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Incest माँ को पाने की हसरत

Monster Dick

the black cock
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हेमा की बातों का आज अंजुम पे कुछ असर पड़ा था...इतने में हेमा ने बताया कि उसके पति सरदार ने एक मस्त फिल्म लाकर दी है काफ़ी ज़िद्द के बाद हेमा ने अंजुम के सामने ही एक मस्त बीएफ लगा दी...अंजुम हड़बड़ा के उठके जाने लगी तो हेमा ने उसे बिठा दिया और उसे दिखाने लगी कि एक कम उमर के तीन लड़के एक भारी भरकम गोरी अँग्रेज़ औरत को तीनो जगहो से चोद रहे थे....अंजुम के दिमाग़ में वैसे ही चुदाई के सीन कुछ देर पहले घूमे हुए थे और आज इतने सालो बाद वो एक ब्लूफिल्म देख रही थी....फिल्म में तीनो लौन्डो ने काफ़ी रापचिक चुदाई की उस औरत की और उसके मुख गान्ड और चूत के छेदों को वीर्य से भर दिया...अब तो अंजुम की हालात खराब होने लगी....हेमा हँसने लगी पर अंजुम की सही में हालत खराब हो गयी

अंजुम झटपट वहाँ से घर आई....और जब उसने अपने कपड़े बदलने के लिए उतारे तो उसकी पैंटी गीली थी उफ्फ आज इतने सालो बाद अंजुम को सेक्स के मारें पानी छोड़ना पड़ा था उसकी चूत से लेके जांघों तक रस लग गया था...उमर 38 बरस थी अंजुम की उसे यकीन नही हो रहा था कि आज वो खुद पे काबू ना कर सकी...उसने अपनी गीली पैंटी को एक बार नाक तक लाया तो उसे अज़ीब सी गंध फील हुई...बेहद अज़ीब सी...अंजुम को अपने सख़्त निपल महसूस हुए उसने एक बार अपनी दोनो चुचियों को ब्रा खोल कर देखा जो चुभ रहे थे....उसकी साँसें तेज़ चल रही थी....

अगले दिन अंजुम लेडी डॉक्टर के पास गयी जिसने उसकी पूरी हालत को समझा...उसने अंजुम को बताया कि गंदी फिल्में देखने से और सेक्स महसूस करने से वो झड गयी थी...अगर उसने इसके लिए कोई गोली खाई तो उसे दूसरी प्राब्लम हो जाएगी इसलिए लेडी डॉक्टर ने अंजुम को अपने पति के साथ संबंध बनाने के लिए कहा...पर अंजुम ने इसके लिए नामंज़ूरी की..उसने अपनी दुविधा बताई कि उसका पति उसके बदन को देखते ही छूट जाता था इस वजह से उसकी आग ठंडी नही हो पाती और उसे पेट में दर्द उठ जाता है लेकिन लेडी डॉक्टर ने सॉफ कह दिया कि उन्हें संबंध तो बनाना ज़रूरी है वरना सेक्स ना करने से भी उसे कयि बीमारियो का सामना करना पड़ सकता है...अंजुम आख़िरकार बिना कुछ कहें डॉक्टर से कन्सल्ट होके वापिस घर पहुचि....सोच की गंभीरता से अंजुम लगभग आदम को लिए टेन्षन के बारे में भूल गयी...
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आदम सप्लाइ ऑफीस में मौज़ूद काम में फँसा पड़ा था...इतने में उसे सप्लाइ लेके मानिकचर जाने के लिए मालिक ने कहा...आदम ट्रक के साथ मानिकचर के लिए निकल पड़ा....वहाँ से काम निपटाते निपटाते दोपहर ढल गयी....शाम को वो वापिस हाइवे रोड के जाम से झुझता थका हारा घर लौटा...वो अभी बातरूम की तरफ जा रहा था कि इतने में मकान मालिक को दरवाजे पे खड़ा पाया...आदम उनके पास आया तो मकान मालिक ने बताया कि सुबह दो औरतें आई थी एक खुद को उसकी मौसी बता रही थी और दूसरी कोई कामवाली जैसी औरत थी...आदम सुनके मुस्कुराया और वापिस कमरे में लौटा

उसने ताहिरा मौसी को फोन लगाया....मौसी ने तुरंत फोन उठा लिया...."क्या रे? मुझे लगा तू दोपहर को तो खाना खाने घर आता है? पर तब भी ताला लगा देखा? तेरा मकान मालिक पूछताछ करने लगा हमे देखकर"..........ताहिराम मौसी ने ब्यान किया

आदम : अर्रे हां वो दरअसल क्या करूँ काम में फस गया था मौसी

ताहिरा : अच्छा छोड़ भूक वूक लगी है साथ में कुछ लाउ (आदम की आँख चमकी यानी ताहिरा मौसी अभी आना चाह रही है उसने हामी भर दी साथ में सुधिया काकी को भी लाने को कहा)

ताहिरा : अर्रे तू उस बुढ़िया में इंट्रेस्टेड है क्या? वो तो सुबह से मेरे कान में बस तेरे लिंग की चर्चा कर रही थी

आदम : हाहाहा अर्रे मासी मेहनत तो उसकी भी है ले आओ उन्हें भी क्या फरक पड़ता है?

ताहिरा : ठीक है पर वक़्त लगेगा

आदम : अच्छा ठीक है

आदम ने फोन रखा और बिना बाथरूम गये दीवार से सटे वॉशबेसिन से अपना चेहरा और मुँह हाथ धो लिया....फिर अपने कपड़े उतारे और अपने कमर तक एक लूँगी बाँध ली...वो नीचे से पूरा नंगा था दोनो औरतों की चुदाई के बारे में सोच सोचके उसका खड़ा हो रहा था...उसने सोचा क्या नहाना पहले चुदाई हो जाए उसके बाद ही नहा लूँगा...वो बैठके टीवी देखने लगा करीब 1 घंटा हो गया...

