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Romance भंवर (पूर्ण)

Sanju@

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Update:-32



यूं तो कैंटीन में लोगों की आवाज़ अा रही थी लेकिन साची और अपस्यु के बीच पूरी खामोशी थी। दोनों बस खामोश, चेहरे को अलग-अलग दिशा में घुमाए चुप चाप वहीं बैठे हुए थे।

सुबह जब अराव कॉलेज पहुंचा तभी उसने लावणी को संदेश भेज दिया था कि साची को छोड़कर पार्किंग के पीछे आओ, मैं इंतजार कर रहा हूं। लावणी भी जैसी ही अपने क्लास के लिए निकली वो क्लास में ना जाकर अराव के पास पहुंच गई।

"कल की अपनी हरकत पर तुम्हे कुछ कहना है।".. लावणी अपने लटों में उंगलियां घुमाती हुई पूछने लगी।

"आज तुम में कुछ बदला-बदला नजर अा रहा है। क्या तुम आज हल्का मेकअप करके अाई हो? रात के 2 बजे तक तो तुम्हारी लटें सीधी थी, ये सुबह-सुबह इतनी आकर्षक और कर्ली कैसे हो गए"… अराव ने लावणी को ध्यान से देखते हुए पूछा।

वो शायद कुछ कहने की स्तिथि में नहीं थी इसलिए भागने कि कोशिश करने लगी। अराव ने उसका हाथ पकड़कर खींच लिया। लावणी सीधी जाकर अराव के बाहों में गिरी। अराव उसे कमर से पकड़ कर खुद से चिपका लिया और चेहरे पर आए कुछ बालों को हटाते हुए पूछने लगा…. "तुमने जवाब नहीं दिया"

"दीदी कहती है तुमलोग मतलबी हो। धोका दोगे।"… लावणी अपनी पलकें नीचे करती बोली।

"कल को तुम्हारी दीदी का पैचअप हो गया अपस्यु के साथ तब क्या? तुम्हारी अपनी कोई राय नहीं बस दीदी ने जो विचार रख दिए उसे ही फॉलो करते रहो"

"छोड़ो ना अराव, मुझे डर लग रहा है। किसी ने देख लिया तो"….

अराव उसके होंठ पर अपनी उंगली लगाकर चुप करवा दिया और उसके चेहरे को ऊपर करके उसके आखों में आखें डालकर…. "शायद ये फीलिंग फिर कीसी के लिए नहीं हो, आई लव यू"

"तुम्हारी बातें मुझे अच्छी लगती है, तुम मुझे आकर्षित करते हो, लेकिन मैं अपने परिवार से बहुत प्यार करती हूं और उनकी मर्जी के खिलाफ कुछ नहीं कर सकती। यही वजह है कि मैं शुरू से तुमसे दूरियां बना कर रखी और शायद तुम जैसी गर्लफ्रेंड अपने लिए ढूंढ़ रहे हो मैं वैसी ना बन सकूं"

अराव उसे अपने बाहों में समेटते हुए…. "कुछ भविष्य कि चिंता वक़्त पर छोड़ते है, बस इस पल मुझे जवाब चाहिए"…

"तुम्हे अगर सवाल जवाब वाला वो फिल्मी लव चाहिए, तो शायद तुम्हे एक बार सोचना पड़ेगा। तुम्हे भी मेरी दिल की विवशता पता है इसलिए तो तुमने यहां मुझे खींचकर अपने बाहों में भर लिया और मैं कुछ विरोध तक नहीं कर पाई। फिर ये जवाब कैसा"

अराव, लावणी से अलग होकर उसका चेहरा देखने लगा। लावणी उसे देखकर मुस्कुराई और मुस्कुराती हुई कहने लगी… "मैंने अलग होने तो नहीं कहा, मुझे भी अच्छा लग रहा था"

उफ्फ ये खुशी के पल। जिस चंचलता का परिचय अभी लावणी ने दिया था उसकी तो उम्मीद भी अराव ने नहीं की थी। लेकिन जबसे उसके दिल का हाल पता चला था, वो बस उसके प्यारे से चेहरे को देख कर यहीं सोच रहा था.. "शायद इतने अरमान दबाकर तो में कभी मुस्कुरा भी ना पाऊं।" और लावणी अपने दिल का हाल बताकर आज पहली अपनी दिल की सुनी और अराव के बाहों में वो कुछ सुकून सा मेहसूस करती उसी में खो गई।

कुछ देर बाद लावणी, अराव से अलग हुई और कहने लगी.. "मुझे तुम्हे साथ अभी घूमने की चाहत हो रही है। फिर क्या था, दोनों वहां से सैर सपाटे पर निकल गए और इधर जब साची को 2 क्लास समाप्त होने के उपरांत भी लावणी नहीं मिली तो उसे ढूंढ़ती वो कैंटीन जा पहुंची।

अपस्यु और साची के बीच कुछ देर खामोशी यूं ही छाई रही और इस खामोशी को अपस्यु तोड़ते हुए… "2 कप कॉफ लाना मुकेश।"

"मुझे कॉफी नही पीनी"… साची गुस्से में बोलने लगी, लेकिन कुछ ही देर में मुकेश ने 2 कॉफी लाकर, एक कप साची और एक कप अपस्यु के पास रख दिया। साची वहां बैठ कर बस लावणी का ही इंतजार कर रही थी और रहा रह कार उसे यहीं ख्याल अा रहा था कि ना जाने इसका भाई क्या कर रहा होगा मेरी बहन के साथ। लावणी तो नहीं आई लेकिन कॉफी जरूर अा गया। गुस्से में वो कॉफी अपस्यु के मुंह के ऊपर फेक दी और कहने लगी… "अपनी कॉफी रखो अपने पास।"

अपस्यु ने जब रुमाल से अपना चेहरा साफ किया तो उसका पूरा चेहरा लाल हो चुका था और छाले पर गए थे। "कभी कभी दिल गलत जगह लग जाता है।"… इतना कह कर अपस्यु कैंटीन से बाहर निकाल आया। अभी ये सीन चल ही रहा होता है की कैंटीन के गेट पर अपस्यु के सामने एक लड़की अाकर खड़ी हो जाती है और उसके चेहरे को देखती हुई कहने लगी… "तुम्हे जल्द ही ट्रीटमेंट कि जरूरत है वरना मुंह पर जलने का निशान रह जाएगा"..

अपस्यु:- "हम्म ! मैं जा ही रहा हूं ट्रीटमेंट करवाने, बॉस ने केस डिटेल भेजी है क्या?'
लड़की:- "हां सर ने पूरी डिटेल भेज दी है और कहा है कि 4 दिन बाद केस कि सुनवाई है, इसलिए 2 दिन में यदि डिटेल मिल जाति तो अच्छा रहता"…
अपस्यु:- "ठीक है, मैं कोशिश करूंगा 2 दिन में सारे डिटेल कलेक्ट करके सिन्हा साहब को पहुंचा दू"
लड़की:-"ये लो सर ने भिजवाया है"
अपस्यु:- "लेकिन शशि ये काम तो उनके हेल्प के बदले हेल्प थी, फिर सर ने पैसे क्यों भिजवाए"
शशि- "25% मेहनताना है 75% सर ने हेल्प वाले कोटा में काट लिया"
अपस्यु:- "ठीक है। सर को थैंक्स कहना।"
शशि:-"अरे सुनो, सर ने एक और संदेश भिजवाया है। आज रात फैमिली डिनर होटेल ताज पैलेस में।"
अपस्यु:- "हम्मम ! ठीक है हमलोग अा जाएंगे।"..

एडवोकेट सिन्हा की पीए ने अपस्यु से सिन्हा सर के संदेश को देकर वहां से निकल गई। जब वो अपस्यु को रोककर उससे बातें कर रही थी, तब साची जिज्ञासावश पीछे रुक कर सारी बातें सुनने लगी। एडवोकेट सिन्हा को कौन नहीं जानता था इसलिए उसे समझने में देर ना लगी कि अपस्यु सिन्हा साहब के लिए काम करता है। और जब अपस्यु ने ₹1000-₹1000 के 10 बंडल गीन कर रखे तब साची को उसके पैसे के इनकम के बारे में भी समझ में अा गया। 1 केस के डिटेल निकालने के ₹40 लाख रुपया मेहनताना।

अपस्यु, शशि से अपनी बात समाप्त कर वहां से निकलने लगा। साची का मन हुआ कि वो अपस्यु को रोक ले। लेकिन जितना वक़्त वो सोचने में निकाल दी, उतने वक़्त में तो अपस्यु उसके नजरों से ओझल हो गया। कैंटीन से लौटकर वो सीधा घर अा गया।

नंदनी जब उसका चेहरा देखी तो घबराकर वो बेचैन हो गई।…. "बेटा, क्या हुआ.. सोनू.. सोनू"

अपस्यु:- पूरी बात बताता हूं मां, लेकिन पहले इसका इलाज तो कर ले वरना तेरा बेटा का चेहरा परमानेंट जला हुआ दिखेगा।

नंदनी:- हां चलो डॉक्टर के पास चलते है।

"आप ही तो मेरी डॉक्टर हो, अब घबराना बंद करो और 2 मिनट के लिए आप यहां बैठो"… इतना कहकर, अपस्यु हॉल के उस हिस्से में गया जिसे कबाड़खाना कहा जाता था। हालांकि वो अब पूरा व्यवस्थित हो चुका था और उसे प्लाईबोर्ड से पूरा पार्टीशन करके अति सुंदर तरीके से घेर दिया गया था।

अपस्यु कुछ दुर्लभ जरीबुटी अंदर से निकाल लाया, जो गुरुजी अक्सर वहां के छात्रों के इलाज में इस्तमाल करते थे। अपस्यु ने उन जड़बुटी को हल्दी के साथ पीस कर घोल बनाए और लाकर नंदनी के हाथ में दे दिया।.. "लो मां इसे मेरे चेहरे पर लगा दो।"

"सोनू तू मुझे डरा रहा है। तू जानता है ना क्या इस्तमाल कर रहा है"… नंदनी परेशान होती पूछने लगी। लेकिन अपस्यु ने नंदनी को आश्वाशन दिया और जाकर गोद में लेट गया। नंदनी उसके चेहरे पर बड़ी सौम्यता से उस लेप को लगती हुई कहने लगी… "तुझ जैसे लोगों के लिए ही वो कहावत बनी है, नीम हकीम खतरे जान"….. "आप बेकार में घबरा रही हैं मां। वैसे तो मुझे जड़ीबुटी में जरा भी दिलचस्पी नहीं थी लेकिन गुरुजी ने इसे जीवन का मूल आधार बोल-बोल कर भेजे में घुसा दिया।"

"तेरे गुरुजी के किस्से मैं तो किसी दिन पूरा सुनूंगी लेकिन पहले मुझे ये बताओ की ये सब हुआ कैसे और झूट बोलने की जरा भी कोशिश मत करना।" तबतक नंदनी अपस्यु के चेहरे पर वो लेप लगा चुकी थी और अब वो उसके बालों में तेल लगाकर उसके सिर की धीरे-धीरे मालिश कर रही थी।

अपस्यु के मुंह से झूट नहीं निकाल पाया और उसने सब सच-सच बता दिया। नंदनी उसकी पूरी बात ध्यान से सुनती रही, और पूरा सुनने के बाद मुस्कुराती हुई बस धीमे से इतना ही कही… "बचपन का प्यार औे नादानियां".. अपस्यु को कब नींद आ गई उस पता भी ना चला। नंदनी उसके सिर के नीचे सिरहाना रखकर उसके मासूम से चेहरे को सुकून में सोते हुए देखने लगी। देखते-देखते कब उसके आखों से आशु छलक आए उसे भी पता ना चला।

दोपहर के 3.30 बजे तक कुंजल और अराव भी घर पहुंचे। नंदनी ने दरवाजे पर ही दोनों को शोर मचाने से मना कर दिया। इधर नंदनी काम में लग गई और उधर कुंजल और अराव ने मिलकर अपस्यु को उठा दिया।

अपस्यु:- क्या है यार, कितनी अच्छी नींद में सोया हुआ था।
कुंजल:- भाई तुम इस टैटू को परमानेंट करवा लो, बहुत मस्त दिख रहे हो। बिल्कुल उस सॉ मूवी के विलेन कि तरह।
अराव:- ना ना, अपस्यु को वो जोकर वाला लूक ज्यादा शूट करेगा। बैटमैन वाला।
अपस्यु:- बहुत ही गंदा जोक था जरा भी हसी नहीं आई। वैसे आज तू लावणी के साथ किधर रफूचक्कर हो गया था।
कुंजल:- कंग्रॅजुलेशन तो कह दो…
अपस्यु:- क्या बात कर रहे हो। सच में लड़के.. ये मैं क्या सुन रहा हूं?
अराव, थोड़ा शर्माते हुए… "हां सच सुना"…
अपस्यु और कुंजल एक साथ….. उफ्फ ये शर्माना…
कुंजल:- मुझे आज पार्टी चाहिए.. पब चलेंगे।
अराव:- भाई के साथ पब जाकर क्या करेगी।
अपस्यु:- सही कहा अराव ने।
कुंजल:- दोनों बात को घुमाओ मत। आज मुझे पब जाना है। एक सेलिब्रेशन तो बनती है।
अपस्यु:- हम्मम ! ठीक है मैं कुछ जुगाड करता हूं लेकिन एक शर्त है।
कुंजल:- क्या ?
अपस्यु:- यहीं की पब पहुंचने से पहले तक मैं बॉस हूं। उसके बाद फिर सब नॉर्मल।
कुंजल:- मुझे मंजूर है।
अराव:- मुझे नही.. पहले पूरी बात बताओ…
कुंजल:- कुछ ही देर की तो बात है और वैसे भी यही तो हमारा बॉस भी है।
अराव:- तुम समझ नहीं रही पागल।
कुंजल:- मुझे कुछ नहीं समझना, भाई हम दोनों राजी हैं।
अपस्यु:- तू काहे नहीं कुछ बोल रहा।
अराव:- पागल हो गई है ये.. हां ठीक है मैं भी तैयार हूं…

अपस्यु हड़बड़ा कर उठा और कहने लगा…. "बैग पैक करके रेडी कर" ..
"आज काम पर"…. अराव बोल ही रहा था कि अपस्यु ने उसे चुप कराया… "बॉस.. ने जो बोला, बस करो और हां आधे घंटे में हमलोग निकलेंगे"… अपस्यु की बात सुनकर अराव चुपचाप वहां से निकल गया। कुंजल भी तैयार होने चली गई। इधर अपस्यु नंदनी के पास पहुंचा..

"मां चलो तैयार हो जाओ, मेरे दोस्त के भय्या की शादी है वहीं चलना है"….अपस्यु नंदनी के हाथ से किताब लेकर नीचे रखते हुए कहने लगा.. लेकिन नंदनी ये कहते हुए बात को टाल गई… की वो उसके दोस्त की शादी में जाकर क्या करेगी। कोई पहचान वाला भी तो होना चाहिए तुम तीनो चले जाओ।…. अपस्यु का काम बन गया। बस थोड़ी सी जिद और किया, और सीधा चला आया अपने कमरे में।

वाशरूम जाकर उसने सबसे पहले अपना मुंह धोया। मुंह धो कर उसने अपना चेहरा बड़े गौर से आइने में देखा। चेहरे पर माध्यम लाल निशान अब भी थे। इस निशान को देखकर अपस्यु खुश हुआ और फिर जल्द ही अराव और कुंजल को लेकर वो सीधा पहुंच गया अपने तीसरे फ्लैट।
लावणी की बातों से जाहिर होता है कि उन्हें भी प्यार हो गया है लेकिन साची और अपश्यु का क्या होगा? साची ने आज गलत काम किया, मैं मानता हूं कि साची बहुत गुस्से में है लेकिन उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। अब देखते हैं कि अपश्यु क्या योजना बना रहा है।
हमेशा की तरह अपडेट बहुत अच्छा था,
 

Sanju@

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Update:-33(A)



वाशरूम जाकर उसने सबसे पहले अपना मुंह धोया। मुंह धो कर उसने अपना चेहरा बड़े गौर से आइने में देखा। चेहरे पर माध्यम लाल निशान अब भी थे। इस निशान को देखकर अपस्यु खुश हुआ और फिर जल्द ही अरा और कुंजल को लेकर वो सीधा पहुंच गया अपने तीसरे फ्लैट।

आरव:- अपस्यु मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि तुझे हुआ क्या है? कुंजन को साथ ले आया। व्हाट थे फॅक !!!

कुंजन:- भाई ये मोनू इतना रिएक्ट क्यों कर रहा है?

अपस्यु:- कुंजल, 5 मिनट हमे सुनो, कोई सवाल दिमाग में आए भी तो बस मन में रखना, ठीक…

कुंजल ने "हां" में अपना जवाब दिया… आरव फिर से पूछने लगा.... "तेरे दिमाग में चल क्या रहा है।"

अपस्यु, केस फाइल और वो 10 लाख वाला ब्रीफकेस खोलकर दिखाने लगा…. "2 हफ्ते पहले बात हुई थी सिन्हा जी से। ये है पूरा केस। "आर डी एंटरप्राइज" और "मेघा ग्रुप" के बीच 60 करोड़ एक प्रोजेक्ट कि पार्टनरशिप हुई थी 50-50 की। लेकिन एग्रीमेंट के पेपर में एक छोटा सा लूप था। "आर डी" वालों के लीगल सलाहकारों से चूक हो गई और अब उसका प्रॉफिट तो दूर की बात है, बेचारे का मूलधन भी बेईमानी होने के कगार पर है।

आरव:- हमे क्या करना है..
अपस्यु:- या तो 2000 के ब्लैंक स्टाम्प पेपर पर सिग्नेचर लेना है..
आरव:- ये तो संभव नहीं..
अपस्यु:- हां.. दूसरा ये की वो एग्रीमेंट के असली पेपर उड़ाने है।
आरव:- इस से उनका क्या फायदा होगा।
अपस्यु:- लॉ का मामला है अब इसपर मै क्या कहूं।
आरव:- कोई तीसरा ऑप्शन ना दिया।
अपस्यु:- दिया है ना.. उसकी बेटी से शादी करके जमाई बन जाऊं, और पेपर लाकर सिन्हा जी के हाथ में दे दू।
कुंजल:- ये सही ऑप्शन है।

"फिर उस बेचारी साची का क्या होगा"…... अराव अपनी बात कहते हुए अपना हाथ कुंजल के ओर बढ़ा दिया, कुंजल भी ताली देती हुई हसने लगी।

अपस्यु:- इधर .. इधर.. इधर ध्यान दो..
आरव:- ध्यान क्या देना है। भाई वो असल एग्रीमेंट के पेपर तू अभी प्लान करके 5 घंटे में उड़ा लेगा। कोई फिल्म चल रही है क्या? आज के आज ये काम कर पाना संभव नहीं।
अपस्यु:- तू सही कह रहा है, लेकिन मैं बिना होमवर्क के आऊंगा क्या?
आरव:- तेरी सारी बातें ठीक है.. लेकिन कुंजल को साथ लाना। मतलब मै इस बात पर कैसे रिएक्ट करूं मुझे कुछ समझ में नहीं अा रहा।

अपस्यु:- इसमें समझने जैसा क्या है हां। जरा गौर से देख इसके चेहरे को, कभी नोटिस किया है इसके हाउ-भाव… नहीं ना… तो पहले गौर से देख..

आरव:- इसमें नोटिस करने जैसा क्या है। बढ़िया मस्त लग रही है। हां थोड़ा झल्ली कि तरह है पर कुछ मेकअप और थोड़ा सा ये टॉमबॉय वाला लूक बदल ले तो लड़कों कि लाइन लग जाएगी…

अपस्यु:- और इसके काॅकेन के लत का क्या?

"क्या" चौंक देने वाला सच था, जब सामने आया तो दोनों हैरान थे… आरव ये सोचकर कि ये लड़की किस दलदल में घुस रही है और कुंजल इस बात से कि भाई को कैसे पता चला।

"किसी को हैरान होने ही जरुरत नहीं है, और तू ही तो कहता है ना आरव ये भाई नहीं मेरा बाप है… तो हां जिम्मेदारियों के मामले मैं तुम सब का बाप हूं और मुझे तुमलोग की खबर नहीं होगी तो किसे होगी"… अपस्यु ने बड़ी संजीदगी से अपनी बात रखी।

आरव क्या प्रतिक्रिया दे उसे कुछ समझ में ही नहीं अा रहा था। उसे बस अपने अंदर ये मेहसूस हो रहा था कि अंधेरे कुएं के अंदर है कुंजल, जहां से केवल उसकी आवाज़ ही अा रही लेकिन वो कहीं नजर नहीं आ रही। इधर कुंजल अचानक ही फुट फुट कर रोने लगी। उसे रोता देख दोनों भाई उसके पास पहुंच गए और उसे सांत्वना देते चुप करवाने लगे। .. "कुछ नहीं हुआ, अभी हम लोग हैं ना, सब देख लेंगे। रोते नहीं, चुप हो जा.. शांत.. कुछ नहीं हुआ"… कुछ देर बाद कुंजल खुद ही शांत हुई। उसके चेहरे पर मायूसी की शिकन थी और बातों में 0 दर्द….


"कुछ वक़्त की मार और कुछ नादानियां..
हमे कहां से कहां पहुंचा देती है…. "


"जानते हो भाई, पहले लगता था ये परिवार, घर सब बेईमानी होते है। रिश्ते-नाते सब एक दिखावा है, यहां किसी को किसी की चिंता नहीं। फिर तुम दोनों से मिली। दिल के अरमान को जैसे पंख लग गए। कुछ ही घंटे तो हुए थे और तुम दोनों का वो प्यार भी दिखा, जब एक ही दिन में हमारे लिए करोड़ों यूं बिछा दिए जैसे इनका कोई मोल नहीं।… मैं उसी शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के वाशरूम में ना जाने कितनी देर रोई।"
"इतनी महंगी अपनी सपोर्ट कार ऐसे दे दी, जैसे कोई साइकिल किसी को दे रहा हो.. मैं बिलख बिलख कर रोई। पहली बार ऐसा लग रहा था प्यार हो तो पैसे की कोई जरूरत नहीं।"
"मां अक्सर कहती थी, एक दिन जब तुम्हारे भाई तुमसे मिलेंगे तब तुम कहोगी की नहीं हमारे परिवार के लोग संगठित है। मैं उन्हें चिढ़कर जवाब देती… वैसे ही भाई ना, जिसने पैसे के लिए अपने भाई के साथ बेईमानी कर लिया। और फिर उस भाई की सच्चाई भी पता चली। खुद जो भी किया हो लेकिन उसके भाई पर कोई आंच ना आए इसलिए उसे धोका दिया, लेकिन उसके लिए वो सब करके गया जो उसका था.. और मैं पागल बिना सच्चाई जाने क्या क्या सोचती रही….

