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Romance भंवर (पूर्ण)

Zoro x

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Update:-107





(पापा को मै कबसे इस प्लान पर काम करने कह रही थी, लेकिन वो वक़्त मांग रहे थे। कितना मुश्किल होता है बिना सीधा सवाल किए हुए जवाब निकालना ये बात थोड़े ना समझ में आएगी। ये लो देखो, दारू अंदर गई नहीं की सारे राज बाहर आने शुरू)


(अभी तो तुझे पिलाते-पिलाते 12.30 ही बजे है। तुम्हे तो आज पूरी रात जगाऊंगा जानेमन। पूछ ले सवाल तू,आज तो मेरा अतीत जान कर ही चली जाना लेकिन बातों के दौरान तुम जरा बचकर चलना जानेमन, कहीं मुंह से कुछ निकल गया तेरे, तो मेरा राज जानने के चक्कर में अपने राज मत खोल देना)


"क्या हुआ, नींद लग रही है क्या? तो जाओ सो जाओ".. अपस्यु श्रेया को उसके ख्यालों से जागते हुए कहने लगा..

श्रेया:- ठीक है मुझे मंजूर है लेकिन एक शर्त तुम्हारी तो एक शर्त मेरी भी है, अगर 10 सेकंड से ज्यादा का समय लिए तो उसे झुटा जवाब मना जाएगा, ऐसी सूरत में सामने वाले के लगातार 2 सवाल का जवाब देना होगा।

अपस्यु:- और यदि 2 सवाल का जवाब नहीं दे पाया तब?

श्रेया:- 5 सवाल तक जाएगा और फिर भी नहीं बता पाए तो सामने वाले का कहा मानना होगा!

अपस्यु:- सभी शर्तों पर राजी, चलो सवाल पूछो।

श्रेया:- किस आश्रम में तुम पढे?

अपस्यु:- फुस की बनी आश्रम में।

श्रेया:- अरे मतलब आश्रम या गुरुकुल जो भी है उसका नाम पूछी मै।

अपस्यु:- जो भी हो तुम्हे पहले क्लियर पूछना चाहिए। अब मेरा टर्न है, उसके बाद तुम्हारा। बताओ कितने ब्वॉयफ्रेड रहे है तुम्हारे?

श्रेया, बॉयफ्रेंड वाले सवाल हंसती हुई कहने लगी…. "तुम्हारी पहले से एक गर्लफ्रेंड है, लेकिन दूसरी लड़की के पास कोई बॉयफ्रेंड है या नहीं उस पर ध्यान है। जैसा सोची वैसा ही सवाल आया।"

अपस्यु:- 10 सेकंड हो गए है तुम्हारे..

श्रेया, हंसती हुई… "ठीक है फिर 2 सवाल पूछो"

अपस्यु:- पहला सवाल तुम्हारे कितने बॉयफ्रेंड रहे है?

श्रेया:- एक भी नहीं।

अपस्यु :- दूसरा सवाल क्या होगा जब तुम्हे कोई लड़का परपोज कर रहा हो और पीछे से तुम्हारी मां आ गई।

श्रेया:- मेरी मां नहीं… नहीं कहीं आती जाती।

अपस्यु:- गलत जवाब जब कहीं नहीं आती जाती फिर आज कहां चली गई। इसका हिसाब एंड में करेंगे। गेम के दौरान तुमने झूट बोल।

श्रेया उसकी ओर ड्रिंक बढ़ाती अजीब से हसने लगी, ऐसा मानो उसका भेजा फ्राई यहां चल रहा हो। ड्रिंक बढ़ाने के बाद… "अपने आश्रम या गुरुकुल का नाम बताओ?"

अपस्यु:- श्रीवल्लभ आश्रम, मत्तुर, कर्नाटका । मेरी बारी.. तुम्हे बॉयफ्रेंड के लिए कैसा लड़का ढूंढ रही हो?

श्रेया:- जब जरूरत होती है तब किसी को भी बॉयफ्रेंड बना लेती हूं। बस एक ही रिक्वायरमेंट होती है, कोई सीरियस एफैर नहीं। तुम बताओ तुम्हारे पापा कहां है।

अपस्यु:- इस दुनिया में नहीं रहे। तुम्हारे पापा कहां है वैसे..

श्रेया:- मेरी सौतेली मां के साथ रहते है। तुम्हारी ये धन संपत्ति तुम्हारे पापा की अर्जित है।

अपस्यु:- स्टार्टअप केवल उनका था, बाकी पुरा हम दोनों भाई का अर्जित किया हुआ है। तुम्हारे पापा क्या करते है।

श्रेया:- मुझे इसपर बात नहीं करनी..

अपस्यु, एक ड्रिंक खिंचते… "मतलब अब किस्स दोगी।"

श्रेया:- जी नहीं बस मुझे बात नहीं उसपर करनी कोई और सवाल पूछो।

अपस्यु:- ठीक है अपनी आदतें बताओ?

श्रेया:- एफबी पर लिखी है पढ़ लेना। तुम्हारे ये अजीब नाम किसने दिया?

अपस्यु:- रुको पहले, तुमने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया, पहले उसपर बात कर लें। मैंने तुम्हारी आदत पूछ रहा था और तुम एफबी भेज रही हो। देखा जाए तो जवाब टाला है तुमने।

श्रेया:- हां तो, इतने दिन में तुमने अभी तक मुझे फ्रेंड रिक्वेस्ट तक ना भेजी, मुझे बुरा लगा इस बात का, इसलिए ऐसा जवाब दी।

अपस्यु:- मैंने नहीं भेजा तो तुम भेज देती, देखा जाए तो भागीदारी बराबर है।

श्रेया:- सेलेब्रिटी अकाउंट लिया है एफबी से और कहते हो रिक्वेस्ट भेजूं, तुम्हारी तो प्रोफाइल भी ओपन नहीं होती।

अपस्यु:- दिमाग से रह गई थी ये बात। वैसे भी एफबी मै ज्यादा इस्तमाल नहीं करता, इसलिए नहीं भेज पाया। चेक करो अभी भेज दिया है।

श्रेया, अपना फोन चेक करके खुश हो गई और अपस्यु के फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करती वो खड़ी होकर उसके पास चली आयी… "किस्स रोमांटिक चाहिए या लस्टी"..

अपस्यु खड़ा होते… "तुम शुरू तो करो, फिर तो किस्स खुद व खुद एडजस्ट हो जाना है।"

श्रेया हंसती हुई अपस्यु के ओर देखने लगी। अपस्यु उसके सामने खड़ा तो हुआ लेकिन खड़ा होकर भी लड़खड़ाता रहा। श्रेया उसे चेयर पर ही बैठने बोली और खुद अपने दोनो पाऊं, अपस्यु के दोनो पाऊं के ओर करती उसके चेहरे को थाम कर होंठ से होंठ लगाकर, अपस्यु के होंठ को छूकर उसके आगे बढ़ने का इंतजार करने लगी।

अपस्यु भी माहौल और मिजाज पुरा भांपते हुए, अपने होंठ को पुरजोर श्रेया के होंठ से लगाते उसे बेहताशा चूमने लगा। एक बार जब चूमना शुरू किया फिर वो छोड़ने का नाम कहां ले रहा था। श्रेया की श्वांस पूरी तरह चढ़ गई, बदन में अजीब सी सुरसुराहट होने लगी। श्रेया अपने हाथ उसके चेहरे और गर्दन पर फेरने लगी। किस्स लंबी, और लंबी होते चली गई।


श्रेया के दिमाग से सारी बातें बाहर और वासना ने उसकी जगह ले ली। जब श्रेया की श्वांस पूरी तरह चढ़ गई, अपस्यु को लग गया कि अब माहौल कुछ और ही बन रहा है, फिर वो चूमना बंद करके अपने होंठ पीछे किया और श्रेया बदहवासी में अपनी आखें मूंदे अपने होंठ आगे बढ़ती रही लेकिन अपस्यु के होंठ उसके होंठ से मिले नहीं।


अचानक ही उसे समझ में आया कि किस्स अब खत्म हो गयी है। अजीब सा उखड़ा चेहरा बनाए, वो अपनी श्वांस सामान्य करने लगी और ख़ामोश वो अपनी जगह आकर बैठ गई। वो अब भी बाहर नहीं निकाल पाई थी उन्माद के उन पलों से, बस खुद को किसी तरह सामान्य करने में लगी थी।


अपस्यु:- आह !! ये अब तक का बेस्ट किस्स था मेरी लाइफ का।

श्रेया:- रात बहुत हो गई है। मुझे अब चलना चाहिए..

अपस्यु:- ठीक है दोस्त, वैसे कोई लड़का होता तो हाथ पकड़कर बिठा भी सकता था। लेकिन कोई नहीं तुम जाओ..

श्रेया:- अच्छा और कोई लड़का होता तो उसके साथ ये किस्स वाला खेल खेलते क्या?

अपस्यु:- लड़का होता तो दोनो साथ ने नहाते, चलोगी क्या? बात करती हो। रहने दो, सिचुएशन कॉम्प्लिकेटेड हो गई है। तुम जाओ सुबह मिलता हूं और वो भूत भागने वाला काम भी कर दूंगा। और सॉरी यदि तुम्हे किस्स पसंद ना आयी हो तो।

श्रेया:- सॉरी मै थोड़ी ओवर रिएक्ट कर गई। पहले एक जाम उठाकर मूड बनाते है फिर इस खेल को जारी रखते है।

अपस्यु:- हम्मम ! ठीक है वो किस्स वाला शर्त हटा रहा हूं मै।

श्रेया:- फिर मै ये नहीं खेलूंगी, बाय..

अपस्यु, अपने हाथ से ड्रिंक बनाकर सर्व करते हुए…. "तुम लड़कियों का समझ में नहीं आता, कब मूड क्या रहता है।

श्रेया, जाम को टोस्ट करती हुई…… "समझ जाते अगर मूड तो फिर मुझे भड़कना ही नहीं पड़ता।"

अपस्यु:- मतलब मै समझा नहीं..

श्रेया:- कुछ नहीं । अब मेरा टर्न है.. तुम्हारा ये बोरिंग सा नाम अपस्यु किसने रखा।

अपस्यु उसे खा जाने वाली नज़रों से घूरते हुए…. "मेरे गुरु श्री अरविंदो रामनाथम ने। किस जानवर से तुम्हे ज्यादा दर लगता है.."

श्रेया:- शातिर इंसान । चलो बताओ तुम्हारे पापा की मृत्यु कैसे हुई।

अपस्यु:- शायद हार्ट अटैक था। बहुत बच्चा था ठीक से याद नहीं और फिर कभी मां से इस बात की चर्चा नहीं की। अच्छा चलो अभी तुम बताओ किस्स करने से पहले तक तो बड़ी कॉन्फिडेंस से आयी थी, किस्स के बाद ये मूड इतना चिड़चिड़ा क्यों हो गया?

श्रेया:- मुझे नहीं जवाब देना इसका और ना ही अभी किस्स का मूड है। सो जब बॉयफ्रेंड बनाकर ले जाऊंगी तब यह किस्स दूंगी। एक-एक सवाल में बोरिंग हो रहा है गेम। थोड़ा मूड चेंज करते हैं।

अपस्यु, ड्रिंक बनाकर सर्व करते… "अरे यार ग्लास खाली तो करो?"

श्रेया:- आराम से ले रही हूं बाबा, तुम लो ना अपना, मै ले लूंगी। एक काम करो तुम ड्रिंक बनना छोड़ो, मै तुम्हे बनाकर देती हूं, तुम बस सवालों का जवाब दो। और हां एक गलत सवाल पर अब एक कपड़े उतरेंगे, सिर्फ तुम्हारे लिए, मेरे लिए किस्स वाला ही शर्त रहेगा …. बोलो मंजूर..

अपस्यु:- एक प्रॉब्लम है, सारे कपड़े उतारने के बाद मै क्या करूंगा।

श्रेया:- हीहीहीही.. पोल डांस करना। ठीक.. चलो अब जल्दी जल्दी जवाब दो.. तुम्हारा नाम..

अपस्यु:- अपस्यु रघुवंशी।

श्रेया:- तुम्हारी आदतें..

अपस्यु:- नई चीजों का ज्ञान लेना और मेरे दोस्त ये अपना प्यारा कॉकटेल पीना।

श्रेया:- दुनिया में सबसे प्यारा, कोई एक खास, जिसके लिए कुछ भी कर कर जाओ…

अपस्यु:- आरव और ऐमी.. मेरे लिए ये एक ही हैं 2 नहीं।

श्रेया:- मां से कम प्यार है, क्या उनके लिए कुछ कर गुजरने वाली फीलिंग नहीं?

अपस्यु:- इतना तो मै तुम्हारे लिए भी कर दूंगा वो भी दिमाग में बिना कोई सोच रखे कि कितना क्लोज रिलेशन है। बस मै जिन लोगों के बीच हूं, वो सब खुश रहने चाहिए। बहरहाल सबसे प्यारे की बात हो रही थी और उसमें आरव और ऐमी सबसे प्यारे है। रही बात मां की तो ये दोनो सबसे प्यारे तो जरूर है लेकिन मां के लिए मै इन दोनों को छोड़ सकता हूं।

श्रेया:- जब ऐसी बात है तो मां सबसे प्यारी हुई ना।

अपस्यु:- बेवकूफ मां ना होती तो ये अपस्यु ना होता। भले वो ऐमी और आरव जितनी प्यारी नहीं है, लेकिन वो नहीं होती तो मुझे कहीं और पैदा लेना पड़ता.. फिर तो आज का तुम्हारा ये साथ भी खत्म था समझी।

श्रेया:- हम्मम! कभी किसी का कत्ल किए हो।

अपस्यु:- नाह ।

श्रेया:- सिचुएशन ऐसी फसी तुम्हारे पास, किसी को कत्ल करना ही आखरी उपाय बचा हो, वरना तुम्हारा कोई करीबी मरा जाएगा, ऐसे सिचुएशन में क्या करोगे..

अपस्यु:- सिचुएशन आने तक इंतजार काहे करना, सर दर्द खत्म करो और आगे बढ़ो, बहुत से काम देखने है।

श्रेया:- अगर कोई किसी पर अन्याय कर रहा हो।

अपस्यु:- हर किसी की अपनी लड़ाई है और उसे खुद लड़नी पड़ती है। मै तो निर्मम स्तिथि में भी लोगों को देखता हूं तो दया नहीं दिखता।

श्रेया:- तुम काम क्या करते हो?

अपस्यु:- साहित्य से पढ़ रहा हूं?

श्रेया:- जीविका के लिए क्या करते हो?

अपस्यु:- पिताजी का धन बैंक में है, उसका ब्याज खाता हूं। सिन्हा जी के केस में हेल्प करता हूं, उससे अच्छे खासे पैसे मिल जाते है। कभी-कभी फजुल खर्च दिल खोल कर करने होते हैं तो अंडरग्राउंड फाइट लर लेता हूं। लेकिन ये दोस्तो वाला सीक्रेट, किसी को बताना मत।

श्रेया:- अपनी गर्लफ्रेंड के साथ रिलेशन में हो और उसके बावजूद भी यदि किसी के साथ फिजिकल रिलेशन बनाते हो, तो क्या तुम्हारी नजर में ये धोखा होगा या नहीं?

अपस्यु:- भगवान की पूजा में कहते है, कुछ भी जूठा प्रयोग में नहीं लाया जाएगा। हम पुरा ऐतिहातन सारे काम करते हैं। लेकिन जो मिठाई, फल, फुल इत्यादि बाजार से लेते है, देने वाले का हाथ साफ था या नहीं। बाजार तक आने में वो सामान जूठा हुआ कि नहीं, ये कभी नहीं देखते। मोरल ऑफ द स्टोरी, जो नहीं दिखा वो हमेशा सुद्घ होता है, और जो नज़रों के सामने जूठा हुआ उसे फिर बदल देते हैं। सिम्पल फिलॉस्फी, जो हर किसी पर लागू होता है।

श्रेया:- कमाल की फिलॉस्फी, चरण कहां है गुरुदेव।

अपस्यु अपने दोनो पाऊं सीधा उसके जांघों पर रखते… "लो बच्ची, मत्था टेक लो, पाप कट जाएंगे।'"

श्रेया, अपस्यु के पाऊं हटाती हुई… "मेरे आज के सवाल खत्म, तुम्हारी बारी"

अपस्यु:- आज के सवाल से मतलब क्या कल भी खेलना है?

श्रेया:- नेक्स्ट टाइम जब भी मौका मिला।

अपस्यु:- तुम्हारी उम्र..

श्रेया:- 21 साल 3 महीने और 6 दिन। सॉरी रात के 12 बज गए तो 7 दिन हो गए।

अपस्यु:- तुम्हारा फिगर?
श्रेया:- 34-26-34
अपस्यु:-बॉडी वेट
श्रेया:- 58 किलोग्राम

अपस्यु:- तुम्हारी राशि?
श्रेया:- कर्क राशि।
अपस्यु:- बेस्ट फ्रेंड..
श्रेया:- कोई नहीं।

अपस्यु:- तुम्हारा ननिहाल
श्रेया:- नेपाल
अपस्यु:- क्या तुम्हे नेपाली भाषा आती है।
श्रेया:- बिल्कुल नहीं।

अपस्यु:- पैतृक स्थान..
श्रेया:- उसपर प्लीज कोई सवाल नहीं। मै उस जगह को भी याद नहीं करना चाहती जहां मेरी मां को अपमानित किया गया था।

अपस्यु:- ऐसी जगह जहां घूमना पसंद हो?
श्रेया:- चेरापूंजी, एक जिज्ञासा है की वहां की बारिश देखूं।

अपस्यु:- फेवरेट स्पोर्ट्स
श्रेया:- स्विमिंग..

अपस्यु:- मुझमें तुम्हे सबसे अच्छा क्या दिखा..
श्रेया:- कंप्लीट बैलेंस नेचर..

अपस्यु:- तुम्हे अपने आप में सबसे ज्यादा क्या पसंद है..
श्रेया:- कभी ना हार मानने वाला आत्मविश्वास।

अपस्यु:- क्या तुम्हे बुरा लगता है कि तुम्हारे पापा तुम्हारे पास ना रहकर, तुम्हारे सौतेली मां के पास रहते है।
श्रेया:- पहले लगता था अब शायद आदत हो गई है।

अपस्यु:- जिंदगी में एक काम जो बिल्कुल फुरसत में करना पसंद कर…
श्रेया:- तालाब किनारे मछली पकड़ना।

अपस्यु:- 2 किस्स.. एक झूठा जवाब.. पहले बताओ ओओओ..


अपस्यु बताओ करते हुए लड़खड़ाया, थोड़ी देर तक बड़बड़ाते रहा और फिर आराम से नींद के आगोश में चला गया। श्रेया ने घड़ी देखी, सुबह के 5 बज रहे थे। नींद उसे भी काफी लग रही थी। जागने के बाद का उसका रिएक्शन जानने के लिए श्रेया ने पहले तो 3-4 ड्रिंक ली, सोए अपस्यु से कहने लगी… "कमाल की चॉइस है तुम्हारी अपस्यु, मै भी फैन हो गई इस ड्रिंक की"… और हॉल में ही क्राउच पर जाकर सो गई।"…


सर भारी, बदन पुरा टूटा हुआ और आखें जब खुली तो शाम के 4 बज रहे थे। श्रेया चौंककर थोड़ी सक्रिय हुई, लेकिन सर इतना भारी था कि दिमाग काम ही नहीं कर रहा था। टेबल पर एक छोटा सा नोट परा हुआ था….

"मेरा कॉकटेल पीने पर मज़ा तो बहुत आता है लेकिन सोकर जागना उतना ही दुखदाई होता है। नोट के पास ही जूस रखा है, पी लेना, वरना कोई काम नहीं कर पाओगे। तुम्हारे फ्लैट की चाभी निकालने के लिए तुम्हारे तिजोरी में हाथ डालना परा उसके लिए सॉरी। आगे का वक़्त आनदमय हो, धन्यवाद।"
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
ये फ्लेट की चाबी के लिए कोनसी तिजोरी में हाथ डाला जों माफी मांगनी पड़ी भाई
 

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ऐमी गुस्से में उठकर वहां से अपने कमरे में चली गई। कुछ ही देर बाद अपस्यु भी पहुंचा ऐमी के कमरे में और ऐमी के चेहरे के सामने अपना चेहरा करके सो गया। ऐमी बिना कुछ बोले अपना चेहरा दूसरी ओर की और खुद को चादर से ढककर सोने लगी। सोने का नाटक करते हुए कब उसे नींद आ गई, ऐमी को भी पता नहीं चला।


ऐमी जब जागी तब अपस्यु ठीक उसके आंख के सामने कुर्सी पर बैठा हुआ था। अपस्यु को अपने नज़रों के सामने देख ऐमी मुस्कुराई और अपने आंखों के इशारे से उसे अपने करीब बुलाई।


अपस्यु बिस्तर किनारे बैठकर, अपना चेहरा आगे करते ठीक उसके चेहरे के सामने किया और उसे देखकर मुस्कुराने लगा। अपस्यु के होंठ को चूमकर ऐमी… "सॉरी वो थोड़ी चिड़चिड़ापन आ गया था।"..


अपस्यु:- कोई बात नहीं है, अब जाकर तैयार हो जाओ। और हां हम इंडिया गेट चल रहे हैं।


ऐमी चहकती हुई उठकर बैठती हुई…. "क्या सच में"..