ताहिरा मौसी सुधिया काकी के साथ दरवाजे पे प्रस्तुत होते ही....आदम ने तुरंत उठके टीवी बंद किया और दरवाजे की कुण्डी खोली...दोनो को देख वो मुस्कुराया

आदम : आओ आओ काकी आप लोग अंदर आओ

सुधिया : ताहिरा बताई कि तूने मुझे भी बुलवाया है क्या बात है बेटा? हम बूढ़ी औरतों का भी तुझे ख्याल है

आदम : सुधिया काकी आप लोगो के बदौलत तो मेरा लिंग 8 इंच लंबा और 4 इंच मोटा हुआ है

सुधिया : तो क्या आज भी मालिश करनी है?

आदम : मालिश का सेशन अब ख़तम काकी जी अब आप लोग की मालिश मैं करूँगा

ताहिरा : देखा सुधिया काकी कैसे बेशरमो की तरह हम जैसी बूढ़ी औरतों को लाइन मार रहा है यहाँ कि पूरी हवा लग गयी इसको (ताहिरा ने सुधिया काकी को आँख मारते हुए कहा)

सुधिया : हां हां वो तो दिख ही रहा है ताहिरा देख ना कैसे इसके लूँगी में तांडव कर रहा है अंदर देख देख लूँगी से उठ गया है कमीना (इतना कह कर सुधिया काकी ने लूँगी के उपर से ही मेरा लिंग दबोच लिया)
 

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ताहिरा मौसी ने सूट पहना हुआ था जिसके दुपट्टे को उसने एक झटके में उतार दिया....तो दूसरी ओर सुधिया काकी आज भी वोई मैली साड़ी में थी उसने मेरे लिंग को बड़े कस के लूँगी के उपर से ही मलना शुरू कर दिया...उसकी आँखो में हवस सॉफ दिख रही थी....पर उस जैसी मैली कुचेली बूढ़ी कामवाली बाई से ज़्यादा मुझे अपनी मौसी को देखके सेक्स चढ़ रहा था...

सुधिया झुक गयी और उसने अपनी पीले रंग की साड़ी का पल्लू उतार दिया..मैं उसके ब्लाउस के उपर से ही छातियो को दबा रहा था....बीच बीच में उसकी आरिटेफिकल सोने की चैन मेरे हाथो में फस रही थी जो उसने गले में लटकाई हुई थी....ताहिरा मौसी तब तक ब्रा और पैंटी में आ गयी थी उसका बदन कहेर ढा रहा था

उसने आगे बढ़के नीचे से मेरे अंडकोष और गान्ड को सहलाना शुरू कर दिया..मारे उत्तेजना के मेरा लिंग सुधिया काकी के मुट्ठी में दबने से और भी फूलने लगा....सुधिया काकी ने झट से मेरी लूँगी उतार डाली जो मेरे पाओ में फँस के रह गयी...फिर उन्होने मेरे लंड को काफ़ी ज़ोर से दबाया और उसे आगे पीछे हिलाने लगी....उसकी साथ मुट्ठी में कसे मेरे लंड के इर्द गिर्द नस जैसे चढ़ सी गयी...

सुधिया काकी ने झट से मेरे लिंग को अपने मुँह में डाला और बड़े चाव से उसे चूसने लगी...उसकी आँखे गोल गोल बड़ी हो गई और वो चूस्ते मेरी तरफ देखने लगी बीच बीच में वो मेरे अंडकोष के साथ अपने हाथो से खेलने लगती...फिर अपने मुँह के भीतर तक लिंग को निगल सी लेती...मैं सुधिया काकी का सर पकड़े धक्के लगाने लगा मेरे कूल्हें आगे पीछे हो रहे थे..

अओउू अओउू अओउुउउ....सुधिया काकी के मुँह से ऐसी आवाज़ें आ रही थी....और उनकी आँखो से अब आँसू गिरने लगे...मैने सुधिया काकी के मुँह से लंड बाहर नही निकाला बल्कि और हलक तक डालने लगा....सुधिया काकी का दम घूँट गया...वो मेरे लंड को बाहर धकेलना चाह रही थी पर साली को मैं जबरन चुसवाने लगा....फिर एकदम से हलाक तक ले जाके उसके सर को पकड़ लिया और रुका रहा..उसकी आँखे बाहर को आ गयी जो एकदम गुलाबी हो चुकी थी..काफ़ी देर तक मैं वैसी मुद्रा में रहा और ठीक उसके बाद फटाक से उसके मुँह से लंड बाहर खींचा..वो हान्फ्ते हुए ख़ासने लगी जैसे बिना साँस लेने में उसे कितनी तक़लीफ़ हुई हो...

उसने अपने मुँह को पोन्छा मेरे पूरे लिंग पे उसके मुँह का थूक लगा हुआ था....मैने टिश्यू पेपर से लिंग को सॉफ किया और फिर सुधिया काकी को चूसने को कहा..

."वाह रे ताहिरा आज तो तेरा भांजा पूरा तय्यारी के साथ है देख तो इसका हथ्यार भी कैसे फूँकार मार रहा है".....ताहिरा मौसी पास खड़ी देख रही थी जिसके सामने उसका भांजा एक 62 साल की औरत को अपना लिंग चुस्वा रहा था..

