के टीम का भी वही हाल होना तय था, जैसा दिल्ली और गोवा में हुआ। अजय ने नंदनी को उठाने गए टीम का भविष्य सोचकर, अंत में उसे वापस लौटने का हुक्म दिया। नंदनी को किडनैप करने गई टीम को कुछ समझ में नहीं आया और वो वापस लौटने लगी। लेकिन आज तो अनहोनी होकर रहनी थी, और यहां के टीम का भी वहीं हाल हुआ। सब के सब संपर्क से बाहर हो गए।


दिल्ली अपस्यु का गढ़ था लेकिन मायानगरी, वो जगह तो अंडरवर्ल्ड के कंट्रोल में थी। अजय ने सीधा अंडरवर्ल्ड से संपर्क किया और 2 लड़की को मारने और 1 औरत के उठाने का कॉन्ट्रैक्ट उन्हें 200 करोड़ में दे दिया। उन लोगों ने जब डिटेल मांगा और सामने नंदनी, कुंजल और स्वास्तिका की तस्वीर खुली… अंडरवर्ल्ड माफिया डॉन खुद ही लाइन पर आकर कहने लगा…

"साले चुटिए, तू इसका कॉन्ट्रैक्ट मुझे देने आया था, किसी को कहना भी मत। चल अब फोन रख, और मुंबई तो क्या अखी इंडिया में इसका कॉन्ट्रैक्ट कोई नहीं ले सकता।"..


अजय:- एक 22 साल का लड़का अपस्यु, तुम सब का बाप बना बैठा है। खुद को माफिया और डॉन कहना छोड़ दो।


डॉन:- सुन बे चूहे, यें जो तू जिसका भी नाम ले रायला है, उसे हम में से कोई नहीं जानता, लेकिन उसके पीछे जो है, उसकी कहानी तू ना ही जान और ना ही उससे उलझ तो बेहतर होगा। पूरा मुंबई उसके नाम से पेशाब कर देती है। चल अब फोन रख और दोबारा कभी फोन मत करना।


गोवा, दिल्ली, मुंबई हर जगह नाकामी झेलने के बाद अजय ने अपस्यु के पीछे लगे टीम को वापस बुला लिया, और सर पकड़ कर बैठ गया। 12 बजे के करीब अजय ने लोकेश से संपर्क किया। इधर लोकेश अपने आलीशान महल में जीत के रथ पर सवार अपने प्राइवेट रूम में जश्न माना रहा था..


3 नंगी लड़कियों के बीच अकेला सवार, और हर लड़की उसके अंग को चूसते और चाटते हुए भरपूर मज़े के बीच, एक-एक करके सवारी का मज़ा ले रही थी। अजय ने 12 बजे के आसपास लोकेश को इमरजेंसी संदेश भेज दिया था, लेकिन 1 बजे तक लोकेश की कोई खबर नहीं थी।


तकरीबन 2 बजे लोकेश तैयार होकर कंट्रोल रूम पहुंचा और सैंपैन की बॉटल उड़ाते हुए ही अंदर आया…. "अजय, अजय, अजय… क्यों इतना एक्साइटेड थे, समझना चाहिए था मै कहां बिज़ी हूं। तो बताओ नंदनी रघुवंशी कहां पहुंची?


लोकेश को लगा 12 बजे के करीब सभी टारगेट को एलिमिनेट करने के बाद, नंदनी को अपने कब्जे में लेकर अजय उसे इमरजेंसी संदेश भेजा हैं। और संदेश मिलने के 2 घंटे बाद लोकेश इसलिए पहुंचा था कि नंदनी रघुवंशी के आने का इंतजार ना करना परे।
Update:-123







अजय:- सर अपने 4 हाई क्लास स्नाइपर, 22 हाई क्लास ट्रेंड सिपाही लापता है। गोवा के एक गैंग के 20 मेंबर इस वक़्त हॉस्पिटल में है। उनकी गंभीर हालात देखकर और अन्य जगह पता लगाने के बाद, गोवा के कॉन्ट्रैक्ट किलर्स ने अपने टारगेट का कॉन्ट्रैक्ट लेने से मना कर दिया। दिल्ली और मुंबई में तो इस से भी बुरे हाल थे। गोवा में तो एक ने कॉन्ट्रैक्ट ले भी लिया लेकिन मुंबई और दिल्ली के किसी भी कॉन्ट्रैक्ट किलर में इतनी हिम्मत नहीं थी कि उनका कॉन्ट्रैक्ट ले सके। आपने अपने दुश्मन को बहुत कम आंका सर।


