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मम्मी ने पैंतरा बदला, वो उठ बैठीं और सीधे ‘उनके’ हाथ मोड़कर तेजी से तकिये के नीचे दबा दिए और बोली- “
"हिलना मत…”
एकदम सख्त लहजें में वो बोलीीं और अपनी दोनों जाँघे फैला के सीधे उनके चेहरे के ऊपर बैठ गयीीं।
उनकी ‘रामप्यारी’ पे छोटी-छोटी झांटो का गुच्छा था, जो गोरी गुलाबी जाँघों के बीच बहुत खूबसूरत लग रह था।
‘इन्होंने’ जो हरकत वहां की थी, बस दो तार की चासनी जैसा गाढ़ा रस रह-रह के टपक रहा था।
“बस चुपचाप लेटे रहो, अच्छे बच्चे की तरह। जरा भी मत हिलना बस जैसे बोलूं वैसे करना…”
मम्मी ने इंस्ट्रक्शन दिया ।
और उन्होंने आज्ञाकारी बच्चे की तरह से हामी में सर र्हलाया।
"मुंह खोल, चूस साले, मादरचोद…”
मम्मी ने उनके खुले मुूँह पे अपनी बुर को रगड़ते हुये बोला।
और उन्होंने खूब जोर-जोर से चूसना शुरू कर र्दया।
“हाूँ ऐसे जीभ अंदर डाल, मादरचोद…”
मम्मी ने एक बार जाँघों को थोड़ा ऊपर उठा के अपनी बुर कीफांको को फैलाते हुए कहा।
और जोर से उनके ऊपर बैठते हुए अपनी मोटी-मोटी जाींघों से उनके सर को कस के दबोच लिया ।
वो एक सूत भी सर नहीं हिला सकते थे।
“चाट मादरचोद चाट,देखूं मेरी समधन छिनार ने क्या है अपने मुन्ने को। भोंसड़ी के ,अंदर डाल जीभ, रंडी के जने…”
और जिस तरह से वो सपड़-सपड़ चाट रहे थे,
लग रहा था मम्मी की गालियों से उनका जोश और दूना हो रहा है।
और मम्मी भी उन्हें तंग करने पे तुली थीीं। अब उनका एक हाथ सीधे ‘उनके’ पे और अपने बड़े-बड़े नाखूनों से उसे वो जोर-जोर से चकोटी काट रही थीीं।
डंडा उनका एकदम तन्नाया था।
“मस्त चाटता है तू, लगता है समधन ने बचपन से ही ट्रेनकिया है, एकदम पक्का चूत चटोरा।
और जोर से मादरचोद, हाूँ हाूँ…”
मम्मी के चेहरे से लग रहा था कक उन्हें जबरदस्त मजा आ रहा है लेकिन उन्होंने गियर चेंज कर दिया ।
और खुद दोनों हाथ से उनका सर पकड़ के जोर-जोर से धक्के मार रही थीीं जैसे उनका मुूँह चोद रही हों।
उनकी आूँखों में मस्ती का नशा छाया हुआ था, और उन्होंने मुझे इशारा किया
मैं खुद खड़ा लण्ड देखकर ललचा रही थी
बस, मेरी ललचायी जीभ ने नीचे पेल्हड़ से (बाल्स) यात्रा शुरू की।
पहले बस जीभ की नोक लगायी और धीरे-धीरे उसे सपड़-सपड़ चाटना शुरूकिया ।
और कुछ ही देर में एक बाल मेरे मुूँह में, मैं उसे रसगुल्ले की तरह चूस रही थी।
और मेरा हाथ उनके गोल गुदाज चूतड़ों को सहला रहा था, दबा रहा था।
एक ऊूँगली सीधे गाण्ड के छेद पे, उन्हें जैसे करेंट लग गया।
मम्मी ने मुश्कुरा के तारीफ से मेरी और देखा और अपने मुंह के धक्के की रफ्तार तेज कर दी।
वो जोर-जोर से उनके मुंह पे अपना भोंसड़ा रगड़ रही थी।
मेरी जीभ अब मस्त चाटते हुए उनके चर्म दंड पे टहल रही थी,
और अचानक एक बाज की तरह मैंने उनके सुपाड़े को अपने होंठों में दबा लिया,
लेकिन थोड़ी देर तड़पाने के बाद, मेरे होंठों ने उनका चमड़ा सरकाया, और सुपाड़ा खोल दिया मोटा, पहाड़ी आलू जैसा पगलाया।
लेकिन आज तो मैं और मम्मी मिल के उन्हें तंग करने के ही मूड में थे।
मैंने मुूँह ऊपर उठा लिया और मेरीउँगलियाँ लण्ड के बेस को जोर से दबाने लगी और किर मेरी जुबान की नोक ने,
उनके सुपाड़े के पी होल, पेशाब के छेद में सुरसुरी कर दी। लण्ड एकदम गनगना गया।
उनका मन कर रहा था की बस मैं एक पल के लिए सुपाड़ा चूस लूूँ, चुभला लूूँ।
मम्मी उनकी प्यास समझ रही थी। एक पल के लिए उन्होंने जाँघे थोड़ी फैलायीं , चूतड़ थोड़े ऊपर किये और बोली-
“क्यों बहुत मन कर रहा है न, दे दे बेटी। लेकिन उसके पहले चल मेरी गाण्ड चाट
ऐसे ऊपर से नहीीं, जीभ पूरी तरह गाण्ड के माल तक अंदर जानी चाहिए , पूरी लसलस , तब मिलेगी , क्यों?