"मैं तो बस तुम दोनों के साथ यही सोचकर आने को राजी हुई थी कि यहां का सबकुछ समेट कर मैं मां के साथ कहीं दूर चली जाऊंगी। बस 2 घंटो में मुझे रोना परा और एक दिन बीतने के बाद पता चला कि यहां तो सबकुछ मेरा है और मैं अपने ही घर में चोरी के इरादे से अाई हूं। .. दिल किया वहीं छत से कूद जाऊं, लेकिन उसके लिए भी हिम्मत नहीं जुटा पाई क्योंकि तुम सबका मोह अा गया….. पता नहीं कि कब मेरी गंदी सोच ने मुझे इस नशे का आदि बना दिया और इस नशे को पालने के लिए मैंने इसे बेचकर ना जाने कितने को नशे का आदी बना दिया।"


गमगीन माहौल था.. तीनों की आखें भर अाई थी। अपस्यु और आरव ने कुछ पल यूं ही आशुओं के साथ बिताए फिर अपस्यु ने सबको शांत किया और कुंजल से एक-एक बात कि जानकारी लेने लगा… उसकी बात जब समाप्त हुई तब दोनों भाई के पास अब एक और काम अा चुका था.. अपनी बहन को उस ड्रग्स रैकेट से निकालना।

क्योंकि कुंजल जिसके लिए काम कर रही है उसका केवल इतना ही कहना था.. स्मार्ट सेलर को वो किसी कीमत पर छोड़ नहीं सकते। जितनी ड्रग्स उसे इस्तमाल करनी है करे लेकिन उसका काम यदि बंद किया तो बर्बाद करके मार डालेंगे….

अपस्यु:- अराव आज रात का काम निपटाने के बाद कल से फ़िरदौस पर काम शुरू करना है।
अराव:- तो क्या कुंजल को तुमने शामिल करने का सोच लिया है।
कुंजल:- अपने घर का काम है, मैं क्यों नहीं शामिल हो सकती।

अपस्यु:- हां बहुत सोच कर ही ये फैसला लिया है आरव। दर्द कि अभी कहानी ख़त्म कहां हुई है, इसके नफरत और सीने की जलन को भी तो एक वजह देनी होगी वरना ये भी कहीं घुट ना जाए।

कुंजल:- कौन सी नफरत, सारे गीले-सिकवे तो दूर हो गए हैं। सच्ची अब अंदर कोई भी नफरत नहीं बची।

अपस्यु:- और उस जलन का क्या जो तुझे उस रात रुला रही थी। "मेरे पापा को जिसने मारा"….. मैं नहीं चाहता कि तू इस गम में बिखर जाए, और फिर से कुछ गलत करने लगे।

अराव:- ठीक है समझ गया, आज से वो सामिल हुई। अब आज के काम पर ध्यान दे क्या?

"मैंने पता किया है। मेघा ग्रुप वाले का मालिक है जगदीश राय। दिखाने के लिए कॉन्ट्रैक्टर है लेकिन मुख्य धंधा बेटिंग का है।"… अपस्यु इतना बोल ही रहा था कि कुंजल बीच में बोलने लगी… "हां मै जानती हूं इसे। पुरानी दिल्ली में ये अंडरग्राउंड फाइटिंग करवाता है"..

अपस्यु, कुंजल को घूरने लगा और आरव उसे शांत रहने का इशारा किया…. "इसी का पाता लगाते - लगाते तो तुम्हारे बारे में पता चला कुंजल, अब ध्यान से सुनो। जगदीश राय अपने सारे डॉक्यूमेंट उसी अंडरग्राऊंड फाइट वाली लोकेशन पर रखता है। उसने वहीं फर्स्ट फ्लोर पर अपना एक केबिन बना रखा है और वहीं के सेफ में पड़ा है वो एग्रीमेंट।

अराव:- साला ये जगदीश तो फस गया…. स्मोक एंड डाउन ही होगा ना…

अपस्यु:- हां… वहीं करेंगे… कुंजल तेरे साथ रहेगी और वो तुम्हारी जमीदारी है।

शाम के तकरीबन 7 बजे अराव और कुंजल बीएमडब्लू से पुराने दिल्ली के ओर निकले। लोकेशन से कुछ दूर पीछे आरव ने अपनी कार लगाई और वहां से दोनों भाई बहन अपना-अपना बैग लेकर दूसरे कार में बैठ गए। कार में ही दोनों ने, खुद को ऊपर से लेकर नीचे तक मास्क किया, आखें ही भर दिख रही थी बाकी पूरा बदन ढाका था। ऐसा लग रहा था जैसे कोई "निंजा एसाशियन" अपने मिशन पर निकले हो।

दोनों उसी कार में बैठकर अपस्यु के कॉल का इंतजार कर रहे थे। लगभग 8.30 बजे अपस्यु का कॉल भी अा गया…. "मैं पिछली गली के बाहर हूं, और बिजली का पूरा कनेक्शन मेरे सामने है… कुंजल जानती है उनका पॉवर बैकअप स्टेशन.. तुम वहां का काम निपटाकर तुरंत कॉल करो।"

"एक्शन टाइम सीस, डर तो ना लग रहा।"…. "थोड़ा थोड़ा लग रहा है। ये सब पहली बार है ना ऊपर से तुम दोनों ने ऐसे प्लान वहां बताया की सब ऊपर से गया"..
Update:-33(B)



आरव:- कोई बात नहीं। तुम्हे बिल्कुल भी डरने कि जरूरत नहीं है। तुम बस बैकअप पॉवर स्टेशन कहां है वो मुझे बताकर गाड़ी में इंतजार करना। जब मैं कहूं "हो गया" तब तुम्हे सिर्फ इतना करना है कि कार को रेवर्स करके लेे आना और गली के बीचों-बीच लगा देना ताकि रास्ता ब्लॉक हो जाए।

कुंजल:- बस इतना ही..

अराव:- हां बस इतना ही.. और हां कार के अंदर ही बैठी रहना क्योंकि ये बुलेट प्रूफ है। कुछ भी हो जाए बाहर मत निकालना।

कुंजल को सारी बातें समझाते-समझाते, दोनों गली के दूसरे मोड़ पर पहुंच गए। आरव अपना बैग उठाया, और चल दिया बैकअप पॉवर स्टेशन के पास। वहां बस एक छोटी सी बाधा थी जिसे आरव क्लियर करते हुए अपस्यु से कहा… रेडी.. फिर 3, 2, 1,… इधर अपस्यु ने ट्रांसफार्मर में शॉर्ट शिर्कट किया उधर अराव ने बैकअप पॉवर स्टेशन कि बैंड बजा दिया।

अराव के इशारे पर कुंजल अपना काम करके बस इंतजार करने लगी। इधर अपस्यु भी गली के दूसरे मोड़ को वहीं की एक कार से ब्लॉक करके, उसमें धमाका किया। दोनों भाई ने चेहरे पर मस्क लगाया और बाहर चारो ओर धुआं ही धुआं।

सब प्लान के मुताबिक हो रहा था। पॉवर कट और उसके 2 मिनट में ही बाहर का रास्ता ब्लॉक करके चारो ओर धुआं करना।.. अब दोनों भाई दरवाजे पर बैठकर उसके खुलने का इंतजार करने लगे।

जैसा कि उन्हें पता था, कुछ लोग पॉवर सप्लाई चेक करने बाहर अा रहे होंगे.. जैसे ही दरवाजा खुला… दोनों भाई स्मोक बॉम्ब लेे कर तैयार थे। जब उन्होंने दरवाजा खोला तो बाहर पूरा अंधेरा कोहरा जैसा लगा, जिसमें उनकी टॉर्च और फ़्लैश लाइट कोई काम कि नहीं थी।

खतरे का अंदाजा होते ही वो लोग दरवाजा बंद करने लगे लेकिन धुएं और अंधेरे की आड़ में दोनों भाई अंदर घुस चुके थे और जिन-जिन के हाथो की टॉर्च लाइट जल रही थी। सबको अंधेरे में "वन लास्ट शॉट" पड़ रहे थे। बिल्कुल साधा हुआ निशाने के साथ, कान के ठीक नीचे एक जोरदार प्रहार और बस एक चींख निकल कर आवाज़ दब जाती।

दोनों भाई एक-एक कदम बढ़ रहे थे और एक-एक स्मोक बॉम्ब डालते आगे बढ़ रहे थे। टॉर्च जला कर लोग देखने कि कोशिश तो कर रहे थे लेकिन एक इंच आगे देखने में भी परेशानी हो रही थी, गोली किसपर चलाते। और बस चंद सेकेंड का ही मोहलत होता, उसके बाद तो धुएं कि चपेट में आने वाले बेहोश होकर गिर रहे थे।

काम जैसा सोचा ठीक वैसा ही हुआ और दोनों भाई वहां से एग्रीमेंट की फाइल उड़ाने में कामयाब हो गए। एग्रीमेंट के पेपर हाथ में आते ही अराव ने अपस्यु को वहां से निकलने के लिए खिंचा। लेकिन एग्रीमेंट ढूंढ़ने के चक्कर में अपस्यु के हाथ एक कमाल कि डायरी लग गई। अपस्यु कुछ देर रुकने का संकेत दिया और उस डायरी के सारे पन्नों को अपने मोबाइल के कमरे में पैक कर लिया।

काम होते ही निकालने का इशारा मिला। इस्तमाल हुई गाडियां अलग अलग मेट्रो स्टेशन के पार्किंग में लगाकर आरव और अपस्यु मेट्रो से होटल ताज पैलेस के पास पहुंचे वही कुंजल बीएमडब्लू को लेकर होटल ताज पैलेस पहुंच गई।

तीनों ताज के बाहर मिले और वहीं से फिर अंदर सिन्हा जी के फैमिली डिनर पार्टी पर चले गए। एक पूरा हॉल एरिया ही बुक था जहां कुछ और गेस्ट भी थे। अपस्यु को देखकर सिन्हा जी अपने एक गेस्ट को छोड़कर उससे मिलने चले गए।

सिन्हा:- कातिल दिखने लगे हो तुम तो। यहां की लड़कियों का आकर्षण तुम ही हो। अपस्यु:- अरे अरे अरे… सर जी हुआ क्या है…

"हेल्लो हैंडसम, कहां रहते हो आजकल, कोई मुलाकात ही नहीं। डैड बता रहे थे कि तुम दिल्ली शिफ्ट हो गए"… पीछे से सिन्हा जी की बेटी "ऐमी" अपनी बात कहती वहीं खड़ी हो गई।

अपस्यु और सिन्हा जी के बीच कुछ नजरों का इशारा हुआ और अपस्यु, आरव की ओर देखने लगा…. "तुम दोनों बातें करो मैं आया".. और इतना कहकर सिन्हा जी आरव और कुंजल के पास पहुंच गए।.. इधर अपस्यु, ऐमी को हां में जवाब देकर इधर- उधर देखने लगा..

ऐमी:- दिल्ली आए फिर भी कोई मुलाकात नहीं।
अपस्यु:- थोड़ा व्यस्त चल रहा था ऐमी इसलिए नहीं मिल पाया। अब तो यहीं हूं मुलाकात होते रहेगी। वैसे मैंने सुना था तुम यूएस जा रही थी वो क्या करने..
ऐमी:- बैचलर इन म्यूजिक
अपस्यु:- हां वही।
ऐमी:- नहीं जा सकी यार। डैड ने कहा म्यूजिक ही सीखना है तो यहीं सीख लो। यूएस घूमने के लिए तुम्हे वहां पढ़ने कि क्या जरूरत है.. जाओ जितने दिन तक मन हो घूम आओ..
अपस्यु:- गई थी फिर घूमने..
ऐमी:- येस.. 2 महीने का यूरोप टूर और 1 मंथ का यूएस.. लास वेगास क्या जगह है यार.. मज़ा आ गया।
अपस्यु:- तो पापा को बोलकर वहीं सैटल हो जाना था ना।
ऐमी:- नाइट लाइफ ही बढ़िया है। डे लाइफ तो बोरिंग है यार। वहां की लाइफ में वो थ्रिल और एडवेंचर नहीं जो यहां की लाइफ में है। हां घूमने के लिए मस्त जगह है पर रहने के लिए… अपने इंडिया से बेस्ट कोई जगह नहीं।
"क्या बातें हो रही है तुम दोनों में"… सिन्हा जी काम निपटाकर उनके बीच पहुंचे..
ऐमी:- कुछ नहीं डैड वो वर्ल्ड टूर वाली बातें चल रही थी...
अपस्यु:- ठीक है ऐमी, सर, अब मैं चलता हूं।
ऐमी:- डैड ये अपस्यु कितना बदल गया है ना.. पहले पार्टी खत्म होने तक रुकता था.. आज आया और जा रहा है।
सिन्हा जी:- कोई काम होगा बेटा, इसलिए जा रहा है।

अपस्यु ने फिर ज्यादा बातें नहीं बनाया और वहां से दोनों को अलविदा कहकर तीनों भाई बहन निकल गए। तीनों अपने कार में सवार होकर तेज म्यूजिक बजाया और कार अपनी रफ्तार से निकाल पड़ी "किट्टी सु" पब।

पब के अंदर पहुंचते ही तीनों बार काउंटर पर पहुंचे.. सब कुछ भूल कर मस्ती में 4 टकीला शॉट लगाया और डीजे की धुन पर थिरकने लगे। अपस्यु थोड़ी देर नाचने के बाद बार काउंटर पर बैठ गया और कॉकटेल का आंनद लेते दोनों को मस्ती में नाचते हुए देखने लगा। उन्हें नाचते देख अपस्यु मुस्कुरा भी रहा था और कॉकटेल का मज़ा भी लेे रहा था।

तीनों ने वहां खूब मस्ती की, पार्टी रात के 11:30 बजे तक चली उसके बाद तीनों वापस से फ्लैट पहुंचे। आरव और कुंजल कुछ ज्यादा ही पी लिए थे इसलिए वो दोनो आते ही सो गए और अपस्यु खिड़की के बाहर झांक कर सहर की रौशनी को देख रहा था।

"छपाक- छपाक"… श्वंस अंदर ही अटकी राह गई और आरव और कुंजल चौकते हुए उठकर बैठ गए।

"पास में नींबू पानी रखा है, पियो और जल्दी से रेडी हो जाओ"… अपस्यु ने दोनों को जगाते हुए कहा। आधे घंटे बाद दोनों तैयार होकर आए तब तक दोनों का नाश्ता भी लग चुका था। ..

अपस्यु:- मैंने कल रात सोच लिया..
अराव:- क्या सोच लिया..
अपस्यु:- कुंजल रिहैब सेंटर जाएगी।
कुंजल:- भाई नहीं.. प्लीज.. देखो कल रात मैंने कहां कुछ भी लिया।
अपस्यु:- एक बार का नशेड़ी हमेशा का नशेड़ी
कुंजल:- जी नहीं … मैं एडिक्ट नहीं हूं।
आरव:- प्रूफ करो।
कुंजल:- कैसे प्रूफ करना होगा।
अपस्यु:- 15 दिन रोज सुबह ब्लड टेस्ट…
कुंजल:- ठीक है मुझे मंजूर है।

"चलो फिर बैग पैक करो। और हां मां को आज मैं चिल्ड्रंस केयर घुमाने ले जा रहा हूं, तो जबतक हम लौटे, कुंजल को सभी बुनियादी बातें बताकर ट्रेनिंग का आइडिया दे देना। कल सुबह से इसकी ट्रेनिंग शुरू होगी।"… अपस्यु अपना बैग पैक करते हुए बोला।

सुबह के तकरीबन 11 बज रहे थे। नंदनी और अपस्यु दोनों सुनंदा चिल्ड्रंस केयर पहुंचे। जैसे ही अपस्यु वहां के कैंपस में पहुंचा सभी दौड़े चले आए।.... अपस्यु उनके साथ थोड़ी देर तक बात किया फिर नंदनी को लेकर वहां की सारी व्यवस्था दिखाने लगा। वहां रहने वाले सभी बच्चे नंदनी को अपना-अपना कमरा दिखाने लगे। वहां उनका रहन-सहन देखकर नंदनी काफी खुश हुई।

सबके कमरे घूमने के बाद अपस्यु जैसे ही गैलरी में आया.. सामने से वैभव दौड़ता हुआ आया और अाकर सीधा नीचे बैठ गया। उसे देखते ही अपस्यु मुस्कुराने लगा और खुद तो बैठा ही साथ में नंदनी को भी बैठने का इशारा किया..

वैभव:- भैय्या… (थोड़ा सांस लिया)… भैय्या… (फिर सांस लिया)
अपस्यु:- रुक जा बाबा.. पहले पूरा सांस लेले फिर बोल…
"इक मिनट".. बोलकर वैभव अपने सीने पर हाथ रखकर अपनी सासें सामान्य करते हुए… "भैय्या यहां मन नहीं लगता है। बस स्कूल से कैंपस और कैंपस से स्कूल होता रहता है। यहां तो कहीं बाहर भी नहीं जा सकते और तो और इतना बड़ा ग्राउंड भी नहीं है कि खेल सकते है।"

अपस्यु:- बाप रे इतनी ज्यादा प्रॉबलम।
वैभव:- और नहीं तो क्या? अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम तो खेलना ही भूल जाएंगे।
अपस्यु:- आप इनसे मिले.. ये देखिए मेरी मां अाई हैं।
विभव:- मां .. वो जो आप ने उस दिन फिल्म में दिखाया था वैसा ही ना।
नंदनी:- इधर अा जाओ… मै यहां नहीं थी ना इसलिए आपने फिल्मों में ही मां को देखा है। अब मै अा गई हूं ना तो आप को मां कहीं और ढूंढनी नहीं पड़ेगी।
वैभव:- सच्ची में…
नंदनी:- हां बिल्कुल सच्ची।

वैभव ने नंदनी के गालों पर किस किया और वो फिर से भाग गया खेलने के लिए। नंदनी, वैभव को सुनकर काफी खुश हुई फिर वहां से दोनों आफिस में पहुंचे… वहां के सारे स्टाफ और सुपरवाइजर से मिलने के बाद दोनों शाम के 6 बजे तक लौट आए।

नंदनी बहुत खुश नजर आ रही थी। वो अपने सभी बच्चों के साथ बैठकर चिल्ड्रंस केयर का अपना अनुभव साझा करने लगी। अपस्यु और आरव भी वहां के कुछ खट्टे-मीठे यादें साझा करने लगे। रविवार का खुशहाल परिवारिक माहौल चलता रहा और सब बैठकर एक दूसरे की खिचाई और बातचीत में मशगूल थे।

परिवार के साथ वक़्त कैसे बीता पता भी नहीं चला। बात करते-करते शाम गुजर गई और बात करते-करते सभी सो भी गए, किंतु अपस्यु अब भी जाग रहा था। अपनी सोच में डूबा वो देर रात 2 बजे बालकनी से फिर से वो झरोखा एक बार देखा… उसके चेहरे पर एक संतोषजनक मुस्कान थी और चंद दिल के अल्फ़ाज़…


रूप आकर्षण में जो मोह गया मन
सो प्रेम परिभाषित कहां से होय ।
हृदय संग जो प्रीत का मेल भय

फिर रूप मोह रहा ना कोय ।।

(जो किसी के रूप को देख कर आकर्षित हो जाए, उसे सच्चे प्रेम की कल्पना नहीं करनी चाहिए। और जहां दिल से दिल मिल जाते हैं, फिर रूप रंग कोई मायने नहीं रखत
अब जबकि मैं इस नए मामले के बारे में ठीक से समझ गया हूँ, ? काम मुश्किल है लेकिन मुझे उम्मीद है कि ये तीनों मिलकर इसे पूरा करेंगे। ?
कुंजल के मन का दर्द और वह जो चाहती थी, वह भी सामने आ गया था, लेकिन कुंजल ड्रग्स रैकेट में फंसी है, यह आश्चर्य की बात है और उसके व्यवहार से कभी ऐसा नहीं लगा कि वह यह सब करती है।
सभी ने मिलकर बहुत ही सटीक तरीके से काम किया और यह मिशन भी पूरा हुआ, पहले तो मुझे लगा कि इस काम में कुछ दिक्कतें आएंगी, लेकिन अपडेट पढ़ने से ऐसा लगता है कि यह काम बहुत आसान था।
कहानी में एक नया किरदार आया है एमी। अपश्यु और आरव एमी से मिलकर खुश क्यों नहीं हैं। खैर, देखते हैं कि उसकी भूमिका क्या है।
फंड बच्चों की देखभाल के लिए दिया जा रह है, यह अच्छी बात है
डायरी में ऐसा क्या था कि अपश्यु ने मोबाइल पर तस्वीरें खींची? बालकनी से अपस्यु चांद को देख रहा है।
 

Sanju@

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अपस्यु देर रात 2 बजे बालकनी से आखरी बार फिर वो झरोखा एक बार देखा… उसके चेहरे पर एक संतोषजनक मुस्कान थी और चंद दिल के अल्फ़ाज़…


रूप आकर्षण में जो मोह गया मन
सो प्रेम परिभाषित कहां से होय ।
हृदय संग जो प्रीत का मेल भय

फिर रूप मोह रहा ना कोय ।।


सुबह खामोश थी और अपस्यु के चेहरे पर खुशी की मुस्कान। लगभग 4 बजे अपस्यु ने आरव और कुंजल को उठाया। कुंजल नकीयाते उठी, आखें बंद और शरीर मारा हुआ। जबरदस्ती उठाने का नतीजा यह हुआ कि कुंजल कभी इस दीवार पर टिक कर सोती तो कभी उस दीवार पर। सुबह 4 से 6 के वर्कआउट में वो 12 बार सोई होगी। 8 बार पानी पी होगी और 5-6 बार बाथरूम गई।

इतनी मेहनत करनी होगी उसने कभी सोचा ना था। तीनों जल्दी से तैयार हो गए कॉलेज के लिए। आरव और कुंजल कार से निकले। अपस्यु भी पीछे से निकालने ही वाला था कि उसे नंदनी ने रोक लिया।

नंदनी उसे रोकती उसके चेहरे को गौर से देखने लगी…. "हल्का हल्का निशान अब भी है"… "कल तक ठीक हो जाएगा मां" .. और उनके गालों पे किस करता हुए कॉलेज को निकला।

साहित्य की पहली क्लास और अपस्यु के पसंदीदा कवि प्रेमचंद जी की चर्चा चल रही थी। अपस्यु उसकी एक कविता में खोता चला गया। तभी उसके इस प्यारे से विषय में खलल डालती साची ने एक छोटा सा नोट लिख कर बढ़ा दिया… "तुमसे बात करनी है"… अपस्यु ने उस पत्री को एक नजर देखा और फिर जवाब में लिख दिया… "ठीक है क्लास के बाद".. इतना लिख, फिर से अपस्यु कवि की उस कल्पना में डूब गया जिसका वर्णन इस वक़्त प्रोफेसर कर रही थी।

अपस्यु बहुत ही प्रभावित हुआ अपने प्रोफेसर से और जैसे ही क्लास समाप्त हुई वो भागकर उनके पास पहुंचा…. "नमस्ते गुरुवी, मैं अपस्यु हूं"

प्रोफेसर:- तुम वहीं नटखट बालक हो ना जो मेरी कक्षा में दूसरा या तीसरा दिन उपस्थित है?
अपस्यु:- क्षमा कीजिए गुरूवी। लेकिन साहित्य के ऊपर आप को सुनने के बाद अब मुझे अफसोस हो रहा है कि मैं आप की कक्षा कैसे छोड़ सकता हूं।
प्रोफेसर:- मुझे रिझाने कि कोशिश की जा रही है क्यों..
अपस्यु:- नहीं मैंने सरल तरीके से अपनी बात रखी है।
प्रोफेसर:- अच्छा है। कक्षा में अब से उपस्थित रहना।
अपस्यु:- जी गुरूवी। अब आज्ञा चाहूंगा।..

