Update:-13
अपस्यु:- तो तू करना क्या चाहता है?
आरव:- मुझे तू बैकअप देता जा। टारगेट मुझे मिल गया है, एलिमिनेटर कैसे करना है वो मैं समझ लूंगा।
अपस्यु:- ठीक है लेकिन याद रहे किसी भी सूरत में कोई कड़ी मत छोड़ना। क्योंकि उसके 3 डीलर मारे जाएंगे तो वो कारण का पता जरूर लगाएगा।
आरव:- तू बस देखता जा, ये मैं कैसे करता हूं।
अपस्यु:- ठीक है तो तू कल से ही काम शुरू कर देना।
आरव:- मैं तो काम शुरू ही कर दूंगा लेकिन क्या तू तैयार है। नहीं, मतलब अभी तू पूरी तरह से ठीक भी नहीं हुआ है। तेरी हड्डी जुड़ने में वक़्त है अभी, ऐसी हालत में तू यहां अकेले सब कैसे करेगा। ऊपर से बॉथरूम आने पर क्या करेगा।
अपस्यु:- चिंता मत कर कल बहुत कुछ सुधार अा जाएगा।
अगले दिन तकरीबन सुबह के 8 बजे अपस्यु ने एक बार पुनः वहीं प्रक्रिया शुरू कर दी। लगभग आधे घंटे तक चली प्रक्रिया और उसके बाद अपस्यु बेहोश परा सोता रहा। इधर आरव अपना सामान पैक करके, वहीं लगे कई तरह के अभ्यास करने वाले मशीनों पर अपना अभ्यास कर, सारी क्षमता दर्ज करने लगा। लगभग 3 बजे दिन में अपस्यु भी उठ चुका था। खुद में वो पहले से बेहतर तो मेहसूस कर रहा था लेकिन अभी भी पूरी तरह से ठीक होने में वक्त लगता, खासकर उसकी टूटी पसलियां और हाथ-पाऊं की हड्डियां जुड़ने में अभी वक़्त था।
दोनों भाई आगे कि रणनीति पर चर्चा कर रहे थे, तभी उनके फ्लैट की घंटी बजी। फ्लैट की घंटी बजते ही दोनों भाई चौक्कना हो गए। दोनों की नजर एक साथ बाहर लगे कैमरे की स्क्रीन पर गई…. "ले अा गई तेरा हाल पूछने। लगता है तेरी वाली बीमारी इसे भी लग गई। पहले तू इसके घर में झांकता था अब ये तेरे घर"
अपस्यु:- जा, जाकर दरवाजा खोल।
आरव हंसते हुए उसके सर पर एक हाथ मारा और जाकर दरवाजा खोलने चला गया।… "स्वागत है जी आप का हमारे छोटे से गरीब खाने में"
साची मुस्कुराती हुई अंदर प्रवेश की और जैसे ही सामने हॉल का नजारा देख… "ओह माय गॉड… ये तो किसी ट्रेनिंग वर्क शॉप जैसा लग रहा है"
आरव:- हा हा हा, अंदर भी आओगी या फिर यहीं खड़ा रहना है।
साची पूरे हॉल का जायजा लेती हुई अाकर सोफे पर बैठ गई… "तुम्हारे घर और रहन-सहन को देख कर तो ऐसा लगता है कि कोई मालदार आसामी हो"
अपस्यु:- आरव चाई ला दे बनाकर। और बताओ साची कैसे आना हुआ।
साची:- अभी मै यहां भांगड़ा करूंगी और तुम ढोल पीटना डफर। तुम्हे देखने आयु हूं और खबर भी लेने।
अपस्यु:- देख तो ली अब खबर भी लेलो।
आरव, किचेन से ही.. साची डंडे से इसकी खबर लेना।
साची:- खबर तो तुम्हारी ही लेने अाई हूं आरव, वेदांता से सीधा फ्लैट में शिफ्ट कर दिए।
आरव:- घूम फिर कर सबका निशाना मैं ही बनता हूं। लो चाय लो। दरअसल बात कुछ यूं हुई की मै गया तो वेदांता ही था लेकिन थोड़े से चेकअप के बाद उन्होंने कुछ दवा लिखी। कमीनो ने ₹40000 जमा भी करवा लिए और आधे घंटे बाद कहते है "नॉर्मल चोट है, 2 हफ्ते में ठीक हो जाएगा। इन्हे घर लेे जा सकते है"।
साची:- चोट नॉर्मल कैसे हो गई। कमाल है हॉस्पिटल बदलते ही पूरा ज़ख्म का रंग-रूप ही बदल गया।
अपस्यु:- सरकारी हस्पताल वाले थे ना वो लोग। कोई भी रिपोर्ट बना देते हैं साची।
