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Romance भंवर (पूर्ण)

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nice update ...vodka peene se darr kam ho jaata hai ,,,aur aarav ne sahi kiya ?...ab cantene me laavni kaise apna darr door karti hai aur hero kya karega ye dekhne me maja aayega ...
 
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nice update ..ye minister ke gunde hi honge ...aakhir central minister hai to chalakhi iske ander kut kut ke bhari hi hogi ...laavni ka ulti karne wala scene zabardast tha ?...par aarav dono ki kiski flat par leke gaya ..
 
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Update:-12(B)

"सहपाठियों के साथ वो आचरण की शिक्षा और वेदों का पाठ"… फिर एक मासूम सा सवाल "गुरु जी क्या हम उन्हीं विषयों को पढ़ सकते है जिन्हे आपने निर्धारित किए है"…. "नहीं अपस्यु, तुम अपने विवेक और मनन से किसी भी विषय को पढ़ने के लिए स्वतंत्र हो केवल उन विषयों की रुचि तुम्हे होनी चाहिए"…

आरव अपने भाई का हाथ थामे उसके शरीर में हो रहे हलचल को देख रहा था.. एक नजर कंप्यूटर पर, तो दूसरी नजर अपस्यु पर थी। हार्ट रेट काफी बढ़ी हुई थी और शरीर में लगातार प्रतिक्रिया चल रही थी। आधे घंटे तक यही सब चलता रहा फिर अपस्यु के कहे अनुसार आरव ने आईवी सेट नसो से निकाल दिया। शरीर में झटका जैसे लगा हो और फिर धीरे-धीरे श्वास समन्य होती चली गई। कुछ देर आरव उसी के पास ठहर मुआयना करता रहा और जब उसे सब कुछ सामान्य लगा तब कहीं जा कर वो सो गया।

रात के 2 बज रहे होंगे "नहीं" की एक चिंख गूंजी और अपस्यु उठ कर बैठ गया। शरीर में काफी दर्द और अकड़न भी मेहसूस हो रहा था। आरव को वो तेज-तेज आवाज लगा कर उठाने लगा, लेकिन शायद वो गहरी नींद में सो गया था इसलिए जाग ना पाया।

चेहरे पर पानी गिरने के कारण आरव हड़बड़ा कर नींद से जगा और उठ कर बैठ गया। कुछ समय बाद जब आखों के सामने तस्वीरें साफ हुई और सामने अपस्यु को देखा तो "ओ तेरी" करता हड़बड़ा कर वो बिस्तर से नीचे गिर गया।

आरव:- अबे ये क्या बवासीर है.. तू उठ कर खड़ा कैसे हो गया। तू मर-मुरा कर भूत तो ना बन गया।

अपस्यु:- नींद में है क्या बे या मेरे सोने के बाद पी लिया था जो ये उल्टी सीधी बातें कर रहा है। और ये बवासीर क्या है। पट्टी ना बंधी होती तो अभी कुटाई कर देता।

आरव:- कोई तंत्र विद्या सीख लिया क्या वहां गुरु जी के पास। साला इतना जल्दी तो फिल्मों में भी किसी टूटे को खड़ा नहीं कर देते जितनी जल्दी तू खड़ा हो गया।

अपस्यु, कर्रहते हुए जाकर पुनः उसी बिस्तर पर टेक लगा कर बैठ गया.. इसे विज्ञान कहते हैं मेरे भाई। कोई तंत्र विद्या या जादू नहीं है।

आरव:- अच्छा सुन आसान सी भाषा में मुझे समझा कि ये सब संभव कैसे हुआ। हां लेकिन कोई ज्ञान मत पेल देना।

अपस्यु:- तू और तेरी भाषा.. सुन जब मैं पढ़ाई के छठे वर्ष में था मेरी रुचि मानव शरीर और उसकी संरचना में अत्यधिक थी।

आरव:- इतिहास छोड़ सीधा बता ना ये कैसे संभव हुआ..

अपस्यु:- देख हमरा शरीर कोशिकाओं से बना है। कई कोशिकाएं मिल कर कर ऊतक बनाते है यानी कि टिश्यू और कई टिश्यू मिल कर…

आरव:- समझ गया ऐसे ही एक के बाद एक चेन चलेगा और बॉडी बन जाएगी।

अपस्यु:- उतावला बस होता रह। पूरी बात मत सुनना। सुन शारीरिक संरचना में कोसिका की अहम भूमिका है और तूने जो मुझे इंजेक्ट किया वो सेल बॉडी सब्सटेंस यानी कि कोशिका जिस चीज से बनेगी उसका द्रव्य था। अब मेरी बॉडी स्कैन होती गई और ये कोशिकाएं जा कर क्षति हुई कोशिकाओं पर जुड़ने लगी जिसके परिणामस्वरूप बहुत सी कोशिकाएं ठीक हो गई।

आरव:- कच्चा पक्का ज्ञान मिला, पर कुछ-कुछ समझ में आ गया। मतलब ठीक हो गया ना।

अपस्यु:- नहीं पूरे तरीके से नहीं ठीक हो पाया हूं किंतु ठीक हूं। हड्डियां जुड़ने में वक़्त लगेगा।

आरव:- हड्डियां नहीं जुड़ी तो खड़ा कैसे हुआ तू।

अपस्यु:- अबे ये प्लास्टर का सहारा था ना, किसी तरह से खड़ा हो गया। हां लेकिन जितना भी कैल्शियम डिपोजिट हुए होगा वो फ्री हो गए होंगे तो ये एक समस्या हो सकती है कि जुड़ने में थोड़ा और वक़्त लग जाए।

आरव:- तू तो जीनियस निकला। वैसे इतनी बात बता ही दिया है तो उस इंजेक्शन कि भी कहानी बता ही दे, जो आईसबॉक्स में रखी है।

अपस्यु:- वो.. वो तो एल्केलायड है। एक तरह का एड्रेनेलिन इंजेक्शन। इमरजेंसी की स्तिथि में इसे लगा दो काम कर गई तो मारता हुआ भी वापस अा जाएगा, वरना मारा हुआ तो वैसे भी हैं।

आरव:- यार मैं तेरी तरह क्यों नहीं। तू तो हर चीज का मास्टर है।

अपस्यु:- ऐसा नहीं है मेरे भाई। तू ऐसा क्यों सोचता है। तू अपने अंदर की प्रतिभा को नहीं देख पा रहा है इसलिए, वरना तू भी किसी से कम नहीं।

आरव:- चल जाने दे इसे, कभी फुर्सत में तू मेरी प्रतिभाओं के बारे में बताना। अभी करना क्या है? क्योंकि देख जब तेरे ऊपर हमला हो गया इसका मतलब है कि हमारे बारे में सब को खबर लग गई होगी। तो क्या अब यहीं रह कर सब को एक साथ देखना है या फिर चले यहां से।

अपस्यु:- देख, एक साथ सबका सामना तो हम कर नहीं सकते, ये बात सत्य है। इनकी इतनी बड़ी हस्ती है कि कहां-कहां से ये कितने लोगों को खड़ा कर देंगे वो हमे भी नहीं पता। इसलिए ये ख्याल दिल से निकाल दे की हम एक साथ सबका सामना कर सकते हैं। और यहां से जा भी नहीं सकते क्योंकि दिल्ली छोड़ने का मतलब है कि फिर हमे सबकुछ भूलना होगा।

आरव:- तो हम करेंगे क्या?

अपस्यु:- कुछ धमाल करते हैं। तू तैयार है क्या?

आरव:- क्या बात कर रहा है.. क्या सच में ..

अपस्यु:- हां सही सुना, तैयार है क्या.. लेकिन याद रहे करना 2-4 दिन के अंदर में ही है, और वहां मैं नहीं रहूंगा।

आरव:- तू नहीं बस तेरा बैकअप चाहिए। बोल प्लान क्या है?

अपस्यु:- "सुन, जहां तक मुझे लगता है मेरे ऐक्सिडेंट के पीछे भूषण अग्रवाल और जमील का हाथ है क्योंकि जिसने भी मेरा ऐक्सिडेंट करवाया है उसका मकसद मारना नहीं था। वो तो बस मुझे ये दिखा रहा था कि वो मुझे मार भी सकता है। वरना वहां पर उनके पास पूरा मौका था"।

" ऐसी सूरत में त्रिवेणी शंकर तो ये करवा ही नहीं सकता क्योंकि वो तो जनता ही नहीं की उसके साथ कांड किसने किया। वो तो अभी पाता ही लगा रहा होगा और यदि उसे पता चल गया होता की ये सब मैंने करवाया है तो वो जान से मारने का प्रयास करता ना कि अधमरा छोड़ कर ये दिखाने का, की वो मार भी सकते हैं। अब केवल और केवल बचता है भूषण और जमील, और जबतक उनके पैसे अटके है वो हर संभव कोशिश करेगा अपने पैसे निकलवाने कि। उन्हीं दोनों को मेरे बारे में पता चला होगा।

आरव:- तो पहला टारगेट कौन फिक्स हुआ, जमील या भूषण।

अपस्यु:- पहला टारगेट होगा त्रिवेणी, मैं नहीं चाहता कि हमारा राज खुले और इन्हे पता चले कि हमारा टारगेट हर वो कामीना है जो उसके साथ धंधा करता है। चूंकि हमारी मनसा अभी किसी को पाता नहीं है तो अपने-अपने धंधे में मस्त है कौन मारा किसे परवाह। ऐसे धंधों में तो ये आम बात है। भेद खुल गया तो ये सब ग्रुप बना लेंगे, फिर सब मिलकर हमे टारगेट करेंगे और साथ में उसे भी खबर लग जाएगी। इसलिए पहला काम उनको खत्म करना, जो हमे तलाश रहे हैं।

आरव:- लेकिन अभी हमारे बारे में तो उस भूषण और जमाल को पता है, तो टारगेट त्रिवेणी क्यों।

अपस्यु:- प्लान ये है कि मैं सरा पैसा त्रिवेणी के अकाउंट में ट्रांसफर करूंगा। तू जमाल और भूषण से मिल कर ये कहेगा की हमे बस हायर किया गया था सरा पैसा त्रिवेणी के पास है।

आरव:- नहीं इस प्लान में बहुत कमी है, तू समझा नहीं। दोनों एक ही धंधे में है और एक दूसरे को जानते नहीं। अगर तू पैसा ट्रांसफर भी करेगा तो ये सीधा जा कर गोलीबारी नहीं करने वाले। एक ही टेबल पर बैठ कर बातचीत कर लेंगे। उस से भी ना होगा तो इनका बाप बीच में कूद आएगा। क्योंकि उसके 2 लोग एक दूसरे से लड़ रहे है तो वो मध्यस्ता में आएगा ही। एक बार वो चला आया तो फिर उन दोनों के बीच लड़ाई ना होने देगा। प्लान बहुत कमजोर है और हम एक्सपोज भी हो जाएंगे।

अपस्यु:- तो तू करना क्या चाहता है?

