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गलियारे से गुजरते हुए वह एक बैरक के सामने से गुजरी जिसमें औरतें अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ थी। अपने बैरक में पहुंचकर उसने देखा वह अंदाजन 15x30 का बैरक था। जिसमें 20 से 25 महिलाये थी। सबके बिस्तर जमीन पर बिछे हुए थे। दीवारों पर कुछ ना कुछ कपड़े टंगे हुए थे। बैरक के अंदर ही 4 - 5 शौचालय थे। दो पंखे लगे थे जो सिर्फ कहने के लिए घूम रहे थे। सभी औरतें पसीने से भरी हुई थी। और उसी की तरफ घूर रही थी।
महिला सिपाही ने बैरक का दरवाजा खोला और उसे अंदर जाने को कहा। बदबू का एक झोंका किंजल की नाक से टकराया। किंजल के मुंह से निकल गया "यहां तो बहुत बदबू आ रही है"
महिला सिपाही ने उसे घूरते हुए कहा "साली होटल में घूमने आई है क्या?" और उसे बैरक के अंदर धक्का दे दिया। बाहर से दरवाजा बंद कर ताला लगा दिया।
किंजल बैरक के अंदर इधर-उधर देखने लगी और अपने बैठने के लिए खाली जगह ढूंढने लगी। बदबू से उसके नाक के बाल चल रहे थे। कोने में शौचालय के पास उसे जगह खाली दिखी। अपनी चादर और कंबल लेकर वह धीरे-धीरे उस तरफ बढ़ने लगी। वह घबराते हुए चल रही थी क्योंकि बीच में जगह बहुत कम थी। लॉकअप में उसने इतना तो सीख लिया था कि दूसरे लोगों से बच के रहना होगा। उस बैरक में लगभग सभी औरतें 40 के ऊपर की थी। अपनी जगह पर पहुंच कर उसने अपनी चादर को बिछाया और अपना बिस्तर लगा दिया। शौचालय की गंदगी की बदबू से और रूअं।सी हो रही थी।
नीचे बैठते ही एक बार फिर दर्द की लहर उसके चूतड़ों से होते हुए उसके दिमाग तक दौड़ गई। लॉकअप में लगाए गए मर्दों और औरतों के हाथ उसे अपने शरीर पर महसूस हो रहे थे। पर वह क्या करती। जिग्नेश के प्यार में पागल होकर उसने इतनी बड़ी गलती जो कर दी थी।
बैरक की सब औरतें उसे इसलिए घूर रही थी क्योंकि इस उम्र की लड़कियां बहुत कम जेल में आती हैं। अभी पूरी जेल में 19 साल की किंजल के अलावा सिर्फ एक और लड़की थी जो 21 साल की थी और ड्रग्स के केस में अंदर थी। किंजल के केस की अगली सुनवाई 18 दिन बाद थी पर उसे पता था अब कोई उम्मीद नहीं है। अब यही उसकी जिंदगी है।
"क्यों रे क्या कर के आई है तू?" पास बैठी एक औरत ने पूछा। किंजल चुपचाप उसे देखती रही उसके मुंह से कुछ ना निकला। इतने में पांच बिस्तर दूर बैठी एक औरत बोली "अरे अपने मां-बाप का मर्डर करके आई है। अपने आशिक के साथ मिलकर। वह भी अंदर है। कुत्तिया कहीं की।"
पूरे बैरक में खुसर पुसर होने लगी।
.......
