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Romance भंवर (पूर्ण)

Aryan s.

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Update:-124




जेके:- और इसी डायरी की वज़ह से मैंने केस जल्दी सॉल्व कर लिया और एनएसए (NSA) हेड को लगा कि दिल्ली में मेरे बहुत ज्यादा कॉन्टैक्ट है इसलिए केस का नतीजा इतना जल्दी आ गया। इसी गलतफहमी के साथ वो अपनी एक समस्या मुझ से डिस्कस कर गए।


अपस्यु:- हाहाहाहा.. लेकिन आपमें और मुख्य सचिव में तो बनती नहीं थी ना भैय्या।


जेके:- "हां सो तो है, लेकिन जब वो मदद मांगने आया तो उसका विषय सुनकर मै मदद किए बिना रह नहीं पाया। हुआ ये था कि मायलो ग्रुप के विपक्ष और पक्ष के संबंध को देखकर होम मिनिस्टर थोड़ा सचेत हो गया था। याद है, राजीव मिश्रा की हरकत, उस वक़्त मायलो ग्रुप ने पुरा महाभियोग चला दिया और होम मिनिस्टर को उसके पद से हटाने की वो पूरी तैयारी कर चुका था।"

"बस इसी बात से खिसियाकर, होम मिनिस्टर ने उस बक्शी को ही मायलो ग्रुप के पीछे लगा दिया। बक्शी जब इसके पीछे गया, तभी तो सारी बातों का खुलासा हुआ। मायलो ग्रुप में जिसके पीछे बक्शी की पूरी इन्वेस्टिगेशन चल रही थी, यानी कि नंदनी रघुवंशी, मायलो ग्रुप की मालकिन, वो कभी बक्शी को मिली ही नहीं। बक्शी भी चक्कर खा गया और मेरे पास पता लगाने आया था कि नंदनी रघुवंशी कैसे पर्दे के पीछे सारा खेल रच रही है?

"वहीं से फिर पता चला था कि ये लोकेश, नंदनी रघुवंशी के नाम पर बहुत से कांड किए है और चूंकि नंदनी रघुवंशी को किसी ने देखा नहीं, इसलिए सब इस बात में जुटे रह गए की जिसके मालिक ने आज तक एक भी दस्तावेज सिग्नेचर नहीं किए उसे कैसे फसाया जाए।"

"तभी तो मैंने तुझसे कहा था कि जिस दिन नंदनी इन लोगों को मिलेगी। केवल 2 दिन में ये लोग अपना सभी बड़े टारगेट को खत्म करके नंदनी रघुवंशी पर सारा इल्ज़ाम डालेंगे और खुद बाहर रहकर पुरा कंट्रोल अपने हाथ में रखेंगे।"


अपस्यु:- इस डेढ़ साने का बड़ा टारगेट होम मिनिस्टर ही था। अब समझ में आया मुझे, की इसने देर शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस करके केवल इतना क्यों कहा कि मायलो ग्रुप की मालकिन मिल गई और प्रेस के किसी भी सवाल का उत्तर क्यों नहीं दिया।


जेके:- हां वो तो मैंने भी देखा। अब भी इसके दिमाग ने खिचड़ी पक ही रही है।


अपस्यु:- हां शायद, तभी तो दूसरों को हिंट कर गया कि मां शुरू से पर्दे की पीछे थी, बस अब सामने आ रही है।


जेके:- कर लेने दे अब उसे अपनी बची खुची प्लांनिंग, मैंने बक्शी को नंदनी और उसका पूरा इतिहास खोल दिया है। तू तो बस 15 अगस्त की अब प्लांनिंग कर, बाकी का काम तो बक्शी की टीम कर जाएगी क्योंकि उन्हें अब मामला समझ में आ चुका है और एक्शन प्लान तो उनका बन ही चुका होगा।


अपस्यु:- हां इधर सब संतुलन में ही है समझो। आप दोनो से लेकिन मै काफी नाराज हूं। कहां गए ना तो वो बताए हो और ना ही ये की कब मिशन शुरू कर रहे।


जेके:- हम एक्शन प्लान से बाहर है, बस कुछ इन्वेस्टिगेशन का जिम्मा मिला है।


पल्लवी:- सॉरी ये वादा मैंने किया था और मै तुम दोनों को अपडेट नहीं कर सकी। हम दोनों इस वक़्त रोंचेस्टर सिटी में है और मयो क्लीनिक का इन्वेस्टिगेशन में आए है।


अपस्यु:- ये वही मायो क्लीनिक है ना जिसके लिए कुछ इंडियन डॉक्टर्स ने रिक्वेस्ट की थी और तब नाना जी ने अपने कंपनी में नाम से यह हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर खोला था।


पल्लवी:- लड़का अपने खानदान का पूरा इतिहास समेटे है। हां ये वही मायो क्लीनिक है।


अपस्यु:- ठीक है भाभी, आप दोनो इन्वेस्टिगेशन का मजा लो और हमे अपडेट करते रहना। पता नहीं क्यों मेरा भी दिल कर रहा है आप दोनो के साथ एक बार पूरे एक केस पर काम करने की।


जेके:- चल रे इमोशनलेस प्राणी, लोगों के बीच रहकर ज्यादा इमोशनल होने वाली बीमारी ना पाल।


पल्लवी:- हां अपस्यु जेके ने सही कहा। हम दोनों जल्द ही मिलते है, तबतक तुम दोनो मिलकर एक जूनियर ऐमी या जूनियर अपस्यु का प्रोडक्शन करके रखना। यह हमारा आखरी केस है, इसके बाद हमने फैसला किया है कि फील्ड जॉब छोड़कर नए रिक्रूट को ट्रेंड करेंगे।


ऐमी:- बेरा गर्क हो। ओय भाभी फिर उस फक्र की मौत का क्या जिसके हसीन सपने दोनो मियां बीवी देखते थे, फील्ड में एक्शन करते हुए मरना।


पल्लवी:- हीहीहीही… अब फील्ड तो नसीब ही नहीं होगा। यहां भी तो हमे फील्ड से बाहर रखकर बस इन्वेस्टिगेशन में डाले हैं। केवल इन्वेस्टिगेशन करो और रिपोर्ट दो। चल अब रखती हूं, दोनो अपना ख्याल रखना और हमारे आने तक एक जूनियर को ले आना।


पल्लवी अपनी बात पूरी करके कॉल डिस्कनेक्ट कर दी। और इधर ऐमी को देखकर अपस्यु… "चलो फिर चलते है।"..


ऐमी:- कहां बेबी।


अपस्यु:- सुनी नहीं क्या भाभी ने क्या कहा, उनके लौटने तक मेहनत करके एक बच्चा उनकी गोद में देना है।


ऐमी, अपनी आखें बड़ी करती… "तुम्हे नहीं लगता आंटी के जाने के बाद तुम्हे खुला खजाना मिल गया है।"


अपस्यु, ऐमी को पकड़ने की कोशिश कर ही रहा था कि ठीक उसी वक़्त घर की बेल बजी…. "जाओ देखो आ गई छिपकली, हमारा रोमांस खत्म करने। अगर श्रेया हुई ना तो तुम देख लेना।"..


अपस्यु, दरवाजे के ओर बढ़ते… "और नहीं हुई तो क्या करोगी।"..


ऐमी:- मैंने केवल श्रेया के होने पर क्या होगा वो बताई, बाकी ना होगी तो तुम्हारे लिए अच्छा होगा। अब दरवाजा खोलकर सस्पेंस दूर कर लो।


अपस्यु:- डफर, सीसीटीवी भी नहीं देखती क्या, दरवाजे पर कुसुम है।


अपस्यु दरवाजा खोलने लगा और ऐमी अपने सर पर हाथ मारती दरवाजे के ओर देखने लगी। दरवाजा खुलते ही कुसुम अंदर आयी और दरवाजा बंद करके हॉल में बैठ गई। थोड़ी परेशान दिख रही थी। ऐमी कुसुम के ओर पानी बढ़ाती… "तुम इतनी परेशान क्यों नजर आ रही हो।"


कुसुम:- जब से सुनी हूं, भईया मेरे कजिन है तब से जितनी खुश नहीं हूं, उस से ज्यादा मै परेशान हूं। आप लोग मेरे भाई और पापा को नहीं जानते, वो अच्छे लोग नहीं है।


अपस्यु:- हेय । मैं तो कुसुम को जनता हूं ना, वो तो अच्छी और प्यारी है। तुम चिंता नहीं कर, हमे कुछ नहीं होगा।


कुसुम:- भईया आप समझते क्यों नहीं, सब के सब झल्लाद है। जबतक स्वार्थ है तबतक आपके साथ है, एक बार इनका मतलब निकल गया, फिर ये लोग, लोगों को गायब कर देते है।


कुसुम की चिंता उसकी बातों से साफ झलक रही थी। तकरीबन आधे घंटे तक कुसुम केवल यह समझने की कोशिश में जुटी रही की उसके पिता और भाई पॉवर और पैसों के लिए कुछ भी कर सकते है, और अपस्यु बस इधर उधर की बातों से उसका दिल बहलाता रहा।


अंत में जब वो वहां से जाने लगी तब भी वो गुमसुम थी, एक फीकी मुस्कान के साथ वो अपस्यु को अपना ख्याल रखने के लिए बोलकर चली गई। कुसुम कबका दरवाजे से निकल गई, लेकिन ऐमी अब भी दरवाजे के ओर ही देख रही थी…. "इतनी गहरी सोच, बहुत मासूम है ना वो।"..


ऐमी, तेज श्वांस छोड़ती…. "और बहुत मायूस भी थी, आगे आने वाला वक्त इसके लिए काफी मुश्किल से भड़ा होगा।"…… "ऑफ ओ अपस्यु"..


"ऐमी, उसके लिए तो आने वाला वक्त मुश्किलों से भड़ा है, लेकिन मेरा भारी वक़्त तो ना जाने कब से शुरू है।"…


ऐमी, अपस्यु को मुसकुराते हुई देखी, अपने होंठ से अपस्यु के होंठ को स्पर्श करती…. "हम हर मुश्किल वक़्त को बांट लेंगे। आधा तुम्हारा आधा मेरा।"..


14 अगस्त की सुबह….


प्यार भरे सुकून के पल बांटने के बाद एक खुशनुमा सुबह की शुरवात हो रही थी। ऐमी मीठी अंगड़ाई लेकर जाग रही थी और अपस्यु वहीं पास में सुकून से लेटा हुआ था। उसे खामोशी से यूं सुकून से लेटे देख, ऐमी कुछ सोच कर हंसने लगी।


ऐमी अपने दोनो पाऊं उसके कमर के दोनों ओर करके, उसका गला पकड़कर जोड़-जोड़ से हिलाने लगी…. अपस्यु ने जैसे ही अपनी आखें खोली, उसके होंठ से होंठ लगाकर जोरदार और लंबी किस्स करना शुरू कर दी। आह्हह ! इस से बेहतरीन सुबह की शुरवात भला हो सकती थी क्या? अपस्यु तो मदहोश होकर जागा।


ऐमी जब किस्स को तोड़कर अलग हुई, दोनो की श्वांस चढ़ी हुई और आखों में चमक और हंसती हुई कहने लगी…. "किसी एक दिन मेरी सुबह की शुरवात भी इतनी धमाकेदार हुई थी लेकिन पुरा दिन किसी को मेरा ख्याल नहीं आया। पे बैक टाइम बेबी"

इससे पहले कि अपस्यु उठकर उसे दबोच पता, ऐमी हंसती हुई उसके पास से भागकर दूसरे कमरे में आ गई, और दरवाजा लॉक करके हंसने लगी। ऐमी बिस्तर पर बैठकर हसने लगी और इधर अपस्यु भी उसकी इस अदा पर हंस रहा था।…. कुछ ही देर में दोनों तैयार होकर हॉल में बैठे थे। अपस्यु सोफे से टिका था और ऐमी उसके सीने पर सर रखकर दोनो प्यार भरी बातें कर रहे थे। तभी खटाक की आवाज़ के साथ दरवाजा खुला और सामने आरव था।


आरव की देखकर, ऐमी और अपस्यु के चेहरे खिल गए। आरव दौड़ता हुआ पहुंचा दोनो के बीच और तीनों गले मिलने लगे…. तीनों साथ बैठकर कुछ देर बात करते रहे, फिर आरव वहां से उठकर अपने कमरे चला गया।


ऐमी:- 15 को लौटता ना ये तो, एक दिन पहले चला आया।


अपस्यु:- अब ये तो आरव ही जाने, लेकिन आज सुबह की शुरवात जिस जोरदार रोमांस से हुई थी, उसमे ये ग्रहण लगाने चला आया।


ऐमी:- हीहीहीहीही… बोल दूं क्या चला जाए यहां से।


अपस्यु:- कभी-कभी ना तुम्हारी ये खीखी मेरा सुलगा देती है।


ऐमी अपनी पाचों उंगली अपस्यु के चेहरे पर फिराती…. "रात ही तो अपनी मर्जी का सब किए थे, अब सुबह-सुबह ऐसे चिढ़ जाओगे तो कैसे काम चलेगा। चलो, स्माइल करो।


अपस्यु, ऐमी को खींचकर अपने सीने से टिकते… "होंठ से बस होंठ को छू लो, स्माइल तो ऐसे ही आ जाने है।"..


ऐमी बड़ी अदा से मुस्कुराती हुई…. "और किस्स ना करूं तो बेबी के फेस पर स्माइल नहीं रहेगी क्या?"..


अपस्यु:- स्माइल तो तब भी रहेगी लेकिन जो स्माइल तुम्हारी नजरें ढूंढती है वो ना रहेगी।


ऐमी अपना चेहरा ऊंचा करके धीरे-धीरे ऊपर बढाने लगी। अपस्यु के होटों पर आयी मुस्कान को देखकर ऐमी का चेहरा खिल गया। इंच दर इंच धीरे-धीरे ऐमी के होंठ अपस्यु के होंठ के बिल्कुल करीब आ गए। होंठ से होंठ स्पर्श होने लगे और दिल में कुछ गुदगुदा सा महसूस होने लगा। सौम्य सी छुअन थी होंठ की और दोनो की आखें बंद होने लगी।


गले की तेज खड़ास की आवाज़ के साथ… "इतनी बेख्याली की लोग कब घर में घुसे पता ही ना चले।"..


गले की खराश की आवाज़ के साथ ही दोनो झटक कर अलग हो गए। नंदनी जबतक अपना डायलॉग बोल रही थी, तबतक कुंजल दौर कर अपस्यु से लिपट गई और ऐमी अपना सर पुरा नीचे झुकाए, अंदर ही अंदर हंस रही थी, जिसे अपस्यु भाली-भांति महसूस कर रहा था।


इस से पहले की नंदनी कुछ सवाल-जवाब करती, ऐमी झट से नंदनी के पास पहुंची और उसके पाऊं छूकर कहने लगी…. "मां, मै आपसे आकर मिलती हूं। बस जा ही रही थी और विदाई सेशन चल रहा था हमरा।".. नंदनी, ऐमी को रोकती रह गई लेकिन वो रुकी नहीं।


नंदनी, ऐमी का चुलबुला पन देखकर हसने लगी और हंसती हुई अपने कमरे में चली गई। इधर कुंजल, अपस्यु को बिठाकर बातें करने लगी और अपस्यु का ध्यान स्वास्तिका के खिले हुए चेहरे पर था। वो स्वास्तिका के अंदर चल रहे खुशी को महसूस कर सकता था।


"भईया, सुनो तो आप, मै क्या कह रही हूं।"… कुंजल अपस्यु का ध्यान अपनी ओर खींचती हुई कहने लगीं। अपस्यु, कुंजल को कुछ देर शांत रहने का इशारा करके स्वास्तिका को अपने पास बुलाया…. "15 अगस्त की रात से पहले इन आखों में आशु नहीं आने चाहिए। तुम समझ रही है ना।"..


स्वास्तिका, कुछ बोल तो नहीं पाई लेकिन खुशी से अपना सर "हां" में हिलानें लगी। स्वास्तिका को अपने पास बिठाकर उसके सर को सीने से लगाकर अपस्यु कहने लगा…. "वर्षों से जल रही आग का कल हिसाब हो जाएगा। हम जब कल उन्हें आजमाना शुरू करेंगे, तो वादे अनुसार उनको हम अपने कतरे-कतरे जले अरमानों से अवगत करवा देंगे।"


कुंजल:- मुझे भी अपनी जलन शांत करनी है। क्या मैं भी आपके साथ चल सकती हूं।


स्वास्तिका:- नहीं ! वहां बहुत खतरा है।


अपस्यु:- ये अपनी दीदी और भाभी के बीच रहेगी। जिसके आगे पीछे इसके दो भाई रहेंगे, और सर के ऊपर पुरा सुरक्षित शाया। कल मेरी बहन जाएगी और जरूर जाएगी। लेकिन एक बात याद रखना, 7 साल का नासूर दर्द सीने में है, कोई किसी को मारना मत। मृत्यु उनके लिए मोक्ष होगी और मै किसी को भी मोक्ष नहीं देना चाहता।


"तुम कहां जा रहे हो और क्या होने वाला है, उसमे कितना खतरा है ये सब देखने की जिम्मेदारी तुम्हारी है अपस्यु लेकिन मुझे अपने सभी बच्चे मेरे नजरों के सामने चाहिए, बिना किसी नुकसान के।" … नंदनी पीछे से आकर तीनों के सर पर हाथ फेरती हुई कहने लगी।
Update:-125





अपस्यु:- मां आप बेफिक्र रहो। कल हम सब वैसे भी एक्शन ना के बराबर करेंगे और पुरा शो पॉपकॉर्न के साथ एन्जॉय करेंग। आप भी हमारे साथ क्यों नहीं चलती।


नंदनी:- नहीं मै नहीं आ सकती बेटा। जैसे तुम्हारी अपनी योजना है वैसे ही मेरी अपनी योजना है। एक अच्छे आदमी का नाम खराब किया है अपस्यु इन लोगो ने। मरणोपरांत किसी के नाम को मिट्टी में मिला दिया गया। मेरे पापा और मेरे भाई ने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा, और ना ही कभी पैसों को तब्बजो दिया है। बस अपनी मां की एक ख्वाहिश पूरी कर देना, जब तुम लौटो तो उनका नाम पर लगा कलंक साफ हो जाना चाहिए, और इधर मै उनके एक बहुत बड़े सपने को साकार करने की दिशा में काम करूंगी। 16 अगस्त को जब सब सामान्य हो जाएगा, मै उसी दिन ये घोषणा करना चाहती हूं। क्या तुम मेरे लिए एक अच्छी टीम अरेंज कर सकते हो जो मेरे प्रोजेक्ट को पूरी तरह से प्लान कर दे।


अपस्यु:- मेरे बापू कब काम आएंगे मां। आप सिन्हा जी से मिल लीजिए, आपका सारा काम हो जाएगा….


नंदनी:- मै भी वही सोच रही थी। तुम सब अपने काम में लग जाओ, और हां ऐमी को भी बुला लो, उसे इस वक़्त यहां होना चाहिए।


कुंजल:- आप खाली थप्पड़ चलाने के लिए हो क्या मां, इतना तो आप भी कर सकती है, वो भी पूरे हक से।


स्वास्तिका, कुंजल के सर पर एक हाथ मारती…. "पागल कहीं की, बोलते-बोलते कुछ भी बोल जाती है।"..


