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Romance भंवर (पूर्ण)

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Update:-81



दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे। दोनों की आखें बंद हो चली, होंठ से होंठ उलझ चुके थे और दोनों की श्वांस लंबी होती चली जा रही थी। दोनों ही एक दूसरे में खोते चले गए और ख्याल भी नहीं रहा कि दोनों कुंजल के कमरे में है। स्वस्तिका और कुंजल दोनों लौट आयी थी और दोनों ही दरवाजा खोलकर अचानक से अंदर….


कुंजल और स्वस्तिका जैसे ही अंदर घुसे, दरवाजे खुलने की आहट से अपस्यु और ऐमी दोनों ही चौकान्ना तो हुए लेकिन इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकते थे। इधर जैसे ही दोनों दरवाजे से अंदर आए, पीछे से दोनों को ऐमी के बाल नजर आ रहे थे और अपस्यु का हल्का माथा। दोनों की आखें बड़ी हो गई…


"ओह हो तो दोनों के बीच कुछ नहीं, और यहां बहनों के कमरे में रोमांस चालू है। इतने बेशर्म हो गए दोनों।"… स्वस्तिका दोनों को छेड़ते हुई कहने लगी।


कुंजल:- ये तो बेशर्मों से भी एक कदम आगे है। कैसे एक दूसरे से चिपके है।


ऐमी:- जिसे जिसे शर्म आ रही है वो यहां से चली जाएं, लेकिन हमे परेशान नहीं करे, दाव पर एक दिन लगा है और मुझे इस अकडू को इसके बेवड़ेपन की सजा देनी है।


"दोनों कर क्या रहे है। मुझे लगा किस्स कर रहे है।".. स्वस्तिका अपनी बात कहती हुई आगे बढ़ी.. तभी पीछे से नंदनी और वीरभद्र भी पहुंचे और वहां का माहौल देखकर नंदनी हैरानी से पूछने लगी… "ये दोनों (अपस्यु और ऐमी) क्या कर रहे है, और तुम दोनों (कुंजल और स्वस्तिका) क्या देख रही हो।"..


वीरभद्र:- मुझे तो लग रहा है दोनों चूम रहे है।..


चटाक से एक थप्पड वीरभद्र के गाल पर…. "तुमसे किसी ने डिटेल पूछी क्या?".... नंदनी अपने चिर परिचित अंदाज में वीरभद्र के बेवकूफी की सजा दे चुकी थी… "जिसे कोई शंका है यहां आ जाओ.. कुछ भी अंदाज़ा मत लगाओ"..


अपस्यु की बात सुनकर सब वहां पहुंचे। दोनों एक दूसरे के आखों में आखें डालकर एक दूसरे को देख रहे थे। … "ये क्या कर रहे हो दोनों?"… नंदनी पास पहुंचकर पूछने लगी।


ऐमी:- आंटी ये मुझे जगाने आ रहा था और मैं इसकी उस हरकत से नाराज़ चल रही हूं जिसका प्रदर्शन इसने कल रात किया था।


अपस्यु:- मां ये बस फेवर लेना चाहती है, घोड़े बेचकर सोने की आदत है।


नंदनी:- तुम दोनों की हालात से तुम्हारी बातों का क्या संबंध हैं।


ऐमी:- पलक कौन पहले झलकता है उसकी शर्त लगी है और मेरी पलक झपक जाए इसके लिए बिस्तर में अाकर लेटा गया ये…


"इतनी गन्दी हरकत सिर्फ शर्त जितने के लिए।" …. "चटाक…. चटक" एक ही गाल पर 2 थप्पड नंदनी ने जड़ दिए। अपस्यु अपना गाल पकड़ कर खड़ा हो गया। इधर अपस्यु ने पलक झपकी और उधर बिस्तर से उछलकर ऐमी बाहर…. "याह हू .. मै जीत गई… सुनो अकडू शर्त याद है ना.. एक दिन जैसा-जैसा मै कहूंगी करना होगा।"


अपस्यु:- मै नहीं मानता, तुमने चीटिंग की है.. मां ने मेरा कन्सन्ट्रेट भंग किया है।


नंदनी:- चप्पल से मारूंगी तुझे, जवान लड़की है उसके साथ ऐसे सोया था।


ऐमी:- अरे आंटी.. आप गलत सोच रही है। मैं जब बहुत छोटी थी तब से हम साथ ही सोया करते थे… आप भी ना क्या से क्या सोच लेती हैं।


स्वस्तिका:- हां मां.. आप इन दोनों में लड़का या लड़की ना लाइए..


नंदनी:- सॉरी बेटा वो गुस्से में मैंने ना जाने क्या-क्या सोच लिया? थोड़ी शर्मिंदगी सी होने लगी है।


ऐमी:- चिल करो आंटी, और फैसला कीजिए मैं जीती या नहीं।


नंदनी:- हां तू ही विनर है, अच्छा सबक सीखना इसे .. ऐसा की दोबारा किसी पार्टी फंक्शन में ये अपना दादा या नाना जैसी हरकतें ना करे।


कुंजल:- ऐसे कैसे ऐमी जीत गई, भाई आप के साथ चीटिंग हुई है, मैं आप के सपोर्ट में हूं।


स्वस्तिका:- मै ऐमी के सपोर्ट में। हमारा 2 वोट.. अब बोल..


कुंजल:- वीरे जी..

वीरभद्र:- हां कुंजल जी..


कुंजल:- आओ.. हमारा वोट बढ़ाकर मैच टाई कर दो..

वीरभद्र:- कुंजल जी जज कैसे वोट देगा, फिर फैसला कौन सुनाएगा।


वीरभद्र की बात पर सभी हसने लगे। समय हो रहा था इसलिए सभी जाने की तैयारियों में लग चुके थे। अपस्यु भी नीचे जाकर सभी पेमेंट क्लियर करके चेकआउट की तैयारियां कर रहा था। तभी होटल कि लॉबी में ध्रुव भी पहुंच गया। दोनों में थोड़ी सी हाय-हेल्लो के बाद ध्रुव साची से मिलने चला गया।


बैठकर वो अभी सारी फॉर्मेलिटी कर ही रहा था कि राजीव और मनीष भी नीचे पहुंच गए। मनीष पेमेंट के लिए काउंटर पर गया और राजीव वहीं पास में बैठ गया। अपस्यु वहां के मैनेजर से कुछ ड्रिंक सर्व करने बोला और अाकर राजीव के पास बैठ गया।


राजीव:- कल की एंगेजमेंट में मजा आ गया। मेरे भाई के ओर से कल के लिए मै माफी मंगता हूं। हमारे गांव में यदि एंगेजमेंट हुआ होता तो लोग इससे भी ज्यादा पीकर ड्रामा करते है और हम उन ड्रामा को एन्जॉय करते हैं।


अपस्यु:- कोई बात नहीं है अंकल। वैसे हमरे बीच की शुरवात कुछ अच्छी नहीं रही, इसलिए खटास है सबके मन में।


राजीव:- हां शायद यही बात है। लेकिन तुम्हारा परिवार अच्छा है, मुझे खुशी है कि मेरी बच्ची तुमलोग को पसंद आयी।


अपस्यु:- आप किसी चिंता में दिख रहे हैं अंकल, बात क्या है?


राजीव:- कुछ नहीं मै बाद में बात करता हूं।


अभी राजीव अपनी बात कह ही रहा था उसी बीच मनीष कहने लगा… "राजीव तूने अपनी पेमेंट पहले ही कर दी है क्या?"


राजीव:- मुझे नहीं पता भईया.. मैंने तो नहीं कि…


अपस्यु उसका हाथ थामकर कहने लगा…. "मुझे कल रात की बात पता है। खुशी खुशी यहां से विदा होइए, और चिंता मत कीजिए।"..


राजीव:- मुझे माफ़ कर दो, ना जाने मै तुम लोगों की क्या-क्या कहता रहा लेकिन मेरे बुरे वक़्त में…


अपस्यु राजीव को बीच में ही रोकते हुए… "बुरा वक्त नहीं होता लेकिन कभी-कभी हम अपने कर्मो के फल को बुरा वक़्त मान लेते हैं। कर्म धोखेबाज वाले होंगे तो अपना भाई भी ऐसे ही करता है। मैंने कोई आप पर रहम खाकर पैसे नहीं दिए बल्कि मुझे पसंद नहीं की किसी धोखेबाज कि कमाई हमारी लावणी खाए। आप अपने बीवी बच्चे को किसके खून से सना पैसा खिलाते थे, उससे मुझे कोई लेना देना नहीं। लेकिन अब वो हमारी जान है और मै उसे धोखे के कमाई वाले पैसों का खाना नहीं खाने दे सकता। हो सके तो अपने कर्मों के प्रश्चित का तरीका ढूंढिए वरना कल रात तो केवल आप के भाई ने आप को ज़ख्म दिए है, आगे और भी दर्द आप के हिस्से में बचे होंगे। शायद उसका असर आप के बेटे पर भी देखने को मिले। आगे आप की मर्जी, हमे अपने घर की बच्ची जान से प्यारी है हम तो बस उसे है बचा कर चलेंगे।"


अपस्यु अपनी बात कहकर वहां से उठकर चला गया और राजीव वहीं शांत बैठकर अपस्यु की बातों पर सोचने लगा। ऊपर आकर अपस्यु सबसे मिला। चुपके से ऐमी के साथ अपनी वो अधूरी किस्स पूरी करते उसे बाय-बाय विश दिया और वापस सबके साथ नीचे चला आया।


एयरपोर्ट पर सबको ड्रॉप करने के बाद अपस्यु ध्रुव के साथ वापस होटल लौटा और अपना बैग उसकी कार में डालकर उसकी मेहमान नवाजी को स्वीकार करते उसके साथ चल दिया। अपने बंगलो के गेस्ट हाउस में अपस्यु के रुकने का इंतजाम किया गया था।


ध्रुव, अपस्यु को पूरा गेस्ट हाउस दिखाने ले बाद वहां से चला गया और अपस्यु वहां बिस्तर पर बैठकर आराम से टीवी देखने लगा और उसके लिए जो हाउस सर्वेंट छोड़ा गया था उस बुलाकर उसने अपने कॉकटेल का सरा सामान मंगवा लिया। उस हाउस सर्वेंट को पहले तो उसने वो कॉकटेल बनवाया फिर आराम से फिल्म का मज़ा लेते हुए कॉकटेल का आनंद उठाने लगा।


4-5 पेग पीने के बाद अपस्यु ने उससे कुछ स्नैक और पनीर मंगवाया। वो हाउस सर्वेंट चला गया उसका ऑर्डर पूरा करने और इधर अपस्यु बाहर लॉन में अाकर घूमने लगा। शाम के 6 बज रहे होंगे, जब अपस्यु लॉन में था और तभी बाहर एक कार अाकर खड़ी हुई जिसमें से एक लंबा चौड़ा आदमी बाहर आया। देखने में कोई आर्मी ऑफिसर लग रहा था।


अपस्यु एक झलक उसे देखा और अनदेखा करके वहीं घूमने लगा। इतने में वो हाउस सर्वेंट अपस्यु का ऑर्डर के आइटम को लेकर पहुंच गया और अपस्यु भी उसी के साथ अंदर चला गया। अपस्यु ने तो उस ऑफिसर पर रती भर भी ध्यान नहीं दिया लेकिन वो अपस्यु को घूरते ही अंदर आ रहा था।


मेघा को उसके आने की पहले से सूचना थी इसलिए वो पहले से बौंगलो के मीटिंग हॉल में उसका इंतजार कर रही थी जहां हाड़विक और प्रकाश पहले से उसका इंतजार कर रहे थे। एक औपचारिक परिचय के बाद जेम्स ने बोलना शुरू किया…


"वेल प्लैनड मर्डर, जिसने भी किया है काफी शातिर और टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट हैं। एक शातिर टीम जिसकी पहचान छिपी है लेकिन कभी भी उसने छिपकर हमला नहीं किया।"…


प्रकाश:- तुम्हारे कहने का मतलब है कि जो भी ये सब कर रहा है उसे हम जानते हैं।


जेम्स…. मुझे अपनी बात पूरी कर लेने दीजिए फिर कोई सवाल हो तो पूछ लेना… मै सिर्फ कल के मर्डर के आधार पर सारी बात बता रहा हूं। आगे के इन्वेस्टिगेशन के लिए पहले डील फाइनल होनी भी तो चाहिए।

"यह जो कोई भी है, ये तो नहीं कहा जा सकता कि आप लोग उसे जानते है या नहीं लेकिन वो आप लोगो को अच्छे से जानता है। एक परफेक्ट प्रोफेशनल टीम जो यूएस के एजेंसी को भी अपने आगे कुछ नहीं समझता, खुला सबके बीच रहकर पूरी मर्डर प्लान की गई थी और किसी को कानोकान खबर तक नहीं।"


"कम से कम 3 दिन से वो प्लान कर रहा था लेकिन छत पर लगे सर्विलेंस कैमरे में कोई भी ऐसा नहीं जो प्लान करते नजर आए। 3 टन का जेनरेटर जो काफी सुरक्षित रूप से लगाया गया था। मजबूत पिलर के बीच था वो जेनरेटर और होटल के छत कि फेंसिंग इतनी मजबूत की एक क्या 2 जेनरेटर एक साथ फोर्स डालते तो भी नहीं टूट पता। किसी को भनक तक नहीं की क्या इस्तमाल किया गया, कौन सी टेक्नोलॉजी थी जिससे जेनरेटर के पिलर को तोड़ा गया, फिर छत कि मजबूत रेलिंग का एक हिस्सा हटाया गया। क्योंकि छत की जांच में केवल और केवल वहां पर इलेक्ट्रिक वायर मिले हैं जिनका मैन्युफैक्चरिंग रशिया का है।"


"उन वायर के सहारे उसने कैसे धमाका किया वो भी बिना आवाज़ किए, फिर होटल कि आधी फेंसिंग को भी उसी से तोड़ा गया। और सबसे बड़ा सवाल उस 3 टन में जेनरेटर को कैसे धक्का लगाया होगा। और इतने सारे सवालों के बीच एक अहम सवाल 30 जून की सुबह से वहां 5 एजेंसी थी, सब ने सुरक्षा के पूरे इंतजामात चेक किए थे। 8 स्निपर तो उस होटल की छत पर थे और 4 स्निपर सामने में बिल्डिंग में।"


"वो वहां चाहता तो किसी को भी टारगेट कर सकता था लेकिन उसने केवल उन्हीं 4 को मारा, क्योंकि उसे पता था किस टारगेट को मारने से सुरक्षा एजेसी दखल नहीं देंगे। कंप्लीट प्लान, फोकस टारगेट, छिपकर मारना कभी मोटिव नहीं था क्योंकि उसे भी पता था कि इतना भारी जेनरेटर बिना मजबूत प्लान करके खिसकाया नहीं जा सकता था।"…


हाड़विक:- जब इतना पता लगा लिया तो ये भी बता दो कौन है? कम ऑन कोई एक नाम?


जेम्स:- कोई नाम नहीं। हमने होटल के सर्विलेंस को चैक किया। कोई ऐसा नहीं था जो ऐसे काम को अंजाम दे सके। हां लेकिन एक लड़के ने हमे कुछ देर के लिए उलझाया जरूर था। और हां उसके साथ तुम्हारे घर की होने वाली बहू भी थी उस रात छत पर।

प्रकाश:- तुम्हारे कहने का क्या मतलब है?

जेम्स:- पहले ये क्लिप देखिए फिर मै बताता हूं।


एंगेजमेंट से ठीक एक रात पहले की क्लिप चलाई गई, जहां अपस्यु और साची की बात हुई। हालाकि यह छत का वो हिस्सा नहीं था जहां से जेनरेटर गिराया गया था, पूरे क्लिप में रोने, दोनों के बीच झगड़े और चौंकाने वाला वो अपस्यु का जंप था। वो जंप देखकर तो सभी के मुंह खुले रह गए थे।


जेम्स:- यहीं वो स्टंट था जिसे देखने के बाद हमारा दिमाग घूम गया था। उस हिस्से में सर्विलेंस कैमरा कवर नहीं करता इसलिए हमे खुद जाकर देखना परा की वहां नीचे क्या था, फिर पता चला कि उसने फिल्म का स्टंट किया था। ठीक एक फिट नीचे कांच साफ करने के लिए क्रेन लगाया गया था। हालांकि थोड़ा हम उलझे लेकिन इसकी पूरी जानकारी निकली। क्षमता है, पर ये जरूरत से ज्यादा शराब पीता है और एक शराबी वो भी अकेला इतना शार्प प्लान नहीं कर सकता।


"तो सवाल यह है कि वो आखिर कौन था जो इतना सबकर गया वो भी बिना किसी के नजर आए। उसका सीधा जवाब है, कोई आप लोगों के बीच का है, जिसके पास पल-पल की खबर हो। वो चाहता है कि आप पूरा बर्बाद हो जाए। उसे जब भी सही वक़्त दिखता है वो आप पर हाथ डालता है और फिर शांत हो जाता है। वाह आप पर छिपकर वार तो कर रहा है लेकिन वो छिपा हुआ नहीं है। बिल्कुल आप की आखों के सामने है बस उसे आप देख नहीं पा रहे। कोई ऐसा जो अपना काम करवाना जानता हो। जिसे अच्छे से पता है कि किससे कहां का काम दिया जाए और वो लोग उसके लिए काम परा कर दे ।


प्रकाश:- हम्मम। जितना तुमने बताया है उतनी खूबियां सिर्फ 1 में ही है और वो कल इसी घर में था। जेम्स तुम्हे ये काम दिया मैंने। उम्मीद करता हूं यह काम तुम जल्दी पूरा कर लोगे।


जेम्स:- डील के हिसाब से पेमेंट कर दीजिए और हम काम शुरू कर देते हैं।


जेम्स अपनी बात खत्म करके वापस लौट गया और तीनों ही बैठकर लोकेश के खिलाफ रणनीति तय करने लगे। उन्हें लगने लगा कि जो भी घाटे के आधे पेमेंट किए गए है, वो केवल उनसे जान बुझ कर वसूल किया गया है। कुछ देर की आपसी बातचीत के बाद तीनों हॉल में आ गए।


हॉल में पहुंचते ही प्रकाश ने ध्रुव को बुलाया। ध्रुव प्रोजेक्ट की फाइल चेक करके कुछ देर के बाद उनसब के बीच पहुंचा, प्रकाश अपना रोष दिखाते हुए पूछने लगा… "साची और उस लड़के अपस्यु के बीच क्या चल रहा है?"
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
लोकेश ने सही सलाह दी लेकिन ये उल्टी पड़ती दिख रही हैं कहीं लोकेश का हीं गेम ना हों जाएं नैन भाई
 

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Update:-82




हॉल में पहुंचते ही प्रकाश ने ध्रुव को बुलाया। ध्रुव प्रोजेक्ट की फाइल चेक करके कुछ देर के बाद उनसब के बीच पहुंचा, प्रकाश अपना रोष दिखाते हुए पूछने लगा… "साची और उस लड़के अपस्यु के बीच क्या चल रहा है?"


ध्रुव:- दोनों अच्छे दोस्त है, साथ पढ़ते है। उनके बीच और क्या चलेगा।


प्रकाश फिर वो क्लिप दिखाते हुए पूछने लगा… "फिर ये क्या है?"


ध्रुव:- कुछ मैटर पर अन बन होगी सॉल्व कर रहे होंगे। लेकिन आप इतना इंट्रेस्ट क्यों ले रहे है इन बातों में? अगर दोनों के रिश्ते में आप कुछ गलत ढूंढ़ रहे हो तो आप को शर्म आनी चाहिए डैड।


मेघा:- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई डैड से ऐसे बात करने की?


ध्रुव:- ओह कम ऑन सीस, मेरे इतने अफेयर्स थे तब तो डैड कुछ नहीं बोले। आप के भी तो बॉयफ्रेंड्स थे तब कुछ नहीं बोले। दो अच्छे लोगों के बीच गलत रिश्ता ढूंढ़ने की कोशिश करेंगे, वो भी मेरी होने वाली बीवी के लिए, फिर मुझे माफ़ करना, मै ऐसे ही बात करूंगा। ये बात सब लोग जितनी जल्दी समझ जाए उतना अच्छा होगा। और जो भी बात हो आज ही सब क्लियर कर लो, मै दोबारा इसपर बात नहीं करूंगा।


हाड़विक:- प्लीज आप लोग आपस में बहस मत करो। सॉरी ध्रुव,


प्रकाश:- सॉरी बेटा, मै ये देखकर खुद को रोक नहीं पाया। वादा रहा अब दोबारा कभी फिर ये बहस नहीं होगी। वैसे कहां है तुम्हारा वो नया दोस्त, उसे भी बुलाओ यहां।


ध्रुव:- कहीं अब उससे तो इंक्वायरी नहीं करेंगे ना।


प्रकाश:- ध्रुव मुझे अब डाउट हुआ तो तुमसे पूछ लिया। तुम मेरे बेटे हो तुमसे नहीं पूछूंगा तो किससे पूछूं?

ध्रुव:- बात पूछने कि नहीं है डैड, लेकिन किसी की सर्विलेंस करना गलत बात होती है।


ध्रुव अपनी बात कहते हुए गेस्ट हाउस के ओर चला गया। अपस्यु बैठकर अब भी उस हाउस सर्वेंट से अपना ड्रिंक बनवा रहा था…. "टॉम, सर ने कितने पेग लिए"..


टॉम:- सर 12 पेग ले चुके है।


अपस्यु:- भाई अब ऐसा तो ना करो, पेग भी गिनती करवाओगे? कहीं जाते वक़्त बिल तो नहीं थमाने वाले?


ध्रुव:- यह अमेरिका है बेबी यहां कुछ भी फ्री नहीं मिलता।


अपस्यु:- भाई मुझे तुम होटल ही छोड़ आओ…


"हाहाहा, वो भी कर लेंगे, फिलहाल चलो, सब लोग तुम्हारा ही इंतजार कर रहे है।"…. ध्रुव ने हंसते हुए अपनी बात कही और उस हाउस सर्वेंट को हॉल में ही अपस्यु के लिए ड्रिंक सर्व करने बोला दिया।


अपस्यु ध्रुव के साथ उस हॉल में आया और सबको हाई हेल्लो करता हुआ वहीं सबके बीच बैठ गया। प्रकाश ने ही इधर-उधर की बातों से शुरवात किया, जिसपर अपस्यु उसे चिढ़ाते हुए कल रात के हादसों के बारे में पूछने लगा। प्रकाश उसकी बातों को टालते हुए, घुमा-फिरा कर अपना मुद्दा समझता रहा। अंत में अपस्यु जब देखा कि ज्यादा टाइमपास हो रहा है तब उसने सीधा ही पूछ दिया… "अंकल कोई काम हो तो आप सीधे भी बता सकते हैं, उसमे इतना घुमा-फीरा कर बात करने की क्या जरूरत है?


