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Adultery भोलीभाली पतिव्रता रुचि चूद गई सहेलियों के बहकावे में

क्या रुचि को अपना पतिव्रत धर्म छोड़ना चाहिए या गैर मर्द के साथ संभोग के लिए आगे बढ़ना चाहिए?


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mastmast123

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EPISODE 12
मालती ने अपना सूटकेस खोला उसमें से एक चीज निकाली, वो जानती थी घर से निकलने के पहले रूचि की मनोदशा और उसके शरीर की जरूरत, फिर वो ड्रेसिंग टेबल से क्रीम और तेल भी लेकर आई फिर रूचि को बिस्तर पर बैठाया फिर उस चीज को पैकेट से बाहर निकाला, वो एक double sided dildo था नाजुक लचीला, रूचि देखकर चौक गई हाय मम्मी आप ये भी रखती हो, मालती बोली तेरे से बात होने के बाद मुझे तेरी हालत कुछ कुछ समझ आ आगई थी इसलिए तुरंत अपने ब्यूटीपार्लर पर गई वो ये सब रखती है उससे खरीद लाई सोचा देखती हूं काम आये तो ठीक नहीं तो वापस ले आउंगी। और देख ये अब काम आ रहा है.।

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अब मालती ने उस dildo के दोनों तरफ के लन्ड को खूबसूरत क्रीम और तेल पिलाया फिर एक हाथ से रूचि की चुत चौड़ी करते हुए वो लन्ड उसकी चुत में सरकाना शुरू कर दिया जब धीरे धीरे आधा अंदर चला गया तब दूसरे सिरे वाला लन्ड अपनी चुत पर टिकाया और धीरे धीरे उसे अंदर ले लगी उसकी चुत में जब आधा लन्ड घुस गया तब उसने अपने दोनों हाथों में ढेर सारा तेल और क्रीम लेकर उसे अच्छी तरह मिक्स करके रूचि के कड़क हो चुके बोबों पर अच्छी तरह से लगा दिया और ऐसा ही रूचि को करने के लिए कहा, अब दोनों माँ बेटी एक दूसरे के विशाल तने हुए बोबों को मसल रही थी

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और धीरे धीरे dildo को अपनी अपनी चुतों में अंदर बाहर कर रही थी और सिसकती जा रही थी,


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तब मालती बोली अब आगे सुन रूचि फिर गौतम के साथ क्या हुआ।

