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Incest माँ को पाने की हसरत

Monster Dick

the black cock
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हेमा ने अंजुम को समझाया और उससे सवाल किया कि क्या वो दोस्ती करना चाहेगी? पर अंजुम ने सॉफ इनकार कर दिया क्यूंकी कुछ सालो पहले जो मज़बूरी की आड़ में हेमा ने उससे मदद ली थी उस बीच अंजुम की ज़िंदगी में एक मर्द आया था...लेकिन हेमा की चुदाई के बावजूद उसे अंजुम में इंटेरेस्ट हो गया था उनकी पहली मुलाक़ात में....हालाँकि अंजुम उस मर्द के करीब भी आ गयी काफ़ी....हल्की चुम्मा चाटी और एकदुसरे से मुहब्बत तक हो गयी थी पर अपने बेटे आदम के चलते और उस मर्द के इंटेन्षन को भाँपते ही अंजुम ने दूरिया बना ली थी....क्यूंकी वो आदम के साथ साथ अंजुम को भगा ले जाना चाह रहा था...जिसके लिए अंजुम बिल्कुल भी तय्यार नही थी उसे ये गवारा ना था....जैसा भी हो उसके पति और बेटे के साथ वो सुकून महसूस करती थी....खैर वो तो कहानी तो पुरानी थी

पर अंजुम ने हेमा के ज़ोर देने पे भी इनकार कर दिया....अंजुम वहाँ से निकल गयी....पूरे रास्ते उसके ज़हन में अज़ीब से आदम को लेके ख़यालात आ रहे थे और हेमा की ख्वाहिश पूरी करने वाली बात....अगर हेमा की बात मानके वो अपने बेटे की शहवत (सेक्स) पूरी कर दे तो बेटा उससे...."छी छी".....अंजुम ने बड़बड़ाया ये वो क्या सोच रही थी? ऐसा कभी हो सकता है? दूसरो की माँ बहन के साथ तो रिश्ता लड़के बना ही लेते है पर अपनी सग़ी माँ के साथ नही...अंजुम को ये बात गवारा ना हुई और वो घर पहुचि...आज भी आदम के पिता से उसकी काफ़ी झडप हो गयी थी....

उधर शाम 7 बजते बजते आदम चंपा के घर पे दस्तक देता है छोटी सी गली थी जहाँ आस पास के बिल्डिंग के पाइप से पानी चुह रहा था वो शहर की सबसे बदनाम गली लालपाड़ा में खड़ा था....इतने में अंदर से आवाज़ आई अंदर आ जाओ

अंदर चहेल पहेल थी बिस्तर पे दो औरतें एकदुसरे से बात कर रही थी अधेड़ उमर की औरतें थी जिनके पहनावे और बातों के लहज़े से ही उनकी रंडीपना की झलक सी महसूस हो रही थी....उन्होने तिरछी निगाहो से आदम की ओर देखा "की रे? तोर नोतू माल एशेगेचे (क्या रे तेरा नया माल आ गया?).....औरतो की बात सुन आदम शरमा सा गया

"अर्रे आओ आओ उधर क्यूँ खड़े हो?"....एक औरत ने कहा

आदम थोड़ा अंदर आया....तब तक चंपा बाहर आई उफ्फ कहेर ढा रही थी लाल पाड़ा वाली साड़ी में....और उपर से भर माँग सिंदूर जो उसका शौक था....होंठ सुर्ख लाल गोल गहरी नाभि दिख रही थी...खुले गले का ब्लाउस जिसके बीच के कटाव सॉफ झलक रहे थे...अंदर ब्रा पहनी हुई थी वरना आम तौर पे आदम को उसके निपल्स दिख ही जाते है.....उसने आदम को देखके आँख मारी

चंपा : अर्रे आओ ना शरमा क्यूँ रहे हो?

आदम : नही नही लगता है अभी तुम बिज़ी हो?

चंपा : अर्रे ना ना काकी आप लोग जाइए कल मिलते है

"अच्छा चंपा भालो ताकीश (अच्छे से रहना)"...दोनो उठते हुए लगभग आदम के बगल से गुज़रती हुई उसे तिरछी निगाहो से देखके मुस्कुराए बाहर चली गयी

"दरवाजा ठीक से बंद कर लेना...वरना कोई और आ जाएगा डिस्टर्ब करने हाहाहा".....बोलते हुए वो लोग वहाँ से निकल गयी

आदम : ये लोग कौन है?

चंपा : मानती है मुझे बहुत पास में रहती है

आदम : धंधा करती है

चंपा : लालपाडा में कौन सी औरत धंधा नही करती अच्छा वो सब छोड़ो बाबू ये बताओ इतने दिनो से आए क्यूँ नही? (चंपा ने दरवाजे की कुण्डी लगा दी)

आदम : बस ऐसे ही मन नही था आने को

चंपा : हमसे मन भर गया इतनी जल्दी

आदम : अर्रे नही नही ऐसा कुछ नही है तू तो मेरी अच्छी दोस्त है

चंपा : एक आप ही तो हो जो हमसे इस लहज़े में बात करता है वरना और तो बस साहेबज़ादे पैसे देते है और बेज़्ज़त करते है

आदम : ह्म (आदम ने कुछ बोला नही और बोलता भी क्या?)

आदम ने चंपा को किचन में जाने से रोका "सुन चाइ मत बना ये ले"....आदम ने पहले ही पैसे पकड़ा दिए....चंपा मुस्कुराइ....उसने आदम के चेहरे पे हल्की सी चपत लगाई....

आदम : सॉफ तो कर रखी है ना खुद को

चंपा : दिन में दो बार नहाती हूँ मैं आपने क्या सोचा कि मैं वो रेग्युलर कस्टमर को देने वालीयो में से हूँ

आदम : फिर भी गंदा नही रखने का

चंपा : पर्मनेंट कस्टमर हो तुम तुम्हारे लिए तो हमेशा सॉफ रखती हूँ पर वहाँ के बाल नही काटे ब्यूटी पार्लर वाली गाओं गयी हुई है ना तो (चंपा ने आगे बढ़ कर आदम के बालो से लेके चेहरे पर अपनी उंगली फिराई आदम ने झट से उसकी उंगली पकड़ ली)

चंपा से भीनी भीनी रजनीगंधा की खुसबु आ रही थी....आदम ने उसे झट से अपने करीब खेंचा वो आदम की दाई जाँघ पे बैठ गयी...आदम उसे कमर से पकड़ा हुआ बीच बीच में उसके पेट को सहला रहा था....आदम ने उसके पल्लू को हटाया तो चंपा ने अपना पल्लू अपनी साड़ी से अलग करते हुए बैठे बैठे ही आदम की गोद में उतार लिया..और उसे बिस्तर पे फ़ैक् दिया...."क्या रे ये काला धागा?".....कहते हुए आदम ने उस काले धागे पे लगी ताबीज़ पे हाथ फिराया जो उसके कमर से लेके पेट पे बँधी थी उसने कस कर नाभि को पिंच किया...तो चंपा सिसक उठी और उसने आदम के सर को अपने ब्लाउस पहने छातियो से रगड़ दिया...

माहौल गरम होने लगा था और बिस्तर भी...
 

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चंपा : अब का करे? हमको ना बड़े जल्दी ही नज़र लग जाती है....इसलिए हमारी एक काकी ने हमको ये पहना दिया (चंपा ने अपने ताबीज़ पे उंगली रखते हुए कहा)

आदम : ह्म अब इतनी हसीन खूबसूरत हो तो नज़र तो लगनी ही है

चंपा : हम तो सबको हसीन खूबसूरत ही लगते है

आदम ने चंपा के नाभि को फिर पिंच किया जिससे चंपा के स्वर में आहह फुट पड़ी और उसने अपने निचले होंठ को कस के दाँतों से भींच लिया..."इस्शह".....चंपा ने सिसकते हुए कहा...आदम ने चेहरे को नीचे ले जाते हुए आख़िर पेट पे अपने चुंबन की मोहर मार दी....चंपा का पेट काँप रहा था....आदम ने मुस्कुराते हुए नाभि में जीब डाल दी और कुरेदने लगा....चंपा के हाथ आदम की पीठ पे अपने नाख़ून गढ़ा रहे थे.....