सुधिया काकी ने गॅप से मुँह में लंड लिया और और उसे आगे पीछे चूसने लगी...वो बड़े धीमे से चुस्स रही थी उसके मुख मैथुन की गति बढ़ी अब लिंग उसके मुँह की गरमी को महसूस कर सकता था...सुधिया काकी का पूरा मुँह लाल हो गया था वो हांपते हुए मेरे लंड को मुँह से निकालते हुए उस पर लगे थूक को चाट रही थी...फिर वो वहीं ज़मीन पे टाँगें दोनो तरफ फैलाए लेट गयी

सुधिया : चल बेटा अब इन 3 महीनो से जो मालिश तेरे लिंग की की है उसे आज़मा और इस बुर की आग शांत शांत कर

आदम : अवश्य काकी हाहाहा (मैं हस्ता हुआ अपना मोटा अजगर जैसा फनफनाता खड़ा मोटा लिंग उसकी चूत के बीचो बीच रगड़ने लगा उसकी चूत का छेद काफ़ी चौड़ा था ना जाने कितने मर्दो ने उसमें अपना लिंग घुसाया होगा)

या जवानी से ही साली चुद रही होंगी....ताहिरा मौसी मुझे सिखा रही थी मानो जैसे ये मेरी पहली चुदाई हो....उसे अच्छा तो नही लग रहा था पर क्या करें?...अचानक मैने ताहिरा मौसी को मुझे रोकते पाया

ताहिरा : अर्रे कुत्ता अपने लंड पे निरोधक तो चढ़ा या ऐसे ही चुदाई करेगा (मैं रुक गया ताहिरा मौसी ने मेरे लिंग को फिर आगे पीछे हिलाके उसे डाउन होने नही दिया)

वो लगभग टेढ़ा होके झूल रहा था...मुझे नही मालूम था कि ताहिरा मौसी ने कॉंडम के पॅकेट्स लाए हुए थे जो उन्होने पर्स से एक निकाला और उसे फाड़ कर पॅकेट से...एक को मेरे लिंग पे चढ़ाया...उनके मुँह से निकली गाली और उनके हाथो की मेरे लिंग पे उंगलिया टच होते ही मेरी नस्सों में जैसे खून दौड़ने लगा...और मेरा एकदम तोप की तरह उन्हें सलामी देने लगा...वो उसे मुट्ठी में पकड़ी और मुस्कुराइ "रुक जा शैतान"..उन्होने मेरे लंड को पूचकारा और उस पर कॉंडम चढ़ा दिया "अब चोद इस भोसड़ी मारनी को"......मैं उत्तेजना में घुटनो के बल बैठा और सीधा लिंग सुधिया काकी की गीली भोसड़ी में रगड़ता हुआ आधा इंच सरका दिया...उसकी फटी चूत थी...लंड दो ही करारे धक्को में अंदर प्रवेश कर गया...

मुझे उसकी गरम भट्टी जैसी चूत की गर्मी महसूस हुई....मैं सतसट धक्के पेलने लगा..."और ज़ोरर से ओह्ह आअहह और ज़ोरर से ओह्ह हाहह"......अंडकोष उसकी योनि के इर्दगिर्द टकराते हुए ताली जैसी आवाज़ निकाल रहे थे...ठप्प ठप्प ठप्प

सुधिया काकी की मस्त चुदाई मेरे लिंग से हो रही थी....मैने और कस्के दम लगाया और सुधिया की भोसड़ी को चीर दिया...वो ज़ोर से चिहुकी "आहह आहह ओह्ह्ह आहह उफ़फ्फ़"......सुधिया दम साध के जैसे दर्द को पी रही थी....मुझे सॉफ महसूस हुआ उस चुदक्कड औरत ने कभी इतना बड़ा लंड नही लिया शायद उसका बेटे का भी मेरे जितना ही था जो रोज़ रात को घर आने के बाद उसकी पलंग में चुदाई करता है...

बीच बीच में ताहिरा मौसी मेरे उपर नीचे होते कुल्हों पे अपनी पकड़ हाथो से किए हुए थी उस पर अपने नाख़ून गढ़ाके और भी मेरे कुल्हों को नीचे धकेल रही थी जिससे मेरा लिंग सुधिया काकी की भोसड़ी में अंदर जड़ तक चला जाए....सुधिया हर धक्के के बाद मोन कर पाती...उसकी आहें इतनी तेज़ हो गयी कि ताहिरा मौसी को उसका मुँह पे हाथ रखने को मैने कहा

ताहिरा ने बेदर्दी से उनका मुँह बंद कर दिया...मैं चुदाई लगातार करता रहा ना जाने कितने वक़्त बाद मैने सुधिया काकी के भोस्डे से अपना लिंग बाहर खींचा होगा क्यूंकी हर धक्को में सुधिया काकी बड़ी चीखी थी पर उनकी आवाज़ ताहिरा मौसी के सख़्त हाथो के होंठो पे होने से मुँह में ही दब गयी थी जब खड़ा होके उठा तो देखा सुधिया काकी झड चुकी थी साला पूरा फर्श उसके फवारे सा निकली बूँदों से गीला था....!
 

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ताहिरा ने बेदर्दी से उनका मुँह बंद कर दिया...मैं चुदाई लगातार करता रहा ना जाने कितने वक़्त बाद मैने सुधिया काकी के भोस्डे से अपना लिंग बाहर खींचा होगा क्यूंकी हर धक्को में सुधिया काकी बड़ी चीखी थी पर उनकी आवाज़ ताहिरा मौसी के सख़्त हाथो के होंठो पे होने से मुँह में ही दब गयी थी जब खड़ा होके उठा तो देखा सुधिया काकी झड चुकी थी साला पूरा फर्श उसके फवारे सा निकली बूँदों से गीला था....

