EPISODE 13
मम्मी को स्खलित करने के बाद उसको आराम से सुलाने के बाद रूचि बाहर आई और सोचने लगी, मेरी समस्या तो मम्मी ने हल कर दी है यदि में किसी से भी चुदु उनको कोई समस्या नहीं है बस गोपनीयता बनी रहे और जो भी मर्द हो वो अच्छे परिवार हो और वो भी गोपनीयता बनाये रखे, शायद ये अमित और शिशिर के साथ संभव हो सकता है क्योंकि उनकी बीबियां भी मेरी दोस्त है इसलिए कोई गड़बड़ी के चांस नहीं हैँ..
तभी उसके दिमाग़ में आईडिया आया क्यों न इन सब को एक बार टेस्ट कर लिया जाये, मम्मी की बरसों की चुदास को भी तृप्ति मिल सकती है और ये भी पता चल जायेगा ये चारों कितने विश्वास के योग्य हैँ।
ये सोचकर उनसे पहले साधना और फिर हेमांगी को फ़ोन किया और कल दिन में अपने घर पर एक साथ आने का समय दे दिया हालांकि दोनों एक दूसरे को जानती नहीं हैँ और उनको पता भी नहीं है कि दोनों एक ही समय रूचि के घर जा रही हैँ।
दूसरे दिन रूचि ने मालती को इस अंदाज़ में तैयार किया जिससे वो बहुत खूबसूरत दिखे और कट्टर जवान भी, उसका एक एक अंग ऐसा दिखे जैसे वो जवानी कि मार से बेदम है और उसे एक अच्छी चुदाई की सख्त जरुरत है मगर वो शालीन दिखे न कि एक बाज़ारू औरत, आप समझ सकते हैँ मैं क्या कहना चाह रहा हुँ, सेक्सी दिखने में और बाज़ारू दिखने में बड़ा अंतर है, सोबर और सेक्सी दिखना भी एक कला है जो हर औरत नहीं कर सकती है, चेहरे पर मासूमियत हो और शरीर में एक सेक्स की अदा।
मालती देवी
घर पर सिर्फ मालती और रूचि ही थे, पहले साधना आई फिर पीछे पीछे हेमांगी भी आ गई, रूचि ने दोनों का परिचय करवाया फिर अपनी माँ मालती से मिलवाया, कहा
इनसे मिलो साधना और हेमांगी ये मेरी माँ मालती हैँ,
दोनों ने नमस्ते किया
साधना
विश्व सुंदरी हमारी नायिका रूचि जी
हेमांगी बोली
रूचि मैं मान ही नहीं सकती हुँ ये तुम्हारी माँ है सच में ये तुम्हारी दीदी लग रही हैँ मुझे तो।
तभी साधना बोली तुम झूठ तो नहीं कह रही हो ये वाकई में तुम्हारी दीदी ही है।
हेमांगी
रूचि नहीं यार ये सच ही माँ हैँ मगर माँ कम मेरी सहेली ज्यादा है तुम लोगों की तरह, क्यों है ना मालती, ऐसा उसने माँ से कहा।
मालती : हाँ मेरी बेटी, और आज से तुम दोनों भी मेरी सहेलियां हुई ऐसा क़ह कर उसने तीनों को अपने पास बुलाकर तीनों को एक साथ गले से लगा लिया, चार बेहद हसीन औरतें एक साथ गले मिलकर खड़ी थी, ऐसा लग रहा था जैसे चार अप्सरायें एक साथ धरती पर उतर आई हो.
