Update:-144
तीनों कंचन के कमरे में बैठे थे और कुछ पल की खामोशी के बाद…. "क्या हुआ मासी, इतनी टेंशन में रहोगी तो कैसे काम चलेगा।".. अपस्यु ने बात शुरू की..
कंचन:- हुंह ! अपने बच्चे से मै ठीक से मिली भी नहीं और उसे फालतू में इतना सुना दिया, ये भी ना देखे मेरी बहू आयी है। एक लड़की के लिए वो सबसे बुरा पल होता है जब उसके सामने उसके पति को उल्टा सीधा सुनाया जाए, इतनी भी अक्ल नहीं थी उनमें।
ऐमी:- मासी तो आपने भी तो उन्हें सुनाने में कोई कसर थोड़े ना छोड़ी। हमारे ओर से तो आपने भी बोल ही दिया। अब छोड़ो भी बात को, इतना पकड़ कर रखोगी बात को, तो आपको ब्लड प्रेशर हो जाना है।
कंचन:- मुझे नॉर्मल करने कि कोशिश ना करो, वरना मै चपेट लगा दूंगी ऐमी। अभी मै बहुत गुस्से में हूं।
अपस्यु:- आप का गुस्सा भरा मुंह देखने आए थे हम। सोचा था थोड़े मस्ती मज़ाक और हंगामा करेंगे आपके साथ। अब आप ऐसे गुस्से में रहोगी तो हम चले जाएंगे। मासी भूख भी लगी है हमे।
कंचन:- कहीं ना मुझे नॉर्मल करने की कोशिश ना कर। चल जयपुर घूम आते है, और बाहर ही कुछ खा लेंगे। वैसे भी यहां रहूंगी तो मेरा सर दर्द करने लगेगा। रह-रह कर बातें दिमाग़ में आती रहेगी।
ऐमी:- मासी दिल्ली चलो ना, प्लीज प्लीज प्लीज…
अपस्यु:- हां मासी चलो ना…
कंचन:- में वहां जाकर क्या करूंगी…
ऐमी:- मतलब हमारे पास रहकर क्या करेगी ऐसा कहना है.. हुंह ! मुझे बुरा लगा..
कंचन, कुछ सोचती हुई…. "अच्छा चल ठीक है, चलते है दिल्ली अब तो दोनो खुश ना।"
ऐमी और अपस्यु…. "हां बहुत खुश है मासी"…
कंचन हां बोलकर अपने पैकिंग करने में लग गई, लेकिन तभी ऐमी उसका हाथ पकड़ते… "नाना, कोई पैकिंग नहीं, बल्कि हम आपके लिए शॉपिंग करेंगे।"..
कंचन:- मतलब ऐसे ही खाली हाथ चलूं…
अपस्यु:- कितने सवाल पूछती है। हर चीज में फॉर्मेलिटी। सिर्फ साथ चल दो आप, बाकी आगे क्या होता है वो हम पर छोड़ दो।
कंचन:- पता नहीं तुम दोनो के मन में क्या चल रहा है। ठीक है खाली हाथ ही चलती हूं…
कंचन को तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि वो इन दोनों की बात पर क्या कहे। ज़िन्दगी में पहली बार बिना पैकिंग के बाहर जा रही थी। कंचन ने अपने साथ जूनियर ऐमी और जूनियर दृश्य को लेती हुई, वीर प्रताप को अपने जाने के बारे में बताकर, उन दोनों के साथ निकल गई।
लगभग 2 बजे के करीब सब दिल्ली पहुंचे। ऐमी और अपस्यु ने जब खरीदारी की प्लांनिंग बताई, वो हंसती हुई दोनो के गाल थपथपाती शॉपिंग में लग गई। इधर ऐमी ने कंचन के लिए बहुत सारी चीजें शॉपिंग कर ली और अपस्यु जूनियर्स के साथ शॉपिंग कर रहा था।
कंचन साड़ी और ज्वेलरी की शॉपिंग करके ऐमी के पास पहुंचती…. "तू ना मुझसे काम करवा ले। थका दी है मुझे, आज रात मेरे पाऊं दबाने आ जाना।"
ऐमी:- रात का इंतजार काहे, अभी ही मसाज सेंटर चल दो ना।
कंचन:- क्यों तू रात में मेहंदी लगाएगी क्या?
