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Adultery भोलीभाली पतिव्रता रुचि चूद गई सहेलियों के बहकावे में

क्या रुचि को अपना पतिव्रत धर्म छोड़ना चाहिए या गैर मर्द के साथ संभोग के लिए आगे बढ़ना चाहिए?


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malikarman

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दोनों को विदा कर के रूचि मालती के कमरे में गई देखा माँ ओढ़ कर सोइ हुई थी उसने आवाज़ लगाई---- मम्मी,,,,,,
मालती उठ बैठी जैसी थी, रूचि ने देखा उसकी ऑंखें फटी की फ़टी तह गई अपनी मम्मी को देखकर,,,,


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मालती बहुत चुदासी हो गई थी और पूरी नंगी ही सोइ हुई थी, रूचि ने मन में सोचा मम्मी कितनी प्यासी है वो लन्ड के लिए बुरी तरह तड़प रही है अगर मैंने इनको जबरदस्त तरीके मोटे लन्ड को पेलवा कर रात भर अगर नहीं चुदवाया जो कि मैं कर सकती हुँ तो धिक्कार है मेरे बेटी होने पर.
वो मालती के पीछे गई और कमर में हाथ डालकर दोनों बोबों को हाथ में पकड़ कर मसलते हुये कहा मम्मी क्या आपकी चूत बहुत रो रही है, मैं देख रही हुँ जब से हम दोनों खुले हैँ आपस में आप अपनी चूत से बहुत परेशान हो।
मालती : हाँ रूचि बेटी अब तक तो खुद को सम्हाले रखा था लेकिन तुझसे मिलने के बाद मैं बहुत चुदासी होती जा रही हुँ, तेरी फ्रेंड्स आई हुई है मगर वहाँ भी मेरी इस टपकती चूत ने बैठने नहीं दिया और इसको शांत करने के लिए मैं अंदर आ गई बेटी, वो क्या सोच रही होंगीं।
रूचि ने मालती के bobs को नहीं छोड़ा और उसका कंबल पूरा हटा दिया,,,,


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मालती के दोनों तरबूज सामने आ गए उनकी घूंडी को दबोचते हुये दबाती रही रूचि पीछे बैठकर और उसके कान के पास मुंह लगाकर फुसफुसाते हुए बोली, आज से आप मेरी मम्मी नहीं मेरी best फ्रेंड हो आज से मैं आपको नाम से बुलाऊंगी, ठीक है.
मालती चुदास से भरी मदमस्त हो रही थी, सालों की प्यास चुदास बन कर उसके जिस्म और दिमाग़ पर छा गई थी और सबसे बड़ी बात अब उसके साथ उसकी बेटी भी थी.
वो बोली : मैं भी यही चाहती हुँ सुबह तुझसे खुलने के बाद, रूचि ने घूंडियों को मस्त तरकीब से उमेठा, मालती का शरीर झंझना गया,,, आआईई आआईईईई ऊऊऊऊऊ ऊऊऊअअअअअअअअ ऐईईईईई मर गई रे, इतनी क्यों आग लग गई है रे चूत में, मैं तो एक सावित्री पत्नी थी कल तक, उउउललललललल लललन्नन्नड़ड़ड़ड़ लललललन्नन्नड़ड़ड़ड़ड़ऊ की प्यास क्यों भर गई रीई चूत की दीवारों में, रूचि बेटा किसी से मत कहना कि तेरी माँ आज तक तरस रही है एक हलव्वि शानदार लन्ड के लिए जबकि उसने दो दो बच्चे भी पैदा कर दिए हैँ मगर आज तक उसकी हूचक हूचक कर चुदाई नहीं हुई है,,, बेटी मेरी इज़्ज़त मत ख़राब कर देना तू अपनी फ्रेंडस के सामने.
रूचि ने bobs छोड़े और अपने मोबइल में कुछ दिखाया, क्या ये है जो तू चाहती है मालती मेरी चूदक्कड़ दोस्त ---


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मालती ने पहली बार ऐसे मोटे लम्बे गोरे लन्ड की फोटो देखी थी और ऐसा ही लन्ड उसके दिमाग़ में भी था.
मालती ने फोटो बड़ी देर तक देखा फिर रूचि को सीने से चिपटा लिया और बोली यही तो है मेरे सपनों का लन्ड यही लन्ड तो शादी के पहले से आज तक देखती आ रही हुँ सपनों में, तूने कैसे देख लिया मेरी आँखों में इस फोटो को रे रूचि और उसको चूमने लगी.
देख मालती, रूचि बोली - अब मैं तेरे साथ हुँ तुझे अपनी चुदास छुपाने की कतई जरुरत नहीं है, और खुद को कभी बदचलन समझने की गलती मत करना अब आज से अभी तू अपने लिए और अपने इस नशीले जिस्म के लिए जियेगी, ज़ब भी कोई मौका मिले कोई लन्ड मिलने का अवसर, मगर सिर्फ शरीफ मर्द से ही, तो वो मौका मत छोड़ना, तेरे पीछे हर मर्द लार टपकाता आएगा तू है ही इतनी सुंदर और ये तेरे बूब्स और उभरी हुई गांड तेरा यौवन में चार चाँद लगा रहे हैँ, तो पीछे मत हटना तुझे मेरी कसम है, यदि लगे तो मेरी हेल्प ले सकती है, मैं तुझे चुदवाने का कोई मौका नहीं छोडूंगी.
और हाँ अभी शरद आ रहे हैं वो सात दिन के लिए बाहर जा रहे हैँ तू ये रूम लॅक करके अंदर ही अपनी चूत और और इन कमीनों bobs से खेल नंगी ही रहना, मैं उनको विदा कर के जल्दी आती हुँ.
तभी door bell बजी, रूचि बाहर जाते हुये बोली रूम लॉक कर ले मेरी चुदासी मल्लू,,,,,,,,
Awesome update
 

mastmast123

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रूचि ने शरद की तैयारी करवाई उसको जल्दी ही निकलना था.
शरद : रूचि ये अच्छा हुआ मम्मी आज आगई वरना तुमको अकेले छोड़ कर कैसे जा पाता, मम्मी कहाँ है उनसे मिल लूँ।
रूचि जानती थी मम्मी किस हाल में है अंदर, इसलिए झट से बोली : अरे वो सारी रात की जर्नी से बहुत थक गई थी मैंने ही उन्हें रूम बंद कर के सोने के लिए बोला है, अभी एक घंटा पहले ही सोइ हैं अब शाम तक ही उठेंगी.
शरद : चलो कोई बात नहीं, उनका ध्यान रखना और उनको मेटे आने तक जाने नहीं देना.
उधर मालती कसमसाती हुई चूत की हवस के मारी कुछ इस हाल में थी।


