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Adultery भोलीभाली पतिव्रता रुचि चूद गई सहेलियों के बहकावे में

क्या रुचि को अपना पतिव्रत धर्म छोड़ना चाहिए या गैर मर्द के साथ संभोग के लिए आगे बढ़ना चाहिए?


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mastmast123

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रूचि का अब रंग बदलने लगा था, वह धीरे धीरें कामुक होने लगी थी उसका दिल उसके बस में नहीं आ रहा था अब साधना ने रूचि को जोरों से सीने से भींचतें हुए उसके गले में चुम्बनों की बरसात लगा दी कोई दो मिनिट तक चूमने के बाद वो उसके कान में धीरे से बोली कैसा लग रहा है मेरी जान रूचि कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थी उसने सिर्फ हूं कहा साधना समझ गई रंग चढ़ना शुरू हो गया है उसने धीरे से रूचि के ब्लाउज के बटन कोछुआ और हलके से खोलने की कोशिश की रूचि कसमसाई मगर कोई प्रतिरोध नहीं किया साधना ने पहला हुक खोला रूचि तड़प कर मचली और साधना के होठों पर अपने होंठ रख कर हल्के से चूमने की ओर बढ़ी साधना ने अगला हुक फिर अगला हुक और धीरे धीरे सारे हुक खोल दिए अब रूचि बुरी तरह से साधना के होठों को चूसने लगी थी उसकी आग ने रफ्तार पकड़ ली थी साधना यहीं तक नहीं रुकी उसने ब्रा के कप को निचे से पकड़ा और दोनों ही कपों को ऊपर की तरफ उलट दिया, रूचि की जागीर बाहर आ गई क्या ही आकार था विशाल उन्नत उभरे ज्यादा छुए हुए नहीं सफ़ेद मखमली भूरे कत्थई रंग लिए हुए चूचियां, साधना से रहा नहीं गया उसने दोनों हाथों से रूचि की चूचियां अंगूठे और दोनों उंगलियों के बिच पकड़ कर धीरे धीरे मसलना शुरू किया और रूचि को समझ नहीं आ रहा था उसे क्या हो रहा है बोबों का सोचे तो जैसे गुब्बारों में अजीब सी हिलोरे उठ रही थी बिना हिलाये ही दोनों बॉब्स अनजानी थिरकन से थिरकने लगे थे चूचियों की घूंडियां आहिस्ते आहिस्ते मसले जाने से नशीली तरगें शरीर में भरने लगी थी इतना मस्त और चुदास अहसास रूचि को आज तक नहीं हुआ था उसकी चुत आहिस्ते से कुछ ज्यादा रफ्तार से खुल बंद हो रही थी उसका clotris बिना छुए ही हिलने लगा था उसने दोनों जांघो को ताकत से भींच लिया था जैसे चुत को उबल कर बाहर आने से रोक रही हो.
अब साधना ने रूचि को बोला एक मिनट रुक और उसे छोड़ कर वो खड़ी हुई ओर अपना भी ब्लाउज और ब्रा को निकाल कर अलग रखा फिर रूचि के पास बैठकर उसकी ब्रा को भी हुक खोलकर कंधे से अलग करने के बाद रूचि की आँखों में देखती हुई बोली सोच रूचि यही काम तेरे साथ अगर कोई खूबसूरत हीरो कर रहा होता तो तुझे कैसा लगता, रूचि कुछ बोली नहीं सिर्फ वासना से भरी आँखों से साधना को देखती रही तभी साधना ने अपने बड़े बड़े बोबों को हाथ से पकड़ कर अपनी चूचियों को रूचि की चूचियों से टच करते हुए थोड़ा जोर से रागड़ाना चालू किया जो आनंद दोनों औरतें महसूस कर रही थी उसे कोई औरत पाठक ही समझ सकती है अब दोनों एक साथ मस्ती के आलम में चिहूंक रही थी रूचि ओह साधना और साधना अरी रूचि बोलकर वासना रस में डूबी जोरों से अपने बोबों को आपस में रगड़ रही थी, दोनों की चुतें समंदर के किनारे उठने वाले शोर की तरह तेजी से लप लपा रही थी, अब रूचि ने आगे बढ़ाते हुए साधना का निचे का नाड़ा पकड़ कर खींच लिया और उसके निचे के कपडे तेजी से खींच कर पैरों से अलग कर दिए, साधना कहाँ कम पड़ने वाली थी उसने भी झपट कर रूचि के सारे कपडे अलग कर दिए और रूचि पूर्ण नग्न अवस्था में साधना के सामने थी साधना ने रूचि को कंधे पर धक्का देकर पलंग पर पीठ के बल गिरा दिया और उसको दोनों तंगों को चौड़ा कर के अपना मुंह रूचि की बहती हुई चुत से लगा दिया और रूचि की चुत के clotris को जुबान की नौक से कुरेदने लगी रूचि के शरीर में आनंद की तरंगों ने धावा बोल दिया रूचि का शरीर बाढ़ मे हिचकोले खाती नय्या की तरह अंदर ही अंदर डोलने लगा जो ऊपर से दिखाई तो नहीं दे रहा था मगर उसे रूचि तीव्रतम रूप से झेल रही थी, अब रूचि ने अपने दोनों हाथों से रूचि की कठोर चूचियाँ दबोची और उन्हें जोरों से मसलती हुई उसकी चुत के छेद में मुंह डालकर उसके अमृत को सड़प सड़प पिने लगी साथ ही वो बीच बीच में clotris को भी छेड़ती जा रही थी अब सहना रूचि की शक्ति से बाहर हो चूका था वो जोरों से बदबाड़ाने लगी साधना साधना मैं आज मर रही हूं हाय दय्या है मम्मी ये औरत मेरी आज जान ले लेगी ओ मम्मी मेरी चुत मे ये कैसी खलबली मची हुई है आज तक तो ऐसा हुआ नहीं मर्रे साथ ये कौनसा असर मेरे शरीर मेरे बॉब्स और मेरी चुत पर हो रहा है हाय मम्मी ये साधना कैसा जादू मेरे साथ कर रही है उधर साधना समझ गयी आज रूचि की चुत ने पहली बार जवानी का रंग देखा है अब ये पूरी मेरे काबू में है तब वो मुंह चुत से उठाकर बोली रानी ये तो साधना तेरी जवानी को उबाल रही है सोच अगर यहाँ अमित ये सब कर रहा होता और मेरी जबान की जगह अमित का 9 इंच लम्बा और तीन इंच मोटा लन्ड तेरी चुत पर फेरा जा रहा होता तो तेरा क्या हाल होता मेरी नाजुक चुत वाली रानी रूचि, रूचि अब पूरी तरह चुदेल औरत के रूप में आ चुकी थी साधना मत पूछ मैं तो अमित के पैरों में अपनी गीली चुत हिलोरे मारते बोबे लेकर शर्म से गढ़ी पड़ी होती, साधना बोली आज अमित ने तुझे देखा और तुझ पे मर मिटा है और मुझसे तुझसे मिलाने की यानि तुझे चोदने की मिन्नतें कर रहा है बोल मेरी चुदासी सहेली रूचि क्या तू मेरे अमित का हालव्वि दमदार लन्ड अपनी इस कमसिन चुत में लेगी, और साधना फिर से चुत चाटने लगी और रूचि की घूंडियां मसलाने लगी रूचि अब खुद को रोक नहीं पाई और हाथ पैरों को पटकते हुए झरने की तरह बरसती हुई आनंद के सागर में हिचकोले खाती हुई बोली साधना अगर जो सच है तो मुझे ये सोचना पड़ेगा और झाम झम बरसती रही लगभग दो मिनट तक और निढाल होकर बिस्तर में पसर गई साधना की बांहों में l
 