ऐमी:- हां समझ गई, मुझे ही पाऊं दबाने होंगे।
शॉपिंग खत्म करके सभी पहुंच गए फ्लैट। अपस्यु और ऐमी आगे और कंचन जूनियर्स के साथ पीछे खड़ी थी। जैसे ही दोनो की पहली झलक मिली, कुंजल जोड़ से चिल्लाती हुई… "मां ने कहा है जबतक वो आ नहीं जाती, तबतक आप दोनो बाहर ही रहेंगे।"..
अपस्यु:- और मासी जो साथ आयी है, उनका क्या करना है, उन्हें भी बाहर खड़ा कर दूं क्या?
कुंजल दोनो के पास पहुंचती…. "कहां है मासी"..
अपस्यु और ऐमी दोनो किनारे हुए और सामने उसे कंचन दिखने लगी…. "ये दृश्य भईया की मां है। और ये दोनो क्यूट जूनियर्स दृश्य भईया के बच्चे है।"..
कंचन:- मुझे बाहर ही खड़ी रखोगी या अंदर भी आने दोगी…
कुंजल, सबको अंदर बिठाते…. "मासी आप बहुत अच्छे वक़्त में आयी है। देखो ना भैया अपनी मनमानी पर उतर आए हैं।"..
कंचन:- आज रहने दे बेटा, आज इसे कुछ सुनाओगी तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा। कल पंचायत लगाएंगे और दोनो को सजा देंगे।
कुंजल, अपस्यु और ऐमी को देखते हुए…. "हिहिहिही, क्या हुआ मासी, आपको तंग करने गए थे और उल्टा इन्हे सुना दिया किसी ने"…
कंचन:- छोड़ो इसे, ये मुझे बोलकर लाया है कि दिल्ली मै खूब मस्ती करेंगे, क्या सच बोलकर लाया है या मुझे यहां बोर होना पड़ेगा।
कंचन अपनी बात कह ही रही थी कि बाहर से नंदनी, आरव और स्वास्तिका के साथ घर पहुंची। नंदनी कंचन को देखकर एक बार अचंभे में पर गई, फिर तेजी के साथ उसके पास पहुंचती… "मुझे यकीन नहीं हो रहा दीदी, आप यहां आयी है।"
कंचन:- हां यकीन कैसे होगा, याद होती तो ना कभी बुलाती।
नंदनी:- राठौड़ मेंशन में कल गृह प्रवेश का कार्यक्रम है, तो उसी सिलसिले में आज मै आपसे बात करती दीदी।
कंचन:- ओह इसलिए ये दोनो पहुंच गए मुझे लेने। लगता है तुम्हारी दिल की बात को भांप लेते हैं ये दोनो नंदनी।
नंदनी, अपस्यु के कान पकड़ती…. "दीदी, तुम जानती हो, अपस्यु बिल्कुल सुनंदा दीदी कि कॉपी है, शांत, गंभीर और उन्हीं की तरह बिल्कुल शरारती भी।"
अपस्यु:- आपने मां के बारे में ये बातें कभी नहीं बताया मुझे।
नंदनी:- हां इसलिए नहीं बताई, ताकि तुम्हारी शरारतें और ना बढ़ जाए। वैसे दीदी साथ आयी है इसलिए बच भी गए वरना तुम दोनो की खैर नहीं थी। अब जाओ तुम लोग अपना काम देखो, हम जरा गप्पे लड़ाते हैं।
सभी वहां से निकल गए और उन दोनों को अकेले बात करने के लिए छोड़ दिया गया। 1,2 घंटे घर पर बिताने के बाद अपस्यु ऐमी को लेकर जैसे ही सिन्हा जी के यहां छोड़ने जाने लगा, कुंजल भी उसके साथ हो ली।
ऐमी के घर से लौटते वक़्त… "भाई, वहां मासी के घर क्या हुआ था, किसी ने कुछ कहा था क्या?"
