• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery माँ का मायका-(incest, Group, Suspens)

Kyo bhai pasand aa gyi kahani ?


  • Total voters
    93
  • Poll closed .

Killerpanditji(pandit)

Well-Known Member
10,269
38,685
258
Nice update bro
(Episode 7 A)

नाना और मामा जी का खाना खत्म होने के बाद मैं घर वापस आया।किचन में जाके टिफिन रखा।वहां पे सिर्फ मा थी।हर वक्त की तरह मैं वहां से उनको नजरअंदाज करके जाने लगा।





माँ:रुक वीरू मुझे तुमसे बात करनी है।

मैं:पर आपको किसने कहा मैं आपसे बात करना चाहता हु।

मा:मुझे किसी के अनुमति की जरूरत नही।मा हु तेरी ,ये हक है मेरा।

मैं:ओहो मैडम जी आप थोड़ी गलतफहमी में है।आप मेरी मा थी।आपने वो हक कब का खो दिया।अभी आप मेरे लिए सिर्फ मेरे नाना की बेटी हो बस।

मा:तुम उनको नाना इसलिए कहते हो क्योकि मेरे बेटे हो।

मा:यही तो मेरी और नाना की बदकिस्मती है की हमारा आपसे रिश्ता है,मैं तो कुछ रिश्ता नही रखना चाहता आपसे।और मुझे पूरा विश्वास है आपकी हरकत समझ जाने पर नाना भी रिश्ता नही रखेंगे।क्योकि जिसको रिश्ते की मर्यादा नही रखने आती ओ उसके लायक नही होता।

माँ:तुम थोड़ी हद पार कर रहे हो अइसे नही लगता।ये कुछ ज्यादा हो गया।

मैं:आप ये बात कर रही है,शोभा नही देता आपके मुह से।मैं सिर्फ बोला तो इतनी मिर्च लगी,कल मैंने जो देखा उससे मुझे कितना बुरा लगा होगा ये नही सोचा आपने।

मा:पर मेरी बात तो पूरी सुन लो।

मैं:छोड़ो यार घर में आते ही दिमाग मत खराब करो।

तभी बड़ी मामी आती है।

बड़ी मामी:अरे आ गया मेरा बेटा।भूख लगी है तो कुछ खा लेना।

मैं:जी मामी जी।

मैं वहां से अपने कमरे की ओर निकल गया।

मा(रोते हुए):देखा दी आपसे कितनी प्यार से पेश आता है।मुझसे तो अइसे बात करता है जैसे मैं इसकी कुछ हु ही नही।एकदम से अजनबी बना दिया मुझे।

बड़ी मा थोड़ा सोच कर:तुम एक काम क्यो नही करती तुम्हारी जेठानी(पति के बड़े भाई की बिवि)को उसे समझाने को क्यों नही बोलती।आप दोनो के साथ बचपन से रहा है।अगर आपसे रूठा है तो उनकी बात जरूर मानेगा।

माँ:ये बात तो मेरे जहन में आयी ही नही!!!पर दीदी(गांव की चाची)को कैसे मेरी बात बता दु।वो भी गुस्सा हो गयी तो।और फोन पे भी सही से बात नही होगी।

बड़ी मामी:वो भी है,एक काम करते है उनको यही बुला लेते है। आप उनको इत्तिलाह कर देना।

मा:ठीक है।पर वो पेट से है।

बड़ी मामी:कोई नही।ये घर आ जाने के बाद शिवकरण को भेज दूंगी आपके घर वो उनको लेके आ जाएगा।

माँ:ठीक है कोई बात नही।

मा गांव की चाची को कॉल करके बता देती है की उनको शिवकरण लेने आएगा रात को।बाकी कारण जो भी है यहां आने के बाद सही से बता देंगी।

मेरे रूम में-

मैं रूम में आकर बाथरूम में फ्रेश होने गया।जैसे ही बाहर आया,सामने संजू और भाभी खड़ी थी।
संजू मुझे डांटते हुए:कहा मर गए थे,गायब रहते हो।शहर की हवा लग गयी क्या।

मैं:अरे हा हा शांत हो जाओ।क्या हुआ इतनी याद आ रही है।

सिद्धि भाभी:अरे फैमिली रीयूनियन फंक्शन होगा न इस संडे उसकी शॉपिंग करनी है 2 दिन बचे है।तुम्हारे लिए कपड़े लाये है।ट्राय कर लो।

मैं:ठीक है,आप रखो मैं चेक कर लूंगा।

संजू:नही अभी देखो मुझे भी पता चलना चाहिए की मेरी पसंद मेरे भाई से मिलती है या नही।

मैं:संजू दी मैंने कहा ना मैं बाद में चेक कर लूंगा।

मेरी आवाज थोड़ी गुस्सेवाली थी।संजू को वो अछि नही लगी,वो भी पैर पटके वहां से चली गयी।

सिद्धि भाभी:क्या बात है वीरू,इतना गुस्से में क्यो हो?

मैं:कुछ नही भाभी अयसेही ,बिना वजह जिद करती है दी।समझाओ न उसे।

सिद्धि भाभी:मैं तो समझा दूंगी उसे,पर बात वो नही है।बात कुछ और है।बहोत दिनों से घर के बाहर हो,और दिनभर गुस्से में रहते हो।क्या हुआ बताओगे नही अपनी भाभीको।

मैं:सच में अइसी कोई खास बात नही है भाभी।

सिद्धि भाभी:अच्छा जी अभी अपने भाभी से बात छुपाने लगे हो आप।ठीक है नही भरोसा तो छोड़ दो।

भाभी का ताना मुझे सहन नही हुआ।

मैं:भाभी आप संजू या आपकी सास को नही बताओगी ये बात।

सिद्धि भाभी:नही बाबा नही बताऊंगी।

मैंने सारा मामला उनको बता दिया।पर उनके सास मतलब छोटी मामी का छोड़ के सब।

सिद्धि भाभी:और कहते हो कुछ खास नही।ये तुम्हारी और तुम्हारे मा के बीच की बात है इसलिए मैं कुछ नही बोलूंगी।पर उसको इतना भी दिमाग पे मत लो,बाद में तुम्हे ही नतीजा भुगतना पड़ेगा।और ये कपड़े देख लो पसंद नही आये तो बता देना।और संजू को मैं समझा दूंगी।चिंता मत करो।

मैं:थैंक यु भाभी।

भाभी मुस्कराके वहां से चली गयी।

मैंने उनके दिए कपड़े ट्राय कर लिए।मुझे अच्छे लगे।मैंने वैसे उनको बता दिया।रात को खाने के बाद मैं अपने रूम में के बेड पे लेटा था।आज और एक बात मेरे कानो में पड़ी थी वो"फैमिली रीयूनियन"।बचपन से ही 4 लोगो के बीच का मेरा जीवन,अइसे फेस्टिवल कभी मनाए नही,बोलू तो कभी अइसी नौबत ही नही आई।

वही सोचते सोचते मुझे नींद सी आ गयी।रात को करीब करीब 12 से 1 बजे मुझे महसूस हुआ की मैं किसी को लिपटा हुआ सोया हु।पहले मुझे आभास लगा पर जब बाल मेरे नाक में जाके मैं जोर से छींका तब मुझे पक्का हो गया की कोई तो है।मैंने साइड वाला बेड लैंप लगाया तो मुझे पता चला की संजू सोई है।

मैं जैसे"अच्छा संजू सोई है "अइसे सोचते हुए फिरसे सो गया।
पर कुछ ही सेकंड में मुझे करन्ट सा लगा"क्या मेरे साइड में संजू वो भी रात के 12 बजे।क्या पागल है ये लड़की।"

मैने उसको जगाया।

मैं:अरे संजू दी पगला गयी हो क्या,कोई देखेगा तो मेरी तो पिटाई हो जाएगी।प्लीज जाओ यहाँ से।

संजू दी मेरे मुह पे हाथ रखते हुए:शु शु शुऊऊऊ!!!!!!शांत हो जाओ चिल्लाओ मत,कुछ नही होगा।

मैं धीमे:पर आप इतनी रात यहां क्या कर रही हो?

संजू:अरे यार मुझे बहोत बुरा फील हो रहा था और बेचैनी भी थी।बुरा इसलिए की शाम को तुम परेशान थे तब तुमको खामखा तंग कर दिया।और मुझे नींद भी नही आ रही थी।(उसने मुझे नॉटी स्माइल दी।)

मैं:अरे यार संजू दी डरा दिया यार।मैंने राहत की सास छोड़ी और बेड पे लेट गया।

संजू दी मेरे ऊपर चढ़ के बैठ गयी और मुझे चूमने लगी।पर मेरा कुछ मुड़ नही था।

मैं:दीदी आज मुड़ खराब है।आज नही।

पर दीदी कुछ मानने को तैयार नही थी।मैं भी ज्यादा नखरे नही किये,क्योकि भाभी की बात मुझे सही लगी,किसी एक का गुस्सा सबके ऊपर दिखाऊंगा तो मुझे ही भारी पड़ेगा।

मैंने भी उनको ओंठ चूमते हुए साथ देने लगा।वो खुद भी नंगी हुई और मुझे भी नंगा कर दिया।और 69 पोसिशन पकड़ ली।

0611.gif


मेरे लण्ड को चूस रही थी।चाट रही थी।मैं उनके चुत को चाट रहा था।

लण्ड चाटते हुए बोली:आजकल आइस्क्रीम कैंडी से तो ज्यादा तेरा लण्ड पसंद है मुझे।(मेरे लण्ड के टोपे पर जीभ घुमाते हुए)

मैं:अच्छा पर उसको कैंडी की तरह खा मत जाना

(दोनो हसने लगे।)

मैंने उसको थोड़ा आगे होने को बोला जिससे उसके गांड का छेद मुझे चाटने को मिले।गांड अभी तक मारी नही थी तो उसका छेद बहुत छोटा था।मुझे उसे चाटने में मजा आ रहा था।

संजू:यार वीरू मत करो बहोत अजीब फील हो रहा है,आआह आआह उम्म आआह उम्मम।"

उसने सीधे होकर मेरे लन्ड पर चुत को घिसाया थोड़ी देर और फिर अंदर डालके घुमाने लगी'"आआह आआह उम्म"

अभी उसकी गांड उछलने लगी।

0244.gif


संजू:आआह वीरू गार्डन के सिसो से भी तेरे लण्ड के ऊपर से ऊपर नीचे होने का मजा कुछ अलग है आआह आआह"

मैंने भी नीचे से गांड उठा कर धक्के ठोकना चालू किया।

मैं:अभी कैसे लग रहा है।

संजू:आआह ये तो गजब है आआह उम्म"

उसने लण्ड को बाहर निकाला हाथ से मसला और फिर चुत में डाल के उपर नीचे होने लगी।

"आआह आआह उम्मम वीरू तेरे लण्ड की दीवानी हो गयी आआह चोद दे मेरी चुत आआह आआह"


0140.gif


अपने चुचे मेरे मुह में रख दिए।उछलने की वजह से पीर मुह में आ नही रहे थे।मैं बस निप्पल्स को खींच पा रहा था।

वो "आआह साले पूरा मुह में ले।मसल दे।"

मैंने हाथ से चुचे मसलने शुरू किये।

संजू:वीरू जोर से मसल,मा के लौंडे बहनचोद और जोर से लण्ड को और जोर से ठोक फुद्दी में और जोर से आआह रंडी के और जोर से कहा लन्ड है तेरा चोद मुझे रंडी की तरह आआह,।

मुझे उनकी भाषा का आश्चर्य सा नही लगा।क्योकि मुझे मालूम था की ये दिनभर पोर्न में डूबी रहती है।और भाषा का प्रभाव देख मालूम पड़ रहा है की इंडियन दिए चुदाई देख रही है।

ओ मेरे ओंठो को चूमने लगी।उनकी थूक की मिठास बहुत स्वादिष्ट थी।उनके कोमल होंठ से सारा अंग रोमांचित हो रहा था।


0291.gif


मैंने उनको पकड़ा जोर से कस के और निचे से लन्ड के जोर के धक्के देने लगा क्योकि मेरा झड़ने को था और मुझे उनको भी झडाना था।

करीब 15 मिंनट के बाद वो झड़ी मैं भी लण्ड निकाल के रस छोड़ दिया।उसने उसे चाट के खाया।

संजू:तुम पागल हो अमृत कोई अइसे बर्बाद करता है क्या(वो लण्डसे निकली एक एक बून्द चाट के निगल गयी।)

tumblr_mj4hn12aTV1r444uvo1_400.gif


(मैं मन में-पूरी पगला गयी है ये लड़कि और खुद ही मुस्कराने लगा।)

हम रात भर जब तक नींद न आ जाए एक दुसरे के ओंठो का रस चखते रहे।वो तो अभी सेक्स में इतना आगे बढ़ गयी थी की पोर्नस्टार को भी हरा दे।

सुबह मेरी जल्दी नींद खुली।चद्दर लपेटे एक हाथ में कपड़े लिए मैंने दीदी को उनके कमरे में छोड़ दिया।सुबह के 6 बजे थे तो कोई उठता भी नही उस टाइम।

मैं फिरसे सोया वो नाश्ते के टाइम पे ही उठा।

नाना नाश्ते के वक्त:वीरू आज हमारे साथ चलना अभी।खाना शिवकरण लेके आएगा,ठीक है।जबसे तुम फेक्ट्री गए हो।काम जल्दी औऱ नियम से हो रहा है।

दोनो मामा भी उस बात पे सहमत थे।ये सुन के बड़ी मामी भी खुश हुई।

बड़ी मामी:फिर क्या आईडिया किसकी थी,मुझे भी कोई शाबाशी दो,ये भला कौनसी बात हुई।

सब हसने लगे।नाना जी हस्ते हुए:हा हा,इसलिए तो घर की जिम्मेदारी तुम पर छोड़ी है ,तुम हो ही काबिल,और शाबाशी की हकदार भी।

"इसलिए इसलिए तो घर की जिम्मेदारी तुम पर छोड़ी है ,तुम हो ही काबिल"ये बात जरूर छोटी मामी को ताना मारने के लिए बोली गयी थी।पर नाना जी ने बोली है तो पलट जवाब नही दे पाई।

मैं और नाना,मामा आफिस निकल गए।बाकी तो आफिस चले गए।मैं फैक्टी के पास जाने लगा।

(पूरे आफिस और फैक्टी के मिलके 3 पार्ट थे।एक मैन आफिस जहा मामा नाना और उनके खास लोग बैठते थे जिनकी नाना और मामा लोगो को हर वक्त जरूरत पड़े।
फिर अति है दूसरी बिल्डिंग जो मैन ऑफिस से लगके थी करीब 50 फिट दूर होगी जिसमे बाकी स्टाफ और मैनेजमेंट के लोग और गेस्ट रूम्स थे।फ़ीर उसके बाद 200 मीटर करीब फेक्ट्री थी)

(Episode 7 continue.....):yo:
Nice update bro
 
  • Love
Reactions: Mr Sexy Webee

Killerpanditji(pandit)

Well-Known Member
10,269
38,685
258
(Episode 7 ब)

मैं फेक्ट्री की ओर जा ही रहा था ।मैनेजमेंट के ऑफिस चेम्बर से गुजरना पड़ता था।सब स्टाफ मुझे गुड मॉर्निंग कर रहे थे। तभी अचानक मक्खन बीच पे आन पड़ा।और आया सो आया हाथ में ज्यूस था वो पूरा मेरे कपड़ो पर गिरा दिया।मेरा तो दिमाग खराब हुआ।पहले ही दिन सही नही जा रहे थे।मुझे गुस्सा बहोत आया पर मुझे कोई मसला खड़ा नही करना था।

मक्खन अपनी इस गलती के लिए अभीतक सौ बार माफी मांग चुका था।अभी तो मेरे पास भी कोई शब्द नही थे उसे डाँटने के लिए।

मैं:ठीक है ठीक है बोल अभी इसे साफ कहाँ करू।

उसने ऊपर की तरफ इशारा किया।मैं ऊपर गया।ऊपर दोनो तरफ दो दो कमरे थे।वही गेस्ट रूम।मैं एक रूम में घुस गया।बड़ा आलीशान रूम था।पर मुझे क्या करना था वहां आंखे फाड़ के वैसे भी वो थे मेरे नाना के ही।मुझे बस कपड़े साफ करके अपने काम से काम रखना था।नानाजी ने बड़े विश्वास से मुझे कुछ काम सौंपे थे।मुझे कोई गलती नही करनी थी।आखिरकार छोटी मामी की गांड लाल करने में जो मजा है वो कही नही।

मैं अपना टी शर्ट उतार के साइड में रखा और शीशे में देख अपने शरीर को निहारने लगा।गांव में काम करके जो मजबूती मिलती है वो शहर का जिम नही दे सकता।मेरा शरीर सिक्सपैक जैसा फिट नही था पर जड़ फैट भी नही था।अपने शरीर की मन ही मन तारीफ होते ही।मैं घुमा और बाथरूम के लिए जाने लगा।तभी आगे से एक औरत सिर्फ टॉवल में बाहर आयी।

उम्र 40 पार होगी।दिखने में सफेद दूध की जैसी बदन वाली एक रसीले यौवन से भरी परी मेरे सामने खड़ी थी।मैं उनसे कुछ बोलता उससे पहले उन्होंने मुझे ऊपर से नीचे तक ताडा।

वो:hi How are you,Sorry i was little late lets start your work.

मैं तो चक्कर आने लगा।अरे क्या हो रहा है इधर।

वो:अरे क्या हुआ, अइसे क्या देख रहे हो?

(अभी वो मेरे पास शक से देखने लगी।मैं सोचा भाई अगर चिल्लाई तो कयामत आ जाएगी।वो आधी नंगी मैं भी अधनंगा।अगर लोग जमा हो गए तो अधनंगे बदन का की बलात्कार हो जाएगा।)

मैं:कुछ नही मैडम वो आया।

वो पेट के बल बेड पे सोई थी।मैं उनके बाजू में जाके पीठ पर तेल डाला।

वो:नए हो क्या?

मैं डरते हुए:क्यो मेडम?

वो:अरे वो टॉवल तो हटा दो।खराब हो जाएगा।ऑफिस की प्रोपर्टी है।

मैं:क्या?!!!!!जी हटाता हु।

मैंने उनका टॉवल हटा दिया।उनकी आंखे बंद थी।तभी किसी की आहट लगी।दरवाजे पर किसीने क्नॉक किया।

वो:जाओ देखो कौन है।अगर मुझे बुलाने आया होगा तो उसे वही से जाने बोलो मैं बिसी हु बोल देना।

मैं: जी मेडम।

मैं वहां से दरवाजे पे गया।वहाँ एक मेरे उम्र का लड़का था।और फेक्ट्री के मजदूर के कपड़े में था।

लड़का:नमस्ते सर ।

मैं:तुम काम छोड़ के यहाँ क्या करने आये हो।

लड़का:वो बड़ी मेडम ने बुलाया था।

(मैं सोचा -तो ये वो खुशकिस्मत है।)

मैं:मेडम बिजी है तुम काम करने जाओ।


लड़का जाने के बाद मैं बेड पे फिरसे आके बैठ गया।मैंने वीडियो में मसाज तो देखा था तो उतना तो मालूम था।मैने तेल उनके पीठ पे डाला और दोनो साइड से रगड़ने लगा।उनकी स्किन बहोत ही कोमल थी।तेल लगने की वजह से रोशनी में चमक रही थी।

पर इससे भी बड़ी रोमांचक बात मेरे लिए उनकी उभरी गांड थी क्या आकार था उसका।बीच में जाने वाली लाइन और ही आनंद दे रही थी मन को।मैं पहले तो उनके कमर तक ही कर रहा था।बाद में हिम्मत कर के नीचे गांड पे भी तेल मसलने लगा।उनके मुह से सिसकारी निकली।मेरी यहां गांड फट गयी।अभी वीरू तेरी खैर नही।अभी पकड़ा जाएगा।

पर वैसा कुछ हुआ नही वो वैसे ही पड़ी रही।मैं उनकी गांड को भी मसलने लगा।मेरा अंगूठा बार बार गांड की दरी से अंदर घुस जाता और गांड के छेद को छेङ देता।और उसी रोमांच में वो सिसकी छोड़ देती।मेरा लण्ड भी तन गया था।

मैं :मैडम मैं जीन्स उतार दु।खराब होने की बात नही है उसके रैशेस आपको लगेंगे।

वो:व्हाय नॉट,गो ऑन डिअर।

मैं अभी अंडरविअर में था।पर टॉवल भी लपेट लिया।और उनके ऊपर चढ़ के पीठ पर दबाने लग गया उनके कंधे मसलने लगा।मेरा लण्ड अभी गांड के बीच घिस रहा था।
पर मैं बस मसाज पे ध्यान दिए था।अगर वो मजे ले रही है तो मुझे क्या डर।

काफी देर बाद उन्होंने हाथ ऊपर किये।वो बताना चाहती थी की चुचो तक मसलों।मैं उनके चुचो के नीचे तक ले जाके मसलने लगा।पर उससे अच्छा मसाज नही हो रहा था तो
उन्होंने बोला" पलट जाती हु,बाद में ऊपर से कर लेना।"और हस दी।मुझे उनका डबल मिनिग मालूम पड़ गया पर अभी मुझे सही समय नही लगा।क्योकि डबल मिनिग हर वक्त चोदने का न्योता नही होता।पर मैं जब उठा तो टॉवल गिर गया और मैं सिर्फ अंडरविअर में आ गया।

अभी वो पेट के बल लेटी थी 36 के चुचे उसके ऊपर ब्राउन निप्पल्स,एकदम तने हुए,38 की कमर और तो रसभरे टांगो के बीच चमकती हुई चुत पूरी साफ जैसे हीरा चमकता हो।चुत के बीच की फट लण्ड को और भड़का रही थी।

मैं उनके पूरे बदन पर तेल डाला और रगड़ने लगा कंधे रगड़े फिर हाथ चुचो पर आ गया।उनके चुचे मेरे हाथो में समा नही रहे थे।फिर भी मैं पकड़ रहा था और जोर से रगड़ रहा था।उनकी सिसकिया बाहर आ रही थी,मुह लाल गुलाबी हो गया था।मैं अभी पूरा गर्म हो गया था।मैं रगड़ते हुए कमर के नीचे आया।उनकी आंखे बन्द थी,ओंठ दांतो के बीच थे,धीमी सिसकिया सांस छोड़ रही थी।

मैंने चुत को मसलना चालू किया।उनके चुत के पंखुड़ियों को अलग कर के मसलने लगा।उनकी चुत एकदम लाल थी।उनके चुत ने गाढ़ा रस छोड़ना चालू किया,ये बात बया कर रही थी की ओ अभी गर्म हो गयी थी और उनकी चुत पानी छोड़ना चालू कर दिया था।

मैंने उनके चुत में उंगली डाली औऱ आगे पीछे करनी चालू की अभी वो भी मजे ले रही थी।

अचानक से उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा।ओ खड़ी हो गयी और मुझे लेके बाथरूम में घुस गयी।अंदर का शॉवर चालू किया और मुझे अपने पास खींच लिया।

वो:इतना तगड़ा और खूबसूरत नौजवान मजदूर देखा नही कभी यहां।सच में नए लगते हो,और नही तो अभीतक मेरे चुत में लन्ड घुस गया होता तेरा।

(मेरा शक सही निकला यह पर मजदूरों से मसाज के नाम पर बुलाके चुत को ठंडा किया जाता है।यहाँ पर इसलिए बिगड़ा मौहोल है,पर मैं अभी गरमा गया था और मैं भी अपने लण्ड को भूखा नही रखने वाला था।इनका जो करना है वो बाद में देख लेंगे।)

मैं:हा मेडम नया हु,पर आप आज्ञा दे तो शुरू कर दु?!!