अजय की पूरी डिटेल सुनने के बाद लोकेश तो पागल सा हो गया। कहां होम मिनिस्टर को मारने कि प्लांनिंग हो रही थी और यहां एक लड़का और उसका परिवार मार नहीं पाए, उल्टा अपने सबसे बेस्ट लड़के और शार्प शूटर्स को भी खो दिया। अजय को खींचकर 2 थप्पड़ लगाने के बाद वहां उसे कंट्रोल रूम से बाहर भेजकर लोकेश सभी फुटेज को देखने लगा।


एक ही सीन को बार-बार, कई बार दोहरा कर देखते हुए समझने की कोशिश कर रहा था कि वहां हुआ क्या होगा? कौन है ये अपस्यु और कितनी बड़ी है उसकी गैंग, जिसकी सुपाड़ी अंडरवर्ल्ड तक नहीं के रहा।


लोकेश को जब कुछ समझ में नहीं आया, तब उसने मेघा को दिल्ली से वापस अपने बेस पर बुला लिया। लोकेश ने अजय को भी वापस कंट्रोल रूम में बुलाया और बंद हुए ऑडियो वीडियो डिवाइस से पुनः कनेक्शन बनाने के लिए कहने लगा। अजय अपने काम में लग गया और लोकेश अपनी मूर्खता पर बस इतना ही सोच रहा था कि…..


"मैंने पूरी ताकत से हमला किया, उस लड़के को कोई फर्क नहीं पड़ा, ये दिल्ली में ही था, जब चाहता तब मुझे मार सकता था, लेकिन क्षमता होने के बावजूद भी मारा क्यों नहीं?"..


लोकेश का दिमाग पजल बाना हुआ था और अपस्यु उसके लिए किसी रहस्य से कम नहीं। तभी ऑपरेटर अजय चौंककर कहने लगा… "सर स्क्रीन देखो।"


लोकेश ने जैसे ही स्क्रीन देखा… सामने अपस्यु, ऐमी, और आरव तीनों उनके लाइन पर थे और अपना हाथ हिला रहे थे। लोकेश उन्हें देखकर जवाब में अपना हाथ हिलाया।


आरव:- क्यों खडूस ये अपने लोकेश भईया कुछ ज्यादा ही कंफ्यूज दिख रहे है।


अपस्यु:- हां कंफ्यूज तो दिख रहा है ये आस्तीन का सांप, लेकिन सुबह से कितना डराया है हमे। अपने बुआ के परिवार पर हमला, जारा इसे भी डर से परिचय करवाओ।


ऐमी:- क्यों नहीं अभी करवा देते है।


लोकेश ख़ामोश होकर तीनों की बातें सुन रहा था, तभी उनके स्क्रीन पर चिल्ड्रंस केयर की विजुअल आने लगे, जहां लोकेश की प्यारी पत्नी मीरा और उसकी लाडली बहन कुसुम, चिल्ड्रंस केयर के लड़के-लड़कियों के साथ प्यार से वक़्त बिता रहे थे।


लोकेश अपने चेहरे का पसीना साफ करते…. "देखो मानता हूं मैंने गलत किया है, लेकिन प्लीज उन्हें जाने दो।"


आरव:- लोकेश भईया, पत्नी तो सबको प्यारी होती है, फिर मेरी होने वाली पत्नी पर हमला।


लोकेश:- देखो मै ताकत के नशे में अंधा हो गया था। प्लीज उन्हें जाने दो… (लोकेश यहां तक मिन्नते भरे लहजे में विनती कर रहा था.. उसके बाद गूंजी उसकी अट्टहास भारी हंसी)… या फिर खुद ही रख ले या मार दे, लेकिन तुम जैसे पिद्दी ये सोच लो कि मुझे ब्लैकमेल कर सकते हो, तो यह तुम्हारी भुल होगी। मेरे पास इतना पैसा है कि मै मीरा जैसी चार पत्नियां घर में रख लूं। दूसरी वो बहन, जब तेरे मामा ने अपनी जिंदा बहन का श्राद्ध कर दिया। मेरा बाप तेरी मां को गोली मारने से पहले सोचेगा तक नहीं, ऐसे कुल में पैदा हुए लड़के को तू बहन के नाम से डरा रहा है। शौक से मार दे।