मैने ताहिरा मौसी को स्मूच करना शुरू कर दिया....अब सुधिया लेटी लेटी अपनी चुचियो को दबाते हुए अपना वक़्त आराम के लिए ले रही थी...मौसी भान्जे के प्यारे रोमॅन्स को देख रही थी....मैने ताहिरा मौसी के दोनो होंठो को बेदर्दी से चूसा और फिर उन्हें पलंग पे धकेल दिया वो टाँगें फैलाए रही

मुझे आज उनकी टाँगों के बीच झान्टे नही दिखी....पूछने पे उन्होने बताया सुबह ही बेटे का एक रेज़र चुराके उससे सॉफ कर ली थी....मैं मुस्कुराया ....और उसकी चिकनी साँवली बैगनी चूत पे अपना मुँह रखा....उसे गहराई तक चुस्सने लगा...उसकी गंध नथुनो में लगते ही जैसे मैं होशो हवास खो बैठा....अब तक सुधिया काकी उठके गुसलखाने मे शायद फ्रेश होने चली गयी थी...और हम इधर मौसी भान्जे मज़े ले रहे थे एकदुसरे से

मैं मौसी की चूत को बड़े प्यार से चाट रहा था उसकी फांकों में जीब कुरेद रहा था बीच बीच में उनकी सूजी डबल रोटी जैसी चूत के होंठो को हटा कर छेद पे अपनी जीब चलाने लगा...जिस छेद से मेरे दोनो बड़े भाई कभी निकले होंगे...मैं अब अपने मौसा के बाद उस छेद में अपना लंड घुसा रहा था उस रात गुसलखाने वाला वक़्त याद आ गया...मैने फफ़टाफट चूत में उंगली करना तेज़ कर दिया...उंगली करते ही मौसी काँप उठी

ताहिरा : ओह्ह्ह ओह उम्म्म्मम आहह (ताहिरा मौसी काँपी और उसने पानी छोड़ दिया वो झड चुकी थी पर मैं उसे बदहवास कर देना चाहता था)

मैने उंगली लगातार तेज़ी से बरक़रार रखी...सुधिया काकी आके मुझे प्रोत्साहन करने लगी "हां बेटा और ज़ोर से बस ऐसे ही हां फाड़ डाल हाए रे काफ़ी तडपी है यह बेटा दूध पिलाया है इसने तुझे अब तू भी इसको अपना दूध देके शांत कर अपने लिंग का दूध डाल अपना बीज इसकी योनि में और इसे हरी कर दे...बना ले इसे अपनी सुहागन पूरी कर डाल इसकी तम्माना".....इस बीच मौसी ज़ोर से चीखी फ़ौरन उसकी चूत से तीन उंगली बाहर निकाल ली वो खुद ही अपने क्लाइटॉरिस को रगड़ने लगी और चूत के दाने को रगड़ते ही उसने पानी छोड़ दिया फिरसे

वो शिथिल पड़ गयी....उसकी टाँगें काँप उठी...मैने ताहिरा मौसी की दोनो टाँगें अपने कंधो पे रखी और उसकी योनि में अपना लंड सटाया...."वाहह शब्बाससह".......सुधिया ने मेरे अंडकोष को सहलाते हुए कहा

मैने हल्के से सुपाडा अंदर सरकाया...फिर मौसी की टाँगें जो मेरे कंधो पे थी उसे उनके सर के इर्द गिर्द तक छुआ दिया...अब मौसी मेरे नीचे दबी पड़ी थी वो चिहुक रही थी..."उहह उहह ओह्ह्ह आहह".........मैने कस्स्के एक धक्का मारा फिर दूसरा लंड करीब पूरा जड़ तक बैठ गया था

ताहिरा मौसी : ओह्ह्ह काकीयीई दर्द हो रहा हाईईइ ओह्ह्ह इसका बहुत मोटा हो और लंबा हो गया इतना तक तो इसके मौसा का भी नही घुसा था

सुधिया : अर्रे कमीनी 20 साल से सिर्फ़ अपने मर्द का जो लिया है बस कुछ और पल उसके बाद तुझे दर्द में मीठा मीठा मज़ा आने लगेगा मेरी चुदाई की इसने देख अभी तक पानी बहा रही है अर्रे हरामजादी कुछ तो काबू रख खुद पर चीखें सुनके कही मकान मालिक ना आ जाए ऐसे दम साध मत वरना सांस उखड़ जाएगी तेरी

सुधिया काकी ताहिरा मौसी के माथे पे लगे पसीने को पोंछ रही थी और उसे शांत कर रही थी..मैं अब तक रुका हुआ था मैने फिर एक करारा शॉट मारा इस धक्के के पश्चात उनकी चुचियो को दोनो हाथो से खूब मसल मसलके लाल कर दिया....ताहिरा मौसी को फिर दर्द शुरू होने लगा....

मैं अब तक ये भूल गया कि वो मेरी मौसी है...वो एक औरत थी मेरे लिए और मैं उसके लिए महेज़ एक पराया मर्द....मैं उसे ताबड़तोड़ चोदने लगा लंड स्पीड में आ गया...अंदर बाहर होने लगा...वो दाँतों पे दाँत रखके माँ माँ करके चिल्ला रही थी....करीब 20 धक्को के बाद मैं रुका और उसके होंठो को चुस्सने लगा....मौसी ने मेरे गले में अपने हाथ फँसा लिए और मुझे प्यार से किस करने लगी....मौसी को मज़ा मिलते देख मैने फिर करारे धक्के लगाने शुरू किए

आदम : ओह्ह्ह मौसी मौसी ओह्ह्ह आहह बहुत अच्छे से देख तेरी चूत ने मेरा पूरा लंड ले लिया तू तो अब भी किसी कच्ची कली की तरह है वाहह काशह तू मेरी माँ होती तो मैं रोज़ रात बाबा के जाने के बाद तुझे चोदता तुझे कभी खुद से दूर नही करता

मौसी : हाए रे कमीने कुछ तो शरम कर आज मेरे दूध का वास्ता खूब दबा के चोद मुझे दिखा कि तू कितना बड़ा मर्द है? चोद उसको जिसे तू दुधमा कहता है चोद रे कमीने आज अंजुम नही मैं तेरी माँ हूँ फाढ़ डाल बुझा दे मदारचोड़ आहह