मैडम ने मुस्करा के हरा सिग्नल दे दिया।मैंने उनके दोनो चुचे मसलना चालू किया।

मेडम:आआह आउच्च यहाँ नए हो पर इस खेल के पुराने खिलाड़ी हो,आआह उम्म और जोर से रगड़ आआह।

मैं उनके निप्पल्स खींचने लगा।बहोत ही कड़क हो गए थे।मैं उनको नोचने लगा।

मेडम:बस अभी मुह में लेके चुसो भी आआह कितना देर मसलते रहोगे।

मैं उनके चुचो को बारी बारी चुसना चालू किया।

मेडम"आआह और जोर से चूस पुरआआह पूरा निचो ओओओ निचोड़ दे"अइसी चिल्ला रही थी।

मेडम ने अचानक से मेरे अंडरवेअर को पकड़ा।और झट से निकाल दिया।जैसे ही अंडरवेयर नीचे हुआ मेरा तना 6 इंच का लण्ड खुली सांसे लेने लगा।

मेडम लन्ड को सहलाते हुए:क्यो भाई कहा थे इतने दिनों तक,कहा छुपा के रखा था इस तगड़े लण्ड को।

इतना कहके वो नीचे बैठ के लन्ड को चुसने लगी।वो पूरे अंदर तक लेके लण्ड का आस्वाद उठा रही थी।उनका चुसने का ढंग बहोत ही बढ़िया था।जैसे चॉकलेट केंडी वाली आइसक्रीम चाट ठीक मरोड़ चूस के खाते है वैसे वो उसपे टूट पड़ी थी।

जैसे ही मेरा लन्ड लोहा बना वो दीवार को चिपक गयी और पैर फैला दिए।

मेडम:आ मेरे लण्ड के राजकुमार मेरे चुत में लण्ड को घुसा और जोर से चोद आआह उम्मम"

मैंने उनके चुत को पीछे से सहलाया फिर उंगली दबा के चुत के दोनो पंखुड़ियों को खुला किया।और लन्ड चुत पे लगा के थोड़ा जोर लगा के घुसाया।पैर फैले थे लण्ड अंदर घुस भी था पर पूरा नही घुसा था और धक्के देने इतना एंगल भी नही था तो मैन दाया पैर हाथ से पकड़ थोड़ा उपर किया तो लण्ड पूरा अंदर गया और मुझे अच्छे से एंगल भी मिला।

मैंने उनके चुत में लन्ड से धक्के देना चालू किया।मैडम बड़े मजे से चुदाई के मजे ले रही थी।उनकी चिल्लाहट और मादक आवाजे मुझे और मेरे लण्ड को और बेचैन कर रही थी।
वो पूरा होश खो बैठी थी-
"आआह और जोर से चोद मेरी चुत को आआह पूरा डाल बाहर कुछ मत रख आआह साली रंडी चुत मेरी बहोत परेशान आहहह करती है आआह उम्म अरे सुशील भड़वे देख उसको बोलते है चोदना आआह फक बेबी फक हार्ड उम्म फ़ास्ट फ़ास्ट आआह साले सुशील भड़वे अपनी गांड मरवा मेरी मरवाने की औकात नही तेरी,मेरी गांड मेरा ये यार अपने आआह इस तगड़े लण्ड से मारेगा आआह उम्म और जोर से आआह'

ओ अभी झड़ गयी थी।उन्होंने नीचे बैठ के मुह पर मेरा लण्ड रखा और लन्ड जोर जोर से हिलाना चालू किया।कुछ ही देर में गाढ़ा दूध जैसा लण्ड का रस उनके मुह पर गिर गया,जो मुह में गया उसे वो निगल गयी।जो मुँहपर था वो शावर से साफ हो गया।

हम दोनो बाथरूम से निकले।

मैं:मेडम ये सुशील?

मेडम:अरे वो भड़वा मेरा पति है।इधर ही किधर मीटिंग में बैठ के गांड घिसा रहा होगा।

(मैं मन में-मतलब ये आफिस स्टाफ या मैनेजमेंट में से किसी पार्टनर की बीवी है।)

मेडम:तुम बहोत तगड़े लगते हो।2 ,4 दिन बिजी हु बाद में आके फिरसे मिलना।चलो जाओ अब।

मैं उनको स्माइल देकर बाहर निकला।जैसे ही बाहर निकला मैंने देखा की आखरी वाले कमरे में रेखा जा रही थी।साथ में मक्खन भी था।मक्खन बाहर खड़े रहकर किसीसे बात कर रहा था।मैं उसे ना दिखूं इसलिए वहां से निकल गया।

फेक्ट्री में आके आफिस में बैठ गया।कुछ देर जाने के वाद मक्खन मुझे फेक्ट्री में आता दिखा।मैंने उसे अपने कमरे में बुलाया।

मक्खन:जी साब,कोई हुकुम?

मैं:क्या कर रहे हो,व्यस्त हो?

मक्खन:नही साब आप बोलो,आपको कौन ना बोलेगा,आप सिर्फ हुकुम फ़रमाईये।

मैं:मक्खन मुझे दूध की बहुत कम चीजे पसन्द है तो तेरे ये मक्खन किसी और को लगा ,जो पुछु उतना ही जवाब दे दिया कर।

मक्खन:जी हुजूर माफी!!!!!

मैं:मैं ये बोल रहा था की उसदिन स्टोर रूम में तुम्हे सुपरवाइजर लेके गया था,सही न,तुम्हारी कोई इच्छा नही थी।

मक्खन: जी हुजूर बिल्कुल सही फरमाया।

मैं:फिर गेस्ट रूम में किसने तुम्हे जबर्दस्ती की और पैसे भी दिए।

मक्खन सपकपा गया।उसे पसीने छूटने लगे।वो कुछ बोलता उससे पहले,

मैं:मक्खन झूट मुझे पसंद नही और झूठे लोगो को जिंदा देखना मेरे उसूलों के खिलाफ है।मुझे ज्यादा बोलने की तकलीफ मत दे।बकना चालू कर।

मक्खन:हुजूर वो विवेक सर थे।आफिस में मैनेजमेंट की मीटिंग चालू होते ही वो गेस्ट रूम में जाके मजदूरों मेंसे किसको भी बुलाते है और अय्याशी करते है।

(विवेक-छोटे मामा,अभी खड़ूस रंडी का एक मोहरा मेरे हाथ आया।ये घर पे और मामा यहाँ पर रंडीखाना खोल बैठे है।)

मैने मक्खन को जाने बोला और खुद मेनेजमेंट चेम्बर की बिल्डिंग में जाके सिक्योरिटी रूम को ढूंढ लिया।क्योकि मुझे मालूम था की यहाँ पर ही मुझे सबूत मिलेंगे।

मैंने सिक्योरिटी गार्ड को मैनेजमेंट चेम्बर के गेस्ट रूम की वीडियो फुटेज मुझे देने बोला।पहले तो वो डर गया।

वो बोलने लगा :-छोटे मालिक(छोटे मामा)को मालूम पड़ा तो मेरी नौकरी खत्म।

मैं:ये बात सबसे बड़े मालिक को बता दी तो पूरे शहर में तेरी नोकरी के लाले पड़ जाएंगे।समझे चल निकाल के दे फुटेज।

अभी मेरे पास मेरे और उस मेडम के और रेखा और छोटे मामा के अय्याशी के फुटेज थे।मेडम वाला वीडियो सिर्फ एक याद की तौर पर लिया और वैसे भी चुदाई बाथरूम में हुई तो खास कुछ नंही था।पर मामा जी तो रेखा पे फुल ऑन थे।

उन्होंने न ओंठ चूमे,न चुचे दबाए,न चुत चुसाई की बस पहले 15 मिनिट लन्ड चुसवा लिया और अगले 15 मिनिट लन्ड घुसेड़ के झड़ भी गए।अइसे आदमी से तंग आकर कौन नही बाहर रंगरेलिया मनाएगा।मैं तो खुश था अभी मेरे पास बहोत बढ़ा फंदा था मामी को अटकाने को,पर फिर भी थोड़े मजे लिए जाए।

अभी मैं ऊब गया था काम से तो शिवकरण से कहकर घर आ गया।


Disclosure: कहानी में उपयोगित सभी चित्र (photo) एवम चलचित्र(gif or vids)इंटरनेट से संशोधित है।एडमिन और उसकी टीम चाहे तो हटा सकती है।पर बाकी कहानी के अंग रूपरेशा ©MRsexywebee के है।

(Episode 7 Over)
Excellent update ?
 

Killerpanditji(pandit)

Well-Known Member
10,269
38,685
258
(Episode 8)

घर आया तो पहले फ्रेश होने गया क्योकि फेक्ट्री से बहोत पासिना पासिना हुआ था।मैं मेरे रूम की तरफ गया तो मेरा रूम खुला था।अंदर गया तो देखा की चाची अम्मा बड़ी मामी और माँ बैठी थी।

चाची और अम्मा को देख मैं चौक भी गया और खुश भी हुआ था।मैं चाची और अम्मा के गले मिल गया।बहोत दिनों बाद कोई अपना सा लगने वाला मिला था।दिल को एक सुकून सा मिल गया।

आखिर ज्यादा बात न मोड़ते हुए मैंने चाची से पूछ लिया।

मैं : चाची यहाँ पर कैसे?

चाची:तुम्हारी मा ने बुलाया।

मैं:क्यो?इतनी क्या आफत आन पड़ी जो आपका आने को हुआ?

चाची:ये तुम मुझसे पूछ रहे हो,आफत तुम ही कर रहे हो,इतना गुस्सा क्यो?हो गयी गलती अभी।

मैं:चाची ये आप कह रही हो।(अम्मा को डांटते है)अम्मा तुमको कुछ परवाह है की नही अपनी बेटी नातिन की।इस हालत में इनको यहां क्यो लाये।

चाची:अरे नही मैं ही जिद करके आयी।तुम जैसे जिद करके बैठे हो वैसे।

मैं:चाची देखो मैं आपसे झगड़ा नही करना चाहता।और इस औरत की बात के लिए तो हरगिज नही।आप आयी हो तो आराम कर लो।

अम्मा:आराम तो होता रहेगा,पर जो मसला खड़ा हुआ है वो सुलझे तो ।

मैं:चाची आप अगर इसी बात पे अड़ी रहोगी तो आपको आपकी देवरानी मुबारक और अम्मा आपको आपकी बेटी मुबारक।

चाची ने मा और बड़ी मामी को बाहर जाने बोला।पर मा वही पर अड़ी रही ।

मा:वीरू तेरा ये ज्यादा हो रहा है।अगर तुझे मेरी जरूरत नही तो तेरी भी मुझे जरूरत नही।

मैं:वो तो नही होगी,यार जो बना बैठी है।जा मुझे नही जरूरत तेरी।आयी बडी।

चाची:वीरू अइसे नही बोला करते अपनी मा से।माफी मानगो।

मैं:चाची मैं माफी मांग लूंगा इस औरत से बस आप ये मत कहो की ये मेरी मा है।

मा चाची से:देखा दीदी अइसा बत्तमीजी हो गया है।

मैं:बदनसीबी है मेरी।आखिर तेरा ही खुन हु इतनी जहालत तो होगी ही ना।पर अभी तेरा खून कहने की इच्छा मर गयी मेरी।

माँ रोने लगी।चाची ने बडी मामी को इशारों से कहा की मा को बाहर लेके जाए।मैं कुछ कोशिश करती हु।

बड़ी मामी मा को बाहर ले जाती है और दरवाजा बन्द कर देती है।

चाची:ये क्या बात है वीरू,इतना गुस्सा और कितना बत्तमीजी हो गया है तू,यही सिखाया है मैने तुझे।

मैं:चाची आपकी सिखाई बातों को मान रहा हु नही तो बहोत बड़ा अनर्थ कर देता।

चाची:अइसी क्या बात हुई जो तुम गुस्सा हो।

मैं:क्यो तुम्हारी छोटी देवरानी कुछ नही बोली।

चाची:हा बोली पर हो जाती है गलती,फिर वैसे तो तुमने भी मेरे साथ किया न।फिर मुझसे क्यो बात कर रहे हो।मैं भी घटिया ही हु ना।

(चाची ने एक भावनाओ वाला दाव डाला पर वो ये अभी तक जान नही पाई थी की नरम दिल का वो वीरू अभी सख्त दिल का विराज हो चुका है।पर मेरे दिल को ये बात चुभ सी गयी।पर मैं पिघलने वाला नही था।क्योकि आज मैं पिघल गया तो मेरा भविष्य खतरे में था और नाना का भी।)

मैं:अच्छा अभी आप इस बात को इस हद तक ले गए हो।ठीक है।

अम्मा:अरे वीरू तुम गलत मत समझो उसका मतलब वो नही था.....

मैं:रहने दो अम्मा।अभी ये इनकी सोच है उससे मैं नाराज नही होऊंगा,इन्हें यह पर क्या हो रहा है इसका कुछ अंदाजा नही है,बिना कुछ जाने इनका मुझपर ये इल्जाम लगाना मुझे सच में बहोत पसंद आया।एकदम दिल छू गयी इनकी बात।

(मुझे रोने आ रहा था,पर मैने खुदको संभाला।)

मैं:चलिए मिस नीलिमा(चाची)आपसे मिलके खुशी हुई,सम्भालके जाना,सफर के लिए शुभकामनाएं,कुछ गलती हुई हो तो माफ कर देना।

मैं वहां से बाहर जाने लगा तो अम्मा ने मुझे रोकने की कोशिश की पर मैं उन्हें ना माना और ऊपर टैरेस के रूम में चला गया।शाम के टाइम वैसे भी छोटी मामी भाभी और दीदी कही न कही घूमने जाती है तो मुझे अपना मन हल्का करने के लिए कोई और जगह नही थी।

इधर चाची भी रोने लगी।अम्मा उनको संभालने लगी।

चाची:अम्मा क्या मैंने कुछ गलत बोल दिया क्या?उसने तो एकपल में पराया कर दिया मुझे।ये क्या कर दिया मैने।

अम्मा:तुम्हे अपने घर में जो हुआ उसे यहां लाने की क्या जरूरत,अपना वीरू अइसा है क्या(चाची ने ना में सर हिलाया)तो फिर !!समझदार है वो ,उसको किसी बात का गुस्सा है इसका मतलब कुछ तो बात होगी ही।

चाची:हा माँ ये तो मैने सोचा ही नही।

तभी बड़ी मामी अंदर आती है।चाची को रोते देख वो समझ गयी की जो बात मैने उनसे की वही इनसे भी की है।

बड़ी मामी:वीरू ने रिश्ता तोड़ दिया न।

चाची अम्मा एक दूसरे को चौक के देखने लगे की इन्हें कैसे मालूम पड़ा।

बड़ी मामी:चौको मत उससे मैंने भी बात की थी पर उसने भी मुझसे वही बात की थी।

अम्मा:आप ने बात की फिर आपसे अइसी बात की?पर आपसे अइसी बात कैसे कर सकता है वो?!!और आप उस बात पे चुप भी हो?

चाची:अरे क्या चल रही है यहाँ मुझे कोई बताएगा(चाची दिमाग गर्म होकर बोल पड़ी।)

बड़ी मामी भी अभी समझ गयी की कोई दूसरा रास्ता नही आधा अधूरा बोलके कुछ सुलझाने वाला है नही।उन्होंने सारा माँजला बता दिया।

चाची और अम्मा तिलमिला उठी।

चाची:अभी आप ही बताओ कोई बेटा इस बात के लिए गुस्सा नही होगा।जायज है उसका गुस्सा।आपने उससे जो रिश्ता रखा उसके छुपे रहने के लिए आप उसपे भरोसा रकग सकते हो न?

बड़ी मामी:हा मुझे उसपे पूरा भरोसा है।

चाची:पर आपके नौकरानी के भाई पर रख सकते हो?

बड़ी मामी का सर नीचे झुक गया।उनको भी मालूम था की मैं कितने बात तक सही हु पर वो खुद ही उस कीचड़ में फास गयी जहा ओ दूसरे पर उड़ाएगी तो भी वो खुद पर उसका छींटा उड़ेगा।

चाची:अम्मा जाओ सुशीला को बुलाके लेके आओ।

मा अंदर आते आशा की नजर से चाची को देखने लगि पर हुआ अलग।

चाची:तुम मुझसे बोली उससे ज्यादा कर बैठी हो।तेरे वजह से मेरा बेटा मुझसे रुठ गया।इतनी क्या जरूरत आन पड़ी जो इतना नीचे गिर गयी।मुझे शर्म आ रही है जो मेरे समझदार बेटे के सामने तेरी वकालत की।मैं मुर्ख हु जो समझ बैठी की वीरू हु कुछ ज्यादा रियेक्ट हो रहा है।पर अभी मालूम पड़ा की उसका रिएक्ट होना जायज है।

(चाची के भी खिलाप जाने से मा का बचाकुचा अहंकार घमंड आत्मसन्मान सब पिघल गया।अभी वो एकदम अकेली हो गयी अइसा महसूस करने लगी।)

मा रोते चेहरे में:दीदी अब आप भी अइसा बोलोगी तो मैं वीरु को खो दूंगी।अब हो गयी गलती।वो बोले तो सही क्या करू प्रायश्चित के लिए मैं तैयार हु।आप भी साथ छोड़ दोगी तो मेरा क्या होगा।

चाची:तू खोने की बात मत के तूने पहले ही खो दिया है।और तेरे चक्कर में मैने भी।और प्रायस्चित तो करना पड़ेगा पर वो वीरु कहेगा तब और अभी मेरे से कुछ उम्मीद मत कर अभी मैं भी उसी मसले में फ़स गयी तेरे वजह से।अभी तेरा और मेरा जो होगा वो मंजूर ये खुदा होगा।

चाची भी वहाँ से निकल जाती है।मा चाची को चिपक कर रोने लगती है।

बड़ी मामी:शांत हो जाओ सब कुछ ठीक हो जाएगा।तुम अपना धीरज मत खोना।

मा:भाभी अभी मुझमे सहनशीलता नही बची।मुझे लगता है अभी आर या पार।।

चाची और अम्मा घर जाने निकलने वाले थे गाँव पर वो आखरी बार वीरू से मिलने गए।

अम्मा ने चाची को बाहर रुकने को बोला जिससे मैं और ज्यादा गुस्सा न हो जाऊ और माहौल न बिगड़े।चाची बाहर बैठ गयी।

अम्मा:वीरू !!!!वीरू!!!चलो बेटा हम निकल रहे है गांव।हमे अलविदा नही करेगा

(मैं थोड़ा शांत होके मुस्कराते हुए मुड़ गया।और अम्मा को गले लगा दिया।)

अम्मा:समझदार है मेरा लल्ला,इतना गुस्सा ठीक नही सेहत के लिए,तुम्हे जो सही लगे तुम करो पर इतना गुस्सा मत करो,तुम्हे कुछ हो जाएगा तो हमारा कौन है।

मैं:अम्मा अइसा क्यो बोल रही हो,पर मेरी बाजू कोई नही देखता,पहले जान लो तो,सीधा इल्जाम लगा देते है लोग।

अम्मा(नटखट स्वर में):हा न,कैसे कैसे लोग होते है दुनिया में।(अम्मा मेरे गाल पे चुम्मी दे देती है)मेरे लाल को परेशान करते है।

मैं:क्या अम्मा सिर्फ गाल पर,मुह मीठा नही कराओगी।

अम्मा:ले ले ना किसने रोका है।(अम्मा मेरे ओंठो पर चुम्मा दे देती है।मैं भी उनके ओंठ चुसने लगता हु।)

अम्मा:कितने दिनों बाद कुछ मजेदार सुकून सा महसूल हुआ।

मै अम्मा की चूतड़ दबाते हुए:हा ना मुझे भी।

अम्मा:चल अभी ठंडे हो ही गए हो तो चाची से भी मिल लो।

मैं:मिलूंगा मैं चाची से,उनसे कोई नाराजी नही मेरी,बस थोड़ा ठंडा होने दो।

अम्मा:और क्या ठंडा होना है।

मैंने अम्मा को एक ऊंचे मेज पर बैठाया और उनके ओंठो का रसपान करने लगा।वो भी मेरे गले में हाथ लपेट के मजे ले रही थी।

मैंने उनके साड़ी को कमर तक ऊपर किया।आदतन उन्होंने पेंटी नही पहनी थी।

मैं:अम्मा आज भी पेंटी नही पहनी।अब क्या अलविदा कह दिया पेंटी को।

अम्मा:मुझे मालूम था मेरा लल्ला मेरे चुत में लन्ड जरूर रगडेगा।जबसे तेरे पास आने के लिए निकली तबसे चुत भी गीली हो रही थी।अभी रहा नही जाता ।जल्दी निकालो और डाल दो।समय कम है।निकलना है घर।रात होने को है।

मैने मुस्करा के चुत में उंगली से अंदर बाहर कर चुत थोड़ी फहलाई।हाथ में लगा हुआ चुत काम रस बड़े मजे से चाट चूस के खाया।अम्मा मुझे नटखट नजरो से देख हस रही थी।उन्होंने ओंठो पर फिरसे एक चुम्मी जड़ दी।

मैंने लण्ड शोर्ट की और अंडरवेयर नीचे कर के हाथ में लेके हिलाया।उसपे थोड़ा थूका और अंदर ठूसा दिया


0444.gif


अम्मा:"आआह है दैया धीमे से लल्ला,तेरी अम्मा बूढ़ी हो गयी अभी।

मैंने उनके ओंठो को चुम्मी दी:अम्मा अभी तो जवान हो आप,अभी भी जवान लौंडियों से ज्यादा चुत में लण्ड पेलवाती हो।

अम्मा मुस्करा के शर्मा गयी:द्यत कुछ भी आआह

मैं पूरा जोश में उनको चोद रहा था।मेज थोड़ी ऊंची थी और अम्मा को भी धक्के से पीछे से मेज चुभ रही थी।

मैंने उनको उठा के हवा में ही चोदना चालू किया।

अम्मा:आआह वीरू सम्भालके गिर जाऊंगी आआह उम्म"


0331.gif


ओ मुझे कस के गले लग के चिपक गयी थी।

मैं चुत में कस के धक्के दे रहा था

अम्मा:आआह उम्म आआह और अंदर डाल वीरू बहोत दिन आआह से तगड़ा लण्ड की प्यासी है आआह मेरी चुत तेरी रंडी की चुत की आज बुझा दे आआह।

वो झड़ गयी थी।मैने भी उनको नीचे उतारा।उन्हें मालूम था की मैं अभी तक झडा नही हु।उन्होंने एक चुम्मी ओठ पर देदी और नीचे बैठ कर लन्ड मुह में लेके चुसने लगी।

"आआह मेरी रंडी क्या चुस्ती है आआह "

मेरे लन्ड में एक तरह का रोमांच था।मुझे सिर्फ चुसना कम लग रहा था।मैंने उनके मुह को चोदना चालू किया।


