• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery महिला कारावास

Raja maurya

Well-Known Member
5,091
10,633
173
6:30 रात के खाने की घंटी बज गई। सब कैदी अपने अपने बैरक से बाहर निकल खाने की लाइन में लगने लगे। जब तक किंजल लाइन में लगी, लाइन लंबी हो चुकी थी। खाने का टाइम 8 बजे तक था।

सभी कैदियों को प्लास्टिक की प्लेट, कपड़े की एक जोड़ी, कंबल, चादर और तौलिया मिलता था। किंजल अपनी प्लेट में खाना लेकर एक तरफ जमीन पे बैठ गई। उसकी।प्लेट में दाल, चावल और रोटी थी। सुबह से भूखी किंजल को वो पानी जैसी दाल और चावल भी अंदर हो रहे थे।

"हाय!"
किंजल ने चौंक के देखा।
"पढा मैंने तेरे बारे में अखबार में। प्यार मोहब्बत में दिमाग काम करना बंद कर देता है। जो हुआ सो हुआ।"

पास बैठते हुए एक 21 साल की लड़की बोली। किंजल बिना कुछ बोले उसे देखने लगी और खाना खा रही थी। जेल के खाने की आदत तो उसे लॉकअप में ही हो गई। पर यह लाइन में लगने की आदत उसे अब बनानी थी।
"तुम यहां क्यों हो?" धीमी की आवाज में किंजल ने पूछा। वो पूछने में भी घबरा आ रही थी। उसे पता था जेल में जितना चुप रहेगी उतना सुरक्षित रहेगी।

"ड्रग्स। वैसे मेरा नाम सोनिया है। मुझे भी मेरे आशिक ने फसाया । उसके प्यार के चक्कर में फस के मैं भी ड्रग्स की डिलीवरी करने चली गई। और पुलिस वहां पहले से फील्डिंग लगाकर बैठी थी। किस्मत में यह जेल लिखी थी। घर वालों ने भी मुंह मोड़ लिया।"

तभी एक 35 साल की औरत उनके पास आकर बैठ गई। गोरा रंग और कसा हुआ बदन किसी अच्छे घर की लग रही थी। किंजल को बहुत गहरी नजर से देख रही थी।
"बस कर मौसी ज्यादा ध्यान से मत देख।"
"यह शिफा मौसी है हमारे ग्रुप में हम प्यार से इसको मौसी बोलते हैं। तू भी हमारे ग्रुप में रहे कोई तकलीफ नहीं होगी।"

"ग्रुप मतलब?" किंजल ने दबी सी आवाज में पूछा।

"मतलब यहां अकेले गुजारा नहीं है। किसी ग्रुप में रहेगी तो ठीक रहेगी। ग्रुप मतलब एक दूसरे का ध्यान रखना, आपस में काम बांट कर करना ताकि सबके अपने-अपने काम हो जाए। जेल का मौसम तू जितनी जल्दी समझ ले उतना अच्छा है तेरे लिए।"

इतने में घंटी बज गई। सबका बैरक में वापस जाने का टाइम हो गया। तीनों अपनी जगह से उठ गए और अपने अपने बैरक की तरफ चल पड़े। और सब की गिनती शुरू हो गई।

जेल में एक अलग ही सिस्टम काम करता है। एकदम का वह होता है जो इस सिस्टम में पिसता है। दूसरा तबका इसको चलाता है। और एक तबका इस सिस्टम पर राज करता है। सिस्टम में बिना पिसे जेल में कोई रह नहीं सकता। शिफा और सोनिया इस सिस्टम में चला रहे थे। किंजल बहुत जल्द इस सिस्टम में पिसने वाली थी।