शाम का समय था और गर्मी अपने जोरों पर थी। एक तिनका नहीं हील रहा था। 4:30 से 6:30 कपड़े धोने का समय होता है लेकिन किंजल बैरक में ही बैठी रही।
उधर वार्डन सुषमा जेलर के पास रिपोर्ट करने गई।
"मैडम वाली नई कैदी अंदर आ गई है । उसके ऊपर मर्डर का चार्ज है। अभी ज्यूडिशल कस्टडी में है, 18 दिन बाद उसकी सुनवाई है । अभी तक उसके पास कोई वकील नहीं है ऐसा सुना है।"
जेलर - "ठीक है मैं उसकी फाइल देख लूंगी।"
जेलर मनीषा 35 साल कीआईपीएस रैंक की ऑफिसर थी। उसका पति सूरज भी एक आईपीएस था जो काफी दूर एक दूसरे जिले में पोस्टेड था। मनीषा जेल में ही बने ऑफिसर हाउस में रहती थी।
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महिला सिपाही ने बैरक का दरवाजा खोला और उसे अंदर जाने को कहा। बदबू का एक झोंका किंजल की नाक से टकराया। किंजल के मुंह से निकल गया "यहां तो बहुत बदबू आ रही है"
महिला सिपाही ने उसे घूरते हुए कहा "साली होटल में घूमने आई है क्या?" और उसे बैरक के अंदर धक्का दे दिया। बाहर से दरवाजा बंद कर ताला लगा दिया।
किंजल बैरक के अंदर इधर-उधर देखने लगी और अपने बैठने के लिए खाली जगह ढूंढने लगी। बदबू से उसके नाक के बाल चल रहे थे। कोने में शौचालय के पास उसे जगह खाली दिखी। अपनी चादर और कंबल लेकर वह धीरे-धीरे उस तरफ बढ़ने लगी। वह घबराते हुए चल रही थी क्योंकि बीच में जगह बहुत कम थी। लॉकअप में उसने इतना तो सीख लिया था कि दूसरे लोगों से बच के रहना होगा। उस बैरक में लगभग सभी औरतें 40 के ऊपर की थी। अपनी जगह पर पहुंच कर उसने अपनी चादर को बिछाया और अपना बिस्तर लगा दिया। शौचालय की गंदगी की बदबू से और रूअं।सी हो रही थी।
नीचे बैठते ही एक बार फिर दर्द की लहर उसके चूतड़ों से होते हुए उसके दिमाग तक दौड़ गई। लॉकअप में लगाए गए मर्दों और औरतों के हाथ उसे अपने शरीर पर महसूस हो रहे थे। पर वह क्या करती। जिग्नेश के प्यार में पागल होकर उसने इतनी बड़ी गलती जो कर दी थी।
बैरक की सब औरतें उसे इसलिए घूर रही थी क्योंकि इस उम्र की लड़कियां बहुत कम जेल में आती हैं। अभी पूरी जेल में 19 साल की किंजल के अलावा सिर्फ एक और लड़की थी जो 21 साल की थी और ड्रग्स के केस में अंदर थी। किंजल के केस की अगली सुनवाई 18 दिन बाद थी पर उसे पता था अब कोई उम्मीद नहीं है। अब यही उसकी जिंदगी है।
"क्यों रे क्या कर के आई है तू?" पास बैठी एक औरत ने पूछा। किंजल चुपचाप उसे देखती रही उसके मुंह से कुछ ना निकला। इतने में पांच बिस्तर दूर बैठी एक औरत बोली "अरे अपने मां-बाप का मर्डर करके आई है। अपने आशिक के साथ मिलकर। वह भी अंदर है। कुत्तिया कहीं की।"
पूरे बैरक में खुसर पुसर होने लगी।
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शाम का समय था और गर्मी अपने जोरों पर थी। एक तिनका नहीं हील रहा था। 4:30 से 6:30 कपड़े धोने का समय होता है लेकिन किंजल बैरक में ही बैठी रही।
उधर वार्डन सुषमा जेलर के पास रिपोर्ट करने गई।
"मैडम वाली नई कैदी अंदर आ गई है । उसके ऊपर मर्डर का चार्ज है। अभी ज्यूडिशल कस्टडी में है, 18 दिन बाद उसकी सुनवाई है । अभी तक उसके पास कोई वकील नहीं है ऐसा सुना है।"
जेलर - "ठीक है मैं उसकी फाइल देख लूंगी।"
जेलर मनीषा 35 साल कीआईपीएस रैंक की ऑफिसर थी। उसका पति सूरज भी एक आईपीएस था जो काफी दूर एक दूसरे जिले में पोस्टेड था। मनीषा जेल में ही बने ऑफिसर हाउस में रहती थी।
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