अपस्यु:- जैसी तुम्हारी इक्छा।


अपस्यु इतना कहकर इशारा किया और लोकेश के नज़रों के सामने 2 स्निपर की गोली एक साथ चली, एक कुसुम और दूसरी मीरा को लगी। लोकेश हंसते हुए कहने लगा…. "तेरा तो मै फैन हो गया। मुझे ऐसे लोग पसन्द है जो बातों से ज्यादा एक्शन दिखाते है। मैंने तेरे परिवार को जान से मारने कि कोशिश की और बदले में तुमने मेरे 26 लोग और 2 परिवार के सदस्य को लुढ़का दिया। दिल जीत लिया तूने।"


आरव:- ये भाई इतनी तारीफ काहे कर रहा है। लगता है दिमाग में कहीं ना कहीं होगा की लोभ दो, अपने बेस पर बुलाओ और टपका डालो।


लोकेश:- ओह मतलब मुझपर पूरा होमवर्क करके आए हो। मेरा कोई बेस है यह तक पता है तुम लोगों को। शाबाश !!!


ऐमी:- सॉरी जेठ जी, लेकिन आप जैसे लोग को यहां दिल्ली में चुटिया कहते है। हमे तो बस विक्रम राठौड़ चाहिए, आप बेकार में खुद को हाईलाइट किए हो।


लोकेश:- कुछ बातें पब्लिक के बीच ना हो तो ही अच्छा है। मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है कि हम साथ मिलकर बहुत ज्यादा धमाल कर सकते हैं। तुम तीनों कोई आम इंसान तो कतई नहीं हो सकते। मेरा न्योता स्वीकार करो और यहां चले आओ।


अपस्यु:- तुम पर भरोसा नहीं लोकेश… इसलिए तुम ही यहां दिल्ली क्यों नहीं चले आते।


लोकेश:- भरोसा तो तुम पर भी मुझे नहीं अपस्यु। अभी-अभी तुम्हारे परिवार को मारने कि मैंने कोशिश की और जिस हिसाब से तुमने उन्हें सुरक्षा दे रखा था, तुम पहले से हमले ले लिए तैयार थे। इसलिए हालात को समझे और परिवार के प्रति तुम्हारे प्यार को देखते हुए मेरी तो इक्छा ही मर गई अपने बेस से निकलने की।


अपस्यु:- फिर चलने दो चूहे बिल्ली का खेल, मुझे तो मज़ा आ रहा है।


लोकेश:- लेकिन मुझे तो मज़ा नहीं आ रहा ना। तुम कुछ ऐसा बताओ जिसके करने के बाद तुम्हे मुझ पर यकीन हो जाए।


अपस्यु:- तुम पर यकीन नहीं लेकिन मै खुद पर तो यकीन करता हूं। 15 अगस्त की शाम, आजादी का जश्न तुम्हारे यहां ही होगा। तुम्हारे सारे आदमी सुरक्षित है, कल उन्हें 16 अगस्त के बाद उठा लेना। तुम्हारी प्यारी पत्नी और बहन को मैंने ट्रांकुलाइजार दिया था। उनके होश में आते ही मै उन्हें सुरक्षित पहुंचा दूंगा।


लोकेश:- रहम दिल अपस्यु। खैर अब मेरे ओर से भी कोई कोशिश नहीं होगी, मिलते हैं 15 अगस्त को फिर।


जबतक लोकेश अपस्यु से बात कर रहा था, मेघा भी वहां पहुंच गई। वो ख़ामोश एक कोने में खड़ी होकर दोनो की बातें सुन रही थी। अपस्यु से बात समाप्त करके लोकेश और मेघा प्राइवेट मीटिंग रूम में पहुंचे। कल से जो जीत के घोड़े पर सवार था, आज मेघा से बात करते वक़्त तो ऐसा लग रहा था कि उसके जीत के घोड़े में पंख भी लग गया हो।


कहानी जैसे पुरा ही पलटी मार चुकी थी, और कहानी की यह पलटी कहीं ना कहीं मेघा के मन में वो ज़हर घोल गई, जिसका अंदाज़ा लोकेश नहीं लगा सकता था। जिस अपस्यु को महज एक छोटा मोहरा बोलकर मेघा को यह कहने पर मजबूर किया गया कि… "काम को लेकर अब उसकी रुचि अपस्यु में नहीं रही"… आज वही लोकेश, अपस्यु के साथ मिलकर अपने भविष्य की नीति बाना रहा था।