"जी हां बिल्कुल सच में। एक ख्वाहिश तो जताई थी, उसमें भी देर कर दूं, नाह। चलो अब जल्दी से चलते है।'.. अपस्यु अपनी बात कहते हुए उठा और वो भी तैयार होने चल दिया।


तकरीबन घंटे भर बाद ऐमी अपने कमरे से बाहर आयी। जब पहली नजर उसपर गई तो अपस्यु का मुस्कुराता चेहरा खिली सी हंसी में बदल गया। एक दिन ख्वाहिशों के झरोखे से अपस्यु ने अपनी इक्छा जताई थी, जब कभी भी मै तुमसे अपने दिल का हाल बताऊंगा तब तुम ठीक वैसे ही तैयार होना जैसे कोई युवती अपने शादी के लिए लड़कों वालों को दिखाने के लिए तैयार होती है।


ऐमी के दिमाग में अब तक थी यह बात और ना जाने कबसे वो भी इसी मौके का इंतजार कर रही थी। गहरे हरे रंग में बड़ी सी लाल बॉर्डर की साड़ी पहने जब वो अपस्यु के नज़रों के सामने आयी, उसका चेहरे की रंगत बता रही थी कि आज वो किसके लिए तैयार होकर आयी है। और जिसके लिए तैयार होकर आयी थी उसकी नजर के भाव को पढ़कर ऐमी अंदर से खुश हो गई।


वह अपनी खिली सी मुस्कान के साथ एक-एक कदम बढ़ाती सीढ़ियों से नीचे आ रही थी और अपस्यु अपनी नजर उसके मनमोहित रूप पर जमाए, अपने कदम ऐमी के ओर बढ़ा रहा था। दोनो जैसे ही करीब हुए अपस्यु उसके अभिवादन में अपना एक हाथ आगे बढाते हुए थोड़ा सा झुका। ऐमी अपस्यु के इस स्वागत को देखकर खुलकर हसने लगी…. "बस भी करो, अब नजरें हटाओ भी"..


"आज तो नजर वैसे भी नहीं हटने वाली है, तो चले क्या?"…. "येस ! चलते है।"..


दोनो वहां निकले, अपस्यु ने प्रदीप को फ्लैट लौट जाने के लिए कहा और दोनो ऐमी की कार में इंडिया गेट पहुंच गए। शाम के समय इंडिया गेट का नजारा काफी मनमोहक था और काफी लोग भी जमा थे। अपस्यु अपना फोन निकालकर एक छोटा सा संदेश भेजा और उसके तुरंत बाद ही वहां आतिशबाजियों होने लगी।


छोटी आतिशबाजी होती तो लोग एकबार ध्यान देते लेकिन यह आतीबाजी जब शुरू हुई तो फिर रुकने का नाम कहां के रही थी। हवाओं में धुएं से लिख दिया गया था…. "आप सब गवाह है एक अनोखे पल का.. होने वाले मोहब्बत के इजहार का आनंद ले।"


इंडिया गेट, उसपर से तकरीबन 20 मिनट की आतिशबाजी। प्रशाशन कोना-कोना छन मार रही थी, मीडिया धुएं से लिखे संदेश को लगातार ब्रेकिंग न्यूज बनाकर…. "कौन अपने प्यार का इजहार करने वाला है".. उसका सस्पेंस क्रिएट कर रही थी। कुछ टीवी देखने वाले, मीडिया को गाली से रहे थे, तो बहुत से दर्शक इस इजहार के गवाह बनना चाहते थे और वो चैनल की टीआरपी को इस कदर बढ़ा रहे थे कि ये घटना मीडिया इवेंट सा बनता जा रहा था।


जब आतिशबाजियों समाप्त हुई तब अचानक भिड़ में से पहले एक लड़की निकलकर इंडिया गेट में सामने थिरकने लगी। क्या डांस मूव थे उसके। उस लड़की ने जैसे ही 2 डांस मूव परफॉर्म की, वो वहां के लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गई…..


इस सोलो परफॉर्मेंस के 2 मूव करने के बाद, लोगो को पता चला कि वहां मोब डांस शुरू हो चुका है। अचानक ही वहां डांस करने वालों का पूरा हंजूम लग गया। डीजे की म्यूज़िक इतनी तेज थी कि वहां घूम रहे हर सैलानी और स्थानीय लोगों को उस ओर आने पर मजबूर कर दिया।


अपस्यु मुसकुराते हुए ऐमी के ओर अपना हाथ बढ़ा दिया। दोनो के रिश्ते में छिपाने जैसा कुछ भी नहीं था, और इजहार तो कब से ये एक दूसरे की आंखों में देखकर कर चुके थे, लेकिन फिर भी ना जाने क्यों ये समा और यहां का माहौल देखकर दोनो का ही दिल जोड़ों से धड़क रहे थे और आने वाले पल की कामना करके रोमांचित हो उठा था।


एक दूसरे के आंखों में आखें डालकर मुसकुराते हुए दोनो हाथ थामे उस मोब डांस के ओर बढ़ रहे थे। डांस ग्रुप का एक हिस्सा भिड़ के बीच में था, जैसे ही अनलोगों ने अपस्यु और ऐमी को आते देखा बीच से रास्ता बना दिए और फोकस लाइट दोनो पर परने लगी।


फिर क्या, ध्यान पीछे से आ रहे क्यूट से कपल पर गई जो एक दूसरे का हाथ थामे, मुसकुराते हुए नज़रों से नजरें मिलाए चल रहे थे। ना तो नजर हटी एक दूसरे से और ना ही दोनो ने एक बार भी सामने देखा। मोब डांस के बीच जैसे ही अपस्यु पहुंचा, अपने घुटनों पर बैठकर दोनो बाहें फैला दिया।


अपस्यु ने जैसे ही दोनो बाहें फैलाई ऐमी खिल खिलाकर हंसने लगी किन्तु भावनापूर्ण आशु उसके आंखों से छलक रहे थे, जो इस खुशी के पल को दर्शा रहा था। अपने कोट के अंदर की जेब से अपस्यु ने वहीं उजला और नीला फुल निकालकर सामने बढ़ाते हुए कहा…. "तुम्हारे लिए मै हमेशा, आई लव यू ऐमी"


ऐमी हंसती हुई अपस्यु से लिपटकर कहने लगी… "हमेशा के आगे भी यदि कोई जहां है और मै जब भी इस जहां में रहूं तुम ही मुझे मिलना..लव यू टू"


कुछ देर ऐमी लिपटे रहने के बाद अपस्यु से अलग हुई और अपना हाथ आगे बढ़ा दी। जैसे ही अपस्यु ने ऐमी का हाथ थामा, झन्नेटेडर म्यूज़िक बजने लगी। परफॉर्मेंस करने आए युवक और युवतियां, दोनो के इर्द गिर्द करतब वाला डांस दिखाने लगे।


तभी अपस्यु ने माइक हाथ में लिया और जोर से कहा… "चेंज थे म्यूज़िक" और जैसे ही धुन बदली एक बार फिर ऐमी और अपस्यु वहां पर थिरकना शुरू किए और जब इन दोनों ने उस जगह पर नाचना शुरू किया तब सभी डांसर मुंह पर हाथ दिए उनके डांस को देखकर यही सोच रहे थे…. "बिना नजरें एक दूसरे से हटाए, क्या साड़ी में इतने छोटे स्टेप के साथ ऐसा भी डांस किया का सकता है।"..


इन दोनों के नज़रों के विश्वास का किसे ज्ञान था। सामने यदि खाई भी हो, तो ऐमी, अपस्यु के आंखों में देखकर बस उसके कदम से कदम मिलाकर बढ़ती रहेगी, आगे जहां उसका प्यार ले जाए। दोनो तबतक वहां नाचते रहे, जबतक वहां पुलिस नहीं आ गई। अरेस्ट भी करने आया तो कौन, शहर का सिटी कमिसनर और दोनो को कमीसनर ऑफिस ही लाया गया।


कमिश्नर ऑफिस में पहले से सिन्हा जी और होम मिनिस्टर बैठे हुए थे। अपने डैड को सामने देख ऐमी शर्माकर अपस्यु के पीछे छिप गई और ऐमी का हाल-ए-दिल समझते हुए अपस्यु भी सिन्हा जी से कहने लगा…. "क्या है बापू, आप यहां क्यों आ गए।"


सिन्हा जी:- अब मेरी बेटी और दामाद को कोई छोटा ऑफिसर अरेस्ट करता तो मेरे प्रेस्टिज पर पड़ती, इसलिए आना पड़ा।


अपस्यु:- तो इसके लिए आपने सर को यहां बुला लिया। हद होती है किसी भी बात की।


होम मिनिस्टर:- हद क्यों होगी। तुम दोनो को टीवी पर देखकर आज मै अपने पोस्ट का ख्याल छोड़कर, केवल एक अभिभावक के तौर पर आया हूं। मुझे भी तो मिलना था अपनी बहू से।


होम मिस्टर साहब खास तौर पर ऐमी से मिलने के लिए अपने सारे काम छोड़कर पहुंचे थे। और ऐसा नहीं था कि कोई 1 या 2 मिनट की ये मुलाकात थी। निश्चिंत होकर मिले और सुनिश्चित होकर वहां से निकले। उनके जाते ही सिन्हा जी खड़े हो गए। अपस्यु और ऐमी को देखकर वो मुस्कुराते दोनो को गले से लगाए और वो भी वहां से निकल लिए।


ऐमी, अपस्यु के कांधे पर अपना सर टिकती…. "हम लाइव आ रहे थे क्या"?


अपस्यु:- क्या पता, हां शायद..


ऐमी:- फिर तो आंटी, कुंजल, आरव और सब लोगों ने देखा होगा।


अपस्यु:- हां तुम्हारी मासी-मौसा और मामा-मामी ने भी देखा होगा।


ऐमी गुस्से से सीधी होकर बैठी और घूरती हुई कहने लगी…. "अच्छे खासे चल रहे मोमेंट में आग लगाना इसे ही कहते है अपस्यु।"


अपस्यु, उसका सर अपने सीने पर टिकाए उसके गाल को स्पर्श करते… "सॉरी, बाद में बात करते है इसपर".. ऐमी खुद को थोड़ा और अपस्यु के अंदर समेटती… "नाह ! बाद में भी नहीं, और कभी भी कभी नहीं"…


"सर आप का बेल तो यहां आने से पहले हो चुका है, आप जा सकते है।"… एक हवलदार उनके करीब आकर कहा। दोनो वहां से उठकर चल दिए। दोनो जब कार में बैठकर अपने प्यार का कारवां आगे बढ़ा रहें थे तभी अपस्यु को कुछ भनक लगी… "क्या साड़ी में कोई एक्शन कर पाओगी"…


ऐमी:- साड़ी के एक्शन में वो मज़ा नहीं आएगा। चलो फिर मॉल कुछ ढंग के कपड़े ले लिए जाए।


दोनो ने रास्ते में पड़ने वाले शॉपिंग मॉल के पार्किंग में गाड़ी रोका और शॉपिंग के लिए चल दिए। दोनो को तो सबने अभी-अभी टीवी पर देखा था, इसलिए कुछ लोगों के आकर्षण का केंद्र दोनो बने हुए था…. "हीहीहीही… अपस्यु हम लाइव थे , कमाल है अबतक किसी का कॉल नहीं आया।"


अपस्यु:- कैसे आएगा, मैंने मोबाइल स्विच ऑफ कर रखा है।


ऐमी:- चालक हां ।


ऐमी ने मूड और सिट्यूशन के हिसाब से आउटफिट सेलेक्ट कर लिया। स्त्रचबल जीन्स, टी-शर्ट और ऊपर एक जैकेट। दोनो वहां से पार्किंग में आए और कार की बैंक सीट पर एक दूसरे को किस्स करने लगे। दोनो व्याकुलता से एक दूसरे को किस्स कर रहे थे और एक दूसरे के बदन पर हाथ फेर रहे थे।


बस 2 मिनट ही हुए होंगे, की कार पर अंधाधुन फायरिंग शुरू हो गई। बुलेटप्रूफ कार थी इसलिए गोली अंदर तो नहीं आयी, लेकिन अपस्यु और ऐमी की आंखों में एक चमक जरूर आ चुकी थी। दोनो एक दूसरे से अलग हुए और ऐमी, अपस्यु के कानो में कहने लगी…."आज सुबह से इन लोगों ने हमारे रोमांस को महसूस किया है लेकिन अब पागलपन को देखेंगे। इन सब में कोई एक श्रेया का साथी होंगा। फाइट के बाद इन्हे एहसास हो जाना चाहिए, कि क्यों हमे उलझाने के लिए भी इन्हे कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए था। इन्हे फायर करके जान से मारने कि कोशिश नहीं करनी चाहिए थी"..


अपस्यु:- तुम अंदर ही बैठी रहो, जब लगे तुम्हे फाइट करनी चाहिए तब उतर आना।


ऐमी, अपस्यु के होंठ चूमती… "जब उस एक को मारना तो कोई रहम मत करना।"


अपस्यु नीचे झुका, नीचे से कवर हटाकर एक सेट ग्लव्स पहना और वहीं से छोटी सी चाकू को अपने हाथ में रखकर कार के दूसरे दरवाजे से बाहर निकला । हमलावर अब भी वहीं खड़े थे। बुलेटप्रूफ कार पर गोली चलाने का कोई फायदा तो नहीं हुआ, इसलिए कांच को तोड़ने के लिए तरह-तरह के जतन किए जा रहे थे।


अपस्यु को यह तो पता था कि अभी हुए हमला का दोषी किसी ऐसे को बनाया जाएगा, जो श्रेया या उसके ऊपर जो भी है, उसके हिट लिस्ट में है। लेकिन दिमाग वहीं नहीं काम कर रहा था कि श्रेया उसे अनलझाने वाली कैसे है।


अपस्यु के नीचे उतरते ही कुछ लोग गन लिए कार के दूसरे हिस्से में आए, लेकिन वहां कोई नहीं था। 4 लोग हथियार के साथ फ़ैल गए और अपस्यु को ढूंढने लगे। इधर कांच तोड़ने वाले लोगों को कुछ नहीं सूझा, तब वो लोहे की मजबूत आड़ी ही लेकर पहुंच गए।


2 लोगों के हाथ में आड़ी थी और वो दोनो के दोनो कार को काटने के इरादे से आ रहे थे…ऐमी सामने घनघनाती आवाज़ में चालू हुई आड़ी को देखकर अपनी आखें बड़ी कर ली…. "रियली, ये आड़ी" ..


ऐमी ने अपस्यु को तुरंत संदेश भेजा…. "यार ये बेज्जती है, यहां कोई कॉमेडी शो चल रहा है क्या, 2 लोग आड़ी लेकर आ रहे है कर काटने। हद होती है बेवकूफी की, पेट्रोल डालकर आग लगाना बजाय कार काटने आ रहे है। ऐसे लोगों को हमे मारने का कॉन्ट्रैक्ट दिया है। मै उस श्रेया का खून कर दूंगी।"
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
मजा आ गया आड़ी लेकर आए गुंडे
 

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दोनो वहां से निकलकर पीछे के रास्ते सड़क पर आए और एक कार को बड़ी सफाई से उड़ाकर जगदीश राय के आवास तक पहुंच गए।…. "इसके घर में घुसकर मारना रिस्की है अपस्यु, पुलिस पहुंच जाएगी यहां। हम इतने तैयार भी नहीं है।".


अपस्यु:- किसने कहा हम तैयार नहीं है, पीछे देखो कौन आ रहे है।


जेके और पल्लवी पूरी तैयारी के साथ चले आ रहे थे। आते ही जेके कहने लगा…. "अबे ये कौन है जो मेरा टारगेट तुझसे मरवा रहा है।"


अपस्यु:- वो जो कोई भी है, उसका लिंक जरूर उस डायरी से है, जिसकी फोटो मैंने आपको दी थी।


जेके:- ये तो वैसे भी मरता लेकिन अभी इसे मारने का मन नहीं था। आज राठी ब्रदर्स या शुक्ला को टपकाना था।


पल्लवी:- वक़्त बहुत कम है क्योंकि 15 मिनट में पुलिस पेट्रोलिंग यहां होगी। तुम दोनो का कोई अभी पीछा तो नहीं कर रहा था ना।


ऐमी:- जो हमे फसाकर अपना काम निकलवाना चाहते थे, उनके 5 लोगों को सुला आए हैं। पीछा करने का तो सवाल ही नहीं होता।


पल्लवी:- दैट्स माय बॉय.. चलो जी अपने शागिर्द कि मदद कर दो..


जेके:- ठीक है, अपस्यु, ऐमी तुम दोनो सामने के गेट इनको उलझाओ, मैं और पल्लवी अंदर उस जगदीश को परम पिता जगदीश के पास पहुंचाकर आते हैं।


इस काम के लिए अपस्यु ने ऐमी को बाहर ही रखा, क्योंकि वो नहीं चाहता था कि हर जगह 2 लोग दिखे। अपस्यु बाउंड्री के फैंस को चेक किया, अंदाज़ा सही था, करंट दौड़ रहा था ऊपर के लोहे में।


जेके, अपस्यु को बिजली विभाग वाला ग्लोब्स थामते हुए कहा… "सिक्योरिटी गार्ड के ऑफिस में करंट ऑफ का तरीका मिल जाएगा, जल्दी करना।"


अपस्यु तेजी से उस बाउंड्री पर चढ़ गया। बॉडी तो पुरा मास्क पहले से थी, मोटे परत की ग्लोब्स लगने के बाद, झटका का कोई सवाल ही नहीं था। लेकिन अंदर आते ही मोशन सेंसर एक्टिव हो गए और तुरंत ही अलार्म भी बजने लगा।


यह एक अलर्ट अलार्म था जो केवल सिक्योरिटी वालों के लिए था। सिक्योरिटी वाले ने अपस्यु को देखा और उसने सभी गार्ड और बॉडी गार्ड को तुरंत अलर्ट अलार्म से जगाना शुरू किया। जब तक वो सभी बाहर आते, तबतक अपस्यु गेट पर खड़े गार्ड के केबिन में दाखिल हो गया और सभी अलार्म एक साथ ऑन करके फैंस करंट सप्लाई को बंद कर दिया।


अपस्यु को तो वक़्त काटना था। अपना काम करने के बाद अपस्यु ने जेके को बढ़ने के लिए संकेत दिया और खुद वहां के लॉन में आकर गार्ड से लरने की तैयारी करने लगा।


पहले तो उसपर फायरिंग शुरू हुई, लेकिन अपस्यु के बुलेट प्रूफ जैकेट के आगे सब बेअसर था। सभी गार्ड तेजी से अपस्यु के ओर दौड़े। अपस्यु भी तेजी से भागता हुआ लॉन के चक्कर लगाने लगा। अपस्यु को पकड़ने के लिए वो सभी गार्ड जो एक साथ दौड़ रहे थे, सब बिखर गए और अलग अलग दिशा से अपस्यु को पकड़ने की कोशिश करने लगे।


अपस्यु के पीछे से 2 गार्ड दौड़ लगा रहे थे और सामने से 2 चले आ रहे था। अपस्यु अपने दोनो मुट्ठी में छोटी सी चाकू दबाए आगे बढ़ा और अपने घुटनों पर आते हुए दोनो गार्ड के पाऊं को काटते हुए आगे फिसल गया और वो दोनो पीछे जाकर गिर पड़े।


अपस्यु खड़ा होकर फिर से दौड़ लगा चुका था। देखते ही देखते बिखरे हुए गार्ड अब कर्राहते हुए जमीन कर बैठे कोई पाऊं पकड़े था, तो कोई अपने पेट के स्क्रैच को संभाले था।


इधर जेके अपने तय समय पर काम खत्म करके अपस्यु को लौटने के संकेत देने ही वाला था कि वहां पुलिस के कई जीप की सायरन की आवाज़ आने लगी। अपस्यु को भनक थी कि ऐसा कुछ होने वाला है इसलिए ऐमी को वो बाहर रहने कहा था।


ऐमी बाहर अपना काम कर चुकी थी। आने वाले दो ओर के रास्ते को वो वहां बाहर खड़ी जितनी भी कार थी उससे ब्लॉक कर चुकी थी और जिन कार के पेट्रोल पाइप काट सकती थी उनके काटकर सबको आग के हवाले कर चुकी थी।


जेके दोनो की होशियारी पर खुश होते हुए अपस्यु को लौटने का संकेत दिया। जबतक 2 मुख्य मार्ग से पुलिस पैदल गस्त करती हुई पहुंचती, चारो जेके की कार में छोटी सी गली के रास्ते, जेके के ठिकाने तक पहुंच चुके थे।


इधर अपार्टमेट में पागल कर देने वाले इस सिऊंड ने पूरे अपार्टमेंट को परेशान कर रखा था और श्रेया के लिए चिंता का विषय उसके साथी की गिरती नवज थी। उसके लिए पहले से पदेशनी कम थी क्या जो अब ये साउंड। श्रेया फ्लैट नंबर102 से निकलकर अन्य लोगों की तरह ही अपार्टमेंट सेक्रेटरी के घर पर हल्ला बोल दी।


श्रेया तकरीब 5 मिनट वहां रुकी और वापस उस फ्लैट में पहुंचीं। जब वो वापस पहुंची और वहां का नजारा देखी, उसके होश ही उड़ गए। श्रेया पागलों की तरह छटपटाने लगी और नागिन सी फुफकार मारने लगी।


श्रेया अपने फ्लैट में पागलों कि तरह भटक रही थी। कुछ ही देर में उसके लोग श्रेया के फ्लैट में पहुंचे।… "तुम लोग ने 102 में देखा या नहीं।"..