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इधर शरद बोला : रूचि डार्लिंग अपना ध्यान रखना और मम्मी को कोई तकलीफ न हो, वो पहली बार ही आई है उनके स्वागत में कोई कमी न रहे, पूरा पूरा सुख देना।
रूचि मन में : हाँ पतिदेव उनके लिए ही आज दो दो लन्ड की व्यवस्था कर रहीं हुँ आपके आने तक सातों दिन उनको जम जम के चुदवाने का प्लान है देखें उनकी किस्मत ओर उन दोनों लन्ड की किस्मत में क्या लिखा हुआ है.
फिर मुंह से बोली : जी आपका हुक्म सर आँखों पर पूरी सेवा करुँगी आपकी सासु माँ की, और खिलखिला कर हँसने लगी.
शरद ने रूचि को hug किया और bye बोलकर निकल गया.
रूचि अब मालती के रूम में गई और बोली
हाय मल्लू डार्लिग क्या लिंग इस चूत में लिए बिना तुझे आराम नहीं मिलने वाला है, तू क्या हो गई है रे एक ही दिन में, मैं सोच भी नहीं नहीं सकती मेरी सीधी सादी मम्मी इतना चुदक्कड़ होगी, घर पर कैसी सीधी रहती थी, तेरी चूत में इतनी आग है मुझे पता नहीं था, तेरी ही बेटी हुँ अब मुझे समझ आ रहा है क्यों मेरी चूत आजकल इतनी क्यों फड़कने लगी है.
मालती एक बात सच सच बताएगी अब मुझे.
मालती : क्या बात है पूछ, मैं तेरे सिर की कसम सच सच बताउंगी कुछ नहीं छुपाऊँगी.
रूचि : मम्मी आप इतनी सुंदर हो इतनी कातिल हो क्या आपके पीछे कोई नहीं पड़ा, क्या कोई आपको चोदने के लिए नहीं मरा आज तक, बाहर नहीं तो आपके सुसराल में आपके आस पास वाले कोई, सच बताना मुझसे मत शर्माना, मुझे ये आज वाली एकदम चुदासी और लन्ड के लिए तड़पने वाली मेरी मम्मा बहुत अच्छी लग रही है, इसलिए अपने सारे राज आज खोल देना, बिलकुल बुरा नहीं लगेगा मुझे.
मालती : रूचि तू पहले मेरी ही तरह नंगी हो जा फिर बात करते हैँ..
रूचि : मैंने आज अपनी दोनों फ्रेंड्स को अपने hubby के साथ डिनर पर बुलाया है, अगर नंगी हुई तो फिर देर हो जाएगी मुझे तैयारी भी करनी ह।
मालती : रूचि मेरा मन आज तेरे सामने पूरा खोलने का कर रहा है, तू उनको कल दिन में बुला ले दिन भर साथ रहेंगे, आज तो एक दो घंटे ही मिलेंगे.
बात रूचि को भी समझ आ गई, कल पूरा दिन मिलेगा तो तीनों को ज्यादा समय मिलगा ज्यादा अवसर भी पास आने के, उसने सोचा यही ठीक है.
उसने साधना और हेमंगी दोनों को कल 11 बजे का समय दिया कि सुबह ही चारों आओ, हम अच्छे से मिल लेंगें और आईडिया से दोनों को समझा दिया वो मान गई.
अब रूचि ने भी सारे कपडे निकाल लिए और अंदर माँ के डबल बेड कंबल में घुस गई, फिर बोली अब बताओ मम्मी.
मालती : अरे मल्लू से एकदम मम्मी पर क्या बात है
रूचि : सच बताऊँ आपको आज इसतरह जान कर मुझे लग रहा है आपकी तीस साल कि शादीशुदा ज़िन्दगी में बहुत कुछ हुआ होगा कई मर्दों ने आपका पीछा किया होगा इसलिए मैं एक बेटी के रूप में अपनी इस सुंदर गदराई और सेक्सी माँ की सेक्स दास्तां सुनना चाहती हुँ, शायद ही कोई माँ अपनी निजी ज़िन्दगी अपनी बेटी से शेयर करती होगी, मैं आपसे सारी बाते खुले और अश्लील शब्दों में सुनना चाहती हुँ.
मालती : ठीक है ज़ब मेरी बेटी ही मुझे सेक्सी बातें बताने को बोल रही है तो मुझे क्या ऐतराज़ होगा, तू पूछ मैं जवाब दूँगी.
रूचि : मुझे शुरू से सुनाओ आपके बोबे तो शुरू से ही बहुत उछलते रहे हैं और आपके चूतड़ भी क़यामत रहे होंगे शादी के आस पास तो इनको देखकर किस किस ने आहे भरी है.
मालती : जब मेरी शादी की बात चलने लगी तब तक मैं अच्छी जवान हो गई थी मेरा शरीर भर गया था और ये मेरे बूब्स कुंवारे पन में ही 34 साइज के होकर मेरी जान लेने लगे थे.
रूचि : मम्मी सच सच बताओ, बूब्स कभी भी बिना मसालाई और बिना रागड़ाई के बड़े हो ही नहीं सकते हैँ तो वो कौन था जो आपके इन बूब्स की मालिश किया करता था.
मालती : ये सारा काम हमारे पड़ोस में रहने वाली नैना भाभी का काम था तू तो जानती है उनको.
रूचि : हाँ हमारे एकदम पड़ोसी वो नैना आंटी, हाय कितनी सीधी हैं वो तो.
मालती : सीधी, सबके सामने सीधी है वो, ज़ब वो शादी हो कर मैं 12 th में जाने लगी थी, पता नहीं कैसे उन्होंने आने के एक महीने के अंदर ही मुझे पटा लिया, वो दोनों ही रहते थे बस, उनके पति अक्सर टूर पर 5-6 के लिए जाया करते थे. मेरी मम्मी ने मुझे उनके यहाँ सोने भेजना शुरू कर दिया था.
अब नैना भाभी ने मेरे 28 के बूब्स देखे, निम्बू से जरा ही बड़े होंगे.
बोली : हाय रे मालती ये बोबे हैँ या बुबी, इतने तो नौ दस साल में ही हो जाते हैं, तुझे शादी के लिए कौन पसंद करेगा आजकल तो पहले ही दिन नारियल चिहिए आदमी को, नारियल नहीं तो कम से कम बड़े नीलम आम तो हो बेबी.
मै बोली : तो अब क्या होगा मेरा भाभी.
नैना : अभी तू 12 में है और ग्रजुएट के तीन साल पुरे चार साल है हमरे पास, नारियल तो नहीं लेकिन पका आम जरूर बना दूँगी इनको में.
रूचि : मम्मी फिर कैसे बनाया इनको आम नैना आंटी ने
मालती : उस दिन से महीने में 12 13 रात में उनके यहाँ सोती थी वो रोज रोज इनकी मालिश करने लगी रगड़ रगड़ कर, हर रोज कम से कम एक घंटा, बदले में खुद भी करवाती मालिश अपनी और चूत न
में बेंगन खीरा गाजर डलवाती थी बहत सेक्सी थी, पूरी रात में तीन बार झड़ती थी. एक साल न में तीस का साइज हुआ और ग्रेजुएशन होते होते पुरे 34 के कर दिए थे उसने, साथ में मेरी गांड की भी मालिश करती थी इस गांड को शेप भी उसने ही दिया है, 38 की हो गई थी. पता है मम्मी को शक हो गया था कि मैं किसी से चुदवाने लगी हुँ तभी मेटे bobs और मेरी गांड इतनी हैवी हो गई है अभी से.
रूचि : फिर नानी ने आपसे पूछा था क्या?
मालती : नहीं, लेकिन नैना से इन्क्वायरी करवाई थी वो नैना को सती सावित्री समझती थी, उनको बोला इसके बारे में पता करो कहीं ये बहक तो नहीं गई है. नैना को तो पता था कि उसने ही तो ये काम किया है, उसने बताया ऐसा नहीं है मौसी, ये तो इसका शरीर ही ऐसा है इसका कोई चक्कर नहीं है.
मगर मम्मी नहीं मानी और और उसने सोचा इसकी जल्दी शादी कर के भेजो फिर इसका पति जाने और ये.
और जल्दी में तेरे पापा के साथ बांध दिया मुझे.
रूचि : तभी मैं हमेशा सोचती थी कि मेरी मम्मी इतनी हीरोइन और पापा एक्स्ट्रा आर्टिस्ट कि तरह,. अच्छा ये छोडो, ये बताओ इतनी हाहाकारी गांड और इतने मतवाले बोबों को कौन कौन देखता था लन्ड खड़ा कर के, मम्मी जी आदरणीया, माताजी,,।
मालती : चल बदमाश, अच्छा सुन,
जब मुझे पसंद करने आये तब, तेरे पापा उनकी मम्मी उनके पापा उनके बहनोई तेरी भुआ पांच लोग आये थे.
बुआ बड़ी हैं, उनकी शादी एक साल पहले ही हुई थी कोई बच्चा नहीं था.
मैंने अंदर से देखा था तेरे दादाजी याने मेरे ससुर कोई ज्यादा उम्र के नहीं लगते थे अच्छी हेल्थ थी, दिखने में साधारण, और तेरे फूफा जी, एकदन जवान बहुत सुंदर, पहले तो मैं समझी ये ही लड़का है, लेकिन नैना भाभी ने बताया ये तेरे नन्दोई हैं और लड़का वो पास में बैठा, मुझे अच्छा नहीं लगा था, पर कुछ बोली नहीं. मुझे नैना ने ही तैयार किया था और ऐसा किया था कि अंग अंग साफ दिखे, पतली साड़ी जिसमें से सीना साफ दिखे, low कट ब्लाउज, और टाइट पेटीकोट जिसमें गांड पूरी उभर के आये, और मुझसे बोली थी जरा मटक मटक कर और गांड हिला कर चलूँ साथ ही सीना तान के, लेकिन नज़रे नीची ताकि संस्कारी लगूं. मैं चाय नाश्ता लेकर बाहर गई और वैसे ही चली फिर घूम घूम कर सबको सर्व किया, इस दौरान खास करके मेरे ससुर और नन्दोई मेरी गांड और बूब्स घूरते रहे, मगर मुझे पता ही नहीं चला.
रूचि : हाय मम्मी क्या सच, दादाजी ने आपके मुम्मे घूरे, जब प्लेट देने झुकी होंगी उनको तो पतली साड़ी और low कट ब्लाउज में तो अपने अपने दोनों आम ही परोस दिए होंगे उनको.
मालती : हाँ यार, उनको ही नहीं नन्दोई जी यानि तेरे फूफाजी को भी, नैना मेरे साथ ही थी, पीछे कोई नहीं था हमारे, वो एक हाथ से मेरी गांड सहलाये जा रही थी, क्योंकि वो पहले ही बोल चुकी थी कि वो मुझे छेड़ेगी मेरे ससुराल वालों के सामने और मुझे गर्म भी करेंगी ताकि में शर्माऊ नहीं और कॉन्फिडेंस से पेश आऊं ताकि रिश्ता पक्का हो सके. वो मेरी गांड सहलाती रही और गांड के छेद को भी बीच बीच में छेद देती, मैं गर्म हो गई थी.
रूचि : हाय मम्मी, कितनी प्यारी थी नैना आंटी, कैसे चार सालों में आपके बुबी को bobs बनाया और कुल्हो को दमदार लचक़दार सेक्सी गांड या कहूं कामुक चूतड़..... हाय दादाजी और फूफाजी का हाल तो बहुत बुरा हो गया होगा, कैसा लगा उन दोनों आपके चूतड़ और बॉबीस को देखकर, आज पता चला लोग लड़की में क्या देखते हैं जब पसंद करने आते हैँ.।
मालती : उनका हाल उस समय तो मुझे पता नहीं चला, मगर नैना भाभी ने बाद में बताया था. पहले वहां कि आगे कि बात सुन.
मैं सर्व कर के मुडी और बैठने के लिए आगे बढ़ी उन चार पांच सेकंड में ही दोनों ने मेरी गांड का जायका ले लिया क्योकि मुड़ते समय और वापस पलट कर बैठते समय मुझे इसका अंदाजा हो गया था, मुझे बड़ी शर्म भी आई थी, कि कैसे मेरे bobs ने और गांड ने मेरी तारीफ इनके सामने कर दी है बिना किसी के बोले ही. मैं नीचे नज़र किये बैठी थी वो सवाल करते जा रहे थे जो सवाल करता उसको देख कर मेँ जवाब दिए जा रही थी, सासु जी और ननद और तेरे पापा ने तो ज्यादा सवाल नहीं किये मगर ससुर जी और फूफाजी बहुत कुछ पूछ रहे थे, और हर बार मेँ उनको देखकर जवाब दे रही थी, तब मैंने गौर किया ससुर जी मेरे चेहरे को कम मगर मेरे bobs को बहुत घूर घूर कर देख रहे थे, मैं समझ गई उनकी नज़र कि वो जैसे खुद के लिए मुझे पसंद कर रहे हैं. मैं हैरान थी और शर्म भी आ रही थी इसलिए चुपचाप उनको देखती फिर नज़रे झुका लेती. लेकिन उनसे भी ज्यादा तेरे फूफाजी मुझे बात कर रहे थे मैं कोई एक घंटा वहां बैठी थी उन लोगों के सामने, जिसमें से आधा घंटा फूफाजी बात करते रहे, उनके साथ के लोग इस बात को अच्छा समझ रहे थे कि वो सारी जानकारी ले रहे हैँ और मुझे अच्छी तरह से समझ रहे हैँ, लेकिन सच मेँ वो मेरे बूब्स और मेरी गांड को ताड़ रहे थे, मैं ऐसी उनके सामने बैठी थी कि गांड का sideview उनको दिख रहा था, और मेरे हिलने दुलने से सामने का पूरा व्यू भी वो देख रहे थे, मैंने अपने हाथ गोद मेँ रखे थे इससे गोद मेँ गड्डा सा बन गया था, मैं अपने हाथ जब भी वहां से हटाती वो वहां घूरने लगते जैसे अब वो मेरी चूत भी कपड़ों मेँ छेद कर जे देख रहे हों, मैंने कई बार उनको देखा ऐसा देखते हुये, मैं शर्मा के लाल पड़ जाती थी, उन्होंने ये नोटिस भी किया और मेरी आँखों मेँ देखकर रिक्वेस्ट सी करने लगते, जैसे क़ह रहे हो देखने दो ना pls, मैं और शर्मा के हंस के नीचे मुंह कर लेती मगर हमारी ये करतूत किसी ने भी नहीं नोटिस कि, नैना भाभी ने भी नहीं.
रूचि : हाय रे मेरी माँ आप तो अभी से भी ज्यादा चुदास से उस समय भरी थी, फिर तो जरूर आपको फूफाजी ने इतने सालों मेँ हज़ार बार तो चोद ही लिया होगा.
मालती : हाँ उस समय उनकी नज़र और रिक्वेस्ट भरे इशारे से मेरी चूत गीली हो गई थी, मैंने एक बार तो पास बैठी नैना भाभी का हाथ चूत से निकलते जूस को सहन न कर पाने कि वजह से कस कर पकड़ लिया था, उसने मेरे कान मेँ धीरे से पूछा था
क्या हुआ मालती
मैं क्या कहती ये कहती ये कहती ये मेरा ज़ालिम नन्दोई मुझे आँखों से छेड़ रहा है और मेरी चूत के दर्शन कि रिक्वेस्ट कर रहा है, तो मैंने बनते हुये कहा भाभी और कितनी देर, मुझे बहुत शर्म आ रही है, चलो अब.
वो बोली : चुपचाप बैठी रह और उनके सवालों का जवाब दे.
तुझे तो पता ही है उस घर मेँ सामने बगीचा भी है, बाद मेँ तो वो ख़राब हो गया मेरी शादी के बाद, मगर उस समय मैं बहुत मेन्टेन कर के रखती थी एकदम साफ सुधरा मजाल है कोई कचरा उग जाये.
नन्दोई बोले : आपका गार्डन बहुत खूबसूरत है ( वो ऐसा बोलते हुये मेरी चूत की ओर ही देख रहे थे लेकिन इस अंदाज़ से कि सिर्फ मैं ही समझ पा रही थी बाकी लोगों का इस ओर ध्यान नहीं था ) लगता बहुत maintained है.
( मैं समझ गई थी वो क्या बोल रहे हैं जैसे कि आप की चूत बहुत खूबसूरत है और मैं उसको बहुत ध्यान से मेन्टेन करती हुँ )
अब चुंकि वो मुझसे बात कर रहे थे तो मेरा उनको देखना लाज़मी था, इतना बोलकर वो ऐसे मुस्कराये जैसे तारीफ कर रहे हो मेरी, कि मैं अपनी चूत की कितनी केयर करती हुँ, मैं समझ गई थी अब शर्म मेरे चमोत्कर्ष पर थी मैं एकदम लाल हो गई ऑंखें भारी हो गई, मैंने सिर का पल्लू ठीक करने के बहाने अपना हाथ उठाया और इशारे से आदाब कहा, जिसका मतलब था वेलकम और थैंक्यू. मेरी चूत अपनी तारीफ सुनकर ख़ुशी के आंसू बहाने लगी. मेरा इशारा सिर्फ उन्होंने ही देखा, मेरे दिल मेँ अचानक ख्याल आया काश मेरी शादी इनसे होती,.
तभी मम्मी बोली : जी जमाई जी ( चुंकि वो मेरे ससुराल के जमाई थे तो नेचुरली मेरे घर वालों के भी हुये, मगर नन्दोई जी ने उस सम्बोधन को इस तरह लिया जैसे वो मेरे पति हैं और मेरी माँ इस नाते उनको जमाई जी कह रही है, उनका इशारा था मुझे देखो आपकी माँ ने मुझे आपका पति मान लिया है और गर्व से अपने हाथों को अपने बालों पर फेरा और ख़ुशी का इज़हार मुझे किया ) ये बगीचा तो मालती ही देखती और सम्हाल करती है हमको तो किसी को भी टाइम नहीं मिलता है.
नन्दोई जी : मुझे देख्ग्ते हुये वाह क्या सफाई रखती हो और तुरंत मेरी चूत को निशाना बनाते हुये मुझसे पूछने लगे क्या आप रोज के रोज के घास काट लेती हो जरा भी उगने नहीं देती हो, जैसा मैं देख रहा हुँ,
यानी वो कह रहे थे मैं अपनी चूत रोज के रोज शेव करती हुँ और एक भी बाल उगने नहीं देती हुँ.
मुझे ये सुनकर हलकी सी हंसी आ गई अब वो मेरे जवाब का इंतज़ार कर रहे थे तो मेरी आँखों मेँ मेरे चहरे को देख रहे थे, मेरी हलकी सी हंसी उनको साफ साफ महसूस हो गई थी और वो समझ गए कि उनका सवाल सच मेँ मुझे समझ आ गया है और वो मेरे जवाब को सुनने के लिए बेताब थे.
मैं बोली, मेरे चेहरे पर स्मित हंसी बरकरार थी मुझे भी इस खेल मेँ मज़ा आने लगा था, चूत और bobs दोनों मुझे चरम पर रखे हुये थे, हमारी बातें शालीनता से हो रही थी इसलिए कोई सपने मेँ भी नहीं सोच सकता था कि हम अब शालीन शब्दों मेँ अश्लील बातें कर रहे हैं.
मैं बोली : रोज रोज तो नहीं लेकिन हाँ छह सात दिन मेँ जरुरत पड़ जाती है, और इतना हल्का सा निचला होंठ ऊपर के दांतो मेँ दबाया कि उसका अहसास सिर्फ उनको हुआ, वो एक तरह से गन गना गए उनसे संहला नहीं गया और वो ओह बोल कर मुठ्ठी बांधकर चेयर के हैंडल को तीन चार बार ठोक बैठे, मैं समझ गई थी उनकी हालत नीचे देखा उनका लंड उछल कर तन गया था

