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Adultery महिला कारावास

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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रात हो चुकी थी। किंजल अपने बिस्तर पर लेटी थी। उसके बाजू वाली औरतों के बीच मुश्किल से 1 फीट का भी फैसला नहीं था। डेढ़ सौ लोगों की जेल में 500 से ज्यादा कैदी थे। कोई औरत अगर दूसरे को छू भी जाती थी तो गालियां शुरू हो जाती थी । किंजल डर के मारे सिकुड़ के लेटी हुई थी। जिस तरफ करवट लेती थी उसी तरफ दर्द की लहर निकलने लगती थी। लॉकअप के भयानक मंजर से ही वह कांप रही थी। महिला हवलदार के सामने ही इंस्पेक्टर उसके चूतड़ों और चूचों को मजे से भींच रहा था। किंजल दर्द से चिल्ला रही थी और हवलदार उसके पैरों में डंडे मार रहा था। दूसरे लॉकअप में उसे जिग्नेश की चीखें सुनाई दे रही थी। किंजल को पेशाब का जोर पड़ा। वह उठकर दूसरे कैदी से बचते हुए शौचालय की तरफ गई। अंदर दुर्गंध नाक के बाल जला रही थी। पेशाब के लिए बैठने में भी किंजल की दर्द से सी निकल गई। किसी तरह उसने पेशाब किया और बाहर आ गई। नींद आंखों से कोसों दूर थी।
.......

"मूवी तो बोरिंग है।" किंजल ने जिग्नेश की बाहों में बैठे बोला।
जिग्नेश का हाथ उसके कंधे के ऊपर से उसके गले के अंदर था। ब्रा के अंदर उसके कोमल उभरे हुए निप्पल को सहला रहा था। किंजल की पेंटी गीली हो रही थी और आंखें मस्ती में ऊपर चढ रही थी। किंजल का एक हाथ जिग्नेश ने अपने हाथ में पकड़ रखा था। किंजल नहीं टी शर्ट के ऊपर से ही जिग्नेश के हाथ पर हाथ रख लिया और कस के पकड़ लिया। और जिग्नेश कहां रुक रहा था। किंजल के नाखून जिग्नेश के हाथों में गड़ रहे थे।
अचानक किंजल की सांस रुक गई और पूरा शरीर अकड़ने लगा। और पिघलने लगी। जिग्नेश ने किंजल का हाथ जींस के ऊपर अपने ल** पर रख दिया। किंजल उसे मस्ती में मसलने लगी। जब किंजल 7 बार झड़ गई तो उसने जिग्नेश को गिड़गिड़ा कर बोला। "मुझमें अब ताकत नही हैं, अब चलो प्लीज।" जिग्नेश ने कस कर
चूचे को मसल दिया।
.......

"आह " अचानक किंजल की नींद खुली।
उसे पास बैठी औरत ने थप्पड़ मारा था। जाने कब उसकी नींद लग गई और उसका पैर साथ वाली औरत को लग गया। और उसने पलटते ही थप्पड़ मार दिया। इतने में सुबह 5 30 की घंटी बज गई। सब उठ खड़े हुए और बैरक के बाहर शौचालय की लाइन में लग गए। गुसलखाना बहुत बड़ा था। 7 8 गुसलखाने थे। अंदर कोई दरवाजा नहीं था बस बीच में आधी दीवार थी। सब औरतें वहा नंगी नहा रही थी। रात भर गर्मी में पसीने से नहाई किंजल को खुद से बदबू आ रही थी। उसने कपड़े उतारने शुरू किए। उसका शरीर चिकना था बस chut पर घने बाल थे। वहा लगभग सभी औरतों के choot और बगलों में बाल थे। किंजल जल्दी से साबुन लगा पानी डाल कर खुद को पोंछने लगी। पोंछते हुए उसने सामने वाले शावर के नीचे देखा। वहा एक लगभग 40 साल की गोरी , हल्की मोटी महिला नहा रही थी। और उसकी choot क्लीन शेव थी। किंजल को बहुत अजीब लगा। पीठ और गर्दन पर निशान थे। किंजल अच्छे से समझती थी कि ये लव बाइट्स हैं। पर जेल में केसे।

