Update:-156
दृश्य:- हम्मम ! भाई होने के नाते एक मदद और कर दो अपने भाई की?
अपस्यु:- के एन शर्मा, उत्तर प्रदेश के जौनपुर क्षेत्र में मिल जाएंगे। मेरे गॉडफादर अक्सर कहते थे, जिंदगी में जब भी खाली रहो उनके पास वक़्त बिताओ। शायद ये आपका भी खाली समय है और आपको भी वहां वक़्त बिताना चाहिए। आगे आपकी मर्जी है।
दृश्य, अपस्यु के गले लगकर उसे जेके का बैग थमाते हुए… "थैंक्स भाई, मै उनके पास वक़्त बीतता हूं, वहां जाने से पहले मै तुझसे मिलकर जाऊंगा।
अपस्यु:- उम्मीद है आप अपने नए सफ़र कि मंजिल को जरूर तय करे।
दृश्य अपने परिवार के साथ वहां से निकल गया। पिछले 13 दिन में पायल 26 बार अपस्यु से माफी मांग चुकी थी। उसे अपने कहे शब्दो पर गिल्ट मेहसूस हो रहा था। वैली की हालत देखते हुए उसे वहीं एक दोस्त के पास छोड़ दिया गया, यानी कि स्वास्तिका के साथ। जिसके साथ मिलकर वैली 2 दिनों से हॉस्पिटल के काम में पुरा ध्यान दे रही थी।
"क्या खडूस क्या सोच रहा है।"… एक शाम अपस्यु घर की लॉन में अकेला बैठा हुआ था, तभी वहां आरव, लावणी के साथ पहुंचते..
लावणी:- भईया आपको ना आचार्य महिदिपी और उनकी बहन अनुप्रिया को सुनना चाहिए, दोनो आपके ज्ञान के भंडार को बढ़ा देंगे।
अपस्यु:- ऐसा क्या खास है उन दोनों में?
लावणी:- आप टीवी नहीं देखते क्या, आज कल टीवी पर उनके भक्त क्या डिस्कशन करते है। वो आपके फ्लोर पर रहती है एक लड़की मालविका और उसका बॉयफ्रेंड विकास, दोनो तो पुरा हिलाए हुए है।
अपस्यु:- ओह हो हमारी लावणी तो उनकी फैन हो गई।
लावणी:- फैन तो मै आपकी भी होती लेकिन आपने बहुत परेशान किया है मुझे।
"अच्छा जी, मेरे भईया को छोटी आंख वाला कहा था किसी ने, मुझे याद आ रहा है। क्यों भाई ऐसे ही कोई शब्द कहे थे ना राखी पर।"…. कुंजल उनके बीच पहुंचती हुई बोली।
आरव:- हां तो ठीक ही बोली थी क्या गलत कहा था लावणी ने।
कुंजल:- देख लो भाई अभी से, होने वाली बीवी की पक्ष ले रहा है।
अपस्यु:- होने वाली बीवी जब इतनी प्यारी हो तो इतना तो पक्ष लेना बनता ही है ना। क्यों लावणी?
लावणी बेचारी शर्मा गई और वहां से निकलने में ही अपनी भलाई समझी, लेकिन आरव ने उसका हाथ छोड़ा ही नहीं। …. "हां तो इकलौती बीवी है ऊपर से इतनी प्यारी भी। बड़े पापड़ बेले है मैंने इसके लिए।"
अपस्यु:- हां वो तो हम सबको याद है, पापड़ तूने बेले थे या दारू पिला कर तस्वीरें ले कर ब्लैकमेल किया था?
कुंजल:- क्या ? क्या ? क्या ?
लावणी अपनी हाथ छुड़ाकर दौड़कर गई अपस्यु के पास और उसके मुंह पर कसके अपने दोनो हाथ रखकर, उसका मुंह बंद करती…. "नहीं भईया प्लीज, आपको मेरी कसम जो किसी को कुछ बताया तो।".… इतना कहकर सामने आरव को घूरते… "ये सब तुम्हारा किया धारा है आरव, क्या कहा था तुमने हम दोनों के बीच की बात है, कोई तीसरा जान ही नहीं सकता। अभी घूमने निकलेंगे फिर मै दिखाती हूं।"
कुंजल :- नहीं मुझे जानना है, प्लीज कोई बताओ वरना मै दोनो में से किसी से बात नहीं करूंगी, मै भी कसम लेती हूं..