आरव:- मुझे तू बैकअप देता जा। टारगेट मुझे मिल गया है, एलिमिनेटर कैसे करना है वो मैं समझ लूंगा।

अपस्यु:- ठीक है लेकिन याद रहे किसी भी सूरत में कोई कड़ी मत छोड़ना। क्योंकि उसके 3 डीलर मारे जाएंगे तो वो कारण का पता जरूर लगाएगा।

आरव:- तू बस देखता जा, ये मैं कैसे करता हूं।
Update:-13



अपस्यु:- तो तू करना क्या चाहता है?

आरव:- मुझे तू बैकअप देता जा। टारगेट मुझे मिल गया है, एलिमिनेटर कैसे करना है वो मैं समझ लूंगा।

अपस्यु:- ठीक है लेकिन याद रहे किसी भी सूरत में कोई कड़ी मत छोड़ना। क्योंकि उसके 3 डीलर मारे जाएंगे तो वो कारण का पता जरूर लगाएगा।

आरव:- तू बस देखता जा, ये मैं कैसे करता हूं।

अपस्यु:- ठीक है तो तू कल से ही काम शुरू कर देना।

आरव:- मैं तो काम शुरू ही कर दूंगा लेकिन क्या तू तैयार है। नहीं, मतलब अभी तू पूरी तरह से ठीक भी नहीं हुआ है। तेरी हड्डी जुड़ने में वक़्त है अभी, ऐसी हालत में तू यहां अकेले सब कैसे करेगा। ऊपर से बॉथरूम आने पर क्या करेगा।

अपस्यु:- चिंता मत कर कल बहुत कुछ सुधार अा जाएगा।

अगले दिन तकरीबन सुबह के 8 बजे अपस्यु ने एक बार पुनः वहीं प्रक्रिया शुरू कर दी। लगभग आधे घंटे तक चली प्रक्रिया और उसके बाद अपस्यु बेहोश परा सोता रहा। इधर आरव अपना सामान पैक करके, वहीं लगे कई तरह के अभ्यास करने वाले मशीनों पर अपना अभ्यास कर, सारी क्षमता दर्ज करने लगा। लगभग 3 बजे दिन में अपस्यु भी उठ चुका था। खुद में वो पहले से बेहतर तो मेहसूस कर रहा था लेकिन अभी भी पूरी तरह से ठीक होने में वक्त लगता, खासकर उसकी टूटी पसलियां और हाथ-पाऊं की हड्डियां जुड़ने में अभी वक़्त था।

दोनों भाई आगे कि रणनीति पर चर्चा कर रहे थे, तभी उनके फ्लैट की घंटी बजी। फ्लैट की घंटी बजते ही दोनों भाई चौक्कना हो गए। दोनों की नजर एक साथ बाहर लगे कैमरे की स्क्रीन पर गई…. "ले अा गई तेरा हाल पूछने। लगता है तेरी वाली बीमारी इसे भी लग गई। पहले तू इसके घर में झांकता था अब ये तेरे घर"

अपस्यु:- जा, जाकर दरवाजा खोल।

आरव हंसते हुए उसके सर पर एक हाथ मारा और जाकर दरवाजा खोलने चला गया।… "स्वागत है जी आप का हमारे छोटे से गरीब खाने में"

साची मुस्कुराती हुई अंदर प्रवेश की और जैसे ही सामने हॉल का नजारा देख… "ओह माय गॉड… ये तो किसी ट्रेनिंग वर्क शॉप जैसा लग रहा है"

आरव:- हा हा हा, अंदर भी आओगी या फिर यहीं खड़ा रहना है।

साची पूरे हॉल का जायजा लेती हुई अाकर सोफे पर बैठ गई… "तुम्हारे घर और रहन-सहन को देख कर तो ऐसा लगता है कि कोई मालदार आसामी हो"

अपस्यु:- आरव चाई ला दे बनाकर। और बताओ साची कैसे आना हुआ।

साची:- अभी मै यहां भांगड़ा करूंगी और तुम ढोल पीटना डफर। तुम्हे देखने आयु हूं और खबर भी लेने।

अपस्यु:- देख तो ली अब खबर भी लेलो।

आरव, किचेन से ही.. साची डंडे से इसकी खबर लेना।

साची:- खबर तो तुम्हारी ही लेने अाई हूं आरव, वेदांता से सीधा फ्लैट में शिफ्ट कर दिए।

आरव:- घूम फिर कर सबका निशाना मैं ही बनता हूं। लो चाय लो। दरअसल बात कुछ यूं हुई की मै गया तो वेदांता ही था लेकिन थोड़े से चेकअप के बाद उन्होंने कुछ दवा लिखी। कमीनो ने ₹40000 जमा भी करवा लिए और आधे घंटे बाद कहते है "नॉर्मल चोट है, 2 हफ्ते में ठीक हो जाएगा। इन्हे घर लेे जा सकते है"।

साची:- चोट नॉर्मल कैसे हो गई। कमाल है हॉस्पिटल बदलते ही पूरा ज़ख्म का रंग-रूप ही बदल गया।

अपस्यु:- सरकारी हस्पताल वाले थे ना वो लोग। कोई भी रिपोर्ट बना देते हैं साची।

अभी साची चाय पी ही रही थी कि उसके सामने से आरव बैग टांगें निकालने लगा। आरव को जाते देख साची ने पूछ लिया कि आखिर वो किधर जा रहा है। आरव को निकालने के लिए बोलकर अपस्यु साची से कहता है…

"अभी जो तुमने मालदार आसामी बोला था ना, उन मालदार आसामी को भी जीने के लिए माल की जरूरत पड़ती है वहीं लाने जा रहा है"

साची:- कोई फैक्ट्री या मिल होगा उसी का कलेक्शन लेने जा रहा होगा।

अपस्यु:- हा हा हा.. नहीं ऐसा कोई मिल या फैक्ट्री नहीं है हमारे पास और ना ही करोड़ों संजोया हुआ है। ये सब कुछ, जो तुम देख रही हो वो हमारे बाबा का संजोया हुआ है। ले-दे कर आय के नाम पर दार्जलिंग में चाय का एक बागान है जिससे हर 3 महीने में 1.5 से 2 लाख रुपए मिल जाते हैं। वहीं हिसाब करके पैसे लेने जा रहा है।

साची:- पैसे अकाउंट पर भी तो मंगवा सकते हो, ऐसे हालात में तुम्हे छोड़ कर जाने की क्या जरूरत है।

अपस्यु:- पैसे के नाम पर बस ₹200 रुपया बचा है। वहां जबतक हिसाब नहीं करेंगे तो पता चलेगा कि जहां 1.5 या 2 लाख आने है वहां ₹50000 से ही संतोष करना होगा।

साची:- पैसों की जरूरत थी तो मुझ से मांग लेते, कुछ समय बाद चला जाता वो।

अपस्यु:- लो अभी मांग लिए जरूरत तो है ही। फिलहाल ₹20000 दे दो। पैसे आते ही लौटा दूंगा।

साची:- ठीक है कल सुबह मै देदुंगी। वैसे मानना पड़ेगा, पैसों का सही इस्तमाल किया है।

अपस्यु:- इस्तमाल नहीं उपयोग।

साची:- मतलब,

अपस्यु:- मतलब "इस्तमाल" शब्द उर्दू से लिया गया है और ये हिंदी भाषा का मूल शब्द नहीं है। "उपयोग" मूल शब्द है।

साची:- आरव ने सही ही बताया था।

अपस्यु:- क्या?

साची:- यही की गुरु जी के पास बैठ जाओ और ज्ञान की प्राप्ति होते रहेगी।

अपस्यु:- नहीं ऐसी कोई बात नहीं है। तुम साहित्य लेकर पढ़ रही थी तो मैं तुम्हारा ज्ञान बढ़ा रहा था।

साची:- अरे हां तुम उस दिन कैंटीन में इस बारे में कुछ बात कर रहे थे ना।

अपस्यु:- वो बात ऐसी है कि हम भी आप के ही सहपाठी हैं जी, और हमारा भी विषय साहित्य ही है।

साची:- ओह हो .. तभी हिंदी के ऊपर मुझे इतना लेक्चरर सुनाया जा रहा था।

अपस्यु, गहरी श्वास खींचते.. सुनाने को तो बहुत कुछ चाहता हूं..

कुछ पल के लिए दोनों के बीच की बातें थम गई और दोनों एक दूसरे को देखने लगते हैं। ये खामोशी जैसे अपने आप में ही एक शोर हो। साची अपने नजरें चुरा कर इधर-उधर देखने लगती है।

अपस्यु:- अब कॉलेज में कोई परेशानी तो नहीं।

साची:- नहीं, कोई परेशानी नहीं। थैंक यू सूूूूूूूू मच..... समस्या का समाधान हो गया। और हां मेरी मां ने भी तुम्हे खास तौर ओर धन्यवाद कहने को कहीं है।

अपस्यु:- स्वागत है जी आप का और आंटी को मेरे ओर से प्रणाम कहिएगा।

साची:- ठीक है अब मैं चलती हूं, रात को आऊंगी खाना लेकर।

अपस्यु, हसरत भरी नजरों से देखते बस "ठीक है" कहता है। दोनों की एक बार फिर नजरें मिलती है, कुछ पल की खामोशी और और फिर दोनों के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान। लेकिन इन पलों की शांति को भंग करने के लिए कॉल बेल बजने लगता है।

अपस्यु, अपने स्क्रीन पर एक बार फिर से देखते हुए… "साची मोबाइल वाला आया है, जरा डिलीवरी लेे लोगी क्या"..

साची:- तुमने कैसे ऐसी हालत में उसे जाने दिया..