प्रकाश:- तुम भी सही हो, बात घूमाने से क्या फायदा.. बेटा मैं ये चाहता हूं कि तुम ध्रुव के पार्टनर बनो और इंडिया में हमारा ऑपरेशन देखो।


अपस्यु:- हाहाहाहा… केस नंबर 100067/68-09.. 2000 करोड़ का प्रोजेक्ट जिसपर सुप्रीम कोर्ट का स्टे है।


प्रकाश:- क्या बात है तुम्हारे पास तो पूरी डिटेल है।


अपस्यु:- अब इसपर स्टे लगाने वाले मेरे गुरुजी, सिन्हा जी। पब्लिक पटेशन वहां के लोकल एमपी का। मुझे तो हर बात पता है इस केस के बारे में।


प्रकाश:- ये हुई ना बात। फिर तो मै तुम दोनों के 50-50 के पार्टनरशिप के पेपर कल ही बनवाता हूं।


अपस्यु:- क्या अंकल मैनें कहा मै ये केस के बारे में जानता हूं, लेकिन मुझे पार्टनरशिप में कोई दिलचस्पी नहीं।


प्रकाश, थोड़ा हैरान होकर:- हम तुम्हे बिना मांगे 1000 करोड़ की पार्टनरशिप दे रहे है और तुम माना कर रहे हो। तुम अपने होश में तो हो ना।


अपस्यु:- अब मुझे नहीं करना पर्टनार्शिप, इसपर इतना जोर देने की क्या जरूरत है?


मेघा:- रहने दीजिए डैड इससे बात करने से कोई फायदा नहीं।


प्रकाश:- कमाल है, मैंने अपने बेटे कि दोस्ती को देखकर, तुम्हे भी अपना बेटे जैसा समझा। आज कल लोग 1000 रुपए के लिए भरोसा नहीं करते, मैंने 1000 करोड़ का भरोसा जताया। क्या तुम अपने दोस्त के लिए भी एक बार नहीं सोच सकते?


अपस्यु:- अंकल मैं यहां पर छोटा सा क्लैरीफिकेशन देना चाहूंगा… ध्रुव से मेरी अच्छी पहचान है जिसे दोस्त बोलता हूं। लेकिन ये मेरा वो दोस्त अभी तो नहीं जिसके लिए मेरी "ना" .. "हां" .. में बदल जाए..


ध्रुव:- अच्छा मै नहीं हूं ना, लेकिन साची बोल दे तो..


अपस्यु:- साची क्या लावणी से भी बुलवा दो… बोल दी तो मै राजी हूं…


ध्रुव साची को कॉल लगाते हुए थोड़ी सी फॉर्मल बातें किया फिर सारी बात समझाकर कहने लगा… "तुम जरा अपस्यु को कहो हमारी बात मान जाए। मै फोन स्पीकर पर डालता हूं।"


साची:- ध्रुव क्या तुम अपने दोस्त पीटर को कहोगे, की वो मेरा हिंदी का असाइनमेंट पूरा कर दे?


ध्रुव:- लेकिन वो ये कैसे करेगा?


साची:- तो फिर अपस्यु भी कैसे करेगा। मैं नहीं बात कर सकती उससे इस बारे में .. तुम जो काम कह रहे हो उसे आना भी तो चाहिए। अब वो मेरे साथ साहित्य पढ़ रहा है और तुम उसे सीईओ बना रहे हो। मना तो करेगा ही। सॉरी, तुम्हारी खुद उससे बात होती है सो खुद बात कर लो।


सब लोग उनकी बात सुन रहे थे। साची की बात सुनकर ध्रुव थोड़ा खुश भी था और अपने डैड के लिए दुखी भी। दुखी मन से ध्रुव कहने लगा… "रहने दीजिए डैड, सुन तो आपने भी लिया होगा।"


प्रकाश:- अपस्यु बेटा बस एक बात का जवाब दे दो…


अपस्यु:- जी अंकल प्लीज कहिए ना..


प्रकाश:- हमसे चूक कहां हो गई जो हम तुम्हारी बात को समझ नहीं पा रहे या फिर तुम हमारी बात नहीं समझ रहे? क्योंकि 1000 करोड़ की डील किसी को भी दू वो भी उसके बिना एक पैसा लगाए, तो वो मेरी आरती उतार लेगा..


अपस्यु:- सर यहीं आप चुक कर रहे हैं और शायद इसी सोच के साथ मेघा भी चूंक कर रही है। देखिए सर आप ने मुझे जाने बिना मुझे लेकर योजना बना लिए, कम से कम पूछ तो लेते की मै क्या चाहता हूं। अभी जो आप ने साची से सुना वो मै पहले से जानता था, इसका आसान सा कारन है कि मै अपने दोस्त को जानता हूं। ठीक वैसे ही आप कुंजल, ऐमी, मेरी मां या मेरे भाई से पूछ लीजिए मै उन्हें जनता हूं।


प्रकाश:- हम्मम ! सॉरी अपस्यु हम समझ गए तुम क्या कहना चाह रहे हो। अब मै तुमसे बस तुम्हारी राय जानना चाहूंगा, क्या वो प्रोजेक्ट इंडिया में मेरे बेटे को करना चाहिए और क्या इस प्रोजेक्ट में तुम उसकी मदद करोगे।


अपस्यु:- कॉस्मेटिक रॉ मेटेरियल की फैक्ट्री, 2000 करोड़ के लागत की, और समस्या पॉलिटिकल। कोई अनैतिक काम नहीं है यदि मै इस प्रोजेक्ट को शुरू करवाने में हेल्प करूं। आपका काम हो जाएगा सर, लेकिन ध्रुव को उसके लिए इंडिया आना होगा। और हां सब काम के अंत में मुझे मेरा मेहनताना 2 करोड़ मिल जाना चाहिए।


प्रकाश:- तुम भी कमाल के हो अपस्यु... वाकई जों काम बिल्कुल सीधा था उसे हम जबरदस्ती घुमा रहे थे। बस एक बात चुभ रही है उसका भी जवाब देते जाओ..


अपस्यु:- क्या सर?


प्रकाश:- तुम 1000 करोड़ के ऑफर को ठुकराकर ये 2 करोड़ के लिए क्यों काम कर रहे हों?


अपस्यु:- सर मेरे पास लगभग 400 करोड़ है और मार्केट में अपनी एक पहचान है। फ्यूचर को लेकर मेरी अपनी प्लैनिंग है, फिर मै किसी की पार्टनरशिप क्यों लूं। 2 रुपया कम कमा लूंगा लेकिन सुकून से अपना काम तो करूंगा। पार्टनरशिप नहीं चाहिए सर, बस सुकून की नींद चाहिए। अपना फंडा बहुत साफ है।


प्रकाश:- वाह क्या बात कही है..


मेघा:- आप लोगों का हो गया हो तो मै अपस्यु के साथ अपनी एक प्राइवेट मीटिंग कर लूं.. कल के कुछ प्लैनिंग है मेरे भी इसके साथ और मैंने भी डैड इसे आप के तरह ही डील किया था।


प्रकाश:- कौन सा डील?..


अपस्यु:- अंडरग्राऊंड फाइटिंग..


ध्रुव:- व्हाट, अंडरग्राऊंड फाइटिंग.. सीस आप ये इसे कहां फसा रही हो?


अपस्यु:- ध्रुव भाई आप बहुत भोले हो। कोई बिना मेरी मर्जी के काम करवा सकता है क्या? फिलहाल इजाज़त चाहूंगा, मुझे एक जगह जाना हैं। मेघा यदि बुरा ना मानो तो मैं एक पार्टी अटेंड कर आऊं फिर बात करते हैं उसपर..


मेघा:- मै इंतजार में हूं,..


अपस्यु अपनी बात कहकर निकल गया और उसी के साथ प्रकाश और मेघा बैठकर अपनी बेवकूफी पर हंस रहे थे, साथ में अपस्यु को नमूना बुलाते हुए कहने लगे… " आज भी ऐसे बेवकूफ हैं जो 1000 करोड़ को छोड़कर बस 2 करोड़ के पीछे परे रहते हैं।


ध्रुव उन सब की सोच पर हंसते हुए कहने लगा…. "हंसी आती है आब सबकी सोच पर। शायद किसी ने उसके लोंग टर्म विजन को नहीं देख पाया। हैरानी होती है आप सबकी बातों पर।"..


अपस्यु जिंदल हाउस से निकलकर सीधा उस दुकानदार की पार्टी में पहुंचा जिसने उसे इन्वाइट किया था। अपस्यु अमेरिकन कल्चर के हिसाब से अपने साथ एक सेमपैन की बॉटल लिए गया।


यह एक छोटी सी थैंकसगिविंग पार्टी थी जो अपस्यु को उस स्टोर मैनेजर ने दिया था, जहां उस स्टोर के मैनेजर के साथ उसकी बीवी भी थी। दोनों ने काफी खुशी जाहिर करते हुए अपस्यु का स्वागत किया। तीनों के बीच काफी देर तक बातों का सिलसिला चलता रहा। अपस्यु इन लोगों में मिलकर काफी हुआ, दोनों बहुत प्यारे और काफी रोमांटिक कपल थे।


अपस्यु बातों ही बातों में फिर अपनी छिपी फैंटेसी भी जाहिर करते हुए, उस स्टोर मैनेजर से अप्रत्यक्ष रूप से, बैट मैन की उस आेरीजनल सूट के बारे में पूछने लगा जिसकी उसे इक्छा थी। अपस्यु के इस सवाल पर वो स्टोर मैनेजर ने हंसते हुए बताया की "यह अमेरिका है, और यहां कुछ भी संभव है।"


अपनी बात कहता वो स्टोर मैनेजर कुछ घटनाएं बताना शुरू किया जहां कुछ सुपर हीरो के दीवानों ने ऐसे ही सूट को बनाने की कोशिश की थी। बातों के दौरान यह भी पता चला की लगभग वैसा सूट जैसा फिल्म में दिखाया गया है, वो तो संभव नहीं लेकिन अंधेरी गलियों में कुछ लोग हैं, जो कुछ खास मेटेरियल की ऐसी सूट तैयार कर सकते है, जिसे एक इंच के फासले से भी चलाया जाए तो वो सूट कई बुलेट की मार झेल जाएगा।


अपस्यु उसकी हर बात को ध्यान से सुनता रहा। कुछ देर तक इन्हीं विषयों पर बात करने के बाद किसी अन्य विषय पर चर्चा शुरू हो गई। तीनों ही बात करने के बाद डिनर किए और फिर अपस्यु उन दोनों से विदा लेते हुए जिंदल हाउस लौट आया।


अभी वो गेस्ट हाउस में पहुंचकर कपड़े बदला ही थी उसके दरवाजे पर दस्तक हुई और जैसे ही उसने दरवाजा खोला, सामने से 2 हॉट और क्यूट बला उसके कमरे में प्रवेश की और अपस्यु के इर्द गिर्द नाचकर उसे रिझाने लगी। इसी क्रम में उन दोनों ने एक-एक करके अपने बदन से कपड़े उतारती जा रही थी और दोनों आपस में ही काम-लीला कि कई सारे करतब करती जा रही थी।


अपस्यु दोनों को देखकर हसा और दोनों को वहां से अपने कपड़े उठाकर जाने के लिए बोल दिया। अपस्यु के ऐसा कहने के बावजूद भी दोनों उसके ऊपर आकर लिपट गई। अपस्यु ने दोनों को ही कुछ पैसे थामा दिए और शक्त वार्निंग देते हुए दोनों को बाहर का रास्ता दिखा दिया।


उन दोनों के जाने के थोड़े देर बाद ही मेघा उस गेस्ट हाउस में पहुंची। बिना कोई नॉक किए वो अपनी चाभी से दरवाजा खोलकर अंदर दाखिल हुई और दरवाजे को लॉक कर ही रही थी… "इसे चोरी से आना कहते है।"


अपस्यु अपने बिस्तर पर लेटा हुआ मेघा को देखकर कहने लगा.. मेघा उसके करीब आती अपने ऊपर से अपना ओवर काेट उतारकर नीचे फेकती हुई बिस्तर पर चढ़ गई… "आज चोरी के साथ सीनाजोरी भी होगा".. मेघा उसे आंख मारती हुई कहने लगी…


अपस्यु, फुर्ती से बैठकर मेघा को बिस्तर में पटक दिया और उसके ऊपर आकर अपने चेहरे को बिल्कुल उसके चेहरे के करीब ले जाते हुए कहने लगा… "यहां चोरी किसने की, और सीनाजोरी कौन करेगा, कुछ अंदाजा भी है तुम्हे"..


इतना कहते हुए अपस्यु ने उसके होंठ को काटते हुए उसे एक वाइल्ड किस्स किया। दोनों के होंठ पूरे गीले हो चुके थे और जीभ कामुक रसपान कर रहा था। किस्स के बीच में ही मेघा पलटकर ऊपर आ गई और अपस्यु के कमर पर बैठ कर अपनी ब्रा का हुक खोलती हुई कहने लगी… "यहां सीनाजोरी तो सिर्फ मेरी ही चलेगी"… कहते हुए मेगा अपस्यु के दोनों हाथ ऊपर उठाकर अपने स्तनों से टीका दी।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
मजा आ गया अपस्यू का चुतियापा देखकर
क्या गेम खेल रहा हैं भाई
कोई सपने में भी कुछ सोच नहीं सकता हैं कि यहीं सब की गेम बजा रहा हैं और सबके साथ गेम खेल रहा हैं
ये बंदा किस मिट्टी का बना हैं भाई
 

Zoro x

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इतना कहते हुए अपस्यु ने उसके होंठ को काटते हुए उसे एक वाइल्ड किस्स किया। दोनों के होंठ पूरे गीले हो चुके थे और जीभ कामुक रसपान कर रहा था। किस्स के बीच में ही मेघा पलटकर ऊपर आ गई और अपस्यु के कमर पर बैठ कर अपनी ब्रा का हुक खोलती हुई कहने लगी… "यहां सीनाजोरी तो सिर्फ मेरी ही चलेगी"… कहते हुए मेगा अपस्यु के दोनों हाथ ऊपर उठाकर अपने स्तनों से टीका दी।


"उम्मम ! परफेक्ट साइज मेघा, लेकिन इस जोड़ आजमाइश में तुम कहीं पागल ना हो जाओ"… कहते हुए अपस्यु ने अपने दोनो हाथों की पकड़ मजबूत की, और स्तनों को हाथो में भरकर उसपर अपने मुट्ठी की जकड़ को धीरे-धीरे कसने लगा। मेघा बढ़ती पकड़ के साथ मज़े से छटपटाहट कि ओर बढ़ने लगी। हाथों की जकड़ इतनी मजबूत हो चली की स्तनों पर हाथ का दवाव मेघा से झेलना मुश्किल हो गया।


मेघा अपस्यु के दोनों हाथ पकड़ती स्तनों को छोड़ने की मिन्नतें करने लगी, लेकिन अपस्यु अपने ऊपर चढ़ी मेघा को पल भर में बिस्तर पर पटकते हुए उसके ऊपर बैठ गया और उसके वक्षों को अपने हाथ की कैद से आज़ाद करते हुए अपने टी-शर्ट को उतारने लगा। स्तन जैसे ही कैद से आज़ाद हुए वो पूरी तरह से लाल हो चुका था, ऐसा लगा जैसे स्तन जल रहा हो। मेघा अपने स्तन पर हाथ फेरती अपस्यु को देखने लगी।


अपस्यु बिल्कुल नंगे बदन मेघा के होठों को एक बार और चूमा, फिर नीचे आते हुए उसके पैंटी को निकालकर दोनों पाऊं को पूरा खोल दिया। मेघा अब भी अपने स्तनों को सहलाकर जलन कम करने की कोशिश कर रही थी इसी बीच उसकी तेज चींख निकल गई जब अपस्यु उसके क्लीट से खेलते हुए अपने नाखून से खुरच दिया।


अभी तो मेघा को मज़ा मिलना शुरू हुआ था और उसी बीच अपस्यु ने फिर से दर्द दे दिया। मेघा उठकर बैठ गई और अपस्यु को खींचकर एक थप्पड जड़ दी। अपस्यु मेघा की आखों में देखते हुए उसके बाल को अपनी मुट्ठी में भींचा और अपने होंठ उसके होंठ से लगा कर चूमने लगा। इस बार मेघा पलटवार करती अपस्यु के होंठों को इतना तेज काटी की अपस्यु अपने होंठ छुड़ाकर उसे धक्का देकर लिटा दिया और अपने लोअर को नीचे करके पूरे झटके के साथ अपना लिंग उसके योनि के अंदर डाल दिया।


मेघा इस झटके के लिए तैयार नहीं थी, उसे लगा जैसे योनि के अंदर लिंग बहुत ही जलिम तरीके से अंदर डाल दिया गया था, बिना योनि को तैयार किए। बिना गीली योनि में जब अपस्यु ने झटके में पूरा लिंग घुसेड़ दिया, मेघा की दर्द भरी सिसकी निकल गई और वो पूरी तरह से छटपटा गई। अपस्यु बिना रहम किए लिंग को पूरी तरह से झटके देनें लगा और मेघा हर झटके के साथ छटपटाती हुई सिसकती चली गई।


लेकिन अपस्यु बिना कोई रहम दिखाए हर झटके के साथ मेघा को सिसकियां निकलने पर मजबुर करता रहा। धीरे-धीरे झटकों और दर्द के बीच रोमांच भी आना शुरू हो चुका था। मेघा की सिसकियां अब सिक्सकरियों में तब्दील होना शुरू हो चुकी थी और इसी के साथ मेघा भी अपने कमर को हिला कर पूरे झटके का आनंद उठाने लगी।


अभी आंनद के पल शुरू ही हुए थे कि अपस्यु ने फिर से उसके स्तनों पर जोर आजमाइश शुरू कर दी। पहले के जकड़ से अब भी पूरा स्तन लाल ही था और उसपर पुनः अपस्यु ने एक बार और अपने दोनों हाथ की मजबूत जकड़ बनाते हुए अपने लिंग को पूरे जोश के साथ योनि के अंदर तक झटके मारने लगा।


ऐसा लग रहा था जैसे वो अपनी कमर को आगे पूरे जोश से झटके देने के लिए उसके स्तनों के पकड़ का ही पूरा सहारा ले रहा हो। मेघा दर्द और रोमांच के बीच पागल हो उठी। दर्द के साथ-साथ वासना कि लहर एक साथ उसके बदन में दौड़ने लगी और कुछ ही झटकों के बाद वो तेज-तेज चिल्लाती हुई फारिग हो गई।


लेकिन अपस्यु अब भी उसके स्तनों पर अपना पूरा पकड़ बनाए झटके देता रहा। मेघा अब और ज्यादा धक्के नहीं झेल सकती थी इसलिए वो अपस्यु के ओर देखती हुई मिन्नतें करने जैसी शक्ल बना ली। अपस्यु उसकी शक्ल देखकर हंसते हुए एक और तेज झटका मारा और अपने लिंग को बाहर निकालकर बिस्तर पर चढ़ गया।


मेघा बैठती हुई, खड़े अपस्यु के खड़े लिंग को अपने हाथ में लेकर उसे आगे पीछे करने लगी। थोड़ी देर वो अपने हाथों से उसके लिंग को आगे-पीछे की ही थी, कि अपस्यु उसके बाल को मुट्ठी में पकड़ कर भींचते हुए उसके चेहरे को अपने लिंग के ऊपर पूरा घूमने लगा। मेघा किसी गुलाम कि तरह अपने मालिक की मनसा को समझते हुए लिंग को पहली बार मुंह में ले ली। जैसे ही उसने लिंग को मुंह में ली, अपस्यु उसके बाल को पकड़ कर मुंह के अंदर ही झटके देने लगा।


लिंग के झटके मुंह में ऐसे थे जैसे दम घोंट रहा हो। लार से मेघा का मुह से लेकर छाती तक गीली हो चुकी थी और इसी बीच अपस्यु मुंह में झटका देते हुए उसके बालो को तेजी से भींचा और पूरा लिंग मुंह के अंदर डाले रहा। मेघा बहुत कोशिश की लिंग को बाहर निकालने की लेकिन अपस्यु तबतक अपनी जकड़ बनाए हुए था, जबतक वो पूरा ढीला परकर वहीं बिस्तर पर लेट नहीं गया।


अपस्यु के छोड़ते ही मेघा खांसती हुई सीधा वाशरूम में भाग गई। ना जाने कितनी देर तक वो गरारा करती रही। बदन उसका पूरा चूर हो चुका था वो सीधे अाकर अपस्यु के पास ही लेट गई… "उफ्फ !! जानलेवा था ये अपस्यु, आज से पहले मै कभी इतना नहीं टूटी।"


अपस्यु:- कल की बात करे, या रात भर सेक्स ही करना है।


मेघा:- नहीं अब हिम्मत नहीं बची। अब करोगे तो सेक्स नहीं मेरा रेप हो जाएगा।


अपस्यु:- हाहाहाहा… और करो सीनाजोरी।


मेघा:- माफ़ करो बाबा अब नहीं करना सीनाजोरी, खैर मै ये कह रही थी इस वक़्त मुझे पैसों की जरूरत है तो क्या तुम अपनी बेटिंग से साइड हो सकते हो, प्लीज..


