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Adultery भोलीभाली पतिव्रता रुचि चूद गई सहेलियों के बहकावे में

क्या रुचि को अपना पतिव्रत धर्म छोड़ना चाहिए या गैर मर्द के साथ संभोग के लिए आगे बढ़ना चाहिए?


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malikarman

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रूचि का अब रंग बदलने लगा था, वह धीरे धीरें कामुक होने लगी थी उसका दिल उसके बस में नहीं आ रहा था अब साधना ने रूचि को जोरों से सीने से भींचतें हुए उसके गले में चुम्बनों की बरसात लगा दी कोई दो मिनिट तक चूमने के बाद वो उसके कान में धीरे से बोली कैसा लग रहा है मेरी जान रूचि कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थी उसने सिर्फ हूं कहा साधना समझ गई रंग चढ़ना शुरू हो गया है उसने धीरे से रूचि के ब्लाउज के बटन कोछुआ और हलके से खोलने की कोशिश की रूचि कसमसाई मगर कोई प्रतिरोध नहीं किया साधना ने पहला हुक खोला रूचि तड़प कर मचली और साधना के होठों पर अपने होंठ रख कर हल्के से चूमने की ओर बढ़ी साधना ने अगला हुक फिर अगला हुक और धीरे धीरे सारे हुक खोल दिए अब रूचि बुरी तरह से साधना के होठों को चूसने लगी थी उसकी आग ने रफ्तार पकड़ ली थी साधना यहीं तक नहीं रुकी उसने ब्रा के कप को निचे से पकड़ा और दोनों ही कपों को ऊपर की तरफ उलट दिया, रूचि की जागीर बाहर आ गई क्या ही आकार था विशाल उन्नत उभरे ज्यादा छुए हुए नहीं सफ़ेद मखमली भूरे कत्थई रंग लिए हुए चूचियां, साधना से रहा नहीं गया उसने दोनों हाथों से रूचि की चूचियां अंगूठे और दोनों उंगलियों के बिच पकड़ कर धीरे धीरे मसलना शुरू किया और रूचि को समझ नहीं आ रहा था उसे क्या हो रहा है बोबों का सोचे तो जैसे गुब्बारों में अजीब सी हिलोरे उठ रही थी बिना हिलाये ही दोनों बॉब्स अनजानी थिरकन से थिरकने लगे थे चूचियों की घूंडियां आहिस्ते आहिस्ते मसले जाने से नशीली तरगें शरीर में भरने लगी थी इतना मस्त और चुदास अहसास रूचि को आज तक नहीं हुआ था उसकी चुत आहिस्ते से कुछ ज्यादा रफ्तार से खुल बंद हो रही थी उसका clotris बिना छुए ही हिलने लगा था उसने दोनों जांघो को ताकत से भींच लिया था जैसे चुत को उबल कर बाहर आने से रोक रही हो.
अब साधना ने रूचि को बोला एक मिनट रुक और उसे छोड़ कर वो खड़ी हुई ओर अपना भी ब्लाउज और ब्रा को निकाल कर अलग रखा फिर रूचि के पास बैठकर उसकी ब्रा को भी हुक खोलकर कंधे से अलग करने के बाद रूचि की आँखों में देखती हुई बोली सोच रूचि यही काम तेरे साथ अगर कोई खूबसूरत हीरो कर रहा होता तो तुझे कैसा लगता, रूचि कुछ बोली नहीं सिर्फ वासना से भरी आँखों से साधना को देखती रही तभी साधना ने अपने बड़े बड़े बोबों को हाथ से पकड़ कर अपनी चूचियों को रूचि की चूचियों से टच करते हुए थोड़ा जोर से रागड़ाना चालू किया जो आनंद दोनों औरतें महसूस कर रही थी उसे कोई औरत पाठक ही समझ सकती है अब दोनों एक साथ मस्ती के आलम में चिहूंक रही थी रूचि ओह साधना और साधना अरी रूचि बोलकर वासना रस में डूबी जोरों से अपने बोबों को आपस में रगड़ रही थी, दोनों की चुतें समंदर के किनारे उठने वाले शोर की तरह तेजी से लप लपा रही थी, अब रूचि ने आगे बढ़ाते हुए साधना का निचे का नाड़ा पकड़ कर खींच लिया और उसके निचे के कपडे तेजी से खींच कर पैरों से अलग कर दिए, साधना कहाँ कम पड़ने वाली थी उसने भी झपट कर रूचि के सारे कपडे अलग कर दिए और रूचि पूर्ण नग्न अवस्था में साधना के सामने थी साधना ने रूचि को कंधे पर धक्का देकर पलंग पर पीठ के बल गिरा दिया और उसको दोनों तंगों को चौड़ा कर के अपना मुंह रूचि की बहती हुई चुत से लगा दिया और रूचि की चुत के clotris को जुबान की नौक से कुरेदने लगी रूचि के शरीर में आनंद की तरंगों ने धावा बोल दिया रूचि का शरीर बाढ़ मे हिचकोले खाती नय्या की तरह अंदर ही अंदर डोलने लगा जो ऊपर से दिखाई तो नहीं दे रहा था मगर उसे रूचि तीव्रतम रूप से झेल रही थी, अब रूचि ने अपने दोनों हाथों से रूचि की कठोर चूचियाँ दबोची और उन्हें जोरों से मसलती हुई उसकी चुत के छेद में मुंह डालकर उसके अमृत को सड़प सड़प पिने लगी साथ ही वो बीच बीच में clotris को भी छेड़ती जा रही थी अब सहना रूचि की शक्ति से बाहर हो चूका था वो जोरों से बदबाड़ाने लगी साधना साधना मैं आज मर रही हूं हाय दय्या है मम्मी ये औरत मेरी आज जान ले लेगी ओ मम्मी मेरी चुत मे ये कैसी खलबली मची हुई है आज तक तो ऐसा हुआ नहीं मर्रे साथ ये कौनसा असर मेरे शरीर मेरे बॉब्स और मेरी चुत पर हो रहा है हाय मम्मी ये साधना कैसा जादू मेरे साथ कर रही है उधर साधना समझ गयी आज रूचि की चुत ने पहली बार जवानी का रंग देखा है अब ये पूरी मेरे काबू में है तब वो मुंह चुत से उठाकर बोली रानी ये तो साधना तेरी जवानी को उबाल रही है सोच अगर यहाँ अमित ये सब कर रहा होता और मेरी जबान की जगह अमित का 9 इंच लम्बा और तीन इंच मोटा लन्ड तेरी चुत पर फेरा जा रहा होता तो तेरा क्या हाल होता मेरी नाजुक चुत वाली रानी रूचि, रूचि अब पूरी तरह चुदेल औरत के रूप में आ चुकी थी साधना मत पूछ मैं तो अमित के पैरों में अपनी गीली चुत हिलोरे मारते बोबे लेकर शर्म से गढ़ी पड़ी होती, साधना बोली आज अमित ने तुझे देखा और तुझ पे मर मिटा है और मुझसे तुझसे मिलाने की यानि तुझे चोदने की मिन्नतें कर रहा है बोल मेरी चुदासी सहेली रूचि क्या तू मेरे अमित का हालव्वि दमदार लन्ड अपनी इस कमसिन चुत में लेगी, और साधना फिर से चुत चाटने लगी और रूचि की घूंडियां मसलाने लगी रूचि अब खुद को रोक नहीं पाई और हाथ पैरों को पटकते हुए झरने की तरह बरसती हुई आनंद के सागर में हिचकोले खाती हुई बोली साधना अगर जो सच है तो मुझे ये सोचना पड़ेगा और झाम झम बरसती रही लगभग दो मिनट तक और निढाल होकर बिस्तर में पसर गई साधना की बांहों में l
Hot lg rhi ho
 