अपस्यु:- ना रे बाबा, बस छोटी सी गलतफहमी हो गई है। वो छोड़ ये बता अब तो दिल नहीं जलेगा ना, तू खुश है ना अब।
कुंजल:- आपने कमाल ही ऐसा किया है कि खुश ना रहूं, बेहद खुश हूं। अब सारे दुश्मन खत्म और फैमिली टाइम शुरू। अच्छा सुनो मै सोच रही थी कल से कॉलेज शुरू कर दू।
अपस्यु:- हां तो परेशानी किस बात की आ रही है?
कुंजल:- वो कॉलेज में स्पोर्ट्स शुरू हो रहे है और मै भी हिस्सा लेना चाहती हूं।
अपस्यु:- बॉक्सिंग में हिस्सा लेगी या कुस्ती में।
कुंजल:- सीट पर बैठकर सिटी बजाने में हिस्सा लुंगी।
अपस्यु, झटके से ब्रेक लगाकर कुंजल को घूरते हुए…. "अब ये मत कहना कि तुमने मेरा नाम प्रतियोगिता में डाल दिया है।"
कुंजल इधर-उधर देखती, धीमी सिटी बजाती हुई….. "बहुत ज्यादा नहीं केवल एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, डांसिंग, और जिम्नास्टिक में नाम डाला है।
अपस्यु:- एथलेटिक्स को जरा एक्सप्लेन करेंगी मैम।
कुंजल:- ऑफ ओ एथलेटिक्स मतलब एथलेटिक्स। तरह तरह की रनिंग, तरह तरह के थ्रो, लोग जंप, हाई जंप, सिर्फ इतना ही।
"सिर्फ इतना ही"… अपस्यु गुस्से में उसे घूरते हुए कहने लगा..
कुंजल:- अपना ये लुक बाद में देना, मुझे बस तुम्हे जीतते हुए देखना है।
अपस्यु:- अब मै कुछ कहूंगा तो तुम गुस्सा कर भाग जाओगी। फिर मै मनाऊंगा और तुम रोने लग जाओगी, क्योंकि मेरी बात तुम्हे बुरी लगी होगी और तुम्हे मनाने के लिए अंत में मुझे कमिटमेंट करना ही होगा। ऐसा ही है ना।
कुंजल:- वाह भईया आपके साथ एक बात कि समस्या नहीं होती, ज्यादा ड्रामा नहीं करना पड़ता।
अपस्यु:- मुझे ऐसा क्यों लग रहा है, मुझे तुम्हारी शादी करवा देनी चाहिए।
कुंजल:- तो भी मै तुम्हारे पास ही रहने वाली हूं, ये क्यों भुल जाते हो।
अपस्यु:- हां ठीक है समझ गया। दुश्मन कहीं की, जब देखो तब बॉम्ब फोड़ देती है।
कुंजल:- मुझे जीत कि सिटी बजानी है और किसी भी खेल में हारे तो देख लेना।
अपस्यु:- हां ठीक है मै पूरी कोशिश करूंगा। अच्छा सुनो अभी हम राठौड़ मेंशन चल रहे है। वहां के लोगों को थोड़ा समझा ले और उसकी भी सुन ले।
कुंजल:- ठीक है गाड़ी रोक दो, मै टैक्सी लेकर यहां से घर चली जाऊंगी।
अपस्यु कार की स्पीड बढाते…. "ऐसे कैसे अकेली भाग जाएगी। वहां बिल्कुल शांत रहना और मेरी मदद करना।"..