अपस्यु:- अच्छा ! और इसमें मेरा क्या फायदा होगा।


मेघा:- 1000 करोड़ का फायदा दे तो रहे थे डैड तब तो नहीं लिया तुमने…


अपस्यु:- हां तो उसी 1000 करोड़ में से अपनी जरूरत भी पूरी कर लो। 5 मिलियन की बीटिंग करोगी, मेरे चेहरा देखकर तुम्हे शायद 3 गुना की बेटिंग मिले , हिसाब लगा लो 105 करोड़ के लगभग होगा।


मेघा:- मुझे अपनी गलतियों की वजह से 150 करोड़ का घाटा कंपंसेट करना है।


अपस्यु:- हम्मम !!! रकम 3 गुनी कर दो। 15 मिलियन कि बेटिंग लगाओ, और मुझे बस 62 करोड़ दे देना।


मेघा:- हीहीही.. मतलब तुम्हे भी पैसों की जरूरत है।


अपस्यु:- जरूरत किसे नहीं होती। यूएस ट्रिप में बहुत खर्च हो गए, अब जब फाइट लड़ रहा हूं तो प्रॉफिट निकाल कर ही जाएंगे। तुम बस जीत के बाद सुरक्षा इंतजाम देख लेना, यूएस में तो 1000 डॉलर के लिए लोग कत्ल कर देते है और हम बात कर रहे हैं लगभग 30 से 45 मिलियन की।


मेघा:- नहीं जीत की रकम हम 50-50 करेंगे.... तुम जैसे पार्टनर को नाराज करना गलती हो सकती है मेरी। रही बात सुरक्षा कि तो शिकागो में हमारे रास्ते कौन आएगा।


अपस्यु:- अब वन टाइम डील में क्या खुश करना और क्या ही नाराज करना मेघा, कल का काम खत्म और ठीक होने के बाद इंडिया वापसी।


मेघा:- डील वन टाइम से ही शुरू होती है, किसे पता ये रिश्ता कहां तक हमे पहुंचा दे।


अपस्यु:- हाहाहाहा.. घमंड से चतुराई तक.. क्या बात है। चलो गुड नाईट। एक अच्छी नींद ले लूं।


अगले दिन दोपहर के 2 बजे…


मेघा बिल्कुल जहरीली लूक में तैयार थी, बिल्कुल गुरूर में चूर एक लड़की जिसने अपने कपड़े और सेक्सी लुक के ऊपर काले रंग का चस्मा डाल रखा था। साथ में 8 गनमैन की एक टीम, एक बड़ी सी लिमो जिसके अंदर मेघा और अपस्यु थे, 4 गार्ड और 1 ड्राइवर के साथ 1 गाड़ी आगे और 1 गाड़ी पीछे चल रही थी।


8 लेन की सड़क से होते हुए गाड़ी फिर डबल लेन की सड़क पर पहुंची और फिर एक भीड़-भाड़ वाले इलाके से अंदर घुसते चले गए। थोड़ा और अंदर के ओर आते हुए गाडियां एक सुनसान गली में घुसी जिस गली में एक इंसान भी सड़क पर नहीं था। उस गली के पार्किंग में सारी गाडियां रुकी।


मेघा को लेने के लिए कुछ लोग पार्किंग के साइड डोर से पहुंच चुके थे। एक आदमी दरवाजा खोलते हुए अदब से झुका और "वैलकम" मैडम कहते हुए उससे उतरने का आग्रह करने लगा। मेघा लिमो से नीचे उतरी और अपने एक ड्राइवर के ओर बस वो अपनी गर्दन घुमाई और उस ड्राइवर ने वहां आए अभी लोगों को मुट्ठी भर पैसे थामा दिया।


मेघा का पुरा हुजूम उसके इर्द गिर्द था, मेघा और अपस्यु दोनों बीच से चल रहे थे.. पार्किंग के दरवाजे से दोनों जैसे ही अंदर हुए, वहां का संचालक खुद खड़ा था। मेघा ने अपस्यु के ओर इशारा की और वो आदमी अपस्यु को अपने साथ चलने का इशारा किया। अपस्यु को एक छोटा प्राइवेट रूम देते हुए वो कहता चला कि फाइट के लिए तैयार होकर अपने कॉल का इंतजार करे।


इधर मेघा अपस्यु को फाइटर रूम भेजकर खुद ऊपर चली आयी जहां मेघा के जैसे 8-10 लोग बैठे हुए थे और सामने चल रहे फाइट पर पैसा लगा रहे थे। मेघा भी चेयर पर बैठकर सिगरेट जलाई और उसका एक कस खींचती हुई कहने लगी…. "थॉमस हारने के लिए तैयार हो।"..


थॉमस:- लगता है अपनी पिछली हार का सदमा बर्दास्त नहीं कर पाई, पिछला फाइटर तो फिर भी ठीक था, इस बार ये चुजे को कहां से पकड़ लाई हो?


मेघा:- मै तो चुजा लाई हूं, तू तो शेर लाया है ना…


थॉमस फाइटर चेंबर के स्क्रीन को दिखाते हुए… "मैं शेर नहीं चिता लाया हूं वो भी 320 पाउंड का। ज़िकोब याद है ना, आज मेरे ओर से लडने वाला है। इसकी स्पीड, टेक्नीक और भीमकाय शरीर के आगे कहीं दम ना तोड़ दे तेरा चूजा।


मेघा:- साथ में पैसे तो लेकर लाया है ना थॉमस, पिछली बार गाड़ी तक छोड़कर जाना परा था।


थॉमस:- तुम्हे क्या लगता है मेघा तुम्हारा ये फाइटर रिंग में 1 मिनट से ज्यादा टिक पायेगा क्या?


मेघा:- ओह कम ऑन थॉमस, जाकर चिल्लर बटोर लाओ, वरना क्या फायदा इतने बेस्ट फाइटर को लड़वाने का जिसे तुम पैसे भी ना दे पाओ। या फिर कहीं से मां का यार उठा लाया है जो बिना पैसे के दिए ही लड़नेवाला है।


थॉमस:- वेट एंड वॉच डार्लिंग, अभी पता चल जाएगा कि ये किसके मां का यार है।


इतना कहकर थॉमस उठा और एक ग्लास टोस्ट करके मेघा और अपने फाइटर को दिखाते हुए कहने लगा.. "दोस्तों ओपन बेटिंग है 3 टाइम्स की। जो-जो मेघा के ओर से लगाना चाहते है उसके साथ चले जाए, बाकी सब मेरे साथ। कुछ ही देर में माहौल ही कुछ अलग था। थॉमस के साथ पैसे लगाने वाले लोग 30 मिलियन तक की बेटिंग लगा चुके थे, और मेघा के ओर से केवल इकलौता बंदा था।


इतने की बेटिंग देखकर मेघा को पसीने आने लगे। वो अपने साथ वाले आदमी से कुछ बातचीत की, मेघा उसके साथ 15 मिलियन ही लगाने के लिए तैयर थी, वो मेघा की चिंता को दूर करते हुए बेटिंग एक्सेप्ट करने बोल दिया। मेघा ने फिर दोबारा नहीं सोचा और बेटिंग एक्सेप्ट ली। दोनों पार्टी के 30 मिलियन डिपोजिट हो चुके थे और सबके चेहरे पर चिंता कि लकीरें दिखने लगी थी।


90 मिलियन की रकम, जीत का कोई एक दावेदार और श्वांस कई लोगों के अटके हुए। तभी नीचे की कमेंट्री बॉक्स से एक झन्नाटेदार अनाउंसमेंट हुई, नेक्स्ट फाइट के फाइटर की स्क्रीन डिस्पले होने लगी। रिंग के आसl-पास की भीड़ अपने चाहिते फाइटर को देखकर हूटिंग करने लगे, वहीं उसके विपक्षी की देखकर उल्टी प्रतिक्रिया दे रहे थे।


मैनेजमेंट बेटिंग काउंटर खुला और लोगों की भीड़ अपने चाहिते फाइटर की जीत सुनिश्चित कर चुकी थी। फाइनल बेटिंग रेट, 1 का 10 अपस्यु और दूसरे फाइटर ज़िकोब का 1 पर 1.20 का रेट था। बेटिंग का आलम ये था कि 1000 डॉलर अपस्यु पर लगे थे और 2 लाख डॉलर की बेटिंग जिकोब पर। वहां की मैनेजमेंट भी की मेघा को ही घूर रही थी जिसे अपने 40k डॉलर का नुकसान अभी से दिख रहा था।


अजीब सी म्यूज़िक, रौशनी कुछ देर के लिए बंद और आतिशबाजी के बीच जिकोब रिंग ने पहुंचा। लगभग सभी लोग का वो चहेता, और आज तो हर किसी ने उसपर ही पैसे लगाए थे.. भला अपने फाइटर के मनोबल बढ़ाने के लिए हूटिंग क्यों ना हो… पब्लिक पागलों कि तरह चिल्ला रही थी…


अब लोगों के नजरों के सामने से चला आ रहा था अपस्यु.. लोग एक बार जोकोब को देख रहे थे और एक बार अपस्यु को। दोनों को देखकर लोग तुलना करने लगे और ऐसा लग रहा था कि जियांट ट्रुक के सामने पिद्दी सी कार की भिड़ंत होने वाली है जिसके पुर्जे तो पहले से ढीले है… लोगों ने "बू, बू," करते हुए अपस्यु का स्वागत किया।


दोनों ही फाइटर एक केज के अंदर अामने-सामने थे। दोनों एक दूसरे को देख रहे थे जहां ज़िकोब अपस्यु को देखकर उसके फाइटिंग स्टाईल और उसकी स्पीड को देखकर अंदाजा लगाने की कोशिश कर रहा था कि ये कितना तेज हो सकता है और उसे कितना डामेज दे सकता है। और वहीं अपस्यु उसे देखकर बस यही सोच रहा था.. "ओवर कॉन्फिडेंस ले डूबी। बिना रोड चलाए इससे जितना संभव नहीं।"…
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
मेघा के तों होश हीं उड़ गए बेटिंग देखकर इतना पैसा तो वो लेकर भी नहीं आई थीं वहीं मेनेजमेंट टीम मेघा को घुर रहीं थीं उन्हें लग रहा था यह मेघा आज उन्हें कंगाल करके हीं छोड़ेंगी सोचना ग़लत भी हो नहीं हैं ना गोरिल्ला के सामने आदमी की क्या ताकत
जैसे की सबको साफ दिख रहा था भाई
लेकिन बाजी उल्टी पड़ने वाली हैं
मजा आयेगा भाई इस फाइट में
 

Zoro x

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Update:- 84 (A)




दोनों ही फाइटर एक केज के अंदर अामने-सामने थे। दोनों एक दूसरे को देख रहे थे जहां ज़िकोब अपस्यु को देखकर उसके फाइटिंग स्टाईल और उसकी स्पीड को देखकर अंदाजा लगाने की कोशिश कर रहा था कि ये कितना तेज हो सकता है और उसे कितना डामेज दे सकता है। और वहीं अपस्यु उसे देखकर बस यही सोच रहा था.. "ओवर कॉन्फिडेंस ले डूबी। बिना रोड चलाए इससे जितना संभव नहीं।"…


पूरी भीड़ हूटिंग कर रही थी। ऊपर से देखने वालों में मेघा ग्रुप थोड़े शांत और थोड़े परेशानी में, वहीं धड़कने तो थॉमस ग्रुप की भी बढ़ी हुई थी, लेकिन अंदर से एक सुनिश्चित वाली फीलिंग भी थी कहीं ना कहीं। रिंग के अंदर दोनों ही मज़े हुए खिलाड़ी थे। जहां ज़िकोब एक प्रोफेशनल अंडरग्राऊंड फाइटर था और अपनी पूरी मेहनत वो रिंग के लिए ही करता था वहीं अपस्यु भी एक प्रोफेशनल फाइटर तो था लेकिन आज उसके भी फाइटिंग की परीक्षा हो जनी थी।


बिना जाने दुश्मन के बारे में, बिना कोई राय बनाए ज़िकोब बस पहले कुछ देर तक अपस्यु के फाइट को समझने की रणनीति बना रहा था वहीं अपस्यु आंख मूंदकर पहले अपने गुरु को नमन किया.. फिर युद्ध वंदना करते हुए उसी रिंग को रण समझ कर तिलक किया।


दोनों ही फाइटर बिल्कुल खामोश और बिना कोई प्रतिक्रिया दिए एक दूसरे को देख रहे थे… रेफ्री बीच स्टेज पर अाकर, दोनों फाइटर को बीच में बुलाया। फाइट के रूल समझते हुए सिर्फ इतना ही कहा कि "नो रूल और ये फाइट तब तक चलेगी जबतक कि या तो कोई एक हार ना मान ले या अचेत अवस्था में पूरा लेट ना जाए।


रूल समझाकर रेफरी बीच से हटा और रिंग के बाहर जाकर मैच शुरू करने का विसिल बजाया। विसिल बजते ही मैच का आरंभ हुआ और ज़िकोब ने अपस्यु को धक्का देकर 2 कदम पीछे हटा। दुश्मन को परखने कि एक तरकीब, जहां प्रतिद्वंदी को धक्का देकर उसे नीचा दिखाते हैं और उसके प्रतिक्रिया का इंतजार करते हैं।


अपस्यु जैसे ही धक्का खाया वो पीछे मुड़ा और खुद में गति देते हुए रिंग से जाल को दीवार की तरह इस्तमाल करते हुए, 3 फिट ऊंचा कूदकर अपने दोनों पाऊं रिंग पर जमाए और उसी गति का सहारा लेते हुए वह पीछे की ओर 6 फिट ऊंचा हवा में गया। अपस्यु ऊपर से नीचे गिरते हुए, अपने पंच से ज़िकोब की कनपटी पर निशाना साधा।


ज़िकोब अपने दुश्मन पर पूरा घात लगाए था, अपस्यु का पीछे मुड़ना और रिंग से कूद कर ऊंचाई प्राप्त करने में जितना वक्त लगा, इतने वक़्त में ज़िकोब अपनी जगह से थोड़ा सा और आगे बढ़ते हुए अपस्यु के सारे गणित को गलत साबित करते हुए उसे फसा चुका था।


जिस जगह अपस्यु का निशाना था, ज़िकोब ठीक उसके एक फिट आगे और अपस्यु कूद कर ज़िकोब के थोड़ा आगे पहुंच गया। ज़िकोब, अपस्यु के गति को उसी के खिलाफ इस्तमाल करते हुए पीछे से पीठ पर एक जोरदार लात जमा दिया। अपस्यु पहले से गति में था ऊपर से ज़िकोब का तेज प्रहार। अपस्यु सीधा जाकर केज से टकराया और इधर-उधर लुढ़कता हुआ नीचे गिरा।


इधर हवा में उड़ता हुआ अपस्यु को लात पड़ी और उधर मेघा की धड़कने तेज हो गई और इसी के साथ "येस येस" करते थोमस सेना खुशी के इजहार करने लगे। अपस्यु अपने उसी मुस्कुराहट के साथ उठकर खड़ा हुआ और ताली बजता हुआ ज़िकोब को बधाइयां देने लगा।


दोनों ही फाइटर पुनः बीच रिंग में एक दूसरे को देखते हुए, पूरा एक गोल चक्कर काट चुके थे। पब्लिक की भीड़ पीछे से "मारो ज़िकोब मारो" की हूटिंग करते हुए। और एक राउंड घूमने के बाद ज़िकोब थोड़ा आगे बढ़ते हुए हवा में लेफ्ट से एक पंच चलाया, जिसके बचाव में अपस्यु झुककर अपने सर को राईट में ले गया और पलटवार करते हुए उसने अपना जोरदार पंच पसलियों पसलियों पर दे मारा।


पूरा एक जोरदार पंच उसके पसलियों पर लगा, लेकिन शायद यह लूप जानबुझ कर छोड़ा गया था, क्योंकि जबतक अपस्यु अपना पंच उसके लेफ्ट पसलियों पर मारा, तबतक राईट साइड से ज़िकोब अपना दूसरा पंच मार चुका था। बहुत ही क्षण भर का मामला और अपस्यु अपने कनपटी के उस हिस्से को अपने दाएं हाथ से पूरा कवर किया, जिसपर ज़िकोब पंच मार चुका था।


ज़िकोब के हमले का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ। ज़िकोब ने अपना एक लूप छोड़कर अपस्यु पर हमले कि वो बौछार करी, जिससे अपस्यु खुद को डिफनसिव मोड पर ले जाने के लिए मजबुर हो गया। पहले राईट कनपटी सेव किया, फिर तुरंत अपनी लेफ्ट हिस्से की पालियां और इसी बीच ज़िकोब उसपर और हावी होते हुए लगातार लेफ्ट और राईट से हमले किए जा रहा था।


उसका शरीर देखकर कोई भी धोखा खा जाए कि ज़िकोब में इतनी स्पीड भी हों सकती है। वो अपनी शरीर क्षमता और ऊर्जा का पूरा प्रदर्शन करते हुए लगातार हमला जारी रखा। ज़िकोब को बस एक छोटा सा मौका चाहिए था, हमले के बीच में एक शानदार मूव का और उसे वो मौका जल्द ही मिल गया।


हमले के क्रम में जब ज़िकोब ने बिल्कुल सेंटर से उसके चेहरे पर हमला किया तब मजबूरन अपस्यु को अपने दोनों हाथ बीच में लाकर चेहरे को सेव करना परा और अच्छा मौका देखकर ज़िकोब ने तुरंत एक लात अपस्यु के पेट पर चला दिया।


वो इतनी तेजी के साथ चलाया गया लात था, कि यदि अपस्यु उसके लात से बचने के लिए, दोनों पाऊं फैलाकर नीचे बैठते हुए उसे अपने दाएं कंधे पर नहीं झेलता तो शायद उसके पेट की आंत फट जाती। कंधे पर परे इस जोरदार प्रहार से अपस्यु झटका खाकर पीछे चीत गिर गया।


अपस्यु के पाऊं एक सीधी लाइन बनते हुए पूरे फैला था और उसपर से ये कंधे के ऊपर हुए हमले से जब अपस्यु पीछे जमीन पर गिरा, यह बिल्कुल सही अवसर बना ज़िकोब के लिए। हाथ में आए इस मौके को भुनाने और अपस्यु के कुछ सेकंड के उठने कि फर्क ने पूरे खेल को एकतरफा कर दिया।


अपस्यु किसी तरह उठकर बैठा ही था कि तबतक ज़िकोब, अपस्यु के ठीक पीछे बैठ चुका था। जैसे ही अपस्यु अपने पाऊं मोड़कर बैठा, ज़िकोब पीछे से उसके गर्दन को पकड़कर अपने मौत के सिकंजे में ले चुका था। ज़िकोब अपनी मजबूत भुजा उसकी गर्दन में फंसाकर अपस्यु को अपने ऊपर ले लिया और खुद वो नीचे लेटेते हुए, अपस्यु के दोनों पाऊं में अपना पाऊं फंसाकर, उसे पूरी तरह बेबस करने कि स्तिथि में ले जा रहा था।


इस मूव के लगते ही मेघा चौंककर खड़ी हो गई। मौत का सिकंजा अपस्यु के गले में फसा था और श्वांस मेघा की बंद होने लगी। इधर थॉमस एंड कंपनी लगभग जीत के सेलिब्रेशन में लगे थे।


अपस्यु के गिनती के हिसाब से 12 सेकंड हुए थे। अपस्यु उसकी इस मूव पर मुस्कुराया और पहली बार उसे ऐसा लगा जैसे सब पहले से पूर्वानुमान हो। वक़्त था एक छोटे से सरप्राइज का। अपस्यु अपना हाथ फरफराते हुए ऊपर गर्दन कि ओर लाया और बड़े ही शातिराना अंदाज़ में ज़िकोब के हाथ के ऊपर अपना हाथ मारते हुए उसकी छोटी उंगली ढूंढ़ने लगा। जैसे ही छोटी उंगली मिली, वक़्त था पूरे जोर से एक छानिक हमला करने का। अपस्यु ने तेजी के साथ झटका दिया और उसकी छोटी उंगली उल्टी घूम गई।

ज़िकोब को इस प्रकार के हमले कि कतई उम्मीद नहीं थी, उसे तो लग रहा था अपस्यु अपने केव्नी से उसके पेट के लेफ्ट और राईट साइड हमला करेगा। अचानक इस सरप्राइज मूव से ज़िकोब अपने हाथ खोलते हुए उंगली को झटकने लगा और इधर अपस्यु फुर्ती के साथ उठकर खड़ा हो चुका था।


ज़िकोब भी अपनी उंगली झटकते हुए खड़ा हुआ। इतना वक़्त काफी था अपस्यु में लिए और जबतक वो उंगली झटककर सामने देखता, अपस्यु थोड़ा पीछे होकर गति लेते हुए हवा में कुछ फिट ऊंचा उछला और अपना फाइनल पंच उसके कनपटी के नीचे चला दिया।


फाइनल पंच के लगते ही ज़िकोब को ऐसा झटका लगा कि उसका सर थोड़ा घूम गया। अपस्यु अपने पूरे क्षमता के साथ हमला शुरू कर चुका था। लेफ्ट और राइट दोनों ओर से तेजी के साथ प्रहर शुरू थी। ज़िकोब पहली बार उसकी गति और मारने कि क्षमता को मेहसूस कर रहा था। अपस्यु पूरे अटैकिग मोड पर चल रहा था और ज़िकोब खुद को डिफेंस कर रहा था।


ज़िकोब समझ चुका था कि यहां अपस्यु टारगेट उसका ना तो चेहरा कर रहा है और ना ही उसकी पसलियां। बल्कि वो बचने के लिए जो हाथों का कवर बना रहा था, अपस्यु उसी पर हमले कर रहा है, ताकि पलटवार के वक़्त उसके हाथों के वार की गति धीमी पर जाए। अंत में ज़िकोब खुद के चेहरे पर अपस्यु की मार झलने को तैयार हुआ और अपने हाथों का कवर खोलकर अपस्यु के 2 लेफ्ट और 2 राईट पंच उसने अपने चेहरे पर झेला।


इसी क्रम में ज़िकोब का जबड़ा भी थोड़ा टूटा और खून भी हल्के-हल्के आने शुरू हो चुके थे, लेकिन जो वो मौका तलाश रहा था उसे वो मौका मिल गया और ज़िकोब ने अपस्यु के कमर को पकड़कर तेजी के साथ दौड़ लगता हुआ, उसे लेजाकर जाल के टकरा दिया। वो तो जाल थी और टक्कर के साथ ही कुछ फोर्स जाल के पीछे धसने से कम पर गई, वरना लगभग 110 किलो का आदमी, 20-25 की रफ्तार से दौरते हुए किसी को दीवार से अपस्यु को टकरा देता तो काम लग जाने थे।


उतार चढाव के इस मैच में ज़िकोब ने इस बार पूरी बाजी मारते हुए, अपस्यु के होश उड़ा चुका था। टकराने के साथ अपस्यु हल्का बेसुध हुआ। उसके हाथों की गति कम पर गई और जबतक वो हाथों का कवर बनता तब तक लिफ्ट और राईट से उसे पंच पड़ने शुरू हो चुके थे। चेहरा पूरा लाल हो चुका था। मुंह से खून निकलना शुरू हो गया और श्वांस धीमी होकर अपस्यु बेजान पड़ने लगा था।