प्रभावित हुए प्रोफेसर से बात करने के बाद अपस्यु, साची से मिलने कैंटीन के ओर चला जा रहा था, तभी रास्ते में ही साची उसे रोकती हुई कहने लगी… "कैंटीन में बहुत भीड़ है, कहीं और चलते है।"

अपस्यु मुस्कुराते हुए प्रतिक्रिया दिया और प्यार से पूछा… "तो कहां चलना है।".... साची बिना कोई भाव प्रकट किए हुए उसे कॉलेज के बाहर उसी कैंटीन में चलने के लिए बोली जहां ये दोनों पहली मुलाकात में रुके थे।

अपस्यु और साची दोनों आमने-सामने बैठे थे। साची का चेहरा जहां कोई भाव व्यक्त नहीं कर रहा था वहीं अपस्यु का हंसमुख चेहरा था… कुछ देर के खमशी के बाद… "तो…"

अपस्यु:- जी मै समझा नहीं।
साची:- तुम्हे कुछ नहीं कहना।
अपस्यु:- मुझे किस विषय में क्या कहना था साची।
साची:- वही जो तुमने किया।
अपस्यु:- मुझे याद नहीं अा रहा मैंने क्या किया? जरा प्रकाश तो डाल दीजिए विषय पर।
साची:- वहीं मुझसे झूट क्यों बोला?
अपस्यु:- मुझे नहीं लगता कि मैंने कोई झूट तुमसे कहा होगा। क्योंकि झूट कहने की कोई तो वजह चाहिए। लेकिन यदि तुम्हे ऐसा लगता है कि मैंने कोई झूट बोला है तो अभी बताओ।
साची:- झूठ नहीं कहा कि तुम अनाथ हो।
अपस्यु:- पहली बात तो ये की मैंने ऐसा कभी नही कहा।… (साची बीच में कुछ बोलने कि कोशिश की, तब अपस्यु अपना हाथ दिखाते) .. पहले पूरा सुनो.. मैंने कभी ऐसा नहीं कहा लेकिन यदि तुमने ऐसा सुना भी होगा तो भी ये सच था, उस समय मैं अनाथ था अब नहीं हूं।
साची:- तो क्या रातों रात आसमन से सब उतर आए?
अपस्यु:- मैंने जवाब विनम्र होकर और शालीनता के साथ दी है। मैं चाहूंगा तुम भी शब्दों कि मर्यादा को उल्लांघित ना करो। फिर से प्रश्न पूछो।
साची:- जब तुम अनाथ थे तो तुम्हारा परिवार कहां से आया।
अपस्यु:- मेरे और मेरे अंकल के बीच कुछ आंतरिक मामला था सुलझ गया सो अब मेरे पास मेरा परिवार है। यहां पर ना मैं झूटा हूं और ना वो जिसने तुम्हे ये बताया। बस तुम बेवकूफ हो। और कोई शंका है मन में।
साची:- अच्छा तो मैं बेवकूफ हो गई और तुम झूठे नहीं हो। तो फिर ये बताओ कि तुम्हारी आमदनी जब 50-60 हजार है महीने की तो फिर वो करोड़ों की कार कहां से आई।
अपस्यु:- एक बात बताओ तुम्हारे बेईमान बाप और चाचा के पास इतने पैसे कहां से आते हैं जो हर महीने अपने बेटो को $10K USD भेजते है।
साची:- how dare you..

अपस्यु:- अपनी जगह बैठ जाओ, क्योंकि ना तो मुझ से तेज चिल्ला सकती हो और ना ही मुझ से ज्यादा तेवर तुम्हारे पास होगा। अब ध्यान से सुनो, तुमने भी मेरी बहन और भाई के सामने इतने ही प्यारे-प्यारे शब्द कहे थे, शुक्र करो मैंने तुम्हे यहां अकेले में कहा। जब तुम्हारे नौकर पेषा अभिभावक अपनी 80-90 हजार की सैलरी में से 70 हजार रुपया तुम्हारे भाई को भेज कर भी इतना कुछ बना चुके हैं तो मैं तो फिर भी एक अरबपति का बेटा रहा हूं। सबकुछ लूट जाने के बाद ये मेरी गरीबी की अवस्था है। 2 करोड़ सालाना देकर तो मैं एक अनाथालय चला रहा हूं फिर मेरे लिए लंबोर्गिनी कौन सी बड़ी बात है आज रोल्स रॉयस घर के आगे खड़ी कर दूं। लेकिन फिर भी देखो, तुम्हारी बदतमीजी का जवाब यहां मै मुस्कुरा कर दे रहा हूं और तुम सभी लोगों के सामने मुझे बेज्जत करने के बाद भी अकड़ कर सवाल पूछ रही हो।

साची:- नहीं .. वो .. मुझे माफ़ कर दो प्लीज।
अपस्यु:- दिल में बैर होता तो आराम से यहां बैठकर बात नहीं कर रहा होता।
साची मुस्कुराती हुई…. "मैं भी ना पूरे बेवकूफ ही थी। मुझे अपने किए पर बहुत पछतावा हो रहा है। सो सबकुछ भूलकर आज से हम दोस्त"….

अपस्यु:- तुम्हे हमेशा दोस्त बनाने की बड़ी जल्दी रहती है। अभी के लिए हम क्लासमेट ही अच्छे हैं। वैसे इतनी बातें हो ही गई है तो मैं एक बात कहता चलूं, किसी करीबी पर तुम्हे हक, गुस्सा और अपना बेवकूफी दिखाना हो ना तो उसे अकेले में दिखाओ, किसी के परिवार के सामने किसी की बेज्जाति करना एक अपराध के समान है, दोबारा ये भूल किसी और के साथ मत करना। शायद उसे या उसके किसी परिवार के सदस्य में हमारे परिवार जितना संस्कार ना हो।

साची का मुंह एकदम छोटा पड़ गया। वो पीछे से कुछ बोली लेकिन अपस्यु उसे अनसुना करके गीत गुनगुनाते हुए निकल गया। बातों के दौरान ही उसके दूसरे क्लास का वक़्त हो गया था, लेकिन उसे इस क्लास में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं थी इसलिए अपस्यु कुंजल के क्लास में जाकर बैठा।

आज उस बेंच पर फिर से विन्नी और क्रिश बैठे मिले। अपस्यु को देखते ही वो उठकर जाने लगे, लेकिन इसबार अपस्यु उन्हें रोक लिया और चारो वहीं बैठ गए। क्लास के दौरान अपस्यु ने विन्नी और क्रिश को सॉरी का एक नोट लिखकर दिया , जिसके नीचे बड़ा सा स्माइली बना था।

विन्नी ने उस चिट को देखा और बिना कोई प्रतिक्रिया के उसे नीचे फेक दी। अपस्यु ने एक बार और पुनः प्रयास किया लेकिन इस बार सॉरी और स्माइली के साथ-साथ नीचे एक नोट भी लिखा था… "इस बार दोनों ने करेले जैसी शक्ल वाली प्रतिक्रिया दी, तो जोर से चिल्लाते हुए दंडवत माफी मांग लूंगा।"

इस बार विन्नी और क्रिश दोनों हंस दिए और उसकी ओर देखकर कहने लगे .. "माफ़ किया".. दोनों अपने पढ़ाई में लग गए और इधर अपस्यु कुंजल को
परेशान करने लगा। एक तो आज उसकी नींद पूरी न हुई थी ऊपर से अपस्यु का तंग करना, वो पूरा चिढ़ गई।

लेकिन अभी तो ये करेला ही था इसपर नीम चढ़ना बाकी था। पीछे से 5 मिनट बाद आरव भी वहीं चला आया। इस बार अराव को देखकर विन्नी और क्रिश इशारों में पूछे "अब".. दोनों भाई एक साथ हाथ जोड़ कर विनती करने लगे.. "प्लीज".. दोनों भाइयों का बदला रूप देख कर विन्नी और क्रिश ने जाते-जाते एक नोट छोड़ा… "क्लास के बाद कैंटीन में मिलना"…

इधर वो दोनो गए इधर एक साइड आरव तो दूसरे साइड अपस्यु.. अब चढ़ गया था करेले पर नीम। कुंजल के पास कभी इधर से नोट्स अा रहे थे तो कभी उधर से। अंत में हार कर बेचारी ने अपने किताब कॉपी को बंद किया, पैर को मोड़ कर टेबल पर रखी और अपना सिर घुटनों पर टिका कर आराम से बैठ गई।

क्लास खत्म होने के बाद तीनों कैंटीन पहुंचे जहां उनकी मुलाकात क्रिश और विन्नी से हुई। दोनों भाई ने यहां पर उस दिन के लिए माफी मांगी। उसके बाद कुछ ट्रीट और फ्रेंड्स एंड फैमिली टाइम।

वक़्त अच्छा बीत रहा था। सुबह ट्रेनिंग दिन में कॉलेज लौटकर आए तो कुछ घूमना टहलना और रात को परिवार के साथ बात करते करते सो जाना। हालांकि अराव की एक्स्ट्रा ड्यूटी लावणी के साथ बात करने की भी थी, सो वो पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ रोज रात के 2 बजे तक पूरा करता था।

वैसे अराव का देर रात तक जागना और सुबह जल्दी उठ जाने के कारण उसके आदत में भी कुंजल की तरह ही बदलाव अा चुका था.. कॉलेज से लौटकर बैग पटके और सीधा बिस्तर पर जाकर खुद भी बिछ गए।

इसी दौरान कॉलेज में साची से मुलाकात भी होती रही। ऐसा नहीं था कि दिल में कोई बैर की भावना से उसे देखना या उससे नफरत जैसी कोई फीलिंग थी। बस वो आम सहपाठियों की तरह ही एक सहपाठी थी जिससे हंस कर मिलना और थोड़ी सी बातचीत बस।

लगभग 10 दिन बीतने को आए थे। यूं तो हर बीता हुआ दिन कुंजल के लिए भारी पर रहा था। लेकिन दसवां दिन आते-आते, नशे कि वो अशिम पिरा, अपने पूर्ण चरम पर थी। कुंजल का व्यवहार बिल्कुल पागलों जैसा हो चला था और अब नौबत ये अा चुकी थी कि जल्द ही कुंजल के लिए कुछ नहीं किया गया तो उसके हालत का ज्ञान मां को भी हो जाएगा और उसकी मानसिक संतुलन भी पूरी तरह बिगड़ सकती है…

सुबह 4 बजे जबसे वो उठी, ट्रेनिंग एरिया में उसे देखकर अपस्यु और अराव के दिमाग काम करना बंद कर चुका था। और बस कुछ ही देर की बात थी जब मां भी जाग जाती और उन्हें भी सबकुछ पता चल जाता।
कवि प्रेमचंद जी बहुत अच्छे उपन्यासकार, कहानीकार और विचारक थे,
अपश्यु के समझने पर और अपने तर्क देने पर साची संतुष्ट है और उसकी गलतफहमी दूर हो गई है, बस। दोनों के बीच बातें शुरू हो गई हैं, धीरे-धीरे सब कुछ हो जाएगा। मैं अपश्यु और साची के बीच प्यार देखना चाहता हूं।
यह अच्छी बात है कि विन्नी कृष और अपश्यु दोस्त बन गए। कुंजाल की हालत बहुत खराब है, उसे डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए, शायद मदद मिल जाए देखते हैं आगे क्या करता है अपश्यु
 

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सुबह 4 बजे जबसे वो उठी, ट्रेनिंग एरिया में उसे देखकर अपस्यु और अराव के दिमाग काम करना बंद कर चुका था। और बस कुछ ही देर की बात थी जब मां भी जाग जाती और उन्हें भी सबकुछ पता चल जाता।

आरव:- अपस्यु, कुछ कर भाई, इसकी हालत मुझ से देखी नहीं जा रही।
कुंजल:- फ़िक्र मत करोओ ओ…… (इतना बोलते बोलते कुंजल धाराम से गिर गई)
"अपस्यु… अपस्यु"… आरव कुंजल को पकड़ कर चिल्लाने लगा… "शांत.. आरव, मां को पता चल जाएगा। चल हॉस्पिटल चलते हैं।"

कुछ इंजेक्शन और स्लाइन की बॉटल चढ़ाने के बाद डॉक्टर साहब दोनों भाई के पास पहुंचे…. "कब से ड्रग्स लेे रही थी"..

अपस्यु:- पता नहीं सर, कोई कॉम्प्लिकेशन तो नहीं है।

डॉक्टर:- वो मैं अभी नहीं बता सकता, पेशेंट की कंडीशन जब स्टेबल होगी तभी कुछ कहा जा सकता है। फिलहाल तो मुझे ये जानकारी चाहिए कि ये कितने दिनों से ड्रग्स लेे रही थी।

अपस्यु:- कुछ कह नहीं सकते सर कब से लेे रही, बस हमे भी 10 दिनों से पता है। लेकिन इसने 10 दिनों में ड्रग्स को हाथ तक नहीं लगाई।

डॉक्टर:- हां जानता हूं। ब्लड में ड्रग्स की कोई मात्रा नहीं है और इसका दिमाग उस ड्रग्स की मांग कर रहा है। पूरा सीएनएस (सेंट्रल नरवस सिस्टम्स) पर बहुत ही बुरा असर पड़ा है।..

डॉक्टर साहब अपनी बात कहकर चले गए और दोनों भाई कुंजल के बेड के पास बैठकर उसका हाथ थामे चेहरे को देख रहे थे…. थोड़ी देर में नंदनी भी हॉस्पिटल पहुंच गई। दोनों भाई अब भी कुंजल का हाथ थामे बस उसी को देख रहे थे। इसी बीच नंदनी वार्ड में पहुंची। काफी गुस्से में लग रही थी और आते ही अपस्यु को 2 थप्पड खींचकर लगाई।…. "मर जाने देते, इसको हॉस्पिटल क्यों लेकर आए".. नंदनी चिल्लाते हुए बोलने लगी।

अपस्यु, नंदनी को खुद में समेट कर…. "शांत हो जाओ मां, कुछ नहीं हुआ .. शांत। आप यहां आराम से बैठ जाओ" … नंदनी वहीं चेयर पर बैठ गई, अराव ने उसे तुरंत पानी पिलाते हुए कहने लगा…. "बच्चे ही तो हैं, गलती हो जाती है, और कुंजल ने तो सबकुछ छोड़ दिया है तब उसे हॉस्पिटल आना पड़ा है। ऐसे वक़्त में आप उसे हौसला नहीं देगी तो वो अपने इस बुरे लत को कैसे छोड़ पाएगी"..

अपस्यु:- आरव सही कह रहा है मां। आप मुस्कुराओ और मुस्कुरा कर कुंजल की हिम्मत बढ़ाओ।

नंदनी:- एक शब्द भी नहीं। चुप !! इसकी वजह से पुलिस घर तक अाकर गई है और सबके सामने उन्होंने जो अपशब्द कहे। और फिर ये इसके फोन पर कैसे कैसे कॉल अा रहे है। कितनी गंदी-गंदी गालियां दे रहे है, और तो और मुझ से कह रहे हैं आज तेरी बेटी को मशहूर कर दूंगा। इसकी ऐसी ऐसी तस्वीर भेजी है कि मन तो कर रहा है अभी गला घोंटा दू।

अपस्यु वहीं कुछ देर बैठा रहा। केवल इस बात पर जोड़ देकर समझता रहा की "आज कल हैक के जरिए बहुत सी लड़कियों को फसाया जा रहा है। इसके लिए बहुत से कानून बने हैं.. और अगर कोई चोरी से हमारे घर की लड़की की तस्वीर वायरल कर रहा है तो हमे चोर को पकड़ना चाहिए या फिर जिसके साथ बुरा हो रहा हो उसी का गला घोंटा देना, कहां तक की समझदारी है।"..

अपस्यु को सुनने के बाद नंदनी का गुस्सा थोड़ा शांत हुआ लेकिन कलेजे में आग अब भी लगी थी….. "मैं नहीं जानती की तू क्या करेगा लेकिन ऐसी तस्वीरें अगर वायरल हुई तो मैं आत्महत्या कर लूंगी"

"आप चिंता मत कीजिए, कुंजल के जागने से पहले मैं सरा मामला निपटा लूंगा। अराव मां के पास तू रुक"… अराव भी चार कदम साथ चला, "मैं भी चल रहा हूं तेरे साथ"…………... "नहीं इस वक़्त हम में से एक का यहां रहना यहां जरूरी है। तूने उस फ़िरदौस की कुंडली कहां रखी है।"….…. "वहीं सेफ में है।" …..….. "ठीक है आरव, तू मां के पास रुक"…..…. "प्लान करेगा या सब कुछ अचानक, ये तो बता दे"………. "आरव, तुझे क्या लगता है इस वक़्त मै बैठकर प्लान करूंगा। जैसा-जैसा दिमाग में आएगा वैसा-वैसा करता चला जाऊंगा। आज स्वयं महादेव मुझ में विराजमान है। रौद्र रूप देखेंगे मेरा।…... "अपस्यु, किसी को भी मत छोड़ना और ना ही वहां कोई सबूत मिले, पूरा तांडव करना"

अपस्यु फ्लैट वापस आया… किसी साधु की भांति हवन कुंड जला कर उसमें अग्नि प्रजॉल्लित की। कुछ समय के यज्ञ के बाद उसने रक्त तिलक किया। युद्ध का बिगुल बजाकर संख्णद किया और खुद को तैयार करने लगा।

वहां से सीधा वो पुलिस चौकी निकला और जाकर उस थानेदार के सामने बैठा जिसने बदतमीजी की थी। जाते ही 1000 की 2 गाडियां उसके आगे पटकते…. "फ़िरदौस से मिलना है मुझे।"

थानेदार:- तू कौन है बे और ये जो तू नोट फेंक रहा…

बोल ही रहा था कि अपस्यु ने फिर से एक गद्दी फेकी… फिर वो कुछ बोलने के हुआ… अपस्यु ने फिर एक गद्दी फेकी… 5 गड्डियां फेंके जाने के बाद जब वो दोबारा मुंह खोल, अपस्यु ने सारे नोट समेटना शुरू कर दिया। थानेदार उसका हाथ पकड़कर… "तू तो गुस्सा हो रहा है छोटे। चल मिलवाता हूं तुझे फ़िरदौस से। अपनी गाड़ी तो लाया है ना"

दोनों वहां से निकल गए दिल्ली-हरियाणा के हाईवे पर। थोड़ा अंदर जाकर एक वीराने में, खेतों के बीचों बीच चल रहा था ये जहर बनाने का कारोबार। अपस्यु पैदल-पैदल आगे बढ़ रहा था और साथ में अपनी वॉच डिवाइस को भी हवा में उड़ाता जा रहा था, जिसका फोकस आगे था।

खेत के बीच की पगडंडी पर वो रुका और वहीं बैठकर चारो ओर का जायजा लेने लगा…. "तू ये क्या कर रहा है चुटिया… कहीं तू यहां कोई कांड तो करने ना आया।"

वो बोल ही रहा था इतने में उसकी सर्विस रिवॉल्वर अपस्यु के हाथ में…. "चू-चपर नहीं। वरना ये जो मैंने अभी उड़ाया है ना, ये ना केवल मुझे आगे देखने में मदद करता है बल्कि इससे मैं एक छोटा धमाका भी कर सकता हूं। एक धमाके से भले कुछ ना बिगड़े लेकिन अपने सर पर देख.. इतने सारे एक साथ फोड़ दिए ना तो तेरे बदन के भी इतने ही छोटे चीथरे होंगे.. इसलिए अब चुपचाप पास पड़ी गोली भी ला और तमाशा देख"…

अपस्यु किसी पागल कि तरह सिना चौड़ा किए आगे बढ़ा… 4 कदम आगे जाते ही 2 लोगों ने उसका रास्ता रोका… अपस्यु ने धाय-धाय करते 2 फायरिंग की और दोनों अपना पाऊं पकड़ कर कर्रहाने लगे। फायरिंग की आवाज़ सुनते ही लोग हथियार लेकर निकले।

कहीं कोई नहीं बस 2 लोगों के कर्रहाने की आवाज़। कुछ लोग दौड़ कर उस आवाज़ के पास पहुंचने लगे… इधर अपस्यु घने धान में लेटा वॉच डिवाइस से 4 लोगों को आते देखा… पहली फायरिंग एक ढेर और अपस्यु ने अपनी जगह बदली।

फायरिंग के साथ ही वहां के इलाकों में उड़ रहे डेवाइस से भी "भिन-भिन" की आवाजें शुरू। सभी पागल होकर गोली चलाने वाले को ढूंढ़ने लगे। जहां-तहां पागलों की तरह गोलियां चला रहे थे। ऐसे माहौल को देखकर थानेदार को भी अपने जान कि चिंता होने लगी और उसने भी तुरंत वायरलेस करके बैकअप भेजने के लिए बोल दिया।

बस एक ही निर्भीक था वहां जो आगे बढ़ते हुए सबको ऐसे गोली मार रहा था, कि उनके दिलों में खौफ बढ़ता जा रहा था। इसी बीच फ़िरदौस को जब कुछ समझ में नहीं आया और उसे लगा कि पुलिस का कोई बड़ा ऑपरेशन चल रहा है, तब वो अपनी जान बचाकर भागने लगा, लेकिन अपनी मौत से कौन भाग पाया हैं।

अपस्यु भी खड़ा हुआ… शारीरिक क्षमता ऐसी की जब उसने दौड़ लगाई तो पल भर में यहां से वहां… वो तेज लहरों की भांति आगे बढ़ रहा था और रास्ते में आने वाला हर कोई गोली खाकर चिल्लाते हुए नीचे गिरते जा रहा था। बस कुछ समय और फ़िरदौस के पाऊं पर अपस्यु ने एक लात जमा दिया।