दोनो कुछ देर में राठौड़ मेशन पहुंच गए। अपस्यु को देखकर वहां के लोग बहुत ज्यादा खुश नहीं नजर आ रहे थे। 15 अगस्त के के बुरे झटके अब तक वहां मातम की तरह पसरा हुआ था।
लगभग घंटे भर की माथा-पच्ची के बाद ,वहां के लोग कुछ शांत हुए। हालांकि उन लोगों को अपस्यु से कोई शिकायत नहीं थी, लेकिन गम में डूबा हुआ मन कुछ शिकायतें तो जरूर करता है।
एक बात तो यह भी सत्य थी कि लोकेश और कंवल की पत्नी को 2500 करोड़ की धन राशि सौगात में मिली थी और वो दोनो उन पैसों के साथ दिल्ली छोड़ने का मन बना चुकी थी। वहीं कुसुम और उसकी मां, राठौड़ मेंशन से कहीं और शिफ्ट होने का सोच रही थी। अपस्यु ने बहुत समझाने कि कोशिश की दोनो यहीं रुक जाए, लेकिन कुसुम नहीं मानी।
अंत में यही तय हुआ कि अपस्यु उन्हें घर देगा और ये फाइनल था। कुसुम ना चाहते हुए भी हां कह दी। अगले सुबह ही राठौड़ मेंशन पुरा खाली हो चुका था और शाम तक हर कोई राठौड़ मेंशन में शिफ्ट कर चुके थे। राठौड़ मेंशन में उसके असली मालिको की वापसी हो चुकी थी, पुरा मेंशन दुल्हन की तरह चमक रही थी। हर कोई खुश थे और अपने अपने पसंद के कमरे चुन रहे थे।
अगली सुबह सब अपने-अपने काम में लगे हुए थे और अपस्यु अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए काया से मिलने चल दिया। काया कल से एक होटल मै रुकी हुई थी, बेल बाजी और काया दरवाजा खोलती…. "अपस्यु सर आपको आज फुर्सत मिली है।"..
अपस्यु:- चलो चलकर पहले तुम्हारा नया घर दिखाया जाए।
अपस्यु, काया को लेकर अपने फ्लैट ले आया… "काया मैम, चुन लीजिए ऊपर के फ्लोर से कोई भी फ्लैट, जो आपको पसंद हो।"..
अपस्यु:- कोई भी देदो, रहना ही तो है यहां..
अपस्यु, उसे अपने फ्लैट में बिठाते… "ठीक है, 301 और 302 मेरा है, 303 तुम ले लो।"..
काया:- तुम सब तो राठौड़ मेंशन में शिफ्ट कर गए हो ना, मुझे ये घर दे दो।
अपस्यु:- वो शिफ्ट किए है मै नहीं। मुझे अपना काम खत्म होने तक यहीं रहना होगा।
काया:- कल शाम तुम्हारे पुरा परिवार को देखी थी, वो तुम्हे यहां रहने को लेकर राजी नहीं होंगे।
अपस्यु:- इसी बात की चिंता तो मुझे भी है। खैर थोड़ा काम की बात हो जाए..
काया:- हां बिल्कुल, बताओ किसे फसाना है।
अपस्यु:- मतलब…
काया:- मतलब सारे वीरदोयी में मुझे यहां लेकर आए हो, इसका साफ मतलब है किसी को रूप जाल में फंसाना है ना। बस तुम भी दूसरों की तरह कपड़े उतारने मत कह देना, वरना विश्वास टूट जाएगा।
अपस्यु:- हां मुझे पता है विश्वास टूट जाएगा, लेकिन मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं है, मैं मजबूर हूं।
काया, निराशा भरी मुस्कान देती…. "तुमने भी फर्क ना समझा अपस्यु। खैर तुम्हारी ऋणी हूं, इसलिए मै तुम्हारा काम करूंगी।
अपस्यु:- ऐसे मायूस ना हो, पहले बात सुन लो, मै इतना मजबूर नहीं की किसी कमिने को फसाने के लिए तुम्हे कपड़े उतारने कह दूं। और कोई अच्छा है तो उसके लिए तुम्हे क्यों लेकर आऊंगा।
काया:- पहेली बुझाना बंद करो और सीधा-सीधा मुद्दा बताओ।
अपस्यु:- यहां के एक एमपी है सोमेश, उसकी बेटी लिसा को पटाना है।
काया, चौंकती हुई…. "क्या?"