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उन्होंने मेरी ऑंखें पढ़ ली थी कोई और देखे इसके पहले ही अपने हाथ मेँ पकडे रुमाल को अपनी गौद मेँ बिछा लिया ताकि कोई उनके लन्ड की उठान देख न ले, मुझे जोर से हंसी आ गई और शर्म भी, मम्मी ने पूछा क्या हुआ मालती, नन्दोई जी भी मुझे देख रहे थे वो समझ गए थे मुझे उनकी बेबसी पे हंसी आ गई थी, कि वो चाह कर भी अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पा रहे हैँ और सबके सामने अपने लन्ड को सहला भी नहीं पा रहे हैँ जिसको उनकी होने वाली सहलज ने खड़ा कर दिया है.
मैं डर गई अपनी हंसी को कैसे जस्टिफाई करूँ, मैं तुरंत नीचे झुकी अपने बाएँ पैर के तलवे को थोड़ा ऊपर उठा कर सहलाया और कहा नीचे कुछ कुछ पड़ा था जिस पर पैर पड़ने से गुदगुदी हुई और मेरी हंसी निकल गई sorry,
अब नन्दोई जी भी मज़ा लेने लगे लन्ड को छुपा ही चुके थे मेरे जवाब ने उनको आश्वास्त किया कि चलो मेरी हंसी पर किसी को शक नहीं हुआ कि ये हंसी उनके कड़क होते हुये लन्ड को देख कर निकली थी.
रूचि तुझे तो पता गया है बगीचा काफ़ी बड़ा है अपना, उस समय उसमें पपीते के कई बीज डाले थे मैंने जो तब तक बड़े हो गए थे उसमें बड़े बड़े पपीते लगे थे जो पक भी गए थे.
नन्दोई जी मेरे बूब्स को देखते हुये बोले आपके पपीते देखें हैं मैंने अभी अभी, बहुत बड़े बड़े हो गए हैँ,


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( मैं समझ गई अब वो मेरे बूब्स पर आ रहे हैँ, अब मेँ डायरेक्ट उनकी आँखों मेँ ही देख रही थी निडर, मेरे घर वाले समझ रहे थे मैं कॉन्फिडेंस से उनको फेस कर रही हुँ, और शायद मन ही मेरी तारीफ भी कर रहे थे कि मैं अच्छी तरह उनकी बातों का जवाब दे रही हुँ.)


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मैंने उनकी आँखों मेँ देखते हुये कहा : थैंक्स आपको पसंद आये, मेरी मेहनत सफल हुई, आज तक इनकी तारीफ किसी ने भी नहीं की है, ये तो आपकी पारखी नज़रे हैँ जिन्होंने इनको पहचाना, एक बार फिर से शुक्रिया आपका, वरना आजकल कौन तारीफ करता है.
नन्दोई जी : मैंने महसूस किया है आपको बड़ी मेहनत करनी पड़ी होगी इन पपितों को इतना बड़ा करने के लिए, ( फिर बूब्स को देखने के बाद मेरी आँखों मेँ देखा और अपने दाहिने हाथ की इंडेक्स फिंगर को थंब से लगा कर एक्सीलेंट का sign बनाते हुये बोले )
हमें सच में बहुत पसंद आये हैं अच्छे लगे हैं, क्या इनका स्वाद चखने की इज़ाज़त देंगी आप मालती मेडम, और अपनी जीभ बहुत ही आहिस्ता से अपने होंठ पर हल्की सी फेरी जिसे मैं ही देख सकती थी, उनकी गौद मेँ रखे रुमाल के बीच मेँ हरकत हुई मेरी नज़र अचानक वहां गई वो रह रह कर फड़क रहा था, मुझे जोरों से हंसी आने वाली थी वो समझ गए मैं क्या देख रही हुँ उन्होंने अपने लन्ड की हरकत को छुपाने का कोई प्रयास नहीं किया मैंने उनकी आँखों मेँ देखते हुये अपने हाथ मेँ पकडे रुमाल को जल्दी से अपने मुंह पर जोरों से दबा दिया इससे पहले कि मेरी हंसी छूट जाये, मेरी ऑंखें इस प्रयास मेँ उबल कर बाहर आने को हुई लेकिन मैंने किसी तरह खुद को सम्हाल लिया, ये सारा कुछ सिर्फ दो सेकंड मेँ हुआ किसी कक भी पता नहीं चला मगर वो शातिर नन्दोई सब अपनी चालक नज़रों से देख रहा था और इशारे मेँ बोला sorry, कण्ट्रोल नहीं हुआ फिर अपनी गौद की और इशारा किया sorry आपके पपितों ने इसकी ये हालत की है, मैंने भी एक कदम आगे जाते हुये हाथ के हल्के इशारे से कहा कोई बात नहीं, आप इसे चहकने दीजिये.
उनके कहने पर मुझे जवाब देना चाहिये और मैं बोलने ही वाली थी कि मम्मी बोल पड़ी --- अरे अरे जमाई जी कैसी बात कर रहे हो आप ये सारा बगीचा ही आपका है आप पपीते की क्या बात करते हो, फिर पापा से बोली जाओ जी आप तीन चार अच्छे पपीते तोड़ कर लाओ जमाई जी को पेश करते हैं, आप पुरे स्वाद से भोग लगाओ जमाई जी,
अब शर्माने की मेरी बारी थी मम्मी की बात सुनकर वो पहले मेरी मेँ देखे फिर मेरे पापितों को इस नज़र से देखने लगे कि अभी सबके सामने मेरा ब्लाउज और ब्रा उतार कर इनकी खाने लगेंगे क्योंकि मेरी माँ ने तो मेरे उगाये पपीते ही उनको स्वाद लेकर खाने की परमिशन दे दी है, मैं बुरी तरह शर्मा गई और अपने पल्लू को कसकर मेरे bobs के चारों और लपेट लिया जैसे कह रही हुँ pls अभी नहीं pls आज नहीं आज नहीं.
वो मेरी मंशा समझ गए और मम्मी से बोले अरे नहीं नहीं आज नहीं आज तो पेट भरा हुआ है, फिर मेरी तरफ देख कर बोले लेकिन शादी के बाद एक दिन जरूर चखेंगे, चखेंगे क्या पेट भर कर स्वाद ले ले कर खायंगे.
वो बहुत ही कातिल नज़रों से मुझे देख रहे थे लेकिन किसी को भी रत्ती भर अहसास नहीं था कि हम दोनों के बीच क्या खिचड़ी पक रही है.
मैंने राहत की सांस ली और उनकी आँखों मेँ ऑंखें डालकर जबाब दिया जरूर, शादी के बाद आप जितना खाना चाहेंगें हम रोकेंगे नहीं आप मन भरने तक खाइयेगा, फिर मम्मी की ओर देखकर कहा क्यों ठीक है ना मम्मी.
मम्मी : हाँ जमाई राजा, अब आप शादी के बाद का बोल रहे हैँ तो आप शादी हो जाने तक इंतज़ार कीजिये.
 
