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रुखसाना बड़े गौर से नज़ीला की दास्तान सुन रही थी जो हूबहू उसकी खुद की ज़िंदगी की कहानी थी। नज़ीला ने आगे बताया, "वो दिन मुझे आज भी अच्छे से याद है... अब्बास ऑफिस जा चुके थे... सलील को नाश्ता देने के बाद मैं आफ़्ताब को उठने के लिये गयी... वो तब तक सो रहा था... मैं जैसे ही कमरे में गयी तो मैंने देखा कि आफ़्ताब बेड पर बेसुध सोया हुआ था और वो सिर्फ़ अंडरवियर में था। उसका अंडरवियर सामने से उठा हुआ था और उसका लंड उसके अंडरवियर में बुरी तरह तना हुआ था... मेरी तो साँसें ही अटक गयीं... उस दिन से पहले मैं आफ़्ताब को अपने बेटे जैसा ही समझती थी पर उसके अंडरवियर के ऊपर से उसका तना हुआ लंड देख कर मेरे जिस्म में झुरझुरी से दौड़ गयी... उसका लंड पूरी तरह तना हुआ अंडरवियर को ऊपर उठाये हुए था... मैं एक टक जवान हो रहे अपने भाँजे के लंड को देख कर गरम होने लगी... पता नहीं कब मेरा हाथ मेरी सलवार के ऊपर से मेरी चूत पर आ गया और मैं उसके अंडरवियर में बने हुए टेंट को देखते हुए अपनी चूत मसलने लगी... मेरी चूत बुरी तरह से पनिया गयी... मेरा बुरा हाल हो चुका था... तभी बाहर से सलील के पुकारने की आवाज़ आयी तो मैं होश में आयी और बाहर चली गयी। आफ़्ताब गर्मियों की वजह से शॉर्ट्स पहने रहते था।"
"मेरे जहन में बार-बार आफ़्ताब का वो अंडरवियर का उभरा हुआ हिस्सा आ रहा था... उसी दिन दोपहर की बात है... आफ़्ताब, मैं और सलील उस वक़्त मेरे ही बेडरूम में टिवी देख रहे थे क्योंकि हमारे बेडरूम में ही एयर कंडिशनर लगा हुआ है। टिवी देखते हुए हम तीनों बेड पर लेटे हुए थे। बाहर बहोत तेज धूप और गरमी थी और एक दम सन्नाटा पसरा हुआ था। बेडरूम में खिड़कियों पर पर्दे लगे हुए थे और डोर बंद था... बस सिर्फ़ टीवी की हल्की रोशनी आ रही थी जिस पर आफ़्ताब लो-वॉल्युम में कोई मूवी देख रहा था। मैं सबसे आखिर में दीवार वाली साइड पे लेटी हुई थी। इतने में टीवी पे एक रोमांटिक उत्तेजक गाना आने लगा जिसमें हीरो-हिरोइन बारिश में भीग कर गाना गाते हुए एक दूसरे से चिपक रहे थे। हिरोइन का व्लाऊज़ बेहद लो-कट था जिस्में से उसकी चूचियाँ बाहर झाँक रही थीं।"
"मेरे जहन में बार-बार आफ़्ताब का वो अंडरवियर का उभरा हुआ हिस्सा आ रहा था... उसी दिन दोपहर की बात है... आफ़्ताब, मैं और सलील उस वक़्त मेरे ही बेडरूम में टिवी देख रहे थे क्योंकि हमारे बेडरूम में ही एयर कंडिशनर लगा हुआ है। टिवी देखते हुए हम तीनों बेड पर लेटे हुए थे। बाहर बहोत तेज धूप और गरमी थी और एक दम सन्नाटा पसरा हुआ था। बेडरूम में खिड़कियों पर पर्दे लगे हुए थे और डोर बंद था... बस सिर्फ़ टीवी की हल्की रोशनी आ रही थी जिस पर आफ़्ताब लो-वॉल्युम में कोई मूवी देख रहा था। मैं सबसे आखिर में दीवार वाली साइड पे लेटी हुई थी। इतने में टीवी पे एक रोमांटिक उत्तेजक गाना आने लगा जिसमें हीरो-हिरोइन बारिश में भीग कर गाना गाते हुए एक दूसरे से चिपक रहे थे। हिरोइन का व्लाऊज़ बेहद लो-कट था जिस्में से उसकी चूचियाँ बाहर झाँक रही थीं।"