अपस्यु:- हां तुमने सही सुना, अब समझ सकती हो, मै क्यों मजबूर हूं।
काया:- हद है तुम्हरे कहने का मतलब है कि मै एक लड़की को पटाऊं, वो क्या वैसी वाली है।
अपस्यु:- हां लिसा लेस्बियन है, और तुम्हे उसी को पटाना है। हम अपने लक्ष्य की ओर बहुत ही धीमे बढ़ेंगे इसलिए कह नहीं सकते कि तुम्हे उसके साथ… तुम समझ रही हो ना।
काया:- ईईईईईईईईईईईईई… मै लड़की होकर लड़की को चुमुं। मुझ से नहीं होगा, तुम ऐमी से कह दो ये करने। कोई लड़का तो नहीं जो तुम्हारे दिल को चोट पहुंचे।
अपस्यु:- जब हम काम में होते है तो बस अपने लक्ष्य को साधने की कोशिश करते है। फिर उसमे हमारे पर्सनल इमोशंस बीच में नहीं आते। लेकिन ऐमी ये काम नहीं कर सकती।
काया:- कारन..
अपस्यु:- उसका पिताजी, सोमेश मेरा करीबी कॉन्टैक्ट में से है, और लिसा हम सब को जानती है। इसलिए वो ऐमी से पटेगी नहीं और ताज़ा-ताज़ा अभी उसका ब्रेकउप हुआ है, तो हमारे पास अच्छा मौका है।
काया:- पता होता कि ऐसा कुछ होने वाला है तो मै नीलू को भेज देती। मुझे पूरी बात समझाओ की तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है? उसी के बाद मै हां कहूंगी।
तकरीबन आधे घंटे तक अपस्यु ने अपने योजना कि लगभग सारी बातें बता दिया। काया पूरी बात ध्यान से सुनने के बाद… "ठीक है, समझ गई, उस लिसा के साथ मुझे लेस्बो होना पड़ेगा। बाकी उसे पटाने का पूरा बैकग्राउंड तो तुम ही तय करोगे।"
अपस्यु:- हां लिसा और तुम्हारी नजदीकियां का पूरा पटकथा हम लिख देंगे, बस तुम उसका और अपना पूरा ध्यान रखना। कोई हीरो बनने की जरूरत नहीं है, खतरा दिखे तो पीछे हट जाना।
काया:- तुम भुल क्यों जाते हो मै एक वीरदोयी हूं और मुझमें आम इंसानों से 20 गुना ज्यादा क्षमता है।
अपस्यु:- वेरी फनी, भले तुम 4-5 साल सीनियर हो मुझ से लेकिन यहां का बॉस मैं हूं। इसलिए बोल दिया ना कोई हीरो बनने की जरूरत नहीं है, मतलब नहीं है।
काया:- मेरे एक्शन से तुम टेंशन में क्यों आ गए अपस्यु?
अपस्यु:- क्योंकि जो कमजोर दिखते है वो दरअसल कमजोर होते नहीं है। पूर्व आकलन हमे परेशानी में डाल सकती है। मै एक ही बात जानता हूं, ऐसे सफल मिशन का क्या फायदा, जिसमें आपके साथी कहीं खो जाते है। समझी मैम।"
अपस्यु अपनी बात कहकर काया की ओर देखने लगा। काया भी अपस्यु की बातों का अभिवादन करती हुई मुस्कुराई और अपस्यु के कहे अनुसार काम करने का वादा करती हुई, अपने फ्लैट को देखने चल दी।