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Adultery भोलीभाली पतिव्रता रुचि चूद गई सहेलियों के बहकावे में

क्या रुचि को अपना पतिव्रत धर्म छोड़ना चाहिए या गैर मर्द के साथ संभोग के लिए आगे बढ़ना चाहिए?


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malikarman

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तब आगे

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गुलाब के फूल सी खिली खिली रूचि अपने घर पहुंची वो सोचने लगी मेरी ज़िन्दगी में ये कैसी हलचल शुरू हो गईं है, खूबसूरत मर्दों की एंट्री अचानक होने लगी है, पहले अमित अब ये शिशिर, कहाँ तो अकाल पड़ा था और कहाँ सावन की फुहारों सा मौसम बदल गया है। मिलने वाले हर मर्द की औरत भी चाहती है मैं उसके पति के साथ सोऊँ, क्या ही संयोग बन रहे हैँ लेकिन क्या मैं ये सब चाहती हुँ ये मुख्य बता है मेरी माँ एक संस्कारी औरत और मैं ऐसी कैसे बन जाऊँ।
यही सोचती बैठी थी घर में तभी उसका फ़ोन बजा देखा माँ का फ़ोन है, उसकी माँ का नाम मालती है।
मालती : हेलो, कैसी है बेटी बड़े दिन हुए तू तो बात ही नहीं करती है
रूचि : मम्मी कुछ खास बात नहीं थी तो बात नहीं की, लेकिन अभी just आपके बारे में ही सोच रही थी और आपका फ़ोन आ गया क्या ही संयोग है।
मालती : अरे सच, मुझे भी अचानक ऐसा लगा तुझसे बात करूँ, जरूर कोई संयोग ही है तभी मुझे भी तेरी याद आ गईं। और बता क्या हाल हैँ तेरे कैसी है तू बेटा, मुझे कल रात सपना आया मैंने देखा तू बड़ी असमंजस की स्थिति में है कोई दो राहे पर खड़ी सोच रही हो जैसे किधर जाऊँ। क्या सच में तू कोई ऐसी अवस्था में है क्या?
रूचि : हाँ मम्मी ऐसा ही कुछ है, अपने संस्कार आपकी परवरिश आपकी इज़्ज़त ये सब जब सोचती हुँ तो पीछे हटने का मन हो रहा है, चाहती तो हुँ मगर कदम आगे नहीं बढ़ा सकती हुँ, दिल तो बड़ा चाह रहा है लेकिन आपको सोचकर फिर रुक जाती हुँ आखिर आपको कैसे नकार सकती हुँ.
मालती : क्या बात है रूचि ऐसी क्या बात है ऐसी कौन सी परिस्थिति है कि तुझे इतना सोच रही है, मुझे बता मैं तेरी उलझन दूर कर दूंगी.
रूचि : नहीं माँ जाने दीजिये, ऐसी खास बतानहीं है.
मालती : अरे ऐसे कैसे, अभी तूने इतनी सारी बातें कही है मेरा भी जिक्र किया है जरूर कोई खास बता है बता क्या बात है।
रूचि : जाने दीजिये न मम्मी,,,, मैं आपसे कह नहीं सकती आप की इज़्ज़त करती हुँ मुझे शर्म आएगी, मुझसे बोला नहीं जायेगा.।
मालती : अरे तू मेरी प्यारी बच्ची है मैंने तुझे सब से ज्यादा प्यार किया है तू मुझसे सभी तरह की बात शेयर कर सकती है और मैं समझ सकती हुँ एक औरत के जीवन में कई तरह के हादसे होते है पारिवारिक सामाजिक शारीरिक तथा और भी कई सारे, क्योंकि मै भी एक औरत हुँ, तू बेझिझक हो कर मुझे बता, मैं तुझसे गुस्सा नहीं होउंगी चाहे जैसी भी बात क्यों न हो मै प्रॉमिस करती हुँ.।
रूचि को अब थोड़ी हिम्मत मिली कि वो मम्मी से बात कर सकती है दूसरी बात ये भी कि वो मोबाइल पर बात कर रही है इसलिए कुछ हुआ भी तो बचने के चांस है तुरंत फोन काट सकती है, ये सोचकर वो आगे बढ़ी।
रूचि : मम्मी एक बात बताऊँ आपको कि ज़ब में कॉलेज में थी तब सोचती थी कि मेरा पति एक बहुत बहुत खूबसूरत बांका मर्द होगा मैं उसके साथ बहुत सारा रोमांस करुँगी, लेकिन मुझे वैसा नहीं मिला फिर भी मुझे कोई शिकायत नहीं रही शरद मुझे बहुत पसंद हैँ बहुत प्यार करते है मैं भी उतना ही करती हुँ, लेकिन आजकल पता नहीं क्यों वो कसक फिर जाग उठी है।
मालती बीच में बात काटती हुई बोली, रूचि अगर ऐसा था तो मुझे तो बताती मैं तेरे लिए तेरी इच्छा वाला दूल्हा ढूंढती, खैर अब भी कोई बात नहीं तू बता अब क्या बात है मैं तेरी सब इच्छा पूरी करूंगी, अपनी उस गलती का पश्चाताप करते हुए जो अनजाने में मुझसे हो गईं है, काश तूने बताया होता पहले तो ऐसा नहीं होता।