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मालती : तूने सच कहा था रूचि मेरे बोबों में भयंकर हुलचल हो रही थी मेरी चुत रिसने लगी थी और उसे में अपनी दोनों जांघो से मसल रही थी और मन में आहे भर रही थी नई नई शादी नई नई चुदास की आग नया नया यौवन और कमसिन बॉब्स की उठान और उसमें उठती तरगें फिर नई नई चुदी चुत की तड़प सब मिलकर मुझे पागल किये दे रही थी, मैंने देखा नीचे उसके पेंट की तरफ उसका लन्ड मुझे लगातार वासना से भरी नज़रों से देखते हुए खड़ा हो चूका था और वो बेशरम उसको छुपाने की कोशिश भी नहीं कर रहा था, उसकी आँखों में वासना की आग साफ दिख रही थी वो जान गया था मेरी हालत इसलिए भी वो बोल्ड हो गया था।
वो बोला : मालती आप जब भी इतरा कर मेरे सामने घूमती हो मैं समझ गया था आप भी मुझे पसंद करने लगी हो मैं खुद को कण्ट्रोल नहीं कर पाता था और आपको आपके पति के सामने ही पकड़ कर आपको ऊपर से नंगी करके इन दोनों मस्त कबूतरों को अच्छी तरह मसलना मरोड़ना रगड़ना चूमना चाटना चाहता था आपकी प्यासी आँखों में भी यही प्यास मुझे दिखाई देती थी मगर हम एक अच्छे परिवार से हैँ इसलिए ऐसा कभी नहीं किया, लेकिन आज खुद को रोक नहीं सका और आज आ ही गया और सोचा जो भी मेरे दिल में है वो सब कहूंगा चाहे फिर जो हो, और देखो मैंने कह भी दिया, आप ने सुन लिया और देखिये आपकी इन मस्त उछलने वाली विशाल चूचियों ने मेरे लन्ड का क्या हाल कर दिया है और अचानक बेशरम ने खड़े हो कर पैंट के चैन खोलकर अपना भारी भरकम लन्ड बाहर निकाल लिया, बाप रे उसका लन्ड तेरे पापा से ढाई गुना लम्बा और दोगुना मोटा था एकदम गौरा लाल झटके मारता हुआ मुझे सलामी दे रहा था मैं थोड़ा अचंभित थी थोड़ी रोमांचित, मेरी चुत से जोरों से रोना शुरू कर दिया था बोबों ने बगावत कर दी थी वो ब्लाउज फाड़ कर बाहर आ जाना चाहते थे चुत में हज़ारों चीटिंया रेंगने लगी थी में बेसुध सी बैठी थी, तभी तेज़ी से तेज शोर करती हुई doorbell बजी, मैं चौकि, इस समय कौन, उसको बोला इसको अंदर करो तुरंत और door ऑय से बाहर देखा तेरे पापा थे मेरी गांड फट गई थी अब क्या होगा कुछ समझ नहीं आया मैं गौतम के पास दौड़ी बोली मेरे पति हैँ वो भी डर गया, बोला अब क्या होगा, तब तक वो लन्ड को अंदर डाल चूका था मैं उसे घसीटती हुई स्टोर रूम तक ले गई, हम उस पर ताला लगा कर रखते हैँ चाबी पास ही थी ताला खोल कर उसे अंदर धकेला और बोला चुपचाप बैठना जब ये चले जायेंगे तो बाहर निकालती हूं और फिर ताला लगा कर चाबी पास ही छुपा कर रख दी.
जाकर दरवाजा खोला तेरे पापा बोले क्या कर रही थी देर लग गई मैंने कहा लू में थी पेट कुछ ठीक नहीं है आज, वो बोले ये तो पाता चल रहा है तुम्हारा रंग जो फीका पड़ा है, अब ठीक हो, मैं बोली हाँ.
तेरे पापा : यार मालती अभी मुझे ऑफिस के काम से बाहर जाना है कल शाम तक आ जाऊंगा, तुम एक रात मैनेज कर लो प्लीज, और मेरा बैग तैयार करवा दो,
अंदर बैठा गौतम ये सब सुन रहा था उसका डर दूर हुआ चलो अब ये चला जायेगा, बच गए नहीं तो बिचारी मालती मारी जाती उसका परिवार टूट जाता, वैसे वो इंसान बहुत भला था बस मुझ पर मर मिटा था बाकि कोई ऐब उसमें नहीं था.
मैंने तेरे पापा की तैयारी में हेल्प की, उन्होंने कुछ माँगा जो स्टोर रूम में था उनको भी पता था बोले मैं निकाल लाता हूं अब में बुरी तरह डर गई मगर ताला लगा था अंदर जा नहीं सकते थे बोले चाबी दो, मैंने करीबन दस मिनिट चाबी ढूंढ़ने का ड्रामा किया, अंदर गौतम सब सुन रहा था, उसकी भी फटी पड़ी थी, मगर ताला लगा होने से वो आश्वास्त था, तब तेरे पापा बोले मालती रहने दो मुझे देर हो रही है मैं खरीद लूंगा, कल शाम तक आता हुँ तुम अपना ख्याल रखना, इतना बोल कर वो जल्दी से निकल गए, मैंने शांति की सांस ली, अंदर गौतम ने सुन लिया था कि वो जा चुके हैँ, मैंने जल्दी से दरवाजा अच्छी तरह से बंद किया सब लॉक लगाए और खिड़की जो बंद थी मगर और अच्छे से बंद करने के बाद स्टोर की तरफ बड़ी, चाबी छुपाई जगह से निकाल कर ताला खोला, जब दरवाज़ा खोला तो देखा अंदर लाइट जल रही थी जबकि हम बंद रखते हैँ और सामने गौतम पूरा नंगा खड़ा बाहें फैलाये मेरा इंतज़ार कर रहा था उसका गोरा लाल लवडा पूरा तन कर खड़ा था मेरे स्वागत के लिए, मतलब गौतम ने सब सुन लिया था और जान चूका था तेरे पापा चले गए हैँ तभी बेशरम नंगधढग बाहें फैलाये खड़ा था, उसके मोटे ताजे रस की बून्द से सजे लन्ड को देखकर मेरी चुत कुलबुला गई जो पहले से ही बैचैन अधमरी लन्ड की प्यास से घायल थी, मैं उसकी बांहों में जाने के बजाय नीचे बैठ गई और उसके लन्ड के टोपे को मुंह में भरकर उसकी बून्द को पी गई और धीरे धीरे चूसने लगी,