गुफरान आंखों से धधकते शोले निकालते….. "5 साथी मारे गए हैं और हम यहां बस योजना बना रहे है। अभी वो कुत्ता और उसकी गर्लफ्रंड अंदर ही होगी। पहले उसे ठोको फिर समझते रहेंगे की क्या करना है।"..


तकरीबन 10 साथी उनके जमा थे, सब लोग "हां हां" करने लगे। श्रेया सबकी भावनाओ में शरीक होती हुई कहने लगी…. "पापा को अपनें लिए एक कातिल चाहिए तो कहीं और से इंतजाम करेंगे। परिणाम का बाद में सोचेंगे पहले साफ करो दोनो को। हां लेकिन सब साथ रहना। क्योंकि हमें उसे कमज़ोर नहीं समझना चाहिए।"..


जेन:- स्प्रे मारकर बेहोश करेंगे फिर इत्मीनान से उसके अंग-अंग को चीरकर अपने कलेजे कि आग को ठंडा करेंगे। सब लोग मस्क पहनो और स्प्रे लो।


बस कुछ ही पल में सब तैयार हो गए। स्टाफ क्यूटर्स के दरवाजे से सब लोग अपस्यु के फ्लैट दाखिल हुए। अंधेरे हॉल में जैसे ही उन लोगों ने रौशनी की… हॉल में लगा प्रोजेक्टर चलने लगा और वहां आवाज़ गूंजने लगी…. "मुझे मारने आए आप सभी लोगों को नमस्कार। मैं रात के 3-5 के बीच, तुम लोगों को भाड़े पर काम देने वाले जगदीश राय को साफ कर रहा होऊंगा, उसके बाद घूमने निकल जाऊं वो मूड पर है।"..

"खैर ये सब तो तुम्हारे काम की बात नहीं थी, लेकिन अब जो कह रहा हूं उसे सुनने और समझने में कोई चूक ना हो। यदि मुझे मारने कि इक्छा हो तो जगदीश राय के बंगलो आ जाना, वरना अपने 5 लोगों की लाश 102 से उठाकर निकल जाओ। कॉन्ट्रैक्ट मुझे मारने का मिला था तो मुझे मारना चाहिए था, मेरे परिवार पर हमला करना माफी के लायक नहीं।"

"तुम्हारे ग्रुप को मै केवल एक चेतावनी देकर मै छोड़ रहा हूं, कि उन पांचों की डिटेल मैंने अपने पास रख ली है। अगली बार मुझे शंका हुआ कि तुमने मेरी सुपाड़ी ली है, तो मै तुम्हारा पता लगाऊंगा। पहले मारूंगा और फिर तुम्हारी लाश से पूछना शुरू करूंगा…. "भाई बता अब तुझे किसने मुझे मारने कि सुपाड़ी दी थी, या अपने 5 लोगों का बदला लेने आया है"। ज़िन्दगी प्यारी हो तो बदला भूल जाओ वरना मृत्यु ही एक मात्र सत्य है और मैं, अपस्यु रघुवंशी, उस सत्य से तुम सबको अवगत करवा दूंगा।"…


अपस्यु का संदेश सुनने के बाद सब लोग अजीब ही गुस्से के साथ, श्रेया के फ्लैट में लौटे और हर कोई अपस्यु पर हुए आज के हमले के बारे ने पूछने लगा। किसी को खबर नहीं थी कि यह स्टेप लिया जा चुका है। श्रेया सबको शांत करती हुई कहने लगी….


"कल रात अपस्यु से बात करने के बाद मुझे लगा कि वो ऐमी या आरव के लिए कुछ भी कर सकता है। जगदीश राय पर एजेंसी वालों का सिकांजा बढ़ रहा था यदि वो गवाह बान जाता या अपना मुंह खोल देता तो पदेशानी का कारन बन जाता, इसलिए यह फैसला लिया गया था।"


गुफरान:- इसका मतलब जित्तू (वहीं आदमी जिसे ऐमी ने जहर का इंजेक्शन दिया था) को इन्हीं दोनो ने कुछ किया था और तुम कह रही थी इन दोनों (अपस्यु और ऐमी) के डिक्की में माइक्रोफोन और जीपीएस फिट करने घुसा था। तुमने हमसे पूरी कहानी छिपाई।


प्रदीप:- श्रेया, तुम्हारे बकवास प्लान के वजह से हमारे 5 साथी मारे गए। साफ शब्दों में कह गया अगली बार कुछ होगा तो हमारे ग्रुप का वो पता लगाएगा… जब तुम उसे अपने जाल म फसा ही रही थी फिर उसके परिवार पर हमला करवाने किसने कहा था। उसमे भी तुमने ऐमी को चुना। वो तो खुद भी एक ट्रेंड फाइटर है और शायद हम सब से बेहतर हो। ऊपर से दोनो को देखी थी ना इंडिया गेट पर, फिर भी उसपर हमला। जहालत है ये तो….


श्रेया:- मुझे लगा जिस लड़की से वो प्यार करता है, उसके घायल होने या मरने के बाद, वो अपना आपा खोकर बिना कुछ सोचे जगदीश राय को खत्म कर देगा और उसका वकील सिन्हा तो उसे निकाल ही लेगा, इसलिए मैंने सब कुछ प्लॉट कर दिया।


जेन उसे एक थप्पड़ खींचकर मारती…. "देख लिया उसको उकसाने का नतीजा। खुद ही कहती थी ना की उसके जैसा एक भी अपने टीम में हो फिर तो दुनिया जीत लेंगे। हर पॉवर को क़दमों में लाकर झुका देंगे। फिर क्यों उसको छेड़ दी।"


श्रेया:- कल पिए म जब उसको सुनी तो लगा कि उसे हम कुछ ज्यादा ही आंक रहे है। सेक्स और पॉवर उसकी भी ख्वाहिश है और इसका भी दिमाग आम लड़कों जितना ही है, बस एबिलिटी थोड़ी ज्यादा है।


प्रदीप:- आम लड़का, हाहाहाहा… उस भूत को आम लड़का समझ रही थी। 5 मिनट में तो उसने 4 लोगों को काट दिया। कब आया कब गया कीसी को भनक तक नहीं। तुम उसे फसाने के लिए जाल बुन रही थी और उसने डिक्की में जिसे बंद किया, उसपर बाहर से नजर रखवाए था। उसने पता भी लगा लिया कि हम जित्तू को 102 में लेकर गए है और तुम फालतू की टेक्नोलॉजी से उसके बदन में ट्रैकिंग डिवाइस ढूंढ रही थी।

"हमारे साथियों को मारने के बाद कितने विश्वास से कहता गया है कि वो अब जगदीश राय को साफ करेगा। वही जगदीश राय जिसपर 3 बार हमले करवा चुके है पर उल्टा मुह की खाने पड़ी थी। उसे तो यहां तक पता था कि उसने क्या किया और लोग उसे कहां ढूंढने आ सकते है। शुक्र करो उसने अपने घर में मौत का जाल नहीं बिछा रखा था। सामान्य सा लड़का है बस… । तुम जरा अपनी ओवर स्मार्टनेस कम करो श्रेया तो हमसब के लिए अच्छा होगा। भूत जैसे शिकारी को फसाने की चाहत है और अक्ल रत्ती भर भी नहीं।"


गुफरान भी गुस्से में लाल होते… "ऐमी को कोई मारने आया था, सिर्फ इस ख्याल से ही उसने सबकी बलि ले ली। परिवार की बीच रहने वाला मासूम सा लड़का जिसके चाकू का घाव देखकर यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि ये वही मासूम है। उसे तुम इतना कम कैसे आंक सकती है। बिना सोचे जब वो इतना कर सकता है, फिर जब ध्यान स सोचकर करेगा तो अंदाज़ा भी है वो क्या कर सकता है और कहां तक घुस सकता है। बदला भूलकर पहले सबूत मिटाओ और सर्विलेंस पर रखो 24 घंटे, ताकि पता तो चले ये हमारे ग्रुप के पीछे पड़ा है कि नहीं। अच्छा हुआ वो फ्लैट ने नहीं था वरना 10 लोगों में से 5-7 को तो लपेट ही लेता।


जेन:- जिस श्रेया को हम अपने पापा की तरह चालक समझ रहे थे वो तो आज बेवकूफी कर गई और तुम गुफरान बोलते बोलते फिर से साबित कर दिए की तुम सबसे बड़े बेवकूफ हो। सब कुछ आंखों के सामने है, फिर भी ये सोच रहे हो कि उसकी जगह पर तुम 10 लोग टिक जाते। 4 सूरमा को तो 5 मिनट में उनकी जगह पर साफ कर दिया और तुम्हारे यकीन कि मै दाद देती हूं , उसके घर में घुसकर 10 लोग जाओगे मारने। बस भी करो तुम लोग और जाकर पहले सबूत मिटाओ ताकि वो हम तक पहुंचने का उसे कोई लिंक ना मिले।


श्रेया:- जेन सही कह रही है। वैसे भी अपस्यु ने यह कत्ल, यह सोचकर किया की किसी ने उसके ऐमी को मारने की कोशिश की थी, इसलिए आवेश में उसने 5 कॉन्ट्रैक्ट किलर को मारा डाला। अब उसे मारने गया है जिसने ये कॉन्ट्रैक्ट दिया था। मतलब साफ है, परिस्थिति कैसी भी हो वो अपना आपा नहीं खोने वाला। तुम सब सही कह रहे हो, हमारे 5 साथी के मरने के पीछे केवल और केवल मेरी बेवकूफी थी और अपस्यु उसे हमारा साथी के तौर पर नहीं बल्कि अलग सोच के साथ कत्ल किया है। उसके पीछे जाने से अच्छा है कि मेरी बेवकूफी को भूलकर उसे साथ मिलाकर काम किया जाए।


सभी लोग अभी बात कर ही रहे थे कि श्रेया के पास कॉल आया… "पापा आप इतनी रात को जाग क्यों रहे हो।"


पापा:- क्योंकि मै तुम्हारी पहली सफलता पर बधाई देना चाहता हूं। जिस सोच के साथ अपस्यु पर दाव खेला था वह सही हो गया। उम्मीद से परे है इसका काम और इसे मुमकिन तुम्हारी कोशिश ने बनाया है। इसे पूरे काबू में रखो ये लड़का कुछ भी कर सकता है।


श्रेया को लग गया कि हो ना हो अपस्यु ने जगदीश राय को खत्म कर दिया होगा। श्रेया ने तुरंत न्यूज लगाया और न्यूज में अभी वही चल रहा था… "मशहूर उदयोगपति जगदीश राय के घर में घुसकर, कुछ अज्ञात लोगों ने उसका कत्ल कर दिया। पुलिस मामले की छानबीन में लगी।"… टीवी की न्यूज सभी आंख फाड़े देख रहे थे और बस अपस्यु के क्षमता के बारे में पुनः आकलन करने में जुट गए।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
भंवर हैं भवंर सच में भाई
 

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सुबह के 7.30 बज रहे थे। फ्लैट की बेल जोड़ों से बज रही थी। अपस्यु ने जैसे ही दरवाजा खोला, एसपी के साथ पुलिस की पूरी टीम दरवाजे पर खड़ी थी। अपस्यु पुरा दरवाजा खोलते हुए… "सॉरी मै वो सो रहा था सर, आइये ना अंदर।"


अपस्यु सबको हॉल में बिठाकर, ऐमी को जगा दिया और वापस से उनके बीच चला आया। अपस्यु के आते ही एसपी ने सीधे सवाल करने शुरू कर दिए, मामला था इस अपार्टमेंट में हुए कल रात की वारदात और उसी वारदात का एक लिंक जगदीश राय के घर तक जाता था, क्योंकि चोरी कि गई कार इसी अपार्टमेंट के बाहर से उठाई गई थी और शक था कि जिसने यहां कत्ल किए है वही जगदीश राय के यहां भी गया होगा।


अपस्यु। के चेहरे पर घोर आश्चर्य के भाव थे और वह जिज्ञासावश पूछने लगा कि कल इस अपार्टमेंट में हुआ क्या था, क्योंकि कल शाम शॉपिंग मॉल की घटना से बाद उसकी अभी आंख खुल रही है।


एसपी ने मामले का संज्ञान लेते हुए अपस्यु से उसके साथ हुई कल शाम की घटना के बारे में पूछने लगा। बेहोश होने के पहले तक का अपस्यु ने बता दिया और उसके बाद सीधा उसकी आंख यही खुली।


इतने में ऐमी सबके लिए चाय ले आयी और सबको चाय देने के बाद आगे की घटना का जिक्र करती हुई पूरी बात बताई। कैसे फिर वहां पार्किंग में अजिंक्य और उनके थाने के लोग पहुंचे, सभी हमलावरों को अरेस्ट करने के बाद फिर वहां से अपस्यु को हॉस्पिटल लेकर गए। वहां डॉक्टर ने बताया की घबराने वाली बात नहीं है, बस बेहोश किया गया है, उसी के साथ अजिंक्य सर ने डॉक्टर से अकेले में कुछ बात की और डॉक्टर ने मुझे कुछ दवा लिखकर दी।


अजिंक्य सर खुद यहां आए थे। उनके हवलदार की मदद से हमने अपस्यु को लिटाया और फिर मुझे वो दावा खिलाकर यहां से चले गए। उसके कुछ देर बाद नींद आ गई और अभी जाग रही हूं। एसपी पुरा मामला सुनने के बाद क्रॉस चेक किया और अजिंक्य से पूरे मामले की जानकारी लेकर वहां से चलते बाना।


उनसब के जाते ही अपस्यु ने दरवाजा बंद किया और किचेन में पहुंचकर, ऐमी के कमर में हाथ डालकर उसके गले को चूमने लगा… ऐमी गहरी श्वांस लेती अपने हाथ को किचेन स्लैब से टिका दी और अपनी आखें मूंद ली।


अपस्यु गले को चूमते हुए अपने हाथ धीमे से खिसकाते हुए लोअर के अंदर ले जाने लगा… "अम्मम ! बेबी अभी रुक जाओ ना प्लीज, काम बहुत परे है। खत्म तो कर लेने दो।"….. गले पर हल्के दातों का निशान देते हुए अपस्यु हाथ को धीमे से पैंटी के अंदर खिसकाते उसे चूमने लगा।


श्वांस दोनो की ही चढ़ आयी थी, तभी अपस्यु के फोन की घंटी बज गई। एक पूरी रिंग होकर कट गई लेकिन अपस्यु ने ध्यान नहीं दिया। वो धीरे-धीरे अपने हाथ चलाते, ऐमी की उत्तेजना को बढ़ाने में लगा था। तभी फिर से दोबारा रिंग होना शुरू हुआ।


ऐमी, अपस्यु को धक्का देकर दूर की…. "हद है फोन बज रहा है अपस्यु, उठाओ उसे पहले।"… अपस्यु गुस्से में फोन को घूरा और फोन उठाकर हॉल में चला आया…. "हां बोल भाई"..


आरव:- कहां था, पूरी घंटी हुई फिर भी कॉल नहीं उठाया।


अपस्यु:- कुछ काम कर रहा था। तू सुना कैसी चल रही है छुट्टियां।


आरव:- अरे यार तेरा कल रात का शो हमदोनो ने देखा, अब मैडम को भी इक्छा हो रही है, वैसे ही एक इजहार की।


अपस्यु:- हाहाहाहा.... प्यारी सी ख्वाइश है कर दे पूरी, इसमें इतना सोच क्यों रहा है। वो छोड़ तू आराम से रह और चिंता ना कर, समझा।


आरव:- कामिना, अब कौन मन की भाषा पढ़ रहा?


अपस्यु:- जुड़वा तो मरने के बाद भी जुड़वा होते है, फिर तू सोच कैसे लिया कि तेरी बात मै ना समझूं या तू मेरी ना समझेगा।


आरव:- हम्मम ! सो तो है, बस मन ना लग रहा तुम लोगों के बिना। तू और ऐमी यहां होते तो बात ही कुछ और होती।


अपस्यु:- अभी लावणी को समय दे समझा, और ज्यादा बहस नहीं।


आरव:- ठीक है गुरुजी समझ गया। चल मै फोन रखता हूं।


अपस्यु ने सोचा, "ये फोन बार-बार तंग ना करे इसलिए खुद ही सबको फोन लगा दूं"। अपस्यु ने फिर एक तरफ से सबको कॉल लगाना शुरू कर दिया। जब वो कुंजल को कॉल लगाया तब उसका फोन व्यस्त आ रहा था। अपस्यु किचेन में झांककर देखा तो ऐमी फोन पर लगी थी, वह समझ गया दोनो लगे हैं, इसलिए उससे छोड़ बाकी सबसे बात कर लिया।


कुछ देर बाद उखड़ा सा चेहरा बनाती ऐमी हॉल में आयी और टेढ़े मुंह अपस्यु को फोन देती कहने लगी… "कुंजल है लाइन पर बात कर लो"..


अपस्यु इशारों में अपने दोनो कान पकड़ते सॉरी कहने लगा… ऐमी फोन उसके पास रखकर रूम में चली गई। जबतक अपस्यु कुंजल से बात करता, ऐमी नहाकर, तैयार होकर कमरे से बाहर निकली। ऐमी को देखकर ही समझ में आ गया, आज इसका पारा फिर चढ़ा…. "कहीं बाहर जा रहे है क्या बेबी।".. अपस्यु ऐमी का हाथ पकड़ कर खींचते हुए बाहों में लेकर पूछने लगा।


ऐमी:- खाना ऑर्डर कर दिया है, 12.30 बजे तक आ जाएगा। मै घर का रही हूं।


अपस्यु, ऐमी के कानो के नीचे से बाल को किनारे करते चूमते हुए कहने लगा… "सॉरी बाबा, वो कॉल आ गया था।"


ऐमी:- कोई बात नहीं है अपस्यु, मै जा रहीं हूं तुम खाना खा लेना।


अपस्यु, ऐमी से अलग होकर उसको अपनी ओर घुमाया, और अपने दोनो कान पकड़ कर कहने लगा…. "गलती हो गई बाबा, मुझे मान जाना चाहिए था। तुम जब कही तब हट जाना चाहिए था। अब माफ भी करो और गुस्सा शांत करो।"


ऐमी, अपनी आखें शुकुड़ती…. "अगली बार ऐसे जिद तो नहीं करोगे ना, और कहूंगी अभी नहीं, तो मान जाओगे ना।"..


अपस्यु:- हां बाबा सच में। चलो अब गुस्सा छोड़ो और आराम से बैठ जाओ। आज मै तुम्हे अपने हाथों का बना खिलाऊंगा…


ऐमी:- येस ! यह अच्छा विचार है। वो चीज वाली आलू दम जो तुमने मियामी में खिलाई थी, वहीं बनाओ।


अपस्यु:- ठीक है फिर वो रेस्ट्रो के खाने का आर्डर कैंसल कर दो, और जबतक तुम बाजार से चीज ले आओ, मै बाकी का काम करके रखता हूं।


ऐमी:- प्रदीप को भेज दो ना, अब क्या बाजार भी मै ही जाऊं…


अपस्यु:- नाह ! उन गावरों को रहने दो, मुझे और भी कुछ याद आ गया है, मै खुद बाजार जाता हूं, जबतक तुम आलू छिलकर रखना और 8-10 प्याज काट लेना।


ऐमी:- जी सर जैसा आप कहें।


अपस्यु, ऐमी को काम समझकर निकल गया, वो जबतक किचेन में अपना काम समाप्त करती तबतक अपस्यु भी बाजार से लौट आया था। अपस्यु जब लौटकर आया, ऐमी किचेन में ही थी। अपस्यु किचेन में जाकर सारा समान रख दिया और पीछे से ऐमी को गले लगाते, उसके गाल को चूमते हुए…. "चलो अब तुम जाओ मैं सब रेडी करता हूं।


ऐमी मुस्कुराती वहीं किचेन स्लैब पर बैठती हुई कहने लगी…. "नाह ! तुम पकाओ और मै तुम्हे देखती रहूंगी।…


लगभग 8.30 से 10 बजने को आए थे। श्रेया और उसकी पूरी टीम उन दोनो पर नजर बनाए-बनाए पक से गए थे। रात को इतने बड़े काम की अंजाम देने के बाद भी सुबह उठकर एक शब्द की भी चर्चा नहीं। ना ही पुलिस उनके दरवाजे पर थी तो उनके हाव-भाव में कोई बदलाव।


सब के सब अपना सर पटक रहे थे और दोनो के बीच का रोमांस देखकर बस यही सोच रहे थे… "पागल है क्या दोनो, पूरी दिल्ली में पुलिस प्रशासन हिली हुई है। पूरा अपार्टमेंट पागल बना हुआ है, और इन्हे कोई फर्क ही नहीं पर रहा। आपस में ही लगे है।"


सादिक, श्रेया का साथी और जेन के भाई का किरदार निभाने वाले… "यार या तो ये बहुत ज्यादा होशियार है या लापरवाह। इतने बड़े कांड के बाद कुछ तो चर्चा होती ना।"


श्रेया:- यह भी तो हो सकता है कि उनके अनुसार उन लोगों ने पुरा मैटर रात को हो सॉल्व कर लिया हो, इसलिए कल के इजहार के बाद दोनो बस आपस में ही लगे है।


जेन:- हां लेकिन अब हम क्या करें, उनका रोमांस देखकर तो मुझे अंदर से कुछ रोमांटिक और कुछ एग्जॉटिक सी फीलिंग आने लगी है।


सादिक:- मेरा भी वही हाल है।


श्रेया:- हम्मम ! कहीं ऐसा तो नहीं कि इसने मुझे कल रात जित्तू के पास देख लिया था और शक हो की हम उसके घर में घुसपैठ करके उनपर नजर बनाए हुए हूं।


जेन:- प्वाइंट में दम तो है, लेकिन उनके प्रतिक्रिया इतने नेचुरल है कि कुछ समझ पाना नामुमकिन है। वैसे जिस हिसाब से दोनो के बीच का प्यार और रोमांस है, उसे देखकर तो यही लगता है कि, अगर वो तुम्हे कल सबके साथ देख लेता तो वहां 5 की जगह 6 लाश होती।


श्रेया:- हम्मम ! ठीक है, कुछ देर और वॉच पर रहो, मै कुछ सोचती हूं।


इधर ऐमी किचेन स्लैब पर बैठी अपस्यु को प्यार से खाना बनाते हुए देख रही थी। अपस्यु बड़े ही प्रेम से और पुरा ध्यान खाना पकाने पर दिए हुए था… "कुछ बोलो भी ऐमी, पास हो और इतनी ख़ामोश।"..