रूचि : मम्मीजी मुझे बताते हुए शर्म आती है आपसे, ऐसी बात कभी हमारे बीच हुई नहीं है मैं कैसे बताऊँ, लेकिन बात भी बहुत जरुरी है, आपसे राय भी लेना जरुरी है, आपकी जब तक हाँ न हो ज़ब तक मैं आगे नहीं बढ़ सकती हुँ, क्या करूँ कैसे कहूँ समझ नहीं पा रही हुँ।
मालती : अगर ऐसी बात है तो तू चिंता मत कर मैं कल तेरे पास आती हुँ हम साथ बैठकर बात करते हैँ और तेरी समस्या का हल निकाल लेंगें, मेरी बच्ची मैं तेरे साथ हुँ तेरी हर बात में।
और कल मिलने कि बात पर दोनों कि बात खत्म हुई।
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EPISODE 10
दूसरे दिन सुबह मालती रूचि ke घर पहुँच गईं, शरद से मिली और रूचि से पूछा कब हम बात कर सकते हैँ मुझे तेरी बहुत चिंता रही सारे रास्ते बेटे तुझे ऐसी क्या मुसीबत आन पड़ी जो तुझे इतना सब सोचना पड़ रहा है, सब कुछ तो तुझे मिला है अच्छा घर अच्छा वर अच्छा पैसा और सब से बढकर इतना सुन्दर शरीर, क्या कमी रख दी ईश्वर ने, जो तुझे ये सब विचार आ रहें हैं.। रूचि ने कहा मम्मीजी सब बताउंगी पहले शरद को ओफिस जाने दो, खाना वैगेरा हो जाये फिर।
शरद अपने समय से ऑफिस चला गया, दोनों ने लंच ले लिया फिर सर्वेट्स को कहा गया हमें डिस्टिर्ब न किया जाये और ऐसा कह कर दोनों बेडरूम में बंद हो गये।
मालती : अब बता मेरी प्यारी बेटी क्या बात क्या बात है। इतना कह कर उसने रूचि का हाथ प्यार से अपने दोनों हाथों में ले लिया।
रूचि : मम्मीजी मुझे शर्म आती है आपसे, आप मेरी आदरणीय माँ हो, आपको मैंने बुला तो लिया मगर फिर भी दोनों के बीच एक मर्यादा आदर का पर्दा है, उसे में हटा नहीं सकती हुँ।
मालती : ऐसी बात नहीं है मेरी प्यारी रूचि, क्या माँ बेटियां आपस में दोस्त नहीं होती है, अच्छा एक बात मान अब से तू मुझे अकेले मे मम्मी नहीं मालती बुलाया कर, जैसे हम दोनों पक्की सहेलियां हो, ठीक है, तब तुझे मम्मी वाली फीलिंग्स कम और दोस्त वाली ज्यादा रहेगी..।
रूचि : आप भी न मम्मी कुछ भी।
मालती : मम्मी नहीं मालती बोल।
रूचि : ओके बाबा, मालती देवी मालती जी मालती मैडम और अच्छा मालती। अब खुश।
मालती : हाँ अब ठीक है 😄 अब बता क्या हुआ मेरी लाड़ली चुलबुली सुन्दर प्यारी दोस्त को, ऐसा कह कर रूचि को बांहों में भर लिया और प्यार से उसके गालों पर दोनों तरफ पांच छ चुम्बन जड़ दिए ताकि रूचि सहज हो सके और दिल की बात अपनी उलझन उसके साथ शेयर कर सके।
रूचि अब काफ़ी हद तक सहज महसूस कर रही थी बोली मालती क्या तुमने कभी ज़िन्दगी में सब कुछ होते हुए भी किसी चीज की कमी महसूस की है।
मालती : हाँ होता है रूचि कभी कभी ऐसा भी होता है, तुम कहो तुम्हें क्या कमी है आजकल।
रूचि थोड़ी कसमसाई थोड़ा झिझकि,
मालती : शर्माओ नहीं रूचि तुम अपनी सहेली मालती के पास हो जो भी है साफ साफ कहो मैं तुम्हें judge नहीं करुँगी एक औरत को कई दर्द होते है और इस शरीर के तो बहुत ही ज्यादा और शरीर बेहद खूबसूरत हो तो कई गुना दर्द, अगर खुद को न हो तो आसपस वाले हमारे अपने हमें उकसा देते है और दर्द कई गुना बढ़ जाता है।
रूचि : मालती तेरे साथ सॉरी आपके साथ भी ऐसा हुआ है कभी।
मालती : तेरे ही ठीक है आप मत कह मुझे, मैं अपना बाद में बताउंगी पहले अपना बता।
रूचि : मालती सुन, मेरे पास सब है अच्छा पति और सब ऐशो आराम, लेकिन फिर भी एक खूबसूरत मर्द की कमी अक्सर महसूस करती हुँ जो मेरे जोड़ का हो जिसके साथ खुद को पूर्ण मान सकून जो मुझे पूरा सुख दे।
मालती : पूरा मतलब शरीर का, बिस्तर का यही ना।
रूचि : शरमाते हुए,,, हाँ यही ये शरीर मेरी सहेली साधना और हेमांगी के पति को देख कर मचल गया था, किसी तरह खुद को बचा कर घर भाग आई.