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उसके मुंह से तेज़ आह सिसकी के रूप में निकली और बोला मालती तुमने मेरी ज़िन्दगी की पूरी ख्वाहिशे आज पूरी कर दी, अब इसी वक़्त मुझे मौत भी आ जाये तो मुझे दुःख नहीं होगा, ये सुनकर तुरंत उठ खड़ी हुई और उसके मुंह पर हाथ रख दिया और पहली बार उससे बोली ऐसा मत बोलिये गौतम मुझे आपके साथ सारी ज़िन्दगी जीना है और उसके होंठ चूसने लगी, वो भी मचल गया उसने अपनी जीभ से मेरा मुंह खोला और मेरी जिबान अपने मुंह में खींच कर उसे होले होले चूसने लगा हम दोनों पूरी मस्ती में डूब गए थे पागल हो गए थे उसकी चुसाई से मेरे पुरे शरीर में झनझनी दौड़ गयी थी, इस दौरान उसके हाथ अपना काम शुरू कर चुके थे उसने पहले ब्लाउज फिर ब्रा फिर साड़ी फिर पेटीकोट और पेंटी सब उतार कर मुझे पूरा नंगा कर दिया था, दस मिनिट तक चले इस चुसाई कार्यक्रम के दौरान.।
अब जब हमने चुम्बन तोड़ा तब उसका टन टनाता लन्ड मेरी जांघो के बीच मेरी चुत से छेड़खानी कर रहा था और उसके हाथ मेरे बोबों की मालिश कर रहे थे और मैं खुद को सम्हालाने की कोशिश कर रही थी, तभी मैंने उससे कहा
गौतम मेरी एक बात मानोगे pls
क्या वो बोला
मैंने कहा तुम मेरे साथ जो चाहो कर लो लेकिन मैं मुझे चोदना मत pls, मैं अभी इसके लिए तैयार नहीं हुँ, कल शाम तक तुम यहीं रहो पर pls अपना लन्ड मेरी चुत में मत डालना, इतनी रिक्वेस्ट है तुमसे, pls
 
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mastmast123

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Any suggestion regarding female characters of my story, the way I write their emotions and sexual activity, if you think is not as same as a female thinks or behave, pls let me know I will correct in comming episodes. Thanks fir liking
 