लगातार पंच मारते हुए ज़िकोब की श्वांस फूलने लगी थी। जब ज़िकोब, अपस्यु के पास से हटा, अपस्यु फिसलता हुआ नीचे जमीन में बैठकर मध्यम-मध्यम श्वांस ले रहा था। उसका चेहरा बिल्कुल खून में सना और कुछ भी पहचानने जैसा नजर नहीं आ रहा था। थॉमस और उसकी सेना खुशी मनाने लगे और मेघा से वह जीत कि रकम का इंतजाम करने के लिए कहने लगे।


यह मैच लगभग हाथ से निकाल चुका था और यदि अपस्यु ने हार नहीं मानी तो लगभग उसका खेल समाप्त ही था। ज़िकोब अपस्यु के ठीक विपरीत दूसरे कोने में बैठा बस यही सोच रहा था कि अब एक फाइनल मूव देना है। जिस पोजिशन में अपस्यु बैठा है, तेज दौड़ते हुए घुटने कि एक पूरी चोट उसके सीने पर और कहानी खत्म।


अपस्यु आंख मूंदे अब भी मध्यम-मध्यम श्वांस ले रहा था। वहां से ज़िकोब ने दौड़ लगा दी। पब्लिक उत्साह में चीखने लगे। अपस्यु अब भी अपनी जगह से हिल नहीं रहा था। कानो में उसके हवा का परिवर्तन समझ में आ रहा था। अपस्यु ने गहरी श्वांस ली, चोट खाए खून से लथपत चेहरे पर अब एक विजई मुस्कान जैसे आयी हो, और ज़िकोब अपनी दौड़ लगाकर गलती कर चुका था।


बिल्कुल नजदीक ज़िकोब हमले के लिए बिल्कुल बढ़ता हुआ और ठीक उसी वक़्त अपस्यु ने अपने दोनो हाथ जाल से टिकाया। हाथों के ऊपर जोर लगाकर अपस्यु ने अपने शरीर को गति प्रदान किया। लेटकर वो जमीन में फिसला और अपस्यु का पाऊं ज़िकोब के पाऊं से टकरा गया। अपस्यु ज़िकोब की गति और वजन का पूरा फायदा ले चुका था। पाऊं के टक्कर के साथ ही ज़िकोब बहुत ही बुरी तरह से जाल से जाकर टकराया। यह टक्कर अपस्यु के टक्कर से भी ज्यादा तेज और घातक थी।


श्वांस रोक मेघा जो खुद को हारती हुई देख रही थी, अचानक से उसके अंदर भी जोश पैदा हो गया। अपस्यु भी अपने अंदर की ऊर्जा को समेट कर खड़ा हुआ। और तेजी के साथ ज़िकोब के बाएं ओर कुछ दूरी पर खड़ा हो गया।


ज़िकोब जाल पकड़ कर खड़ा हो रहा था और अपस्यु उसके बाएं ओर से दौर लगाते, अपने घुटनों पर फिसलते हुए ज़िकोब के दोनों पाऊं को पकड़कर आगे तक फिसल गया। ज़िकोब सीधा मुंह के बल गिरा और अपस्यु के साथ एक फिट तक खिंचते हुए चला गया। अपस्यु तेजी दिखाते हुए उसका दायां पाऊं पकड़ा और निचले हिस्से जहां घुट्टी होती है वहां से पकड़ कर तेजी के साथ गोल घुमा दिया। जबर्दस्त मोच के साथ हड्डियों में हल्की क्रैक भी आ चुकी थी, और इसी मूव के साथ मेघा भी उछल परी।


मेघा का सुकून और अब अपस्यु पर हो रहे विश्वास को उसके चेहरे से साफ पढ़ा जा सकता था। बेटेल अब अपने आखरी मुकाम पर था। ज़िकोब पूरा भन्नाया जाल को पकड़ कर खड़ा हो गया और अपने दोनों हाथ खोलकर वो अपस्यु को मारने का खुला निमंत्रण देने लगा।


अपस्यु भी उसकी ख्वाहिश पूरी करने पहुंच गया। किसी पंचिंग बैग की तरह वो ज़िकोब को धुन्ना शुरू कर दिया। एक हाथ जाल को पकड़कर संतुलन बनाना और दूसरे हाथ से खुद को सेव करके, हमला भी करना वो भी अपस्यु जैसे तेज फाइटर के सामने असंभव सा काम था, लेकिन ज़िकोब के अंदर मार झेलने की अभूतपूर्व क्षमता थी और वो झेल रहा था।


ज़िकोब अपना दर्द बर्दास्त करते हुए खुद में संतुलन बनाया और जैसे ही उसके दोनों हाथ हमले के लिए तैयार हुए, उसने मौका देखा और अपस्यु के गले पर झपट्टा मारते हुए उसे अपने चौड़े पंजो के बीच दबोच लिया। अपस्यु को गर्दन से पकड़कर उसने हवा में उठा लिया। एक पाऊं ज़िकोब का घायल था इसलिए संतुलन बनाने के लिए वो अपस्यु को हवा में ही उठाए, जाल के ऊपर टिकाया और उसके गर्दन को अपने गिरफ्त में लेते हुए पूरे गुस्से से उसका गला घोंटने लगा।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
क्या गजब फाइट सीन क्रिएट किया है नैन भाई
कभी हार कभी जीत
मजा आ गया नैन भाई
 

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Update 84 (B)




ज़िकोब अपना दर्द बर्दास्त करते हुए खुद में संतुलन बनाया और जैसे ही उसके दोनों हाथ हमले के लिए तैयार हुए, उसने मौका देखा और अपस्यु के गले पर झपट्टा मारते हुए उसे अपने चौड़े पंजो के बीच दबोच लिया। अपस्यु को गर्दन से पकड़कर उसने हवा में उठा लिया। एक पाऊं ज़िकोब का घायल था इसलिए संतुलन बनाने के लिए वो अपस्यु को हवा में ही उठाए, जाल के ऊपर टिकाया और उसके गर्दन को अपने गिरफ्त में लेते हुए पूरे गुस्से से उसका गला घोंटने लगा।


वहां खड़े सभी लोग "किल… किल… किल… किल.. " की हूटिंग लगाने लगे। एक बार फिर सबकी नजर दोनों पर। कोई भी इस वक़्त जश्न नहीं मना रहा था बल्कि श्वांस थामे अब या तो अपस्यु के हार मानने या उसके मरने कि राह देख रहे थे।


ज़िकोब मानसिक रूप से अपनी उंगली तुड़वाने के लिए तैयार था, लेकिन सरप्राइज बिल्कुल भी नहीं होने वाला था। इधर 40 सेकंड गुजर चुके थे और अपस्यु बिना हलचल के आखें मूंदे हुए था। अचानक ही अपस्यु ने अपनी आखें खोली और मुस्कुराते हुए ज़िकोब को किस्स भेजा।


एक पल के लिए तो ज़िकोब का भी दिमाग घूम गया, वो सोच में पर गया ये इंसान है या कोई भूत। ज़िकोब समझ चुका था वह अभी जिता नहीं है, उसे अभी और लड़ना होगा। मानसिक रूप से वो अपने ऊपर बड़े हमले के लिए खुद को तैयार किया लेकिन ठान चुका था कि वो गर्दन नहीं छोड़ने वाला।


ज़िकोब लेकिन भूल चुका था कि ठीक से खड़े रहने के लिए कानो के सहारे से संतुलन मिलता है। और जो खेल ही संतुलन और एकाग्रता का हो, वहां कान का बचाव सबसे जरूरी हो जाता है। बिना हिले डुले अब तक जो भी एनर्जी अपस्यु बचा कर रखा था, उसमे उसने पहले अपने दोनो पाऊं की ऐड़ियों से उसके कान को घंटी की तरह बजा दिया और बिना मौका गवाए उसी पर दोबारा अपने दोनो हाथों का प्रहार भी कर दिया।


ज़िकोब मानसिक रूप से खुद को बड़े हमले के लिए तैयार तो किए हुए था लेकिन कान पर हुए इस हमले से वो खुद पर संतुलन नहीं बना पाया, उसपर से उसका चोट खाया पाऊं। वो लड़खड़ा गया। लड़खड़ाने के साथ ही उसकी पकड़ भी छूट गई और वो खुद को संतुलित करता फिर से जाल पकड़ कर खड़ा हो गया।


अपस्यु के गर्दन कि तो बैंड बज चुकी थी। दोनों एक दूसरे से लगभग 5 फिट की दूरी पर होंगे और एक दूसरे को देखकर हंस रहे थे। दोनों को ही पता था जितने के लिए अभी और मेहनत की जरुरत है। दोनों ही गहरी श्वास लेते खुद से एक बार फिर तैयार किया। एक बार फिर ज़िकोब खुद को मारने का निमंत्रण देने लगा और जाल पकड़ कर खड़ा, अपस्यु के हमले का इंतजार करने लगा।


अपस्यु ने अपने जूते खोले, 5 फिट की दूरी को 15 फिट की दूरी बनाया। ज़िकोब समझ गया कि अपस्यु अब दौर कर उसपर हमला करेगा। वो भी पूरी रणनीति बना चुका था और इस बार वो अपस्यु के गति का प्रयोग उसी के खिलाफ इस्तमाल करने की पूरी मनसा बना चुका था।


अपस्यु तेजी से दौड़ते हुए उसपर हमला ना करते हुए उससे एक फिट दाएं से जाल के उपर चढ़ गया। सबको सरप्राइज करते हुए अपस्यु अपने पाऊं के अंगूठे को जाल में फसाया और नीचे लटककर अपने दोनों हाथ की पकड़ ज़िकोब के गर्दन पर बनाते हुए उसे हवा में उठा लिया।


मौत का पहला सीकंजा ज़िकोब के गर्दन में फंस चुका था। अपस्यु सबको चौकाते हुए पहले तो ज़िकोब को गला से पकड़ कर हवा में उठा लिया, फिर अपने एक हाथ के पंजे से वो जाल को फंसाकर पूरा संतुलन बनाया। अपस्यु के एक हाथ में झूलता वो 1 क्विंटल से ऊपर का इंसान, दूसरे हाथ से जाल को पकड़कर पूरा संतुलन बनाए हुए और पाऊं को जाल के छेद से लगाए वो एक एक करके ऊपर के ओर स्टेप लेने लगा। देखने वाले पूरी हैरानी से बिना पलकें झपकाए इस हैरतअंगेज कारनामे को अपने आखों से होते हुए देख रहे थे।


गिनती के हिसाब से 20 सेकंड गुजर चुके थे। ज़िकोब भी अपना पूरा धैर्य बनाए अपने दोनों हाथ का तेज थाप जाल पर दिया, ताकि अपस्यु की पकड़ छूट सके। लेकिन उसके पंजों की पकड़ इतनी मजबूत थी कि जाल पर लगाया छोटा सा झटका उसे नीचे नहीं गिराने वाली थी। ज़िकोब जमीन से 5 फिट ऊपर आ चुका था। हाथों का दवाब उसके श्वांस को रोक रही थी। इसी क्रम में ज़िकोब हाथ के थाप से जाल पर 2 और झटके दिए लेकिन इन झटकों का कोई असर नहीं था।


अंत में ज़िकोब ने अपना पाऊं हवा में लहराया, हाथ को फिर से झटके देने के पोजिशन में लाया और तेजी से, हाथ और पाऊं का झटका जाल पर लगाया। जाल पर तेज झटका लगा और साथ ही साथ ज़िकोब का भरी शरीर भी तेजी से आगे पीछे झूलने लगा। नतीजा दोनों ही अाकर नीचे गिरे।


लड़ने के लिए दोनों फिर से खड़े ही हुए थे कि दोनों ने वीसिल साउंड सुनकर अपनी जगह खड़े हो गए। पूरी भीड़ शांत खड़ी थी और स्क्रीन पर अपस्यु को विजेता घोषित किया जा रहा था।

हार के वो क्षण स्क्रीन डिस्प्ले पर चल रहा था… ज़िकोब का पहला थाप जाल पर और पब्लिक स्तब्ध.. उसी के साथ दूसरा और तीसरा थाप एक साथ और अपस्यु के जीत कि विसेल बज गई। अंदर के खेमे में पूरा हलचल। थॉमस को ऐसा झटका लगा मानो वो अब पागल हो जाएगा।


ज़िकोब बहुत ही सनकी फाइटर था लेकिन एक अच्छे प्रतिद्वंदी की हमेशा से इज्जत करते आया था। वो अपस्यु के पास आकर उसके जीत कि बधाई देते हुए कहने लगा… "तुम बहुत किस्मत वाले निकले दोस्त, और मुझसे आज बहुत बड़ी चूक हो गई।"


अपस्यु:- फिर भी तुम ही हारते दोस्त।


ज़िकोब:- वो तो तुम्हे भी पता है कि जीत किसकी होती, बस कुछ अनचाहे मूव्स के कारन तुम मुझपर हावी हो गए, जिसके बारे में मै सपने में भी नहीं सोच सकता था।


अपस्यु:- कमाल के हो तुम ज़िकोब, और हां शायद ये फाइट मै हार जाता लेकिन किस्मत भी बड़ी चीज है दोस्त। यह किस्मत मेरे जीत की नहीं है बल्कि इस फाइट के नतीजे में कोई 1 ही जिंदा बचता इसलिए किस्मत बीच में आ गई। ऊपरवाला भी नहीं चाहता की हम में से कोई भी मरे।


"वेल सेड फ्रैंड"… ज़िकोब हंसते हुए कहा और फिर दोनों रिंग के बाहर निकलने लगे। दोनों ही दयनीय हालत में रिंग से बाहर आ रहे थे। दोनों को कई लोगों के कंधों के सहारे उनके गाड़ियों तक छोड़ा गया। इधर थॉमस, ज़िकोब से हार की वजह सुनने के बाद सीधा मैनेजमेंट के पास पहुंच गया। ज़िकोब के जिस थाप को मैनेजमेंट सबमिशन समझ चुकी थी, उसे गलत करार देते हुए वो बचने का मात्र एक मूव बता रहा था। जो कि सही भी था।


थॉमस मैच को रद्द करने और री-मैच के लिए जोड़ देने लगा। मैनेजमेंट साफ तौर पर माना करती हुई कहने लगी… "ज़िकोब मौत की सिकांजे में था और यहां के 3 थाप को हम मैच ओवर ही मानते है। फिर मैनेजमेंट के फैसले के बीच में कोई ना ही आए तो अच्छा है।"


45 मिलियन जीत के साथ मेघा अंदर से पूरी खुश थी। लेकिन बाहर से घमंड मात्र की एक छोटी सी मुस्कान लिए बस अपने जीत को अपने पार्टनर के साथ सेलीब्रेट कर रही थी। आधे घंटे के अंदर मेघा और उसके साथ पैसे लगाने वाले को अपने मूलधन के साथ जीत के 45-45 मिलियन मिल चुके थे और मेघा जीत के लिमो पर सवार अपने गंतव्य के ओर चल दी।


अपस्यु अपनी टूटी-फूटी हालात में दर्द से थोड़ा तरप रहा था। उसका पूरा चेहरा खून में भिंगा और सुजा हुआ था। मेघा, अपस्यु के सूजे और खून लगे होटों को चूमती हुई कहने लगी… "तुमने कर दिखाया हीरो, यू आर सुपर्ब"…


"पागल पहले मुझे किसी हॉस्पिटल में एडमिट करवाओ, मेरी हालात तुम्हे समझ में नहीं आ रही।"… अपस्यु बड़ी मुश्किल से बोलते हुए अपनी हालत का संज्ञान मेघा को देने लगा।


मेघा:- चिल हीरो तुमने अभी-अभी 22.5 मिलियन पैसे बनाए है। तुम्हे हॉस्पिटल जाने की क्या जरूरत, तुम्हारे लिए पूरा मिनी हॉस्पिटल मैंने मंगवा लिया है।


वाकई अपस्यु जब जिंदल हाउस के गेस्ट हाउस में पहुंचा, वहां डॉक्टर्स की पूरी एक टीम पहले से पहुंची हुई थी, वो भी सभी इक्विपमेंट्स के साथ। अपस्यु के पूरे हालत का जायजा लिया गया। जबड़े की हड्डी गई, कंधा डिस्लोकेट, एक कलाई की हड्डी में खिंचाव और उसके साथ में शरीर पर अन्य छोटे बड़े चोट। पूरा आकलन और कम से कम 20 दिन का वक़्त रिकवर होने में।


चेहरे पर कटने या फटने के निशान ना आए, उसके लिए डॉक्टरों ने किसी लेजर टेक्नीक का इस्तमाल किया और पूरे चेहरे को ही 7 दिनों के लिए कवर कर दिया, केवल नाक मुंह और आंखो के हिस्से को छोड़कर। उसके देखभाल के लिए 2 नर्स और एक डॉक्टर को वहीं रखा गया था और उसी के साथ 2 हाउस सर्वेंट भी 24 घंटे की बंटी हुई ड्यूटी पर लग गए थे।


अगले दिन दोपहर को ही लोकेश के पैसों का भी पूरा भुगतान मेघा कर चुकी थी, लेकिन मेघा को इस बार भुगतान करते हुए ऐसा लगा जैसे उसके हिस्से की प्रॉफिट तो नहीं मिली, उल्टा घाटे के नाम पर जमा पूंजी भी उससे वसूली जा रही है। रात को ही जिंदल, मेघा और हाड़विक तीनों मीटिंग के लिए बैठे, जहां इस बात पर विचार होने लगा कि इस लोकेश को कैसे तोड़ा जाए।


सबने आखरी मुहर लगाते हुए यह फैसला लिया की… "जेम्स और उसकी टीम को अपना काम करने दिया जाए। उसके होते अगर पैसों की हेरा-फेरी में आगे कोई सेंध लगता है, तो वो जेम्स के हत्थे चढ़ जाएगा और सामने से वार करने वाला छिपा हुआ इंसान हम सब के सामने होगा।


"वहीं अपस्यु है तो पूरा एडा, लेकिन यदि उसे लोकेश के साथ भिड़ा दिया जाए तो नतीजे जरूर कुछ चौंकाने वाले मिल सकते है। इसके लिए पहले अपस्यु को प्रोजेक्ट क्लियर करने देते है। पहले ध्रुव इंडिया जाकर काम को सैटल करेगा बाद में मेघा वहां का चार्ज लेगी और फिर शुरू होगी लोकेश और अपस्यु के लड़वाने की प्रक्रिया।"


ऐसा लग रहा था जैसे अपस्यु ने पूरे जिंदल परिवार के पास सिर्फ एक ही नाम छोड़ा था, जो उसके उम्मीदों कि कसौटी पर सबसे खड़ा उतरता हो। स्वस्तिका की दूरदर्शिता और योजना को सुचारू रूप के साथ आगे बढ़ने का नतीजा दिखने लगा था। कौन किसके जाल में फसा ये तो आने वाला वक़्त तय करता लेकिन यहां हर कोई अपनी योजना में सफल दिख रहा था।


इसी की एक कड़ी अभी अभी इंडिया लैंड कर चुकी थी। एंगेजमेंट की रात मनीष और राजीव के बीच के झगड़े की वजह बनी थी मनीष का व्यंग जो उसने भरी सभा में नंदनी के लिए कहा था। राजीव को ये कतई पसंद नहीं आया और वो अकेले में अपने भाई से जवाब तलब करने गया।


वहीं पर विवाद ऐसा बढ़ा की मनीष ने राजीव को वह सब कह डाला जो उसे नहीं कहना चाहिए थे। धोखे के कमाई के हिस्से में भी धोखा ही मिल रहा था। मनीष ने वो सारे खर्च पैसे का हिसाब ले लिया जो अब तक उसने यूएस ट्रिप पर खर्च किए थे। मज़ा तो तब आ गया जब इंटरनेशनल अकाउंट केवल मनीष का था जिसपर दोनों भाई के ब्लैक मनी जमा होते थे।


राजीव ने जब ब्लैक मनी का हिसाब पूछा तो जवाब में मनीष ने उसे ठेंगा दिखाते हुए कहने लगा.. "ब्लैक मनी का कैसा हिसाब। सबके पास अपने ब्लैक मनी अकाउंट है, इसमें मै क्या हिसाब दूं। तुम अपने इंटरनेशनल अकाउंट से मेरे अकाउंट में हिसाब के पैसे ट्रांसफर कर सकते हो, मुझे कोई आपत्ती नहीं।" कमाल ही हो गया था। गम पीकर राजीव अपने सलारी अकाउंट से 22 लाख का पेमेंट किया और उसके खाते में अब 12 हजार रूपए बचे थे और होटल का फाइनल पेमेंट अभी बाकी था।


अपस्यु रात के वक़्त सुलेखा के साथ कुछ बातें करने पहुंचा था और तभी उन दोनों ने ये सब सुना। भाई के धोखे से जहां राजीव स्तब्ध था, वहीं सुलेखा बुझे मन से इतना ही कह रही थी… "लगता है कर्मा भी अपना काम कर रहा है, मुझे कोई गम नहीं की बड़े भाई ने ऐसा किया। ये तो खुद राजीव के कर्म है।"..