मालती : और तेरी सहेलियों को ये बात मालूम नहीं है अगर उनको पता चला तो, ये सोच कर परेशान हो रही है ना तू।
रूचि को अहसास हो गया कि मम्मी को उसका दूसरे मर्द कि तरफ आकर्षित होना बुरा नहीं लगा मतलब वो इस बात से नाराज़ नहीं है, वो और भी सहज़ हो गईं।
रूचि : नहीं रे मालती उनको को तो पता है in fact वो तो दोनों चाहती हैँ कि मै उनके पति के साथ रंगरेलियां मनाऊ, मगर मैं खुद घबरा कर अपने मम्मी पापा कि इज्जत का ख्याल करते हुए खुद को रोक कर भाग आई, मम्मीजी मुझे अपने से ज्यादा आपकी इज़्ज़त प्यारी है मैं शरीर कि ये जलन सह लुंगी मगर आप पर दाग नहीं लगने दे सकती हुँ।
मालती : बेटी मैं समझ सकती हुँ ये जलन कैसी होती है खासकर शादी के बसद के कुछ साल, जब निगोड़ी ये चुत जो भी कांड करने के लिए कहे वो कम है, ऐसा कह कर उसने रूचि को कसकर गले लगा लिया और उसके दोनों विशाल बॉब्स को जोरों से दबाते हुए उसके होठों को बिरि तरह से चूसने लगी। रूचि को पहले तो अजीब लगा मगर फिर ख़ुशी हुई कि उसकी माँ ने उसकी तकलीफ को समझा है, तभी एक ख्याल उसके मन में कौँधा, कहीं मम्मी के साथ भी तो यही हादसा उनकी जवानी यानि शादी के दौरान तो नहीं हुआ है। अब उसकी दिलचस्पी माँ के शरीर कि आग को जानने में ज्यादा हो गईं थी।
 

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EPISODE 10
दूसरे दिन सुबह मालती रूचि ke घर पहुँच गईं, शरद से मिली और रूचि से पूछा कब हम बात कर सकते हैँ मुझे तेरी बहुत चिंता रही सारे रास्ते बेटे तुझे ऐसी क्या मुसीबत आन पड़ी जो तुझे इतना सब सोचना पड़ रहा है, सब कुछ तो तुझे मिला है अच्छा घर अच्छा वर अच्छा पैसा और सब से बढकर इतना सुन्दर शरीर, क्या कमी रख दी ईश्वर ने, जो तुझे ये सब विचार आ रहें हैं.। रूचि ने कहा मम्मीजी सब बताउंगी पहले शरद को ओफिस जाने दो, खाना वैगेरा हो जाये फिर।
शरद अपने समय से ऑफिस चला गया, दोनों ने लंच ले लिया फिर सर्वेट्स को कहा गया हमें डिस्टिर्ब न किया जाये और ऐसा कह कर दोनों बेडरूम में बंद हो गये।
मालती : अब बता मेरी प्यारी बेटी क्या बात क्या बात है। इतना कह कर उसने रूचि का हाथ प्यार से अपने दोनों हाथों में ले लिया।
रूचि : मम्मीजी मुझे शर्म आती है आपसे, आप मेरी आदरणीय माँ हो, आपको मैंने बुला तो लिया मगर फिर भी दोनों के बीच एक मर्यादा आदर का पर्दा है, उसे में हटा नहीं सकती हुँ।
मालती : ऐसी बात नहीं है मेरी प्यारी रूचि, क्या माँ बेटियां आपस में दोस्त नहीं होती है, अच्छा एक बात मान अब से तू मुझे अकेले मे मम्मी नहीं मालती बुलाया कर, जैसे हम दोनों पक्की सहेलियां हो, ठीक है, तब तुझे मम्मी वाली फीलिंग्स कम और दोस्त वाली ज्यादा रहेगी..।
रूचि : आप भी न मम्मी कुछ भी।
मालती : मम्मी नहीं मालती बोल।
रूचि : ओके बाबा, मालती देवी मालती जी मालती मैडम और अच्छा मालती। अब खुश।
मालती : हाँ अब ठीक है 😄 अब बता क्या हुआ मेरी लाड़ली चुलबुली सुन्दर प्यारी दोस्त को, ऐसा कह कर रूचि को बांहों में भर लिया और प्यार से उसके गालों पर दोनों तरफ पांच छ चुम्बन जड़ दिए ताकि रूचि सहज हो सके और दिल की बात अपनी उलझन उसके साथ शेयर कर सके।
रूचि अब काफ़ी हद तक सहज महसूस कर रही थी बोली मालती क्या तुमने कभी ज़िन्दगी में सब कुछ होते हुए भी किसी चीज की कमी महसूस की है।
मालती : हाँ होता है रूचि कभी कभी ऐसा भी होता है, तुम कहो तुम्हें क्या कमी है आजकल।
रूचि थोड़ी कसमसाई थोड़ा झिझकि,
मालती : शर्माओ नहीं रूचि तुम अपनी सहेली मालती के पास हो जो भी है साफ साफ कहो मैं तुम्हें judge नहीं करुँगी एक औरत को कई दर्द होते है और इस शरीर के तो बहुत ही ज्यादा और शरीर बेहद खूबसूरत हो तो कई गुना दर्द, अगर खुद को न हो तो आसपस वाले हमारे अपने हमें उकसा देते है और दर्द कई गुना बढ़ जाता है।
रूचि : मालती तेरे साथ सॉरी आपके साथ भी ऐसा हुआ है कभी।
मालती : तेरे ही ठीक है आप मत कह मुझे, मैं अपना बाद में बताउंगी पहले अपना बता।
रूचि : मालती सुन, मेरे पास सब है अच्छा पति और सब ऐशो आराम, लेकिन फिर भी एक खूबसूरत मर्द की कमी अक्सर महसूस करती हुँ जो मेरे जोड़ का हो जिसके साथ खुद को पूर्ण मान सकून जो मुझे पूरा सुख दे।
मालती : पूरा मतलब शरीर का, बिस्तर का यही ना।
रूचि : शरमाते हुए,,, हाँ यही ये शरीर मेरी सहेली साधना और हेमांगी के पति को देख कर मचल गया था, किसी तरह खुद को बचा कर घर भाग आई.