अपस्यु:- तुम यहीं रुको मैं कुछ दिखता हूं।

अपस्यु ने पास पड़े रिमोट से ओपन का बटन प्रेस किया और दरवाजा खुल गया। कुछ ऐसी सेटिंग थी कि इधर दरवाजा खुला उधर हॉल के उस हिस्से में पर्दा डल जाता, जहां इनके सारे सामान परे हुए थे। वहीं परे माईक से अपस्यु उसे अंदर बुला कर डीलीवरी लेे लेता है।

उसके जाते ही साची, कमाल को व्यक्ति करने वाला अपना चेहरा बनती हुई.. "क्या बात है तुम्हारा फ्लैट तो पूरा डिजीटल ही है"। फिर उसके मोबाइल को ऑन करके अपना नंबर उसमे सेव करती हुई कहती है.. "कोई जरूरत हो तो कॉल कर लेना"… और वहां से चली जाती है।

अपस्यु गहरी सांसें लेता उसके बारे में ही सोचता रहा, कि तभी उसके फोन की घंटी बजने लगी। अपस्यु जैसे ही उठता है दूसरी ओर से… "इस बार अपंग कर के जिंदा छोड़ा है, मेरे पैसे नहीं लौटाए तो जान से जाएगा"..

अपस्यु:- तुम्हे कुछ भी करने की जरूरत नहीं, तुम्हे तुम्हारे 110 करोड़ मिल जाएंगे।

जमील:- 240 करोड़।

अपस्यु:- तेरे बाप ने भी कभी इतने पैसे देखे है क्या। 6 साल की राजनीति और 52 साल की उम्र तक तूने और भूषण ने मिलकर 110 करोड़ अंदर किए और तुझे अब डबल से भी ज्यादा चाहिए। देख ऐसी स्तिथि उत्पन्न मत कर की मैंने जो मन बनाया है उसे मैं बदल लूं।

जमील:- क्या त्रिवेणी शंकर को पता है कि तूने ही उसके बेटे को मारा और जिसे वो ढूंढ़ रहा है वो तू ही है। साला बित्ते भर का होकर सबको नचाए है। अब मेरी बात ध्यान से सुन 150 करोड़ उसके और 110 करोड़ हमारे। कुल 260 करोड़ में से मैं सिर्फ 240 करोड़ मांग रहा। बाकी तू अपने पास रख, साथ में प्रोटेक्सन भी दूंगा और आगे हम दोनों मिलकर धमाल करेंगे।

अपस्यु:- 200 करोड़ में डील फाइनल करते हैं लेकिन मेरी एक शर्त है। जितने कम राजदार उतनी ही सुरक्षा। 100 करोड़ मै तेरे इंटरनैशनल अकाउंट में ट्रांसफर मारता हूं। मुझे जब लगेगा की तुमने मेरा काम कर दिया तो बाकी के 100 करोड़ तुझे कैश मिल जाएंगे। जगह और समय मै दोनों बता दूंगा साथ में आगे के हर काम में 20% की भागीदारी भी। बोल मंजूर है।

जमील:- नहीं, हिस्सेदारी आधा-आधा.. बाकी सभी शर्तों पर सहमति।

अपस्यु:- नहीं 20-80

जमील:- ना तेरी ना मेरी, चल 40 पर दिल लॉक कर।

अपस्यु:- सब्जी का भाव तोल मोल कर रहा है क्या? तुझे मैंने एक तस्वीर भेजी है देख उसे पहले..

जमील ने होम मिनिस्टर के साथ अपस्यु की तस्वीर को देखते हुए… "अबे तू उधर कैसे पहुंच गया"..

अपस्यु:- ध्यान से सुन मेरी बात, मेरे अंदर दम है और मैं कहीं भी पहुंच सकता हूं। ना तो तू उस लेवल का नेता है और ना ही तू उनके जितना मुझे प्रोटेक्सन दे सकता है। मैं बस उसे इतना ही कहूं ना कि हर महीने 20 करोड़ बस मेरे काम पर पर्दे डालने और प्रोटेक्सन के लिए, तो तू सोच ले क्या होगा। अब बोल मंजूर है डील या फिर सब कैंसल करूं।

जमील:- तू देखने में बस बच्चा लगता है लेकिन है हमारा बाप। मुझे सभी शर्तें मंजूर है तू बस पैसे तैयार रख। मैं सारे काम निपटा कर तुझे फोन करता हूं।

अपस्यु:- ठीक है तेरे कॉल का इंतजार रहेगा।

इधर कॉल डिस्कनेक्ट होते ही अपस्यु ने आरव से संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन मजाल है कि कॉल लग जाए। भाई साहब का फोन लगातार 1 घंटे से बीजी बीजी बीजी…
nice update ..abhi kuch bhi samajh nahi aaya ...hero ne kiske paise liye hai aur wo kya kaam karta hai ..jamaal kaun hai ...aur aarav kise maarne gaya hai ....
 

Anky@123

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इधर कॉल डिस्कनेक्ट होते ही अपस्यु ने आरव से संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन मजाल है कि कॉल लग जाए। भाई साहब का फोन लगातार 1 घंटे से बीजी बीजी बीजी…

आरव अपने घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही, रास्ते में परता हुआ उसके घर को देखते हुए एयरपोर्ट के ओर निकला। टैक्सी में बैठकर आरव लावणी के बारे में सोच कर मुस्कुराया और खुद से ही कहने लगा… "देखता हूं मेरी जानेमन क्या कर रही है".. फिर क्या था मिला दिया कॉल।

2 पूरी घंटी के बाद भी उसने कॉल नहीं उठाया। तीसरी घंटी में वो कॉल उठाती हुई पूछने लगी… "हां जी कौन"… उधर से आरव कहता है.. "जी हम आप के लवर बोल रहे हैं"।.. लवर का नाम सुनते ही वो हड़बड़ा गई, फोन हाथों से छूट कर नीचे गिरते-गिरते बचा। तभी बैकग्राउंड से आवाज़ अाई.. "किसका फोन है लावणी".. लावणी हड़बड़ाती हुई कहने लगी…. "सुषमा का फोन है मां".. और जल्दी से भागकर अपने कमरे में चली गई।

इधर आरव पीछे चल रही कहानी के मज़े ले रहा था… अपने कमरे में पहुंच कर लावणी फुसफुसाती हुई पूछने लगी… "तुम्हे मेरा नंबर कहां से मिला"

आरव:- बड़ा जल्दी समझ गई कि किसने कॉल किया है।

लावणी:- हद होती है किसी भी बात कि। पहले तुम ये बताओ कि मेरा नंबर कहां से मिला।

आरव:- किसी लड़की को लाइन मारने वाले लड़के के पास उसकी पूरी डिटेल होती है। तुम ना समझोगी, अभी बहुत कच्ची हो।

लावणी:- हां इसलिए दारू पीला कर पक्का बना रहे थे। तुम मिलो तो सही फिर बताती हूं।

आरव:- क्या बात है, मतलब काम निकल गया तो अब उल्टा हम ही दोषी हो गए.. क्यों?

लावणी:- तुम्हे तो में जूते से मारूंगी आरव, बस मौका नहीं मिल रहा। तुम्हारे वजह से कितना डर-डर कर जीना पड़ रहा है पता है। मेरी तो सोचते ही रूह कांप जाती है कि अगर इस कांड के बारे में पापा और मम्मी को पता चला तो मेरा क्या होगा।

आरव:- अरे इतना डरती क्यों हो। इस परिस्थिति से निकलने के लिए वहीं डोज बनेगा, 180ml पियो और शान से जियो।

लावणी:- ज्यादा बकवास की ना करो, मैं तुम्हारा मुंह तोड़ दूंगी आरव।

आरव:- इतना ही गुस्सा है तो बताओ कहां आना है निकाल लेना अपनी भड़ास।

लावणी:- ऊफ़ ओ !!! मुझे क्यों परेशान कर रहे हो। कोई काम है तो जल्दी बोलो, मां इधर ही नजर गड़ाए हुए हैं।

आरव:- चल झूठी। अभी तो अपनी मां से झूट बोलकर अपने कमरे में आई हो।

लावणी, चिढ़ती हुई कहने लगी… "देखो यदि मुझे परेशान किया ना तो मुझ से बुरा कोई ना होगा। चुपचाप फोन रख दो"।

आरव:- मुझ से इतनी ही चिढ़ है तो तुम्हारे पास भी लाल बटन है। इतनी बहस काहे कर रही हो। लेकिन… लेकिन… लेकिन … तुमने अगर अभी कॉल काटा तो एक बात याद रखना, जो बात मैं तुम्हे अभी बताने वाला हूं और तुम्हारे छोटे से रिक्वेस्ट पर उसे पूरा भी कर दूंगा। अगर तुमने कॉल डिस्कनेक्ट किया तो उसी काम के लिए तुम्हे पापड़ बेलने होंगे।

लावणी:- हो गई तुम्हारी बकवास खत्म.. बाय..

आरव हंसते हुए फोन को देखने लगा और खुद से ही कहने कहा… "लड़की में बहुत बदलाव अा गया है"। फिर गैलरी खोल कर कुछ तस्वीरें छांट ली। ये उसी दिन की तस्वीरें थी जिस दिन लावणी ने वोदका पिया था, और पीने के बाद आरव के गालों को चुमी थी।

इधर लावणी मोबाइल को हाथ में पकड़े बस इसी बात को सोच रही थी आखिर इसको मेरा नंबर कहां से मिला होगा। तभी एक के बाद एक व्हाट्स एप मैसेज आने शुरू हो गए। लावणी ने जब अपना एप खोला तो सबसे ऊपर में ही आरव के नाम से संदेश आने शुरू थे।… "इसका नंबर तो मेरे मोबाइल में भी सेव है"… फिर मैसेज ओपन की और सामने के स्क्रीन पर आए तस्वीरों को देखकर चौंकती हुई उसने वापस कॉल लगाया… "ये सब तस्वीरे तुम्हारे पास कैसे आए… कब खींची"

आरव:- ये डर भगाव दवा का असर था.. जब ये सरा कांड हो गया।

लावणी:- तुमने मेरे नशे का गलत फायदा उठाया..

