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आरव:- वहीं जो आप समझकर भी नहीं समझना चाहते। क्या जरूरत थी आप को उंगली करने कि… आखिर आप अपने ऑफिस में बैठकर टारगेट किसे कर रहे थे?.
"मै खुद को"… राजीव 1 पेग लगाते हुए आरव से अपनी दिल की बात कह गया।………
आरव:- इससे क्या साबित होगा, आप बहुत महान हो?
राजीव एक पेग और तेजी में खिंचते हुए…. "तुम चले जाओ यहां से, मै अभी होश में नहीं हूं।"..
आरव, राजीव को कमर से पकड़ते, उठाकर बिस्तर पर बिठा दिया…. "पी कर टून नहीं होना ना, मुझे अभी आपसे बात करनी है, फिर दोनों साथ में पिएंगे।
राजीव:- देख तू फालतू में किसी पचरे में ना ही पर, और निकल जाओ यहां से, वरना मुझे भी पता ना की मै तुम्हारा यहां क्या हाल करूंगा?
आरव:- नपुंसक समझते हो ना, वही हो आप.. और कुछ नहीं कर सकते। एक बार कोशिश तो कि थी ना… भेजे तो थे शूटर मुझे मारने के लिए, क्या हो गया फिर?
आरव की बात सुनकर राजीव पूरे होश खोते उसे एक थप्पड जर दिया…. और गुस्से में खड़े होकर उसे देखने लगा…
आरव:- मै जा रहा हूं लेकिन एक बात आप याद रखना, वो जो आप खुद के लिए कर रहे हो ना, उसमे आपके बीवी और बच्चे सभी लपेट लिए जाएंगे। आईएएस का मतलब मोस्ट इंटेलिजेंट होता है, खुद को देख लो, क्या हो आप।
अपनी बात कहकर आरव वहां से निकलने लगा तभी राजीव उसे रोकते हुए माफी मांगा और साथ बैठने के लिए बोला… कुछ पल की खामोशी रही फिर राजीव अपना हाल-ए-दिल आरव के सामने बयान करने लगा। कैसे वो शुरवात से लेकर अब तक का सफर तय किया था। उसकी पूरी कहानी सुनने के बाद आरव अपनी बात रखते कहने लगा…
"जिंदा रहोगे और परिवार सलामत रहेगा तो कई मौके मिलेंगे गलत को सही करने के लिए, वरना गुस्से में जो आप खेल गए, उससे होना कुछ नहीं है। सब मिलकर आपके और आपके परिवार की बली लेकर अपने जीत का जश्न मनाएंगे। बुद्धिमानी किस बात में है, वो आपको सोचना है। मैंने सिन्हा अंकल को होम मिनिस्टर सर से मिलने भेज दिया है, इस आश्वाशन के साथ की अब इसके बाद आप और कोई बेवकूफी नहीं करेंगे। आगे आप की मर्जी।"..
आरव की पूरी बात सुनकर राजीव कुछ देर खामोश रहा, सभी बिंदु पर सोचते हुए वो आरव से कहने लगा… "हम्मम !! ठीक है अब मै मौका देखकर सलाह लेकर ही कुछ करूंगा। मैंने गुस्से में गलत फैसला लिया था।"
आरव:- अब पीते हुए बात करें क्या ?
राजीव पहले तो आरव को गुस्से से घुरा, फिर हंसते हुए उसके कंधे पर हाथ रखते हुए, दोनों बैठ गए बैठक लगाने… मां घर पर थी, इसलिए आरव ज्यादा पी नहीं सकता था। लेकिन अब ससुर के साथ बैठा तो, जिद में नॉर्मल से 2 पेग ज्यादा खींच लिया।
आरव:- ससुर जी अब मै चलता हूं, लेकिन जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा।
राजीव:- ठीक है सर बिल्कुल निभाऊंगा। चलो मै तुम्हे छोड़कर आता हूं…
आरव:- नाह, मै चला जाऊंगा आप आराम करो।
आरव धीरे-धीरे सीढ़ियों से नीचे उतरा, फिर दाएं-बाएं एतिहात से देखने लगा, कहीं लावणी तो नहीं। हॉल में लावणी को ना देखकर, आरव दबे पाऊं हॉल से बाहर निकल ही रहा था, कि उसी वक़्त राजीव ऊपर से चिल्लाते हुए कहने लगा… "बेटा अपना बैग यहीं ऊपर ही छोड़कर जा रहे।"
आरव का नाम सुनते ही लावणी के कान खड़े हो गए और वो भागकर बाहर आयी, आरव को घूरती हुई इशारों में अपने कमरे में जाने के लिए कही और राजीव से बैग लेने चली गई। लावणी ने जैसे ही अपने हाथ में बैग ली, उसे बैग जरूरत से ज्यादा ही भारी लगी। वहां से वो चुपचाप नीचे अपने कमरे में आयी और दरवाजा धम्म से बंद करती…. "तुम्हारा ये बैग इतना भारी क्यों है।"..