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Slut Queen Anjali

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EPISODE - 2
रुचि की दिनचर्या में कुछ खास काम नहीं होते थे। उसके यहां दो सर्वेंट थे एक औरत एक मर्द, सारे काम दोनों करते थे, रुचि को कोई काम नहीं करना पड़ता था, यहां तक कि यदि पानी भी पीना हो तो नौकर हाथ में ला कर देते थे। उसका पति शरद सुबह 9बजे ऑफिस को निकल जाता और रात 8 बजे तक आता था, रुचि सारे दिन फ्री रहती थी। रुचि के लिए एक कार अलग से शरद ने दे रखी थी जिससे वो जहां चाहे आ जा सकती थी। रुचि ने दिन का समय अपनी सहेलियों साधना हेमांगी लतिका और राधिका के साथ गुजरना शुरू कर दिया था, हर दिन वो किसी एक सहेली के घर जाती और कभी दूसरी के घर। इस तरह मिलते मिलते छह महीने गुजर गए और सब रुचि की पक्की से भी पक्की सहेलियां बन चुकी थी। वे चारों भी अमीर थी और सभी तरह से संपन्न, इस तरह उनकी प्रगाढ़ता बढ़ने लगी। अभी तक रुचि का किसी भी सहेली के पति से आमना सामना नहीं हुआ था, बस उसने उनके फोटो घर में लगे देखे थे।
अब आगे
आज रुचि साधना के यहां आई हुई है, अक्सर वो दिन का खाना यहीं खा लिया करती है, आज भी दोनों से साथ में खाना खाया और बैठे बैठे बातें कर रहे थे तभी साधना की doorbell बजी, सर्वेंट ने दरवाजा खोला तभी साधना का पति अमित अंदर आया, जिसे देख साधना उठ खड़ी हुई और बोली अरे आप,,,,, आज कैसे ?? अमित बोला हां यार ऑफिस के एक पेनड्राइव यही कल लाया था सुबह ले जाना भूल गया तो आना पड़ा, तब तक रुचि भी खड़ी हो गई थी अब अमित की नजर रुचि पर पड़ी, रुचि हमेशा ही टिपटॉप रहती है स्टाइलिश साड़ियां स्पेशल ब्लाउज करीने से सजे बाल और टाइट नाभी के नीचे बांधी हुई साड़ी, जब वो खड़ी हुई पूरी अप्सरा लग रही थी और वो साधना से कई गुना खूबसूरत थी, वैसे साधना भी कम सुंदर नहीं थी मगर रुचि तो कयामत थी। अमित ने उसको देखा और उसके दिल की एक धड़कन मिस हो गई और वो एकटक रुचि को देखता रह गया वो उसके चेहरे में ही को गया, उसने आज तक इतनी हसीन औरत अपनी जिंदगी में नहीं देखी थी, फिर धीरे धीरे उसने रुचि के पूरे शरीर का मुआयना किया, सफेद शफ्फाक रंग संगमरमरी सुतवा नाक पतली गर्दन और उन्नत वक्ष स्थल साधना से दुगने तो नहीं मगर कम भी नहीं , कठोर कसे ब्लाउज में छूटने को तड़पते हुए बॉब्स, ब्लाउज और साड़ी के बीच सपाट चिकना चमकदार सफेद पेट, जिसे देखकर अमित बेहोश होते होते बचा, रुचि की गहरी गोल गोल नाभी साफ दिखाई दे रही थी, अमित का बुरा हाल था, रुचि कुछ पूछने को साधना की तरफ मुड़ी और अमित की नजर दो बाहर को निकले हुए एकदम गोल सुडोल नितंबों पर पड़ी, क्या ही कठोर थे, अमित क्या करे क्या न करे, मन की उथल पुथल को किसी तरह समेटे हुए वो घर के अंदर की और बढ़ने लगा।
तभी साधना बोली सुनिए, अमित ठिठका पीछे पलटा और बोला हां क्या, साधना बोली इनसे मिलिए मेरी सहेली रुचि ये अक्सर आती रहती है यहां और हम दिन का समय साथ ही बिताते हैं आप दिन में घर नहीं रहते ना, इसलिए आज तक मिलना नहीं हुआ, फिर रुचि से बोली, रुचि ये मेरे पति अमित हैं, रुचि ने शर्माते हुए दोनों हाथ जोड़ लिए और अमित की आंखों में देखते हुए बोली नमस्ते,,, और शर्माते हुए अपनी नजरें नीची कर ली, अमित बोला ओह ओ, हमारे घर बहार आती रही और हम उससे मरहूम ही रहे, आपने हमें आज तक कभी बताया ही नहीं साधना कि आपकी इतनी खूबसूरत कोई सहेली भी है, वो तो मैं किस्मत से आज आ गया वरना हमें पता ही नही चलता कि एक हीरा हमारे यहां अपनी छटा रोज बिखेर रहा है।
