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लेकिन जब वो झड़े, तो एक बार किर मम्मी उनके नीचे दबी हुई थीं।
मम्मी और वो साथ-साथ झड़े।
और कम से कम दो अूँजुरी भर गाढ़ी, थक्केदार मलायी निकली होगी। मम्मी की कुंइया एकदम ऊपर तक भरी छलछला रही थी ,
अपने दामाद के वीर्य से लबरेज़ , कुछ तो छलक कर , बहते हुए ,... उनकी गोरी मांसल जाँघों पर भी ,
थोड़ी देर तक वो दोनों अखाड़े थके पहलवानो की तरह पड़े रहे, फिर मम्मी ने मुझे देखा, और इनसे इशारा किया की वो बगल में रखी कुसी पर बैठ जाएँ
और मुझसे अपनी फैली के बीच भरी मलायी की ओर इशारा करते, बोला-
“अरे, तेरा ही माल है, देख क्या रही है। गपक ले…”
मुझे दुबारा कहने की जरूरत नहीं थी।
क्या मस्त क्रीम -पाई थी। और मैं सपड़-सपड़ चाटने लगी।
पहले मम्मी की जाँघों पे लगी, लपटी, चुपड़ी मलायी चाटी, फिर बुर के बाहर लगी, लिथड़ी ।
फिर जीभ अंदर डाल कर सीधे मम्मी की बुर में से , एक बूँद मैं नहीं छोड़ने वाली थी
इनकी मलाई तो मैं कितनी बार गपक चुकी थी
लेकिन अपनी मॉम के भोंसडे में से उनके दामाद की मलाई , ... आज स्वाद दस गुना बढ़ गया था
मैं भी तो मम्मी की बेटी थी। लगे हाथ मेरी जीभ, मम्मी की क्लिट भी चाट लेती थी, जीभ की टिप से खड़े उत्तेजित दाने को छेड़ देती थी।
और असर मम्मी पे जबरदस्त हुआ।
मारे जोश के वो किर नीचे से चूतड़ उचकाने लगी, उनकी बड़ी-बड़ी चूँचियाँ पथराने लगीीं, निपल किर से कड़े हो गए।
मैं उनकी बुर को अंगूठे और तरजनी से फैला के के, अंदर जीभ डाल के मलायी पूरी की पूरी गपक करने ही वाली थी, की मम्मी ने रोक दिया
उनकी आूँखें अपने दामाद पे लगी थी।
हम लोगों की ‘प्रेम लीला’ देखकर उनका खूंटा किर से तन्ना गया था,
एकदम 9 इंच का खड़ा, मेरी कलाई से भी ज्यादा मोटा , बौराया।
मम्मी ने मुश्कुरा के मुझसे बोला-
“तू अकेले-अकेले खा पी रही है, और मेरा बेचारा दामाद बैठ के टुकुर-टुकुर देख रहा है, जबकी अभी उसने इतनी मेहनत भी की है…”
किर उनकी ओर मुूँह करके मम्मी ने पूछा-
बीयर पीते हो न?
“अरे मम्मी नेकी और पूछ-पूछ…”
हूँस के उन्होंने बोला।
मम्मी उठ के निकली लेककन दरवाजे के पास से रुक के बोलीीं-
“कोई बदमाशी नहीीं तुम दोनों की… और हाँ (आपने दामाद से बोली) हाथ भी मत लगाना उसे, वरना हाथ बाँध दूंगी , खबरदार , छूना भी मत उस मस्त मूसल को , ससुराल में इसपर हक़ सिर्फ साली , सलहज और सास का है …”
हम लोग वैसे ही रहे।
मैं उनके तन्नाये लण्ड को देखती रही, लेकिन आँखों ही आँखों उन्होंने अपने दिल की बात कह दी।
बस मैं किसी तरह उन्हें मम्मी की गाण्ड दिलवा दूूँ।
और मेरी आँखों ने भी हामी भर दी।
मेरे लिए मेरे पिया की इच्छा सबसे ऊपर,
और तब तक मम्मी आयी,
बीयर का बड़ा सा मग (कम से कम दो कैन) और ऊपर खूब झाग आलमोस्ट बहता हुआ,
और अपने दामाद को उन्होंने मग पकड़ा दिया ।
लेककन जिस तरह उन्होंने घुसते हुए जबरदस्त आँख मुझे मारी थी ये साफ़ था की
उसमें कम से कम आधा तो मेरी मम्मी की ‘परसनल बीयर' उनकी 'सुनहली शराब’ उसमें मिली थी।
अब तो उनका नशा दूना होना था।
सास की ‘शराब’ पी के।
मैंने किसी तरह अपनी मुस्कराहट रोकी।
मेरी ससुराल में मेरी होली की शुरुआत भी
तो मेरी सास की 'सुनहली शराब ' सुबह सुबह पी के हुयी थी , और सिर्फ मेरीअपनी सास की नहीं , मेरी चचिया सास , गाँव के रिश्ते की सास ,
आधा दर्जन से ऊपर सास लोगों की 'सुनहली शराब ' ,मैंने होली के दिन सुबह सुबह ,...