आज उसी लोकेश को अपस्यु एक मामूली प्यादा नहीं, बल्कि बराबर का एक साथी मान रहा था। जिस होम मिनिस्टर को कल से मारने का सपना संजोए जा रहे थे, आज उसी होम मिनिस्टर को अपने पाले में मिलने और आने वाला लोकनसभा इलेक्शन पर नजरें बनाया जा रहा था। एक ही रात में कहानी ने ऐसी पलटी मारी, की मेघा का दिमाग ही घूम गया।


अपस्यु को लेकर उसके बदले विचार के बारे में जब पूछा गया, तब लोकेश ने अजय को बुला लिया और सुबह से हुई सारी घटना सुनाने के लिए बोल दिया। अजय जब एक-एक करके सभी बातों पर प्रकाश डाला, तब कहीं जाकर मेघा के दिल को सुकून मिला। मेघा अपने साथ हुए धोक को लेकर हताश तो थी ही किन्तु उसे लोकेश का भविष्य भी समझ में आ चुका था।


सारी बातें सुनने के बाद मेघा हंसती हुई कहने लगी… "कल तो मै उसे साथ मिलाकर काम करने वाली थी, और आज उसी अपस्यु को तुमने अपने पाले में मिला लिया।"


लोकेश:- तुमने उसे कम आंका और मैंने उसी अनुसार योजना बनाई। आज सुबह जब मै उससे टकराया तब मुझे उसकी क्षमता का अंदाज़ा हुआ।


मेघा:- क्षमता का अंदाज़ा तो ठीक है लेकिन क्या वो साथ काम करेगा ?


लोकेश:- देखा जाए तो अभी वो 40000 करोड़ का वारिस है। जितना क्षमता और कनेक्शन है उसके, वो चाहता तो कबका मायलो ग्रुप का पूरा मालिक बन जाता। और हां ! मैं तो उसके बारे में कल से जाना हूं, लेकिन वो तो मेरे बारे में बहुत पहले से जानता था। एक छोटी सी भी यदि वो प्लांनिंग करता, तो मुझे भनक भी नहीं लगती और मैं खत्म। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, इसका मतलब साफ है वो दुश्मन बनाने में नहीं, बल्कि साथ मिलकर काम करने में विश्वास रखता है।


मेघा:- एक ही दिन में इतना विश्वास?


लोकेश:- विश्वास की कहानी इतनी सी है कि हम दोनों को साथ काम करना है। कुछ तो छिपे मकसद उसके भी है और कुछ छिपे मकसद मेरे। हम दोनों के छिपे मकसद जबतक पूरे नहीं होते तबतक हम एक दूसरे को नहीं ही मार सकते है।


मेघा:- और उसके बाद..


लोकेश:- उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को जान चुके होंगे। तब तो 2 ही बात होगा, या तो मौका देखकर हम में से कोई एक दूसरे को खत्म कर देगा या फिर एक मकसद खत्म होने के बाद किसी दूसरे मकसद के लिए राजी कर लिया जाए।


मेघा:- ऐसा लग रहा है तुम्हारे सारे सितारे जोड़ मार रहे है। ..


लोकेश हंसते हुए कहने लगा… "मेरे सितारे की नई दिशा जो तय करने वाला है वो लकी तो तुम्हारे गोद में पुरा बैठा है, ये क्यों भुल जाती हो। हो ना हो वो अपने हर काम में तुम्हे साथ रखेगा।"..


मेघा:- वो तो आने वाले 15 तारीख को ही पता चलेगा… फिलहाल और कुछ जो हमे करना चाहिए..


लोकेश:- हां बिल्कुल, मायलो ग्रुप की मालकिन लौट आयी है, ये बात सबको पता चलना चाहिए।


लोकेश और मेघा अपनी बातचीत खत्म करके दिल्ली के लिए रवाना हो गए। कुछ ही देर में एक बड़े से प्रेस कॉन्फेंस का आयोजन किया गया, जिसमें मायलो ग्रुप की मालकिन को दिखाया गया। साथ ही साथ कई सारे सवालों का जवाब लोकेश और विक्रम ने दिए।


मायलो ग्रुप के मालकिन के बारे में जानकर फिर तो प्रेस रिपोर्ट्स ने सवालों के बौछार लगा दिए। जिसमे नंदनी रघुवंशी का उनके साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में ना आना, पारिवारिक कलह और बीते इतने वर्षों में वो क्यों छिपी रही, यह प्रमुख सवालों में से एक था।


लोकेश सभी सवालों से बचते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया और बस यह कहकर निकल लिया की उनके सवाल का जवाब नंदनी बेहतर तरीके से दे सकती है। उन्हें भी नंदनी रघुवंशी के बारे में आज ही पता चला है, वो भी कई वर्षों की तलाश के बाद।


अपस्यु बड़े सुकून से अपने घर के हॉल में बैठा हुआ था। ऐमी बिल्कुल उसके पास और दोनो बैठकर आराम से लोकेश के प्रेस कॉन्फ्रेंस का मज़ा ले रहे थे। ऐमी, अपस्यु के ओर मुस्कुराती हुई देखने लगी…


अपस्यु:- हेय लव तुम्हे क्या हुआ?