अपस्यु:- हो गया, छोटी के मुंह से कुछ ज्यादा निकल गया हो तो एडजस्ट कर लो तुम लोग।


नंदनी:- तेरे छोटी और बड़ी कि हेंकरी तो मै 17 अगस्त से निकालूंगी, अभी जारा मै काम कर लूं। वैसे आते वक़्त मैंने गुफरान और प्रदीप को नहीं देखी, दोनो को कहीं भेजे हो क्या?


अपस्यु:- दोनो काम छोड़ गए मां। रुको आरव को बोलता हूं छोड़ आएगा।


तीनों एक साथ आश्चर्य… "आरव यहां है और अब तक कमरे के बाहर नहीं आया।"


अपस्यु:- कुछ जरूरी काम कर रहा होगा इसलिए बाहर नहीं आया।


नंदनी:- नहीं उसे रहने दो , मैं सिन्हा जी को बोल देती हूं किसी को भेज देंगे। और ऐमी को भी फोन लगा देती हूं।


अपस्यु:- मां, आज आप अकेली ही रहना, हम सब कुछ देर में राजस्थान के लिए निकलेंगे।


नंदनी:- मै अकेली क्यों रहूंगी, श्रेया तो है ना।


अपस्यु:- नाह ! उसने तो कल ही फ्लैट छोड़ दिया।


नंदनी:- हम्मम ! कोई बात नहीं, आज मै अपने 120 पोते-पोतियों के बीच सोऊंगी। पूरा भड़ा पुरा माहौल में, वो भी पूरी मस्ती के साथ। तुम लोगों को जहां जाना है वहां जाओ।


नंदनी ने ऐमी को ही कॉल लगाकर किसी ड्राइवर के साथ आने के लिए कह दी। कुछ देर बाद ऐमी फ्लैट के अंदर थी और नंदनी सिन्हा जी से मिलने चली गई। सुबह के 11 बज रहे थे, अपस्यु सबको वैन में लेकर दिल्ली राजस्थान हाईवे पर था।


सभी के मन में कई सवाल थे लेकिन अपस्यु बस उन्हें शांत रहकर सरप्राइज का इंतजार करने के लिए कहने लगा। 10 मिनट के बाद वैन एक बड़े से स्क्रैप यार्ड के पास खड़ी हो गई। सबको वैन में रुकने के लिए बोलकर, अपस्यु स्क्रैप यार्ड के अंदर घुसा और वहां एक लड़के से बात करने लगा। उस से बात करने के बाद अपस्यु वापस वैन में बैठा और वैन कुछ दूर आगे जाकर रुकी।


अपस्यु सबको नीचे आने का कहकर एक बड़े से गराज का शटर खोला, अंदर एक लाइन में 5 कार खड़ी थी जिसके ऊपर पेपर का कवर चढ़ाया गया था।… "क्या यार हम राजस्थान के लिए निकले है या यहां एनएच के कबाड़खाना देखने आए है।"…


"हम्मम ! अच्छा सवाल हैं। लेकिन इस सवाल का जवाब इन पेपर के अंदर छिपे कार में है।"….. अपस्यु एक कार के ऊपर के सारे पेपर हटाते हुए कहने लगा। … "पेश है पूरी तरह कस्टम की गई फरारी। ऑटोमोबाइल इंजीनियिंग का नायाब कारीगरी, जिसे आपकी प्यारी भाभी और मेरी होनी वाली प्यारी पत्नी ने आप सबको गिफ्ट किया है।"


कुंजल:- ऐसा क्या खास कस्टम किया है भाई ?


अपस्यु:- "कार की खास बात सिर्फ इतनी सी है कि, हम किसी के यहां बुलावे पर खाली हाथ अशहाय की तरह पहुंचेंगे और हमारी सारी जरूरत ये कार पूरी करेगी। इसके अलावा बहुत से और भी गुण के साथ इसे कस्टम किया है। हर किसी के लिए यहां उसकी अपनी कस्टम कार है और हर कार पर उसके मालिक का नाम लिखा है। 100% कंप्यूटराइज्ड बायोमेट्रिक सुरक्षा तकनीक के साथ जिसे बिना आपके कमांड के ऑपरेट नहीं किया जा सकता। इसके अलवा अंदर के सारे फंक्शन भी आपके हुक्म के गुलाम है।"

"बाकी सारी डिटेल कार के अंदर है, धीरे-धीरे सभी खूबियां समझ में आ जाएगी। यहां से वीरभद्र के गांव का सफर लगभग 700 किलोमीटर का है । हम बीच में जयपुर में हॉल्ट लेकर लंच करेंगे और फिर वहां से उदयपुर और उदयपुर से वीरभद्र के गांव। जयपुर हॉल्ट का जीपीएस लोकेशन मैंने भेज दिया है, यहां से हम अपनी कार में रेस करते हुए निकलेंगे।"


सभी लोग हूटिंग करते हुए कार का कवर खोले। कुछ ही समय में सभी कार सड़क पर थी। इंजन की आवाज़ घन-घन करने लगी और सबने अपने कार को भगाना शुरू कर दिया। कार हवा से बातें करना शुरू कर चुकी थी। जल्द ही सबके कार की गति 140-150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के हिसाब से चलने लगी थी। इससे ज्यादा तेज गति में कार ले जाने की हिम्मत किसी में नहीं हुई सिवाय अपस्यु के, जो टॉप स्पीड में लगभग 300 से 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ते हुए सबके बीच दूरियां बनता जा रहा था।


सभी लोगों कि गाड़ी हॉल्ट डेस्टिनेशन पर जैसे ही रुकी…. "आज क्या गाड़ियों की सेल लगी थी, जो हर कोई फरारी लिए घूम रहा है।"… आरव पार्किंग में अपनी गाड़ी खड़ी करते हुए सोचने लगा। यही हाल स्वास्तिका और कुंजल का भी था।


"ज्यादा आश्चर्य करने की जरूरत नहीं है, 20 कार कस्टम की गई थी, जिसमें से 7 अपने पास है।"…. ऐमी तीनों के पीछे खड़ी होकर कहने लगी।


आरव:- ओह हो मतलब 13 गाडियां कॉलीब्रेशन की है। अब मुझे समझ में आ गया कि दृश्य भईया किस धरती के बोझ की बात कर रहे थे, और अपस्यु ने अचानक ही सारे योजना को किनारे करके नई योजना पर क्यों काम शुरू कर दिया।


स्वास्तिका:- तुम दोनो कोड में बात क्यों कर रहे हो।


कुंजल:- उम्मीद है इस कोड का खुलासा किए बिना अब हमे इंतजार करने के लिए कहा जाएगा।


ऐमी:- हां इंतजार करने कहा जाएगा और साथ में यह भी की शादी जैसा माहौल होने वाला है।


सभी एक साथ…. "ये शादी जैसा माहौल का क्या मतलब है।"


ऐमी:- जैसे एक रिश्ता, शादी तक पहुंचाने के लिए घरवाले पूरी मेहनत करते हैं ठीक वैसे ही हमने अपने काम को आखरी अंजाम तक पहुंचा दिया है। अब शादी में बस हम सब को एन्जॉय करना है, पुरा एन्जॉय और शादी का पूरा भार किसी जिम्मेदार को सौंप दिया है।


कुंजल:- लेकिन भाभी, थोड़ा-नाच गाना और विधि वाले काम तो हमारे हिस्से में है ना।


ऐमी:- हां हां वो हमारे हिस्से में ही है और हम लोग पूरे मज़े के साथ उसे करने वाले है। चलो अन्दर चला जाए।


सभी लोग जैसे ही अंदर पहुंचे, अपस्यु किसी के गले लगकर उसके कानों में कुछ कहा और वो पलट कर सबको हाथ दिखता वहां से चला गया। सभी लोग एक टेबल पर आकर बैठ गए…. "अब ये महाशय कौन है।"… स्वास्तिका ने पूछा।


आरव:- ये दृश्य भईया है, मौसेरे भाई। शादी का पूरा व्यवस्था देखना इन्हीं के जिम्मे है और अपना काम होगा पूरी शादी एन्जॉय करना।


कुंजल, अपनी छोटी सी आंख बनाती, कुछ कहने ही वाली थी, उस से पहले ही अपस्यु कहने लगा…. "सब आराम से यहां लंच एन्जॉय करो। वैसे भी तमाम उम्र सवाल जवाब में ही गुजरा है, सो मैं चाहता हूं तुमलोग शादी एन्जॉय करो, बाकी बातें तो ये इवेंट एन्जॉय करने के बाद भी होता रहेगा।"


अपस्यु की बात मानकर सभी लंच करने लगे। लंच के दौरान तीखी बहस छिड़ी हुई थी। आपस में चिढाना और खींचा तानी लगा हुआ था। जयपुर हॉल्ट से सभी लोग तकरीबन 3 बजे निकले। इस बार जब जयपुर से निकले, तभी कुंजल सबको आखें दिखती कह दी… "इस बार कोई आगे पीछे नहीं भागेगा। सब साथ में चलेंगे।"


कुंजल की बता भला कोई ना माने। ऐमी ने सभी 5 गाड़ी के एसेस कंट्रोल लिया और अपस्यु के कार को कमांड दे दिया। ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी का क्या कॉम्बो कस्टम किया था। सभी कार ऑटो ड्राइव कमांड में थे। आगे अपस्यु अपनी कार ड्राइव कर रहा था, और पीछे इंजन से लगे बोगी की तरह बाकी कार चल रही थी।


ऐमी कुंजल के साथ आकर बैठ गई और आरव स्वास्तिका के साथ। बातचीत करते हुए सभी 6 बजे के आसपास उदयपुर की सीमा में घुसे। वहां से फिर सभी अपने-अपने कार में सवार होकर वीरभद्र के घर। सायं-सायं करती सभी कार वीरभद्र के घर के आगे रुकी। चूंकि वीरभद्र को पहले से सूचना थी, इसलिए वो बाहर खड़ा ही उनका इंतजार कर रहा था।


इतनी सारी कार एक साथ आते देख लोगों की भीड़ भी आकर वहां जमा होना शुरू हो गई। वीरभद्र ने तुरंत सभी कार को अपने पीछे आने का इशारा किया। थोड़ी ही देर में कार वीरभद्र के वर्किंग सेक्शन के पास खड़ी थी। अपस्यु के इशारे पर आरव सबको लेकर वीरभद्र के ट्रेनिंग एरिया के ओर चल दिया…


कुंजल:- वीरे जी..

वीरभद्र:- जी कुंजल जी…


कुंजल:- अरे मै इतने दिन बाद मिल रही हूं, ना कोई दुआ ना कोई सलाम, आप तो इधर-उधर घूम रहे है।


निम्मी:- ये छोड़ा जारा शर्मिला है। लड़कियों से ठीक से बात नहीं कर पाता, ऊपर से मालिक की बेटी, कहां से नजर मिला पाएगा।


कुंजल:- और तुम्हारी तारीफ।


एक छोटे से परिचय के बाद सब लोग आपस में बात करने लगे। पार्थ भी वहीं पर था, लेकिन सभी लोगों ने जो एक बात गौर की वो था पार्थ का बदला स्वभाव। बोल्ड और बेवाक बातें करने वाला पार्थ, किसी भीगी बिल्ली की तरह बस थोड़ा सा हंस रहा था और थोड़ा सा बोल रहा था।


स्वास्तिका और आरव उसे लेकर कोने में पहुंचे। निम्मी, पार्थ के विषय में बहुत कुछ देखकर भी अनदेखा करके वीरभद्र और कुंजल के साथ बातों में लगी हुई थी। तीनों आपस में बातें कर रहे थे, बीच, बीच में कुंजल वीरभद्र को छेड़ देती और उसका शर्माना देखकर निम्मी और कुंजल हंसने लगती। बातों के दौरान कुंजल के हंसी मजाक को देखकर निम्मी ने कह ही दिया…


"आप हमारे मालिक की बेटी है, और जिस तरह से आप घुल मिलकर मज़ाक कर रही है उस से लगता है, आप सबकी चहेती होंगी। देखने में तो कोई जवाब ही नहीं, किसी भी लड़के का दिल धड़क जाए… मेरी विनती है कि मालिक और नौकर के बीच मेल-जोल थोड़ा कम ही रहे तो अच्छा है।"..



कुंजल का हंसता चेहरा, निम्मी की बात सुनकर जैसे मुरझा सा गया हो। वीरभद्र भी समझ नहीं पाया कि अचानक ही निम्मी ने ऐसा क्यों कह दिया। लेकिन उसे भी निम्मी की बात कहीं ना कहीं सही ही लगी, इसलिए उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिया। कुंजल चुपचाप वहां से उठकर अपस्यु और ऐमी के पास चली आयी जो इस वक़्त कार के अंदर की सब व्यवस्था पर चर्चा कर रहे थे।


दोनो आपस में बात कर रहे थे, तभी बात करते-करते दोनो की नजर कुंजल पर गई।… "बच्ची का मुंह कहे उतरा है। अभी तो इसकी खिली सी हंसी की आवाज़ आ रही थी।"… अपस्यु कुंजल को देखते हुए ऐमी से कहा।


ऐमी:- लगता है कोई बात चुभ गई है। चलो देखते हैं।


ऐमी जैसे ही 2 कदम आगे बढ़ी अपस्यु पीछे से जमीन पर लेटकर नागिन डांस करने लगा। कुंजल के उतरे चेहरे पर हंसी की लहर तैर गई। जोर से चिल्लाती हुई वो कहने लगी… "भाभी, इनकी नौटंकी शुरू हो गई। प्लीज उठाओ भईया को, कहीं भी लेटकर नागिन डांस दिखाने लगते है।"


ऐमी जब पीछे मुरी तब अपस्यु की हरकत देख वो भी हसने लगी। कुंजल का चिल्लाना सुनकर पीछे से वीरभद्र और निम्मी भी वहां पहुंचे। अपस्यु खड़ा होकर कुंजल को अपने पास बुलाया…. "ये क्या है कुंजल, तेरा मुंह क्यों फुल गया।".. तबतक वीरभद्र और निम्मी भी उनके पास पहुंच गए थे।
Nice updates....
Kuch bada karne se pehle family ek sath time spend kar raha hai...,
Sab ek sath lage huen hai safal hone ke liye.....
Kunjan toh jaan hai apashyu aur aarav ka,
Uske hone se aur bhi maja aayega....
Nimmi ne jo malik noukar ki baat boli woh kunjan ko achha nehi lagi....
Iss liye uski munh utri hui hai ...
Very nice
 

Aryan s.

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139
Update:-126





ऐमी जब पीछे मुरी तब अपस्यु की हरकत देख वो भी हसने लगी। कुंजल का चिल्लाना सुनकर पीछे से वीरभद्र और निम्मी भी वहां पहुंचे। अपस्यु खड़ा होकर कुंजल को अपने पास बुलाया…. "ये क्या है कुंजल, तेरा मुंह क्यों फुल गया।".. तबतक वीरभद्र और निम्मी भी उनके पास पहुंच गए थे।


कुंजल वीरभद्र और निम्मी को देखती हुई कहने लगी… "अगर वीरे जी से मुझे शादी करनी हुई, तो क्या आपको ऐतराज होगा।"..


अपस्यु:- हाहाहाहाहा…. नाह बिल्कुल ऐतराज नहीं होगा, हां बस तुमसे शादी के लिए वीरे को तुम्हारा दिल जीतना होगा। क्या कोई मालिक नौकर वाली बात कही किसी ने?


कुंजल:- हां इसकी बहन निम्मी ने।


अपस्यु:- तुम्हारा हाथ कैसा है निम्मी।


निम्मी, खामोशी से… "ठीक है, बस हल्का स्क्रैच आया था। मै सोचती थी बस मेरा निशाना ही परफेक्ट है, लेकिन आपने मेरा भ्रम तोड़ दिया।"..


ऐमी:- हमारी छोटी से ऐसा क्या कह दी, जो बेचारी का खिला चेहरा उतर गया।


निम्मी:- कुछ नहीं, बस आप सब बड़े लोग है और छोटी सी गलतफहमी बहुत असर करती है। मेरे भाई की तो परमानेंट नौकरी है, इसलिए वो रहेगा तो आप लोगों के साथ ही, और इनका मज़ाक कहीं कोई गलतफहमी ना पैदा कर दे इसलिए पहले से सचेत कर रही थी।


ऐमी:-:हां ये गलतफहमी अच्छी चीज नहीं। लेकिन अगर वीरे चाहे तो कुंजल का दिल जीतने की कोशिश कर सकता है। हम दोनो को लड़का पसंद है।


कुंजल:- अरे अरे अरे… ये आप लोग कौन सा स्टेशन पकड़ लिए। मैं तो बस निम्मी को समझना चाहती थी कि हमारे घर में कोई ऐसा नहीं जिन्हें मेरा वीर जी से बात करना बुरा लगे।


निम्मी:- हां मै जानती हूं ये बात। और मैंने आपके लिए नहीं कहा था। मैं अपने भाई को ही समझा रही थी। कई बार हम लड़कियों का हंसकर बात करना, हमारे लिए पाप हो जाता है। हम तो बस हंसकर बात करते है और सामने वाला कोई और ही मतलब निकाल लेता है।


अपस्यु:- हम्मम ! बात तो निम्मी की भी सही है। क्यों भाई वीरे जी आपका क्या सोचना है इस मुद्दे पर।


वीरभद्र:- मुझे नहीं पता कि निम्मी ने अचानक चल रहे अच्छे माहौल में ऐसी बातें क्यों कही, लेकिन विश्वास रखिए, मै कुंजल जी के मज़ाक को महज मज़ाक के तौर पर लेता हूं। किसी भी बेवाक कहीं बात पर ना तो मेरी सोच गलत हो सकती है और ना ही मेरी नजर।


अपस्यु:- अब क्या कहना है निम्मी…


निम्मी:- कुछ नहीं छोड़िए सर, शायद मै ही कुछ पुराने बातों को लेकर कुछ ज्यादा ही ओवर रिएक्ट कर गई।


निम्मी, अपस्यु को लेकर एकांत में लती हुई..… "मै चाहती हूं आप मेरे भाई को वहां ना लेकर जाएं, कुछ बातें उसे ना ही पता चले तो अच्छा है।"


अपस्यु:- ना ही वो जाएगा और ना ही तुम्हारे साथ क्या हुआ वो जान पाएगा। अब खुश।


निम्मी:- खुशी तो कबकी खत्म हो गई है सर, बस जिंदा हूं।


अपस्यु:- पार्थ तुम्हे पसंद करता है, तुम उसे थोड़ा वक़्त क्यों नहीं देती।


निम्मी:- नहीं सर, अब मन नहीं किसी को भी वक़्त देने का। लोकेश से अपना हिसाब बराबर करने के बाद मै दृश्य भईया के साथ निकलूंगी। अब मेरा काम और मेरा जीवन उन्हीं को समर्पित है। उनके साथ काम करके कम से कम सुकून तो रहता है।


अपस्यु:- पार्थ को तुम भी चाहती हो ना।


निम्मी:- प्लीज सर दिल के अरमानों के तार मत छेड़ो। मेरी भी इक्छाएं है लेकिन पार्थ जैसे लोग किसी एक के होकर नहीं हो सकते। किसी भी तरह के अरमान उसके साथ संजोना ही बेईमानी होगी। वैसे भी कल जब उसे मेरे बारे में सब पता चलेगा फिर उसकी चाहत भी खत्म हो जानी है।


अपस्यु:- और यदि सब सच जानने के बाद भी तुम्हारे पीछे आया तब..