0350.gif


और आखिरकार झड़ गया।अम्मा ने पूरा रस चाटके निगल लिया।और उठ के खड़ी हो गयी।

मैंने उनके चुचो को ब्लाउज के ऊपर से मसला

अम्मा:आआह आउच्च धीरे से करो।

मैं:अम्मा चुचे बहोत कड़क हो गए है।

अम्मा:कोई मसलने वाला है नही।तू पहले इनको निचोड़ लेता है।अभी तू नही तो कौन करेगा।

मैं:ओरे मेरी रंडी ले मैं मसल देता हु।

मैन चुचो को ब्लाउज के ऊपर से मसलना चालू किया।ब्लाउज खोल के निप्पल्स चुसने लगा।

अम्मा:ओओओ उम्म आआह आआह वीरू और चूस रगड़के और दबा आआह उम्म आआह सीईई आआह"

पर समय कम था,हम कपड़े पहनके एक साथ बाहर आया।

बाहर चाची मुह लटका के बैठी थी। मैं बाहर आया और उनके सामने खड़ा हुआ।उन्होंने धीरे से नजर ऊपर की।जैसे ही ऊपर देख उनकी आंखों का मिलन मेरे आंखों से हुआ उनके आंसू आंखों से बहने लगे।वो मुझे लिपटे लिपटे फुट फुट के रोने लगी।

चाची:मुझे माफ कर देना।मैंने बिना कुछ जाने तुमसे अइसी बात की।

मैं उनके बाजू बैठ गया।

मैं:ठीक है अभी मालूम पड़ा न ठीक है फिर मैं नाराज नही हु।

चाची:नही नही गलती हुई है मुझसे सजा मिलनी चाहिए नही तो मेरे दिल को वही बात बार बार चुभती रहेगी।

मैंने झट से उनके ओंठो से अपने ओंठ मिलाए और करीब 2 मिनट तक ओंठ चूसता रहा।और जब मन भर गया तब उनके ओंठो को रिहा कर दिया।पर उनका मन नही भरा था ओ मेरे पूरे चेहरे को चूमे जा रही थी।

मैं:बस बस हो गया।मैंने आपको सजा दी थी।अभी तो आप मुझे सजा दे रही हो ।

और इस बात पर तीनो हसने लगे।चाची और अम्मा को अलविदा किया।

रात को खाने के बाद मैं घूमने के लिए गार्डन में गया।आज कल दिमाग इतना ज्यादा दर्द कर रहा था की गर्दन निकाल के बाजू में रख दु।गांव में कोई दिमाग को तकलीफ नही थी,यहां पर हर दिन एक बवाल।20 मिनिट के चक्कर में मुझे एक्जाम स्टार्ट होने के पहले के छुट्टी से आज दोपहर तक की सारी घटनाएं दिमाग में घूम रही थी।जिनकी शुरुवात चाची से और अंत भी चाची से हुआ था।थकान और नींद से मैं अभी कमरे में जाने की सोची।

मैं अपने कमरे में जैसे ही घुसा,दरवाजा झट से बन्द हुआ।
देखा तो बड़ी मामी और मा दरवाजे के पीछे से बाहर आई।

मा:इतना क्या घमंड तेरे में।मेरी बात ही नही सुन रहा।

मैं:बड़ी मामी इस औरत को बोलो यहाँ से चली जाए मुझे इस वक्त कोई झगड़ा नही करना है।

बड़ी मामि कुछ बोले उससे पहले मा बीचक पड़ी:क्या बड़ी मामी और क्या औरत (और उन्होंने एक झापड़ जड़ दिया मेरे गाल पे।बड़ी मामी देखती रह गयी।वो उस सदमे से बाहर आने ही वाली थी उस वक्त और एक झापड़ मेरे ऊपर लगा)

मैं:मिस सुशीला अगर आपकी नौटंकी पूरी हो गयी हो तो आप यहाँ से जा सकती हो।बड़ी मामी इनको बोलो यह से दफा हो।मुझे इनका मुह नही देखना।मैन बत्तमीजी की उसकी सजा इन्होंने दी।अभी इस औरत को जाने के लिए बोलो।

मा:क्या हर बार बडी मामी को बीच लेके बोलते हो।नही जाती यहाँ से जो करना है कर लो।

मैं:ठीक है आपकी जिद है तो मैं भी कम नही हु।

मैंने बाथरूम का दरवाजा और कमरे का दरवाजा चाबी से लॉक किया।मैं बहोत ऊंची वाला था तो चाबी अइसी जगह रखी जहाँ पर उन दोनो का हाथ न पहुँच सके।

मैंने टी शर्ट और शॉर्ट उतारी और बनियान और अंडरविअर में बेड पे बैठा था।मैन AC का रिमोट लिया और 14 कर दिया।

बड़ी मामी:नही वीरू उसकी गलती की सजा तुम मुझे नही दे सकते।

मैं:बड़ी मामी जी आपको पहले बताया गया था की इनकी वकालत छोड़ दो अभी बहोत देर हो गयी है।मोगैंबो अभी खुश नही नाराज है।

बड़ी मामि:और मोगैम्बो खुश कैसे होगा???

मैं:थोड़ा थम जाओ सास लो।सब बताएंगे।तो सुनो-मोगैम्बो चाहता है की उसके मनोरंजन के लिए खेल खेला जाए।

मा:ये क्या मजाक है।AC कम करो और हमे जाने दो नही तो मैं चिल्ला दूंगी।

मैं:बड़ी मामी जी अपने उस मोहतरमा हो नही बताया की उन्होंने जो गुल खिलाये है उसके कुछ नमूने हमारे पास है।तो इन्हें चुप बैठने बोलो।

बड़ी मामी:अरे सुशीला अगर तुम चिल्लाओगी तो पिताजी आ जाएंगे और वो इसको चिल्लाए तो इसके पास कुछ फोटो है हमारी उस अवस्था की कांता के भाई के साथ।तो अभी यह पर कोई घमंड चलाखी नही।"we are trapped"

मैं:बड़ी मामी शुक्रिया,आशा करते है इस महोतरमा को बात समझ आ गई होगी।अभी खेल आसान है।एक बोतल आपके सामने रखी जाएगी।लोग उस खेल को ट्रुथ डेयर कहते है पर हमारे खेल में कुछ बदलाव है।ये ट्रुथ डेयर नही डेयर डेयर है।जिसमे बोतल का मुह जिसकी तरफ़ आएगा उसको मेरी तरफ से डेयर।

ये लो बोतल घूमी।

"पहला टर्न बड़ी मामी पे।तो बड़ी मामी चलो दो झापड़ इस औरत के गाल पे खींचो।"

बड़ी मामी:क्या!?????

मैं:मोहतरमा अपने सही सुना।अगर उसको नही माना तो आपको मेरे हाथ से पड़ेंगे और इस कड़ी ठंड में आप वो दर्द चाहोगे नही।सही कहा न मैन।

(बड़ी मामी ने मा को देख धीमे से सॉरी बोला और दो थप्पड़ जड़ा दिए,उसमे जोर कम था ओर 14℃ में वो बहोत तगड़ा था।)

मैं:ये लगे शानदार दो छक्के।कप्तान खुश हुआ।गुड स्ट्रोक।आई एम इम्प्रेस।

चलो ये बोतल घूमी।

"ओ ओओ इस बार पारी इस महोतरमा के पास।महोतरमा जी बोलो-मैं रंडी हु ,मेरे गांड में बहोत कीड़े है,कीड़े मारने के लिए मैं भर रास्ते में नंगी रह कर चुदवा सकती हु।गांड भी मरवा सकती हु। -ये सारी बात एक नंबर देता हु उसपर बोलो"

मा ने बड़ी मामी के मुह के पास देखा।बड़ी मामी उनको नजर ही नही मिला रही थी।

मा:ओ मोहतरमा जी वहां मत देखो यह का वकील,जज,फील्डर,कीपर,कप्तान,बॉलर,अंपायर और थर्ड अंपायर सब मैं ही हु तो चालू हो जाओ।मैं न कहु तब तक कान में लगा के फोन चालू रखने का।ये लो फोन।

(मा के पास कोई रास्ता नही था।उन्होने जैसे मैंने बोला वैसे उन्होने मेरे बताये नंबर पे कॉल करके बोला,ओ भी मेरे मोबाइल से,सामने एक आदमी था उसने पूरे गंदे शब्द,भद्दे गालियाँ बोलते हुए,रेट फिक्स करने लगा।कुछ 1 से डेड मिनिट बाद मैंने फोन खींचा और मोबाइल का सिम निकाल के तोड़ के फेक दिया। मा रोते रोते नीचे बैठ गयी।उन्हें वो सहन नही हो रहा था।)

बड़ी मामी:ये कैसा घटिया खेल खेल रहे हो वीरू?

मैं:वही जो घटिया काम करने वालो के साथ खेला जाता है।उन लोगो को मालूम होना चाहिए की उनके अंदर की हवस को कहा तक सीमित रखना है।अगर वो हद से बाहर हो जाए तो कैसे कैसे परिणाम को भुगतना पड़ता है।अपने लोग जब बाहर वालो के साथ अपनी हवस मिटाते है तब उनको ये खयाल नही आता की जब वही बाहर वाले वो बात दुनियाभर बताएंगे तब उनके साथ रहने वालो को क्या भुगतना पड़ेगा।और जब एक वेश्या का जीवन बनेगा तब क्या भुगतना पड़ेगा।

मा:मुझे माफ कर दो मैं फिरसे नही गलती करूंगी।मुझे माफ करदो।

मैं:उठो!!!उठो!!!

दोनो तड़ के उठ जाती है........

मैं:कहा गया वो घमंड?!!? अभी तो मेरा माफ करने का कोई मुड़ नही है।अभी सिर्फ सजा।चलो खेल आगे बढ़ाते है

ये घूमी बोतल!!!.......

"बड़ी मामी जी चलो अपने कपड़े उतारो सिर्फ ब्रा और पेंटी रखो।"

दोनो की आंखे चकरा गयी।पर अभी उल्टा जवाब देने का हक दोनो खो चुकी थी।

बड़ी मामी आंखे बन्द कर कपड़े उतारी,शर्म उनको मुझसे नही,मा के सामने नंगे होते हुए हो रही थी ओ भी मेरे मौजूदगी में।

मैं:एकदम कड़क रसीला पटाखा लग रही हो!!!!

(मेरा बर्ताव मा को चौकाने वाला था।उसने इस बारे में कभी जिंदगी में नही सोचा था।)

चलो बोतल घूमी!!!!...

"मोहतरमा चलो आप भी उसी स्टेप को दोहराओ मुझे आपकी ब्रा पेंटी देखनी है।"

बड़ी मामी:वो तुम्हारी मा.....!!!

मैं:बड़ी मामी खेल में बोलने का हक मेरा है।आपको बोलना है तो अनुमति लेनि पड़ेगी।

(मा की आंखे एकदम सदमे वाली हो गई थी।बड़ी मामी चुप हो गयीं।अभी दोनी पूरी तरह समझ गए की अभी कोई रास्ता नही।गले में फंदा है और वीरू का हुकुन पैर के नीचे वाला टेबल।छोड़ दिया तो खत्म।दोनो के बदन ठंड से कांप रहे थे।)

मैं:चलो भाई थोड़ा हाथ दुख रहा है तो खेल में एक बदलाव।अभी मैं मेरे मन से टर्न दूंगा।.........आओ दोनो इधर मेरे पास बेड के साइड में आओ।

(दोनो मेरे सामने आके खड़ी हो गयी बाजू बाजू में जिससे उनको थोड़ी गर्मी मिले।मैंने दोनो के कमर से हाथ घुमाना चालू किया।उनकी नाभि छेड़ना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।क्योकि उस वक्त उनकी सिसकी और मादक हो जाती थी।)

(मैंने दोनो को मेरे उल्टे तरफ घुमाया जिससे उनकी पीठ मेरे तरफ थी।और उनके ब्रा के हुक निकाल दिये।उन्होंने आगे से ब्रा खोल बाजू रख दिए।)

मैं:अभी पेंटी उतारने का न्योता दु?!!!

दोनो ने पेंटी उतार दी दोनो की गांड मेरे तरफ थी।बहोत बड़ी नही पर छोटी भी नही।मैंने ऊसर चपेट जड़ना चालू किये।उनके स्वर में मादकता थी पर उससे ज्यादा दर्द था ठंडी का।पर मुझे मजा आ रहा था।

मैं:चलो एक दूसरे के ओर मुह कर के खड़े हो जाओ(वो खड़े हो गए।)चलो अपने ओंठो का मिलन चालू कर दो।चुसो।

(वो जबतक एक दूसरे के ओंठो से रसपान करने में व्यस्त थे तबतक मैं खुद नंगा हो गया।)
2-3-teal-keira-kate-jake-x-art-from-3-to-4_001.gif


2-3-teal-keira-kate-jake-x-art-from-3-to-4_002.gif


2-3-teal-keira-kate-jake-x-art-from-3-to-4_003.gif


मैं बड़ी मामी के पीछे जाके लन्ड घिसाने लगा।लण्ड के स्पर्श से और मेरे शरीर के गर्मी से वो और उत्तेजित हुई।वो गांड पीछे कर साथ देने लगी।बड़ी मामी को उत्तेजित करने के बाद वही नुस्खा मा पे आजमाया।उन्होंने भी वही किया जो एक हवस की भूखी करती है।मुझे तो उसकी उम्मीद भी नही थी।

मैं बेड पे सो गया और दोनो को लन्ड चुसने को बोला।दोनो बिना किसी नखरे के लन्ड को बारी बारी मुह में लेके चुसने लगे।कभी लन्ड को मूसल की तरह रगड़ के चुसना कभी केंडी की तरह चुसना कभी आइसक्रीम की तरह चाटना।आज अलग ही मजा आ रहा था।

मैंने मा को लन्ड पे बैठने को बोला।वो अयसे कूद पड़ी जैसे राह देख रही हो मेरे आवाज की।सजा का खेल चुदाई में तापदिल हो चुका था।मैंने नीचे से धक्का दिया फिर आगे मा ही ऊपर नीचे होने लगी।बड़ी मामी मेरे पास ऊपर आ गयी।मैंने उनके ओंठो को चुसना चालू किया।मैं उनके बारी बारी कोमल रसभरे ओंठो की पंखुड़ियों को चूस के उसका रसपान कर रहा था।थोड़ा मन भर गया तो उनके चुचो को मुह में लेके चुसने लगा।हाथो से रगड़ने लगा।

मा पूरे मजे से उछल उछल के चुत मरवा रही थी।मैंने उनको अपनी तरफ खींचा,उनके ओंठ और मेरे ओंठो के बीच बस कुछ इंच का फर्क था।उनकी सांसे मुझे छू रही थी।मैंने झट से उनके ओंठो को अपने ओंठो के कब्जे में कर लिया।क्या स्वाद था उन रसिंले लब्जो का,मिठाई के पकवान फीके पड़ जाए।उनको मैंने घुमाया।और पीठ के बल सुला दिया।अभी भी लण्ड चुत में था और ओंठ ओंठो से रसपान कर रहे थे
0624.gif


मैंने उनके चुचो को बारी बारी चुसना चालू किया।दोनो चुचे रगड़ रहा था।मैंने उनके दोनो चुचे कस के दबा के पकड़े।दोनो पैर थोड़े और फैलाये और चुत में लण्ड ठोकने का स्पीड बढ़ाया।करीब 10 मिनट बाद उनके चुत से"पच्छ पच"की आवाजे गूंजने लगी।उनका हवस का कीड़ा निकल चुका था।वो झड़ गयी।

0471.gif

मेरी नजर बड़ी मामी को ढूंढ रही थी।वो हमारा खेल देखते हुए चुत रगड़ रही थी।मैंने उनको बेड पे लिटाया और उनके चुत पर लन्ड लगके चुत को चोदना चालू किया

"आआह आआह उम्म आआह यह वीरू थीदा धीमे आआह और अंदर आआह उम्म आआह"

चाची के चुचे एकदम गुब्बारे जैसे उड़ रहे थे।मैं बहोत जोरो से धक्के दे रहा था।उनके पूरे पैर फैला दिए।ओ भी बेड को पकड़ सहारा लिए चुत चुदवा रही थी।

आखिर कर दोनो भी झाड़ गए मैंने मेरा पूरा गधा रस उनके उपर ही झडा दिया।

0110.gif

आज बहोत ज्यादा मजा आया था।दोनो औरते मेरे बाजू में मुझे लिपट के सो गयी।

मा:सॉरी वीरू,अगर मुझे पहले मालूम होता की मेरे लड़के के पास ही इतना तगड़ा लण्ड है तो बाहर मुह नही मारती।

बड़ी मामी:अभी मालूम हुआ न,जब भी चुत गांड में कीड़ा परेशान करने आ जाए इसका लण्ड उसमे डाल देना।

इस बात पे तीनो हस दिए।परसो के दिन इतवार को फैमिली रियूनियन की पार्टी थी तो कल बहोत काम था।दोनो औरते तैयार होकर अपने कमरे में चली गयी क्योकि कल उठना था जल्दी।


यहां अपना Season 3 खत्म होता है आशा करता हु की आपको पसंद आया होगा।अगला सीजन जल्दी शुरू होगा।अबतक के एपिसोड,सीजन के लिए अपने विचार और सुझाव कमेंट करके बताए।नए सीजन में उनपर विचार कर कहानी को और बेहतर बनाने की कोशिश होगी।धन्यवाद

● Season 3 over●
Nice update bro
 
  • Love
Reactions: Mr Sexy Webee

Killerpanditji(pandit)

Well-Known Member
10,269
38,685
258
Season ४
◆ माँ का मायका◆
(incest,group, suspens)
(Episode-1)

मेरी नाराजगी मा पे अभी भी कायम थी।बस फर्क इतना था की एकदूसरे से बात जरूर कर रहे थे ।मैं जो कई दोनो से नजरअंदाज कर रहा था उसमे थोड़ा बदलाव करने की सोची।सायन्स कहता है बात जितनी ज्यादा खींचो उतनी दूर चली जाती है।अगर उस बात को अपने काबू में रखना है तो थोड़ा ढील देना चाहिए।अपना हद दे ज्यादा किसी को तकलीफ देना दुश्मन के लिए हथियार बन सकता है।और मा तो काफी हद तक मेरे वर्चस्व में थी।पर सजा पूरी होनी बाकी थी।इतनी आसानी से किसीको माफ करना मेरे उसूलो में नही।

दूसरे दिन काफी गहमागहमी का माहौल था।शॉपिंग की चीजे फाइनल करनी थी।खाने का मेनू फ़ायनल करना था।आज नाना और मामा लोग भी आज घर से काम काज देख रहे थे शनिवार था तो आधा दिन ऑफिस बैंड और उनको भी अपना शॉपिंग निपटाना था।मैं तो हैरान था यार ये लोग बहोत ही दिल पे लेके बैठे है क्या?मैं नया था तो मैने ज्यादा चापलूसी नही की।

पार्टी बेशक घर पे नही थी,और नाना जी की मौजूदगी थी तो फैंसी ड्रेस भी नही थे ।अधनंगे कपड़े नाना को जरा भी पसंद नही।उनकी मौजूदगी वाली पार्टी में तो बहुए सर पे पल्लु लेके घूमती है।

पार्टी नाना के गेस्ट हाउस में थी जो शहर से काफी दूर और शांत जगह पे था।थोड़ी जंगल जैसी जगह।मैन रोड से भी काफी अंदर।ये जगह खास पार्टी के लिए बनाई गयी थी,अगर पार्टी लंबी हो तो।छोटी पार्टियां बंगले के टेरेस के रूम में हो जाया करती थी।

मेरी शॉपिंग तो भाभी और दीदी ने कर दी थी।तो मैं आराम फरमा रहा था।आज भैया भी टूर से आ गए थे।बंगले में जो रह रहे है इसके इलावा कोई फैमिली मेम्बर नही था नाना जी का।जहा तक मुझे मैने अनुमान लगाया,आफिस वाला कोई स्टाफ या मैनेजमेंट टीम वालां आने वाला नही था।भाभी मामियो के घरवालों वालो के सिवाय कोई बचता भी नही था।

हर रोज खाना 9:30 से 10 बजे के दरमियान होता था पर पार्टी की जगह जाना था तो 8 बजे खाना खाके सब निकल गए वह पे।3 गाड़िया थी।जिसमे नाना थे वो शिवकरण चला रहा था ।बाकी दो मामा लोगो की गाड़ी थी।

नाना का गेस्ट हाउस मैं फर्स्ट टाइम देख रहा था।किले की तरह लम्बी दीवार जिससे बाहर से कुछ नही दिखता था।गेस्ट हाउस दो मंजिल का था पर चौड़ाई बहोत बड़ी थी जैसे स्कूल वैगरा की होती है।नीचे हॉल जिम ,बार, औऱ 5 रूम्स थे।ऊपर के मंजिल पर 5 रूम एक स्विमिंग पुल था।करीब करीब गेस्ट हाउस को एक मिनी होटल लॉज बना दिया था।उसकी कंडीशन देख नया नही दिख रहा था।

वहां पहुंचते ही सब लोग फैल गए अपने अपने काम में।मर्द लोग आदतन बार में डेरा जमा गए।औरते अपने गोसिप में।भाभी और संजू स्विमिंग पूल में।मैं तो गेस्ट हाउस के बाहर के बगीचे में अपना दिल बहला रहा था।काफी देर हो गयी थी मुझे और दूर तक आया था ,रात भी ज्यादा हो रही थी ,और मैं किसीको बता के भी नही आया था ,मैं जैसे ही गेस्ट हाउस लौटा तो और दो तीन गाड़िया खड़ी थी।मतलब बचे कूचे सारे रिश्तेदार आ गए थे।

मैं अंदर गया तो भाभी और संजू को छोड़ के सब हॉल में इकठ्ठा हो गए थे।दोनो मामाओ के शादी से पहले मा ने पिताजी से भाग के शादी की थी नाना जी के मर्जी के खिलाफ तो मामियो के घरवाले नही पहचानते थे मा को और मुझे।

मेरे खयाल के मुताबिक ही दोनो मामिया और भाभी के घरवाले आये थे।बड़ी मामी के माता पिता और दादाजी दादीजी ,छोटी मामी के माता पिता और दादाजी,और भाभी के भैया भाभी।

नाना मा को सबसे मिला रहे थे।पहचान करवा रहे थे।जब मैं वहाँ पहुंचा तो मुझे भी पहचान कार्यक्रम में शामिल कर दिया।बड़े मामी के घरवालों से पहचान के बाद भाभी के घरवालों से पहचान हो गयी।पर मेरे खड़ूस रंडी मामी का परिवार मेरे आने तक वहां हॉल में नही था।

अभी सभी बूढ़े लोग एक कमरे में जाकर बातचीत में लग गए क्योकि ओ ठहरे पुराने विचार के और वो बाकियो को उनके एन्जॉयमेंट में अड़चन नही बनना चाहते थे तो नाना जी तो बुढ़िया गैंग के साथ बिजी हो गए।बड़ी मामी मा और बड़ी मामी की मा उनकी आदत अनुसार किचन एरिया में गोसिप करने में लग गयी।बाकी बचे लोग ऊपर के मंजिल पे थे।मामा और मामी लोगो के पिताजी मिलके दारू के पी रहे थे।मेरे उम्र का वैसे कोई था नही।मैं अयसेही भटक रहा था।

मा:वीरू ऊपर भाभी भैया संजू दी छोटी मामी और उनके घरवाले बैठे है,उनको ये खाने के लिए देके जाओ।

मैं:ठीक है।

मैं वहाँ से चला गया ऊपर।

इधर मा बड़ी मामी से-बड़ी भाभी आपको लगता है की वीरु ने माफ कर दिया होगा मुझे।कल रात को भी कुछ नही बोला और न सुबह से ठीक से बात कर रहा है।

बड़ी मामी:देख सुशीला एक बेटा होने के लिहाज से उसने जो देखा ओ उसे हजम नही हो रहा।मुझे तो नही लगता की वो तुम्हे इतने जल्दी माफ कर देगा।विश्वास जुटाना इतना आसान नही होता।खैर मनाओ की तुमसे हा ना में तो बात कर रहा है।पर मुझे लगता है वो सिर्फ जश्न की वजह से अइसा कर रहा है।क्योकि उसका मुड़ सुबह से उकड़ा उकडा से है।

मा:पर अभी मैं क्या करू,माफी मांग ली,चुत चुदवा ली।और क्या करू?