और उन्होंने मुझे आँख मार दी।
किर उन्होंने अपनी गाण्ड दोनों हाथों से खूब फैलाई और गाण्ड का छेद सीधे उनके मुूँह पे,
और मम्मी ने मुझे ग्रीन सिग्नल दे दिया।
वो जोर-जोर से गाण्ड चाट रहे थे, चूस रहे थे और मम्मी के चेहरे को देखकर लग रहा था की
अब जीभ गाण्ड के अंदर घुस गयी है, गोल-गोल अंदर तक घूम रही है।
“ओह मादरचोद, आह… उह्ह… समधन ने बढ़िया सिखाया है, जीभ थोड़ा और अंदर,
हाँ रंडी के जने, भूँड़वे की औलाद और जीभ घुसा, हाूँ बस अब गोल-गोल,
पूरा-पूरा मक्खन चाट ले तब समझूंगी नम्बरी पैदायशी खानदानी मादरचोद, अब ससुराल में मैं और मेरी बेटी तुझे इसी नाम से …”
उनके होंठ एकदम मम्मी की गाण्ड से चिपके थे जैसे फेविकोल लगा हो।
और अब मैं भी खूब मजे से गन्ना चूस रही थी, एक साथ माँ बेटी का मजा।
मम्मी लगता है झड़ने के कगार पे पहुूँच गयी थी, लेकिन वो उठ गयीं और मुझे भी हटने का इशारा ककया।
लण्ड अब उनका पागल हो रहा था मस्ती से बौराया। एकदम टनाटन था।
मुझे लगा शायद वो अब उस पे चढ़ के चोदेंगी, लेकन मम्मी तो मम्मी थी।
पहले तो उन्होंने उन्हें खूब धमकाया,हिलना मत जरा सा एक दो तमाचे भी प्यार से गाल पे मारे।
मम्मी को मालूम था की उनका दामाद उनके जोबन का दीवाना है।
बस अपने दोनों हाथों में अपने 38डीडी के उभारों को लेकर उन्हें दिखा के के सहलाया, मसला, और दोनों हाथों में ले उन्हें ललचाया।
अगर मम्मी का सख्त हुक्म नहीं होता ऐसे लेटे रहो तो… फिर तो…
उसके बाद मम्मी ने वो किया जो न मैं सोच सकती थी न ‘वो’।
उन्होंने अपने दोनों मस्त मम्मों के बीच लण्ड को पकड़ ललया और जकड़ के, खूब जोर-जोर से उन्हें
चूची चोदन का मजा देने लगीीं।
“उह… ओह… अह्ह्ह… नहीींई… ओह्हह्हह्हह्हह… ”
वो सिसकी ले रहे थे मजे से चूतड़ उचका रहे थे।
लगा जब वो कगार पे पहुूँच गए तो मम्मी ने एक पल केलिए अपनी मस्त कड़ी कड़ी गोल गोल गोरी गदरायी चूँचियाँ हटा ली
और किर एक हाथ से जोर से उनके सख्त लण्ड को पकड़ा और अपने कड़ेसख्त निपल को सीधे उनके पी हाल में, पेशाब के छेद में डाल के…
मस्ती से वो और जैसे ये काफी नहीं था , मम्मी ने अपनी ऊँगली की एक टिप सीधे उनके पिछवाड़े ,...
