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सानिया: "ओहहहह सुनील... ये तुमने मुझे क्या कर दिया है!"
सुनील: "ऊँहह सानिया मेरी जान... बहुत दिनों बाद आज तुम मेरे हाथ आयी हो..!"
सानिया: "लेकिन सुनील... नज़ीला आँटी आने वाली होंगी.. अम्मी ने नज़ीला आँटी को फ़ोन करके कहा है कि वो मुझे अपने साथ अपने घर सुला लें!"
सुनील: "ओह ये क्या बात है... साला आज इतना अच्छा मौका था..!"
सानिया: "अब मैं क्या कर सकती हूँ... मैं तो खुद तुमसे मिलने के लिये तड़प रही थी...!"
तभी नज़ीला ने डोर-बेल बजा दी तो सुनील और सानिया दोनों हड़बड़ा गये। सुनील जल्दी से ऊपर चला गया। सानिया ने खुद को ठीक किया और दरवाजा खोला तो सामने नज़ीला खड़ी थी, "सानिया क्या कर रही थी?"
सानिया: "कुछ नहीं आँटी... पढ़ रही थी.!"
नज़ीला: "अच्छा वो लड़का जो ऊपर किराये पे रहता है आ गया क्या?"
सानिया: "हाँ आँटी!"
नज़ीला: कहाँ है वो?
सानिया: "ऊपर है... अपने कमरे में!"
सुनील: "ऊँहह सानिया मेरी जान... बहुत दिनों बाद आज तुम मेरे हाथ आयी हो..!"
सानिया: "लेकिन सुनील... नज़ीला आँटी आने वाली होंगी.. अम्मी ने नज़ीला आँटी को फ़ोन करके कहा है कि वो मुझे अपने साथ अपने घर सुला लें!"
सुनील: "ओह ये क्या बात है... साला आज इतना अच्छा मौका था..!"
सानिया: "अब मैं क्या कर सकती हूँ... मैं तो खुद तुमसे मिलने के लिये तड़प रही थी...!"
तभी नज़ीला ने डोर-बेल बजा दी तो सुनील और सानिया दोनों हड़बड़ा गये। सुनील जल्दी से ऊपर चला गया। सानिया ने खुद को ठीक किया और दरवाजा खोला तो सामने नज़ीला खड़ी थी, "सानिया क्या कर रही थी?"
सानिया: "कुछ नहीं आँटी... पढ़ रही थी.!"
नज़ीला: "अच्छा वो लड़का जो ऊपर किराये पे रहता है आ गया क्या?"
सानिया: "हाँ आँटी!"
नज़ीला: कहाँ है वो?
सानिया: "ऊपर है... अपने कमरे में!"