मालती : और तेरी सहेलियों को ये बात मालूम नहीं है अगर उनको पता चला तो, ये सोच कर परेशान हो रही है ना तू।
रूचि को अहसास हो गया कि मम्मी को उसका दूसरे मर्द कि तरफ आकर्षित होना बुरा नहीं लगा मतलब वो इस बात से नाराज़ नहीं है, वो और भी सहज़ हो गईं।
रूचि : नहीं रे मालती उनको को तो पता है in fact वो तो दोनों चाहती हैँ कि मै उनके पति के साथ रंगरेलियां मनाऊ, मगर मैं खुद घबरा कर अपने मम्मी पापा कि इज्जत का ख्याल करते हुए खुद को रोक कर भाग आई, मम्मीजी मुझे अपने से ज्यादा आपकी इज़्ज़त प्यारी है मैं शरीर कि ये जलन सह लुंगी मगर आप पर दाग नहीं लगने दे सकती हुँ।
मालती : बेटी मैं समझ सकती हुँ ये जलन कैसी होती है खासकर शादी के बसद के कुछ साल, जब निगोड़ी ये चुत जो भी कांड करने के लिए कहे वो कम है, ऐसा कह कर उसने रूचि को कसकर गले लगा लिया और उसके दोनों विशाल बॉब्स को जोरों से दबाते हुए उसके होठों को बिरि तरह से चूसने लगी। रूचि को पहले तो अजीब लगा मगर फिर ख़ुशी हुई कि उसकी माँ ने उसकी तकलीफ को समझा है, तभी एक ख्याल उसके मन में कौँधा, कहीं मम्मी के साथ भी तो यही हादसा उनकी जवानी यानि शादी के दौरान तो नहीं हुआ है। अब उसकी दिलचस्पी माँ के शरीर कि आग को जानने में ज्यादा हो गईं थी।
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EPISODE 11
रूचि ये सोचकर गनगना गई कि उसकी सीधी सादी माँ भी इस उथलपुथल से गुजर चुकी है, उसने पूछा मालती मेरी सहेली एक बात बताओगी।
मालती : हाँ पूछ
रूचि : तुमने भी शरीर कि जलन महसूस की है और कब और किसके लिए।
मालती ने सोचा यदि रूचि को पूरी तरह से खोलना है तो मुझे पहले खुद को इसके सामने अपने बारे में बताना होगा तभी ये ठीक तरह से अपनी उलझन मुझे बताएगी यही सोचकर वो बोलने लगी
मालती : रूचि जब मैं शादी होकर आई तब भरा पूरा घर था फिर थोड़े दिन बाद तेरे पापा की जॉब बाहर लग गई तो मैं उनके साथ उनके शहर आ गई, वहां धीरे धीरे हमारा सर्कल बढ़ने लगा, तेरे पापा के दोस्त घर आते रहते थे, कभी खाना कभी बाहर घूमने जाना, उनमें से एक उनका दोस्त था गौतम वो बहुत हैंडसम था और मुझे बहुत पसंद करता था, एक दो बार अकेले में उसने मुझे कहा भी कि वो मुझे चाहता है और एक बार तो उसने मेरा हाथ भी पकड़ लिया था।
रूचि : फिर फिर क्या हुआ मालती.।
इतना कह कर अब रूचि से रहा नहीं गया और अपनी मम्मी को गले से लगाकर बोली, आप मुझे सब साफ साफ बताइये मुझे मेरी माँ कि जवानी की सारी बातें जानना है मैं ये जानती ही नहीं थी कि मेरी माँ का भी कोई आशिक था और वो भी बहुत हैंडसम, pls आगे क्या हुआ आपका सम्बन्ध बना उनसे और कैसे बना मुझे जानकर बहुत ख़ुशी होगी, इतना कह कर उसने एक गर्म चुम्बन मालती के गाल पर कर दिया जो एक गर्म औरत का दूसरी गर्म औरत को था जिसे मालती ने बखूबी महसूस कर लिया था, उसे ख़ुशी हुई कि अब रूचि खुल रही है।
मालती : मैंने उस दिन उनसे कहा अभी मेरे पति बाथरूम में हैँ आ जायेंगे, इस बारे में मैं आपसे बाद में बात करुँगी। फिर वो दूसरे दिन जब तेरे पापा ऑफिस में थे तब आये।
रूचि ये सुनकर गर्म होने लगी थी उसने मालती को कसकर सीने से लगा लिया और उसके कान में नशीली आवाज़ में बोली मेरी माँ कितनी जवान और सेक्सी हो गई होगी उस समय ज़ब वो घर आये होंगे, क्या क्या हो रहा था आपके शरीर में अपने आशिक़ को अपने सामने देखकर वो भी अकेले में, ज़रा ठीक से विस्तार से बताओ न माँ अब तो हम दोस्त हैं आप अपनी सारी शर्म छोड़ कर बताओ, मैं बहुत खुश हूं मेरी माँ इतनी सेक्सी रही है अपने ज़माने में। हमने तो आपको हमेशा आपको मर्यादा में और साड़ी में ही देखा है आज आपका ये रूप मेरे लिए सच में बहुत आकर्षक लग रहा है।
मालती : सच कहूं तो वो जब आये मैंने दरवाजा खोला बड़ी नर्वस थी उनको सोफे पर बिठाया और सामने बैठ गई वो बोलने लगे
गौतम : मालती मैंने जब से आपको पहली बार देखा मेरा मन आप पर आ गया था लेकिन मैं ऐसी कोई हरकत नहीं करना चाहता हूं जिससे आपका मन दुखी हो, मैं आपको बहुत चाहने लगा हूं, आपको कभी दुखी नहीं करूँगा, अभी भी यदि आपको बुरा लग रहा है तो मैं चला जाता हूं