हचक कर , पूरी कलाई के जोर से , एक पोर तक पूरा अंदर पेल दिया
थोड़ी देर इसी तरह तंग करने के बाद मम्मी ने छोड़ा और अब मम्मी सीधे उनके तने, कड़े, खड़े लण्ड के ऊपर,
दोनों हाथों से उनकी कमर पकड़ के जैसे कोई तगड़ा मर्द किसीनयी नवेली सुकुमार कन्या की ले रहा हो।
थोड़ी देर अपनी रसीली बुर फैला के उन्होंने सुपाड़े पे रगड़ा।
वो चूतड़ उचका-उचका के दिल की बात बात कह रहे थे।
मम्मी बिचारी कितनी देर अपने दामाद को तड़पाती, उनकी कमर को पकड़ के एक जोर का धक्का मारा, उतना तगड़ा जैसे कोई कच्ची कुँवारी कली की सील तोड़ रहा हो और गप्प से सुपाड़ाअंदर ।
लेककन मम्मी को तो तड़पाने में मजा आ रहा था।
थोड़ी देर तड़पाने के बाद मम्मी ने उन्हें चोदना शुरू कया। क्या कोईमर्द चोदेगा।
और साथ में ललचाना भी। वो अपनी दोनोंबड़ी बड़ी सख्त गोरी रसीली मांसल चूचियां बार-बार उनके मुूँह के पास ले जा के ललचाती और जब वो सर उठा के निपल चूसने की कोशिश करते थे तो वो हटा लेती थीीं।
बार-बार छेड़ने और तंग करने से ‘वो’ और जोश में आ रहे थे।
मम्मी ने उनके दोनों कन्धों को हाथ से दबा के पूछा-
"बोल, चाहिए क्या?
“हाूँ… मम्मी हाूँ दो न बहुत मस्त है जोबन आपके…”
वो गिड़गिड़ाए
उनके छाती पे अपनी ग़द्दर चूचियां जोर-जोर से रगड़ते मम्मी ने छेड़ा-
"हे बोल, भूँड़वे, तेरी माूँ को गदहे चोदें, अपनी महतारी और बाप की बहन के अलावा और
किसको किसको अपने घर में चोदा?
वो थोड़ा सा मुश्कुराये और किर मुझे देखकर मेरी ओर इशारा करके कुछ हिचकिचाते हुए कबूल कर लिया
मेरी तो फट के हाथ में आ गयी। बड़ी ननद को भी, मम्मी ने आज क्या-क्या पता लगाया।
मम्मी ने किर पूछा-
“क्यों शादी के पहले चोदी थी, या…”
मम्मी की काट के वो जोर से मुश्कुराते बोले-
“मैंने कित्ता बोला बोला वो नहीं मानी बोली- “शादी के बाद भैया, चाहे जितनी बार ले लो… "
चोदा तो शादी के बाद, लेकिन उसके पहले मेरे हथियार की की दीवानी थी वो।
स्कूल से हम दोनों साथ आते थे,
और आते ही कपड़े बाद में बदलते थे, वो मेरी नेकर खोल के, सीधे मुूँह में लेकर जबरदस्त चूसती थी।
पूरी मलायी गटक लेती थी।
मैं भी उसकीस्कर्ट उठा के चूसता, कम से कम दो बार पानी निकालता था उसका।
सब कुछ करवाती थी। लण्ड चूत पे रगड़वाती थी, गाण्ड पे रगड़वाती थी लेकिन बस अंदर नहीं घुसेड़ने देती थी , चूत के ऊपर से तो खूब रगड़ता था लंड मैं , बस अंदर नहीं घुसेड़नी देती थी।
मैं भी उसकी शादी के चार दिन बाद हमारे यहाँ भाई चौथी लेकर जाता है बस, मैंने उसी के बिस्तर पे पे पटक के पेल दिया ।
फिर तो क्या मायका क्या ससुराल,
और जीजू का थ्रीसम का मन था
तो कई बार तो मैंने और जीजू ने मिल के के उसकी सैंडववच बनायी…”
मैं भी सोच-सोच के मुश्कुरा रही थी।
तभी तो ननदोई जी और ये इतने ज्यादा खुले हैं।
मेरे भाई की दोनों ने मिल के गाण्ड मारी।
और अब छुटकी का प्लान है, ननदोई जी का तो है भी खूब मोटा, अब बस मैं भी इनके और ननदोईजी के साथ सैंडववच बनूूँगी
इसी बीच मम्मी ने अगला सवाल पूछ दिया -
"और इसकी छोटी ननद?"
उन्होंने जो जवाब दिया उससे मुझे भी पड़ी और उन्हें भी।
मम्मी ने हड़काया- “छोटी, मतलब…”
वो कुछ हिचकिचाते बोले-
“छुटकी से दो चार महीने छोटी होगी…”
मम्मी ने और जोर से हड़काया-
“बुद्धू हो तुम। इसका मतलब वो कब की चुदने लायक हो गयी है… तुम क्या सोचते हो तेरी स्साली छुटकी चोदने लायक नहीं हुयी है अभी , ”
मम्मी का गुस्सा मेरी ओर-
“छोटी ननदों को फुसलाने ,, पुचकारने, पटाने का काम किसका है? भाभी का न।
तो सारी गलती तेरी है। अपने तो रोज रात, बिना नागा, उसके भाई का लण्ड गपागप घोंटती हो और चिंता है है तुम्हें छोटी ननद की, उसके भी तो खुजली मचती होगी।
बेचारी बैगन, मूली, खीरे से काम चलाती होगी। तेरी जिम्मेदारी है उसकी सील तुड़वाने की…”
मैं मम्मी को उनके सामने कैसे बताती की उसकी सील तो ऐन होली के दिन मेरे भाई ने तोड़ दी।
और उसके बाद उस ख़ुशी में मैंने उसे पाव भर अपनी कुप्पी से सीधे सुनहला शरबत भी पिलाया .