आरव एक कदम आगे बढ़ते उसके कमर में जैसे ही हाथ डालने की कोशिश किया, उसके हाथ में सुई चुभी और वो अपने हाथ झटकते रुका…. "चुपचाप पलंग पर बैठो और मेरे सवालों का जवाब दो।"
आरव उसे हसरत भरी नजरों से देखते…. "बेबी वो तो हम एक दूसरे को गले लगाकर भी एक दूसरे से लिपट कर बात कर सकतें है ना।"..
लावणी अपनी आखें दिखाती… "दुनियाभर के लोगों से ऐसे ही गले मिलकर बात करते हो क्या?"
आरव:- क्या है यार किस बात का खुननस निकाल रही हो? सब लोग थे थोड़ा सा मज़ाक कर लिए, इसमें कौन सा बड़ा इश्यू हो गया।
लावणी:- हम्मम !! और ये शराब कि बॉटल, ये तो आज कल सोशल है ना। तुम्हारा ये लड़खड़ा कर चलना भी नॉर्मल ही होगा। ठीक है जाओ यहां से। और सॉरी..
आरव, लावणी का उतरा चेहरा देखकर समझ गया कुछ तो गड़बड़ हो गई है, वो तुरंत गलती की सुधारने के लिए उससे "सॉरी" कहने लगा। लावणी बिना कोई प्रतिक्रिया देती दरवाजा पूरा खोल दी और हाथ के इशारे से बाहर जाने के लिए कहने लगी, लेकिन आरव, लावणी का उतरा चेहरा देखकर कहीं जाना नहीं चाहता था इसलिए वो वहीं बिस्तर पर बैठा रहा…. "फाइन !! तुम यहीं रहो मै ही जाती हूं।"
आरव मायूसी से… "रूको मै जाता हूं। लेकिन ये गलत है, गुस्से में जोर से कुछ निकल गया तो उसपर तुम इतना रिएक्ट कर रही हो।"..
लावणी:- होश में होते ना और जोर से क्या, 2 थप्पड भी लगा देते तो फर्क नहीं पड़ता लेकिन.. छोड़ो जाने दो।
आरव:- तुम्हे मेरे नशे से प्रॉबलम है ना.. मेरे पीने से ना.. ठीक है..
लावणी:- रूको भीष्म प्रतिज्ञा लेने की जरूरत नहीं, मुझे बस तुम्हारे रोज-रोज के पीने से प्रॉबलम है बस। कभी-कभी के लिए कोई बात नहीं है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि तुम ओवरलोड होकर आओ।
आरव:- अब तो मुस्कुरा दो..
साची:- हां, हां मुस्कुरा भी दे, बेचारा कितना क्यूट लग रहा है देख तो।
लावणी:- क्या दीदी आप भी ना.. कब से छिपकर सब देख रही थी..
साची:- शुरू से। वैसे मै जा रही हूं कुंजल से गप्पे लड़ाने तुम दोनों आराम से बातें करो।
लावणी:- सुनो दी, आरव को भी लेते जाओ और थोड़ा बचा लेना आंटी को पता ना चले।
साची:- कहीं उसे बचाने के चक्कर में मुझे ना लाफा पर जाए। नंदनी आंटी मुन्ना भाई से इंस्पायर्ड है। वो फिल्म में लाफा किंग है और यहां हमारी नंदनी आंटी लाफा क्वीन।
आरव:- हटो दोनों रास्ते से। मेरा घर बसने से पहले ही उजर जाएगा.. यहां हॉट रोमांस होना चाहिए तो माहौल को पूरा सास बहू का मेलो ड्रामा बनाकर रख दिया।
आरव मुंह लटकाए वहां से निकल गया और उसे ऐसे जाते देख दोनों बहन की हंसी निकल गईं। साची उसे बिठाते हुए कहने लगी… "कुछ ज्यादा तूने गुस्सा नहीं दिखा दिया बेचारे पर।"..
लावणी:- लेकिन दी..