mastmast123

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आगे
गौतम ने मेरी बात सुनी फिर मेरी आँखों में देखा और प्यार से एक चुम्बन मेरे ललाट पर दिया और मेरे सामने नीचे ज़मीन पर बैठ गया फिर मेरी रस टपकाती चुत को छू कर मेरी आँखों में देखते हुए बोला मालती जी इस चुत रानी की कसम खा कर कहता हुँ कि जब तक आप खुद मेरा लन्ड अपने हाथ से पकड़ कर इस चुत रानी पर नहीं रखोगी तब तक मैं आपको चोदने के लिए आगे नहीं बढ़ूंगा.
रूचि गौतम इतना शालीन था कि हम दोनों इस हद तक आगे बढ़ चुके थे मगर तब भी वो पुरे सम्मान से मुझसे बात कर रहा था और कोई आदमी होता तो शायद तू तड़ाक से बात करता, जबरदस्ती करता और इसी बात से मेरे मन में उसके लिए बहुत प्यार और आदर बढ़ गया. मालती आगे बोली
अब गौतम ने अपनी मेरे चुत रस से भीगी ऊँगली को मुंह में लेकर चाटा और बोला मालती जी ये चुत रानी आज से मेरी देवी है मैं जब भी सबके सामने आपको झुक कर प्रणाम करूँगा, ज़ब आपके पति होंगें और कोई आपके परिवार के सदस्य या और कोई दोस्त उनकी पत्नियां भी, तब मेरा मतलब मेरी अपनी इस चुत रानी को नमन होगा और मैं इससे आशीर्वाद मांग रहा होऊंगा कि है चुत रानी मुझे पता है आप रस से भर गई हो आप इसीतरह मेरे लिए रस बरसाती रहना मैं आपका रस पीकर धन्य होता रहूँगा, आप मेरी देवी हो आपको शत शत नमन है हे चुत रानी, आज से मैं इसका नामकरण मालती देवी करता हुँ, मालती जी मैं जब भी सबके सामने आपको मालती देवी कहूं तो आप समझ जाना में अपनी इस चुत रानी को सम्बोधित कर रहा हुँ, मालती जी आप से प्रार्थना है कि मैं इस चुत रानी कि छत्र छाया में अपना पूर्ण जीवन गुजार दूँ ऐसी मझे परमिसन दीजिये और मैं अपनी मालती देवी यानि इस चुत रानी की कसम खाता हुँ कि मैं ज़िन्दगी भर शादी नहीं करूंगा और मेरी निष्ठा इस मोटे हलव्वि लन्ड सहित मेरी चुत रानी पर रहेगी।
मालती : हे गौतम मैं भी आज इस प्यारे लाल अमृत से भरे लन्ड को मेरी चुत रानी की सेवा में स्वीकार करती हुँ आज के बाद कसम खाती हुँ ज़ब तक आप इस धरती पर रहेंगे इस चुत रानी पर केवल आपका अधिकार रहेगा, सिर्फ मेरे पति को छोड़कर, इतना कह कर मैंने उसे कहा अपना सिर झुकाओ फिर मैंने अपने चुत को उसके सिर पर रख दिया और कहा मेरे बलिष्ठ लन्ड वाले गौतम ये चुत रानी आपको सदा इसका सुहाग बना रहने का आशीर्वाद देती है। आज मैं भी इस लन्ड का नामकरण करती हुँ इसको अब मैं गौतम महाराज के नाम से बुलाऊंगी सब के सामने और ज़ब आप मालती देवी यानी चुत रानी को प्रणाम करोगे मैं कहूँगी गौतम महाराज सदा मुस्तेद रहो सदा मालती देवी की सेवा में खड़े रहो जब तक मालती देवी के सामने रहो खडे रहो अपना मुंह गर्व से ताने हुये।
इतना कह कर मैं उसे उठाकर अपने बेडरूम में ले गई और उसे सुला दिया फिर उसका तगड़ा लन्ड मुंह में लेकर चूसने लगी, रूचि तुम कभी वो आनंद जान नहीं पाओगी जब उस उम्र में जिसमें तुम अभी हो किसी पराये लन्ड को पति की गैर हाज़िरी में पूरी चुदेल और चुदासी हो कर ऐसे मोटे लन्ड को चूसने का जो मज़ा जो ख़ुशी जो सुख है वो क्या है, रूचि मैं चाहती हुँ तू अभी उम्र के इस दौर में जब भी ऐसा सुन्दर मर्द और ऐसा लन्ड मिले तो कभी मत छोड़ना, बेटी, चाहे जितने मिले ले लेना पीछे मत हटना तुझे मेरी कसम है, और दोनों माँ बेटी बहुत तेज़ी से एक दूसरे के बोबे मसलने लगी और अपनी चुतों में dildo वाले लन्ड को रागड़ने लगी, मालती बोली बोल बेटी बोल, रूचि भी चुत की गर्मी के वाशीभूत होकर अमित और हेमांगी के पति के चेहरे को सोचती हुई बोली हाँ मेरी प्यारी लन्ड की दासी मालती मम्मी मैं बहुत से लन्ड लुंगी आज तेरी कसम खा कर कहती हुँ।
