तब आगे
गुलाब के फूल सी खिली खिली रूचि अपने घर पहुंची वो सोचने लगी मेरी ज़िन्दगी में ये कैसी हलचल शुरू हो गईं है, खूबसूरत मर्दों की एंट्री अचानक होने लगी है, पहले अमित अब ये शिशिर, कहाँ तो अकाल पड़ा था और कहाँ सावन की फुहारों सा मौसम बदल गया है। मिलने वाले हर मर्द की औरत भी चाहती है मैं उसके पति के साथ सोऊँ, क्या ही संयोग बन रहे हैँ लेकिन क्या मैं ये सब चाहती हुँ ये मुख्य बता है मेरी माँ एक संस्कारी औरत और मैं ऐसी कैसे बन जाऊँ।
यही सोचती बैठी थी घर में तभी उसका फ़ोन बजा देखा माँ का फ़ोन है, उसकी माँ का नाम मालती है।
मालती : हेलो, कैसी है बेटी बड़े दिन हुए तू तो बात ही नहीं करती है
रूचि : मम्मी कुछ खास बात नहीं थी तो बात नहीं की, लेकिन अभी just आपके बारे में ही सोच रही थी और आपका फ़ोन आ गया क्या ही संयोग है।
मालती : अरे सच, मुझे भी अचानक ऐसा लगा तुझसे बात करूँ, जरूर कोई संयोग ही है तभी मुझे भी तेरी याद आ गईं। और बता क्या हाल हैँ तेरे कैसी है तू बेटा, मुझे कल रात सपना आया मैंने देखा तू बड़ी असमंजस की स्थिति में है कोई दो राहे पर खड़ी सोच रही हो जैसे किधर जाऊँ। क्या सच में तू कोई ऐसी अवस्था में है क्या?
रूचि : हाँ मम्मी ऐसा ही कुछ है, अपने संस्कार आपकी परवरिश आपकी इज़्ज़त ये सब जब सोचती हुँ तो पीछे हटने का मन हो रहा है, चाहती तो हुँ मगर कदम आगे नहीं बढ़ा सकती हुँ, दिल तो बड़ा चाह रहा है लेकिन आपको सोचकर फिर रुक जाती हुँ आखिर आपको कैसे नकार सकती हुँ.
मालती : क्या बात है रूचि ऐसी क्या बात है ऐसी कौन सी परिस्थिति है कि तुझे इतना सोच रही है, मुझे बता मैं तेरी उलझन दूर कर दूंगी.
रूचि : नहीं माँ जाने दीजिये, ऐसी खास बतानहीं है.
मालती : अरे ऐसे कैसे, अभी तूने इतनी सारी बातें कही है मेरा भी जिक्र किया है जरूर कोई खास बता है बता क्या बात है।
रूचि : जाने दीजिये न मम्मी,,,, मैं आपसे कह नहीं सकती आप की इज़्ज़त करती हुँ मुझे शर्म आएगी, मुझसे बोला नहीं जायेगा.।
मालती : अरे तू मेरी प्यारी बच्ची है मैंने तुझे सब से ज्यादा प्यार किया है तू मुझसे सभी तरह की बात शेयर कर सकती है और मैं समझ सकती हुँ एक औरत के जीवन में कई तरह के हादसे होते है पारिवारिक सामाजिक शारीरिक तथा और भी कई सारे, क्योंकि मै भी एक औरत हुँ, तू बेझिझक हो कर मुझे बता, मैं तुझसे गुस्सा नहीं होउंगी चाहे जैसी भी बात क्यों न हो मै प्रॉमिस करती हुँ.।
रूचि को अब थोड़ी हिम्मत मिली कि वो मम्मी से बात कर सकती है दूसरी बात ये भी कि वो मोबाइल पर बात कर रही है इसलिए कुछ हुआ भी तो बचने के चांस है तुरंत फोन काट सकती है, ये सोचकर वो आगे बढ़ी।
रूचि : मम्मी एक बात बताऊँ आपको कि ज़ब में कॉलेज में थी तब सोचती थी कि मेरा पति एक बहुत बहुत खूबसूरत बांका मर्द होगा मैं उसके साथ बहुत सारा रोमांस करुँगी, लेकिन मुझे वैसा नहीं मिला फिर भी मुझे कोई शिकायत नहीं रही शरद मुझे बहुत पसंद हैँ बहुत प्यार करते है मैं भी उतना ही करती हुँ, लेकिन आजकल पता नहीं क्यों वो कसक फिर जाग उठी है।
मालती बीच में बात काटती हुई बोली, रूचि अगर ऐसा था तो मुझे तो बताती मैं तेरे लिए तेरी इच्छा वाला दूल्हा ढूंढती, खैर अब भी कोई बात नहीं तू बता अब क्या बात है मैं तेरी सब इच्छा पूरी करूंगी, अपनी उस गलती का पश्चाताप करते हुए जो अनजाने में मुझसे हो गईं है, काश तूने बताया होता पहले तो ऐसा नहीं होता।
रूचि : मम्मीजी मुझे बताते हुए शर्म आती है आपसे, ऐसी बात कभी हमारे बीच हुई नहीं है मैं कैसे बताऊँ, लेकिन बात भी बहुत जरुरी है, आपसे राय भी लेना जरुरी है, आपकी जब तक हाँ न हो ज़ब तक मैं आगे नहीं बढ़ सकती हुँ, क्या करूँ कैसे कहूँ समझ नहीं पा रही हुँ।
मालती : अगर ऐसी बात है तो तू चिंता मत कर मैं कल तेरे पास आती हुँ हम साथ बैठकर बात करते हैँ और तेरी समस्या का हल निकाल लेंगें, मेरी बच्ची मैं तेरे साथ हुँ तेरी हर बात में।
और कल मिलने कि बात पर दोनों कि बात खत्म हुई।