फ्लाइट लैंड करते ही राजीव अपने ऑन ड्यूटी पर था। हालांकि उसकी अंतरात्मा उसे धिक्कारते हुए आत्मसमरपण के लिए कह रही थी, लेकिन अपने कर्मों का फल भुगतने से पहले राजीव जितना हो सकता था उतना अपने पोस्ट का इस्तमाल करना चाहता था, ताकि उसे जेल होने से पहले इतना सुकून रहे की इस जीवन में कुछ तो अच्छा किया।


होम मिनिस्टर ऑफिस आज सुबह से अपना काम कर रही थीं। इसी क्रम में कई सारे रुके फाइल्स पर मंजूरी मिल गई, वहीं इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट के लिए जमीन अधिग्रहण मामले में हुई धांधली की कई फाइल खोली गई और 20 कंपनी को सम्मन भेजा गया। इसमें सबसे ज्यादा नोटिस मायलो ग्रुप को ही भेजा गया था, जिसपर आगे स्टे लग जाता तो कंपनी औंधे मुंह नीचे गिर जाती। जिन-जिन लैंड के लिए मायलो ग्रुप को सम्मन भेजा जा चुका था वहां मायलो ग्रुप के अब तक 40000 करोड़ खर्च कर चुकी थी, जिसमे 30000 करोड़ तो बैंक से उठाया गया था।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
ये सब आपस में मिलकर क्या खिचड़ी पकाते हैं और क्या दिखाते हैं उसमें जमीन आसमान का अंतर हैं साला कुछ समझ नहीं आया की ऐसा कब और किस तरह से किया इन लोगों
 

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होम मिनिस्टर ऑफिस आज सुबह से अपना काम कर रही थीं। इसी क्रम में कई सारे रुके फाइल्स पर मंजूरी मिल गई, वहीं इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट के लिए जमीन अधिग्रहण मामले में हुई धांधली की कई फाइल खोली गई और 20 कंपनी को सम्मन भेजा गया। इसमें सबसे ज्यादा नोटिस मायलो ग्रुप को ही भेजा गया था, जिसपर आगे स्टे लग जाता तो कंपनी औंधे मुंह नीचे गिर जाती। जिन-जिन लैंड के लिए मायलो ग्रुप को सम्मन भेजा जा चुका था वहां मायलो ग्रुप के अब तक 40000 करोड़ खर्च कर चुकी थी, जिसमे 30000 करोड़ तो बैंक से उठाया गया था।


सुबह की सुर्खियों के साथ ही ब्रेकिंग न्यूज का बाजार पूरा गरम था। एक ओर विपक्ष, जमीन अधिग्रहण के मामले में सरकार को घेर रही थी तो दूसरी ओर वही विपक्ष कॉर्पोरेट को रुलिंग सरकार के खिलाफ भड़का रही थी। राजीव की जल्दबाजी ने एक ही दिन में बहुत कुछ उलट-पुलट कर रख दिया था, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। हाई लेवल की हाई वोल्टेज वाली पॉलिटिकल ड्रामा शुरू हो चुका था।


होम मिनिस्टर के ऑफिस से सारा कांड हुआ था तो सबके फोन भी होम मिनिस्टर के पास ही आ रहे थे। सम्मन भेजने के साथ ही सभी कंपनी के मालिक उग्र रूप लेते हुए पूरी सरकार को ही अंदर ही अंदर लपेटने का प्लान बना रही थी। एक ही दिन में परिस्थितियां ऐसी ही चली की संभले ना संभले।


इतने हाई वोल्टेज का ड्रामा हो और सिन्हा जी को पता ना चले। सिन्हा जी ने जैसे ही है खबर सुनी, वो तो खुश हो गए.. शाम का वक्त था, सब लोग सफर कि थकान मिटाकर जागे ही थे तभी सिन्हा जी का कॉल आ गया..


"आज मुझे कैसे फोन कर रहे है?"… आरव कॉल उठाकर थोड़ा चिढ़ते हुए कहने लगा।

सिन्हा जी:- तेरा रिश्ता सही जगह हुआ है, जैसा शॉर्ट टेंपर तू है ठीक वैसा ही तेरा ससुर था।

आरव चौंकते हुए… क्या ? आप कहना क्या चाह रहे है।

सिन्हा जी:- जल्दी घर आ जा, पूरी बात बताता हूं।

आरव तुरंत ही सिन्हा जी के घर पहुंचा और अंदर घुसते ही "अंकल, अंकल".. चिल्लाने लगा। ऐमी नीचे हॉल में ही बैठी वैभव के साथ खेल रही थी। ऐमी वैभव को अपने कमरे के अंदर भेजती हुई…. "क्या हुआ डैड को क्यों ढूंढ़ रहे हो।"..

आरव:- कुछ नहीं ऐमी, वो कुछ सीरियस पहली बुझा रहे हैं? नहीं लौटे क्या ऑफिस से अब तक।

इसी बीच सिन्हा जी अंदर आते ही कहने लगे… "क्या बातें हो रही है।"..

ऐमी:- ये आरव क्या कह रहा है?

सिन्हा जी:- उसे तो कुछ पता ही नहीं तो वो क्या कहेगा? कहूंगा तो मै। और 2-4 दिन के बाद की खबर ये है कि वरिष्ठ अधिकारी और पूर्व आईएएस ऑफिसर राजीव मिश्रा ने सुसाइड कर लिया।

आरव और ऐमी दोनों चौंकते हुए … क्या ?

सिन्हा जी हंसते हुए कहने लगे… "अरे एक पापी कम होने वाला है, और तुमलोग शॉकिंग एक्सप्रेशन दे रहे। ये तो सेलिब्रेशन का वक्त है।

आरव:- घंटा सेलिब्रेशन कुछ पता भी है आप को.. एंगेजमेंट की रात उन दोनों भाइयों में झगड़ा हुआ था और मनीष मिश्रा ने राजीव मिश्रा को धोखा दिया। वहीं से उसका ह्रदय परिवर्तन हो गया।

सिन्हा जी:- बड़ी-बड़ी बातें तू कबसे करने लग गया। ससुर के जाने का गम अभी से हां।

ऐमी:- डैड पहले आप पूरी बात बताएंगे हुआ क्या है?


सिन्हा जी आज सुबह से हुए पॉलिटिकल किस्से को उन दोनों के सामने रखते हुए कहने लगे… "राजीव मिश्रा ने अपने भाई के धोखे कि खुन्नस के चक्कर में ऐसी जगह उंगली कर दी कि अब पहले उसकी नौकरी जाएगी और कुछ दिनों बाद उसकी जान। कल तक तो उसके घर में पुलिस से लेकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, एंटी करप्शन ब्यूरो और ना जाने कौन-कौन सी एजेंसी छापे मारे।


आरव:- जरूर मेरा ससुर अपस्यु से बात किया होगा तभी सुबह से आराम करने के बदले अपनी कब्र खोदने में लगा है।

ऐमी:- डैड आप होम मिनिस्टर से मिलकर ये मैटर अभी सलटाकर आएं।

सिन्हा जी:- इस विषय पर होम मिनिस्टर से तो मै मिल ही रहा हूं, लेकिन सॉरी राजीव मिश्रा का विषय भी उठा तो मै कुछ नही करने वाला।

ऐमी:- मै राजीव मिश्रा को होम मिनिस्टर ऑफिस में बने रहते देखना चाहती हूं, इसलिए आप उसे सेव करेंगे और मुझे नहीं लगता कि आप के लिए यह काम मुश्किल होगा।

आरव:- लेकिन ऐमी..

ऐमी:- बस !! नो मोर डिस्कशन.. डैड जो बोला वो कीजिए वरना मजबूरन मुझे ये मामला अपने हाथ में लेना होगा।

सिन्हा जी:- हम्मम ! ठीक है मै होम मिनिस्टर से बात कर लूंगा। इस मुद्दे पर मध्यस्थता भी करूंगा, लेकिन क्या राजीव कल को फिर कोई ऐसी हरकत ना करे उसकी जवाबदेही है कोई..

आरव:- मेरा आश्वाशन है आप को, जैसा होम मिनिस्ट्री ऑफिस चलता आ रहा था ठीक वैसा ही चलेगा।

ऐमी:- ठीक है तो फिर यह तय हुआ, आप दोनों अपना काम खत्म करके मुझे सूचना देंगे। मै इंतजार में हूं।


काम को सौंप दिया गया था और दोनों ही अपने काम में लग गए। आरव तुरंत ही घर के लिए वापस हुआ और सिन्हा जी वहीं से होम मिनिस्टर को कॉल लगाने लगे।


होम मिनिस्टर:- खबर पहुंच गई तुम तक..

सिन्हा जी:- हां तुम्हारे पीए का कॉल आ गया था मुझे..

होम मिनिस्टर:- पार्टी ऑफिस में मिलो, मैं 10 मिनट में पहुंच रहा हूं।


सिन्हा जी पार्टी ऑफिस के लिए निकल गए। जब वो पहुंचे तब वहां पूरा कॉर्पोरेट मेला लगा हुआ था और हर कोई होम मिनिस्टर के आने का इंतजार कर रहे थे। सिन्हा जी जैसे ही पहुंचे, ठीक उसके पीछे होम मिनिस्टर भी पहुंचे। .. होम मिनिस्टर ने अपने पीए शुक्ला के कान में कुछ कहा और सिन्हा जी को साथ लेकर प्राइवेट चैंबर की ओर बढ़ गए।


सुक्ला जी वहां पहुंचे कॉर्पोरेट जगत के लोगों से कहने लगे…. "सर आप के कंपनी के मालिकों से खुद बात कर लेंगे, किसी को घबराने कि जरूरत नहीं है। यह बस एक होम मिनिस्ट्री कार्यालय का छोटा सा अभियान था, जानता और मीडिया के लिए। अभी आप लोगों के विषय में बात करने के लिए वकील साहब को बुलाया है।"


अंदर पहुंच कर होम मिनिस्टर…. "सिन्हा अच्छे पोस्ट के लोग ही जब इतना बेवकूफ हो सकते हैं फिर होम मिनिस्टर कार्यालय कैसे चलेगा।"..

सिन्हा जी:- हम्मम !!

होम मिनिस्टर:- 2 ही घंटे में उस राजीव ने पूरे असेम्बली तक को हिला दिया। पता नहीं यूएसए से कौन सा नशा करके लैंड हुआ ये।

सिन्हा जी :- हम्मम !!

होम मिनिस्टर:- पूरे सबूतों के साथ पतिटेशन दायर किया है। पूरे कॉर्पोरेट के लगभग 1 लाख करोड़ पर स्टे ऑर्डर लगने वाला है। ये तो पूरे सरकार को ले डूबेगा।

सिन्हा जी:- हम्मम !!

होम मिनिस्टर:- मुंह खोलने की फि बताओ… साला वकील बन जाता तो ज्यादा अच्छा था.. मुंह खोलने के भी पैसे लेता हैं। इस देश में सबसे ज्यादा करप्ट तो तुमलोग हो।

सिन्हा जी:- निकाल लिए भड़ास। अब यही काम आता है तो मैं क्या करूं। 20 करोड़ पूरे मामले का।

होम मिस्टर:- कितना लालची हो गए सिन्हा तुम… कुछ डिस्काउंट मिलेगा क्या ?

सिन्हा जी:- ओह भूल गया कहना, 20 करोड़ जो है वो इनकमटैक्स और सर्विस टैक्स छोड़ कर है, वो चार्ज या तो उन डिपार्टमेंट को खुद पे कर देना या इंक्लूड कर देना, मर्जी तुम्हारी।

होम मिनिस्टर:- साला लालची वकील। दिए, अब मुंह खोले..

सिन्हा जी:- बदलाव ही नियम है और कॉर्पोरेट से ज्यादा करप्ट भी कोई इंडस्ट्री है। 4 के साथ बुरा करोगे तो 16 को फायदा होगा। वो 16 तुम्हे इसके लिए अलग से पैसे भी देंगे.. पक्ष भी खुश और पैसे का 40% विपक्ष को गया तो विपक्ष भी खुश। 4 कंपनी को लपेट लिए तो जनता और मीडिया भी खुश। आज की सुबह राजीव जिस भी नशे में हो, तुम्हे और विपक्ष को कम से कम 400 करोड़ का तो फायदा करवाकर ही गया है।


होम मिनिस्टर:- और ये राजीव का क्या करें फिर?

सिन्हा जी:- होम मिनिस्टर कार्यालय को ऐसे होनहार अधिकारियों की जरूरत है। पूरे जीत का सेहरा उसके सर पर बांधकर, लूट लो पूरा क्रेडिट।

होम मिनिस्टर:- एक बार का तो ठीक है सिन्हा, लेकिन ये बार-बार करने लगा तब?

सिन्हा जी:- कल एक छोटी सी मीटिंग तो करो अपने लोगों के साथ, जानने की कोशिश तो करो की वो चाहता क्या है? कुछ गड़बड़ लगे तो कौन सा वो भागा जा रहा है।

होम मिनिस्टर:- ये बात तो मेरे दिमाग में भी घूम रहा था। तेरी फीस के पैसे बेकार चले गए।

सिन्हा जी:- और वो जो 200 पन्ने का पुलिंदा सुप्रीम कोर्ट में गया है फिर उसे कौन मैनेज करेगा…

होम मिनिस्टर:- साला ब्लैकमेलर, यहीं आकर तो हम फस जाते है। तुझसे अच्छा तो तेरा वो चेला है। कम से कम काम ना करने के कोई पैसे नहीं लेता। यूएसए में एक बार मिला तो मुझे 20 मिलियन का फायदा करवा गया। एक तू है, 10 मिनट की मीटिंग में 24-25 करोड़ लूट लिए।

सिन्हा जी:- अच्छा !! एक बात बता मेरा तो चेला है, पर तू तो ऑफिशयल विजिट पर था फिर क्यों पूरे प्रोटोकॉल की मां-बहन कर दिया। उससे तो यहां भी मिल सकता था।

होम मिनिस्टर:- साला तुम वकील लोगों से कोई बात नहीं छिपती। हां कुछ भावनाएं है उस लड़के के प्रति, भगवान जाने क्यों, पर वो मुझे अच्छा लगता है। पूरी तरह संतुलित और एकाग्रता वाला लड़का है। अपस्यु यदि मेरा बेटा होता तो मेरी सारी चिंताएं दूर थी। मेरा बस चले तो मैं उसे पूरा गृह मंत्रालय के कार्यलय का भार उसके ऊपर दे देता। फिर देखते एक तरफ पैसों की बारिश हो जाती और दूसरी ओर वो एक-एक करके यहां के गंदगी को भी साफ कर देता।

सिन्हा जी:- तू तो उसका फैन बन गया है, मुझे लगता है तेरी कोई बेटी होती तो तू उसे ही अपना दामाद बनाता।

होम मिनिस्टर:- इसमें भी कोई 2 राय है क्या? वो तो परफेक्ट वारिश होता मेरा। छोड़ ये सब, कुछ ही देर में हाई कमांड की मीटिंग होने वाली है, मै जरा इन कॉर्पोरेट वालों से बात तो कर लूं कि क्या चंदा देने वाले है, तभी तो मेरी भी जान बचनी है।

सिन्हा जी:- चल ठीक है फिर मै भी निकलता हूं। पैसे अकाउंट में ही भिजवा देना।

होम मिनिस्टर:- ठीक है सिन्हा .. और बुरे वक़्त में मदद के लिए शुक्रिया..

"पता होता इतना फसा है तो और फीस वसूल लेता।".. सिन्हा जी चलते-चलते अपनी बात कहते चले।


पार्टी ऑफिस से बाहर निकलते ही सिन्हा जी ने ऐमी को "काम सफल हुआ" का संदेश भेज दिए। इधर आरव भी अपार्टमेंट वापस लौटकर कार से अपना बैग निकला और अपने कंधे कर बैग टांगकर, अपने ससुराल चल दिया। जैसे ही वो घर के अंदर पहला कदम डाला अनुपमा शोर मचाती हुई कहने लगी… "अरे दामाद जी आए हैं, कोई आरती की थाली लाओ।"..


आरव, अनुपमा को भौंचक्का खड़ा देखते हुए… "आंटी अभी दामाद नही, समझो पड़ोसी आया है। फॉर्मेलिटी रहने भी दीजिए।"..


अनुपमा:- ऐसे कैसे रहने दूं फॉर्मेलिटी। सुलेखा कहां रह गई, बाहर आज निकलेगी कि नहीं…


"क्या हुआ दीदी जो इतना खुश हो रही है।"… सुलेखा अपने कमरे से बाहर आती हुई कहने लगी… और सामने आरव खड़ा था। आरव को देखकर सुलेखा भी चिल्लाई… "अरे साची आरती की थाल लेकर बाहर आ, होने वाले छोटे जमाई आए हैं, इस घर के।"..


अभी साची और लावणी साथ बैठकर एंगेजमेंट में मिले गिफ्ट को खोलकर देख रही थीं। दोनों को बाहर से चिल्लाने की आवाज़ आ तो रही थी लेकिन दोनों अपना पूरा ध्यान गिफ्ट पर जमाए हुई थी। तभी सुलेखा दरवाजा खोलकर कहने लगी… "दोनों बाहरी हो गई हो क्या, होने वाले दामाद जी आएं है, जाकर आरती की थाल लेे आओ।"


दोनों अपना पूरा मुंह सिकोड़कर सुलेखा को देखती हुई कहने लगी… "हो चुका होता तो भी हम ना जाते, आप तो होने वाले के लिए यहां से उठा रही।"..


इसी बीच आरव सुलेखा के पीछे खड़े होते कहने लगा… "रहने दो आंटी, इन लड़कियों को बस फालतू के काम मिल जाए तो रेगिस्तान की भरी दोपहरी में भी चादर बिछा कर पूरा बाजार लगा दे, ससुर जी किधर है?


इतने में अनुपमा पीछे से पहुंचती… "अरे ऐसा नहीं करते बेटा, पहली बार आए हो आरती तो बनती है ना।"


आरव:- चिंता नहीं कीजिए मैं थोड़े ना पहली बार आया हूं। ये इश्क़ ऐसे ही यहां बिना आए ही हो गया क्या? ससुर जी कहां है मुझे वो बताइए और बाकी मै कब आया, कितनी बार आया और कहां-कहां मिले, उसकी पूरी डिटेल इस भुटकी से लेते रहिएगा।


लावणी घूरती नजरों से आरव को देखती हुई कहने लगी…. "पापा ऊपर के कमरे में है। उनसे मिल लेना, उसके बाद मुझसे मिलकर जाना।


आरव चल दिया राजीव से मिलने और बाकी के लोग टूट परे लावणी पर। सवाल पर सवाल और हर सवाल के जवाब में लावणी ने सिर्फ इतना ही कहा.. "आरव झूट बोल रहा है।"..


इधर आरव बिना कोई नॉक किए सीधा राजीव के कमरे में पहुंच गया। शाम के लगभग 7.30 हो रहे होंगे और राजीव टेबल पर अपना पेग बना रहा था। अचानक से आरव को देखकर वो हैरान होते पूछने लगा… "लावणी से मिलने आए थे क्या?"


आरव:- गलत सवाल..

राजीव:- फिर..


"आप से ही मिलने आया हूं।".. आरव अपनी बात कहकर दरवाजा लॉक किया और अपने बैग से एक पूरी बॉटल निकालकर टेबल पर रखते हुए कहने लगा… "सोच रहा हूं आप के साथ बैठकर 2 पेग लगाए जाए।"


राजीव आरव को घूरते हुए… "फोन लगाऊं तुम्हारी मम्मी को, बहुत होशियार हो गए क्या?"


आरव:- आप भी दारू पीते हैं मैं भी पीता हूं, आप भी ये बात जानते है, फिर ये संकोच क्यों?


राजीव:- एक रफ्टा दूंगा जुबान मुंह में घुस जाएगी..


आरव:- क्यों इसमें हर्ज ही क्या है? वैसे भी 2 और दिन जिंदा रहने वाले आदमी के साथ कुछ फैंटेसी मिटा लेता हूं, इसमें बुराई क्या है?


राजीव चौकते हुए आरव से पूछने लगा…. "तुम कहना क्या चाहते हो, खुलकर कहो ना?"


आरव:- वहीं जो आप समझकर भी नहीं समझना चाहते। क्या जरूरत थी आप को उंगली करने कि… आखिर आप अपने ऑफिस में बैठकर टारगेट किसे कर रहे थे?.


"मै खुद को"… राजीव 1 पेग लगाते हुए आरव से अपनी दिल की बात कह गया।………
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
सिन्हा ने सब संभाल लिया मिनिस्ट्री का तो लेकिन राजीव को तो आरव हीं संभाल सकता हैं भाई
 

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आरव:- वहीं जो आप समझकर भी नहीं समझना चाहते। क्या जरूरत थी आप को उंगली करने कि… आखिर आप अपने ऑफिस में बैठकर टारगेट किसे कर रहे थे?.


"मै खुद को"… राजीव 1 पेग लगाते हुए आरव से अपनी दिल की बात कह गया।………


आरव:- इससे क्या साबित होगा, आप बहुत महान हो?


राजीव एक पेग और तेजी में खिंचते हुए…. "तुम चले जाओ यहां से, मै अभी होश में नहीं हूं।"..


आरव, राजीव को कमर से पकड़ते, उठाकर बिस्तर पर बिठा दिया…. "पी कर टून नहीं होना ना, मुझे अभी आपसे बात करनी है, फिर दोनों साथ में पिएंगे।


राजीव:- देख तू फालतू में किसी पचरे में ना ही पर, और निकल जाओ यहां से, वरना मुझे भी पता ना की मै तुम्हारा यहां क्या हाल करूंगा?


आरव:- नपुंसक समझते हो ना, वही हो आप.. और कुछ नहीं कर सकते। एक बार कोशिश तो कि थी ना… भेजे तो थे शूटर मुझे मारने के लिए, क्या हो गया फिर?


आरव की बात सुनकर राजीव पूरे होश खोते उसे एक थप्पड जर दिया…. और गुस्से में खड़े होकर उसे देखने लगा…


आरव:- मै जा रहा हूं लेकिन एक बात आप याद रखना, वो जो आप खुद के लिए कर रहे हो ना, उसमे आपके बीवी और बच्चे सभी लपेट लिए जाएंगे। आईएएस का मतलब मोस्ट इंटेलिजेंट होता है, खुद को देख लो, क्या हो आप।


अपनी बात कहकर आरव वहां से निकलने लगा तभी राजीव उसे रोकते हुए माफी मांगा और साथ बैठने के लिए बोला… कुछ पल की खामोशी रही फिर राजीव अपना हाल-ए-दिल आरव के सामने बयान करने लगा। कैसे वो शुरवात से लेकर अब तक का सफर तय किया था। उसकी पूरी कहानी सुनने के बाद आरव अपनी बात रखते कहने लगा…


"जिंदा रहोगे और परिवार सलामत रहेगा तो कई मौके मिलेंगे गलत को सही करने के लिए, वरना गुस्से में जो आप खेल गए, उससे होना कुछ नहीं है। सब मिलकर आपके और आपके परिवार की बली लेकर अपने जीत का जश्न मनाएंगे। बुद्धिमानी किस बात में है, वो आपको सोचना है। मैंने सिन्हा अंकल को होम मिनिस्टर सर से मिलने भेज दिया है, इस आश्वाशन के साथ की अब इसके बाद आप और कोई बेवकूफी नहीं करेंगे। आगे आप की मर्जी।"..


आरव की पूरी बात सुनकर राजीव कुछ देर खामोश रहा, सभी बिंदु पर सोचते हुए वो आरव से कहने लगा… "हम्मम !! ठीक है अब मै मौका देखकर सलाह लेकर ही कुछ करूंगा। मैंने गुस्से में गलत फैसला लिया था।"

आरव:- अब पीते हुए बात करें क्या ?