अब आगे बता मम्मी फिर क्या हुआ और रूचि बुरी तरह से मालती की घूंडियों को उँगलियों में दबोच कर उमेठाने लगी।
मालती बोली मैं गौतम का लन्ड चुस्ती रही और दोनों हाथों से उसे मालिश सी करने लगी, गौतम सिसियाता रहा और बोलता रहा मालती मैं मर जाऊंगा इतना सुख इतनी ख़ुशी इतना आनंद, हाय मालती,,, और उसने मेरे दोनों बोबों को कठोरता से अपने दोनों पंजों में भींच लिया पूरी ताकत से, मेरी आह निकल गई मेरी चुत ने रस का एक रेला छोड़ दिया दर्द और आनंद की लहर बॉब्स से लेकर चुत में दौड़ने लगी, इतना कस के तेरे पापा ने कभी रगड़ा नहीं था मुझे मुझे जन्नत के तारे दिखाई दे रहे थे, मैं चुत की चुदास लिए उसका लन्ड चुस्ती रही मालिश करती रही वो मेरे बोबों से बेरहमी से खेलता रहा दोनों वासना की नदी में तैरते रहे, कोई तीस मिनिट तक, तब जाकर उसका फवारा छूटा जो थोड़ा मुंह में और बाकि मेरे शरीर पर और बिस्तर पर बिखर गया वो लगभग एक मिनिट तक छूटता रहा मैं निहाल होती रही मेरी चुत भी बहती रही इतनी कि जैसे पेशाब निकल रही हो, मगर वो सच में मेरा रस था मेरी चुत देवी का. हम दोनों कोई दस मिनट तक हँफाते रहे, फिर बांहों में बाहें डाल कर सो गए।
उस दिन और उस रात उसने मुझे अपने मुंह से अपनी उँगलियों से और फ्रीज़ में रखे बैंगन से काम से कम दस बार झड़ाया, दूसरे दिन शाम होने तक हम दोनों नंगे ही रहे, बहुत बातें कि बहुत प्रेम किया मैंने भी उसे उतनी ही बार सताया लन्ड लिया, मुठियाया और पूरा पूरा मज़ा लिया, जाने के पहले उसे मैंने प्रॉमिस किया कि मैं अब जल्द ही इस गौतम महाराज को मालती देवी में प्रवेश प्रदान करुँगी.
इन सब बातों के दौरान दोनों माँ बेटी पांच छह बार झड़ी, फिर निढाल हो कर बिस्तर में लेट गई.
रूचि : उसके बाद क्या हुआ मम्मी, अगला मिलन समारोह और चुदाई कार्यक्रम कब सम्पन्न हुआ।
ये बता सुन कर मालती कि आँखों में आंसू आ गए, वो रोती हुई बोली बेटी मेरी बदकिस्मती मेरी चुत रानी की फूटी किस्मत कि इस बात के आठ दिन बाद एक ख़तरनाक एक्सीडेंट में गौतम की डेथ हो गई और में बेसुध होकर डिप्रेशन में चली गई और बड़ी मुश्किल से रिकवर हुई, बेटी उसके बाद मैंने किसी मर्द की तरफ देखा ही नहीं, मेरी चुदाई की इच्छा आज तक पूरी नहीं हुई, समय तो निकल गया लेकिन आज सोचती हुँ काश उस दिन मैंने गौतम को मुझे चोदने की स्वीकृति दे दी होती तो शायद आज मेरी चुत रानी किसी दमदार चुदाई के लिए तरस नहीं हो रही होती, बेटी ये गलती तुम मत दोहराना, इसीलिए मैंने तुझे कसम दी है कि जितने मौक़े और जितने लन्ड मिले जब तक जवानी है चुदाती रहना नहीं तो मेरी तरह मोटे लन्ड के लिए तरसती रह जाएगी, न जाने क्यों आजकल मुझे रगड़ रगड़ चुदने को इच्छा क्यों होती जा रही है मैं नहीं जानती, अगर तू मुझे अपनी बात नहीं बताती तो शायद ये बात कभी तुझे कहती ही नहीं. इतना कह कर मालती रूचि के गले लग कर रोती रही रोती रही।
अब रूचि को मालती कि चुत कि प्यास का पता चला, उसने मालती को ध्यान से देखा उसका शरीर उसे अपने शरीर से कहीं भी कम नहीं जान पड़ा उसने सोचा मैं तो यहीं हुँ मेरा तो कुछ न कुछ कर ही लुंगी लेकिन इसके वापस घर चले जाने के बाद इसकी चुदाई की कोई संभावना नहीं है, मैं इसकी चुदाई की व्यवस्था करुँगी, साधना और हेमांगी से अलग अलग बात कर के मेरी मम्मी की कम से चार बार कस कर रगड़ रगड़ कर चुदवाई की अरेंजमेंट करती हुँ। ये उसने अपने मन में पक्का ठान लिया और ये भी कि इस बारे में वो मम्मी को नहीं बताएगी और सीधा उसका सामना लन्ड से ही करवाएगी।
 