आरव:- यहां क्या तुम दोनो प्रतिज्ञा-प्रतिज्ञा खेल रही हो। कॉलेज के एक लफड़े से निकालने के लिए, और साची दीदी के वो डर भागने वाले कुत्ते के कॉन्सेप्ट को काटने के लिए, मैंने लावणी के डरपोक कैरेक्टर में दारू का मोटीवेशन डाला था और इसका नतीजा ये हुआ कि लावणी ने जो ही उस लड़के का हाल किया। उसके बाद ये बहुत खुश थी और मुझे लावणी से प्यार। ये खुश होकर नशे मै मुझे चूमती रही और मेरे मोबाइल से सेल्फी लेती रही। बस इसी बात फायदा बाद में मिलने के लिए उठाया था। और बेबी तुम जब अपस्यु को बताने के लिए डांट ही रही हो तो उसमे कुंजल वाला भी एड कर लेना। सब हिसाब किताब आज बराबर कर लेना।
लावणी गुस्से में उसके पास पहुंची और उसका हाथ पकड़ कर बाहर ले गई। उसे बाहर जाते हुए देख कुंजल और अपस्यु जोर जोर से हंस रहे थे।…. "तुम दोनो को शर्म नहीं आती, जब देखो तब लावणी को छेड़ते रहते हो।"… नंदनी दोनो के सर पर हाथ मारती हुई कहने लगी।
कुंजल:- मां वो मीना कुमारी वाली आज डांस हो जाए क्या.. इन्हीं लोगों ने ले ली ना दुपट्टा मेरा।
नंदनी:- ए पागल ये क्या कह रही है?
अपस्यु:- डांस ही करने तो कह रही है, और क्या कह रही। जब देखो तब आप ना बिल्कुल एंग्री लुक दिए रहते हो।
नंदनी:- मेरी ही गलती है, वीरे से उस दिन इसका रिश्ता पक्का कर देती तब ये इसकी हंसी खी खी नहीं निकलती और तू जो इसे बढ़ावा दिए रहता है वो इसको टाईट करके रखता।
अपस्यु:- वैसे जोड़ी तो अच्छी ही है मां, ऊपर से इनकी जुगलबंदी… वीरे जी.. हां कुंजल जी..
नंदनी तेज हंसती… "वैसे भी इसे तो अरेंज मैरेज ही करनी है ना, तो पूछ ले वीरे में क्या खराबी है।"..
कुंजल:- भईया आप ना लोटा हो, किधर भी लुढ़क जाते हो। अभी मेरी डिग्री कंप्लीट होने दो फिर ढूंढ लेना लड़का। और कोई ना मिले तो कोई नहीं मै उसी वीरे जी से ही कर लुंगी। दोनो मां बेटा खुश। मै चली अब..
अपस्यु;- जा कहां रही है, बैठ ना गप्पे लड़ाते है।
कुंजल:- लड़को की सेल लगी है बाजार में। मै बड़ी भाभी और साची जा रहे है उसी की शॉपिंग करने।
अपस्यु:- अच्छा सुन एक ढंग के पापा मिले तो उसे भी खरीद लेना।
चटाक की एक झन्नाटेदार आवाज़ जो बाहर जा रही कुंजल के कानो तक भी पड़ी, और वो हंसती हुई… "सब के साथ ज्यादा मज़ा लोगे तो यही हाल होगा।"…
उसकी बात सुनकर नंदनी और अपस्यु दोनो हंसने लगे।… "तू ना बहुत शरारती है। तुझमें बहुत कुछ सुनंदा दीदी जैसा है, ऐसा लगता है वो अपना रूप छोड़ गई है। मै आज तक उनके इतना सरल हंसमुख और दयालु नहीं बन पाई। वो जब तुम्हारे पास हो ना तो आस पास एक अलग ही तरह की फीलिंग होती है। तेरी मासी और मौसा जब भी उसके पास आते, वो ऐसी खिंचाई करती की दोनो हाथ जोड़ लिया करते थे, बख्श दो।"....