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malikarman

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रूचि ने शरद की तैयारी करवाई उसको जल्दी ही निकलना था.
शरद : रूचि ये अच्छा हुआ मम्मी आज आगई वरना तुमको अकेले छोड़ कर कैसे जा पाता, मम्मी कहाँ है उनसे मिल लूँ।
रूचि जानती थी मम्मी किस हाल में है अंदर, इसलिए झट से बोली : अरे वो सारी रात की जर्नी से बहुत थक गई थी मैंने ही उन्हें रूम बंद कर के सोने के लिए बोला है, अभी एक घंटा पहले ही सोइ हैं अब शाम तक ही उठेंगी.
शरद : चलो कोई बात नहीं, उनका ध्यान रखना और उनको मेटे आने तक जाने नहीं देना.
उधर मालती कसमसाती हुई चूत की हवस के मारी कुछ इस हाल में थी।


1-2
इधर शरद बोला : रूचि डार्लिंग अपना ध्यान रखना और मम्मी को कोई तकलीफ न हो, वो पहली बार ही आई है उनके स्वागत में कोई कमी न रहे, पूरा पूरा सुख देना।
रूचि मन में : हाँ पतिदेव उनके लिए ही आज दो दो लन्ड की व्यवस्था कर रहीं हुँ आपके आने तक सातों दिन उनको जम जम के चुदवाने का प्लान है देखें उनकी किस्मत ओर उन दोनों लन्ड की किस्मत में क्या लिखा हुआ है.
फिर मुंह से बोली : जी आपका हुक्म सर आँखों पर पूरी सेवा करुँगी आपकी सासु माँ की, और खिलखिला कर हँसने लगी.
शरद ने रूचि को hug किया और bye बोलकर निकल गया.
रूचि अब मालती के रूम में गई और बोली
हाय मल्लू डार्लिग क्या लिंग इस चूत में लिए बिना तुझे आराम नहीं मिलने वाला है, तू क्या हो गई है रे एक ही दिन में, मैं सोच भी नहीं नहीं सकती मेरी सीधी सादी मम्मी इतना चुदक्कड़ होगी, घर पर कैसी सीधी रहती थी, तेरी चूत में इतनी आग है मुझे पता नहीं था, तेरी ही बेटी हुँ अब मुझे समझ आ रहा है क्यों मेरी चूत आजकल इतनी क्यों फड़कने लगी है.
मालती एक बात सच सच बताएगी अब मुझे.
मालती : क्या बात है पूछ, मैं तेरे सिर की कसम सच सच बताउंगी कुछ नहीं छुपाऊँगी.
रूचि : मम्मी आप इतनी सुंदर हो इतनी कातिल हो क्या आपके पीछे कोई नहीं पड़ा, क्या कोई आपको चोदने के लिए नहीं मरा आज तक, बाहर नहीं तो आपके सुसराल में आपके आस पास वाले कोई, सच बताना मुझसे मत शर्माना, मुझे ये आज वाली एकदम चुदासी और लन्ड के लिए तड़पने वाली मेरी मम्मा बहुत अच्छी लग रही है, इसलिए अपने सारे राज आज खोल देना, बिलकुल बुरा नहीं लगेगा मुझे.
मालती : रूचि तू पहले मेरी ही तरह नंगी हो जा फिर बात करते हैँ..
रूचि : मैंने आज अपनी दोनों फ्रेंड्स को अपने hubby के साथ डिनर पर बुलाया है, अगर नंगी हुई तो फिर देर हो जाएगी मुझे तैयारी भी करनी ह।
मालती : रूचि मेरा मन आज तेरे सामने पूरा खोलने का कर रहा है, तू उनको कल दिन में बुला ले दिन भर साथ रहेंगे, आज तो एक दो घंटे ही मिलेंगे.
बात रूचि को भी समझ आ गई, कल पूरा दिन मिलेगा तो तीनों को ज्यादा समय मिलगा ज्यादा अवसर भी पास आने के, उसने सोचा यही ठीक है.
उसने साधना और हेमंगी दोनों को कल 11 बजे का समय दिया कि सुबह ही चारों आओ, हम अच्छे से मिल लेंगें और आईडिया से दोनों को समझा दिया वो मान गई.
अब रूचि ने भी सारे कपडे निकाल लिए और अंदर माँ के डबल बेड कंबल में घुस गई, फिर बोली अब बताओ मम्मी.
मालती : अरे मल्लू से एकदम मम्मी पर क्या बात है
रूचि : सच बताऊँ आपको आज इसतरह जान कर मुझे लग रहा है आपकी तीस साल कि शादीशुदा ज़िन्दगी में बहुत कुछ हुआ होगा कई मर्दों ने आपका पीछा किया होगा इसलिए मैं एक बेटी के रूप में अपनी इस सुंदर गदराई और सेक्सी माँ की सेक्स दास्तां सुनना चाहती हुँ, शायद ही कोई माँ अपनी निजी ज़िन्दगी अपनी बेटी से शेयर करती होगी, मैं आपसे सारी बाते खुले और अश्लील शब्दों में सुनना चाहती हुँ.
मालती : ठीक है ज़ब मेरी बेटी ही मुझे सेक्सी बातें बताने को बोल रही है तो मुझे क्या ऐतराज़ होगा, तू पूछ मैं जवाब दूँगी.
रूचि : मुझे शुरू से सुनाओ आपके बोबे तो शुरू से ही बहुत उछलते रहे हैं और आपके चूतड़ भी क़यामत रहे होंगे शादी के आस पास तो इनको देखकर किस किस ने आहे भरी है.
मालती : जब मेरी शादी की बात चलने लगी तब तक मैं अच्छी जवान हो गई थी मेरा शरीर भर गया था और ये मेरे बूब्स कुंवारे पन में ही 34 साइज के होकर मेरी जान लेने लगे थे.
रूचि : मम्मी सच सच बताओ, बूब्स कभी भी बिना मसालाई और बिना रागड़ाई के बड़े हो ही नहीं सकते हैँ तो वो कौन था जो आपके इन बूब्स की मालिश किया करता था.
मालती : ये सारा काम हमारे पड़ोस में रहने वाली नैना भाभी का काम था तू तो जानती है उनको.
रूचि : हाँ हमारे एकदम पड़ोसी वो नैना आंटी, हाय कितनी सीधी हैं वो तो.
मालती : सीधी, सबके सामने सीधी है वो, ज़ब वो शादी हो कर मैं 12 th में जाने लगी थी, पता नहीं कैसे उन्होंने आने के एक महीने के अंदर ही मुझे पटा लिया, वो दोनों ही रहते थे बस, उनके पति अक्सर टूर पर 5-6 के लिए जाया करते थे. मेरी मम्मी ने मुझे उनके यहाँ सोने भेजना शुरू कर दिया था.
अब नैना भाभी ने मेरे 28 के बूब्स देखे, निम्बू से जरा ही बड़े होंगे.
बोली : हाय रे मालती ये बोबे हैँ या बुबी, इतने तो नौ दस साल में ही हो जाते हैं, तुझे शादी के लिए कौन पसंद करेगा आजकल तो पहले ही दिन नारियल चिहिए आदमी को, नारियल नहीं तो कम से कम बड़े नीलम आम तो हो बेबी.
मै बोली : तो अब क्या होगा मेरा भाभी.
नैना : अभी तू 12 में है और ग्रजुएट के तीन साल पुरे चार साल है हमरे पास, नारियल तो नहीं लेकिन पका आम जरूर बना दूँगी इनको में.
रूचि : मम्मी फिर कैसे बनाया इनको आम नैना आंटी ने
मालती : उस दिन से महीने में 12 13 रात में उनके यहाँ सोती थी वो रोज रोज इनकी मालिश करने लगी रगड़ रगड़ कर, हर रोज कम से कम एक घंटा, बदले में खुद भी करवाती मालिश अपनी और चूत न
में बेंगन खीरा गाजर डलवाती थी बहत सेक्सी थी, पूरी रात में तीन बार झड़ती थी. एक साल न में तीस का साइज हुआ और ग्रेजुएशन होते होते पुरे 34 के कर दिए थे उसने, साथ में मेरी गांड की भी मालिश करती थी इस गांड को शेप भी उसने ही दिया है, 38 की हो गई थी. पता है मम्मी को शक हो गया था कि मैं किसी से चुदवाने लगी हुँ तभी मेटे bobs और मेरी गांड इतनी हैवी हो गई है अभी से.
रूचि : फिर नानी ने आपसे पूछा था क्या?
मालती : नहीं, लेकिन नैना से इन्क्वायरी करवाई थी वो नैना को सती सावित्री समझती थी, उनको बोला इसके बारे में पता करो कहीं ये बहक तो नहीं गई है. नैना को तो पता था कि उसने ही तो ये काम किया है, उसने बताया ऐसा नहीं है मौसी, ये तो इसका शरीर ही ऐसा है इसका कोई चक्कर नहीं है.
मगर मम्मी नहीं मानी और और उसने सोचा इसकी जल्दी शादी कर के भेजो फिर इसका पति जाने और ये.
और जल्दी में तेरे पापा के साथ बांध दिया मुझे.
रूचि : तभी मैं हमेशा सोचती थी कि मेरी मम्मी इतनी हीरोइन और पापा एक्स्ट्रा आर्टिस्ट कि तरह,. अच्छा ये छोडो, ये बताओ इतनी हाहाकारी गांड और इतने मतवाले बोबों को कौन कौन देखता था लन्ड खड़ा कर के, मम्मी जी आदरणीया, माताजी,,।
मालती : चल बदमाश, अच्छा सुन,
जब मुझे पसंद करने आये तब, तेरे पापा उनकी मम्मी उनके पापा उनके बहनोई तेरी भुआ पांच लोग आये थे.
बुआ बड़ी हैं, उनकी शादी एक साल पहले ही हुई थी कोई बच्चा नहीं था.
मैंने अंदर से देखा था तेरे दादाजी याने मेरे ससुर कोई ज्यादा उम्र के नहीं लगते थे अच्छी हेल्थ थी, दिखने में साधारण, और तेरे फूफा जी, एकदन जवान बहुत सुंदर, पहले तो मैं समझी ये ही लड़का है, लेकिन नैना भाभी ने बताया ये तेरे नन्दोई हैं और लड़का वो पास में बैठा, मुझे अच्छा नहीं लगा था, पर कुछ बोली नहीं. मुझे नैना ने ही तैयार किया था और ऐसा किया था कि अंग अंग साफ दिखे, पतली साड़ी जिसमें से सीना साफ दिखे, low कट ब्लाउज, और टाइट पेटीकोट जिसमें गांड पूरी उभर के आये, और मुझसे बोली थी जरा मटक मटक कर और गांड हिला कर चलूँ साथ ही सीना तान के, लेकिन नज़रे नीची ताकि संस्कारी लगूं. मैं चाय नाश्ता लेकर बाहर गई और वैसे ही चली फिर घूम घूम कर सबको सर्व किया, इस दौरान खास करके मेरे ससुर और नन्दोई मेरी गांड और बूब्स घूरते रहे, मगर मुझे पता ही नहीं चला.
रूचि : हाय मम्मी क्या सच, दादाजी ने आपके मुम्मे घूरे, जब प्लेट देने झुकी होंगी उनको तो पतली साड़ी और low कट ब्लाउज में तो अपने अपने दोनों आम ही परोस दिए होंगे उनको.
मालती : हाँ यार, उनको ही नहीं नन्दोई जी यानि तेरे फूफाजी को भी, नैना मेरे साथ ही थी, पीछे कोई नहीं था हमारे, वो एक हाथ से मेरी गांड सहलाये जा रही थी, क्योंकि वो पहले ही बोल चुकी थी कि वो मुझे छेड़ेगी मेरे ससुराल वालों के सामने और मुझे गर्म भी करेंगी ताकि में शर्माऊ नहीं और कॉन्फिडेंस से पेश आऊं ताकि रिश्ता पक्का हो सके. वो मेरी गांड सहलाती रही और गांड के छेद को भी बीच बीच में छेद देती, मैं गर्म हो गई थी.
रूचि : हाय मम्मी, कितनी प्यारी थी नैना आंटी, कैसे चार सालों में आपके बुबी को bobs बनाया और कुल्हो को दमदार लचक़दार सेक्सी गांड या कहूं कामुक चूतड़..... हाय दादाजी और फूफाजी का हाल तो बहुत बुरा हो गया होगा, कैसा लगा उन दोनों आपके चूतड़ और बॉबीस को देखकर, आज पता चला लोग लड़की में क्या देखते हैं जब पसंद करने आते हैँ.।
मालती : उनका हाल उस समय तो मुझे पता नहीं चला, मगर नैना भाभी ने बाद में बताया था. पहले वहां कि आगे कि बात सुन.
मैं सर्व कर के मुडी और बैठने के लिए आगे बढ़ी उन चार पांच सेकंड में ही दोनों ने मेरी गांड का जायका ले लिया क्योकि मुड़ते समय और वापस पलट कर बैठते समय मुझे इसका अंदाजा हो गया था, मुझे बड़ी शर्म भी आई थी, कि कैसे मेरे bobs ने और गांड ने मेरी तारीफ इनके सामने कर दी है बिना किसी के बोले ही. मैं नीचे नज़र किये बैठी थी वो सवाल करते जा रहे थे जो सवाल करता उसको देख कर मेँ जवाब दिए जा रही थी, सासु जी और ननद और तेरे पापा ने तो ज्यादा सवाल नहीं किये मगर ससुर जी और फूफाजी बहुत कुछ पूछ रहे थे, और हर बार मेँ उनको देखकर जवाब दे रही थी, तब मैंने गौर किया ससुर जी मेरे चेहरे को कम मगर मेरे bobs को बहुत घूर घूर कर देख रहे थे, मैं समझ गई उनकी नज़र कि वो जैसे खुद के लिए मुझे पसंद कर रहे हैं. मैं हैरान थी और शर्म भी आ रही थी इसलिए चुपचाप उनको देखती फिर नज़रे झुका लेती. लेकिन उनसे भी ज्यादा तेरे फूफाजी मुझे बात कर रहे थे मैं कोई एक घंटा वहां बैठी थी उन लोगों के सामने, जिसमें से आधा घंटा फूफाजी बात करते रहे, उनके साथ के लोग इस बात को अच्छा समझ रहे थे कि वो सारी जानकारी ले रहे हैँ और मुझे अच्छी तरह से समझ रहे हैँ, लेकिन सच मेँ वो मेरे बूब्स और मेरी गांड को ताड़ रहे थे, मैं ऐसी उनके सामने बैठी थी कि गांड का sideview उनको दिख रहा था, और मेरे हिलने दुलने से सामने का पूरा व्यू भी वो देख रहे थे, मैंने अपने हाथ गोद मेँ रखे थे इससे गोद मेँ गड्डा सा बन गया था, मैं अपने हाथ जब भी वहां से हटाती वो वहां घूरने लगते जैसे अब वो मेरी चूत भी कपड़ों मेँ छेद कर जे देख रहे हों, मैंने कई बार उनको देखा ऐसा देखते हुये, मैं शर्मा के लाल पड़ जाती थी, उन्होंने ये नोटिस भी किया और मेरी आँखों मेँ देखकर रिक्वेस्ट सी करने लगते, जैसे क़ह रहे हो देखने दो ना pls, मैं और शर्मा के हंस के नीचे मुंह कर लेती मगर हमारी ये करतूत किसी ने भी नहीं नोटिस कि, नैना भाभी ने भी नहीं.
रूचि : हाय रे मेरी माँ आप तो अभी से भी ज्यादा चुदास से उस समय भरी थी, फिर तो जरूर आपको फूफाजी ने इतने सालों मेँ हज़ार बार तो चोद ही लिया होगा.
मालती : हाँ उस समय उनकी नज़र और रिक्वेस्ट भरे इशारे से मेरी चूत गीली हो गई थी, मैंने एक बार तो पास बैठी नैना भाभी का हाथ चूत से निकलते जूस को सहन न कर पाने कि वजह से कस कर पकड़ लिया था, उसने मेरे कान मेँ धीरे से पूछा था
क्या हुआ मालती
मैं क्या कहती ये कहती ये कहती ये मेरा ज़ालिम नन्दोई मुझे आँखों से छेड़ रहा है और मेरी चूत के दर्शन कि रिक्वेस्ट कर रहा है, तो मैंने बनते हुये कहा भाभी और कितनी देर, मुझे बहुत शर्म आ रही है, चलो अब.
वो बोली : चुपचाप बैठी रह और उनके सवालों का जवाब दे.
तुझे तो पता ही है उस घर मेँ सामने बगीचा भी है, बाद मेँ तो वो ख़राब हो गया मेरी शादी के बाद, मगर उस समय मैं बहुत मेन्टेन कर के रखती थी एकदम साफ सुधरा मजाल है कोई कचरा उग जाये.
नन्दोई बोले : आपका गार्डन बहुत खूबसूरत है ( वो ऐसा बोलते हुये मेरी चूत की ओर ही देख रहे थे लेकिन इस अंदाज़ से कि सिर्फ मैं ही समझ पा रही थी बाकी लोगों का इस ओर ध्यान नहीं था ) लगता बहुत maintained है.
( मैं समझ गई थी वो क्या बोल रहे हैं जैसे कि आप की चूत बहुत खूबसूरत है और मैं उसको बहुत ध्यान से मेन्टेन करती हुँ )
अब चुंकि वो मुझसे बात कर रहे थे तो मेरा उनको देखना लाज़मी था, इतना बोलकर वो ऐसे मुस्कराये जैसे तारीफ कर रहे हो मेरी, कि मैं अपनी चूत की कितनी केयर करती हुँ, मैं समझ गई थी अब शर्म मेरे चमोत्कर्ष पर थी मैं एकदम लाल हो गई ऑंखें भारी हो गई, मैंने सिर का पल्लू ठीक करने के बहाने अपना हाथ उठाया और इशारे से आदाब कहा, जिसका मतलब था वेलकम और थैंक्यू. मेरी चूत अपनी तारीफ सुनकर ख़ुशी के आंसू बहाने लगी. मेरा इशारा सिर्फ उन्होंने ही देखा, मेरे दिल मेँ अचानक ख्याल आया काश मेरी शादी इनसे होती,.
तभी मम्मी बोली : जी जमाई जी ( चुंकि वो मेरे ससुराल के जमाई थे तो नेचुरली मेरे घर वालों के भी हुये, मगर नन्दोई जी ने उस सम्बोधन को इस तरह लिया जैसे वो मेरे पति हैं और मेरी माँ इस नाते उनको जमाई जी कह रही है, उनका इशारा था मुझे देखो आपकी माँ ने मुझे आपका पति मान लिया है और गर्व से अपने हाथों को अपने बालों पर फेरा और ख़ुशी का इज़हार मुझे किया ) ये बगीचा तो मालती ही देखती और सम्हाल करती है हमको तो किसी को भी टाइम नहीं मिलता है.
नन्दोई जी : मुझे देख्ग्ते हुये वाह क्या सफाई रखती हो और तुरंत मेरी चूत को निशाना बनाते हुये मुझसे पूछने लगे क्या आप रोज के रोज के घास काट लेती हो जरा भी उगने नहीं देती हो, जैसा मैं देख रहा हुँ,
यानी वो कह रहे थे मैं अपनी चूत रोज के रोज शेव करती हुँ और एक भी बाल उगने नहीं देती हुँ.
मुझे ये सुनकर हलकी सी हंसी आ गई अब वो मेरे जवाब का इंतज़ार कर रहे थे तो मेरी आँखों मेँ मेरे चहरे को देख रहे थे, मेरी हलकी सी हंसी उनको साफ साफ महसूस हो गई थी और वो समझ गए कि उनका सवाल सच मेँ मुझे समझ आ गया है और वो मेरे जवाब को सुनने के लिए बेताब थे.
मैं बोली, मेरे चेहरे पर स्मित हंसी बरकरार थी मुझे भी इस खेल मेँ मज़ा आने लगा था, चूत और bobs दोनों मुझे चरम पर रखे हुये थे, हमारी बातें शालीनता से हो रही थी इसलिए कोई सपने मेँ भी नहीं सोच सकता था कि हम अब शालीन शब्दों मेँ अश्लील बातें कर रहे हैं.
मैं बोली : रोज रोज तो नहीं लेकिन हाँ छह सात दिन मेँ जरुरत पड़ जाती है, और इतना हल्का सा निचला होंठ ऊपर के दांतो मेँ दबाया कि उसका अहसास सिर्फ उनको हुआ, वो एक तरह से गन गना गए उनसे संहला नहीं गया और वो ओह बोल कर मुठ्ठी बांधकर चेयर के हैंडल को तीन चार बार ठोक बैठे, मैं समझ गई थी उनकी हालत नीचे देखा उनका लंड उछल कर तन गया था