निम्मी:- एक तो ऐसा होगा नहीं लेकिन ऐसा हुआ तो मैं यही समझूंगी की आपने अपने दोस्त का ब्रेनवाश किया है। ऊपर से मै वो क्षण झेलना नहीं चाहती जब किसी दिन के झगड़े में वो मेरे अतीत को उलट दे।


अपस्यु:- एक बात का भरोसा मै तुम्हे दिलाता हूं, वो कभी भी गांव के माहौल में नहीं पला इसलिए वो बीती बातों को मुद्दा नहीं बनाएगा। रही बात उसके ब्रेनवाश की तो मै कुछ नहीं बताने वाला, यकीन मानो। अब बताओ.. सब सच जानने के बाद भी वो तुम्हारे पीछे आया तो…


निम्मी, मुस्कुराती हुई… "फिर उसकी नजर और दिलफेंक अदा को कैसे काबू में रखना है वो मै जानती हूं।"


अपस्यु:- उम्मीद करता हूं तुम्हारे अरमानों के पंख को हवा मिल जाए।


निम्मी गुमसुम आयी थी, लेकिन मुसकुराती हुई लौट रही थी। इधर आरव और स्वास्तिका, अपने बड़बोले और दिलफेंक दोस्त को सुन रहे थे, और पार्थ की बात सुनते हुए दोनो की हंसी ही नहीं रुक रही थी। पार्थ के अनुसार उसने आज तक इतनी गंभीर और फोकस लड़की को नहीं देखा। जितना काम होता है उतने के अलावा वो बात ही नहीं करती।


पार्थ के अनुसार निम्मी, ना तो ज्यादा बात बनना और ना ही इधर-उधर की बातों में कोई रुचि लेना। अपने भाई और मां के आलावा किसी से हंसी मज़ाक नहीं करती और कोई कुछ भी उल्टा बोल दे या कुछ ग़लत कर दे, फिर तो उसके गुस्से का प्रकोप फुट परता है। कुल मिलाकर पार्थ अपना दिल हार चुका था, लेकिन लगभग 2 महीने में निम्मी उससे ठीक से बात तक नहीं करती।


पार्थ की हालत पर आरव और स्वास्तिका दोनो बहुत ही हंसे जा रहे थे। तभी आरव जब अपस्यु के ओर देखा…… "अबे तेरे साथ कोई बात आगे नहीं बढ़ी और तेरी निम्मी अपस्यु के साथ बात करते हुई मुस्कुरा रही है।"...


पार्थ की नजर भी उस ओर गई…. "क्या यार ये पहली बार मिल रहा है फिर उसके साथ इतना अच्छे से बात कर रही, मुझमें क्या काटें लगे है।"


स्वास्तिका:- तुझमें काटें नहीं लगे पार्थ, बस उसके छोटे से अरमान होंगे कि जो उससे प्यार करे वो सिर्फ उसी का होकर रहे और ये यकीन तू उसे दिला नहीं पाया है। चल आरव इसकी लव स्टोरी फ्लॉप है।


पार्थ:- तू ऐसा क्यों बोल रही..


आरव:- क्योंकि तू जिसके प्यार में परा है उसके अरमान तो तुम्हे समझ में नहीं आए, तो अपने लिए उसके दिल में विश्वास क्या घंटा पैदा करोगे। स्वार्थ वाली भावना है तुम्हारी पार्थ, जिसमें केवल तुम्हे अपने दिल के अरमान दिख रहे। फिर तो शायद तुम्हारा प्यारा, प्यारा ना होकर बल्कि एक फीलिंग हो की इतनी लड़कियों को पटाने के बाद, इसने तुम्हे इग्नोर क्यों कर दिया।


आरव और स्वास्तिका पार्थ को उसके हाल पर छोड़कर सबके बीच आ गए। कुछ देर की बातचीत के बाद सब लोग घर के अंदर पहुंचे। रात के खाने के बाद सब लोगों के बीच काफी लंबी चर्चा चली। हंसी मज़ाक और तीखी नोक-झोंक के कारन घर का पूरा माहौल की हसी की की किलकारियों से गूंज रहा था।


रात के तकरीबन 11 बजे सब सोने चल दिए। तैयारियां पूरी होने के बाद एक सुकून की रात थी। अपस्यु रात की इस खामोशी को अपना साथी और साक्ष्य बनाते, खुले छत के ऊपर लेटा आसमान को ताक रहा था। एक के बाद एक हुई सभी घटना जैसे उसके दिमाग में चल रही थी और आंखों के किनारे से कुछ बूंदे बहते चले जा रहे थे।


कमाल की मनोदशा थी उसकी। आखों में गम के आशु थे, लेकिन हर जाने वाले को मुसकुराते चेहरे से याद कर रहा था। उनकी हर प्यारी छवि और तस्वीर उसके दिमाग में थी। ख़ामोश रात उसके लिए जैसे समा बांध रहा हों।


छोटी सी उंगली, एक-एक करती अपस्यु के आंसू पोंछती, उसके होंठ से होंठ को स्पर्श करके ऐमी उसके पास लेट गई… "वो दूर देखो 2 तारे जो साथ में है, एक सुनीता (ऐमी की मां) है और दूसरी सुनंदा (अपस्यु की मां)। दोनो साथ ही है और ऊपर से हमे देख रही।"


अपस्यु करवट लेकर ऐमी के ओर मुरकर, अपनी उंगली उसके चेहरे पर फिराते…. "तब तो उन दोनों ने हमे चूमते हुए देखा होगा।"..


ऐमी भी अपस्यु के ओर करवट लेती, उसके नाक पर अपनी उंगली फीराती… "नाह ! दोनो ने अपनी आखें मूंद ली होगी और ऊपर से मुसकुराते हुए आशीवार्द से रही होगी।"


अपस्यु नाक से नाक को स्पर्श करते… "बस तुम्हे यकीन है ना कि वो दोनो खुश होंगे।"..


ऐमी:- हां बिल्कुल खुश होंगे। तुमने तो अपने बदला लेने से पहले, दोनो के प्रिय लोगों को संजोए है। खुश क्यों नहीं होंगे।


अपस्यु:- नाह ! मैंने एक के साथ बिल्कुल भी अच्छा नहीं किया ऐमी। मैं कुंजल और मां को देखता हूं तो खुद में दोषी सा महसूस करने लगता हूं। जैसे मैंने अपनी मासी की तलाश की थी, उसी प्रकार पहले मुझे अपने बहन और छोटी मा की तलाश करनी चाहिए थी। अंदर के द्वेष ने मुझे रोका और हर पल मुझे इस बात का एहसास होते है कि काश मैंने कोशिश की होती तो उन्हें नरक के कई साल झेलने ना परते।


ऐमी, अपस्यु का चेहरा अपने सीने से लगाकर बालों में हाथ फेरते हुए कहने लगी…. "तुम्हे जीते देखती हूं तो अच्छा लगता है। खुद को बीते वक़्त में ले जाने से अच्छा है, अब जब वो साथ है तो उन्हें हर खुशी दी जाए।"


अपस्यु, सुकून से अपना आखें बंद करते… " हां ये भी सही है अवनी"..


ऐमी:- हां मै समझ रही हूं, तुम मुझे अवनी क्यों पुकार रहे हो। ठीक है कल का काम खत्म करके चलेंगे मासी और मामा के यहां। मै भी जोड़ने कि एक कोशिश करती हूं, लेकिन अब भी यदि कोई विकार उगल दिए उन लोगों ने…


अपस्यु:- तो उसे मात्र एक इंसानी स्वाभाविक सोच, समझकर हम मुकुराएंगे और यह मान लेंगे की वो भी अपने है, बस सोच नहीं बदली जा सकती।


ऐमी:- आई लव यू..


अपस्यु अपना चेहरा ऐमी के सीने से अलग किया और उसके चेहरे को देखते हुए मुस्कुराने लगा। ऐमी भी मुसकुराते हुए अपनी ललाट ऊपर खींचती इशारे में पूछने लगी "क्या हुआ"…


अपस्यु जवाब में ऐमी के होंठ से होंठ लगाकर प्यार से चूमते हुए अलग हुआ और उसके आखों में आखें डालकर कहने लगा…. "लव यू टू"..… दोनो एक दूसरे को देखकर मुसकुराते रहे और अपस्यु अपने आलिंगन में ऐमी को लेकर सो गया। सुबह कौतूहल में दोनो की नींद टूट गई। सुबह के 6 बज रहे थे, और बच्चे काफी उत्साह से फ्लैग होस्टिंग के लिए कतार बनाकर जा रहे थे।


अपस्यु उनके कतार को देखकर मुस्कुराते हुए कहने लगा…. "देश तो इन बच्चो के दिलों में धड़क रहा है, वरना हम तो काम में इतने फिक्रमंद हो गए की कभी जुबान से देश का नाम नहीं निकला।


ऐमी:- टैक्स चोरी नहीं कर रहे ना, बस हो गई देश सेवा, और आज तो हम अपना निजी स्वार्थ साधने के चक्कर में कहीं ना कहीं देश के काम भी आ ही जाएंगे..


अपस्यु:- वकील की बेटी हो ना, लॉजिक तो जोड़ ही दोगी। चलो चलकर फ्लैग होस्टिंग का हम भी हिस्सा बने।


अपस्यु जल्दी से तैयार होकर सबको हॉल में बुला लिया। सब लोग इकट्ठा होकर टीवी चालू करके झंडारोहण में हिस्सा लेने लगे। पूरा कार्यक्रम सब ने देखा। शक्ति प्रदर्शन को देखकर गर्व सा महसूस करते सबने एक बार उन सहासी वीर जवानों को नमन किया।


सुबह के 9 बजे, सब वहां से निकल गए। अपस्यु, वीरभद्र को कुछ बातें समझाकर वहां से सबसे आखरी में निकला। 6 गाडियां एक कतार में एक जैस गति को बनाए, लोकेश के इलाके में घुस रहे थे। लोकेश के हाई टेक गांव के सरहद पर अपस्यु के पुरा कारवां रोककर कंट्रोल रूम से संपर्क किया गया। वहां से ऑर्डर मिलते ही सभी गाड़ियों को आगे जाने दिया गया।


तकरीबन 2 किलोमीटर अंदर घुसने के बाद विक्रम राठौड़ का भी साम्राज्य दिखने लगा, जिसे लोकेश के इशारे पर री मॉडलिंग किया गया था। चारो ओर खूबसूरत बिल्डिंग, सड़क और फेंसिंग ऐसी मानो हॉलीवुड की पुरा कॉपी करके उतार दिया गया हो। 12 लेन की सड़क के दोनों ओर निश्चित दूरी पर डुप्लेक्स मकान बने हुए थे जिनके आगे का इंटरियर पूरे सिसे का था। हर घर के आगे बागवानी और पुरा गांव छोटी सी घाटी में बसा था। दूर से देखने पर ऐसा लगता था, एक घर के ठीक ऊपर दूसरा घर बना है, लेकिन जब उन घरों के बीच से निकलो, फिर पता चलता कि घाटियों की घुमावदार सड़क है, जो हल्का स्लोप बनाते उपर की ओर ले जाती है।
Update:-127






सबसे ऊपर और घाटी के आखरी में एक शानदार महल बाना था, जिसकी सीमा तकरीबन 500 मीटर में फैली थी। महल की बाउंड्री से कई सारे स्वीट्स और 3-4 मनमोहक स्विमिंग पूल थी, और ठीक उन सब के बीचों बीच, बड़ा सा महल था… तकरीबन 200 मीटर के दायरे में 80 फिट ऊंचा महल।


एक-एक करके सभी गाडियां उस महल में घुसने लगी। एक स्टाफ ने इशारे से सभी कार को सेपरेट पार्किंग देकर, अपने पीछे आने के लिए कहा। कुछ छोटी सी पिकअप वैन उन्हें लेने के लिए पहुंची। भाव्य महल के मुख्य द्वार पर लोकेश और मेघा दोनो खड़े थे। अपस्यु को सामने देखकर उसके गले मिलते हुए लोकेश कहने लगा…. "आज से पहले किसी से मिलने की इतनी बेताबी कभी नहीं हुई।"..


"क्यों हम सब का श्राद यहीं पर करने के लिए मरे तो ना जा रहे लोकेश सर।"… पीछे से आरव से तंज कसते हुए कहने लगा।


लोकेश:- जब साथ मिलकर हम पूरी दुनिया जीत सकते है फिर एक दूसरे को मारकर ताकत कम क्यों करना। राजपुताना इतिहास गवाह है कि जब-जब भाइयों कि शक्ति इकात्रित हुई है, हमने फतह हासिल की है।


आरव:- फिर ऐमी सिन्हा यानी कि ये तो मेरी भाभी की बेज्जती कर रहे है, क्योंकि वो हमारे साथ ना हो तो दुनिया तो दूर की बात है, गाली फतह ना कर पाए।


स्वास्तिका:- क्यों आप इन सब बातों को छेड़कर बाबा अपस्यु को बोलने पर मजबूर कर रही हो, जो खुद को ब्राह्मण मानता है।


ऐमी:- और ये आरव तो वैश्य है ना।


लोकेश इनकी बातें सुनकर हैरानी से सबका चेहरा देखते…. "ये तुम लोग मेरे साथ मज़ाक कर रहे हो ना।"


कुंजल, लोकेश का कन्फ्यूजन से भरा चेहरा देखती हुई कहने लगी…. "बस भी करो सब, बंद करो लोकेश भईया को छेड़ना। लोकेश भैय्या इनकी बातों को ध्यान मत दो, वरना आपको संन्यास लेना होगा। वो आपका स्टाफ हमारा बैग लेकर वहां क्या कर रहा है?


स्वास्तिका:- कितने शर्म कि बात है, हमारे अंडरगारमेंट्स को आखें फाड़े ये लोग नुमाइश के तौर पर देख रहे है, वो देखो एक-एक कपड़ा उठाकर चेक कर रहे। शर्म आनी चाहिए आपको।


अपस्यु:- लोकेश भईया, उनसे कहो अभी के अभी बैग पैक कर दे। विश्वास मानो अगर मुझे यहां का पूरा कुनवा साफ करने का इरादा होता तो महज एक रात की कहानी थी। आपसी विवाद ना हो कहीं इन छोटी छोटी बातों से और मै ये सोचने पर मजबूर हो जाऊं की भीख में मिली हमारी इस जगह पर आप हमारी बेज्जती कर रहे हो।


बातों ही बातों में लोकेश की ऐसी घोर बेज्जती हो गई की वो गुस्से का घूंट पीकर अपने स्टाफ के पास गया और खींचकर तमाचा मारते हुए अच्छे से समझा दिया कि जो आए है वो मेहमान नहीं, बल्कि परिवार के लोग है, बैग को पैक करके चुपचाप कमरे तक पहुंचा दिया जाए।


वहां के स्टाफ को समझाने के बाद लोकेश स्टाफ हेड मिस काया के पास पहुंचा और आए हुए लोगों के बारे में सभी बातें समझाकर, वापस अपस्यु के पास लौटा…. "लगता है हम दोनों को कुछ वक़्त साथ गुजरना होगा एक दूसरे को समझने के लिए। अभी हुई बदतमीजी के लिए मै माफी चाहता हूं, यहां केवल बाहरी लोग आते है और काम ऐसा है कि एक छोटी सी गड़बड़ी के कारन हमारी छिपी दुनिया बाहर आ सकती है। कभी यहां परिवार लेकर आए ही नहीं जो इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखते। अभी के लिए माफ करो, मैंने यहां के स्टाफ हेड काया को सब समझा दिया है, एक इंच भर की भी परेशानी नहीं आएगी।"..


अपस्यु:- थैंक्स भईया, ये जगह को आपने कमाल का डेवलप किया है, यहां अगर परिवार को नहीं लाते हैं, तो गलती आपकी है।


लोकेश:- चलो इस गलती को भी जल्द सुधार लूंगा, अभी मै चलता हूं। यहां आराम से घूमो फिरो, एन्जॉय करो। रात को सभी पार्टनर्स के साथ एक छोटी सी पार्टी है और पार्टी के होस्ट हम सब ही है, इसलिए शार्प 8 बजे तक पार्टी हॉल में ही मुलाकात होगी और फिर काम कि सारी बातों पर चर्चा कल सुबह।


अपस्यु:- ठीक है भईया।


लोकेश मेघा की लेकर वहां से निकल गया और ये सभी लोग काया के साथ अपने अपने कमरे के ओर चल दिए। जैसे ही लोकेश महल से बाहर आया, मेघा से झुंझलाकर कहने लगा…. "ये लोग क्या पागल है, मेरी जगह पर खड़े होकर मुझे ही बेज्जत कर रहे थे। 2 मिनट नहीं लगेंगे और सबकी कहानी समाप्त हो जाएगी।"


मेघा, लोकेश के चिढ़े चेहरे को देख सुकून सी महसूस करती हुई ठंडी श्वांस अपने अंदर खींची और हंसती हुई कहने लगी…. "तुम बेवकूफ हो क्या लोकेश। तुम्हरे बुलाने पर वो पुरा परिवार लेकर आया है और तुम ऐसे उसके कपड़े चेक करवा रहे थे। यार सच में बहुत बेगैरत हो। एक भाई का खून तो खौलेगा ही।"

किसी के बैग की ऐसी चैकिंग मतलब उस आदमी पर संदेह होना। साथ मिलकर काम भी करना है और इतना छोटा सोच भी रखना है। अब कम से कम यह दावा मत करना की उन्हें 2 मिनट में समाप्त कर सकते हो, ऐसा होता तो उनको ऐसे संदेह से नहीं देखते, बल्कि खुद में विश्वास होना चाहिये था की बैग में ये कुछ भी लेकार आओ लेकिन यहां का बादशाह मै हूं और यहां तुम मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकते।


लोकेश:- हम्मम ! हां अब सब साफ समझ में आया। लगता है बहुत बड़ी गलती हो गई। खैर काया को और अच्छे से समझा दू और सारे रिस्ट्रिक्शन हटाने कहता हूं।


लोकेश फौरन काया से बात करके उसे साफ समझ दिया कि इस जगह पर जो अन्य लोगों के लिए प्रतिबंध होता है, वो इनपर लागु ना किए जाए, सिवाय कंट्रोल रूम के। वहां छोड़कर जहां जाने की इक्छा है वहां ले जाओ, जो करना चाहते है वो करने दो और जो वो कहते है, वो काम पहले पुरा होना चाहिए।


काया इस वक़्त जो अपस्यु और ऐमी के साथ उसके कमरे में आयी थी, लोकेश से बात करके हां में अपना सर हिला दी…. "क्या हुआ लोकेश ने बोल दिया हर रूम के सर्विलेंस को बढ़ा दो और उन लोगों की एक्टिविटी लगातार वॉच करते रहो। ये इतना लीचड़ कैसे हो सकता है।".. ऐमी तंज करती हुई कहने लगी।


काया:- नो मैम, उन्होंने कहा है की रूम के जितने भी सर्विलेंस है उन्हें हटा दिया जाए और आप सब फैमिली मेंबर है, इसलिए उन्होंने कहा है आप को मालिक की तरह ट्रीट किया जाए। बस केवल कंट्रोल रूम के ओर मना किया है आने से। वो चाहते हैं कि शाम की पार्टी और मीटिंग के बाद लोकेश आपको वो पूरी जगह खुद दिखाए और आराम से समझा सके कि वहां से क्या-क्या होता है।


काया हर सर्विलेंस को बंद करके अपस्यु के पास पहुंची… "लंच में अभी टाइम है सर, आप कहीं घूमकर आना चाहेंगे।"..