...........
Nice update Bhai
 
  • Like
Reactions: Napster

Napster

Well-Known Member
5,366
14,646
188
बहुत ही बढिया और मस्त अपडेट है लेकीन बहुत ही छोटा हैं थोडा बडा अपडेट देने की कोशिश किजीये
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
  • Like
Reactions: Raja maurya

king cobra

Well-Known Member
5,258
9,924
189
6:30 रात के खाने की घंटी बज गई। सब कैदी अपने अपने बैरक से बाहर निकल खाने की लाइन में लगने लगे। जब तक किंजल लाइन में लगी, लाइन लंबी हो चुकी थी। खाने का टाइम 8 बजे तक था।

सभी कैदियों को प्लास्टिक की प्लेट, कपड़े की एक जोड़ी, कंबल, चादर और तौलिया मिलता था। किंजल अपनी प्लेट में खाना लेकर एक तरफ जमीन पे बैठ गई। उसकी।प्लेट में दाल, चावल और रोटी थी। सुबह से भूखी किंजल को वो पानी जैसी दाल और चावल भी अंदर हो रहे थे।

"हाय!"
किंजल ने चौंक के देखा।
"पढा मैंने तेरे बारे में अखबार में। प्यार मोहब्बत में दिमाग काम करना बंद कर देता है। जो हुआ सो हुआ।"

पास बैठते हुए एक 21 साल की लड़की बोली। किंजल बिना कुछ बोले उसे देखने लगी और खाना खा रही थी। जेल के खाने की आदत तो उसे लॉकअप में ही हो गई। पर यह लाइन में लगने की आदत उसे अब बनानी थी।
"तुम यहां क्यों हो?" धीमी की आवाज में किंजल ने पूछा। वो पूछने में भी घबरा आ रही थी। उसे पता था जेल में जितना चुप रहेगी उतना सुरक्षित रहेगी।

"ड्रग्स। वैसे मेरा नाम सोनिया है। मुझे भी मेरे आशिक ने फसाया । उसके प्यार के चक्कर में फस के मैं भी ड्रग्स की डिलीवरी करने चली गई। और पुलिस वहां पहले से फील्डिंग लगाकर बैठी थी। किस्मत में यह जेल लिखी थी। घर वालों ने भी मुंह मोड़ लिया।"

तभी एक 35 साल की औरत उनके पास आकर बैठ गई। गोरा रंग और कसा हुआ बदन किसी अच्छे घर की लग रही थी। किंजल को बहुत गहरी नजर से देख रही थी।
"बस कर मौसी ज्यादा ध्यान से मत देख।"
"यह शिफा मौसी है हमारे ग्रुप में हम प्यार से इसको मौसी बोलते हैं। तू भी हमारे ग्रुप में रहे कोई तकलीफ नहीं होगी।"

"ग्रुप मतलब?" किंजल ने दबी सी आवाज में पूछा।

"मतलब यहां अकेले गुजारा नहीं है। किसी ग्रुप में रहेगी तो ठीक रहेगी। ग्रुप मतलब एक दूसरे का ध्यान रखना, आपस में काम बांट कर करना ताकि सबके अपने-अपने काम हो जाए। जेल का मौसम तू जितनी जल्दी समझ ले उतना अच्छा है तेरे लिए।"

इतने में घंटी बज गई। सबका बैरक में वापस जाने का टाइम हो गया। तीनों अपनी जगह से उठ गए और अपने अपने बैरक की तरफ चल पड़े। और सब की गिनती शुरू हो गई।

जेल में एक अलग ही सिस्टम काम करता है। एकदम का वह होता है जो इस सिस्टम में पिसता है। दूसरा तबका इसको चलाता है। और एक तबका इस सिस्टम पर राज करता है। सिस्टम में बिना पिसे जेल में कोई रह नहीं सकता। शिफा और सोनिया इस सिस्टम में चला रहे थे। किंजल बहुत जल्द इस सिस्टम में पिसने वाली थी।