अपस्यु:- बस अब आप भावुक मत हो जाना। कभी कभी सोचता हूं कश कोई रिवर्स बटन होता, कश उस रात की घटना की भनक कुछ समय पहले लग गई होती, कश मै मां को.. खैर छोड़ो.. ये काश शब्द ना मां बहुत चुभता है, मुझे एहसास करवाता है कि कितना बेबस और लाचार है हम। अब तो मेरे जिंदगी में एक और काश जुड़ गया। छोड़ो भी मां, वैसे अब आपको देर नहीं हो रही वो ऑफिस में कौन है क्लर्क जिनके बेटी की शादी में आपको जाना था।।
नंदनी:- देख मै भी ना यहां बैठ गई। अच्छा सुन बेटा स्वास्तिका और वैली को फोन करके घर बुला ले, उनको बोलना रेडी होने मै बाहर जबतक एक छोटा सा काम निपटाकर आती हूं।
नंदनी चली गई, अपस्यु भी स्वास्तिका को कॉल करके नंदनी का संदेश द देने के बाद, कुछ सोचते हुए सिन्हा जी को कॉल लगाने के लिए मोबाइल निकाला ही था कि ठीक उसी वक़्त सिन्हा जी का कॉल आ गया।
अपस्यु:- बापू बहुत शक्त जान हो, 100+ तो क्रॉस करोगे ही।
सिन्हा जी:- आजा छोटे, मेरे सीने में ना हल्की हल्की चुभन हो रही है।
अपस्यु:- हम्मम ! यहां भी वही हाल है बापू, आप महफिल लगाओ मै अभी आया।
थोड़ी ही देर में अपस्यु सिन्हा जी के ऑफिस में था और दोनो बैठकर आराम से दारू के मज़े लेने लगे। आज अपस्यु अपनी नहीं बल्कि ऐमी की फेवरेट वेसपर मार्टिनी की डिमांड कर बैठा।
सिन्हा जी:- छोटे तू ये टेस्ट कबसे चेंज कर दिया, तेरे लिए कितनी मेहनत से मैंने वो तेरे कॉकटेल का इंतजाम किया था अब आखरी मोमेंट पर प्लान चेंज ना कर।
अपस्यु:- कोई नहीं बापू अभी जो है वो पिला दो।
दोनो बैठ गए बड़े आराम से पीने। सिन्हा जी के 2 पेग और अपस्यु अपने तरीके से बेहिसाब… तभी एक सिक्योरिटी वाला… "सर वो होम मिनिस्टर साहब आए है।"…. "आए नहीं है ने घोंचू, आ चुके है। शुक्ला जी आप ऑफिसर्स से कहिए यहां के सीसी टीवी को बंद करने, और उन ऑफिसर्स को भी यहां लेते आएगा, कहिएगा आज शाम मेरे साथ 1,2 जाम हो जाए।"..
सिन्हा जी:- बड़ा खुश लग रहा है, बात क्या है?
होम मिनिस्टर:- 3 दिन बाद मेरे बेटे का एंगेजमेंट है, सोचा कुछ लोगों मै निजी तौर पर इन्वाइट कर दू। अपस्यु के घर गया तो पता चला कोई था ही नहीं।
सिन्हा जी:- और फिर तूने आईबी वालो से हमारा पता लगवाया..
होम मिनिस्टर:- अब एक पेग देगा कंजूस या इसका भी बिल भेजेगा।
अपस्यु:- बधाई हो सर, वैसे कहां रिश्ता तय किया है?
होम मिनिस्टर:- आज कल मां बाप रिश्ता तय करते है क्या? लड़के ने पसंद कर ली, और मैंने हां, बाकी की डिटेल उस दिन खुद आकर देख लेना, और मेरी बहू को भी लेकर आना। ये जो तेरा ससुर है ना, साला बहुत बड़ा कंजूस है, बेटी की शादी तय हुई, एक बार पार्टी के लिए पूछा तक नहीं।
सिन्हा जी:- कश्यप, भाई तू बहुत ऊंची चीज है। रहने दे वरना मै तेरी होवार्ड यूनिवर्सिटी वाली पार्टी का पोल खोल दूंगा जो तुमने दिल्ली यूनिवर्सिटी में मनाई थी, और फिर वो माला मिश्रा, की कहानी भी।
होम मिनिस्टर:- अबे कौन माला मिश्रा की बात कर रहा है?