अपस्यु:- हां, हां क्यों नहीं, लेकिन आप हमे घूमने लेकर चलें और कोई मस्त सी जगह हो।


काया मुस्कुराती हुई अपस्यु को देखी और बस 2 मिनट बाद बाहर आने कही। 2 मिनट बाद जब अपस्यु और ऐमी बाहर आए, काया एक कार लिए दरवाजे पर इंतजार कर रही थी। अपस्यु और ऐमी, काया के साथ निकले। तकरीबन 10 मिनट की ड्राइविंग के बाद तीनों एक आर्टिफिशियल झील के पास पहुंचे। काया दोनो को झील दिखाते हुए आगे बढ़ने लगी।


चलते-चलते तीनों झील के पीछे पहुंचे जहां झील की पहली नीव रखी हुई थी। जैसे ही तीनों वहां पहुंचे, काया झट से अपस्यु के क़दमों में गिरती… "मेरा बच्चा कैसा है। कितना बड़ा हो गया वो। कोई तस्वीर हो तो प्लीज मुझे दिखा दो।"


ऐमी काया को उठाती….. "आपका बच्चा यूं समझो अब हमारा बच्चा है, और विश्वास मानिए उसके नए पिता बहुत ही केयरिंग है।"..


काया:- हां मै जानती हूं। बहुत दर्दनाक फैसला था वो, लेकिन मै कभी नहीं चाहूंगी की मेरा बच्चा या तो मुझ जैसा बने या अपने बाप जैसा।


अपस्यु:- उसके बाप में क्या बुराई है?


काया:- मुझे नहीं लगता कि तुम्हे बताने कि जरूरत है। जब मैंने तुम्हे वैभव को सौंपी थी तभी बताई थी… जिन बच्चों का हाथ तुमने थामा है, उसे ना तो वो देखने आए जो हमारे दिमाग को खराब करके हमे गलत करने के लिए मजबूर करते थे और ना ही उसने कभी ध्यान दिया जो सबको एक तराजू में तौलकर अपने तांडव से सबको बस यतीम करता चला गया।


अपस्यु:- वो आया था अपना बच्चा लेने..


काया, अपस्यु के ओर सवालिया नज़रों से देखने लगी, मानो उसका धड़कता दिल पूछ रहा हो, क्या मेरा बच्चा अभी उसके पास है या उसका पिता लेकर गया। काया की दुविधा को भांपते हुए ऐमी कहने लगी…. "ना तो तुम्हारा बच्चा यतीम है और ना ही उसके अभिभावक कमजोर। फिर यह ख्याल क्यों आया कि वो हमसे उस बच्चे को ले गया होगा।"


काया:- हम्मम ! थैंक्स.. वैसे सुनकर थोड़ा सुकून हुआ की कम से कम अपने बच्चे को ढूंढने तो आया दृश्य। वैसे तुम दोनो इस जल्लाद लोकेश के परिवार से हो, सुनकर थोड़ा अजीब लगता है।


अपस्यु:- एक अजीब बात और बताऊं, तुम्हारे बच्चे का बाप जो है, वो मेरा मौसेरा भाई है।


काया:- आह ! तभी मै सोचूं की वो अपने बच्चे को लेने आया और खाली हाथ कैसे गया। शायद तुम उसके भाई थे यह सोचकर कुछ नहीं किया वरना उसका गुस्सा सही गलत में फर्क नहीं करता।


अपस्यु:- काया ये बहुत लंबी कहानी है और समझना थोड़ा पेंचीदा। मुझे और दृश्य दोनो को पता है कि बचे हुए वीरदोयी लोकेश को अपनी सेवा दे रहे है।

काया:- नहीं, सभी बचे हुए वीरदोयी तो यहां नहीं है लेकिन हां जिनको खून खराबा और पॉवर का नशा सर पर है वो यहां है। और उन वीरदोयी के यहां होने से बहुत से वीरदोयी मजबूरी में फस गए जो आम ज़िन्दगी जीने की ख्वाहिश रखते थे। लेकिन दृश्य को पता चल चुका है कि बचे हुए वीरदोयी यहां है तो क्या वो आ रहा है?


अपस्यु:- घबराओ मत वो यहां तुम्हारे लिए नहीं आया था। तुम समझ सकती हो की यदि वो यहां आया होगा तो किसके पीछे आया होगा और उसके कारन एक बार फिर से तुम लोग उसके नज़रों में आ गए।


काया:- हम्मम ! किस्मत देखो.. बहुत से वीरदोयी यहां मज़े के लिए काम करते है तो बहुत से मजबूरी में। मैं दृश्य को भी गलत कहकर क्या करूंगी, जब अपने ही लोग अपना अस्तित्व मिटाने पर लगे है।


अपस्यु:- लंच के बाद तुम मेरे कमरे में मिलो, वहां हम दोनों मिलकर उन लोगो को बचा सकते है जो मजबूरी में यहां फसे है।


काया:- संभव नहीं है। मै इस कोने में इसलिए तुमसे बात कर पा रही हूं, क्योंकि यहां उनका सर्विलेंस नहीं है। वैसे भी जिस तरह से तुम लोगों ने लोकेश को डरा रखा है कम से कम 10 नजरें तो तुम सब पर टिकी ही होगी।


अपस्यु:- लोकेश क्या वाकई में डरा हुआ है?


काया:- हां ये बात सभी वर्किंग स्टाफ और उसके ऑपरेशन हैंडलर को पता है, तभी तो तुम लोगों के आने से पहले, 40 वीरदोयी लड़ाके को कंट्रोल रूम से लेकर महल तक काम पर लगाया है, वरना पहले तो सर्विलेंस के जरिए ही पुरा नजर रखा जाता था।


अपस्यु:- कोई बात नहीं है उसे डरने दो। तुम बस लंच के बाद मेरे कॉल का इंतजार करना।


ऐमी:- फिलहाल एक काम कर दो हमारे लिए। ऐसी जगह जहां कोई सर्विलेंस ना हो और वहां तारों का पूरा जाल बिछा हो।


काया, वैभव की मां और दृश्य की एक अनचाही पार्टनर, जिसे सिर्फ़ इसलिए दृश्य के बच्चे की मां बनने पर मजबूर किया गया था ताकि दृश्य को यदि मारना परे तो तो आगे के एक्सपेरिमेंट, काया और अपस्यु से पैदा हुए बच्चे पर किया जाना था। लेकिन बच्चे को जन्म देते ही, एक मां कि ममता जाग गई और वो अपने बच्चे को किसी पागल साइंटिस्ट के हाथ में नहीं सौंपना चाहती थी जो उसके ऊपर अपना एक्सपेरिमेंट करे।


छिपते भागते उसे एक दिन अपस्यु के बारे में पता चला था और रात के अंधेरे में वो अपने बच्चे को अपस्यु को हाथ में सौंप अाई थी। उसके बाद वो आज मिली थी। हालांकि अपस्यु को पहले से पता था कि दृश्य के तूफान से बचे वीरदोयी एक जगह जमा होकर कहां काम कर रहे है।


काया के मिलने से अपस्यु का काफी समय बच गया, वरना तारों के जाल को अपने माइक्रो डिवाइस से ढूंढने में काफी वक़्त लग जाता। अपस्यु ने जैसा बताया काया ने ठीक वैसी एक जगह पर अपस्यु को ले गई। ऐमी के लिए ये जैकपॉट से कम नहीं था, क्योंकि सर्वर का मुख्य कनेक्शन वायर मिल चुकी थी। 5 मिनट में हैकिंग डिवाइस सेट हो चुका था। वापस दोनो अपने कार पार्किंग से होते हुए लौटे और कार से हर जरूरत का सामान निकालकर अपने बैग में पैक हो चुका था।
Nimmi aur parth ki pyar bohot azab hai....
Dono dono se pyar karte hain lekin koi bhi isse accept nehi kar rha hai....
Dono bohot dard se guzar kar aaye hain....
Nimmi ko thoda sa time chahiye.....
Finally Sab lokesh ki gadh mein pohonch gaye hain....
Jish tarah se Apashyu ne lokesh ki beizzati ki hai, woh dekhne layak tha, pure tareeke se mast tha.....
Kaya ki taar "KNBT" se juda hua hai ....
Nice inclusion....
:thanks: for the update
 

Aryan s.

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काया के मिलने से अपस्यु का काफी समय बच गया, वरना तारों के जाल को अपने माइक्रो डिवाइस से ढूंढने में काफी वक़्त लग जाता। अपस्यु ने जैसा बताया काया ने ठीक वैसी एक जगह पर अपस्यु को ले गई। ऐमी के लिए ये जैकपॉट से कम नहीं था, क्योंकि सर्वर का मुख्य कनेक्शन वायर मिल चुकी थी। 5 मिनट में हैकिंग डिवाइस सेट हो चुका था। वापस दोनो अपने कार पार्किंग से होते हुए लौटे और कार से हर जरूरत का सामान निकालकर अपने बैग में पैक हो चुका था।



काया साथ थी, और लोकेश का आदेश फिर बैग कौन चेक करता है। दोनो वहां से अलग अलग कमरे में गए। अगले 1 घंटे में बिना लोकेश के टेक्निकल टीम की जानकारी के बगैर सारे फायरबॉल को भेदकर, ऐमी उनके पूरे सिस्टम में घुस चुकी थी।


बस थोड़ी देर की मेहनत और सभी कमरों की काल्पनिक ऑडियो-वीडियो फुटेज चलना शुरू हो चुका था। जैसे ही ऐमी का काम खत्म हुआ, अपस्यु ने सबको तुरंत संदेश भेजकर बता दिया कि, कमरे कि कहां-कहां की वायर को काटना है ताकि उनका असली ऑडियो, लोकेश के कंट्रोल रूम तक नहीं पहुंचे। 2 मिनट बाद सबके वापस संदेश पहुंच गए… "काम हो गया।"..


लोकेश के सर्विलेंस को छलने के बाद अपस्यु ने नीचे रिसेप्शन पर कॉल लगाया… जैसे ही उधर से हेल्लो कि आवाज़ आयी, अपस्यु ने काया को लाइन पर बुलाया और अपने अरमान जाहिर करते हुए कहने लगा…. "तुम्हारे साथ घूमने के बाद ऐसा लगा कि अब तुम्हारे एक-एक कपड़े निकालकर, तुम्हारे हरे-भरे बदन पर भी घूम लूं, जल्दी से मेरे कमरे में आ जाओ।"…


काया, अपस्यु की बात सुनकर कॉल डिस्कनेक्ट कर दी और लोकेश को कॉल करके अपस्यु का इरादा बताने लगी। लोकेश के दिमाग में मेघा और अपस्यु की छवि पहले से ही साफ थी। लोकेश खुश होकर काया को उसके कमरे में जाने के लिए बोल दिया। लोकेश को समझ में आ चुका था कि क्या होगा अंदर, इसलिए वो ऑपरेटर अजय को लगातार कमरे कि सर्विलेंस करने और उसके जोश को नोटिस करने बोल दिया।


काया जैसे ही कमरे के अंदर पहुंची, अपस्यु ने झटके से दरवाजा बंद कर दिया। इधर ऐमी पोर्न वीडियो के ऑडियो-विजुअल में अपस्यु और काया को एडिट कर, उस कमरे को फ्रेम कर दी और प्ले होता छोड़ दी। ऐमी अपना काम पूरा करने के बाद अपस्यु को 20 मिनट का संदेश भेजी।


इधर काया शांत उसके बिस्तर पर बैठी यही सोच रही थी कि अपस्यु के बारे में वो क्या राय बनाए।…. "हमारे पास बस 20 मिनट है, अब मुझे उस घटना कि जानकारी चाहिए जिसमें एक लोकल लड़की के साथ ग्रुप सेक्स किया था।"..


काया हैरानी से उसे देखती… "तुम्हे पता भी है तुमने मुझे क्यों बुलाया है, इस वक़्त कम से कम 20 लोग हमे देख और सुन रहे होंगे।"..


अपस्यु:- वो तो अभी हमारे सेक्स कि शुरवाती सीन देख रहे होंगे। मन में कोई दुविधा मत पलो, बस तुमसे लंबी जानकारी चाहिए इसलिए ऐसे बहाने से बुलाया है। अब जो पूछा वो बता दो।


काया:- "यहां लोकल बहुत कम लड़कियां लाई जाती है। हां पर उस चकुबाज लड़की को नहीं भुल सकती। जब वो यहां आयी थी तब हंसती हुई आयी थी। लोकेश उसके लिए कोई महान शक्सियत था, जिसके पास वो खुद को खड़ी पाकड़, काफी फक्र महसूस कर रही थी। पहले उसे लोकेश ने नोचा था, फिर बारी बारी से कई लोगों ने।"

"लगभग 15 दिन वो यहां रही थी। पहले 3 दिन तो वो लोकेश की होकर रही थी उसके बाद लोकेश ने एक मिशन सफल होने की खुशी में 40 लड़कियों को बुलाया था उन्हीं के साथ उस लड़की को भी सबके पास भेजा दिया। किसी ने उसकी सुनी नहीं। बस दिन रात नोचते रहे। 40 लड़कियां जो आयी थी उनका काम ही था जिस्मफरोशी, जबकि उस लड़की का विरोध करना और रोना सबको ज्यादा आकर्षित करता था जैसे। सब पहले उसी को नोचते फिर कहीं और मुंह मारते। इस से पहले भी लोकल की 2 और लड़कियां लाई गई थी। एक ने यहां की जिल्लत से आत्महत्या कर ली और दूसरी को कोई बड़ा नेता अपने साथ ले गया।


अपस्यु:- फिर वो चाकूबाज लड़की निम्मी, इनके चंगुल से कैसे निकली ?


काया:- श्वांस बंद हो रही थी, नब्ज से खुन लगातार निकालते रहे और किसी ने रोका तक नहीं था। बल्कि उस कुत्ते भार्गव के एक्सपेरिमेंट वीरदोयी, उसके नब्ज से खून निकल रहा था और उसके साथ सेक्स चल रहा था। मत याद दिलाओ वो मंजर। उस मंजर को देखकर तो हैवान तक का कलेजा कांप जाए। उस लड़की निम्मी की लाश को बाकी लाश के साथ फेक आए थे, ऐसे निकली वो।


अपस्यु:- हम्मम ! तो ये कनेक्शन है।


काया:- कैसा कनेक्शन।


अपस्यु:- बुरे फंसे हो तुमलोग, इसलिए वो दृश्य इतना पगलाया है और लोकेश को हर कीमत पर साफ करना चाहता है। निम्मी को मारा समझकर इन लोगों ने जिस अंधेरे में उसे फेका होगा, वहां दृश्य को निम्मी मिली होगी। पहले तो उसे बचाया होगा, फिर उसकी कहानी जाना होगा।


काया:- हाहाहाहाहा… अपस्यु इसे कर्मा कहते है। दृश्य की बेरहमी तो मै देख चुकी हूं, बस अब तुम्हारी बेरहमी देखनी है। वो 40 वीरदोयी जो कंट्रोल रूम से लेकर महल तक फैले है, नोचने वाली पूरी यही टीम है और उनका बाप वो लोकेश। ऐसा मारना कि बस दिल खुश हो जाए…


अपस्यु:- केवल वही 40 लोग है या और भी है?


काया:- यहां केवल वीरदोयी थोड़े ना काम करते है। यहां डिपार्मेंट बने है। 2 डिपार्मेंट एक ऑपरेशन हैंडलर और दूसरा टेक्निकल टीम, इनमे काम करने वाले लगभग लोग, 100% जल्लाद, गंदी नली के कीड़े हैं, केवल 4 को छोड़कर। उसके अलावा जैसे तरबूज को देखकर तरबूज का रंग बदलता है, ठीक वैसे ही अलग-अलग डिपार्मेंट में भी कई ऐसे लोग है जिनके वजह से यहां के कई इनोसेंट स्टाफ की लड़कियां मुक्ति पाना चाहती है।


अपस्यु, लैपटॉप के स्टाफ लिस्ट खोलकर… "इनमें से दूसरे डिपार्टमेंट के उन लोगों को चिन्हित करो जिनका मरना बेहद जरूरी है। और हां वो जो 4 इनोसेंट है जिसके बारे में कहीं थी, उन्हें भी दिखा देना। वैसे यहां के कितने लोग काम करते हैं?