...........
huum jail ki ek alag duniya hoti normal zindgi se bilkul alag sare sapne toot jate aadmi sasur time par khana time par sona aur hamesha apradhiyon ke bich ma rahna uske baad paise se kaafi asani ho jati lekin rahna ushi pinjre ma hai.jo aate jate rahte unko farak noi padta lekin dekha hai maine logon ko bilakh bilakh kar rote hue wahan.bas do mint ka gussa aur bharti ho jati hai aadmi ki jabki naukri ke liye jute ghis jate kapde fat Jate :D: magar ladkiyon wale jail ke bare ma jada jaankari na hai dekhte kya hota hai
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
19,342
40,091
259
6:30 रात के खाने की घंटी बज गई। सब कैदी अपने अपने बैरक से बाहर निकल खाने की लाइन में लगने लगे। जब तक किंजल लाइन में लगी, लाइन लंबी हो चुकी थी। खाने का टाइम 8 बजे तक था।

सभी कैदियों को प्लास्टिक की प्लेट, कपड़े की एक जोड़ी, कंबल, चादर और तौलिया मिलता था। किंजल अपनी प्लेट में खाना लेकर एक तरफ जमीन पे बैठ गई। उसकी।प्लेट में दाल, चावल और रोटी थी। सुबह से भूखी किंजल को वो पानी जैसी दाल और चावल भी अंदर हो रहे थे।

"हाय!"
किंजल ने चौंक के देखा।
"पढा मैंने तेरे बारे में अखबार में। प्यार मोहब्बत में दिमाग काम करना बंद कर देता है। जो हुआ सो हुआ।"

पास बैठते हुए एक 21 साल की लड़की बोली। किंजल बिना कुछ बोले उसे देखने लगी और खाना खा रही थी। जेल के खाने की आदत तो उसे लॉकअप में ही हो गई। पर यह लाइन में लगने की आदत उसे अब बनानी थी।
"तुम यहां क्यों हो?" धीमी की आवाज में किंजल ने पूछा। वो पूछने में भी घबरा आ रही थी। उसे पता था जेल में जितना चुप रहेगी उतना सुरक्षित रहेगी।

"ड्रग्स। वैसे मेरा नाम सोनिया है। मुझे भी मेरे आशिक ने फसाया । उसके प्यार के चक्कर में फस के मैं भी ड्रग्स की डिलीवरी करने चली गई। और पुलिस वहां पहले से फील्डिंग लगाकर बैठी थी। किस्मत में यह जेल लिखी थी। घर वालों ने भी मुंह मोड़ लिया।"

तभी एक 35 साल की औरत उनके पास आकर बैठ गई। गोरा रंग और कसा हुआ बदन किसी अच्छे घर की लग रही थी। किंजल को बहुत गहरी नजर से देख रही थी।
"बस कर मौसी ज्यादा ध्यान से मत देख।"
"यह शिफा मौसी है हमारे ग्रुप में हम प्यार से इसको मौसी बोलते हैं। तू भी हमारे ग्रुप में रहे कोई तकलीफ नहीं होगी।"

"ग्रुप मतलब?" किंजल ने दबी सी आवाज में पूछा।

"मतलब यहां अकेले गुजारा नहीं है। किसी ग्रुप में रहेगी तो ठीक रहेगी। ग्रुप मतलब एक दूसरे का ध्यान रखना, आपस में काम बांट कर करना ताकि सबके अपने-अपने काम हो जाए। जेल का मौसम तू जितनी जल्दी समझ ले उतना अच्छा है तेरे लिए।"

इतने में घंटी बज गई। सबका बैरक में वापस जाने का टाइम हो गया। तीनों अपनी जगह से उठ गए और अपने अपने बैरक की तरफ चल पड़े। और सब की गिनती शुरू हो गई।

जेल में एक अलग ही सिस्टम काम करता है। एकदम का वह होता है जो इस सिस्टम में पिसता है। दूसरा तबका इसको चलाता है। और एक तबका इस सिस्टम पर राज करता है। सिस्टम में बिना पिसे जेल में कोई रह नहीं सकता। शिफा और सोनिया इस सिस्टम में चला रहे थे। किंजल बहुत जल्द इस सिस्टम में पिसने वाली थी।