रुचि अपनी तारीफ सुनकर मन में बहुत खुश हुई उसके गाल लाल हो गए लेकिन परोक्ष रूप से नजरों को ऊपर उठा कर अमित की आंखों में देखती हुई बोली - कुछ भी!!! कुछ भी बोलते हैं आप, और धीरे से साधना का हाथ जोर से पकड़ लिया। अमित को लगा शायद वो कुछ ज्यादा ही बोल गया है , उसने भीतर जाने में ही भलाई समझी, वो सहम गया था कहीं रुचि अन्यथा न लें इन बातों को, उसका मकसद थोड़ा हंसी मजाक का सा था। वो चला गया, साधना ने रुचि से कहा तुम यहीं बैठो मैं देख लेती हूं अमित को, तुम बुरा मत मानना उनकी आदत है मजाक करने की, रुचि बोली नहीं मैं क्यों बुरा मानू मेरी अच्छी सहेली के पति भी अच्छे ही होंगे इतना विश्वास है मुझे तुम उनको देखो, मैं ठीक हूं। साधना अंदर चली गई।
अब रुचि ने जोर की सांस ली खुद को संयत किया और जो हुआ उसको सोचने लगी। जब अमित अंदर आया रुचि ने उसको देखा बलिष्ठ शरीर एवरेज हाइट सुंदर चेहरा काफी कुछ वरुण धवन से मिलता जुलता वही कद काठी, पर्पल सूट पहना हुआ पिंक शर्त और गहरी बैंगनी टाई, चमचमाते जूते, किसी हीरो से कम नहीं लग रहा था, उसका भी दिल धड़कना भूल गया था, अचानक उसे कॉलेज के दिन याद आ गए, क्या इसे ही तो नहीं देखा था मैने अपने ख्वाब में अपने जीवनसाथी के रूप में, वो अमित को देखकर मंत्रमुग्ध हो गई थी। उसका दिल अभी भी अजीब सी धड़कन में धड़क रहा था।
उधर रूम में जब साधना गई अमित कबर्ड में कुछ टटोल रहा था साधना ने अमित की पीछे से बांहों में भर लिया और बोली क्या यार तुम भी कभी भी शुरू हो जाते हो, ये तो देखना चाहिए पहली बार मिल रहे हो थोड़ा तो संयमित बातें किया करो कोई कैसा है उसे क्या पसंद है क्या नहीं, बस शुरू हो गए, माना कि रुचि सुंदर है और बहुत सुंदर है मगर क्या भोली भी होगी जरूरी है।
अमित तब तक पेनड्राइव खोज चुका था उसको पेंट में रखते हुए पलटा और साधना को सामने से आलिंगन में लेते हुए उसके गाल पर एक जोरदार चुम्बन देते हुए बोला, यार तूने आज तक बताया नहीं इतनी पटाखा तेरी कोई दोस्त भी है और जोर से हंसते हुए बोला jokes apart, वो बुरा मान गई है शायद, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था, सॉरी जान,,, और उसको कस के सीने से लगा लिया, तब साधना अमित के कान में सरगोशी करते हुए बोली नहीं उसको बुरा नहीं लगा है, मैने पूछ लिया है, मगर बेबी तुम ऐसा मत किया करो जब तक लाइन क्लियर न हो।
अमित बोला आज तक तो ऐसा मौका कभी आया नहीं कि तुमसे सुंदर कोई मिली हो, अगर मिली भी हो तो मुझे लगी नहीं तुम ही मेरे ख्वाबों की रानी हो, लेकिन आज दिल मचल गया है, क्या तुम लाइन क्लियर करवाओगी इस रुचि के साथ मेरी। और इतना कहकर वो साधना को छोड़कर भागने लगा, उसे लगा साधना को बुरा लगेगा और वो उसे छोड़ेगी नहीं, हुआ भी ऐसा ही साधना ने भागते हुए अमित के कोट का सिरा कस कर पकड़ लिया और मजबूरन अमित को रुकना पड़ा, साधना उसके सामने गई और बड़ी बड़ी आंखों से उसे डराने की कोशिश करने लगी, अमित बोला सॉरी यार मैं तो ऐसे ही, लेकिन तब तक साधना की जोर से हंसी फूट पड़ी और वो हंसते हुए बोली मेरे प्यारे सजन का पहली बार किसी पर दिल आया है और मैं क्या नाराज होंगी उससे, जान, मैं अभी रुचि को इस एंगल से में जानती हूं, लेकिन यदि उसका जरा भी तुम में इंट्रेस्ट होगा में वादा करती हूं तुम्हारे लिए उसकी लाइन क्लियर करवाऊंगी, मगर अगर नहीं इंट्रेस्ट हुआ तो तुमको ऐसा सोचना छोड़ना होगा, हम ऐसे लोग नहीं है डियर, कि किसी की मर्ज़ी के खिलाफ जाकर उसको प्रेशराइज्ड करें।
अमित बोला well said, darling, मैंने तो जो दिल में था तुमसे कह दिया, हुआ तो हुआ, नहीं तो हम दोनों तो हैं ही मस्तियां करने को, चलो मैं अब जाता हूं पहले ही बड़ी देर हो चुकी है, शाम को मिलते हैं। साधना बोली मैं रुचि के दिल की थाह लेने की कोशिश करती हूं फिर रात को बताती हूं, तब तक दोनों डाइनिंग तक आ गए थे अमित ने साधनसे फिर रुचि से bye बोला और बाहर निकल गया।
Bye me too, till next narration,,,
Amazing Concept aur utni hi khubsurti se likh rahe hai aap
 