तो ये भी अपनी सास का , अपनी ससुराल में ,
मैंने मम्मी की चूत फैला के मलायी खाना शुरू किया ,
लेकन अबकी 69 की पोज में,
मम्मी ऊपर मैं नीचे।
मम्मी ने उन्हें चेताया-
“हे जल्दी बियर ख़तम करो। अगर बियर ख़तम होने के पहले, हम में से कोई झड़ गया न, तो बस गाण्ड मार लेंगे तुम्हारी…”
मैंने मम्मी के कान में हलके से बोला
"-लेकिन अगर बीयर पहले ख़तम हो गयी तो?
मम्मी ने धीरे से हड़काया-‘चुप’
मैं उनकी ट्रिक समझ रही थी।
जल्दी के चक्कर में उन्हें इस बात का ध्यान नहीीं रहेगा की बीयर की काकटेल में क्या मिला है?
मम्मी की असली ‘सुनहरी बीयर ' मम्मी की झांटों से छानकर ’।
मैंने मम्मी की बुर के अींदर अपनी जीभ पूरी घुसेड़ ली।
एकदम अंदर तक मलायी भरी थी। इन्होंने पिचकारी सीधे मम्मी की बच्चेदानी पे मारी थी। एकदम लबरेजथी मम्मी की बुर, और मेरे तो मजे हो गए सपड़-सपड़ चाट रही थी।
और साथ में मम्मी की रस मलायी भी।
थोड़ी देर में मम्मी पे भी चूत चटाई का नशा चढ़ने लगा और मुझ पे भी।
चूत चाटने के साथ मैंने उनकी क्लिट भी चूसनी शुरू कर दी।
वो हम दोनों की चूत चटाई देख रहे थे। मजे से।
बीयर ख़तम होने के कगार पे थी पर उनका ध्यान बीयर पे एकदम नहीीं था।
मैंने देखा की वो मेरे चेहरे की ओर देख रहे थे, लेकिन कुछ देर में समझ गयी।
69 में मैं नीचे थी और मम्मी ऊपर,
और मेरे चेहरे के ठीक ऊपर मम्मी के बड़े-बड़े चूतड़ ऊपर-नीचे हो रहे थे,
वो उसे देख रहे थे, और ललचा रहे थे।
और मैं उन्हें ललचाता हुये देख रही थी।
लेकिन थे तो वो मेरे साजन, मैंने आग में थोड़ा और घी छोड़ा।
मम्मी की बुर चूसते हुए मेरे हाथ अब मम्मी के भारी-भारी नितम्बो को सहला रहे थे, दबा रहे थे और
फिर मैंने मम्मी के चूतङों को दोनों हाथों से फैला के जोर से खोला तो…
एकदम जादू की तरह असर हुआ उन पे।
मैं कनखखयों से देख रही थी।
लण्ड उनका पत्थर का हो गया। एकदम 90° डिग्री ।
और एक घूूँट में सारी बची हुई बियर ( जिसमें आधे से ज्यादा मम्मी की अपनी ख़ास परसनल सुनहरी बियर मिली थी) उन्होंने गटक ली।
मुझे बहुत मजा आ रहा था उनकी ये हालत देख के, लेकिन अभी तो शुरूआत थी।
चूसते हुए उन्हें र्केदिखा घप से मैंने दो उँगलियाँ मम्मी की बुर में पेल दीं और देर तक गोल-गोल घुमाती रही।
जब वो रस से बुरी तरह गीली हो गयी,
तो अब एक बार, मम्मी की गाण्ड पूरी ताकत से फैला के, उसका कसा संकरा छेद उन्हें , अपने बावरे बौराये साजन को दिखा के ,
... वो सच में अपने सास के पिछवाड़े के लिए पागल हो रहे थे।
मेरी तर्जनी मम्मी की गांड में एक पोर तक घुसी उनके दामाद को दिखाती ललचाती , आगे पीछे हो रही थी।
अब उनसे नहीं रहा गयी और चुपके से आके वो मेरे सर (और मम्मी के चूतड़ों) की ओर बैठ गए। एकदम मुझसे सट के।
मैं समझ गयी लोहा गरम है।
