रुखसाना ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और बाहर आ गयी। जैसे ही वो बाहर आयी तो उसे नज़ीला ऊपर आती हुई नज़र आयी। नज़ीला उसके पास आकर बोली, "यार वो सानिया पूछ रही थी कि अम्मी को इतना वक़्त क्यों लग गया ऊपर... और ऊपर आने को हो रही थी... मैंने उसे मुश्किल से रोका है सॉरी यार!"
रुखसाना मुस्कुराते हुए बोली, "कोई बात नहीं नज़ीला भाभी... आप जिस काम के लिये आयी थी वो तो हो गया!" नज़ीला ने पूछा, "क्या हो गया... पर तू तो अभी बाथरूम से बाहर आ रही है... इतनी जल्दी...?" नज़ीला के कान में फुसफुसाते हुए रुखसाणा बोली, "मैं जब ऊपर आयी थी तो सुनील अंदर नहा रहा था... उसने मुझे अंदर ही खींच लिया..!" नज़ीला ने शरारत भरी मुस्कुराहट के साथ पूछा, "तो बाथरूम में ही तेरी फुद्दी मार ली उसने... कैसे?" रुखसाना शर्माते हुए बोली, "वो मुझे अपनी गोद में ऊपर उठा कर!"
"क्या खड़े-खड़े ही तुझे उठा कर चोद दिया... वाह... काश हमारी भी किस्मत ऐसे होती... तू कहे तो मैं सानिया को अपने घर ले जाऊँ.!" नज़ीला ने पूछा तो रुखसाना ने कहा कि उसकी जरूरत नहीं क्योंकि सुनील नाइट-ड्यूटी पे जा रहा है जबकि सुनील तो नफ़ीसा के घर उसके साथ अपनी रात रंगीन करने जा रहा था। फिर दोनों नीचे आ गयी। नज़ीला कुछ और देर बैठी फिर वो अपने घर चली गयी। रुखसाना ने महसूस किया कि सानिया उसकी तरफ़ थोड़ा अजीब नज़रों से देख रही थी। रुखसाणा ने तो कुछ ज़ाहिर नहीं होने दिया लेकिन रुखसाना की लिपस्टिक मिट चुकी थी और उसकी सलवार- कमीज़ पे भी कईं जगहों पे भीगने के निशान सानिया के दिमाग में शक पैदा कर रहे थे।