बाकी औरते भी इस महिला को कंखियों से देख रही थी। किंजल तौलिया लपेटे पानी से बाहर निकल रही थी। तभी पास गुजरती कैदी ने उसकी गांड को मसल दिया। किंजल घबरा कर साइड में हो गई। और कई औरते हसने लगी।
ये सब करते करते 8 बज गए थे। 6:30 बजे सुबह के नाश्ते की घंटी बज चुकी थी। पर किंजल नहाने की लाइन में ही लेट हो गई। 8:30 बजे नाश्ते का समय खत्म हो जाता है। पेट में चूहे दौड़ रहे थे। आज तो शायद भूखा रहना पड़ता।

"ये ले तेरी थाली" तभी सोनिया और शिफा उसके सामने आई और थाली पकड़ाते हुए बोली। थाली में पोहा, ब्रेड, और चटनी थी।
"थैंक यू "

"इसीलिए बोला था ग्रुप में आजा। जेल में अकेले गुजारा नहीं है। एक दूसरे का ध्यान रखना पड़ता है।" शिफा बोली।

किंजल खाने लगी। वो पोहा मुश्किल से उसके अंदर जा रहा था।

सामने वही औरत आते हुए दिखाई दी जिसे किंजल ने नहाते हुए देखा था। वो थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी। वह भी लेट आई थी लेकिन फिर भी उसके हाथ में थाली थी। शिफा ने उसकी तरफ देखा और उस औरत ने मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। ऐसा लग रहा था बस आंखों से कभी भी आंसू फूट पड़ेंगे। iतने में खाना बंद होने की घंटी बज गई।

.....
ऐसा लग तरह की इस कारावास में कैदियों को सेक्स वर्कर भी बनाया जाता है, तभी उस औरत के शरीर पर लव बाइट दिखे और उसको स्पेशल ट्रीटमेंट भी मिल रहा है l
 

park

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रात हो चुकी थी। किंजल अपने बिस्तर पर लेटी थी। उसके बाजू वाली औरतों के बीच मुश्किल से 1 फीट का भी फैसला नहीं था। डेढ़ सौ लोगों की जेल में 500 से ज्यादा कैदी थे। कोई औरत अगर दूसरे को छू भी जाती थी तो गालियां शुरू हो जाती थी । किंजल डर के मारे सिकुड़ के लेटी हुई थी। जिस तरफ करवट लेती थी उसी तरफ दर्द की लहर निकलने लगती थी। लॉकअप के भयानक मंजर से ही वह कांप रही थी। महिला हवलदार के सामने ही इंस्पेक्टर उसके चूतड़ों और चूचों को मजे से भींच रहा था। किंजल दर्द से चिल्ला रही थी और हवलदार उसके पैरों में डंडे मार रहा था। दूसरे लॉकअप में उसे जिग्नेश की चीखें सुनाई दे रही थी। किंजल को पेशाब का जोर पड़ा। वह उठकर दूसरे कैदी से बचते हुए शौचालय की तरफ गई। अंदर दुर्गंध नाक के बाल जला रही थी। पेशाब के लिए बैठने में भी किंजल की दर्द से सी निकल गई। किसी तरह उसने पेशाब किया और बाहर आ गई। नींद आंखों से कोसों दूर थी।
.......