...........
जेल एक अलग तरह की दुनिया होती है।

होती तो ये हमारी दुनिया जैसी ही है, लेकिन सीमित जगह और सीमित संसाधन इसे पूरी तरह से डार्विन की दुनिया बना देते हैं जहां या तो आप धनबल, या बाहुबल से ही सर्वाइव कर पाते हैं,या फिर किसी के रहमो करम पर,पर ये रहमो करम कई करम करने पर मजबूर कर देता है।
 
  • Like
Reactions: Napster and parkas

park

Well-Known Member
11,778
14,026
228
6:30 रात के खाने की घंटी बज गई। सब कैदी अपने अपने बैरक से बाहर निकल खाने की लाइन में लगने लगे। जब तक किंजल लाइन में लगी, लाइन लंबी हो चुकी थी। खाने का टाइम 8 बजे तक था।

सभी कैदियों को प्लास्टिक की प्लेट, कपड़े की एक जोड़ी, कंबल, चादर और तौलिया मिलता था। किंजल अपनी प्लेट में खाना लेकर एक तरफ जमीन पे बैठ गई। उसकी।प्लेट में दाल, चावल और रोटी थी। सुबह से भूखी किंजल को वो पानी जैसी दाल और चावल भी अंदर हो रहे थे।

"हाय!"
किंजल ने चौंक के देखा।
"पढा मैंने तेरे बारे में अखबार में। प्यार मोहब्बत में दिमाग काम करना बंद कर देता है। जो हुआ सो हुआ।"

पास बैठते हुए एक 21 साल की लड़की बोली। किंजल बिना कुछ बोले उसे देखने लगी और खाना खा रही थी। जेल के खाने की आदत तो उसे लॉकअप में ही हो गई। पर यह लाइन में लगने की आदत उसे अब बनानी थी।
"तुम यहां क्यों हो?" धीमी की आवाज में किंजल ने पूछा। वो पूछने में भी घबरा आ रही थी। उसे पता था जेल में जितना चुप रहेगी उतना सुरक्षित रहेगी।

"ड्रग्स। वैसे मेरा नाम सोनिया है। मुझे भी मेरे आशिक ने फसाया । उसके प्यार के चक्कर में फस के मैं भी ड्रग्स की डिलीवरी करने चली गई। और पुलिस वहां पहले से फील्डिंग लगाकर बैठी थी। किस्मत में यह जेल लिखी थी। घर वालों ने भी मुंह मोड़ लिया।"

तभी एक 35 साल की औरत उनके पास आकर बैठ गई। गोरा रंग और कसा हुआ बदन किसी अच्छे घर की लग रही थी। किंजल को बहुत गहरी नजर से देख रही थी।
"बस कर मौसी ज्यादा ध्यान से मत देख।"
"यह शिफा मौसी है हमारे ग्रुप में हम प्यार से इसको मौसी बोलते हैं। तू भी हमारे ग्रुप में रहे कोई तकलीफ नहीं होगी।"

"ग्रुप मतलब?" किंजल ने दबी सी आवाज में पूछा।

"मतलब यहां अकेले गुजारा नहीं है। किसी ग्रुप में रहेगी तो ठीक रहेगी। ग्रुप मतलब एक दूसरे का ध्यान रखना, आपस में काम बांट कर करना ताकि सबके अपने-अपने काम हो जाए। जेल का मौसम तू जितनी जल्दी समझ ले उतना अच्छा है तेरे लिए।"

इतने में घंटी बज गई। सबका बैरक में वापस जाने का टाइम हो गया। तीनों अपनी जगह से उठ गए और अपने अपने बैरक की तरफ चल पड़े। और सब की गिनती शुरू हो गई।

जेल में एक अलग ही सिस्टम काम करता है। एकदम का वह होता है जो इस सिस्टम में पिसता है। दूसरा तबका इसको चलाता है। और एक तबका इस सिस्टम पर राज करता है। सिस्टम में बिना पिसे जेल में कोई रह नहीं सकता। शिफा और सोनिया इस सिस्टम में चला रहे थे। किंजल बहुत जल्द इस सिस्टम में पिसने वाली थी।


...........
Nice and superb update...
 