ऐमी:- नाह तुम्हे देखने का मज़ा ही कुछ और है। अपनी ये शर्ट क्यों नहीं उतार देते। जरा नजर भर तुम्हारे दिलकश बदन को देख लूं।


अपस्यु अपनी नजर ऐमी पर दिया, आंखों में शरारत और होटों पर कातिलाना हंसी… अपस्यु अपने होंठ आगे बढ़ाकर ऐमी के होठों को चूमते… "अब कौन रिझा रहा है।"..


ऐमी:- हीहीहीही… पहले शर्ट उतारो फिर बताती हूं।


अपस्यु:- तुम खाली बैठी हो, इतनी मेहनत तो तुम भी कर सकती हो।


ऐमी:- नाना, आज मै आलसी हूं, सब तुम्हे ही करना होगा…


"उफ्फ ! मार ही डाला।"… अपस्यु आंख मरते हुए अपनी शर्ट उतार लिया और उसे लपेटकर ऐमी के मुंह पर फेंक दिया। ऐमी, अपस्यु की इस हरकत पर हंसती हुई कहने लगी… "नजर ना लगे, इन्ना सोना। चलो अब अपने पैंट उतारो।"


अपस्यु, आश्चर्य में अपनी आखें बड़ी किए….. "क्या?"


ऐमी:- हीहीहीही.. पैंट उतारो।


अपस्यु:- हट पागल, मै कहता हूं तुम अपने ये जीन्स उतारो।


"पहले ही कहीं मै आज आलसी हूं, बाकी तुम्हारी मर्जी है, मुझे कोई ऐतराज नहीं।"… ऐमी हंसती हुई आंख मारते कहने लगी…


अपस्यु, हंसते हुए अपना सर झुका लिया और अपना काम करने लगा।… "बेबी, शर्ट की तरह पैंट भी फेको ना। प्लीज।"..


"आज पागल हो गई हो तुम।" .. अजीब शर्म सी हंसी हंसते हुए अपस्यु ने अपने पैंट उतरकर भी ऐमी के मुंह पर मरा। … "भिंगे होंठ तेरे, प्यासा दिल मेरा… मेरे इमरान हाशमी, अंदर तो काफी सेक्सी बॉक्सर पहन रखी है, कहीं और परफॉरमेंस तो नहीं देने वाले थे।"..


अपस्यु:- बस भी करो, अब खुश तो हो ना..


ऐमी:- नाह ! वो आखरी वस्त्र, बॉक्सर भी उतार कर दो।


अपस्यु:- पागल, सुंबह-सुबह कोई पोर्न तो नहीं देख ली।


ऐमी:- आय हाय लड़का तो शर्मा गया। अच्छा तुम्हारी लाज्जा को देखते हुए छोड़ती हूं। जाओ नहा लो, सब तो लगभग पक गया है।


अपस्यु:- बस 5 मिनट का रह गया है, जबतक ये पकता है, तबतक मैं तुम्हे भी निर्वस्त्र कर दूं।


ऐमी फाटक से किचेन स्लैब से नीचे उतरती…. "अभी कुछ देर पहले ही ना कान पकड़ कर बोल रहे थे, मै मना कर दूंगी तो मना हो जाओगे। तो चलो अब मना हो जाओ।"


अपस्यु खा जाने वाली नज़रों से घूरा .. "बहुत शरारत सूझ रही है मिस ऐमी, अभी बताता हूं तुम्हे।"… अपस्यु दौड़ा, ऐमी भागी.. भागते दौड़ते, सामान गिराते पीछा चालू था। ऐमी की खिल खिलहट पूरे घर में गूंज रही थी और अपस्यु उसके पीछे दौड़कर पकड़ने कि कोशिश में लगा था….


अंततः अपस्यु ऐमी को पकड़कर कमर से उठाया और तेजी से गोल घूमते हुए उसके कान के नीचे गले पर अपने दांत जोड़ से गड़ाते हुए कहने लगा… "मेरे तो सीधे-सीधे इमोशंस थे, लेकिन ये सुबह से जो तुम मुझे परेशान कर रही हो ना, अभी बताता हूं।"..


एमी:- क्या करोगे नहीं मानूंगी तो, रेप ही करोगे ना, और क्या.. हीहीहीही।


अपस्यु, ऐमी को उठाकर डायनिंग टेबल पर बिठाते हुए… "तुमने वो सुना है"..

ऐमी:- क्या ?


अपस्यु:- बोंडेज एंड डिसिप्लिन (Bondage and Discipline), डमिनेंस एंड सबमिशन (Dominance and Submission) सदोचिज्म एंड मसोचिज्म (Sadochism and Masochism).


ऐमी, अपनी दोनो आखें फाड़े अपस्यु को देखती हुई… "क्या बीडीएसएम (BDSM)"


अपस्यु:- येस । बिल्कुल यही, सही सुन रही हो।


ऐमी, अपस्यु के बालों पर प्यार से हांथ फेरती…. "बेबी ऐसा ना करो ना, प्लीज। एक बार और सोच लो ना बेबी। मूड तो मेरा भी बहुत हो रहा है, लेकिन ये…."

अपस्यु:- ई.. हा.. हा.. हा… अब तो यही फाइनल है।


ऐमी:- ठीक है फिर हंटर खाने तैयार रहना, मेरी तैयारी पूरी है। सबमिसिव और डिसिपिलन बनकर रहना।


इधर श्रेया के घर में….. चल रहे रोमांस को देखकर सभी पागल हुए जा रहे थे। जेन तो पानी-पीते और बाथरूम जाते-जाते परेशान थी, वही हाल बाकियों का भी था। श्रेया से जब रहा नहीं गया तब वो कहने लगी…. "ये तो अपनी रास लीला में लगता है लीन रहेंगे और कुछ बात करने वाले नहीं। इनके रंग में भंग मै ही डालती हूं। जाती हूं अभी दोनो के पास।"
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
मजा आ गया भाई
 

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यह साल 2008 था। अपस्यु अपने दर्द को तो कुछ ही दिनों में भुल गया था किन्तु आरव और ऐमी को उबारने में लगभग 1 साल का वक़्त लग गया था। एक दिन अपस्यु अपने मां के ख्याल में डूबा हुआ था और उसे वो घटना याद आयी, जब उसने अपनी मां सुनंदा से अपने ननिहाल के बारे में पूछा था।


इस सवाल पर उसकी मां के छलकते आंसू याद गए और उन आशुओं में एक दर्द की कहानी बयां हो गई, जो उसकी बड़ी बहन कंचन और जीजा वीर प्रताप के साथ घटा था। इस घटना को याद करके अपस्यु के मन में इक्छा सी हो गई अतीत को जानने की। जानने की तलब इसलिए भी थी, की कहीं दोनो बहन के साथ हुए हादसे में कुछ कड़ियां जुड़ी तो नहीं।


अपस्यु पता लगाते हुए पहुंचा था प्रताप महल। प्रताप महल के छानबीन से अपस्यु को पता चल चुका था कि दोनो बहन के साथ बहुत ही बुरा हुआ। हालांकि वजह अलग-अलग थी, लेकिन घटना एक जैसी। अपस्यु खाली हाथ वहां से वापस आ रहा था और तभी लौटते वक़्त एक घटना हुई थी।


कुछ लोग पीछे के भुल-भुलैया में कुछ गुत्थियां सुलझा रहे थे। सफलता भी हाथ लगी और अंत में फिर वही हुआ जिसे देखकर अपस्यु हंसने लगा था। अपनो के हाथ एक धोखा। अपस्यु धोखेबाज को पहचान चुका था और वो कुछ दिन के बाद अपस्यु को दिल्ली में भी दिखा गया। वो धोखेबाज किसी और जगह नहीं बल्कि उसी एथिकल हैकर किशोर के यहां दिखा था, जो उस धोखेबाज को हैकिंग का ज्ञान दे रहा था।


अपस्यु ने बड़ी चतुराई से ऐमी को उस धोखेबाज के पीछे लगा दिया। फिर तो एक के बाद एक कहानी खुलती चली गई। हालांकि अपस्यु के अतीत से इसका कोई संबंध नहीं था, लेकिन अपने मौसेरे भाई दृश्य के धोखेबाज दोस्त के पीछे पड़ने से, अपस्यु के भविष्य कि तैयारी इतनी आगे पहुंच गई की उसके दुश्मन के पहचान होने के बाद वो काफी बौने नजर आने लगे।


अपने भाई दृश्य के इस दुश्मन के पीछा करने से अपस्यु के हाथ 2012 में एक ऐसी वर्ल्ड क्लास टेक्नोलॉजी हाथ लगी, जिसके दम पर वो किसी भी खुफिया विभाग के नेटवर्क को एसेस कर सकता था, वो भी बिना उसके नजर में आए। ऐसा भी नहीं था कि अपस्यु ने अपने भाई दृश्य से केवल कुछ लिया ही था, जिस प्रकार वो चोरी से उसके कई सारे अच्छे चीजों को अपना रहा था, ठीक उसी प्रकार वो कई ऐसे मौके पर गुप्त तरीके से उसकी मदद भी करते आया था।


साल 2012 में उसके भाई दृश्य को उसके लक्ष्य में सफलता हासिल हुई थी, उसके बाद फिर कभी अपस्यु ने उसकी खबर नहीं रखी, लेकिन उसका दिल जानता था, अनजाने में ही सही एक ना एक दिन उसके रास्ते टकराएंगे। इन सब मामलों में एक बात और सत्य थी, अपस्यु जहां अपने भाई को हीरो मानता था वहीं उसके दिल में दृश्य के लिए काफी नफरत भी भरी हुई थी।


दृश्य अपने बदले के दौर में एक ऐसी कहानी लिख रहा था, जिसके गुस्से के आगे जो आया वो तबाह सा हो गया। जब वो बदला लेने के लिए निकला था तब ना जाने कितने लोगों के खून से अपनी कहानी लिखी थी। इस कहानी को लिखने के क्रम में दृश्य यह बिल्कुल भुल चुका था कि बहुत सारे लोग पैसों के कारन केवल साथ देते है, जिनको मरना जरूरी नहीं था। और यही एक बड़ी वजह थी, जिस कारन अपस्यु दृश्य से उतनी ही नफरत भी करता था और उसके अनाथालय में उन्हीं घटना से अनाथ हुए बच्चे पल रहे थे।


मज़े की बात एक और थी। दृश्य अपने बदले के क्रम में 2 नाजायज बच्चो को भी पीछे छोड़ आया था, जिसमें से एक उसे मिल गया था जो इस वक़्त उसी के पास था। लेकिन अपने जीत के साथ ही वो अपना दूसरे बच्चे को भुल चुका था जो इस वक़्त सिन्हा जी के देख रेख में पल रहा था।


अपस्यु को भली-भांति पता था कि दृश्य को शायद ही कभी पता चले कि उसका कोई मौसेरा भाई भी है, लेकिन अपने इस नाजायज बच्चे का पता लगाकर वो एक ना एक दिन उसके दरवाजे तक जरूर पहुंचेगा, लेकिन ऐसे आरव को उठाकर पहुंचेगा उसे उम्मीद ना थी। अपस्यु और ऐमी को भी उन लोगों के दिल्ली पहुंचने से पहले तक जारा भी अंदाजा नहीं था कि आरव को दृश्य ने उठाया है। लेकिन जैसे ही दिल्ली के ट्रैफिक कैमरे से केवल उनकी इमेज गायब होनी शुरू हुई, अपस्यु और ऐमी को समझते देर ना लगी ये नया दुश्मन कौन है।


जैसे ही अपस्यु ने अपने भाई के सिक्योरिटी सिस्टम को भेदकर जैसे ही वहां कदम रखा, उन लोगों तक भी ये खबर पहुंच गई….


"भाई, लगता है मीटिंग की जगह पर कोई घुसपैठ हुई है।".. दृश्य का कंप्यूटर एक्सपर्ट और उसके छोटे भाई जैसा साथी आरूब मामले की जानकारी देते हुए दृश्य से कहने लगा।


दृश्य:- अरूब, देखो कौन घुसा है।"..


अरुब ने लैपटॉप ऑन करके जैसे ही स्क्रीन पर देखा, आश्चर्य से उसकी आखें बड़ी हो गई, और वो स्क्रीन घुमा कर सबको दिखाने लगा….


"वाउ.. क्या रोमांटिक कपल है लव, कितना पशनेटली नाच रहे है।".. दृश्य की जान अश्क उन्हें देखकर मुस्कुराती हुई कहने लगी।


दृश्य, अश्क को अपनी बाहों में समेटकर… "मै कबसे इतना पैशनेटली तुमसे एक किस्स चाह रहा हूं, उसपर कोई ध्यान ही नहीं है। सच ही लोग कहते है, शादी के बाद प्यार हवा हो जाता है।


अश्क:- इसलिए बाहर प्यार बर्षा रहे थे उसी की एक नाजायज कड़ी तो आज मै समेटने जा रही हूं, और एक परा है अपने दादा-दादी के पास। लव सच-सच बताओ और कितने नाजायज बच्चे है जो मेरी जानकारी में नहीं है।


दृश्य:- हद है क्यूटी, मै जब भी रोमांस के मूड में होता हूं, तुम पुरानी बात छेड़ देती हो।


अश्क:- मेरा मूड था अभी रोमांस का, लेकिन आपके नाजायज अफेयर मुझे याद आ गए और अब मेरा मूड आपसे झगड़ा करने का हो रहा है।


दृश्य:- हां ये अच्छा है। जारा फ्लैशबैक में जाओगी। एक बच्चा क्या 2 बच्चा ले लो, मेरे ओर से एक गिफ्ट, कौन भावनाओ में बहा था। मै किस दौर से गुजर था उस वक़्त तुम्हे याद है क्यूटी। मुझे पता है आज भी वो वाकया याद करके तुम रोती हो, लेकिन क्या ही करे, बुरा दौड़ था वो भी और हम कितने नासमझ।


अश्क, दृश्य में सिमटती हुई…. "जाने दो, बीती बातों को याद करने से केवल दर्द ही मिलेगा। चलो चलकर अपने बच्चे को वापस लाए। ना जाने वो लोग अपने बच्चे को किस तरह का हथियार के रूप में ढाल रहे होंगे…"


दृश्य:- कोई बात नहीं होगी उनसे क्यूटी, यदि हमारा प्रस्ताव मान गए तो ठीक वरना सबकी लाश पर से अपना बच्चा लेकर जाऊंगा।


इधर जबतक अपस्यु और ऐमी एक दूसरे को देखकर मदहोश होकर नाच रहे थे, दृश्य की पूरी टीम पहुंच गई…. "शुक्रिया मेरा वक़्त बचाने के लिए, वरना लगा था कि कहीं मुझे पता बताकर बुलाना ना पड़ता। देखो मेरी कोई निजी दुश्मनी नहीं है तुमसे, मेरा कुछ तुम्हारे पास है उसे शांति से लौटा दो। फिर तुम अपने रास्ते और मै अपने रास्ते"… दृश्य अंदर घुसते ही अपस्यु से कहने लगा।


अपस्यु:- कमाल है बिना निजी दुश्मनी के ही तुमने मेरे भाई को उठा लिया। खैर ऐसा क्या है जो तुम्हे मुझसे चाहिए?


मुखिया:- तुम्हारे पास एक लड़का है वैभव वो और तुम्हारे अनाथालय के 60 बच्चे जो वीरदोई के है मुझे वो सब चाहिए।


अपस्यु:- ना ही मै कोई अनाथालय चलता हूं और ना ही मेरे बच्चे अनाथ है। उन सबका पिता तुम्हारे सामने खड़ा है, और जबतक मै जीवित हूं, उन्हें कोई हाथ भी नहीं लगा सकता।


"कितने प्यारे लगते है दोनो साथ में, तुम दोनो अलग रहकर काफी तरप जाओगे, इसलिए दोनो के आत्मा की तृप्ति आज ही एक साथ कर देंगे, और तुम्हारी लाश पर से उन सबको ले जाएंगे। ".. अश्क उस जगह पर हुंकार भरती हुई कहने लगी…

अपस्यु:- जैसा तुम चाहो स्वीटहार्ट। हम दोनों तो कबसे मरने को तैयार है, बस साथ मारने का मजा और भी बढ़ जाता यदि मेरा भाई आरव भी साथ होता…


दृश्य:- मरने वाले की आखरी इक्छा पूरी कर दो आदिल, छोड़ दो उस लड़के को। और कुछ तो डिमांड तो नहीं है…


उसके कहने पर आरव को खोल दिया गया… वो भागकर अपस्यु और ऐमी के ओर आया। उसके आते ही ऐमी उसके चेहरे से लेकर पूरे बदन को व्याकुलता से देखती हुई आरव के गले लग गई…. "तुझे कहीं चोट तो नहीं आयी।"..


आरव, ऐमी से अलग होते… "नहीं आयी भाभी, तुम परेशान ना हो।"…


ऐमी:- बेबी आज मै और आरव है, आप ड्रिंक एन्जॉय करो। हमारे हथियार दो और बैकअप देते रहना।


आरव:- क्या बात कर रही हो। यार ये लोग चिड़ियाघर से भागे जरूर लगते है लेकिन सभी प्रोफेशनल है, अपस्यु को भी बोले आए।


अपस्यु, दोनो के बैग से रॉड निकालकर फेकते हुए…. "मै हूं ना, बस जो भी करना खुद पर काबू रखकर।"… फिर अपस्यु अपना बॉटल निकालकर दृश्य से कहने लगा… "अब क्या मुहरत का इंतजार कर रहे हो, आ भी जाओ।"..


जैसे ही आरव और ऐमी रॉड लेकर अपनी पोजीशन लिए, उसे देखकर दृश्य की टीम से आदिल कहने लगा…. "ये तो सिंडिकेट का लगता है। हमारे जैसी फाइटिंग स्टाइल।"..

दृश्य:- हां तो देर किस बात की है आदिल इन्हे भी उनके गुरुओं के पास जल्दी पहुंचा दो। चलकर फिर उन बचे हुए वीरदोयी से भी तो हिसाब लेना है।


आदिल ने अपने 2 लोगों को इशारा किया और वो लोग भी उन्हीं की तरह रॉड लेकर मैदान में उतर गए। वो दोनो तेजी से दौड़ते हुए ऐमी और आरव की ओर बढ़ने लगे। आरव इशारे से ऐमी को अपनी पोजीशन पर रुकने के लिए कहा और खुद तेजी से दौड़ता हुए आगे बढ़ने लगा।


जो 2 लोग दौड़ते आ रहे थे उनमें से एक अपने घुटने पर स्लाइड करते हुए आरव के पाऊं को निशाना बनाया, तो दूसरा हवा में उछलकर आरव के सर को। आरव उनकी नीति देखकर मुस्कुराए बिना नहीं रह सका और अगले ही पल आरव 360⁰ बैंक फ्लिप लेकर 3 फिट पीछे आ गया।


जो आदमी हवा से उछलकर सर को निशाना बना रहा था, वो अपना खाली वार करने के बाद सीधा आरव के सामने गिरा, जिसपर आरव ने बिना कोई रहम दिखाए अपना रॉड उसके कनपट्टी पर चला दिया और वो आदमी वहीं बेहोश।


दूसरा जो स्लाइड करते हुए आ रहा था वो सीधा ऐमी के पाऊं के पास रुका। जबतक वो खुद को दूसरे वार करने के लिए तैयार करता, उससे पहले ही ऐमी ने एक लात उसके मुंह पर दिया और वो भी बेहोश होकर किनारे हो गया।


इस तरह के लड़ाई की उम्मीद दृश्य को कतई नहीं थी। उसने आदिल के ओर इशारा किया और आदिल सहित सभी 6 लोग मैदान में कूद पड़े। तभी उन 7 में से एक लड़ाकी, अपने कपड़ों से कई सारी चाकू निकालकर लगातार फेकने लगी।


उन चाकुओं की बरसात के पीछे से, 6 लोगों की टीम भी आगे बढ़ने लगी। इधर जैसे ही चाकू फेकने शुरू हुए, आरव और ऐमी ने अपने दोनो हाथ के 4 फिट के रॉड को बीच से जोड़ते हुए उसे 8 फिट के 1 रॉड में तब्दील कर दिया और बीच से पकड़कर इतनी तेजी के साथ गोल-गोल घुमा रहे थे कि ऐसा लग रहा था कोई पंखा नाच रहा हो। सभी चाकू टकराकर दाएं बाएं गिर रहे थे।



"क्या निम्मी तुझे अपने पास बुलाकर नहीं सिखाई तो तूने तो वफादारी ही बदल ली।"… ऐमी अपने रॉड घूमती हुई कहने लगी…


तभी अपस्यु अपना एक पेग खिंचते हुए, पास परे 2 चाकू को उठाया और दोनो चाकू इस तेजी से निम्मी के उपर फेका की जबतक निम्मी को पता चलता उसे बचना है, उसके दाएं और बाएं दोनो हाथ में चाकू घुस चुका था। जैसे ही निम्मी का खून गिरा, वैसे ही पूरी टीम ठहर गई और निम्मी कर्राहते हुई अपना मस्क उतारती हुई कहने लगी…. "वफादारी तो शुरू से जैसी थी वैसी ही है, बस आपसे बहुत कुछ सीखने की चाहत थी है और सदा रहेगी।"


निम्मी को अप्पू ने थामा। अपने साथी का खून गिरते देख सब लोग आग बबूला हो गया, इसी बीच अश्क गुस्से में खड़ी हुई, लेकिन दृश्य ने उसका हाथ पकड़कर इशारों में इंतजार करने कहने लगा..