"मूवी तो बोरिंग है।" किंजल ने जिग्नेश की बाहों में बैठे बोला।
जिग्नेश का हाथ उसके कंधे के ऊपर से उसके गले के अंदर था। ब्रा के अंदर उसके कोमल उभरे हुए निप्पल को सहला रहा था। किंजल की पेंटी गीली हो रही थी और आंखें मस्ती में ऊपर चढ रही थी। किंजल का एक हाथ जिग्नेश ने अपने हाथ में पकड़ रखा था। किंजल नहीं टी शर्ट के ऊपर से ही जिग्नेश के हाथ पर हाथ रख लिया और कस के पकड़ लिया। और जिग्नेश कहां रुक रहा था। किंजल के नाखून जिग्नेश के हाथों में गड़ रहे थे।
अचानक किंजल की सांस रुक गई और पूरा शरीर अकड़ने लगा। और पिघलने लगी। जिग्नेश ने किंजल का हाथ जींस के ऊपर अपने ल** पर रख दिया। किंजल उसे मस्ती में मसलने लगी। जब किंजल 7 बार झड़ गई तो उसने जिग्नेश को गिड़गिड़ा कर बोला। "मुझमें अब ताकत नही हैं, अब चलो प्लीज।" जिग्नेश ने कस कर
चूचे को मसल दिया।
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"आह " अचानक किंजल की नींद खुली।
उसे पास बैठी औरत ने थप्पड़ मारा था। जाने कब उसकी नींद लग गई और उसका पैर साथ वाली औरत को लग गया। और उसने पलटते ही थप्पड़ मार दिया। इतने में सुबह 5 30 की घंटी बज गई। सब उठ खड़े हुए और बैरक के बाहर शौचालय की लाइन में लग गए। गुसलखाना बहुत बड़ा था। 7 8 गुसलखाने थे। अंदर कोई दरवाजा नहीं था बस बीच में आधी दीवार थी। सब औरतें वहा नंगी नहा रही थी। रात भर गर्मी में पसीने से नहाई किंजल को खुद से बदबू आ रही थी। उसने कपड़े उतारने शुरू किए। उसका शरीर चिकना था बस chut पर घने बाल थे। वहा लगभग सभी औरतों के choot और बगलों में बाल थे। किंजल जल्दी से साबुन लगा पानी डाल कर खुद को पोंछने लगी। पोंछते हुए उसने सामने वाले शावर के नीचे देखा। वहा एक लगभग 40 साल की गोरी , हल्की मोटी महिला नहा रही थी। और उसकी choot क्लीन शेव थी। किंजल को बहुत अजीब लगा। पीठ और गर्दन पर निशान थे। किंजल अच्छे से समझती थी कि ये लव बाइट्स हैं। पर जेल में केसे।

बाकी औरते भी इस महिला को कंखियों से देख रही थी। किंजल तौलिया लपेटे पानी से बाहर निकल रही थी। तभी पास गुजरती कैदी ने उसकी गांड को मसल दिया। किंजल घबरा कर साइड में हो गई। और कई औरते हसने लगी।
ये सब करते करते 8 बज गए थे। 6:30 बजे सुबह के नाश्ते की घंटी बज चुकी थी। पर किंजल नहाने की लाइन में ही लेट हो गई। 8:30 बजे नाश्ते का समय खत्म हो जाता है। पेट में चूहे दौड़ रहे थे। आज तो शायद भूखा रहना पड़ता।

"ये ले तेरी थाली" तभी सोनिया और शिफा उसके सामने आई और थाली पकड़ाते हुए बोली। थाली में पोहा, ब्रेड, और चटनी थी।
"थैंक यू "

"इसीलिए बोला था ग्रुप में आजा। जेल में अकेले गुजारा नहीं है। एक दूसरे का ध्यान रखना पड़ता है।" शिफा बोली।

किंजल खाने लगी। वो पोहा मुश्किल से उसके अंदर जा रहा था।

सामने वही औरत आते हुए दिखाई दी जिसे किंजल ने नहाते हुए देखा था। वो थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी। वह भी लेट आई थी लेकिन फिर भी उसके हाथ में थाली थी। शिफा ने उसकी तरफ देखा और उस औरत ने मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। ऐसा लग रहा था बस आंखों से कभी भी आंसू फूट पड़ेंगे। iतने में खाना बंद होने की घंटी बज गई।

.....
Nice and superb update....
 