आदम का लंड पॅंट और चड्डी में कसा फहुंकार मार रहा था....जैसे आज़ाद होना चाहा रहा है....लंड का सिग्नल दिमाग़ को मिला...और आदम को महसूस होते ही उसने अपनी बाहों में चंपा को नीचे से उठा लिया.....आदम खड़ा था और अब उसकी गोद में चंपा का पूरा बदन था..

उसने हल्के से चंपा को लिटाया और उसके ब्लाउस उतार फैका....फिर उसकी सफेद ब्रा भी...चंपा ने हल्के से अपने बाल को झटकते हुए उसे खोल दिया...चंपा लेटे लेटे आदम को अपनी शर्ट और बनियान उतारते देख रही थी....जीन्स की ज़िप पे हाथ पहुचते ही चंपा ने अपने होंठो पे ज़ुबान फैरनी शुरू कर दी...जैसे लंड को देखने के लिए कितनी उत्साहित हो...

आदम ने अपनी जीन्स और कछि को भी एक झटके में टाँगों से अलग कर दिया....और जब चंपा के चेहरे के करीब आया...तो चंपा को सॉफ दिखा उसका झूलता सांवला लंड एकदम कड़क और गरम होके खड़ा हुआ था....चंपा ने उसे हाथो में लेके मसलना शुरू कर दिया...मुत्ठियाते हुए वो आदम की आँखो में झाँकने लगी

आदम ने तब तक चंपा के पेटिकोट को नाडा खोल दिया और उसे एक हाथ से ही उतारने का प्रयास किया...पर चंपा ने बाए हाथ में ही लिंग को मुठियाते हुए उठकर अपनी पेटिकोट और पैंटी को एक झटके में अपनी टाँगों तक सरका दिया....बाकी का काम आदम ने खुद कर दिया....अब बिस्तर के नीचे चंपा के सारे कपड़े पड़े हुए थे और बिस्तर के उपर चंपा मदरजात नंगी आदम से चिपकी लेटी हुई थी

अब आदम ने चिकनी जांघों उपर हाथ फेरते हुए टाँगों के बीच हाथ लाया तो उसे आधी उंगली बराबर चंपा की झान्टे दिखी...उसके रोयेदार झान्टो पे हाथ फेरते हुए उसने चूत को खोजा और फिर दोनो हाथो से चूत को फैलाया छेद के चारो तरफ का गुलाबी माँस दिखने लगा था

चूत पूरी गुलाबी गीली और हल्के हल्के उगती झान्टो से धकि हुई थी.....आदम कभी भी चूत पे मुँह नही लगाता था खासकरके चंपा की...क्यूंकी चंपा कयिओ से चुदवाति होगी..तो इस वजह से आदम को बीमारी का डर लगता था...आदम ने वैसे ही चूत की मुंहाने में हाथ फेरते हुए उंगली करनी शुरू कर दी....चंपा टाँगों को इधर उधर पटाकने लगी उसकी दोनो पाओ में बँधी पायल पैर पटाकने से छान्न छान्न की मधुर आवाज़ निकाल रही थी

आदम उंगली करता रहा और अपना लंड लगभग चंपा के मुँह के करीब रखा हुआ था...जिसे चंपा मुत्ठियाते हुए इस बार मुँह में लेके चूसने लगी...उसे तो कोई झिझक नही थी....चुदाई के दौरान वो एकदम खुल जाती थी...हालाँकि इस बार भी उसे लगा कि शायद आदम उसके वहाँ मुँह दे...पर आदम ने वैसा नही किया....आदम बस उंगली करता रहा....चंपा के पाँव काँपने लगे और आदम ने उंगली तेज़ कर दी

चंपा : ओह आहह आहह हो स्स्स्सिईईईईईईई आहह (चंपा के ज़्यादा हिलने से आदम उंगली भीतर तक घुसाने पे मज़बूर हो जाता क्यूंकी बार बार उंगली चूत से बाहर निकल जाती)

अंगूठा चूत में प्रवेश करते ही उंगली के साथ...चंपा का बदन शिथिल पड़ गया और एक ज़ोर की कपकपाहट के साथ चंपा चीख उठी उसकी चूत से रस बहने लगा था...आदम ने चेहरा थोड़ा चूत के करीब लाया और उसे सूँघा चूत से अज़ीब सी महेक आ रही थी....इससे उसका लंड और भी कड़क हो गया...और चंपा के गरम मुँह मे अपना प्री कम छोड़ने लगा..

चंपा उसे चट कर गयी और उसने लंड को मुँह से बाहर खींचा....."आओ राजा अब कराती हूँ जन्नत की सैर तुम्हें".....चंपा एकदम से उठ बैठी और तब तक आदम को धकेलते हुए उसने उसे लेटा दिया....अब आदम लेट चुका था....चंपा ने लिंग को तभी मुत्ठियाते हुए अपनी दोनो चुचियो पे सुपाडे को रगड़ने लगी....आदम मोन करने लगा....

आँखे मुन्दे ही रहा फिर चंपा ने चुदाई की शुरुआत की....और और उसने अपनी दोनो टाँगें आदम की कमर के दोनो तरफ इर्द गिर्द फैला लिए...फिर टट्टी करने की मुद्रा में वो लंड को पकड़के उसे अपनी चूत पे टीकाने लगी....धीरे धीरे लिंग किसी जलती भट्टी में घुसने लगा और चंपा ने पूरा लंड अपने अंदर समा लिया.....छेद थोड़ा कसा हुया था शायद गान्ड को टाइट कर रखा था चंपा ने...

"हाए रे चंपा सस्स निकल जाएगा अब तो बस अब शुरू कर"........आदम ने लेटे लेटे ही जवाब दिया

"अभी कहाँ सरकार अभी तो राउंड शुरू हुआ है...जन्नत में प्रवेश हुआ है कम से कम हमे तो सुख लेने दीजिए चूत में लिंग घुसाके उसी पल पानी छोड़ देना चुदाई नही असंतुष्टि कहलाती है".......आदम उसकी बातों से और भी ज़्यादा तराकी हो रहा था

चंपा अब धीरे धीरे लिंग को अंदर बाहर ले रही थी...अब धीरे धीरे उसकी गति बढ़ने लगी और वो लगभग आदम की जांघों के उपर जैसे कूद रही थी...लिंग सतसट अंदर बाहर हो रहा था...चूत बुरी तरीके से गीली हो चुकी थी आदम को चंपा की चूत का गरम रस छूटता महसूस हो रहा था...पर चंपा रुक नही रही थी उसकी आँखे एकदम लाल थी....और वो अपने लाल लाल होंठो को काट रही थी
 

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"आअहह चंपाआ और ज़ोरर से आहह और ज़ोरर्र से ससस्स"......."जी सरकार बस लेने तो दीजिए मज़ा आहह"...अबकी बार चंपा लिंग को चूत में दबाते हुए अंडकोषो पे अपनी गान्ड बैठी बैठी ही रगड़ने लगी इस मुद्रा को अगर आप लोग देख लेते तो कसम से पानी छोड़ देते....

आदम अपने मन में बुदबुदा रहा था "कंट्रोल कंट्रोल बेटा कॉंटरोल्ल सस्स".........आदम को सिसकता मज़े लेता आँखे मूंदता देखके चंपा फिरसे लंड पे कूदने लगी....