सभी 5 लोग आदिल की अगुवाई में ऐमी और आरव को घेरे खड़े थे। सबके हाथ में एक ही जैसे रॉड और बस फर्क साइज का थोड़ा सा। आते ही सभी एक साथ टूट परे। वहीं ऐमी और आरव के बीच नज़रों का कुछ संवाद हुआ और ऐमी 2 स्टेप पीछे लेकर तेजी से दौड़ी, आरव ने जल्दी से अपना हाथ आगे किया।


ऐमी दौड़कर हवा में आरव के हाथ पर तकरीबन 4 फिट उछली, जहां आरव ने उसके उछाल को नई गति देकर तकरीबन 8 फिट उछाल दिया। ऐमी हवा में फिलिप करती, उनके घेरे के पार खड़ी हो गई। सभी लोगों का ध्यान जैसे ही भटक कर पीछे गया, आरव के अपने रॉड की मार से उन्हें अवगत करवा दिया।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
अपस्यू का कोई मोसेरा भाई भी
 

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अपस्यु:- डॉक्टर भार्गव, जिसने अपने प्रयोग से उनके पिता में सामान्य मनुष्य से 20 गुना ज्यादा कि क्षमता निहित किया और डॉक्टर सांतनु ने आप में आम मनुष्य की तुलना में 200 गुना ज्यादा क्षमता दिया था। मेरे बच्चे उन्हीं क्षमता के साथ पैदा हुए, लेकिन वो कोई हथियार नहीं जिसे कोई भी अपने मकसद के लिए इस्तमाल करे। सभी आम मनुष्य होंगे जो आम जीवन बिताएंगे। जिनमे बदले की भावना ना हो अपितु बौद्धिक विकास से न्याय करने की क्षमता हो।


अश्क:- ओय ये बताओ कि मेरे हॉर्स (hourse) के हॉर्स पॉवर को तुम लोगों ने कैसे सिज कर लिया।


ऐमी:- जब हमने देखा प्रयोग से किसी इंसान के अंदर 200 गुना क्षमता बढ़ाई जा सकती है, उसी वक़्त हमने ठान लिया था कि इन क्षमता वालों को रोकने के उपाय भी होने चाहिए। इसलिए हमने अपनी प्रोग्रामिंग 10000 गुना क्षमता वाले मनुष्य को ध्यान में रखकर किया, और नतीजा आपके सामने है।


दृश्य, ऐमी का हाथ थामते…. "सवालों के घेरे में एक अरमान कहीं दब कर रह गए थे।"..


ऐमी,अपनी आखें बड़ी करती… "सर कहीं आप इस छछूंदर की बात को सीरियसली लेकर मुझे किस्स तो नहीं करने की सोच रहे।"..


जैसी ही यह बात अश्क के कानो तक गई…. "मिस्टर दृश्य प्रताप सिंह ये मै क्या सुन रही हूं। भूलना मत की मै यही हूं, और साथ में यह भी भूलना मत क्या हुआ था रचना मैडम और वर्षा के केस में।"..


दृश्य:- अरे मेरी बुलेट हर वक़्त फायर होने के लिए क्यों तैयार रहती हो, जिस तरह से इसने मदद की हमारी, जिस तरह से ये लड़ती है और इसका नाम भी ऐमी है।


अश्क:- हां दृश्य इसका नाम भी ऐमी है, शायद हम ही इंसाफ नहीं कर पाए अपनी ऐमिं के साथ, जिसे सब कुछ मिलना चाहिए था वह हमारे लिए सब कुछ त्याग गई।


दृश्य, अश्क को खुद में समेटते हुए…. "रोकर याद ना करो ऐमी को वरना उसे भी रोना आ जाएगा। और देखो जब वो इस जहां से गई थी हमारे लिए अपने जैसे ऐमी को मदद के लिए पीछे छोड़ गई थी।'..


ऐमी, अपस्यु और आरव को सवालिया नज़रों से ऐसी देखी मानो वो समझने कि कोशिश कर रही हो। अारूब ऐमी के आश्चर्य को विराम देते हुए ऐमी की पूरी कहानी बता दिया।


एक दूसरे से बातों के दौरान सभी राजस्थान पहुंच चुके थे। दृश्य सबको प्रताप महल में लेकर चला आया। कंचन और वीर प्रताप को जैसे ही पता चला की दृश्य और अश्क आए है, वो दोनो भागकर अपने बेटे और बहू से मिलने पहुंचे। दरवाजे पर ही 10 मिनट रोककर पहले तो गीले-शिकवे दूर होते रहे, फिर हर कोई प्रताप महल के नीचे दरबार में बैठक लगाने पहुंचे।


कंचन की नजर दृश्य के साथ आए मेहमानों पर गई और वो दृश्य से पूछने लगी ये सब कौन है। अपस्यु और ऐमी कंचन के पाऊं छूते हुए, एक छोटा सा परिचय दिया और जाकर बैठ गए, किन्तु आरव ने जैसे ही कंचन के पाऊं छुए, उसके आशु छलक आए।


खड़ा होकर आरव अपने छलकते आशु के साथ कंचन को देखने लगा और अचानक ही उसके गले लगकर, कंचन के गलो को चूमते हुए आकर अपस्यु और ऐमी के पास बैठ गया। उस माहौल में अभी-अभी क्या हुआ किसी को भी समझ में नहीं आया। कंचन चिंखकर दृश्य को अपने पास बुलाई… इस से पहले की आरव की हरकत पर वो कुछ बोल पता, कंचन गुस्से से लाल आखें उसे दिखाती हुई एक थप्पड़ जर दी।


वह थप्पड़ इतनी तेज थी कि उस दरबार में थप्पड़ की गूंज आखिर में काम कर रहे लोगों ने भी सुनी… दृश्य जब ठीक से देखा तो कंचन के आंखों में भी आशु थे और उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आरव की हरकत में इतना बुरा मानने जैसा क्या था।


"कंचन क्या हुआ, इतने दिन बाद दृश्य यहां आया और तुम उसे ऐसे थप्पड़ मार रही, वो भी एक छोटे से लड़के के प्यार दिखाने कि वजह से।" … कंचन के पति वीर प्रताप कंधों से पकड़कर कंचन से कहने लगे। लेकिन ऐसा लग रहा था कंचन ने उसकी बात सुनी ही नहीं। वह एक बार फिर दृश्य को उतनी ही तेजी से थप्पड़ मारती हुई, अपने कदम धीरे-धीरे आरव और अपस्यु के ओर बढ़ा दी।


कंचन जैसे-जैसे अपने कदम बढ़ा रही थी, उसके आशुओं का सैलाब उतना ही बढ़ता जा रहा था। वह जैस ही अपस्यु और आरव के पास पहुंची, टूटकर वहीं उनके बीच बैठ गई। बेसुध सी सामने देखती हुई पूछने लगी… "अपनी मां को साथ नहीं लाया।"


कंचन की आवाज़ धीमी थी, किसी को समझ में नहीं आया वो क्या बोली, लेकिन कंचन कि आवाज़ अपस्यु और आरव के दिल तक जरूर पहुंची थी। दोनो भाई, कंचन के उस बहन प्रेम को महसूस कर रहे थे, जिसके बच्चों कि आखें बता गई की वो किसके बच्चे है। अपस्यु अपने एक और बिछड़े परिवार से मिलने की खुशी में मुस्कुरा रहा था, वहीं आरव अपनी मासी के लिए तो पहले से आशु बहा चुका था, इसलिए वो सीधा कंचन की गोद में लेट गया और हाथ बढ़कर कंचन के आशु पोछने लगा।..


दृश्य, अश्क और वीर प्रताप तीनों ही दुविधा में बस कंचन को देखे जा रहे थे…. "ऐसे सब घुर क्या रहे हो। एक मेरा बेटा है जिसे 2 साल पहले कहीं थी अपनी मासी का पता लगाओ कहां है इस वक़्त, लेकिन ये दुनियाभर के लोगों का पता अपने उस कंप्यूटर से लगा लेता है.. एक मेरी बहन और उसके परिवार का पता नहीं लगा पाया। एक ये दोनो है, इन्हे अपनी मासी के भी बारे में पता है, और अपने भाई के बारे में भी। क्यों रे सोनू, मोनू"..


अपस्यु:- मासी आप हमसे मिल चुकी है पहले क्या?


कंचन:- हां बेटा बिल्कुल। तुम दोनो जब पैदा लिए थे तब तुम दोनो को सबसे पहले मैंने ही अपने गोद में उठाया था। वो तो हमारे सुहाने दौड़ थे रे पागल। मै और वीर उस वक़्त यूएसए में थे और सुनंदा, चन्द्रभान के साथ यूरोप में थी। तू जब पैदा हुआ था तब मैने ही तो नाम दिया सोनू और मोनू। सुनंदा की वही एक आखरी अच्छी याद आखों में है, उसके बाद हम दृश्य का पांचवा जन्मदिन मनाने भारत आए हुए थे। तब से लेकर आज तक फिर दोबारा कभी मुलाकात नहीं हुई। जल्दी बता ना कहां है मेरी बहन।


अपस्यु:- मां और पापा की एक हादसे मै मौत हो गई।


पहले बिछड़े परिवार के मिलने की खुशी में रोई कंचन, अब अपने बहन के गम में टूटकर रोनी लगी। फिर कभी ना मिल पाने का दर्द आखों से छलक आया… अपस्यु मुसकुराते हुए कंचन को शांत करवाते हुए कहने लगा…. "ऐसे रोकर आप मेरी मां को याद करोगी मासी, तो आज रात वो मेरे कमरे में भूत बनकर आएंगी और मुझे दौरा-दौरा कर मारेगी। इसलिए जो चला गया उसे हंसकर याद कीजिए।"…


कंचन आरव के सर पर हाथ फेरती, दोनो को बारी-बारी देखती हुई कहने लगी…. "तेरी आखें बिल्कुल सुनंदा जैसी है।"..


आरव:- ये तो हमे भी पता है मासी, रोज ही सुलेखा आंटी मुझसे ये कहती है।


कंचन:- सुलेखा, हीहीहीही.. उसका नाम सुनकर ही हंसी आ जाती है। तुम जानते हो जैसे रामायण में भगवान श्री राम थे और उनका भक्त हनुमान, ठीक वैसे ही सुलेखा के लिए सुनंदा थी। वो तो पूरी भक्त थी।


ऐमी, जिज्ञासावश….. "दोनो के बीच की कहानी क्या थी?"..


कंचन:- अरे मैंने अपनी बच्ची पर तो ध्यान भी नहीं दिया। तेरी छोटी..


अपस्यु, बीच में ही बात काटते हुए…. "मासी ये है ऐमी, आपकी होने वाली बहू।"..


कंचन:- हाएं ! ये कब हुआ.. मै तो समझी की ये तेरी बहन है।


कंचन की बात सुनकर सभी लोग हंसने लगे। तभी कंचन ऐमी के कपड़ों को देखती हुई कहने लगी…. "आज क्या घर से लड़ाई करने निकली थी जो ऐसे चुस्त कपड़े पहन कर चली आयी, अरे यहां तो सबने एक जैसे कपड़े पहन रखे है। दृश्य तू तो अपना बच्चा किसी से लेने गया था ना… फिर ये लोग लड़ाई के कपड़ों में। बहू (अश्क) आगे आकर सारा मामला मुझे अभी के अभी समझाओ।"..


अश्क सामने आकर खड़ी हो गई और सारा मामला समझती क्या, वो सीधा वीडियो ही चलाकर दिखा दी… जैसे-जैसे वीडियो आगे बढ़ने लगी, कंचन तीनों के चेहरे घूरने लगी। और अंत आते-आते दृश्य और अश्क को देखकर हंसती हुई कहने लगी….. "मतलब तुझसे 4-5 छोटे तेरे भाइयों ने धूल चटा दी। और मेरी ये होने वाली बहू ऐमी तो काफी खतरनाक है। शर्म करो तुमलोग 12 लोग गए थे और 3 लोग का मुकाबला नहीं कर पाए।"..


दृश्य:- मां बहुत चालाक है तीनों। याद है जीजू क्या कहते है हमेशा, बल पर छल भारी पड़ता है। आज तक सभी गद्दार पीछे से छल करते थे, जिसका तोड़ हम बड़ी आसानी से निकाल लेते थे, ये तो सामने सिना तानकर हमसे छल कर गए और हमे पता तक नहीं चला।


सभी लोग कई अरसे बाद मिल रहे थे। ऐमी को अश्क के साथ भेज दिया गया और दोनो बहू को पूरे सज संवर के आने के आदेश मिले। वहीं अपस्यु ने आरव को गोवा वापस छोड़ने की बात कही और वहीं से कंचन को पता चला कि सुलेखा की बेटी लावणी और आरव का विवाह भी तय हो चुका है।


सुलखा एक बार और चर्चा में थी। कंचन सुलेखा और सुनंदा के वो किस्से भी कह गई, जो आज तक अपस्यु और आरव के लिए राज बने हुए थे। गांव के किसी आईयाश के कुकर्म का नतीजा था, जो सुलेखा पैदा हुई थी। उस मासूम के पैदा होने के खबर ने ही पूरे गांव को चौंका दिया था।


उसकी मां को तो सबने मार दिया और सुलेखा को एक ब्राह्मण परिवार ने अपने पास पालने के लिए रख लिया। सुरवती दिनों से ही जब वो काम करने लायक हुई तबसे उसे काम करवाया जाने लगा था। चूंकि उस ब्राह्मण परिवार को उन्हीं के पूर्वजों ने बसाया था इसलिए सुनंदा का उस घर में आना जाना लगा रहता था। यहीं से सुनंदा और सुलेखा की दोस्ती की कहानी शुरू हुई थी।


दोनो साथ खेले, इस लालच में सुनंदा, सुलेखा के आधे काम कर दिया करती थी और वहीं से दोनो खेलने निकल जाय करती थी। बातों के दौरान सुनंदा की हिम्मत की वो दास्तां भी पता चली जिसे वो चुपचाप सुलेखा के उज़्ज़वल भविष्य के लिए कर गई और किसी को कानो कान खबर तक नहीं हुई थी।


एक तो सुलेखा के मां का सच गांव में किसी से छिपा नहीं था, ऊपर से सुलेखा का सुंदर होना, उसके लिए काल बनता जा रहा था। बढ़ती उम्र के साथ कईयों के नजर में भी बदलाव आने शुरू हो चुके थे और कई छुब्द मानसिकता के रोगी सुलेखा को नोचने की फिराक में थे। अलहर सा बचपन बीतने के बाद सुलेखा जवानी के दहलीज पर कदम रखी थी और आए दिन उसके साथ कोई ना कोई जबरदस्ती छेड़-छाड़ कर ही देता।


सुनंदा के साथ हंसने और बोलने वाली सुलेखा, अपने बातों से सबको हंसने पर विवश करने वाली सुलेखा, अब बिल्कुल शांत-शांत रहना शुरू कर दी थी। बाहर तो किसी तरह बचकर वो चली भी आती लेकिन 24 घंटे घर के अंदर तकती नज़रों से कौन बचाए।


सुनंदा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। उसकी सबसे प्यारी साथी को वो घुटते देख रही थी। उस वक़्त सुनंदा ने अपनी बहन की घुटन और पिरा को भी बड़े नजदीक से देखा था, और फिर उसने ठान लिया कि बस बहुत हुआ अत्याचार। क्या कलेजा था उसका। सुनंदा को पता था कि एक बार फटे कपड़े गांव वालों के नजर में आ गए, फिर कपड़ों के साथ इज्जत भी फट जाती है। यह बात सुनंदा को भाली भांति पता थी, लेकिन केवल सुलेखा को बचाने के लिए वो एक दिन उस घर से रोती हुई, फटे कपड़ों में निकली, और मामला था जबरदस्ती का।


पंचायत ने उस परिवार को तो भगा दिया और चूंकि सुलेखा ने एक इन पूरे मामलों में सुनंदा की जान बचाई इसलिए पंचायत ने सुलेखा की शादी की जिम्मेदारी हमारे परिवार को सौंप दी, लेकिन उस दिन के बाद से सुनंदा लोगों के तानों के बोझ के अंदर दबती चली गई। कहते-कहते कंचन ने एक बार सुनंदा के जज्बे को भी नमन कि, क्योंकि वो लोगों के तानों को कभी ध्यान ही नहीं दी और बस इस बात से खुश हुई जा रही थी कि सुलेखा को हमारे परिवार ने एक बेटी की तरह विदा किया, एक अच्छे परिवार में।
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कंचन:- अब तुम्हे क्या हुआ, ऐसे भागी क्यों?..


ऐमी:- मासी मेरी कमर लाल हो गई और आप पूछ रही है क्या हुआ। आपका बेटा छेड़खानी कर रहा है।


कंचन, अपस्यु को घूरती हुई…. "एक बात बता, इतनी बड़ी-बड़ी बातें करने वाला इतना बेशर्म कैसे हो सकता है। मै यहां खड़ी हूं और जारा भी लिहाज नहीं।"..


दृश्य और अश्क, दोनो (अपस्यु और ऐमी) को देख रहे थे और इन दोनों को देखते हुए, उन्हें अपने भी पुराने दिन याद आ गए। दोनो एक दूसरे के करीब, और करीब होते चले जा रहे थे। कंचन का इधर अभी पुरा फोकस अपस्यु पर ही था, तभी अपस्यु चिल्लाते हुए कहने लगा…. "मासी वो देखो दोनो को, और आप मुझे डांट रही थी।"…


छोटी छोटी नोक झोंक के बीच हंसी मज़ाक का काफी लंबा दौड़ चलता रहा। इसी बीच आधे घंटे की निजी मुलाकात दृश्य और अपस्यु के बीच भी हुई, जहां एक बार फिर दोनो के रास्ते मिल रहे थे। अपस्यु पूरी बात समझकर एक छोटी सी योजना पर दोनो साथ मिलकर काम करने के लिए राजी हो गए।


एक सुखद मुलाकात थी ये अपस्यु के लिए। जब वो वापस लौटा, तब उसकी मां का पूरा इतिहास उसके सामने था। उसकी खुशी उसके चेहरे से झलक रही थी जिसे ऐमी भी महसूस करते जा रही थी।


कुछ दिन अपस्यु और ऐमी के लिए काफी रोमांस और रोमांच से भड़ा परा था, जिसमें वो दोनो खुलकर जीने के एक अलग ही एहसास में डूबे हुए थे। वहीं श्रेया दोनो को देखकर अजीब ही कस-म-कस में दिख रही थी। श्रेया और उसकी पूरी टीम कितने भी नतीजों पर क्यों ना पहुंचे, लेकिन यह तय नहीं कर पा रहे थे कि अपस्यु को उसकी सच्चाई पता है या नहीं है।


ऊपर से श्रेया पर उसके पापा का प्रेशर बढ़ता जा रहा था, जो जल्द से जल्द अपने दूसरे टारगेट को एलिमिनेट होते देखना चाहता था, जिसके लिए श्रेया और टीम को खुलकर काम करने लिए 50 करोड़ की राशि दी गई थी।


इसी बीच अपस्यु के आमंत्रण पर मेघा भी भारत पहुंच चुकी थी, जो कि विक्रम की मेहमाननवाजी स्वीकार करती हुई राठौड़ मेंशन में अपने भाड़े के सिपाही जेम्स हॉप्स और उसकी टीम के साथ ठहरी हुई थी। उसके दिमाग में भी बहुत गहरी साजिश कहीं दूर से पक रही थी, जिसका नतीजा सोचकर वो अपने पूरी टीम के साथ पहुंची थी।


हर कोई अपने दिमाग पर बोझ दिए बस हर दिन अपने योजना को सुदृढ़ करने में लगे हुए थे। 10 दिनों की छुट्टी में अब मात्र 3 दिन बच गए थे। ऐमी, अपस्यु को रोमांस के चले एक लंबे दौर से जगाती हुई ,अब काम पर ध्यान लगाने की सलाह देने लगी, और अपस्यु के लिए अब वक़्त आ चुका था हर किसी के योजना को समझने का।



12, अगस्त 2014 की सुबह…


अपस्यु और ऐमी दोनो ही सुबह-सुबह मेघा के कॉल पर उससे मिलने राठौड़ मेंशन निकल चुके थे। एक बहुत लंबा इंतजार और फैसले के घड़ी के इतने करीब, ऐमी और आरव जब वीडियो कॉल पर थे तब उनकी एक्साइटमेंट देखने बनती थी। ..