mastmast123

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EPISODE 7
रूचि ने तीन चार दिन तक कोई ध्यान नहीं दिया साधना पर, उसके फ़ोन भी आए मगर उसने कोई जवाब नहीं दिया, उसका मन बड़ा विचलित था, बहुत उपापोह में थी क्या हो गया। उसको खुद पर बड़ी ग्लानि हो रही थी, लेकिन कुछ कुछ अच्छा भी लगा था जैसे साधना का उसे छूना और वो उसका छेड़ना शरीर से खेलना, उसे अमित भी अच्छा लगा था एक खूबसूरत मर्द, मगर वो सब रूचि याद नहीं रखना चाहती थी, इसलिए सब से दुरी बनाकर एकांत में गुमसुम पड़ी थी।
चार दिन बाद अकेलपन से हार कर वो घर से निकली मगर साधना KE घर नहीं जाना चाहती थी उसने सोचा आज मै हेमांगी के घर जाती हूँ और वो उसके घर जाती है। ज़ब वो अंदर पहुंची उसने देखा हेमांगी अपने पति शिशिर के साथ बैठी है हेमांगी ने रूचि को देखा और देखते ही दौड़ कर उसके पास आई और हाथ पकड़ कर बोली अरे आओ आओ कितने दिन हो गये अब आई हो और उसे खींच कर अंदर ले आई और शिशिर से मिलाते हुए बोली शिशिर ये मेरी सहेली रूचि है और रूचि इनसे मिलो मेरे पति शिशिर, दोनों ने एक दूसरे का अभिवादन किया, शिशिर ने रूचि को देखा सौंदर्य की देवी नख से शीश तक हुस्न ही हुस्न, ईश्वर ने कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी थी आज रूचि ने पिस्ता कलर की साड़ी और मैचिंग ज्वेलरी पहनी हुई थी क़यामत क्या होती है उसे देखकर कोई भी समझ सकता था, सांचे में ढला बदन, शिशिर पलकें झपकाना भूल गया उसे लगा उर्वशी स्वर्ग से साक्षात् उतर कर आ गईं है रूचि ये देख नहीं पाई क्योंकि वो हेमांगी से बात कर रही थी मगर हेमांगी ने देख लिया और समझ गईं मेरा पति तो गया, उसने रूचि को बिठाया अब रूचि ने देखा वो ताज्जुब करने लगी इतना सुन्दर भी कोई हो सकता है क्या बिलकुल रणबीर की तरह लेकिन थोड़ा लम्बा, उसका दिल आज फिर मचल गया, ये क्या हो रहा है पहले अमित और अब ये शिशिर, वो भी देखकर एक तरह से hypnotize हो गईं थी हेमांगी ने भाँप लिया ये भी शायद मर मिटी है पतिदेव पर, मगर वो कन्फर्म नहीं थी। रूचि तुम बैठो मैं एक मिनट में आई। वो अंदर आई और उसने शिशिर को आवाज़ देकर अंदर बुलाया।
तुम ये क्या फटी फटी आँखों से उसे देख रहे थे क्या कभी कोई औरत नहीं देखी उसने पूछा
यार क्या गजब की सुंदर है मैंने ऐसी आज तक नहीं देखी, क्या करूँ देखूँ नहीं तो क्या करूँ।
तुम्हरा बस चले तो तुम उसे अपनी गोद में बिठा लो, है ना,।
यार हेमांगी तुमने तो मेरे दिल की बात जान ली, कुछ करो यार मेरी दोस्ती करवा दो न इस अप्सरा से, तुम जो कहोगी वो ला दूंगा तुम्हे बदले में।
चलो चलो ज्यादा मस्का मत लगाओ, मैं देखती हुँ कुछ, हाँ जैसा मैं कहूं करते जाना, देखते हैँ शायद काम बन जाये, लेकिन कोई ओछी हरकत नहीं और कोई bad words नहीं, maintain decency,,, ok
ओके डार्लिंग,,,