लड़खड़ा कर वो नीचे जा गिरा… अपने दोनो हाथ जोड़कर वो आत्मसमर्पण करने की बात कहने लगा…. गुस्से में अपस्यु ने उसके मुंह पर एक लात जमा दिया। उसका जबरा टूट चुका था और मुंह से खून बाहर आने लगा। दर्द में कर्राहते हुए उसने फिर रहम कि भीख मांगी। एक और लात मुंह पर फिर से जमाया.. जबड़ों की ज्योग्राफीया बदल गया।

एक हाथ अपने मुंह पर रखकर, एक हाथ आगे उसे दिखाते बस का इशारा करने लगा… गुस्से में अपस्यु ने इस बार पसलियों पर लात मारी। तीन पसलियां टूट चुकी थी। फ़िरदौस के आखों के आगे अंधेरा छा गया, उसमे अब कोई भी चेतना नहीं बची थी। लेकिन अपस्यु का गुस्सा अब भी कम नहीं हुआ।

दाएं कॉलर बोन पर फिर से तेज-तेज 2 लात जमा दिया और अंत में 10mm का एक सरिया उसके जांघ के ठीक ऊपर वाले हिस्से जहां "फीमर बोन" होता है, वहां वो सरिया इस पार से उस पार घुसेड़ दिया। दूसरे सरिया को पर में ऐसे घुसेड़ा की उसके किडनियों के बीचोबीच से लेकर लिवर फाड़ते हुए पेट के दाएं से बाएं वो सरिया निकल अाई। थानेदार डर से कांपता हुआ वहीं कुछ दूर पीछे खड़ा था।

"मेरे साथ चल"… अपस्यु थानेदार को घूरते हुए बोला। वो बिना कोई शब्द कहे अपस्यु के साथ चल दिया। रास्ते में चलते-चलते अपस्यु ने वहां हुए हर डैमेज का ब्योरा उस थानेदार को दिया। किसे कहां गोली लगी, कौन कितना डैमेज है और कितने वक़्त तक इलाज ना मिलने के कारण वो मर सकते हैं। बस केवल फ़िरदौस को छोड़कर जो हॉस्पिटल में ज्यादा से ज्यादा 2 दिन तक दर्द झेलेगा लेकिन मारना उसका निश्चित है।

बात करते करते दोनों एक झोपड़े में पहुंच गए, जहां नशे के समान का रख-रखाव होता था।अपस्यु ने टेबल पर पड़ी लैपटॉप को अपने बैग में डाला, जबकि फ़िरदौस का फोन वो पहले ही लेे चुका था.. उसके यहां का काम ख़त्म हुआ… थानेदार के साथ फिर वो बाहर निकला, वहीं पास पड़े एक अपराधी का गन उठाकर थानेदार के कंधे पर सीधा गोली मारी… गोली लगते ही वो चिल्लाने लगा…

अपस्यु, उसकी सर्विस रिवॉल्वर वापस करते हुए…. "तुम बिना घायल हुए अकेले इतना बड़ा कांड कैसे कर सकते हो… अच्छी सी कहानी सोचो जबतक तुम्हारा बैकअप पहुंचता होगा। अभी 2 लोग और हैं लिस्ट में।
फिरदौस और उसके लोगो की ईंट से ईंट बजा दिया ग अपश्यु ने ... तेज दौड रहा था.. वाह वाह लेगा वो
थानेदार लेगा...
वैसा मिशन पे जाते हुए ही प्लानिंग कर लिया गुस्से में भी आइडिया आया...
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
 

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सुबह 4 बजे जबसे वो उठी, ट्रेनिंग एरिया में उसे देखकर अपस्यु और अराव के दिमाग काम करना बंद कर चुका था। और बस कुछ ही देर की बात थी जब मां भी जाग जाती और उन्हें भी सबकुछ पता चल जाता।

आरव:- अपस्यु, कुछ कर भाई, इसकी हालत मुझ से देखी नहीं जा रही।
कुंजल:- फ़िक्र मत करोओ ओ…… (इतना बोलते बोलते कुंजल धाराम से गिर गई)
"अपस्यु… अपस्यु"… आरव कुंजल को पकड़ कर चिल्लाने लगा… "शांत.. आरव, मां को पता चल जाएगा। चल हॉस्पिटल चलते हैं।"

कुछ इंजेक्शन और स्लाइन की बॉटल चढ़ाने के बाद डॉक्टर साहब दोनों भाई के पास पहुंचे…. "कब से ड्रग्स लेे रही थी"..

अपस्यु:- पता नहीं सर, कोई कॉम्प्लिकेशन तो नहीं है।

डॉक्टर:- वो मैं अभी नहीं बता सकता, पेशेंट की कंडीशन जब स्टेबल होगी तभी कुछ कहा जा सकता है। फिलहाल तो मुझे ये जानकारी चाहिए कि ये कितने दिनों से ड्रग्स लेे रही थी।

अपस्यु:- कुछ कह नहीं सकते सर कब से लेे रही, बस हमे भी 10 दिनों से पता है। लेकिन इसने 10 दिनों में ड्रग्स को हाथ तक नहीं लगाई।

डॉक्टर:- हां जानता हूं। ब्लड में ड्रग्स की कोई मात्रा नहीं है और इसका दिमाग उस ड्रग्स की मांग कर रहा है। पूरा सीएनएस (सेंट्रल नरवस सिस्टम्स) पर बहुत ही बुरा असर पड़ा है।..

डॉक्टर साहब अपनी बात कहकर चले गए और दोनों भाई कुंजल के बेड के पास बैठकर उसका हाथ थामे चेहरे को देख रहे थे…. थोड़ी देर में नंदनी भी हॉस्पिटल पहुंच गई। दोनों भाई अब भी कुंजल का हाथ थामे बस उसी को देख रहे थे। इसी बीच नंदनी वार्ड में पहुंची। काफी गुस्से में लग रही थी और आते ही अपस्यु को 2 थप्पड खींचकर लगाई।…. "मर जाने देते, इसको हॉस्पिटल क्यों लेकर आए".. नंदनी चिल्लाते हुए बोलने लगी।

अपस्यु, नंदनी को खुद में समेट कर…. "शांत हो जाओ मां, कुछ नहीं हुआ .. शांत। आप यहां आराम से बैठ जाओ" … नंदनी वहीं चेयर पर बैठ गई, अराव ने उसे तुरंत पानी पिलाते हुए कहने लगा…. "बच्चे ही तो हैं, गलती हो जाती है, और कुंजल ने तो सबकुछ छोड़ दिया है तब उसे हॉस्पिटल आना पड़ा है। ऐसे वक़्त में आप उसे हौसला नहीं देगी तो वो अपने इस बुरे लत को कैसे छोड़ पाएगी"..

अपस्यु:- आरव सही कह रहा है मां। आप मुस्कुराओ और मुस्कुरा कर कुंजल की हिम्मत बढ़ाओ।

नंदनी:- एक शब्द भी नहीं। चुप !! इसकी वजह से पुलिस घर तक अाकर गई है और सबके सामने उन्होंने जो अपशब्द कहे। और फिर ये इसके फोन पर कैसे कैसे कॉल अा रहे है। कितनी गंदी-गंदी गालियां दे रहे है, और तो और मुझ से कह रहे हैं आज तेरी बेटी को मशहूर कर दूंगा। इसकी ऐसी ऐसी तस्वीर भेजी है कि मन तो कर रहा है अभी गला घोंटा दू।

अपस्यु वहीं कुछ देर बैठा रहा। केवल इस बात पर जोड़ देकर समझता रहा की "आज कल हैक के जरिए बहुत सी लड़कियों को फसाया जा रहा है। इसके लिए बहुत से कानून बने हैं.. और अगर कोई चोरी से हमारे घर की लड़की की तस्वीर वायरल कर रहा है तो हमे चोर को पकड़ना चाहिए या फिर जिसके साथ बुरा हो रहा हो उसी का गला घोंटा देना, कहां तक की समझदारी है।"..

अपस्यु को सुनने के बाद नंदनी का गुस्सा थोड़ा शांत हुआ लेकिन कलेजे में आग अब भी लगी थी….. "मैं नहीं जानती की तू क्या करेगा लेकिन ऐसी तस्वीरें अगर वायरल हुई तो मैं आत्महत्या कर लूंगी"

"आप चिंता मत कीजिए, कुंजल के जागने से पहले मैं सरा मामला निपटा लूंगा। अराव मां के पास तू रुक"… अराव भी चार कदम साथ चला, "मैं भी चल रहा हूं तेरे साथ"…………... "नहीं इस वक़्त हम में से एक का यहां रहना यहां जरूरी है। तूने उस फ़िरदौस की कुंडली कहां रखी है।"….…. "वहीं सेफ में है।" …..….. "ठीक है आरव, तू मां के पास रुक"…..…. "प्लान करेगा या सब कुछ अचानक, ये तो बता दे"………. "आरव, तुझे क्या लगता है इस वक़्त मै बैठकर प्लान करूंगा। जैसा-जैसा दिमाग में आएगा वैसा-वैसा करता चला जाऊंगा। आज स्वयं महादेव मुझ में विराजमान है। रौद्र रूप देखेंगे मेरा।…... "अपस्यु, किसी को भी मत छोड़ना और ना ही वहां कोई सबूत मिले, पूरा तांडव करना"

अपस्यु फ्लैट वापस आया… किसी साधु की भांति हवन कुंड जला कर उसमें अग्नि प्रजॉल्लित की। कुछ समय के यज्ञ के बाद उसने रक्त तिलक किया। युद्ध का बिगुल बजाकर संख्णद किया और खुद को तैयार करने लगा।

वहां से सीधा वो पुलिस चौकी निकला और जाकर उस थानेदार के सामने बैठा जिसने बदतमीजी की थी। जाते ही 1000 की 2 गाडियां उसके आगे पटकते…. "फ़िरदौस से मिलना है मुझे।"

थानेदार:- तू कौन है बे और ये जो तू नोट फेंक रहा…

बोल ही रहा था कि अपस्यु ने फिर से एक गद्दी फेकी… फिर वो कुछ बोलने के हुआ… अपस्यु ने फिर एक गद्दी फेकी… 5 गड्डियां फेंके जाने के बाद जब वो दोबारा मुंह खोल, अपस्यु ने सारे नोट समेटना शुरू कर दिया। थानेदार उसका हाथ पकड़कर… "तू तो गुस्सा हो रहा है छोटे। चल मिलवाता हूं तुझे फ़िरदौस से। अपनी गाड़ी तो लाया है ना"

दोनों वहां से निकल गए दिल्ली-हरियाणा के हाईवे पर। थोड़ा अंदर जाकर एक वीराने में, खेतों के बीचों बीच चल रहा था ये जहर बनाने का कारोबार। अपस्यु पैदल-पैदल आगे बढ़ रहा था और साथ में अपनी वॉच डिवाइस को भी हवा में उड़ाता जा रहा था, जिसका फोकस आगे था।

खेत के बीच की पगडंडी पर वो रुका और वहीं बैठकर चारो ओर का जायजा लेने लगा…. "तू ये क्या कर रहा है चुटिया… कहीं तू यहां कोई कांड तो करने ना आया।"

वो बोल ही रहा था इतने में उसकी सर्विस रिवॉल्वर अपस्यु के हाथ में…. "चू-चपर नहीं। वरना ये जो मैंने अभी उड़ाया है ना, ये ना केवल मुझे आगे देखने में मदद करता है बल्कि इससे मैं एक छोटा धमाका भी कर सकता हूं। एक धमाके से भले कुछ ना बिगड़े लेकिन अपने सर पर देख.. इतने सारे एक साथ फोड़ दिए ना तो तेरे बदन के भी इतने ही छोटे चीथरे होंगे.. इसलिए अब चुपचाप पास पड़ी गोली भी ला और तमाशा देख"…

अपस्यु किसी पागल कि तरह सिना चौड़ा किए आगे बढ़ा… 4 कदम आगे जाते ही 2 लोगों ने उसका रास्ता रोका… अपस्यु ने धाय-धाय करते 2 फायरिंग की और दोनों अपना पाऊं पकड़ कर कर्रहाने लगे। फायरिंग की आवाज़ सुनते ही लोग हथियार लेकर निकले।

कहीं कोई नहीं बस 2 लोगों के कर्रहाने की आवाज़। कुछ लोग दौड़ कर उस आवाज़ के पास पहुंचने लगे… इधर अपस्यु घने धान में लेटा वॉच डिवाइस से 4 लोगों को आते देखा… पहली फायरिंग एक ढेर और अपस्यु ने अपनी जगह बदली।

फायरिंग के साथ ही वहां के इलाकों में उड़ रहे डेवाइस से भी "भिन-भिन" की आवाजें शुरू। सभी पागल होकर गोली चलाने वाले को ढूंढ़ने लगे। जहां-तहां पागलों की तरह गोलियां चला रहे थे। ऐसे माहौल को देखकर थानेदार को भी अपने जान कि चिंता होने लगी और उसने भी तुरंत वायरलेस करके बैकअप भेजने के लिए बोल दिया।

बस एक ही निर्भीक था वहां जो आगे बढ़ते हुए सबको ऐसे गोली मार रहा था, कि उनके दिलों में खौफ बढ़ता जा रहा था। इसी बीच फ़िरदौस को जब कुछ समझ में नहीं आया और उसे लगा कि पुलिस का कोई बड़ा ऑपरेशन चल रहा है, तब वो अपनी जान बचाकर भागने लगा, लेकिन अपनी मौत से कौन भाग पाया हैं।

अपस्यु भी खड़ा हुआ… शारीरिक क्षमता ऐसी की जब उसने दौड़ लगाई तो पल भर में यहां से वहां… वो तेज लहरों की भांति आगे बढ़ रहा था और रास्ते में आने वाला हर कोई गोली खाकर चिल्लाते हुए नीचे गिरते जा रहा था। बस कुछ समय और फ़िरदौस के पाऊं पर अपस्यु ने एक लात जमा दिया।

लड़खड़ा कर वो नीचे जा गिरा… अपने दोनो हाथ जोड़कर वो आत्मसमर्पण करने की बात कहने लगा…. गुस्से में अपस्यु ने उसके मुंह पर एक लात जमा दिया। उसका जबरा टूट चुका था और मुंह से खून बाहर आने लगा। दर्द में कर्राहते हुए उसने फिर रहम कि भीख मांगी। एक और लात मुंह पर फिर से जमाया.. जबड़ों की ज्योग्राफीया बदल गया।

एक हाथ अपने मुंह पर रखकर, एक हाथ आगे उसे दिखाते बस का इशारा करने लगा… गुस्से में अपस्यु ने इस बार पसलियों पर लात मारी। तीन पसलियां टूट चुकी थी। फ़िरदौस के आखों के आगे अंधेरा छा गया, उसमे अब कोई भी चेतना नहीं बची थी। लेकिन अपस्यु का गुस्सा अब भी कम नहीं हुआ।

दाएं कॉलर बोन पर फिर से तेज-तेज 2 लात जमा दिया और अंत में 10mm का एक सरिया उसके जांघ के ठीक ऊपर वाले हिस्से जहां "फीमर बोन" होता है, वहां वो सरिया इस पार से उस पार घुसेड़ दिया। दूसरे सरिया को पर में ऐसे घुसेड़ा की उसके किडनियों के बीचोबीच से लेकर लिवर फाड़ते हुए पेट के दाएं से बाएं वो सरिया निकल अाई। थानेदार डर से कांपता हुआ वहीं कुछ दूर पीछे खड़ा था।

"मेरे साथ चल"… अपस्यु थानेदार को घूरते हुए बोला। वो बिना कोई शब्द कहे अपस्यु के साथ चल दिया। रास्ते में चलते-चलते अपस्यु ने वहां हुए हर डैमेज का ब्योरा उस थानेदार को दिया। किसे कहां गोली लगी, कौन कितना डैमेज है और कितने वक़्त तक इलाज ना मिलने के कारण वो मर सकते हैं। बस केवल फ़िरदौस को छोड़कर जो हॉस्पिटल में ज्यादा से ज्यादा 2 दिन तक दर्द झेलेगा लेकिन मारना उसका निश्चित है।

बात करते करते दोनों एक झोपड़े में पहुंच गए, जहां नशे के समान का रख-रखाव होता था।अपस्यु ने टेबल पर पड़ी लैपटॉप को अपने बैग में डाला, जबकि फ़िरदौस का फोन वो पहले ही लेे चुका था.. उसके यहां का काम ख़त्म हुआ… थानेदार के साथ फिर वो बाहर निकला, वहीं पास पड़े एक अपराधी का गन उठाकर थानेदार के कंधे पर सीधा गोली मारी… गोली लगते ही वो चिल्लाने लगा…

अपस्यु, उसकी सर्विस रिवॉल्वर वापस करते हुए…. "तुम बिना घायल हुए अकेले इतना बड़ा कांड कैसे कर सकते हो… अच्छी सी कहानी सोचो जबतक तुम्हारा बैकअप पहुंचता होगा। अभी 2 लोग और हैं लिस्ट में।
फिरदौस और उसके लोगो की ईंट से ईंट बजा दिया ग अपश्यु ने ... तेज दौड रहा था.. वाह वाह लेगा वो
थानेदार लेगा...
वैसा मिशन पे जाते हुए ही प्लानिंग कर लिया गुस्से में भी आइडिया आया...
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अपस्यु, उसकी सर्विस गन वापस करते हुए…. "तुम बिना घायल हुए अकेले इतना बड़ा कांड कैसे कर सकते हो… अच्छी सी कहानी सोचो जबतक तुम्हार बैकअप पहुंचता होगा। अभी 2 लोग और हैं लिस्ट में।

थानेदार को वहीं छोड़कर अपस्यु निकला, रास्ते से ही उसने आरव को फोन लगाया…. "सब सैटल हो गया" आरव ने उधर से पूछा…

"हां फ़िरदौस का खेल खत्म बस उसके 2 चमचे है जिसके पास कुंजल की कुछ तस्वीरें है। वहीं जा जा रहा हूं। उधर सब ठीक है।"

आरव:- कुंजल को अभी तक होश नहीं आया है। मां का गुस्सा थोड़ा कम हुआ है लेकिन तू तो समझ सकता है ना।

अपस्यु:- दोनों का ख्याल रखना.. बस इन दोनों के पास पहुंच जाऊं फिर पूरा काम ख़त्म हो जाएगा.. चल तू वहां ध्यान दे मैं यहां देखता हूं।

कार अपने टॉप स्पीड में थी। 15 मिनट में ही अपस्यु फिर से सहर में दाखिल हो चुका था। अपस्यु ने सबसे पहले उन दोनों चमचों को फोन लगाया। उन्हें झांसा देकर उनसे पता निकलवाया। यह अच्छी खबर थी कि दोनों एक ही जगह किसी फैशन स्टूडियो में थे। बिना देर किए अपस्यु वहां पहुंचा और जोड़-जोड़ से दोनों का नाम पुकारने लगा… "रिकी, जैश.. रिकी.. जैश"… कुछ लड़के बाहर आए… "तुम में से रिकी और जैश कौन है"…

2 लड़के आगे आकर… "हम है.. तुम्हीं ने कॉल किया था अभी"… अपस्यु तेजी से उनके पास पहुंचा। एक हाथ से रिकी के हाथ की उंगलियां पकड़ी और उसे उल्टा घुमा दिया। दूसरे के सिर के बाल को पकड़ कर दीवार पर दे मारा। ना कोई बात और ना ही कोई संभलने का मौका.. बस 2 सेकंड लगे पहुंचने में और एक सेकंड में ये सब हो चुका था।

बाकी बचे वहां उसके 3 साथी जो अपस्यु पर लपके, लेकिन अपस्यु के हाथ में था डंडा और वो तुरंत नीचे बैठ कर इतने तेजी के साथ उनके पाऊं पर डांडिया खेला गोल-गोल घूमकर, की जब अपस्यु खड़ा हुआ तब वो तीनो पाऊं पकड़ कर नीचे बैठे कर्रह रहे थे… 10 सेकंड का ये करनामा और मात्र 11 सेकंड में पांचों के होश उड़ चले थे।

रिकी अपनी टूटी उंगली पकड़ कर चिल्ला रहा था इतने में तेजी से एक डंडा पड़ा पीठ पर.. छटपटा गया वो… इससे पहले की कुछ और प्रतिक्रिया देता पूरे एक मिनट तक उपर डंडे बरस चुके थे… 6 हड्डियां और एक पसली इसकी गई। अब बाड़ी थी उस जैश की जिसका सर घूमना थोड़ा ठीक हुआ था। वो अपने कमर से गन निकल कर जैसे ही आगे कि ओर ताना.. एक जोरदार डंडा उसकी कलाई पर और उसकी कलाई टूट गई।

"आव-आव" करके वो अपनी कलाई झटकने लगा लेकिन अपस्यु आज रुकने के मूड से बिल्कुल भी नहीं था। टूटी कलाई पर एक और जोरदार डंडा उसने दे मारा। चिल्लाना जैसे हलख में ही अटक गया हो। जैश पर अब बरसने वाला था कहर। इसके पीठ को अपस्यु ने उधेड़ दिया। शर्ट के साथ-साथ उसके पीठ का भी चिथरा हो चुका था।

अपस्यु ने रिकी और जैश का फोन लिया.. दोनों के फोन चेक करने के बाद उनका फोन भी अपने बैग में रख लिया। फिर वो स्टूडियो के अंदर वाले कमरे में गया। वहां अपस्यु को एक कंप्यूटर और 2 हार्ड ड्राइव मिली, जिसमें बहुत से लड़कियों के अश्लील तस्वीरें और वीडियो थी।

ये नजारा देख कर अपस्यु का और खून खौल गया। वो फिर बाहर आया और इस बार पचों के अंडकोष पर इस बेरहमी से हमला किया कि जिंदा तो रहेंगे लेकिन अब इनकी ज़िन्दगी में सेक्स नहीं रहेगा।

एक हार्ड ड्राइव वहीं सबूत के लिए फेंक कर बाकी सरा सामान बैग के साथ ही गाड़ी के डिक्की में रखा और वहीं से 5 फिट का रोड निकाल लाया। गुस्सा इतना था कि अपस्यु ने पूरे फ़ैशन स्टूडियो को तहस-नहस कर दिया। बिल्कुल वो अपने आपे से बाहर हो चुका था।

तभी मौके पर पुलिस पहुंच गई। थानेदार अपने वहीं महान व्यक्ति निकले जिन्होंने अपस्यु को उसके परिवार से मिलाया, श्रीमान अजिंक्य सिंह। अपस्यु अब भी तोड़-फोड़ में लगा था। अजिंक्य पहुंचे ही अपस्यु को पीछे से पकड़ा और उसे धक्का देते हुए पीछे 2 डंडे हौंक दिए।

