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Adultery महिला कारावास

niks1987

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गलियारे से गुजरते हुए वह एक बैरक के सामने से गुजरी जिसमें औरतें अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ थी। अपने बैरक में पहुंचकर उसने देखा वह अंदाजन 15x30 का बैरक था। जिसमें 20 से 25 महिलाये थी। सबके बिस्तर जमीन पर बिछे हुए थे। दीवारों पर कुछ ना कुछ कपड़े टंगे हुए थे। बैरक के अंदर ही 4 - 5 शौचालय थे। दो पंखे लगे थे जो सिर्फ कहने के लिए घूम रहे थे। सभी औरतें पसीने से भरी हुई थी। और उसी की तरफ घूर रही थी।

महिला सिपाही ने बैरक का दरवाजा खोला और उसे अंदर जाने को कहा। बदबू का एक झोंका किंजल की नाक से टकराया। किंजल के मुंह से निकल गया "यहां तो बहुत बदबू आ रही है"

महिला सिपाही ने उसे घूरते हुए कहा "साली होटल में घूमने आई है क्या?" और उसे बैरक के अंदर धक्का दे दिया। बाहर से दरवाजा बंद कर ताला लगा दिया।

किंजल बैरक के अंदर इधर-उधर देखने लगी और अपने बैठने के लिए खाली जगह ढूंढने लगी। बदबू से उसके नाक के बाल चल रहे थे। कोने में शौचालय के पास उसे जगह खाली दिखी। अपनी चादर और कंबल लेकर वह धीरे-धीरे उस तरफ बढ़ने लगी। वह घबराते हुए चल रही थी क्योंकि बीच में जगह बहुत कम थी। लॉकअप में उसने इतना तो सीख लिया था कि दूसरे लोगों से बच के रहना होगा। उस बैरक में लगभग सभी औरतें 40 के ऊपर की थी। अपनी जगह पर पहुंच कर उसने अपनी चादर को बिछाया और अपना बिस्तर लगा दिया। शौचालय की गंदगी की बदबू से और रूअं।सी हो रही थी।

नीचे बैठते ही एक बार फिर दर्द की लहर उसके चूतड़ों से होते हुए उसके दिमाग तक दौड़ गई। लॉकअप में लगाए गए मर्दों और औरतों के हाथ उसे अपने शरीर पर महसूस हो रहे थे। पर वह क्या करती। जिग्नेश के प्यार में पागल होकर उसने इतनी बड़ी गलती जो कर दी थी।

बैरक की सब औरतें उसे इसलिए घूर रही थी क्योंकि इस उम्र की लड़कियां बहुत कम जेल में आती हैं। अभी पूरी जेल में 19 साल की किंजल के अलावा सिर्फ एक और लड़की थी जो 21 साल की थी और ड्रग्स के केस में अंदर थी। किंजल के केस की अगली सुनवाई 18 दिन बाद थी पर उसे पता था अब कोई उम्मीद नहीं है। अब यही उसकी जिंदगी है।

"क्यों रे क्या कर के आई है तू?" पास बैठी एक औरत ने पूछा। किंजल चुपचाप उसे देखती रही उसके मुंह से कुछ ना निकला। इतने में पांच बिस्तर दूर बैठी एक औरत बोली "अरे अपने मां-बाप का मर्डर करके आई है। अपने आशिक के साथ मिलकर। वह भी अंदर है। कुत्तिया कहीं की।"

पूरे बैरक में खुसर पुसर होने लगी।

.......
शाम का समय था और गर्मी अपने जोरों पर थी। एक तिनका नहीं हील रहा था। 4:30 से 6:30 कपड़े धोने का समय होता है लेकिन किंजल बैरक में ही बैठी रही।

उधर वार्डन सुषमा जेलर के पास रिपोर्ट करने गई।

"मैडम वाली नई कैदी अंदर आ गई है । उसके ऊपर मर्डर का चार्ज है। अभी ज्यूडिशल कस्टडी में है, 18 दिन बाद उसकी सुनवाई है । अभी तक उसके पास कोई वकील नहीं है ऐसा सुना है।"

जेलर - "ठीक है मैं उसकी फाइल देख लूंगी।"

जेलर मनीषा 35 साल कीआईपीएस रैंक की ऑफिसर थी। उसका पति सूरज भी एक आईपीएस था जो काफी दूर एक दूसरे जिले में पोस्टेड था। मनीषा जेल में ही बने ऑफिसर हाउस में रहती थी।

.......
 

ashik awara

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आहह।

महिला कर्मचारी ने उसके कपड़े उतरवाने के बाद जैसे ही जैसे ही उसकी जांच करने के लिए उसके चूतड़ों पर हाथ लगाया वह दर्द से शीतकार उठी। पुलिस की मार के निशान वहां पर अभी भी ताजा थे।

