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एपिसोड 5
रूचि का अब रंग बदलने लगा था, वह धीरे धीरें कामुक होने लगी थी उसका दिल उसके बस में नहीं आ रहा था अब साधना ने रूचि को जोरों से सीने से भींचतें हुए उसके गले में चुम्बनों की बरसात लगा दी कोई दो मिनिट तक चूमने के बाद वो उसके कान में धीरे से बोली कैसा लग रहा है मेरी जान रूचि कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थी उसने सिर्फ हूं कहा साधना समझ गई रंग चढ़ना शुरू हो गया है उसने धीरे से रूचि के ब्लाउज के बटन कोछुआ और हलके से खोलने की कोशिश की रूचि कसमसाई मगर कोई प्रतिरोध नहीं किया साधना ने पहला हुक खोला रूचि तड़प कर मचली और साधना के होठों पर अपने होंठ रख कर हल्के से चूमने की ओर बढ़ी साधना ने अगला हुक फिर अगला हुक और धीरे धीरे सारे हुक खोल दिए अब रूचि बुरी तरह से साधना के होठों को चूसने लगी थी उसकी आग ने रफ्तार पकड़ ली थी साधना यहीं तक नहीं रुकी उसने ब्रा के कप को निचे से पकड़ा और दोनों ही कपों को ऊपर की तरफ उलट दिया, रूचि की जागीर बाहर आ गई क्या ही आकार था विशाल उन्नत उभरे ज्यादा छुए हुए नहीं सफ़ेद मखमली भूरे कत्थई रंग लिए हुए चूचियां, साधना से रहा नहीं गया उसने दोनों हाथों से रूचि की चूचियां अंगूठे और दोनों उंगलियों के बिच पकड़ कर धीरे धीरे मसलना शुरू किया और रूचि को समझ नहीं आ रहा था उसे क्या हो रहा है बोबों का सोचे तो जैसे गुब्बारों में अजीब सी हिलोरे उठ रही थी बिना हिलाये ही दोनों बॉब्स अनजानी थिरकन से थिरकने लगे थे चूचियों की घूंडियां आहिस्ते आहिस्ते मसले जाने से नशीली तरगें शरीर में भरने लगी थी इतना मस्त और चुदास अहसास रूचि को आज तक नहीं हुआ था उसकी चुत आहिस्ते से कुछ ज्यादा रफ्तार से खुल बंद हो रही थी उसका clotris बिना छुए ही हिलने लगा था उसने दोनों जांघो को ताकत से भींच लिया था जैसे चुत को उबल कर बाहर आने से रोक रही हो.
अब साधना ने रूचि को बोला एक मिनट रुक और उसे छोड़ कर वो खड़ी हुई ओर अपना भी ब्लाउज और ब्रा को निकाल कर अलग रखा फिर रूचि के पास बैठकर उसकी ब्रा को भी हुक खोलकर कंधे से अलग करने के बाद रूचि की आँखों में देखती हुई बोली सोच रूचि यही काम तेरे साथ अगर कोई खूबसूरत हीरो कर रहा होता तो तुझे कैसा लगता, रूचि कुछ बोली नहीं सिर्फ वासना से भरी आँखों से साधना को देखती रही तभी साधना ने अपने बड़े बड़े बोबों को हाथ से पकड़ कर अपनी चूचियों को रूचि की चूचियों से टच करते हुए थोड़ा जोर से रागड़ाना चालू किया जो आनंद दोनों औरतें महसूस कर रही थी उसे कोई औरत पाठक ही समझ सकती है अब दोनों एक साथ मस्ती के आलम में चिहूंक रही थी रूचि ओह साधना और साधना अरी रूचि बोलकर वासना रस में डूबी जोरों से अपने बोबों को आपस में रगड़ रही थी, दोनों की चुतें समंदर के किनारे उठने वाले शोर की तरह तेजी से लप लपा रही थी, अब रूचि ने आगे बढ़ाते हुए साधना का निचे का नाड़ा पकड़ कर खींच लिया और उसके निचे के कपडे तेजी से खींच कर पैरों से अलग कर दिए, साधना कहाँ कम पड़ने वाली थी उसने भी झपट कर रूचि के सारे कपडे अलग कर दिए और रूचि पूर्ण नग्न अवस्था में साधना के सामने थी साधना ने रूचि को कंधे पर धक्का देकर पलंग पर पीठ के बल गिरा दिया और उसको दोनों तंगों को चौड़ा कर के अपना मुंह रूचि की बहती हुई चुत से लगा दिया और रूचि की चुत के clotris को जुबान की नौक से कुरेदने लगी रूचि के शरीर में आनंद की तरंगों ने धावा बोल दिया रूचि का शरीर बाढ़ मे हिचकोले खाती नय्या की तरह अंदर ही अंदर डोलने लगा जो ऊपर से दिखाई तो नहीं दे रहा था मगर उसे रूचि तीव्रतम रूप से झेल रही थी, अब रूचि ने अपने दोनों हाथों से