बड़ी मामी:बस सब्र रख।जैसे चल रहा है चलने दे,वो जो कहेगा उसे मान के चल,जितना हो उतना उसके पास रह,पर झगड़ना मत,बनि बात बिगड़ जाएगी।

मा:उसे किस बात का इतना घमंड है भाभी अगर मैं पिताजी को इसे यहां से निकालने बोलू तो इसे कौन पूछेगा उसको।

बड़ी मामी:देख सुशीला तेरा यही घमंड तुझे डुबा देगा।तुझे मालूम नही होगा इसलिए अभी बता देती हु क्योकि वैसे भी आज ना कल तुझे मालूम पड़ेगा ही।

मा:क्या बात है भाभी!!!!!???!!!

बड़ी मामी:पिताजी ने तेरे साथ वीरू को नही स्वीकारा है,वीरु उनको जरूरी था तुम वीरू की वजह से आयी हो।अगर वो नही होता हो पिताजी तुम्हे कभी नही अपनाते।

मा थोड़ा चौक गयी:मतलब मैं कुछ समझी नही।पिताजी को वीरू की जरूरत थी इसलिए मुझे यहां लाये।पर क्यो अइसे??

बड़ी मामी:मुझे साफ साफ नही पता पर वीरू के हिसाब से मुझे मालूम पड़ा की छोटी जायदाद के पीछे लगी है।वीरू को उनका स्वभाव मालूम पड़ गया तो पिताजी को भी जरूर संदेह हो गया होगा।संजू तो पूरी नादान है और हमे बेटा भी नही है।रवि को अगर सब कुछ दिया जाएगा संभालने को तो कही न कहि जायदाद छोटी के कंट्रोल में जाएगी।रवि भी व्यापार में मन नही रखता तो कोई समझदार होशियार चाहिये इसलिए पिताजिने वीरू को चुना होगा।

माँ:ये बात पिताजी ने मुझसे क्यो नही की।

बड़ी मामी:आपने बिना उनके मर्जी शादी की 18 साल उनसे दूर रही अभी ये वीरू है जिसने ये बाप बेटी का मिलन करवाया।मुझे पूरा यकीन है की पिताजी उसको जायदाद में हिस्सा दे दिया होगा।अभी उससे घमंड करोगी तो आपको ही महंगा पड़ेगा।

इधर ऊपरी मंजिल पे-

स्विमिंग पूल पे लोग दारू पी रहे थे। मैंने मेज पे जाके प्लेट रख दी।वहां पर सारे लोग दारू पी रहे थे,संजू भी शामिल थी।मैं दारू सिगरेट जैसी चीजो से वास्ता नही रखता था तो मैं नीचे जाने के लिए पलटा।

तभी रवि भैया ने मुझे रोका।

रवि:अरे वीरू तुम बड़ी मा से नही मीले होंगे।(छोटी मामि के मा को मेरी पहचान करते हुए।)बड़ी मा ये वीरू सुशीला बुआ का बेटा।

छोटी मामी की माँ मेरी तरफ पीठ करके बैठी थी।जब मीठी पहचान कराई तब मुझसे हाथ मिलाने के लिये वो नशे में ही पिछे पलटी।

"हेलो बेटा!!!!"जैसे ही उनकी नजर मुझसे टकराई उनका आधा नशा उतर चुका था।मैं पहले तो चौक गया पर बाद में मुझे मन ही मन हसी आने लगी।

वो तो मुझे सिर्फ ताकती रह गयी।हेलो बेटा के आगे उनको कोई शब्द ही नही मिल रहे हो अइसी दशा हो गयी।पर बाकियो को शक न हो जाए इसलिए मैंने खुद आगे होकर हाथ मिलाया।

मैं:हेलो आँटी हाऊ आर यू।(मुझे हसी सहन नही हो रही थी।कब खुले में जाके पेट दबाके हसु अइसे हो रहा था।)

तभी छोटी मामी ने टोका:बस बस बहोत हेलो हेलो कर लिए जाओ ये प्लेट नीचे रख के आओ

(लगता है उनकी मा से मेरा मिलना उनको पसंद नही आया।)

मैं प्लेट उठा के किचन में रख आया।बाहर जाके सुनसान सी जगह ढूंढी।करीब 100 मीटर पर एक छोटा से रूम था।जहा पर बगीचे के अवजार खाद रखा जाता था।मैं उसके वह जो खाली हवाई जागा थी वहां गया।आसपास देखा की कोई मुझे देख तो नही रहा।और जो हँसना चालू किया।मुझे बहोत ज्यादा हसी आ रही थी।क्या नसीब लेके आया हु मैं।सब इतनी आसानी से कैसे मेरे पालडे में आ सकता है।

आपको तो मालूम हो गया रहेगा की मैं क्या बोल रहा हु और किस बारे में बोल रहा हु।

जो औरत रवि भैया की बड़ी मा,छोटी रंडी की मा और हमारे घर की सम्बदन है वो वही औरत थी जो मेनेजमेंट के गेस्ट रूम में अपनी चुत चुदवा रही थी।उस टाइम उनका फुटेज लेना मुझे कुछ काम का नही लगा पर अभी तो ब्रम्हास्त्र मेरे हाथ में था।

12 बज के जा चुके थे। मैं वह से नानाजी को देखने गया।वो सब सो गए थे।मैं फिर बार में गया वह पर भी मामा और बाकी सो गए थे वैसे ही।पूरे नशे में थे।मा बड़ी मामी और बड़ी मामी की मा भी सो गयी थी।अभी बचे ऊपरी मंजिल वाले।जब ऊपर गया तो स्विमिंग पूल पे कोई नही था।ऊपर के सारे रूम आमने सामने थे।उसमे में एक कमरा बन्द हो गया था।मैं आगे गया तो आखिर में बाहर बाल्कनी थी जहा मैंने देखा की संजू खिड़की से झांक रही है।

मैंने उनको पीछे से कंधे पे हाथ रखा तो वो एकदम सी चौक गयी।उनकी धड़कन बढ़ गयी।मुझे देखते हु उसके जान में जान आई।मैं कुछ पूछता उससे पहले ही मेरे मुह पे हाथ रख मुझे धीमे आवाज में बोली:कुछ बोल मत बस अंदर देख।

मैंने अंदर देखा तो रवि भैया सिद्धि भाभी और उनके भैया भाभी थे।पर मुझे परेशान करने वाली बात ये थी की चारो नंगे थे।और उससे भी बड़ी बात मुझे ये दिखी की दोनो ने अपने बीवियों की अदलाबदली की थी।ये नशे में किया या ये इनकी फैंटसी है इससे मुझे कुछ लेना नही था।संजू बाकी उनको बहोत गौर से देख रही है।यह ये भी सवाल उठता है की पोर्न देखके इसको ये आदत लगी या ये सब देखके इसको पोर्न की आदत लगी।पर सामने वाला दृश्य पूरा रोमांचक था।खिड़की पे मेरे सामने संजू और पीछे मैं खड़ा होकर उस शुरू होने वाले चुदाई के मजे लूटने के लिए तैयार हो गए।

परिचय







रवि भैया निधि को कस के पकड़ कर उनके ओंठो को चूस रहे थे तो सिद्धि भाभी अपने ही भाई विकास के लण्ड को चूस रही थी


0519.gif


।निधि थोड़ी पतली थी और उसके न चुचे उभरे हुए थे न गांड।विकास थोड़ा मोटा था पर ज्यादा भी नही।

रवि और निधि सोफे पर और सिद्धि और विकास बेड पर थे।इधर मेरा भी लण्ड खड़ा होने को था।

रवि भैया निधि के चुचे चुसने लगे।

विकास(विकी):अरे रवि उसके मसल के चूस इसे बहोत पसन्द है।

रवि ने एक चुचे को मुह में चूसते हुए दूसरे चुचे को मसलना चालू किया।

रवि:तुभी आज इसको तेरे गाढ़े रस से नहला दे साली का कितना भी रस पिलाओ मन ही नही भरता।

सिद्धि ताना मारते हु:अबे तेरा निकलता कहा है।जो तू परेशान हो रहा है।

निधि:कुछ भी कहो सिद्धि पर तेरा पति मजे बहुत देता है।

विकी:इतना पता है तो कुछ सिख उससे,10 मिनट में ही अकड़ जाती है और गल जाती है।

निधि:अच्छा,बहनचोद अपनी रंडी बहन को जैसे मजे देता है वैसे मुझे क्यो नही देता।

विकी:तू मेरा ना लण्ड चुस्ती है न तेरी चुत चाटने देती है,पर सिद्धि सब कुछ करती है और करने देती है।

विकास का लन्ड रस निकल गया और सिद्धि उसे पी गयी।अभी सिद्धि को पीठ के बल लिटाके विकी उसके ऊपर आया और चुचे चुसने लगा।

यहाँ मेरा लन्ड संजू के गांड में घिसने लगा।संजू भी गांड पीछे उठा के घिसाने लगी।

संजू:क्यो लल्ला अब तेरे भी लन्ड को भूख लग गयी।

मैंने पीछे से उनके चुचो को कस के पकड़ते हुए मसलना चालू किया:हा ना मेरी जान सामने चुदाई और पास में गर्म माल हो तो लण्ड को भूख लगेगी।

संजू:फिर देर किस बात की।उठा ले और डाल लन्ड अन्दर।

संजू वन शोल्डर टॉप और राउंड स्कर्ट में थी तो मैंने स्कर्ट उपर की।और विंडो स्लाइड पर उनका एक पैर ऊपर करके लन्ड को चुत में डाल थोड़ा अंदर घुसा दिया।

0682.gif


यहाँ विकी ने अपने लन्ड को खड़ा करके सिद्धि के चुत में डाला और धक्के पेल रहा था।उधर रवि सोफे पे लेटा था और निधि उसके लन्ड पर बैठी थी।रवि का लंड मेरे और विकी से काफी छोटा था।

मैं बहोत धीरे धीरे धक्का दे रहा था।क्योकि वो चिल्लाये नही, नही तो मजा किडकीड़ा हो जाएगा।

रवि निधि के चुचो को मसल रहा था।और निधि चिल्लाते हुए उछल रही थी


0203.gif
0203.gif


"आआह फक आआह ओ माय गॉड आआह उफ आआह उम्म फक फक ओ नो आआह उम्मसीई"

(इतना छोटा लण्ड इसको चुभ रहा है मतलब इसकी चुदाई कम होती है या।ये जल्दी झड़ जाने की वजह से उसकी चुत की उतनी मशगत नही होती।)

इधर तो एकदम से हार्डकोर था।


0004.gif


सिद्धि:आआह आआह विकी और जोर से आआह फक फक हार्ड आआह मादरचोद जोर से लण्ड चुड़ भड़वे और जोर से आआह उम्म उफ आआह रंडी के आआह"

मैं भी थोड़ा स्पीड बढा कर चोदने लगा।संजू भी कंट्रोल करके सिसकारी छोड़ने लगी
"आआह उम्म उफ्फ हहह"

मैं उसके चुचे कैज़ के दबा के चोदने लगा,स्पीड बहोत था और उसी की वजह से वो झड गयी।पर मेरा झड़ना बाकी था।मैंने उसको नीचे बिठाया और लन्ड को मुह में ठूसा दिया।

यहाँ निधि और रवि का खेल खत्म होने को था।निधि पहले ही झड गयी थी,बस रवि अपना झड़ने के लिए नीचे से धक्के पेल रहा था।और वो भी झडा ,वो भी निधि के चुत में।निधि उसपे गिर के उसके ओंठ चुसने लगी।वो एक दूसरे को लिपटे सोफे पर ही ओंठो का रसपान करने लगे।यहाँ विकी जल्दी झड गया।और सिद्धि की चुत में उंगली डाल ऊपर से चाटने लगा।

सिद्धि:तुम दोनो(विकी और रवि) साले भड़वे हो औरत की भूख नही मिटा सकते तुम्हारे लूल्ले।आआहमुझे तो फिक्र भाभी की होती है(उनका कहना था उनके लिए मैं जो मिला।पर किसका उसके पीछे के अर्थ पर ध्यान न गया।)भड़वे तुम दोनो कुछ काम के नही आआह आआह

आखिर कार कैसे वैसे सिद्धि भाभी झड गयी।वो रवि और निधि अभी भी रसपान में मगन थे।विकी बेड पे ही सो गया थक कर।सिद्धि बाथरूम चली गई।


0612.gif

यह पर मेरा लण्ड तने तड़पत रहा था और संजू उसको शांत कराने के लिए चूसे जा रही थी।आखरी में उसने भी दम तोड़ा और झड गया।गाढ़ा रस पूरे शरीर पे गिर गया संजू के।संजू कपड़े संभालते हुए बाजू के कमरे के बाथरूम में घुस गयी।मैं वहां से नीचे आ गया।

0067.gif


Disclosure: कहानी में उपयोगित सभी चित्र (photo) एवम चलचित्र(gif or vids)इंटरनेट से संशोधित है।एडमिन और उसकी टीम चाहे तो हटा सकती है।पर बाकी कहानी के अंग रूपरेशा ©MRsexywebee के है।
Excellent update
 

Killerpanditji(pandit)

Well-Known Member
10,269
38,685
258
(Episode 2)

मैं नीचे आया तो किचन में कोई था।मुझे आहट सी लगी।इतनी रात गए कौन है?सब तो सोए हुए है।मैं किचन में गया तो मा किसी के साथ थी चेहरा साफ नही दिख रहा था।मैं थोड़ा और पास गया। मेरी आहट से वो लड़का दूसरे तरफ के दरवाजे से भागने लगा।करीब 25 से 30 साल का लड़का ।मैं भी उसके पीछे भागा।जाते जाते मेरी नजर मा पर गयी।माँ के चुचे खुले थे,बाल फैले हुए थे।मेरा सर में गुस्सा लाव्हा की तरह उबलने लगा।

मैं लड़के के पीछे भागने लगा।लड़का बगीचे से रास्ता निकालते हुए भागने लगा।मैं काफी दूर था।अंधेरे में ज्यादा तर दिख नही रहा था।मैने लड़के को रोकने के लिए कोशिश की,एक लकड़ी मिली उसको पूरी ताकत से उसपर फेका,उसकी चिल्लाने की आवाज आई।पर वो वहां से भाग निकला।मैं थक गया था।पर ओ थकान और मा की दशा मेरा गुस्सा और बढ़ा रही थी।मैंने तो ठान ही ली जो भी बाहर का आदमी मा के करीब दिखा उसका बंदोबस्त कर के रहूंगा।

मैं थोड़ा चलके आगे गया तो मुझे एक छोटा घर दिखा।मैं उस घर में घुस गया।वहाँ के लोग सोए थे।मेरी आहट से वो जग गए।उन्होंने घर के दिए जलाए।

वो तो माली चाचा थे,सियाराम नाम था उनका।सुबह आया तभी देखा था जब मैं घूमने आया था बगीचे में तब उनको देखा था।उनके साथ अभी उनकी बीवी भी थी,शारदा चाची


सियाराम:क्या हुआ बाबूजी इतनी रात को यहाँ पे?कुछ काम था?

मेरी आंखे चारो तरफ घूम रही थी।मेरे आंखों में उस शख्स की परछाई चमक रही थी।

मैं:माली चाचा अभी कोई शख्स भागता हुआ यहाँ आया क्या?

सियाराम अपने बीवी की तरफ देखने लगा।दोनो के गले सूखने लगे।सुनसान रात में उनकी दिल धड़कने की आवाजे आने लगी।

सियाराम:नही बाबूजी कोई नही.....!!!

वो अपनी बात पूरी करते उससे पहले ही अंदर से बर्तन गिरने की आवाज आई।

मैं:कौन है अंदर?

सियाराम की बीवी शारदा थोड़ी डरी आवाज में:कुछ नही साब वो बिल्ली होगी।

उनका चेहरा आवाज इससे मुझे उनपे शक होने लगा।मैं जबरदस्ती अंदर घुसा।कोई लड़का था।मैं उसे खींच के बाहर आया।

सियाराम:ये मेरा बेटा शिवा है साब,दूसरे शहर में रहता है,आज ही आया है।

मैं:अभी 5 मिनट पहले कहा थे शिवा?

शिवा हटाकट्टा नही था नॉर्मल शरीर था।खुद के माथे के पासिना पोंछते हुए बोला:वो वो अन्दर ही था।

मैंने उसको पूरा निहारा।आगे से पीछे से ऊपर से निचे।और जो शक था वही हुआ।पैर के नीचे उसे वही लकड़ी लगने का निशान मुझे दिखा।

मैं:घर में बैठे बैठे सोए सोए पैर के नीचे इतना बड़ा निशान।

शिवा का गला सूखने लगा।उसके मा बाप को कुछ समझ नही आ रहा था।

सियाराम:शिवा क्या बात है?ये जख्म कैसा?

शिवा:वो पिताजी अइसे ही किधर नींद में गिरा रहूंगा,मुझे पता नही चला होगा।

मुझे अभी रहा नही गयी मैंने उसके कान के नीचे 2 झांझनाटेदार लगा दिए,वो चकरा गया।

उसकी मा शारदा मेरे पैर में गिर गयी।उसे छोड़ने की भिक मांगने लगी।

सिया राम ने उसे सहारा दिया और मुझे पूछा:क्या बात है साब कुछ गलती हुई है तो वैसे बता दो ।

शारदा:इसकी तरफ से हम माफी मांग लेते है।

मैं : इसकी सजा माफी लायक नही।तुम्हारा ये चिराग मेरे मा के साथ....(मैन एक झापड़ और लगाया।उसके मा बाप बात समझ गए।उसकी मा झट से खड़ी हुई और दो थप्पड़ और लगा दिए उसे)

शारदा:साब उसकी तरफ से मैं माफी मांगती हु।

मैं शिवा से:क्यों भड़वे तेरे घर में मा नही है क्या उसके साथ कोई कुछ अइसा करे तो तू देखेगा।तेरी औकात क्या और कर क्या रहा है।

मेरा गुस्सा अभी मर्यादा पार कर चुका था।मुझे वहा पर एक कोने में डंडा मिला।मैन उसके मा बाप को बाजू धकेला और उसे गधे के माफिक पीटने लगा।उसके पैर पे इतनी बार मारा की उसे उठने को नही हो रहा था।और आखरी का उसके उस जगह मारा जो मेरे मा के लिए उठा था।उसके मा बाप मेरे सामने घुटनो पर बैठ के माफी मांगने लगे । पर मैं आपा खो चुका था।पिछली बार बड़ी मामी थी ,इसलिए बलबीर बच गया।

सियाराम:साब माफ करदो उसे मैं आपके पैर पड़ता हु।

शारदा:साब आप हमको जो सजा देना चाहते हो देदो।पर उसे छोड़ दो।

मैं:ये भी सही है,तुम लोगो को उसे सही से उसकी औकात नही बताई।

शारदा शिवा को मारते हुए:बोल तूने क्यो किया अइसे?क्या इज्जत रख दी हम लोगी की।

शिवा दर्द भारी आवाज में:मुझे शिला (छोटी मामी)मेडम ने किसी वीरू को मारने को बोला था।वहा उसे ढूंढने गया था तो इनकी मा मिली किचन में तो...!

मैं गुस्से वाले दिमाग से पागल जैसा हसने लगा:तो तू वीरू को मारने आया था।तूने कभी देखा है वीरू को।

शिवा:नही!!!

मैन वही सवाल सियाराम और शारदा को पूछा,वो भी"नही "बोले।

मैं हस्ते हुए:वो वीरू मैं हु।

ये बात सुन तीनो को सांप सूंघ गया।

मैं:क्यो फटी न,तेरी मा की चुत साले मुझे मारेगा।सालो मुझे हैवान करके छोड़ोगे।शैतान हु मैं।मेरी मौत मेरे ही मर्जी से अति है बे।तू क्या मारेगा।

मैंने फिरसे एक साथ उसके कमर पर मारी।सियाराम उसको बचाने आया तो उसके भी कमर पे लात मार दी।वो दर्द से करह उठा।

शारदा:साब साब नही साब मर जाएगा वो माफ करदो साफ,आप जो चाहे सजा दो,पर इतनी बड़ी सजा मत दो की हम जी नही पाए।

मैं:क्यो बे भड़वे मेरी मा के साथ रंगरेलिया मनायेगे।रुक तुझे बताता हु

मैंने शारदा को बाल पकड़ के उठाया।उसको दर्द हुआ।

सियाराम:बाबूजी नही बाबूजी इसको कल दूसरे शहर भेज दूंगा,आप छोड़ दो इन दोनो को,मार डालना है तो मुझे मार डालो।

शारदा:नही बाबूजी आप मुझे मार दो।

मैं दोनो पर खिसकते हुए:अरे चुप दिमाग की मा मत चुदा।

मैं सियाराम से:तेरे बीवी की उम्र क्या है?

सियाराम:जी साब!???

मै:मैंने पूछा इसकी उम्र क्या है?