आरव:- ओ मैडम जरा गौर से देखो, कौन किसको चूम रहा है। उल्टा जबरदस्ती तुमने मेरे साथ की और मुझे ही सुना रही हो।

मुद्दे पर वाद-विवाद होता रहा। कभी गुस्सा तो कभी मिन्नतें तो कभी ड्रामा ये सब बातों के दौरान चलता रहा। लेकिन आरव अपनी जिद पर अरा रहा… "तस्वीरें तभी डिलीट होंगी, जब वो फिर से होश में एक बार, ऐसे ही उसको चुम्मी देगी".. इसी बीच अपस्यु के कॉल भी उसे आते रहे लेकिन वो नजरअंदाज करता रहा।

लावणी से बात खत्म कर उसने सीधा फिर अपस्यु को कॉल मिलाया। अपस्यु ने अपने और जमील के बीच हुए बातचीत को बताते हुए पूछने लगा कि अब क्या करना चाहिए। आरव ने साफ कह दिया कि किसी के भी बातों पर भरोसा नहीं किया जा सकता, योजना के अनुसार चलेंगे। यदि जमील ने काम कर दिया तो अच्छा वरना हम तो तयारी से निकले ही है।

आरव फ्लाइट बोर्ड करने निकल चुका था और इधर अपस्यु को थोड़ी चिंता भी सता रही थी। हालांकि विश्वास तो पूर्ण रूप से था किन्तु दिल नहीं मान रहा था कि आरव सब अकेले कैसे करेगा।

रात के लगभग 8 बजे की बात होगी, जब साची और लावणी उसके फ्लैट की बेल बजा रही थी। दरवाजा खुलते ही दोनों बहने अंदर अाई और फिर दरवाजा बंद। धीमी रौशनी पूरे हॉल में थी जो देखने पर ऐसा लग रहा था मानो लगभग अंधेरा ही है ये पूरी जगह।

साची, अपस्यु के पास बैठते ही सबसे पहले उसने ये अंधेरा कायम रहे की स्थिति के बारे में ही पूछी.. अपस्यु उसके बात पर हंसते हुए पूरे घर में उजाला कर दिया। पूरी रौशनी में जब लावणी ने उस हॉल को देखा तो वो भी साची की तरह ही दंग रह गई और जिज्ञासा वस चारो ओर घूमकर सब देखने लगी… "अपस्यु क्या मैं इन्हे छु कर देख सकती हूं"..

अपस्यु.. अरे वो कांच के नहीं है.. छु कर क्या मन हो तो 2-4 सामान पटक कर भी देखो, टूटेगा नहीं..

अपस्यु, लावणी के ओर मुड़ कर बात कर रहा था और साची अपस्यु को निहार रही थी। बात पूरी होने के बाद जैसे ही अपस्यु मुड़ा, साची अपनी नजरें चुराती हुई, अपने उंगली को बिस्तर पर गोल-गोल घुमती पूछने लगी.. "अभी तबीयत कैसी है तुम्हारी"

अपस्यु:- अभी कुछ घंटे पहले ही तो देखी थी, इतने समय में कितना सुधार होगा।

साची:- हां ये भी है…. (कुछ पल की खामोशी… और नजरों का मिलना और झुकना, फिर नजाकत के साथ कहना)… अब से हम दोस्त।

अपस्यु, साची के चेहरे को गौर से देखते हुए… "ये दिल में कुछ और, और दिखा कुछ और रहे हैं, मुझ से नहीं हो पाएगा"।

साची अपनी नजर चुराती हुई धीमे स्वर में बोली…. "खाना खा लो"

अपस्यु:- अभी भूख नहीं लगी है बाद में खा लूंगा…

साची:- अभी खाने में क्या परेशानी है…

अपस्यु, हंसते हुए:- इतनी जल्दी खाऊंगा तो रात को दोबारा भूख लग जाएगी।

साची:- थोड़ा एक्स्ट्रा खाना लाई हूं, बाद में भूख लगे तो खा लेना।

अपस्यु:- एक्स्ट्रा तो तब समझूंगा ना जब तुम मेरा डाइट जानती हो।

साची, मुस्कुराती हुई… अभी खाना खा लो, तो डाइट भी जान जाऊंगी।

अपस्यु, कुछ सोचते हुए कहने लगा… "नहीं तुम चली जाओ, मैं बाद में खा लूंगा"

साची उसके चेहरे को पढ़ने की कोशिश करती हुई कहने लगी… "खा लो मैं यहीं हूं"।

फिर से अपस्यु का यही जवाब आया,"मैं बाद में खा लूंगा"। किंतु इस बार साची उसे आंख दिखाती हुई कहने लगी… "बस कोई बहस नहीं, चुपचाप खाओ"… अपस्यु बेड को हल्का फोल्ड करते हुए टेक लगाया, तबतक साची ने आलू के पराठे थाली में लगा दिए। थोड़ी परेशानी के साथ वो अपना हाथ आगे बढ़ा कर निवाला लेने कि कोशिश करने लगा।

साची को समझ में आ गया कि क्यों अपस्यु उसे जाने के लिए कहा। वो अपनी परेशानी जाहिर नहीं होने देना चाह रहा था। साची उसकी कलाई पकड़ कर निवाला अपने हाथो में ली और अपस्यु के मुंह की ओर बढ़ा दी। दोनों एक दूसरे का चेहरा बड़े प्यार से देख रहे थे, मानो नजरें कुछ कह रही हो । और साची बिना पलकें झपकाए, नजरों से नजरें मिलाए अपस्यु के ओर निवाला बढ़ाए जा रही थी।

खामोशी के कुछ पल थे और दोनों बड़े सुकून से एक दूसरे को देखे जा रहे थे, तभी गले की खराश की आवाज़ ने दोनों का ध्यान भंग किया। दोनों ने जब लावणी को देखा तो हड़बड़ा गए और जो वो कर रही थी उसे देखकर तो साची शर्मा कर भाग ही गई। दरअसल साची जब बिना पलकें झपकाए अपस्यु को निवाला बढ़ा रही थी तब निवाला मुंह के बदले नीचे गिर रहा था। लावणी ने जब ऐसा होते देखा तो वो नीचे थाली लगा कर वहीं बैठ गई।
nice update..do jodiyo ke bich prem ka phool khil raha hai aisa lagta hai ?.....
 
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खामोशी के कुछ पल थे और दोनों बड़े सुकून से एक दूसरे को देखे जा रहे थे, तभी गले की खराश की आवाज़ ने दोनों का ध्यान भंग किया। दोनों ने जब लावणी को देखा तो हड़बड़ा गए और जो वो कर रही थी उसे देखकर तो साची शर्मा कर भाग ही गई। दरअसल साची जब बिना पलकें झपकाए अपस्यु को निवाला बढ़ा रही थी तब निवाला मुंह के बदले नीचे गिर रहा था। लावणी ने जब ऐसा होते देखा तो वो नीचे थाली लगा कर वहीं बैठ गई।

एक बार जो साची ने दौड़ लगाई फिर सीधा अपने कमने में जाकर रुकी। पीछे से लावणी भी पहुंची, कई बार उसके कमरे के दरवाजे को खटखटाई, आवाज़ भी दी किंतु साची समझती थी कि उसे लावणी के द्वारा छेड़ा जाना है इसलिए दरवाजे पर आकर सिर्फ इतना ही कही की आज दरवाजा नहीं खुलेगा।

काफी खुश लग रही थी और इसी खुशी को प्रत्यक्ष दर्शाती उसने सबसे पहले तो एक मधुर संगीत बजाया…

पल भर ठहर जाओ, दिल ये संभल जाए
कैसे तुम्हें रोका करूँ,
मेरी तरफ आता हर ग़म फिसल जाए
आँखों में तुम को भरूं, बिन बोले बातें तुमसे करूँ
गर तुम साथ हो, अगर तुम साथ हो..

फिर अपनी दोनों बाहें फैलाए गोल-गोल घुमाती वो बिस्तर पर जा गिरी। दोनों बाहें फैलाए, आखें खुली छत को निहारती, सासें मध्यम-मध्यम और अंदर एक खुशनुमा एहसास जिसमें वो अपस्यु के ख्यालों में डूबी रही। उसे याद करते-करते फिर दिल में मीठी चुभन का वो एहसास…. "उफ्फ !!! कितने प्यारे हो तुम"।

साची अपनी खुशी बांटना चाह रही थी और इसी क्रम में उसने अपना लैपटॉप खोला और एफबी में किसी को खुशी कि ढेर सारी स्माइली पोस्ट करके उसके संदेश वापस आने का इंतजार करने लगी।

तकरीबन 2 मिनट बाद… संदेश वापस आया…

_____________________________________________

Crazy boy:- Kya baat hai, itni jyada khushi. Feeling horney kya ???

Unknown girl (Sachi ki fake id name):- nope duffer, I think I am in love ???

Crazy boy:- Oh my god !!! Waise ladke se hi pyar hua na ??

Unknown girl :- ????

Crazy Boy:- ???

Unknown Girl:- ????

Crazy Boy :- Ok Solly to humari unknown madam ko kisi se pyar ho gaya hai

Unknown Girl:- Yassssssssssss Woohooooooo.. ☺☺☺ m very excited crazy boy..

Crazy Boy:- excited ho to X-chat karen kya (X-chat=sex chat)

Unknown Girl:- Huhhh !!! ???

Crazy Boy:- Ab kya hua ???

Unknown Girl:-Tumhare sath Q karun X-chat.

Crazy Boy:- Mere sath hi to karti thi tum X-chat. Bhul gayi kya.... "oh I am feeling horney, chalo kuch dhamal karte hain"

Unknown Girl:- Tab main relationship me nahi thi aur apni fantasy jine ke liye puri azad thi. Lekin ab main relation me hun.

Crazy Boy:- Hmmm !! Samjh gaya. Matlab tum mujhe bye-bye kahne aayi ho.

Unknown Girl:- kya main kewal X-chat hi tumhare sath karne aati thi aur bhi to baten hua karti thi..

Crazy Boy:- Kab ??? Upar ke chat dekh lo tum… jab bhi aayi ho bas itna hi… feeling horney.. feeling horney.. feeling horney… wo main hi to hun jisne har bar tumhare horney feeling ko apne typing ke dum par orgasms me badla hai.

Unknown Girl… Aukkat mat bhulo tum… virtual friend ho virtual friend ki tarah behave karo, jyada close hone ki jaroorat nahi hai.

Crazy Boy:- Anjaan hi sahi par 2 salon se lagatar hum jisse baat karte hain unke sath bounding ho hi jati hai. Sorry mujhe aaena dikhane ke liye. Tum ek raat aati aur 10 raten gayab ho jati, lekin main har raat tumhara jag kar intzar karta. Kewal is khyal se ki kahin main so gaya aur tum aa gayi, to jo ek mauka mila tha itne dino me, wo bhi hath se gaya aur na jane agla mauka kab mile. Thank you so much… Byeeeee..

