Shetan
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Lo shaiyaji ko kya pata. Ye vo he jisne komaliya hi nahi manjli or chhutki ko bhi jana he. Jab teen khurapati dimag alag alag itne bade shetan he. To teeno ka ek sangam dimag kesa hoga. Abhi to sare vo raj bhi ugaloge jo pichhle janam ke hongeमेरी ससुराल - बुआ सास
“और तेरी बुआ का जोबन भी तो बहुत गद्दर है, मजा आया था उनकी लेने में…”
मम्मी ने उनके नपल को जोर से स्क्रैच करते पूछा।
अब तो उनके चेहरे पे हवाईयाीं उड़ रही थी। वो आलमोस्ट उठ बैठे, और बोले-
“ नहीं ,... हाँ मम्मी, मतलब… लेकन आपको कैसे पता?"
मम्मी ने हाथ अब शार्ट में डाल दिया .. और जोर जोर से लण्ड मुठियाते मुस्करा कर बोलीं
“मम्मी बोलता है और पूछता है, कैसे पता? मुझे सब पता है। तेरी बुआ की शादी के पहले ही तूने नंबर लगा दिया .. था न।
मुझे तो ये भी मालूम है की उस दिन तेरी तेरी बुआ ने क्या पहना था।
बोल अब उनकी शादी के बाद होता है गुल्ली- डंडा की नही?
मैं ख़ुशी और आश्चयि से मम्मी की ओर देख रही थी।
मम्मी को तो दरोगा होना चाहिए , सब राज उन्होंने कैसे कबूलवा लिए ।
उनकी बुआ और मेरी बुआ सास, थी भी बहुत सेक्सी और गाली देकर बात करने में तो सास से भी दो हाथ आगे।
जिस तरह से वो ननद भौजाई बातें करती थी, हम ननद भौजाइयों के लिए सबक था।
जब मुंह दिखाई हो रही थी और मैं पैर छू रही थी तो मेरी सास ने उकसाया-
“जरा लहंगा उठा के अंदर का हालचाल देख ले, तेरे ससुर की खास पसंद की चीज है है अंदर …”
मैं आपनी सास की आज्ञाकारी बहू, पैर छूते-छूते, मैंने झट सेलहंगा दोनों हाथों से पकड़ के पूरा उलट दिया ,
चिड़िया दिख गयी।
एकदम मक्खन मलायी।
और जब बुआ ने ठीक करने की कोशश की तो सासूजी ने उनके दोनों हाथ पकड़ और बोली-
“अरे ननद रानी इतनी देर बाद बुलबुल खुली है तो थोड़ी हवा पानी खा लेने दो उसे न…”
किर तो मेरी बुआ जी से पक्की दोस्ती हो गयी।
वैसे भी उम्र में ‘इनसे’ 7-8 साल ही बड़ी होंगी, 32-33 साल की।
सुहागरात के पहले सबसे ज्यादा ज्ञान उन्होंने ही दिया ।
और जब सुबह नौ बजे मेरी ननदें कमरे से ले गयी, तो वो बाहर ही मिल गयीं और सबसे पहले मुंह दिखाई भी उन्होंने की।
‘नीचे वाले मुूँह की’।
मम्मी उन्हें चढ़ा रही थी-
“अरे बुआ से तो चोदने का रिश्ता है, काहें शरमा रहे हो। अरे उनके भाई मेरी समधन को ,
तेरी माँ को दिन रात चोदते हैं न, तो तूने उनकी बहन चोद ली बस, तो बोलो अब भी चलती है पेलगाड़ी न…”
“हाूँ, मेरी शादी में वो आयी थी न, तो बस 2-3 बार…”
शरमाते हिचकते हुए उन्होंने कबूला।
अब मैंने थोड़ा डायरेक्शन बदला, और उनका हाथ मम्मी के गोरे चकने पेट पे सहलाते हुए बोला-
“मैं और तुम्हारी नमकीन सालियाँ यही पे थे…”
“और निकलीं किधर से…”
उन्होंने मुश्कुरा के मुझे छेड़ते हुए पूछा।
मेरे एक हाथ ने मम्मी के साये का नाड़ा खोल के नीचे सरका दिया और दूसरे हाथ से उनका हाथ पकड़ के सीधे,
‘वहीँ ’ पे मम्मी की जाूँघों के बीच…
जो मैंने सोचा वही हुआ।
उनका चेहरा देखकर लग रहा था की, जैसे हलवाई की भट्ठी पे हाथ पड़ गया हो।
मम्मी भी धीमें-धीमें मुश्कुरा रही थीीं, उन्होंने दोनों जाींघों के बीच जोर से उनका हाथ दबा दिया ।
और अब मम्मी की बारी थी, उनका शार्ट सरका के सीधे बिस्तर से नीचे फेंकने की
मैं कैसे बचती।
सास, दामाद ने मेरा ब्लाउज और साया भी दूर फ़ेंक दिया और हम तीनों एक जैसे।