तभी मालती का फोन का बजा रूचि के पापा का था वो अंदर बैडरूम में चली गई बात करने को।
अब तीनों बाहर बात करने लगे।
रूचि : मैं बिना किसी फॉर्मेलिटी के दोनों को बताना चाहती हुँ के तुम दोनों मेरी पक्की और अंतरंग सहेलियां हो, तुम दोनों जानती हो कि मेरे साथ तुम दोनों के घर पर क्या क्या हुआ है जिसके बाद मैंने तुम्हारे घर आना छोड़ दिया है, क्यों साधना क्यों हेमांगी ये सच बात है ना।
दोनों एक साथ बोली : हाँ ये सच है।
तब रूचि ने कहा : लेकिन मैं किसी से भी नाराज़ नहीं हुँ बस एक असमंजस सा है मैं तुम लोगों की बात मानु या नहीं।
साधना : रूचि क्या जो मेरे घर हुआ वो ही तुम्हारे साथ हेमांगी के यहाँ भी हुआ है।
हेमांगी : हाँ रूचि मैं भी यही जानना चाहती हुँ क्या साधना के पति भी शिशिर की तरह ही तुम पे,,,,,,, इसके आगे वो चुप हो गई।
रूचि : हाँ मेरी दोनों सहेलियों ये सच है मगर दोनों के साथ अलग तरह से ये बात हुई है, मगर तुम दोनों के पति मुझ पर लट्टू हुये हैँ और मेरे साथ सोना चाहते हैँ ऐसा तुम दोनों ने मुझसे अपने अपने घर पर कहा था, मैं दोनों के बीच कोई पर्दा नहीं रखना चाहती हुँ ना ही दोनों को एक दूसरे के सामने शर्मिंदा करना चाहती हुँ, अभी तक मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है, और दोनों एक दूसरे को जान लो इसलिए मैंने दोनों को एक साथ यहाँ बुलया ताकि तुम दोनों भी एक दूसरे को अच्छी तरह से जान समझ लो।
रूचि : तुम दोनों बातें करो मैं ज़रा किचन में लंच की तैयारियां देख लूँ दोनों नौकर कैसे बना रहे हैँ।
साधना हेमांगी से : आपसे पहली बार मिलना हुआ रूचि से तो लम्बे समय से दोस्ती है लेकिन एक बात कहनी पड़ेगी रूचि साफ दिल की औरत है और जो दिल में है वही जबान पर भी।
हेमांगी : हाँ ये बात सच है तभी मेरी भी इसके साथ जमती एक बहन की तरह, हालांकि ये उम्र में छोटी हहै लेकिन बातें समझदारी की करती है, सच कहूं तो शिशिर मेरे पति ने इसको एक बार ही देखा है मगर मर मिटा है इस पर, इससे दोस्ती चाहता है कहता तेरी सहेली से दोस्ती करवा दे pls, मैं उससे प्यार करती हुँ बहुत ज्यादा और मुझे इन दोनों की दोस्ती से कोई प्रॉब्लम नहीं है, सच कहूं तो इतनी खूबसूरत औरत को शिशिर को गिफ्ट कर के मुझे बहुत ख़ुशी होगी, तुम मुझे गलत मत समझना, साधना pls।
साधना : नहीं नहीं हेमांगी, ऐसा क़ह कर उसने हेमांगी के दोनों हाथ अपने हाथ में ले लिए और बोली, तुमको देखकर मुझे तुम पर बहुत प्यार आ रहा है क्या मैं तुम्हें एक kiss कर लूँ।
और बिना हेमांगी की परमिशन के साधना ने उसको उसके गाल पर फिर उसके बाद उसके होठों पर kiss कर दिया।
इन सब में कोई भी लेस्बियन नहीं है मगर एक सुंदर स्त्री को देखकर प्यार उमड़ ही आता है ऐसा ही दोनों ने एक साथ महसूस किया और आलिंगन बद्ध हो गए।
दोनों एक दूसरे को चूमते रहे कोई तीन मिनिट तक फिर अलग हुये और
साधना : यही हाल इस अप्सरा रूचि को देखकर मेरा अमित भी मर मिटा है और चोदना चाहता है इसे, अब वो खुल्लम खुल्ला ओपन बातों पर आ गई थी, ये भी बहुत गर्म है बस थोड़ा झिझक रही है, तुम्हारे घर क्या हुआ था हेमांगी.
हेमांगी : मैंने इसे पूरा नंगा कर के बहुत सहलाया बहुत गिला किया इसकी चुत बहुत पानी बरसा रही थी, बहुत देर तक हम दोनों भीगते रहे वासना की बारिश में और मैंने इसे शिशिर की मंशा भी बताई थी, ये बहुत बुरी तरह से झड़ती रही बड़ी देर तक फिर अचानक कपड़े पहन कर भाग आई अपने घर, उसके बाद आज मिली है तुम्हारे सामने।
साधना : हाँ मेरे यहाँ भी यही किया इसने भाग आई अचानक, वैसे है बहुत प्यारी, इसे हमें समय देना होगा ताकि ये खुद को समझा सके खुद को समझ सके कि वाकई ये चाहती क्या है अपनी चुत के लिए।
हेमांगी : हाँ बात तो तुम सही क़ह रही हो, इसकी माँ भी कितनी पटाखा है, क्या वो भी अपनी चुत की चुदास से परेशान होगी, उसको देखकर तो मुझे वो भी बहुत प्यासी दिखाई दे रही है।
साधना : हाँ यार मुझे भी ऐसा ही लगा था उसको पहली नज़र में देखकर, एक बात कहूं हेमांगी, जब तक रूचि अपना मन बनाये हमारे पतियों से चुदाने के लिए, तब तक अगर ये पका आम मालती हमरे पतियों के काम आ जाये तो कैसा होगा जान,
और ऐसा क़ह कर साधना ने हेमांगी के बड़े बड़े चुचे दोनों से कस कर मसल कर मरोड़ना शुरू कर दिया,,,,