अभी तुम बाहर जाओ और उससे कुछ बात करो तब तक मैं आती हुँ।
 

sunoanuj

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EPISODE 7
रूचि ने तीन चार दिन तक कोई ध्यान नहीं दिया साधना पर, उसके फ़ोन भी आए मगर उसने कोई जवाब नहीं दिया, उसका मन बड़ा विचलित था, बहुत उपापोह में थी क्या हो गया। उसको खुद पर बड़ी ग्लानि हो रही थी, लेकिन कुछ कुछ अच्छा भी लगा था जैसे साधना का उसे छूना और वो उसका छेड़ना शरीर से खेलना, उसे अमित भी अच्छा लगा था एक खूबसूरत मर्द, मगर वो सब रूचि याद नहीं रखना चाहती थी, इसलिए सब से दुरी बनाकर एकांत में गुमसुम पड़ी थी।
चार दिन बाद अकेलपन से हार कर वो घर से निकली मगर साधना KE घर नहीं जाना चाहती थी उसने सोचा आज मै हेमांगी के घर जाती हूँ और वो उसके घर जाती है। ज़ब वो अंदर पहुंची उसने देखा हेमांगी अपने पति शिशिर के साथ बैठी है हेमांगी ने रूचि को देखा और देखते ही दौड़ कर उसके पास आई और हाथ पकड़ कर बोली अरे आओ आओ कितने दिन हो गये अब आई हो और उसे खींच कर अंदर ले आई और शिशिर से मिलाते हुए बोली शिशिर ये मेरी सहेली रूचि है और रूचि इनसे मिलो मेरे पति शिशिर, दोनों ने एक दूसरे का अभिवादन किया, शिशिर ने रूचि को देखा सौंदर्य की देवी नख से शीश तक हुस्न ही हुस्न, ईश्वर ने कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी थी आज रूचि ने पिस्ता कलर की साड़ी और मैचिंग ज्वेलरी पहनी हुई थी क़यामत क्या होती है उसे देखकर कोई भी समझ सकता था, सांचे में ढला बदन, शिशिर पलकें झपकाना भूल गया उसे लगा उर्वशी स्वर्ग से साक्षात् उतर कर आ गईं है रूचि ये देख नहीं पाई क्योंकि वो हेमांगी से बात कर रही थी मगर हेमांगी ने देख लिया और समझ गईं मेरा पति तो गया, उसने रूचि को बिठाया अब रूचि ने देखा वो ताज्जुब करने लगी इतना सुन्दर भी कोई हो सकता है क्या बिलकुल रणबीर की तरह लेकिन थोड़ा लम्बा, उसका दिल आज फिर मचल गया, ये क्या हो रहा है पहले अमित और अब ये शिशिर, वो भी देखकर एक तरह से hypnotize हो गईं थी हेमांगी ने भाँप लिया ये भी शायद मर मिटी है पतिदेव पर, मगर वो कन्फर्म नहीं थी। रूचि तुम बैठो मैं एक मिनट में आई। वो अंदर आई और उसने शिशिर को आवाज़ देकर अंदर बुलाया।
तुम ये क्या फटी फटी आँखों से उसे देख रहे थे क्या कभी कोई औरत नहीं देखी उसने पूछा
यार क्या गजब की सुंदर है मैंने ऐसी आज तक नहीं देखी, क्या करूँ देखूँ नहीं तो क्या करूँ।
तुम्हरा बस चले तो तुम उसे अपनी गोद में बिठा लो, है ना,।
यार हेमांगी तुमने तो मेरे दिल की बात जान ली, कुछ करो यार मेरी दोस्ती करवा दो न इस अप्सरा से, तुम जो कहोगी वो ला दूंगा तुम्हे बदले में।
चलो चलो ज्यादा मस्का मत लगाओ, मैं देखती हुँ कुछ, हाँ जैसा मैं कहूं करते जाना, देखते हैँ शायद काम बन जाये, लेकिन कोई ओछी हरकत नहीं और कोई bad words नहीं, maintain decency,,, ok
ओके डार्लिंग,,,