राजीव पहले तो आरव को गुस्से से घुरा, फिर हंसते हुए उसके कंधे पर हाथ रखते हुए, दोनों बैठ गए बैठक लगाने… मां घर पर थी, इसलिए आरव ज्यादा पी नहीं सकता था। लेकिन अब ससुर के साथ बैठा तो, जिद में नॉर्मल से 2 पेग ज्यादा खींच लिया।


आरव:- ससुर जी अब मै चलता हूं, लेकिन जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा।


राजीव:- ठीक है सर बिल्कुल निभाऊंगा। चलो मै तुम्हे छोड़कर आता हूं…


आरव:- नाह, मै चला जाऊंगा आप आराम करो।


आरव धीरे-धीरे सीढ़ियों से नीचे उतरा, फिर दाएं-बाएं एतिहात से देखने लगा, कहीं लावणी तो नहीं। हॉल में लावणी को ना देखकर, आरव दबे पाऊं हॉल से बाहर निकल ही रहा था, कि उसी वक़्त राजीव ऊपर से चिल्लाते हुए कहने लगा… "बेटा अपना बैग यहीं ऊपर ही छोड़कर जा रहे।"


आरव का नाम सुनते ही लावणी के कान खड़े हो गए और वो भागकर बाहर आयी, आरव को घूरती हुई इशारों में अपने कमरे में जाने के लिए कही और राजीव से बैग लेने चली गई। लावणी ने जैसे ही अपने हाथ में बैग ली, उसे बैग जरूरत से ज्यादा ही भारी लगी। वहां से वो चुपचाप नीचे अपने कमरे में आयी और दरवाजा धम्म से बंद करती…. "तुम्हारा ये बैग इतना भारी क्यों है।"..


आरव एक कदम आगे बढ़ते उसके कमर में जैसे ही हाथ डालने की कोशिश किया, उसके हाथ में सुई चुभी और वो अपने हाथ झटकते रुका…. "चुपचाप पलंग पर बैठो और मेरे सवालों का जवाब दो।"


आरव उसे हसरत भरी नजरों से देखते…. "बेबी वो तो हम एक दूसरे को गले लगाकर भी एक दूसरे से लिपट कर बात कर सकतें है ना।"..


लावणी अपनी आखें दिखाती… "दुनियाभर के लोगों से ऐसे ही गले मिलकर बात करते हो क्या?"


आरव:- क्या है यार किस बात का खुननस निकाल रही हो? सब लोग थे थोड़ा सा मज़ाक कर लिए, इसमें कौन सा बड़ा इश्यू हो गया।


लावणी:- हम्मम !! और ये शराब कि बॉटल, ये तो आज कल सोशल है ना। तुम्हारा ये लड़खड़ा कर चलना भी नॉर्मल ही होगा। ठीक है जाओ यहां से। और सॉरी..


आरव, लावणी का उतरा चेहरा देखकर समझ गया कुछ तो गड़बड़ हो गई है, वो तुरंत गलती की सुधारने के लिए उससे "सॉरी" कहने लगा। लावणी बिना कोई प्रतिक्रिया देती दरवाजा पूरा खोल दी और हाथ के इशारे से बाहर जाने के लिए कहने लगी, लेकिन आरव, लावणी का उतरा चेहरा देखकर कहीं जाना नहीं चाहता था इसलिए वो वहीं बिस्तर पर बैठा रहा…. "फाइन !! तुम यहीं रहो मै ही जाती हूं।"


आरव मायूसी से… "रूको मै जाता हूं। लेकिन ये गलत है, गुस्से में जोर से कुछ निकल गया तो उसपर तुम इतना रिएक्ट कर रही हो।"..


लावणी:- होश में होते ना और जोर से क्या, 2 थप्पड भी लगा देते तो फर्क नहीं पड़ता लेकिन.. छोड़ो जाने दो।


आरव:- तुम्हे मेरे नशे से प्रॉबलम है ना.. मेरे पीने से ना.. ठीक है..


लावणी:- रूको भीष्म प्रतिज्ञा लेने की जरूरत नहीं, मुझे बस तुम्हारे रोज-रोज के पीने से प्रॉबलम है बस। कभी-कभी के लिए कोई बात नहीं है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि तुम ओवरलोड होकर आओ।


आरव:- अब तो मुस्कुरा दो..


साची:- हां, हां मुस्कुरा भी दे, बेचारा कितना क्यूट लग रहा है देख तो।


लावणी:- क्या दीदी आप भी ना.. कब से छिपकर सब देख रही थी..


साची:- शुरू से। वैसे मै जा रही हूं कुंजल से गप्पे लड़ाने तुम दोनों आराम से बातें करो।


लावणी:- सुनो दी, आरव को भी लेते जाओ और थोड़ा बचा लेना आंटी को पता ना चले।


साची:- कहीं उसे बचाने के चक्कर में मुझे ना लाफा पर जाए। नंदनी आंटी मुन्ना भाई से इंस्पायर्ड है। वो फिल्म में लाफा किंग है और यहां हमारी नंदनी आंटी लाफा क्वीन।


आरव:- हटो दोनों रास्ते से। मेरा घर बसने से पहले ही उजर जाएगा.. यहां हॉट रोमांस होना चाहिए तो माहौल को पूरा सास बहू का मेलो ड्रामा बनाकर रख दिया।


आरव मुंह लटकाए वहां से निकल गया और उसे ऐसे जाते देख दोनों बहन की हंसी निकल गईं। साची उसे बिठाते हुए कहने लगी… "कुछ ज्यादा तूने गुस्सा नहीं दिखा दिया बेचारे पर।"..


लावणी:- लेकिन दी..


साची:- वो एंगेजमेंट में नहीं पिया, जिस दिन सब डिस्को में थे तब नहीं पिया, मुझे नहीं लगता कि उसने यूएसए में कभी पिया भी हो जबकि चोरी से हमने ही पिया था, अब बताओ।


लावणी:- सॉरी दी, मैंने इतनी गहराई से नहीं सोचा बस जो जी में आया बोल गई।


साची:- सॉरी मुझे नहीं उसे जाकर बोल।


दोनों बहन चल दी ऊपर। फ्लैट में जाने के 2 दरवाजे थे, चुकी आरव पीकर आया था इसलिए सब लोग जहां बैठक लगाए रहते है, उस दरवाजे से ना अाकर आरव चुपचाप दूसरे दरवाजे से दाखिल हुआ और सबको दूर से ही देखकर, हाथ हिलाते अपने कमरे में चला गया।


कुंजल खाना पका रही थी और नंदनी बैठकर स्वस्तिका से बात कर रही थी। तभी दोनों ने भी आरव को देखा, आरव को देखते ही नंदनी कहने लगी… "देखी इसकी होशियारी, इसे लगता है दूर से जाएगा तो मुझे कुछ पता नहीं चलेगा।


स्वस्तिका:- बुलाऊं क्या फिर उसे मां।


नंदनी:- नहीं रहने दे, मेरा ये बेटा समझदार हो गया है। अब ये नहीं पीता, बस वही बड़ा वाला बिगड़ा निकल गया, कितना भी माना करो फिर भी वहीं हाल है।


स्वस्तिका एडवांस में ही अपने गाल पर दोनों हाथ रखती…. "मां वो"…


नंदनी:- मार तो वैसे भी खा जाएगी इसलिए जाने दे उसकी चमची मत बन।


इतने में घर की बेल बजी और दोनों बहन अंदर। अंदर आते ही लावणी सीधा नंदनी के पास पहुंची और उसे पाऊं छूकर प्रणाम करने लगी…. "अब क्या तुम सुबह-शाम आओगी तो यूं ही प्रणाम करती रहोगी। बस हो गया ये कभी-कभी अच्छा लगता है, रोज करते रहोगी तो बकवास लगेगा। क्यों सही कहा ना।


साची और स्वस्तिका दोनों एक साथ:- हां बिल्कुल !!


लावणी:- आंटी आरव कहां है?


नंदनी:- अपने कमरे में है।


बस एक छोटा सा सवाल और सबके सामने से लावणी निकल गई आरव के कमरे में। उस इतने विश्वास के साथ जाते देख नंदनी हंसती हुई साची से पूछने लगी… "इसे क्या हुआ।"..


साची:- वहीं जो पति पत्नी के बीच अक्सर होता है। इनका पहले से हो रहा है।


स्वस्तिका:- हीहीहीहीही… चलकर मेलो ड्रामा एन्जॉय करे क्या?


नंदनी:- पागल, तू क्या करेगी जाकर, दोनों को आपस में समझने दे।


तीनों अभी बात कर ही रहे थे कि बाहर शोर होने लगा… शोर की आवाज़ सुनकर नंदनी बाहर निकली। बाहर गहमा-गहमी का माहौल था। लावणी अभी कमरे तक पहुंची भी नहीं थी, इतने में आरव भी शोर सुनकर बाहर निकाल ही रहा था कि रास्ते में ही लावणी टकरा गई…


आरव:- क्या हुआ अब यहां आकर सुनाने वाली हो क्या?


"हीहीहीहीही.. नहीं."… और इतना कहकर वो आरव के कमर में हाथ डालकर उससे चिपकती हुई कहने लगी… "आई एम् सॉरी"…. "बेबी कल कहीं घूमने चलते है, और अभी का रोमांस कल पर टालते है। फिलहाल बाहर देखने दो किस बात का हल्ला हो रहा है।"


लावणी:- नाह मै कल तक रुक नहीं सकती, आज रात ठीक वैसे ही आना जैसे पहले आए थे।


आरव:- लेकिन बेबी..


लावणी उसके होटों पर उंगली डालती… "कोई लेकिन नहीं, सब क्लियर है और तुम आ रहे हो। अब चलो।"


वो दोनों भी बाहर निकले। बाहर निकलकर ऐसा लगा जैसे वहां कोई जंग का माहौल हो। पूरी कॉलोनी ही इनके घर के आगे जैसे जमा हो और नंदनी सबको बस शांत होने कह रही थी। इतने में गलती से, एक लड़के से नंदनी को धक्का लग गया और नंदनी पीछे दीवार से टकरा गई।


वहीं पास में ही स्वस्तिका खड़ी थी, और सामने पूरी भीड़। स्वस्तिका उस लड़के का कॉलर पकड़ी और खींचती हुई लॉबी की बाउंड्री तक ले जाती सीधा तीन माले से नीचे लटका दी।… "साले सब शांत हो जाओ वरना इसकी तरह लतकाऊंगी नहीं, बल्कि सबको सीधा नीचे फेक दूंगी।"..


स्वस्तिका का ऐसा करना था और पूरी भीड़ शांत। आरव दौड़ कर पहुंचा और उस लड़के को ऊपर खींचा। स्वस्तिका अब भी गुस्से में दिख रही थी… "क्या हुआ नॉटी ऐसे रिएक्ट क्यों कर रही है।"


स्वस्तिका:- वही तो हम भी पूछ रहे है इनसे, लेकिन सब लोग आराम से बोलन के बदले धक्का-मुक्की कर रहे है और चिल्ला रहे है।


आरव को भी गुस्सा आया और वो सामने खड़े लोगों को घूरते हुए कहने लगा… "मेरी बहन ने जो अभी कहा है ना उसे करने में मुझे भी कोई परेशानी नहीं होगी इसलिए आराम से एक-एक करके के बताओ की क्या हुआ?


एक औरत:- तुम्हारा वो ड्राइवर गूफी मेरी कामवाली को छेड़ता है..


कोई एक आदमी:- तुम्हारा वो ड्राइवर गूफी रोज रात को मेरा दरवाजा खटखटाता है।


एक लड़का:- तेज आवाज में पता नहीं गाता है या रोता है वो गूफी..


कोई दूसरी औरत:- हमारे गाड़ी को के आगे तुम्हरे दूसरे ड्राइवर रोंज ऐसे गाड़ी पार्क कर देता है कि मेरी गाड़ी नहीं निकलती और जब गाड़ी कहो साइड करने तो 1 घंटे लगा देता है आने में।


कोई तीसरी औरत:- मेरे घर का दरवाजा रोज रात को खाखटकर मुझ से सोडा मांगता है।


नंदनी:- बस समझ गई मै, लेकिन वो दोनों तो यहां नहीं, फिर अभी क्यों बताने आए हो… और कोई एक जवाब देगा…


श्रेया:- आंटी दोनों आते ही होंगे.. इसलिए आप को बताने आए है। आप खुद अपनी आखों से देख लेना। और दोनों की भाषा तो पूछो ही मत.. ऐसा लगता है जैसे मुंह खोले तो गाली ही निकाल रहा है।


आरव:- मां ये खूबसूरत बाला कौन है।


लावणी उसे घूरती हुई… "कुत्ते की दुम हो आरव मुंह बंद करो अपना लार मत टपकाओ"…


इतने में ही दोनों अपार्टमेंट के गेट पर पहुंचे और प्रदीप के कंधे पर गूफी हाथ डाले जोर-जोर से गाने गाते अंदर पहुंचा… चिल्ला-चिल्ला कर तेज आवाज़ में … "तेरी दुनिया से दूर होकर मै मजबुर चला".. ऐसा लग रहा था गा कम रहा है और रो ज्यादा रहा है।


तभी ठीक उसी वक़्त एक कामवाली अपने काम से वापस लौटती थी। दोनों को देखकर वो उनके रास्ते से कटने लगी.. इतने में गूफी उसका रास्ता रोके खड़ा होकर कुछ बात करने लगा.. वह औरत किसी तरह वहां से बचकर निकली लेकिन जाते जाते गूफी ने उसे पीछे से चिमटी काट ली, वो बेचारी मुंह छिपाकर वहां से भागी।


तभी दोनों जोर-जोर से गाते हुए उस लॉबी में पहुंचे और जैसे ही वहां का भीड़ देखा तो प्रदीप कहने लगा… "बैंचों ये सब यहां आकर कौन सी पंचायत कर रहे हैं गूफी भाई।"..


गुफी:- अपनी मां की शादी के बारात लेकर आए होंगे.. क्यों रे मां दो लाडलो यहीं बात है ना…


तभी बीच से भीड़ छंटी और नंदनी को देखकर दोनों बिल्कुल अटेंशन में आ गए.. तभी नंदनी ने आरव और स्वस्तिका को देखी और दोनों तेजी से उनके पास पहुंचकर उन दोनों को तीन माले की बिल्डिंग से लटका दिया।… आरव दोनों को घूरते हुए कहने लगा…

"साला एक बार का रोमांस सास के सीरियल वाले मेलो ड्रामे में चला गया और दूसरी बार शुरू होने के कुछ चांस थे तो तुम दोनों की कुत्ते जैसी हरकतें ले डूबी। जी तो कर रहा है अभी ही नीचे फेक दूं।"


नंदनी पूरी भीड़ को वापस भेजती हुई कहने लगी… "इसने जो भी गलत किया है उसका बुरा भुगतान के बाद ही इसे निकालूंगी। आप सब यहां से जा सकते हैं।"
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
बेचारे आरव को चांस मिला तो इन ड्राइवर ने मां बहन कर दीं अपनी हरकतों से
 

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नंदनी पूरी भीड़ को वापस भेजती हुई कहने लगी… "इसने जो भी गलत किया है उसका पूरा भुगतान के बाद ही इसे निकालूंगी। आप सब यहां से जा सकते हैं।"


सबको वापस भेजने के बाद नंदनी ने इशारा किया और दोनों को ऊपर खींचा गया, इतने में कुंजल अंदर से डंडा निकालकर लेे आयी और नंदनी ने श्रेया को वहीं कुछ देर रुकने के लिए बोली…


दोनों को हॉल में लेकर आया गया। सब लोग गांव के पंच की तरह कुर्सी में बैठे थे और दोनों गुफी और प्रदीप नीचे किसी मुजरिम की तरह अकडू बैठे हुए थे। वहीं आरव अपने हाथ में डंडा लिए दोनों के गोल-गोल चक्कर लगा रहा था।


नंदनी:- श्रेया क्या कह रही थी तुम, दोनों के बारे में, जरा एक-एक करके इनकी गलती बताना।


गुफी:- मैम दीदी जी को क्यों कष्ट करने कह रही हैं, मैं यह काम जल्दी में खत्म कर सकता हूं।


तभी पीछे से एक डंडा गुफी की पीठ पर और वो बेचारा छटपटा कर रह गया। इतने में प्रदीप जो कुछ कहना चाह रहा था, वो अपनी बात अपने हलख के अंदर निगलते हुए चुपचाप सामने देखने लगा..


नंदनी:- आरव सजा बराबर मिलनी चाहिए..


नंदनी का ऐसा कहना था और एक डंडा प्रदीप के पीठ पर भी पड़ गया। बेचारा छटपटाते हुए यहीं सोच रहा था, कम से कम बोलकर ही मार खा लेता।


कुंजल:- भाई वैसे दोनों की शक्ल और ड्रेसिंग स्टाइल पर गौर किया क्या आपने। पहनावे और चेहरे से तो ये दोनों किसी ऑफिस में काम करने वाला डिसेंट कर्मचारी लगते है।


कुंजल का इतना कहना था कि स्वस्तिका ने उसे एक तमाचा देते हुए नंदनी से कहने लगी… "मां आप आगे देखो, इसको मैंने आप की तरफ से थप्पड दे दिया है।"..


सबके बीच थप्पड पड़ने से गुस्साई कुंजल ने पीछे से स्वस्तिका के लंबे बाल को पकड़ कर पूरा खींच दी। जैसे ही वो बाल खींची पीछे से लावणी और साची के जोड़-जोड़ से हसने की आवाज़ आने लगी और सामने बैठे ये दोनों गुफी और प्रदीप भी अपना मुंह दबाए हंस रहे थे। इसके पूर्व जब कुंजल ने स्वस्तिका का बाल खिंचा तो उसके हाथ ने स्वस्तिका का पूरा बाल ही चला आया और उसे बाल के नीचे स्वस्तिका के छोटे-छोटे असली बाल दिखने लगे।


नंदनी अपना सर पिटती हुई कुंजल और स्वस्तिका को कमरे में जाने के लिए बोल दी। वहीं साची, लावणी और श्रेया को भी अपने घर भेज दी। अब वहां बचे थे सिर्फ 4।


आरव:- इनका क्या करें मां। इतने दिनों में आज तक ना हम किसी पड़ोसी के पास गए और ना उन्हें कभी हमारे पास आने की जरूरत पड़ी, इनकी वजह से आज सब हमसे झगड़ा करने पहुंचे थे।


प्रदीप:- सर वो सब तो आप लोगों से वैसे भी जलते है, बस उन्हें आपके साथ झगड़ा करने का मौका चाहिए था। प्लीज, प्लीज, प्लीज, मारना मत।


गुफी:- हां ये सही कह रहा है मैम ।


"रुका क्यों है मार दोनों को एक-एक डंडे"… नंदनी के आदेश पर पुनः डंडे चल गए। इधर दोनों छटपटा रहे थे उधर नंदनी अपनी बात आगे बढ़ाती हुई…. "मेरे पड़ोसी या अपार्टमेंट वाले मुझसे क्या बैर रखते हैं, वो मै समझ लूंगी, बात तो अभी ये है को तुम्हारी इतनी गन्दी हरकतों पर क्या सजा दी जानी चाहिए।"..


गुफी:- बीवी तो पहले छोड़कर भाग गई है, इससे बड़ी और क्या सजा होगी?

प्रदीप:- अरे गुफी भाई, भाभी के याद में आशु बाद में बहा लेना, पहले अपनी जान तो बचाओ। मैम हम दोनों सजा के लिए तैयार हैं लेकिन अभी आप ने हमारा पक्ष नहीं सुना है।


आरव:- जरा शॉर्ट में समझा अपना पक्ष।


गुफी:- इस फ्लोर के आखिर में है सक्सेना फ़ैमिली। वहां का फ्लैट ऑनर 2 रात जबरदस्ती हमारे क्वार्टर में घुसकर दारू पिया और हमे खूब गालियां दिया। 1 दिन छोड़ दिया, दूसरे दिन बर्दास्त किया लेकिन तीसरे दिन धक्के मारकर निकाल दिया।


प्रदीप:- नीचे के फ्लोर पर है जुनेजा फैमिली। वहां की एक पागल लड़की को हमारा क्वार्टर 3 घंटे के लिए चाहिए था, जिसके वो पैसे भी ऑफर कर रही थी। ये जिस लड़की से आप बात कर रही थी उसका भाई और भी 8-10 लोग हैं जिनमें तो कुछ शादीशुदा भी है, उन्हें भी क्वार्टर कुछ घंटों के लिए चाहिए था।


गुफी:- कुछ लोगों को तो लंबोर्गिनी चलानी थी वो भी आप के जानकारी के बिना। तो कुछ लोगों का काम हमने नहीं किया था तो अपनी-अपनी गाडियां ऐसे पार्क करते थे, कि जगह ही नहीं बचे। शुरू के 4-5 दिन इन लोगों ने हमे बहुत परेशान किया, फिर हमने भी बदला ले लिया।


नंदनी:- हम्मम ! और वो जो तुम उस कामवाली के साथ कर रहे थे वो क्या था फिर।


प्रदीप:- हम उसे भी उसके कर्मों की सजा दे रहे थे।


नंदनी:- बातें तो बड़ी बड़ी करते हो, कर्मों की सजा, जैसा किया उसका बदला लिया। अब ये बताओगे की कैसे उसके कर्मों की सजा दे रहे थे?