इतना कह कर वो उठने लगे, तब मैंने कहा अरे आप बैठिये आप अच्छे हैं. मुझे पता है आप बिना मेरी मर्जी के आगे नहीं बढ़ेंगे, आप वहीं बैठकर आपके मन में जो भी मेरे लिए है कहिये मुझे बुरा नहीं लगेगा लेकिन मेरी तरफ आइयेगा नहीं जब तक में ना कहूं।
गौतम : मालती आपको देखकर मुझे न जाने क्या हो जाता है जैसे एक नशा सा छा जाता है सब के सामने आपको सिर्फ नज़रें चुरा कर देखता ही रहता हूं।
मालती : हाँ ये मैंने दूसरी मुलाक़ात से ही महसूस कर लिया था कि जनाब कुछ घायल से हो रहे हैँ, लेकिन आपको मुझ में क्या अच्छा लगा मैं तो साधारण सी औरत हूं।
गौतम : जो दिल में है और जैसा में आपको देखता हूं वैसा ही कहूंगा तो आप बुरा मान सकती हो।
मालती रूचि से बोली तू तो जानती है ना रूचि, मालती ने भी रूचि को बांहो मे कसकर भरा हुआ था उसकी आवाज़ भी नशीली हो चुकी थी, तू तो जानती ही है शादी के तुरंत बाद कैसा होता है, मैं भी गनगनाई रहती थी दिन भर फिर कोई मर्द जिससे किसी प्रकार कि जोखिम ना हो तो और शरीर हिलोरे मारने लगता हैं तो मैंने भी कह दिया, नहीं नहीं मैं बुरा नहीं मानूगी बल्कि मैं तो आपके दिल में मेरे लिए क्या है सच सुनना चाहती हूं वो भी आपके शब्दों में निडर होकर कहिये।
गौतम आश्वस्त हुआ उसे डर दूर हुआ कि उसने यदि कुछ गलत शब्द भी बोल दिया तो मालती नाराज़ नहीं होगी
वो बोला : आप इतनी सुन्दर हो कि मैं आपको एक अप्सरा कि तरह देखता हूं आपका मुख चन्द्रमा की तरह खूबसूरत है, आपकी आँखे समंदर की तरह गहरी और आपकी नासिका जैसे चन्दन की खुशबु छोड़ती तीखी और दिलकश,
मालती रूचि से बोली जैसे जैसे वो मेरी तारीफ कर रहा था मुझे नशा सा चढ़ने लगा था, रूचि ने फिर से मालती के गर्दन पर चुम्बन जद दिया और हल्के से चाट लिया.
गौतम आगे बोला आपके गाल सेब की तरह लाल और चमकदार हैँ जी करता है इनको काट लूँ मगर बहुत होले से, और आपके होंठ जैसे रस की भरी दो संतरे की फाँके, लेकिन चेरी की तरह सुर्ख लाल अगर मेरा बस चले तो मैं इन्हें घंटों चूसता चूमता रहूं।
मालती रूचि से बोली अब मेरी हालत ये सुनते सुनते ख़राब होने लगी थी मेरे होंठ सूखने लगे थे जैसे कोई इन्हें अपनी जीभ से तर कर दे, मेरे सीने में हलचल होने लगी थी.
ये सुनकर अब रूचि आगे बढ़ी और मम्मी के दोनों बड़े बड़े स्तन दोनों हाथों से दबोचते हुए पूछा क्या यहाँ, इन दोनों में, मालती ने रूचि के कान में धीरे से हुऊ कहा, हाय माँ क्या सिन होगा आपका आशिक़ आपके सामने बैठा आपके जिस्म की तारीफ कर रहा था और आप अपने बोबों में हलचल महसूस कर रही थी क्या क्या और हो रहा था आपके शरीर में। मालती बोली बताती हूं तू सुन तो आगे।
गौतम आगे बोला आपकी गर्दन सुराही सी गौरी ज़ब आप बोलती हो इसकी नसे फड़कने लगती हैँ और इसके नीचे जो दो कलश हैँ हाय मालती मैं क्या बताऊँ क्या क्या नहीं होता है मेरे साथ.
मालती : कलश कौन से कलश साफ कहिये ना मैं क्या लौटे उठाये घूमती हूं, नाम लेकर कहिये मुझे बुरा नहीं लगेगा सच में, मेरी तारीफ आज तक इस तरह तो मेरे पति ने भी नहीं की है मुझे अच्छा लग रहा है अपने दिल की हर बात बेधड़क कहिये।

गौतम : मालती आप शादीशुदा हो तो आप सब जानती हो इसलिए मैं एक शादीशुदा खुल चुकी हसीन बेहद आकर्षक औरत से अश्लील शब्दों में ही बात करूँगा, ठीक है ना
मालती बोली नहीं कुछ सिर्फ मुस्करा कर हामी दी।
गौतम आगे बोला मालती जब आप अपने विशाल खतरनाक उन्नत बोबों को मेरे सामने अपने पति की उपस्थिति में उछाल उछाल कर घूमती रहती हो और आपको मालूम होता है कि मैं आपके पति की नज़रों से छुप कर इन्हें देख रहा हूं तो आप और इतरा कर मेरी आँखों में देखती हुई मेरे सामने टेबल पर कुछ रखते हुए अपनी भारी भरकम चूचियों का दर्शन करवाती हो.।
मालती ने रूचि के कान में कहा ये सुनते ही मेरे बॉब्स में ऐसी हलचल हुई की जैसे सागर हिलोरें मारने लगा, मेरी निप्पल में खुजली सी मचने लगी और बेटी क्या कहूं कैसे कहूं मेरी चुत की रिसन शुरू होने लगी, तभी रूचि ने फटाफट मालती का ब्लाउज और उसकी ब्रा खोल के नीचे फेंक दी और उसके दोनों बोबों को हाथों सी मसलने लगी और फिर उसकी घूंडियों को प्यार सी दबाते रागड़ते हुए पूछा तो उस समय गौतम अंकल का लन्ड भी तो तड़पा होगा आपकी तारीफ करते और आपके ये बॉब्स देखते हुए ये भी तो बताइये.