अभी तुम बाहर जाओ और उससे कुछ बात करो तब तक मैं आती हुँ।

Bhaut hee behtarin updates…. Shishir bhi gaya kaam se 👏🏻👏🏻👏🏻
 
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malikarman

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EPISODE 7
रूचि ने तीन चार दिन तक कोई ध्यान नहीं दिया साधना पर, उसके फ़ोन भी आए मगर उसने कोई जवाब नहीं दिया, उसका मन बड़ा विचलित था, बहुत उपापोह में थी क्या हो गया। उसको खुद पर बड़ी ग्लानि हो रही थी, लेकिन कुछ कुछ अच्छा भी लगा था जैसे साधना का उसे छूना और वो उसका छेड़ना शरीर से खेलना, उसे अमित भी अच्छा लगा था एक खूबसूरत मर्द, मगर वो सब रूचि याद नहीं रखना चाहती थी, इसलिए सब से दुरी बनाकर एकांत में गुमसुम पड़ी थी।
चार दिन बाद अकेलपन से हार कर वो घर से निकली मगर साधना KE घर नहीं जाना चाहती थी उसने सोचा आज मै हेमांगी के घर जाती हूँ और वो उसके घर जाती है। ज़ब वो अंदर पहुंची उसने देखा हेमांगी अपने पति शिशिर के साथ बैठी है हेमांगी ने रूचि को देखा और देखते ही दौड़ कर उसके पास आई और हाथ पकड़ कर बोली अरे आओ आओ कितने दिन हो गये अब आई हो और उसे खींच कर अंदर ले आई और शिशिर से मिलाते हुए बोली शिशिर ये मेरी सहेली रूचि है और रूचि इनसे मिलो मेरे पति शिशिर, दोनों ने एक दूसरे का अभिवादन किया, शिशिर ने रूचि को देखा सौंदर्य की देवी नख से शीश तक हुस्न ही हुस्न, ईश्वर ने कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी थी आज रूचि ने पिस्ता कलर की साड़ी और मैचिंग ज्वेलरी पहनी हुई थी क़यामत क्या होती है उसे देखकर कोई भी समझ सकता था, सांचे में ढला बदन, शिशिर पलकें झपकाना भूल गया उसे लगा उर्वशी स्वर्ग से साक्षात् उतर कर आ गईं है रूचि ये देख नहीं पाई क्योंकि वो हेमांगी से बात कर रही थी मगर हेमांगी ने देख लिया और समझ गईं मेरा पति तो गया, उसने रूचि को बिठाया अब रूचि ने देखा वो ताज्जुब करने लगी इतना सुन्दर भी कोई हो सकता है क्या बिलकुल रणबीर की तरह लेकिन थोड़ा लम्बा, उसका दिल आज फिर मचल गया, ये क्या हो रहा है पहले अमित और अब ये शिशिर, वो भी देखकर एक तरह से hypnotize हो गईं थी हेमांगी ने भाँप लिया ये भी शायद मर मिटी है पतिदेव पर, मगर वो कन्फर्म नहीं थी। रूचि तुम बैठो मैं एक मिनट में आई। वो अंदर आई और उसने शिशिर को आवाज़ देकर अंदर बुलाया।
तुम ये क्या फटी फटी आँखों से उसे देख रहे थे क्या कभी कोई औरत नहीं देखी उसने पूछा
यार क्या गजब की सुंदर है मैंने ऐसी आज तक नहीं देखी, क्या करूँ देखूँ नहीं तो क्या करूँ।
तुम्हरा बस चले तो तुम उसे अपनी गोद में बिठा लो, है ना,।
यार हेमांगी तुमने तो मेरे दिल की बात जान ली, कुछ करो यार मेरी दोस्ती करवा दो न इस अप्सरा से, तुम जो कहोगी वो ला दूंगा तुम्हे बदले में।
चलो चलो ज्यादा मस्का मत लगाओ, मैं देखती हुँ कुछ, हाँ जैसा मैं कहूं करते जाना, देखते हैँ शायद काम बन जाये, लेकिन कोई ओछी हरकत नहीं और कोई bad words नहीं, maintain decency,,, ok
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अभी तुम बाहर जाओ और उससे कुछ बात करो तब तक मैं आती हुँ।
Lovely update
Lagta hai maza aane wala hai
 