  • Like
Reactions: Napster

kas1709

Well-Known Member
10,102
10,668
213
6:30 रात के खाने की घंटी बज गई। सब कैदी अपने अपने बैरक से बाहर निकल खाने की लाइन में लगने लगे। जब तक किंजल लाइन में लगी, लाइन लंबी हो चुकी थी। खाने का टाइम 8 बजे तक था।

सभी कैदियों को प्लास्टिक की प्लेट, कपड़े की एक जोड़ी, कंबल, चादर और तौलिया मिलता था। किंजल अपनी प्लेट में खाना लेकर एक तरफ जमीन पे बैठ गई। उसकी।प्लेट में दाल, चावल और रोटी थी। सुबह से भूखी किंजल को वो पानी जैसी दाल और चावल भी अंदर हो रहे थे।

"हाय!"
किंजल ने चौंक के देखा।
"पढा मैंने तेरे बारे में अखबार में। प्यार मोहब्बत में दिमाग काम करना बंद कर देता है। जो हुआ सो हुआ।"

पास बैठते हुए एक 21 साल की लड़की बोली। किंजल बिना कुछ बोले उसे देखने लगी और खाना खा रही थी। जेल के खाने की आदत तो उसे लॉकअप में ही हो गई। पर यह लाइन में लगने की आदत उसे अब बनानी थी।
"तुम यहां क्यों हो?" धीमी की आवाज में किंजल ने पूछा। वो पूछने में भी घबरा आ रही थी। उसे पता था जेल में जितना चुप रहेगी उतना सुरक्षित रहेगी।

"ड्रग्स। वैसे मेरा नाम सोनिया है। मुझे भी मेरे आशिक ने फसाया । उसके प्यार के चक्कर में फस के मैं भी ड्रग्स की डिलीवरी करने चली गई। और पुलिस वहां पहले से फील्डिंग लगाकर बैठी थी। किस्मत में यह जेल लिखी थी। घर वालों ने भी मुंह मोड़ लिया।"

तभी एक 35 साल की औरत उनके पास आकर बैठ गई। गोरा रंग और कसा हुआ बदन किसी अच्छे घर की लग रही थी। किंजल को बहुत गहरी नजर से देख रही थी।
"बस कर मौसी ज्यादा ध्यान से मत देख।"
"यह शिफा मौसी है हमारे ग्रुप में हम प्यार से इसको मौसी बोलते हैं। तू भी हमारे ग्रुप में रहे कोई तकलीफ नहीं होगी।"

"ग्रुप मतलब?" किंजल ने दबी सी आवाज में पूछा।

"मतलब यहां अकेले गुजारा नहीं है। किसी ग्रुप में रहेगी तो ठीक रहेगी। ग्रुप मतलब एक दूसरे का ध्यान रखना, आपस में काम बांट कर करना ताकि सबके अपने-अपने काम हो जाए। जेल का मौसम तू जितनी जल्दी समझ ले उतना अच्छा है तेरे लिए।"

इतने में घंटी बज गई। सबका बैरक में वापस जाने का टाइम हो गया। तीनों अपनी जगह से उठ गए और अपने अपने बैरक की तरफ चल पड़े। और सब की गिनती शुरू हो गई।

जेल में एक अलग ही सिस्टम काम करता है। एकदम का वह होता है जो इस सिस्टम में पिसता है। दूसरा तबका इसको चलाता है। और एक तबका इस सिस्टम पर राज करता है। सिस्टम में बिना पिसे जेल में कोई रह नहीं सकता। शिफा और सोनिया इस सिस्टम में चला रहे थे। किंजल बहुत जल्द इस सिस्टम में पिसने वाली थी।


...........
Nice update...
 