मालती रूचि सी बोली ऐसे कैसे ठहर पहले तू पलंग सी नीचे उतर और खुद नीचे उतर कर रूचि को नीचे खींच लिया और रूचि का गाउन नीचे उठाकर उसकी गर्दन सी लेकर शरीर सी अलग कर दिया और सिर्फ उसकी ब्रा ही नहीं उतारी उसकी पेंटी भी उतार फ़ेंकी, रूचि मम्मी मम्मी कहती रह गई और खुद रूचि ने भी कसर नहीं छोड़ी उसने भी मालती की साड़ी फिर पेटीकोट और अंत में उसकी पेंटी भी उतार दी, अंदर दोनों माँ बेटी जन्मजात नंगी एक दूसरे के शरीर को कोई दो मिनट तक निहारती रही फिर दोनों एक साथ आगे बढ़कर एक दूसरे के गले लग गई..। मालती रूचि सी बोली शादी के बाद क्या तेरा शरीर चमक उठा है क्या बॉब्स हो गए हैँ तेरे अभी से मेरे बोबों को टक्कर दे रहे हैँ और तेरी गांड क्या तैयार हुई है, सच बता कितने लन्ड खड़े करती है ज़ब भी बाहर निकलती है तू तो क़यामत हो गई है क़यामत तुझे चोदने को तो खूबसूरत से भी खूबसूरत मर्द हाथ में लन्ड लेकर तेरे पीछे पीछे घूमने लग जाये, हाय में वारी जाऊं मेरी बेटी पर क्या जवानी चढ़ी है, इसे तो शरीर सुख मिलना ही चाहिए किसी भी तरह से। रूचि कहाँ कम थी मालती से वो उसके कान में उसको टाइट हग करते हुए बोबों से बोबों की मालिश करते हुए बोलने लगी मम्मी आपको मैंने हमेशा से साड़ी में ढकेछिपे बदन में ही देखा है आज आपका हाहाकार बदन इन गदाराये विशाल बोबों के साथ और क्या ही मस्तानी गांड के साथ देखा है आपका शरीर बिलकुल भी ढीला नहीं पड़ा है आप में मुझमें कोई एक साथ देखे तो 5 7 साल का ही अंतर देखेगा, मम्मी सच बताना पापा आपकी रेगुलर चुदाई कर रहे है, सच बोलना आपको मेरी कसम है, मालती ने वासना से सिसकते हुए कहा नहीं मुझे तो चुदे हुए तीन चार साल से भी ज्यादा हो गए है बेटी, तब रूचि और भी कामुक होकर बोली मम्मी आपके बदन की आपके बोबों की जमकर जबरदस्त दबावाई और चूसवाई करवाई जानी चाहिए और आपकी चुत की तो रगड़ रगड़ कर लगातार पांच छह दिन चुदाई होनी चाहिए तब कहीं जा कर इसको कुछ बहुत कम शांति मिलेगी.
है ना मम्मी सच कह रही हूं ना,
मालती हाँ बेटी शायद, क्योंकि आज तक तो एक ही तेरे पापा का लन्ड लिया है वो भी एवरेज सा, पता नहीं कसकर चुदाई क्या होती है लेकिन ये अरमान सालों ज़े दिल में है आज तेरे सामने आ गया जाने कैसे.
रूचि : लेकिन वो गौतम अंकल वाला किस्सा, क्या चुदाई तक नहीं पंहुचा कभी, ऐसा कैसे हो गया इतना आगे बढ़ने के बाद भी।
मालती : बताती हूं चल आराम से बिस्तर पर लेटकर एक दूसरे से खेलते चूमते चूसते हुए आगे बताती हूं।
 
Last edited:

malikarman

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रूचि ये सोचकर गनगना गई कि उसकी सीधी सादी माँ भी इस उथलपुथल से गुजर चुकी है, उसने पूछा मालती मेरी सहेली एक बात बताओगी।
मालती : हाँ पूछ
रूचि : तुमने भी शरीर कि जलन महसूस की है और कब और किसके लिए।
मालती ने सोचा यदि रूचि को पूरी तरह से खोलना है तो मुझे पहले खुद को इसके सामने अपने बारे में बताना होगा तभी ये ठीक तरह से अपनी उलझन मुझे बताएगी यही सोचकर वो बोलने लगी
मालती : रूचि जब मैं शादी होकर आई तब भरा पूरा घर था फिर थोड़े दिन बाद तेरे पापा की जॉब बाहर लग गई तो मैं उनके साथ उनके शहर आ गई, वहां धीरे धीरे हमारा सर्कल बढ़ने लगा, तेरे पापा के दोस्त घर आते रहते थे, कभी खाना कभी बाहर घूमने जाना, उनमें से एक उनका दोस्त था गौतम वो बहुत हैंडसम था और मुझे बहुत पसंद करता था, एक दो बार अकेले में उसने मुझे कहा भी कि वो मुझे चाहता है और एक बार तो उसने मेरा हाथ भी पकड़ लिया था।
रूचि : फिर फिर क्या हुआ मालती.।
इतना कह कर अब रूचि से रहा नहीं गया और अपनी मम्मी को गले से लगाकर बोली, आप मुझे सब साफ साफ बताइये मुझे मेरी माँ कि जवानी की सारी बातें जानना है मैं ये जानती ही नहीं थी कि मेरी माँ का भी कोई आशिक था और वो भी बहुत हैंडसम, pls आगे क्या हुआ आपका सम्बन्ध बना उनसे और कैसे बना मुझे जानकर बहुत ख़ुशी होगी, इतना कह कर उसने एक गर्म चुम्बन मालती के गाल पर कर दिया जो एक गर्म औरत का दूसरी गर्म औरत को था जिसे मालती ने बखूबी महसूस कर लिया था, उसे ख़ुशी हुई कि अब रूचि खुल रही है।