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उन्होंने मेरी ऑंखें पढ़ ली थी कोई और देखे इसके पहले ही अपने हाथ मेँ पकडे रुमाल को अपनी गौद मेँ बिछा लिया ताकि कोई उनके लन्ड की उठान देख न ले, मुझे जोर से हंसी आ गई और शर्म भी, मम्मी ने पूछा क्या हुआ मालती, नन्दोई जी भी मुझे देख रहे थे वो समझ गए थे मुझे उनकी बेबसी पे हंसी आ गई थी, कि वो चाह कर भी अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पा रहे हैँ और सबके सामने अपने लन्ड को सहला भी नहीं पा रहे हैँ जिसको उनकी होने वाली सहलज ने खड़ा कर दिया है.
मैं डर गई अपनी हंसी को कैसे जस्टिफाई करूँ, मैं तुरंत नीचे झुकी अपने बाएँ पैर के तलवे को थोड़ा ऊपर उठा कर सहलाया और कहा नीचे कुछ कुछ पड़ा था जिस पर पैर पड़ने से गुदगुदी हुई और मेरी हंसी निकल गई sorry,
अब नन्दोई जी भी मज़ा लेने लगे लन्ड को छुपा ही चुके थे मेरे जवाब ने उनको आश्वास्त किया कि चलो मेरी हंसी पर किसी को शक नहीं हुआ कि ये हंसी उनके कड़क होते हुये लन्ड को देख कर निकली थी.
रूचि तुझे तो पता गया है बगीचा काफ़ी बड़ा है अपना, उस समय उसमें पपीते के कई बीज डाले थे मैंने जो तब तक बड़े हो गए थे उसमें बड़े बड़े पपीते लगे थे जो पक भी गए थे.
नन्दोई जी मेरे बूब्स को देखते हुये बोले आपके पपीते देखें हैं मैंने अभी अभी, बहुत बड़े बड़े हो गए हैँ,


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( मैं समझ गई अब वो मेरे बूब्स पर आ रहे हैँ, अब मेँ डायरेक्ट उनकी आँखों मेँ ही देख रही थी निडर, मेरे घर वाले समझ रहे थे मैं कॉन्फिडेंस से उनको फेस कर रही हुँ, और शायद मन ही मेरी तारीफ भी कर रहे थे कि मैं अच्छी तरह उनकी बातों का जवाब दे रही हुँ.)