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deeppreeti

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एक अलग तरह की कहानी हे पर पढने के लिए उत्सुकता हे लेखक को शुभकामनाएं .
 
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kas1709

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रात हो चुकी थी। किंजल अपने बिस्तर पर लेटी थी। उसके बाजू वाली औरतों के बीच मुश्किल से 1 फीट का भी फैसला नहीं था। डेढ़ सौ लोगों की जेल में 500 से ज्यादा कैदी थे। कोई औरत अगर दूसरे को छू भी जाती थी तो गालियां शुरू हो जाती थी । किंजल डर के मारे सिकुड़ के लेटी हुई थी। जिस तरफ करवट लेती थी उसी तरफ दर्द की लहर निकलने लगती थी। लॉकअप के भयानक मंजर से ही वह कांप रही थी। महिला हवलदार के सामने ही इंस्पेक्टर उसके चूतड़ों और चूचों को मजे से भींच रहा था। किंजल दर्द से चिल्ला रही थी और हवलदार उसके पैरों में डंडे मार रहा था। दूसरे लॉकअप में उसे जिग्नेश की चीखें सुनाई दे रही थी। किंजल को पेशाब का जोर पड़ा। वह उठकर दूसरे कैदी से बचते हुए शौचालय की तरफ गई। अंदर दुर्गंध नाक के बाल जला रही थी। पेशाब के लिए बैठने में भी किंजल की दर्द से सी निकल गई। किसी तरह उसने पेशाब किया और बाहर आ गई। नींद आंखों से कोसों दूर थी।
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"मूवी तो बोरिंग है।" किंजल ने जिग्नेश की बाहों में बैठे बोला।
जिग्नेश का हाथ उसके कंधे के ऊपर से उसके गले के अंदर था। ब्रा के अंदर उसके कोमल उभरे हुए निप्पल को सहला रहा था। किंजल की पेंटी गीली हो रही थी और आंखें मस्ती में ऊपर चढ रही थी। किंजल का एक हाथ जिग्नेश ने अपने हाथ में पकड़ रखा था। किंजल नहीं टी शर्ट के ऊपर से ही जिग्नेश के हाथ पर हाथ रख लिया और कस के पकड़ लिया। और जिग्नेश कहां रुक रहा था। किंजल के नाखून जिग्नेश के हाथों में गड़ रहे थे।
अचानक किंजल की सांस रुक गई और पूरा शरीर अकड़ने लगा। और पिघलने लगी। जिग्नेश ने किंजल का हाथ जींस के ऊपर अपने ल** पर रख दिया। किंजल उसे मस्ती में मसलने लगी। जब किंजल 7 बार झड़ गई तो उसने जिग्नेश को गिड़गिड़ा कर बोला। "मुझमें अब ताकत नही हैं, अब चलो प्लीज।" जिग्नेश ने कस कर
चूचे को मसल दिया।
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"आह " अचानक किंजल की नींद खुली।
उसे पास बैठी औरत ने थप्पड़ मारा था। जाने कब उसकी नींद लग गई और उसका पैर साथ वाली औरत को लग गया। और उसने पलटते ही थप्पड़ मार दिया। इतने में सुबह 5 30 की घंटी बज गई। सब उठ खड़े हुए और बैरक के बाहर शौचालय की लाइन में लग गए। गुसलखाना बहुत बड़ा था। 7 8 गुसलखाने थे। अंदर कोई दरवाजा नहीं था बस बीच में आधी दीवार थी। सब औरतें वहा नंगी नहा रही थी। रात भर गर्मी में पसीने से नहाई किंजल को खुद से बदबू आ रही थी। उसने कपड़े उतारने शुरू किए। उसका शरीर चिकना था बस chut पर घने बाल थे। वहा लगभग सभी औरतों के choot और बगलों में बाल थे। किंजल जल्दी से साबुन लगा पानी डाल कर खुद को पोंछने लगी। पोंछते हुए उसने सामने वाले शावर के नीचे देखा। वहा एक लगभग 40 साल की गोरी , हल्की मोटी महिला नहा रही थी। और उसकी choot क्लीन शेव थी। किंजल को बहुत अजीब लगा। पीठ और गर्दन पर निशान थे। किंजल अच्छे से समझती थी कि ये लव बाइट्स हैं। पर जेल में केसे।