मौसी और मैं बदहवासी में ये सबकुछ भूल गये रिश्ते नाते नाम एकदुसरे को गंदी से गंदी बातें बोलके सेक्स कर रहे थे और इसके बीच में सुधिया काकी मज़ा ले रही थी....कुछ देर बाद मैं मौसी के ऊपर से उठ खड़ा हुआ

फिर उसे पेट के बल लेटा दिया...नीचे कुतिया बनके पलंग से सटके सुधिया काकी भी अपनी मोटी काली गान्ड मेरे सामने प्रस्तुत कर चुकी थी.....मैने उसके गान्ड के छेद में लंड पूरा का पूरा घुसा दिया..कॉंडम लूब्रिकेटेड था...इसलिए वो सरर से अंदर धंसता चला गया पूरा बदन सुधिया काकी का काँप गया...

"ओह्ह्ह्ह निकाल ले"......पर उसने गान्ड सिकोड ली थी...मैने उसकी गान्ड पे चपात मारी..."अर्रे काकी ढीला छोड़ो अपनी गान्ड को"........काकी ने गान्ड की पकड़ ढीली की तो उसके सिकुडे खुलते छेद से फटक मेरा लंड बाहर आ गया...उसकी गान्ड को फैलाते हुए मैने उसमें ढेर सारा थूक डाला....और उसमें एक अंगुली डाली..वो इतनी चौड़ी थी कि पूरा हाथ घुसा दूं ये करामात मेरे लिंग की थी
 

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मैने पलंग पे उपर पेट के बल लेटी ताहिरा मौसी को पलंग के किनारें कुतिया बना लिया और सुधिया की गान्ड से निकाला मेरा लिंग ठीक उसकी गान्ड की छेद में घुसाने लगा.....पहले तो गाय की तरह ताहिरा मौसी चीखी फिर उसने पकड़ ढीली छोड़ी गान्ड ने मेरे लिंग को आहिस्ते आहिस्ते अंदर लिया जब देखा कि लिंग पूरा अंदर नही घुस रहा तो वापिस बाहर खींचा और सुधिया की गान्ड में घुसा दिया दोनो औरतों को बारी बारी से मैं इसी मुद्रा में चोदता गया...

जिसकी गान्ड के भीतर लंड पेलता वो औरत दहाड़ उठती....ऐसा करते करते ताहिरा मौसी की गान्ड पूरी खुल गयी बार लिंग को घुसाने फिर वापिस झट से अंदर डालने से....अब उनकी गान्ड के भीतर तक मैं अपना लंड घुसा सकता था...अब धक्का पेलना शुरू किया और थपाथप ताहिरा मौसी की गान्ड चोदने लगा....

सुधिया काकी को अपनी गान्ड चुदाई के लिए तोड़ा इन्तिजार करना पड़ा क्यूंकी ताहिरा से निपटा नही था.....कुछ देर बाद सुधिया काकी की गान्ड की बारी आई और उसे भी चौड़ा करते हुए मेरा लिंग पूरा मज़ा दे रहा था...उसे तो बेदर्द धक्के मारें...उसकी गान्ड का पूरा मुरब्बा बना दिया साली की 39 के नितंब कैसे बाउन्स हो रहे थे जिनको हाथो से मसल्ते हुए मैं चोद रहा था...

साली बुढ़िया थक के जब चूर होके निढाल पर गयी तब मैं बिस्तर पे चढ़ा और ताहिरा की गान्ड मारने लगा....ताहिरा मौसी प्यार से चुदवा रही थी उसके बालों को पकड़के मैं धक्के पेल रहा था....जब स्खलन का वक़्त नज़दीक आ गया तो मैने दोनो औरतों को उठाया

दोनो के चेहरे को आपस में सटा दिया और अपना लंड उनके मुँह के उपर ही रगड़ने लगा दोनो बारी बारी से मेरा लिंग निरोधक हटा कर चुस्सने लगी....ताहिरा मौसी सेक्स में इतनी मशगूल हो गयी कि कामवाली के मुँह से निकला लंड वो अपने मुँह में लेके चुस्स रही थी...फिर सुधिया काकी ने अपने मुँह में लंड लेके चुस्सना जारी रखा फिर ताहिरा मौसी ने लपक के अपने मुँह में लेके उसे बड़े प्यार से चूमते हुए चूसा....लगभग दो रंडियो की एक साथ चुदाई की थी मैने...

सुधिया : बेटा मुँह में झड जा बार बार ताहिरा की चूत और गान्ड में डालेगा तो उसे बीमारी हो जाएगी वैसे भी उसका ऑपरेशन हुआ है ना या तो मेरे अंदर फारिग हो ले

आदम : नही काकी आप लोग मेरी मुट्ठी मारके निकलवा लो

ताहिरा और सुधिया ने बड़े बेदर्दी से मुट्ठी मारनी मेरे लंड की शुरू की अपने हाथो से उसके कुछ ही पल में मैं झरने लगा....और दोनो के मुँह में ही झड गया दोनो ने मेरे गाढ़े वीर्य को चख लिया और तब जाके शांत हुई

ताहिरा : म्म्म्मम वाक़ई काकी इसका वीर्य तो कितना चिपचिपा और गाढ़ा हो गया है किसी औरत के अंदर 2 दिन ही डाले तो उसे गर्भ ठहर जाए

सुधिया : देखा वैद्य जी ने इसके लंड को पूरा फौलाद बना दिया देख तो इसके अंडकोष कैसे अमरूद की तरह लटक रहे है