"आहह हाहह आहह आअहह".......चंपा ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी....आदम ने क़ास्सके उसके मुँह पे हाथ रख दिया...बेज़्ज़ती सा महसूस ना हो इसलिए

चंपा हँसने लगी और वो आदम के गले लग गयी...उसके बाल आदम के चेहरे पे थे जिन्हें समेटते हुए आदम ने उसके कान और गाल को चूमा..चंपा फिर चूत में लिंग लिए आदम के उपर लेटे लेटे दुबारा उसके अंडकोषो पे अपनी गान्ड घिसने लगी...आदम ने कस कर उसकी पीठ को थाम लिया और नाख़ून गढ़ाने लगा...अब चंपा भी आदम की गर्दन और चेहरे पे चुम्मा करने लगी..

"आअहह ओह्ह्ह्ह मयी बाबयययी ससस्स एम्म्म"........आदम के चेहरे को पकड़के उसने उसके होंठो को मुँह में ले लिया....चंपा ज़ोर ज़ोर से आदम को किस करने लगी...दोनो होंठो को चूस्ते हुए अपनी जीब वो आदम के मुँह में दे रही थी..

बिस्तर पुराना था इसलिए दोनो के ज़्यादा हिलने से आवाज़ कर रहा था....चंपा ने देखा कि आदम बड़बड़ा रहा है....चंपा ने हालात को देखते हुए लंड को खींचते हुए उसे बाहर निकाल लिया और आदम के उपर से उठ बैठी...फिर उसने लंड को ज़ोर ज़ोर से मुठियाना शुरू कर दिया......"आहह हाहह आहह आहह आहह"......."हां बाबू हान्न्न आहह हां बाबू"......लंड को ज़ोर से मसल्ते हुए चंपा आदम को उत्साहित कर रही थी जो लेटे लेटे सिसकिया भर रहा था

आदम : आहह हो माआ आहह (चंपा को कुछ अज़ीब लगा माँ नाम सुनके उसे लगा शायद आदम के लिंग में ज़ोरो से दर्द हो रहा होगा...पर आनंद के इस चरम अहसास पे माँ माँ बार बार कहना जैसे चंपा की हथेली मे नही बल्कि माँ के हाथ में वो मुठिया रहा हो....जिस औरत ने मज़ा मिलता है उसी का नाम ज़ुबान पे आता है जिस औरत को याद करते हुए मर्द झड़ता है...ज़बान पे बस उसी का नाम आता है)

चंपा ने फिर तीव्र गति से आदम को और उत्साहित किया....पर आदम ने उसका हाथ पकड़ लिया...चंपा समझ ना पाई...."रोक क्यूँ दिया बाबू तुम्हारा निकल जाता"........आदम ने मुट्ठी में लिंग को अपने कस के थामा और चंपा के हाथ को हटा दिया...कुछ देर में उसने अपने उपर नियनतरण पा लिया था

आदम : तेरी गान्ड भी मारूँगा

चंपा : सस्सह ओह्ह्ह हो तभी चूत मारके चंपा का दिल नही भरता वैसे आप भी हमारे बाकी चाहनेवालो की तरह शौकीन हो गये है

आदम : मज़े दे तो पूरा दे और मैं तो तेरा दोस्त हूँ सो प्ल्ज़्ज़

चंपा : गर्लफ्रेंड नही हूँ जो रिक्वेस्ट कर रहे हो रंडी हूँ और आज की शाम तुम्हारी रंडी जैसे बोलॉगे वैसे चुदवाउन्गि किस पोस्चर में चोदोगे घोड़ी बनके या कुतिया

आदम : जैसा तू बन

चंपा : ह्म घोड़ी बनू चाहे कुतिया चोदोगे तो गान्ड ही ना....तो ठीक है हमारी बात मानना चाहते हो तो कुतिया ही की मुद्रा में हमे चोदो वो क्या है ना? घोड़ी या गाय बनने में खड़ा होके झुकना पड़ता है और टाँगें दुख जाती है मोड़ने से दर्द हो गया है..

आदम : तो ठीक है चल कुतिया बन

चंपा ने थूक अपने हाथ में लिया और उसे अपनी गान्ड में मलने लगी....आदम ने चंपा के कुतिया बनते ही उसकी दोनो टाँग सही से मोडी और उसकी हथेलियो को भी सही से सीधा कर दिया....अब चंपा कुतिया बन चुकी थी

चंपा की गोरी गोरी नितंबो पे थप्पड़ मारते हुए उसकी गोल गान्ड को कस कस्के दबोचने लगा मैं...फिर उसकेर गान्ड की फांकों में छेद पे अंगुल करना शुरू किया छेद सिकुड़के बंद कर लेती तो कभी खोल लेती...पास में नारियल तेल पड़ा था उसकी कुछ बूँदें आदम ने छेद के मुंहाने पे डाल दिया और छेद को और गान्ड को चिकना कर दिया...चंपा का छेद कुलबुलाने लगा

आदम जैसे चंपा के उपर खड़ा था फिर उसने धीरे धीरे लंड को पकड़े ही छेद में रगड़ना शुरू कर दिया...घपप से लंड छेद के भीतर डालने की नाकाम कोशिश करने लगा...."ससस्स आहह आहह दर्द हो रहा है ओह्ह्ह्ह".........एक बार चंपा चीखी पर उसने दर्द बर्दाश्त कर लिया

चंपा : बाप रे बहुत मोटा है आपका दर्द हो रहा है

आदम : मतलब इतने दिनो से सिर्फ़ मेरा ही लंड गान्ड में लेती रही तू

चंपा : औरो को घिन आती है तो कोई कर नही पाता और आपका तो हद से ज़्यादा बड़ा है अच्छा है कि पहले से अंगुली और लंड लिए ना दोनो छेदो में वरना आप तो डाल डालके मुरब्बा बना देते

आदम : तब तो तेरी फटी चूत और गान्ड कोई नही पेलता

चंपा : अब बातें बंद और डालो
 

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आदम रुका पड़ा था फिर उसने झट से लंड को छेद के अंदर तक एक साँस में पूरी ताक़त के साथ घुसा दिया....चंपा का पूरा बदन काँप गया....उसने दर्द पी लिया ना जाने कितनी बार बिस्तर पे उसे पटक पटक के रफ चुदाई की थी मर्दो ने इसलिए उसे नये दर्द के अहसास को भी सहने का दम था

आदम धीरे धीरे लिंग अंदर बाहर करने लगा....पर छेद इतना सिकुडा हुआ था कि बार बार चंपा को गान्ड ढीली छोड़ने को कहनी पड़ी थी....फिर आदम ने धक्के तेज़ किए और अब आदम ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा पिछले माह जब वो यहाँ आया था तो उसने चंपा की गान्ड आधी ही मारी थी क्यूंकी चंपा का कोई जानने वाला क्लाइंट आ गया था जिसे चंपा ना ना कर सकी और बीच में ही आदम को उसकी चुदाई रोकनी पड़ी थी

आज आदम ने वो सारी कसर आज निकाल दी और चंपा की गान्ड को चोदने लगा..फ़च फ़च्छ करते हुए गान्ड में लंड फिसलने से आवाज़ें निकल रही थी....बीच बीच में आदम गान्ड से लंड बाहर खींच लेता और छेद को सिकुडत खुलता देख फिर लंड घप्प से अंदर घुसा देता...चंपा हर रगड़ से मस्तिया रही थी....कुछ ही पल में उसे महसूस हुआ कि आदम रुक नही रहा....उसे पेशाब भी उस वक़्त लगने लगी पर उसने आदम को उसकी चुदाई करने दी

आदम ने काफ़ी देर चुदाई के बाद लिंग बाहर खींचा और चंपा को सीधा किया लंड को टीसू पेपर से सॉफ किया और चंपा के मुँह में डाल दिया...."चुउस्स्स चंपा और प्यार से अहांन".....चंपा बड़ी बड़ी निगाहो से आदम को देखते हुए लंड को हलक तक लिए चूस रही थी....कुछ ही देर में आदम ने मुठियाते हुए चंपा का मुँह खुला रखा और अपना गरम गाढ़ा सफेद वीर्य उसके चेहरे और मुँह में छोड़ने लगा....चंपा ने ने आखरी बूँद को भी लंड से चाट के सॉफ कर लिया...और अपने होंठो को हाथो से पोछती हुई आदम की तरफ देखने लगी

दोनो हान्फ्ते हुए बिस्तर पे ढेर हो गये...."उफ़फ्फ़ बड़ी गर्मी है यार".....आदम आँखे मुन्दे अपना पसीना पोंछते हुए चंपा को देख रहा था जिसका पूरा चेहरा लाल था...वो नाक सिकुड़ते हुए बाथरूम में चली गयी....एक कमरा था इसलिए बाथरूम अटॅच था....अंदर चंपा मूत रही थी जिसकी आवाज़ आदम के कानो तक आ रही थी...आदम अपने लिंग को टिश्यू पेपर से सॉफ करने लगा...