_____________________________________________

इधर उसने बाय कहा और उधर साची अपनी लैपी बंद करती हुई कहने लगी… "हुंह, बड़ा आया"… और फिर आराम से लेट कर, अपस्यु को याद करती, सात रंग के सपनों में खो गई।

जब से सुबह हुई, वो चहकती हुई इधर से उधर कर रही थी। कान बस अपनी मां के उस आवाज़ को सुनने के लिए तरस रहे थे जब अनुपमा उससे कहती की "बेटा उसे भी खाना देकर अा"…

इंतजार के बाद वो वक़्त भी अा ही गया जब अनुपमा उसे टिफिन देती हुई बोली… "जा उसे भी खाना दे अा"… अभी के लिए तो वो अपनी बाहर की उड़ान को अपने दिखावे के चादर तले ढक कर रखी थी, लेकिन जैसे ही वो अपार्टमेंट के लिफ्ट में पहुंची, बाहर से भी उतावली नजर आने लगी।

चहकती हुई वो अपस्यु के फ्लैट के ओर बढ़ रही थी, किंतु दरवाजे के निकट पहुंचने से पहले उसने एक बार फिर अपने अपने ऊपर एक दिखावा का चादर चढ़ाया और अपने हाव भाव को ठीक करती वो बेल बजाने लगी। दरवाजा खुला और साची अंदर।

दरवाजे के पास ही खड़ी होकर उसने एक पूरी नजर अपस्यु को देखा। उसका दिल किया की अभी उसके बगल में लेट कर उसे बाहों में भर लूं, लेकिन खुद के अंदर की झिझक और पहले अपस्यु के पहल के इंतजार ने उसके भावनाओ को बांधे रखा।

लेकिन वो होता है ना.. मन में किसी के लिए प्यार बसा हो या फिर नफरत चेहरे से समझ में आ ही जाती है, ठीक वही हो रहा था साची के साथ। लाख वो खुद के बंधे रखी थी किंतु उसके चेहरे की रौनक आज इतनी अलग थी कि अपस्यु दूर से ही उसे भांप गया।

एक बार फिर नजरों से नजरें मिलनी शुरू हुई लेकिन इस बार अपस्यु ने साची को यह कहकर जाने के लिए बोल दिया कि उसके कॉलेज जाने में देरी हो रही है। साची यूं तो जाना नहीं चाहती थी लेकिन रुक भी नहीं सकती थी। क्या कहती, तुम मुझे पसंद हो और मुझे तुम्हे छोड़ कर जाने का मन नहीं। दुविधा और विरोधाभास के साथ साची केवल ये सोच कर निकल गई की शाम को अाकर अच्छे से मिलूंगी।

साची के जाते ही अपस्यु, आरव से बात करना शुरू कर दिया। मामला ये था कि जब साची पहुंची उससे थोड़े समय पहले ही आरव ने कॉल लगाया था। अभी वो अपस्यु से उसके तबीयत की जानकारी लिया ही था कि साची अा गई जिस वजह से दोनों को बीच में ही बात रोकनी परी।

आरव:- कहे भगा दिया इतनी जल्दी बेचारी को..

अपस्यु:- कुत्ता कहीं का, तुझे जरा भी संस्कार नहीं। क्या तुझे पाया नहीं की, दूसरों की ना तो बातें सुनी जाती है और ना ही वो क्या कर रहे है उसे देखने में कोई रुचि होनी चाहिए। साला मनहूस कहीं का, मेरी खुशियों पर ग्रहण लगाए बैठा है। चुपचाप वहीं रुक और इंतजार कर, मैं किसी को कॉल करूंगा तो वो तुम्हारे पास 120 करोड़ पहुंचा देगा। फिर आगे क्या करना है वो मैं तुम्हे बाद ने बताऊंगा। चल अब फोन रख।

यदि बात करते-करते बातों में अचानक बदलाव अा जाए फिर चाहे बदलवा नफरत भड़ा हो या प्यार भड़ा, ये संकेत होता है कि कुछ गड़बड़ है। फिर उनके अपने डिकोडिंग के तरीके थे, जैसे कि अपस्यु का कहना .. "दूसरों की बातें सुनना और उनको देखने में रुचि दिखाना".. मतलब ये था कि कोई देख भी रहा है और सुन भी रहा है।

और बस संकेत को समझते ही आरव तुरंत ही कॉल डिस्कनेक्ट कर सीधा बाथरूम पहुंच गया और कानों में एयरपो्ट लगाकर अपस्यु को कॉल मिलाया और साथ ही अपना मैसेंजर खोल लिया….

अपस्यु:- 2 लोग तुझे देख और सुन रहे है।

आरव संदेश भेजते हुए… "ठीक है, लोकेशन बता"

अपस्यु:- एक तेरे लेफ्ट विंडो से 22 डिग्री नॉर्थ.. तकरीबन 400 मीटर की दूरी पर, पहाड़ पर बने एक झोपड़ी से नजर दिए है। दूसरा वेस्ट में, तकरीबन 500 मीटर की दूरी पर, एक हॉल्ट स्टेशन की छत से तुझ पर नजर बनाए है। दोनों के
स्नाइपर रायफल वैपन ड्रागुनोव एस वी डी 7.62।

आरव:- ठीक है होलोग्राम इमेज क्रिएट कर, बाकी मैं इनका बंदोबस्त करता हूं।

अपस्यु:- वैसे कौन सा वैपन तुझे वहां डिलीवर हुआ है?

आरव:- SVLK-14S “Twilight” .408 Cheytac और एक Glock 17 Pistol

अपस्यु:- ठीक है तू चकमा देकर बाहर निकल वहां से, लेकिन याद रखना की उस रिजॉर्ट के कुछ लोग उनके खबरी भी हो सकते है। बाकी मै पूरी नजर बनाए हुए हूं।

आरव:- ठीक है भाई, अब तू बस देखता जा…

अपस्यु वहां पर लगातार नजर बनाए हुए था। आरव के कहे अनुसार अपस्यु ने होलोग्राम इमेज क्रिएट कर सब सेट कर चुका था। आरव अपने साथ लाए रिफ्लेक्टर डिवाइस को वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) से कनेक्ट कर दिया। अब आरव का प्रतिबिंब पूरे कमरे में इधर से उधर भटक रहा था। इधर बाथरूम में ही आरव ने अपने हुलिया में थोड़ा बहुत बदलाव किया और रेंगते हुए दरवाजे से बाहर निकला।

आरव सबको चकमा दे कर बाहर आ चुका था। उसने किराए की कार को स्टार्ट किया और बड़े ही सावधानी से ठीक उस शूटर के लोकेशन के पीछे पहुंच गया जो पहाड़ पर बने एक झोपड़ी से उसपर नजर दिए हुए था… आरव अब घूमकर ठीक उसके झोपड़ी के पीछे पहुंच चुका था और फुर्ती दिखाते हुए पीछे से ही झोपड़ी के अंदर प्रवेश किया..

जबतक वो शूटर स्कोप से अपनी नजर हटा कर हरकत में आया, तबतक आरव की पिस्तौल उसके कनपटी पर लग चुकी थी। आरव ने उसे कुछ ना बोलने का इशारा कर, उसके जेब से फोन लिया और उस पर चल रहे कॉल को डिस्कनेक्ट कर दिया।

शूटर:- तुम्हे क्या लगता है उन्हें पता नहीं चला होगा। मैंने कोई आवाज़ नहीं की पर तुम जो ये तोड़ते-फोड़ते अंदर घुसे हो, क्या उसकी आवाज़ उन तक नहीं पहुंची होगी…

तभी सायलेंसर में दबी गोली चलने की आवाज और आरव हंसता हुआ… "जब जान पर बन आती है तो ऐसे ही कहानियां बनने लगते है। जब उनसब का नंबर भी अा ही रहा है, तो मुझे क्यों इस बात की फ़िक्र की उन्हे शक हुआ या नहीं हुआ। उन्हें पता चला या नहीं चला.. ट्रिगर दबाव खेल खल्लास, अब अगले का नंबर आने दो"
nice update ..saachi to bahut pahuchi huyi lagti hai ?...unknown se sex chat bhi karti hai 2 saalo se ...ye hero kaise najar rakh raha hai aarav par .jo yaha baithe 2 logo ki jaankari de di ...
 
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हेलीकॉप्टर सीधा उदयपुर के किसी एक होटल के हेलीपैड पर उतरी। आरव की लाश के साथ दोनों बाहर अा गए और हेलीकॉप्टर पुनः उड़ चली। उस जगह पर पहले से कुछ लोग इंतजार कर रहे थे। वो लोग जमील और पैसों के बैग के साथ लेकर निकल गए और वीरभद्र को लाश ठिकाने लगा कर घर लौट जाने के लिए बोल दिया।

वीरभद्र, आरव को हिलाते हुए कहा.. उठ जाओ भाईजी। आरव उठकर जल्दी से अपना एयरपोड कान में लगाया.. और कान में लगाते ही अपस्यु ने उसे जो सुनाया। मामला ये नहीं था कि आरव ने अपस्यु से बात नहीं की, बल्कि उसने सारी डिवाइस पैक कर के बैग में रख दिया और अपस्यु कुछ भी देख नहीं पा रहा था।

आरव ने सबसे पहले सभी वाचिंग डिवाइस को सक्रिय किया और कपड़े बदलने लगा। एक एयरपोड अपने कान में डाला और दूसरा वीरभद्र को दे दिया। अब तीनों एक ही लाइन पर कनेक्ट थे।

अपस्यु:- आरव कितना अम्मिनेशन है तुम्हारे पास।

आरव:- 4 मैग्जीन पिस्तौल के और 12 मैग्जीन स्नाइपर के।

अपस्यु:- ठीक है, अपनी स्नाइपर वीरभद्र को देदो और तुम पिस्तौल और खंजर से लैस हो जाओ। वीरे तुम्हे मैं जहां बताऊंगा वहां जाकर पोजीशन लेे लेना और आरव को बैकअप देना। आरव तुम छिपो ऊपर कोई अा रहा है।

आरव पानी टंकी के पीछे तुरंत ही छिप गया। ऊपर 2 लोग आए और वीरभद्र से लाश के बारे में पूछने लगे। वीरभद्र ने उन्हें बोल दिया कि लाश ठिकाने लगा दिया है, किंतु उन्हें देखना था कि आखिर लाश कहां ठिकाने लगाए है। वीरभद्र ने छत के नीचे इशारा करते हुए बताया कि लाश यहां है।