हम तीनो हँसने लगे दोनो औरतों ने अपना चेहरा सॉफ किया....सुधिया काकी कपड़े पहन्के चली गयी....ताहिरा मौसी को रोक लिया पर उसका पति घर आके कालेश मचा रहा था इसलिए उसे रात गये घर जाने देना पड़ा वरना पूरी रात उसे चोदता....सुबह जब कॉल किया उसकी हालत जानने को तो मौसी को दिन में दर्द उठने लगा था उसकी पहली बार इतने मोटे लंबे लिंग से भीषण चुदाई जो हुई थी उसने गरम पानी में कपड़े डालके अपनी सूजी चूत को सैका था पूरी रात

इसके बाद मेरा कॉन्फिडेन्स लेवेल काफ़ी हद्तक बढ़ गया और मुझमें आतमविश्वास जाग गया कि अब मैं किसी की भी चूत और गान्ड आसानी से घंटो तक चुदाई करके फाड़ सकता हूँ....लेकिन थरक की आग कहाँ भुजती है एक से ख़तम होती है दूसरी पे शुरू हो जाती है...मेरा भी वोई हाल था....और इस बीच मेरे ज़हन में फिर रूपाली भाभी की सोच उमड़ आई

सवेरे सवेरे माँ के कॉल ने नींद तोड़ी….मैं अपनी आँखो को मसल्ते हुए फोन पे आया कॉलिंग नेम को देखते हुए उठ बैठा..और एक हापी छोड़ता हुआ कान में फोन लगा लिया

आदम : हेलो ?

अंजुम : हां बेटा कैसा है? (पिछले हफ्ते की तरह माँ आज गुस्सा नही थी जब हमारे बीच उस वक़्त झगड़ा हुआ था)

आदम : ठीक हूँ तुम कैसी हो?

अंजुम : तेरे जाने के बाद कैसे ठीक रह सकती हूँ (आदम हापी छोड़ने लगा जैसे उसे अपने माँ की फीलिंग्स में कोई इंटेरेस्ट ना हो पर वो सुनें जा रहा था)

आदम : ह्म नही मैं भी सोकर उठा हूँ

अंजुम : इतनी दोपहर में

आदम : हां वो कल रात सप्लाइ ऑफीस के काम से सप्लाइ देने टाउन से थोड़ा आउट जाना पड़ा था सो (कैसे कहता बेटा अपनी माँ से कि पूरी शाम तो सुधिया काकी और ताहिरा की चूत मारी फिर रात को 1 बजे तक तो चुदाई का कार्यक्रम निपटा वो तब सो पाया था उपर से ताहिरा काकी को आधे रास्ते छोड़ने भी देर रात गये मौसा के चक्कर में जाना पड़ा)

अंजुम : देख तू अकेले रह रहा है इसका यह मतलब नही? कि अब भी तू अपने वोई रुटीन में उठे 12 बज चुके है जल्दी नाश्ता करके फारिग हो जा क्या आज भी जाना है ऑफीस?

आदम : नही मालिक का कॉल आते ही निकल पड़ूँगा फिलहाल उनको कह दिया था कि थोड़ी तबीयत ठीक नही

अंजुम : देख आदम मुझे तेरा वहाँ यूँ अकेले रहके काम करना अच्छा नही लगता तू खामोखाः इतनी मेहनत कर रहा है वहाँ पे

आदम : देख माँ अगर तेरा वोई लेक्चर है कि मैं दिल्ली आके रहूं तो मैं रहने से रहा …मैने जो ज़िल्लत दिल्ली में झेली है वो यहाँ नही है अब बाबूजी की वहाँ प्रेस्टीजियस नौकरी है तो मुझे क्या? बी.ए करके सरकारी नौकरी के आवेदन में गान्ड घिसने से तो अच्छा है कि यहाँ आराम से जियु और रहूं (दिल में तो ये भी था कि कहने को कि अयाशी भी करू)

अंजुम : ठीक है ठीक है तू जहाँ रहना चाहता है रह पर अगर कल को तू बीमार हुआ तो फिर कौन आएगा देखने? मैं जानती हूँ तू तेरे बाबूजी के साथ रहना नही चाहता…और तुझे दिल्ली में रहने का कोई मन नही पर वहाँ की भी औरतों से बचे रहना

आदम : तो यही कहने के लिए मुझे फोन किया है कि यहाँ कहीं आपका बेटा रंडीखाने तो नही जाने लगा यही सोच है आपकी कि आपका बेटा इस हद तक गिर गया कि रंडियो की चूत मार रहा है….वाह माँ अगर ऐसा होता तो अब तक किसी लड़की को यहाँ पे पटाता शहवत पूरी करता और दिल्ली लेके आता और तुमको बाबूजी को दिखा देता कि देखो यह है मैं जिससे शादी करना चाहता हूँ लेकिन मेरे अंदर शादी वादी जैसे चूतिया ख़यालात नही है…मैं अपनी ज़िंदगी सुख और शांति से जीना चाहता हूँ मुझे जीने दो

अंजुम : देख बेटा तुझे इतना गुस्सा होने की ज़रूरत नही जो तेरे मन में आए कर बस मैं जब तक ज़िंदा हूँ तेरी खबर तो लेती रहूगी लेकिन मैं तेरे अच्छे के लिए कह रही हूँ वहाँ काफ़ी लोगो को डाइयबिटीस शुगर और ज़्यादातर एड्स की बीमारी तक हो जाती है इसलिए तुझसे कहा तू वहाँ की गंदी औरतों को मुझसे ज़्यादा नही जानता अगर तू दिल्ली ना आना चाहे मत आ पर प्लीज़ माइंड ठंडा रख

आदम : आइ आम सॉरी माँ शायद गुस्से में मैं मैं बहुत कुछ कह गया पर आप ही देखो कहाँ मैं दिल्ली जैसे बड़े शहर में बचपन से लेके बड़े होने तक बेज़्ज़त होता रहा किसी ना किसी का मज़ाक बनता रहा उसी टेन्षन से निजात पाने अपने गाओं आया और मुझे यहाँ अपने होमटाउन में बहुत चैन मिलने लगा है