सियाराम :42 45 होगी।

मैं:मतलब मेरे उम्र कि है।

शिवा:नही साब नही मेरे गुनाह की सजा मेरे मा को मत दो।

सियाराम रो चुप सा हो गया।क्या बोलता ओ?उसने शिवा को चुप किया।

शिवा:पिताजी उनको बोलो उनको बोलो,मा तुम कुछ क्यो नही बोलती।

मैं:क्यो चाची देख मुझे जबर्दस्ती नही करनी।अभी तेरी मर्जी।

शारदा ने अपनी आंखे पोंछी और अपना पल्लु अपने छाती से हटाया।मुझे हरा सिग्नल मिला।

शिवा और सियाराम एक दूसरे को गले लगाए फूटफूट के रो रहे थे।

मैं हस्ते हुए।शारदा के चुचे मसलने लगा और बोला:देख शिवा यही चुचे पसंद आये थे ना मेरे मा के,देख देख।

शिवा उठने की बहुत कोशिश की पर उसका पैर काम नही कर रहा था।ओ पूरा असह्य था,उसे मुझसे पंगा लेना महंगा पड़ गया था।खाया पिया कुछ नही,पैर तोड़ा जिंदगीभर के लिए।

उन दो नो के सामने मैंने शारदा को खड़े खड़े नंगा किया।

मैं:अरे अभी देख ना दुसरो की मा को चोदने का बहुत मन करता है ना तेरा।ले तेरी मा की चुत चाट ले।

(मैंने उसकी मा के चुत को उंगली से मसला।शारदा सिसक से कहर गयी।)

मैं:अरे चाची दर्द हुआ क्या,इससे बड़ा दर्द तो तब हुआ जब मेरे मा के चुचे हाथ में लेके तेरा बेटा रंगरेलिया मना रहा था।

शारदा:साब आपको जो करना है,मैं तैयार हु,मेरे बेटे को छोड़ दो।मैं पैर पड़ती हु।

शारदा चाची मेरे पैर में गिर गयी।मैंने भी शॉर्ट और अंडरवेयर नीचे डाला और टी शर्ट बनियान निकाल बाजू की लकड़ी की पलँग पर डाल दिया।

मेरा तना हुआ लन्ड शारदा चाची के मुह के सामने लटक रहा था।उन्होंने एकबार मेरे लन्ड को देखा और एक बार अपने पति और बेटे को देख रो रही थी।अचानक उसने आंखे पोंछी और मेरे लन्ड को हाथ से सहलाया और मुह में लेके चुसने लगी।मैं उसके सर पर हाथ सहलाने लगा।

मेरा लण्ड अभी पूरा तन गया था।बाजू के पलँग पर मैंने चाची को सुलाया उनके चुचे मुह में लेके चुसने लगा।मसलने लगा।

"आआह आआह उम्म आहिस्ते आआह उम्म"

मैंने उनके ओंठो को मुह में पकड़ के चुसना चालू किया,हाथ में चुचो मसलना चालू था।लण्ड अभी फंनफनाने लगा था मैन मेरे लण्ड को हिलाया और चाची की झांट भरी चुत में डाल दिया।

शारदा:आआह आउच्च आआह उम्म धीरे से आआह

मैं कुछ सुनने मानने की अवस्था में नही था।मैं जोर जोर से कस के धक्के मार रहा था।

"आआह उम्म आआह आउच्च उम्म आआह"

मैं':अबे रंडी साली तेरे बेटे के लण्ड को काबू में रखती तो तेरी चुत का भोसड़ा नही बनता अभी ले अभी तेरी चुत का भोसड़ा बना देता हु।

शारदा:अभी हो गयी बाबू गलती!अब मेरे पास भी कोई जरिया नही है।आपको जितनी चुत मारनी है मारो आआह,पूरा अंदर डाल के चोदो,अपने घर का ही भेदी है तो अभी भुऊऊऊ गतना पड़ेगा।

वो कब की झड गयी थी।मैं अभी झडा नही था।पर जब झड़ने का टाइम आया।उसके मुह में रख दिया।

शारदा ने गिरने वाला हर एक बून्द चाट के चूस के निगल गयी।

मैं उठा।शारदा भी उठी बोली:साब किसको ये बात मत बोलना बड़े साब जी मार देंगे,इस उम्र में कहा जाएंगे।

मैं:मैं नही बताऊंगा किसको,पर सजा पूरी नही हुई।ये सियाराम हट वहाँ से।

सियाराम बाजू होकर खड़ा हो गया।

मैं:चल तेरे बेटे के मुह में जाके चुत चटवा,लन्ड तो अभी खड़ा नही होगा।

शारदा:नही साब बेटे के सामने शर्मिन्दा मत करो।

मैं:तुम जा रही हो या।मैं......!!!

शारदा बिना बहस किये जेक उसके मुह पे चुत टिका दी।

मैं:शिवा चल डाल जीभ तेरी मा की चुत में,नही तो एक झापड़ तेरी मा भी खाएगी।

शिवा अपनी मा के चुत में जीभ घुमाने लगा।मैं जाके उसके सामने लन्ड हिलाने लगा।मेरा लंड जैसे ही खड़ा हुआ,

मैं:ओए रंडी ले चाट इसे।

अपनी चुत बेटे के जीभ से चटवाते हुए,मेरे लण्ड को चाट रही थी।काफी देर लण्ड चटवाके मैने लन्ड को मुह में ठूस दिया।और उसका मुह चोदने लगा।वो कब की झड गयी थी।पूरा मुत अपने बेटे के मुह पे ही छिड़ दिया।मैंने भी अपना चोदने का स्पीड बढ़ाया और झड गया।

सियाराम:साब अभी छोड़ दो,गरीब लोग है,आगे से कोई शिकायत नही आएगी।

मैं:आणि भी नही चाहिए,नही तो इस बार लण्ड और डंडे से काम चलाया अगली बार कुछ और होगा।समझो और समझाओ अपने बेटे को।


मैं वहाँ से गुस्से गुस्से में निकल कर गेस्ट हाउस आया।मा रूम में जाके सो गयी थी।मैंने अभी ठान लिया था की मा को ढील देना गलती थी मेरी अभी आगे से नही होगी।

तभी कान्ता मुझे देख दौड़ती हुई आयी।

मैं:हा हा हा रात के 2 बजे कहा भागे जा रही है।

ओ मुझे एक कोने में लेके गयी और कुछ अइसा बताया जिससे मुझे बहोत बड़ा झटका लगा।ये मैंने पूरी जिंदगी में नही सोचा था।मैं वही बैठ गया।

कान्ता:बाबू जी बाबू जी,संभालो खुदको।

मैं जो पिघल गया था।खुदको सवार लिया।आंखे पोंछी।

मैं:और कुछ खबर!!???

कान्ता:खबर ये है की नाना जी कल वसीहत पढ़ने वाले है।किसको क्या मिलेगा वो कल मालूम होगा।

मैं:मेरे लिए कुछ है?

कान्ता:जहा तक मालूम पड़ा है,सारे मर्द लोगो के ही नाम है,आपका भी नाम है,पर आपके हाथ में क्या मिलेगा नही मालूम।

मैं सोचा अभी जो करना है वसीहत के बाद,अभी कुछ गलती कर बैठा तो अभीतक का सारा खेल बिगड़ जाएगा।

मैं:कान्ता सच में मैं तेरा जिंदगीभर अहसानमंद रहूंगा,बोल मैं क्या दु तुझे?

कान्ता:बस आपका विश्वास,हम गरीबो को सिर्फ प्यार और विश्वास चाहिए,पॉलिटिक्स पैसा नही चाहिए।

मैं:ठीक है।जाओ अभी सो जाओ।दीन भर सारा काम तुझे ही करना पड़ता है।

कान्ता मुस्करा के सोने चली गयी।


अभी इम्तेहान की घड़ी नजदीक थी।सीधे रास्ते पे चल रहा था।क्यो हैवान बना रहे है ये लोग।क्या चाहते है पैसा।दे भी देता पर कुछ समय पहले बताया होता तो।अभी तो ये मेरा घटिया कमीनापन देखेंगे।क्योकि

" कमीनापन सबको आता नही और अपने से जाता नही"



Disclosure: कहानी में उपयोगित सभी चित्र (photo) एवम चलचित्र(gif or vids)इंटरनेट से संशोधित है।एडमिन और उसकी टीम चाहे तो हटा सकती है।पर बाकी कहानी के अंग रूपरेशा ©MRsexywebee के है।
Bahtreen update
 

Killerpanditji(pandit)

Well-Known Member
10,269
38,685
258
(Episode 3)

सुबह 7 बजे

मैं सबसे पहले उठ कर स्विमिंग पूल में आराम कर रहा था।दिमाग और शरीर पूरा गुस्से से गर्म था।पर कुछ मजबूरियां उसे काबू करके रखी थी।

सुबह 9 बजे

मैं रात भर जगा था तो तैरते तैरते स्विमिंग में झपकी लग गयी।तभी वहां पे संजू सिद्धि भाभी निधि भाभी ,रवि, विकी ,और छोटी मामी की मा आ गयी।छोटी मामी मुझे नीचे जाते दिखी।मैं सिर्फ अंडरविअर में था।उन लोगो ने भी अपने कपड़े उतारे लड़के मेरे ही जैसे अंडरविअर में थे और लेडीज़ लोग ब्रा और पेंटी में।

स्विमिंग पूल काफी छोटा था।सब लोग अंदर आने के बाद भर गया था।मैं एक कोने में हाथ फैलाये बैठा था।छोटी मामी की मा मुझे देख मुस्कराई और आंख मारी पर मैंने उनको नजरअंदाज किया।मुझे छोटी मामी से जुड़े किसी व्यक्ति पर भरोसा नही रहा।ओ लोग इतना गिर गए थे की उनको किसी की जान लेना भी बड़ी बात नही थी।

स्विमिंग में रवि भैया आपने टूर की छोटी मामी की मा जिनका नाम श्वेता था वो और विकी अपने बिज़नेस की बाते करने लगे,सिद्धि भाभी भी उसमे शामिल हो गयी।

संजू को उन दोनो विषयो में न जानकारी थी न कोई रस,और निधि ठहरी हाउसवाइफ घर के सिवा बाहर गयी ही नही।

संजू और निधि ठीक मेरे सामने पीठ करके खड़ी थी और उनके बातों को सुन रही थी।मैं अपना अपने में ही सोच में डूबा था की मेरे अंडरविअर पर मेरे लण्ड का जायजा लेते हुए एक हाथ घूम रहा था,वो संजू थी।स्विमिंग पल का पानी गाढ़ा हरे रंग जैसा था तो पानी के अंदर जो हो रहा है वो सिर्फ अंदर खड़े रहके और अपने पास का ही देख सकते है।बाजू वाला भी आप पानी के अंदर क्या कर रहे हो देख नही सकता ,पर महसूस होगा उसको।

संजू का हाथ मैंने पकड़ के झटक दिया और कमर पर चुटकी काटी।वो आगे फुदक पड़ी।

निधि:क्या हुआ संजू,ठीक तो हो?

संजू: हा हा,कुछ नही।

संजू थोड़ी देर चुप रही,अचानक निधि भाभी के करीब गयी और कान में बोली:मैं आपको एक जादू दिखाती हो आपको पसंद आये ना आये बस कोई रिएक्शन मत देना।प्लीज!!!

निधि ने घबराए हुए चेहरे से ही हामी भर दी।उसको मालूम था की संजू जितनी नादान है उतनी साइको जैसी भी है।कभी कुछ भी कर सकती है।

संजू ने निधि का हाथ पकड़ा और मेरे लण्ड पे अंडरविअर के ऊपर से ही रख के दबा दिया।

संजू तो मजे ले रही थी।पर निधि और मैं चौक से गए थे।दोनो एक दूसरे को देखते ही रह गए।जगह भी इतनी कम थी की अगर मैं फिरसे उसका हाथ झटका दु तो निधि के हाथ को भी जख्म हो सकती थी।क्योकि हम कोने में थे तो दोनो ओर स्विमिंग की दीवार थी।

संजू अपने हाथ से ही निधि के हाथ को मेरे लण्ड पे मसल रही थी।मजा निधि को भी आ रहा था और मुझे भी पर जितना मजा था उतना डर भी था क्योकि वहाँ पे बाकी के भी लोग थे।

संजू ने मेरी अंडरवेयर से लण्ड को रिहा कर दिया था।मेरा लण्ड पूरा लन गया था।ठंडे पानी में भी उसकी गरमाहट महसूस होने लगी थी।मेरा तन बदन मचल रहा था।संजू ने निधि के हाथ में पूरा लण्ड थमा दिया।हाथ में पूरा लण्ड आते ही निधि मेरे पास एकदम आश्चर्य से देखने लगी।और नॉटी स्माइल देदी।मतलब तो साफ था की निधि राजी थी और पूरी तैयार भी।

मेरा तन बदन मचल रहा था।निधि मेरे लन्ड को धीरे धीरे हिला रही थी।हमारा चेहरा नॉर्मल था पर अंदर से अंग अंग मचल रहा था।संजू ने निधि को पीछे किये जैसे सबको वो नॉर्मल सा लगे।पर बाकी लोगो का ध्यान नही था उसपे।बड़े लोगो की बड़ी गोसिप।संजू की हरकते देख सिद्धि भाभी को थोड़ा शक हुआ,क्योकि उनको हमारी हरकते पता थी।उन्होंने मुझे आंखों से ही पूछा"क्या हुआ?"मैने भी आंखों से नीचे की तरफ एकबार इशारा किया,फिर निधि की तरफ आंखे घुमाके इशारा किया। भाभी समझ गयी वो मुस्कराते हुए आंखों से ही फरमाई'"लोहा गर्म है तो हतोड़ा मार दे,किसकी राह देख रहा है।"

मैं भी सोच रहा था अगर वो तैयार है तो मैं क्यों पीछे जा रहा हु।निधि भभी मेरे से चिपक गयी थी।पानी में जो हाथ उनका मेरे लण्ड पे था वो हट गया और उनकी गांड मेरे लण्ड को घिस रही थी।उनके मुह से सिसक निकल गयी।

विकी:क्या हुआ निधि,Are You Ok!!

निधि:एस बेबी,पानी ठंडा है ना तो थोड़ा....!!

विकी को मेरा निधि के पास होने पर भी कोई रिएक्शन नही दिखा।मैं सोचा यातो ये पागल है या तो Cockhold है।पर मैं अभी सोच लिया,मजे करूँगा,चाहें जो हो।

मैंने उनके पेट पर हाथ घुमा में कस लिया अपने से।उनके दांत अपने ओंठ चबा रहे थे।संजू हमारे ठीक सामने खड़ी हो गयी,जिससे कोई हमारे यहाँ क्या हो रहा है ये देखे ना और सब समझे की संजू और निधि ही कुछ कर रहे है।

मैने निधि की पेंटी नीचे करदी,क्योकि ब्रा खोलता तो वो पानी पर तैरती और शक हो जाता।पेंटी नीचे कर के गाँड के नीचे से चुत को मसलने लगा।निधि खुद को कंट्रोल कर रही थी ,जिससे उनके मुह से आवाज न आये।उसकी चुत पर कोई बाल नही था जैसे उसने वैक्सिंग किया हो।मैं ब्रा के ऊपर से उसके छोटे आमो जैसे चुचे मसल रहा था।उसके चुत में उंगली अंदर बाहर हो रही थी।निधि अभी पूरी लाल टमाटर हो चुकी थी।वहां पर उसको चोदना मुनासिफ नही था।मैने संजू को पास में बुलाया और उसे ऊपर के कमरे में आने को बोला। मैं वहाँ से पहले चला गया।

जैसे ही मैं बाहर निकला मुझे सामने मा दिखी।मैं उन्हें कुछ बोलू उससे पहले वो झट से नीचे चली गयी।मुझे देखते ही उनके माथे पर हुए शिकंजी साफ बयान दे रही थी की उनसे जानभुज कर गलती हुई है।मैं मेरा मुड़ खराब नही करना चाहता था और वो जगह भी नही थी की वहां झगड़ा करू।

मैं रूम में गया।पूरा नंगा ही बेड पे था।थोड़ी देर बाद वो दोनो आयी।मुझे नंगा देख संजू को कुछ फर्क नही पड़ने वाला था पर निधि थोड़ा अलग अजीबसा फील कर रही थी।वो वही खड़े रहके मुझे ताकने लगी।संजू ने दरवाजा खिड़की लॉक कर दी।और मेरे पास आने लगी।

संजू निधि से:अरे अइसे क्या ताक रही है?

निधि:हम सच में ये करने वाले है,ये भाई है तेरा।

संजू:विकी भी तो सिद्धि का भाई है।

निधि:मतलब....!!!!!!

संजू:तुम सही सोच रहे हो और इसलिए मैंने तुम्हारे लिए तगड़े लण्ड का इंतजाम किया।मिलो ये है हमारा लण्ड राज और हम। इसकी रंडिया।

निधि:हम मतलब...सिद्धि?????

संजू:जी सिद्धि भाभी भी चुदवाती है।

संजू सीधा बेड पे आके नंगी हो गयी और मुझे चिपके गयी।उसने मेरे ओंठो को चूम और लन्ड को सहलाने लगी

संजू निधि से:अरे आओ तो सही वहां क्या कर रहे हो।मेरी चुत तो इसका लण्ड देखते ही चुत में खूजली आ जाती है।

संजू नीचे जाके मेरा लन्ड मुह में लेके चुसने लग जाती है।निधि सोच सोच में ही कपड़े उतार कर संजू के पास आती है।संजू उसे नीचे खिंचती है।और अपने मुह में रखा लण्ड उसके सामने कर देती है।

निधि:नही मुझे अच्छा नही लगता लण्ड चुसना।

संजू:तू एकबार देख ले,विकी की तरह नही है तगड़ा और स्वादिष्ट है,बार बार चुसने का मन करेगा।

निधि को संजू जबरदस्ती मुह में लण्ड घिसड देती है।निधि पहले ऊपर का सुपडे का ही टोप चुसने लगती है।

संजू:ये क्या बच्चे की तरह लोल्लिपोप चूस रही है।

संजू ने मेरा लण्ड मुह पूरा अंदर तक लेके मसल मसल के चुसा।


0012.gif


संजू:इसे कहते है चुसना।ये ले चूस।

निधि ने भी पूरा मुह में लेके चुसना चालू किया।


0043.gif


संजू:ये हुई न बात।।

संजू अभी मेरे पास आके मेरे ओंठो को चुसने लगी।अपने चुचो को मेरे मुह में घुसाने लगि।मैं भी उसके चुचे चूसने लगा।करीब ये खेल 5 मिनीट चलता रहा।

संजू उठी मुझे भी साइड किया और निधि को बेड पर सुलाया।
संजू:वीरू दिखा तेरे जीभ का जादू।इसे जादू दिखाने तो लाई थी।

मैं निधि के चुत के पास गया।निधि मेरा सर चुत से हटा रही थी।पर मैं थोड़ी मानने वाला था।मैंने उसकी चुत की चुम्मी ली।

निधि के मुह से आआह निकल गयी।

मैंने उंगलियो से चुत के पंखुड़ियां बाजू की।एकदम लालम लाल चुत थी,पूरी पानिया गयी थी।मैने उसके चुत में जीभ डाली।उसने मचलते हुए मेरा सर अपने चुत में दबाया।

निधि:आआह वीरु मत करो मुझे सहन नही होगा आआह

मैं उसकी चुत में जीभ रगड़ रहा था।उसका चुत का टेस्ट मुझे बहोत पसंद गया था।उसकी चुत की पंखुड़ियां कांपती हुई बड़ी मस्त लग रही थी।

संजू उसके चुचो को चूस रही थी।उसके चुचे मसल रही थी।ओ लेस्बियन की तरह ओंठो की चुसमचुसाई करने लगे।जैसे ही उनका मन भरा,संजू ने 69 पोसिशन पकड़ ली।उसकी चुत अभी निधि के मुह पे थी और मेरा लण्ड संजू के मुह में।निधि ने अपनी जीभ संजू के मुह में जैसे ही घिसाई संजू ऊपर नीचे होकर हिलते हुए निधि के जीभ से चुत चोदने लगी।मैं भी संजू के मुह में लण्ड के धक्के पेल रहा था।

0191.gif


बड़ा मजा आ रहा था इस खेल में।मैं पहली बार जल्दी झड गया।आधा रस संजू ने गटका और थोड़ा निधि के चुत पर डाला।

फिरसे मेरे लण्ड हो हिलाक़े चुसने लगी।जैसे ही मेरा लण्ड खड़ा हुआ।उसने निधि की चुतमनी को मसला उसकी चुत उंगलियो से रगड़ी और लण्ड को उसपर लगाके मुझे धक्का लगाने का इशारा किया।ओ निधि के मुह से उठी।मेरे आपस खड़ी होकर मेरे होंठो को चुसने लगी।मैंने निधि को पहला धक्का मारा

निधि:आआह आउच्च ओ माय आहा अहम स्लोली आआह इट्स पेनिंग आआह

मैं थोड़ी देर रुककर लण्ड को अंदर घुमाया।जैसे उसका दर्द कम हुआ मैंने उसको चोदना चालू किया।वो मजे लेने लगी


0429.gif


"आआह आआह उम्म आआह फक आआह फक आआह उम्म आआह उम्म फक आआह चोदो मुझे और जोर से बहोत मजा आ रहा है ओ माय गॉड आआह उम्म"

निधि झड गयी थी।मैं पहले ही झड गया तो मैं इतनी जल्दी तो झड़ने वाला था नही।निधि थक गयी थी उसे वैसे ही रहने दिया।संजू उसकी चुत घोड़ी बन के चुसने लगी।मैंने भी संजू की गांड के नीचे से चुत में उंगली डाली और उंगली से चोदने लगा,जैसे ही चुत फैली उसकी चुत में लण्ड डालके चोदने लगा।पूरी जोर जोर से चुत को धक्के दे रहा था।

संजू निधि की चुत से निकल रहा चुत रस चाटके साफ कर रही थी।मैं जोर से चुत में धक्के मारे जा रहा था।


0761.gif


0401.gif


"आआह वीरु आराम से आआह उम्म आहिस्ता चोद आआह चुत फट जाएगी आआह आये है आआह आआह उम्म फक फक आआह ओ फक आआह आआह उम्मम"

आखिर कार हम दोनो झड़ने को थे।संजू ने तो पानी छोड़ा पर मुझे कहा निधि के मुह में छोड़ने को।मैने निधि के मुह पे लण्ड हिलाक़े मुह में पूरा गाढ़ा रस फैल गया।संजू ने निधि के मुह में मुह मिलाया और ओंठ चूसते हुए पूरा रस का भी लुफ्त उठाया।हम तीनो अभी बेड पे एकदुसरे को चिपके पड़े रहे।

संजू:क्यो भाभी मजा आया।

निधि:थैंक यू यार संजू।

तभी संजू को कॉल आया।सबको गेस्ट हाउस के कॉन्फ्रेंस रूम में बुलाया था।

नाना-

"आज हम सब यहाँ पर इकट्ठा हुए है,जैसे हम रिश्तेदार है वैसे ही दोस्त भी है और बिजनेस पार्टनर भी।यहां आप सबको इकट्ठा करने की वजह ये है की मेरी अभी उम्र हो गयी है।(मुझे अपने पास बुलाया हाथ के इशारे से।)

ये मेरा पोता है कंपनी के जो 40 % शेयर है उसमे से मैं इसे(मुझे) 20 % और रवि को 10 % देता हु और संजू को 10 %।आज से मेरे बाद कंपनी का हेड मेरा बड़ा बेटा सुजीत देखेगा।और उसे ये बाकी चारो हाथ बटाएंगे इसकी उम्मीद करता हु।बाकी के जायदाद में भी उसी परसेंटेज से बटवारा किया गया है।हर एक का हर जगह सबका अधिकार है बस घर के युवा और जिम्मेदार व्यक्ति को उसकी डोर थामी है।आप यहाँ आये शुक्रिया आशा है जैसे मुझे साथ दी वैसे मेरे इस लोगो को साथ देना।मैंने सारे पेपर बना दिए है।अगली मैनेजमेंट मीटिंग में पेश कर देंगे और आपको एक एक कॉपी मिल जाएगी।

नाना जी के कहे अनुसार सबसे ज्यादा हक बड़े मामा के पास क्योकि 30 परसेंट है।बाद में मैं और छोटे मामा एक ही लेवेल पे थे क्योकि छोटे मामा के पास 20% शेअर पहले ही था।आप कहेंगे छोटी मामी मामा बेटा तो उसमे रस नही लेता तो उसका शेअर लेके बढ़ा देंगे तब भी मेरे पास संजू है जिसको व्यापार से ज्यादा चुदाई में रस है।

पर इस बात से मा छोटी मामी जरूर नाराज थी।मैं तो अभी थोड़ा वजनदार हो गया था।अभी अपना खेल चालू करने में कोई हर्ज नही था।बहोत देख देख लिया।कुछ मजबूरियां हाथ बांधी थी।पर अभी नाना भी नही टोकेंगे।नाना ने जायदाद का बटवारा जरूर किया है पर उसमे भी बड़े मामा बाद में मैं और छोटे मामा।नाना जरूर जानते थे की छोटे मामा अय्याश है और छोटी मामी पैसों की प्यासी।माँ के ऊपर तो उनका विश्वास और भरोसा तभी चला गया जब ओ उनके मन के खिलाफ शादी की।

अभी आने वाले दिन जितने सुखदाई थे उतने ही रिस्क भरे थे।कदमो कदमो पे ध्यान रखना था।कल का प्रहार जो शिवा से करवाना था ओ शिवा की हवस ने पलटा दिया जिससे मुझे जीवनदान मिला।पर हर बार खुदा मेहरबान नही होता।

दोपहर खाने के बाद पारिवारिक खेल हुए बाद में देर रात तक घर पहुंचे।उस दिन सारे थक गए थे।सब सोने चले गए।मुझे नाना ने रूम में बुलाया।

नाना:देख वीरू बहोत बड़ा रिस्क लिया है तुम्हारे हाथ इतनी बड़ी जिम्मेदारी देके मुझे है तुमपे पूरा विश्वास पर बेटा सम्भालके जायदाद के लिए पैसों के लिए लोग सगे लोगो को भी नही छोड़ते।

इस बात पर मेरे आंख से आंसू निकलने लगे नाना जी न देख ले इसलिए उन्हें गले से लगा लिया।नानाजी तो चौक गए।

नाना:अरे क्या हुआ?