Iron Man

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mastmast123

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EPISODE 13

मम्मी को स्खलित करने के बाद उसको आराम से सुलाने के बाद रूचि बाहर आई और सोचने लगी, मेरी समस्या तो मम्मी ने हल कर दी है यदि में किसी से भी चुदु उनको कोई समस्या नहीं है बस गोपनीयता बनी रहे और जो भी मर्द हो वो अच्छे परिवार हो और वो भी गोपनीयता बनाये रखे, शायद ये अमित और शिशिर के साथ संभव हो सकता है क्योंकि उनकी बीबियां भी मेरी दोस्त है इसलिए कोई गड़बड़ी के चांस नहीं हैँ..
तभी उसके दिमाग़ में आईडिया आया क्यों न इन सब को एक बार टेस्ट कर लिया जाये, मम्मी की बरसों की चुदास को भी तृप्ति मिल सकती है और ये भी पता चल जायेगा ये चारों कितने विश्वास के योग्य हैँ।
ये सोचकर उनसे पहले साधना और फिर हेमांगी को फ़ोन किया और कल दिन में अपने घर पर एक साथ आने का समय दे दिया हालांकि दोनों एक दूसरे को जानती नहीं हैँ और उनको पता भी नहीं है कि दोनों एक ही समय रूचि के घर जा रही हैँ।
दूसरे दिन रूचि ने मालती को इस अंदाज़ में तैयार किया जिससे वो बहुत खूबसूरत दिखे और कट्टर जवान भी, उसका एक एक अंग ऐसा दिखे जैसे वो जवानी कि मार से बेदम है और उसे एक अच्छी चुदाई की सख्त जरुरत है मगर वो शालीन दिखे न कि एक बाज़ारू औरत, आप समझ सकते हैँ मैं क्या कहना चाह रहा हुँ, सेक्सी दिखने में और बाज़ारू दिखने में बड़ा अंतर है, सोबर और सेक्सी दिखना भी एक कला है जो हर औरत नहीं कर सकती है, चेहरे पर मासूमियत हो और शरीर में एक सेक्स की अदा।