काया:- लगभग 1200 लोग का स्टाफ है। 40 लोगों की सर्विलेंस टीम है और 12 सॉफ्टवेर इंजिनियर काम करते है। इनमे से 1 को छोड़कर बाकी कोई भी जिंदा रहने के काबिल नहीं। और हां इसकी टीम का हेड है वो अजय, अगर हो सके तो उसे मारने का मौका मुझे दे देना, तुम्हारी एहसानमंद रहूंगी।


अपस्यु:- एक काम करो यहां स्क्रीन को देखकर मुझे सभी लोगों की लिस्ट दे दो जिनकी आत्मा मर चुकी है। तुम्हे जितना वक़्त चाहिए उतना वक़्त लो, और आराम से अलग करो…


काया को फ्री छोड़कर अपस्यु ने ऐमी को कॉल लगा दिया। उसे दूसरा वीडियो अपलोड करने के लिए कह दिया। साथ में यह भी कहा कि थोड़ा स्लो स्टार्ट वाला वीडियो प्ले करे, जबतक वो काम खत्म होने से 5 मिनट पहले इंफॉर्मेशन भेज देगा।


काया को ज्यादा वक़्त नहीं लगा। तकरीबन आधे घंटे में उसने संभावित लोगों की तस्वीर को टिक कर दिया। अपना काम खत्म करने के बाद काया कहने लगी… "कोई अगर छूट जाएगा और उसकी करतूत बाहर आ जाएगी, उसके लिए दृश्य या तुम्हे परेशान होने की जरूरत नहीं, उन्हें हम देख लेंगे।"


काम खत्म हो चुका था, अपस्यु ने ऐमी को को संदेश भेजा और ठीक 5 मिनट बाद ऐमी… "3 की गिनती से उसे बाहर जाने कहो।".. अपस्यु ने काया को इशारा किया। काया अपने बाल और हालात को पहले ही बिगाड़ चुकी थी, अपस्यु की 3 की गिनती मिलते ही वो बाहर निकल गई।


एक पल के लिए वहां बैठे ऑपरेटर अजय को शक हुआ कि अंदर से बाहर निकलते वक़्त काया के हुलिया में कुछ तो फर्क था। उसने वीडियो रिवाइंड किया लेकिन ऐमी भी उसकी गुरु थी, जैसे ही काया बाहर हुई, उसकी करंट इमेज को तुरंत दरवाजे के पीछे वाली इमेज से रिप्लेस कर चुकी थी।


काया के रूम से निकलते ही, अपस्यु भी अपना कमरा छोड़कर ऐमी के कमरे में आ गया। ऐमी अपने लैपटॉप से, हर चप्पे-चप्पे को देख रही थी। ऐमी तेजी से अपना काम करती, अपस्यु को बीच-बीच में कुछ कहती और अपस्यु भी उसके आदेश अनुसार काम को आरव, स्वास्तिका, कुंजल और खुद में बांट लेता।


तकरीबन 2 घंटे तक बैठकर सबने मिलकर काम को खत्म कर लिया। जैसे ही काम खत्म हुआ अपस्यु ने पूरी डिटेल दृश्य से साझा कर दिया। साथ में अपस्यु ने एक छोटा सा लिंक भी साझा किया, जिसके जरिए दृश्य का टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट आरूब आसानी से सर्वर में घुस जाए।


शाम के 4 बजे तक सारा काम खत्म कर चुका था। काम समाप्त करने के बाद ऐमी और अपस्यु दोनो हॉल में पहुंच गए। अपस्यु को देखकर ऐमी मुस्कुराती हुई कहने लगी… "मै कुछ पीना चाहती हूं, क्या तुम मेरा साथ दोगे।"


अपस्यु:- तुम्हारा साथ नहीं दे पाया तो फिर किसका साथ दूंगा स्वीटी, आज जो तुम पीना चाहो वो तुम पियो, और तुम्हारे साथ निभाने के लिए मै अपना प्यारा कॉकटेल पियूंगा।


ऐमी:- मिस्टर अपस्यु रघुवंशी..


अपस्यु:- येस मैम, आदेश करें।


ऐमी:- मेरे साथ देने का मतलब है कि मै जो पियूंगी वो तुम्हे पीना पड़ेगा।


अपस्यु:- तुम अब वो जेम्स बोंड वाली वेस्पर मार्टिनी कॉकटेल लोगी और वो मुझे पसंद नहीं।


ऐमी:- हुंह, तुम्हरे उस बकवास एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल से तो कई गुना बेहतर है।


अपस्यु:- हां तो तुम मार्टिनी पियो मै एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल पीता हूं, और एक दूसरे का साथ देंगे।


ऐमी:- ओह हो हो हो! अभी तो 2 मिनट पहले कह रहे थे कि मेरा साथ नहीं दोगे तो किसका दोगे। अब तुम जरा चुप बैठो। भईया यहां आना..


ऐमी ने एक स्टाफ को आवाज़ लगाई और वो तुरंत ऐमी के पास आकर खड़ा हो गया। ऐमी… "एक काम करो, हमारे लिए 2 मार्टिनी ले आओ।"


स्टाफ:- जी मैम, और कुछ..


ऐमी:- और कुछ हल्का फुल्का स्नैक्स ले आना।


स्टाफ:- सर आपके लिए कुछ लेकर आऊं..


अपस्यु:- कुछ लेकर मत आ, मैडम को ही बार काउंटर पर ले जा।


"क्या हुआ भाई, आपका मुंह क्यों उतरा हुआ है।"… जबतक अपस्यु बार काउंटर पर ले जाने की बात कर रहा था, तबतक कुंजल उसके पास आकर बैठती हुई, पूछने लगी।


ऐमी:- सुनो एक काम करो आप तो जल्दी से 5 मार्टिनी और एक बेस्ट माकटेल भिजवा दो।


कुंजल:- भाभी, भईया को क्या हुआ है, ये ऐसे इनका मुंह क्यों लटका है।


आरव:- ऐमी ने ड्रिंक ऑर्डर किया है ना..


कुंजल:- हां भाई..


आरव:- हां तो इसका मुंह लटकाना ही था। अभी कहेगा नहीं-नहीं मुझे मार्टिनी पसंद नहीं और ना-ना बोलकर 10 मार्टिनी गटक जाएगा।


स्वास्तिका:- तुम लोग बड़े एहसान फरमोश निकले, कम से कम बता दिया होता की सब यहां बैठने वाले हो।


ऐमी, पार्थ के ओर इशारा करती…. "इस गरीब को क्या हो गया, कल से देख रही हूं बड़ा गुमसुम हैं।"


अपस्यु:- मैंने इश्क़ दा लगाया रोग, मेनू बचने दी नय्यो उम्मीद।


अपस्यु का तंज सुनकर सब लोग हसने लगे। इतने में सबकी ड्रिंक भी पहुंच गई। सभी लोग टोस्ट करते हुए अपना जाम उठा लिए। फिर वही हुआ जैसा आरव ने कहा था। सब लोग 2 ड्रिंक के बाद रुक गए और अपस्यु बड़े आराम से 10 ड्रिंक लेने के बाद वहां से उठा।


लोकेश को तो लगातार एक के बाद एक खुशखबरी मिलती जा रही थी। पहले सबाब फिर शराब। विकृत मानसिकता वाले इंसान के सभी लक्षण अपस्यु में नजर आने लगे थे। अपस्यु में खुद के जैसे गुण देखकर लोकेश जोर से हंसते हुए कहने लगा….


"यार अजय हटा ले इसपर से सर्विलेंस, बच्चा अबतक मां की छत्रछाया में था इसलिए अभी तक अच्छा और बुरे काम के बीच फसा हुआ है। मै तो इसके अंदर पुरा हैवान देख रहा हूं, बस सही राह की जरूरत है।"


अजय, भी हंसते हुए… सर इसकी क्षमता कल परख चुके है और आदत आज। ये तो हम में से एक है। ऊपर से उसके लाजवाब कॉन्टैक्ट, कौन इसे नहीं जानता, दिल्ली से लेकर मुंबई तक। लेकिन थोड़ा मेंटल है क्या?


लोकेश:- क्यों क्या हुआ अजय..


अजय:- नहीं हमारे बीच 3 हॉट आइटम ले कर चला आया है। इसे खबर नहीं की इन तीनों का यहां होना कितनों के दिल में आग लगा सकता है। बॉस रात को कुछ गड़बड़ी हो जाए तो फिर मुझे मत कहना।


लोकेश:- यात्री अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करे। वैसे भी जब ये अपस्यु पार्टी के बाद अपने कमरे में एक साथ कई अप्सराओं के साथ जन्नत की सैर में होगा, तो इसे घंटा कुछ फर्क पड़ेगा कि पास वाले कमरे में वही खेल चल रहा है।


अजय:- सो तो है बॉस। चलो इसपर से सर्विलेंस हटता हूं। इनफैक्ट मै तो चला दोस्तों के बीच। वैसे मेरे लिए अप्सरा का इंतजाम है कि नहीं।


लोकेश:- क्यों आज रात तू काया के साथ नहीं होगा क्या..


अजय:- काया की याद ना दिलाओ बॉस। जिस तरह से उस अपस्यु ने रौंदा है काया को, उसे याद करके मै उनके साथ आयी लड़कियों के साथ कुछ कर ना दू, ये डर है मुझे…
Update:-129





लोकेश:- पुरा सिस्टम तेरे हाथ में है, रात के अंधेरे में किसे पता कौन कहां है, बस कांड प्रकाश में आना चाहिए नाम नहीं। बाकी तू समझदार है।


अजय:- येस बॉस। जैसा आप कहें…


दृश्य का टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट अारुब को लिंक मिलते ही, वो भी तुरंत सर्वर से कनेक्ट हो गया। दृश्य अपनी पूरी टीम के साथ कंट्रोल रूम की सर्विलेंस ले ही रहा था, कि अजय और लोकेश के बीच की चल रही बातों का पता चला। उसके आखों में तो जैसे खून उतर आया हो…. "आज से पहले किसी को मारने की तलब इतनी तेज नहीं थी। आरूब पूछ जारा तेरा बॉस बक्शी इंटरेस्टेड है कि नहीं अपने साथ काम करने के लिए।"


अारूब:- भाई बक्शी सर को लाइन पर ले रहा हूं….


बक्शी:- क्या हुआ चैम्प, कोई समस्या है क्या?


दृश्य:- देखो सर मेरा भेजा फ्राय मत करो, कितने लोग भेज रहे हो जल्दी बताओगे, ताकि मै यहां प्लान करूं।


बक्शी:- यार तेरा क्या है तू उन वीरदोयी से तो निपट लेगा, लेकिन मैं उन वीरदोयी से निपटने के लिए कितने लोगों को भेजूं, वो समझ में नहीं आ रहा।


अारूब:- सर आप टीम मत भेजो, अपने पास कितने स्नाइपर है वो बताओ।


बक्शी:- डिपार्टमेंट में तो इस वक़्त 4 है।


अारूब:- क्या सर, कल इस लोकेश को 3 एरिया में टारगेट को एलिमिनेट करना था तो 6 स्निपर भेजे थे और आप के पास 4 है।


बक्शी:- प्लान क्या है वो बताओ, फिर मै सोचता हूं।


अारूब:- टोटल 120 वीरदोयी है। 10 के समूह में ये 8 अलग-अलग ठिकाने पर है। हमने इनके बीच का संपर्क प्रणाली तो हैक कार लिया है, लेकिन इनका अलार्म सिस्टम मैनुअल है, साथ में वाकी भी है। जिस जगह को भी हम साफ करेंगे वो एक साथ साफ करना होगा।


बक्शी:- हम्मम ! मतलब 10 स्निपर चाहिए वही ना। ठीक है मै होम मिनिस्टर से स्पेशल परमिशन लेकर अलग-अलग डिपार्टमेंट से अरेंज करता हूं। वैसे ये 80 लोग है, और बचे 40 लोग।


अारूब:- उन 40 का जिम्मा अपने भाई और उसके भाई की माथा पची है, क्योंकि वो बचे 40, कंट्रोल रूम से लेकर वहां के महल तक फैले है जिसे सामने से खत्म किया जाना है।


बक्शी:- सामने से खत्म करोगे और वो कहेगा आओ और मुझे मारकर निकल जाओ। क्या आर्म्स नहीं होंगे उनके पास।


अारूब:- कंट्रोल रूम और महल के आसपास किसी को भी हथियार रखने की अनुमति नहीं है। इमरजेंसी के लिए ये लोग हथियार अम्मुनेशन सेक्शन से लेंगे, जिसे हम लॉक कर चुके होंगे।


बक्शी:- ठीक है मै 10 स्नाइपर भेजता हूं, और साथ में 20 कचरा साफ करने वालों को। याद रहे कुछ भी करके इस लोकेश का चेप्टर एंड होना चाहिए, और इतने बड़े ऑपरेशन को हमने अंजाम क्यों दिया है उसकी ठोस वजह मुझे कल तक अपने टेबल पर चाहिए होगी। कमांडिंग ऑफिसर तुम ही होगे अारूब, इसलिए हर एक कि जिम्मेदारी तुम्हारी होगी।


दृश्य:- सर कचरा साफ करने के लिए 40 तेज ऑफिसर चाहिए। 20 मत भेजना।


बक्शी:- ठीक है हो जाएगा। 1 घंटे के अंदर पूरी टीम तुमसे संपर्क करेगी।


बक्शी ने जैसे ही कॉल डिस्कनेक्ट किया, दृश्य… "आदिल अपनी टीम स्टेटस बताओ।"


आदिल:- भाई 10 ट्रेंड फाइटर है और 10 स्नाइपर।


दृश्य:- आदिल, अप्पू तुम्हे अब लीड करेगा। अप्पू तेरे पास अब 20 स्निपर और 50 लोग है। काम हो जाएगा।


अारूब:- 20 स्नाइपर का मतलब है कब मौत उन्हें अपने सिकांजे में घेर लिया उन्हें पता तक नहीं चलेगा। काम खत्म करके संदेश भेजता हूं भाई।


पूरी तैयारी हो जाने के बाद दृश्य अपने साथ निम्मी और अश्क को लेकर चल दिया। दृश्य अपने चलने के साथ ही अपस्यु को सूचित कर दिया। सुचना मिलते ही अपस्यु ने लोकेश को कॉल लगाया…. "जी अपस्यु सर कहिए"


अपस्यु:- मै प्रताप ग्रुप के मालिक साहिल प्रताप को लेने जा रहा हूं। अपने सीमा को खुलवाकर रखो।


प्रताप ग्रुप और साहिल प्रताप का नाम बहुत बड़े उद्योगपति में आता था, ऊपर से प्रताप फैमिली राजस्थान की बहुत रेपुटेड परिवार था। लोकेश तो कनेक्शन देखकर ही चकरा चुका था। हालांकि दृश्य का नाम सुनकर तो लोकेश के वीरदोयी भी चक्कर खा जाते, लेकिन फिलहाल अभी तो दृश्य को छिपाकर रखना था।


शाम के 6.30 बजे तक दृश्य, अश्क और निम्मी के साथ महल में था। कैप ने नीचे अपना चेहरा छिपाए दृश्य सीधा अपस्यु के कमरे में पहुंचा।… "क्या भाभी, लुकिंग हॉटी, कहां बिजली गिराने आयी है।".. कमरे में पहुंचते ही अपस्यु ने अश्क से कहा।


अश्क:- दृश्य, बहुत बदतमीज है ये तुम्हारा भाई।


दृश्य:- क्या ही कर सकते है, एक तो भाई है ऊपर से डेविल ग्रुप का मुखिया, अब इससे पंगा कौन लेगा।


अश्क:- आज जारा मै व्यस्त हूं वरना इसे मै बताती…


"क्या भाभी… उमाम्मम्मह … बहुत ही गजब ढा रही हो"… आरव भी कमरे में आते कहा.. अब अश्क वो भी क्या रिएक्ट करे। पहले अपस्यु अब आरव ने छेड़ दिया। अश्क आरव के साथ आए सभी लोगो को एक बार देखी और कहने लगी…


"हीहीहीही… ये दोनो भाई पागल है। लेकिन जरा देखूं तो ये साथ ने कौन आया है इनके साथ.. ये है मेरी नंनद कुंजल, और ये दूसरी है स्वास्तिका… एक जिसे मै नहीं पहचान पा रही, ये मुंह लटकाए कौन खड़ा है।"..


अपस्यु, अश्क के कान में निम्मी और पार्थ की पूरी कहानी संक्षिप्त में समझाकर हटा। अश्क निम्मी और पार्थ के देखकर एक बार मुस्कुराई और अपस्यु के कान में वो भी धीमे से कहने लगी… "इनका जोड़ा लगाना के लिए हम सब मिलकर कोशिश करेंगे।".. पार्थ के लिए खुश होकर अपस्यु, अश्क के गाल को चूमते हुए… "लव यू भाभी" कहते पीछे हटा।


दृश्य:- सुनो अश्क, तुम ये अपस्यु के आस पास ना रहा करो। ये तो तुमसे मिलते ही तुम्हे चूमने लग जाता है। ..


दृश्य अभी अपनी बात समाप्त ही किया था, कि इतने ने दरवाजे से दो खूबसूरत कन्या अंदर आयी, एक ने तो कुछ नहीं किया लेकिन दूसरी ने खींच कर एक तमाचा जड़ दिया दृश्य को।


जैसे ही दृश्य को थप्पड़ पड़ा, वैसे ही सभी लोग एक्शन में आ गए, सिवाय अपस्यु और ऐमी के। उन दोनों ने काया को अपने बीच में लिया और गुस्साए लोग को किनारे होकर शांत खड़ा रहने के लिए कहने लगा… तभी दृश्य, गुस्से में आखें लाल किए… "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे मारने की।"… तभी दृश्य के दूसरे गाल पर काया ने एक और तमाचा चिपका दिया।


दृश्य गुस्से में खड़ा काया को घूरता रहा… "दोबारा अगर मेरे बच्चे वैभव को यदि अपस्यु और ऐमी के पास से ले जाने की कोशिश भी किए, तो मैं तुम्हे जान से मार दूंगी। वो सिर्फ मेरा और सिर्फ मेरा बच्चा है, कभी अपने बाप होने की धौंस उसपर मत दिखाना।"..


अभी जो सबके गुस्से की भावना थी, वो एकदम से आश्चर्य के रूप में बदल गया, और सबसे ज्यादा इस वक़्त गुस्सा तो अश्क को आ रहा था, वो भी दृश्य पर…. अश्क दृश्य को आखें गुर्राती…. "वो तुम्हारे बच्चे की मां बन गई और तुम्हे याद भी नहीं।"…


दृश्य:- नहीं क्यूटी मुझे तो पुरा याद है…


अश्क:- ठीक है नाम बताओ इसका..