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mastmast123

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EPISODE 8

शिशिर बाहर आता है रूचि के सामने बैठकर बोलता है रूचि जी आप कब से हेमांगी को जानते हैँ मैंने तो आपको कभी देखा ही नहीं पहले।
रूचि जी हम कोई छह महीने से जानते है और ये इतनी अच्छी है सीधी साफ दिल और बहुत ही मिलनसार कि इनसे दोस्ती पक्की हो गईं और अब वो मेरी सहेली नहीं बल्कि मेरी बड़ी बहन सी हैँ।
शिशिर ओह ये बात है हमें तो आज तक पता ही नहीं चला, साली जी,,,,
रूचि क्या? क्या कहा आपने, साली,,,, ये क्या बात हुई, आप ऐसा कैसे कह सकते है।
शिशिर अब बीबी की छोटी बहन को साली जी ही तो कहते हैं जहाँ तक मुझे पता है।
रूचि ये सुनकर हंसने लगी और शरारत से इतरा कर बोली अच्छा तो आपको जीजाजी बनने का ख्याल आ रहा है।
शिशिर ख्याल तो बहुत कुछ बनने का आ रहा है लेकिन,,,,
रूचि लेकिन क्या?
शिशिर अब छोड़िये आप कहीं बुरा न मान जाएँ, रहने दीजिये मैं अपने ख्याल अपने दिलमे ही दबा कर रख लेता हुँ।
रूचि इन छह महीनों में इतना तो जान गईं थी कि हेमांशी कैसी है और ये संस्कार दोनों पति पत्नी के ही हैँ इसलिए उसे शिशिर से मज़ाक करने में आगे बढ़ने में कोई डर नहीं था।
रूचि नहीं नहीं जीजाजी आप कहिये अपने ख्याल दिल में मत दबाइये.।
रूचि को शिशिर अच्छा लग रहा था सूरत से भी और व्यवहार से भी, भोला और निश्छल, एक अपना सा अहसास उसे शिशिर के साथ लग रहा था और एक दबी आस, एक हैंडसम हमसफर की दिल में जागने लगी थी।
तभी हिमांशी बाहर आती हुई बोली कौन क्या और किसको दबा रहा है यहाँ कोई ऐसा नहीं कर सकता, खुले में, समझें दोनों,
रूचि हँसते हुए शरारत में घी डालते हुए बोली अभी तो किसी ने दबाने की हिम्मत तो क्या कोशिश भी नहीं की है, और यहाँ खुले में न करें तो कहाँ करना चाहिए ये भी बता दीजिये दीदी।
हिमांशी दीदी,,, ये क्या है अचानक,,,,
रूचि आपके श्रीमान को जीजाजी बनने का शौक चार्रराया है तो फिर तुम दीदी ही हुई ना,,,,
ओह ये बता है तो चलो साली जीजा अंदर बैठकर दबाने की प्लानिंग को आगे बढ़ाते है ऐसा बोलकर दोनों के हाथ पकड़ कर हेमांगी उनको अपने बेडरूम की ओर ले चली।
चलते चलते रूचि ने हेमांगी के कान में कहा यार मैं बस मज़ाक कर रही हुँ तुम इसे कोई और मोड़ मत दे बैठना।
हेमांगी अंदर से दोनों की बता ध्यान से सुन रही थी और उसे ये समझ आ गया था कि रूचि को शिशिर कि चुहल अच्छी लग रही है अब इसे थोड़ी हवा देने कि और रूचि को थोड़ा और खोलने की जरुरत है.।
उसने शिशिर को कहा तुम चल कर बैठो हम दोनों कुछ खाने का लेकर आते हैँ, और रूचि को घुमा कर किचन की तरफ ले चली। वहां उसने रूचि के दोनों हाथ पकड़ कर उसकी आँखों में देखते हुए पूछा
रूचि एक बता सच सच बताएगी
रूचि हाँ पूछ
हेमांशी तुझे शिशिर कैसा लगा, साथ ही उसने रूचि का एक हाथ अपने सर पर रखा और कहा तुझे मेरी कसम एकदम सच बताना।
रूचि समझ गईं ये क्या कहना और पूछना चाह रही है, उसके गाल शर्म से लाल हुए पलकें झुक गईं और शर्माते हुए बोली क्या मतलब कैसे लगे तेरे hubby है अच्छे ही है इसमें पूछने वाली बात क्या है.।
हेमांगी मुझे सब पता है मुझसे मत छुपा मैं अंदर से सब सुन रही थी कैसी शरारत से चुहल कर रही थी, मुझे सच में बहुत अच्छा लग रहा था, मैं भी चाहती हुँ मेरे पति की मेरे अलावा भी कोई प्रेमिका हो जो उसको मन ही नहीं तन से भी प्यार करे, तू उस तरह से पूरी ही उसके लायक है, और थोड़ी देर पहले शिशिर जब अंदर आया था तब उसने तुझसे दोस्ती की इच्छा जताई थी मुझसे, अब तू सच बता तुझे मेरे शिशिर कैसे लगे और उसने डाइनिंग टेबल पर रखे एक एप्पल को उठाया और निचे घुटने पर बैठ कर सेब उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा रूचि क्या तुम मेरे पति शिशिर को अपना प्रेमी स्वीकार करते हुए उन्हें अपना मन और ये हसीन संगमरारी शरीर सोपने का अहसान मुझ पर करोगी।
 