अभी इनको क्या बताऊ कैसे बताऊ,इस उम्र में इस कगार पर कोई टेंशन उनको मैं देना मुनासिब नही समझा बात को घुमाया:कुछ नही ,बस आपको गले लगाने का दिल किया,आप चिंता मत करो आपने कमाई इज्जत और शोहरत को आंच नही लगने दूंगा।

मैं वहाँ से अपने कमरे में आया।आज बहोत थका था मैं भी तो जल्दी सो गया।


Disclosure: कहानी में उपयोगित सभी चित्र (photo) एवम चलचित्र(gif or vids)इंटरनेट से संशोधित है।एडमिन और उसकी टीम चाहे तो हटा सकती है।पर बाकी कहानी के अंग रूपरेशा ©MRsexywebee के है।
Excellent update
 

Killerpanditji(pandit)

Well-Known Member
10,269
38,685
258
(Episode 4)

सुबह 10 बजे ऑफिस में,

नानाजी अभी आराम फरमा रहे थे।अभी कम्पनी हेड बड़े मामा थे।जहाँ बड़े चाचा बैठते थे वहां छोटे मामा बैठ गए।हमारा हिस्सा एक जैसा होगा फिर भी वो अनुभवी थे।तो एक इज्जत के तौर पर उनको वो केबिन दे दी थी,और मैं उनकी जगह।संजू और रवि इनका तो कोई सवाल नही बनता भारतीय कानून के हिसाब से उनको वारिस के तौर पर उनका हिस्सा सौंपा गया था।एक तरह से आप उनको स्लिपिंग पार्टनर बोल सकते हो।और छोटी मामी के मा बाप और एक और था या थी मालूम नही अभी तक मैं उन्हें मिला नही था क्योकि वो पहलेसे स्लीपिंग पार्टनर था।

अधिकतम जानकारी के लिए:

स्लीपिंग पार्टनर एक ऐसा व्यक्ति है जो किसी व्यवसाय के लिए कुछ पूंजी प्रदान करता है लेकिन जो व्यवसाय के प्रबंधन में सक्रिय भाग नहीं लेता है।

पहला दिन था तो मैं अपनी टीम देख रहा था जो पहले छोटे मामा की थी। मैंने सबको कॉन्फ्रेंस में बुलाया।दो लड़के छोड़ के बाकी पाँच लडकिया थी।हो जाता है कभी कभी ऑफिस काम के लिए लड़कियों को ज्यादा करके महत्व देते है लोग,मान लिया।फेक्ट्री का काम मेरे पास था,वहां की मजदूरों की नियुक्ति,मजदूरी,सुरक्षा और चीजो का परीक्षण मेरा काम।

दो लड़को में एक तो वो सुपरवाइजर था।मतलब ये दोनो लडके सुपरवाइजिंग स्टाफ़ था।

मैं:तो तुम दोनो अभी फेक्ट्री में जाओ वहा आपकी ज्यादा जरूरत है।आपको मैं बाद में सूचना दूंगा।मीटिंग के चक्कर में कुछ हादसा न होजाये।और हा इतना बता दु,उधर किसीकी आपके खिलाफ जायज कम्प्लेंट आई तो कल से काम पर नही आना।जाओ!!!!

ओ लोग जी सर करके वहाँ से चले गये।

मैं: चलो अपना परिचय दो

सबने अपना अपना परिचय दे दिया
१:रीना
२:स्वीटी
३ मीना
४ प्रेमा
५:सुमन

।पर हर एक के स्वर में मादकता थी।मुझे उनपे शक हुआ।मैंने हर एक का बायो डेटा देखा।सारे 12 वी पढ़े हुए उसमे से भी 2 फेल।मैं भी 12 वी करके आगे पढ़ाई करने वाला था।पर इनके बायो डेटा से लग रहा था की इनकी पढ़ाई काफी साल पहले ही बंद हुई है।

मैंने हर एक को उनका अनुभव और कौशल्य(skill) पूछा।आधे लोगो को तो कुछ आता ही नही था।दो लोग मजदूरी करते थे हमारे ही फेक्ट्री में वहां से यहाँ आये।मैंने उनको जाने बोला।सब लोग गए तभी मीना पीछे आयी।



मीना(पूरे मादक आवाज में पास आते हुए):सर मैं क्या बोल रही थी।

मैं:दूर रहके रिस्पेक्ट से बात करो।

मीना(मादक आवाज में):वो सर वो पगार बढ़ जाती तो(उसने मेरा हाथ पकड़ लिया)

मैंने हाथ झटकते हुए:ये क्या बत्तमीजी है।

मीनापल्लु हटा के आधे नंगे चुचे दिखाने लगती है।

मैं:ये क्या कर रही हो तुम?!!

मीना:जो आपको चाहिए रहता है आप सर लोगो को,और उसके बदले सिर्फ मेरी एक बिनती मान लो।प्लीज सर!!!

मैं:मतलब क्या है तुम्हारा।किसने कहा ये तुमसे।

मीना:विवेक सर हमेशा मेरे साथ(वो नटखट सी हस गयी।और पल्लु गिरा दिया)

मैं:सिर्फ मैं या सारे लोगो के साथ।

मीना:नही मैं और स्वीटी,बस हम खास थे,आप कहो तो हम आपकी भी सेवा कर लेंगे।

मैं:जाओ स्वीटी को बुलाके लाओ!!!

मीना मुस्कुरा के क़मर भटकते हुए बाहर स्वीटी को बुलाने गयी।

अच्छा मतलब मजदूर से ये स्टाफ इसलिए बनी क्योकि मामा को अय्याशी के लिया रंडिया चाहिए।और वो शादीशुदा हो तो शक भी नही आएगा।तभी दोनो अंदर आ जाती हो।



मैं:हा तो मैं अबसे आपका बॉस हु,मुझे बताओ पहले जो बॉस थे मेरे मामा उनके साथ क्या घटियापन्ति करती थी तुम दोनो।(मेरे आवाज में गुस्सा था।)यहाँ ये सब करने आते हो।अभी बॉस मैं हु,हुकुम मेरा चलेगा।

दोनो के चेहरे पे डर था।दोनो गिड़गिड़ाने लगी:"सॉरी सर सॉरी"

मैं:सामने के दो टेबल पर आजसे आप काम करोगे।

दोनो अपनी अपनी जगह पकड़ के बैठ गयी।मैं भी सारी फाइल चेक कर रहा था।स्वीटी का पल्लु थोड़ा नीचे था।उसके आधे नंगे चुचे दिख रहे थे।

मैंने स्वीटी को कहा:मुझे यहाँ के कम्प्यूटर्स की सिस्टम और फाइल्स बताओ।

वो मेरे पास आई,दाएं तरफ।और कम्प्यूटर पे झुक कर मुझे सब समझाने लगी।स्वीटी अय्याश भरी औरत नही लग रही थी जैसी मीना थी।पर स्वीटी का यौवन बहोत रसभरा था।ओ जो भी समझा रही थी उससे ज्यादा तो मैं उसके बदन को घूर रहा था।उसका बदन की खुशबू मुझे हैरान सी कर रही थी।

मैने उसके गांड पे हाथ फेरना चालू किया।मैं 21 साल का ओ 32 की उसे दोनो तरफ से अजीब लगा,एक तो मैं उम्र में छोटा और बॉस भी,पर वो कुछ रियेक्ट नही की,क्योकि मामा का बिस्तर जो गर्म कर चुकी है।

मैं उसका पल्लु नीचे से उपर कमर तक किया।वो घोड़े जे माफिक एंगल पकड़े थी तो पल्लू अटक गया कमर में।मैं उसकी गांड को सहला रहा था।उसकी गांड सिहरन से मचल रही थी।मैंने पेंट निचे करके बीच वाली उंगली चुत के ऊपर घिसाने लगा।ओ धीमे धीमे सिसक रही थी।मैं पेंट में से लण्ड निकाल के सहलाने लगा।ओ आंखों के कोण्ही से मेरे लण्ड को ताड रही थी।

अचानक मैंने जान भुजके एक फ़ाइल मेरे बाए तरफ नीचे गिरा दी।और थोड़ा पीछे खिसक कर उठाने की कोशिश का नाटक किया।आवाज से मीना देखने लगी वो उठी और मेरे पास आई,जैसे हो फ़ाइल लेने झुकी तो उसे मेरा लन्ड दिखाई दिया।वो मेरी तरफ देख मुस्करके शर्मा गयी।उसका चेहरा लाल हो गया।उसने स्वीटी की खुली गांड भी देखी।उसके चेहरे पर उसके बदन की चलबिचल साफ महसूस हो रही थी।ओ भी गरमा रही थी।

मैंने मेरे लण्ड को सहलाया और उसके गर्दन को पकड़ कर लण्ड उसके मुह में ठूसा।वो वैसे भी ना नकुर नही कर सकती थी।वो चुप चाप लण्ड को चुस्ती रही।दूसरी तरफ उंगली स्वीटी के चुत में डाल के उसको गर्म कर दिया।

दोनो को नंगा होने बोला।टेबल से थोड़ा दूर होकर मीना को टेबल पर पैर फैलाये बैठा दिया।क्या चुत थी यार।एकदम लाल छोटे झांटो वाली।स्वीटी को मैंने अपने लन्ड पे बिठाया।मेरे तरफ पीठ करके वो लण्ड पे बैठ गयी।

"आआह उम्म हाये दैया आआह आआह"

मैं उसके गोल मटोल चुचे अपने हाथो में कस के पकड़ के मसलने लगा।वो झुक कर मीना की चुत चाट रही थी।मैं उसकी गांड को कमर से पकड़े ऊपर नीचे करने लगा।थोड़ी देर बाद वो खुद उपर नीचे होने लगी।उसका उछलने का स्पीड बढ़ गया।मीना अपने चुत को उंगलियो से मसल रही थी।मैं स्वीटी को रुकने बोला।टेढ़ा होक खुर्ची खिसक कर टेबल के नजदीक गया।अभी मैं खुर्ची ओर स्वीटी मेरे लन्ड ले और मेरे बाए तरफ टेबल पर पैर फैलाये चुत वाली मीना।स्वीटी फिरसे मेरे लन्ड पे उछल रही थी।मैंने अपनी दो उंगली मीना के चुत में डाल के चोदना चालू किया।एक हाथ स्वीटी के चुचे मसल रहा था।

"आआह आआह उम्म आआह अम्मा हाये दैया आआह मर गयी आआह उम्मम आआह आआह आआह उफ आआह"की आवाजे पूरे रूम में गूंज रही थी।

स्वीटी अब झड गयी थी।ओ चुत का पानी छोड़के उठ गयी।मैंने लण्ड को हिलाया और मीना को लण्ड पर बिठाया।स्वीटी अब मेरे दाएं तरफ आयी।स्वीटी मेरे ओंठो को चुम रही थी,चूस रही थी।मीना मेरे लन्ड को चुत में उछाल उछाल के चोद रही थी।मैं मीना को नीचे से गांड उठा उठा के साथ दे रहा था।पर मीना जितनी मादक दिखती थी और बोलती थी उतना उसमे दम नही था।वो भी जल्दी झड गयी।

मैं:क्या रंडियप्पा लगाया है।इतने जल्दी झड गयी।

दोनो चुप चाप थी।

मैं:अरे रंडियों मुझे कोन झड़ायेगा।आओ चूस लो।

दोनो बारी बारी लन्ड मुह में लेके चुसने लगी।जैसे ही झडा दोनो के चेहरे पर फवारे उड़ा दिए।दोनो ने एक दूसरे के चेहरों को चाटके साफ किया।

दोनो को एक एक साइड गोदी में बिठा के उनके चुचे मसल रहा था।दोपहर हो चुकी थी।तभी मुझे कान्ता का कॉल आया ।मैं झट से उठा ,तैयार हुआ और निकल गया।मेरे पास गाड़ी नही थी।मैंने वॉचमैन से पूछा तो उसने बोला की आफिस की एक बाइक है।मैन देर न गवाए बाइक से निकल गया।

समय दोपहर 2 से 3 बजे के दरमियान।

ये सही समय था की मैं उस बात की पृष्टि करके सजा देदु।
मेरी गाड़ी सीधा गेस्ट हाउस के पास आयी।शिवकरण गेट के पास ही गाड़ी खड़े किये था।मुझे देख थोड़ा डर गया।

मैं:शिवकरण चुपचाप घर चले जाओ।

शिवकरण:पर बाबूजी बड़ी दीदी....?!

मैं:लगता है मैंने कहि हुई बात समझ न आयी तेरे।

शिवकरण ज्यादा न बात किये वह से चला गया।मुझे मालूम था की मुझे आगे क्या करना है।मैं सीधा बगीचे से सियाराम के घर गया।जैसे सोचा था ओ वही थी,वही मुह काला करवाती फिरती हुई मा।

सियाराम खुर्ची पे बैठा था।शारदा अंदर के रूम की दरवाजे पे थी।और टांग टूटा हुआ शिवा पलँग पे बैठा था और उसके बाजू में मा।कल क्या हुआ कैसे हुआ और बहोत सी बातचीत चल रही थी।मैं जैसे ही अंदर गया।चारो चौक गए।
सियाराम और शारदा के पैर ही ढीले पड़ गए।

मैं:वाह सियाराम बिवि को मैंने चोदे 24 घंटे नही हुए तू फिरसे अपनी औकात पे आया।

शारदा मेरे पास आयी:इसमे हमारा कोई कसूर नही,यह तो बड़ी मालकिन यहाँ आयी(मैंने उसको झटकार के धकेल दिया।)

मैं:तुम लोगो को तो बाद में देखता हु।पहले इस रंडिया को तो देख लू।(मा की तरफ)तो श्रीमती सुशील्ला जी।

मा का पूरा शरीर ठंडा पड़ चुका था।उसे क्या बोलू क्या नही अइसे हो रहा था।

मैं:यह क्या कर रही है अपने याररर से मिलने आयी थी।

मा:क्या मतलब है तुम्हारा।मैं तो इसे देखने आई थी वॉचमैन बोला की शिवा को लगा है तो एक मालकिन की हैसियत से इसे देखने आयी थी।

मैं हस्ते हुए:वो मिस सुशील्ला आप भूल रही है,आपका जायदाद में कोई हिस्सा नही है,बस एक घर की सदस्या हो।

मा:तो क्या तुम जबर्दस्ती करोगे,हमारी इतनी भी हैसियत नही गिरी।और तुम यहां क्या कर रहे हो।

मा की ऊंची आवाज मुझे बर्दाश्त नही हो रही थी।

मैं:यही देखने आया था की परसो तक जो लण्ड की प्यासी थी वो कल बेटे के खून की भी प्यासी हो गयी।आज क्या गुल खिला रही है यही देखने आया था।

मा:क्या बक रहे हो,तुम्हे होश है की तुम क्या कह रहे हो और किससे कर रहे हो।

मैं:मैं उस अय्याश खून की प्यासी मा से बात कर रहा हु जिसने जायदाद और चुत की हवस के लिए अपने बेटे को बौर बाप को भी मारने की कोशिश की।

मा:मैंने कब किया अइसे कुछ भी मत बको तुम्हारे पास कोई सबूत नही।

मैं:अरे रंडिया वीरू बोलते है मुझको।(शिवा का मोबाइल निकालते हुए।)ये रहा सबूत।

शिवा और मा दोनो चौक गए।

मैं:हो गयी बत्ती गुल।इसमे तुम लोगो की सारी प्लानिंग आवाजो में कैद है।आज पहली बार SAMSUNG कंपनी पे गर्व हो रहा है जिसने ऑटो रेकॉर्डिंग के फीचर इस मोबाइल में डाले।

मा के चेहरे का रंग सा उड़ गया।वो हकलाते शब्दो में अपना बचाव करने लगी:क्या क्या क्या क्या मालूम है तुझे।मेरा इससे कोई तालुख नही।

मैं:मुझे कैसे मालूम पड़ा सुनो सब बताता हु।बहोत मजेदार कहानी है आप लोगो की योजना की।

"घर में मुझे छोड़ के सबको मालूम था की पार्टी खत्म हो जाने के बाद जायदाद की बटवारे की सूचना दी जाएगी।इसलिए सब उत्सुक थे पर छोटे मामा मामी चिंतित थे क्योकि उनका पत्ता साफ हो सकता था।जब भी कोई टेंशन आता है।छोटे मामा रंडियाबाजी करने लगता है क्योकि उससे उसका मन भर जाता है।पर उसकी बदनसीबी से उसकी ये करतुते मुझे मालूम हो गयी।और मैंने उसकी वीडियो क्लिप ली ये उसको भी मालूम हो गयी।पर वही छोटी मामी पार्टी में होने वाले बटवारे को रोकने के लिए छीटे मामा से कह कर शिवा को बुला लेती है।शिवा एक चोर किस्म का आदमी है ये मामा को मालूम था।मामी ने उसे जायदाद के पेपर चुराने को कहा।मामा ने मामी से कहा" की पेपर क्यो चुराए,मार ही देते है"पर मामी समझदार और व्यवहारिक किस्म की थी तो उसे मालूम था अगर नाना किसी अपघात या खून में मर जाते है जायदाद पर हस्ताक्षर करने से पहले तो जायदाद किसी के नसीब में नही थी।और जायदाद चुराके बदल दी जाए तो नाना का वकील पे भरोसा इतना था की वो बिना देखे हस्ताक्षर कर देते थे।

पर मामा को इस बात पे सहमति नही थी क्योकि उसे नाना और मुझे दोनो को मरवाना था क्योकि मेरे पास उनके खिलाफ सबूत थे अगर वो नाना के पास जाते तो उनकी और भी जांच होती और बड़े मामा को भी छो मामा से बहोत परेशानिया थी तो वो भी उस बात का फायदा उठा लेते जिससे छो मामा फस जाता।पर वो छोटी मामी से भी कुछ कहने की औकात नही रखते थे।

उसी दरमियान छोटे मामा ने तुम्हारी(मा की)और बड़े मामी की बात सुनली की जायदाद में तेरा(मा का)हिस्सा न होने के चांसेस है।तो मामा ने तुमसे इस विषय पे अकेले में बात की।
मामा ने कहा"देख ना तुम्हारा बाप तुम्हारे लिए सोचता है न बेटा।तुम्हे क्या जरूरत है इन लोगो की।अगर मेरी मानो तो इनको हटा देते है फिर हैम तीनो भाई बहन बटवारा कर लेंगे।"तुमको(मा को)पैसे और हवस के बाहर कुछ मालूम ही नही।तूने अपने भाई पे विश्वास किया क्योकि अगर हम दोनो रास्ते से निकल जाते तो तुम्हे जायदाद भी थी और अय्याशी करने के लिए छूट।फिर मामा ने योजना बनाई,उसे मालूम था की छोटी मामी ने शिवा से बात की थी की वो जायदाद के कागज चुराए और उसने दिए हुए कागज वहाँ रख दे।

उसने रात में छोटी मामी का फोन चुराके शिवा को फोन लगाया और आपने छोटी मामी बनके उससे बात की उसे बताया की योजना में बदलाव है तुम्हे उन दोनो को मार डालना है।पर शिवा सिर्फ चोर था उसे उस बात से डर लगने लगा।तो मामा को बिना पता लगने दिए उसे घर पे आने को बोला उसे मनाने के लिए।मामा ने फोन जगह पर रखा और ये सोच के रात भर बेफिक्र था की कल मैं और नाना मर जाएंगे और उसकी पोल नही खुलेगी। शिवा रात को किचन के दरवाजे से अंदर आ जाता है।काफी अंधेरा था।धीमी रोशनी में चेहरा साफ नही दिखता था।और शिवा सिर्फ मामा से मिला था ओ मामी को इतना जानता नही था।

वो आते ही आप उसको हमे मरवाने की बात के लिए मनाने लगी।पर उसी वक्त आपके अंदर की हवस जाग गयी होगी।आपने सोचा की ये नौजवान है।रसीले बदन से पिघल के मान भी जाएगा और मेरी भी प्यास बुझ जाएगी।

योजना सही जा रही थी पर आपकी हवस ने पानी फेर दिया।उस वक्त मैं वहाँ आया।हवस की वजह से दोनो होश में नही थे।पकड़े गए।मैंने उसका पीछा किया फिर जो हुआ वो आपको इन्होंने बताया होगा।


अब बोलो कुछ और सुनना है।

मा को अभी उसका पूरा खेल पलटता हुआ दिखाई दिया।ओ मेरे पैर पड़ने लगी।क्योकि मैं जायदाद का वारिस था,मैं चाहूंगा तो ये लावारिस की तरह घर के बाहर हो जाती।

मैं:रंडी तेरा ये रोज का रंडी रोना हो गया है अभी तुझे थर्ड डिग्री देनी पड़ेगी।(उनको बालो से पकड़ कर बंगले में खींचते हुए लेके आया।)

*आप लोग सोच रहे होंगे की मुझे इतना डिटेल में कैसे मालूम तो भाई बात ये है की कान्ता ने छोटे मामा और मामी की बात और मामा और मा को किसीको फोन से कुछ समझाने की बात करते सुना वो मुझे आके बताई।क्योकि शिवा के घर से आते हुए मैंने शिवा का मोबाईल हथिया लिया था उसने कुसी औरत की कॉल रेकॉर्डिंग मैंने सुनी थी।उसमे शिला(छोटी मामी) के नाम से बात की गयी थी तो पहले मेरा शक मामी पे था पर जब कान्ता की बात सुनी!!

तभी मुझे शॉक लगा की एक बेटा बेटी उतनाही नही एक मा भी जायदाद और हवस के लिए अपने बेटे को और बाप को मरवाने निकली।

मा को नीचे के बडे बैडरूम में आके पटक दिया।दरवाजा बाहर से बंद किया और घर पर बड़ी मामी को कॉल किया।

मैं:बड़ी मामी आपकी ननद मिस सुशीला घर पे है?