रूचि की कठोर चूचियाँ दबोची और उन्हें जोरों से मसलती हुई उसकी चुत के छेद में मुंह डालकर उसके अमृत को सड़प सड़प पिने लगी साथ ही वो बीच बीच में clotris को भी छेड़ती जा रही थी अब सहना रूचि की शक्ति से बाहर हो चूका था वो जोरों से बदबाड़ाने लगी साधना साधना मैं आज मर रही हूं हाय दय्या है मम्मी ये औरत मेरी आज जान ले लेगी ओ मम्मी मेरी चुत मे ये कैसी खलबली मची हुई है आज तक तो ऐसा हुआ नहीं मर्रे साथ ये कौनसा असर मेरे शरीर मेरे बॉब्स और मेरी चुत पर हो रहा है हाय मम्मी ये साधना कैसा जादू मेरे साथ कर रही है उधर साधना समझ गयी आज रूचि की चुत ने पहली बार जवानी का रंग देखा है अब ये पूरी मेरे काबू में है तब वो मुंह चुत से उठाकर बोली रानी ये तो साधना तेरी जवानी को उबाल रही है सोच अगर यहाँ अमित ये सब कर रहा होता और मेरी जबान की जगह अमित का 9 इंच लम्बा और तीन इंच मोटा लन्ड तेरी चुत पर फेरा जा रहा होता तो तेरा क्या हाल होता मेरी नाजुक चुत वाली रानी रूचि, रूचि अब पूरी तरह चुदेल औरत के रूप में आ चुकी थी साधना मत पूछ मैं तो अमित के पैरों में अपनी गीली चुत हिलोरे मारते बोबे लेकर शर्म से गढ़ी पड़ी होती, साधना बोली आज अमित ने तुझे देखा और तुझ पे मर मिटा है और मुझसे तुझसे मिलाने की यानि तुझे चोदने की मिन्नतें कर रहा है बोल मेरी चुदासी सहेली रूचि क्या तू मेरे अमित का हालव्वि दमदार लन्ड अपनी इस कमसिन चुत में लेगी, और साधना फिर से चुत चाटने लगी और रूचि की घूंडियां मसलाने लगी रूचि अब खुद को रोक नहीं पाई और हाथ पैरों को पटकते हुए झरने की तरह बरसती हुई आनंद के सागर में हिचकोले खाती हुई बोली साधना अगर जो सच है तो मुझे ये सोचना पड़ेगा और झाम झम बरसती रही लगभग दो मिनट तक और निढाल होकर बिस्तर में पसर गई साधना की बांहों में l
रूचि का अब रंग बदलने लगा था, वह धीरे धीरें कामुक होने लगी थी उसका दिल उसके बस में नहीं आ रहा था अब साधना ने रूचि को जोरों से सीने से भींचतें हुए उसके गले में चुम्बनों की बरसात लगा दी कोई दो मिनिट तक चूमने के बाद वो उसके कान में धीरे से बोली कैसा लग रहा है मेरी जान रूचि कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थी उसने सिर्फ हूं कहा साधना समझ गई रंग चढ़ना शुरू हो गया है उसने धीरे से रूचि के ब्लाउज के बटन कोछुआ और हलके से खोलने की कोशिश की रूचि कसमसाई मगर कोई प्रतिरोध नहीं किया साधना ने पहला हुक खोला रूचि तड़प कर मचली और साधना के होठों पर अपने होंठ रख कर हल्के से चूमने की ओर बढ़ी साधना ने अगला हुक फिर अगला हुक और धीरे धीरे सारे हुक खोल दिए अब रूचि बुरी तरह से साधना के होठों को चूसने लगी थी उसकी आग ने रफ्तार पकड़ ली थी साधना यहीं तक नहीं रुकी उसने ब्रा के कप को निचे से पकड़ा और दोनों ही कपों को ऊपर की तरफ उलट दिया, रूचि की जागीर बाहर आ गई क्या ही आकार था विशाल उन्नत उभरे ज्यादा छुए हुए नहीं सफ़ेद मखमली भूरे कत्थई रंग लिए हुए चूचियां, साधना से रहा नहीं गया उसने दोनों हाथों से रूचि की चूचियां अंगूठे और दोनों उंगलियों के बिच पकड़ कर धीरे धीरे मसलना शुरू किया और रूचि को समझ नहीं आ रहा था उसे क्या हो रहा है बोबों का सोचे तो जैसे गुब्बारों में अजीब सी हिलोरे उठ रही थी बिना हिलाये ही दोनों बॉब्स अनजानी थिरकन से थिरकने लगे थे चूचियों की घूंडियां आहिस्ते आहिस्ते मसले जाने से नशीली तरगें शरीर में भरने लगी थी इतना मस्त और चुदास अहसास रूचि को आज तक नहीं हुआ था उसकी चुत आहिस्ते से कुछ ज्यादा रफ्तार से खुल बंद हो रही थी उसका clotris बिना छुए ही हिलने लगा था उसने दोनों जांघो को ताकत से भींच लिया था जैसे चुत को उबल कर बाहर आने से रोक रही हो.