दृश्य:- हाय निल कैसी हो, कभी सोचा ना था तुमसे दोबारा मुलाकात होगी…


अश्क, दृश्य पर झपटती हुई…. "इसकी हिम्मत तो देखो, मेरे ही सामने कैसे हंसकर बात कर रहे। कुछ दो मेरे हाथ में इन्हे मारने के लिए।"


ऐमी:- क्या दीदी आप भी पुरानी बातों को कुरेदने लगी। काया प्लीज क्या तुम यहां से जाओगी।


काया:- हां मेरा काम तो हो गया। बस नील अपने बच्चे को देखने के लिए व्याकुल थी, तो मै यहां ले आयी।


ऐमी, अश्क से…. "दीदी वो बस अपने बच्चे को देखने की चाहत में आयी है। आप प्लीज शांत हो जाओ।"


अपने सामने अपनी 2 सौतन को देखकर भला अश्क क्यों शांत हो। गुस्से में वो कमरे के बाहर चली गई। इधर दृश्य काया से माफी मांगते हुए कहने लगा…


"हम दोनों ही एक लंबे साजिश में फसे थे। तुम्हे तो सच्चाई पता भी थी, लेकिन मुझे और अश्क को तो कुछ और ही सच्चाई से अवगत कराया गया था। तुम यकीन मानो, यदि मुझे पता होता की बच्चा उन्हें एक्सपरिमेंट के लिए चाहिए तो तुम्हे ये दिन ना देखने परते। मेरे नाक के नीचे था वो कमीना डॉक्टर भार्गव।खैर उस दौड़ में बहुत सी गलितियां भी हुई, और मै हमेशा अपने भाई अपस्यु का शुक्रगुजार रहूंगा, क्योंकि वो मेरी हर गलत को चुपचाप सही करते चला गया।


नील:- ओय गलत तरीके से तुमने और काया ने मिलकर बच्चे पैदा किए थे, इसमें मुझे मत समिल करो। मैंने जो भी किया वो अपनी इक्छा से और बिल्कुल होश में। हां बस उनकी क्रूरता और नीयत को देखकर कभी अपने बच्चे को उनके बीच पालते नहीं देख सकती थी, इसलिए तुम्हे दे दी। पहले जाकर अपनी नकचढ़ी पत्नी को संभालो दृश्य। खुद ही 2 बच्चे देने की शर्त पर हामी भरी थी, लेकिन आज भी वो दोष तुम्हे ही दे रही।


दृश्य:- जब रिश्ता गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड का होता है, तब तो किसी लड़के या लड़की को बर्दाश्त ही नहीं होता कोई भी दूसरा संबंध, फिर तो वो मेरी पत्नी थी। फोन लाइन के उस ओर से उसने मुझसे कहा था सब करने, वो भी बिना ये जताए की उसके दिल पर क्या बीती होगी। उसके हर नखरे मुझे उम्र भर मजूर है। वैसे भी उसे मनाने का मज़ा ही कुछ और है।


नील हंसती हुई…. "हां मै ये बात जानती हूं। वैसे 6.30 बज रहे है, उम्मीद है तुमलोग यहां घूमने तो नहीं ही आए होगे।


अपस्यु:- जी हम बिल्कुल शेड्यूल से है। स्वास्तिका तुम दृश्य भईया निम्मी का जारा चेहरा ऐसा मस्त खिला सा बनाओ की कोई पहचान ना पाए। एक टफ बिजनेसमैन लुक और उसकी कमाल कि पीए। ऐमी तुम भाभी को के साथ बैठकर उन्हें मोबाइल ऑपरेटिंग कमांड सिखाओ, ताकि रियल टाइम में वो हमे कंप्लीट टेक्निकल सपोर्ट दे सके। आरव कुंजल तैयार होकर आधे घंटे में सब इसी कमरे में इकट्ठा हो जाओ.. 8 बजे से एक्शन शुरू होगा और हम लाइव कवरेज देखेंगे। सब जल्दी,जल्दी.. और हां काया तुम भी हमारे साथ पार्टी में चलोगी, आज तुम्हारा और अजय का भी हिसाब किताब सैटल कर दूंगा। चलो चलो सब निकलो…


सबके निकलते ही अपस्यु ने नीचे रिसेप्शन पर कॉल लगाया, छोटे से बार का सारा सामान उन्हें ऑर्डर करके जल्दी से रूम में भिजवाने के लिए बोल दिया। इधर हर किसी के कमरे में अपस्यु ने अपना एक ड्रिंक पहले से भिजवा चुका था। सेल रिप्लेसमेंट थेरेपी वाली वो माइक्रो लिक्वड के साथ न्यूरो एनरज़ाइजर.. ऐसा कॉम्बो जो खुद से कहीं ज्यादा शरारिक क्षमतावान दुश्मनों से लडने के लिए तैयार किया गया था।


बक्शी से लेकर अपस्यु तक सबको पता था कि, वीरदोयी ऐसे लोगों का समूह है जो एक साइंटिस्ट के एक्सपेरिमेंट का नतीजा है। लगभग 20 गुना तक उनकी शारीरिक क्षमता इस कदर बढ़ाई गई थी, जबतक एक सामान्य क्षमता वाले लोग रिस्पॉन्ड करते, ये वीरदोयी अपना काम खत्म करके, दूसरे पर ध्यान दे चुके होते।


न्यूरो एनरज़ाइजर के बारे में भी अपस्यु को गुरु निशी से ही पता चला था। एक बेहद दुर्लभ जड़ी-बूटी जो गुरु निशी अपने शिष्यों पर अत्यंत ठंड में इस्तमाल करते थे। इस जड़ी बूटी के परिणाम और दुष्परिणाम दोनो ही गुरु निशी अपस्यु से चर्चा करते थे। हालाकि दुष्परिणाम सामान्य से थे, लेकिन इंसानी शरीर में इस जड़ी-बूटी के लगातार सेवन से इसके लत लगना लाजमी था। ठीक कोकीन और अफीम की तरह, लेकिन ये जड़ी बूटी कोकीन और अफीम जैसी बिल्कुल नशीली नहीं थी।


न्यूरो एनरज़ाइजर के इस्तमाल और परिमाण की आकलन करे तो, इस जड़ी बूटी के कारन शारीरिक क्षमता कई गुना तक बढ़ाई जा सकती थी, वो भी कोकीन और चरस के मुकाबले बिल्कुल निम्न दुष्परिणाम के। इस जड़ी-बूटी का लगातार इस्तमाल इसलिए भी नहीं किया जा सकता था क्योंकि यह अति दुर्लभ जड़ीबूटियां में से एक थी, जिसके सेवान की लत अपस्यु को काफी दुख दे जाती।


दृश्य को छोड़कर हर किसी ने उसका सेवन किया। आराम से मस्त होकर तैयार हुए। इधर ऐमी अश्क के पास बैठकर कुछ टेक्निकल डिस्कसन कर रही थी, कुछ आसान से कमांड बताने के बाद वो अश्क के साथ बैठी…. "क्या हुआ दीदी, इतना भी किस सोच में डूब गई।"..


अश्क:- वो एक दौर था जो गुजर गया। गलतियां हम दोनों से हुई, लेकिन आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ होगा की दृश्य ने एक ही बात के लिए 4 बार नाराजगी जताई हो, और देख ना मैंने दृश्य से यहां भी झगड़ा कर लिया।
Nimmmi ki kahani bohot hi dukh se bhara hua hai....
Aese rakhyashon ko aese saza milni chahiye jo mot se bhi badtar ho....
Ae sala ajay bohot kameena hai....
Inke sath samil hone ke liye Drish aa gaya hai, jo swayam mahakal ka roop hai, jis ke naam sunte hi virdoyion ka halat kharap ho jata hai ....
Stage is set.....
Well planned....
Excellent updates....
Keep it up.....
 

Aryan s.

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अश्क:- वो एक दौर था जो गुजर गया। गलतियां हम दोनों से हुई, लेकिन आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ होगा की दृश्य ने एक ही बात के लिए 4 बार नाराजगी जताई हो, और देख ना मैंने दृश्य से यहां भी झगड़ा कर लिया।


"कोई बात नहीं है दीदी, अब चलो भी तैयार हो जाओ। पहले बारातियों का स्वागत देखना है फिर बाद में हमे भी तो धमाल मचाना है।".. ऐमी अपने कपड़े बदलती हुई बात करने लगी।


अश्क:- आह ! मै तो आलसी हूं, आज तेरा एक्शन देखूंगी बस..


ऐमी:- क्यों अपने लव का एक्शन देखते-देखते बोर हो गई क्या।


अश्क:- कूल, ये फैंसी लिंगरी की शॉपिंग मुझे भी करवाएगी क्या?


ऐमी:- आप नहीं खरीदती क्या?


अश्क:- यार सोचकर जाती तो हूं कि खरीदना है, लेकिन जब वो दिखता है तो बस इत्तू सा छोटा कपड़ा लगता है कुछ समझ में ही नहीं आता।


ऐमी, स्ट्रेचेबल पेंसिल जीन्स डालती… "ठीक है जब कभी भी दिल्ली आना तो साथ चलेंगे शॉपिंग पर। अब उठो भी, वहां कहां आप बिस्तर पर जमी है। आप पहले किसी के साथ तैयार ना हुई क्या, जो ऐसे बैठकर मुझे तैयार होते देख रही है।"..


अश्क:- नाह मुझे देखना है कि जब तुम जैसी ट्रेंड फाइटर तैयार होती है तो अपने कपड़ों के साथ क्या-क्या कैरी करती है।


ऐमी:- दीदी ये फिर कभी और किसी मौके पर देखने को मिलेगा, क्योंकि आज का थीम है, उन्हीं के चराग से उन्ही का आशियाना जलाना है।


अश्क:- ओह ! चल ठीक है फिर मै भी तैयार हो लू..


इधर स्वास्तिका ने अपना बैग खोलकर बिस्तर पर सारा समान बिखेर दी, बड़ी तेजी से वो दृश्य के चेहरे पर हाथ चलाती गई, और अंत में एक गाढ़े हरे रंग की कॉन्टैक्ट लेंस दृश्य के आखों में लगाने के बाद… "ये हो गया आप का मेकअप सर"..


दृश्य:- ये सर क्या है, तू मुझे भाई नहीं मानती क्या?


स्वास्तिका:- मै रिश्ते मानने में नहीं, रिश्ते निभाने में विश्वास रखती हूं।


दृश्य:- प्वाइंट तो बी नोटेड, और हां मेरे लिए रिश्ता मुंहबोली नहीं, बल्कि दिल से जुड़ा होता है, इसलिए ज्यादा बातें नहीं, और मुझे अच्छा लगेगा जब तुम हक दिखाओगी।


स्वास्तिका हंसती हुई…. "जी भईया, वैसे कैसा लगा मेकअप।"


दृश्य:- निम्मी जारा देखकर बताओ की मै पहचाना जाऊंगा या नहीं।


निम्मी:- भईया आपके करीबी को छोड़कर कोई आपको पहचान नहीं पाएगा। और कितना भी करीबी क्यों ना हो, जबतक ध्यान से ना देखे पता, नहीं चलने वाला है।


दृश्य, स्वास्तिका के दोनो गाल खिंचते…. "थैंक्यू सो मच, क्या मेरे कुछ लोगों ये कला सीखा सकती हो।"


स्वास्तिका:- बिल्कुल भाई, दिल्ली में ही रहूंगी और अपना हॉस्पिटल खोलने वाली हूं, साथ में मेरा एक सपना है कि बहुत बरा रिसर्च सेंटर भी होता, लेकिन आपकी कहानी जानने के बाद वो विचार मैंने छोड़ दिया। सो एक हॉस्पिटल और उसमे मेरे अपने छोटे-छोटे क्यूट से रिसर्च। आप भी उनको भेज देना जिन्हे ये कला सीखनी हो।


दृश्य:- ऐसा नहीं है कि रिसर्च कोई भी बुरा होता है। हां लेकिन कुछ विकृत मानसिकता के महत्वकांक्षी लोग, उस प्रयोग को अभिशाप बना देते है, लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि अच्छे काम छोड़ दिए जाए। जब ऐमी का टेक्निकल सपोर्ट मिलेगा, तब तुम्हारे एक्सपेरिमेंट को कोई चुरा नहीं सकता, इसलिए अपना आइडिया ड्रॉप मत करो। और हां इसी बहाने मुझे भी किसी के लिए कुछ करने का मौका मिल जाएगा…


स्वास्तिका:- किसके लिए भाई?


दृश्य:- वैदेही है…. जिसने अपने एक्सपेरिमेंट से मेरे अंदर जीवन की नई परिभाषा डाली, डॉक्टर शांतनु की बेटी। वो भी अपने पिता की तरह एक काबिल खोजकर्ता है, लेकिन उसके पिता की दुर्गति जब मुझे याद आती है, तो मेरा रूह कांप जाता है। तुम्हारे हॉस्पिटल में वो सबके बीच और तुम्हारे टीम के साथ अपना प्रयोग जारी रख सकती है। क्या तुम मेरी मदद करोगी ?


स्वास्तिका:- इसपर आराम से बैठकर बात करेंगे भाई, अभी आप जाओ मुझे निम्मी को भी तैयार करना है, आपके पीए की तरह।


दृश्य जैसे ही बाहर निकला, स्वास्तिका निम्मी का मेकअप करती… "निम्मी, एक बात कहूं।"


निम्मी:- मै जानती हूं वो बात, मैंने अपस्यु को दी है सारी बातें। इसलिए प्लीज पार्थ को लेकर कोई बात नहीं करो।


स्वास्तिका:- हम्मम ! ठीक है नहीं करती, मै अपने बारे में तो कर सकती हूं ना।


निम्मी:- हां क्यों नहीं।


स्वास्तिका:- मैंने 19 साल की उम्र में अपनी वर्जिनिटी लूज की थी। 2 टाइमपास बॉयफ्रेंड रहे है और अपनी मर्जी अनुसार सेक्स को एन्जॉय किया। फिर एक दिन दीपेश से मुलाकात हुई, दिल में प्यार वाली फीलिंग जागी, उसके बाद मेरी सारी खुशियां उससे जुड़ गई। एक बात बड़े ईमानदारी से कहूंगी, आज तक कभी मेरे दिल मे उसके पिछले अफेयर जानने का ख्याल नहीं आया और ना ही उसने कभी अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से मेरे अफेयर्स के बारे में जानने की कोशिश किया।


निम्मी:- आप लोग अलग सोसायटी में पले बढ़े हो और मैं अलग।


स्वास्तिका:- "यही तो मै भी समझाना चाहती हूं। उसने भी कई सालों से अलग सोसायटी को देखा है, आज बस तुम्हारा होकर रहना चाहता है। मै तुम्हे फोर्स नहीं कर रही लेकिन बस इतना समझना चाहती हूं कि जैसे मेरे या दीपेश के दिल में कभी अतीत को लेकर कोई ख्याल नहीं आया, ठीक वैसे ही कभी पार्थ तुम्हारे अतीत को लेकर अपने मन में कोई ख्याल नहीं लाएगा, और विश्वास मानो वो रिश्ते निभाने में वो बेईमान नहीं।

"तुम दोनो एक हो जाओ उसका एक स्वार्थ तो यह है कि उस घुमक्कड़ को एक स्थाई ठिकाना मिल जाए, क्योंकि मै जानती हु, यहां का काम खत्म होते ही वो फिर हमारे लिए अजनबी होने वाला है। एक तो उसे बांधे रखने की ख्वाहिश है दूसरा जब से तुम्हरे बारे में जाना है, तबसे एक टीस ही उठती है। किसी और कि गलती के लिए तुमने हर खुशियों से मुंह मोड़ लिया।"


निम्मी:- स्वास्तिका मेरे बदन को यहां नहीं नोचा गया था, बल्कि मेरे आत्मा को नोचकर निकाल दिया गया था। बस दिल की आग ही है जो मुझे जीने की मकसद दी है, उसके बाद फिर मेरा कोई अस्तित्व नहीं।


स्वास्तिका:- सिर्फ तुम्हारा ही अतीत कलेजा चीरने वाला नहीं है, उसके हंसते चेहरे के पीछे भी कई दर्द छिपे है और जो मैंने बताया ना की कल से वो हमारे लिए अजनबी हो जाएगा, वो भी उसी ओर इशारा है कि उसने भी अपने जीने का मकसद नहीं बनाया और शायद वो भी तुम्हारे तरह ही सोचता है। एक छोटी सी उम्मीद कि किरण जागी है, बस दुआ करूंगी तुम दोनो को अपना अस्तित्व एक दूसरे में मिल जाए। हो गया तुम्हारा मेकअप भी। जारा देखकर बताओ कैसा है?


निम्मी:- बहुत शानदार है। चलती हूं अब।


इधर अपस्यु अपने कमरे में सारा इंतजाम करवा चुका था। बड़ा सा स्क्रीन तो पहले से उस कमरे में लगा हुआ था और अब वो सिस्टम से भी कनेक्ट हो चुका था। सबसे पहले पहुंची कुंजल, और वो अपस्यु के पास जाकर उसके बनाए छोटे से बार काउंटर पर बैठ गई।


कुंजल:- पियक्कड़ कहीं के, पुरा बार ही खोल लिया है अपने लिए तो। अब तो लगता है आपसे बात करना छोड़ दू उसी शर्त पर ये पीने की लत भी छोड़ दोगे।


अपस्यु:- सिर्फ ऐमी को पता है ये बात, आज तुम्हे बता रहा हूं, एक्सट्रीम ठंड और पहाड़ पर सीधी चढ़ाई लगातार चढ़ने के कारण, मेरे बॉडी में एक्स्ट्रा बॉडी फ्लूइड विकसित हुआ था। हर किसी के शरीर में यह थोड़े मात्रा में पहले से पाया जाता है, लेकिन मेरे अंदर ये काफी मात्रा में उत्पन होता है।

"जब कड़ाके के ठंड में भी मै गर्मियों के आम दिन की तरह कपड़े पहनकर अपना काम पूरे ध्यान से करता, बिना कापें, तब गुरुजी का ध्यान मुझपार गया। 4 दिन की यात्रा के बाद गुरुजी मुझे एक आऊर्वेदाचर्या के पास लेकर गए और मेरे बारे में उन्हें अवगत करवाया।"

"उन्होंने पुरा निरक्षण के बाद गुरु निशी से से कहा कि चिंता का विषय नहीं है, मानव शरीर की संरचना ही कुछ ऐसी है कि शरीर में वातावरण और काम के हिसाब से कुछ चीजें विकसित होती है तो कुछ चीजों के प्रयोग ना हो पाने के कारन विलुप्त हो जाती है। मेरे शरीर ने भी ऐसा ही एक एक्स्ट्रा फ्लूइड विकसित किया है।"


कुंजल:- इससे आपके पीने का क्या संबंध..


अपस्यु:- ये फ्लूइड जब अल्कोहल के साथ मिलता है तो इसके परिणाम काफी रोचक होते है। पहला तो मैं दिन रात-पिता रहूं, ये किडनी और लिवर में पहुंचने से पहले ही मेरे लिए दवा का काम करता है और मेरे इस एक्स्ट्रा फ्लूइड को स्टेबल कर देता है जो मेरे ध्यान लगाने की शक्ति में अदभुत मदद करता है।

"मै अपने आस पास की चीजों को महसूस कर सकता हूं। एक बार जिस जगह को देख लूं, मै इंच के हिसाब से बता सकता हूं। गोली की रफ्तार को 2000 गुना भी बढ़ा दो, फिर भी मै काफी दूर से हवा में हुए परिवर्तन को भांप लेता हूं, और एक चीज जो मै अबतक सबसे छिपाते आया हूं, मै हवा की गति को भांपकर उसी तेजी से प्रतिक्रिया देते हुए बच भी सकता हूं।"

"सबको लगता है कि मै धुएं की आड़ में बचने कि कोशिश करता हूं, लेकिन सच तो यह है कि हवा के गति में परिवर्तन होते ही, जैसे ही खतरे का अंदाज़ा होता है मेरा शरीर भी उसी स्पीड से प्रतिक्रिया में बचता है और कहीं बच पाना संभव नहीं होता, तो शरीर में जहां सबसे कम नुकसान हो, शरीर वहां पर वार झेल लेता है। मेरे हर विषय पढ़ने के पीछे की रुचि, मेरे कुछ नया सीखने की रुचि, और कुछ ही समय में किसी काम में महारथ हासिल करने की रुचि, इन सब का राज वो एक्स्ट्रा फ्लूइड ही है और अल्कोहल उसे स्टेबल करके दिशा प्रदान करने में मदद करता है।"


कुंजल:- आप तो सुपर स्टार निकले भईया। वैसे कहीं कोई कहानी तो नहीं बना रहे ना…..


अपस्यु:- मतलब मै इतने बड़े राज से पर्दा उठा रहा हूं, और तुम मुझे ही झूठा बोल रही।


कुंजल:- हीहीहीहीही, भईया जब आप सफाई देते हो तो बहुत मस्त दिखते हो। अच्छा सुनो ना मै क्या कह रही थी..……


अपस्यु:- हां बोल ना ?

कुंजल, कुछ सोचती हुई… "नहीं कुछ नहीं बस ऐसे ही"..