मम्मी किर चालू हो गयीं
“सुन भाभी का फर्ज है की अपनी ननद की कच्ची चूत में से अपने सैंया का , उसके भइया का लण्ड, अपने हाथ से पकड़ के डलवाये। ननद को पुचकारे, समझाए, थोड़ा जोर जबरदस्ती करे। अरे कच्ची कली है, नया माल है तो थोड़ा, पटाना,फुसलाना , मनाना , बहलाना … यही तो काम है भाभी का। सुन, ससुराल पहुूँच के रंगपंचमी के पहले, दामाद जी का अपनी छोटी ननद के , एक दो बार तू चुदवा देगी उसके बाद तो खुद ही उसकी चूत में चींटे काटेंगे…”
“एकदम मम्मी…” मैंने तुरंत हामी भरी।
और अब मम्मी का रुख उनकी ओर मुड़ गया-
“ये तो बेवकूफ है, लेकिन देखो इसीलिए तुम्हारे सामने बोल रही हूूँ। अगर ये जरा भी गड़बड़ करे न तो मुझे बताना। अब तुम सोचो न, तुम दोनों का फायदा है। तुम्हारी बड़ी बहन तो कुछ दिन बाद ससुराल चली ही जायेगी।
और इसके भी महीने मेंपांच दिन तो छुट्टी के, तो क्या करोगे उन पांच दिन में, जवान हो, हथियार भी जबरदंग है , मस्त टनाटन है तो, वो इसकी छोटी ननद पटी रहेगी तो काम चलेगा न।
उन पांच दिनों में में उसका बाजा बजाना। मैं तो कहती हूूँ कुछ दिन उसे उसे अपने पास, सुला…
सब खेल तमाशे सीख जायेगी…”
और इसी के साथ मम्मी की चूत जो खेल तमासे कर रही थी वो मैंने पढ़ा, सुना था, लेकन देखा नहीीं था।
नट क्रैकर, जी बस काम सूत्र में पढ़ा था। इसमें औरत लिंग को पूरी तरह अन्दर लेने के बाद, बजाय धक्के लगाने के अपनी चूत की मसल्स सकोड़ती हैं, वो भी इस तरह की सबसे पहले, चूत के सबसे बाहरीभाग की मसल्स सिकुड़ेगी कस के , निचोड़ते हुए । जिससे लण्ड के बेस पे दबाव पड़ेगा और किर धीरे-धीरे, और ऊपर की ओर… दस सेकेन्ड के अन्दर वो पूरे लण्ड को नचोड़ के रख देगी।
और दुबारा लण्ड के बेस से सुपाड़े तक, एक लहर की तरह।
मुझे मम्मी की चूत की मसल्स की स्ट्रेन्थ अच्छी तरह मालूम है। एक बार उनकी चूत में मैंने ऊूँगली की थी, पूरी ।
और उन्होंने जरा सा यही कया और मुझे लगा की मेरी ऊूँगली की हड्डी टूट जायेगी। कोई नारमल मर्द होता तो दो तीन मनट में पानी फ़ेंक देता, ये तो ‘ये’ थे जो बिना रुके , पूरी रफ़्तार से , आधे घंटे तक पूरी स्पीड से चोद सकते थे।
पतानहीं ‘नट क्रैकर’ का कमाल था या जिस तरह मम्मी मेरी छोटी ननद के बारे में बातें कर रही थीीं, उससे उनको जो जोश चढ़ा था। बाजी पलट गयी।
अब वो ऊपर और मम्मी नीचे।
लेकन ये पोज थोड़ी देर रहा, फिर तो उनका फेवरिट पोज, डागी स्टाइल,
मम्मी को कुतिया बना के उन्होंने एक बार में भर अपना,बित्ते से भी लम्बा मेरी कलाई से भी मोटा लण्ड, ठूंस दिया जड़ तक।
फिर तो क्या कुत्ते कुतिया चुदाई चुदाई करते होंगे। हचक-हचक के।
और जब वो रुक जाते तो मम्मी, उनसे दूने जोर से, अपने मोटे-मोटे चूतड़ से पीछे की ओर धक्के मारतीीं। चोदते समय भी उनकी निगाहें मम्मी के चूतड़ों से चिपकी थीं , सहलाती ललचाती।
मैं देख-देख के झड़ गयी।
लेकन जब वो झड़े, तो एक बार फिर मम्मी उनके नीचे दबी हुई ।