mastmast123

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EPISODE 9

रूचि ने एप्पल हेमांशी के हाथों से लिया और अपने सिर पर चढ़ाया और फिर उसे चूमकर टेबल पर रखने के बाद हेमांशी को दोनों हाथ से पकड़ कर ऊपर उठाया और सीने से लगाते हुए उसके कान में बोली ये तुम क्या कर रही हो तुम मेरी बहुत प्रिय सहेली हो तुम्हारी सब बता मै आंख मुंद कर मान सकती हुँ, लेकिन शिशिर से तन का रिश्ता मेरे लिए पॉसिबल नहीं है मैं शरद से बहुत प्यार करती हुँ और उसको धोखा कैसे दूँ , हंसी मज़ाक ऊपर ऊपर की दोस्ती तक ठीक है उसके आगे नहीं pls हिमांशी।
हिमांशी ने भी उसको सीने से कस लिया फिर दोनों हाथों से रूचि के मुंह को पकड़ते हुए उसकी आँखों में देखते हुए उसके होंठ चुम लिए और बोली हाँ रानी मैं भी तो ऊपर ऊपर की दोस्ती का अभी कह रह रही हुँ फिर यदि ये तेरे दोनों, इतना कहते हुए दोनों विशाल चुचोन को हाथों से दबोचते हुए बोली, ये दोनों दूध के भरे कठोर चुचे मान जाये और उसके हाथों से मसले जाने को व्याकुल होने लगेंगे तब आगे की सोचेंगे अभी तो तू सिर्फ हंस कर अच्छी बातें कर और इन पहाड़ों के दर्शन उसको करवा, इतने में ही वो मर जायेगा।
रूचि बोली कैसी बहकी बहकी बाते कर रही हो तुम मैं ये सब नहीं करुँगी।
हिमांशी बोली रानी इतना खूबसूरत बदन सिर्फ दिखाने और घूमने फिरने के लिए ही नहीं है इतना कह कर उसने धीरे धीरे उसका ब्लाउज खोल दिया ब्रा को भी अलग कर दिया और उसकी घूंडियों को दोनों हाथों के अंघोठे और ऊँगली से पकड़ कर जोर से मसलते दबाते हुए बोली अभी तो तेरी जवानी शबाब पर आई है ठीक से तेरे शरीर की आवभागत भी नहीं हुई होई है, इतना खूबसूरत बदन किसी एक मर्द से शांत और संतुष्ट नहीं हो सकता है इन उन्नत भयंकर बॉब्स को बहुत जमकर दबा दबा कर मसलने की जरुरत है इस कमसिन नाजुक नशीले बदन और जांघो के बीच छिपे झरेने को रगड़ रगड़ कर बुरी तरह चोदने से, और वो भी एक बार नहीं, लगातार पांच रात और दिन तक चोदने से, तुझे कोई राहत मिलने की संभावना है या हो सकता है मुझे तुम दोनों के एक महीने तक एक कमरे में निपट नंगा रखने की जरुरत है तभी मेरी प्यारी सहेली और अब छोटी बहन को कुछ आराम आएगा, मैं तेरे लिए तेरे ऊपर अपना सिंदूर न्योछावर करने को तैयार हुँ, बोल रूचि अपने शरीर पर तू ये मेहरबानी करेंगी ना।
रूचि ये सब सुनकर बुरी तरह शर्मा रही थी उधर हेमांगी के हाथ रूचि के विशालकाय पहाड़ों पर अपना काम बदस्तूर जारी रखे हुए थे, रूचि वासना के वाशीभुत होकर कसमसा रही थी। उसके मुंह से रह कर आहें निकल रही थी और निचे उसकी चुत अमृतरस बहाने लगी थी जो धीरे धीरे रिस रिस कर उसके घुटनों के निचे तक पहुँच गया था..
अब रूचि से बर्दाश्त नहीं हो रहा था अचानक हिमांशी ने फिर से रूचि के होठों को अपने होठों में भर लिया, रूचि ने सिसकते हुए अपने मुंह खोल दिया हिमांगी ने अपनी जुबान रूचि के मुंह में डाल दी जिसे रूचि ने चूसना शुरू कर दिया, रूचि की मस्ती उसके बॉब्स और पुरे शरीर में चरम पर थी। अचानक हिमांगी ने एक हाथ निचे रूचि के पेट पर सटा कर उसके पेटीकोट के नाड़े के अंदर से और निचे सरकाया, पेंटी के इलास्टिक को भेदते हुए निचे उसकी चिकनी रसीली चुत तक पहुँचाया। रूचि के बहते झरने ने उसकी हालत हेमांशी से बयान कर दी, हेमांशी से रहा नहीं गया उसने बीच वाली ऊँगली उसकी रस बहती चुत में उतार दी और अंघोथे से उसके clitoris को सहलाने लगी.। रूचि हेमांशी की हरकतों से पागल हुई जा रही थी शादीशुदा तो थी ही वासना और सेक्स को पूरा पूरा समझती थी बस अब तक किसी और मर्द से चुदी नहीं थी मगर सेक्स पुरे शरीर में कूट कूट कर भरा था जिसे आजकल पांच छह दिनों से भयानक रूप से महसूस कर रही थी, और उसी तरंग में पूरी मस्ती में डूबते डूबते भर भरा कर ढह गईं बह गईं छूट गईं आआआहहहहहहह माँ मम्मी मम्मीजी कहते हुए हिमांगी की बांहों में झूलकर दो मिनट तक बहती रही बहती रही।
जब कोई दस मिनिट बाद होश आया उसने अपने कपड़े ठीक किए ब्रा ब्लाउज पहना और तेजी से जाने लगी, हिमांगी ने हाथ पकड़ा पूछा क्या हुआ नाराज़ हो गईं मुझसे गलती हुई क्या,
रूचि बोली नहीं नहीं तुम गलती कर ही नहीं सकती
हिमांशी ने पूछा फिर क्या हुआ कहाँ जा रही हो, शिशिर को क्या बोलूं तुम्हारा फैसला क्या है
रूचि बोली मुझे अभी कुछ पता नहीं, बाद में बताउंगी, मगर तुमसे नाराज़ नहीं हुँ बस अभी इतना ही कह सकती हुँ, और ऐसा बोलकर बाहर आकर कार लेकर घर आ गईं।
 