maleeba

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EPISODE 3
अमित के जाने के बाद साधना रुचि के पास आती है। और कहती है चलो रुचि हम अंदर बैठते हैं और उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने बेडरूम में ले जाती है, वहीं से सर्वेंट को इंटरकॉम से कहती है हम अंदर बैठे हैं कुछ काम होगा तो बुला लेंगे हमें डिस्टर्ब मत करना। वो रूम लाक कर लेती है।
साधना hmm अब बताओ आज ना अमित जाने कैसे आ गए वैसे कभी आते नहीं हैं शायद किस्मत को उसे तुमसे मिलना होगा।
रुचि हां मैं भी सोचूं आज अचानक कैसे, वैसे कैसी कैसी बाते कर रहे थे वो बहकी बहकी सी।
साधना सच कहूं या झूठ?
रुचि तुम मुझसे झूठ कब बोलती हो, सच ही कहोगी।
साधना सच कहूं तो अमित तुमको देखकर बौरा गया है आज तक किसी औरत को देखकर ऐसा behave कभी नहीं किया उसने, वो तुम पर मोहित हो गया लगता है।
रुचि कैसी बातें करती हो यार, ऐसा कैसे, चलो मान भी लो मैं उसे अच्छी लगी लेकिन मैं ऐसा नहीं सोचती नहीं हूं, मैं किसी गैर मर्द के बारे में कभी गलत नहीं सोचती हूं, यदि ऐसा अमित के मन में आया भी हो तो उसे correct कर देना, कहना मैं ऐसी औरत नहीं हूं, pls ऐसा करोगी ना साधना, रुचि अनुनय करती सी बोली ।
साधना यार बात तो तेरी सच है लेकिन मैने कभी अमित को ऐसा बेकरार नहीं देखा है आजतक के वैवाहिक जीवन में, जरूर उसके मन में कोई ख्याल तो आया है तुझे लेकर, चल अच्छा मान लेते हैं वो तुझ पे आशिक हो गया है तो क्या तू उससे दोस्ती नहीं कर सकती एक सहेली के पति होने के नाते ।
रुचि मैने ऐसा कभी किया नहीं साधना, और मैं कोई मौका उसे नहीं देना चाहती कि वो मेरे बारे में कुछ गलत सोचे, में कभी अपने शरद को धोखा नहीं दे सकती हूं।
साधना नहीं नहीं मैं ऐसा कुछ नहीं कह रही हूं, में तो सिंपल ये कह रही हूं तू फ्रेंडली behave करना उसके साथ, में गारंटी लेती हूं वो तेरे साथ कभी बदतमीजी नहीं करेगा और न ही कभी तुझे छूने की कोशिश करेगा जब तक तू उसे allow नहीं करेगी, यार हम सभी लोग इज्जरदार फैमिली से हैं ऐसी घटिया बातें हम लोगों के घरों में नहीं होती हैं ।
रुचि जानती हूं यार तभी तो तुमसे इतनी दोस्ती बढ़ाई है मैने, मुझे खुद से ज्यादा तुझ पे भरोसा है।
साधना चल छोड़ ये सब, ये सब बाद में सोचेंगे जब कभी ऐसा वक्त आया तब, तू बता अपने कॉलेज के दिनों के किस्से, बला की खूबसूरत है कई लड़के पीछे पड़े होंगे तेरी खूबसूरती के, कितनों के दिलों के साथ खेली है मेरी बुलबुल।
रुचि भी रंग में आते हुए बोली , बात तो तू सही कह रही है यार, लेकिन मैने ऐसा कुछ किया नहीं, घर से कॉलेज और कॉलेज से घर, थे कई लड़के मगर मैने किसी पर ध्यान नहीं दिया बस अपनी पढ़ाई पर ही फोकस करती रही थी, तभी तो टॉपर थी, वरना फिसड्डी बन के रह जाती ।
साधना फिर भी कभी मन में कोई खयाल तो आता होगा ना, सच सच बता, क्योंकि वो दिन ही ऐसे होते हैं कि मन में तरह तरह की उमंगे उठती हैं, है कि नहीं।
रुचि बात तो सही कह रही है मेरे साथ भी होता था ऐसा, सोचती थी कोई खूबसूरत फिल्मी हीरो टाइप लड़का मेरे आसपास घूमें मेरी तारीफ करे मेरे नखरे उठाए, लेकिन फिर पापा मम्मी की इज्जत का खयाल आ जाता तो मैं सम्हाल लेती खुद को, लेकिन ये पक्का किया था कि मेरा पति जब ऐसा ही हीरो मिलेगा मैं अपने सारे अरमान पूरे करूंगी शादी के बाद जरूर से।
साधना आह भरते हुए, हाय मेरी जान रुचि कितनी भोली है री तू, वो जवानी के खास दिन ऐसे ही गुजर जाने दिए, तब पति नाम का जंतु हमारी जिंदगी को कंट्रोल करने वाला नहीं होता है , कोई रोक टोक नहीं कोई बंधन नहीं चाहे जिसके साथ घूमों कोई देखने वाला नहीं, तूने जिंदगी के हसीन दिन ऐसे ही बैरागन बन कर गुजार दिए।
Badhiya sadhna ne rychi ko fuslane aur fasane ka plan suru kr diya hai. Aur ruchi bhi thodi thodi uske bahkave me aa rhi hai
 