मालती : मैंने उस दिन उनसे कहा अभी मेरे पति बाथरूम में हैँ आ जायेंगे, इस बारे में मैं आपसे बाद में बात करुँगी। फिर वो दूसरे दिन जब तेरे पापा ऑफिस में थे तब आये।
रूचि ये सुनकर गर्म होने लगी थी उसने मालती को कसकर सीने से लगा लिया और उसके कान में नशीली आवाज़ में बोली मेरी माँ कितनी जवान और सेक्सी हो गई होगी उस समय ज़ब वो घर आये होंगे, क्या क्या हो रहा था आपके शरीर में अपने आशिक़ को अपने सामने देखकर वो भी अकेले में, ज़रा ठीक से विस्तार से बताओ न माँ अब तो हम दोस्त हैं आप अपनी सारी शर्म छोड़ कर बताओ, मैं बहुत खुश हूं मेरी माँ इतनी सेक्सी रही है अपने ज़माने में। हमने तो आपको हमेशा आपको मर्यादा में और साड़ी में ही देखा है आज आपका ये रूप मेरे लिए सच में बहुत आकर्षक लग रहा है।
मालती : सच कहूं तो वो जब आये मैंने दरवाजा खोला बड़ी नर्वस थी उनको सोफे पर बिठाया और सामने बैठ गई वो बोलने लगे
गौतम : मालती मैंने जब से आपको पहली बार देखा मेरा मन आप पर आ गया था लेकिन मैं ऐसी कोई हरकत नहीं करना चाहता हूं जिससे आपका मन दुखी हो, मैं आपको बहुत चाहने लगा हूं, आपको कभी दुखी नहीं करूँगा, अभी भी यदि आपको बुरा लग रहा है तो मैं चला जाता हूं
इतना कह कर वो उठने लगे, तब मैंने कहा अरे आप बैठिये आप अच्छे हैं. मुझे पता है आप बिना मेरी मर्जी के आगे नहीं बढ़ेंगे, आप वहीं बैठकर आपके मन में जो भी मेरे लिए है कहिये मुझे बुरा नहीं लगेगा लेकिन मेरी तरफ आइयेगा नहीं जब तक में ना कहूं।
गौतम : मालती आपको देखकर मुझे न जाने क्या हो जाता है जैसे एक नशा सा छा जाता है सब के सामने आपको सिर्फ नज़रें चुरा कर देखता ही रहता हूं।
मालती : हाँ ये मैंने दूसरी मुलाक़ात से ही महसूस कर लिया था कि जनाब कुछ घायल से हो रहे हैँ, लेकिन आपको मुझ में क्या अच्छा लगा मैं तो साधारण सी औरत हूं।
गौतम : जो दिल में है और जैसा में आपको देखता हूं वैसा ही कहूंगा तो आप बुरा मान सकती हो।
मालती रूचि से बोली तू तो जानती है ना रूचि, मालती ने भी रूचि को बांहो मे कसकर भरा हुआ था उसकी आवाज़ भी नशीली हो चुकी थी, तू तो जानती ही है शादी के तुरंत बाद कैसा होता है, मैं भी गनगनाई रहती थी दिन भर फिर कोई मर्द जिससे किसी प्रकार कि जोखिम ना हो तो और शरीर हिलोरे मारने लगता हैं तो मैंने भी कह दिया, नहीं नहीं मैं बुरा नहीं मानूगी बल्कि मैं तो आपके दिल में मेरे लिए क्या है सच सुनना चाहती हूं वो भी आपके शब्दों में निडर होकर कहिये।
गौतम आश्वस्त हुआ उसे डर दूर हुआ कि उसने यदि कुछ गलत शब्द भी बोल दिया तो मालती नाराज़ नहीं होगी
वो बोला : आप इतनी सुन्दर हो कि मैं आपको एक अप्सरा कि तरह देखता हूं आपका मुख चन्द्रमा की तरह खूबसूरत है, आपकी आँखे समंदर की तरह गहरी और आपकी नासिका जैसे चन्दन की खुशबु छोड़ती तीखी और दिलकश,
मालती रूचि से बोली जैसे जैसे वो मेरी तारीफ कर रहा था मुझे नशा सा चढ़ने लगा था, रूचि ने फिर से मालती के गर्दन पर चुम्बन जद दिया और हल्के से चाट लिया.
गौतम आगे बोला आपके गाल सेब की तरह लाल और चमकदार हैँ जी करता है इनको काट लूँ मगर बहुत होले से, और आपके होंठ जैसे रस की भरी दो संतरे की फाँके, लेकिन चेरी की तरह सुर्ख लाल अगर मेरा बस चले तो मैं इन्हें घंटों चूसता चूमता रहूं।
मालती रूचि से बोली अब मेरी हालत ये सुनते सुनते ख़राब होने लगी थी मेरे होंठ सूखने लगे थे जैसे कोई इन्हें अपनी जीभ से तर कर दे, मेरे सीने में हलचल होने लगी थी.
ये सुनकर अब रूचि आगे बढ़ी और मम्मी के दोनों बड़े बड़े स्तन दोनों हाथों से दबोचते हुए पूछा क्या यहाँ, इन दोनों में, मालती ने रूचि के कान में धीरे से हुऊ कहा, हाय माँ क्या सिन होगा आपका आशिक़ आपके सामने बैठा आपके जिस्म की तारीफ कर रहा था और आप अपने बोबों में हलचल महसूस कर रही थी क्या क्या और हो रहा था आपके शरीर में। मालती बोली बताती हूं तू सुन तो आगे।
गौतम आगे बोला आपकी गर्दन सुराही सी गौरी ज़ब आप बोलती हो इसकी नसे फड़कने लगती हैँ और इसके नीचे जो दो कलश हैँ हाय मालती मैं क्या बताऊँ क्या क्या नहीं होता है मेरे साथ.
