बहुत ही सुंदर लाजवाब और शानदार कहानी है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
6:30 रात के खाने की घंटी बज गई। सब कैदी अपने अपने बैरक से बाहर निकल खाने की लाइन में लगने लगे। जब तक किंजल लाइन में लगी, लाइन लंबी हो चुकी थी। खाने का टाइम 8 बजे तक था।
सभी कैदियों को प्लास्टिक की प्लेट, कपड़े की एक जोड़ी, कंबल, चादर और तौलिया मिलता था। किंजल अपनी प्लेट में खाना लेकर एक तरफ जमीन पे बैठ गई। उसकी।प्लेट में दाल, चावल और रोटी थी। सुबह से भूखी किंजल को वो पानी जैसी दाल और चावल भी अंदर हो रहे थे।
"हाय!"
किंजल ने चौंक के देखा।
"पढा मैंने तेरे बारे में अखबार में। प्यार मोहब्बत में दिमाग काम करना बंद कर देता है। जो हुआ सो हुआ।"
पास बैठते हुए एक 21 साल की लड़की बोली। किंजल बिना कुछ बोले उसे देखने लगी और खाना खा रही थी। जेल के खाने की आदत तो उसे लॉकअप में ही हो गई। पर यह लाइन में लगने की आदत उसे अब बनानी थी।
"तुम यहां क्यों हो?" धीमी की आवाज में किंजल ने पूछा। वो पूछने में भी घबरा आ रही थी। उसे पता था जेल में जितना चुप रहेगी उतना सुरक्षित रहेगी।
"ड्रग्स। वैसे मेरा नाम सोनिया है। मुझे भी मेरे आशिक ने फसाया । उसके प्यार के चक्कर में फस के मैं भी ड्रग्स की डिलीवरी करने चली गई। और पुलिस वहां पहले से फील्डिंग लगाकर बैठी थी। किस्मत में यह जेल लिखी थी। घर वालों ने भी मुंह मोड़ लिया।"
तभी एक 35 साल की औरत उनके पास आकर बैठ गई। गोरा रंग और कसा हुआ बदन किसी अच्छे घर की लग रही थी। किंजल को बहुत गहरी नजर से देख रही थी।
"बस कर मौसी ज्यादा ध्यान से मत देख।"
"यह शिफा मौसी है हमारे ग्रुप में हम प्यार से इसको मौसी बोलते हैं। तू भी हमारे ग्रुप में रहे कोई तकलीफ नहीं होगी।"
"ग्रुप मतलब?" किंजल ने दबी सी आवाज में पूछा।
"मतलब यहां अकेले गुजारा नहीं है। किसी ग्रुप में रहेगी तो ठीक रहेगी। ग्रुप मतलब एक दूसरे का ध्यान रखना, आपस में काम बांट कर करना ताकि सबके अपने-अपने काम हो जाए। जेल का मौसम तू जितनी जल्दी समझ ले उतना अच्छा है तेरे लिए।"
इतने में घंटी बज गई। सबका बैरक में वापस जाने का टाइम हो गया। तीनों अपनी जगह से उठ गए और अपने अपने बैरक की तरफ चल पड़े। और सब की गिनती शुरू हो गई।
जेल में एक अलग ही सिस्टम काम करता है। एकदम का वह होता है जो इस सिस्टम में पिसता है। दूसरा तबका इसको चलाता है। और एक तबका इस सिस्टम पर राज करता है। सिस्टम में बिना पिसे जेल में कोई रह नहीं सकता। शिफा और सोनिया इस सिस्टम में चला रहे थे। किंजल बहुत जल्द इस सिस्टम में पिसने वाली थी।
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Lovely update6:30 रात के खाने की घंटी बज गई। सब कैदी अपने अपने बैरक से बाहर निकल खाने की लाइन में लगने लगे। जब तक किंजल लाइन में लगी, लाइन लंबी हो चुकी थी। खाने का टाइम 8 बजे तक था।
सभी कैदियों को प्लास्टिक की प्लेट, कपड़े की एक जोड़ी, कंबल, चादर और तौलिया मिलता था। किंजल अपनी प्लेट में खाना लेकर एक तरफ जमीन पे बैठ गई। उसकी।प्लेट में दाल, चावल और रोटी थी। सुबह से भूखी किंजल को वो पानी जैसी दाल और चावल भी अंदर हो रहे थे।
"हाय!"