साची:- वो एंगेजमेंट में नहीं पिया, जिस दिन सब डिस्को में थे तब नहीं पिया, मुझे नहीं लगता कि उसने यूएसए में कभी पिया भी हो जबकि चोरी से हमने ही पिया था, अब बताओ।
लावणी:- सॉरी दी, मैंने इतनी गहराई से नहीं सोचा बस जो जी में आया बोल गई।
साची:- सॉरी मुझे नहीं उसे जाकर बोल।
दोनों बहन चल दी ऊपर। फ्लैट में जाने के 2 दरवाजे थे, चुकी आरव पीकर आया था इसलिए सब लोग जहां बैठक लगाए रहते है, उस दरवाजे से ना अाकर आरव चुपचाप दूसरे दरवाजे से दाखिल हुआ और सबको दूर से ही देखकर, हाथ हिलाते अपने कमरे में चला गया।
कुंजल खाना पका रही थी और नंदनी बैठकर स्वस्तिका से बात कर रही थी। तभी दोनों ने भी आरव को देखा, आरव को देखते ही नंदनी कहने लगी… "देखी इसकी होशियारी, इसे लगता है दूर से जाएगा तो मुझे कुछ पता नहीं चलेगा।
स्वस्तिका:- बुलाऊं क्या फिर उसे मां।
नंदनी:- नहीं रहने दे, मेरा ये बेटा समझदार हो गया है। अब ये नहीं पीता, बस वही बड़ा वाला बिगड़ा निकल गया, कितना भी माना करो फिर भी वहीं हाल है।
स्वस्तिका एडवांस में ही अपने गाल पर दोनों हाथ रखती…. "मां वो"…
नंदनी:- मार तो वैसे भी खा जाएगी इसलिए जाने दे उसकी चमची मत बन।
इतने में घर की बेल बजी और दोनों बहन अंदर। अंदर आते ही लावणी सीधा नंदनी के पास पहुंची और उसे पाऊं छूकर प्रणाम करने लगी…. "अब क्या तुम सुबह-शाम आओगी तो यूं ही प्रणाम करती रहोगी। बस हो गया ये कभी-कभी अच्छा लगता है, रोज करते रहोगी तो बकवास लगेगा। क्यों सही कहा ना।
साची और स्वस्तिका दोनों एक साथ:- हां बिल्कुल !!
लावणी:- आंटी आरव कहां है?
नंदनी:- अपने कमरे में है।
बस एक छोटा सा सवाल और सबके सामने से लावणी निकल गई आरव के कमरे में। उस इतने विश्वास के साथ जाते देख नंदनी हंसती हुई साची से पूछने लगी… "इसे क्या हुआ।"..
साची:- वहीं जो पति पत्नी के बीच अक्सर होता है। इनका पहले से हो रहा है।
स्वस्तिका:- हीहीहीहीही… चलकर मेलो ड्रामा एन्जॉय करे क्या?
नंदनी:- पागल, तू क्या करेगी जाकर, दोनों को आपस में समझने दे।
तीनों अभी बात कर ही रहे थे कि बाहर शोर होने लगा… शोर की आवाज़ सुनकर नंदनी बाहर निकली। बाहर गहमा-गहमी का माहौल था। लावणी अभी कमरे तक पहुंची भी नहीं थी, इतने में आरव भी शोर सुनकर बाहर निकाल ही रहा था कि रास्ते में ही लावणी टकरा गई…
आरव:- क्या हुआ अब यहां आकर सुनाने वाली हो क्या?
"हीहीहीहीही.. नहीं."… और इतना कहकर वो आरव के कमर में हाथ डालकर उससे चिपकती हुई कहने लगी… "आई एम् सॉरी"…. "बेबी कल कहीं घूमने चलते है, और अभी का रोमांस कल पर टालते है। फिलहाल बाहर देखने दो किस बात का हल्ला हो रहा है।"
लावणी:- नाह मै कल तक रुक नहीं सकती, आज रात ठीक वैसे ही आना जैसे पहले आए थे।
आरव:- लेकिन बेबी..
लावणी उसके होटों पर उंगली डालती… "कोई लेकिन नहीं, सब क्लियर है और तुम आ रहे हो। अब चलो।"
वो दोनों भी बाहर निकले। बाहर निकलकर ऐसा लगा जैसे वहां कोई जंग का माहौल हो। पूरी कॉलोनी ही इनके घर के आगे जैसे जमा हो और नंदनी सबको बस शांत होने कह रही थी। इतने में गलती से, एक लड़के से नंदनी को धक्का लग गया और नंदनी पीछे दीवार से टकरा गई।
वहीं पास में ही स्वस्तिका खड़ी थी, और सामने पूरी भीड़। स्वस्तिका उस लड़के का कॉलर पकड़ी और खींचती हुई लॉबी की बाउंड्री तक ले जाती सीधा तीन माले से नीचे लटका दी।… "साले सब शांत हो जाओ वरना इसकी तरह लतकाऊंगी नहीं, बल्कि सबको सीधा नीचे फेक दूंगी।"..