अब उसके दिलो दिमाग़ से थरक उठ चुका था..."ह्म देखा बाबू ये होता है मज़ा".....चंपा आदम के बगल में आके लेट गयी और अपने और आदम के उपर चादर ढक दिया....

."ह्म सो तो है"......आदम ने चंपा की चुचियो को हाथो में लेके मसल दिया....

चंपा : लगता है कुछ करना भूल गये?

आदम : चुचियाँ चुस्स नही पाया हाहहा

चंपा : तो लो अभी लो ये किस मर्ज़ की दवा है

चंपा ने आगे बढ़के अपने दोनो स्तन आदम के चेहरे पे लगभग दबा दिए....आदम दोनो चुचियो को बारी बारी से चूसने लगा एक का निपल चुस्के फिर दूसरे का निपल मुँह में भर लेता....दोनो चुचियो को हाथो से मसल्ते हुए चूसने के बाद आदम ने चंपा को अपने अलग कर दिया

चंपा : आजकल देख रही हूँ थरक की आग बहुत जल्दी लगती है और बुझती है आज मुठियाते वक़्त आपने अपनी माँ का नाम लिया?

आदम : उहह हान्ं वो ग़लती से

चंपा : जिसके साथ बिस्तर गरम करने में मज़ा आए उसका नाम तो ज़ुबान पे आ ही जाता है चाहे वो बहन हो या माँ

आदम ने कस्स्के चंपा का गला दबोच लिया "साली दोस्ती का फ़ायदा उठाती है क्या बक रही है तू"....आदम का स्वर बदला वो बुरी तरह शर्मिंदा हो गया था

चंपा : अर्रे आप तो नाराज़ हो गये ? (चंपा ने आदम के सख़्त हाथो को नर्मी से छुड़ाते हुए खींचा)

आदम ने गला छोड़ा.."आइ आम सॉरी पर ऐसी बात क्यूँ करती है?"........आदम ने झिझकते हुए कहा

चंपा : हो सकता है मेरी सुनने की भूल पर मैं जानती हूँ आप कही ना कही अपनी माँ से बहुत प्यार करते है

आदम : ये तो है पर इससे इन सब का क्या ताल्लुक ?

चंपा : नाम तो मेरा भी ले सकते थे क्यूंकी सबसे ज़्यादा मज़ा मैं ही आपको देती हूँ और यक़ीनन शायद मैं इकलौती औरत हूँ जो आपकी ज़िंदगी में है जिससे सहवात पूरी करने आप यहाँ आते हो क्यूंकी ना आपको मुझे पटाना पड़ता है ना शादी ब्याह का वादा करना जो और लड़कियो के लिए लड़के करके उनकी तब लेते है कोई शादी से पहले तो कोई शादी के बाद

आदम : तू सच कह रही है ना जाने क्यूँ? पर ये ग़लत है यार वो माँ है छी ये सब

चंपा : हम समझते है पर ये जिन्सी आदतें थोड़ी एक बार ज़ुबान पे जिसकी लज़्ज़त लग जाए तो बस उसी के नाम की मुठियाते है ज़रूरी नही की लोग हीरोइनो की नाम की या किसी जानने वाली की जो उन्हें अज़ीज़ लगे मूठ मारे....नाम और रिश्ता कोई सा भी हो सकता है

आदम : लेकिन चंपा देख मैं अपनी माँ को ऐसी नज़रों से नही देखता और उनको अगर मालूम पड़ा कि मैं यहाँ आता हूँ तो हमारा माँ बेटे का रिश्ता भी ना बचेगा

चंपा : ह्म (सिगरेट जलके चंपा ने दो कश लिए और एक कश आदम को लगाने दिया)

आदम : स्मोकिंग किल्स

चंपा : शाना साला (आदम हँसने लगा चंपा की बात को सुन चंपा उसके साथ नंगी चादर उसके और अपनी छातियो तक रखके सिगरेट का कश लेते हुए धुआ छोड़ रही थी)

अचानक आदम को खाँसी उठ गयी चंपा को लगा शायद धुआ बर्दाश्त नही हुआ होगा पर अचानक आदम कलेजा पकड़ के बैठ गया वो ज़ोरो की आहह भरने लगा
 

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चंपा : अर्रे क्या हुआ बाबू ठीक हो? बाबू (चंपा आदम के पीठ को सहलाते हुए कहती है)

आदम : हान्ं हां अब ठीक्क हूँ अफ

चंपा : ये कैसा दर्द उठा?

आदम : पता नही एक बार डॉक्टर को दिखा लेता हूँ हो सकता है शायद गॅस्ट्रिक प्राब्लम हो

चंपा : तुमको जितना जानती हूँ उसके हिसाब से ना तो तुम शराब पीते हो और ना कोई ड्रग्स लेते हो फिर ये दर्द कैसे? आजकल दिल की शिकायतें आती है मेरी काकी का एक कस्टमर ऐसे ही तो मरा खैर जाने दो तुम चाहो तो आराम कर सकते हो यहाँ

आदम : नही नही अब मुझे निकलना चाहिए रात बहुत हो गयी है

चंपा : पक्का

आदम : हां पक्का और ख्याल रखने का शुक्रिया

चंपा : चाहो तो आज की रात मुफ़्त की राइड मार सकते हो ?

आदम : फ्री राइड? तुम कब्से ऑफर देने लगी ?

चंपा : ऑफर नियमित समय तक ओल्ड यूज़र के लिए आज की रात तक वॅलिड

आदम का मन तो हुआ कि नही अब रुकना ठीक नही पर चंपा ने उसके सामने अपनी टाँगें चौड़ी कर ली?...साली थर्कि हो गयी थी या शायद आदम का मोटा लंड उसे पसंद आ गया था....जब औरत खुद ही ऑफर दे रही थी तो मर्द क्या कर सकता है?...उस रात आदम का जाना हुआ ही नही फ्री की राइड के चक्कर में उसने 2 बार और चंपा की चुदाई कर दी....इस बार उसने वीर्य चंपा के भीतर ही छोड़ दिया...