आइ नो आप यहाँ आना पसंद नही करती पर मैं आपसे यही कहूँगा कि मुझे दिल्ली आने के लिए राज़ी मत करना ना मुझे यहाँ की चूत चाहिए ना मुझे दिल्ली की सड़ी हुई उन मोटी गान्ड वाली पंजाबिनों की चूत चाहिए ना बोलने की उनको तमीज़ है और ना ढंग की शकल बस ऐसा लगता है जैसे कोई गोरी दो टाँगो वाली देसी गाय हो जो अँग्रेज़ की तरह स्टाइल ज़रूर झाड़ रही है पर उमर होते होते बुढ़िया भी हो जाती है और माँस भी जैसे झुलस जाता है…

अंजुम : बस बस तुझे कौन कह रहा है दिल्ली आके यहाँ की लड़कियो से मतलब रख तू वही रह चल तू जब ठंडा हो जाए तब कॉल करूँगी तू खा पी ढंग से और शांति से रह

आदम : अच्छा माँ बाबूजी कैसे है?

अंजुम : बस तेरी ही फिकर लगी रहती है उनको

आदम ने कोई जवाब नही दिया…अंजुम ने कुछ देर बात की और कहा कि वो फिर फोन करेगी इतना बोलके उसने फोन काट दिया….यक़ीनन आदम और माँ दोस्त जैसे थे इसलिए आदम के मुँह में कोई ब्रेक नही था वो खुल्लम खुल्ला चूत गान्ड गंदी गाली तक माँ के सामने बोल देता था…वो इतना ज़िद्दी और हालात की वजह से कट्टर हो गया था कि वो माँ तक को अपनी एक बार गुस्से में कुतिया तक बोल चुका था हालाँकि बाद में उसे इस बात का बड़ा दुख भी हुआ था….उधर अंजुम को अपने बेटे की फिकर होने लगी थी …जैसे आदम का दिल्ली में मन नही लगता था..वैसे ही अंजुम को भी अपना ससुराल पसंद नही था और ना ही वो जगह…कारण बहुत सी मज़बूरिया दुख दर्द तक़लीफ़ लोगो से मिले सितम थे जो उसे बचपन से यानी आदम के ननिहाल से झेलने को मिले थे….उसे लगता था दिल्ली में उन्हें और उनके पति और सबकुछ मिला है इसलिए वो ये जगह ना छोड़े…पर वहीं आदम जिसे लगता था उसे उसके होमटाउन से पूरा सपोर्ट मिला यही वजह थी वो अब चाह के भी दिल्ली नही आना चाहता था…

हालाँकि पिता जी किराए के घर में बसर कर रहे थे कभी भी नौकरी छूटने का डर था और नौकरी छूटी या बाबूजी आगे काम ना कर पाते तो माँ को तो वापिस होमटाउन ही आना पड़ता….पर वो इसके खिलाफ थी पर अब धीरे बेटे के बिना वो टूट रही थी कमज़ोर पड़ रही थी…उसका बेटा दिल्ली हरगिज़ से हरगिज़ नही आने वाला था….इसलिए उसने भगवान भरोसे ये फ़ैसला छोड़ दिया था कि आगे जो होगा देखा जाएगा?
 

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उधर आदम मन ही मन खुश भी था और कहीं ना कहीं माँ से बातचीत के बाद दुखी भी…आज वो फिर रूड पेश आया था…जिस बात का उसे दुख था…उफ्फ कल रात से शरीर टूट रहा है…अपने से बडबडाते हुए वो ब्रश करने के लिए उठ खड़ा हुआ….यहाँ इस छोटे से शहर में उसे इतना भागा दौड़ी नही करनी पड़ती थी आज काम भी था चूत भी मिल रही थी…और भी था सबकुछ था…हालाँकि गान्ड चूत और निपल्स थोड़े काले ज़रूर थे यहाँ की कुछ औरतों के पर उन्हें चोदने का वो मज़ा….उफ्फ उनका नमकीन जिस्म और उनके बर्ताव में इतनी मिठास किसका दिल चाहे? उन्हें चोदने में जिससे दिल ना लगे…दिल्ली में पूरी कोशिश की थी…पर कोई लौंडिया हाथ नही आई…जो भी आई बस गले पड़ने वाली सी थी…ना कमर छूने देती ना बदन…ऐसे में उस जैसे ठरकीबाज को कौन रास आती?...उम्मीद तो थी अच्छी पढ़ाई करके अमेरिका में नौकरी मिल जाएगी तो गोरी मेम से शादी करके बस जाएगा….पर खुदा ने उसकी यह इच्छा नामंज़ूर कर दी और वो इस काबिल बन ना सका….खैर अब तो ये बात उसके लिए किसी भूले कल की तरह थी…

अचानक शेविंग करते करते उसके ज़हन में रूपाली भाभी का ख्याल आ गया….ख्याल में उसे रूपाली भाभी की सेक्सी स्माइल और उस रात हुए वाक़ये में सबकुछ वापिस आदम याद करने करने सा लगा…रूपाली भाभी मस्त थी उमर में आदम की हमउमर थी…उपर से पहली मुलाक़ात में वो सेक्सी स्माइल पास कर रही थी काफ़ी देर तक हाथ भी मिलाए रही…ह्म रूपाली भाभी को देने में हिचखिचाहट तो नही लगता होगी…खुश तो वो भी नही अपने मर्द से…जो दिन रात दारू का नशा करता है घर चार पैसे भी लाता नही और घर आते ही बिस्तर पे पटक्के उस पर चढ़ जाता है…