"हद है अपस्यु, अब यहां भी बार काउंटर"… ऐमी, अश्क के साथ कमरे में शिरकत करती हुई कहने लगी…


हाय क्या अदा थी ऐमी की, वो हल्के मेकअप के साथ, अपने लंबे और खूबसूरत तराशे बदन पर, जब वो बिजनेस क्लास वूमेन की तरह, पेंसिल हिल पर पेंसिल जीन्स और शर्ट पहने शिरकत की, अपस्यु के होश उड़े।… "कुछ देर पहले तो मै हॉटी थी, और अभी अपने होने वाली पर से नजर नहीं हट रही, कमाल है।"… अश्क, अपस्यु के आखों के सामने चूटकी बजाती अपनी बात कही और उसकी बात सुनकर तीनों ही हसने लगे।


ऐमी:- हद होती है अपस्यु, बेबी कुछ देर में हम पार्टी में तो होते ही। अब क्या सारा एन्जॉय यही कर लोगे।


कुंजल, ऐमी से….. भाभी हमारी पार्टी तो बस थोड़ी देर में शुरू होने वाली है, आधा इधर एन्जॉय करेंगे, आधा उधर एन्जॉय करेंगे..


अश्क:- सही है ये तो, बिल्कुल सही है, लेकिन एन्जॉय करने के लिए होश में होना जरूरी होगा, ना की पीकर बेहोश हो जाओ।


अपस्यु:- इसलिए तो यहां अल्कोहल की केवल एक ड्रिंक सर्व होगी, बाकी सब फ्रूट जूस पिएंगे…


"अच्छा उपाय है, हर किसी पर लागू कर दो, सिर्फ बाबा अपस्यु को छोड़कर, क्योंकि हमारा एक उनके 10 के बराबर होता है, और वो भी शायद मैंने कुछ कम बता दिया होगा।"… आरव पीछे से ताना देते हुए उनके पास आकर बैठ गया, और उसके साथ में पार्थ भी।
Update:-131








अश्क, पार्थ से… देखो दोस्त या तो प्यार में देवदास बन जाओ या फिर प्यार को प्यार से अपने ओर आकर्षित करने की कोशिश करो, मर्जी तुम्हारी है।..


पार्थ:- नाह मै अभी प्यार के बारे में नहीं सोच रहा, ये वक़्त तो हमारे परिवार का है.. और मैं पार्थ आप सबका होस्ट, आप सबका दोस्त, यहां आप सबको आज की इस महफिल में स्वागत करता हूं। पीकर होश खोने की रात नहीं है, क्योंकि ये होश में पूरे एन्जॉय करके बेहोश होने की रात है। और इस शाम को यादगार बनाने के लिए मै अपनी खूबसूरत और हॉट दोस्त ऐमी को एक डांस के लिए इन्वाइट करना चाहूंगा।..


जैसे ही पार्थ का जोश भड़ा अनाउंसमेंट हुआ, सभी लोग हूटिंग करना शुरू कर दिए।…. "रुको, रुको, रुको… शो शुरू होने में केवल 10 मिनट रह गए हैं, तो मुझे भी एक डांस पार्टनर की जरूरत है।".... अश्क भी उनके पागलपन में शरीक होती कहने लगी।


आरव अपने घुटने पर बैठते… "भाभी, ऐसे चिल्लाकर कहोगी तो एक पार्टनर नहीं, अनेक पार्टनर की लाइन लग जाएगी।"…


अपस्यु ने म्यूज़िक प्ले कर दिया और एक ओर पार्थ नाचने लगा और दूसरी ओर आरव। ऐमी की नजर डांस करते हुए भी लगातार अपस्यु पर बनी हुई थी। जब से वो कमरे में घुसी थी, उसे ऐसा लग रहा था मानो अपस्यु का आकर्षण उसे खींच रहा है। अपस्यु भी मुसकुराते हुए बस ऐमी को देख रहा था और हवा में जाम लहराते हुए टेस्ट कर रहा था।


इसी बीच दृश्य भी पहुंच गया और वहां का नजारा देखकर थोड़ा हैरान सा हो गया। कुछ बोलने से अच्छा सीधा बार काउंटर पर चला गया… "8 बजने वाले है, प्लान पर एक्शन लेने का समय है, और ऐसे समय में तुम"..


कुंजल, दृश्य से:- सुनो भईया, क्या आपने प्लान पहले से बना लिया लिया था?


दृश्य:- हां, वो भी बिल्कुल परफेक्ट..


कुंजल:- सबको प्लान के हिसाब से उसका काम अच्छे से समझा दिया?


दृश्य:- हां बिल्कुल..


कुंजल:- यहां पर मौजूद लोगों में से उसके हिस्से का काम शुरू हो चुका है क्या?


दृश्य:- ना अभी उसमे समय है…


कुंजल:- फिर इतना टेंशन में क्यों हो, आराम से ड्रिंक लीजिए और एन्जॉय कीजिए, जब हमारा वक़्त आएगा तब हम अपना काम शुरू करेंगे।


दृश्य:- इसे लापरवाही कहते है। अपस्यु तुम सुन भी रहे हो?


कुंजल:- वो अपनी बीवी को देखने में व्यस्त है। वैसे अश्क भाभी भी कम मस्त नहीं लग रही, चाहे तो आप भी उन्हें बड़े प्यार से देख सकते है। वैसे भी आपसे नाराज होकर गई थी।


दृश्य:- है तो सबसे छोटी लेकिन बातें बड़ी-बड़ी..


कुंजल:- भईया एक बात पूछूं..


दृश्य:- हां पूछो ना..


कुंजल:- दिखने में तो आप करेला लगते हो फिर इतनी मस्त आइटम पटाई कैसे।


कुंजल अपनी बात कहकर हंसने लगी और उधर से अपस्यु का एक हाथ सीधा कुंजल के सर पर लगा, जबकि उसकी नजरें ऐमी पर ही थी…. "देखा दृश्य भईया, इनका ध्यान हमारी बातों पर ही था, लेकिन नजरे और दिल वहीं टिकी है।"..


तभी वहां का म्यूज़िक बंद हो गया.. अचानक से एक बार लाइट गई और फिर आयी…. "अब आप सब यहां आकर आराम से बिना कोई आवाज़ के शो का मज़ा ले।"… अपस्यु अपनी बात कहते हुए बड़े से स्क्रीन को चालू कर दिया और सभी लोग अपस्यु के द्वारा व्यवस्थित बार काउंटर के पास अपनी-अपनी जगह ले लिए।


अारूब एक लाइन पर दृश्य से संपर्क बनाए हुए था, साथ में सबको कमांड भी दे रहा था और इधर अपस्यु अपने लैपटॉप के स्क्रीन पर पार्टी में आए मेहमानों पर नजर दिए हुए था। पार्टी में शिरकत करते मेहमान को देख अपस्यु कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रहा था। ऐसा लग रहा था इंतकाम और न्याय सब एक साथ मिल जाएगा।


कुछ लोग जैसे शिपिंग किंग जवेरी, साची के पिता मनीष मिश्रा, प्रकाश जिंदल और एक छिपा हुआ एक स्लीपिंग पार्टनर अमोघ अग्रवाल, एक प्राइवेट बैंक का मालिक, ये सब विक्रम राठौड़ के साथ शुरू से बने हुए थे। इसके अलावा आने वालों मेहमानों को देखकर बहुत सारी तस्वीरें खुद व खुद साफ हो गई।


पक्ष और विपक्ष के नेता जो होम मिनिस्टर के लिए गड्ढे खोद रहा था, कई नाम चिह्न बिजनेसमैन, जिन्हे काले और उजले पैसों में काफी रुचि रहती है। सरकारी पदों पर अच्छे पोस्ट को होल्ड किए कई सरकारी डिपार्टमेंट के उच्च अधिकारी और निदेशक। इन सब का साथ होना केवल इसी ओर इशारा कर रहा था कि लोकेश ने वीरदोयी की मदद से इनके कई सपने साकार किए होंगे।


इधर उस कमरे का माहौल शांत होते ही, ऐमी मुस्कुराती हुई बार काउंटर के पीछे आयी। अपस्यु की देखकर तो ऐमी कबसे खींची जा रही थी। सबकी व्यस्त देखकर ऐमी अपनी दबी अरमान को हवा देती, अपस्यु के होंठ को प्यार से चुमकर अलग हटी। अपस्यु आश्चर्य से अपनी आखें बड़ी करके वो चारो ओर देखने लगा। हर कोई अपनी नजर बड़ी सी टीवी स्क्रीन पर डाले हुए था।

अपस्यु, पहले खुद काउंटर के नीचे बैठा और ऐमी का हाथ खींचने के लिए जैसे ही अपना हाथ उपर लेकर गया, ऐमी फिर खड़ी हंसती हुई अपस्यु को अंगूठा दिखा रही थी। अपस्यु गुस्से से ऐमी को घूरा और चुपचाप उठकर खड़ा हो गया।

ऐमी अंदर ही अंदर हंसती हुई सबका ध्यान अपनी ओर खींच और सबके लिए एक ड्रिंक बनाने लगी। पहला ड्रिंक कुंजल को सर्व हुआ जो मोकटेल की जगह मार्टिनी था। कुछ नज़रों के संवाद कुंजल और ऐमी के बीच हुआ और कुंजल ऐमी की चतुराई पर हंसे बिना नहीं रह पाई।


दूसरी ओर अारूब का एक्शन पैक धमाल भी शुरू हो चुका था। अपस्यु अपने स्क्रीन से पार्टी हॉल पर नजर जमाए हुए था और सभी लोग रूम के स्क्रीन पर नजरें जमाए… अपस्यु ने दृश्य को होल्ड का सिग्नल भेजा और लगातार अपने स्क्रीन देख रहा था।


8 बजे से शुरू होने वाला मिशन 8.15 तक होल्ड पर रखा हुआ था। अपस्यु जब सुनिश्चित हो गया कि इतने मेहमानों के बीच में लोकेश अब फंस गया है, तब अपस्यु ने कंप्लीट फॉरवर्ड का इशारा किया और ऐमी के कान में कुछ समझाकर बड़े आराम से लोकेश की पार्टी के लिए निकल गया।


अपस्यु, काया को साथ लेकर पार्टी में पहुंचा। बहुत से व्हाइट कॉलर लोगों के अलावा बहुत से ब्लैक कॉलर लोग भी पहुंचे थे। माहौल किसी रंगीन पार्टी जैसा था, जिसमें बदन कि नुमाइश करती कई सारी लड़कियां ड्रिंक और स्नैक्स सर्व करती हुई, लोगों के आखों और हाथों का भी मनोरंजन कर रही थी।


अपस्यु जैसे ही अंदर घुसा, काया के कान में कुछ बोलते हुए, लोकेश के ओर बढ़ने लगा, जो इस वक़्त आपने पापा विक्रम राठौड़ और प्रकाश जिंदल के साथ खड़ा, अपने एक बिजनेस पार्टनर के. डी. जवेरी से बात कर रहा था। लोकेश की नजर जैसे ही अपस्यु पर गई, अपने दोनो हाथ खोलकर उसे वेलकम करते हुए माईक पर बोलने लगा….. "आज की शाम जिस खास होस्ट के नाम है वो हमारे बीच चला आया। क्या आप में से कोई बता सकता है कि ये कौन है?"..


कुछ को छोड़कर बाकियों को कुछ भी पता नहीं था। लोकेश 15 सेकंड का एक पॉज लेकर, फिरसे बोलना शुरू किया….

"सुप्रीम कोर्ट के मशहूर वाकील अनुरुद्ध सिन्हा का होने वाला दामाद, सेंट्रल होम मिनिस्टर का मुंह बोला बेटा, दिल्ली के लोकल गैंग से लेकर मुंबई अंडरवर्ल्ड तक जिसके नाम की सुपाड़ी नहीं के सकते, प्रतप ग्रुप ऑफ कंपनी के मालिक का खास दोस्त, और मायलो ग्रुप का मालिक मिस्टर अपस्यु रघुवंशी।"…


"मेरा परिचय तो काफी धांसू था, लव यू ब्रो। यहां आए सभी व्हाइट और ब्लैक कॉलर लोगों को मेरा नमस्कार। यहां मौजूद ज्यादातर लोग को मै जानता हूं, चाहे वो मशहूर बिजनेस मैन माणिकचंद जी हो या फिर शिपिंग किंग जवेरी। मै किसी से परिचय करने में रुचि नहीं रखता, मै काम करने में विश्वास करता हूं, शायद इसलिए कम वक़्त मेरा अपना मुकाम है। इसलिए प्लीज मेरे पास भिड़ लगाकर अपना परिचय देने से अच्छा है कोई काम की बात हो तो ही मेरे पास आइए, वरना ये पार्टी एन्जॉय करने के लिए है। आप भी एन्जॉय कीजिए और मुझे भी पार्टी एन्जॉय करने दीजिए।"

"एक बात और, मै शुरू से फैमिली बिजनेस करता हूं, इसलिए अपने भाई लोकेश के साथ आज खड़ा हूं। यहां आयी लड़कियों के कपड़े में थोड़ी तब्दीली मैंने कर दी है, आप सब भी अपने आचरण के तब्दीली कर लीजिए। और यदि औरत की जरूरत इतनी ही मेहसूस होती हो तो घर से अपनी बीवी या गर्लफ्रेंड को लेकर चला कीजिए, क्योंकि यहां आप की जरुरत बढ़ रही होगी और पता चला कि उसकी जरूरत कोई और पूरी कर रहा हो। मुझे सुनने के लिए धायवाद, एन्जॉय दी पार्टी।"


अपस्यु अपने तेवर से वाकिफ करवाते बार काउंटर पर आकर अपना ड्रिंक एन्जॉय करने लगा और इधर लोकेश के लिए परिस्थिति से निपटना थोड़ा मुश्किल हो रहा था। अपस्यु ने अपने शब्द के तीर ऐसे चला चुका था की हर कोई घायल होकर बिलबिला रहा था। लोकेश ने मेघा को इशारा से अपस्यु के पास भेजा और खुद एक वीरदोयी के कान में कुछ ऐसा कहा जिससे वो हसने लगा।


वो वीरदोयी लोकेश की बात को संदेश के तौर पर सभी वीरदोयी के पास तुरंत भेज दिया। वो लोग भी संदेश खोलकर देखते हुए हंसे और चुपके से वहां मौजूद सभी लोगों के बीच फैला दिया। इधर मेघा, अपस्यु के साथ बैठकर अपना ड्रिंक टोस्ट करने लगी।…. "हम्मम ! आते ही अपने तेवर से सबको वाकिफ करवा गए।"..


अपस्यु, मुसकुराते हुए…. "लुकिंग कूल मेघा। लगता है पार्टी के ख्याल से पिछले 5 घंटे से तैयार हो रही हो।"


मेघा:- औरतों के तैयार होने में लगे वक़्त का तुम्हे बड़ा अनुभव है, क्यों ऐमी को बिठाकर तुम खुद ही तैयार करते हो क्या?


"क्या बच्चे, ये क्या सॉफ्ट ड्रिंक पी रहा है "… अपस्यु के पास एक वीरदोयी लड़ाका खड़ा होते हुए कहने लगा… "तुम्हारी यहां जरूरत है क्या?"… मेघा ने जवाब दिया..


लड़ाका…. "मैं तो बस देखने आया था कि जिस अंदाज़ में इसने बात किया, उस अंदाज़ के लायक भी है क्या?


अपस्यु, हंसते हुए…. "तू यहां का स्टाफ है ना जाकर काम देख। काम से छुट्टी मिली है तो पार्टी एन्जॉय कर, बाकी मेरे लायक या नालायक होने का प्रूफ आराम से देते रहेंगे, अभी तू तो यहीं रहेगा ना।"


वीरदोयी लड़ाका…. बात मुझ अकेले की नहीं है, बल्कि यहां मौजूद सभी लोगों की है। बॉस जैसे ऐटिट्यूड के लिए बॉस जैसे गुण भी तो होने चाहिए ना सर।


अपस्यु चिल्लाते हुए कहने लगा…. "तो यहां सबको ये बात खटक रही की, बॉस जैसे ऐटिट्यूड के लिए बॉस जैसे गुण होने चाहिए… और बेसिकली वो गुण कौन से होने चाहिए…


वीरदोयी लड़ाका….. "हमे हराकर दिखाओ और हमारी वफादारी पाओ।"..


अपस्यु:- क्यों लोकेश ने भी यही किया था क्या?


वीरदोयी लड़का:- नहीं उसने ऐसा नहीं किया, इसलिए तो वो हमारा बॉस नहीं, हम पार्टनर्स है और सभी पार्टनर्स ने लोकेश की लीडरशिप को एक्सेप्ट किया है, और तुम हमारी जगह पर खड़े होकर, हमारे लीडरशिप को चैलेंज कर रहे… कहां से काम चलेगा मुन्ना…


अपस्यु:- "मुझे पता था कि तू मुझे लड़ने कि ही चुनौती देगा। वो क्या है ना हर ताकतवर के साथ यही समस्या होती है, उसे अक्ल से ज्यादा बड़ी भैंस लगती है, इसलिए शारीरिक बल होने के बाद भी किसी नेते के पास रहकर उसके जूते चाटना, किसी बिजनेस मैन के हाथों की कठपुतली होना, यही उनकी किस्मत है। मूल रूप से ताकत और बुद्धि का कोई मेल नहीं, और बहुत कम लोगों के पास ये दोनो साथ होते है।"

"मै फाइट करूंगा, लेकिन एक शर्त पर, कम से कम 5000 करोड़ की बेटिंग होनी चाहिए। मैं बिना किसी फायदे या नुकसान के कोई काम नहीं करता। बॉस का एटिट्यूड है इसलिए पैसा बनाऊंगा और शेर का जिगरा है इसलिए किसी भी जगह पर खड़े होने की हिम्मत है।"..


मेघा अपस्यु की बात सुनकर सिटी बजाती हुई कहने लगी…. "500 करोड़ मै लगाऊंगी अपस्यु तुम्हारे ओर से।"..