  • Like
Reactions: Napster

niks1987

New Member
27
312
64
रात हो चुकी थी। किंजल अपने बिस्तर पर लेटी थी। उसके बाजू वाली औरतों के बीच मुश्किल से 1 फीट का भी फैसला नहीं था। डेढ़ सौ लोगों की जेल में 500 से ज्यादा कैदी थे। कोई औरत अगर दूसरे को छू भी जाती थी तो गालियां शुरू हो जाती थी । किंजल डर के मारे सिकुड़ के लेटी हुई थी। जिस तरफ करवट लेती थी उसी तरफ दर्द की लहर निकलने लगती थी। लॉकअप के भयानक मंजर से ही वह कांप रही थी। महिला हवलदार के सामने ही इंस्पेक्टर उसके चूतड़ों और चूचों को मजे से भींच रहा था। किंजल दर्द से चिल्ला रही थी और हवलदार उसके पैरों में डंडे मार रहा था। दूसरे लॉकअप में उसे जिग्नेश की चीखें सुनाई दे रही थी। किंजल को पेशाब का जोर पड़ा। वह उठकर दूसरे कैदी से बचते हुए शौचालय की तरफ गई। अंदर दुर्गंध नाक के बाल जला रही थी। पेशाब के लिए बैठने में भी किंजल की दर्द से सी निकल गई। किसी तरह उसने पेशाब किया और बाहर आ गई। नींद आंखों से कोसों दूर थी।
.......

"मूवी तो बोरिंग है।" किंजल ने जिग्नेश की बाहों में बैठे बोला।
जिग्नेश का हाथ उसके कंधे के ऊपर से उसके गले के अंदर था। ब्रा के अंदर उसके कोमल उभरे हुए निप्पल को सहला रहा था। किंजल की पेंटी गीली हो रही थी और आंखें मस्ती में ऊपर चढ रही थी। किंजल का एक हाथ जिग्नेश ने अपने हाथ में पकड़ रखा था। किंजल नहीं टी शर्ट के ऊपर से ही जिग्नेश के हाथ पर हाथ रख लिया और कस के पकड़ लिया। और जिग्नेश कहां रुक रहा था। किंजल के नाखून जिग्नेश के हाथों में गड़ रहे थे।
अचानक किंजल की सांस रुक गई और पूरा शरीर अकड़ने लगा। और पिघलने लगी। जिग्नेश ने किंजल का हाथ जींस के ऊपर अपने ल** पर रख दिया। किंजल उसे मस्ती में मसलने लगी। जब किंजल 7 बार झड़ गई तो उसने जिग्नेश को गिड़गिड़ा कर बोला। "मुझमें अब ताकत नही हैं, अब चलो प्लीज।" जिग्नेश ने कस कर
चूचे को मसल दिया।
.......

"आह " अचानक किंजल की नींद खुली।
उसे पास बैठी औरत ने थप्पड़ मारा था। जाने कब उसकी नींद लग गई और उसका पैर साथ वाली औरत को लग गया। और उसने पलटते ही थप्पड़ मार दिया। इतने में सुबह 5 30 की घंटी बज गई। सब उठ खड़े हुए और बैरक के बाहर शौचालय की लाइन में लग गए। गुसलखाना बहुत बड़ा था। 7 8 गुसलखाने थे। अंदर कोई दरवाजा नहीं था बस बीच में आधी दीवार थी। सब औरतें वहा नंगी नहा रही थी। रात भर गर्मी में पसीने से नहाई किंजल को खुद से बदबू आ रही थी। उसने कपड़े उतारने शुरू किए। उसका शरीर चिकना था बस chut पर घने बाल थे। वहा लगभग सभी औरतों के choot और बगलों में बाल थे। किंजल जल्दी से साबुन लगा पानी डाल कर खुद को पोंछने लगी। पोंछते हुए उसने सामने वाले शावर के नीचे देखा। वहा एक लगभग 40 साल की गोरी , हल्की मोटी महिला नहा रही थी। और उसकी choot क्लीन शेव थी। किंजल को बहुत अजीब लगा। पीठ और गर्दन पर निशान थे। किंजल अच्छे से समझती थी कि ये लव बाइट्स हैं। पर जेल में केसे।