गुफी ना में इशारा कर रहा था और प्रदीप उसकी बातों को समझ नहीं पाया और बोलता चला गया…. "वो काम वाली के चक्कर में आपकी ऑडी कार को 30000 रुपए के लिए गिरवी रखना पर गया।"…. प्रदीप ने जैसी ही यह बात बोली, आरव कुछ हरकत में तो आया लेकिन नंदनी अपने इशारे से शांत खड़े रहने के लिए बोलकर, प्रदीप को बात पूरी करने बोली… प्रदीप भी अपनी बात पूरी करते हुए कहने लगा… "उस कामवाली सरोजा ने गुफी से शादी का वादा करके 50000 रुपए ऐठ लिए और अब नाटक कर रही है। गुफी भाई ने एक दिन उसके जुग्गी पहुंच गए पैसे मांगने, वहां सरोजा के कुछ लोगों ने गुफी को बहुत पीटा भी था।"


नंदनी:- हम्मम ! तो ये बात है। आरव इस गुफी को 4 डंडे मार पहले, सबके सामने उसकी नीच हरकत के लिए। अब ये बताओ तुम्हारी जुबान कि क्या कहानी है।


गुफी:- मैम अब कोई गाली खाने लायक काम करेगा तो गाली ही दूंगा ना।


नंदनी:- तुम अब तक इसे मारे नहीं। उधेड़ दो इस गुफी की पीठ और काम से बाहर निकालो।


गुफी नंदनी के पाऊं पकड़ते… माफ़ कर दीजिए मैम प्लीज माफ़ जर दीजिए।


नंदनी:- पाऊं छोड़ो मेरा और ध्यान से सुनो, किसने तुम्हारे साथ क्या किया उसके बदला लेने का मतलब यह नहीं कि तुम बदले के आड़ में किसी औरत को पब्लिक में ऐसे छेड़ो या फिर गालियां देते रहो। पहली और आखिरी बार कह रही हूं, गांठ बांध लो ये बात। आरव हमारे लोगों को जिस-जिस ने नौकर समझा है, उसे उसके किए की सजा कल ही मिल जानी चाहिए। और कहीं ये दोनों झूठे निकले तो इनकी जुबान काटकर इन्हे काम से निकाल देना।


आरव दोनों की इशारे करते… चलिए सर मज़े कीजिए। मां मै जरा कमरा भी देख आऊं इनका…


दोनों आगे-आगे और आरव पीछे पीछे… तीनों क्वार्टर में जैसे ही पहुंचे…. "क्यों बे तुम लोगों ने सच कहा था या बचने के लिए कोई कहानी गढ़ी थी।"


प्रदीप:- ये साले पैसे वाले बिना मतलब के किसी को टोकते भी है क्या भाई? वैसे भी मैम थी तो हमने बहुत फिल्टर करके बताया वरना हमारे क्वार्टर को तो कुछ लौंडे आयाशियों का अड्डा बनाना चाहते थे, खासकर वो जो लड़की थी ना श्रेया उसका भाई। ठीक उसके फ्लैट से लगा है हमरा क्वार्टर तो उसकी नजर ज्यादा थी।


गुफी:- अरे वो उसकी गर्लफ्रेंड जो है जुनेजा फैमिली वाली उसका भी तो बताओ।


प्रदीप:- हां भाई वो भी। वो जो लड़की है, वो तो आपके पड़ोसी को तो फसाए है उसके अलावा एक और बाहर के लड़के को फसाए है। उसे भी अपने आईयाशियों के लिए कमरा चाहिए था। मदर.. सॉरी भाई, अब ऐसे में गाली नहीं निकले तो क्या निकले, लगभग 2 कुंवारों के सामने कोई ऐसे करने की बात करे सोचो हम पर क्या बीतती होगी।


गुफी:- लेकिन हमने किसी को भी इस क्वार्टर में घुसने तक नहीं दिया। 30000 के ड्राइवर की नौकरी और रहना कौन आजकल देता है।


आरव:- हम्मम ! समझ गया मै। चलो रिलैक्स हो जाओ लड़कों। कल इस पूरे अपार्टमेंट को ही सजा मिलने वाली है।



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आज की सुबह ही फ्लैट लैंड की थी और सबके साथ पार्थ और वीरभद्र भी थे। नंदनी ने काफी कोशिश की, लेकिन पार्थ, वीरभद्र के साथ राजस्थान के लिए निकल गया। दोनों दिल्ली से जयपुर फ्लाइट से पहुंचे और उसके आगे जयपुर से उदयपुर और उदयपुर से उसके गांव तक का सफर कार से करनी थी।


लगभग शाम हो चुकी थी दोनों को पहुंचने में। उदयपुर से लगे होने के कारन वीरभद्र के गांव में सभी सुविधाएं थी यदि तुलना करें सुदूर के गांव से। कच्चे-पक्के मकान के बीच एक खूबसूरत बिल्डिंग भी दूर से दिखने लगी।… "वीरे, तेरे गांव के मुखिया का घर है क्या वो?"


वीरभद्र:- अरे नहीं भाई वो हमारा घर है।


पार्थ:- क्या छोड़े तू तो बड़ा अमीर निकला।


वीरभद्र:- यह तो मेरे गुरुदेव आरव की असीम कृपा है जिनके वजह से यह मकान खड़ा हुआ है। अभी तो हमरा गृह प्रवेश भी नहीं हुआ है.. अपने आने का सबको पहले से बता दिया था इसलिए कल ही गृह प्रवेश की पूजा भी रखी है। बस यहां पंडित के ही आने का बहुत बड़ा लफड़ा है।


पार्थ:- इसमें इतनी चिंता की क्या बात है, तेरे साथ है तो पंडित। मै गृह प्रवेश करवा दूंगा लेकिन उसके लिए 21121 रुपया लूंगा।


वीरभद्र:- हाहाहाहा.. क्यों मज़ाक कर रहे हो भाई।


पार्थ:- तू क्या पागल है। मै तो शादी से लेकर सारे कर्मकांड की पूजा करवाता हूं। यूरोप में तो ये मेरा पार्ट टाइम बिजनेस था।


वीरभद्र:- ठीक है भाई फिर आप ही पूजा करवा देना। भाई एक काम और था?


पार्थ:- हां वीरे बोल ना..


वीरभद्र:- क्या आप मेरी बहन निम्मी को थोड़ा अंग्रेजी सीखा दोगे। क्या है कुछ दिन बाद दिल्ली जाएंगे तो सोच रहा था कि सबको अपने साथ ही रखूं। अकेले मज़ा नहीं आता रहने में। फिर अंग्रेजी सीख जाएगी तो सहर के हिसाब से पढ़ा लिखा लड़का मिल जाएगा, वरना मेरी मां की तरह उसकी भी ज़िन्दगी गांव में बीत जाएगी।


पार्थ:- एक बात बता फिर जो हमने 10000 डॉलर का खर्चा करके तेरे लिए प्रेसनलाइटी डेवलपमेंट वाली जो टीचर रखी, उसने कुछ नहीं सिखाया क्या?


वीरभद्र कहीं गुम होते… "वो तो कमाल की टीचर थी भाई, ऐसे टीचर पहले मिली होती तो मैं इंग्लिश क्या फ्रेंच रशियन और चाइनीज भी सीख जाता।"


पार्थ:- बस कर लौंडे कहां उस बेचारी को तू नंगे इमेजिन करने लगा। साले गुरु-शिष्य का रिश्ता खराब कर दिया।


वीरभद्र:- क्या भाई, मैंने कोई रिश्ता खराब नहीं किया। वो मुझे सेक्स एजुकेशन दे रही थी और मैं सीख रहा था।


पार्थ:- साले पोर्न एजुकेशन कहते हैं उसे, सेक्स एजुकेशन नहीं।


वीरभद्र:- बस करो भाई, अब वो दौड़ गुजर गया है। लो हम पहुंच गए।


वीरे जैसे ही पहुंचा बैंड बजने लगे। ऐसा लग रहा था पूरा गांव उठकर उसके स्वागत के लिए पहुंच चुका हो। लोग फूल-माला डालकर स्वागत कर रहे थे, ऐसा लग रहा था जैसे कोई नेता पहुंचा हो। वीरभद्र के साथ-साथ पार्थ का भी स्वागत हुआ। दोनों को बीच सभा में बिठाया गया और उसके पास में गांव का मुखिया।


अबतक तो पार्थ को समझ में नहीं आया कि ये आखिर इन गांव वालों को हुआ क्या है, लेकिन जैसी ही उस सभा में वीरभद्र से गांव की पंचायत के लिए 1 लाख की मांग हुई, पार्थ को पूरी कहानी समझ में आ गई। वीरभद्र ने भी बिना दोबारा उनके मांगे 1 लाख रुपए पंचायत को दान कर दिए, साथ में 50000 वहां पर कॉलेज लाने के प्रयत्न कर रहे लोगों के लिए अनुदान दिया, जो गांव के लिए मेहनत कर रहे थे।


पैसा मिलते ही वीरभद्र की जय जयकार करते सारे गांव वाले वहां से निकले। उनके निकलते ही वीरभद्र, पार्थ के साथ एक छोटी सी गली के रास्ते, उस बड़े बंगलो के पीछे जाने लगा, जहां कुछ कच्चे मकान बने हुए थे। छोटी सी गली से जैसे ही दोनों थोड़ा आगे बढ़े.. अल्हड़ सी एक लड़की, घाघरा चोली पहने, रास्ता रोके खड़ी थी। ऐसा लग रहा था अभी-अभी धूल मिट्टी में नहा कर आयी हो। ऊपर से नीचे तक पूरे धूल में वो डूबी नजर आ रही थी।..


वीरभद्र:- क्या हुआ आज घर नहीं जाने देगी क्या मुझे..

तभी मां संकुंतला आरती की थाली लिए, ठीक उसके पीछे खड़ी होकर कहने लगी… "रास्ता छोड़ ना अपने भाई का, अभी तो वो आया है, अभी ही जाकर लाडवा दे सबसे।"..

वीरभद्र:- निम्मी देख हमारे साथ मेहमान आए हुए है। इन्हे ऐसे खड़ा करना अच्छा नहीं लगता।


"जबतक आप बदला नहीं लेते तबतक मै प्रतिशोध की आग में जलती रहूंगी। और जबतक ये प्रतिशोध की ज्वाला जलेगी, तुम्हारी बहन अन्न का एक निवाला नहीं लेगी।".. निम्मी अपनी बात कहती दोनों का रास्ता छोड़कर वहां से सीधा एक कच्चे मकान में घुस गई और धड़ाम से दरवाजा बंद कर लिया…


क्या तेवर थे.. पार्थ जब उसे सुना तो सुनकर ही दंग रहा गया। बिल्कुल किसी तेज छुड़ी की तरह जुबान और आखों में कोई रहम ना बची हो जैसे। क्या एटिट्यूड था, अपनी बात कहकर सीधा अपने कमरे में…


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रात के 8 बजे ऐमी उस कार्गो की डिलीवरी लेकर खोलने में व्यस्त थी, जिसकी शॉपिंग अपस्यु ने यूएसए में किया था। वो अपने स्टोर हाउस में अभी पार्सल खोलना शुरू ही की थी, तभी उसके फोन की घंटी बजी…


"हेल्लो नील"… ऐमी कॉल उठकर बोली..


नील:- तुम्हे पता भी है कुछ यहां मेरे साथ क्या हो रहा है? तुमसे यह उम्मीद नहीं थी ऐमी।


ऐमी:- क्या हो गया मेरे बेबी को? आज बहुत उदास लग रहा है।


नील:- तुम मुझसे अभी मिलो ऐमी? प्लीज आ जाओ बहुत कुछ है जो तुम्हे बताना है। आई मिस यू माय लव।


ऐमी:- ठीक है बेबी, कहां आना है बताओ…


नील:- मेरे सुनसान और वीरान घर में ऐमी, और कहां आओगी?


ऐमी:- ठीक है बेबी, अब वो घर सुनसान और वीरान नहीं होगी। 1 घंटे में तैयार होकर पहुंचती हूं।


नील:- सुनो स्वीटहार्ट, मेरे पास आने के लिए तुम्हे तैयार होने की जरूरत नहीं, जिस हाल में हो निकल आओ। आई रियली नीड यू।


"ठीक है बाबा समझ गई.. बस अपनी नीड को जरा संभालो, मै 10 मिनट में पहुंच रही हूं… लव यू स्वीटी।"…
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
वीर की बहन को किससे प्रतिशोध लेना हैं भाई
अब कहानी में यह नील कोन आ गया पहली बार नाम सुना हैं ऐमी के मुंह से
इसका क्या चक्कर हैं भाई
 

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"ठीक है बाबा समझ गई.. बस अपनी नीड को जरा संभालो, मै 10 मिनट में पहुंच रही हूं… लव यू स्वीटी।"…


कृपाल सिंह, उन हत्यारों में से एक, जिसने जून 2007 की उस रात कई मासूमों को जिंदा आग में झोंक दिया था, उसी का बेटा था यह नील, जो दिल्ली में रहकर पढ़ाई करता था। नील वहीं लड़का था जो होटल रेडिएशन के डस्को में अपस्यु के हाथों मार खाया था।


कुछ हद तक तो उसका ऐमी को हाथ लगाना अपस्यु को खल गया, लेकिन उससे भी बड़ी वजह यह थी कि अपस्यु….. भूषण और जमील के कत्ल के बाद हर किसी को अपने शिकार पर से ध्यान हटाने और पीछे हटने का संदेश दे चुका था लेकिन ऐमी उसके बावजूद अपने कामों में लगी हुई थी।


उन चार तुचों के कत्ल से उनके सरगना को कोई फर्क तो पड़ना नहीं था, लेकिन उन तूचों के वारिशों के दिल में क्या आग लगी है बस ये जानने के इरादे से ऐमी, नील से मिलने निकल गई।


जैसे ही वो उसके घर के अंदर पहुंची अंदर पूरा अंधेरा था… "नील, नील"..


नील:- यहीं बैठा हूं आ जाओ।


ऐमी:- कुछ रौशनी तो करो, यहां तो पूरा अंधेरा है।


नील:- अब तो ये ज़िन्दगी का हिस्सा बन गया है ऐमी, लेकिन तुम कहती हो तो रौशनी कर देता हूं।


"क्या हुआ ? तुम ऐसी हालत में?"… ऐमी, नील के पास पहुंचती हुई कहने लगी।


नील, रोते हुए कहने लगा… "कितना अभागा हूं मै ऐमी, मेरे पापा एक हादसे में मर गए और लाश तक नहीं मिली उनकी क्रियाक्रम के लिए। उनकी आत्मा को तृप्ति कैसे मिलेगी?"


नील, ऐमी के गोद में सर रखकर रोने लगा और ऐमी उसे सांत्वना देती हुई पूछने लगी…. "लेकिन ये हादसा हुआ कैसे?"


नील:- पापा अपने दोस्तों के साथ किसी कि एंगेजमेंट में यूएसए गए हुए थे। उसी होटल के बाहर 30 माले की बिल्डिंग से जेनरेटर उनकी कार पर गिरा और उनके साथ 3 और लोग मारे गए।


नील:- कितना अजीब है ना नील 30 माले की बिल्डिंग के ऊपर रखा जेनरेटर होटल से नीचे गिर जाता है, जो कि यूएसए जैसी जगह का होटल है, जहां सुरक्षा के सारे पैमाने सही-सही आंकते है। अपने यहां जो सेफ्टी मजर्स पर कोई ध्यान नहीं देते, उनके होटल कि छत से गमला तक नहीं गिरता और वहां पूरा जेनरेटर गिर गया। स्ट्रेंज नहीं…


ऐमी की बात सुनने के बाद नील चौंककर बैठ गया। अपने आखों से आंसू पोंछते हुए ऐमी से कहने लगा… "ठीक है तुम जाओ, मै बाद में मिलता हूं, अभी मुझे कुछ जरूरी काम निपटाने हैं।


ऐमी:- लेकिन बेबी तुम्ही ने यहां पर बुलाया था ना, अचानक से क्या हुआ तुम्हे…


नील:- कहा ना जाओ अभी.. मेरा बाप मरा नहीं मारा गया है। इसका बदला तो मै लेकर रहूंगा।


ऐमी:- नील मैं एक मशहूर वकील की बेटी हूं। एक बात अच्छे से कह सकती हूं, जिसने भी यह किया है वो कोई आम कातिल नहीं, बल्कि बहुत पहुंच वाला होगा। क्योंकि यूएसए में उसने इंडियन एंबेसी मैनेज कर लिया, एक पूरा मर्डर मैनेज कर लिया.. जो भी करना सोचकर करना।


नील:- थैंक्स ऐमी, मै समझ गया कि मुझे क्या करना है और कैसे करना है। बस कभी-कभी मै फसुं तो यूं ही मुझे सही रास्ता बताना। अभी तुम जाओ मुझे अब बहुत से काम करने है..


ऐमी बाहर निकलकर अपने कार में जैसे ही बैठी, जोर-जोर से हंसती हुई खुद से ही कहने लगी…. "लव यू सर, कहां रह गए जल्दी आ जाओ अब दिल नहीं लगता तुम्हारे बिना।"…



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राजस्थान.. वीरभद्र का गांव….




वीरभद्र निम्मी की हरकत पर थोड़ा चिढ़ गया। साथ में कौन आया है, उसका भाई कितने दिनों बाद आया है, ये सब जानने के बदला, अपना बचपना लेकर जिद पर अड़ी थी। खैर निम्मी के रास्ता छोड़ते ही पार्थ और वीरभद्र थोड़ा आगे बढ़े और सकुंतला दोनों की आरती उतार कर स्वागत की।


धूल मिट्टी और थकान से भड़ा सफर। पार्थ सबसे पहले नहाना ही जरूरी समझा। संकुंतला पार्थ को हुसल खाने के ओर ले जाने लगी और वीरभद्र अपनी बहन के कमरे जाते ही… "तुम्हे जरा भी तमीज नहीं है, किस वक़्त कैसे पेश आते है।"


निम्मी:- मुझे कुछ नहीं सुनना है, ये बताओ कि तुम उसका मुंह तोड़ोगे या नहीं।


वीरभद्र:- किससे झगड़ा करके आयी है?


निम्मी:- वृज किशोर और उसकी जोरू से। वृज किशोर की जोरू कमला मुझसे कहती है वो मेरी शादी अपने भाई से करवाएगी। इसपर मैंने भी दोनों को सुना दिया। अब तुम आ गए हो तो मेरा बदला लो।


वीरभद्र खींचकर उसे एक थप्पड लगाते हुए…. "तू भैय्या और भाभी से झगड़ा कर आयी है, और मुझसे उनका मुंह तोड़ने कह रही है। देख निम्मी अपनी ये बचपना बंद कर दे। और कान खोलकर सुन ले मेरे साथ बहुत ही खास मेहमान आए है, जो तुझे अंग्रेजी भी सिखाएंगे, इसलिए उनके सामने जरा अच्छे से पेश अना।


वीरभद्र की बात पर निम्मी अपना गुस्से से भड़ा चेहरा दूसरी ओर घुमा लेती है और वीरभद्र अपनी बात कहते हुए वहां से निकल जाता हैं। दोनों ही थके थे सो वीरभद्र भी चला गया नहाने के लिए। कुछ देर बात करने के बाद वीरभद्र अपने कमरे में चला गया सोने और पार्थ जिद करके बाहर चारपाई पर ही सो गया।


अंधेरी गहरी रात और खामोश इलाका। पार्थ आखें मूंदे सोया हुआ था, तभी उसने अपने ओर बढ़ रहे चाकू वाले हाथ को पकड़ा और कलाई को मोड़कर पीछे कमर तक ले जाते, उसने हमलावर को अपने ऊपर खींच लिया। जैसे ही हमलावर पार्थ के उपर आयी उसे स्त्री के होने का आभास हुआ और वो उठकर बैठ गया।


हमलावर वीरभद्र की बहन निम्मी थी, जिसे पार्थ ने अभी-अभी छोड़ा था और वो भी तेजी के साथ उठकर खड़ी हो गई… "तुम मुझ पर हमला क्यों कर रही थी"… पार्थ निम्मी को देखते पूछने लगा।


निम्मी:- शहरी बाबू यहां कदम कदम पर खतरा है, बेहतर यह होगा कि यहां से भाग जाओ।


पार्थ:- उसके लिए तुम मुझ पर चाकू से वार करने आयी थी।


निम्मी, अपने चाकू के धार पर अपना अंगूठा फेरती हुई…. "अभी तो बस ये एहसास करवाने आयी थी कि थोड़ा सचेत होकर सोया करो, वरना गला भी कट सकता है।


पार्थ उसकी बातों पर हंसते हुए पूछने लगा… "और क्या मै जन सकता हूं कि मेरा गला काटने की तैयारी क्यों हो रही है?


निम्मी:- क्योंकि वीरे बहुत बदल गया है। उसकी भाषा बदल गई, उसकी चाल बदल गई और तो और उसकी आदत को भी बदल गई तुम्हारे यहां होने की वजह से। खून बहने वाला मेरा भाई, आज मुझ पर ही गुस्सा होकर हाथ उठा दिया।


पार्थ, निम्मी को उसके बातों से भटकाते हुए पूछने लगा…. "तुमने खाना खाया?"


निम्मी:- मजाल है जो कोई खाना खिला दे मुझे, जबतक उस वृज किशोर का मुंह ना तोड़ दूं, तबतक खाना नहीं खाने वाली।


पार्थ:- ठीक है चलो।

निम्मी:- कहां

पार्थ:- मुंह तोड़ने..


निम्मी:- रहने दो सहरि बाबू, तुमलोग कांच के बने होते हो। पकड़े गए ना तो ऐसा तोड़ेंगे की फेवीक्विक से भी ना जोड़े जाओगे।


पार्थ:- हां तो अच्छा ही है ना, तुम्हे मारने कि जरूरत नहीं होगी। लेकिन कहीं मै उसका मुंह तोड़ने में कामयाब हो गया फिर..


निम्मी:- फिर क्या आराम से वापस आकर चारपाई पर सो जाना, समझो खतरा टल गया।


पार्थ:- नाह ये प्रस्ताव मुझे पसंद नहीं आया कुछ और ऐसा बताओ जो मुझे सच में पसंद आए..


निम्मी:- मै खूब समझती हूं साहरी बाबू.. सुनो मै कोई ऐसी वैसी लड़की नहीं जो तुम्हारे बातों के जाल में फांस जाऊं। वैसे भी तुमसे मैंने मदद नहीं मांगी है लेकिन करोगे तो मना भी नहीं करूंगी। बस बात खत्म।


निम्मी की बात सुनकर पार्थ की हंसी बंद नहीं हो रही थी। पार्थ ने निम्मी को आगे का रास्ता दिखाने कहा, और निम्मी उसे लेकर अपने चचरे भाई के दरवाजे पर पहुंच गई। वृज बाहर ही चारपाई पर सो रहा था, निम्मी इशारों में पार्थ को बता दी और पीछे अपने घर के रास्ते पर खड़ी होकर पार्थ के एक्शन का इंतजार करने लगी।


पार्थ ने भी बिना आगे की सोचो वृज के मुंह पर एक घुसा जड़ते हुए उसका मुंह तोड़ दिया। इधर जैसे ही उसका मुंह टूटा निम्मी कल्टि होकर सीधा गई और खाने पर टूट गई। इधर वृज दर्द से छटपटाते हुए उठा और अपना मुंह पकड़ कर बैठ गया। उसकी पत्नी जो अंदर सो रही थी बड़े ही अचेत अवस्था में कमरे से भागकर बाहर आयी और सामने किसी मर्द को देखकर वापस अपने कमरे में भागकर खुद के कपड़े ठीक करने लगी।


वृज काफी गुस्से में पार्थ को घूरते हुए उसे मारने के लिए बढ़ने लगा तभी पार्थ अपने दूसरे हाथ में रखे सांप को दिखाते हुए कहने लगा… "जान बच गई तुम्हारी वरना आज तो गए थे काम से।"..