अभी साची चाय पी ही रही थी कि उसके सामने से आरव बैग टांगें निकालने लगा। आरव को जाते देख साची ने पूछ लिया कि आखिर वो किधर जा रहा है। आरव को निकालने के लिए बोलकर अपस्यु साची से कहता है…
"अभी जो तुमने मालदार आसामी बोला था ना, उन मालदार आसामी को भी जीने के लिए माल की जरूरत पड़ती है वहीं लाने जा रहा है"
साची:- कोई फैक्ट्री या मिल होगा उसी का कलेक्शन लेने जा रहा होगा।
अपस्यु:- हा हा हा.. नहीं ऐसा कोई मिल या फैक्ट्री नहीं है हमारे पास और ना ही करोड़ों संजोया हुआ है। ये सब कुछ, जो तुम देख रही हो वो हमारे बाबा का संजोया हुआ है। ले-दे कर आय के नाम पर दार्जलिंग में चाय का एक बागान है जिससे हर 3 महीने में 1.5 से 2 लाख रुपए मिल जाते हैं। वहीं हिसाब करके पैसे लेने जा रहा है।
साची:- पैसे अकाउंट पर भी तो मंगवा सकते हो, ऐसे हालात में तुम्हे छोड़ कर जाने की क्या जरूरत है।
अपस्यु:- पैसे के नाम पर बस ₹200 रुपया बचा है। वहां जबतक हिसाब नहीं करेंगे तो पता चलेगा कि जहां 1.5 या 2 लाख आने है वहां ₹50000 से ही संतोष करना होगा।
साची:- पैसों की जरूरत थी तो मुझ से मांग लेते, कुछ समय बाद चला जाता वो।
अपस्यु:- लो अभी मांग लिए जरूरत तो है ही। फिलहाल ₹20000 दे दो। पैसे आते ही लौटा दूंगा।
साची:- ठीक है कल सुबह मै देदुंगी। वैसे मानना पड़ेगा, पैसों का सही इस्तमाल किया है।
अपस्यु:- इस्तमाल नहीं उपयोग।
साची:- मतलब,
अपस्यु:- मतलब "इस्तमाल" शब्द उर्दू से लिया गया है और ये हिंदी भाषा का मूल शब्द नहीं है। "उपयोग" मूल शब्द है।
साची:- आरव ने सही ही बताया था।
अपस्यु:- क्या?
साची:- यही की गुरु जी के पास बैठ जाओ और ज्ञान की प्राप्ति होते रहेगी।
अपस्यु:- नहीं ऐसी कोई बात नहीं है। तुम साहित्य लेकर पढ़ रही थी तो मैं तुम्हारा ज्ञान बढ़ा रहा था।
साची:- अरे हां तुम उस दिन कैंटीन में इस बारे में कुछ बात कर रहे थे ना।
अपस्यु:- वो बात ऐसी है कि हम भी आप के ही सहपाठी हैं जी, और हमारा भी विषय साहित्य ही है।
साची:- ओह हो .. तभी हिंदी के ऊपर मुझे इतना लेक्चरर सुनाया जा रहा था।
अपस्यु, गहरी श्वास खींचते.. सुनाने को तो बहुत कुछ चाहता हूं..
कुछ पल के लिए दोनों के बीच की बातें थम गई और दोनों एक दूसरे को देखने लगते हैं। ये खामोशी जैसे अपने आप में ही एक शोर हो। साची अपने नजरें चुरा कर इधर-उधर देखने लगती है।
अपस्यु:- अब कॉलेज में कोई परेशानी तो नहीं।
साची:- नहीं, कोई परेशानी नहीं। थैंक यू सूूूूूूूू मच..... समस्या का समाधान हो गया। और हां मेरी मां ने भी तुम्हे खास तौर ओर धन्यवाद कहने को कहीं है।
अपस्यु:- स्वागत है जी आप का और आंटी को मेरे ओर से प्रणाम कहिएगा।
साची:- ठीक है अब मैं चलती हूं, रात को आऊंगी खाना लेकर।
अपस्यु, हसरत भरी नजरों से देखते बस "ठीक है" कहता है। दोनों की एक बार फिर नजरें मिलती है, कुछ पल की खामोशी और और फिर दोनों के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान। लेकिन इन पलों की शांति को भंग करने के लिए कॉल बेल बजने लगता है।
अपस्यु, अपने स्क्रीन पर एक बार फिर से देखते हुए… "साची मोबाइल वाला आया है, जरा डिलीवरी लेे लोगी क्या"..
साची:- तुमने कैसे ऐसी हालत में उसे जाने दिया..