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maleeba

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EPISODE 4
साधना ने ऐसा कहते हुए रुचि का हाथ पकड़ा और उसे गले से लगा कर एक चुम्बन उसके गालों पर कर दिया। रुचि अंदर तक थरथरा गई आज उसके साथ पहली बार किसी औरत ने ऐसा किया था, वो भौचक्की रह गई थी मगर कुछ बोली नहीं और कोई प्रतिरोध भी नहीं किया क्योंकि वो एक औरत की ही बांहों में थी। साधना ने रुचि को जोरों से अपने सीने में भींच लिया दोनों के स्तन आपस में टकराए एक एक चिंगारी दोनों के शरीर में एक साथ सुलगी। साधना मन में सोचने लगी ये रुचि बहु सीधी है आज तक दूसरे मर्द की छाया भी इस पर नहीं पड़ी है, आज अमित ने पहली बार किसी औरत पर क्रश किया है में उससे बहुत प्रेम करती हूं उसकी इच्छा इसके साथ सोने की है मैं समझ सकती हूं मैं उसकी इच्छा जरूर पूरी करूंगी चाहे इसके लिए मुझे इस भोलीभाली पतिव्रता रुचि का पतिव्रत धर्म हो क्यों न तोड़ना पड़े, में इसे धीरे धीरे इतना चुदासी बना दूंगी कि ये खुद ही मुझसे अमित को मंगेगिऔर मेरे ही सामने उसके लंड को चुसेगी और मेरे ही हाथों से मेरे अमित का लंड अपनी कमसिन खूबसूरत पति ले अलावा किसी और से नहीं चूदी चूत में लेगी।
ये सोच कर साधना रुचि के कान में धीरे धीरे बोलती है, रुचि तू कितनी भोली है जवानी सिर्फ एक बार ही आती है हम जैसी हसीन और जवान औरतों के जीवन में, चाहे हम कितना भी खुद को सम्हाले ये शरीर अक्सर बगावत करता है और हम ऐसी चीजें मांगने लगता है जिसे हम होश में कभी सोच ही नहीं सकते हैं, रुचि को साधना की बात में दम लगने लगा, उसके शरीर में भी चिंगारी सुलगी थी उसके शरीर ने भी बगावत की थी मगर उसने दृढ़ता से उसे दबा दिया था, अभी भी उसका शरीर कभी कभी मचल जाता है शरद के रूप को सोचकर, मगर वो खुद को सम्हाल लेती है इस गड्डे में गिरने से, मगर आज साधना ने उसके मन के तारों को छेड़ दिया है वो भी ऐसे बोबे से बोबे मिलाकर वो पहली बार रोमांचित महसूस कर रही थी।
उसने साधना से पूछा अच्छा तूने अब तक कितना मजा किया है जरा ये भी बता, में तो खैर भोली हूं तू तो नहीं है न।
साधना ने सच में अभी तक किसी मर्द से कुछ नहीं किया है कॉलेज के दिनों में भी, लेकिन रुचि को रास्ते पर लाने के लिए उसने झूठ और वो भी मसालेदार बोलने का निर्णय लिया।
साधना बोली ऐसे नही,,,
रुचि फिर कैसे?
साधना ने गले लगे हुए हाय उसके कानों की लौ को धीरे धीरे जबान से टच करते हुए चाटा और नीचे मुंह ले जाते हुए उसकी गोरी और नाजुक गर्दन पर गिला चुम्बन देते हुए चूमने लगी, रुचि के तन बदन में एक आग ने प्रवेश कर लिया, उसे ऐसा होता था मगर इतनी तीव्रता से पहली बार हुआ, वो झटका खा गई और मुंह से निकला हाय ये क्या है साधना, तू ये क्या कर रही है, साधना बोली तेरा तेरे शरीर से परिचय करवा रही हूं ए नादान भोली औरत, तूने अपने सेक्सी शरीर को कितना बियाबान बना रक्खा है इसमें न कोई आग है न ही कोई छोटी सी चिंगारी। इतना खूबसूरत बदन लेकर भी तू साध्वी बनी घूम रही है अगर ये बदन मेरे पास होता तो मैं सच कहती हूं धूम मचा देती धूम और अपनी आग को और भयंकर दावानल में तब्दील कर सारे मर्दों को जलाकर उनका धुंआ उड़ा देती।
रुचि अब बहकने लगी थी, वो कांपती आवाज़ में बोली तू कुछ बताना चाह रही थी वो क्या है।
साधना समझ चुकी थी अब ये खुलने लगी है इसे पूरा खोलना होगा लेकिन सिर्फ मेरे पति के लिए, हे ईश्वर मुझे माफ करना मैं ये पाप सिर्फ अपने जान से भी प्यारे पति की इच्छा पूरी करने के लिए करने जा रही हूं, अब कोई इसे गलत या रुचि जैसी पतिव्रता की भ्रष्ट करने की साजिश कहे तो कहे, में तो अपने पति की एक सच्ची और उसकी इस रुचि को भोगने की तीव्र इच्छा को पूरा करने का प्रयास कर रही हूं, भगवान मुझे माफ करे और जो सजा देगा वो मुझे मंजूर है।

Bye till next narration,,,
Wah maja aa gya. Sadhna jaisa meri wife ne kiya tha lekin mere liye km aur uski saheli ke liye jyada
Likhte rahi.
 