अगले दिन वो घर सुबह सुबह पहुचा फिर 2 घंटे की नींद ली...उठा नाश्ता किया....पर आज कसरत ना कर सका...नहा धोके सीधे क्लिनिक पहुचा

आदम के कुछ टेस्ट हुए....जिन रिपोर्ट्स को देखने के बाद डॉक्टर ने सबकुछ नॉर्मल करार दिया...."ह्म आदम सुनो तुम्हारे चेस्ट में गॅस्ट्रिक का पेन उठा था क्यूंकी तुम्हारा डाइजेस्टिव सिस्टम बहुत कमज़ोर हो गया है जैसा तुमने बताया कि तुमने 19 साल की उमर से लेके 21 तक सप्प्लिमेंट्स लिए जिनका लोंग कन्स्यूम करना तुम्हारे लिए महँगा पड़ा है यू हॅव यूज़्ड ओरल स्टेराइड्स समझते भी हो".........आदम ने कोई जवाब नही दिया शर्मिंदा था

डॉक्टर : बॉडी को नॅचुरली ग्रो करना चाहिए तुम्हें खैर ये तो आजकल के जेनरेशन का एक शौक है जो बाद में जाके उन्हें शॉक ही देता है जैसे हार्ट फेल्यूर,किड्नी डॅमेज,लिवर इन्फेक्षन,डिप्रेशन,हार्ट अटॅक और पूअर लिबीडो

आदम : खैर कर भी क्या सकता हूँ? जो अरमान था वो पूरा ना हो सका....रेसलिंग करने का बहुत शौक था लेकिन जिम के डमब्बेल हाथ में लेते ही गिर पड़ता खुद का मज़ाक बनते देख मैने ये रास्ता चुना हालाँकि मुझे इससे कोई ख़ास फरक ना पड़ा पर मुझमें थोड़ा बदलाव आ गया

डॉक्टर : देखो आदम बॉडी वोडी बनाने पे कम और अपने बीमारी को ठीक करने की कोशिश करो नो फ्राइड फुड्स जंक फुड्स आंड आल्कोहॉल आंड नोट ईवन एनी काइंड ऑफ ड्रग आइ आम पर्सनली रेकोंमेड इट टू यू

आदम : नो प्राब्लम सर अब तो ऐम ही कहाँ है? अगर ऐम होता तो इस छोटे शहर में क्या करता परिवार से दूर? खैर जाने दीजिए वैसे मेरे सेक्षुयल ड्राइव को तो कोई!

डॉक्टर : लकी पर्सन हो बच गये पर हेवी डोस और कंटिन्यू करते या आगे कोई भी दवाई लेने की सोच रखी है तो आइ विल से यस हो सकता है इंपोटएन्सी एरेक्टीले डिसफंकशन सो बेटर बी अवेर ये लिवर की टॉनिक है इसे सुबह शाम ले लेना आंड वादा करो नो डिज़ाइर टू पुट यू इन एनी डेंजर

आदम : वादा सर पक्का वादा (आदम के जैसे आँखो मे आँसू घुल गये थे)

घर आके वो कुछ देर सदमे में रहा फिर उसने सारे डमबेल और बारबेल सेट को बिस्तर के नीचे अच्छे से कारटन में फोल्ड करके रख दिया शायद अब कसरत करने की उसमें ताक़त बची नही थी...

लेकिन वक़्त के साथ साथ आदम फिर अपने रोज़ मरहा की ज़िंदगी में लौट गया....वोई काम वोई अकेलापन...लेकिन चंपा की वो बात वो माँ की एक फॅंटेसी की तरह आदम के ज़हन में घर कर गयी...बीमारी के चलते वो भूल सा गया था कि चंपा ने उससे क्या कह डाला था? खैर उससे ज़्यादा उसे अपनी बीमारी का स्ट्रेस हो गया था....

उसने माँ बाप को अपनी बीमारी के बारे में ज़रा सा भी मालूमत ना चलने दिया....अब उसे अहेसास हुआ था की चंपा ने उसके जल्दी झड जाने पे क्यूँ सवाल उठाया था? कही ना कही शायद उसकी बीमारी का दुष्प्रभाव था

रिकक्षे पे सवार आदम जल्द ही एक एरिया पहुचता है...रिक्शा रुकने के बाद वो अपनी कमर और गान्ड को सहलाते हुए गुस्से भरी निगाहो से रिक्शेवाले की तरफ देखता है....

आदम : साले मेन रोड से लाने को कहा था तेरे शॉर्टकट के चक्कर में गली गली के उबड़ खाबड़ पथरीली रास्तो पे चलके कमर में मोच आ गयी अगर हॅंडल ना पकड़ा होता रिक्शे के बीच बीच में उछलने से तो गिर ही जाता बाइ गॉड

रिक्शेवाला : अर्रे भैया पॅसेंजर तो आराम से आते है उस रास्ते से देखो मेन रोड पे जाम और ट्रॅफिक लगा रहता 2 घंटे के रास्ते को 20 मिनट का रास्ता बना दिया और बाकियो तो मज़े आते है इस रोड से आने में

आदम : क्यूंकी तेरे रिक्शे में गान्डु लोग ज़्यादा चढ़ते होंगे उन लोगो की तरह गन्दू समझ रखा है साला उछल उछल के पूरे रास्ते रिक्शे की सीट पे मेरी तो गान्ड दर्द से फॅट रही है

रिक्शेवाला चुप हो गया....उसने अपना किराया लिया और उल्टे रास्ते वापिस चला गया...आदम पूरे रास्ते खुद को कोस रहा था कि जब माँ ने मना किया था तो खामोखाः अपनी दूसरी मौसी से मिलने चला आया...लेकिन क्या करे बहनों की जंग एक तरफ और अपना अलग रिश्ता एक तरफ....आदम अपनी गान्ड को सहलाता हुआ जीन्स के उपर से ही ताहिरा मौसी के घर पहुचा....
 
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ताहिरा मौसी के बारे में थोड़ा बताता चलूं आपको...ताहिरा मौसी यानी की आदम की दूसरी वाली मौसी एक और मौसी जो है वो भी दिल्ली में रहती है....लेकिन उससे आदम को इतनी हमदर्दी नही कारण ताहिरा की बात जुदा है एक तो उनका सेक्सी बर्ताव और दूसरा उनसे खुल्लम खुल्ला कुछ भी बात करने में ज़रा सी भी शरम नही लगती...ताहिरा का पति पेशेवर जुआरी है ताहिरा के ससुराल में उसकी एक पागल सास है जो अक्सर बीमार रहती है दो ननद है जो टाउन से बाहर ब्याही गयी है आना जाना उनका कम है...बस घर में ताहिरा अपने पति और दो बेटों के साथ रहती है

कच्ची उमर की थी जब जुआरी अब्दुल मौसा से फॅस गयी...आदम के नाना ने उसे तभी से घर और खून दोनो से अलग कर दिया चूँकि उन्होने घरवालो को काफ़ी बेज़्ज़त करवाया था अपनी हरकतों से और नाना ने अपना सबकुछ बेटी की शादी में लगा दिया जिसको भी अब्दुल मौसा बेच खाए....लेकिन नाना की मौत के बाद मुफ़लिसी बढ़ी तो ताहिरा मौसी ने ही अपने मायके वालो को दिल्ली जाने का बंदोबस्त कराया था

हालाँकि आदम की माँ की अपनी बहन से हमेशा 36 का आकड़ा रहता था...दोनो अगर एक जगह बैठ जाए तो बातें बहस में और बहस झगड़े में और झगड़ा लड़ाई में तब्दील हो जाता था....लेकिन आदम को ताहिरा मौसी से काफ़ी लगाव था अपनी माँ के बाद वो ताहिरा मौसी को ही बेहद मानता था....क्यूंकी कुछ दिनो तक ताहिरा ने ही आदम को दूध पिलाया था....उस वक़्त आदम का बड़ा भाई पैदा हुआ था तो ताहिरा की चुचियो से खूब दूध बहता था....इसलिए अपने बेटे के साथ साथ उसने आदम को भी कुछ दिन तक उसके दिल्ली जाने से पहले दूध पिलाया था....ताहिरा का ममता का प्यार उसे खींच लाया था...ताहिरा आदम को नहला भी चुकी थी उसे नंगा भी देख चुकी थी और उसे काफ़ी पसंद भी करती थी...