अपस्यु गुस्से में मुड़ा ही था मारने के लिए, की सामने पुलिस की वर्दी और वर्दी में खड़ा अजिंक्य। अपस्यु को इस रूप में देखकर अजिंक्य कहने लगा… "साला तय नहीं कर पा रहा हूं कि तू मीडियम रेंज का क्रिमिनल होगा या मेजर रेंज का। कहीं ना कहीं क्राइम करते ही मिलता है।कैसे पागलों कि तरह मारा है इनको, जरा इनकी हालात तो देखो.. शर्मा जी एम्बुलेंस को कॉल कीजिए, एकाध टपक गया तो छोड़े की जवानी जेल में ही सर जाएगी। तेरे साथी कहां है बे"…

अपस्यु:- सब भाग गए.. कोई अपशब्द नहीं बोलना और ना ही हाथ लगाना मैं साथ चल रहा हूं।

अजिंक्य:- तुझे तो पूरा कानून पता है। लॉ कर रहा है या पैदाइशी क्रिमिनल है।

अपस्यु, बिल्कुल खामोश रहा और अजिंक्य के साथ-साथ चलते उसने सिन्हा जी को कॉल लगा दिया… "हां अपस्यु बोलो"…

"मारपीट का केस है और चार्ज शायद 5 हाफ मर्डर का लगे.. बेल चाहिए अभी"… अपस्यु ने अजिंक्य को देखते बोला।

सिन्हा जी:- किसने किया और कौन सी चौकी में बंद है"…

अपस्यु:- मैं खुद अभियुक्त हूं। सराफतगंज थाना…

इतना कहकर अपस्यु उनकी जीप में जाकर बैठ चुका था। जीप आगे बढ़ी और अजिंक्य पूछने लगा… "ना बे तुझमें इतना तेवर कहां से आया है।"… अपस्यु ने कोई जवाब नहीं दिया। … "कोई शातिर खिलाड़ी लगता है तू, लेकिन तेरी किस्मत मेरे आगे ही दम तोड़ देती है। लगता है आज तक सही पुलिसवाले से तेरा पाला नहीं पड़ा है।"… अपस्यु बस सुनता रहा।

जीप जैसे ही थाने में घुसी वहां का मुंसी भागता हुआ पहुंचा… "किसको अरेस्ट कर के लाए हो, यहां तो धुरंधर वकीलों की लाइन लगी हुई है।"

अजिंक्य:- बैनचो यहीं कुत्ते कि जिंदगी है। इसकी शक्ल देखो, साला पढ़ने-लिखने वाला लड़का है ये। आज सजा होती तो कल सुधर कर निकलता। साला इन वकीलों को ही पहले ठोकना चाहिए।

अपस्यु:- वहां से जो एक हार्ड डिस्क उठाया है उसे ध्यान से देखना। और हां हर सजा सबको सुधारती नहीं, कभी-कभी लोग क्राइम की दलदल में बस सजा के कारण ही घुसते चले जाते हैं।

अजिंक्य:- ओ तेरी.. अपने बाप को देख कर तेरी भी जुबान खुलने लगी…

अपस्यु:- अपने कहे का अफसोस हो तो मुझे कॉल कर लेना।

थाने के अंदर सारी फॉर्मेलिटी करने के बाद अपस्यु बाहर आया। वहां आए वकीलों को उसने धन्यवाद कहा और अपनी गाड़ी से पैसे निकालकर उनकी पूरी फ़ी देदी। बिना कोई देर किए वो वापस फ्लैट पहुंच गया और नहा धोकर फिर तुरंत हिल हॉस्पिटल के लिए निकल गया।

रास्ते में ही उसने एक कहानी तैयार की, हॉस्पिटल पहुंचकर मां को वो कहानी सुनाया और यकीन करवा चुका था कि सभी दोषियों को पुलिस ने पकड़ लिया है। नंदनी के लिए ये एक राहत के पल थे। उसने चैन कि सांस ली और वहीं बैठी रही अपनी बेटी के पास।

शाम के तकरीबन 7 बजे कुंजल को होश आया। आंख खुलते ही पूरे परिवार को अपने पास पाकर, कुंजल फिर से रोने लगी।… "अरे यार इसको तो ठीक से रोना भी नहीं आता।"… आरव ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा…

अपस्यु:- अरे मां आप जरा वो क्लासिकल रोना तो दिखाओ इसे। लड़कियों के रोने में कैसी नजाकत और अदा होनी चाहिए।

नंदनी ने भी अपने चूड़ियों से भरे हाथ को बिल्कुल मिना कुमारी की तरह अपने सिर पर रखी और दिखा दी क्लासिकल स्टाइल में रोने कि झलकियां….. "कुंजल लड़कियों का रोना मतलब अपने सारे बिगड़े काम एक ही रोने में बन जाए। दोबारा कोशिश करो और इस बार अच्छा परफॉर्म करना बेटा।"

घरवालों का रोने के ऊपर की प्रतिक्रिया को देखकर कुंजल हसने लगी। थोड़े ही देर में डॉक्टर भी वहां पहुंच गए। कुंजल को पूरी तरह जांचने के बाद उन्होंने एक दिन रुककर कुछ और टेस्ट करवाने के लिए बोल दिया।

सभी लोगों को वहां से जबरदस्ती भेजकर अपस्यु वहीं रुक गया। रात के 9 बजे उसे खाना खिलाकर अपस्यु जब उसके मुंह को साफ करने लगा तब कुंजल ने उसका हाथ पकड़कर कहने लगी… "बस भाई इतना भी ना करो कि हर बात में रोना अा जाए।"

अपस्यु:- मार खाएगी। एक बात बताओ ये फ़िरदौस तुझे 10 दिनों से कॉल कर रहा था हमे बताई क्यों नहीं।
कुंजल:- मैंने सोचा मैं खुद ही हैंडल कर लेती।
अपस्यु, उत्सुकता वश:- और वो कैसे बेटा..
कुंजल:- वो सोचने के लिए तुम थे ना भाई… (और हसने लगी)
अपस्यु:- हां तो तेरे भाई ने आज उसके बारे में सोच भी लिया और उसका चेप्टर भी खत्म कर दिया।
कुंजल:- चैप्टर खत्म मतलब..
अपस्यु:- मतलब वहीं जो तुम सोच रही हो..
कुंजल:- सच..
अपस्यु:- हां बाबा सच..

कुंजल खुशी के मेरे गले लगने के लिए, उठने कि कोशिश करने लगी। लेकिन अपस्यु उसे लिटाते हुए उसके गले लग गया और उसके सर पर हाथ फेरने लगा। कुछ ही समय लगे होंगे और कुंजल गहरी नींद में सो गई। वो वहीं उसके पास बैठा उसके सर पर हाथ रख, कुंजल को ही देख रहा था। 10.30 के करीब हो रहे थे और उसके फोन की घंटी बाजी।

"जी कहिए मिस"…. अपस्यु वार्ड के बाहर आते हुए बात करने लगा..
साची:- कैसी है तुम्हारी बहन अभी।
अपस्यु:- वो बिल्कुल ठीक है। कल कुछ टेस्ट में बाद डिस्चार्ज मिले शायद।
साची:- सुबह पुलिस अाई थी तुम्हारे यहां?
अपस्यु:- यहीं बताने के लिए कॉल की हो क्या?
साची:- नहीं, बस बात शुरू करने के लिए कोई ढंग के शब्द ही नहीं मिल रहे, उसी को शुरू करने की कोशिश कर रही हूं।
अपस्यु:- गूगल कर लो शायद जवाब मिल जाए।
साची:- वेरी फनी.. अच्छा सुनो मुझे सच में दिल से गिल्टी फील हो रहा है पता नहीं मैंने गुस्से में क्या से क्या कर दिया। बहुत दिनों से तुम्हे कॉल करने का सोच रही लेकिन हिम्मत ही नहीं पड़ रही थी।
अपस्यु:- तुम्हे इतना घबराने कि जरूरत नहीं है। जब दिल करे तब कॉल लगा लिया करो। जितना वक़्त सोचने में हम बर्बाद कार देते हैं उतने में तो हम काम खत्म कर लेंगे। काम जब खत्म हो गया फिर सोचेंगे की अच्छा हुआ या बुरा।
साची:- जी गुरुदेव.. वैसे गुरु देव से याद आया कि तुम्हारी गुरिवी मिस सुनैना दीक्षित कितनी हॉट है ना।
अपस्यु:- 2 पेग चढ़ा कर कॉल लगाई हो क्या?

साची:- नहीं पूरे होश में हूं और कुछ फ्रैंडली बातें कर रही हूं ताकि मैं क्लासमेट से तुम्हारी दोस्त बन सकूं। वैसे दोस्ती कि बात से याद आईं उस दिन घर पर जब तुमने मेरा हाथ खिंचा था और मै जब तुम्हारे ऊपर गिरी थी उस वक़्त की तुम्हारी फीलिंग क्या थी? वो दिन रात बालकनी में खड़े रहना? और वो जो तुमने मुझसे कहा था… दिल में फीलिंग कुछ और रखकर दोस्ती नहीं कर सकता?.. और वो सरप्राइज वाली बात भी?

अपस्यु:- एक ही बार में इतने सारे सवाल। तुम्हे जो जानना है, मैं वहीं से शुरू करता हूं। जब मैंने तुम्हे पहली नजर में देखा तो तुम्हे देखता ही रह गया। मैं अपने उस वक़्त के अनुभव को साझा नहीं कर सकता। तुम्हारी एक झलक के लिए मै प्यासा रहता। जब तुम मेरी सेवा कर रही थी तब ऐसा लगा जैसे दिल के बहुत ही करीब हो। मैं बयां नहीं कर सकता इससे ज्यादा कुछ। उस दिन का सरप्राईज यहीं था कि जो बात अभी मैंने कम शब्दों में बयां किया उसे मैं तुम्हे विस्तार से बताता। तुम्हारे साथ चंद लम्हे मैं बांटता।

साची:- तो अब ये सब फीलिंग खत्म हो गई या फिर मुझ में कोई शैतान दिख गया। गलतियां तो हर किसी से होती है। क्या ये कह देना कि "मैं तो एक अरबपति का बेटा हूं".. ये अहम नहीं था। वहीं मेरे पैरेंट की तुमने ऐसे उदहारण से तुलना की जो जरा भी तुलनात्मक नहीं था। जिसने कई साल सर्विस में बिताया हो, पुरखों की अर्जी हुई संपत्ति हो वो क्यों नहीं महीने के 70 या 80 हजार का खर्च अपने बच्चों के लिए उठाएगा।

अपस्यु:- हां अनियंत्रित मै भी हो गया था और बाद में मुझे भी इस बात का अफसोस भी हुआ। मै खुद मिलकर तुमसे इस बात के लिए माफी भी मांगता लेकिन कहानी ही कुछ उलझी थी सो मैं ये कर ना सका।

साची:- अभी भी मेरे सवाल का जवाब नहीं मिला। अभी जो तुमने जवाब दिया वो सवाल के दूसरे हिस्से का जवाब था, पहला हिस्सा अभी भी अधूरा है।

अपस्यु:- कल मिलकर बात करे क्योंकि कुछ सवालों के जवाब आमने-सामने होकर ही दिए जाए तो बेहतर होता है।

साची:- मैं कल के इंतजार में नहीं रुक सकती, बाहर मिलो मुझ से अभी।
अपस्यु:- नहीं मिल सकता कुंजल के पास हूं हॉस्पिटल में।
साची :- कौन से हॉस्पिटल में हो।
अपस्यु:- तुम्हारे दिमाग में चल क्या रहा है?
साची:- ये मेरे सवाल का जवाब नहीं है। सवाल अब भी वही है.. कौन से हॉस्पिटल में हो।
अपस्यु:- लालजी हॉस्पिटल।
साची:- ठीक है मेरा इंतजार करना, सोना मत।आमने सामने बैठकर ही सवाल जवाब करेंगे।

"हेल्लो.. साची.. हेल्लो" और कॉल डिस्कनेक्ट हो गया।………
अपश्यु एक हीरो की तरह बुरे लोगों को पूरी रफ़्तार से पीट रहा है, मुझे यह अंदाज़ अच्छा लगा। बहुत खूब! अपश्यु का गुस्सा जैसे-जैसे बढ़ता गया दुश्मनों कि पिटाई भी तेज होने लगी
अजिंक्य भी सोच में पड़ गया की ये लड़का क्या है कुंजाल की इस मुस्कान को देखने के लिए तरस रहे थे वो अब मिल गई था। साची के तेवर बदले हुए हैं उसे अभी अपश्यु से क्यो मिलना है देखते हैं अगले अपडेट में
 

Zoro x

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Update:-154






रुद्रा:- जैसे तुम चाहो.. वैसे कल टीवी का इंटरव्यू मस्त था तुम्हारा… बौद्धिक विकास से ही एक उन्नत समाज का निर्माण होगा।


कलिका:- हमे नहीं पता था कि ये पढ़ने लिखने वाले जो हमसे इतना सवाल जवाब करते है, यदि इनका उत्तर पूरे विस्तार से और तथ्यपूर्ण ढंग से से दिया जाए, तो वो हमारा इतना प्रचार कर देंगे। आज कल तो मां और मामा टीवी पर छाए हुए है। भक्तो की संख्या में 2 गुना ज्यादा इजाफा मिल रहा है। अब तो रोज का कलेक्शन टीडीएस काटकर 5 करोड़ का बन रहा है। लोगों के आने में 2 गुना और जबसे उन्हें विश्वास हुआ की हम समाज कल्याण करते है उनके दान करने में 8 गुना का इजाफा आया है।


रुद्रा:- ये सब पापा और बुआ के ज्ञान का नतीजा है। वैसे ज्ञानी तो वो लड़का भी होगा, लेकिन क्या करें तुमने पहली बार किसी को मारने के लिए कहा है, अब परिवार की बात तो नहीं ही टाला जा सकता है।


कलिका:- थैंक्स रुद्रा…


इंद्रा गांधी इंटरनेशनल हवाई अड्डा.. प्लेन लैंड हुई और दोनो अपने हेरोइक लुक के साथ बाहर निकले। बाहर कुंजल खुद दोनो को लेने आयी थी।… जैसे ही कुंजल की नजर दोनो पर गई, वो हाथ हिलाती हुई दोनो को इशारे करने लगी।…


"कुछ परेशान सी दिख रही है ना कुंजल। हम इतने दिन बाद मिल रहे है लेकिन इसकी उमंग कहीं गायब है।"… ऐमी ने अपस्यु को कुंजल के ओर दिखती हुई कहने लगी।


वाकई अपस्यु को भी ऐसा लगा.. अपस्यु कुंजल के कंधे पर किसी दोस्त की तरह हाथ रखकर उसे खुद में थोड़ा सा समेटते… "क्या हुआ छोटी को, हमारा आना पसंद नहीं आया क्या?"


कुंजल:- नहीं वो बात नहीं है। दृश्य भईया अभी हॉस्पिटल में एडमिट है बस वहीं से आ रही हूं।


अपस्यु:- हम्मम ! हालात काफी गंभीर है क्या?..


कुंजल:- शायद जिंदगी और मौत के बीच है, कल ही एडमिट हुए है, आप दोनो आने ही वाले थे इसलिए हमने बताया नहीं।


अपस्यु:- चलो चलते है फिर हॉस्पिटल..


तीनों जैसे ही एयरपोर्ट से कुछ दूर आगे बढ़े, आगे एक डायवर्जन था। अपस्यु कार को दूसरे रूट पर मोड़ा और ठीक आगे एक खुला कंटेनर ट्रक जा रहा था। जैसे ही कार थोड़ी आगे बढ़ी, पीछे से 3 बड़ी बड़ी जेसीबी कार के पीछे थी।.. हम ट्रैप किए जा चुके है… कोई चाहता है हम उस कंटेनर में जाए।"..


ऐमी:- कुंजल दृश्य भईया के पास डॉक्टर की टीम तो अच्छी है ना।


कुंजल:- हां वो उनके जीजा जी है ना आकाश, उन्होंने मुंबई से डॉक्टर की टीम बुलाई है। वहीं लोग इलाज कर रहे है, लेकिन कुछ फायदा नहीं हो रहा।


अपस्यु:- इनकी तो, ये जो भी है, जितना मेरे सब्र का इम्तिहान लेंगे मै उतना ही इनको मारने में वक़्त नहीं लगाऊंगा। ऐमी देखो इस कार में क्या क्या है।


अपस्यु ने गाड़ी तेज करके कंटेनर में डाल दिया और इंजन बंद कर दिया। जैसे ही कार कंटेनर के अंदर गई बड़ा सा स्टील का दरवाजा लग गया और चारो ओर अंधेरा ही अंधेरा। कार की लाइट जली। सीट को नीचे करके ऐमी ने डिक्की खोला। डिक्की के नीचे से छोटा बोर्ड खोलकर वहां से 2 हैंड पिस्तौल और 4 एक्स्ट्रा मैग्जीन निकली। एक हेड कवर बुलेट प्रूफ जैकेट रखा था उस अपस्यु को दे दी।


ऐमी:- अपस्यु यहां रॉड और वो छोटी कुल्हाड़ी दोनो हो क्या निकाला लूं।


अपस्यु:- तुम दोनो अंदर ही रहना मुझे तीनों चीज चाहिए पिस्तौल, रॉड और कुल्हाड़ी। स्मोक बॉम्ब है।


ऐमी:- हां वो निकाल ली…


अपस्यु पुरा तैयार था, जैसे ही वो दरवाजा खुला सामने के ओर बिल्कुल अंधेरा।… "अपनी लगने वाली है ऐमी, लगता है भागना पड़ेगा।"..


कार में बैठे अपस्यु इतना कह ही रहा था कि तभी वहां विदेशी आवाज़ गूंजी… "नीचे उतर जाओ और अपनी मौत का सामना करो।"…


अपस्यु, कार से नीचे आते… "देखो भाई लोग ये सम्राट तिलविश क्यों बने हो, ये ऐसे अंधेरा कायम करके क्यों रखे हुए हो।"


आदमी:- तुम्हारे यहां इंडिया में वो नागिन का इंसाफ बहुत फेमस है। इधर नाग को मारा और वो अपने आखों में तस्वीर कैद कर लेता है। उसके बाद नागिन उस तस्वीर को देखकर अपना बदला लेती है। वो क्या कहते है..


अपस्यु:- नागिन का इंसाफ.. सुनो मेरे भाई, लेकिन तुम मुझे मारना क्यों चाहते हो?


आदमी:- क्या करूं ब्रो, तुमसे कोई पर्सनल दुश्मनी नहीं है, बस पापी पेट का सवाल है।


अपस्यु:- और इस पापी पेट को मै भर दूं तो?


आदमी:- तुम समझे नहीं दोस्त, पापी पेट के साथ साथ जॉब सेटिस्फेक्शन भी चाहिए ना, इसलिए तुम्हे मारना पड़ेगा ब्रो।


अपस्यु:- मार ही रहे हो तो बस 2 मिनट सुन लो, उसके बाद पता ना मै अपने मारने वाले का चेहरा भी देख पाऊं या नहीं।


आदमी:- 120 सेकंड.. शुरू हो जाओ।


अपस्यु मुसकुराते हुए 1 से लेकर 120 तक गीन दिया।.. "हां भाई अब मार दे।"


वो आदमी अटैक का नारा लगाते हुए जैसे ही हमला करने को हुआ, एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसे पड़ी। उस आदमी के होश ठिकाने आ गए।.… "दोस्त आज एक्शन के मूड से जारा भी नहीं हूं, दिमाग कहीं और है। थैंक्स टीम, वैसे उजाला तो कर दो।"..


वहां चारो ओर रौशनी हुई, बीच में गिनकर 39 घायल लोग पड़े थे और एक को घायल किया जा रहा था। साथ ही साथ उनके पास जो हथियार थे वो आम आर्म्स और वैपन जैसे बिल्कुल नहीं दिख रहे थे।


अपस्यु:- जान बचा ली मेरी तुम लोगो ने.. जल्दबाजी में किसी को टपका तो नहीं दिया।


नीलू:- नहीं बॉस सब जिंदा है, आप जाओ हम इसे देख लेते है। इन हथियारों का क्या करना है।


अपस्यु:- इसे भी साथ लेती चली जाए मैडम जी। किस तरह के हथियार है समझ कर मुझे बता दीजिएगा, ताकि पता कर सके की कौन सा हथियार है ये।


नील ने बाहर का दरवाजा खोल दिया। एक ओर से अपस्यु निकल गया और दूसरे ओर से नीलू की टीम सभी घायलों को एम्बुलेंस में लोड करके राजस्थान के लिए निकल गई। कुछ ही देर में अपस्यु हॉस्पिटल पहुंचा। अपस्यु की मासी और दृश्य की मां कंचन की नजर जैसे ही अपस्यु पर गई वो रोना शुरू कर दी।


कंचन के पति प्रताप सिंह उसे चुप कराते हुए हौसला देने लगे। वहीं पास में ही अश्क बैठी हुई थी, वो दृश्य की बहन पायल के कंधे पर अपना सर रखकर रो रही थी। अपस्यु का चेहरा देख ऐमी उसका हाथ थामती हुई कहने लगी…. "संभालो अपने आपको अपस्यु, चलो पहले स्वास्तिका से मिलते है।"…


अपस्यु केवल हां में अपना सर हिलाया और स्वास्तिका के पास पहुंचा। स्वास्तिका अपने चेंबर में बैठी मेडिकल की कोई बुक पढ़ रही थी… "कैसी हो स्वास्तिका।"..


स्वास्तिका:- लौट आया हमारा हीरो। दोनो एडवेंचर टूर पर गए थे या हनीमून ट्रिप पर।


अपस्यु:- हम्मम ! तुम्हारे ऐसे सवालों का मतलब मै समझ गया। सच सच बताओ तुम्हे क्या लगता है।


स्वास्तिका:- जिस हिसाब से इसका ब्लड सेल डैमेज हो रहा है, मेरे ख्याल से 8 घंटे से ज्यादा नहीं जिंदा रहने वाला है।


अपस्यु:- नहीं किसी कीमत पर नहीं मारना चाहिए, मै दीवाली में उसे सबके साथ दिए जलाते हुए देखना चाहता हूं। यहां किसकी हिम्मत हो गई जो तुम्हे इलाज करने से रोक दिया।


स्वास्तिका:- उनके यहां के लोगों का कहना है कि उसके पास डॉक्टर है जो इलाज कर लेंगे, मुझे कुछ करने की जरूरत नहीं है।


अपस्यु:- स्वास्तिका, ऐमी का वो माइक्रो स्कैनर यहां रखा हुए है ना, और मेरा वो सेल ट्रानफ्यूजन वाला लिक्वड।


स्वास्तिका:- हां हमारा खुद का सारा तकनीक यहां मैनें अच्छे से सेटअप किया हुआ है, पहले हाथ तो लगाने दे। यहां तो घर के लोग खड़े है, ओटी के बाहर तो 20-25 लोग खड़े है जो किसी को आगे नहीं जाने देते।


अपस्यु:- हम्मम ! स्वास्तिका तुम ओटी के लिए तैयार रहो, मै और ऐमी बाहर से आए है, हम रोगाणुरहित (स्टरलाइज्ड) होकर आते है।


कुछ ही समय बाद तीनों तैयार थे। वो आउटडोर पैसेज से होते हुए गुजरे और अपस्यु ने कंचन को अपने साथ लिया।….. "एक बार सुनी थी मेरा बेटा 2 साल तक जिंदगी और मौत से जूझ रहा था, लेकिन मेरे सामने स्वास्थ्य खड़ा था तो बस मै भगवान को नमन कर रही थी। जानती हूं मेरा बेटा एक बड़ा फाइटर है और वो ये बजी भी जीत जाएगा, पर क्या करूं मां हूं ना, उसकी हालत में सुधार की कोई खबर ना सुनकर मेरे प्राण बाहर आ रहे है।"..