अब साधना ने रूचि को बोला एक मिनट रुक और उसे छोड़ कर वो खड़ी हुई ओर अपना भी ब्लाउज और ब्रा को निकाल कर अलग रखा फिर रूचि के पास बैठकर उसकी ब्रा को भी हुक खोलकर कंधे से अलग करने के बाद रूचि की आँखों में देखती हुई बोली सोच रूचि यही काम तेरे साथ अगर कोई खूबसूरत हीरो कर रहा होता तो तुझे कैसा लगता, रूचि कुछ बोली नहीं सिर्फ वासना से भरी आँखों से साधना को देखती रही तभी साधना ने अपने बड़े बड़े बोबों को हाथ से पकड़ कर अपनी चूचियों को रूचि की चूचियों से टच करते हुए थोड़ा जोर से रागड़ाना चालू किया जो आनंद दोनों औरतें महसूस कर रही थी उसे कोई औरत पाठक ही समझ सकती है अब दोनों एक साथ मस्ती के आलम में चिहूंक रही थी रूचि ओह साधना और साधना अरी रूचि बोलकर वासना रस में डूबी जोरों से अपने बोबों को आपस में रगड़ रही थी, दोनों की चुतें समंदर के किनारे उठने वाले शोर की तरह तेजी से लप लपा रही थी, अब रूचि ने आगे बढ़ाते हुए साधना का निचे का नाड़ा पकड़ कर खींच लिया और उसके निचे के कपडे तेजी से खींच कर पैरों से अलग कर दिए, साधना कहाँ कम पड़ने वाली थी उसने भी झपट कर रूचि के सारे कपडे अलग कर दिए और रूचि पूर्ण नग्न अवस्था में साधना के सामने थी साधना ने रूचि को कंधे पर धक्का देकर पलंग पर पीठ के बल गिरा दिया और उसको दोनों तंगों को चौड़ा कर के अपना मुंह रूचि की बहती हुई चुत से लगा दिया और रूचि की चुत के clotris को जुबान की नौक से कुरेदने लगी रूचि के शरीर में आनंद की तरंगों ने धावा बोल दिया रूचि का शरीर बाढ़ मे हिचकोले खाती नय्या की तरह अंदर ही अंदर डोलने लगा जो ऊपर से दिखाई तो नहीं दे रहा था मगर उसे रूचि तीव्रतम रूप से झेल रही थी, अब रूचि ने अपने दोनों हाथों से रूचि की कठोर चूचियाँ दबोची और उन्हें जोरों से मसलती हुई उसकी चुत के छेद में मुंह डालकर उसके अमृत को सड़प सड़प पिने लगी साथ ही वो बीच बीच में clotris को भी छेड़ती जा रही थी अब सहना रूचि की शक्ति से बाहर हो चूका था वो जोरों से बदबाड़ाने लगी साधना साधना मैं आज मर रही हूं हाय दय्या है मम्मी ये औरत मेरी आज जान ले लेगी ओ मम्मी मेरी चुत मे ये कैसी खलबली मची हुई है आज तक तो ऐसा हुआ नहीं मर्रे साथ ये कौनसा असर मेरे शरीर मेरे बॉब्स और मेरी चुत पर हो रहा है हाय मम्मी ये साधना कैसा जादू मेरे साथ कर रही है उधर साधना समझ गयी आज रूचि की चुत ने पहली बार जवानी का रंग देखा है अब ये पूरी मेरे काबू में है तब वो मुंह चुत से उठाकर बोली रानी ये तो साधना तेरी जवानी को उबाल रही है सोच अगर यहाँ अमित ये सब कर रहा होता और मेरी जबान की जगह अमित का 9 इंच लम्बा और तीन इंच मोटा लन्ड तेरी चुत पर फेरा जा रहा होता तो तेरा क्या हाल होता मेरी नाजुक चुत वाली रानी रूचि, रूचि अब पूरी तरह चुदेल औरत के रूप में आ चुकी थी साधना मत पूछ मैं तो अमित के पैरों में अपनी गीली चुत हिलोरे मारते बोबे लेकर शर्म से गढ़ी पड़ी होती, साधना बोली आज अमित ने तुझे देखा और तुझ पे मर मिटा है और मुझसे तुझसे मिलाने की यानि तुझे चोदने की मिन्नतें कर रहा है बोल मेरी चुदासी सहेली रूचि क्या तू मेरे अमित का हालव्वि दमदार लन्ड अपनी इस कमसिन चुत में लेगी, और साधना फिर से चुत चाटने लगी और रूचि की घूंडियां मसलाने लगी रूचि अब खुद को रोक नहीं पाई और हाथ पैरों को पटकते हुए झरने की तरह बरसती हुई आनंद के सागर में हिचकोले खाती हुई बोली साधना अगर जो सच है तो मुझे ये सोचना पड़ेगा और झाम झम बरसती रही लगभग दो मिनट तक और निढाल होकर बिस्तर में पसर गई साधना की बांहों में l
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