बाकी औरते भी इस महिला को कंखियों से देख रही थी। किंजल तौलिया लपेटे पानी से बाहर निकल रही थी। तभी पास गुजरती कैदी ने उसकी गांड को मसल दिया। किंजल घबरा कर साइड में हो गई। और कई औरते हसने लगी।
ये सब करते करते 8 बज गए थे। 6:30 बजे सुबह के नाश्ते की घंटी बज चुकी थी। पर किंजल नहाने की लाइन में ही लेट हो गई। 8:30 बजे नाश्ते का समय खत्म हो जाता है। पेट में चूहे दौड़ रहे थे। आज तो शायद भूखा रहना पड़ता।

"ये ले तेरी थाली" तभी सोनिया और शिफा उसके सामने आई और थाली पकड़ाते हुए बोली। थाली में पोहा, ब्रेड, और चटनी थी।
"थैंक यू "

"इसीलिए बोला था ग्रुप में आजा। जेल में अकेले गुजारा नहीं है। एक दूसरे का ध्यान रखना पड़ता है।" शिफा बोली।

किंजल खाने लगी। वो पोहा मुश्किल से उसके अंदर जा रहा था।

सामने वही औरत आते हुए दिखाई दी जिसे किंजल ने नहाते हुए देखा था। वो थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी। वह भी लेट आई थी लेकिन फिर भी उसके हाथ में थाली थी। शिफा ने उसकी तरफ देखा और उस औरत ने मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। ऐसा लग रहा था बस आंखों से कभी भी आंसू फूट पड़ेंगे। iतने में खाना बंद होने की घंटी बज गई।

.....
 

parkas

Well-Known Member
28,437
62,750
303
रात हो चुकी थी। किंजल अपने बिस्तर पर लेटी थी। उसके बाजू वाली औरतों के बीच मुश्किल से 1 फीट का भी फैसला नहीं था। डेढ़ सौ लोगों की जेल में 500 से ज्यादा कैदी थे। कोई औरत अगर दूसरे को छू भी जाती थी तो गालियां शुरू हो जाती थी । किंजल डर के मारे सिकुड़ के लेटी हुई थी। जिस तरफ करवट लेती थी उसी तरफ दर्द की लहर निकलने लगती थी। लॉकअप के भयानक मंजर से ही वह कांप रही थी। महिला हवलदार के सामने ही इंस्पेक्टर उसके चूतड़ों और चूचों को मजे से भींच रहा था। किंजल दर्द से चिल्ला रही थी और हवलदार उसके पैरों में डंडे मार रहा था। दूसरे लॉकअप में उसे जिग्नेश की चीखें सुनाई दे रही थी। किंजल को पेशाब का जोर पड़ा। वह उठकर दूसरे कैदी से बचते हुए शौचालय की तरफ गई। अंदर दुर्गंध नाक के बाल जला रही थी। पेशाब के लिए बैठने में भी किंजल की दर्द से सी निकल गई। किसी तरह उसने पेशाब किया और बाहर आ गई। नींद आंखों से कोसों दूर थी।
.......