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malikarman

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EPISODE 9

रूचि ने एप्पल हेमांशी के हाथों से लिया और अपने सिर पर चढ़ाया और फिर उसे चूमकर टेबल पर रखने के बाद हेमांशी को दोनों हाथ से पकड़ कर ऊपर उठाया और सीने से लगाते हुए उसके कान में बोली ये तुम क्या कर रही हो तुम मेरी बहुत प्रिय सहेली हो तुम्हारी सब बता मै आंख मुंद कर मान सकती हुँ, लेकिन शिशिर से तन का रिश्ता मेरे लिए पॉसिबल नहीं है मैं शरद से बहुत प्यार करती हुँ और उसको धोखा कैसे दूँ , हंसी मज़ाक ऊपर ऊपर की दोस्ती तक ठीक है उसके आगे नहीं pls हिमांशी।
हिमांशी ने भी उसको सीने से कस लिया फिर दोनों हाथों से रूचि के मुंह को पकड़ते हुए उसकी आँखों में देखते हुए उसके होंठ चुम लिए और बोली हाँ रानी मैं भी तो ऊपर ऊपर की दोस्ती का अभी कह रह रही हुँ फिर यदि ये तेरे दोनों, इतना कहते हुए दोनों विशाल चुचोन को हाथों से दबोचते हुए बोली, ये दोनों दूध के भरे कठोर चुचे मान जाये और उसके हाथों से मसले जाने को व्याकुल होने लगेंगे तब आगे की सोचेंगे अभी तो तू सिर्फ हंस कर अच्छी बातें कर और इन पहाड़ों के दर्शन उसको करवा, इतने में ही वो मर जायेगा।
रूचि बोली कैसी बहकी बहकी बाते कर रही हो तुम मैं ये सब नहीं करुँगी।
हिमांशी बोली रानी इतना खूबसूरत बदन सिर्फ दिखाने और घूमने फिरने के लिए ही नहीं है इतना कह कर उसने धीरे धीरे उसका ब्लाउज खोल दिया ब्रा को भी अलग कर दिया और उसकी घूंडियों को दोनों हाथों के अंघोठे और ऊँगली से पकड़ कर जोर से मसलते दबाते हुए बोली अभी तो तेरी जवानी शबाब पर आई है ठीक से तेरे शरीर की आवभागत भी नहीं हुई होई है, इतना खूबसूरत बदन किसी एक मर्द से शांत और संतुष्ट नहीं हो सकता है इन उन्नत भयंकर बॉब्स को बहुत जमकर दबा दबा कर मसलने की जरुरत है इस कमसिन नाजुक नशीले बदन और जांघो के बीच छिपे झरेने को रगड़ रगड़ कर बुरी तरह चोदने से, और वो भी एक बार नहीं, लगातार पांच रात और दिन तक चोदने से, तुझे कोई राहत मिलने की संभावना है या हो सकता है मुझे तुम दोनों के एक महीने तक एक कमरे में निपट नंगा रखने की जरुरत है तभी मेरी प्यारी सहेली और अब छोटी बहन को कुछ आराम आएगा, मैं तेरे लिए तेरे ऊपर अपना सिंदूर न्योछावर करने को तैयार हुँ, बोल रूचि अपने शरीर पर तू ये मेहरबानी करेंगी ना।
रूचि ये सब सुनकर बुरी तरह शर्मा रही थी उधर हेमांगी के हाथ रूचि के विशालकाय पहाड़ों पर अपना काम बदस्तूर जारी रखे हुए थे, रूचि वासना के वाशीभुत होकर कसमसा रही थी। उसके मुंह से रह कर आहें निकल रही थी और निचे उसकी चुत अमृतरस बहाने लगी थी जो धीरे धीरे रिस रिस कर उसके घुटनों के निचे तक पहुँच गया था..
अब रूचि से बर्दाश्त नहीं हो रहा था अचानक हिमांशी ने फिर से रूचि के होठों को अपने होठों में भर लिया, रूचि ने सिसकते हुए अपने मुंह खोल दिया हिमांगी ने अपनी जुबान रूचि के मुंह में डाल दी जिसे रूचि ने चूसना शुरू कर दिया, रूचि की मस्ती उसके बॉब्स और पुरे शरीर में चरम पर थी। अचानक हिमांगी ने एक हाथ निचे रूचि के पेट पर सटा कर उसके पेटीकोट के नाड़े के अंदर से और निचे सरकाया, पेंटी के इलास्टिक को भेदते हुए निचे उसकी चिकनी रसीली चुत तक पहुँचाया। रूचि के बहते झरने ने उसकी हालत हेमांशी से बयान कर दी, हेमांशी से रहा नहीं गया उसने बीच वाली ऊँगली उसकी रस बहती चुत में उतार दी और अंघोथे से उसके clitoris को सहलाने लगी.। रूचि हेमांशी की हरकतों से पागल हुई जा रही थी शादीशुदा तो थी ही वासना और सेक्स को पूरा पूरा समझती थी बस अब तक किसी और मर्द से चुदी नहीं थी मगर सेक्स पुरे शरीर में कूट कूट कर भरा था जिसे आजकल पांच छह दिनों से भयानक रूप से महसूस कर रही थी, और उसी तरंग में पूरी मस्ती में डूबते डूबते भर भरा कर ढह गईं बह गईं छूट गईं आआआहहहहहहह माँ मम्मी मम्मीजी कहते हुए हिमांगी की बांहों में झूलकर दो मिनट तक बहती रही बहती रही।
जब कोई दस मिनिट बाद होश आया उसने अपने कपड़े ठीक किए ब्रा ब्लाउज पहना और तेजी से जाने लगी, हिमांगी ने हाथ पकड़ा पूछा क्या हुआ नाराज़ हो गईं मुझसे गलती हुई क्या,
रूचि बोली नहीं नहीं तुम गलती कर ही नहीं सकती
हिमांशी ने पूछा फिर क्या हुआ कहाँ जा रही हो, शिशिर को क्या बोलूं तुम्हारा फैसला क्या है
रूचि बोली मुझे अभी कुछ पता नहीं, बाद में बताउंगी, मगर तुमसे नाराज़ नहीं हुँ बस अभी इतना ही कह सकती हुँ, और ऐसा बोलकर बाहर आकर कार लेकर घर आ गईं।
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mastmast123