अब मैंने अपनी कलाई के जोर से पूरी ताकत से मम्मी की गांड में अपनी तर्जनी दो पोर तक एक झटके में घुसेड़ दी ।
घुसी वो मम्मी कीगाण्ड में
लेकिन सिसकारी उनकी निकली ।
थोड़ी देर मम्मी की कसी गांड में आगे पीछे , करके, बाहर निकला के वो ऊँगली मैंने उनकी ओर जब की, तो झट से उन्होंने मुूँह खोल के मेरी तर्जनी को ,
मम्मीकी गांड में से निकली ऊँगली को गप्प कर लिया
और लालीपाप की तरह उसे चूसने लगे,
मेरी एक और ऊँगली , मेरी मंझली ऊँगली पकड़ कर अपने मुंह के अंदर घुसेड़ लिया
और उसे भी सक करने लगे।
दोनों ऊँगली , मम्मी की गांड से निकली तर्जनी और मंझली दोनो , उनके थूक से लथपथ
मैं उनका इशारा समझ गयी और अगली बार वो दोनों उंगलिया , मेरे साजन के मुंह से निकल कर उनके सैलाइवा से लिसड़ी पड़ी , मम्मी की गांड के अंदर गयीं , वोभी जड़ तक।
और बिना बाहर निकाले मैं देर तक गोल गोल घुमाती रही, गाण्ड की दीवालों से सटा के करोचते हुए,
बस उन्होंने मुट्ठी सा मोटा सुपाड़ा मम्मी की कसी , संकरी , फैली गाँड़ में सटाया, अपने दोनों हाथों से मम्मी के बड़े बड़े ३८ ++ साइज चूतड़ों को पकड़ा बस ,..
और हचक के पेल दिया अपना तगड़ा मोटा सुपाड़ा गांड में , अपनी पूरी ताकत से ,
एक ही धक्के में सुपाड़ा पूरा धंस गया था ,
..... मेरे साजन को तो गाँड़ मारने में पूरी पी एच डी हासिल थी ,
जब वो नौवें में पढ़ते थे तभी दर्जा आठ का कोईलौंडा था , चिकना नमकीन , उसकी नेकर सरका के उन्होंने ठोंक दिया था ,...
और अभी कल होली के दिन सुबह सुबह , ननदोई जी के साथ मिल के , अपने साले को,... मेरे ममेरे भाई को ,...
मैं देख रही थी , ... कैसे वो छटपटा रहा , लेकिन अपना मोटा बित्ते भर का लंड उसकी गाँड़ में जड़ तक ,... और रात में ट्रेन में मेरेसामने ही निहुरा के , उसकी ले ली थी ,...
वो छटपटाता रहा , चीखता चिल्लाता रहा ,...
पर अब तक मैं भी अपने साजन की संगत में सिख गयी थी , चाहे लड़का हो या लड़की , बिना बेरहमी के गांड नहीं मारी जा सकती।
और इस समय तो मैं अपने साजन का पूरा साथ दे रही थी , उनकी ख़ुशी के लिए मैं कुछ भी कर सकती थी , ...
मम्मी कुछ रिएक्ट करतीं की मेरे होंठों ने फिर एक बार उनके क्लिट को काट लिया
और जोर-जोर से चूसना शुरू कर दिया ।
और वो एक बार किर झड़ने लगी।मुझे मम्मी को झाड़ने की हर ट्रिक मालूम थी ,
और झड़ते समय उनकी हालत ऐसी बेहाल , ... थेथर उन्हें कुछ भी हो जाय , वो हिल नहीं सकती थीं , ऐसी झड़ते समय उनकी हालत हो जाती थी।
इसी मौके की तो उन्हें तलाश थी।
69 की पोजीशन में मम्मी मेरे ऊपर थी यानी आलमोस्ट डॉगी पोज में ,
उनके दामाद सुपाड़ा उनके पिछवाड़े धंस चुका था , बस
बस उन्होंने अपने दोनों हाथों से मम्मी के बड़े बड़े गोल गोल मांसल नितम्बो
थोड़ा सा उठाया , कस के दबोचा और एक और करारा धक्का मारा।
फिर लगातार पांचछह धक्के , हर धक्का पहले वाले से ज्यादा तेज ,...
