EPISODE 4
साधना ने ऐसा कहते हुए रुचि का हाथ पकड़ा और उसे गले से लगा कर एक चुम्बन उसके गालों पर कर दिया। रुचि अंदर तक थरथरा गई आज उसके साथ पहली बार किसी औरत ने ऐसा किया था, वो भौचक्की रह गई थी मगर कुछ बोली नहीं और कोई प्रतिरोध भी नहीं किया क्योंकि वो एक औरत की ही बांहों में थी। साधना ने रुचि को जोरों से अपने सीने में भींच लिया दोनों के स्तन आपस में टकराए एक एक चिंगारी दोनों के शरीर में एक साथ सुलगी। साधना मन में सोचने लगी ये रुचि बहु सीधी है आज तक दूसरे मर्द की छाया भी इस पर नहीं पड़ी है, आज अमित ने पहली बार किसी औरत पर क्रश किया है में उससे बहुत प्रेम करती हूं उसकी इच्छा इसके साथ सोने की है मैं समझ सकती हूं मैं उसकी इच्छा जरूर पूरी करूंगी चाहे इसके लिए मुझे इस भोलीभाली पतिव्रता रुचि का पतिव्रत धर्म हो क्यों न तोड़ना पड़े, में इसे धीरे धीरे इतना चुदासी बना दूंगी कि ये खुद ही मुझसे अमित को मंगेगिऔर मेरे ही सामने उसके लंड को चुसेगी और मेरे ही हाथों से मेरे अमित का लंड अपनी कमसिन खूबसूरत पति ले अलावा किसी और से नहीं चूदी चूत में लेगी।
ये सोच कर साधना रुचि के कान में धीरे धीरे बोलती है, रुचि तू कितनी भोली है जवानी सिर्फ एक बार ही आती है हम जैसी हसीन और जवान औरतों के जीवन में, चाहे हम कितना भी खुद को सम्हाले ये शरीर अक्सर बगावत करता है और हम ऐसी चीजें मांगने लगता है जिसे हम होश में कभी सोच ही नहीं सकते हैं, रुचि को साधना की बात में दम लगने लगा, उसके शरीर में भी चिंगारी सुलगी थी उसके शरीर ने भी बगावत की थी मगर उसने दृढ़ता से उसे दबा दिया था, अभी भी उसका शरीर कभी कभी मचल जाता है शरद के रूप को सोचकर, मगर वो खुद को सम्हाल लेती है इस गड्डे में गिरने से, मगर आज साधना ने उसके मन के तारों को छेड़ दिया है वो भी ऐसे बोबे से बोबे मिलाकर वो पहली बार रोमांचित महसूस कर रही थी।
उसने साधना से पूछा अच्छा तूने अब तक कितना मजा किया है जरा ये भी बता, में तो खैर भोली हूं तू तो नहीं है न।
साधना ने सच में अभी तक किसी मर्द से कुछ नहीं किया है कॉलेज के दिनों में भी, लेकिन रुचि को रास्ते पर लाने के लिए उसने झूठ और वो भी मसालेदार बोलने का निर्णय लिया।
साधना बोली ऐसे नही,,,
रुचि फिर कैसे?
साधना ने गले लगे हुए हाय उसके कानों की लौ को धीरे धीरे जबान से टच करते हुए चाटा और नीचे मुंह ले जाते हुए उसकी गोरी और नाजुक गर्दन पर गिला चुम्बन देते हुए चूमने लगी, रुचि के तन बदन में एक आग ने प्रवेश कर लिया, उसे ऐसा होता था मगर इतनी तीव्रता से पहली बार हुआ, वो झटका खा गई और मुंह से निकला हाय ये क्या है साधना, तू ये क्या कर रही है, साधना बोली तेरा तेरे शरीर से परिचय करवा रही हूं ए नादान भोली औरत, तूने अपने सेक्सी शरीर को कितना बियाबान बना रक्खा है इसमें न कोई आग है न ही कोई छोटी सी चिंगारी। इतना खूबसूरत बदन लेकर भी तू साध्वी बनी घूम रही है अगर ये बदन मेरे पास होता तो मैं सच कहती हूं धूम मचा देती धूम और अपनी आग को और भयंकर दावानल में तब्दील कर सारे मर्दों को जलाकर उनका धुंआ उड़ा देती।
रुचि अब बहकने लगी थी, वो कांपती आवाज़ में बोली तू कुछ बताना चाह रही थी वो क्या है।
साधना समझ चुकी थी अब ये खुलने लगी है इसे पूरा खोलना होगा लेकिन सिर्फ मेरे पति के लिए, हे ईश्वर मुझे माफ करना मैं ये पाप सिर्फ अपने जान से भी प्यारे पति की इच्छा पूरी करने के लिए करने जा रही हूं, अब कोई इसे गलत या रुचि जैसी पतिव्रता की भ्रष्ट करने की साजिश कहे तो कहे, में तो अपने पति की एक सच्ची और उसकी इस रुचि को भोगने की तीव्र इच्छा को पूरा करने का प्रयास कर रही हूं, भगवान मुझे माफ करे और जो सजा देगा वो मुझे मंजूर है।
Bye till next narration,,,