दोनो राठौड़ मेंशन के दरवाजे पर थे, और गार्ड ने उनको बाहर खड़ा कर अंदर कॉल लगा रहे थे। तभी उस वक़्त कुसुम पूजा करके मंदिर से लौट रही थी और जब उसने दरवाजे पर अपस्यु को खड़ा देखी, उत्साह से अपने गाड़ी से बाहर निकली….. "सर आप यहां खड़े क्यों है।"..


अपस्यु:- क्या करे बड़े लोगों की हवेली है, कुछ देर तो इंतजार करना ही पड़ता है।


"यहां आप से बड़ा कौन है।".. कुसुम जैसे अपस्यु के अभिवादन में अपने शब्द कहीं हो और खुशी से चिल्लाती हुई कहने लगी, जल्दी से दरवाजा खोला जाए। गार्ड ने तुरंत दरवाजा खोला और कुसुम अपस्यु का हाथ पकड़कर वहां के हर चीज का इतिहास बताती हुई उसे लेकर आगे बढ़ने लगी।


पीछे से ऐमी कार को पार्क करती, वो भी उनके साथ हो गई। ऐमी पर नजर पड़ते ही कुसुम मुस्कुराती हुई कहने लगी…. "क्या सर जब से इन्हे परपोज किया है, हर जगह साथ लेकर ही जाते हो।"..


ऐमी:- कुसुम, तुम सर के बदले अपस्यु को भईया कह सकती हो और मुझे भाभी। चलेगा ना।


कुसुम, अपना प्यारा सा चेहरा बनाती….. "बहुत दिन के बाद मै दिल से खुश हुई हूं। मै बयान नहीं कर सकती की मै कितनी खुश हूं भईया। आप को यहां देखना मतलब, ऐसा लग रहा है किसी भक्त के घर भगवान स्वयं चलकर आए है।"


अपस्यु उसकी बातें सुनकर हंसते हुए कहने लगा…. "पहले ठीक से इंसान तो बन जाऊं, और तुम मुझे भगवान बाना रही हो।"


तीनों बात करते हुये, राठौड़ मेंशन पहुंचे। हॉल में पहुंचते ही कुसुम चिल्लाती हुई सबको इकठा करते, सबको अपस्यु से मिलवाने लगी। हर किसी को लगा कि अपस्यु कुसुम के साथ आया है, लेकिन तभी मेघा बीच में आती हुई दोबारा सब को अपस्यु का परिचय कराते हुए कहने लगी कि यह वही लड़का है जो रुकी फैक्टरी का काम आगे बढाने का काम अपने जिम्मे लिया है।


कुछ देर अपस्यु से मिलकर सब चले गए। कुसुम के आग्रह पर ऐमी उसके साथ जाकर उसका घर देखने लगी। वहीं अपस्यु डियनीग टेबल पर अपना मोबाइल रखकर मेघा और लोकेश से प्रोजेक्ट क्लीयरेंस संबंधित बातें करने लगा।


इसी बीच नंदनी का कॉल अपस्यु के मोबाइल पर आया और उसी के साथ नंदनी की तस्वीर भी स्क्रीन पर दिखने लगी। रिंग बजते ही लोकेश और मेघा का ध्यान भी फोन पर गया। फोन पर फ़्लैश होती फैमिली फोटो पर जैसे ही लोकेश की नजर गई वो दोबारा तस्वीर देखने पर विवश हो गया।


अपस्यु फोन काटकर फोन को साइलेंट पर डाला और प्रोजेक्ट के अन्य परेशानी के बारे में समझाने लगा। इस बीच नंदनी के 2-3 कॉल आए। हर बार लोकेश का ध्यान अपस्यु के फोन पर ही रहता। अपस्यु अपनी बात खत्म करते हुए नंदनी का कॉल पिक किया और कुछ देर के बाद वापस हॉल में आया।


लोकेश:- प्रोजेक्ट पर अच्छा काम किया है तुमने। वैसे तुम्हारे पापा क्या करते है अपस्यु।


अपस्यु:- वो एक हादसे में मर गए थे।


लोकेश:- ओह माफ करना। वैसे तुम्हारे पापा का क्या नाम है?


अपस्यु:- जी स्वर्गीय भूषण रहुवशी।


लोकेश:- और तुम्हारी मां का नाम?


अपस्यु:- नंदनी रघुवंशी।


"अपस्यु एक काम करना तुम अपना बायोडेटा इसे दे देना, फिलहाल तुमसे कुछ सीरियस डिस्कस करना है, उम्मीद है तुम्हारे पास वक़्त हो।"… मेघा अपस्यु को साइड ले जाकर पूछने लगी।


अपस्यु:- हाहाहाहा… आज शाम से लेकर पूरी रात फ्री ही हूं, बस तुम कहीं बिज़ी नहीं हो जाना।


मेघा:- बिल्कुल नहीं डार्लिंग, शाम को मिलती हु, तैयार रहना…..


मेघा अपनी बात कहती हुई निकल गई। अपस्यु एक बार फिर लोकेश के पास पहुंचा…. "सॉरी सर वो मेघा मैम ने बीच में टोक दिया। आप कुछ पूछ रहे थे।"..


लोकेश:- नहीं, मै बस ऐसे ही पूछ रहा था, अच्छा लगा तुमसे मिलकर।


लोकेश आगे कोई भी बात ना करते हुए, तेजी के साथ वहां से निकलकर विक्रम के कमरे में पहुंच गया और इधर ऐमी भी घूमकर लौट आई थी। दोनो वापस निकले राठौड़ मेंशन से। कार थोड़ी दूर आगे बढ़ी होगी, ऐमी अपस्यु के जांघ पर अपना हाथ फेरती उसे पैंट कि जीप तक बढ़ाने लगी… "अरे, अरे अरे.. ये क्या जर रही हो स्वीटी"..


"फीलिंग हॉर्नी बेबी, इसलिए तुम्हे रिझा रही हूं।"… ऐमी बड़ी अदा से कहने लगी।

"आज मज़ा तो मुझे भी आ रहा है, और एक अंदर से उमंग तो है, लेकिन कार में"… अपस्यु बोलते बोलते रुका…


"बेबी जल्दी से मेरी ओर देखो ना।" … जैसे ही अपस्यु मुड़ा, ऐमी उसके होठों को चूमती…. "जल्दी से कार मुक्ता अपार्टमेंट लगाओ।".. इतना कहती ऐमी नीचे झुकी और अपस्यु के पैंट के बटन को खोलती उसके जीप को नीचे की। अपस्यु अपने कमर को हल्का ऊपर किया और ऐमी पैंट को सरकाती हुई उसके पाऊं में ले आयी।


जल्द ही उसके पूरे बाल अपस्यु के जांघ पर फैले हुए थे और अपस्यु का चेहरा ऊपर अजीब ही मादक एहसाह में डूबा हुआ था। थोड़े ही देर में वो मुक्ता अपार्टमेंट में थे। दोनो एक दूसरे को देखकर हंसते हुए, तेजी से कदम बढ़ाते फ्लैट के ओर चल रहे थे।


जैसे ही दोनो फ्लैट के अंदर हुए, अपस्यु ने दरवाजा बंद किया और ऐमी उसे खींचकर अपने ऊपर लेती, होंठ से होंठ लगाकर चूसने लगी। अपस्यु भी होंठ को चूमते हुए उसके जीन्स के बटन खोलने लगा। ऐमी, अपस्यु को चूमती हुई अपने हाथ नीचे ले गई और जीन्स खोलने में अपस्यु की मदद करती, तुरंत जीन्स को पैंटी सहित निकलकर बाहर फेंक दी।


अपस्यु भी ऐमी के जीभ को अपने जीभ से लगाए उसे लगातार चूमते हुए अपने हाथ को नीचे ले जाकर फोरप्ले करने लगा। चुम्बन के बीच में ही ऐमी ठंडी आहें लेती, अपने पंजे को अपस्यु के पीठ से जकड़कर, किस्स को तोड़ती हुई बदहवासी में कहने लगाई…. "बेबी ये दीवाल मज़ा नहीं से रहा, बिस्तर पर चलो।"..


अपस्यु अपने होंठ ऐमी के गले से लगाकर उसके चूमते हुए हटा और अपने बदन से कपड़े निकालते बिस्तर तक पहुंचा, ऐमी भी पीछे-पीछे वैसे ही पहुंचीं। जैसे ही बिस्तर के पास दोनो पहुंचे, ऐमी ने धक्का देकर अपस्यु को बिस्तर पर लिटाया और उछलकर उसके कमर पर बैठती, पूर्ण मज़ा के ओर बढ़ने लगी।


ऐमी लिंग को योनि में डालकर, धीरे-धीरे अपने कमर हिलती, अपस्यु का हांथ पकड़ कर अपने स्तन पर डाली और धीरे-धीरे मज़े लेने लगी। अपस्यु भी कुछ देर स्लो मोशन धक्के का मज़ा लेते हुए बैठ गया और ऐमी के होंठ को अपने होठ से लगाते हुए, पूर्ण जोश की रफ्तार शुरू कर चुका था। जोश ऐसा की दीवाना बना दे।


ऐमी का नरम और गोरा बदन, हर धक्के की थाप पर बड़ी ही मादक तरीके से ऊपर नीचे हो रहा था। उत्साह से ऐमी, अपस्यु के पूरे होंठ को चूस रही थी और अपने दोनो पंजे अपस्यु के पीठ में पूरे घुसे हुए थे। एक कामुक पल पुरा मस्ती में बिताने के बाद, दोनो निढाल बिस्तर पर गिर गए और ऐमी अपस्यु के सीने में घुसकर खामोशी से बस उसकी धड़कने सुनने लगी…


"बेबी, बहुत लंबा साल इंतजार किया है। अब बस इसे अंजाम तक पहुंचाओ।"… ऐमी, अपस्यु में कुछ और सिमटती हुई कहने लगी।


"तुम जैसा चाहोगी वहीं होगा ऐमी। हम एक साथ बिजली गिराने वाले हैं पहले इन्हे झटकों का मज़ा तो लेने दो।"…


"हम्मम ! उस सार्जेंट जेम्स हॉप्स का क्या करोगे।"…


"जेके और पल्लवी से थोड़े देर बाद मुलाकात होने वाली है, वहीं देखते है इनका बारे में क्या निष्कर्ष निकला है।"…


"अपस्यु, बेईमान तुम्हे पता चल गया ना श्रेया के पीछे कौन है।"…


"ज्यादा बोझ क्यों लेती हो, श्रेया और उसकी टीम तो बेचारे बेकार में पीस गए हमारे बीच। टीम तो उनकी अच्छी है, लेकिन नवसिखियों की टीम है, जो ट्रेनिंग के बाद सीधा हमारे पीछे आ गए। लेकिन तुम सही कही थी, उसके साथ रहा तो हमारा भविष्य योजना काफी मजबूत होगा। जिस हिसाब से उसकी बेचैनी मै आजकल देख रहा हूं, उस हिसाब से तो लगता है कि आज से कल तक में वो अपने दूसरे टारगेट से भी भिड़ा देगी।"…


"हम्मम ! यहां हर किसी की प्लैनिंग चल रही है, और मै बेकार में आज एक्साइटेड हो गई। ये वक़्त फोकस बनाए रहने का था। बेबी, इतने दिन से रोमांस कर रहे है फिर भी आज मैंने तुम्हे फसा दिया। मुझे ये स्टेप नहीं लेना चाहिए था।"…


"पागल कहीं की। लगता है तुम्हे मज़ा नहीं आया क्या, यदि ना है तो बोल दो, मैं दूसरे राउंड के लिए तैयार हूं।"


"मुझे ना लगता है सुबह सुबह तुम्हारी वाली बेशर्मी ही घुस गई थी जो मै इतनी हॉर्नी हो गई। चलिए उठिए सर, चलकर जरा माहौल का जायजा लिया जाए।"..



इधर राठौड़ मेंशन में नंदनी की तस्वीर देखने के बाद तो जैसे लोकेश खुद में अब जीता हुआ महसूस कर रहा था। हर खींचती श्वांस में वो अपने अंदर आने वाले ताकत को महसूस करने लगा था। उसके कई सालों की योजना अब सफल होने वाली थी। लोकेश तुरंत ही अपने पिता विक्रम और मेघा के साथ प्राइवेट प्लेन में उदयपुर स्थित अपने छोटे से लंका में पहुंचा।


एक पुरा इलाका जो लोकेश के नियंत्रण में था। जहां हर तरह के अंतरराष्ट्रीय हथियार से लेकर, दुनियाभर कि नई तकनीक दिन रात लोकेश के इशारे पर काम कर रही थीं। अपनी जगह पर खड़ा होकर लोकेश अट्टहास भरी हंसते हुए विक्रम से कहने लगा….


"पापा इतने दिनों से आपको इसी दिन के लिए रोक रखा था। यें पूरी तैयारी बस जैसे आज का ही इंतजार कर रही थी। बस 2 दिन और दे दो, और मुझे जारा अपनी बुआ के बारे में छानबीन करने दो। जैसे ही यह सुनिश्चित हुआ की वही नंदनी रघुवंशी है, सबसे पहले बिजली उस राजीव मिश्रा और उसके समस्त परिवार पर गिरेगी, जो हमसे मिलकर काम करने की बजाय हमारे पार्टनर के झांसे में आकर, मेरे ही खिलाफ कार्यवाही कर रहा था। राजीव मिश्रा के साथ ही जाने वाले की लिस्ट में है होम मिनिस्टर जिसने बहुत दर्द दिए है और फिर एक बार खत्म हो जाएगा नंदनी के पुरा वंश और इस बार भी वो केवल अकेली जिंदा बचेगी।"
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जबसे लोकेश को नंदनी के बारे में पता चला था, वो जीत के अलग ही घोड़े पर सवार था। मेघा 8 अगस्त को ही सार्जेंट जेम्स हॉप्स और उसकी टीम के साथ भारत पहुंची थी। पिछले 3 दिनों के दौरान, इनके बीच बातचीत का वो दौर चला जो नए परिणाम लिख चुका था।


मेघा जब लोकेश की महतवाकांक्षाएं सुनी, फिर तो वो तुरंत पाला बदलने की नीयत भी बना चुकी थी, साथ ही साथ उसे समझ में आ चुका था कि हवाले के पैसे गायब करने में लोकेश का हाथ नहीं हो सकता, फिर ये दुश्मन कौन था, जो पर्दे के पीछे से उन्हें घाटा दे रहा था।


इन सभी मामलों कि गुत्थी सुलझाते हुए लोकेश ने इसमें राजीव मिश्रा को पूरे प्रकरण का दोषी करार देते हुए कहने लगा…. "वो अब हमारा साथ छोड़कर होम मिनिस्टर का कुत्ता बना हुआ है और शुरू से उसके पॉलिटिकल एजेंडा को साधने के लिए, ये होम मिनिस्टर के साथ तब से काम कर रहा है जबसे वह होम मिनिस्टर नहीं था।"


मेघा, लोकेश और विक्रम तीनों ही मीटिंग चेंबर में बैठे हुए था, सुरक्षा के लिहाज से काफी प्रभावित करने वाला एक ऐसी जगह, जहां ना तो कोई कंप्यूटर था और ना ही कोई मोबाइल लेकर जा सकते थे। लोकेश अपनी चर्चा आगे बढ़ाते हुए कहने लगा….


"नंदनी के मिल जाने के बाद मायलो ग्रुप का पूर्ण अधिग्रहण का रास्ता खुल चुका है। जैसे ही नंदनी रघुवंशी और उसके पूरे परिवार की डिटेल मिल जाती है, उसके तुरंत बाद ही उसके पूरे परिवार को मारकर नंदनी रघुवंशी को यहां इस बेस पर लाया जाएगा और उसके बाद से ही मायलो ग्रुप का पूर्ण बागडोर उनके हाथ में होगी।"


15 अगस्त की शाम को सभी पार्टनर के बीच एक मीटिंग का प्रस्ताव भी रखा गया जिसमें मायलो ग्रुप के पूर्ण कंट्रोल में आने के बाद, आगे की रूप रेखा कैसी होगी। इसी के साथ उसी मीटिंग में राजीव मिश्रा का भी फैसला हो जाना था और साथ ही साथ उसके सरपरस्त होम मिनिस्टर का भी।


मेघा जो अब तक केवल दर्शक बनी हुई थी, गहराई से लोकेश को सुनने के बाद जिज्ञासावश पूछने लगी कि वो अपने और जिंदल के रिश्ते को कैसे देख रहा है। इस सवाल के जवाब में लोकेश ने मेघा के साथ बिजनेस डील की पूरी कहानी समझा गया… वो अपने पार्टनशिप को नई दिशा देना चाहता है। चूंकि बेटिंग का धंधा बहुत ही तेजी से फल फुल रहा है इसलिए बेटिंग के धंधे को पूरा ऑपरेट यूएसए से किया जाएगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी उसी पर होगी।


बेटिंग धंधे को जब मेघा गहराई से परख रही थी, तब उसे अंदाज़ा भी नहीं था कि इस धंधे में इतना ज्यादा फायदा हो सकता है। लोकेश के इस नए प्रस्ताव के साथ मेघा अपनी हाथ मिलती हुई उसने अपने हिस्से का काम पूछ लिया।


लोकेश उसे नंदनी की पूर्ण डिटेल देते हुए बताने लगा कि ये अपस्यु और कोई नहीं बल्कि नंदनी रघुवंशी का बेटा है। जैसे ही मेघा ने इन सब के बीच अपस्यु को फंसती हुई देखी, वो लोकेश को समझाती हुई उसके बारे में बताती चली गई।


मेघा, लोकेश को अपने इस छोटे से दुश्मन के बारे में अवगत कराती हुई कहने लगी, ये वो बंदा है जिसने एक रात में उसे 15 मिलियन यूएसडी का प्रोफिट निकाल कर दिया था, और उसी की वजह से वो भारत आयी है, क्योंकि वो अपस्यु को अपने टीम में लेना चाहती है।


लोकेश, मेघा के मुंह से उसकी तारीफ सुनकर बस इतना ही कहा…. "जिनके मकसद बड़े होते है वो छोटे प्यादे कि चिंता नहीं करते। आज जी भर के मिल ले अपने इस छोटे आशिक़ से, क्योंकि किसे पता उसका कल हो ना हो।".. लोकेश की बात पर मेघा हंसती हुई उसकी हां में हां मिलाई और वहां से वापस दिल्ली लौट आयी।


दिल्ली में जेके और पल्लवी से मुलाकात…


अपस्यु और ऐमी, जेके और पल्लवी के सामने बैठे हुए थे। जेके मीटिंग की शुरवात करते हुए…. "अपने भाई के साथ मुलाकात कैसे रही।"..


अपस्यु:- भईया, इस वक़्त मुद्दा उनका नहीं है, उसके बारे में हम फिर कभी बात करेंगे। अभी हम जिस विषय पर बात करने आए है उसपर चर्चा कर ले।


जेके:- नाह ! पहले मुझे जानना है कि यूएसए में वो चमत्कार आखिर तुमने किया कैसे। टेक्नोलजी की वो कौन सी कड़ी है जो छिपा गए। यार केवल कुछ वायर मिले वहां सबूत के नाम पर। ऐसा केस तो पहले कभी सुना भी नहीं। ना कोई धमाका हुआ ना हो कोई शोर, चुपचाप मौत आयी और 4 लोगों को काल के गाल में समेट लिया।


अपस्यु:- आपको याद है हमलोग फ्यूचर प्लान करते हुए सोच रहे थे कि क्या हो यदि हमसे ज्यादा क्षमता वाला कोई इंसान हमारे सामने हो, फिर उसे रोकेंगे कैसे?