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maleeba

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एपिसोड 5

रूचि का अब रंग बदलने लगा था, वह धीरे धीरें कामुक होने लगी थी उसका दिल उसके बस में नहीं आ रहा था अब साधना ने रूचि को जोरों से सीने से भींचतें हुए उसके गले में चुम्बनों की बरसात लगा दी कोई दो मिनिट तक चूमने के बाद वो उसके कान में धीरे से बोली कैसा लग रहा है मेरी जान रूचि कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थी उसने सिर्फ हूं कहा साधना समझ गई रंग चढ़ना शुरू हो गया है उसने धीरे से रूचि के ब्लाउज के बटन कोछुआ और हलके से खोलने की कोशिश की रूचि कसमसाई मगर कोई प्रतिरोध नहीं किया साधना ने पहला हुक खोला रूचि तड़प कर मचली और साधना के होठों पर अपने होंठ रख कर हल्के से चूमने की ओर बढ़ी साधना ने अगला हुक फिर अगला हुक और धीरे धीरे सारे हुक खोल दिए अब रूचि बुरी तरह से साधना के होठों को चूसने लगी थी उसकी आग ने रफ्तार पकड़ ली थी साधना यहीं तक नहीं रुकी उसने ब्रा के कप को निचे से पकड़ा और दोनों ही कपों को ऊपर की तरफ उलट दिया, रूचि की जागीर बाहर आ गई क्या ही आकार था विशाल उन्नत उभरे ज्यादा छुए हुए नहीं सफ़ेद मखमली भूरे कत्थई रंग लिए हुए चूचियां, साधना से रहा नहीं गया उसने दोनों हाथों से रूचि की चूचियां अंगूठे और दोनों उंगलियों के बिच पकड़ कर धीरे धीरे मसलना शुरू किया और रूचि को समझ नहीं आ रहा था उसे क्या हो रहा है बोबों का सोचे तो जैसे गुब्बारों में अजीब सी हिलोरे उठ रही थी बिना हिलाये ही दोनों बॉब्स अनजानी थिरकन से थिरकने लगे थे चूचियों की घूंडियां आहिस्ते आहिस्ते मसले जाने से नशीली तरगें शरीर में भरने लगी थी इतना मस्त और चुदास अहसास रूचि को आज तक नहीं हुआ था उसकी चुत आहिस्ते से कुछ ज्यादा रफ्तार से खुल बंद हो रही थी उसका clotris बिना छुए ही हिलने लगा था उसने दोनों जांघो को ताकत से भींच लिया था जैसे चुत को उबल कर बाहर आने से रोक रही हो.
अब साधना ने रूचि को बोला एक मिनट रुक और उसे छोड़ कर वो खड़ी हुई ओर अपना भी ब्लाउज और ब्रा को निकाल कर अलग रखा फिर रूचि के पास बैठकर उसकी ब्रा को भी हुक खोलकर कंधे से अलग करने के बाद रूचि की आँखों में देखती हुई बोली सोच रूचि यही काम तेरे साथ अगर कोई खूबसूरत हीरो कर रहा होता तो तुझे कैसा लगता, रूचि कुछ बोली नहीं सिर्फ वासना से भरी आँखों से साधना को देखती रही तभी साधना ने अपने बड़े बड़े बोबों को हाथ से पकड़ कर अपनी चूचियों को रूचि की चूचियों से टच करते हुए थोड़ा जोर से रागड़ाना चालू किया जो आनंद दोनों औरतें महसूस कर रही थी उसे कोई औरत पाठक ही समझ सकती है अब दोनों एक साथ मस्ती के आलम में चिहूंक रही थी रूचि ओह साधना और साधना अरी रूचि बोलकर वासना रस में डूबी जोरों से अपने बोबों को आपस में रगड़ रही थी, दोनों की चुतें समंदर के किनारे उठने वाले शोर की तरह