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मैंने उनकी आँखों मेँ देखते हुये कहा : थैंक्स आपको पसंद आये, मेरी मेहनत सफल हुई, आज तक इनकी तारीफ किसी ने भी नहीं की है, ये तो आपकी पारखी नज़रे हैँ जिन्होंने इनको पहचाना, एक बार फिर से शुक्रिया आपका, वरना आजकल कौन तारीफ करता है.
नन्दोई जी : मैंने महसूस किया है आपको बड़ी मेहनत करनी पड़ी होगी इन पपितों को इतना बड़ा करने के लिए, ( फिर बूब्स को देखने के बाद मेरी आँखों मेँ देखा और अपने दाहिने हाथ की इंडेक्स फिंगर को थंब से लगा कर एक्सीलेंट का sign बनाते हुये बोले )
हमें सच में बहुत पसंद आये हैं अच्छे लगे हैं, क्या इनका स्वाद चखने की इज़ाज़त देंगी आप मालती मेडम, और अपनी जीभ बहुत ही आहिस्ता से अपने होंठ पर हल्की सी फेरी जिसे मैं ही देख सकती थी, उनकी गौद मेँ रखे रुमाल के बीच मेँ हरकत हुई मेरी नज़र अचानक वहां गई वो रह रह कर फड़क रहा था, मुझे जोरों से हंसी आने वाली थी वो समझ गए मैं क्या देख रही हुँ उन्होंने अपने लन्ड की हरकत को छुपाने का कोई प्रयास नहीं किया मैंने उनकी आँखों मेँ देखते हुये अपने हाथ मेँ पकडे रुमाल को जल्दी से अपने मुंह पर जोरों से दबा दिया इससे पहले कि मेरी हंसी छूट जाये, मेरी ऑंखें इस प्रयास मेँ उबल कर बाहर आने को हुई लेकिन मैंने किसी तरह खुद को सम्हाल लिया, ये सारा कुछ सिर्फ दो सेकंड मेँ हुआ किसी कक भी पता नहीं चला मगर वो शातिर नन्दोई सब अपनी चालक नज़रों से देख रहा था और इशारे मेँ बोला sorry, कण्ट्रोल नहीं हुआ फिर अपनी गौद की और इशारा किया sorry आपके पपितों ने इसकी ये हालत की है, मैंने भी एक कदम आगे जाते हुये हाथ के हल्के इशारे से कहा कोई बात नहीं, आप इसे चहकने दीजिये.
उनके कहने पर मुझे जवाब देना चाहिये और मैं बोलने ही वाली थी कि मम्मी बोल पड़ी --- अरे अरे जमाई जी कैसी बात कर रहे हो आप ये सारा बगीचा ही आपका है आप पपीते की क्या बात करते हो, फिर पापा से बोली जाओ जी आप तीन चार अच्छे पपीते तोड़ कर लाओ जमाई जी को पेश करते हैं, आप पुरे स्वाद से भोग लगाओ जमाई जी,
अब शर्माने की मेरी बारी थी मम्मी की बात सुनकर वो पहले मेरी मेँ देखे फिर मेरे पापितों को इस नज़र से देखने लगे कि अभी सबके सामने मेरा ब्लाउज और ब्रा उतार कर इनकी खाने लगेंगे क्योंकि मेरी माँ ने तो मेरे उगाये पपीते ही उनको स्वाद लेकर खाने की परमिशन दे दी है, मैं बुरी तरह शर्मा गई और अपने पल्लू को कसकर मेरे bobs के चारों और लपेट लिया जैसे कह रही हुँ pls अभी नहीं pls आज नहीं आज नहीं.
वो मेरी मंशा समझ गए और मम्मी से बोले अरे नहीं नहीं आज नहीं आज तो पेट भरा हुआ है, फिर मेरी तरफ देख कर बोले लेकिन शादी के बाद एक दिन जरूर चखेंगे, चखेंगे क्या पेट भर कर स्वाद ले ले कर खायंगे.
वो बहुत ही कातिल नज़रों से मुझे देख रहे थे लेकिन किसी को भी रत्ती भर अहसास नहीं था कि हम दोनों के बीच क्या खिचड़ी पक रही है.
मैंने राहत की सांस ली और उनकी आँखों मेँ ऑंखें डालकर जबाब दिया जरूर, शादी के बाद आप जितना खाना चाहेंगें हम रोकेंगे नहीं आप मन भरने तक खाइयेगा, फिर मम्मी की ओर देखकर कहा क्यों ठीक है ना मम्मी.
मम्मी : हाँ जमाई राजा, अब आप शादी के बाद का बोल रहे हैँ तो आप शादी हो जाने तक इंतज़ार कीजिये.
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Sushil@10

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रूचि ने शरद की तैयारी करवाई उसको जल्दी ही निकलना था.
शरद : रूचि ये अच्छा हुआ मम्मी आज आगई वरना तुमको अकेले छोड़ कर कैसे जा पाता, मम्मी कहाँ है उनसे मिल लूँ।
रूचि जानती थी मम्मी किस हाल में है अंदर, इसलिए झट से बोली : अरे वो सारी रात की जर्नी से बहुत थक गई थी मैंने ही उन्हें रूम बंद कर के सोने के लिए बोला है, अभी एक घंटा पहले ही सोइ हैं अब शाम तक ही उठेंगी.
शरद : चलो कोई बात नहीं, उनका ध्यान रखना और उनको मेटे आने तक जाने नहीं देना.
उधर मालती कसमसाती हुई चूत की हवस के मारी कुछ इस हाल में थी।