"मूवी तो बोरिंग है।" किंजल ने जिग्नेश की बाहों में बैठे बोला।
जिग्नेश का हाथ उसके कंधे के ऊपर से उसके गले के अंदर था। ब्रा के अंदर उसके कोमल उभरे हुए निप्पल को सहला रहा था। किंजल की पेंटी गीली हो रही थी और आंखें मस्ती में ऊपर चढ रही थी। किंजल का एक हाथ जिग्नेश ने अपने हाथ में पकड़ रखा था। किंजल नहीं टी शर्ट के ऊपर से ही जिग्नेश के हाथ पर हाथ रख लिया और कस के पकड़ लिया। और जिग्नेश कहां रुक रहा था। किंजल के नाखून जिग्नेश के हाथों में गड़ रहे थे।
अचानक किंजल की सांस रुक गई और पूरा शरीर अकड़ने लगा। और पिघलने लगी। जिग्नेश ने किंजल का हाथ जींस के ऊपर अपने ल** पर रख दिया। किंजल उसे मस्ती में मसलने लगी। जब किंजल 7 बार झड़ गई तो उसने जिग्नेश को गिड़गिड़ा कर बोला। "मुझमें अब ताकत नही हैं, अब चलो प्लीज।" जिग्नेश ने कस कर
चूचे को मसल दिया।
.......

"आह " अचानक किंजल की नींद खुली।
उसे पास बैठी औरत ने थप्पड़ मारा था। जाने कब उसकी नींद लग गई और उसका पैर साथ वाली औरत को लग गया। और उसने पलटते ही थप्पड़ मार दिया। इतने में सुबह 5 30 की घंटी बज गई। सब उठ खड़े हुए और बैरक के बाहर शौचालय की लाइन में लग गए। गुसलखाना बहुत बड़ा था। 7 8 गुसलखाने थे। अंदर कोई दरवाजा नहीं था बस बीच में आधी दीवार थी। सब औरतें वहा नंगी नहा रही थी। रात भर गर्मी में पसीने से नहाई किंजल को खुद से बदबू आ रही थी। उसने कपड़े उतारने शुरू किए। उसका शरीर चिकना था बस chut पर घने बाल थे। वहा लगभग सभी औरतों के choot और बगलों में बाल थे। किंजल जल्दी से साबुन लगा पानी डाल कर खुद को पोंछने लगी। पोंछते हुए उसने सामने वाले शावर के नीचे देखा। वहा एक लगभग 40 साल की गोरी , हल्की मोटी महिला नहा रही थी। और उसकी choot क्लीन शेव थी। किंजल को बहुत अजीब लगा। पीठ और गर्दन पर निशान थे। किंजल अच्छे से समझती थी कि ये लव बाइट्स हैं। पर जेल में केसे।

बाकी औरते भी इस महिला को कंखियों से देख रही थी। किंजल तौलिया लपेटे पानी से बाहर निकल रही थी। तभी पास गुजरती कैदी ने उसकी गांड को मसल दिया। किंजल घबरा कर साइड में हो गई। और कई औरते हसने लगी।
ये सब करते करते 8 बज गए थे। 6:30 बजे सुबह के नाश्ते की घंटी बज चुकी थी। पर किंजल नहाने की लाइन में ही लेट हो गई। 8:30 बजे नाश्ते का समय खत्म हो जाता है। पेट में चूहे दौड़ रहे थे। आज तो शायद भूखा रहना पड़ता।

"ये ले तेरी थाली" तभी सोनिया और शिफा उसके सामने आई और थाली पकड़ाते हुए बोली। थाली में पोहा, ब्रेड, और चटनी थी।
"थैंक यू "

"इसीलिए बोला था ग्रुप में आजा। जेल में अकेले गुजारा नहीं है। एक दूसरे का ध्यान रखना पड़ता है।" शिफा बोली।

किंजल खाने लगी। वो पोहा मुश्किल से उसके अंदर जा रहा था।

सामने वही औरत आते हुए दिखाई दी जिसे किंजल ने नहाते हुए देखा था। वो थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी। वह भी लेट आई थी लेकिन फिर भी उसके हाथ में थाली थी। शिफा ने उसकी तरफ देखा और उस औरत ने मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। ऐसा लग रहा था बस आंखों से कभी भी आंसू फूट पड़ेंगे। iतने में खाना बंद होने की घंटी बज गई।

.....
Nice and awesome update....
 
Top