कंचन, अपस्यु के कंधे के सहारे से किसी तरह चल रही थी और अपने आशु बहती हुई अपनी दिल की भावना बयान कर रही थी।… "मै आ गया हूं ना, आप चिंता मत करो, बस अब यहां से हमे संभालने दो और ओटी को घेरे लोग को कहो किनारे हो जाने।"


"हमारे डॉक्टर्स इलाज कर रहे है। तुम्हे ज्यादा भाईचारा दिखाने की जरूरत नहीं है। वहां जितने भी डॉक्टर्स है तुम्हारी बहन से कहीं ज्यादा पढ़े लिखे है और जानकर है।"… अपस्यु की बात सुनकर पायल गुस्से में कहने लगी।


अपस्यु:- हम दृश्य भाई को ऑपरेशन थियेटर के अंदर देखने जा रहे है, आपको भी साथ चलना है तो आप भी चल दो।


पायल, अपस्यु को खींचकर एक थप्पड़ मारती हुई… "तुम खुद को समझते क्या हो? रिश्तेदार हो तो किनारे खड़े रहो चुप चाप और उनको इलाज करने दो।"


"वो अभी होश में नहीं है अपस्यु, तुम तीनों आओ मेरे साथ।"… ओटी के बाहर खड़ी होकर बायोटेक्नोलॉजी एक्सपर्ट वैली कहने लगी, जो स्वास्तिका के हॉस्पिटल में अपना एक्सपेरिमेंट आगे बढ़ाना चाहती थी, लेकिन छोटे से विवाद के वजह से यह हो ना सका।


वैली की बात सुनकर पायल फिर कुछ बोलना चाह रही थी, तभी कंचन उसे शांत करवाती हुई कहने लगी…. "पायल शांत हो जाओ बेटा। यहां हर कोई दृश्य को स्वास्थ्य होते ही देखना चाहता है। मानती हूं वक़्त ने तुम्हें अपने के हाथो घाव दिए है इसका ये मतलब नहीं कि हर किसी पर विश्वास करना छोड़ दे। यहां सिर्फ मै, तुम या इस छोटे से लड़के अपस्यु की ही कहानी नहीं है कि उसने दर्द और धोका झेला है, हर कोई इस दौर से कभी ना कभी गुजर रहा होता है।"


ऐमी:- हम सब की कहानी बिल्कुल उस बैंक की तरह है जो लोन देती है। कई लोग बैंक को चुना लगाकर भाग जाते है, लेकिन बैंक अपना घाटा कवर करने के लिए 2 गुना ज्यादा लोन देती है ना कि अपना बैंक बंद करके भाग जाती है। मैंने तो जिंदगी से यही सीखा है, विश्वास करना सीखो और विश्वास से आगे बढ़ो। जिनकी फितरत में है धोका देना वो देंगे ही, इसका मतलब ये तो नहीं कि विश्वास का दामन ही छूट जाए।


अपस्यु:- स्वीटी मेरे संगत का पूरा असर परा है। लगता है पायल दीदी समझ गई है, चलो हम भी चले।


कंचन को भी थोड़ा हौसला आया। वो पूरे भिड़ को किनारे करते सबको ऑपरेशन थियेटर के अंदर जाने के लिए बोली। स्वास्तिका अंदर घुसते ही एक डॉक्टर को पकड़ कर पूछने लगी …. "कुछ पता चला हुआ क्या है।" डॉक्टर भी ना में जवाब देते हुए कहने लगा, "उतनी देर से वहीं ट्राय कर रहे है लेकिन कुछ समझ में ही नहीं आ रहा, बॉडी का हर फंक्शन और हर ऑर्गन पुरा अच्छे से काम कर रहा है लेकिन हम सारे टेस्ट केर चुके, कुछ मिल ही नहीं रहा है ऐसा जो का सके की इस वजह से ब्लड सेल लगातार टूट रहा है।"..


स्वास्तिका ने उन डॉक्टर्स को कुछ देर रेस्ट करने के लिए कहा और वैली पर विश्वास दिखाते हुए उसने पहले दृश्य के शरीर की जानकारी ली। उसकी दी गई जानकारी के अनुसार जब स्वास्तिका ने कुछ टेस्ट किए तो जेनेटिक इंजिनियरिंग का ऐसा शानदार उदहारण देखकर वो काफी हैरान थी।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

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रुद्रा:- जैसे तुम चाहो.. वैसे कल टीवी का इंटरव्यू मस्त था तुम्हारा… बौद्धिक विकास से ही एक उन्नत समाज का निर्माण होगा।


कलिका:- हमे नहीं पता था कि ये पढ़ने लिखने वाले जो हमसे इतना सवाल जवाब करते है, यदि इनका उत्तर पूरे विस्तार से और तथ्यपूर्ण ढंग से से दिया जाए, तो वो हमारा इतना प्रचार कर देंगे। आज कल तो मां और मामा टीवी पर छाए हुए है। भक्तो की संख्या में 2 गुना ज्यादा इजाफा मिल रहा है। अब तो रोज का कलेक्शन टीडीएस काटकर 5 करोड़ का बन रहा है। लोगों के आने में 2 गुना और जबसे उन्हें विश्वास हुआ की हम समाज कल्याण करते है उनके दान करने में 8 गुना का इजाफा आया है।


रुद्रा:- ये सब पापा और बुआ के ज्ञान का नतीजा है। वैसे ज्ञानी तो वो लड़का भी होगा, लेकिन क्या करें तुमने पहली बार किसी को मारने के लिए कहा है, अब परिवार की बात तो नहीं ही टाला जा सकता है।


कलिका:- थैंक्स रुद्रा…


इंद्रा गांधी इंटरनेशनल हवाई अड्डा.. प्लेन लैंड हुई और दोनो अपने हेरोइक लुक के साथ बाहर निकले। बाहर कुंजल खुद दोनो को लेने आयी थी।… जैसे ही कुंजल की नजर दोनो पर गई, वो हाथ हिलाती हुई दोनो को इशारे करने लगी।…


"कुछ परेशान सी दिख रही है ना कुंजल। हम इतने दिन बाद मिल रहे है लेकिन इसकी उमंग कहीं गायब है।"… ऐमी ने अपस्यु को कुंजल के ओर दिखती हुई कहने लगी।


वाकई अपस्यु को भी ऐसा लगा.. अपस्यु कुंजल के कंधे पर किसी दोस्त की तरह हाथ रखकर उसे खुद में थोड़ा सा समेटते… "क्या हुआ छोटी को, हमारा आना पसंद नहीं आया क्या?"


कुंजल:- नहीं वो बात नहीं है। दृश्य भईया अभी हॉस्पिटल में एडमिट है बस वहीं से आ रही हूं।


अपस्यु:- हम्मम ! हालात काफी गंभीर है क्या?..


कुंजल:- शायद जिंदगी और मौत के बीच है, कल ही एडमिट हुए है, आप दोनो आने ही वाले थे इसलिए हमने बताया नहीं।


अपस्यु:- चलो चलते है फिर हॉस्पिटल..


तीनों जैसे ही एयरपोर्ट से कुछ दूर आगे बढ़े, आगे एक डायवर्जन था। अपस्यु कार को दूसरे रूट पर मोड़ा और ठीक आगे एक खुला कंटेनर ट्रक जा रहा था। जैसे ही कार थोड़ी आगे बढ़ी, पीछे से 3 बड़ी बड़ी जेसीबी कार के पीछे थी।.. हम ट्रैप किए जा चुके है… कोई चाहता है हम उस कंटेनर में जाए।"..


ऐमी:- कुंजल दृश्य भईया के पास डॉक्टर की टीम तो अच्छी है ना।


कुंजल:- हां वो उनके जीजा जी है ना आकाश, उन्होंने मुंबई से डॉक्टर की टीम बुलाई है। वहीं लोग इलाज कर रहे है, लेकिन कुछ फायदा नहीं हो रहा।


अपस्यु:- इनकी तो, ये जो भी है, जितना मेरे सब्र का इम्तिहान लेंगे मै उतना ही इनको मारने में वक़्त नहीं लगाऊंगा। ऐमी देखो इस कार में क्या क्या है।


अपस्यु ने गाड़ी तेज करके कंटेनर में डाल दिया और इंजन बंद कर दिया। जैसे ही कार कंटेनर के अंदर गई बड़ा सा स्टील का दरवाजा लग गया और चारो ओर अंधेरा ही अंधेरा। कार की लाइट जली। सीट को नीचे करके ऐमी ने डिक्की खोला। डिक्की के नीचे से छोटा बोर्ड खोलकर वहां से 2 हैंड पिस्तौल और 4 एक्स्ट्रा मैग्जीन निकली। एक हेड कवर बुलेट प्रूफ जैकेट रखा था उस अपस्यु को दे दी।


ऐमी:- अपस्यु यहां रॉड और वो छोटी कुल्हाड़ी दोनो हो क्या निकाला लूं।


अपस्यु:- तुम दोनो अंदर ही रहना मुझे तीनों चीज चाहिए पिस्तौल, रॉड और कुल्हाड़ी। स्मोक बॉम्ब है।


ऐमी:- हां वो निकाल ली…


अपस्यु पुरा तैयार था, जैसे ही वो दरवाजा खुला सामने के ओर बिल्कुल अंधेरा।… "अपनी लगने वाली है ऐमी, लगता है भागना पड़ेगा।"..


कार में बैठे अपस्यु इतना कह ही रहा था कि तभी वहां विदेशी आवाज़ गूंजी… "नीचे उतर जाओ और अपनी मौत का सामना करो।"…


अपस्यु, कार से नीचे आते… "देखो भाई लोग ये सम्राट तिलविश क्यों बने हो, ये ऐसे अंधेरा कायम करके क्यों रखे हुए हो।"


आदमी:- तुम्हारे यहां इंडिया में वो नागिन का इंसाफ बहुत फेमस है। इधर नाग को मारा और वो अपने आखों में तस्वीर कैद कर लेता है। उसके बाद नागिन उस तस्वीर को देखकर अपना बदला लेती है। वो क्या कहते है..


अपस्यु:- नागिन का इंसाफ.. सुनो मेरे भाई, लेकिन तुम मुझे मारना क्यों चाहते हो?


आदमी:- क्या करूं ब्रो, तुमसे कोई पर्सनल दुश्मनी नहीं है, बस पापी पेट का सवाल है।


अपस्यु:- और इस पापी पेट को मै भर दूं तो?


आदमी:- तुम समझे नहीं दोस्त, पापी पेट के साथ साथ जॉब सेटिस्फेक्शन भी चाहिए ना, इसलिए तुम्हे मारना पड़ेगा ब्रो।


अपस्यु:- मार ही रहे हो तो बस 2 मिनट सुन लो, उसके बाद पता ना मै अपने मारने वाले का चेहरा भी देख पाऊं या नहीं।


आदमी:- 120 सेकंड.. शुरू हो जाओ।


अपस्यु मुसकुराते हुए 1 से लेकर 120 तक गीन दिया।.. "हां भाई अब मार दे।"


वो आदमी अटैक का नारा लगाते हुए जैसे ही हमला करने को हुआ, एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसे पड़ी। उस आदमी के होश ठिकाने आ गए।.… "दोस्त आज एक्शन के मूड से जारा भी नहीं हूं, दिमाग कहीं और है। थैंक्स टीम, वैसे उजाला तो कर दो।"..


वहां चारो ओर रौशनी हुई, बीच में गिनकर 39 घायल लोग पड़े थे और एक को घायल किया जा रहा था। साथ ही साथ उनके पास जो हथियार थे वो आम आर्म्स और वैपन जैसे बिल्कुल नहीं दिख रहे थे।


अपस्यु:- जान बचा ली मेरी तुम लोगो ने.. जल्दबाजी में किसी को टपका तो नहीं दिया।


नीलू:- नहीं बॉस सब जिंदा है, आप जाओ हम इसे देख लेते है। इन हथियारों का क्या करना है।


अपस्यु:- इसे भी साथ लेती चली जाए मैडम जी। किस तरह के हथियार है समझ कर मुझे बता दीजिएगा, ताकि पता कर सके की कौन सा हथियार है ये।


नील ने बाहर का दरवाजा खोल दिया। एक ओर से अपस्यु निकल गया और दूसरे ओर से नीलू की टीम सभी घायलों को एम्बुलेंस में लोड करके राजस्थान के लिए निकल गई। कुछ ही देर में अपस्यु हॉस्पिटल पहुंचा। अपस्यु की मासी और दृश्य की मां कंचन की नजर जैसे ही अपस्यु पर गई वो रोना शुरू कर दी।


कंचन के पति प्रताप सिंह उसे चुप कराते हुए हौसला देने लगे। वहीं पास में ही अश्क बैठी हुई थी, वो दृश्य की बहन पायल के कंधे पर अपना सर रखकर रो रही थी। अपस्यु का चेहरा देख ऐमी उसका हाथ थामती हुई कहने लगी…. "संभालो अपने आपको अपस्यु, चलो पहले स्वास्तिका से मिलते है।"…


अपस्यु केवल हां में अपना सर हिलाया और स्वास्तिका के पास पहुंचा। स्वास्तिका अपने चेंबर में बैठी मेडिकल की कोई बुक पढ़ रही थी… "कैसी हो स्वास्तिका।"..


स्वास्तिका:- लौट आया हमारा हीरो। दोनो एडवेंचर टूर पर गए थे या हनीमून ट्रिप पर।


अपस्यु:- हम्मम ! तुम्हारे ऐसे सवालों का मतलब मै समझ गया। सच सच बताओ तुम्हे क्या लगता है।


स्वास्तिका:- जिस हिसाब से इसका ब्लड सेल डैमेज हो रहा है, मेरे ख्याल से 8 घंटे से ज्यादा नहीं जिंदा रहने वाला है।


अपस्यु:- नहीं किसी कीमत पर नहीं मारना चाहिए, मै दीवाली में उसे सबके साथ दिए जलाते हुए देखना चाहता हूं। यहां किसकी हिम्मत हो गई जो तुम्हे इलाज करने से रोक दिया।


स्वास्तिका:- उनके यहां के लोगों का कहना है कि उसके पास डॉक्टर है जो इलाज कर लेंगे, मुझे कुछ करने की जरूरत नहीं है।


अपस्यु:- स्वास्तिका, ऐमी का वो माइक्रो स्कैनर यहां रखा हुए है ना, और मेरा वो सेल ट्रानफ्यूजन वाला लिक्वड।


स्वास्तिका:- हां हमारा खुद का सारा तकनीक यहां मैनें अच्छे से सेटअप किया हुआ है, पहले हाथ तो लगाने दे। यहां तो घर के लोग खड़े है, ओटी के बाहर तो 20-25 लोग खड़े है जो किसी को आगे नहीं जाने देते।


अपस्यु:- हम्मम ! स्वास्तिका तुम ओटी के लिए तैयार रहो, मै और ऐमी बाहर से आए है, हम रोगाणुरहित (स्टरलाइज्ड) होकर आते है।


कुछ ही समय बाद तीनों तैयार थे। वो आउटडोर पैसेज से होते हुए गुजरे और अपस्यु ने कंचन को अपने साथ लिया।….. "एक बार सुनी थी मेरा बेटा 2 साल तक जिंदगी और मौत से जूझ रहा था, लेकिन मेरे सामने स्वास्थ्य खड़ा था तो बस मै भगवान को नमन कर रही थी। जानती हूं मेरा बेटा एक बड़ा फाइटर है और वो ये बजी भी जीत जाएगा, पर क्या करूं मां हूं ना, उसकी हालत में सुधार की कोई खबर ना सुनकर मेरे प्राण बाहर आ रहे है।"..


कंचन, अपस्यु के कंधे के सहारे से किसी तरह चल रही थी और अपने आशु बहती हुई अपनी दिल की भावना बयान कर रही थी।… "मै आ गया हूं ना, आप चिंता मत करो, बस अब यहां से हमे संभालने दो और ओटी को घेरे लोग को कहो किनारे हो जाने।"


"हमारे डॉक्टर्स इलाज कर रहे है। तुम्हे ज्यादा भाईचारा दिखाने की जरूरत नहीं है। वहां जितने भी डॉक्टर्स है तुम्हारी बहन से कहीं ज्यादा पढ़े लिखे है और जानकर है।"… अपस्यु की बात सुनकर पायल गुस्से में कहने लगी।


अपस्यु:- हम दृश्य भाई को ऑपरेशन थियेटर के अंदर देखने जा रहे है, आपको भी साथ चलना है तो आप भी चल दो।


पायल, अपस्यु को खींचकर एक थप्पड़ मारती हुई… "तुम खुद को समझते क्या हो? रिश्तेदार हो तो किनारे खड़े रहो चुप चाप और उनको इलाज करने दो।"


"वो अभी होश में नहीं है अपस्यु, तुम तीनों आओ मेरे साथ।"… ओटी के बाहर खड़ी होकर बायोटेक्नोलॉजी एक्सपर्ट वैली कहने लगी, जो स्वास्तिका के हॉस्पिटल में अपना एक्सपेरिमेंट आगे बढ़ाना चाहती थी, लेकिन छोटे से विवाद के वजह से यह हो ना सका।


वैली की बात सुनकर पायल फिर कुछ बोलना चाह रही थी, तभी कंचन उसे शांत करवाती हुई कहने लगी…. "पायल शांत हो जाओ बेटा। यहां हर कोई दृश्य को स्वास्थ्य होते ही देखना चाहता है। मानती हूं वक़्त ने तुम्हें अपने के हाथो घाव दिए है इसका ये मतलब नहीं कि हर किसी पर विश्वास करना छोड़ दे। यहां सिर्फ मै, तुम या इस छोटे से लड़के अपस्यु की ही कहानी नहीं है कि उसने दर्द और धोका झेला है, हर कोई इस दौर से कभी ना कभी गुजर रहा होता है।"


ऐमी:- हम सब की कहानी बिल्कुल उस बैंक की तरह है जो लोन देती है। कई लोग बैंक को चुना लगाकर भाग जाते है, लेकिन बैंक अपना घाटा कवर करने के लिए 2 गुना ज्यादा लोन देती है ना कि अपना बैंक बंद करके भाग जाती है। मैंने तो जिंदगी से यही सीखा है, विश्वास करना सीखो और विश्वास से आगे बढ़ो। जिनकी फितरत में है धोका देना वो देंगे ही, इसका मतलब ये तो नहीं कि विश्वास का दामन ही छूट जाए।


अपस्यु:- स्वीटी मेरे संगत का पूरा असर परा है। लगता है पायल दीदी समझ गई है, चलो हम भी चले।


कंचन को भी थोड़ा हौसला आया। वो पूरे भिड़ को किनारे करते सबको ऑपरेशन थियेटर के अंदर जाने के लिए बोली। स्वास्तिका अंदर घुसते ही एक डॉक्टर को पकड़ कर पूछने लगी …. "कुछ पता चला हुआ क्या है।" डॉक्टर भी ना में जवाब देते हुए कहने लगा, "उतनी देर से वहीं ट्राय कर रहे है लेकिन कुछ समझ में ही नहीं आ रहा, बॉडी का हर फंक्शन और हर ऑर्गन पुरा अच्छे से काम कर रहा है लेकिन हम सारे टेस्ट केर चुके, कुछ मिल ही नहीं रहा है ऐसा जो का सके की इस वजह से ब्लड सेल लगातार टूट रहा है।"..


स्वास्तिका ने उन डॉक्टर्स को कुछ देर रेस्ट करने के लिए कहा और वैली पर विश्वास दिखाते हुए उसने पहले दृश्य के शरीर की जानकारी ली। उसकी दी गई जानकारी के अनुसार जब स्वास्तिका ने कुछ टेस्ट किए तो जेनेटिक इंजिनियरिंग का ऐसा शानदार उदहारण देखकर वो काफी हैरान थी।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई बहन
Update:-156






दृश्य:- हम्मम ! भाई होने के नाते एक मदद और कर दो अपने भाई की?


अपस्यु:- के एन शर्मा, उत्तर प्रदेश के जौनपुर क्षेत्र में मिल जाएंगे। मेरे गॉडफादर अक्सर कहते थे, जिंदगी में जब भी खाली रहो उनके पास वक़्त बिताओ। शायद ये आपका भी खाली समय है और आपको भी वहां वक़्त बिताना चाहिए। आगे आपकी मर्जी है।


दृश्य, अपस्यु के गले लगकर उसे जेके का बैग थमाते हुए… "थैंक्स भाई, मै उनके पास वक़्त बीतता हूं, वहां जाने से पहले मै तुझसे मिलकर जाऊंगा।


अपस्यु:- उम्मीद है आप अपने नए सफ़र कि मंजिल को जरूर तय करे।


दृश्य अपने परिवार के साथ वहां से निकल गया। पिछले 13 दिन में पायल 26 बार अपस्यु से माफी मांग चुकी थी। उसे अपने कहे शब्दो पर गिल्ट मेहसूस हो रहा था। वैली की हालत देखते हुए उसे वहीं एक दोस्त के पास छोड़ दिया गया, यानी कि स्वास्तिका के साथ। जिसके साथ मिलकर वैली 2 दिनों से हॉस्पिटल के काम में पुरा ध्यान दे रही थी।


"क्या खडूस क्या सोच रहा है।"… एक शाम अपस्यु घर की लॉन में अकेला बैठा हुआ था, तभी वहां आरव, लावणी के साथ पहुंचते..


लावणी:- भईया आपको ना आचार्य महिदिपी और उनकी बहन अनुप्रिया को सुनना चाहिए, दोनो आपके ज्ञान के भंडार को बढ़ा देंगे।


अपस्यु:- ऐसा क्या खास है उन दोनों में?