किंजल ने चौंक के देखा।
"पढा मैंने तेरे बारे में अखबार में। प्यार मोहब्बत में दिमाग काम करना बंद कर देता है। जो हुआ सो हुआ।"
पास बैठते हुए एक 21 साल की लड़की बोली। किंजल बिना कुछ बोले उसे देखने लगी और खाना खा रही थी। जेल के खाने की आदत तो उसे लॉकअप में ही हो गई। पर यह लाइन में लगने की आदत उसे अब बनानी थी।
"तुम यहां क्यों हो?" धीमी की आवाज में किंजल ने पूछा। वो पूछने में भी घबरा आ रही थी। उसे पता था जेल में जितना चुप रहेगी उतना सुरक्षित रहेगी।
"ड्रग्स। वैसे मेरा नाम सोनिया है। मुझे भी मेरे आशिक ने फसाया । उसके प्यार के चक्कर में फस के मैं भी ड्रग्स की डिलीवरी करने चली गई। और पुलिस वहां पहले से फील्डिंग लगाकर बैठी थी। किस्मत में यह जेल लिखी थी। घर वालों ने भी मुंह मोड़ लिया।"
तभी एक 35 साल की औरत उनके पास आकर बैठ गई। गोरा रंग और कसा हुआ बदन किसी अच्छे घर की लग रही थी। किंजल को बहुत गहरी नजर से देख रही थी।
"बस कर मौसी ज्यादा ध्यान से मत देख।"
"यह शिफा मौसी है हमारे ग्रुप में हम प्यार से इसको मौसी बोलते हैं। तू भी हमारे ग्रुप में रहे कोई तकलीफ नहीं होगी।"
"ग्रुप मतलब?" किंजल ने दबी सी आवाज में पूछा।
"मतलब यहां अकेले गुजारा नहीं है। किसी ग्रुप में रहेगी तो ठीक रहेगी। ग्रुप मतलब एक दूसरे का ध्यान रखना, आपस में काम बांट कर करना ताकि सबके अपने-अपने काम हो जाए। जेल का मौसम तू जितनी जल्दी समझ ले उतना अच्छा है तेरे लिए।"
इतने में घंटी बज गई। सबका बैरक में वापस जाने का टाइम हो गया। तीनों अपनी जगह से उठ गए और अपने अपने बैरक की तरफ चल पड़े। और सब की गिनती शुरू हो गई।
जेल में एक अलग ही सिस्टम काम करता है। एकदम का वह होता है जो इस सिस्टम में पिसता है। दूसरा तबका इसको चलाता है। और एक तबका इस सिस्टम पर राज करता है। सिस्टम में बिना पिसे जेल में कोई रह नहीं सकता। शिफा और सोनिया इस सिस्टम में चला रहे थे। किंजल बहुत जल्द इस सिस्टम में पिसने वाली थी।
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Nice and awesome update...6:30 रात के खाने की घंटी बज गई। सब कैदी अपने अपने बैरक से बाहर निकल खाने की लाइन में लगने लगे। जब तक किंजल लाइन में लगी, लाइन लंबी हो चुकी थी। खाने का टाइम 8 बजे तक था।
सभी कैदियों को प्लास्टिक की प्लेट, कपड़े की एक जोड़ी, कंबल, चादर और तौलिया मिलता था। किंजल अपनी प्लेट में खाना लेकर एक तरफ जमीन पे बैठ गई। उसकी।प्लेट में दाल, चावल और रोटी थी। सुबह से भूखी किंजल को वो पानी जैसी दाल और चावल भी अंदर हो रहे थे।
"हाय!"
किंजल ने चौंक के देखा।
"पढा मैंने तेरे बारे में अखबार में। प्यार मोहब्बत में दिमाग काम करना बंद कर देता है। जो हुआ सो हुआ।"
पास बैठते हुए एक 21 साल की लड़की बोली। किंजल बिना कुछ बोले उसे देखने लगी और खाना खा रही थी। जेल के खाने की आदत तो उसे लॉकअप में ही हो गई। पर यह लाइन में लगने की आदत उसे अब बनानी थी।
"तुम यहां क्यों हो?" धीमी की आवाज में किंजल ने पूछा। वो पूछने में भी घबरा आ रही थी। उसे पता था जेल में जितना चुप रहेगी उतना सुरक्षित रहेगी।
"ड्रग्स। वैसे मेरा नाम सोनिया है। मुझे भी मेरे आशिक ने फसाया । उसके प्यार के चक्कर में फस के मैं भी ड्रग्स की डिलीवरी करने चली गई। और पुलिस वहां पहले से फील्डिंग लगाकर बैठी थी। किस्मत में यह जेल लिखी थी। घर वालों ने भी मुंह मोड़ लिया।"
तभी एक 35 साल की औरत उनके पास आकर बैठ गई। गोरा रंग और कसा हुआ बदन किसी अच्छे घर की लग रही थी। किंजल को बहुत गहरी नजर से देख रही थी।
"बस कर मौसी ज्यादा ध्यान से मत देख।"
"यह शिफा मौसी है हमारे ग्रुप में हम प्यार से इसको मौसी बोलते हैं। तू भी हमारे ग्रुप में रहे कोई तकलीफ नहीं होगी।"
"ग्रुप मतलब?" किंजल ने दबी सी आवाज में पूछा।
"मतलब यहां अकेले गुजारा नहीं है। किसी ग्रुप में रहेगी तो ठीक रहेगी। ग्रुप मतलब एक दूसरे का ध्यान रखना, आपस में काम बांट कर करना ताकि सबके अपने-अपने काम हो जाए। जेल का मौसम तू जितनी जल्दी समझ ले उतना अच्छा है तेरे लिए।"