"चल आगे झुक, चेक करना है।"

जैसे ही वह आगे झुकी, महिला कर्मचारी ने दस्ताने पहने हाथों से उसके गोरे-गोरे चूतड़ों को फैलाया और गांड के अंदर उंगली डाली। दर्द का तीखा एहसास बिजली की तरह उसके शरीर में दौड़ गया। फिर इसी तरह से उसकी च** को चेक किया जहां उसे दर्द का वह एहसास नहीं हुआ। फिर वहां से उसे ऐसे ही बिना कपड़ों के शोवर में धकेल दिया गया।

10 दिन से ठीक से नहाई नहीं थी वह। शरीर पर मैल थी। बदबू दूर तक आ रही थी। च** पर बड़े बड़े बाल थे। पीठ, गांड और टांगों पर मार के निशान पड़े हुए थे। लॉकअप की गंदी बदबू के बाद आज उसे अपने नथुनों में साबुन की खुशबू का एहसास हुआ।

जैसे ही ठंडा पानी उसके शरीर पर गिरने लगा उसका शरीर कांप गया जैसे अचानक सैकड़ों सुईया उसके शरीर में चुभ रही हो। जैसे-जैसे पानी उसके शरीर पर गिर रहा था वैसे वैसे उसके शरीर की मैल निकल रही थी और उसके शरीर का गोरा रंग चमकने लगा और वैसे ही वहां खड़ी कर्मचारी की आंखें।

पानी और खुशबू के सुकून से उसकी आंखें अनायास ही बंद हो गई। और वह अतीत में खोने लगी।

"किंजल जल्दी कर। कॉलेज को लेट हो जायेगी। सारा दिन नहाती रहती है यह लड़की।" किंजल की मां ने बाहर से चिल्लाते हुए बोला।

"हां मैं आ रही हूं अभी अभी तो अंदर आई हूं, चैन से नहाने भी नहीं देते हैं।"


" साली रंडी अब निकल बाहर। अपनी नानी के घर आई है क्या?"
अचानक किंजल तेज आवाज में गाली सुनकर हड़बड़ा गई। 1 हफ्ते से गालियां सुनने की आदत हो गई थी उसकी।

जेल कर्मचारी ने उसे खुद को साफ करने के लिए एक पुरानी साड़ी का टुकड़ा उठाकर उसके मुंह पर मारा।
पिछले 10 दिनों में वह बस दो बार नहाई थी। उसमें भी अपने ही कपड़ों से खुद को पोंछ कर दोबारा वही पहन लेती थी।

यूं तो जेल में नए कपड़ों के लिए पैसे देने पड़ते थे, पर उसके कपड़ों की हालत देखकर कर्मचारी को उस पर तरस आ गया और उसने उसे नए अंत वस्त्र और सलवार कुर्ती दे दी। यूं तो वह कपड़े उसको बहुत ढीले थे पर फिर भी साफ-सुथरे थे। जब वह कपड़े पहन रही थी तो कर्मचारी उसके बदन को घूर रही थी। फिर कर्मचारी उसे जेल वार्डन के पास ले गई। वार्डन ने उसे घूर कर ऊपर से नीचे की तरफ देखा और पूछा।
"उम्र क्या है बे तेरी?"

" जी 19 "

वार्डन एक 45 साल की महिला थी। पिछले 20 साल से जेल में वार्डन थी। सब कैदियों में उसका खौफ था। वह थी ही इतनी सख्त। इसी सख्ती के चलते जेल में पैसा भी अच्छा कमाया था। ड्रग्स, नशा ,जरूरत की चीजें , हर चीज में उसे उसका हिस्सा मिलता था।

"इतनी सी उम्र में इतना बड़ा कांड। तेरी शक्ल देख कर कोई कह भी नहीं सकता कि तू खुद के मां-बाप को खा गई होगी।"

किंजल नजरें झुकाए खड़ी रही। कहती भी क्या। अपने प्रेमी की बातों में आकर उसने जो घिनौना काम किया था पूरे मीडिया में उसकी थू थू हो रही थी। अभी उसे अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेजा है। पिछले 10 दिन लॉकअप में बिताने के बाद उसकी रूह कांप गई थी। आगे जेल को जिंदगी कैसी गुजरेगी उसे अंदाजा भी नहीं था।


............
एक अलग तरह की कहानी हे पर पढने के लिए उत्सुकता जगाती हे लेखक को मेरी शुभकामनाएं , देवनागरी में लिखने के लिए आभार अपनी भाषा में कहानी पढने से ज्यादा आनद कहीं नही हे
 