बाकी औरते भी इस महिला को कंखियों से देख रही थी। किंजल तौलिया लपेटे पानी से बाहर निकल रही थी। तभी पास गुजरती कैदी ने उसकी गांड को मसल दिया। किंजल घबरा कर साइड में हो गई। और कई औरते हसने लगी।
ये सब करते करते 8 बज गए थे। 6:30 बजे सुबह के नाश्ते की घंटी बज चुकी थी। पर किंजल नहाने की लाइन में ही लेट हो गई। 8:30 बजे नाश्ते का समय खत्म हो जाता है। पेट में चूहे दौड़ रहे थे। आज तो शायद भूखा रहना पड़ता।

"ये ले तेरी थाली" तभी सोनिया और शिफा उसके सामने आई और थाली पकड़ाते हुए बोली। थाली में पोहा, ब्रेड, और चटनी थी।
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"इसीलिए बोला था ग्रुप में आजा। जेल में अकेले गुजारा नहीं है। एक दूसरे का ध्यान रखना पड़ता है।" शिफा बोली।

किंजल खाने लगी। वो पोहा मुश्किल से उसके अंदर जा रहा था।

सामने वही औरत आते हुए दिखाई दी जिसे किंजल ने नहाते हुए देखा था। वो थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी। वह भी लेट आई थी लेकिन फिर भी उसके हाथ में थाली थी। शिफा ने उसकी तरफ देखा और उस औरत ने मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। ऐसा लग रहा था बस आंखों से कभी भी आंसू फूट पड़ेंगे। iतने में खाना बंद होने की घंटी बज गई।

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dhparikh

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रात हो चुकी थी। किंजल अपने बिस्तर पर लेटी थी। उसके बाजू वाली औरतों के बीच मुश्किल से 1 फीट का भी फैसला नहीं था। डेढ़ सौ लोगों की जेल में 500 से ज्यादा कैदी थे। कोई औरत अगर दूसरे को छू भी जाती थी तो गालियां शुरू हो जाती थी । किंजल डर के मारे सिकुड़ के लेटी हुई थी। जिस तरफ करवट लेती थी उसी तरफ दर्द की लहर निकलने लगती थी। लॉकअप के भयानक मंजर से ही वह कांप रही थी। महिला हवलदार के सामने ही इंस्पेक्टर उसके चूतड़ों और चूचों को मजे से भींच रहा था। किंजल दर्द से चिल्ला रही थी और हवलदार उसके पैरों में डंडे मार रहा था। दूसरे लॉकअप में उसे जिग्नेश की चीखें सुनाई दे रही थी। किंजल को पेशाब का जोर पड़ा। वह उठकर दूसरे कैदी से बचते हुए शौचालय की तरफ गई। अंदर दुर्गंध नाक के बाल जला रही थी। पेशाब के लिए बैठने में भी किंजल की दर्द से सी निकल गई। किसी तरह उसने पेशाब किया और बाहर आ गई। नींद आंखों से कोसों दूर थी।
.......