जहरीली नस्ल के सांप को देखकर उसकी पत्नी और वृज दोनों चौंक गए… "तुम कौन हो परदेशी और यहां क्या कर रहे हो।"


पार्थ:- मै वीरभद्र के साथ आया हूं, शायद उस सभा में देखा हो तुमने मुझे, जहां वीरभद्र पंचायत के लिए पैसे दे रहा था।


कमला:- बाबूजी उस घर में एक एक पागल लड़की है आप जरा बचकर रहिएगा, पूरा गांव को सर पर उठाए रहती है पागल।


वृज:- कमला तू पागल हो गई क्या? नहीं बाबूजी ऐसी कोई बात नहीं है, वो तो हम सबकी लाडली है इसलिए थोड़ा बचपना है अभी। उसी से तो इस जगह की रौनक है।


राधिका:- हां दूध ही पीती बच्ची है अबतक। जब वीरे आएगा मुंह तोड़ने तब पता चलेगा। जैसी बहन वैसा भाई।


वृज:- तू लगाई बुझाई में मत रह। जाकर बाबूजी के लिए कुछ लेकर आ।


पार्थ उन दोनों को माना करके वहां से निकल तो आया लेकिन रात के अंधेरे में वो रास्ता भटक गया। बहुत ढूंढ़ने के बाद भी उसे घर की गली नहीं मिली, अतः मजबूरन उसे वापस फिर वृज के पास आना परा। जब वो वापस आया तब वृज घोड़े बेचकर सो रहा था और कमला अपने दरवाजे के बाहर बैठी हुई थी… "क्या हुआ बाबूजी"…


पार्थ:- कुछ नहीं बस वो रास्ता भूल गया था इसलिए इन्हे साथ चलने कहने आया था।


कमला:- आइए बाबूजी मेरे पीछे।


कमला आगे-आगे चल रही थी और छोटे-छोटे सवाल पार्थ से पूछ रही थी, जिसका जवाब वो भी देते चल रहा था। जैसे ही पतली गाली आयी, कमला ने पार्थ को दीवार से सटा दिया और उसके ऊपर लदती हुई अपने छाती को पूरा पार्थ के सीने से चिपकते कहने लगी… "मुझे पता है बाबूजी की वहां कोई सांप नहीं था, आप वो कुतिया निम्मी के कहने पर मेरे मरद का मुंह तोड़े हो।"


पार्थ, उसे अपने ऊपर से हटाते हुए कहने लगा…. "ये तुम क्या कर रही हो, तुम जाओ यहां से मै चला जाऊंगा।"


कमला:- अभी तो जा रही हूं लेकिन कल रात 12 बजे के बाद मुझे यहीं मिलना, एक काम तुमने निम्मी के लिए किया, अब एक काम कल मेरे लिए करना होगा?


पार्थ बड़े ही आश्चर्य से पूछने लगा… "कैसा काम"..


कमला हंसती हुई कहने लगी.. "वही मर्दों वाला काम".. और हंसती हुई वहां से वापस लौट गई। पार्थ थोड़ी देर तक वहीं घोर आश्चर्य में खड़े रहने के बाद खुद से ही कहने लगा… "इतनी शॉर्ट मुलाकात में अमेरिकन ना पटे, कमाल है… यहां का गांव तो काफी तरक्की में है। मुझे क्या, ख्वाहिश है, पूरी कर देंगे।"…



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रात के तकरीबन 1.30 बज रहे थे, आरव लावणी के कॉल पर बस सबके सोने का इंतजार कर रहा था। कुंजल और स्वस्तिका के बीच का नोक झोंक कुछ लंबा ही खींच गया, और देर हो गई। तकरीबन 1.30 बजें लावणी से मिलने आरव चोरी से निकला।


छिपते-छिपाते लावणी के कमरे में पहुंचा। अंदर का माहौल काफी डरावना था। अंधेरा कमरा और कम्बल को सर पर ओढ़े लावणी, बैठकर टीवी पर हॉरर फिल्म देख रही थी। वो इतना मगन थी कि कब दरवाजा खुला और कब आरव अंदर पहुंचा पता भी नहीं चला। आरव उसके करीब बैठते कम्बल समेत अपने बाहों में जैसे ही समेटा, सामने हॉरर पिक्चर ऊपर से स्क्रीन पर पूरा थ्रिलिंग माहौल, बाहों में लेने के साथ ही जोर कि चींख निकल गई। चींख सुनते ही बाथरूम का दरवाजा खुला और अंदर की रौशनी में पता चला लावणी तो उधर है।


आरव झटके से बिस्तर से खड़ा होकर नजर उस ओर दिया जहां अबतक वो कम्बल में लावणी को बैठे समझ रहा था, कम्बल हटा तो पता चला साची बैठी हुई है, और साची के तेज चींख के साथ ही बाहर के हॉल में भी लोगों कि चहल कदमी शुरू हो चुकी थी….
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
आरव के हाथों ये क्या कांड करवा दिया नैन भाई
उधर पार्थ के लाटरी लग गई
 

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लड़की:- यार घरवालों को दिखाने के लिए इसके बाजू में ही एक और चूतिया रहता है पंकज, बताने के लिए उसे मैंने अपना बॉयफ्रेंड बना रखा था। अब उस चूतिया पंकज मेरे साथ सेक्स करने के लिए इसका कमरा मांग लिया। और उसी दिन मैंने भी इससे कमरा मांग लिया, पर अपनी गर्लफ्रेंड के लिए। इस चूतिए गुफी और प्रदीप ने पंकज को बता दिया कि अपार्टमेंट में मेरा एक बॉयफ्रेंड और अपार्टमेंट के बाहर 1,2 और बॉयफ्रेंड है।


स्वस्तिका:- सच में गधे है दोनों।


लड़की:- गधे की मां की चू.. जरा ये डंडा देना बैंचों से हिसाब बराबर कर लूं।


स्वस्तिका:- हेय उनके ओर से सॉरी एक्चुली कभी वो किसी बोल्ड गर्ल से मिले नहीं ना, इनफैक्ट तुम समझ सकती हो, जिसने कभी ओपन माहौल ना देखा हो तो वो कैसे रिएक्ट करेगा। वैसे मै एक परमानेंट सॉल्यूशन बता सकती हूं।


लड़की:- क्या?


स्वस्तिका:- तुम और तुम्हारी गर्लफ्रेंड इन दोनों को पकड़ लो तो?


लड़की:- हम्मम ! विचार करने लायक बात तो है, लेकिन यार एक डर भी लगा रहता है, इनकी बेवकूफियां। साले चिपकू होते है, सीरियस टाइप वाले।


स्वस्तिका:- इन्हे इनकी मतलब की चीज मिलेगी, तुम्हे अपने मतलब की। ऊपर से इनका ट्रेवलिंग वाला काम है तो दोनों कभी बाहर कभी अपने कमरे में, ऊपर से दोनों रहेंगे तो पिकअप और ड्रॉप की चिंता भी खत्म।


लड़की:- हम्मम ! गुड आइडिया। थैंक्स डियर, वैसे हॉट तुम भी कम नहीं।


स्वस्तिका:- लेकिन डार्लिंग मेरा अभी लड़कों से मन भरा नहीं, इसलिए हम दोनों में कुछ नहीं हो सकता। बाय द वे मैं स्वस्तिका।


लड़की:- मै जेन..


स्वस्तिका:- ठीक है जेन, नंबर देती जाओ, दोनों को सब समझाकर फोन करवाती हूं उनसे।


जेन के जाते ही स्वस्तिका जब लौटी तो बिना कुछ कहे ही दोनों को 2 डंडे होंक दी।… "क्या हुआ जो दोनों को मार रही हो।"…


स्वस्तिका:- कुछ नहीं छोड़ो, मै बाद में बात करती हूं दोनों से। और भी किसी लेडीज को यहां निपटाना है या हो गया सब खत्म।


आरव:- क्यों क्या हुआ, तुझे मज़ा नहीं आ रहा है क्या?


स्वस्तिका:- नहीं वो बात नहीं है, पहली बार तुम लोगों से दूर जाते थोड़ा इमोशनल फील कर रही हूं।


आरव उसके कंधे पर हाथ रखते, उसे किसी दोस्त की तरह पकड़ा… "हेय हमारी नॉटी तो ब्रेव है ना। अच्छा सुन अपस्यु को लौट आने दे यहां फिर मै और मां कुछ दिनों के लिए तेरे पास आ जाएंगे।


स्वस्तिका:- नहीं कोई मत आना, वरना ये आना जाना और भटकायगा। मै वहां का काम समेटकर तय समय तक वापस आ जाऊंगी।


आरव:- चल ठीक है फिर ऐसे मायूस नहीं होते।


स्वस्तिका और कुंजल के साथ पूरा वक़्त बीतने के बाद शाम को सभी उसे एयरपोर्ट ड्रॉप करने नीकल गए। कुंजल जाए और वहां साची ना हो और जहां साची हो वहां लावणी ना हो। ऐसे करके पूरा कुनवा ही आ गया छोड़ने दोनों को। लौटते वक़्त वहीं से लावणी और आरव अपने कुछ खास पल बटोरने साथ घूमने निकल गए वहीं नादनी साची के साथ वापस लौट आयी।



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राजस्थान वीरभद्र का गांव...


पूजा की तैयारियां करनी थी इसलिए बिल्कुल सुबह से ही सब तैयारियों में लगे हुए थे। वीरभद्र और शकुंतला दोनों मिलकर सरा काम कर रहे थे। पार्थ ने बीती शाम ही अगली सुबह 11.10 मिनट का मुहरत निकाल दिया था।


दोनों काम में लगी थी। कुछ देर बाद निम्मी भी जाग गई और वो भी पूजा के काम में हाथ बटाने लगी। सुबह के 8 बजे लगभग जब सरा काम खत्म हो गया, तब वीरभद्र और शकुंतला गांव वालों की बुलाने चले गए। जाते-जाते निम्मी को तैयार होकर पार्थ को उठाकर विधि शुरु करने के लिए कहते गए दोनों।


धुप तेज होने की वजह से पार्थ की भी नींद खुल गई और वो जम्हाई लेते जैसे ही जगा, नजरों के सामने वहीं कल वाली निम्मी थी, जो अल्लहर और धूल से नहाई हुई थी। पार्थ अपना आंख मिजते हुए, पूरी आखें खोल कर देखा… उसे देखकर तो उसके मुंह से "वाउ" ही निकला… "ओय शहरी बाबू, नजरें ठीक करो अपनी, वरना चाकू घुसेड़ दूंगी।"..


"सॉरी वो तुम इतनी कमाल कि लग रही थी कि मै खुद को तुम्हे देखने से रोक नहीं पाया।"..


निम्मी:- देखना हो गया हो तो जाओ तैयार हो जाओ, खुद ही सुबह का मुहरत देकर भूल गए। आज ही मुझे अपने खुद के कमरे में जाना है।


पार्थ:- तुमलोग वहां चले जाओगे तो फिर ये मकान।


निम्मी:- मेरे दानवीर भाई और मेरी मां है ना.. उन्होंने ये सब मेरे चचेरे भाई को दान कर दिया। हम वहां जाएंगे और वो यहां आएंगे… लो देखो भिकरी आ भी रहे है। मै जा रही हूं तुम तैयार होकर आओ।


पार्थ अंदर बैग से अपना तौलिया निकाला और चल दिया जल्दी से फ्रेश होने। वो जब नहाकर तौलिए में बाहर निकाल रहा था, ठीक उसी वक़्त वृज उसका रास्ता रोके उसे कल रात के लिए एक बार फिर धन्यवाद कहने लगा। वहीं पास में ही खड़ी उसकी बीवी कमला इतने नेक इरादे से पार्थ को देख रही थी, कि पार्थ को थोड़ा डर भी ही गया, कहीं कमला उसका रेप ना करदे अपने पति के ही सामने।


पार्थ तेजी से अपनी जान और इज्जत दोनों बचाते हुए वहां से सीधा कमरे ने भागा और धोती कुर्ते पहनकर तैयार हो गया। गृह प्रवेश का सरा काम खत्म करके वीरभद्र और पार्थ दोनों कुछ पल के लिए ही मात्र घर के अंदर घुसे, फिर वहां से ऐमी के भेजे कार्गो को लेने दोनों उदयपुर के लिए निकल गए।


बीती रात को ऐमी ने हर किसी का सामान उसके सुविधानुसार उनके बताए जगह पर भिजवा दिया था। चूंकि पार्थ को काम जल्दी शुरू करना था इसलिए ऐमी ने अपने एक कर्मचारी के हाथ से वो पार्सल उदयपुर भिजवा दिया था।


पार्थ:- तुम्हे कुछ आइडिया है कि तुम्हे यूएसए में स्निपर ट्रेनिंग और यहां मै तुम्हे 3 महीने की ट्रेनिंग क्यों देने आया हूं।


वीरभद्र:- अपना मर्दों वाला काम है पार्थ भाई। खून से सने पैसों को साफ करना और जमीन पर लेट कर रोना।


पार्थ:- अच्छा मज़ाक था। अब जो पूछा वो बताओ।


वीरभद्र:- मुझे ज्यादा तो पता नहीं लेकिन अंदर ही अंदर आप लोग किसी को बर्बाद करने कि सोच रहे हो, और सबसे ख़तरनाक तो वो अपस्यु भाई हैं। केवल बिजली के लाइट ऑन ऑफ करवाया और उसी के कुछ देर बाद 4 लोगों को कार समेत पापड़ बना दिया।


पार्थ:- हम्मम। मतलब चीजों को परखना तुम भी सीख रहे हो।


वीरभद्र:- सब गुरुदेव आरव की कृपा है।


पार्थ:- तुम विक्रम सिंह राठौड़ को जानते हो।


वीरभद्र:- वो बड़ी से कंपनी के मालिक, महाराज हर्षवर्धन सिंह राठौड़ के वंशज की बात तो नहीं कर रहे ना।


पार्थ:- हां उसी कि बात कर रहा हूं।


वीरभद्र:- उन्हें कौन नहीं जानता। ये पूरा गांव और इसके अंदर तक सुदूर इलाका सब उन्हीं का तो था। पहले राजा थे तो सीमा बढ़ाते थे, अब व्यापारी है तो व्यापार बढ़ाते हैं। उनकी पड़ोस के गांव पर तो उनकी असीम कृपा भी है। आप ये जो मेरा मकान देख रहे हो ना, पड़ोस का पूरे गांव में इससे भी शानदार मकाने हैं, कोई 1 एकर, तो कोई 2 एकड़ में बने मकान। उसी गांव के बीच है राजा साहब का भव्य महल।


पार्थ:- अच्छा एक बात बताओ, ये कुंवर सिंह राठौड़ की क्या कहानी है?


वीरभद्र:- बहुत ही नीच और गिरा हुआ था वो। शुरू-शुरू में तो सब उसे राजा का ही दर्जा देते थे, लेकिन कुंवर सिंह ने पहले तो धोखे से अपने भाई की सारी संपत्ति हड़प ली।


पार्थ:- किसकी..


वीरभद्र:- राजा विक्रम के पिताजी सूरज भान की। फिर उन्हें पड़ोस के ही गांव में छोटा सा जमीन का टुकड़ा दे दिया। यहीं कहते है पार्थ भाई की कोई एक भाई कितना भी बेईमान हो जाए, दूसरा भाई में अपने भाई के लिए दया जरूर होती है। सूरज भान भी वही दयालु भाई था। कुंवर सिंह ने चाहे कितने भी धोखे किए हो, लेकिन कभी सूरजभान ने किसीको अपनी आपबीती नहीं सुनाई।


पार्थ:- आपबीती नहीं सुनाई तो तुम्हे कैसे पता?


वीरभद्र:- क्योंकि हम जहां से गुजर रहे है ये पूरा इलाका कुंवर सिंह का है और पड़ोस के गांव सूरजभान को दिया गया था। वहां देखिए राजा विक्रम ने जब खुद की तरक्की की, तो पूरा गांव तरक्की कर रहा है और यहां सब ऐसे ही पड़ा है, भोगने वाला कोई वारिश नहीं।


पार्थ:- क्यों उस परिवार का क्या हुआ सो?


वीरभद्र:- कुत्ते की मौत मेरे थे। पहले गाड़ी पर बिजली गिरि, जिसमे पूरा खानदान झुलस गया। फिर पत्थर में कहीं दब गई उनकी गाड़ी। कोई क्रियाकर्म करने वाला तक नहीं था तो राजा विक्रम ने ही सबका क्रियाक्रम किया था। हां उसकी एक बेटी तो थी जो किसी के प्रेम में पड़कर शादी कर ली, लेकिन वो दोबारा कभी लौटी नहीं। वैसे भी ना ही लौटे उसीमें उसकी भलाई है, क्योंकि वो यदि यहां आ गई तो लोग उसे और उसके पूरे परिवार को जान से मार देंगे।


पार्थ:- यह परिवार इतना बुरा है तुम लोगों की कब पता चला?


वीरभद्र:- पता क्या चलना भाई, कोई बात छिपी थोड़े ना रहती है। दोनों गांव के कई शादियां है तो पता चल ही जाता है।


पार्थ:- फिर तो कुंवर सिंह का भी महल होगा।


वीरभद्र:- नहीं यहां गांव में नहीं थी कोई महल। एक उदयपुर में उनका निवास था जो शायद आजकल किसी होटल में बदल गई है। दूसरी दिल्ली में एक आलीशान भवन है, वहां राजा विक्रम रहते हैं। उनकी इंसानियत देखिए वो चाहे तो पूरे इलाके का इकलौता वारिस हो, क्योंकि बेटियों का संपत्ति पर हिस्सा नहीं होता लेकिन राजा विक्रम ने केवल एक चौथाई हिस्सा अपने पास रखा और उसी ने अपना और अपने लोगों की तरक्की कर रहे। और जो मुंह कला करके भाग गई उसके नाम बाकी की संपत्ति जमा होते रहती है। केवल इस आस में कि कभी तो वो लौटेगी। कमाल है ना, राजा विक्रम ने 1 रुपए की संपत्ति को अपनी मेहनत से 1000 रुपए का बना गए और एक महारानी बिना मेहनत किए 750 की मालकिन है। जो मेहनत कर रहा है उसके हिस्से में 250 रुपए है.. लेकिन वो उसमे भी खुश है। वो तो यही कहता है मै तो 0 से शुरू करके 250 पर हूं, दूसरो की संपत्ति क्यों देखूं।


पार्थ:- कमाल के इंसान है ये राजा विक्रम। वैसे तुम्हे पता है कि नहीं एंगेजमेंट में विक्रम सिंह राठौड़ भी पहुंचे हुए थे…


वीरभद्र:- क्या बात कर रहे हो भाई, मुझे बताया क्यों नहीं की वो वहीं होटल में है, मुझे मिलना था उनसे..


पार्थ:- चिंता मत कर जल्द ही मिलेगा।


वीरभद्र:- भाई आप लोग की कृपा रही तो मै उस देवता से जरूर मिल लूंगा।


पार्थ:- एक बात बता सच सच..


वीरभद्र:- पूछो ना भाई।


पार्थ:- अगर तू आरव को देखता है और उसे राजा विक्रम की तुलना करते हो तो कौन ज्यादा अच्छा है।


वीरभद्र:- यह कैसा सवाल है। दोनों में कहां आप मेल ढूंढ़ रहे हो?


पार्थ:- फिर भी बता ना..


वीरभद्र:- सुनो भाई, राजा विक्रम की सुनी सुनाई बात है। इसलिए मैंने जो देखा, मेहसूस किया, और अपनी बुद्धि से जितना समझा हूं, उससे मै एक ही बात कहूंगा, आप सब का कोई तुलना नहीं। आप लोग न्याय और नीति के साथ अपने लोगों का ख्याल रखते हो, बाकी वो राजा विक्रम है उन्होंने जो किया है वो भी कोई कम नहीं लेकिन चूंकि मैंने उन्हें कभी देखा नहीं और ना ही उनके बारे में करीब से जाना इसलिए तुलना नहीं कर सकता।


पार्थ:- वीरे तू अपस्यु के पास बैठता था क्या?


वीरभद्र:- हां… पूरे एंगेजमेंट उन्होंने मुझे अपने साथ रखा था। लेकिन बात क्या है भाई?


पार्थ:- समझदारी की बातें किसी को भी जो समझा सके वो इकलौता पंडित वहीं है। खैर अब एक अहम सवाल.. क्या तुम्हे पता है कि तुम्हे इतनी ट्रेनिंग और बाकी सारी चीजे क्यों सिखाई जा रही है?


वीरभद्र:- नाह, मैंने कभी नहीं सोचा और ना ही पुछा। केवल इस विश्वास के साथ की पहले मै गलत लोगों के साथ था, अब तो जैसा काम दीजिए करता जाऊंगा। मर भी गया तो सुकून होगा कि कुछ अच्छा करके मरा। सुकून इस बात का भी होगा कि मेरे पीछे मेरे परिवार को कोई देखने वाला होगा।


पार्थ:- ठीक है वक़्त आ गया है तुम्हे बताने का की तुम क्या काम करोगे और किसके लिए करोगे..


वीरभद्र काफी उत्सुकता से … "जल्दी बताओ भाई"


पार्थ:- तुम्हारे ऊपर कुंजल और आंटी की जिम्मेदारी रहेगी। उन्हें पूरा सुरक्षा प्रदान करना। तुम्हे उनके लिए एक बॉडीगार्ड से बढ़कर बनना होगा।


वीरभद्र:- क्या मज़ाक कर रहे हो भाई। उन दोनों कि किसी ने छुए भी तो उनका अस्तित्व मिट जाना है। मैं बेवकूफ हूं लेकिन इतना भी नहीं की ये ना समझ सकू की आपसब क्या कर सकते हो और खासकर वो शांत इंसान जो हमेशा मुस्कुराते रहता है। ऐसा लगता है स्वयं महादेव विराजमान है उनके अंदर। जिनका विनाश करीब होगा वही पंगे लेगा आप लोगों से।


पार्थ:- अभी पता चल जाएगा.. जैसे अब तक सब जान कर भी सारे बातों से अनजान हो, ये बात भी ठीक वैसे ही है। नंदनी रघुवंशी के पिताजी का नाम कुंवर सिंह राठौड़ है।..


वीरभद्र जो अबतक पूरे संतुलन के साथ गाड़ी चला रहा था, पार्थ के मुंह से यह सच सुनकर ऐसा संतुलन खोया की ब्रेक लगाते-लगाते एक चट्टान से जाकर गाड़ी भिड़ा दिया। उसका पूरा दिमाग ही जैसे काम करना बंद कर दिया हो और टुकुर टुकुर बस पार्थ को ही देखे जा रहा था।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
पार्थ को आहिस्ता से बोंब फोड़ना था भले ही उनके साथ रहने लगा हों लेकिन हैं तो गांव का भोलाभाला मानस हीं
 
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