बड़ी मामी:नही वो सहेली के शादी में गयी है (मा झूट बोल के यहाँ आई थी।कान्ता को शक हुआ उसने मुझे कॉल किया और मैं स्तिथि समझ गया)कल तक आ जाएगी, पर तुम्हे क्या हुआ?उसे क्यो पूछ रहे हो?

मैं:कुछ नही थोड़ा काम था पिताजि के मामले में(मैं भी झूट बोला)और मुझे आज घर आने को नही होगा।गाँव जेक रिसल्ट लेके आऊंगा।और भी काम है तो कल शाम को मिलते है।

बड़ी मामि:ठीक है सम्भलके जाना।

मैने फोन रख दिया।

Disclosure: कहानी में उपयोगित सभी चित्र (photo) एवम चलचित्र(gif or vids)इंटरनेट से संशोधित है।एडमिन और उसकी टीम चाहे तो हटा सकती है।पर बाकी कहानी के अंग रूपरेशा ©MRsexywebee के है।
Nice update bro
 

Killerpanditji(pandit)

Well-Known Member
10,269
38,685
258
(Episode 5)

समय शाम के 4 बजे

मैंने सियाराम को रात को खाना लाने बोला।वहाँ से बैडरूम में आ गया।

माँ:वीरू तू क्या करने वाला है।देख ये आखरी गलती समझ कर माफ करदे।

मैं:पिछली वाली भी आखरी ही थी।

मा:अरे तुझे भी मालूम है की मैं छोटे भैया के बहकावे में आ गयी थी।प्लीज मुझे माफ कर दे।

वहाँ बैडरूम में चाकू गिरा था,मैंने उसे उठाया।मा की तो बत्ती गुल हो गयी।
वो चीख के रो रही थी:अरे ये क्या कर रहा है,पागल हो रहा है।मा हु मैं तेरी,भला कोई अइसा करता है अपनी मा के साथ।

मैं:ये रंडी चुप बैठ(चाकू बाल्कनी से बाहर नीचे फेक दिया)तेरे पे भरोसा नही कहि हाथ लगा तो घुसा देगी।और तू बोल ही मत की तू मा है मेरी,कोई भला बेटे को मारने की बात करता है।

मा:देख वीरू बहोत देर हो गयी है।बड़ी भाभी राह देख रही होगी।हम जो भी बात है घर पे करते है।

मैं:अरे रंडी घर पे सहेली के शादी का बहाना करके यहाँ यार से चुदवाने आयी थी।और डर लग रहा है की कहि तुझे भगवान को प्यारा न करदु।पर डर मत इतनी आसानी से तुझे मुक्ति नही मिलेगी।कलंक है तू मा के नाम पर तू।

मा:मुझे माफ कर दे वीरू।सच में माफ करदे ।आगे से मेरे से गलती नही होगी।बक्श से तेरी मा को।(मेरे पैर पर गिरी)

मैं:अरे क्या चल क्या रहा है,गलती करो पैर पे गिरो।अभी तो डर लग रहा है कहि कुछ कर न दो।हट यहाँ से।

मा के बालो को पकड़ के उनको बेड पे धकेला।

मैं(कपड़े उतारते हुए):तेरी चुत में बहोत खुजली है,सब जगह मुह काला करती फिरती है,मैं भी देख लू तेरी खुजली वाला कीड़ा।

माँ:तू मुझे चोदेगा....!!?

मैं:सिर्फ चोदूंगा नही,उछल उछल के पेलूँगा,चल कपड़े उतार।

माँ अपने कपड़े उतार देती है।मैं बेड के पास जाकर खड़ा हो जाता हु।मा मेरे लण्ड को ताकती रहती है।उसकी नजर ही नही हट रही थी।

मैं(लण्ड सहलाते हुए):क्यो रंडी पानी आ रहा है मुह में,ले चूस।

मा बेड पे घोड़ी बनके मेरे लन्ड के पास आती है।पास से लण्ड को निहारती है और थोड़ा सहलाक़े मुह में ले लेती है। वैसे भी पहली बार नही था,इससे पहले भी उसने मुझसे चुदवा के लिया था।पर आज अकेली थी।


0659.gif


मा लन्ड के टोपे को चाट रही थी।उसपर जीभ घुमा रही थी।पूरी हवस की रोगी हो गयी थी।उसने जरा भी शर्म नही की की फिरसे बेटे से चुदवा रही है।वो लन्ड हाथ में लेके लन्ड के टॉपे से लेके अंडों तक चाटती हुई जीभ घुमा रही थी।उसने लन्ड को पूरा मुह के अंदर लिया और चुदने लगी।मैं भी गांड आगे पीछे कर उसे साथ देते हुए लन्ड अंदर बाहर कर रहा था।कुछ देर अइसे ही चुसम चुसाई चालू रही।सुबह झड गया तो इस वक्त थोड़ा समय लगने वाला था झड़ने में।

मैं बेड पे लेट गया ये मेरे उपर आयी।वो मेरे पूरे चेहरे को चूमने लगी।मेरे छाती को चूमने लगी।मेरे निप्पल के ऊपर जीभ घूमना उसे मसलना चालू कर दी जिससे मैं और उत्तेजित हुआ,मैंने उसका सर पकड़ा और ओंठो को चुसना चालू किया।ओ भी मुझे साथ दे रही थी।उसने मेरा सर पकड़ कर मेरे ओंठ चुसना चालू किये।वो मेरी जीभ मुह में लेके चुसने लगी।अपनी थूक और मेरी थूक मिलाके उसे घुलने लगी और जीभ चुसने लगी।मेरे ओंठो पर जीभ घुमा रही थी।अपनी जीभ मेरे मुह में दे रही थी और मैं भी उसको मुह में लेके चूस रहा था।

मैंने उसके चुचे पकड़ लिए और उसे रगड़ना मसलना चालू किया।उसके निप्पल्स नोच रहा था।ओ सिर्फ सिसकी छोड़ी जा रही थी,"आआह आउच्च धीरे आआह आआह उम्म"

मा ने अपने चुचे मेरे मुह में दबा दिए।मैं एक एक कर दोनो चुचो को चुसने लगा।मा ने नीचे से चुत में लण्ड को घिसड दिया था।मेरे लन्ड को अपने चुत के अंदर घुमाकर घिसा रही थी।फिर आहिस्ता आहिस्ता उछलने लगी।


0527.gif


"आआह उम्म आआह साली चुत आआह आआह आआह उम्म ओओओ फक आआह आआह उम्ममैई आआह मर गयी"

वो आहिस्ता आहिस्ता अपना उछलने का स्पीड बढ़ रहा था।मेरा लन्ड पूरा लोहा बन गया था।वो औरत कितनी भी चुदासी क्यो न हो उम्र उसको धोका दे ही देती है।यहां पर भी अइसा ही हुआ।पहले छोटे लत्तेपट्टे लण्ड से उनको इतनी मशगत नही होती थी पिछली बार भी ओ थक गयी थी और इस बार भी।तो मैन उनकी गांड को कस के पकड़ के नीचे से जोरदार धक्के लगाना चालू किया।


0085.gif


"आआह आआह वीरू आहिस्ता आआह दर्द हो रहा है आआह धीरे आआह हाये अम्मा आआह उफ्फ अरे रंडी के धीरे आआह अरे भोसडाआआह बना येगा क्या आआह उफ़ आआह आउच्च आआह उम्म सीईई आआह"

मैं:हा हु मै रंडी का बच्चा साली तू तो रंडी ही बन गयी है।

माँ झड गयी थी।पर मेरा बाकी था।मै झड़ने तक उसकी चुत में लण्ड पेलता रहा।वो मेरे छाती पे निढाल पड़ी रही।वो थक गयी थी।जैसे ही मै झड़ने वाला था।उसको बाजू में पीठ के बल सुलाया और मुह में गाढ़े लण्ड रस को छोड़ दिया।और मुह दबा दिया।

मै:साली रंडी चल निगल(उसने चुपचाप निगल लिया।)

कुछ देर दोनो बेड पे ही पड़े रहे।आधे घंटे के बाद मैंने फिरसे अपने लण्ड को सहलाना चालू किया।मा मेरी तरफ पीठ करके सोई थी।मै थोड़ा नीचे खसका उनकके पैर को थोड़ा ऊपर पकड़ के पीछे से चुत में लण्ड लगाया।और धक्का दे दिया।

मा अचानक हुए हमले से तिलमिला उठी"आआह है दैया,लल्ला धीरे आआह"

मैंने ऊपर से हाथ डाला चुचे कर लिए और धपधप धक्के मारने लगा।


0639.gif


मा"आआह आआह अय्या यह उम्मम उम्म ललाल आआह वीरू रुरु आआह अहा धीरे से बेटा आआह उम्म आआह आआह,उम्मम"

मैं:बहोत गर्मी है तेरे चुत में आज निकाल ही दूंगा।

मा:अरे सच में मै भैया के बहकावे में आआह आआह आयी आआह मुझे मेरी गलती का सच में अफसोस है आआह आआह उम्म,"

मै:पर तुम्हे अपने ही बेटे को मारने की सूझी कैसे ,बोल रंडी बोल आआह"

मैं निप्पल्स को दो उंगलियोंसे निचोड़ने लगा।मसलने लगा।

मा:आआह वीरू आराम से आआह उम्म,मै कैसे बताऊ आआह उफ आआह उम्म"

मा फिरसे झड गयी।मैंने भी लन्ड को बाहर निकाल के उसके पूरे शरीर पे फैला दिया मेरा लन्ड का रस।

मै:और क्या छुपाया है,मुझे बताओ,इस घर में बहोत खिचड़ी पक रही है(मैन उनके गांड पे चपेट चढ़ा दी)

मा:वो वो बात ये है की।

मै:(उसकी चुत में उंगली डाल के कस के अंदर दबा दी)ज्यादा सस्पेंस मत डाल तुम लोगो की वजह से अभी सहनशक्ति नही बची मेरे में।

मा:मै आआह तुम्हारी जन्म देने वाली मा नही हुआआह,हलाखी मैन बचपन से तुम्हे बढ़ा किया है।

मैं एकदम शॉक में।मेरे हाथ पैर ठंडे पड़ गए।

मै:क्या,ये मजाक करने का वक्त नही है!!!

मा:पर ये सच है।तुम बड़े चाचा के पहले बीवी के लड़के हो।जब तुम्हारे बड़े चाचा की पहली बीवी गुजर गयी और उनकी दूसरी शादी करनी थी पर तेरी अभी की चाची के घरवालों को पता नही चलने देना था की उनका कोई बेटा है।और हमे भी बच्चा नही हो रहा था।हमने टेस्ट किया तो प्रॉब्लम मुझ में ही था।तो तुम्हारे पिता ने तुम्हे बड़े चाचा से गोद लिया।मैने भी मना नही किया।हम दोनो जानते थे की बच्चा नही होगा तो पिताजी हमे घर में नही लेंगे और जायदाद भी मुझे नही मिलेगी।

मै:अच्छा तो इसलिए तुझे मेरे जान की परवाह नही,पर साली इंसानियत भी नही क्या,अइसे किसी को मरवा देगी।

मा धीमी आवाज में:पैसा इंसानियत नही देखता बेटा इस लिए बहक गयी।

मैने गांड पे फिरसे चपेट मारी(मा"आआह दर्द होता है।)साली बेशर्म ,कुछ शर्म बचाये रखी या नही।जब जायदाद तुझे नही मिलेगी ये जानकर मुझे मारने आयी।साली रंडिया!!

मा:मै सच में शर्मिंदा हु,जब मुझे जायदाद का पता चला तभी मुझे भैया के प्लान का मालूम पड़ा।और इसीलिए कान्ता से पता लेके असलियत जानने के लिए यहां आयी।

मैने उसको पट के बल सुलाया।और उसके ऊपर चढ़ गया।अपना लण्ड उसके हाथ में देके:चल हिला कर खड़ा कर इसको।

उसने लन्ड को मसलना चालू किया।

मै:तूने जन्म नही दिया पर बड़ा तो किया,एक बार बोल देती सारी जायदाद नही देता तुझे।तेरे लिए मै गोद लिया था पर तू तो मेरे लिए मेरे सगी मा जैसी थी।कुछ भी हक से मांग लेता दे दिया होता।

मा:अब मै किस मुह से माफी मांग,कभी मुझे इतना जलील ना कर,अब मुझे और तुझे भी मालूम है की जायदाद का क्या हुआ है,अभी मै जो तू बोलेगा वही करूंगी।

मैने उनकी मुह को दबोचा:इस बार सच बोल रही है न।

मा:सच में ,अभी मै सिर्फ तेरी हु,तू जैसे भी रख,मा बनाके या रंडिया बनाके।

मेरा लण्ड खड़ा हो गया था।उसके चुत में ठुसाके धक्का मार दिया।पर इसबार मा के चीख में कुछ अलग सा अंदाज देखा,पहले धक्के देता तो वो तिलमिला रही थी पर अब वो मजे ले रही थी।


0221.gif


मै चुत में धक्के पेलने लगा।उसने मुझे नीचे खींचा और मेरे ओंठो से रसपान करने लगी।

"आआह वीरू चोद तेरी रंडी को आआह डाल पूरा अंदर डाल आआह और जोर से आआह उम्म।

मैंने उसके चुचे मसल दिए।

मा:अरे निचोड़ आआह पूरे हाथ में कस के निचो ओओओ आआह निचोड़ मेरे सैया चोद दे तेरी रंडिया रानी को आआह उफ आआह उम्म"

मै आवाजो से उत्तेजित हो रहा था।उसके चुत ने पानी छोड़ दिया था।लण्ड के धक्कों से चुत से "पच पच पच्छ " की आवाजे आने लगी।जैसे ही मुझे लगा मेरा लण्ड पानी छोड़ने वाला है,मैने उसे बाहर निकाला और मा के पूरे शरीर पे फैला दिया।
0023.gif


0058.gif


मा शरीर पे फैला पूरा गाढ़ा रस शहद की तरह उंगली से ले लेकर चाटके खा रही थी।मै मैन में-पक्की रंडी है साली,सच में ये मा नही हो सकती,और जायदाद नही चुदाई इसकी कमजोरी है,और उसके चुदाई पर रोक लगाया इसलिए वो मामा के प्लान में फसी,मतलब मै ही अपने ऊपर सब मुसीबत खींच लिया।

मैंने प्यार से मा के ओंठो को चुम्मी दे दी और मुस्कुरा दिया।

मा:तूने मुझे माफ कर दिया आ।

(मै थोड़ा रुकते हुए सोचा-ये तो लन्ड की प्यासी है अभी जायदाद तो वैसे भी नहो मिलने वाली,इसको डर दिखाके अभी कोई मतलब नही।)

मै:हा कर दिया माफ।पर फिरसे गलती नही होनी चाहिए।

मा ने मुझे गले लगाना चाहा।मैन उसे रोक दिया।

मै:रुको पहले खुद को साफ करलो।जाओ!!!

मा बाथरूम में खुद को साफ करने चली गयी।मै भी पीछे चला गया।मा शावर के नीचे खड़ी हो गयी।मै भी पीछे जाके उनसे चिपक गया।और गर्दन पे चुम लिया।मा:"अह सीईई म"

उसके पूरे बदन पे शैम्पू डाल दिया।उनके कंधे फिर बाजू फिर उनके चुचो को मसलने लगा।शैम्पू पूरा गांड की छेद को पार कर जमीन तक गया था।उसके पीछे से उसकी गांड की छेद पर उंगली डाल दी।

"आआह उऑच आआह"

उनको मेरी तरफ घुमाया।उनके ओंठो को चुम लिया,फिर उन्होंने भी मुझे चूमा।उनके ओंठो को मुह में लेके चुसने लगा।उसने मेरे गर्दन को कस के पकड़ लिया।उसके ओंठो के रस से मन पूरा मंत्रमुग्ध हो गया।उसके जीभ को मुह में लेके चुसने लगा।मैन नीचे हाथ सरकाया।ठंडे शावर में भी उसके चुत में गर्मी थी।मैने उसको मसलने लगा उसके चुत को हाथो से रगड़ने लगा।

उसके चुत में लण्ड सट के घुसाया और उसे दोनो पैर ऊपर करके कमर पे बिठाया।उसके ओंठो का रस चूस ही रहा तक,अभी लण्ड चुत का भी रस चुसने लगा।मैने धीरे धीरे उसे ऊपर नीचे और मेरी गांड को आगे पीछे करके उसकी चुत चोदने लगा।

मा-
"आआह मजा आ रहा है वीरू आआह भडवो से चुत आआह मरवा रही थी अभी तक इतना तगड़ा लण्ड साथ होते हुए भी आआह उम्म,काश तेरे बाप की जगह तेरे चाचा से चुदवा लेती,पर छोडो ओ नही उसका बेटा सही,आआह और जोर से"

मा मेरे ओंठ कस के चूस रही थी।मैं उसको जोर से धक्के देने लगा।आज तो वो और मै पूरा मजा लेने वाले थे।मैई बेसिंग के ओटे को लग के खड़ा हो गया।एयर उसकी गांड पकड़ के जोर जोर से लन्ड पे पटकने लगा।करीब 15 मिनिट बाद उसने अपना पानी छोड़ दिया।और मैंने भी उनके ही चुत में अपना पानी छोड़ दिया।
0269.gif


उन्होंने मेरे आंखों में देखा और वो शरमाई और मेरे पूरे चेहरे को चूमने लगी।मैंने उन्हें ओटे पर पिट के बल बैठाया।और एक जरूरी चीज ढूंढने लगा।

मा:क्या ढूंढ रहा है।

मै:रुको बताता हु।

मुझे मेरी जरूरी चीज ऊपर वाले स्टैंडिंग अलमारी में मिल जाती है।

मा की आंखे चौड़ी हो जाती है:तू सच में मेरी गांड मारेगा।

मैने शैतानी वाली स्माइल दी।
मा:पर मैने कभी गांड नही मारी।

मै:तो फिर तेरे नए सैया से मरवा ले।कर टांगे ऊपर।

मा:जी सैया जी पर धीमे और प्यार से आपकी सजनी नई है इस खेल में।

उसके पैर ऊपर किये।वैसलीन उनकी गांड की छेद पे रगड़ा।एक उंगली अंदर घुसेड़ी।

मा"आआह अम्मा अरे लल्ला धीरे दर्द हो रहा है।

मैन रुकके दो उंगली डाल दी तो गांड फैल गयी।अभी थोड़ा वैसलीन लन्ड पे रगड़ा।और टोपा थोड़ा गांड की छेद में लगाया।

मा:वीरू आहिस्ता प्यार से ज्यादा दर्द बर्दाश न होगा मुझसे।

मैंने थोड़ा लण्ड अंदर धकेला।

मा:आआह आउच्च उम्म वीरू धीरे आआह दुख रहा है।
मैन थोड़ा और जोर लगाया पर वैसलीन की वजह से अंदाज से ज्यादा लण्ड अंदर गया।

मा:आआह वेररू आआह निकाल आआह उम्म दर्द हो रहा है आआह गांड फ़टी आआह दैया आआह अऊऊऊ आह"

मैने मा की चुचो को मसलना चालू किया पर उनका दर्द कम नही हुआ।फिर मैने मेरी उंगली उनके मुह में डाली।ओ उसे लण्ड की तरह चुसने लगी।मै लन्ड बाहर नही निकाल सकता था इसलिए मैंने सारे नुस्खे आजमाए और उँगलिवाला कामयाब हुआ।

वो उंगलियो को चुसने में मगन हुई वैसे मैने आहिस्ता आहिस्ता लण्ड गांड में आगे पीछे करना चालू किया।वैसलीन की वजह से जल्दी ही लन्ड आसानी से आगे पीछे होने लगा।और जैसे मुझे उसका कन्फर्म हुआ मैंने जोर से धक्के देना चालू किया।धक्के और दर्द से उन्होंने मेरे उंगली ओ को काट दिया ।उंगलियां कस के दांतो में दबोची।मुझे दर्द हुआ पर मै रुका नही।थोड़ी देर बाद मेरे उंगली को उन्होंने छोड़ा मतलब वो भी अभी सेट हो गयी।और "आआह उम्म "करने लगी,उसमे दर्द नही था।

मै जोर से धक्के देना चालू किया।


Casey-Calvert-Anal-Sex.gif


मा:आआह आआह आआह आआह आआह वीरू बहोत मस्त लग रहा है आआह आआह उफ औ उफ्फ और जोर से मार गांड फाड़ दे आआह आआह उफ और अन्दर दाल आआह"

करीब 20 मिनिट बाद मै झड गया।दोनो बैडरूम में आ गए।

रात 10 बजे

सियाराम खाना लेके आया।हम खाना खाके।बेडपर एक दुसरे को लिप्त लिपट कर हुए थे।

मा:वीरू सच में मै पागल थी की तुझसे अइसे बर्ताव किया।(उसने गाल पर चुम्मा दिया)सौतेला ही सही तगड़ा बेटा मिला आई।चुत की खुजली बुझाने वाला घर में होते हुए बाहर मुह मार रही थी,क्या पगली थी मैई,पर आज से तुहि मेरी प्यास बुझायेगा।बुझायेगा न?

मै:फिर जरूर मेरा लण्ड को तेरे चुत बहुत पसन्द है।और गांड भी।

मा:पर गांड हप्ते में एक बार।बहोत दर्द होता है।

मै हास् के उसके ओंठो को मुह में लेके चुसने लगा।रातभर हमने दिलछोंक कर रात भर चुदाई की।सुबह मा वहां से घर चली गयी मैई ऑफिस चला गया।

ये मत समझो दोस्तो की माँ मेरे निशाने से बाहर है पर दुश्मन इसको बहला सकता है वो सौतेली हुई भी तो मेरे लिए सगी है।ये आखरी मौका दिया है बस अगर अभी नही मानी तो सजाए मौत भी मिल जाएगी।कितना भी कमीना हु पर बेटा हु सौतेला ही सही।इंसान को 3 चांस देने चाहिये दे दिये अभी कोटा खत्म अभी आर या पार।पहले बाकियो को निपटा लू ,मा तो प्यादा थी वजीर और रानी को निपटना जरूरी है।माँ चुत की प्यासी है उसे वो मिल गया बस।पर वो जायदाद के आधीन है कुछ भी कभी भी कर सकते है।उनको निपटना जरूरी है अगर जिना है तो।

Disclosure: कहानी में उपयोगित सभी चित्र (photo) एवम चलचित्र(gif or vids)इंटरनेट से संशोधित है।एडमिन और उसकी टीम चाहे तो हटा सकती है।पर बाकी कहानी के अंग रूपरेशा ©MRsexywebee के है।
Nice update bro
 

Killerpanditji(pandit)

Well-Known Member
10,269
38,685
258
(Episode 6)


मा ने बोला वो सच हो सकता है उसके हिसाब से क्योकि ये बात भी नही मान सकते थे की उसने बोला वो पूरा सच हो प्यादे को या तो सीधा चलना आता है और कोई आगे आये तो टेढ़ा।बहोत दिन से मा भी मेरे आड़े आते ही या तो बचने की कोशिश में थी या मुझे मारने की।उसको मालूम हो या न हो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष वो वजीर और रानी को सुरक्षा दे रही थी।उनके हवस का पूरी तरह फायदा उठाया गया था।मेरे हिसाब से यही बात होगी इसलिए छोटी मामी ने मा और बड़ी मामी को हवस की खेल में फसाया।हवस ये अइसा रोग है जिसके ज्यादा प्रभाव से उस व्यक्ति से कुछ भी कराया जा सकता है।और जायदाद,पैसा तो था ही उसमे तेल डालने के लिए।पर मा पर भरोसा नही कर सकते उसको मुझे भी प्यादे की तरह इस्तेमाल करना होगा।कान्ता गयी बड़ी मामी गयी,मा भी गयी अभी दिमाग लगाना होगा की उनका अगला प्यादा कोन हो सकता है।यहाँ किसिपे भरोसा नही रे बाबा।

आज ऑफिस में कॉन्फ्रेंस मीट थी।जो बात गेस्ट हाउस में हुई उसको दोहरा कर कानूनी तरीकेसे मै जायदाद का हकदार और वारिस बन चुका था।वैसे ही ऑफिस की रोजाना मीट भी हुई थी जिसमें सिर्फ मै बड़े मामा नाना जी और एकाउंट स्टाफ था।अभी तक का खर्च,कर्जा सब पर विचार विमश हुआ।स्टाफ ने जो कम्पनी से कर्जा लिया और मैनेजिंग स्टाफ ने कितना खर्चा किया उसकी लिस्ट मैंने लेली।टॉप लिस्ट मे छोटे मामा और शिवकरण था।मुझे मालूम था की दोनो को क्यो बिमारी है पैसे खर्च करणे की।छोटे मामा अय्याशी थे ।तो शिवकरण जुगारी नशेबाज,नाना के काफी इमानदार ड्रायव्हर का बेटा था इसलीये असे नौकरी मिली और अब तक टिकी भी।पर अभि नाना नाही थे।और उसको इतना पैसा कर्जा देना कम्पनी को नही जमने वाला था।

मै शिवकरण से मिलने जा रहा था तभी मक्खन फेक्ट्री में दौड़े जा रहा था।

मै:अरे मक्खन किधर दौड़े जा रहा है।इधर आ।

मक्खन:वो साब जी वो उधर जा रहा था वो...!!!!