इतने में घंटी बज गई। सबका बैरक में वापस जाने का टाइम हो गया। तीनों अपनी जगह से उठ गए और अपने अपने बैरक की तरफ चल पड़े। और सब की गिनती शुरू हो गई।
जेल में एक अलग ही सिस्टम काम करता है। एकदम का वह होता है जो इस सिस्टम में पिसता है। दूसरा तबका इसको चलाता है। और एक तबका इस सिस्टम पर राज करता है। सिस्टम में बिना पिसे जेल में कोई रह नहीं सकता। शिफा और सोनिया इस सिस्टम में चला रहे थे। किंजल बहुत जल्द इस सिस्टम में पिसने वाली थी।
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Nice update Bhaiगलियारे से गुजरते हुए वह एक बैरक के सामने से गुजरी जिसमें औरतें अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ थी। अपने बैरक में पहुंचकर उसने देखा वह अंदाजन 15x30 का बैरक था। जिसमें 20 से 25 महिलाये थी। सबके बिस्तर जमीन पर बिछे हुए थे। दीवारों पर कुछ ना कुछ कपड़े टंगे हुए थे। बैरक के अंदर ही 4 - 5 शौचालय थे। दो पंखे लगे थे जो सिर्फ कहने के लिए घूम रहे थे। सभी औरतें पसीने से भरी हुई थी। और उसी की तरफ घूर रही थी।
महिला सिपाही ने बैरक का दरवाजा खोला और उसे अंदर जाने को कहा। बदबू का एक झोंका किंजल की नाक से टकराया। किंजल के मुंह से निकल गया "यहां तो बहुत बदबू आ रही है"
महिला सिपाही ने उसे घूरते हुए कहा "साली होटल में घूमने आई है क्या?" और उसे बैरक के अंदर धक्का दे दिया। बाहर से दरवाजा बंद कर ताला लगा दिया।
किंजल बैरक के अंदर इधर-उधर देखने लगी और अपने बैठने के लिए खाली जगह ढूंढने लगी। बदबू से उसके नाक के बाल चल रहे थे। कोने में शौचालय के पास उसे जगह खाली दिखी। अपनी चादर और कंबल लेकर वह धीरे-धीरे उस तरफ बढ़ने लगी। वह घबराते हुए चल रही थी क्योंकि बीच में जगह बहुत कम थी। लॉकअप में उसने इतना तो सीख लिया था कि दूसरे लोगों से बच के रहना होगा। उस बैरक में लगभग सभी औरतें 40 के ऊपर की थी। अपनी जगह पर पहुंच कर उसने अपनी चादर को बिछाया और अपना बिस्तर लगा दिया। शौचालय की गंदगी की बदबू से और रूअं।सी हो रही थी।
नीचे बैठते ही एक बार फिर दर्द की लहर उसके चूतड़ों से होते हुए उसके दिमाग तक दौड़ गई। लॉकअप में लगाए गए मर्दों और औरतों के हाथ उसे अपने शरीर पर महसूस हो रहे थे। पर वह क्या करती। जिग्नेश के प्यार में पागल होकर उसने इतनी बड़ी गलती जो कर दी थी।
बैरक की सब औरतें उसे इसलिए घूर रही थी क्योंकि इस उम्र की लड़कियां बहुत कम जेल में आती हैं। अभी पूरी जेल में 19 साल की किंजल के अलावा सिर्फ एक और लड़की थी जो 21 साल की थी और ड्रग्स के केस में अंदर थी। किंजल के केस की अगली सुनवाई 18 दिन बाद थी पर उसे पता था अब कोई उम्मीद नहीं है। अब यही उसकी जिंदगी है।
"क्यों रे क्या कर के आई है तू?" पास बैठी एक औरत ने पूछा। किंजल चुपचाप उसे देखती रही उसके मुंह से कुछ ना निकला। इतने में पांच बिस्तर दूर बैठी एक औरत बोली "अरे अपने मां-बाप का मर्डर करके आई है। अपने आशिक के साथ मिलकर। वह भी अंदर है। कुत्तिया कहीं की।"
पूरे बैरक में खुसर पुसर होने लगी।
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शाम का समय था और गर्मी अपने जोरों पर थी। एक तिनका नहीं हील रहा था। 4:30 से 6:30 कपड़े धोने का समय होता है लेकिन किंजल बैरक में ही बैठी रही।
उधर वार्डन सुषमा जेलर के पास रिपोर्ट करने गई।
"मैडम वाली नई कैदी अंदर आ गई है । उसके ऊपर मर्डर का चार्ज है। अभी ज्यूडिशल कस्टडी में है, 18 दिन बाद उसकी सुनवाई है । अभी तक उसके पास कोई वकील नहीं है ऐसा सुना है।"
जेलर - "ठीक है मैं उसकी फाइल देख लूंगी।"
जेलर मनीषा 35 साल कीआईपीएस रैंक की ऑफिसर थी। उसका पति सूरज भी एक आईपीएस था जो काफी दूर एक दूसरे जिले में पोस्टेड था। मनीषा जेल में ही बने ऑफिसर हाउस में रहती थी।
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