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मालती देवी

घर पर सिर्फ मालती और रूचि ही थे, पहले साधना आई फिर पीछे पीछे हेमांगी भी आ गई, रूचि ने दोनों का परिचय करवाया फिर अपनी माँ मालती से मिलवाया, कहा
इनसे मिलो साधना और हेमांगी ये मेरी माँ मालती हैँ,
दोनों ने नमस्ते किया

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साधना


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विश्व सुंदरी हमारी नायिका रूचि जी

हेमांगी बोली
रूचि मैं मान ही नहीं सकती हुँ ये तुम्हारी माँ है सच में ये तुम्हारी दीदी लग रही हैँ मुझे तो।
तभी साधना बोली तुम झूठ तो नहीं कह रही हो ये वाकई में तुम्हारी दीदी ही है।


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हेमांगी


रूचि नहीं यार ये सच ही माँ हैँ मगर माँ कम मेरी सहेली ज्यादा है तुम लोगों की तरह, क्यों है ना मालती, ऐसा उसने माँ से कहा।
मालती : हाँ मेरी बेटी, और आज से तुम दोनों भी मेरी सहेलियां हुई ऐसा क़ह कर उसने तीनों को अपने पास बुलाकर तीनों को एक साथ गले से लगा लिया, चार बेहद हसीन औरतें एक साथ गले मिलकर खड़ी थी, ऐसा लग रहा था जैसे चार अप्सरायें एक साथ धरती पर उतर आई हो.
तभी मालती का फोन का बजा रूचि के पापा का था वो अंदर बैडरूम में चली गई बात करने को।
अब तीनों बाहर बात करने लगे।
रूचि : मैं बिना किसी फॉर्मेलिटी के दोनों को बताना चाहती हुँ के तुम दोनों मेरी पक्की और अंतरंग सहेलियां हो, तुम दोनों जानती हो कि मेरे साथ तुम दोनों के घर पर क्या क्या हुआ है जिसके बाद मैंने तुम्हारे घर आना छोड़ दिया है, क्यों साधना क्यों हेमांगी ये सच बात है ना।
दोनों एक साथ बोली : हाँ ये सच है।
तब रूचि ने कहा : लेकिन मैं किसी से भी नाराज़ नहीं हुँ बस एक असमंजस सा है मैं तुम लोगों की बात मानु या नहीं।
साधना : रूचि क्या जो मेरे घर हुआ वो ही तुम्हारे साथ हेमांगी के यहाँ भी हुआ है।
हेमांगी : हाँ रूचि मैं भी यही जानना चाहती हुँ क्या साधना के पति भी शिशिर की तरह ही तुम पे,,,,,,, इसके आगे वो चुप हो गई।
रूचि : हाँ मेरी दोनों सहेलियों ये सच है मगर दोनों के साथ अलग तरह से ये बात हुई है, मगर तुम दोनों के पति मुझ पर लट्टू हुये हैँ और मेरे साथ सोना चाहते हैँ ऐसा तुम दोनों ने मुझसे अपने अपने घर पर कहा था, मैं दोनों के बीच कोई पर्दा नहीं रखना चाहती हुँ ना ही दोनों को एक दूसरे के सामने शर्मिंदा करना चाहती हुँ, अभी तक मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है, और दोनों एक दूसरे को जान लो इसलिए मैंने दोनों को एक साथ यहाँ बुलया ताकि तुम दोनों भी एक दूसरे को अच्छी तरह से जान समझ लो।
रूचि : तुम दोनों बातें करो मैं ज़रा किचन में लंच की तैयारियां देख लूँ दोनों नौकर कैसे बना रहे हैँ।