मुझे दरवाजे पे दस्तक देनी की ज़रूरत नही पड़ी थी...क्यूंकी दुकान और टेलर शॉप के ठीक बगल में एक छोटी गली अंदर जा रही थी जिसके किनारे नाली बह रही थी उस छोटी गली के अंदर घुसते ही मेरी ताहिरा मौसी का घर शुरू हो जाता था मतलब उनका खुला आँगन किचन भी बाहर था....सुना था अभी संपत्ति का बँटवारा नही हुआ इसी लालसे में घर में उनके एकदुसरे से खटपट चलती रहती थी रिश्तेदारो में

आदम अभी आँगन में आया ही था...कि दाए ओर लोहे का दरवाजा खुला और अंदर के गुसलखाने से बाहर ताहिरा मौसी निकली...उन्होने लाल कलर की रेशम चमकदार नाइटी पहनी हुई थी....उनके बाल बिखरे हुए थे वो थोड़ी काली थी पर नैन नक्श तीखे थे...नाक में लौंग था और बाल बिखरे हुए....जानने में देरी ना लगी कि वो शायद मूत्के बाहर निकली थी....क्यूंकी गुसलखाने से पखाना जुड़ा हुआ था....सीडियो से उतरते ही एक बार को ताहिरा ठिठकि और आदम को देखते ही देखते वो उसके करीब जैसे दौड़ पड़ी

आदम : मौसी ओ मौसी
(आदम को झट से ताहिरा ने गले लगा लिया)

आदम को अपने सीने में कुछ चूबता महसूस हुआ ये उसकी ताहिरा मौसी के सख़्त निपल्स थे और उनकी छातिया नाइटी अंदर से ही आदम के सीने में जैसे दब सी गयी थी...दोनो कुछ देर तक एकदुसरे के गले मिले...जब आदम ने उसे अपने से अलग किया तो उनकी आँखे थोड़ी नम थी

ताहिरा मौसी : आज जाके तुझे मेरी याद आई

आदम : अर्रे तो इसमें रोना कैसा?

ताहिरा मौसी : हट मैं तुझसे बात नही करूँगी तू भी अपनी माँ की तरह मुझसे नफ़रत करता है एक ही शहर में रहता है और मुझसे मिलने की फ़ुर्सत नही ऐसा कौन सा काम करता है रे तू?

आदम : क्या करू तेरी बहन जो मेरी गान्ड के पीछे पड़ी रहती है? लेकिन अब फिकर नही अब हमारी मिलने में कोई बंदिश नही खैर जाने दे उसकी बात वो तो बेवकूफ़ है पर तू तो समझदार है ना अच्छा ये बताओ मौसी सब ठीक है....

ताहिरा मौसी : हां सब भलो....तू सुना अपना?

आदम : कुछ नही बस कल डॉक्टर से दवा लेके घर आया

ताहिरा मौसी : क्यूँ क्या हुआ?

आदम ने अपनी बीमारी के बारे में बताया...ताहिरा मौसी ने आदम को खूब डांटा की इतना सबकुछ हो गया तो कम से कम उसके पास ही खाने को चला आता...लेकिन आदम उनके घर की परिस्थिति जानता था....1 टाइम का खाना भी उनसे मुस्किल से जुटता था....बड़े भाई ने शादी तो कर ली थी पर अपनी थरक भुजाने के अलावा वो कुछ भी नही करता था....उसकी नौकरी छूट चुकी थी और वो पहले की तरह यहाँ वहाँ मारा मारा फिरता था
 
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आदम घर पे कौन मज़ूद है ये सब जानने लगा?....तो मालूम चला कि छोटा भाई अपनी बुआ के यहाँ गया है और बड़ा भाई उसका रात से पहले घर नही लौटने वाला...सुबह उसकी बीवी के साथ खूब झगड़ा हुआ है...

ताहिरा मौसी : अर्रे रुक तो तेरी भाभी से तुझे मिलाती हूँ अर्रे रूपाली बेटा रूपाल्लीी आए रूपाल्ली शायद तय्यार हो रही होंगी कंप्यूटर कोर्स करती है ना

आदम : वाहह भाई ने तो मॉडर्न भाभी लाई है घर

ताहिरा मौसी : बीवी का भड़वा है तेरा भाई तो अभी देखना सज धज के निकलेगी महारानी सुबह का जो नाश्ता भाई बस अब दो टाइम का खाना मुझे भी बनाना पड़ेगा

आदम हंस पड़ा इतने में...दरवाजे के खुलते ही अपने कमरे से रूपाली बाहर आई अफ मनमोहक सेंट की महेक उसकी सरीर से आ रही थी...रूपाली की उमर लगभग 24 थी रंग गोरा...आँख छोटे छोटे...हल्का मेकप कर रखा था लेकिन बनारसी साड़ी पहन रखी थी...अगर छाती पे पल्लू ना होता तो उसके चुचियो का साइज़ ब्लाउस के उपर से ही जायेज़ा ले लेता आदम.....रूपाली भी बड़े गौर से आदम को देख रही थी जैसे उसके सामने कोई राजकुमार खड़ा हो....5फ्ट 9 इंच का गोरा चिटा पतला दुबला स्मार्ट लड़का था जो कि टाउन के लड़को से कही हटके था स्टाइल में भी और सुंदरता में भी सालिहत से रहता था...आदम ने उसकी आँखो में अपने लिए कशिश देखते हुए मुस्कुराया और धीरे धीरे रूपाली भी मुस्कुरा पड़ी

बिना संकोच किए आदम ने हाथ आगे बढ़ाया और उसे ही कहा...ताहिरा को तो कोई ऐतराज़ था नही उसका इतना ध्यान भी नही था दोनो पे...रूपाली ने आगे बढ़के आदम का हाथ थाम लिया...नाज़ुक कोमल गोरे हाथो को अपने हाथो में लेके कुछ देर तक आदम हाथ थामे रहा फिर दोनो ने धीरे धीरे अपने अपने हाथ एक दूसरे से अलग किए..

रूपाली : माँ चाइ बनाई आपने?

ताहिरा : नही नही ये तो अभी आया तू जा लेट हो जाएगी मैं बना लूँगी खामोखा चाइ बनाएगी?

रूपाली : अर्रे नही नही माँ मैं बना देती हूँ ना इतने दूर से आया है आदम तुम बैठो आदम मैं आप लोगो के लिए चाइ बनाती हूँ (इतना कह कर रूपाली अपना पर्स उतारके रसोईघर में जाके खड़ी हो गयी चूल्हा बाहर था इसलिए चाइ भी वो बाहर ही बना रही थी)

आदम उसके मटकते चुतड़ों को साड़ी के बाहर से नोटीस कर रहा था....ह्म भरे भरे कूल्हें थे...उसके भाई की चाय्स तो नंबर एक ही होती है आय्याश नंबर वन था...ज़रूर रोज़ रात को घर लौटने के बाद उसकी ज़बरदस्त चुदाई तो करता ही होगा...लेकिन रूपाली के स्वाभाव से वो उसे घमंडी मगरूर नही लगी उसकी आवाज़ भी काफ़ी मधुर थी....इतने में कान में ताहिरा बैठी बैठी आदम के पास आके फुस्फुसाइ

ताहिरा : तूने क्या आके जादू कर दिया चाइ बनाने को चूल्हे के पास खड़ी हो गयी वरना इन्स्टिट्यूट जाने में लेट हो जाए तो घर सर पे जैसे उठा लेती है

आदम : हो सकता है पहली बार आया हूँ इसलिए शायद

ताहिरा ने कोई जवाब नही दिया..कुछ देर में चाइ की ट्रे लेके तीन प्याली चाइ उसने टेबल पे सजाई....अब तक जो पल्लू ढका था वो हल्का सा छाती से खिसका और लटक गया...अब रूपाली के चाइ के लिए झुकने से 1 हाथ दूर बैठे आदम की निगाह उसकी चुचियो के कटाव पे पड़ी गले में एक आर्टिफिशियल सोने की चैन झूल रही थी और उसके ठीक उसके नीचे दो संतरे जैसी भाभी की चुचियाँ ब्लाउस में क़ैद थी...अंदर काले रंग की ब्रा आदम को सॉफ दिख गयी....आदम की निगाह जैसे कटाव से रूपाली के चेहरे पे पड़ी दोनो की नज़रें मिली रूपाली उसे देखके मुस्कुरा के सीधी हो गयी उसने आदम के सामने ही अपना साया ठीक किया और आदम और ताहिरा से विदा लेके चली गयी