मै:वो वो क्या कर रहा है,जब तक झापड़ नही खायेगा तब तक कुछ बकेगा नही न?

मक्खन:वो साब मीना को बुलाने जा रहा था।

मै:क्यो?

मक्खन:वो साब विवेक सर ने बुलाने को बोला।

मै:क्यो और कहा?

मक्खन ने गेस्ट रूम कि तरफ आंखे घुमाके इशारा किया।

मै सोचा ये सही वक्त है मामा को रंगे हाथ पकड़ने का।

मैं:ठीक है,पर मुझे उस रूम की दूसरी चाभी चाहिए।

मक्खन मेरी तरफ देखने लगा,हा में सर हिलाक़े चला गया।फिरसे ऊपर जाते वक्त उसने एक चाबी मेरे हाथो थाम दी।
वो गेस्ट रूम कि ओर गया और मै सिक्युरिटी।

मीना रूम में चली जाती है और दरवाजा बन्द करके मक्खन वही बाहर खड़ा रहता है।मैं सिक्युरिटी रूम में उनपे नजर रख रहा था।

रूम में चाचा लुंगी में दारू के पेग बना के खुर्ची पर बैठ कर ठूस रहा था।मीना उसकि बहोत पुरानी रंडिया थी उसको मालूम था की उसको क्या करना है।

मीना वहा पर जाके पूरी नंगी हो जाती है।चाचा के पास जाके लुंगी साइड कर के चाचा का लन्ड लेके हिलाने लगी।मुह में लेके चुसने लगी।थोड़ी देर बाद मामा लड़खड़ाते उठा।मीना को बेड पे फेंका।खुद भी पुरा नंगा हुआ और उसपे चढ़ गया।

बस यही चाहिये था,मुझे चाहिए उतना काम और सिन बन गया था।मैंने वीडियो रिकॉर्डिंग को मेरे मोबाइल में सेव किया और उस गेस्ट रूम की ओर निकला।मक्खन खड़ा था तो ढूंढने में ज्यादा समय नही लगा।

मैंने दरवाजा खोला और अंदर चला गया।अचानक हुए मेरी इंट्री से मामा और मीना बोखल्ला गए।मीना चद्दर से खुद को ढंक दी।मामा ने भी लुंगी पहन ली।

छो मामा:ये क्या बत्तमीजी है वीरू

मै:क्या बत्तमीजी,आपको अय्याशी बोलना था क्या।

छो मामा:उस बात से तुम्हे क्या मतलब,भूलो मत मै भी इस कम्पनी जायदाद का हिस्सेदार हु।मै जो चाहु वो कर सकता हु।तुम होते कोन हो टाँग अड़ानेवाले।

मै:मै कोन एक नादान सेवक कम्पनी का,मैनेजिंग डायरेक्टर(बड़े मामा) ने कुछ काम दिया उसका पालन कर रहा हु।

छो मामा:तो ठीक है ना करो जाओ।मेरे काम में टांग मत अडाओ।

मैं:ठीक है मेरे पास जो वीडियो है वो मैनेजमेंट को दिखाता हु और बोलता हु आजतक जो 60 लाख रुपया कस्टमर के खर्चे के नाम पर लिए जाते है उसकी असली कहानी।ठीक है आप अपना काम चालू रखो।

छोटा मामा थोड़ा परेशान हो जाता है।मै बाहर जाने ही वाला था उससे पहले ही ओ मुझे रोकता है।

छो मामा:वीरू रूक,बोल क्या चाहता है तू?बात बढ़ाने से कोई मतलब नही है।मामला सेटलमेंट से निपटा देते है।

मै:मै जो मांगूंगा वो आप दे नही पाएंगे,छोड़ो जाने दो।

छो मामा:देख ज्यादा बात मत घूम,मुझे मालूम था तुझे कुछ चाहिये इसलिए तू पहलेसे सबूत जमा कर रहा है,बोल क्या चाहिए।

मैं:इसलिए मुझे मारने के लिए मा के सहारे शिवा को भेज सही न।

छोटे मामा चौक गए:क्या क्या क्या बक रहे हो।

मै:वही जो सच्चाई है।और ये बहोत भारी पड़ेगा तुम लोगो पे।

छोटे मामा:देख तू ज्यादा बकबक मत कर तुझे क्या चाहिए वो बोल मुझे समय नही तुम्हारी बकबक सुनने के लिए।

मै:चलो आप रेडी है तो इस पेपर पे साइन कर दो।बिना पढ़े।क्योकि वैसे भी आपको वो बात माननी ही होगी।नही तो एक बटन दबाया वीडियो बड़े मामा के पास।फिर मैनेजमेंट से बर्खास्त और कम्पनी से भी निकाला मिल सकता है और अभी 60 लाख बाहर आये है आगे जाके और कुछ जांच हुई तो।

छोटे मामा:पर क्या लिखा है उसमे?

मै:कुछ नही बस आपके नाम पे गेस्ट हाउस की जो जमीन है वो मुझे चाहिए।

छोटे मामा को उस बात पे भरोसा भी हो गया और उसने फटाफट दस्तखत भी कर दिए।जैसे ही मेरे हाथ में उसने कागज थमाए ,मै उसको देख हसने लगा।

मै:आप सच में इतना बढ़े गधे हो मालूम नहीं,आज मुझे भरोसा हुआ की मामी के हाथ के कठपुतली हो,अगर वो न होती तो रास्ते पे पड़े होते।पर अभी जो तूने किया ओ भी आपको रास्ते पे ला सकता है।

छोटे मामा:अब ये क्या नया नाटक है।तुम्हे चाहिए वो तो दिया अभी तुम अपने बात से मुकर रहे हो।

मैं:मैं कोई हरिश्चंद्र नही हु,सालो मेरी जान लेने चले थे न अभी वही जान मेरे हाथ में है।

छोटे मामा:तुम जोभी है साफ साफ बोलो।

मै:आपने जिसमे दस्तखत किये उसमे आपके शेयर और सारी संपति पूरे होश में मुझे सौंप रहे हो अइसे लिखा है।

छोटे मामा की आधी नशा उतर गयी।मामी के कहने पर हाथ पैर हिलाने वाला,खुद हाथ पैर हिलाए तो डूबेगा ही न।

छोटे मामा:वीरू तुझे ये भारी पड़ेगा।चुपचाप वो कागज मुझे दो।

मै:आप कुछ नही कर सकते ,आफिस के सारे चेले मेरे अंडर काम करते है,तो अभी मुह बन्द,तुम्हारे सारे दाव मालूम हो गए मुझे।

तभी छोटे मामा को बड़े मामा का कॉल आता है,वो तैयार होकर निकल जाता है।उसके चेहरे पर परेशानी साफ थी।जिस बात के लिए इतने साल कांड किये वो सिर्फ ये झटके में हाथ से निकल गए।

मैं वहाँ बैठ कर उस बात पे ठहाके लगा के हस रहा था ।कैसा मामा है मेरा ,मुझे लगा यार बहोत खिचमीच होगी पर ये तो भड़वा निकला।सच बोलते है हवस पैसे को भी हावी है।डर डर में सब गवा बैठा साला मेरा भडवा मामा।

मीना अभी भी बेड पे थी।

मै:क्यो मैडम,आपको मैंने चेतावनी दी थी,आज से आपका बॉस मै हु,फिर भी अपनी चुत की खुजली मिटाने आ गयी।

मीना:वो साब विवेक सर ने बोला तो।

मै:अच्छा तो उसने बोला तो तू करेगी,मेरी बात नही मानेगी।तो ठीक है कल से काम पे नही आना।बहोत हो गया तेरा।

मीना(नंगी ही उठके मेरे पास आई):अइसा मत करो साब,अकेली कमाने वाली हु।बाल बच्चे है,पति बेड को चिपका है।सब रास्ते पे आ जायेगे अगर मेरी नौकरी गयी तो।

मै:तो क्या मेरा ऑफिस रंडिया खाना बनाएगी।और ऊपर से अपनी ही मनमानी।

मीना:साब कम पढ़ी हु,इसकेलिए चुत मारनी पड़ती है।बाकी अबसे जो आप बोलोगे।

बाहर मक्खन उसकी गांड निहार के अपना लन्ड सहला रहा था।

मै:ठीक है,इस मक्खन के लन्ड से चुद जा अभी।

मीना:क्या? पर!!!

मै:अभी पर वर नही उसके 1000 अलग से।

मीना बेड पे जाके चुपचाप लेट गयी।

मै:क्यो मक्खन चाचा तैयार हो न।

मक्खन(शर्माते):जी साब मेहरबानी आपकी,आपका हुकुम सर आँखोपर।

मक्खन ने अपनी पेंट निकाल दी।मीना अपनी टांगे फैला ली।मक्खन भूखे की तरह उसपे टूट गया।उसको चूमने लगा।पर मीना उसको साथ नही दे रही थी।हलाखी देंगी भी नही क्योकि मक्खन उम्रदराज था।और उसमे ओ तगड़ा दम नही था।पर नोकरी बचने के लिए मीना तैयार हो गयी।

मक्खन ने अपने लण्ड को मीना के चुत पे लगाया।और धक्के देना चालू किया।
मीना:आआह आआह उम्मुफ आआह

मक्खन ने 10 15 झटकों में ही अपना लण्ड झडा दिया।

मै:जाओ अभी आफिस के काम करो,कुछ होगा तो बुला लूंगा।

मीना वैसे ही पड़ी थी।(आपको लगेगा ये बलात्कार जैसा लग रहा है।पर वैसा है नही,वैसे तो वो रंडी बन गयी थी,उसके पैसे भी मिलने वाले थे और उसकी मर्जी थी।मजबूरी भी थी ओ अलग बात है।)

मीना उठी मेरे पास आयी:साब 1000 रुपया??!!

मै:अरे जल्दी क्या है।बैठ इधर।

मीना नीचे बैठी।

मै:अरे नीचे नही मेरे लण्ड पे(मैने पेंट की झिप खोलके लण्ड को आझाद किया।)

मीना उसपे चुत लगाके बैठ गयी।और आहिस्ता ऊपर नीचे होने लगी।

मै:कितना पगार मिलता है तुझे।

मीना:6000 साब।

मै : कल से 7000 मिल जाएगा,पर आजसे मेरे कहे बिना मुह नही मारना।बच्चो को सिख अच्छे से।और पति को अच्छे हॉस्पिटल में दाखिला करवा पैसे का मै देखता हु।

मीना खुश हो गयी:शुक्रिया साब,आप सच में अच्छे हो।आप जो मांगोगे कहोगे सब करने के लिए तैयार हु।

मै:तुम भावनाओ में मत बहो,मै अच्छा वैगरा कुछ नही,कैसा भी हो तुझे इस हालत में लाने वाले मेरे मामा है या फिर मैई हु तो उतनी जिम्मेदारी बनती है।

मीना:ये आपका बड़प्पन है साब पर मै सच बोल रही हु जो आप कहोगे वो मै आपके लिए करने को तैयार हु।

मैं:ठीक है कल घर पे ही रहना तेरे पति से मिलने आ जाऊँगा।चलो अभी मेरा झड़ने वाला है।

मीना:रुको साब अंदर ही झड़ने दो।कोई बात नही।

आखिर कर मेरे लण्ड ने मीना की चुत भर दी।मै बाथरूम जाके पेंट साफ कर ली।दोनो तैयार हुए।मीना अपने डेस्क पर चली गयी।मै सिक्युरिटी रूम में जाकर मेरी वाली वीडियो इरेज कर दी।आपके भाई को उतना ज्ञान तो है।

अभी बात शिवकरण की थी।मै पार्किंग में गया।वो वहाँ पर गाड़ी के पास खड़ा था।
शिवकरण:जी साब कहि जाना है।

मै:हा चलो जाना भी है और कुछ जरूरी बात भी करनी है।

गाड़ी में-

शिवकरण:क्या बात है बाबू जी।

मै:शिवकरण तेरे 1 लाख रुपये देने है कम्पनी लोन के।इतने पैसे का क्या करता है तू।

शिवकरण:वो बाबूजी बो वो...!

(शिवकरण की जुबान लड़खड़ा रही थी।)

मै:कारण छोड़ो पर अगर 1 लाख नही दिए तो नौकरी और जो घर दिया हुआ है उसे खो बैठेगा।तेरा बेटा है न दूसरे शहर जो पढ़ने गया है।उसे तो कम्पनी यहां से डायरेक्ट पैसा देती है तो तू इतना लोन का क्या किया।

शिवकरण को पासिना आ गया:नही साब अइसा मत करो।वो मै साब जुए में हार गया।

मै:पर उसका मतलब ये नही की तुम पैसे लुटाओ।उसे फिरसे कब दे रहे हो।

शिवकरण:साब रकम बहोत बड़ी है।जल्दी कैसे होगा।

मै:फिर नौकरी और घर भूल जाओ,अभी सब बड़े मामा के हाथ है,नाना होते तो मै संभाल लेता पर अभी तो!!!

शिवकरण:साब जो कहो कर लूंगा पर मेरी नौकरी और रहने का ठिकाना को मुझसे न छीनो।

मै:तुझे जुआ खेलने की आदत है न।चल तेरी बीवी को दाव पे लगा।मैं तेरी नौकरी बचाता हु।

शिवकरण चौक गया।उसने गाड़ी रोक दी।

शिवकरण:छोटे बाबू ये क्या बात कर रहे हो,ये कैसे मुमकिन है।

मै:अगर तुझे नौकरी और घर से बेदखल नही होना तो तुझे ये मुमकीन करना पड़ेगा।मंजूर है तो बोलो।उसके लिए 20000 अलग से दूंगा।

शिवकरण कुछ सोचा और गाड़ी चालू कर दी।

मै कान्ता को कॉल किया।और चौराहे पर बुलाया और घर में आफिस में बुलाया है करके बोलने बोला।जहा पर जाना था वो जगह शिवकरण को समझा दी।गाड़ी जैसे ही रुकी कान्ता गाड़ी में बैठ गयी।

कान्ता:क्या हुआ बाबू जी आपने अचानक से बुला लिया।

मैं:सब कुछ मालूम हो जाएगा।(शिवकरण से)तूम गाड़ी को मैंने कहा वैसे जगह लेके चलो।

कान्ता:क्या बात है कोई मुझे बताएगा।

मैंने अपने पैंट को अंडरवेअर के साथ पुरा नीचे तक खिसकाया और निकाल दिया।शिवकरण हो रहे वाकिये को नजरअंदाज कर रहा था।कान्ता तो एक नजर पति पे एक नजर मुझपर और एक नजर मेरे लन्ड पे परेशान चेहरे से घुमा रही थी।उसको सामने हो रही घटनाओं पे भरोसा नही हो रहा था।

मै:अरे अभी देख क्या रही है।लेले मुह में तेरे लिए ही है।

कान्ता अभी भी शिवकरण(उसका पति)के ओर देख रही थी,हलाखी वो पतिव्रता नही थी,पर इतनी भी बेशर्म नही थी की पति के सामने इतना खुल के कुछ भी कर ले।

मैं:अरे शिवकरण चाचा,तेरी जोरू तेरे से परमिशन मांग रही है।तू दे रहा है न।

शिवकरण:जैसा आप ठीक समझो बाबूजी,मुझे क्या दिक्कत होगी।

मै:देखा उसे भी कोई दिक्कत नही,अभी तू क्यो सोच रही है।
कान्ता नीचे झुक कर लण्ड मुह में ले लेती है।ओ मजे में नही बोल सकता पर बड़े स्वाद से लन्ड चुस रही थी।जो भी बोलो पति के सामने उसकी जोरू के साथ अय्याशी करने में,लण्ड चुसवाने में और चुत मारने में जो मजा है वो बहोत सुखदाई और बदन में रोमांच उठाने वाला होता है।इसका चस्का मुझे शारदा को चोदते वक्त हुआ जब उसको उसके पति और बेटे के सामने चोदा।

कान्ता के पल्लु को हटा के मै ब्लाउज पे ही चुचे मसलने लगा।
कान्ता दांत ओंठो को चबाते हुए सिस्कारिया दबा रही थी।
मैंने उसके ब्लाउज को और ब्रा को निकाल दिया।उसके निप्पल्स को नोच के मसलने लगा।वो अभी जोर से सिसकिया ले रही थी"आआह उम्मुच आआह आउच्च आ"

गाड़ी अभी एक गांव के और शहर से दूर एक नदी के किनारे रुकी।आसपास कोई भी नही था।रास्तेसे काफी अंदर थी करीब 1किमी।शिवकरण डिकी ओपन करने बोला और उसको अंदर बैठाय। मै कान्ता को लेके बाहर गया।
उसको पूरा नंगा करके डिकी के अंदरूनी जगह पर बैठाया और खड़ा रहके मेरा लन्ड उसके मुह में दिया।

मै:शिवकरण पानी लेके आओ।

शिवकरण पानी लेके आया।वो जैसे ही जा रहा था उसको रोका।

मैं:अरे तुझे जाने बोला।रुक।

मैंने उसको उसी अंदरूनी डिकी की जगह पर बैठने बोला कान्ता को घोड़ी बनाया।

मै:शिवकरण तेरा लण्ड निकाल,मुझे मालूम है वो भी उतावला वो गया है।

अभी कान्ता अपने पति का मुह में लण्ड लेके चूस रही थी।मै उसके पीछे से उसकी चुत में उंगली से चोदते हुए गांड चाट रहा था।

कान्ता अभी काफी गर्म हो चुकी थी उसने चुत से पानी छोड़ना चालू किया।मैंने भी मेरा लण्ड उसके चुत में लगाया और धक्का दिया।
कान्ता:आआह अम्मा आआह बाबू आहिस्ता आआह उम्म।

मै उसे जोर जोर के धक्के देके चोदने लगा।ओ सिस्कारते हुए शिवकरण(उसका पति)का लन्ड चूस रही थी।शिवकरण उसके चुचे मसल रहा था।काफी देर तक धक्कों की बारिश होती रही।

मै:शिवकरण मेरा अभी छूटेगा तेरे बीवी के अंदर ही छोड़ रहा हु।

शिवकरण:आआह जी साब कोई नही आप छोड़ दो,आपके वजह से नया अनुभव मिला अइसी चुदाई का।आआह अरे कान्ता और जोर से चुस।

शिवकरण ने अपने लण्ड को कान्ता के मुह से झड के खाली किया।मै भी उसके चुत में पूरा पानी छोड़ के झड गया।

शिवकरण उठ के नदी पर चला गया और खुदको साफ करने।

कान्ता:ये क्या चल रहा है?मुझे यकीन नही हो रहा।

मै:तेरे पति की करतुते है।कम्पनी का 1 लाख का कर्जा रुका के रखा है।अभी नोकरी और घर दोनो जाएगा।बड़े मामा थोड़ी उसको बख्शेंगे।

कान्ता:पर अभी कोई परेशानी नही न।उनके साथ मै भी बेघर हो जाऊंगी।प्लीज हमे नौकरी से न निकलवाना।

मै:नही मेरी जान तू तो मेरी पसंदीदा रंडी है।लण्ड को तेरे चुत की सख्त जरूरत है।

कान्ता ने मेरे ओंठो को चुम लिया:शुक्रिया बाबूजी।

शिवकरण आने के बाद हम घर को निकले।रास्ते में मै और कान्ता ओंठो का रस चूस रहे थे।

हम आधा रास्ता पार ही किया था की किसी बड़े गाड़ी ने हमारी गाड़ी को ठोका।गाड़ी में सेफ्टी अच्छी थी तो हम मेंसे शिवकरण को थोड़ी अंदरुनी चोट आयी हाथ पे बाकी मैई और कान्ता सेफ थे।आज नाना की अक्ल पर मुझे नाज हो रहा था जो उनकी इस सेफ्टी सेटिंग से मरते हुए बचे।गाड़ी पलटी थी।मैंने कान्ता को बाहर किया फिर खुद बाहर आके शिवकरण को निकालने की कोशिश की।

वो गाड़ी रुकी नही।आम तौर पर कोई तो रुक कर देख तो लेता है।शिवकरण काफी अटका था।तभी फिरसे वही गाड़ी तेज रफ्तार से अति हुई दिखी।मुझे उसके लक्षण ठीक नही लगे।मै अपनी ताकद लगा के शिवकरण को निकालने की कोशिश करने लगा।गाड़ी एक ट्रॉली थी।सामने पलटी गाड़ी देख कर भी उसका स्पीड कम नही हुआ,दिल में खतरे की घंटी बजी।जैसे ही उसने फिरसे टक्कर दी।भगवान की दया से उस टक्कर और मेरे जोर से शिवकरण बाहर आया और हम रास्ते के बाजू में पड़ गए।अभी शिवकरण को रास्ते के साइड वाला पत्थर लग गया।अभी उसके सर के पीछे से खून निकल रहा था।इसबार वो गाड़ी रुकी नही।

उसके कुछ मिनट बाद और एक टेम्पो आया।उसे रुका कर हम सीधा शहर के हॉस्पिटल में शिवकरण को भर्ती कराया।

मै इस सोच में था की वहाँ जाने का प्लान तो गाड़ी में बना।मेरे देखने तक तो शिवकरण ने किसीसे कॉल पे बात नही की।फिर ये हमला किसने और किसके जरिये कराया।बड़ी पहेली थी ये मेरे लिए।




Disclosure: कहानी में उपयोगित सभी चित्र (photo) एवम चलचित्र(gif or vids)इंटरनेट से संशोधित है।एडमिन और उसकी टीम चाहे तो हटा सकती है।पर बाकी कहानी के अंग रूपरेशा ©MRsexywebee के है।
Nice update bro
 
Top