दोनों अपने कदम बढ़ाते हुए आगे बढ़े फिर कुछ सोच कर वापस चले गए और जाते-जाते वीरभद्र को अपने घर वापस लौटने के लिए बोल गए। उनके जाते ही आरव बाहर निकला। अपस्यु उन्हें रास्ता बताता गया और वो दोनों उसी के इशारे पर चलते-चलते एक खंडहर हो चुके किले के पास पहुंचे, जो किसी वीराने में थी।

अपस्यु चारो ओर का जायजा लेने के बाद वीरभद्र को दक्षिण दिशा से उस खंडहर के ऊपर चढ़ने का रास्ता बताया और आरव को पश्चिम के ओर से बाहर निकालने वाले रास्ते के पास की दीवार के पीछे जाकर छिपने के लिए बोल दिया।

थोड़े ही देर में दोनो अपनी अपनी जगह लेे चुके थे। इधर अंदर मुन्ना की लाश नीचे परी हुई थी और वहां पूरे 20 लोग थे, जिसमे जमील और भूषण भी था। अपस्यु दोनों को अपना पोजिशन होल्ड करने और आरव को स्मोक बॉम्ब निकाल कर तैयार रहने के लिए कहा।

अपस्यु अंदर के माहौल को थोड़ा नजदीक से समझने की कोशिश करने लगा। कुछ ही देर में उनकी आवाज़ भी आनी शुरू हो गई जिसे तीनों सुन सकते थे।

_________________________________________________

अंदर भूषण कह रहा था… "जमील कैसे कैसे गद्दार तूने पाल रखे थे, ये तो सारा पैसा लेकर हमे ही टपकाने चला था"

जमील:- क्या वो वीरभद्र भी इसके साथ मिला होगा?

भूषण:-पता नहीं, लेकिन यदि मिला होगा तो उसे भी इसी के पास पहुंचा देंगे। आज से मुन्ना की जगह इस रफीक को देदे। आखिर इसी ने तो सारी सच्चाई बताई है और हां साथ में 2 करोड़ भी दे देना इनका इनाम।

जमील:- नेता जी । इसे साथ रखने में खतरा है। साला पूरा एडा है, ये सीधा मारना जानता है सफाई से काम करना नहीं।

भूषण:- तो काम सिखाओ इसे। आखिर इसने अपनी वफादारी दिखाई है। सबको ऊपर बढ़ने का हक है।

जमील:- जैसा कहो नेता जी, चलो रे पंटर लोग अपना अपना हिस्सा लेकर जाओ।

__________________________________________________


अपस्यु:- आरव अभी वक़्त है, वीरभद्र के शूट करते ही 5 स्मोक बॉम्ब, 4 बॉम्ब चारो कोने और एक बीच में। वीरभद्र सरप्राइज देने का टाइम अा गया, लगभग 30 मीटर की दूरी पर है दोनों। पहली गोली भूषण और दूसरी गोली जमील… कोई चूक ना हो और बिना समय लिए दोनों को गोली मारना।… मेरे गिनती खत्म होते ही दोनों एक साथ.. 3… 2… 1… अभी।

वीरभद्र ने बिना समय लिए पहली गोली चला दी, और सीधे जाकर लगी भूषण के सीने में… भूषण और जमील बात कर ही रहे थे और इसी बीच भूषण को गोली सीधा उसके सीने में लगी। इससे पहले की जमील को कुछ समझ आता 3 सेकंड के अंतर में दूसरी गोली और जमील के सिर में एक छेद बनाती गोली जमीन में।

वहां मौजूद लोग, इससे पहले कि यहां-वहां देखकर गोली चलाने वाले को ढूंढते, वहां धुआं ही धुआं हो गया था। कुछ समझ में ना आने की स्तिथि में वो लोग अंधाधुन फायरिंग करने लगे। आरव बाहर ही खड़ा था और अंदर की फायरिंग खत्म होने का इंतजार कर रहा था।

इधर वीरभद्र को दिशा मिल रहा था और वो धुएं के अंदर ही एक-एक करके टपकना शुरू कर चुका था। 20 में से 8 लोग मारे जा चुके थे। रफीक बचे लोगों को दीवार कि आड़ में छिपने के लिए जोर से चिल्लाया। …"मादर*** तू जो कोई भी है आज बचके ना जा पायेगा"…

"बचना तो तुझे है, फालतू में इनलोगो के चक्कर में तू भी मारा जाएगा"… आरव जोर से ठहाके लगाकर कहने लगा और जब उसकी आवाज़ बंद हुई उसी के चंद पलों के अंदर, एक दर्दनाक चिंख़ निकली और उसके एक आदमी का गला आरव ने रेत दिया।

उसकी चीख सुनकर एक पंटर बावरा हो कर चिल्लाते हुए उसी ओर भागा जिस ओर से चिल्लाने कि आवाज़ अा रही थी। जैसे ही वो अपने आवरण (कवर) से बाहर आया, अपस्यु ने दिशा बताया और वीरभद्र ने उसकी चीख को मौत की सिसकियों में बदल दिया।

धुवां जब तक छंटा तब उस जगह पर केवल रफीक और उसका 2 साथी बचा था जो दीवार कि आड़ लिए अपनी जान बचा रहा था। आरव उस जगह के बिल्कुल मध्य में खड़ा होकर ललकारने लगा…. "क्या हुआ बे बच्चे, मूत तो ना निकल गई"..

रफीक:- साला इतना ही बड़ा मर्द है तो…. (इतना कहते वक़्त उसने अपने एक आदमी को इशारों में दीवार से छिपकर ही थोड़ा आगे जाकर बाहर निकालने वाले रास्ते तक पहुंचने का इशारा किया)… अपने उस स्निपर को ….

अभी इतना ही कह रहा था कि इशारा मिलने पर जो आदमी रेंगता हुआ बाहर निकालने वाले रास्ते के ओर जा रहा था उसका हाथ थोड़ा दिखा और वीरभद्र ने ऐसी गोली मेरी की वो चिल्लाने लगा।

आरव:- देख बेटा ये तो चीटिंग है। या तो तू बात कर ले या यहां से भाग ले।

रफीक:- अच्छा सुन मेरे पास तेरे लिए एक बंपर ऑफर है।

आरव जहां था वहीं बैठते हुए….. "ठीक है बोल मैं सुन रहा हूं"

रफीक:- यहां पर बहुत सारे डॉलर परे हुए हैं। तूने ज्यादा से ज्यादा कितने की सुपारी ली होगी, 10 करोड़ की। यहां पर 100 करोड़ से भी ऊपर है। पूरा तेरा बस उसमे से कुछ मुझे देदेना।

आरव:- चल ठीक है डील मंजूर। तू और बचा हुए तेरा एक साथी, बिना हथियार के बाहर अा..…

रफीक:- ना मैं नहीं आऊंगा कहीं तेरा शूटर ने मुझे गोली मार दी तो।

आरव:- फिर क्या करे रफीक बेटा, तू ही बता दे।

रफीक:- तू ही अा जा मेरे पास, देख हमदोनो ने अपने हथियार तेरे ओर फेंक दिए।

आरव हंसते हुए "चल ठीक है कहा"… और क़दमों की थाप धीरे-धीरे रफीक के ओर बढ़ने लगी। जैसे ही रफीक को लगा कि आरव दीवार के किनारे पर पहुंच चुका है वो और उसका आदमी, अपना गन ताने बाहर आया.. और तभी गोली चली। एक ही सेकंड के अंदर, रफीक और उसका साथी ढेर। दरअसल जो आगे जा रहा था वो वीरभद्र था और आरव पीछे खड़ा बस उनके बाहर निकालने का इंतजार कर रहा था।

आरव टूट कर जैसे चुड़ हो चुका था। उसने वीरभद्र को सबकी गिनती करने बोल दिया और साथ में यह भी की किसी में अगर जान बाकी है तो बेजान कर दे। आरव जहां था वहीं पहले लड़खड़ा कर बैठ गया। उसकी हालत ऐसी थी मानो अंदर कोई जान ना बचा हो। फिर धीरे-धीरे उसका बदन बेजान सा हो कर जमीन पर गिर गया।

दोनों बाहें फैलाए उसने अपनी आंखें मूंद ली और आशुओं की एक धारा चेहरे पर एक रेखा बनाती, धीरे-धीरे टपकने लगी। शायद जो इस वक़्त आरव मेहसूस कर रहा था वहीं अपस्यु भी। वो भी अपने बिस्तर पर लेटा-लेटा अपनी आखें मुंदे बस आशुओं की एक धारा बहा रहा था।
nice update ..kya aarav ko goli lagi ...jo wo bejaan ho gaya aur aansu bhi nikle ...
ye matter kuch samajh nahi aaya itne paise inke paas hai ,,har koi deal kar raha hai ..
 
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nice update ..commisioner to bahut sahi aadmi hai ?.....poore maamle ko samajhkar paise bhi hadap liye aur case bhi achche se band kar diya aur police ki image bhi badha di ...
 
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Update:-22


"कितने कुंजल को तू जानता है… हां मैं उसी कुंजल की बात कर रहा हूं, जिसके बारे में तू अभी सोच रहा होगा"… आरव ने चिढ़ते हुए अपस्यु को सुना दिया।…

"कितना रिएक्ट कर रहा है, अभी मैं रिकवर हुआ कि नहीं उसपर कोई बात भी नहीं किया। कल रात भर का जागा है, थोड़ी देर आराम भी नहीं किया। और तुझे अब ये कुंजल को लेकर फ़िक्र होने लगी है।".. अपस्यु ने समझते हुए कहा।

आरव, अपस्यु के पास आकर बैठते हुए, उसके हाथ को अपने हाथ में लेता…. "तेरी सभी बातें ठीक है, लेकिन कुंजल को आज देख कर मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ में नहीं अा रहा, इसलिए तो तेरे पास भगा आया मैं।"

अपस्यु:- कुंजल में तू कौन सी फैमिली ढूंढ़ रहा है मेरे भाई? जो कभी मॉम-डैड के रहते अपने नहीं थे, फिर आज कैसी उम्मीद लगाना।

"तेरे से मुझे बात ही नहीं करनी चाहिए थी। जैसे तू और हम भाई है ना वैसे ही अंकल भी पापा के भाई हैं। क्या दो भाइयों के बीच झगड़े नहीं होते? और झगड़े किस फैमिली में नहीं होते? मैं जा रहा हूं कुंजल से मिलने, तू यहां बैठकर सबको बस मतलबी ही समझा कर"… आरव गुस्से में हाथ झटक कर अपनी बात कहता वहां से उठकर बाहर चला गया।