तेजी से लप लपा रही थी, अब रूचि ने आगे बढ़ाते हुए साधना का निचे का नाड़ा पकड़ कर खींच लिया और उसके निचे के कपडे तेजी से खींच कर पैरों से अलग कर दिए, साधना कहाँ कम पड़ने वाली थी उसने भी झपट कर रूचि के सारे कपडे अलग कर दिए और रूचि पूर्ण नग्न अवस्था में साधना के सामने थी साधना ने रूचि को कंधे पर धक्का देकर पलंग पर पीठ के बल गिरा दिया और उसको दोनों तंगों को चौड़ा कर के अपना मुंह रूचि की बहती हुई चुत से लगा दिया और रूचि की चुत के clotris को जुबान की नौक से कुरेदने लगी रूचि के शरीर में आनंद की तरंगों ने धावा बोल दिया रूचि का शरीर बाढ़ मे हिचकोले खाती नय्या की तरह अंदर ही अंदर डोलने लगा जो ऊपर से दिखाई तो नहीं दे रहा था मगर उसे रूचि तीव्रतम रूप से झेल रही थी, अब रूचि ने अपने दोनों हाथों से रूचि की कठोर चूचियाँ दबोची और उन्हें जोरों से मसलती हुई उसकी चुत के छेद में मुंह डालकर उसके अमृत को सड़प सड़प पिने लगी साथ ही वो बीच बीच में clotris को भी छेड़ती जा रही थी अब सहना रूचि की शक्ति से बाहर हो चूका था वो जोरों से बदबाड़ाने लगी साधना साधना मैं आज मर रही हूं हाय दय्या है मम्मी ये औरत मेरी आज जान ले लेगी ओ मम्मी मेरी चुत मे ये कैसी खलबली मची हुई है आज तक तो ऐसा हुआ नहीं मर्रे साथ ये कौनसा असर मेरे शरीर मेरे बॉब्स और मेरी चुत पर हो रहा है हाय मम्मी ये साधना कैसा जादू मेरे साथ कर रही है उधर साधना समझ गयी आज रूचि की चुत ने पहली बार जवानी का रंग देखा है अब ये पूरी मेरे काबू में है तब वो मुंह चुत से उठाकर बोली रानी ये तो साधना तेरी जवानी को उबाल रही है सोच अगर यहाँ अमित ये सब कर रहा होता और मेरी जबान की जगह अमित का 9 इंच लम्बा और तीन इंच मोटा लन्ड तेरी चुत पर फेरा जा रहा होता तो तेरा क्या हाल होता मेरी नाजुक चुत वाली रानी रूचि, रूचि अब पूरी तरह चुदेल औरत के रूप में आ चुकी थी साधना मत पूछ मैं तो अमित के पैरों में अपनी गीली चुत हिलोरे मारते बोबे लेकर शर्म से गढ़ी पड़ी होती, साधना बोली आज अमित ने तुझे देखा और तुझ पे मर मिटा है और मुझसे तुझसे मिलाने की यानि तुझे चोदने की मिन्नतें कर रहा है बोल मेरी चुदासी सहेली रूचि क्या तू मेरे अमित का हालव्वि दमदार लन्ड अपनी इस कमसिन चुत में लेगी, और साधना फिर से चुत चाटने लगी और रूचि की घूंडियां मसलाने लगी रूचि अब खुद को रोक नहीं पाई और हाथ पैरों को पटकते हुए झरने की तरह बरसती हुई आनंद के सागर में हिचकोले खाती हुई बोली साधना अगर जो सच है तो मुझे ये सोचना पड़ेगा और झाम झम बरसती रही लगभग दो मिनट तक और निढाल होकर बिस्तर में पसर गई साधना की बांहों में l
Sadhna ne ruchi ka palat ke upar kr diya. Ruchi ki "JAAGIR" bahar aa gyi. Vishal unnat ubhare boobs. Waah mja aa gya. Sadhna ka jaadu Ruchi pr chl gya. Do hot aurate jb romance krti hai to mja aa jata hai. Environment erotic ho jaata hai
 