जेके:- हां याद है मुझे, और तब तुमने बताया था कि पहले के योगी कुछ मंत्र फुकते थे और बड़े से बड़ा राक्षस अपनी जगह स्थिर हो जाता था।


अपस्यु:- बिल्कुल सही । बस हमने भी वो मंत्र खोज निकाला। चोरी कि हुई टेक्नोलॉजी से हम छोटे-छोटे डिवाइस जब बनाना सीख चुके थे, उसी वक़्त ये ख्याल आया कि जब एक सिलिकॉन पुरा माइक्रो चिप तैयार कर जाता है तो क्यों ना माइक्रो डस्ट पर काम किया जाए…


जेके और पल्लवी दोनो ऐमी का चेहरा आश्चर्य से देखते…. "तुमने थेओरी दिया और ऐमी ने कर दिखाया। क्यों …"


अपस्यु मुसकुराते हुए ऐमी को भींचते…. "येस ! आप सबके सामने पेश है माइक्रो सब्सटेंस पार्टिकल, जिसे आप डस्ट भी कह सकते है। और इस डस्ट को हम 1 किलोमीटर के दायरे से कमांड कर सकते है। इसके नतीजे आप सोच भी नहीं सकते कैसे थे। ये आपकी बुक के अंदर घुसकर उसे पूरा स्कैन कर सकते है। किसी भी नट बोल्ट को ओपन कर सकते है। पिलर के बेस को काटकर उसे अलग कर सकते है। सामने के फेंसिंग के ज्वाइंट को खोलकर आप जहां चाहें वहां रख सकते है।


फिर छत पर 20 स्नाइपर क्यों ना हो, उन्हें पता भी नहीं चलता कि किसी ने पिलर के बेस को काटकर और फेंसिंग के नीचे के सारे बोल्ट खोलकर, आपके जाने का इंतजार कर रहे है। फिर तो कई बार वो स्नाइपर वाले, उस फेंसिंग से भी टिक जाते है, लेकिन वो फेंसिंग नहीं हिलती क्योंकि बोल्ट की जगह वो डस्ट ले चुका होता है। और जैसे ही सभी एजेंसी वाले छत से जाते है फिर ऐसा भी हो सकता है कि वो माइक्रो डस्ट जेनरेटर को खिसकाकर नहीं, बल्कि उसके नीचे जाकर उसे उठा कर किनारे तक लेकर आ जाए, ताकि कोई भारी चीज ऊपर खिसक रही है किसी को पता ना चले।


ये डस्ट भईया, ये डस्ट.. बड़े कमाल की चीज है… 4 लोगों को कल के गाल में भेजने के बाद, वो हवा में तैरते हुए फिर हो सकता है कमांडिंग की जगह पहुंच जाए, मुझे नहीं पता इस बारे में। और इन्वेस्टिगेशन करने आया ऑफिसर वहां परे रसियन मेड वायर को देखकर, सर खुजाते हुए सोचने लगे कि साला इन रसियन के पास ऐसी कौन सी तकनीक विकसित हो गई जो मात्र कुछ वायर सबूत में छोड़े है, और जेनरेटर को ऊपर से नीचे फेंक दिया।


जेके ताली बजाता हुए…. "क्या बात है कमाल कर दिया तुम दोनों ने"..


ऐमी:- बेबी लेकिन ये तो कॉम्प्लेक्स ऑपरेटिंग सिस्टम है, बिना 2 लोगों के कमांड के संभव नहीं, फिर ये कैसे किया?


अपस्यु:- कांड होने के बाद वीरभद्र के चेहरा नहीं देखी क्या। उस वक़्त मेरे साथ वीरभद्र काम कर रहा था।


पल्लवी:- तुम लोगो ने जान बूझकर ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम बनाया ना, ताकि वो तकनीक हम तुमसे उधार नहीं मांग सके…


ऐमी:- ये फ्यूचर तकनीक है भाभी, इसका ऑपरेटिंग सिस्टम कॉम्प्लेक्स ही बना, तब जाकर संभव हुआ था। आपको क्या लगता है हमने इसे सिंगल हैंड ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने की कोशिश नहीं की थी क्या, लेकिन यह संभव नहीं हो पाया। कोई नहीं आप मायूस क्यों होते हो, आप दोनो जब भी बुलाओगे हम वहां जरूर होंगे, इतना तो भरोसा है ना।


पल्लवी:- नाह बिल्कुल भरोसा नहीं ! मै कई रात इस अपस्यु को बुलाई, लेकिन कामीना मुझे जलता छोड़ दिया, आया नहीं।


जेके:- पल्लवी अभी मीटिंग कॉल ऑफ नहीं हुआ है। बेहतर होगा फोकस कहीं ना जाए। अपस्यु जैसा तुमने कहा था वैसा हमने पता करवाया, नंदनी के राज ओपन होने से क्या परेशानी आने वाली है, वो भी मैंने तुम्हे बता दिया था और उम्मीद है कि तुम इतने दिनों में उसपर काम कर चुके होगे।


अपस्यु:- हां काम पुरा पुख्ता हो चुका है, और मै आंख मूंदकर आगे बढ़ सकता हूं।


जेके:- अच्छी खबर है ये तो। लेकिन अभी भी बहुत कुछ अनिश्चित है। ऐमी क्या तुम लोकेश के ऑपरेटिंग सिस्टम में घुसने में कामयाब हुई।


ऐमी:- नहीं भईया, यह संभव नहीं। जबतक डिवाइस उनके सर्वर से कनेक्ट नहीं होगा, तबतक पॉसिबल नहीं। रिमोट एसेस से हैक नहीं किया जा सकता।


जेके:- हम्मम ! फिर तो अपस्यु को अपने आगे के योजना के तहत मेघा के सामने ओपन होना होगा, वरना पहली बार ऐसा होगा की हम बिना दुश्मन को जाने अपनी योजना पर आगे बढ़ेंगे, जिसका परिणाम बुरा हो सकता है। अब तो नंदनी की बात खुलने से तुम्हे उन्हें सामने से भटकने का एक पूरी वजह मिल गई है।


अपस्यु:- लेकिन पार्थ के दी हुई खबर के अनुसार, मेघा और लोकेश के अलावा मेघा की विदेशी टीम भी उनके बेस पर जाती हुई दिखी थी। ऐसे में यदि मेघा को वहां कुछ अच्छा ऑफर हो, जो कि हुआ ही होगा, क्योंकि लोकेश अपने बेस पर उसकी पूरी टीम ले गया है तो उसकी कोई लंबी प्लांनिंग तो जरूर रही होगी। ऐसी हालत में वो हमे डबल क्रॉस भी कर सकती है। और यदि वो जेम्स हॉप्स ने कहीं इतिहास खोदना शुरू कर दिया, तो तुरंत ही सब कनेक्ट कर देगा। क्योंकि मै यदि नंदनी रघुवंशी के इतिहास को लेकर आगे बढ़ता हूं, तो वो चन्द्रभान रघुवंशी को भी तो ढूंढेंगे।


पल्लवी, अपस्यु की बात पर जोर से हंसती हुई कहने लगी…. "फिल्मों के भाड़े के सिपाही और रियल के भाड़े के सिपाही में जमीन आसमान का अंतर होता है। जो तुम्हारे पास बचा है उसे तो वो सिपाही बचा लेंगे, लेकिन जो खो गया है उसका पता कभी नहीं लगा सकते, ऐसे में तुम्हे लगता है कि वो इतने कंफ्यूज से माहौल में इतिहास उल्टेगा।


अपस्यु:- मै समझ नहीं भाभी, आप ये कहना चाहती है कि जेम्स हॉप्स की टीम का ध्यान मुझ पर जाता भी है तो भी वो मुझे कनेक्ट नहीं कर सकते?


जेके:- हां सही आकलन है। जैसे तुम आरव के केस में एयरपोर्ट सिक्योरिटी में नहीं घुसे थे हैक करने, जबकि तुम्हारा पता लगाना तो फिर भी टेढ़ी खीर होती। फिर ये कैसे सोच सकते हो कि ये प्राइवेट सिक्यूरिटी का काम करने वाला, कम अक्ल बैल, यूएसए जैसे देश में, सरकारी विभाग के फाइल को एसेस कर सकता है। जेम्स हॉप्स की पूरी टीम एक साथ है तो लड़ाई के दौरान जो कठिनाई ये देने वाले है, उन पर सोचो, तुम्हारा सच का पता लगाना इनके बाप के बस की बात नहीं, और यही सत्य है।


अपस्यु:- ठीक है उस जेम्स हॉप्स से ध्यान हटा भी लिया तो भी क्या मेघा जाल में फसेगी…


ऐमी:- जब वो लोकेश के ऑफर को स्वीकार कर सकती है, तो तुम्हारे क्यों नहीं, तुमने तो उसे 15 मिलियन डॉलर का फायदा करवाया था। वैसे भी वो 2 लोगों के बीच चुपचाप तमाशा ही देखने वाली है, और जो अंत में बचेगा उसके लिए वफादार साबित हो जाएगी…


जेके:- ऐमी के प्वाइंट में दम है। खिलाड़ी वो भी कमजोर नहीं और मुझे लगता है तुम्हे उसपर दाव खेलना चाहिए।


अपस्यु:- ठीक है आज शाम की मीटिंग में उसे थोड़ा झटका डेटा हूं।


जेके:- याद है ना मेरी बात, विक्रम और जिंदल को मौत ना मिले.. बस उनकी बची हुई ज़िन्दगी, मौत से बदतर कर दो…


अपस्यु:- ऐसा ही होगा भईया।


जेके:- ठीक है फिर मीटिंग कॉल ऑफ करते है और इसी के साथ हमारा दिल्ली से पैकअप भी हो गया। सॉरी तुम्हे ऐसे वक़्त में छोड़ कर जा रहा हूं। हालांकि जाने की इक्छा तो नहीं, लेकिन तुम दोनो पर मुझे पुरा यकीन है।


अपस्यु:- जेके भईया, भाभी.. अपना ख्याल रखना..


पल्लवी अपस्यु की बात सुनकर हंसती हुई उसे गले लगाती…. "क्या हुआ, हमारा शेर ऐसा मायूस होकर आज हमे विदा कर रहा है।"…


अपस्यु:- कुछ नहीं, बस यूं ही.. आपका जाना अंदर से कुछ अच्छा नहीं लग रहा है। वादा करो कुछ भी खतरा हो तो आप तुरंत बैंकअप के लिए संपर्क करोगे।


पल्लवी, अपस्यु से अलग होती हुई कहने लगी…. "मै अपने और जेके के ओर से वादा करती हूं कि इस पूरे केस में हम तुम्हारी मदद लेंगे, और बिना जानकारी के कहीं कोई कदम नहीं उठाएंगे… चल अब हंस। और हां इन सब के बावजूद अगर हम मरते है, तो हंसकर हमे विदा करना, क्योंकि किसी केस में हम चारों काम करे और वो हमे मात दे जाए, मतलब हमे किसी कमजोर ने नहीं मारा है।"


ऐमी अपस्यु के पास आकर खड़ी हो गई और दोनो को जाते हुए देख रहे थे… "चिंता मत करो, हम पुरा सेविलेंस देंगे उन्हें। मैंने कुछ डस्ट गिफ्ट कर दिया है।"..


दोनो भी वहां से मुसकुराते हुए निकले। ऐमी सीधे अपने घर लौटकर, वहां अपना काम करने लगी और इधर अपस्यु, आज शाम मेघा को फसाने की पूरी तैयारी में जुट गया।…
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

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शाम लगभग ढलने को थी। मेघा की अपस्यु से मिलने की रुचि जो सुबह थी, वो कहीं ना कहीं ठंडी पर चुकी थी। वैसे भी मेघा अब अपस्यु से मिलकर करती भी क्या, जो कभी भी शिकार हो सकता था। इन्हीं सब बातों का आकलन करती हुई मेघा पब के लिए निकल गई।


7 बजे के करीब वो एक आलीशान पब में पहुंची। जैसे ही वो पहुंची, एक वेटर उसे ड्रिंक सर्व करने पहुंच गया। मेघा उस वेटर को देखकर कहने लगी… "जाकर ये ड्रिंक उसके मुंह पर मार आओ, जिसने भी भेजा है।"..


वेटर:- सर ने बताया था आप का जवाब ऐसा ही कुछ होगा, इसलिए साथ में एक पत्र भी दिया है।


मेघा उस पत्र को देखी, उसपर बड़े अक्षरों में "अपस्यु" लिखा था। मेघा उसकी अदा पर मुस्कुराती हुई ड्रिंक उठाई और अपने कदम बढ़ाती बार काउंटर तक पहुंची…. "हेय हीरो ! कोई उम्मीद नहीं थी कि तुम यहां मिलोगे।"..


अपस्यु:- हाय ये झूठ बोलने की अदा। मुझे ऐसा क्यूं लग रहा है आंटी की आप मेरा पीछा कर रही है।


मेघा, आंखें गुर्राती :- सिर्फ 31 साल का होना से आंटी की श्रेणी में आता है। बहुत ही भद्दा था ये…


अपस्यु:- अच्छा तो फिर मैं अपने से 9-10 साल बड़ी लेडी को क्या कहूं?


मेघा:- चलो कहीं अकेले में चलकर सब समझाती हूं कि क्या कहना चाहिए और क्या करना चाहिए मुझ जैसी हॉट, टॉप क्लास मॉडल के साथ।


अपस्यु:- हम्मम ! तुम्हारी अदा और तुम्हारी बातें आज कुछ मैच नहीं हो रही मेघा। लगता है तुम्हे जो मुझ से उम्मीदें थीं वो कोई और पुरा कर रहा है।


मेघा:- तुम कहना क्या चाहते हो…


अपस्यु अपने राउंड टेबल को घुमाया और उसके होंठो को अपने होंठ से छूकर खड़ा हो गया और चलते-चलते…. "सॉरी स्वीट हार्ट, तुम मुझे शाम को मिलने का वादा करके अपना कार्यक्रम बदल ली। फिर कभी मुलाकात होगी।" … इतना कहकर, अपस्यु फिर माईक लेकर जोड़ से कहने लगा…. "श्रेया तुम केवल बेवकूफ हो, इस से ज्यादा कुछ नहीं। मेरा पीछा करने से अच्छा, मुझ से सामने से बात करती तो तुम्हारे लिए मै ज्यादा फायदेमंद होता। मै ज़रा अकेले घूमना चाहता हूं इसलिए प्लीज मेरे पीछे मत आना।"…


मेघा को अपने लिए कही बात तो समझ में आ गई, लेकिन बीच में ये श्रेया कौन आ गई, इसपर वो सोचती रह गई। तभी मेघा ने देखा पब के कोने से एक लड़की उठकर अपस्यु के पीछे भागी। मामला थोड़ा पेंचीदा था, इसलिए मेघा भी उसके पीछे जाने लगी, और इन दोनों के पीछे लोकेश का एक शातिर आदमी, जो सुबह से अपस्यु के पीछे था, पब के पीछे सुनसान से जगह को सुनिश्चित करने के बाद…. उसने तुरंत लोकेश से संपर्क किया…


"सर आप का शक सही निकला। शायद इस लड़के को आपके बारे में सब पता है।"… इतना कहने के बाद लोकेश से वो आज सुबह से लेकर अब तक की घटनाओं का ब्योरा देने लगा, जिसमें एक क्लोज डोर मीटिंग की बात बताया, जो इतना हाई टेक जगह था कि जितने भी जतन उसने किए, लेकिन अपस्यु के साथ किसकी बात हुई और क्या बात हुई, वो सुन नहीं सका। अपस्यु, मेघा को उलझाने के लिए कैसे उस पब में पहले से पहुंचा और साथ में यह भी उसपर एक लड़की पहले से नजर बनाए हुई थी जिसके बारे में अपस्यु को पहले से पता था। ..


लोकेश ने जब उसके आखरी के कुछ बातें सुनी, फिर वो समझ चुका था कि जितना छोटा उसने अपने इस नए दुश्मन को समझा था वो उतना भी छोटा नहीं। अपने जासूस कि बात पर वो तेज हसने लगा। फोन लाइन के दूसरे ओर उसके अट्टहास भरि हंसी वो जासूस सुन रहा था, तभी एक चींख निकली और वो जासूस सदा के लिए ख़ामोश हो गया।


दूसरे फोन लाइन से लोकेश को आवाज़ आयी… "काम हो गया।"… लोकेश उसे फिर आज रात अपस्यु को खत्म करने का हुक्म देकर लाइन कट किया, और दूसरे लाइन से मेघा को सुनने लगा।…


इधर पब से निकलकर अपस्यु पार्किंग के ओर बढ़ा, श्रेया दौड़ती हुई उसके पीछे पहुंची और उसके कपड़े को पकड़ कर खींचने लगी… अपस्यु पीछे मुड़कर उसे देखते ही हसने लगा।…. "मै अभी एक काम निपटा रहा हूं, इसलिए अभी कुछ भी समझा नहीं पाऊंगा। तुम सीधा अपने फ्लैट चली जाओ, मै आज रात तुमसे मिलता हूं।".. श्रेया इससे पहले कुछ कहती सामने से मेघा भी उसी के ओर आने लगी। उसे देखते ही अपस्यु एक बार फिर बोला…. "अब जाओ यहां से और हमारे बारे में अपने टीम से भी डिस्कस मत करना। वरना अपनी बेवकूफी का एक परिणाम तुम पहले भी देख चुकी हो। अब जाओ।"…


श्रेया अनगिनत सवाल अपने मन में लिए वहां से चली गई। इधर जबतक अपने इठलाते क़दमों को आगे बढ़ती हुई मेघा अपस्यु के पास पहुंची…. "ओह तो ये श्रेया है।"


अपस्यु:- हां जबसे मेरा और ऐमी का रिश्ता सामने आया है, बेचारी का दिल टूट गया और मुझे रिझाने के लिए ये मेरे आस पास ही मिल जाती है।


मेघा:- ओह ! मतलब तुम्हे बस संका थी और उसी आधार पर तुमने एक तीर मारा था।


अपस्यु:- हां हर होशियार इस अंधेरे के तीर का शिकार हो ही जाता है। हम तो कुछ नहीं जानते, लेकिन जैसे ही उसे आभाष करा दो हमे उसके बारे में सब पता है फिर हड़बड़ी में गड़बड़ी कर ही जाते है। खैर छोड़ो, आज तो मै शिकार पर निकला हूं, खाली हाथ थोड़े ना अपनी रात बिताऊंगा..


मेघा:- हीहीहीही… शिकार यहां खुद तैयार हैं। वैसे हां ये सही है कि अब काम को लेकर तुम में कोई रुचि नहीं रही। लेकिन फुरसत की एक रात के लिए तो हमेशा ही रुचि रहेगी… क्यों ना आज रात तुम मेरा शिकार कर लो…


अपस्यु, मेघा को आंख मारते… "आ जाओ बैठ जाओ फिर, आज रात फिर से एक बार सिना जोड़ी का खेल हो जाए।".. "नहीं प्लीज वो खेल नहीं।"…. "क्यों तुम्हे मज़ा नहीं आया था क्या।"…. "हीहीहीही… मज़ा था या साजा आज तक तय नहीं कर पा रही, लेकिन जो भी था, वो कातिलाना था।"…


दोनो की हॉट एरोटिक बातें शुरू हो गई। लोकेश उनकी बात सुन सुनकर विचित्र ही मनोदशा में चला गया था। कभी एक मन सोचता कि लड़के ने तुक्का मरा और मेरा एक एजेंट मरा गया, तो फिर दिमाग में ख्याल आता कि मेघा को कहीं कोई ऑफर देने से पहले उसे फसा तो नहीं रहा। कुल मिलकर लोकेश की भी वहीं हालत हो चुकी थी, जैसा कुछ दिन पहले श्रेया की थी। …


बिल्कुल भ्रमित करने वाला माहौल, जिसमे एक पल लगे कि ये लड़का अपस्यु सब कुछ जान रहा है और लंबी योजना पर काम कर रहा है, तो अगले पल लगता कि कुछ नहीं जानता केवल एक दिलफेंक आवारा है जो अपनी मर्जी का कर रहा।


इधर लोकेश उनकी आवाज़ साफ सुन रहा था.. दरवाजा खुलने से बंद होने तक की आवाज़। फिर उधर से को हंसी की किलकारियों के साथ कभी मादक आह तो कभी तेज जोड़ की चीखें। कभी मेघा की मिन्नतें तो कभी अट्टहास भरी हंसी। और इसी बीच एक तेज खटाक की आवाज़ और उस ओर से आने वाली सभी आवाज़ बंद…


लोकेश अपने ऑपरेटर से जवाब तलब करते… "क्या हुआ ये आवाज़ आना क्यों बंद हो गया।"


ऑपरेटर:- सर लगता है ब्रा पाऊं के नीचे आ गया होगा, डिवाइस बेकार हो गई है।


लोकेश चिल्लाते हुए…. "आखिर उसे पता कैसे चला की हमने माईक ब्रा में छिपा रखी थी।"


ऑपरेटर:- सर दोनो का जोश को देखकर लगता नहीं कि उन्हें कुछ पता भी होगा।


लोकेश:- कुछ भी करो लेकिन मुझे अभी उसकी बात सुननी है।


ऑपरेटर:- बस कुछ देर सर..