1-2
इधर शरद बोला : रूचि डार्लिंग अपना ध्यान रखना और मम्मी को कोई तकलीफ न हो, वो पहली बार ही आई है उनके स्वागत में कोई कमी न रहे, पूरा पूरा सुख देना।
रूचि मन में : हाँ पतिदेव उनके लिए ही आज दो दो लन्ड की व्यवस्था कर रहीं हुँ आपके आने तक सातों दिन उनको जम जम के चुदवाने का प्लान है देखें उनकी किस्मत ओर उन दोनों लन्ड की किस्मत में क्या लिखा हुआ है.
फिर मुंह से बोली : जी आपका हुक्म सर आँखों पर पूरी सेवा करुँगी आपकी सासु माँ की, और खिलखिला कर हँसने लगी.
शरद ने रूचि को hug किया और bye बोलकर निकल गया.
रूचि अब मालती के रूम में गई और बोली
हाय मल्लू डार्लिग क्या लिंग इस चूत में लिए बिना तुझे आराम नहीं मिलने वाला है, तू क्या हो गई है रे एक ही दिन में, मैं सोच भी नहीं नहीं सकती मेरी सीधी सादी मम्मी इतना चुदक्कड़ होगी, घर पर कैसी सीधी रहती थी, तेरी चूत में इतनी आग है मुझे पता नहीं था, तेरी ही बेटी हुँ अब मुझे समझ आ रहा है क्यों मेरी चूत आजकल इतनी क्यों फड़कने लगी है.
मालती एक बात सच सच बताएगी अब मुझे.
मालती : क्या बात है पूछ, मैं तेरे सिर की कसम सच सच बताउंगी कुछ नहीं छुपाऊँगी.
रूचि : मम्मी आप इतनी सुंदर हो इतनी कातिल हो क्या आपके पीछे कोई नहीं पड़ा, क्या कोई आपको चोदने के लिए नहीं मरा आज तक, बाहर नहीं तो आपके सुसराल में आपके आस पास वाले कोई, सच बताना मुझसे मत शर्माना, मुझे ये आज वाली एकदम चुदासी और लन्ड के लिए तड़पने वाली मेरी मम्मा बहुत अच्छी लग रही है, इसलिए अपने सारे राज आज खोल देना, बिलकुल बुरा नहीं लगेगा मुझे.
मालती : रूचि तू पहले मेरी ही तरह नंगी हो जा फिर बात करते हैँ..
रूचि : मैंने आज अपनी दोनों फ्रेंड्स को अपने hubby के साथ डिनर पर बुलाया है, अगर नंगी हुई तो फिर देर हो जाएगी मुझे तैयारी भी करनी ह।
मालती : रूचि मेरा मन आज तेरे सामने पूरा खोलने का कर रहा है, तू उनको कल दिन में बुला ले दिन भर साथ रहेंगे, आज तो एक दो घंटे ही मिलेंगे.
बात रूचि को भी समझ आ गई, कल पूरा दिन मिलेगा तो तीनों को ज्यादा समय मिलगा ज्यादा अवसर भी पास आने के, उसने सोचा यही ठीक है.
उसने साधना और हेमंगी दोनों को कल 11 बजे का समय दिया कि सुबह ही चारों आओ, हम अच्छे से मिल लेंगें और आईडिया से दोनों को समझा दिया वो मान गई.
अब रूचि ने भी सारे कपडे निकाल लिए और अंदर माँ के डबल बेड कंबल में घुस गई, फिर बोली अब बताओ मम्मी.
मालती : अरे मल्लू से एकदम मम्मी पर क्या बात है
रूचि : सच बताऊँ आपको आज इसतरह जान कर मुझे लग रहा है आपकी तीस साल कि शादीशुदा ज़िन्दगी में बहुत कुछ हुआ होगा कई मर्दों ने आपका पीछा किया होगा इसलिए मैं एक बेटी के रूप में अपनी इस सुंदर गदराई और सेक्सी माँ की सेक्स दास्तां सुनना चाहती हुँ, शायद ही कोई माँ अपनी निजी ज़िन्दगी अपनी बेटी से शेयर करती होगी, मैं आपसे सारी बाते खुले और अश्लील शब्दों में सुनना चाहती हुँ.
मालती : ठीक है ज़ब मेरी बेटी ही मुझे सेक्सी बातें बताने को बोल रही है तो मुझे क्या ऐतराज़ होगा, तू पूछ मैं जवाब दूँगी.
रूचि : मुझे शुरू से सुनाओ आपके बोबे तो शुरू से ही बहुत उछलते रहे हैं और आपके चूतड़ भी क़यामत रहे होंगे शादी के आस पास तो इनको देखकर किस किस ने आहे भरी है.
मालती : जब मेरी शादी की बात चलने लगी तब तक मैं अच्छी जवान हो गई थी मेरा शरीर भर गया था और ये मेरे बूब्स कुंवारे पन में ही 34 साइज के होकर मेरी जान लेने लगे थे.
रूचि : मम्मी सच सच बताओ, बूब्स कभी भी बिना मसालाई और बिना रागड़ाई के बड़े हो ही नहीं सकते हैँ तो वो कौन था जो आपके इन बूब्स की मालिश किया करता था.
मालती : ये सारा काम हमारे पड़ोस में रहने वाली नैना भाभी का काम था तू तो जानती है उनको.
रूचि : हाँ हमारे एकदम पड़ोसी वो नैना आंटी, हाय कितनी सीधी हैं वो तो.
मालती : सीधी, सबके सामने सीधी है वो, ज़ब वो शादी हो कर मैं 12 th में जाने लगी थी, पता नहीं कैसे उन्होंने आने के एक महीने के अंदर ही मुझे पटा लिया, वो दोनों ही रहते थे बस, उनके पति अक्सर टूर पर 5-6 के लिए जाया करते थे. मेरी मम्मी ने मुझे उनके यहाँ सोने भेजना शुरू कर दिया था.
अब नैना भाभी ने मेरे 28 के बूब्स देखे, निम्बू से जरा ही बड़े होंगे.
बोली : हाय रे मालती ये बोबे हैँ या बुबी, इतने तो नौ दस साल में ही हो जाते हैं, तुझे शादी के लिए कौन पसंद करेगा आजकल तो पहले ही दिन नारियल चिहिए आदमी को, नारियल नहीं तो कम से कम बड़े नीलम आम तो हो बेबी.
मै बोली : तो अब क्या होगा मेरा भाभी.
नैना : अभी तू 12 में है और ग्रजुएट के तीन साल पुरे चार साल है हमरे पास, नारियल तो नहीं लेकिन पका आम जरूर बना दूँगी इनको में.
रूचि : मम्मी फिर कैसे बनाया इनको आम नैना आंटी ने
मालती : उस दिन से महीने में 12 13 रात में उनके यहाँ सोती थी वो रोज रोज इनकी मालिश करने लगी रगड़ रगड़ कर, हर रोज कम से कम एक घंटा, बदले में खुद भी करवाती मालिश अपनी और चूत न
में बेंगन खीरा गाजर डलवाती थी बहत सेक्सी थी, पूरी रात में तीन बार झड़ती थी. एक साल न में तीस का साइज हुआ और ग्रेजुएशन होते होते पुरे 34 के कर दिए थे उसने, साथ में मेरी गांड की भी मालिश करती थी इस गांड को शेप भी उसने ही दिया है, 38 की हो गई थी. पता है मम्मी को शक हो गया था कि मैं किसी से चुदवाने लगी हुँ तभी मेटे bobs और मेरी गांड इतनी हैवी हो गई है अभी से.
रूचि : फिर नानी ने आपसे पूछा था क्या?
मालती : नहीं, लेकिन नैना से इन्क्वायरी करवाई थी वो नैना को सती सावित्री समझती थी, उनको बोला इसके बारे में पता करो कहीं ये बहक तो नहीं गई है. नैना को तो पता था कि उसने ही तो ये काम किया है, उसने बताया ऐसा नहीं है मौसी, ये तो इसका शरीर ही ऐसा है इसका कोई चक्कर नहीं है.
मगर मम्मी नहीं मानी और और उसने सोचा इसकी जल्दी शादी कर के भेजो फिर इसका पति जाने और ये.
और जल्दी में तेरे पापा के साथ बांध दिया मुझे.
रूचि : तभी मैं हमेशा सोचती थी कि मेरी मम्मी इतनी हीरोइन और पापा एक्स्ट्रा आर्टिस्ट कि तरह,. अच्छा ये छोडो, ये बताओ इतनी हाहाकारी गांड और इतने मतवाले बोबों को कौन कौन देखता था लन्ड खड़ा कर के, मम्मी जी आदरणीया, माताजी,,।
मालती : चल बदमाश, अच्छा सुन,
जब मुझे पसंद करने आये तब, तेरे पापा उनकी मम्मी उनके पापा उनके बहनोई तेरी भुआ पांच लोग आये थे.
बुआ बड़ी हैं, उनकी शादी एक साल पहले ही हुई थी कोई बच्चा नहीं था.
मैंने अंदर से देखा था तेरे दादाजी याने मेरे ससुर कोई ज्यादा उम्र के नहीं लगते थे अच्छी हेल्थ थी, दिखने में साधारण, और तेरे फूफा जी, एकदन जवान बहुत सुंदर, पहले तो मैं समझी ये ही लड़का है, लेकिन नैना भाभी ने बताया ये तेरे नन्दोई हैं और लड़का वो पास में बैठा, मुझे अच्छा नहीं लगा था, पर कुछ बोली नहीं. मुझे नैना ने ही तैयार किया था और ऐसा किया था कि अंग अंग साफ दिखे, पतली साड़ी जिसमें से सीना साफ दिखे, low कट ब्लाउज, और टाइट पेटीकोट जिसमें गांड पूरी उभर के आये, और मुझसे बोली थी जरा मटक मटक कर और गांड हिला कर चलूँ साथ ही सीना तान के, लेकिन नज़रे नीची ताकि संस्कारी लगूं. मैं चाय नाश्ता लेकर बाहर गई और वैसे ही चली फिर घूम घूम कर सबको सर्व किया, इस दौरान खास करके मेरे ससुर और नन्दोई मेरी गांड और बूब्स घूरते रहे, मगर मुझे पता ही नहीं चला.
रूचि : हाय मम्मी क्या सच, दादाजी ने आपके मुम्मे घूरे, जब प्लेट देने झुकी होंगी उनको तो पतली साड़ी और low कट ब्लाउज में तो अपने अपने दोनों आम ही परोस दिए होंगे उनको.
मालती : हाँ यार, उनको ही नहीं नन्दोई जी यानि तेरे फूफाजी को भी, नैना मेरे साथ ही थी, पीछे कोई नहीं था हमारे, वो एक हाथ से मेरी गांड सहलाये जा रही थी, क्योंकि वो पहले ही बोल चुकी थी कि वो मुझे छेड़ेगी मेरे ससुराल वालों के सामने और मुझे गर्म भी करेंगी ताकि में शर्माऊ नहीं और कॉन्फिडेंस से पेश आऊं ताकि रिश्ता पक्का हो सके. वो मेरी गांड सहलाती रही और गांड के छेद को भी बीच बीच में छेद देती, मैं गर्म हो गई थी.
रूचि : हाय मम्मी, कितनी प्यारी थी नैना आंटी, कैसे चार सालों में आपके बुबी को bobs बनाया और कुल्हो को दमदार लचक़दार सेक्सी गांड या कहूं कामुक चूतड़..... हाय दादाजी और फूफाजी का हाल तो बहुत बुरा हो गया होगा, कैसा लगा उन दोनों आपके चूतड़ और बॉबीस को देखकर, आज पता चला लोग लड़की में क्या देखते हैं जब पसंद करने आते हैँ.।
मालती : उनका हाल उस समय तो मुझे पता नहीं चला, मगर नैना भाभी ने बाद में बताया था. पहले वहां कि आगे कि बात सुन.
मैं सर्व कर के मुडी और बैठने के लिए आगे बढ़ी उन चार पांच सेकंड में ही दोनों ने मेरी गांड का जायका ले लिया क्योकि मुड़ते समय और वापस पलट कर बैठते समय मुझे इसका अंदाजा हो गया था, मुझे बड़ी शर्म भी आई थी, कि कैसे मेरे bobs ने और गांड ने मेरी तारीफ इनके सामने कर दी है बिना किसी के बोले ही. मैं नीचे नज़र किये बैठी थी वो सवाल करते जा रहे थे जो सवाल करता उसको देख कर मेँ जवाब दिए जा रही थी, सासु जी और ननद और तेरे पापा ने तो ज्यादा सवाल नहीं किये मगर ससुर जी और फूफाजी बहुत कुछ पूछ रहे थे, और हर बार मेँ उनको देखकर जवाब दे रही थी, तब मैंने गौर किया ससुर जी मेरे चेहरे को कम मगर मेरे bobs को बहुत घूर घूर कर देख रहे थे, मैं समझ गई उनकी नज़र कि वो जैसे खुद के लिए मुझे पसंद कर रहे हैं. मैं हैरान थी और शर्म भी आ रही थी इसलिए चुपचाप उनको देखती फिर नज़रे झुका लेती. लेकिन उनसे भी ज्यादा तेरे फूफाजी मुझे बात कर रहे थे मैं कोई एक घंटा वहां बैठी थी उन लोगों के सामने, जिसमें से आधा घंटा फूफाजी बात करते रहे, उनके साथ के लोग इस बात को अच्छा समझ रहे थे कि वो सारी जानकारी ले रहे हैँ और मुझे अच्छी तरह से समझ रहे हैँ, लेकिन सच मेँ वो मेरे बूब्स और मेरी गांड को ताड़ रहे थे, मैं ऐसी उनके सामने बैठी थी कि गांड का sideview उनको दिख रहा था, और मेरे हिलने दुलने से सामने का पूरा व्यू भी वो देख रहे थे, मैंने अपने हाथ गोद मेँ रखे थे इससे गोद मेँ गड्डा सा बन गया था, मैं अपने हाथ जब भी वहां से हटाती वो वहां घूरने लगते जैसे अब वो मेरी चूत भी कपड़ों मेँ छेद कर जे देख रहे हों, मैंने कई बार उनको देखा ऐसा देखते हुये, मैं शर्मा के लाल पड़ जाती थी, उन्होंने ये नोटिस भी किया और मेरी आँखों मेँ देखकर रिक्वेस्ट सी करने लगते, जैसे क़ह रहे हो देखने दो ना pls, मैं और शर्मा के हंस के नीचे मुंह कर लेती मगर हमारी ये करतूत किसी ने भी नहीं नोटिस कि, नैना भाभी ने भी नहीं.
रूचि : हाय रे मेरी माँ आप तो अभी से भी ज्यादा चुदास से उस समय भरी थी, फिर तो जरूर आपको फूफाजी ने इतने सालों मेँ हज़ार बार तो चोद ही लिया होगा.
मालती : हाँ उस समय उनकी नज़र और रिक्वेस्ट भरे इशारे से मेरी चूत गीली हो गई थी, मैंने एक बार तो पास बैठी नैना भाभी का हाथ चूत से निकलते जूस को सहन न कर पाने कि वजह से कस कर पकड़ लिया था, उसने मेरे कान मेँ धीरे से पूछा था
क्या हुआ मालती
मैं क्या कहती ये कहती ये कहती ये मेरा ज़ालिम नन्दोई मुझे आँखों से छेड़ रहा है और मेरी चूत के दर्शन कि रिक्वेस्ट कर रहा है, तो मैंने बनते हुये कहा भाभी और कितनी देर, मुझे बहुत शर्म आ रही है, चलो अब.
वो बोली : चुपचाप बैठी रह और उनके सवालों का जवाब दे.
तुझे तो पता ही है उस घर मेँ सामने बगीचा भी है, बाद मेँ तो वो ख़राब हो गया मेरी शादी के बाद, मगर उस समय मैं बहुत मेन्टेन कर के रखती थी एकदम साफ सुधरा मजाल है कोई कचरा उग जाये.
नन्दोई बोले : आपका गार्डन बहुत खूबसूरत है ( वो ऐसा बोलते हुये मेरी चूत की ओर ही देख रहे थे लेकिन इस अंदाज़ से कि सिर्फ मैं ही समझ पा रही थी बाकी लोगों का इस ओर ध्यान नहीं था ) लगता बहुत maintained है.
( मैं समझ गई थी वो क्या बोल रहे हैं जैसे कि आप की चूत बहुत खूबसूरत है और मैं उसको बहुत ध्यान से मेन्टेन करती हुँ )
अब चुंकि वो मुझसे बात कर रहे थे तो मेरा उनको देखना लाज़मी था, इतना बोलकर वो ऐसे मुस्कराये जैसे तारीफ कर रहे हो मेरी, कि मैं अपनी चूत की कितनी केयर करती हुँ, मैं समझ गई थी अब शर्म मेरे चमोत्कर्ष पर थी मैं एकदम लाल हो गई ऑंखें भारी हो गई, मैंने सिर का पल्लू ठीक करने के बहाने अपना हाथ उठाया और इशारे से आदाब कहा, जिसका मतलब था वेलकम और थैंक्यू. मेरी चूत अपनी तारीफ सुनकर ख़ुशी के आंसू बहाने लगी. मेरा इशारा सिर्फ उन्होंने ही देखा, मेरे दिल मेँ अचानक ख्याल आया काश मेरी शादी इनसे होती,.
तभी मम्मी बोली : जी जमाई जी ( चुंकि वो मेरे ससुराल के जमाई थे तो नेचुरली मेरे घर वालों के भी हुये, मगर नन्दोई जी ने उस सम्बोधन को इस तरह लिया जैसे वो मेरे पति हैं और मेरी माँ इस नाते उनको जमाई जी कह रही है, उनका इशारा था मुझे देखो आपकी माँ ने मुझे आपका पति मान लिया है और गर्व से अपने हाथों को अपने बालों पर फेरा और ख़ुशी का इज़हार मुझे किया ) ये बगीचा तो मालती ही देखती और सम्हाल करती है हमको तो किसी को भी टाइम नहीं मिलता है.
नन्दोई जी : मुझे देख्ग्ते हुये वाह क्या सफाई रखती हो और तुरंत मेरी चूत को निशाना बनाते हुये मुझसे पूछने लगे क्या आप रोज के रोज के घास काट लेती हो जरा भी उगने नहीं देती हो, जैसा मैं देख रहा हुँ,
यानी वो कह रहे थे मैं अपनी चूत रोज के रोज शेव करती हुँ और एक भी बाल उगने नहीं देती हुँ.
मुझे ये सुनकर हलकी सी हंसी आ गई अब वो मेरे जवाब का इंतज़ार कर रहे थे तो मेरी आँखों मेँ मेरे चहरे को देख रहे थे, मेरी हलकी सी हंसी उनको साफ साफ महसूस हो गई थी और वो समझ गए कि उनका सवाल सच मेँ मुझे समझ आ गया है और वो मेरे जवाब को सुनने के लिए बेताब थे.
मैं बोली, मेरे चेहरे पर स्मित हंसी बरकरार थी मुझे भी इस खेल मेँ मज़ा आने लगा था, चूत और bobs दोनों मुझे चरम पर रखे हुये थे, हमारी बातें शालीनता से हो रही थी इसलिए कोई सपने मेँ भी नहीं सोच सकता था कि हम अब शालीन शब्दों मेँ अश्लील बातें कर रहे हैं.
मैं बोली : रोज रोज तो नहीं लेकिन हाँ छह सात दिन मेँ जरुरत पड़ जाती है, और इतना हल्का सा निचला होंठ ऊपर के दांतो मेँ दबाया कि उसका अहसास सिर्फ उनको हुआ, वो एक तरह से गन गना गए उनसे संहला नहीं गया और वो ओह बोल कर मुठ्ठी बांधकर चेयर के हैंडल को तीन चार बार ठोक बैठे, मैं समझ गई थी उनकी हालत नीचे देखा उनका लंड उछल कर तन गया था