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Sumit1990

सपनों का देवता
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Dost story ke update ko character wise likha karo yaar taki padane aur samj me aaye tum ese update dete ho jese story ka disclaimer de raha ho....
 

mastmast123

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Dost story ke update ko character wise likha karo yaar taki padane aur samj me aaye tum ese update dete ho jese story ka disclaimer de raha ho....
Its my style I will write in this pattern only, I can't change myself for anyone. Sorry boss, you have to understand in this formet only or you may skip my story,,,,, pls, don't take it otherwise because writting in an individual,'s thought process and he puts his thought in to words, I can't change my mind because its given by God,,, sorry again,
 
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mastmast123

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EPISODE 6

कोई एक घंटा सोने के बाद रूचि की तंद्रा टूटी उसने देखा वो नंगी साधना की बांहों में सोई हुई है, वह उठी और अपने कपडे लेकर बाथरूम में घुस गई वहां उसने शावर लिया और फ्रेश फील करती हुई सारे कपड़े पहन कर बाहर आई, तब तक साधना भी कपड़े पहन कर बाहर ड्राइंग रूम में आकर बैठ गईथी, रूचि जब बाहर आई तो उसे देखकर साधना उठी और उसका हाथ पकड़ कर पास बिठाती हुई बोली रूचि कैसा लगा तुझे आज, मैं आज पहली बार तुझे अमित की नज़र से देख रही थी और आज मैंने तेरे सुन्दर मादक लचीले शरीर को दिल से महसूस किया और मैं उसमें खोकर उसमें डूब गई और बहक गई मुझे पता ही नहीं चला कब और कैसे तेरे साथ जवानी का खेल खेलने लगी और जब वो खेल शुरू हुआ तो अपने आप एक के बाद दूसरा होता गया और आखिरकार तुझे मैंने पूरा का पूरा भोग लिया, मुझे तो तेरे साथ बहुत मज़ा आया क्या तूने भी ऐसा ही मज़ा पाया यया नहीं...
रूचि बोली यार साधना ये मेरे जीवन का पहला अनुभव है और मैंने जो सुख पाया है शायद मैं उसे शब्दों में बयान न कार सकूं, मगर ये अद्भुत था थैंक्स डिअर सहेली साधना.
साधना बोली ये तो मैं एक औरत हूं यहीं आज तेरे साथ अमित होता तो तुझे मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि सौ गुना मज़ा आया होता।
रूचि शायद,
साधना तो मैं अब तेरी मुलाक़ात अमित से करवाउंगी कल या परसों, तू तैयार है ना,,,
रूचि नहीं नहीं अभी नहीं, मैंने इस बारे में अभी तय नहीं किया है, मैं तुझे बताउंगी बाद में, इतना कह कर रूचि झटके से उठी और बिना कुछ बोले उसके घर से निकल गई और अपनी कार लेकर अपने घर आ गईं।

घर आकार वो सीधे बेडरूम में गई और लेटकर सोचने लगी कि जो हुआ वो क्या हुआ, साधना के साथ तक तो फिर भी ठीक है लेकिन अमित के साथ हमबिस्तऱ होना,,,,,,,,,कभी नहीं,,,,,,, मैंने जो किया वो मुझे नहीं करना चाहिए था, उसे साधना का बार बार अमित के साथ सोने के लिए उकसाना, अब जब कि वासना का ज्वार उतर चूका था, उसे उचित नहीं लग रहा था और ये सोच सोच कर रूचि को आत्मग्लानि होने लगी, वो सोचने लगी मैं कैसी होने जा रही हूं मैं शरद को कैसे धोखा दे सकती हूं ये मेरे लिए मरने के समान है, उसे खुद पर गुस्सा भी आ रहा था वो सोचने लगी कैसे मैं साधना के हाथ की कठपुतली बनकर उसके इशारे पर हर वो कुछ करने लगी जैसा वो चाहती रही, धिक्कार है मुझे। अब मैं साधना से कभी नहीं मिलूंगी उसके घर भी नहीं जाउंगी। ऐसा दृढ निश्चय रूचि ने कर लिया तब उसके मन को कुछ शांति मिली।
 
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