सिन्हा जी:- चुतिया सब बात इसी के सामने पूछ ले। अबे वो फ्रेंच कंपनी ट्रित्रेंट के इंडिया की सीईओ।
होम मिनिस्टर:- चुतिया कहीं का, मला मिश्रा का केस वो होवार्ड वाली पार्टी में नहीं हुआ था, बल्कि वो अखिल के शादी तय होने की जब हमने रूमर उड़ाई थी तब हुआ था। उस पार्टी में तो तुझे भाभी (सिन्हा जी की पत्नी) दिखी थी और कांड उसी के साथ पढ़ने वाली वो फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट थीं ना.. क्या नाम तो था रे..
सिन्हा जी:- अंकिता शर्मा..
होम मिनिस्टर:- अंकिता शर्मा की बात रहा हूं पागल। सुनीता भाभी की फ्रेंड का क्या नाम था, जिसे तू मूवी दिखाने ले गया था?
सिन्हा जी:- नूतन छवरिया ..
होम मिनिस्टर:- हां कांड उसके साथ हुआ था..
अपस्यु:- आप दोनो को नहीं लगता कि यहां कोई तीसरा भी बैठा हुआ है?
होम मिनिस्टर:- ओह सॉरी अपस्यु, वो हम बहुत दिन के बाद मिल रहे थे तो..
अपस्यु:- दोनो रहने भी दीजिए... आप अपने गर्लफ्रेंड की याद ताजा कीजिए मै जा रहा हूं?
होम मिनिस्टर:- नाह तुम दोनो बैठो, मै जा रहा हूं। ज्यादा देर रहा तो मीडिया वाले शुंघते हुए पहुंच जाएंगे।
होम मिनिस्टर के जाते ही… "बापू ऑफिस में पीने का मज़ा नहीं आएगा अब, वैसे भी मंत्री जी यहां का पूरा माहौल बोर कर दिया।"
सिन्हा जी:- हां सही कहा.. चल किट्टू सु में चलते है। चलकर 2-4 पेग भी मरेंगे और मूड बाना तो 2-4 ठुमके भी।
थोड़ी ही देर में दोनो पब के सामने खड़े थे। लंबी सी कतार लगी थी और सिन्हा जी उन सबको दरकिनार करते हुए सीधा गेट पर पहुंच गए। वहां के गेट का बाउंसर… "तुम दोनो यहां ऐसे कैसे चले आ रहे हो। जाकर पहले अपनी ड्रेस बदल कर आओ और फिर उधर से लाइन में आना।"..
सिन्हा जी:- साले यहां क्या तूने स्कूल खोला है जो हम ड्रेस कोड में आए। इंडियन लॉ के कोड अनुसार हम सब यहां चलते है और रास्ता छोड़।
बाउंसर अपना हाथ आगे ही बढ़ाया था कि…. "तू मेरे बापू को टच कर लिया तो मेरा वादा है मै तुझे इतनी जोड़ लात मारूंगा की तू अपने उस दरवाजे से टकराते हुए इतना शानदार आवाज़ करेगा की अंदर की पब्लिक कहेगी.. वांस मोर (once more)
दूसरा बाउंसर तुरंत वहां पहुंचते… "क्यों बहस कर रहे हो, आप दोनो की क्या समस्या है।"
सिन्हा जी:- इसकी तो, साला जो आता है यही पूछता है। हमे अंदर जाना है बस।
बाउंसर:- सर अंदर फुल है, आप ड्रेस कॉड फॉलो करके लाइन में अाए।
सिन्हा जी:- छोटे मुझे अब इनसे कोई बात नहीं करनी, बस 1 मिनट है तेरे पास वरना मै घर चला जाऊंगा।
अपस्यु, बाउंसर से… "अंदर मैनेजर से बोलो बाहर सुप्रीम कोर्ट के मशहूर वकील बिना ड्रेस कोड के अंदर आना चाहते है, क्या करना है? जो जवाब हो बता देना फिर हम यहां के ऑनर से ही बात कर लेंगे।
बाउंसर ने संपर्क किया और डिस्को का दरवाजा तुरंत खुल गया। वहां का मनाजिंग डारेक्टर खुद सिन्हा जी को लेने आया था। दोनो जैसे ही अंदर आए सिन्हा जी मैनेजर को वापस भेजते… "छोटे यहां तो घर की पार्टी लगती है। देख तो मेरा बेटा और बहू कितने प्यारे लग रहे है।".. (आरव और लावणी)