अपस्यु, उसे पीछे से रोकने की कोशिश करता रहा किंतु वो गुस्से में गेट को पटकता हुआ वहां से निकल गया। उसके जाने के बाद अपस्यु अपनी ही बातों पर सोचता रहा और अफसोस भी हो रहा था।

इधर लावणी जब बाइक से कूदी तब बाइक की रफ़्तार लगभग 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रही होगी। लेकिन इस रफ्तार से भी चलती गाड़ी से कूदने पर नुकसान बहुत होता है। बेचारी सड़क पर गिर कर जैसे बिछ गई हो। कहां-कहां चोट अाई वो तो घर जाकर पता चलता फिलहाल वो उठने कि कोशिश में लगी थी।

आस-पास के कुछ लोग वहां जमा हो गए। उसे हांथ देकर उठाने लगे। इतने में ही पहले सुलेखा और उसके पीछे साची पहुंची। साची ने तुरंत उसे स्कूटी पर बिठाया और सीधा घर गई।

"तुझे कहीं चोट तो नहीं आई लावणी"… साची उसके कपड़ों से धूल हटाती हुई पूछने लगी। इतने में अनुपमा भी वहां पहुंच गई, लावणी के हाथ पर चोट के कुछ निशान देखकर वो थोड़ा घबरा गई… "क्या हो गया भुटकी को"

लावणी:- कुछ नहीं बस चक्कर खाकर गिर गई थी बड़ी मां।

"तू ये लकड़ी के तरह बनने की कोशिश करेगी तो यही होगा ना, और साची तू वो अपार्टमेंट में क्या करने गई थी।".. सुलेखा हॉल में पहुंचती ही दोनों पर बराशने लगी।

साची:- आप भी ना छोटी मां, वो तो मोड़ पर जाम लगा था तो मैं स्कूटी को आगे से लेकर अाई और लावणी उतर कर पैदल अा रही थी।

अनुपमा:- सुलेखा जाकर एंटीसेप्टिक लेकर आओ। देख भी नहीं रही बच्ची को चोट लगी है, और तुम चिल्ला रही हो।

सुलेखा के जाते ही अनुपमा लावणी को आखें दिखाती हुई पूछने लगी…. "तुम दोनों का ये क्या नाटक चल रहा है, मुझे सब सच-सच बताओ"..

साची:- हमने सच कहा है मां, हम पर यकीन नहीं।

अनुपमा:- सच को ज्यादा देर छिपा भी नहीं सकती वो सामने अा ही जाएगा। बेहतर होगा अभी सच बोल दो वरना तुम दोनों के चेहरे के हाव-भाव और तुम्हारी कहानी में कोई मेल नहीं।

लावणी:- बड़ी मां। यहां मैं दर्द में हूं और आप है कि उल्टा शक की जा रही है।

"सुलेखा कहां रह गई, जल्दी लाओ ना".. अनुपमा ने आवाज़ दी और कुछ ही पल बाद सुलेखा हाजिर थी। इधर लावणी की मरहम पट्टी चल रही थी उधर दोनों बहने आखों ही आखों में जैसे कह रही हो… "आज तो बच गए"।

शाम को तकरीबन 6 बजे होंगे जब साची अपने कमरे में बैठी अपस्यु के बारे में सोच रही थी। अपनी आज कि फीलिंग को वो किसी के साथ शेयर करना चाहती थी इसलिए वो अपनी करीबी दोस्त भावना कों कॉल लगाई लेकिन भावना अपने ब्वॉयफ्रंड के साथ व्यस्त थी इसलिए उसने बस संदेश छोड़ा।

कुछ देर इधर से उधर वो टहलती रही लेकिन जब कोई नहीं मिला तब वो हार कर अपना लैपटॉप ऑन की और एफबी चेक करने लगी। चेक करते करते उसने अपना फेक अकाउंट भी खोली। वहां देखी तो संदेश का अंबार लगा हुआ था…. "यहां मेरे सभी रियल दोस्त बीजी हैं और एक तुम हो".. साची सोच ही रही थी कि एक सॉरी का स्टिकर उसके मैसेंजर पर क्रेज़ी बॉय ने पोस्ट किया।

साची:- तुम क्या दिन रात एफबी पर ही बैठे रहते हो?
क्रेजी बॉय:- उस दिन शायद मुझे जो नहीं कहना चाहिए था वो कह गया। इसलिए गिल्टी फील कर रहा था। और तुम्हारे आने का इंतजार।
साची:- चलो मैंने माफ़ किया। लेकिन ध्यान रखना अगली बार से।
क्रेजी बॉय:- :) ओके मैम।

दोनों बात करने में व्यस्त हो गए। इधर आरव जब से गुस्सा होकर निकला था उसने एक बार भी अपस्यु का कॉल नहीं उठाया। अपस्यु को उसकी फ़िक्र होने लगी, लेकिन अभी उसकी हालत नहीं थी कि वो कहीं बाहर जा सके। रात के 9 बज चुके थे सोचते-सोचते इसलिए अब साची को भी मदद के लिए बुलाया नहीं जा सकता था…

अपस्यु से जब रहा नहीं गया तब उसने सिन्हा को कॉल लगाया और एक ड्राइवर के साथ किसी एक आदमी को भेजने के लिए मदद मांगी। थोड़ी देर बाद एक कर अपार्टमेंट के मुख्य द्वार पर रुकी और दो लोग अपस्यु के फ्लैट के ओर निकले।

"कैसे हो मुरली, और ये तुम्हारे साथ कौन है"… अपस्यु फ्लैट के बाहर ही इंतजार कर रहा था। ड्राइवर मुरली को सामने से आते देख उसने पूछा।

"ये नंदकिशोर है सर, बंगलो में हैल्पर का काम करता है"… मुरली ने जवाब देते हुए कहा।

वहां से तीनों कार में बैठे और द्वारिका सेक्टर के ओर निकाल गए। आरव का लोकेशन वहीं के आस-पास का अा रहा था। अपस्यु जब वहां पहुंचा तो आरव नशे में धुत, एक बंद दुकान के नीचे बैठा कुछ बड़बड़ा रहा था। मुरली और नंदकिशोर उसे सहारा देकर गाड़ी में बिठाए और दोनों को फ्लैट में छोड़ कर निकाल गए।

आरव जरा भी होश में नहीं था, बस बडबडा रहा था। अपस्यु ने किसी तरह उसके गंदे कपड़े बदले, उसे उठा कर जूस पिलाया और सोने के लिए छोड़ दिया। बीती रात जागे होने के कारण उसकी आंखें तो नहीं खुल रही थी लेकिन वो नींद में लगातार बाड़बड़ा कर सो गया। अपस्यु उसी के पास बैठ सुकून से उसे सोते हुए देखता रहा।

"साची, इस वक़्त"…. अपस्यु के मोबाइल की घंटी बाजी और वो कॉल उठा कर साची से पूछते हुए..
"क्यों इस वक़्त कॉल नहीं कर सकती क्या?"… साची अपने लटों को उंगलियों से गोल-गोल घुमाती पूछने लगी।
अपस्यु:- क्या हुआ कोई ख्याल सोने नहीं दे रहा क्या?
साची:- नहीं शायद .... (और गहरी शवांस लेने लगी)
अपस्यु:- लगता है बड़ा ही प्यारा ख्याल है। क्या मैं जान सकता हूं इस प्यारे से ख्याल के बारे में…… (दोनों ही अजीब सी गुदगुदी अपने अंदर मेहसूस कर खुश हो रहे थे)
साची:- कुछ बातों को बताया नहीं जा सकता। वैसे एक बात कहूं,
अपस्यु:- क्या?
साची:- तुम्हे देखने कि इक्छा हो रही है।
अपस्यु:- मेरे पाऊं अभी पूरी तरह ठीक नहीं, वरना अा जाता मैं।
साची:- हिहिहिहिही !! नहीं रहने दो। वैसे भी इंतजार का भी अपना ही मजा है।
अपस्यु:- ठीक है तुम इंतजार करो और कल मै तुम्हे सरप्राईज करूंगा…

"कैसा सरप्राइज… हेल्लो… हेल्लो"… अपस्यु फोन रख चुका था और साची अपने टैडी को अपने सीने से चिपका… "हाय … ये तेरा दीवानापन… तो कल सरप्राइज मिलने वाला है…. उफ्फ !! नींद नहीं आएगी अब अपस्यु… लगता है ये इंतजार कहीं जान ना लेले।"
nice update ..lagta hai kunjal behen hai dono ki ...laavni darr se bike se hi kud gayi ?...dekhte hai apasyu aur saachi ki prem kahani me surprise kya denewala hai hero.
 
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Update:-25

साची जब पीछे मुड़ी तब 3-4 लड़कियां कैंटीन में अा रही थी और उनके पीछे पीछे दोनों भाई अा रहे थे। दोनों भाई ठीक उन दोनों बहनों के पास से निकल गए लेकिन उन्होंने ध्यान तक नहीं दिया। बेचारी साची का चेहरा तो देखने लायक था। गुस्से में आकर कब उसने हाथ में परी किताब के पन्नो के चिथरे उड़ा दिए उसे पता भी नहीं चला। लेकिन अभी कहां, ये तो शुरवात थी।

कुंजल अपनी सहेलियों के साथ एक टेबल पे बैठी। ठीक उसी वक़्त दोनों भाई वहां पहुंचे और बाकी लड़कियों को वहां से जाने के लिए कहा। कुंजल को इस बात पर बेहद गुस्सा आया और उसने सबके सामने आरव को खींच कर एक तमाचा जड़ दिया…. "नफ़रत है मुझे तुम से, तुम्हारे मां बाप से। हमे पता होता कि तुमलोग इस सहर में मिलोगे तो हम दिल्ली कभी आते ही नहीं… चलो नम्रता।"

गुस्से में वो पागल होकर वहां से चली गई। आरव भी उसके पीछे जाने वाला था लेकिन अपस्यु ने उसका हाथ पकड़कर उसके पीछे जाने से रोक लिया।…. "अपस्यु छोड़ मेरा हाथ, वो मां के बारे में होती कौन है बोलने वाली".. आरव भी पूरा गुस्सा दिखाते हुए कहने लगा।

"शांत हो जा अभी, बिल्कुल शांत"… अपस्यु, आरव को समझा ही रहा था कि इसी बीच साची और लावणी भी चली आईं…. "कमाल का थप्पड था। काश उस लड़की के जगह मै होती। कमाल का सरप्राईज था ये, मैं जिंदगी में इस से ज्यादा फिर कभी ही शायद सरप्राइज हो पाऊं। चल लावणी"…. साची ताली बजाकर अपनी बात कहती हुई निकालने लगी।