ऐमी:- शायद कल रात हम दोनों की कुछ चिंता थी, अभी काफी सुकून मिल रहा है।


अपस्यु, किनारे से ऐमी को अपने बाहों में समेटकर उसके गले को चूमते…. "आह ! ऐसा नहीं लग रहा, काफी सुकून में आ गए हैं हम दोनों।"


ऐमी:- अच्छा और सुकून में आते ही ये तुम्हारे हाथ जो साइड से शरारतें कर रहा है उसका क्या?


अपस्यु, ऐमी के कानो को नीचे चूमते… "आप को जब पता हो कि कल आपके पूरे परिवार पर हमला होने वाला है, तब ऐसे ऐसे बुरे ख्याल दिल में आते है कि एक पल काटना दूभर हो जाता है।


"आव, बेशर्म... दूर रहो थोड़ा सा, और चलो जारा अपने गॉडफादर और गॉडमदर से भी बात कर लिया जाए। दोनो वादा करके मुकड़ गए।"… ऐमी अपस्यु के बाहों के घेरे से उठती हुई, अपनी बात कही और प्राइवेट लाइन से कनेक्ट हो गए..


पल्लवी:- हाय रात को याद कर रहा है मेरा देवर, कुछ-कुछ होने तो ना लगा..


ऐमी:- भाभी, मेरे होने वाले को रिझाना बंद करो, वरना झगड़ा हो जाएगा।


पल्लवी:- सुन ले अपस्यु मै कहे देती हूं, ये ऐमी की बच्ची तेरे लिए ठीक ना है, अभी से हमारे बीच की दीवार बन रही है।


अपस्यु:- आप दोनो बस भी करो। भाभी काम कि बात कुछ कर ले।


पल्लवी:- सबसे ज्यादा काम कि बात तो कर ही रही हूं, तू है कि दुनिया कि तमाम चीजें कर केवल एक यह जबरदस्त काम छोड़कर।


जेके:- बस भी करो तुम पल्लवी। अपस्यु बधाई हो, आज तो कमाल ही कर दिया। हम दोनों न्यूज में तुम्हारी ही खबर देख रहे थे।


अपस्यु:- आप सब तो शर्मिंदा ना कीजिए। किसने बताया था मुझे की लोकेश आधे दिन में हमारे परिवार की पूरी जानकारी पता लगाएगा। बचे आधे दिन में वो अपने सारे एक्सपर्ट को हमारे पूरे परिवार को मारने के लिए हमारे पीछे लगाएगा और अगले दिन सुबह से ही मौका देखकर सबको साफ कर दिया जाएगा।


जेके:- तुमने भी तो जगदीश राय की तिजोरी से मुझे वो डायरी दी थी, जिसकी मदद से 6 महीने में सॉल्व होने वाला केस, सिर्फ 2 महिने में निपट गया। ऊपर से हम जिसे नहीं ढूंढ पाते, उस डायरी की मदद से हमने उन्हें भी खोद निकला।


अपस्यु:- इसमें तो थैंक्स फिर मेरे ससुर जी को दे दो। क्योंकि उन्होंने ही मुझे जगदीश राय की तिजोरी खोलने का कॉन्ट्रैक्ट दिया था और वहीं पर ये काम की डायरी दिख गई तो मैंने चुरा लिया।


जेके:- और इसी डायरी की वज़ह से मैंने केस जल्दी सॉल्व कर लिया और एनएसए (NSA) हेड को लगा कि दिल्ली में मेरे बहुत ज्यादा कॉन्टैक्ट है इसलिए केस का नतीजा इतना जल्दी आ गया। इसी गलतफहमी के साथ वो अपनी एक समस्या मुझ से डिस्कस कर गए।
:applause: :applause:
Excellent updates.....
Superbly planned.....
Lokesh ke har plan ko Apashyu ne fail kar diya....
Ishme jk aur pallavi ki bohot bada sahayog hai....
Sirf plan fail nehi hua hai, Apashyu ke dwara banaya gaya bhanwar mein lokesh aur uske sathi faste jaa rahe hain
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