लावणी:- आप टीवी नहीं देखते क्या, आज कल टीवी पर उनके भक्त क्या डिस्कशन करते है। वो आपके फ्लोर पर रहती है एक लड़की मालविका और उसका बॉयफ्रेंड विकास, दोनो तो पुरा हिलाए हुए है।


अपस्यु:- ओह हो हमारी लावणी तो उनकी फैन हो गई।


लावणी:- फैन तो मै आपकी भी होती लेकिन आपने बहुत परेशान किया है मुझे।


"अच्छा जी, मेरे भईया को छोटी आंख वाला कहा था किसी ने, मुझे याद आ रहा है। क्यों भाई ऐसे ही कोई शब्द कहे थे ना राखी पर।"…. कुंजल उनके बीच पहुंचती हुई बोली।


आरव:- हां तो ठीक ही बोली थी क्या गलत कहा था लावणी ने।


कुंजल:- देख लो भाई अभी से, होने वाली बीवी की पक्ष ले रहा है।


अपस्यु:- होने वाली बीवी जब इतनी प्यारी हो तो इतना तो पक्ष लेना बनता ही है ना। क्यों लावणी?


लावणी बेचारी शर्मा गई और वहां से निकलने में ही अपनी भलाई समझी, लेकिन आरव ने उसका हाथ छोड़ा ही नहीं। …. "हां तो इकलौती बीवी है ऊपर से इतनी प्यारी भी। बड़े पापड़ बेले है मैंने इसके लिए।"


अपस्यु:- हां वो तो हम सबको याद है, पापड़ तूने बेले थे या दारू पिला कर तस्वीरें ले कर ब्लैकमेल किया था?


कुंजल:- क्या ? क्या ? क्या ?


लावणी अपनी हाथ छुड़ाकर दौड़कर गई अपस्यु के पास और उसके मुंह पर कसके अपने दोनो हाथ रखकर, उसका मुंह बंद करती…. "नहीं भईया प्लीज, आपको मेरी कसम जो किसी को कुछ बताया तो।".… इतना कहकर सामने आरव को घूरते… "ये सब तुम्हारा किया धारा है आरव, क्या कहा था तुमने हम दोनों के बीच की बात है, कोई तीसरा जान ही नहीं सकता। अभी घूमने निकलेंगे फिर मै दिखाती हूं।"


कुंजल :- नहीं मुझे जानना है, प्लीज कोई बताओ वरना मै दोनो में से किसी से बात नहीं करूंगी, मै भी कसम लेती हूं..


आरव:- यहां क्या तुम दोनो प्रतिज्ञा-प्रतिज्ञा खेल रही हो। कॉलेज के एक लफड़े से निकालने के लिए, और साची दीदी के वो डर भागने वाले कुत्ते के कॉन्सेप्ट को काटने के लिए, मैंने लावणी के डरपोक कैरेक्टर में दारू का मोटीवेशन डाला था और इसका नतीजा ये हुआ कि लावणी ने जो ही उस लड़के का हाल किया। उसके बाद ये बहुत खुश थी और मुझे लावणी से प्यार। ये खुश होकर नशे मै मुझे चूमती रही और मेरे मोबाइल से सेल्फी लेती रही। बस इसी बात फायदा बाद में मिलने के लिए उठाया था। और बेबी तुम जब अपस्यु को बताने के लिए डांट ही रही हो तो उसमे कुंजल वाला भी एड कर लेना। सब हिसाब किताब आज बराबर कर लेना।


लावणी गुस्से में उसके पास पहुंची और उसका हाथ पकड़ कर बाहर ले गई। उसे बाहर जाते हुए देख कुंजल और अपस्यु जोर जोर से हंस रहे थे।…. "तुम दोनो को शर्म नहीं आती, जब देखो तब लावणी को छेड़ते रहते हो।"… नंदनी दोनो के सर पर हाथ मारती हुई कहने लगी।


कुंजल:- मां वो मीना कुमारी वाली आज डांस हो जाए क्या.. इन्हीं लोगों ने ले ली ना दुपट्टा मेरा।


नंदनी:- ए पागल ये क्या कह रही है?


अपस्यु:- डांस ही करने तो कह रही है, और क्या कह रही। जब देखो तब आप ना बिल्कुल एंग्री लुक दिए रहते हो।


नंदनी:- मेरी ही गलती है, वीरे से उस दिन इसका रिश्ता पक्का कर देती तब ये इसकी हंसी खी खी नहीं निकलती और तू जो इसे बढ़ावा दिए रहता है वो इसको टाईट करके रखता।


अपस्यु:- वैसे जोड़ी तो अच्छी ही है मां, ऊपर से इनकी जुगलबंदी… वीरे जी.. हां कुंजल जी..


नंदनी तेज हंसती… "वैसे भी इसे तो अरेंज मैरेज ही करनी है ना, तो पूछ ले वीरे में क्या खराबी है।"..


कुंजल:- भईया आप ना लोटा हो, किधर भी लुढ़क जाते हो। अभी मेरी डिग्री कंप्लीट होने दो फिर ढूंढ लेना लड़का। और कोई ना मिले तो कोई नहीं मै उसी वीरे जी से ही कर लुंगी। दोनो मां बेटा खुश। मै चली अब..


अपस्यु;- जा कहां रही है, बैठ ना गप्पे लड़ाते है।


कुंजल:- लड़को की सेल लगी है बाजार में। मै बड़ी भाभी और साची जा रहे है उसी की शॉपिंग करने।


अपस्यु:- अच्छा सुन एक ढंग के पापा मिले तो उसे भी खरीद लेना।


चटाक की एक झन्नाटेदार आवाज़ जो बाहर जा रही कुंजल के कानो तक भी पड़ी, और वो हंसती हुई… "सब के साथ ज्यादा मज़ा लोगे तो यही हाल होगा।"…


उसकी बात सुनकर नंदनी और अपस्यु दोनो हंसने लगे।… "तू ना बहुत शरारती है। तुझमें बहुत कुछ सुनंदा दीदी जैसा है, ऐसा लगता है वो अपना रूप छोड़ गई है। मै आज तक उनके इतना सरल हंसमुख और दयालु नहीं बन पाई। वो जब तुम्हारे पास हो ना तो आस पास एक अलग ही तरह की फीलिंग होती है। तेरी मासी और मौसा जब भी उसके पास आते, वो ऐसी खिंचाई करती की दोनो हाथ जोड़ लिया करते थे, बख्श दो।"....


अपस्यु:- बस अब आप भावुक मत हो जाना। कभी कभी सोचता हूं कश कोई रिवर्स बटन होता, कश उस रात की घटना की भनक कुछ समय पहले लग गई होती, कश मै मां को.. खैर छोड़ो.. ये काश शब्द ना मां बहुत चुभता है, मुझे एहसास करवाता है कि कितना बेबस और लाचार है हम। अब तो मेरे जिंदगी में एक और काश जुड़ गया। छोड़ो भी मां, वैसे अब आपको देर नहीं हो रही वो ऑफिस में कौन है क्लर्क जिनके बेटी की शादी में आपको जाना था।।


नंदनी:- देख मै भी ना यहां बैठ गई। अच्छा सुन बेटा स्वास्तिका और वैली को फोन करके घर बुला ले, उनको बोलना रेडी होने मै बाहर जबतक एक छोटा सा काम निपटाकर आती हूं।


नंदनी चली गई, अपस्यु भी स्वास्तिका को कॉल करके नंदनी का संदेश द देने के बाद, कुछ सोचते हुए सिन्हा जी को कॉल लगाने के लिए मोबाइल निकाला ही था कि ठीक उसी वक़्त सिन्हा जी का कॉल आ गया।


अपस्यु:- बापू बहुत शक्त जान हो, 100+ तो क्रॉस करोगे ही।


सिन्हा जी:- आजा छोटे, मेरे सीने में ना हल्की हल्की चुभन हो रही है।


अपस्यु:- हम्मम ! यहां भी वही हाल है बापू, आप महफिल लगाओ मै अभी आया।


थोड़ी ही देर में अपस्यु सिन्हा जी के ऑफिस में था और दोनो बैठकर आराम से दारू के मज़े लेने लगे। आज अपस्यु अपनी नहीं बल्कि ऐमी की फेवरेट वेसपर मार्टिनी की डिमांड कर बैठा।


सिन्हा जी:- छोटे तू ये टेस्ट कबसे चेंज कर दिया, तेरे लिए कितनी मेहनत से मैंने वो तेरे कॉकटेल का इंतजाम किया था अब आखरी मोमेंट पर प्लान चेंज ना कर।


अपस्यु:- कोई नहीं बापू अभी जो है वो पिला दो।


दोनो बैठ गए बड़े आराम से पीने। सिन्हा जी के 2 पेग और अपस्यु अपने तरीके से बेहिसाब… तभी एक सिक्योरिटी वाला… "सर वो होम मिनिस्टर साहब आए है।"…. "आए नहीं है ने घोंचू, आ चुके है। शुक्ला जी आप ऑफिसर्स से कहिए यहां के सीसी टीवी को बंद करने, और उन ऑफिसर्स को भी यहां लेते आएगा, कहिएगा आज शाम मेरे साथ 1,2 जाम हो जाए।"..


सिन्हा जी:- बड़ा खुश लग रहा है, बात क्या है?


होम मिनिस्टर:- 3 दिन बाद मेरे बेटे का एंगेजमेंट है, सोचा कुछ लोगों मै निजी तौर पर इन्वाइट कर दू। अपस्यु के घर गया तो पता चला कोई था ही नहीं।


सिन्हा जी:- और फिर तूने आईबी वालो से हमारा पता लगवाया..


होम मिनिस्टर:- अब एक पेग देगा कंजूस या इसका भी बिल भेजेगा।


अपस्यु:- बधाई हो सर, वैसे कहां रिश्ता तय किया है?


होम मिनिस्टर:- आज कल मां बाप रिश्ता तय करते है क्या? लड़के ने पसंद कर ली, और मैंने हां, बाकी की डिटेल उस दिन खुद आकर देख लेना, और मेरी बहू को भी लेकर आना। ये जो तेरा ससुर है ना, साला बहुत बड़ा कंजूस है, बेटी की शादी तय हुई, एक बार पार्टी के लिए पूछा तक नहीं।


सिन्हा जी:- कश्यप, भाई तू बहुत ऊंची चीज है। रहने दे वरना मै तेरी होवार्ड यूनिवर्सिटी वाली पार्टी का पोल खोल दूंगा जो तुमने दिल्ली यूनिवर्सिटी में मनाई थी, और फिर वो माला मिश्रा, की कहानी भी।


होम मिनिस्टर:- अबे कौन माला मिश्रा की बात कर रहा है?


सिन्हा जी:- चुतिया सब बात इसी के सामने पूछ ले। अबे वो फ्रेंच कंपनी ट्रित्रेंट के इंडिया की सीईओ।


होम मिनिस्टर:- चुतिया कहीं का, मला मिश्रा का केस वो होवार्ड वाली पार्टी में नहीं हुआ था, बल्कि वो अखिल के शादी तय होने की जब हमने रूमर उड़ाई थी तब हुआ था। उस पार्टी में तो तुझे भाभी (सिन्हा जी की पत्नी) दिखी थी और कांड उसी के साथ पढ़ने वाली वो फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट थीं ना.. क्या नाम तो था रे..

सिन्हा जी:- अंकिता शर्मा..


होम मिनिस्टर:- अंकिता शर्मा की बात रहा हूं पागल। सुनीता भाभी की फ्रेंड का क्या नाम था, जिसे तू मूवी दिखाने ले गया था?


सिन्हा जी:- नूतन छवरिया ..


होम मिनिस्टर:- हां कांड उसके साथ हुआ था..


अपस्यु:- आप दोनो को नहीं लगता कि यहां कोई तीसरा भी बैठा हुआ है?


होम मिनिस्टर:- ओह सॉरी अपस्यु, वो हम बहुत दिन के बाद मिल रहे थे तो..


अपस्यु:- दोनो रहने भी दीजिए... आप अपने गर्लफ्रेंड की याद ताजा कीजिए मै जा रहा हूं?


होम मिनिस्टर:- नाह तुम दोनो बैठो, मै जा रहा हूं। ज्यादा देर रहा तो मीडिया वाले शुंघते हुए पहुंच जाएंगे।


होम मिनिस्टर के जाते ही… "बापू ऑफिस में पीने का मज़ा नहीं आएगा अब, वैसे भी मंत्री जी यहां का पूरा माहौल बोर कर दिया।"


सिन्हा जी:- हां सही कहा.. चल किट्टू सु में चलते है। चलकर 2-4 पेग भी मरेंगे और मूड बाना तो 2-4 ठुमके भी।


थोड़ी ही देर में दोनो पब के सामने खड़े थे। लंबी सी कतार लगी थी और सिन्हा जी उन सबको दरकिनार करते हुए सीधा गेट पर पहुंच गए। वहां के गेट का बाउंसर… "तुम दोनो यहां ऐसे कैसे चले आ रहे हो। जाकर पहले अपनी ड्रेस बदल कर आओ और फिर उधर से लाइन में आना।"..


सिन्हा जी:- साले यहां क्या तूने स्कूल खोला है जो हम ड्रेस कोड में आए। इंडियन लॉ के कोड अनुसार हम सब यहां चलते है और रास्ता छोड़।


बाउंसर अपना हाथ आगे ही बढ़ाया था कि…. "तू मेरे बापू को टच कर लिया तो मेरा वादा है मै तुझे इतनी जोड़ लात मारूंगा की तू अपने उस दरवाजे से टकराते हुए इतना शानदार आवाज़ करेगा की अंदर की पब्लिक कहेगी.. वांस मोर (once more)


दूसरा बाउंसर तुरंत वहां पहुंचते… "क्यों बहस कर रहे हो, आप दोनो की क्या समस्या है।"


सिन्हा जी:- इसकी तो, साला जो आता है यही पूछता है। हमे अंदर जाना है बस।


बाउंसर:- सर अंदर फुल है, आप ड्रेस कॉड फॉलो करके लाइन में अाए।


सिन्हा जी:- छोटे मुझे अब इनसे कोई बात नहीं करनी, बस 1 मिनट है तेरे पास वरना मै घर चला जाऊंगा।


अपस्यु, बाउंसर से… "अंदर मैनेजर से बोलो बाहर सुप्रीम कोर्ट के मशहूर वकील बिना ड्रेस कोड के अंदर आना चाहते है, क्या करना है? जो जवाब हो बता देना फिर हम यहां के ऑनर से ही बात कर लेंगे।


बाउंसर ने संपर्क किया और डिस्को का दरवाजा तुरंत खुल गया। वहां का मनाजिंग डारेक्टर खुद सिन्हा जी को लेने आया था। दोनो जैसे ही अंदर आए सिन्हा जी मैनेजर को वापस भेजते… "छोटे यहां तो घर की पार्टी लगती है। देख तो मेरा बेटा और बहू कितने प्यारे लग रहे है।".. (आरव और लावणी)
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

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"पागल".. अपस्यु इतना कहकर ऐमी की आखों में देखने लगा और ऐमी मुस्कुराती हुई… "क्या देख रहे हो।"..


अपस्यु ऐमी के होंठ को एक बार चूमकर अलग होते.. "तुम्हारा बचपना।"..


अपस्यु की बात सुनकर ऐमी हंस दी, फिर आंख मारती हुई पूछने लगी… "और क्या देखना चाहते हो।"


अपस्यु:- बचपन से शुरू हो गया, अब जवानी तक के दर्शन करवा दो।


ऐमी मुस्कुराती हुई होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगे। अपस्यु जल्दी में उसके टॉप निकालने लगा… "बेबी रुको तो, कितने उतावले हो रहे हो.. आहह ! नाखून से छिल दिए ना पीठ।"..


अपस्यु अपने होंठ ऐमी के गले से लगाते… "तुम जवानी दर्शन बोलकर मुझसे मेहनत करवाओगी तो यही होगा।"…


ऐमी कूदकर उसके गोद में चढ़ती, होंठ से होंठ लगाकर चूमती हुई… "डायनिंग टेबल पर चलो।"


अपस्यु उसे गोद में उठाए डाइनिंग टेबल पर गया। चादर खींच सामान नीचे गिराते, ऐमी को डायनिंग टेबल पर लिटाया और और उसके जीन्स के बटन खोलना लगा। ऐमी अपना हाथ बटन के ऊपर डालती उसे खोंलने से रोकी और खुद नीचे उतारकर अपस्यु जो धक्के देती डाइनिंग टेबल पर लिटाई। तेजी से उसके पैंट और अंडरवियर को खोलकर नीचे फेक दी।


ऐमी के सामने अपस्यु का अर्द्ध विकसित लिंग था, जिसे वो अपने हाथो में लेकर मूठियाने लगी। अपस्यु पर मस्ती का पूरा सुरूर चढ़ने लगा। देखते ही देखते ऐमी ने लिंग को मुंह में के लिया और अपस्यु मजे में तेज तेज श्वांस लेने लगा।


इतने में ही ऐमी ने लिंग को मुंह से निकाल दीया। ऐमी के अलग होते ही अपस्यु अपनी श्वांस सामान्य करने लगा, इधर जबतक ऐमी डाइनिंग टेबल पर चढ़ी और अपस्यु के कमर के दोनों ओर पाऊं करती, हाथ पीछे ले जाकर अपने ब्रा के हुक को खोल दी।


अपने कमाल के स्तन को, ब्रा की कैद से आजाद करके, ब्रा को अपस्यु के मुंह पर फेकी। फिर अपने जीन्स के बटन खोलकर अपनी जिसने निकालकर उसके मुंह पर फेंक दी। उफ्फ क्या आदा से कमर को पीछे करके ऐमी ने अपने पैंटी को निकालकार अपस्यु के मुंह पर फेका.… अपस्यु उसे अपने हाथ में लेकर तेज श्वांस खींचा, और खो गया। ऐमी यह देख हर "ही ही".. करी और आराम से अपस्यु के कमर पर बैठ गई। लिंग योनि के ऊपर घिस रहा रहा था, ऐमी के स्तन अपस्यु के सीने में दबे हुए थे और ऐमी, अपने हाथ से अपस्यु के बाल को ऊपर करती, उसके आखों मै आखें डालकर देखती हुई अपने होंठ आगे बढ़ा दी।


अपस्यु उसके होंठ के रसपान में पुरा डूब गया और अपने हाथ नीचे ले जाकर, लिंग को उसके योनि में डाला और एक जोरदार झटका मारा। ऐमी होंठ को अलग कर लंबी सिसकारी भारी और ठंडी ठंडी श्वांस लेने लगी। अपस्यु अपने दोनो हाथ मजबूती से नितम्बों को दबोचे थे और उसकी दसों उंगलियां दरार में अंदर घुसी थी।


अपस्यु उत्तेजना में आकर अपनी उंगली गुदा मार्ग के इर्द गिर्द चलाने लगा। उंगलियों का ये स्पर्श ऐमी को गुदगुदी और उत्तेजना दे रही थी और इसी उत्तेजना में ऐमी ने अपस्यु के होंठ को अपने दांतों के भींचकर उसका रसपान करने लगी और अपने कमर पूरे उत्तेजना के साथ हिलाने लगी।


दोनो मस्ती में चूर एक दूसरे के साथ पुरा एन्जॉय करते रहे। और अंत में खाली होकर एक दूसरे से लिपटकर सो गए।ए

8 नवंबर 2014..


राजस्थान का जोधपुर महल को दुल्हन की तरह सजाया गया था। होम मिनिस्टर ने कुछ खास लोगों की मौजूदगी में अपने बेटे के सगाई का कार्यक्रम रखा था, जहां ज्यादातर मेहमान दोनो ही पक्षों के ओर से सामान्य थे। दिग्गज राजनेता, प्रमुख उद्योगपति और बड़े बड़े सरकारी अधिकारी।


महल के रास्ते से लेकर उस इलाके के चप्पे चप्पे में जैसे पुरा छावनी बना हुआ था। कलिका पूरी तरह से सज धज कर अपनी मां अनुप्रिया के साथ में बैठी हुई थी और उसके भाई बाहर लोगो से मिल रहे थे और पार्टी का लुफ्त उठा रहे थे।


शाम के 7.30 बजे सौरव और कलिका ने एक दूसरे को अंगूठी पहनाई और उसके बाद पार्टी का माहौल शुरू हो गया। आमुमन लगभग सभी कॉमन गेस्ट थे, और बचे हुए लोगो के साथ जान पहचान जारी थी। तभी सौरव और कलिका अपस्यु और ऐमी के सामने हुए। कुछ लम्हे के लिए कलिका और अपस्यु की नजर एक दूसरे पर ठहर गई, और उसके बाद अपस्यु उन पर ध्यान ना देकर ऐमी से बात करने लगा…


कलिका:- ये क्यूट सा बच्चा कौन है सौरव हमारी पार्टी में, इससे जान पहचान नहीं करवाओगे।…


सौरव:- मेरे पिताजी के कारन जिंदा बचा हुए लड़का है ये कलिका, इनसे पहचान कि जरूरत नहीं।


कलिका:- हमारे गेस्ट है ये सौरव, इतना रूड ना बनो।


सौरव:- तुम जान पहचान करो, मै 2 मिनट में आया।


कलिका अपना हाथ आगे बढ़ती हुई… "हेल्लो लिटिल ब्रदर, आई एम् कलिका।"..


अपस्यु हाथ मिलाते… "सिस्टर मुझसे रिश्ता जोड़कर लगता है होने वाले जीजाजी को तुमने नाराज कर दिया।"…


कलिका अपस्यु को हैरान करती उसे गले से लगा ली और धीमे से हंसती हुई कहने लगी…. "तुम्हारे जीजाजी को तो मै संभाल लुंगी, लेकिन जिस जगह तुम खड़े हो लिटल ब्रदर वहां पहुंचने के लिए लोग सालो मेहनत करते है और खुद को बनाए रखने के लिए तो उससे भी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।"


अपस्यु:- सिस्टर डोंट वरी, मै सेल्फ मेड हूं और ये नामचिहन लोगो की महफिल में खुद को बनाए रखने के लिए मैंने भी अपना एक मुकाम हासिल किया है।


कलिका, अपस्यु से अलग होती उसकी आंखो में घुरकार देखती… "मुकाम पर बने रहो ऐसी मै प्राथना करूंगी। वैसे ये दिखता केवल सहर है, लेकिन है पुरा जंगल, अपना ख्याल रखना लिटल ब्रदर।


अपस्यु:- ये यदि जंगल है तो मै इस जंगल का शेर हूं सिस्टर। सियार कितना भी झुंड बनाकर मेरे शिकार की योजना क्यों ना बना ले, जंगल का तो एक ही बाप रहेगा। शायद अभी आपको जीजाजी के पास जाना चाहिए, बेचारे मेरा गुस्सा शराब पीकर निकाल रहे।


कलिका वहां से तुरंत सौरव के पास पहुंची, उसके जाते ही ऐमी… "भाई को पहचान गई बहना लेकिन वर्षों के बिछड़े भाई से मिलने का तरीका भी बिल्कुल निराला था।

अपस्यु:- जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।


ऐमी:- जी गुरुजी समझ गई।


इधर कलिका सौरव के पास पहुंचकर… "तुम मेरे साथ आओ।"


सौरव:- नहीं जाओ तुम भी मेरे बाप की तरह मेरे दुश्मन की फैन हो जाओ। पहली ही मुलाकात में भाई बहन का प्यार जाग गया।


कलिका:- सभी गेस्ट को आपस में बात करने दो, तुम मेरे साथ आओ तुम्हे कुछ दिखाना है।


सौरव छोटा सा मुंह बनाए उसके साथ कमरे में पहुंचा… कलिका जबतक दरवाजा लॉक कर रही थी, सौरव शराब का एक पेग खिंचते… "दिखाओ क्या दिखाना है।"


कलिका मुस्कुराती हुई अपने लहंगे की डोर को खींचकर उसे जमीन में गिरने दी… "तुम्हे भी तो इन्हे रात भर मस्ती में देखना है ना।"


सौरव अपनी बड़ी आखों से उसके सुडौल टांगो के पुरा दर्शन करते तेजी के साथ उसके पास पहुंचा और बैठकर पैंटी के ऊपर अपना मुंह डालते… "क़यामत हो तुम कलिका, बस ऐसे ही गुस्सा शांत कर दिया करो।"..