मालती : कलश कौन से कलश साफ कहिये ना मैं क्या लौटे उठाये घूमती हूं, नाम लेकर कहिये मुझे बुरा नहीं लगेगा सच में, मेरी तारीफ आज तक इस तरह तो मेरे पति ने भी नहीं की है मुझे अच्छा लग रहा है अपने दिल की हर बात बेधड़क कहिये।

गौतम : मालती आप शादीशुदा हो तो आप सब जानती हो इसलिए मैं एक शादीशुदा खुल चुकी हसीन बेहद आकर्षक औरत से अश्लील शब्दों में ही बात करूँगा, ठीक है ना
मालती बोली नहीं कुछ सिर्फ मुस्करा कर हामी दी।
गौतम आगे बोला मालती जब आप अपने विशाल खतरनाक उन्नत बोबों को मेरे सामने अपने पति की उपस्थिति में उछाल उछाल कर घूमती रहती हो और आपको मालूम होता है कि मैं आपके पति की नज़रों से छुप कर इन्हें देख रहा हूं तो आप और इतरा कर मेरी आँखों में देखती हुई मेरे सामने टेबल पर कुछ रखते हुए अपनी भारी भरकम चूचियों का दर्शन करवाती हो.।
मालती ने रूचि के कान में कहा ये सुनते ही मेरे बॉब्स में ऐसी हलचल हुई की जैसे सागर हिलोरें मारने लगा, मेरी निप्पल में खुजली सी मचने लगी और बेटी क्या कहूं कैसे कहूं मेरी चुत की रिसन शुरू होने लगी, तभी रूचि ने फटाफट मालती का ब्लाउज और उसकी ब्रा खोल के नीचे फेंक दी और उसके दोनों बोबों को हाथों सी मसलने लगी और फिर उसकी घूंडियों को प्यार सी दबाते रागड़ते हुए पूछा तो उस समय गौतम अंकल का लन्ड भी तो तड़पा होगा आपकी तारीफ करते और आपके ये बॉब्स देखते हुए ये भी तो बताइये.
मालती रूचि सी बोली ऐसे कैसे ठहर पहले तू पलंग सी नीचे उतर और खुद नीचे उतर कर रूचि को नीचे खींच लिया और रूचि का गाउन नीचे उठाकर उसकी गर्दन सी लेकर शरीर सी अलग कर दिया और सिर्फ उसकी ब्रा ही नहीं उतारी उसकी पेंटी भी उतार फ़ेंकी, रूचि मम्मी मम्मी कहती रह गई और खुद रूचि ने भी कसर नहीं छोड़ी उसने भी मालती की साड़ी फिर पेटीकोट और अंत में उसकी पेंटी भी उतार दी, अंदर दोनों माँ बेटी जन्मजात नंगी एक दूसरे के शरीर को कोई दो मिनट तक निहारती रही फिर दोनों एक साथ आगे बढ़कर एक दूसरे के गले लग गई..। मालती रूचि सी बोली शादी के बाद क्या तेरा शरीर चमक उठा है क्या बॉब्स हो गए हैँ तेरे अभी से मेरे बोबों को टक्कर दे रहे हैँ और तेरी गांड क्या तैयार हुई है, सच बता कितने लन्ड खड़े करती है ज़ब भी बाहर निकलती है तू तो क़यामत हो गई है क़यामत तुझे चोदने को तो खूबसूरत से भी खूबसूरत मर्द हाथ में लन्ड लेकर तेरे पीछे पीछे घूमने लग जाये, हाय में वारी जाऊं मेरी बेटी पर क्या जवानी चढ़ी है, इसे तो शरीर सुख मिलना ही चाहिए किसी भी तरह से। रूचि कहाँ कम थी मालती से वो उसके कान में उसको टाइट हग करते हुए बोबों से बोबों की मालिश करते हुए बोलने लगी मम्मी आपको मैंने हमेशा से साड़ी में ढकेछिपे बदन में ही देखा है आज आपका हाहाकार बदन इन गदाराये विशाल बोबों के साथ और क्या ही मस्तानी गांड के साथ देखा है आपका शरीर बिलकुल भी ढीला नहीं पड़ा है आप में मुझमें कोई एक साथ देखे तो 5 7 साल का ही अंतर देखेगा, मम्मी सच बताना पापा आपकी रेगुलर चुदाई कर रहे है, सच बोलना आपको मेरी कसम है, मालती ने वासना से सिसकते हुए कहा नहीं मुझे तो चुदे हुए तीन चार साल से भी ज्यादा हो गए है बेटी, तब रूचि और भी कामुक होकर बोली मम्मी आपके बदन की आपके बोबों की जमकर जबरदस्त दबावाई और चूसवाई करवाई जानी चाहिए और आपकी चुत की तो रगड़ रगड़ कर लगातार पांच छह दिन चुदाई होनी चाहिए तब कहीं जा कर इसको कुछ बहुत कम शांति मिलेगी.
है ना मम्मी सच कह रही हूं ना,
मालती हाँ बेटी शायद, क्योंकि आज तक तो एक ही तेरे पापा का लन्ड लिया है वो भी एवरेज सा, पता नहीं कसकर चुदाई क्या होती है लेकिन ये अरमान सालों ज़े दिल में है आज तेरे सामने आ गया जाने कैसे.
रूचि : लेकिन वो गौतम अंकल वाला किस्सा, क्या चुदाई तक नहीं पंहुचा कभी, ऐसा कैसे हो गया इतना आगे बढ़ने के बाद भी।
मालती : बताती हूं चल आराम से बिस्तर पर लेटकर एक दूसरे से खेलते चूमते चूसते हुए आगे बताती हूं।
Hasin update
 
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