स्वस्तिका का ऐसा करना था और पूरी भीड़ शांत। आरव दौड़ कर पहुंचा और उस लड़के को ऊपर खींचा। स्वस्तिका अब भी गुस्से में दिख रही थी… "क्या हुआ नॉटी ऐसे रिएक्ट क्यों कर रही है।"
स्वस्तिका:- वही तो हम भी पूछ रहे है इनसे, लेकिन सब लोग आराम से बोलन के बदले धक्का-मुक्की कर रहे है और चिल्ला रहे है।
आरव को भी गुस्सा आया और वो सामने खड़े लोगों को घूरते हुए कहने लगा… "मेरी बहन ने जो अभी कहा है ना उसे करने में मुझे भी कोई परेशानी नहीं होगी इसलिए आराम से एक-एक करके के बताओ की क्या हुआ?
एक औरत:- तुम्हारा वो ड्राइवर गूफी मेरी कामवाली को छेड़ता है..
कोई एक आदमी:- तुम्हारा वो ड्राइवर गूफी रोज रात को मेरा दरवाजा खटखटाता है।
एक लड़का:- तेज आवाज में पता नहीं गाता है या रोता है वो गूफी..
कोई दूसरी औरत:- हमारे गाड़ी को के आगे तुम्हरे दूसरे ड्राइवर रोंज ऐसे गाड़ी पार्क कर देता है कि मेरी गाड़ी नहीं निकलती और जब गाड़ी कहो साइड करने तो 1 घंटे लगा देता है आने में।
कोई तीसरी औरत:- मेरे घर का दरवाजा रोज रात को खाखटकर मुझ से सोडा मांगता है।
नंदनी:- बस समझ गई मै, लेकिन वो दोनों तो यहां नहीं, फिर अभी क्यों बताने आए हो… और कोई एक जवाब देगा…
श्रेया:- आंटी दोनों आते ही होंगे.. इसलिए आप को बताने आए है। आप खुद अपनी आखों से देख लेना। और दोनों की भाषा तो पूछो ही मत.. ऐसा लगता है जैसे मुंह खोले तो गाली ही निकाल रहा है।
आरव:- मां ये खूबसूरत बाला कौन है।
लावणी उसे घूरती हुई… "कुत्ते की दुम हो आरव मुंह बंद करो अपना लार मत टपकाओ"…
इतने में ही दोनों अपार्टमेंट के गेट पर पहुंचे और प्रदीप के कंधे पर गूफी हाथ डाले जोर-जोर से गाने गाते अंदर पहुंचा… चिल्ला-चिल्ला कर तेज आवाज़ में … "तेरी दुनिया से दूर होकर मै मजबुर चला".. ऐसा लग रहा था गा कम रहा है और रो ज्यादा रहा है।
तभी ठीक उसी वक़्त एक कामवाली अपने काम से वापस लौटती थी। दोनों को देखकर वो उनके रास्ते से कटने लगी.. इतने में गूफी उसका रास्ता रोके खड़ा होकर कुछ बात करने लगा.. वह औरत किसी तरह वहां से बचकर निकली लेकिन जाते जाते गूफी ने उसे पीछे से चिमटी काट ली, वो बेचारी मुंह छिपाकर वहां से भागी।
तभी दोनों जोर-जोर से गाते हुए उस लॉबी में पहुंचे और जैसे ही वहां का भीड़ देखा तो प्रदीप कहने लगा… "बैंचों ये सब यहां आकर कौन सी पंचायत कर रहे हैं गूफी भाई।"..
गुफी:- अपनी मां की शादी के बारात लेकर आए होंगे.. क्यों रे मां दो लाडलो यहीं बात है ना…
तभी बीच से भीड़ छंटी और नंदनी को देखकर दोनों बिल्कुल अटेंशन में आ गए.. तभी नंदनी ने आरव और स्वस्तिका को देखी और दोनों तेजी से उनके पास पहुंचकर उन दोनों को तीन माले की बिल्डिंग से लटका दिया।… आरव दोनों को घूरते हुए कहने लगा…
"साला एक बार का रोमांस सास के सीरियल वाले मेलो ड्रामे में चला गया और दूसरी बार शुरू होने के कुछ चांस थे तो तुम दोनों की कुत्ते जैसी हरकतें ले डूबी। जी तो कर रहा है अभी ही नीचे फेक दूं।"
नंदनी पूरी भीड़ को वापस भेजती हुई कहने लगी… "इसने जो भी गलत किया है उसका बुरा भुगतान के बाद ही इसे निकालूंगी। आप सब यहां से जा सकते हैं।"