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उन्होंने मेरी ऑंखें पढ़ ली थी कोई और देखे इसके पहले ही अपने हाथ मेँ पकडे रुमाल को अपनी गौद मेँ बिछा लिया ताकि कोई उनके लन्ड की उठान देख न ले, मुझे जोर से हंसी आ गई और शर्म भी, मम्मी ने पूछा क्या हुआ मालती, नन्दोई जी भी मुझे देख रहे थे वो समझ गए थे मुझे उनकी बेबसी पे हंसी आ गई थी, कि वो चाह कर भी अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पा रहे हैँ और सबके सामने अपने लन्ड को सहला भी नहीं पा रहे हैँ जिसको उनकी होने वाली सहलज ने खड़ा कर दिया है.
मैं डर गई अपनी हंसी को कैसे जस्टिफाई करूँ, मैं तुरंत नीचे झुकी अपने बाएँ पैर के तलवे को थोड़ा ऊपर उठा कर सहलाया और कहा नीचे कुछ कुछ पड़ा था जिस पर पैर पड़ने से गुदगुदी हुई और मेरी हंसी निकल गई sorry,
अब नन्दोई जी भी मज़ा लेने लगे लन्ड को छुपा ही चुके थे मेरे जवाब ने उनको आश्वास्त किया कि चलो मेरी हंसी पर किसी को शक नहीं हुआ कि ये हंसी उनके कड़क होते हुये लन्ड को देख कर निकली थी.
रूचि तुझे तो पता गया है बगीचा काफ़ी बड़ा है अपना, उस समय उसमें पपीते के कई बीज डाले थे मैंने जो तब तक बड़े हो गए थे उसमें बड़े बड़े पपीते लगे थे जो पक भी गए थे.
नन्दोई जी मेरे बूब्स को देखते हुये बोले आपके पपीते देखें हैं मैंने अभी अभी, बहुत बड़े बड़े हो गए हैँ,


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( मैं समझ गई अब वो मेरे बूब्स पर आ रहे हैँ, अब मेँ डायरेक्ट उनकी आँखों मेँ ही देख रही थी निडर, मेरे घर वाले समझ रहे थे मैं कॉन्फिडेंस से उनको फेस कर रही हुँ, और शायद मन ही मेरी तारीफ भी कर रहे थे कि मैं अच्छी तरह उनकी बातों का जवाब दे रही हुँ.)


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मैंने उनकी आँखों मेँ देखते हुये कहा : थैंक्स आपको पसंद आये, मेरी मेहनत सफल हुई, आज तक इनकी तारीफ किसी ने भी नहीं की है, ये तो आपकी पारखी नज़रे हैँ जिन्होंने इनको पहचाना, एक बार फिर से शुक्रिया आपका, वरना आजकल कौन तारीफ करता है.
नन्दोई जी : मैंने महसूस किया है आपको बड़ी मेहनत करनी पड़ी होगी इन पपितों को इतना बड़ा करने के लिए, ( फिर बूब्स को देखने के बाद मेरी आँखों मेँ देखा और अपने दाहिने हाथ की इंडेक्स फिंगर को थंब से लगा कर एक्सीलेंट का sign बनाते हुये बोले )
हमें सच में बहुत पसंद आये हैं अच्छे लगे हैं, क्या इनका स्वाद चखने की इज़ाज़त देंगी आप मालती मेडम, और अपनी जीभ बहुत ही आहिस्ता से अपने होंठ पर हल्की सी फेरी जिसे मैं ही देख सकती थी, उनकी गौद मेँ रखे रुमाल के बीच मेँ हरकत हुई मेरी नज़र अचानक वहां गई वो रह रह कर फड़क रहा था, मुझे जोरों से हंसी आने वाली थी वो समझ गए मैं क्या देख रही हुँ उन्होंने अपने लन्ड की हरकत को छुपाने का कोई प्रयास नहीं किया मैंने उनकी आँखों मेँ देखते हुये अपने हाथ मेँ पकडे रुमाल को जल्दी से अपने मुंह पर जोरों से दबा दिया इससे पहले कि मेरी हंसी छूट जाये, मेरी ऑंखें इस प्रयास मेँ उबल कर बाहर आने को हुई लेकिन मैंने किसी तरह खुद को सम्हाल लिया, ये सारा कुछ सिर्फ दो सेकंड मेँ हुआ किसी कक भी पता नहीं चला मगर वो शातिर नन्दोई सब अपनी चालक नज़रों से देख रहा था और इशारे मेँ बोला sorry, कण्ट्रोल नहीं हुआ फिर अपनी गौद की और इशारा किया sorry आपके पपितों ने इसकी ये हालत की है, मैंने भी एक कदम आगे जाते हुये हाथ के हल्के इशारे से कहा कोई बात नहीं, आप इसे चहकने दीजिये.
उनके कहने पर मुझे जवाब देना चाहिये और मैं बोलने ही वाली थी कि मम्मी बोल पड़ी --- अरे अरे जमाई जी कैसी बात कर रहे हो आप ये सारा बगीचा ही आपका है आप पपीते की क्या बात करते हो, फिर पापा से बोली जाओ जी आप तीन चार अच्छे पपीते तोड़ कर लाओ जमाई जी को पेश करते हैं, आप पुरे स्वाद से भोग लगाओ जमाई जी,
अब शर्माने की मेरी बारी थी मम्मी की बात सुनकर वो पहले मेरी मेँ देखे फिर मेरे पापितों को इस नज़र से देखने लगे कि अभी सबके सामने मेरा ब्लाउज और ब्रा उतार कर इनकी खाने लगेंगे क्योंकि मेरी माँ ने तो मेरे उगाये पपीते ही उनको स्वाद लेकर खाने की परमिशन दे दी है, मैं बुरी तरह शर्मा गई और अपने पल्लू को कसकर मेरे bobs के चारों और लपेट लिया जैसे कह रही हुँ pls अभी नहीं pls आज नहीं आज नहीं.
वो मेरी मंशा समझ गए और मम्मी से बोले अरे नहीं नहीं आज नहीं आज तो पेट भरा हुआ है, फिर मेरी तरफ देख कर बोले लेकिन शादी के बाद एक दिन जरूर चखेंगे, चखेंगे क्या पेट भर कर स्वाद ले ले कर खायंगे.
वो बहुत ही कातिल नज़रों से मुझे देख रहे थे लेकिन किसी को भी रत्ती भर अहसास नहीं था कि हम दोनों के बीच क्या खिचड़ी पक रही है.
मैंने राहत की सांस ली और उनकी आँखों मेँ ऑंखें डालकर जबाब दिया जरूर, शादी के बाद आप जितना खाना चाहेंगें हम रोकेंगे नहीं आप मन भरने तक खाइयेगा, फिर मम्मी की ओर देखकर कहा क्यों ठीक है ना मम्मी.
मम्मी : हाँ जमाई राजा, अब आप शादी के बाद का बोल रहे हैँ तो आप शादी हो जाने तक इंतज़ार कीजिये.
Lovely update and nice story
 
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क्या रूचि के characterisation से आप लोग सहमत हैँ कि ऐसी औरतें होती है हमारे आस पास या सिर्फ ये कल्पना मात्र है मेरी,
ये उत्तर सिर्फ औरतें ही दे सकती हैं क्योंकि मर्द चाहे जो जवाब दे वो सही नहीं हो सकता है, और औरतें यहाँ कुछ बोलेगी ही नहीं, सिर्फ पढ़ लेगी, बोलेगी नहीं, शर्म और लिहाज कि वजह से,
तो इसका सही उत्तर कैसे मिलेगा, कोई बताये।
क्योंकि सेक्स रियलिटी है दो लोगो के बीच जबकि यहाँ की कहानियाँ सिर्फ कल्पना मात्र है लेखक की। मैं रियल लिखना चाहता हुँ जो exists करता है हमारे आस पास. सेक्स गंदगी नहीं है, तब तक कि वो किसी के साथ जबरदस्ती ना हो, किसी की इच्छा के विपरीत हो, आपसी सहमति से न हो, और सबसे बड़ी बात आदमी औरत के साथ सच्चाई से जुड़े, किसी गलत बर्ताव और भाषा का इस्तेमाल न करे और पूरा सम्मान दे, तभी तक सेक्स कतई गन्दगी नहीं है. इसे बुरा बनाया है मर्दों ने जो बलात्कारी हैं और औरत का सम्मान नहीं करते हैँ और जिनकी नज़रों मेँ औरत सिर्फ सेक्स के लिए है। ऐसी लोगों ने सेक्स को बदनाम और खराब किया हुआ है।
 
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क्या रेखा के characterisation से आप लोग सहमत हैँ कि ऐसी औरतें होती है हमारे आस पास या सिर्फ ये कल्पना मात्र है मेरी,
ये उत्तर सिर्फ औरतें ही दे सकती हैं क्योंकि मर्द चाहे जो जवाब दे वो सही नहीं हो सकता है, और औरतें यहाँ कुछ बोलेगी ही नहीं, सिर्फ पढ़ लेगी, बोलेगी नहीं, शर्म और लिहाज कि वजह से,
तो इसका सही उत्तर कैसे मिलेगा, कोई बताये।
क्योंकि सेक्स रियलिटी है दो लोगो के बीच जबकि यहाँ की कहानियाँ सिर्फ कल्पना मात्र है लेखक की। मैं रियल लिखना चाहता हुँ जो exists करता है हमारे आस पास. सेक्स गंदगी नहीं है, तब तक कि वो किसी के साथ जबरदस्ती ना हो, किसी की इच्छा के विपरीत हो, आपसी सहमति से न हो, और सबसे बड़ी बात आदमी औरत के साथ सच्चाई से जुड़े, किसी गलत बर्ताव और भाषा का इस्तेमाल न करे और पूरा सम्मान दे, तभी तक सेक्स कतई गन्दगी नहीं है. इसे बुरा बनाया है मर्दों ने जो बलात्कारी हैं और औरत का सम्मान नहीं करते हैँ और जिनकी नज़रों मेँ औरत सिर्फ सेक्स के लिए है। ऐसी लोगों ने सेक्स को बदनाम और खराब किया हुआ है।
चाहत तो सबकी बहुत कुछ करने की होती है पर ये समाज ये चार लोग जो खुद भी यही करना चाहते हैं उनसे डरते हैं 🤣
 
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चाहत तो सबकी बहुत कुछ करने की होती है पर ये समाज ये चार लोग जो खुद भी यही करना चाहते हैं उनसे डरते हैं 🤣
Thanks, तो आप agree करते हो रूचि का charectrisation सही है, ऐसी औरतें हैँ चाहे एक लाख ने दस ही हों,,,,,
 
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Thanks, तो आप agree करते हो रूचि का charectrisation सही है, ऐसी औरतें हैँ चाहे एक लाख ने दस ही हों,,,,,
एक लाख मे जो दस आपने बोली तो मै आपको बता दूँ कम से कम 20 से तो मै मिल चुका हूँ जो ऐसा चाहती हैं मगर मै भी खुल कर उनके साथ सामने नहीं आ सकता क्योंकि समाज 4 लोग बात बहीं है 🙏
 
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