अपस्यु:- लव यू मेघा, मुझे यकीन था कि तुम्हे मेरे एटिट्यूड से कोई पंगा नहीं होगा। और बाकी के लोग आपस में सलाह मशवरा करके जल्दी से पैसों का इंतजाम करके मुझे सूचना दो, जबतक मै अपना ड्रिंक एन्जॉय करता हूं।


अपस्यु अपनी बात कहकर वापस बार काउंटर पर आकर ड्रिंक लेने लगा। प्रकाश जिंदल जो इस वक़्त अपने कुछ खास दोस्तों के बीच था, वो मेघा को अपने साथ कोने में ले जाकर, उसके फैसले पर उसे बहुत सुनाने लगा। लेकिन मेघा भी अपने फैसले को लेकर बहुत ही सुनिश्चित थी, इसलिए वो अपने पापा के खिलाफ चली गई।


एक ओर अारूब का मिशन शुरू हो चुका था, वहीं दूसरी ओर पार्टी के अंदर अपस्यु ने पुरे माहौल को ऐसा फसाया था कि हर किसी को 5000 करोड़ अपनी खोली में नजर आ रहा था। एक 21-22 का अय्याश और आवारा लड़का, वीरदोयी लड़ाका से लड़ेगा, और साथ 5000 करोड़ की शर्त।


चूंकि मामला 5000 करोड़ का था और इतने पैसे लगाना किसी एक के बूते की बात थी नही, इसलिए सब अपना ज्यादा-ज्यादा पैसा लगाने के लिए पैसों के इंतजाम में जुटे हुए थे। सबसे ज्यादा चमक तो लोकेश के ही आखों में नजर आ रहा था। लोकेश को भी कमाने की चाहत काफी बढ़ चुकी थी। 1000 करोड़ कैश तो उसके इस बेस पर था, लेकिन वो इस डील में कम से कम 2500 करोड़ लगाना चाहता था, इसलिए वो भी बंदोबस्त में जुट गया।


चिड़िया दाना चुग चुकी थी, और अब लोकेश इस पार्टी हॉल से कहीं चला जाय, सवाल ही नही पैदा होता। उल्टा मामला पैसों का था इसलिए लोकेश ने वहां आसपास के सभी 40 वीरदोयी को यहीं पार्टी हॉल में पहुंचने के लिए बोल दिया।
:applause: :applause:
Jis tarah se lokesh ne Apashyu ka introduce karaya aur Apashyu ne khud ka introduction diya woh dhamakedar tha ....
Woh bhi ek chaal tha dusron ko uksane ka .....
Jis ka nateeza hua ki sab Apashyu ke banaye hue bhanwar mein fasate chale gaye....
Excellent
 

Aryan s.

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चिड़िया दाना चुग चुकी थी, और अब लोकेश इस पार्टी हॉल से कहीं चला जाय, सवाल ही नही पैदा होता। उल्टा मामला पैसों का था इसलिए लोकेश ने वहां आसपास के सभी 40 वीरदोयी को यहीं पार्टी हॉल में पहुंचने के लिए बोल दिया।


लंबे खेल का आरंभ, अपस्यु के पार्टी हॉल में पहुंचने के साथ ही हो चुका था। अारूब की अगुवाई में टीम ठीक उसी वक़्त लोकेश के बेस के अंदर घुसी, जब अपस्यु पार्टी हॉल में पहुंचा। ऐमी के कमाल का विजन और अारूब की मदद से उसने कंट्रोल रूम को ऐसा भरमाया की वहां मौजूद लोगों को वही सब नजर आ रहा था, जैसा ऐमी उसे दिखाना चाहती थी।


अब बस जरूरत थी तो कंट्रोल रूम पर कबजे की, ताकि वाकी की मैनुअल सूचना प्रणाली भी अपने हाथ में आ जाए। 6 कार जब महल के आसपास धूल उड़ाते निकली थी, तब किसी को अंदाजा भी नहीं था कि वो धूल क्या कमाल कर सकती थी। वो माइक्रो पैक्टिकल्स आरव और ऐमी के कमांड से, कंट्रोल रूम के अंदर पहुंच चुकी थे। धीरे-धीरे एक गुमनाम हवा, वहां काम कर रहे 20 स्टाफ को ऐसे जकड़ ली की वो हिलने की हालत में भी नहीं थे। आरव और ऐमी ने जैसे ही अपना काम खत्म किया उसने तुरंत सभी टीम को एक्शन लेने के लिए बोल दिया।


अारूब ने 20 स्नाइपर और 48 ऑफिसर की टीम को 4 हिस्सों में बांटकर, 5 स्नाइपर और 12 कचरा साफ करने वाले ऑफिसर 4 ठिकाने पर पहुंच चुके थे। इधर दृश्य ने एक्शन कहा और उधर स्नाइपर की टीम ने अपने दो टारगेट को आपस में बांटकर हेड शॉट लेना शुरू किया। मौत कब कहां से आ गई किसी को पता भी नहीं चला। एक ही वक़्त में सभी स्नाइपर ने एक्शन लिया और मात्र 5 सेकंड के अंतर से 2 गोली फायर करते हुए, सभी टारगेट को ढेर कर दिया।


40 जल्लाद जिसे मौत का खेल रचने में काफी उत्सुकता रहती थी, वो ढेर हो चुके थे और कचरा साफ करने वाले ऑफिसर, जो पहले से उनके ठिकाने से थोड़ी दूर पर घात लगाए थे, तुरंत अंदर दाखिल हुए और बिना किसी की नजर में आए सभी लाश को वैन में लोड करके, अारूब को ऑल क्लियर का संदेश भेज दिया।


इधर स्निपर से गोली निकलकर, उन वीरदोयी का भेजा निकालते हुए, उन्हें मौत कि नींद सुला रही थी और इधर कमरे में बैठा पुरा डेविल ग्रुप जोश में आकर हूटिंग करते हुए, वीडियो को दोबारा स्लो मोशन में प्ले करते हुए सभी की मौत को एन्जॉय कर रहे थे।


40 और बचे वीरदोयी के साथ भी वही खेल रचा जाना था, इसलिए टीम लोकेशन फिर से सेट की गई। वहीं प्रक्रिया फिर से दोहराई गई और उन 40 के साथ भी वही हुआ। मात्र 5 सेकंड के फासले में सभी टारगेट समाप्त हो चुके थे और पुरा कचरा साफ हो चुका था।


अारूब की टीम के काम का पहला भाग समाप्त हो चुका था और अगले काम के लिए लंबा वक़्त लिया जाना था, इसलिए उसे काया द्वारा बताए गए एक सुरक्षित ठिकाने पर इंतजार करने के लिए कहा गया। महल के जिस कमरे में सभी लोग थे खासकर आरव, ऐमी, स्वास्तिका, और पार्थ इनकी खुशी तो देखती बनती थी।


ये सभी लोग हल्के नम आशु के साथ दृश्य के सामने खड़े हो गए और अपने जाम लहराते हुए उसके सम्मान में अपना सर झुका लिया। दृश्य, अश्क और निम्मी को समझ में तो नहीं आया की मस्ती करने वाले ये लोग इतने भावुक क्यों थे, लेकिन दृश्य उनकी पिरा को भांपते हुए कहने लगा…. "तुम सब रोते हुए अच्छे नहीं लगते, वैसे भी अभी एक ही पड़ाव खत्म हुआ है, मुख्य लोग तो अभी बाकी है आज शाम का खेल तो अभी पुरा बाकी है।"…


कुंजल सबके बीच खड़ी होकर कहने लगी…. "भईया शादी का अरेंजमेंट आपने काफी बढ़िया किया है… बारातियों का स्वागत तो हो गया, अब जरा फेरे करवाकर दुल्हन को विदा करवा दीजिए, बाकी का रोना हम दुल्हन की विदाई के बाद कर लेंगे।"…


कुंजल की बात सुनकर सब लोग हंसते हुए हूटिंग करने लगे। तभी ऐमी सबको शांत करती हुई कहने लगी….. "पार्टी के अंदर मै और अपस्यु लीड करेंगे। केवल उन्हीं लोगों की लाश गिरेगी जिसकी तस्वीर हमने सबको भेजी है। यदि तस्वीर ना भी याद हो तो बता दूं कि लाश केवल वीरदोयी की गिरेगी, बाकी उनके अलावा किसी को भी मारने का फैसला मेरा और अपस्यु का होगा। दृश्य भईया, ये खासकर मै आपसे कह रही।"

दृश्य:- येस बॉस मै समझ गया।


निम्मी:- और लोकेश राठौड़..


दृश्य:- अपने चाकू तुम केवल 1 के लिए इस्तमाल करोगी और जितना कुरुर हो सकती हो उतनी कुरूर हो जाना। लोकेश केवल और केवल तुम्हारा है निम्मी।


स्वास्तिका:- अब सभी बातें क्लियर हो गई हो तो चले क्या पार्टी में… शादी को जारा शुरू से एन्जॉय किया जाए…


सभी लोग वहां से केवल अपने मोबाइल के साथ बिल्कुल खाली हाथ निकले। ठीक रात के 9 बजकर 15 मिनट पर, पार्टी में उन लोगो ने शिरकत किया। आखों के सामने सजी-सवड़ी इतनी खूबसूरत और हॉट बाला को देखकर, सभी का ध्यान उन्हीं के ओर गया। दिमाग में वो संदेश भी घूमने लगा जिसमे एक वीरदोयी ने लिखा था, "ये लड़का अपने घर की औरतों के साथ आया है, देखकर तबीयत हरी भी होगी और रात के अंधेरे में मज़ा का भरपूर मौका भी मिलेगा।" संदेश में लिखी गई बात लोगों के जहन में थी और नजरे बार-बार उनकी मादक जवानी पर।


अपस्यु बार काउंटर कर बैठा ड्रिंक एन्जॉय कर रहा था और एक-एक करके उसके दोनो ओर से, उसके सभी हमराही बैठ गए। अपस्यु बिल्कुल बीच में और 4 लोग अपस्यु के दाएं और 4 लोग अपस्यु के बाएं। अपस्यु के ठीक दाएं ऐमी और बाएं दृश्य बैठा हुआ था।


"यहां का माहौल इतना शांत और लोग ऐसे क्यों देख रहे है।"… दृश्य ने अपस्यु से पूछा।


अपस्यु, जोड़ से हंसते हुए… "ये सभी व्हाइट और ब्लैक कॉलर वाले लोग, 5000 करोड़ की व्यवस्था में लगे है भईया… ओह भिड़, मै तो परिचय करवाना ही भुल गया.. ये हैं मशहूर, दिलदार रईश.. साहिल प्रताप सिंह। प्रताप इंडस्ट्री के अकेला वारिस और उसके बाजू में है मेरी स्वीट भाभी मिसेज अश्क प्रताप सिंह, मेरे भैया जिसके गुलाम है।"


दृश्य के बारे में जैसे ही सबने सुना एक बार फिर, भिड़ में चर्चा का विषय बना हुआ था। इधर बेटिंग के इक्छुक लोग जिन्हें अपनी जीत सुनिश्चित लग रही थी, सबने कुबेर का धन खजाना, यानी की इंटरनेशनल बैंक के पैसों को लोकेश के अकाउंट में ट्रांसफर कर चुके थे। किस-कीस ने कितने पैसे जमा करवाए है, उसको पन्ने पर लिखा जा रहा था, ताकि अंत में हिसाब के वक़्त कोई समय ना हो। 5000 करोड़ की बेटिंग में जब लोगों को जीत दिखने लगी तो महज 1 घंटे के अंदर सभी के पैसे लोकेश के अकाउंट ने पहुंच चुके थे…


लोकेश जोड़ से चिल्लाते हुए… "भाई हमारे ओर से कुल 10000 करोड़ की बेटिंग है। क्या कहते हो..


अपस्यु अपना जाम पीते हुए…. " कहीं घर के कागजात और बीवी के गहने बेचकर तो पैसा ना इकट्ठा कर लिए ये लोग लोकेश भईया?


लोकेश कुछ बोलता, उससे पहले ही पार्टी में आया एक व्हाइट कॉलर विपक्ष का मजबूत नेता कहने लगा… "अभी तो हमने अपने काले धन का आधा हिस्सा भी नहीं लगाया है। सुनो बेटा तुम्हारे पास जो वो दाएं से वो मुलायम और दूध सी चिकनी कन्या बैठी है, उसे देखकर, उसके साथ कई आशन लेने का मन कर रहा है.. उसके लिए मै 500 करोड़ तक देने को तैयार हूं.. बस यही बैठकर बोल दे भोग आसान लगाने"..


सभी गुस्से में पागल से नजर आ रहे थे, लेकिन अपस्यु अपने दाएं बाएं देखकर केवल इतना ही कहा… "आज शाम की बॉस"…. ऐमी झट से अपने टेबल से उतरी और सबको शांत रहने का इशारा करती हुई अपने कदम बढ़ाती हुई कहने लगी… लेट मी इंट्रोड्यूस माय सेल्फ… ऐमी की कदमों में तेजी आयी… "माय नेम इज ऐमी"..


वहां क्या हुआ ये तब पता चला जब ऐमी "माय नेम इज ऐमी" कहकर खड़ी हुई। उस नेता का कटा गला फर्श पर था और धर फरफराता हुआ नीचे गिर रहा था। वहीं उसके बाजू में उसका एक और साथी था, जो उस नेता का पाला हुआ मुख्य गुंडा था, उसके गले से खून की धार निकल रही थी, और वो गुंडा अपने गले को हाथों से दबोचे, घिरे धीरे नीचे गिरता जा रहा था। फर्श पर चारो ओर खून ही खून फ़ैल रहा था और कई देखने वालों ने तो वहीं उल्टियां कर दी।


चंद ही सेकंड में क्या हो गया उसे देखने के लिए, वहां लगे बड़े-बड़े स्क्रीन पर, स्लो मोशन में वीडियो प्ले हुआ। ऐमी की रफ्तार बढ़ी, तेजी से कदम बढाती उसने ड्रिंक सर्व होती ट्रे से ग्लास उठाई, थोड़े दूर आगे बढ़ी होगी और गलास का आधा हिस्सा टूटकर नीचे। ऐमी बिल्कुल हवा में और उसके पेंसिल हिल, धातु की बनी वो धारदार ब्लेड निकली, जिसे काले रंग के पेंट ने उजागर तो नही होने दिया, लेकिन हवा की रफ्तार से जब उसने अपने पाऊं चलाए तो वो नेता का गला नीचे फर्श पर था और ठीक आधे फिट की दूरी पर को गुंडा था, जिसने कान में उस नेता से कुछ कहा था। उसके गले में वो टूटा कांच का ग्लास घुसकर गला चीरते हुए बाहर निकाल चुका था।


स्क्रीन पर चले एक्शन रिप्ले देखते सबकी आखें बड़ी हो गई और अपस्यु ताली बजाता खड़ा हुआ…. "स्वीटी क्या मूव थी, अवसोम बेबी।".. इधर अश्क पागलों की तरह सिटी बजाकर रोल करती हुई कहने लगी…. "ऐमी तुम्हारे सामने तो मुझे सब हिजड़ों की ही जमात नजर आ रही। क्या मूव दिखाया है दिल खुश हो गया।"… अपस्यु के ओर से लोगों ने इतनी सीटियां बजाई की सबके कान के पर्दे उड़ गए।


पूरी भिड़ सकते में आ चुकी थी। वीरदोयी जल्लाद लोकेश के पास एक्शन की मांग के लिए पहुंचे, वहीं लोकेश अपने सभी जल्लादों को समझाकर भिड़ को शांत करके एक किनारे ले जाने के लिए कहा। भन्नया विक्रम राठौड़ गुस्से में पागल होकर कहने लगा… "उसने महज 4 शब्द बोले थे उसने अपस्यु, और तुमलोग ने यह गलत कदम उठा लिया। मै अपने लोगों को रोक रखा हूं, वरना तुम सब की लाश गिरने में 2 मिनट नहीं लगेंगे।"


ऐमी:- हट बड़बोला कहीं का। मिस्टर विक्रम राठौड़ तुम्हे हमारी लाश गिरानी है ना और सिर्फ 2 मिनट लगेंगे, तो देर किस बात की रण सज चुका है, 10000 करोड़ की बोली लग चुकी है.. शुरू कर दो लाशों का खेल। यदि तुमने 2 मिनट में अपस्यु की लाश गिरवा दी ना, तो नंदनी रघुवंशी के बाकी बच्चे पुरा मायलो ग्रुप तुम्हारे नाम कर देंगे और 10000 करोड़ अभी हम दाव पर लगाते है। वैसे तुम भिकारि, विक्रम, तुम्हारे पास तो कोई कंपनी होगी नहीं, तो यदि तुम शर्त हार जाना तो बस मेरी ननद कुंजल के सैंडल को अपने जीभ से चाट कर साफ कर देना। औकाद है तो चैलेंज एक्सेप्ट करो, वरना मैंने तो लाश गिरा दी, अब चाहो तो तुम चूड़ियां पहन कर गीदड़ धमकी देते रहो।


एक शेरनी की दहाड़ सबने सुनी, ललकार सुनकर तो शांत रहने वाला लोकेश भी पूरे तैश में आ गया। ऊपर से उसकी नजर के सामने जिसने (अपस्यु) कम से कम 15 ड्रिंक पिया हो, वो नशेड़ी भला कैसे लड़ सकता था। 1000 करोड़ कैश पहुंच चुके थे। एक ओर लोकेश के बचे 9000 करोड़ और दूसरी तरफ अपस्यु के ओर से 500 करोड़ मेघा और बचे पैसे दृश्य लगा रहा था।


स्विस के नए एकाउंट में 19000 करोड़ जमा हो चुके थे, जिसका आईडी पासवर्ड दृश्य और लोकेश के पास था। दोनो एक जगह आराम से बैठ चुके थे और बीच मे टेबल परे एक लैपटॉप को एक हाई सिक्योरिटी सेफ बॉक्स में बंद करके रखा गया था, जो 19000 करोड़ की चाभी थी। बिना उस लैपटॉप के दूसरे डिवाइस की पहली लॉगिन स्वीकृत नहीं थी।


एक ओर 20 गुना क्षमता वाला वीरदोयी का सबसे तेज लड़का और दूसरी ओर अपस्यु जो किसी भी इंसान के मुकाबले 20 गुना ज्यादा नरक की आग में जला था, और सामने अपने दिल की आग को ठंडा करने का एक मौका।


लड़ाई आमने-सामने की थी और डेविल ग्रुप रण की ओर देख रही थी। अपस्यु के दिल में अग्नि आवाहन था, युद्ध के बिगुल बज चुके थे और प्रतिशोध की जलती ज्वाला, आज जिन-जिन को मौत की सजा दे चुकी थी, उसपर कोई रहम नहीं होना था।
:applause: :applause:
Yeh Aemmi ki action aur dialogues bohot khatarnak tha, kisi sherni ki dahad ke tarah....
Agar koi cinema hall mein yeh sab chala hua hota to seetiyon ke awaz se cinema hall gunj uthhta ....
Excellent....
 

Naina

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Bin update ke ab hume yehin intezaar karna hai...
ek aash hai..ki kabhi toh update aayenge,
hum toh din gine, par pata hi nahi chale kab din mahino mein badal gaye....
yeh tajurba hum readers ko isi zindagi mein karna hai...:D
aainn... is cnp shayari ke liye itne likes :hmm:
yeh toh Kamal hi ho gaya :D
 

Naina

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:reading: jara dekh toh lu.. yeh app sui aur imli kya gul khila rahe hai :D
 

Naina

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kya baat hain update ki barish ho gayi idhar toh udhar ishq risk pe ekdum aakal...
 

Mr. Nobody

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Thankoo no body bhaiya.. aap ko bhi welcome back .. aap bhi to eid ke chand hi ho :D
Are bhaya value bhi to eid k chand ki jyada hoti hai.... ??
Socha Sare updates ek satha padhlu. To Exsiment Or interest bana rahe.
 

CG

Sab Chutiyapa hai Bhaya
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such lovely updates......

matlab apne hi baap ke against khade hain

mujhe lagtaa hai ki koi to Aasteen ka saanp nikalna chahiye may be Parth kyunki use abhi tak actually mein kisi bhi kaam mein shaatir nahi dikhaya hai

lets see Nain kya dikhata hai agle update mein

waiting bro for such lovely and high voltage drama
 
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