"मूवी तो बोरिंग है।" किंजल ने जिग्नेश की बाहों में बैठे बोला।
जिग्नेश का हाथ उसके कंधे के ऊपर से उसके गले के अंदर था। ब्रा के अंदर उसके कोमल उभरे हुए निप्पल को सहला रहा था। किंजल की पेंटी गीली हो रही थी और आंखें मस्ती में ऊपर चढ रही थी। किंजल का एक हाथ जिग्नेश ने अपने हाथ में पकड़ रखा था। किंजल नहीं टी शर्ट के ऊपर से ही जिग्नेश के हाथ पर हाथ रख लिया और कस के पकड़ लिया। और जिग्नेश कहां रुक रहा था। किंजल के नाखून जिग्नेश के हाथों में गड़ रहे थे।
अचानक किंजल की सांस रुक गई और पूरा शरीर अकड़ने लगा। और पिघलने लगी। जिग्नेश ने किंजल का हाथ जींस के ऊपर अपने ल** पर रख दिया। किंजल उसे मस्ती में मसलने लगी। जब किंजल 7 बार झड़ गई तो उसने जिग्नेश को गिड़गिड़ा कर बोला। "मुझमें अब ताकत नही हैं, अब चलो प्लीज।" जिग्नेश ने कस कर
चूचे को मसल दिया।
.......

"आह " अचानक किंजल की नींद खुली।
उसे पास बैठी औरत ने थप्पड़ मारा था। जाने कब उसकी नींद लग गई और उसका पैर साथ वाली औरत को लग गया। और उसने पलटते ही थप्पड़ मार दिया। इतने में सुबह 5 30 की घंटी बज गई। सब उठ खड़े हुए और बैरक के बाहर शौचालय की लाइन में लग गए। गुसलखाना बहुत बड़ा था। 7 8 गुसलखाने थे। अंदर कोई दरवाजा नहीं था बस बीच में आधी दीवार थी। सब औरतें वहा नंगी नहा रही थी। रात भर गर्मी में पसीने से नहाई किंजल को खुद से बदबू आ रही थी। उसने कपड़े उतारने शुरू किए। उसका शरीर चिकना था बस chut पर घने बाल थे। वहा लगभग सभी औरतों के choot और बगलों में बाल थे। किंजल जल्दी से साबुन लगा पानी डाल कर खुद को पोंछने लगी। पोंछते हुए उसने सामने वाले शावर के नीचे देखा। वहा एक लगभग 40 साल की गोरी , हल्की मोटी महिला नहा रही थी। और उसकी choot क्लीन शेव थी। किंजल को बहुत अजीब लगा। पीठ और गर्दन पर निशान थे। किंजल अच्छे से समझती थी कि ये लव बाइट्स हैं। पर जेल में केसे।

बाकी औरते भी इस महिला को कंखियों से देख रही थी। किंजल तौलिया लपेटे पानी से बाहर निकल रही थी। तभी पास गुजरती कैदी ने उसकी गांड को मसल दिया। किंजल घबरा कर साइड में हो गई। और कई औरते हसने लगी।
ये सब करते करते 8 बज गए थे। 6:30 बजे सुबह के नाश्ते की घंटी बज चुकी थी। पर किंजल नहाने की लाइन में ही लेट हो गई। 8:30 बजे नाश्ते का समय खत्म हो जाता है। पेट में चूहे दौड़ रहे थे। आज तो शायद भूखा रहना पड़ता।

"ये ले तेरी थाली" तभी सोनिया और शिफा उसके सामने आई और थाली पकड़ाते हुए बोली। थाली में पोहा, ब्रेड, और चटनी थी।
"थैंक यू "

"इसीलिए बोला था ग्रुप में आजा। जेल में अकेले गुजारा नहीं है। एक दूसरे का ध्यान रखना पड़ता है।" शिफा बोली।

किंजल खाने लगी। वो पोहा मुश्किल से उसके अंदर जा रहा था।

सामने वही औरत आते हुए दिखाई दी जिसे किंजल ने नहाते हुए देखा था। वो थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी। वह भी लेट आई थी लेकिन फिर भी उसके हाथ में थाली थी। शिफा ने उसकी तरफ देखा और उस औरत ने मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। ऐसा लग रहा था बस आंखों से कभी भी आंसू फूट पड़ेंगे। iतने में खाना बंद होने की घंटी बज गई।

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kas1709

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dhparikh

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