उसके जाते ही ताहिरा उसकी शिकायत करने लगी...लेकिन आदम ने सुनके भी अनसुना जैसे किया...अब घर में मौसी और भांजा दोनो अकेले थे....रूपाली की हैसियत थोड़ी ग़रीब सी हो गयी थी क्यूंकी उसके पास एक सोने की चैन भी नही थी...अय्याश तो था लेकिन बीवी की हसरतों को जैसे उसका भाई पूरा नही कर पा रहा था....रूपाली के बदन को सोचते ही आदम को महसूस हुआ कि उसका लंड अपनी औकात पे आ गया है...उसने पॅंट के उपर से ही अपना उभार दबोचा

ताहिरा : अब खाना खा के ही जाना

आदम : अच्छा मौसी लेकिन कोई आ तो नही जाएगा

ताहिरा : मौसा तो दोपहर को आएँगे अभी वक़्त ही क्या हुआ है सुबह 10 बजे है चल तेरे लिए नाश्ता बना देती हूँ बाप रे भाभी को तो नये नये देवर पे प्यार आ गया है चाइ नाश्ता के लिए पूछा आदम घर पे रहना आज हाहाहा (ताहिरा आदम को चिडाने लगी आदम हँसने लगा)!
 

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दोनो ने साथ में नाश्ता किया...और फिर कुछ देर बात करने लगे....बिशल यानी रूपाली के हज़्बेंड का रवैया शादी के बाद पहले जैसा हो गया था अब वो माँ के साथ साथ बीवी को भी गाली गलोच करने लगा था और घर में आए दिन कलेश करता रहता था...अब तो घर चलना मुस्किल सा हो गया है रूपाली नौकरी करती है तो कुछ पैसे वोई घर में लगाती है बाकी मौसा जी जुआ की दुकान से थोड़ा बहुत जो मिलता है उससे घर का खर्चा निकाल देते है अपना और अपनी बीवी का....फिर मौसी उसकी बीमारी को लेके बातचीत करने लगी

मौसी : ह्म तो तुझे मर्दाना कमज़ोरी सी लगती है तू भी ना खामोखाः अपनी ज़िद्द के आगे ऐसी गंदी दवाइयाँ यूज़ कर बैठा अब भुगत

आदम : जो हो गया सो हो गया मौसी अब तो आपके पास हूँ अब आप ही मेरे बीमारी का कोई घरेलू इलाज बता सकती है जिससे कोई प्राब्लम भी ना हो

मौसी : सुधिया काकी को आने दे उसके पति डेढ़ मास हो गया इंतेक़ाल को ओझा था उसके पास हर बीमारी का नुस्ख़ा और खासकरके मर्दो की बीमारी का उसी ने तो टोटके दिलाए वरना तेरे मौसा तो मुझे जुए में बेच ही खाते भागने तक की नौबत आ गयी थी जुए की ऐसी बुरी लत लगी उन्हें उपर से उनका वो काला सा गुंडा दोस्त उसने तो उस रात तो मेरी इज़्ज़त लूट ही ली थी ये तो भला हो कि उस रात घर जल्दी सुधिया काकी आ गयी थी वरना वो कमीना तो तेरी मौसी की इज़्ज़त लूट ही लेता

आदम : माइ गॉड इतना कुछ हो गया और आपने मुझे बताया तक नही

मौसी : बेटा तू आता ही कब है? जो मालूम चलेगा परिवार वाले तो मुझे लालची ख़ुदगार कमीनी ना जाने क्या क्या कहते है? मुझे उनकी परवाह नही पर अब आया है तो मुझसे दूर ना होना कही तू भी ना भूल जाना मुझे

आदम : ऐसा बिल्कुल नही होगा मौसी यक़ीनन सुधिया काकी तो बहुत कुछ जानती है जिसके टोटके इतने कारगर हो सकते है उसके पास तो मेरी बीमारी का भी इलाज होगा

मौसी : वो शाम को आ सकती है खैर तू तब तक मुँह हाथ धोके आराम कर आजा सबसे मिलके खाना वाना ख़ाके कल सुबह ही जाना

आदम : अर्रे पहले से छुट्टी कर रखी है धंधे में प्राब्लम हो जाएगा

मौसी : छुपकर अब आया है तो रहना पड़ेगा वरना तुझे खूब मारूँगी

आदम : हाहाहा चलो ठीक है अर्रे क्या हुआ (इतना में मौसी की कमर में जैसे लचक आ गयी वो कमर पकड़े दाँतों पे दाँत रखके बैठ गयी)

मौसी : हाए अल्लाह इस्शह लगता है कल का दर्द फिर बढ़ रहा है

आदम : क्या हुआ था मौसी?

मौसी : कल पैर फिसल गया गुसलखाने की सीडियो पे गिर पड़ी बच गयी वरना कमर की हड्डी टूट जाती और सर बाल्टी पे लग्के फॅट जाता किसी तरह बॅलेन्स बना लिया था..लेकिन हाए रे ये मोच का दर्द

आदम : एक काम करो मैं मालिश कर देता हूँ मुझे मालिश आती है

मौसी : नही नही तू क्यूँ तक़लीफ़ कर रहा है आने दे ना सुधिया काकी को

आदम : मौसी मुझसे हुज़्ज़त मत करो प्ल्ज़्ज़ आपको दर्द हो रहा है लाओ मैं मालिश कर दूं मुझे आती है

आदम की ज़िद्द के आगे मौसी ने हार मान ली...एक तो घर पे कोई नही उपर से दिल में हिम्मत सी पैदा हो गयी...मौसी की झिझक का मतलब आदम को समझ आया..उन्होने नाइटी के अंदर ब्रा या पैंटी कुछ भी नही पहना था...क्यूंकी रात को नशे में धुत्त जब मौसा घर लौटते थे तो उन्हें अपनी बीवी की चुदाई करने में मुस्किल नही चाहिए होती थी...इसलिए ताहिरा खुद ही अंदर कुछ नही पहनती थी और उपर से नाइटी डाल लेती थी...लेकिन कुछ दिनो से मौसा को नयी बीमारी डाइयबिटीस ने आ घैरा था जिससे उनका शुगर लेवेल बढ़ गया और वो एक ही चुदाई करने के बाद ठीक ढंग से मौसी को संतुष्ट भी ना कर पाते और कभी कभी तो बीच में ही कराह भरके कमज़ोरी से सो जाते...बेचारी ताहिरा अपनी उंगलियो से ही अपनी चूत की आग शांत कर लेती....एक शादी शुदा और एक जवान लड़के की माँ थी पर जिन्सी हसरत गयी नही थी जिस्म से

दो बच्चों के बाद ऑपरेशन करा लिया था....खैर आदम ने नारियल का तेल लिया और बिस्तर पे शीतलपाटी बिछा दी...उस पर मौसी लेट गयी..."बेटा तू रहने मैने अंदर कुछ पहना नही है खामोखा तुझे दिक्कत होगी".....मौसी ने आखरी प्रयास किया पर आदम ने बिना कुछ सोचे उन्हें पेट के बल लिटाया और उनकी पीठ की मालिश करने लगा

पीठ को नाइटी के उपर से ही मालिश करने से ताहिरा शांत सी हो गयी आँखे मूंद ली उसने...उसके खुले गले होने से नाइटी के कपड़े के भीतर दोनो हाथ तेल से सने ले जाते हुए नंगी पीठ को मलना शुरू किया वो खड़ा था...और लगभग घुटने मोड बिस्तर पे जैसे खड़ा था..उसका लिंग मारे उत्तेजना में तोप की तरह खड़ा हो गया...उसने बड़े ही धीरे धीरे और बड़ी मजबूती से पीठ दबानी शुरू की

ताहिरा : अहः उम्म्म अच्छे से कर हां अच्छा कर रहा है

आदम : तुम्हारा दर्द छू मंतर हो जाएगा मौसी

ताहिरा : तू ये सब कहाँ से सीखा?