Raja1239

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New and different concept. Keep writing.
 

parkas

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गलियारे से गुजरते हुए वह एक बैरक के सामने से गुजरी जिसमें औरतें अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ थी। अपने बैरक में पहुंचकर उसने देखा वह अंदाजन 15x30 का बैरक था। जिसमें 20 से 25 महिलाये थी। सबके बिस्तर जमीन पर बिछे हुए थे। दीवारों पर कुछ ना कुछ कपड़े टंगे हुए थे। बैरक के अंदर ही 4 - 5 शौचालय थे। दो पंखे लगे थे जो सिर्फ कहने के लिए घूम रहे थे। सभी औरतें पसीने से भरी हुई थी। और उसी की तरफ घूर रही थी।

महिला सिपाही ने बैरक का दरवाजा खोला और उसे अंदर जाने को कहा। बदबू का एक झोंका किंजल की नाक से टकराया। किंजल के मुंह से निकल गया "यहां तो बहुत बदबू आ रही है"

महिला सिपाही ने उसे घूरते हुए कहा "साली होटल में घूमने आई है क्या?" और उसे बैरक के अंदर धक्का दे दिया। बाहर से दरवाजा बंद कर ताला लगा दिया।

किंजल बैरक के अंदर इधर-उधर देखने लगी और अपने बैठने के लिए खाली जगह ढूंढने लगी। बदबू से उसके नाक के बाल चल रहे थे। कोने में शौचालय के पास उसे जगह खाली दिखी। अपनी चादर और कंबल लेकर वह धीरे-धीरे उस तरफ बढ़ने लगी। वह घबराते हुए चल रही थी क्योंकि बीच में जगह बहुत कम थी। लॉकअप में उसने इतना तो सीख लिया था कि दूसरे लोगों से बच के रहना होगा। उस बैरक में लगभग सभी औरतें 40 के ऊपर की थी। अपनी जगह पर पहुंच कर उसने अपनी चादर को बिछाया और अपना बिस्तर लगा दिया। शौचालय की गंदगी की बदबू से और रूअं।सी हो रही थी।

नीचे बैठते ही एक बार फिर दर्द की लहर उसके चूतड़ों से होते हुए उसके दिमाग तक दौड़ गई। लॉकअप में लगाए गए मर्दों और औरतों के हाथ उसे अपने शरीर पर महसूस हो रहे थे। पर वह क्या करती। जिग्नेश के प्यार में पागल होकर उसने इतनी बड़ी गलती जो कर दी थी।

बैरक की सब औरतें उसे इसलिए घूर रही थी क्योंकि इस उम्र की लड़कियां बहुत कम जेल में आती हैं। अभी पूरी जेल में 19 साल की किंजल के अलावा सिर्फ एक और लड़की थी जो 21 साल की थी और ड्रग्स के केस में अंदर थी। किंजल के केस की अगली सुनवाई 18 दिन बाद थी पर उसे पता था अब कोई उम्मीद नहीं है। अब यही उसकी जिंदगी है।

"क्यों रे क्या कर के आई है तू?" पास बैठी एक औरत ने पूछा। किंजल चुपचाप उसे देखती रही उसके मुंह से कुछ ना निकला। इतने में पांच बिस्तर दूर बैठी एक औरत बोली "अरे अपने मां-बाप का मर्डर करके आई है। अपने आशिक के साथ मिलकर। वह भी अंदर है। कुत्तिया कहीं की।"

पूरे बैरक में खुसर पुसर होने लगी।

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शाम का समय था और गर्मी अपने जोरों पर थी। एक तिनका नहीं हील रहा था। 4:30 से 6:30 कपड़े धोने का समय होता है लेकिन किंजल बैरक में ही बैठी रही।

उधर वार्डन सुषमा जेलर के पास रिपोर्ट करने गई।

"मैडम वाली नई कैदी अंदर आ गई है । उसके ऊपर मर्डर का चार्ज है। अभी ज्यूडिशल कस्टडी में है, 18 दिन बाद उसकी सुनवाई है । अभी तक उसके पास कोई वकील नहीं है ऐसा सुना है।"

जेलर - "ठीक है मैं उसकी फाइल देख लूंगी।"

जेलर मनीषा 35 साल कीआईपीएस रैंक की ऑफिसर थी। उसका पति सूरज भी एक आईपीएस था जो काफी दूर एक दूसरे जिले में पोस्टेड था। मनीषा जेल में ही बने ऑफिसर हाउस में रहती थी।

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Nice and lovely update....
 

king cobra

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Nice plot superb update
 
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