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तब आगे

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गुलाब के फूल सी खिली खिली रूचि अपने घर पहुंची वो सोचने लगी मेरी ज़िन्दगी में ये कैसी हलचल शुरू हो गईं है, खूबसूरत मर्दों की एंट्री अचानक होने लगी है, पहले अमित अब ये शिशिर, कहाँ तो अकाल पड़ा था और कहाँ सावन की फुहारों सा मौसम बदल गया है। मिलने वाले हर मर्द की औरत भी चाहती है मैं उसके पति के साथ सोऊँ, क्या ही संयोग बन रहे हैँ लेकिन क्या मैं ये सब चाहती हुँ ये मुख्य बता है मेरी माँ एक संस्कारी औरत और मैं ऐसी कैसे बन जाऊँ।
यही सोचती बैठी थी घर में तभी उसका फ़ोन बजा देखा माँ का फ़ोन है, उसकी माँ का नाम मालती है।
मालती : हेलो, कैसी है बेटी बड़े दिन हुए तू तो बात ही नहीं करती है
रूचि : मम्मी कुछ खास बात नहीं थी तो बात नहीं की, लेकिन अभी just आपके बारे में ही सोच रही थी और आपका फ़ोन आ गया क्या ही संयोग है।
मालती : अरे सच, मुझे भी अचानक ऐसा लगा तुझसे बात करूँ, जरूर कोई संयोग ही है तभी मुझे भी तेरी याद आ गईं। और बता क्या हाल हैँ तेरे कैसी है तू बेटा, मुझे कल रात सपना आया मैंने देखा तू बड़ी असमंजस की स्थिति में है कोई दो राहे पर खड़ी सोच रही हो जैसे किधर जाऊँ। क्या सच में तू कोई ऐसी अवस्था में है क्या?
रूचि : हाँ मम्मी ऐसा ही कुछ है, अपने संस्कार आपकी परवरिश आपकी इज़्ज़त ये सब जब सोचती हुँ तो पीछे हटने का मन हो रहा है, चाहती तो हुँ मगर कदम आगे नहीं बढ़ा सकती हुँ, दिल तो बड़ा चाह रहा है लेकिन आपको सोचकर फिर रुक जाती हुँ आखिर आपको कैसे नकार सकती हुँ.
मालती : क्या बात है रूचि ऐसी क्या बात है ऐसी कौन सी परिस्थिति है कि तुझे इतना सोच रही है, मुझे बता मैं तेरी उलझन दूर कर दूंगी.
रूचि : नहीं माँ जाने दीजिये, ऐसी खास बतानहीं है.
मालती : अरे ऐसे कैसे, अभी तूने इतनी सारी बातें कही है मेरा भी जिक्र किया है जरूर कोई खास बता है बता क्या बात है।
रूचि : जाने दीजिये न मम्मी,,,, मैं आपसे कह नहीं सकती आप की इज़्ज़त करती हुँ मुझे शर्म आएगी, मुझसे बोला नहीं जायेगा.।
मालती : अरे तू मेरी प्यारी बच्ची है मैंने तुझे सब से ज्यादा प्यार किया है तू मुझसे सभी तरह की बात शेयर कर सकती है और मैं समझ सकती हुँ एक औरत के जीवन में कई तरह के हादसे होते है पारिवारिक सामाजिक शारीरिक तथा और भी कई सारे, क्योंकि मै भी एक औरत हुँ, तू बेझिझक हो कर मुझे बता, मैं तुझसे गुस्सा नहीं होउंगी चाहे जैसी भी बात क्यों न हो मै प्रॉमिस करती हुँ.।
रूचि को अब थोड़ी हिम्मत मिली कि वो मम्मी से बात कर सकती है दूसरी बात ये भी कि वो मोबाइल पर बात कर रही है इसलिए कुछ हुआ भी तो बचने के चांस है तुरंत फोन काट सकती है, ये सोचकर वो आगे बढ़ी।
रूचि : मम्मी एक बात बताऊँ आपको कि ज़ब में कॉलेज में थी तब सोचती थी कि मेरा पति एक बहुत बहुत खूबसूरत बांका मर्द होगा मैं उसके साथ बहुत सारा रोमांस करुँगी, लेकिन मुझे वैसा नहीं मिला फिर भी मुझे कोई शिकायत नहीं रही शरद मुझे बहुत पसंद हैँ बहुत प्यार करते है मैं भी उतना ही करती हुँ, लेकिन आजकल पता नहीं क्यों वो कसक फिर जाग उठी है।
मालती बीच में बात काटती हुई बोली, रूचि अगर ऐसा था तो मुझे तो बताती मैं तेरे लिए तेरी इच्छा वाला दूल्हा ढूंढती, खैर अब भी कोई बात नहीं तू बता अब क्या बात है मैं तेरी सब इच्छा पूरी करूंगी, अपनी उस गलती का पश्चाताप करते हुए जो अनजाने में मुझसे हो गईं है, काश तूने बताया होता पहले तो ऐसा नहीं होता।
रूचि : मम्मीजी मुझे बताते हुए शर्म आती है आपसे, ऐसी बात कभी हमारे बीच हुई नहीं है मैं कैसे बताऊँ, लेकिन बात भी बहुत जरुरी है, आपसे राय भी लेना जरुरी है, आपकी जब तक हाँ न हो ज़ब तक मैं आगे नहीं बढ़ सकती हुँ, क्या करूँ कैसे कहूँ समझ नहीं पा रही हुँ।
मालती : अगर ऐसी बात है तो तू चिंता मत कर मैं कल तेरे पास आती हुँ हम साथ बैठकर बात करते हैँ और तेरी समस्या का हल निकाल लेंगें, मेरी बच्ची मैं तेरे साथ हुँ तेरी हर बात में।
और कल मिलने कि बात पर दोनों कि बात खत्म हुई।
 
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