अपस्यु:- तुम यहीं रुको मैं कुछ दिखता हूं।
अपस्यु ने पास पड़े रिमोट से ओपन का बटन प्रेस किया और दरवाजा खुल गया। कुछ ऐसी सेटिंग थी कि इधर दरवाजा खुला उधर हॉल के उस हिस्से में पर्दा डल जाता, जहां इनके सारे सामान परे हुए थे। वहीं परे माईक से अपस्यु उसे अंदर बुला कर डीलीवरी लेे लेता है।
उसके जाते ही साची, कमाल को व्यक्ति करने वाला अपना चेहरा बनती हुई.. "क्या बात है तुम्हारा फ्लैट तो पूरा डिजीटल ही है"। फिर उसके मोबाइल को ऑन करके अपना नंबर उसमे सेव करती हुई कहती है.. "कोई जरूरत हो तो कॉल कर लेना"… और वहां से चली जाती है।
अपस्यु गहरी सांसें लेता उसके बारे में ही सोचता रहा, कि तभी उसके फोन की घंटी बजने लगी। अपस्यु जैसे ही उठता है दूसरी ओर से… "इस बार अपंग कर के जिंदा छोड़ा है, मेरे पैसे नहीं लौटाए तो जान से जाएगा"..
अपस्यु:- तुम्हे कुछ भी करने की जरूरत नहीं, तुम्हे तुम्हारे 110 करोड़ मिल जाएंगे।
जमील:- 240 करोड़।
अपस्यु:- तेरे बाप ने भी कभी इतने पैसे देखे है क्या। 6 साल की राजनीति और 52 साल की उम्र तक तूने और भूषण ने मिलकर 110 करोड़ अंदर किए और तुझे अब डबल से भी ज्यादा चाहिए। देख ऐसी स्तिथि उत्पन्न मत कर की मैंने जो मन बनाया है उसे मैं बदल लूं।
जमील:- क्या त्रिवेणी शंकर को पता है कि तूने ही उसके बेटे को मारा और जिसे वो ढूंढ़ रहा है वो तू ही है। साला बित्ते भर का होकर सबको नचाए है। अब मेरी बात ध्यान से सुन 150 करोड़ उसके और 110 करोड़ हमारे। कुल 260 करोड़ में से मैं सिर्फ 240 करोड़ मांग रहा। बाकी तू अपने पास रख, साथ में प्रोटेक्सन भी दूंगा और आगे हम दोनों मिलकर धमाल करेंगे।
अपस्यु:- 200 करोड़ में डील फाइनल करते हैं लेकिन मेरी एक शर्त है। जितने कम राजदार उतनी ही सुरक्षा। 100 करोड़ मै तेरे इंटरनैशनल अकाउंट में ट्रांसफर मारता हूं। मुझे जब लगेगा की तुमने मेरा काम कर दिया तो बाकी के 100 करोड़ तुझे कैश मिल जाएंगे। जगह और समय मै दोनों बता दूंगा साथ में आगे के हर काम में 20% की भागीदारी भी। बोल मंजूर है।
जमील:- नहीं, हिस्सेदारी आधा-आधा.. बाकी सभी शर्तों पर सहमति।
अपस्यु:- नहीं 20-80
जमील:- ना तेरी ना मेरी, चल 40 पर दिल लॉक कर।
अपस्यु:- सब्जी का भाव तोल मोल कर रहा है क्या? तुझे मैंने एक तस्वीर भेजी है देख उसे पहले..
जमील ने होम मिनिस्टर के साथ अपस्यु की तस्वीर को देखते हुए… "अबे तू उधर कैसे पहुंच गया"..
अपस्यु:- ध्यान से सुन मेरी बात, मेरे अंदर दम है और मैं कहीं भी पहुंच सकता हूं। ना तो तू उस लेवल का नेता है और ना ही तू उनके जितना मुझे प्रोटेक्सन दे सकता है। मैं बस उसे इतना ही कहूं ना कि हर महीने 20 करोड़ बस मेरे काम पर पर्दे डालने और प्रोटेक्सन के लिए, तो तू सोच ले क्या होगा। अब बोल मंजूर है डील या फिर सब कैंसल करूं।
जमील:- तू देखने में बस बच्चा लगता है लेकिन है हमारा बाप। मुझे सभी शर्तें मंजूर है तू बस पैसे तैयार रख। मैं सारे काम निपटा कर तुझे फोन करता हूं।
अपस्यु:- ठीक है तेरे कॉल का इंतजार रहेगा।
इधर कॉल डिस्कनेक्ट होते ही अपस्यु ने आरव से संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन मजाल है कि कॉल लग जाए। भाई साहब का फोन लगातार 1 घंटे से बीजी बीजी बीजी…