साधना हेमांगी से : आपसे पहली बार मिलना हुआ रूचि से तो लम्बे समय से दोस्ती है लेकिन एक बात कहनी पड़ेगी रूचि साफ दिल की औरत है और जो दिल में है वही जबान पर भी।
हेमांगी : हाँ ये बात सच है तभी मेरी भी इसके साथ जमती एक बहन की तरह, हालांकि ये उम्र में छोटी हहै लेकिन बातें समझदारी की करती है, सच कहूं तो शिशिर मेरे पति ने इसको एक बार ही देखा है मगर मर मिटा है इस पर, इससे दोस्ती चाहता है कहता तेरी सहेली से दोस्ती करवा दे pls, मैं उससे प्यार करती हुँ बहुत ज्यादा और मुझे इन दोनों की दोस्ती से कोई प्रॉब्लम नहीं है, सच कहूं तो इतनी खूबसूरत औरत को शिशिर को गिफ्ट कर के मुझे बहुत ख़ुशी होगी, तुम मुझे गलत मत समझना, साधना pls।
साधना : नहीं नहीं हेमांगी, ऐसा क़ह कर उसने हेमांगी के दोनों हाथ अपने हाथ में ले लिए और बोली, तुमको देखकर मुझे तुम पर बहुत प्यार आ रहा है क्या मैं तुम्हें एक kiss कर लूँ।
और बिना हेमांगी की परमिशन के साधना ने उसको उसके गाल पर फिर उसके बाद उसके होठों पर kiss कर दिया।
इन सब में कोई भी लेस्बियन नहीं है मगर एक सुंदर स्त्री को देखकर प्यार उमड़ ही आता है ऐसा ही दोनों ने एक साथ महसूस किया और आलिंगन बद्ध हो गए।
दोनों एक दूसरे को चूमते रहे कोई तीन मिनिट तक फिर अलग हुये और
साधना : यही हाल इस अप्सरा रूचि को देखकर मेरा अमित भी मर मिटा है और चोदना चाहता है इसे, अब वो खुल्लम खुल्ला ओपन बातों पर आ गई थी, ये भी बहुत गर्म है बस थोड़ा झिझक रही है, तुम्हारे घर क्या हुआ था हेमांगी.
हेमांगी : मैंने इसे पूरा नंगा कर के बहुत सहलाया बहुत गिला किया इसकी चुत बहुत पानी बरसा रही थी, बहुत देर तक हम दोनों भीगते रहे वासना की बारिश में और मैंने इसे शिशिर की मंशा भी बताई थी, ये बहुत बुरी तरह से झड़ती रही बड़ी देर तक फिर अचानक कपड़े पहन कर भाग आई अपने घर, उसके बाद आज मिली है तुम्हारे सामने।
साधना : हाँ मेरे यहाँ भी यही किया इसने भाग आई अचानक, वैसे है बहुत प्यारी, इसे हमें समय देना होगा ताकि ये खुद को समझा सके खुद को समझ सके कि वाकई ये चाहती क्या है अपनी चुत के लिए।
हेमांगी : हाँ बात तो तुम सही क़ह रही हो, इसकी माँ भी कितनी पटाखा है, क्या वो भी अपनी चुत की चुदास से परेशान होगी, उसको देखकर तो मुझे वो भी बहुत प्यासी दिखाई दे रही है।
साधना : हाँ यार मुझे भी ऐसा ही लगा था उसको पहली नज़र में देखकर, एक बात कहूं हेमांगी, जब तक रूचि अपना मन बनाये हमारे पतियों से चुदाने के लिए, तब तक अगर ये पका आम मालती हमरे पतियों के काम आ जाये तो कैसा होगा जान,
और ऐसा क़ह कर साधना ने हेमांगी के बड़े बड़े चुचे दोनों से कस कर मसल कर मरोड़ना शुरू कर दिया,,,,
 
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