मम्मी अब चीख रही थी , चिल्ला रही थीं , उन्हें गालियां दे रही रही थीं पर ,
पर
गाण्ड का छल्ला पार हो गया था और
अब मम्मी की गाण्ड ने खुद उनके लण्ड को दबोच रखा था। वो लाख कोशिश करें लण्ड निकल नहीं सकता था।
हम दोनों, पति पत्नी एक दूसरे को देखकर
और आूँखों ही आूँखों में हाई फाइव किया।
अपनी सास की मस्त गांड में लौंड़ा धसाने के साथ साथ ,
उनके चेहरे पर जो चमक थी , आँखों में जो ख़ुशी नाच रही थी , उस ख़ुशी के लिए मैं कुछ भी कर सकतीथी।
थोड़ी देर वो हम दोनों के बीच दबी फंसी रही, किर मैं निकल आयी आयी
और जिस कुसी पे थोड़ी देर पहले वो बैठे थे वहां बैठ के मजे से देखने लगी।
एक बार तो वो अभी कुछ देर पहले ही झड़े थे वो इसलिये कम से कम आधे घण्टे तक नान-स्टाप, और वही हुआ। जैसे कोई धुनिया रुई धुने, बस उसी तरह।
सच में तूफ़ान मेल मात ,... और मम्मी भी एकदम निहुरी , कातिक की कुतिया की तरह और ये पीछे से चढ़े , ...
मैं इनकी शैतानी समझ रही थी ,
एक तो इनका घोडा मार्का लंड और ऊपर से बदमाशी ,
... कस के दोनों हाथों से उन्होंने अपनी सास की कमर पकड़ ली ,
और बस थोड़ा सा , ज़रा सा बाहर , खूंटा निकाला
और फिर पूरी ताकत के साथ हचक के पेल दिया ,
फिर आलमोस्ट सुपाड़ा तक निकाल के दुबारा ,
तिबारा ,...
हर बार इनका मोटा सुपाड़ा इनकी सास के गांड के छल्ले को रगड़ता दरेरता घिसटता ,
अंदर घुस रहा था और फिर उसे वो उसी जगह पर से रगड़ते हुए बाहरनिकालते ,
बस पांच छ धक्के के बाद मम्मी जोर से चीखीं ,
" क्या करते हो , .... उह्ह्ह ओफ़्फ़फ़फ़फ़ , नहिई लगता है , ओह्ह उईईईईईई रोक , रुक ,... नहीं ,... "
और जवाब में निहुरि मम्मी की ३६ डी डी साइज की चूँचियाँ जोर से उन्होंने दबोच ली ,
और लगे कस के मसलने रगड़ने।
मुझे याद आ रहा था ये और मेरे ननदोई मेरे ममेरे भाई से मेरी मम्मी के जोबन के बारे में बाते कैसे लस लस के बातें कर रहे थे ,....
सच में मम्मी के उभार हैं ही ऐसे , खूब बड़े बड़े लेकिन एकदम कड़े कड़े , बिना ब्रा के सपोर्ट के भी एकदम खड़े तने , ....
और मेरे उभार भी ,
और सिर्फ मेरे क्यों मेरी दोनों छोटी बहनों के भी , अपनी उमर की लड़कियों से उनके उभार २० नहीं २२ होते हैं ,
और ये कैसे ननदोई जी से बोल रहे थे , मम्मी की चूँची पकड़ कर हचक हचक मारने के बारे में ,
और अभी पूरी ताकत से , मम्मी की दोनों गदरायी चूँचियाँ पकड़ के
कस कस के पूरी ताकत से मम्मी की गांड , अब हर धक्के में पूरा का पूरा लंड ,
एकदम जड़ तकघुस जा रहा था ,
और अब मम्मी की सिसकियों के साथ जबरदस्त गालियां उनकी समधन के लिए ,
" मादरचोद , लगता है बचपन से मेरी समधन ने गांड मरवा मरवा के , क्यों मरवाती थी न मेरी समधन तुझसे गांड , बोल भोंसड़ी के रंडी के जने ,
उन्होंने जवाब एक जबरदस्त धक्के से दिया ,
और लंड जड़ तक उनकी सास की गांड में धंस गया था ,
और क्या जबरदस्त दोनों चूँचियाँ मम्मी की मसली उन्होंने ,
उईईईईई ,... जोर से मम्मी की सिसकी निकल गयी ,
फिर तो कोई धुनिया जैसे रुई धुनें , वैसे
दोनों चूँची पकड़ के हचक हचक के , हर बार उनका मोटा बित्त्ते भर का खूंटा आलमोस्ट सुपाड़े तक बाहर , और फिर एक जोरदार धक्के के साथ ,
रगड़ते , दरेरते , फाड़ते , उनकी सास के गांड के छल्ले पर घिसटते वो मोटा सुपाड़ा ,
सीधे जड़ कोई दूसरा होता तो , रो रो के ,....