"तुझे नहीं कुछ कहना, तू भी कुछ कहती जा ना।"… आरव ने पीछे से जाती हुई लावणी से कहा। आरव की हरकत पर अपस्यु आग बबूला हो गया, लेकिन इस बार अपस्यु ने अपने मुंह से कोई शब्द नहीं निकला, बस अपनी आखें उसे दिखाई और वो बिल्कुल शांत हो गया।

अपस्यु:- कितनी बार मैं समझता रहूं की गुस्से को इस्तमाल करना सीख, लेकिन तू है कि….
आरव:- सॉरी यार। एक तरफ ये कुंजल इतना पगलाई क्यों है वो समझ में नहीं अा रहा। जबकि इसके मां बाप ने कभी हमारी सुध तक ना ली। उसपर से ये दोनों बहने है, अक्ल की पैदल। मामला क्या है कुछ समझती नहीं बस कुछ भी प्रतिक्रिया देती रहती है। गुस्सा तो आएगा ना। अब हर कोई तेरी तरह संत तो नहीं होता ना।
अपस्यु:- उल्लू है तू। अगर तू अपने गुस्से पर काबू रखता तब तो तुझे कुछ समझ में भी आता…
आरव:- क्या?
अपस्यु:- हमारी नजर में अंकल और आंटी बुरे है। कुंजल के नजर में उसके अंकल और आंटी बुरे है। कुछ तो बात है जो हमे भी पता नहीं।
आरव:- पता कैसे होगा अंकल और आंट से जब झगड़ा हुआ था तब हमें अक्ल ही कितनी थी। और उसके कुछ दिन बाद तो…
अपस्यु:- कोई नहीं। यह वक़्त है पहले फैमिली रियूनियन का। एक काम कर कार के जीपीएस को फॉलो करके तू मेरे पीछे आ।

आरव:- तू कहां जा रहा है।
अपस्यु:- कुंजल को किडनैप करने।
आरव:- कार की चाभी तो देता जा, वरना पार्किंग तक उठा कर ले जाते हुए जो सीन बनेगा वो अच्छा ना लगेगा।
अपस्यु:- गूड आइडिया । जा कार लेे अा।

अपस्यु तेजी के साथ निकला और सीधा कुंजल के पास पहुंचा। कुंजल उसे नजरअंदाज करती आगे बढ़ गई। अपस्यु उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए…. "सुनो कुंजल, तुमसे कुछ बात करनी है"

कुंजल:- मुझे तुम्हारी शक्ल ही पसंद नहीं। हाथ छोड़ो मेरा और यहां कोई सीन क्रिएट करने की कोशिश मत करो।
अपस्यु:- बस एक बार हमे बात करनी है, फिर तुम है जैसा चाहोगी वैसा ही होगा।
कुंजल अजीब सी हंसी हंसती हुई कहने लगी…. "बस 500 रुपए है हमारे पास। इतना ही तुम बेईमानी कर सकते हो। जाओ किसी और को ढूंढो शायद मोटी रकम बेईमानी करने के लिए मिल जाए।"
अपस्यु:- तुम अगर यहां सीन ही क्रिएट करना चाहती हो तो वही सही। लेकिन बिना बात पूरी हुए मैं नहीं जाने वाला।
कुंजल:- हाथ छोड़ो मेरा।

"क्या हुआ कुंजल, और ये लड़का जबरदस्ती कर रहा है क्या?".. कुंजल के कुछ क्लासमेट उसके पास आकर पूछने लगे।
अपस्यु:- यहां कोई तमाशा नहीं चल रहा, ये हमारा पारिवारिक मामला है। इसलिए निकलो तुम लोग यहां से।
"तू है कौन बे, और कुंजल के साथ ऐसे जबरदस्ती क्यों कर रहा है।"… उन में से एक और लड़का ने पूछा।
कुंजल:- हाथ छोड़ो मेरा, तुम यहां पर ड्रामा कर रहे हो।

इतने में आरव वहां गाड़ी लेे कर पहुंच गया। सभी लड़के गाड़ी देखते ही उसके हैसियत के बारे में सोचकर वहां से कट लिए। और जब कुंजल ने उनके पास इतनी मंहगी कार देखी तो वो ताने मारती कहने लगी… "तो तुम्हरे बेईमान बाप ने यहां खर्च किए हैं पैसे।"

अपस्यु उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया बस गुस्से से अपनी आखें लाल करता हुआ उसे गाड़ी में बैठने के लिए बोला। लेकिन कुंजल को किसी के भी आखों का भय थोड़े ना था। वो भी विरोध करती रही। अंत में फिर उसे किडनैप ही करना पड़ा।

अपस्यु और आरव के बीच में कुंजल बैठी, बस गुस्से से फुंफकार रही थी।.. "अपस्यु यार बहन तो अपनी ही लग रही है, बिल्कुल अपने जैसा तेवर है"…. आरव चुटकी लेते हुए बोला…… "मुझे बहन मत बुलाओ, घृणा आती है तुम से और तुम्हारे परिवार से"… कुंजल गुस्से में फुफकारती बोली…. "घर का एड्रेस बताओ"… अपस्यु ने पूछा…. "मुझे नहीं पता" … कुंजल गुस्से में जवाब देती मुंह बना कर सीधी बैठ गई।

दोनों भाई पता पूछते रहे लेकिन कुंजल भी इन्हीं की तरह ढीट थी। मुंह फुलाए और और गुस्से से फुफकारती बस आगे देखती रही। इसी बीच वो किसी चौराहे से गुजरे जहां पुलिस चेक पोस्ट लगी थी। अपस्यु ने जैसे ही गाड़ी रोका कुंजल कूद कर पुलिसवाले के पास भागी और किडनैपिंग की सिकायत करने लगी।

वहां मौजूद सभी पुलिसवाले ने तुरंत ही दोनों भाई को घेर लिया और गाड़ी से उतरने के लिए कहने लगे। दोनों भाई हाथ ऊपर करके बाहर आए। दोनों भाई थाने में और कुंजल अपनी रपट दर्ज करवाकर वहां से सीधा अपने घर चली गई।

थानेदार इससे पहले की कोई एक्शन लेता, अपस्यु कहने लगा… "तो हम चले सर।"
थानेदार:- बैंचो, तुझे ये क्या सराय लगता है जो मुंह उठाए चले आए और जब जी चाहे, चले गए। बंद करो सालों को और इतने डंडे मारो की इनसे किडनेपिंग का भूत उतर जाए। और माचो से पता करो ये गाड़ी कहां से उड़ाई इसने।

अपस्यु:- सर टेक्निकली आप मुझे अरेस्ट नहीं कर सकते। रपट सोनू और मोनू के नाम पर लिखा है जिसमें ना तो पता आपने लिखा है और ना ही पिता का नाम। (सोनू और मोनू नाम से दोनों भाई को घर में बुलाते थे)

थानेदार:- ईब हम पता लगा लेंगे छोड़े तेरा पता और तेरे बाप का नाम भी। अब जो किडनैप हुई, उसे थोड़े ना किडनैपर की डिटेल पता होती है। हम अपनी रपट पूरी कर लेंगे, तू चिंता ना कर। लेकिन बैंचों आज तेरे पिछवाड़े को ऐसा सुझाएंगे की तू अपनी हालत पर रोएगा। और ये जो तू जिस किसी के दम पर भी इतना अकड़ कर बात कर रहा है ना, तेरी हालत देखकर उसकी पतलून भी गीली हो जाएगी।

अपस्यु:- जानते हो थानेदार साहब, बड़े बुजुर्गो ने कहा है किसी के फैमिली मैटर में नहीं पड़ते वरना वो फैमिली तो एक हो जाति है लेकिन बीच में जो पड़ता है वो पीस जाता है।
थानेदार:- के मतलब है?
अपस्यु:- यहीं की कुंजल मेरी कजिन है और उनके पापा का नाम भूषण रघुवंशी है।
थानेदार, उसके ऊपर हंसते हुए… "चुटिया कहीं का.. माचो आज कल तो हर किडनैपर इतनी डिटेल लेकर चलता है।"

अपस्यु:- अपनी जुबान पर थोड़ा काबू रखिए सर, हम कोई उठाएगीरा या क्रिमनाल नहीं है, और ना ही मेरे खिलाफ कोई रिपोर्ट दर्ज हुई हैं। ये लो मेरा ड्राइविंग लाइसेंस और पढ़ो इसमें मेरे पिता का नाम.. चन्द्रभान रघुवंशी। किसने बनाया आप को थानेदार, थोड़ी भी अक्ल की नहीं। कोई किडनैपर चेकपोस्ट पर गाड़ी रोकता है क्या? अभी मैंने वकील बुला लिया ना तो सारी जिंदगी घर में ही गाली बकते रहना, स्टेशन दोबारा देखना नसीब भी नहीं होगा।

अपस्यु के तेवर और उसके पेश किए गए दस्तावेज को देखने के बाद, थानेदार भी थोड़ी सोच में पर गया। उसने अपने कुछ लोगों को बुलाकर, सलाह-मशवरा करने के बाद…... "ठीक है यदि ऐसी बात है तो अभी हम उसके घर चलकर सारी बातों की तहकीकात करेंगे। अगर तुम्हारी बातें सच निकली तो ठीक वरना तेरी जवानी का पूरा जोश लॉकअप में ठंडा करेंगे।

आरव, अपस्यु को देख कर हंसने लगा और आंखों से जैसे कह रहा हो… "मास्टर्स स्ट्रोक"… वहां से लंबोर्गिनी में एक हवलदार और अपस्यु बैठा और पुलिस जीप में आरव। पुलिस जीप किसी रेलवे ट्रैक के पास रुकी और पटरियों को पार करके वो लोग एक गंदी बस्ती में घुसे। चारों ओर अजीब सी बदबू और हर जगह कचरा फैला हुआ। अपस्यु और आरव जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे थे उनका पैर जैसे स्थूल (भारी) परने लगे थे। एक-एक कदम आगे बढ़ाना मुश्किल हो रहा था।
nice update ...aakhir kidnap kar liya kinjal ko ...par ye basti me kaha jaa rahe hai ?...aur lagta hai inke family ke bich koi misunderstanding huyi ho jisse ye alag hai ..
 
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