वो ऑपरेटर कंप्यूटर पर काफी तेज खिटीर पिटीर करते अपने हाथ चलाया और एक मिनट बाद लोकेश को इशारे से मेघा को कॉल लगाने के लिए कहने लगा। लोकेश ने मेघा को कॉल लगाया। पहली घंटी पूरी हो गई मेघा ने कॉल नहीं लिया। लोकेश ने दोबारा फोन लगाया.. कुछ देर के बाद मेघा कॉल पिक करती… "अभी .. आह्ह्हह्ह ! बाद में बात करो!" .. तेज चढ़ती श्वांस में मेघा ने जल्दी से अपनी बात कही और कॉल डिस्कनेक्ट कर दी।


इधर से ऑपरेटर जीत का अंगूठा दिखाते, फोन के माईक से आ रही आवाज़ को सुनाने लगा। अब भी मेघा की मादक सिसकारी आ रही थी। कभी तेज दो कभी धीमी। ऐसा लग रहा था जैसे वहां सब बिना वीडियो के पोर्न के ऑडियो का पूरा मज़ा ले रहे थे।


और कुछ देर बाद वहां बिल्कुल सन्नाटा पारा रहा, बस बीच-बीच में एक दो बार चूमने कि आवाज़ और लगभग 15 मिनिट… "कहां जा रही हो मुझे छोड़कर"


मेघा:- आह्ह ! क्या मज़ा दिया है तुमने… एक हॉट शॉवर लेकर वापस आती हूं।


अपस्यु:- तुम ऐसे नंगी खड़ी ना रहो मेरा खड़ा हो जाता है…


मेघा:- हीहीहीहीही… तुम्हारा क्या होता है और क्या नहीं ये मुझे क्यों बता रहे हो। मैं तो यहां जबतक हूं पूरी ओपन हूं।


तभी फिर कुछ क़दमों कि आवाज़ और फोन से बिल्कुल आवाज़ आना बंद हो गया। लोकेश वापस से चिल्लाया, ऑपरेटर अपना छोटा सा मुंह बनाते…. "सर अब दोनो बाथरूम के अन्दर रास लीला मना रहे, तो इसमें मै क्या कर सकता हूं। शूटर को भेजकर दोनो को खत्म ही कर दीजिए ना।


लोकेश:- नहीं, शूटर को वापस बुला लो। इसपर से सारे सर्विलेंस हटाओ, हम गलत जगह फोकस कर रहे है। इसे और इसके परिवार को हम जब चाहे तब मार सकते है, और जब मारना ही है तो इसपर इतना ध्यान क्यों। वैसे भी इसकी जो भी प्लांनिंग होगी वो उद्योगपति विक्रम राठौड़ और लोकेश राठौड़ के लिए होगी। इसकी तो रूह ही समझेगी की मै क्या हूं?


इधर जैसे ही अपस्यु फ्लैट पहुंचा, उसका खेल शुरू हो चुका था। सेक्स के दौरान वो इतना हावी रहा की मेघा पागल हो गई उन उन्माद में। जैसे ही वो माईक टूटा अपस्यु को एक छोटा सा विंडो मिल गया। तुरंत ही उसने ब्रा की कारीगरी में छिपे माईक को दिखाते हुए, अपस्यु ने मेघा से कहा था कि ये बेकार हो गया है, अब लोकेश उसकी बात सुनने के लिए कोई नया हथकंडा अपनाएगा।


मेघा तो दंग थी, लेकिन अपस्यु ने उसके सारे आश्चर्य के भाव को पुनः एक कामुक उन्माद में परिवर्तित करते हुए बस अभी उसे फॉलो करने और एन्जॉय करने का सलाह दिया। फोन छोड़कर दोनो बाथरूम में जाने के बदले एक कमरे में गए…


मेघा, जैसे ही कमरे में पहुंची…. "तो वो तुम और तुम्हारी टीम थी जो लोकेश से बदला लेने के चक्कर में हमारे पैसों का नुकसान किया।"..


अपस्यु:- क्या बात है, मैंने एक माईक क्या दिखा दिया तुम तो जड़ से पकड़ना शुरू कर दी।


मेघा:- यह मेरे सवाल का जवाब नहीं..


अपस्यु:- जब बात बदले कि हो रही हो, तो सीधा सा गणित होता है मेघा, गेहूं के साथ घुन भी पिसता है। क्या ऑफर किया लोकेश ने अपने बेस पर, आज सुबह की मीटिंग में…


मेघा:- ओह तो तुम्हे उसके साम्राज्य और उसके ठिकाने का पूरा पता है और वो होशियार समझता है कि तुम्हारी प्लांनिंग दिल्ली के बॉडी गार्ड को देखते हुए होगी। खैर तुम्हे उसके साम्राज्य के बारे में पता होने से क्या होता है, तुम और तुम्हारी फैमिली वैसे भी मरोगे, क्योंकि उसके पाले सैतानो का मुकाबला करना किसी के बस की बात नहीं। तुम्हारे जाने का थोड़ा सा अफ़सोस तो होगा डार्लिंग, लेकिन खुशी इस बात की होगी की हमारे बीच रहकर जिस दुश्मन को पहचान ना पाए, वो मर जाएगा। चिंता मत करो, तुम्हारे इस राज के बारे में मै किसी को नहीं बताउंगी।


अपस्यु:- हाहाहाहाहा… जी शुक्रिया, वैसे एक बात बताओ, हवाला के पैसे जाने का शक तो पहले एक दूसरे पर ही किए होगे, फिर अब तुम दोनो मिल गए तो पुरा इल्ज़ाम किस गरीब के सर फोड़ दी?


मेघा:- अच्छा सवाल है। वैसे कमाल का गेम था वो भी वाकई, लेकिन ये क्यों भुल जाते हो, हम लंबे समय से पार्टनर्स है और बिना भरोसे धंधा नहीं होता। और कहते है ना जो गड्ढा खोदता है लोग उसी में फंसते है। बस तुम्हारे खेल का नतीजा भी वही होगा। तुम्हारा क्लोज वो होम मिनिस्टर और उसके साथ तुम्हारे प्यारे भाई का वो ससुर राजीव मिश्रा साथ में उसकी पत्नी, बेटी, बेटा सब मरेंगे। ये कतई नहीं सोचना कि मै तुम्हारी बातों में आकर ये राज खोल रही, बस तुमने मुझे एहसास करवाया की कोई मुझ पर लगातार नजर दिए है सो उसके बदले मैंने तुम्हे यह जानकारी दी।
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अपस्यु:- बस मुझे इतना ही जानना था, बाकी खेल तो शुरू हो ही गया है, मज़े लो बस…


मेघा:- हां मै तो पॉपकॉर्न के साथ मज़े लूंगी इस सह और मात के खेल का। वैसे तुम्हे डर नहीं लग रहा।


अपस्यु:- अपना डर दूर करने ही तो मैदान में उतरा हूं.. वरना मुझे क्या परी थी।


मेघा:- जिंदा रहे तो फिर मज़े करेंगे डार्लिंग। अब मैं चलती हूं।


मेघा वहां से निकल गई और अपस्यु अपने सिगरेट का धुआं उड़ाते कुछ सोच में डूबता चला गया। एक छोटे से चिंतन के बाद अपस्यु मुक्ता अपार्टमेंट से अपने फ्लैट लौटा और श्रेया को मिलने का आमंत्रण दिया।


श्रेया किसी घायल शेरनी की तरह पगलाई अपस्यु का इंतजार कर रही थी। जैसे ही वो मिलने के लिए फ्लैट में घुसी, ना कोई बात ना कोई वार्निग, सीधा फायरिंग शुरू कर दी। गुस्से में पगलाई श्रेया ने जैसे ही पुरा मैग्जीन खाली किया अपस्यु ने उसे तेजी से पकड़ा।….


श्रेया खुद को छुड़ाने के जद्दो जेहद में लग गई। काफी कोशिश के बाद जब वो नाकाम सी महसूस करने लगी, छटपटाने बंद करके वो स्थिर हो गई और तेज-तेज श्वांस लेती श्रेया गुस्से में पागल होकर इधर-उधर देखने लगी….


अपस्यु अपने हाथों की पकड़ बनाए….. "तुम मुझे जान से मारने कि कोशिश कर रही हो, लेकिन मार नहीं पा रही। कहीं मैंने सोच लिया तो तुम्हारे साथ-साथ यहां रह रही तुम्हारी पूरी टीम भी साफ हो जाएगी। बेहतरी इसी में है कि हम बैठकर बातें कर ले।"


श्रेया अपनी पिस्तौल नीचे गिराती हुई "हां" कही और अपस्यु ने उसे छोड़ दिया। ख़ामोश होकर वो हॉल में बैठी… "बताओ क्या बात करनी है।"


अपस्यु:- ये सीधा गोली मारना कहां से सीखी।


श्रेया:- जब खून सवार होता है तो सीधा गोली ही मारी जाती है, बातचीत तो समझौते का रास्ता खोलती है।


अपस्यु:- और खून क्यों सवार हो गया तुम्हारे सर पर..


श्रेया:- मेरे 5 लोग को बड़ी बेरहमी से मारने के बाद ऐसा पूछ रहे, कमाल हो गया ये तो।


अपस्यु:- वो तुम्हारे लोग थे और तुम मेरे पीछे हो, ये मुझे अगले दिन पता चला, इसलिए इसका दोष मुझपर ना ही दो तो अच्छा है। मेरे सामने भी मुझे और ऐमी को जान से मारने कि कोशिश हुई थी। तुम्हारे 5 लोगों को जान से मारने का अफ़सोस है, लेकिन मुझे फसाने के लिए तुमने गलत रास्ता चुना था। अगर कुछ इतना ही जरूरी था तो सीधा बात कर लेती, उस जगदीश राय को मारने के लिए भी मुझे सोचना पड़ता क्या?


श्रेया:- आई एम् सॉरी। मैं एक तरफा सोचकर ही सब गड़बड़ कर गई।


अपस्यु:- उन 5 लोगों की फैमिली डिटेल मुझे दे देना। उनका कर्जदार हूं मै, क्योंकि योजना तुम्हारी थी और पीस गए गलत लोग, जिन्हें मौत तो नहीं ही मिलनी चाहिए थी, क्योंकि वो ऑर्डर फॉलो कर रहे थे।


श्रेया:- मेरे टीम के लोग थे इसलिए मै मौत का बदला ले रही थी बस, बाकी मुझे कोई गिल्ट नहीं उन 5 के मरने का। सच मानो तो 10 और ऐसे लोग है, जो मेरे टीम से चले जाए तो शायद उनके मरने का बदला मै ले लूं, लेकिन उनके जीने से ज्यादा उनके मरने कि ही ख्वाहिश दिल में है।


अपस्यु:- एक खतरनाक टीम लीड करने वाली की इतनी भावनाएं। हुआ क्या था, जो इन 15 से लोगों से तुम नफरत करती हो?


श्रेया:- कुछ बातें ना ही जानो तो अच्छा होगा। खुद को बड़ी हिम्मत से खड़ा किया है, तुम्हारे कहे शब्द और एक दोस्त की तरह मुझे समझना, मुझे फिर से किसी और दौड़ में ले जाएगा। इसलिए मेरी इतनी रिक्वेस्ट मान लो। और हां, आई एम् ए बैड गर्ल, इसलिए मेरे किसी दिमागी फितूर के कारन मुझे जान से मारना पड़े तो अफ़सोस मत करना, बाकी मुझे यदि तुम्हे मारना होगा तो पहले तुम्हे मारूंगी और बाद में थोड़ा सा अफ़सोस कर लूंगी।.. हीहीहीहीही…


अपस्यु:- पूरे पागल हो तुम !


श्रेया:- सो तो हूं। अब छोड़ो इन सब बातों को, सीधे मुद्दे पर आती हूं। तुम मेरे बारे में जानते हो और मै तुम्हारे बारे में, सो अब ये लुका-छिपी का खेल क्यों? सीधे बात करते हैं।


अपस्यु:- मै भी यही सोचकर पब में सब ओपन कर दिया था।


श्रेया:- मेरी ट्रेनिग एक कातिल के रूप में हुई है। हमारी टीम अबतक 4 काम को चुपचाप अंजाम दे चुकी है, लेकिन हमलोग 2 टारगेट में फंस गए। 2 टारगेट में फसना भी गलत होगा, जगदीश राय को ही मारने में इतने बुरी तरह से असफल हो गए की दूसरा टारगेट तो उससे कई गुना हाई लेवल का है। हम लोग जब जगदीश राय की फील्डिंग कर रहे थे, तब मैंने तुम्हारा जलवा देखा था, उसके अंडरग्राउंड फाइट क्लब में। जहां पर कोई जगदीश राय के खिलाफ कुछ करने की सोच नहीं सकता, उस जगह तुम 2 लोग सामने से अंदर घुसे और अपना काम करके निकल गए।

"हम लोग तो दंग ही हो गए थे ये सब देखकर। हमारी, जगदीश राय को मारने कि पहली प्लांनिंग ही चल रही थी, और जोश इतना था कि हमने जीत जश्न में इतना ही कहा था… "जब दो लोग सामने से घुसकर इतनी तबाही मचा सकते हैं, फिर हमारे पास तो एक पूरी टीम है।"

"वक़्त बीतता रहा लेकिन जगदीश राय क्या चीज है, हमे समय-समय पर पता चलता रहा। हम समझ चुके थे कि ये जगदीश राय हमसे बहुत ऊपर की चीज है इसलिए फिर हमने तुम्हे ढूंढ़ना शुरू किया। केवल 2 मकसद थे, तुम्हे समझकर अपने साथ मिलाना या साथ मिलकर काम करने लायक नहीं हुए तो तुम्हे फसाकर काम निकलवाना। बेसिकली हमारी पूरी टीम ही इस मामले में कच्चे है, किसी को फसाकर काम निकलवाने में हम लोग फिसड्डी साबित हुए।"

"मेरे काम के अंदाज़ से तो तुम समझ ही चुके होगे कि ये हमारा पहला हाई केवल काम था और तुम्हे जाल में फंसाकर हमे 2 बड़े टारगेट एलिमिनेट करने का काम मिला था। एक को तो तुमने साफ कर दिया। अब बस अपना एक हाई क्लास टारगेट एलिमिनेट करवाना है।"


अपस्यु:- नाम बताओ, यदि अनैतिक नहीं होगा तो मै ये काम कर दूंगा।


श्रेया:- मैं जानती हूं तुम्हारे काम करने के तरीके को। मेरे टारगेट का नाम सुनकर तुम मना नहीं कर सकते इस काम को।


अपस्यु:- नाम, काम और दाम बताओ।


श्रेया:- लोकेश प्रताप सिंह.. कीमत तुम खुद बता दो।


अपस्यु:- हम्मम ! ठीक है अगले 3 दिन में यह काम जो जाएगा। उम्मीद है तुम और तुम्हारी टीम का काम यहां खत्म हो गया, सो तुमलोग अपने ये रेंट का फ्लैट छोड़कर आराम से निकल जाओ, और इस काम के बाद ना तो मै तुम्हे जानता हूं, और ना तुम मुझे। इस काम कि कीमत होगी 50 करोड़।


श्रेया:- लेकिन तुम्हारी कीमत तो 2 करोड़ हुआ करती है ना।


अपस्यु:- लोकेश राठौड़ इतनी बड़ी मछली है कि तुम तो 100 करोड़ निकलवाओ अपने बॉस से, 50 तुम्हारे और 50 मेरे। और हां, हम दोनों एक दूसरे के बारे में जानते है, ये किसी को भनक भी नहीं लगने देना।


श्रेया:- कीमत ज्यादा है पहले उसपर बात जर लें, फिर दूसरी चर्चा भी हो जाएगी।


अपस्यु:- इसलिए मैं लड़कियों के साथ डील नहीं करता, यहां भी बारगेनिंग।


श्रेया:- सो तो है। तो डील कुछ ऐसी है कि तुम्हे में 10 करोड़ दिलवाती हूं।


अपस्यु:- 50 करोड़ से सीधा 10 करोड़, ये कैसी बारगेनिंग है।


श्रेया:- लवली बारगेन है। आज तुम्हारा पीछा करके मै जान गई हूं कि तुम्हारा भी वही टारगेट है जो मेरा है। मै 10 करोड़ ना भी दूं तो भी ये काम तुम करोगे। सो पैसों की डील तय हो गई। अब आते हैं दूसरे हिस्से पर। तुम मेरी सच्चाई नहीं जानते। ठीक है तुम मेरी सच्चाई नहीं जानते, लेकिन इस डील के लिए मैंने तुम्हे राजी कैसे किया। सो एक दमदार एग्जॉटिक प्ले होगा और तुम मेरे बिछाए हुस्न के जाल में फस गए।


अपस्यु:- मुझे तुम्हारे साथ फिजिकल होने में कोई ऐतराज नहीं, लेकिन तुम्हे ये जरूरी लगता है तो अभी कर लो, वरना मुझे काम पर फोकस करना है।


श्रेया:- हम्मम ! कोई नहीं, ठीक है इस बार बच गए लेकिन मै अपनी डिजायर तो कभी ना कभी पूरी कर ही लूंगी। अलविदा दोस्त फिर शायद ही हम कभी मिले।


अपस्यु 2 मीटिंग समाप्त कर चुका था लेकिन रात के इस प्रहर में अंदर से हृदय थोड़ा कमजोर सा पड़ता जा रहा था। जिंदगी में पहली बार उसे डर का आभास सा हो रहा था। अपस्यु एक बहुत बड़े खेल का हिस्सा बन तो गया था, लेकिन आने वाले पल की कल्पना अपस्यु के अंदर डर का माहौल बनाए हुए थे।


अपस्यु को भले ही खेल शुरू होने से पहले, अनचाहे डर ने उसे घेर रखा था, लेकिन लोकेश अपनी मकसद को पूरा करने के लिए पूरे जोर से आगे बढ़ना शुरू कर चुका था। सुबह जिस नंदनी रघुवंशी का चेहरा, लोकेश ने अपस्यु के मोलबाइल में देखा, रात तक उसकी और उसके पूरे परिवार की डिटेल सामने थी।


12 अगस्त की रात विक्रम और लोकेश मीटिंग हॉल में बैठकर नंदनी की पूरी डिटेल देख रहे थे…. "पापा क्या यही है आप की बहन"..


विक्रम:- सौ फीसदी यही है नंदनी रघुवंशी।


लोकेश:- ठीक है पापा फिर कल दिन में उनके यहां आने की स्वागत कीजिए। अब अपना पुरा दाव खेलने का समय आ गया है।


विक्रम:- लोकेश वो सेंट्रल होम मिनिस्टर है , उसपर हाथ देने का मतलब तुम समझ रहे हो।


लोकेश:- पापा, जब विपक्ष अपने साथ हो, उसके पार्टी के कई नेता अपने साथ हो, पुरा मामला मायलो ग्रुप के मालिक और सेंट्रल होम मिनिस्टर के बीच का होना है, फिर आप चिंता क्यों करते है? अब आप समझे की हमे नंदनी रघुवंशी की इतनी जरूरत क्यो थी?


लोकेश के इस छोटे से मीटिंग के बाद, सबसे पहले अपस्यु और उसके परिवार पर ही गाज गिरने की तैयारी शुरू होने लगी, क्योंकि लोकेश के अपने सबसे बड़े दाव के लिए नंदनी रघुवंशी का उसके पास होना जरूरी था और 12 अगस्त की पूरी रिसर्च के बाद 13 अगस्त, दिन के 2 बजे तक उसे हर हाल में नंदनी रघुवंशी अपने बेस पर चाहिए था।


गोवा से लेकर मुंबई और मुंबई से लेकर दिल्ली तक, अपस्यु और उसके परिवार के नाम की लिस्ट निकल चुकी थी। हर जगह के लोकेश के पाले प्रोफेशनल पहुंच चुके थे और सबका काम और टारगेट बांट दिया गया था। एक रात और जीने की गुंजाइश के बाद, नंदनी के सारे परिवार को दिन के 2 बजे तक समाप्त करके नंदनी को राजस्थान लाने कि सारी तैयारियां हो चुकी थी।


सुबह के लगभग 5 बजे से ही हर कोई फील्डिंग लगाकर बैठ चुका था। गोवा में आरव और लावणी एक हसीन रात बिताने के बाद सुबह के 5 बजे, मोरजिम बीच घूमने के लिए निकले थे। हाथों में हाथ थामे एक और हसीन सुबह लुफ्त उठाने। दोनो जैसे ही अपने रिजॉर्ट से बाहर निकले, खबरी ने तुरंत यह संदेश आगे तक पहुंचाया।


एक चेन के माध्यम से खबर लोकेश के ऑपरेटिंग रूम तक पहुंची, और वहां का ऑपरेटर अजय लाइव वीडियो फुटेज ऑन करके टारगेट को एलिमिनेट करने का हुक्म दिया। 2 स्नाइपर और 7 गनमैन फाइटर के साथ ये लोग भी मोरजिम बीच के पास, जंगल झाड़ियों में अपना ठिकाना बनाया।


शूटर 1:- लड़का मेरे निशाने पर है।
शूटर 2:- उसकी कमाल कि हॉट गर्लफ्रेंड मेरे निशाने पर है।


लोकेश के कंट्रोल रूम का ऑपरेटर अजय…. "दोनो टारगेट को खत्म करो"…


इधर फायरिंग के आदेश आए और उधर 9 लोगों की भीड़ में कौतूहल का माहौल हो गया। वीडियो आरा तिरछा आ रहा था, किसी की कमीज़ दिख रही थी तो किसी की पैंट। आवाज़ से इतना तो समझ में आ रहा था कि उस जगह पर मारपीट हो रही थी, लेकिन कौन किसको मार रहा था कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था।


तकरीबन 10 मिनट बाद वहां से ऑडियो और वीडियो दोनो आने बंद हो गए। ऑपरेटर हेल्लो, हेल्लो करता रह गया, लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया। ऑपरेटर अजय से जब ये गुत्थी नहीं सुलझी, तब वो आनन फानन में गोवा के लोकल गैंग से संपर्क किया और 2 करोड़ की एक डील तय करके आधे पैसे उन तक पहुंचा दिए।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
असल लड़ाई अब शुरू हुई हैं भाई
 
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