लेकिन वो मेरी मम्मी थीं , दामाद की असली सास ,...
कभी दर्द से चीखतीं , कभी सिसकतीं तो कभी गालियों से उनकी माँ बहन सब एक कर देतीं , ... ,
और थोड़ी देर में उनके हर धक्के का जवाब मम्मी धक्के से और गाली से दे रही थीं।
" रंडी के पूत , बचपन में अपनी माँ को गांड मरवाते देख के सीखा या अपनी माँ बुआ की गांड मार मार के ,
जबरदस्त सिखाया है तुझे मेरी रंडी छिनार समधन ने मान गयी उनको ,... "
मुझसे ज्यादा कौन जानता था उनके ऊपर माँ बहन की गाली का असर , ...
किसी दिन वो थोड़ा थके ,... या उनका मन थोड़ा ,...
या तीसरे चौथे राउंड में कुछ हलके पड़ते तो ,... बस मैं अपनी नंदों का नाम उनके साथ जोड़कर , बस वियाग्रा मात ,...
और आज भी वही हुआ , ... मम्मी की गालियों का असर ,...
उनके लंड की तूफानी स्पीड सुपरसानिक हो गयी ,
सास की कसी मस्त गांड में
पर कुछ देर बाद मम्मी भी धक्के का जवाब धक्के से दे रही थीं , कुतिया की तरह निहुरी ,कस के दोनों हाथों से तकिये को दबोचे ,... और
मैंने जब अपने साजन के चेहरे को देखा तो सिर्फ ख़ुशी ,... इतना खुश मैंने उन्हें कभी नहीं देखा था , एकदम मस्ती से चूर ,...
उन्होंने अपने को अपनी सास के हवाले कर दिया था ,
अब धक्के वो नहीं मार रहे थे बल्कि उनकी सास ,
अपनी कमर आगे पीछे ,... पूरा ९ इंच ,
धीमे धीमे पीछे पुश कर के घोंट लेती फिर धीरे धीरे आलमोस्ट सुपाड़े तक बाहर निकाल के ,
पूरी ताकत से वो धक्का मारतीं और मेरे सैयां ,का दामाद का पूरे बित्ते भर का डंडा अपनी गाँड़ में ,...
मैं देख रही थी कैसे सरक सरक कर मेरे बालम का खूंटा उनकी सास की गांड में सटासट अंदर बाहर ,... और अब वो सिर्फ अपनी सास की कमर पकडे हुए थे
मेरे सैंया के चेहरे पर ऐसे भाव आ रहे थे जो मैंने कभी नहीं देखे थे , ख़ुशी , मजा , मस्ती और हल्का सा दर्द ,...
मैं अपनी मुस्कराहट रोक नहीं पायी , मेरी मम्मी भी न ,....
मैंने बताया था नट क्रैकर , ... मम्मी से मैंने भी सीखा था ,... चूत की मसल्स को पहले हलके हलके फिर जोर से इतने कस के निचोड़ना , सिकोड़ना ,... की अगरकोई अंगुली डाले हो बुर में तो अंगुली फ्रैक्चर हो जाए ,
और मैं सोच नहीं सकती थी लेकिन मम्मी ने अपनी पिछवाड़े की मसल्स भी उसी तरह ट्रेन किया था ,...
दूसरा कोई होता तो एक मिनट में झड़ जाता ,... लेकिन ये मेरे साजन थे , मेरे प्यारे , मेरे सब कुछ , मेरे बालम ,...