आदम : एक लौंडा है थाइलॅंड का नेट पे दोस्ती है उसी से और पता है उसकी गर्लफ्रेंड क्या है? पोर्न्स्टार

ताहिरा : पोर्न्स्टार?

आदम : ह्म जो अश्लील फ़िल्मो में करवाती है

ताहिरा : छी छी ऐसी से मुहब्बत

आदम : मुहब्बत ना जात देखती है ना धरम ना रिश्ते देखती है ना उमर

ताहिरा : उम्म्म्म

आदम : उफ्फ आपके बीच के हिस्से में नस चढ़ि हुई है रुकिये इसे ठीक कर देता हूँ (आदम ने चोट को पकड़ लिया..उसने मौसी की वहाँ जो कि कूल्हें के लगभग करीब ही थी वहाँ मालिश करने के लिए अपना हाथ नाइटी के नीचे की तरफ से अचानक से डाल दिया पर उसी वक़्त उसे ज़ोर का झटका लगा दिल मुँह को आ गया और लिंग रह रहके तड़पने लगा बुरी तरह अकड़ गया पॅंट में)

मौसी ने पैंटी पहनी नही थी...और उनके नितंब के उपर से आदम अपना हाथ लोवर बॅक तक ले आया था..मौसी एक पल के लिए हड़बड़ाई...पर उसने ज़्यादा विरोध नही किया वो एकदम सख़्त हो गयी थी...आदम ने बिना कुछ सोचे समझे पीठ की मालिश शुरू कर दी धीरे धीरे दबाते हुए उसने धीरे धीरे नाइटी को उपर उठाना शुरू कर दिया...

उसने पहले झट से जाके कमरे का दरवाजा लगा लिया ना परवाह कि कोई आ भी सकता है? और दोनो को बंद कमरे में देखके बातें भी बन सकती है....आदम ने नाइटी को पूरा उठा दिया अब मौसी पीछे से पूरी नंगी थी उनके काले नितंब उठे हुए थे उनके पेट से लेके कमर चर्बिदार थी उसकी तोंद को मुट्ठी में लेके आदम ने दो तीन बार दबाया और पूरी पीठ को नितंबो तक मालिश करना शुरू किया
 
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मौसी : कौके बोलबी ना ? (मौसी ने अपनी तेज़ चलती साँसों पे काबू पाते हुए उसे हिदायत दी) किसी को कहेगा नही

आदम : चुपचाप मालिश के मज़े लो मौसी

मौसी : सस्स्सह उम्म्म्म

कुछ ही देर में मौसी को आराम मिलने लगा और उनका दर्द कहीं हद तक कम हो गया पंखा बंद था इसलिए दोनो पसीने पसीने हो रहे थे पूरी पीठ तेल और पसीने से भीग चुकी थी...आदम ने नाइटी वापिस ढकनी चाही पर उसके अंदर का सोया हुआ शैतान उसे इस बात की इज़ाज़त नही दे रहा था

उसने फ़ौरन अपनी पॅंट खोल दी और उसे सरकाते हुए एक ओर फ़ैक् दिया..बेखौफ़ होके उसने अपने कच्छे को टाँगों तक उतार दिया फिर धीरे धीरे ताहिरा के जिस्म पे झुकने लगा और उसने नितंबो के बीच अपना लिंग लाके रगड़ना शुरू कर दिया हाथ का नही बल्कि किसी लोहे का गरम चुभता डंडा जैसा महसूस करते ही ताहिरा की साँसें तेज़ हो गयी और उसकी आँखे लाल और बड़ी बड़ी हो गयी अब तक मालिश ने उसकी आग भड़का दी थी और अब उसका भांजा उस पर चढ़ने को था

ताहिरा : अर्रे पागॉल की कोर्चीस? पागल हो गया है तू क्या कर रहा है? (ताहिरा हड़बड़ा कर उठने को हुई पर आदम ने उसे पीठ से वापिस लेटा दिया)

ताहिरा : बाबा ये सब ठीक नही है मैं तेरी माँ की उमर की हूँ

आदम : सस्सह मौसी मैं ज़्यादा कुछ नही करूँगा बस मुझे ब अपने से दूर ना होने दे मैं तुझे चोदुन्गा नही बस उपर उपर से

ताहिरा : नही तू उठ मैं कह रही हूँ ना उठ तू पागल हो गया है क्या?

ताहिरा इतना कुछ कह ज़रूर रही थी पर अंदर ही अंदर उसकी भी लालसा जाग रही थी आख़िर वो एक थर्कि औरत थी...पर रिश्तो के दायरे में अब भी बंद थी उसे याद आया जब कमसिन उमर में आदम ने उसके सोते वक़्त उसकी नाभि और होंठो को चूमा था...उसका चुंबन फ्रेंच किस जैसा होने लगता तो ताहिरा उसे अपने से धकेल देती पर उसकी नादानी और शरारत समझके उसे मांफ कर देती पर आज आदम उसके बेहद करीब आ गया

आख़िरकार ताहिरा को उसके आगे घुटने टैकने परे...पर उसने मुँह से विरोध करना ना छोड़ा बोलती रही बोलती रही पर आदम उसकी गान्ड के बीच में अपना लिंग घिस्सने लगा..ताहिरा के मुँह से सिसकारिया निकलने को हो गयी....और उसने काफ़ी विरोध करने के बाद अपनी आँखे मूंद ली...आदम ने कुछ देर लिंग को घिस्सने के बाद गान्ड की फांकों को चौड़ा किया गान्ड का सिकुडा छेद और चिकनी बैंगनी चूत उसके सामने थी..उसकी सूजी चूत फूली हुई सी थी

उसने ताहिरा को पेट के बल लेटा दिया ताहिरा को ख्याल आया कि वो जैसे सम्मोहित बेजान भान्जे के साथ बिस्तर गरम कर रही थी....ताहिरा की नाइटी लगभग आदम ने उसके गले तक उठा दी....और उसकी भारी भारी 38 इंच की चुचियो को घूर्ने लगा जिसके काले मोटे निपल्स सख़्त थे....आदम ने थोड़ा तेल लिया और उसकी चुचियों पे मलने लगा....ताहिरा ने दो बार हाथ झटका पर तीसरी बार में वो सहन ना कर पाई...ताहिरा ने हाथ इर्द गिर्द फैला लिए आदम उसकी चुचियो की तेल से मालिश करने लगा

एक चुचि को दोनो हाथो से मालिश करना पड़ रहा था...छाती उपर नीचे हो रही थी ताहिरा का गला सुख चुका था....आदम ने काफ़ी देर तक वैसी मालिश की....अचानक दरवाजे पे दस्तक होने लगी "क्या रे ताहिरा ताहिरा माँ? दरवाजा तो खोल बंद क्यूँ कर रखा है सो रही है क्या अर्रे ताहिरा?"......आदम और ताहिरा मौसी सकपका गये

उसने जल्दी जल्दी अपनी नाइटी को ठीक किया और आदम को लगभग दाँत पे दाँत रखके बोली जल्दी से पॅंट पहनने को....आदम ने जल्दी से अपना कच्छा पहन लिया और पॅंट भी जैसे तैसे पहन ली नतीजन ज़िप और बटन लगाना भूल गया

ताहिरा ने खुद की साँसों पे काबू पाया..अभी जो कुछ होने जा रहा था वो आगे बढ़ भी सकता था...शायद चुदाई तक पहूचके ताहिरा आदम को रोक देती...पर उसी वक़्त ना जाने कौन आ मरी थी?
 
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