कुछ ही देर में गद्देदार बिस्तर हुच हूच के आवाज़ के साथ ऊपर नीचे होने लगी। सौरव तेज तेज झटके मारते उसके बड़े बड़े स्तन को अपने दोनो हाथ में दबोचे हुए था और जैसे ही छुटने वाला हुआ कलिका बैठकर उसके लिंग को आगे पीछे करती अपना चेहरा सामने ले आयी।


सौरव की आखें पूरी बंद हो गई और पुरा कम कलिका के चेहरे पर फ़ैल गया।.. कलिका हंसती हुई कहने कहीं… "पुरा विदेशी वाली फीलिंग थी ना।"…


सौरव कलिका के दोनो निप्पल को अंगूठे में फसाकर पुरा खींचा… "आह सौरव, दर्द हो रहा है।"..


सौरव:- आज तो पूरी रात इन विदेशियों को फेल करने वाले आसान होंगे।


कलिका अपना चेहरा साफ करती हुई बिस्तर मै नंगी लेट गई… "सौरव कुछ ड्राई फ्रूट्स लेकर बिस्तर में आराम करो और वो सेक्स पॉवर वाली गोली कुछ देर बाद खा लेना। अभी पूरी रात बाकी है।"..


सौरव कलिका की बात मानते हुए बिस्तर से टिक कर बैठ गया और अपने हाथ से उसके स्तन को सहलाते हुए कहने लगा… "कितना अच्छा तो तुम उसे मारने कि योजना बना रही थी, फिर ऐसे उसके साथ प्यार जताने की क्या जरूरत थी। मै तो सुलग गया, मुझे ऐसा लगा जैसे कहीं तुम भी उसकी फैन हो गई तो वो कमीना अपस्यु फिर ना कहीं बच जाए।"


कलिका:- हा हा हा हा.. तुम अंदर की बहुत सी कहानी नहीं जानते सौरव.. इसलिए इतना पैनिक हो गए।


सौरव:- पैनिक ना हो जाऊं तो और क्या रहूं। एक तो उसके ऊपर की चिढ़, ऊपर से मुझे क्या पता तुम सबके दिमाग में क्या चल रहा है। मेरा बस चले तो इसे मारने के लिए तबतक लोगो को भेजता रहता जबतक कि ये मर ना जाए।


कलिका:- वो हमने भी कोशिश की थी लेकिन ये है बहुत दिमाग का तेज। लेकिन क्या करे कभी-कभी हम हारकर भी जीत जाते है और जितने की आदत रखने वाला खिलाड़ी अपनी जीत में यह भुल जाता है कि आज के जंग में मिली जीत मात्र एक दिखावा था, ये परखने के लिए की वो कितना सक्षम है।


सौरव नीचे झुककर स्तन के निप्पल के ऊपर वाले गुदाज मांस पर जोड़ से डांट काटते हुए… "सीधा सीधा बताओ जो दिल को सुकून दे, वरना बताओ ही नहीं। मुझे अपने मज़े करने दो।"


कलिका उसका बल पकड़कर उसका चेहरे अपने चेहरे के पास लाई और उसके होंठ को चूमती हुई, उसका सर अपने दोनो पाऊं के बीच रखती उसके मुंह को योनि के ऊपर दबाकर अपनी कमर हिलाने लगी… "हमने 40 लोग मारने भेजे थे, जो इसे खत्म कर दे, ताकि ये हवाला वाला प्लान के पहले ही इसकी कहानी खत्म। क्योंकि कौन फालतू में इंतजार करे की ये कब 2 लाख करोड़ जमा करेगा या कर भी पाएगा की नहीं।"..


सौरव उसके क्लीट के साथ खेलते… "वो तो जिंदा है ना, फिर क्या बच्चो को मारने भेजी थी।"..


कलिका:- हां वो जिंदा बच गया क्योंकि सोच से भी पड़े उसका मैनेजमेंट है। वो हमारे 40 लोगों को तो क्या, बल्कि आधे लोग को भी ना संभाल पाए। हमारे 40 लोगो को गायब करने वाला और कोई नहीं बल्कि हमारे पुराने एक दुश्मन (लोकेश) की टीम थी। खैर ये भी अच्छा हुआ। इस से 2 बात पता चली..


सौरव:- क्या ?


कलिका:- पहली ये की वो हमेशा स्ट्रॉन्ग बैकअप अपने पास रखता है और दूसरा ये की लड़ाई में घायल मेरे सभी आदमी को वो बंदी बनाया, जिसके हथियार पर सर्विलेंस कैमरा था। इसी वजह से मुझे अपस्यु के स्ट्रॉन्ग बैकअप का पता भी चला और उम्मीद है कल से वो हमारे लिए काम करे।


सौरव योनि के ऊपर से उठा और टेबल ओर पड़ी टैबलेट खाते हुए उसके सीने के इर्द गिर्द, अपना पाऊं दोनो ओर रखकर अपने सोए लिंग को उसके गाल से लेकर चेहरे कर घिसने लगा… "मै तो कहता हूं अपस्यु के साथ मेरे बाप को भी खत्म कर दो। साला बहुत दिमाग खाता है, मुझे आगे बढ़ने नहीं देता और उस कुत्ते अपस्यु के लिए पुरा मरता है। ये बाप मेरा कभी नहीं होगा।


दोनो के बीच सेक्स और बातचीत का दौर काफी लंबा चलता रहा और जब फाइनली दोनो सोने के लिए अपनी आखें मूंद रहे थे, दोनो ही एक दूसरे के विचार और पूर्व में किए काम से लेकर भविष्य कि योजनाओं तक हर काम में संतुष्ट होकर सोए।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
जेके ओर पल्लवी को किसने ओर कैसे मारा भाई
 

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अपस्यु:- कमीना कहीं का, नजर दिए है मुझ पर। एहसान फरामोश भुल गया तुझे गोवा ट्रिप पर भेजा था। ।


आरव:- हां हमे ट्रिप पर भेजकर पूरे दिल्ली में तहलका भी मचाया था, सब याद है मुझे।


अपस्यु:- तू मेरे साथ बकवास करने आया है?


आरव:- बकवास करने का शौक नहीं है तेरे साथ, बस यूं ही चला आया था इधर। तुझे अच्छा नहीं लगा तो जा रहा हूं।


अपस्यु:- बस कर नौटंकी, अच्छा चल माफ भी कर दे और बता की तेरा मूड काहे ऑफ है।


आरव:- तेरी वजह से ऑफ है, लावणी को लगता है मै उससे प्यार नहीं करता। कहती है एंगेजमेंट के पहले तो मै उसे परेशान किया करता था और जब से एंगाएमेंट हुई है मै उसे परेशान नहीं करता। कुछ ऐसा नहीं करता जो उसे सरप्राइज कर सके, जैसा पहले किया करता था। हर बात में तेरा एग्जाम्पल अपस्यु ने ऐसे चौंका दिया था ऐमी दीदी को, वैसे किया। इंडिया गेट पर अपने प्यार का इजहार किया।


अपस्यु:- भाई गलत भी कहां कह रही है वो। उन्हें हमारा छेड़ना पसंद है, थोड़ा बहुत परेशान करना पसंद है। मानता हूं कि वो मेरा एग्जाम्पल देती है लेकिन प्यार तो उसे आरव की अदाएं और हरकतों से हुआ था ना, फिर वो आरव कहां गुम है।


आरव:- तो क्या मै उसे जिंदगी भर परेशान करता रहूंगा?


अपस्यु, आरव को बिठाते हुए… "लावणी की प्यारी सी मुस्कान दिन भर बनी रहे तो तुझे कैसा लगता है।"..


आरव:- ऐसा लगता है मानो चारो ओर खुशनुमा मौसम हो। ठीक वैसे ही जैसे मै 11 महीने यूरोप में रहता था।


अपस्यु:- हा हा हा हा.. मतलब तेरा वो एक महीना जो मेरे साथ रहता था वो बुरा वक़्त होता था।


आरव:- और नहीं तो क्या? छोड़ ये सब क्या समझना चाह रहा था वो समझा दे जारा।


अपस्यु:- समझा तो दिया कबका, पूरे दिन छोटे छोटे मुस्कान बनाए रखने के लिए थोड़ा बहुत छेड़छाड़ जरूरी है। जैसे पहले करता था वैसे ही। हां लेकिन ध्यान रखना, ऐसे सितुएशन में मत डाल देना की शर्मिंदगी महसूस हो दोनो को।


आरव:- समझ गया गुरु जी। मै चला लाइन मारने अपनी बीवी को। जबतक जियूंगा उसे लाइन मारता रहूंगा।


अपस्यु:- शाबाश ये हुई ना बात। चल इसी बात कर 2 पेग लगाया जाए।


आरव:- मां है, मासी है, तू जूते मत खिलवा देना।


अपस्यु:- बस 2 पेग की तो बात कर रहा हूं मै।


आरव:- कमीना पिछले हफ्ते 2 पेग बोलकर 6 पेग पिला दिया था। मां ने कितनी गालियां सुनाई थी तुझे पता भी है। खुद तो भाग गया फ्लैट और मुझे यहां डांट खिलवा दी। मेरे सर पर हाथ रखकर बोल कोई जिद नहीं करेगा कोई इमोशनल नाटक नहीं करेगा।


अपस्यु:- बेवड़ा कहीं का, भुल गया वो दिन जब हमेशा टल्ली रहता था, आज भाई को ऐटिट्यूड दिखा रहा है।


आरव:- मतलब तुझे अच्छा लगेगा मै पी कर लड़खड़ाता रहूं घर के लोगों के सामने।


अपस्यु:- नाह ये तो कतई अच्छा नहीं लगेगा।


आरव:- फिर मुझे मेरे हिसाब से पीने से और तू अपने हिसाब से पी। रुक पुरा बोलने दे। मैं थोड़ा सा नशा आने तक पियूंगा, जिसमें मूड रोमांटिक बाना रहे। अब खुश।


अपस्यु:- आह ये हुई ना कलेजे को ठंडक पहुंचाने वाली बात।


दोनो भाई बैठ गए बैठक लगाने तभी दरवाजे पर दस्तक हुई… "कौन हैं"..


स्वास्तिका:- मै हूं, दरवाजा खोल।


आरव ने दरवाजा खोला और झट से बंद कर लिया।… "नॉटी बड़ी प्यारी लग रही है।"…


स्वास्तिका, सिगरेट निकालती…. "यार मां ने एक मिनट के लिए अकेले नहीं छोड़ा। दे एक पेग मुझे भी दे।"..


अपस्यु:- विशकी और स्कॉच है नॉटी, क्या लेगी।


स्वास्तिका:- हद है मेरे लिए वोदका नहीं रख सकते थे। अच्छा छोड़ विस्की ही पिला दे, थोड़ा लाइट पेग बनना।


2 के बदले 3 हो गए और तीनों बैठकर पीने लगे। स्वास्तिका और आरव 4 लाइट पेग के बाद रुक गए, अपस्यु 2 और हार्ड पेग लेने के बाद वहां से उठा। "अब महफिल जवान हुई है आग लगा देंगे।"… अपस्यु उठते ही कहा।


स्वास्तिका और आरव दोनो एक साथ… "फायर बिग्रेड की गाड़ी हॉल में ही घूम रही है, ये ध्यान रखना।"..


तीनों एक साथ किसी पुराने दोस्त की तरह बाहर निकले। तीनों को साथ कमरे से निकालते देखकर ऐमी समझ गई कि अंदर तीनों कौन सा गुल खिलाकर आ रहे है। खैर थोड़ा बहुत एंजॉयमेंट तो चलता है बस यही सोचकर वो चुप रह गई।


कुछ ही देर में लोग आने शुरू हो गए। दीपेश और उसकी फैमिली भी अाई थी और साथ में उसके कुछ दोस्त भी थे। दीपेश का खास दोस्त निर्मल दीपेश के कान में कहने लगा… "यार तेरे ससुराल में हरियाली बहुत होती है। जहां देखो दिल को ठंडक देने वाला एहसास है।"..


दीपेश:- ज्यादा घुर मत वरना यहां के लोगो ने अपने हॉल के दीवार को ज्यादातर वो छोटे छोटे रॉड से सजाया है, ना विश्वास हो तो नजर घुमा कर देख ले चारो ओर।


निर्मल:- जल्लादों के लेटेस्ट हथियार के दर्शन मत करवा, आज तक कभी पड़ी तो नहीं, लेकिन जिसने भी अपना अनुभव साझा किया है, रोंगटे खड़े करने वाले थे।


इधर सारी लड़कियां एक साथ गोल सर्किल बनाकर बीच में स्वास्तिका को घेरे उससे बात कर रही थी, तभी छेड़ छाड़ के इरादे से वहां आरव पहुंच गया। ऊपर देखते हुए उसने अपना हाथ बढ़ाकर लावणी के कमर तक ले गया और उसे चीकोटी काटने लगा…


आरव जब अपने हाथ आगे बढ़ा रहा था तब ऐमी ने लावणी को पीछे खींच लिया और आरव की हरकत देखने कहने लगी। इधर आरव ने चिकोटि काटी और उधर साची के मुंह से आऊच का तेज साउंड निकला और लावणी आरव को घुर रही थी।


साची:- अरे यार मै साची हूं, उधर देख वहां लावणी खड़ी है।


कुंजल:- क्या हुआ साची?


साची:- मेरे कमर में इसने चिकोती काट ली।


इतने में आरव की नजर, घूरती हुई लावणी पर गई… वो अपना सर पीटते वहां से निकल गया। उसे जाते देख वहां मौजूद सभी लड़कियां हंसने लगी। सभी लावणी को छेड़ते हुए पूछने लगी… "क्या जादू कर दिया को आरव बर्दास्त नहीं कर पा रहा। ऐसे भिड़ में छेड़ छाड़।"


लावणी:- हां मुझे भी अच्छा ही लगता अगर मुझे वो चिकोति काटता लेकिन ऐमी दीदी ने बेचारे को मिस कॉल लगवा दिया, अब पूरे फंक्शन में वो शरमाया शरमाया घूमेगा।


कुंजल:- मतलब इस साजिश कि राचयता बड़ी भाभी है।


ऐमी:- आखिर वो भाई किसका है, अपस्यु ने ही सीखा कर भेजा होगा जाकर तंग कर लावणी को।


साची:- लेकिन क्यों ?..


ऐमी:- शायद आज रात लावणी के पास रुकने के लिए रोमांटिक मोमेंट बाना रहा हो। अब दिल की प्यास बीवी ही तो बुझाएगी।


लावणी:- हद है मै जा रही हूं..


साची:- अभी से ही जा रही है.. वन टाइम शो होगा उसके लिए तू स्वास्तिका का एंगेजमेंट क्यों छोड़कर जा रही, बहुत वक़्त मिलेगा।


एक बार फिर से निशाने पर लावणी, बेचारी शर्मा भी रही थी और लज्जा भी। कहे तो क्या कहे और करे तो क्या करे। ये सब हरकत आरव की वजह से हो रहा था और अंदर ही अंदर अब बस वो अकेले में उससे मिलना चाहती थी।


सभी लोगों कि रैगिंग से वो दूर हटकर अपनी मां के पास आकर बैठ गई। वहीं स्वास्तिका ऐमी को आंखें दिखती हुई कहने लगी… "बहुत गलत किया तुम लोगो ने। बेचारी कुछ नहीं बोल पाती इसका मतलब ये नहीं कि तुमलोग उसे परेशान करती रहो।"


ऐमी, अनजान बनती… "मैंने तो बस कैसुआली मज़ाक किया था।"..


साची:- अच्छा, ऐमी को अपनी जगह से हटाकर पुरा सीन क्रिएट कर दी और देखो कैसे भोली बन रही है। इसकी सजा ये है कि ना तो ये अपस्यु को देखेगी और ना ही पूरे फंक्शन में उसके साथ रहेगी।


स्वास्तिका:- जब इनका कैजुअल रिलेशन चल रहा था तब भी ये ऐसा ही कुछ मेंटेन किए हुए थे। इसके लिए कौन सी बड़ी बात होगी। दोनो बस 5 सेकंड का नजर मिलाएंगे और सारी कहानी बयां।


कुंजल:- दीदी आप की कुछ ढंग कि सजा बता दो, तब आएगा मज़ा।


स्वास्तिका:- जाकर इसका ड्रेस चेंज करवा दे फिर देख मज़ा।


ऐमी:- नो नो नो… ये नहीं, बाकी कुछ भी बोलो वो मै कर लूंगी, लेकिन ये नहीं।


सबने पकड़ कार उसे रूम में लेकर आयी और उसका ड्रेस जबरदस्ती चेंज करवा दिया। ना साड़ी ना लहंगा बल्कि पेरिस में को लाल रंग की परिधान ऐमी ने पहनी थी वहीं जबरदस्ती पहनकर बाहर ले आयी।


ऐमी की एक्साइटमेंट पहले से हाई थी। बड़ा ही खुशनुमा फीलिंग था जब वो सोचती की अपस्यु पूरे फंक्शन में उसके आस पास ही रहेगा और मौका देखकर जल्दी से हाथ इधर उधर लगाएगा। फिर उसका आखें दिखाना और अपस्यु का मुस्कुराकर उसपर प्रतिक्रिया देना। लेकिन अब लगता था उसे है पूरे फंक्शन मंडरा मंडरा कर अपस्यु को रिझाना होगा। और अपस्यु का चेहरा उतारना लाजमी था, क्योंकि बहुत कम ही ऐसे मौके होते थे जब अपस्यु ऐमी को कुछ अपने हिसाब से करने कहता था।


"कामिनी कहीं की, देखना नॉटी इसका बदला मै लेकर रहूंगी।"… गुस्सा में वहां से निकल गई ऐमी। उसके जाते ही साची और कुंजल, स्वास्तिका से ड्रेस का लॉजिक पूछने लगी।


स्वास्तिका:- कुछ नहीं अपस्यु ऐमी को साड़ी में देखकर लट्टू रहता है। मैंने ऐमी से कहा था कि पेरिस में जो लाला ड्रेस पहनी थी, एग्जैक्टली वैसी ही तैयार होना, लेकिन कमिनी पहनी साड़ी ही। मैंने भी बदला के लिया…


इधर ऐमी जब बाहर निकली तब उसकी नजर अपस्यु को ही ढूंढ रही थी। और जब अपस्यु को उसने देखा फिर उसे भी समझ में आ गया कि पारा गरम है। बार काउंटर पर बैठकर 2 पेग पी गया जबकि घर के सभी लोग मौजूद थे।


ऐमी तुरंत उसके पास पहुंची.... "सुनो ना बेबी।"


अपस्यु:- तुम बहुत ही खूबसूरत दिख रही हो ऐमी..


इतना कहकर अपस्यु बार काउंटर से उठ गया और सीधा दीपेश के पास पहुंच गया। वो दीपेश और निर्मल बातें करने लगा, और ऐमी उसके पास खड़ी फीकी स्माइल देने लगी और बीच बीच में वो भी उनसे बात कर रही थी।


"देख उधर क्या कही थी। ऐमी का फिका चेहरा और अपस्यु उसे नजरंदाज करके सबसे बात कर रहा है।".. स्वास्तिका साची और कुंजल का ध्यान उस ओर खींचती कहने लगी।


अपस्यु उनसे थोड़ी देर वहां बात किया फिर आकर मासी के पास बैठ गया। ऐमी भी बैठी, और यहां भी वही हो रहा था। इधर दोनो की हालात देखकर ये लोग मज़े ले रहे थे। ऐमी समझ गई आज का ये फंक्शन बेकार ही गया। वो मुंह लटकाए लावणी के पास बैठी… "सॉरी ।"


लावणी:- किस बात के लिए दीदी


ऐमी:- तुम्हे और आरव को छेड़ने के लिए। लेकिन तुम्हे भी हमारी बात के कारन आरव से ऐसे नाराजगी नहीं दिखानी चाहिए। वो तो उसी को तंग करने आया था जिसे कर सकता है, हम तब भी तुमसे उतना ही मज़ाक करते। ये छोटे नोक झोंक तो जायके हैं, इसे मुंह लटकाकर बर्बाद ना कर और वो चीकोती काटने में मिस हो गया, तो क्या तू उसे नहीं छेड़ सकती।


लावणी:- हां छेड़ तो सकती हूं।


ऐमी:- पागल ये झिझक छोड़ और हक से छेड़, ऐसा की उसे फील हो किसी ने देख लिया होता तो क्या होता। अपना ही माल है जैसे मर्जी वैसे छेड़ती रहना।


लावणी हंसती हुई वहां से उठी। आरव नंदनी के पास खड़ा होकर कुछ मेहमानों से बात कर रहा था उसी वक़्त लावणी वहां पहुंच गई… "मां 2 घंटे के लिए आप अपना बेटा उधार देंगी, इतनी मेहनत से इसके लिए तैयार होकर आयी हूं, पूरी दुनिया ने देख ली, केवल आरव को छोड़कर।"


नंदनी, हंसती हुई… "2 घंटा क्यों, पूरी उम्र तो तुम्हे ही साथ रहना है। क्यों रे लड़के, तू लावणी के साथ क्यों नहीं है और उसे लोगो से क्यों नहीं मिलवा रहा।


नंदनी आरव के ओर मुड़ी और लावणी आरव के ठीक पास में खड़ी थी। वो जैसे ही कुछ बोलने को हुए उससे पहले ही उसकी आह निकल गई। बड़ी सफाई से लावणी ने अपने हाथ का पीन को उसके पीछे भोंक दी। बेचारा तिलमिला गय।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 
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