मैंने बताया था नट क्रैकर , ... मम्मी से मैंने भी सीखा था ,... चूत की मसल्स को पहले हलके हलके
फिर जोर से इतने कस के निचोड़ना , सिकोड़ना ,... की अगर कोई अंगुली डाले हो बुर में तो अंगुली फ्रैक्चर हो जाए , और मैं सोच नहीं सकती थी
लेकिन मम्मी ने अपनी पिछवाड़े की मसल्स भी उसी तरह ट्रेन किया था ,...
दूसरा कोई होता तो एक मिनट में झड़ जाता ,... लेकिन ये मेरे साजन थे , मेरे प्यारे , मेरे सब कुछ , मेरे बालम ,...
और कुछ देर पहले तो कटोरी भर मलाई अपनी सास की बुर में बच्चेदानी तक छोड़ी थी , ... इसलिए इतना जल्दी कुछ नहीं होने वाला था ,
इनकी सास कुछ भी करें ,...
लेकिन उनकी सास का दामाद ,...
चाहे बुर चोदे या गांड मारे ,... एक आसन में
उनका मन भरने वाला नहीं था , ... और आज तो उनका फेवरिट माल ,
बस बिना मम्मी की गांड में से लंड निकाले उन्होंने पलटा मारा ,
और अब वो नीचे उनकी सास ऊपर ,...
और अब उनकी सास चोद रहीं थी , सास का दामाद चुद रहा था ,...
मैंने इनके साथ विपरीत रति का मजा बहुत बार लिया था ,
और इसकी सारी ट्रिक मम्मी ने ही मुझे सिखाई थी ,
खास तौर से पहले दूसरे राउंड के बाद , अगर पति थोड़ा थका हो , ... या कभी काम की थकान हो , तो पत्नी को कमान अपने हाथ में ले लेना चाहिए , ...
पर गुदा मैथुन में , मर्द नीचे ,... आज मैं पहली बार देख रही थी ,...
और सीख रही थी ,...
मुझे मालूम था मेरे साजन को गुदा मैथुन कितना पसंद है ,
और जो मेरे साजन की पसंद है , वो मेरी पसंद ,...
मेरे लिए सिर्फ एक ख़ुशी है ,... जिसमें मेरा बालम खुश रहे ,... और मैं देख रही थी पहली बार वो नीचे लेट कर कैसे गुदा मैथुन ,...
मम्मी की गांड में एकदम जड़ तक ,.. और मम्मी ने उन्हें बरज दिया था की वो कुछ भी न करें जो करेंगी उनकी सास ही करेंगी ,
मम्मी धीमे धीमे ऊपर नीचे , ऊपर नीचे अपने दामाद के दमदार मोटे लम्बे खूंटे पर ,
जैसे कोई नटिनी बांस पर चढ़ती उतरती है , ...
और साथ में झुक के अपने मोटी बड़ी बड़ी रसीली चूँचियाँ
अपने दामाद के कभी सीने पर रगड़ देतीं तो कभी गालों पर
और ये बेचारे मुंह में लेने के लिए जब मुंह खोलते तो आँखों से उन्हें चिढ़ातीं अपने जोबन दामाद के प्यासे भूखे होंठों से दूर कर लेतीं ,
मम्मी के दोनों हाथों ने कस के अपने दामाद के दोनों हाथों को पकड़ रखा था एक इंच भी न वो हिल सकते थे न ऊपर उठ सकते थे ,...
और कभी अपने दामाद के होंठों में अपने खड़े कड़े निपल खुद ठेल देतीं ,...
लेकिन मानना पड़ेगा उनकी सास की कमर की ताकत को , एक मिनट के लिए भी मंम्मी के धक्के नहीं रुक रहे थे।
मैं भी कब की कुर्सी छोड़ के अपने साजन के एकदम बगल में सटी , सास दामाद का गुदा मैथुन देख रही थी ,...
मैंने कहा था ,
मम्मी को पुलिस दरोगा होना चाहिए थे ,...
कुछ देर पहले ही मम्मी ने इनसे , मम्मी की समधन के साथ ,... मेरी बुआ सास के साथ ,... यहां तक की मेरी बड़ी ननद के साथ भी,... सब कुछ उगलवा लिया था
aapne ekdm sahi kaha , Phagun ke din char sahit kyi stories men Saas ke saath ki baat to huyi lekin....aur is kahani men pahali baar saas ke saath ekdm ..sab kuch ...sach men HOT SAAS hain