ऐसी ज़िल्लत भरी ज़िंदगी कोई औरत नही पसंद करेगी…इसी कशमकश में आदम ने अपना शेविंग पूरा किया और चेहरा धोया…वो ख्यालों में इतना गुम था कि उसके दाए गाल पे हल्का ब्लेड लग जाने से कट गया था…

खैर रूपाली के करीब पहुचने के लिए उसे पहले तो अपनी मौसी और फिर अपने मौसेरे भाई यानी रूपाली के पति से होके गुज़रना था….क्यूंकी ताहिरा मौसी को जितना भी चोद दूँ वो कभी भी एक सास होके अपने बेटे की ग्रहस्थी उजाड़ने नही देगी…ना ही वो रूपाली से मेरे संबंध बनाने या होने में मदद करेगी ना ही वो ऐसा चाहेगी…

रूपाली को फासना मेरे लिए एक चॅलेंज ही था….जिसे मैं हर हाल में पूरा करना चाहता था..क्यूंकी मेरा दिल रूपाली पर आ गया था वो कद में 5 फुट 2 इंच की सुडोल बदन वाली हमेशा साड़ी और सूट पहनने वाली कमसिन छोटी छोटी आँखो वाली छोटे शहर की खिलती कली सी थी…और अब मैं एक अड़ेढ़ और बुढ़िया की भोस्डे की चुदाई करके थक चुका था

खैर उस दिन दोनो की भीषण चुदाई के बाद उन दोनो का आना जाना कम तो नही हुआ बल्कि वो लोग अपने दिल में हसरत लिए मेरे पास हमेशा आने लगे….अब तो ताहिरा मौसी के घर भी जाने की ज़रूरत नही थी…साथ में ताहिरा मौसी पकवान लेके आती…ताकि मैं उनकी जमके चुदाई कर सकूँ सुबह आती तो शाम से पहले जाने का नाम ना लेती….सनडे या कोई ऑफ डे मैं छुट्टी काट नही पाता था क्यूंकी उस दिन ताहिरा मौसी या उनकी सहेली सुधिया काकी आ जाते और मुझे थका देते…

रूपाली तक पहुचने के लिए मुझे उससे नज़दीकिया बढ़ानी थी ..इसलिए मैने रूपाली भाभी की ज़िंदगी और ससुराल में उसके हालातों का जायेज़ा लिया….जो मेरे लिए हथ्यार साबित हुई….रूपाली भाभी घर में नौकरी से आने के बाद थक जाती थी इसलिए खाना ताहिरा मौसी को बनाना पड़ता था…दोनो सास बहू के बीच नोक जोख चलती रहती….और इसी हट स्वाभाव में मेरा बड़ा भाई बिशल रूपाली को पीट देता या फिर उसे कमरे में ले जाके दरवाजा लगाके उसे मारता या तो उसकी रफ चुदाई करता….कुँवारी तो रही नही होगी क्यूंकी चुदवा वो मेरे भाई से शादी से पहले से रही थी..

कुल मिलाके घर में उसकी पटरी माँ बेटे दोनो से नही खा रही थी…ज़्यादा लड़ाई अगर बढ़ जाती तो वो अपने घर भाग जाती…ये सब मुझे सुधिया काकी से मालूम पड़ता या फिर जब कभी ताहिरा मौसी से मिल लेता या वो आ जाती तो रूपाली भाभी की शिकायत करने लगती….वो यही चाहती थी कि रूपाली भाभी नौकरी छोड़ दे और घर संभाल ले क्यूंकी मेरी ताहिरा मौसी की उमर ढल रही थी और उमर के साथ साथ वो कमज़ोर पड़ रही थी…पर रूपाली के कान में जु भी नही रैंग्ती…

इससे मुझे मेरा चॅलेंज मुस्किल से आसान लगने लगा कि रूपाली अच्छा पहनावा और घूमने फिरने की भुक्कड़ है अगर साली को पटा लिया जाए तो चोद देने में कोई परेशानी नही खड़ी होगी उल्टे मेरा काम और आसान हो जाएगा पर साथ में सावधानी भी थी क्यूंकी अगर उसके पति को हमारे संबंध के बारे में पता चला तो मैं रूपाली भाभी के साथ साथ ताहिरा मौसी से भी हाथ धो बैठूँगा…और ताहिरा मौसी मुझे कभी मांफ नही करेगी ये मैं होने देना नही चाहता था..

खैर रूपाली भाभी को पटाने में मैने ठर्की सुधिया काकी की मदद ली जो घर की होते हुए भी गैर थी…..उस दिन सुधिया काकी अकेले आई थी चुदने को….घर की सॉफ सफाई मैं खुद कर रहा था तो उन्होने मुझे मना किया और खुद सॉफ साफाई करके सारा काम मेरे घर का निपटा दिया मैं खुश हुआ…हम दोनो ने दोपहर का भोजन साथ किया और मैने फ़ौरन चटाई बिछाई

सुधिया काकी तुरंत नंगी हो गयी बस एक पेटिकोट उन्होने डाल रखा था…जिसका नाडा उसने खोल कर अपनी पेटिकोट पेट तक उपर कर ली थी…मैने फ़ौरन अपना मूसल जैसा 8 इंच का खड़ा लंड उसकी चूत के दाने को सहलाते हुए भोसड़ी में पूरा सरका दिया…मैने अपने कमरे एक बॉक्स रखा था…जिसमें मैने काई ब्रॅंडेड कॉंडम के डब्बे उसमें डाल रखे थे…क्यूंकी चुदाई का सेशन बहुत हो जाता या कभी मौसी या कभी सुधिया काकी को चोदता तो कॉंडम फॅट जाता इसलिए पहले से बहुत से कॉंडम खरीद के रखे हुए था…

चुदाई के बीच में मैं सुधिया काकी के भोसड़ी में धक्का दबा कर पेल रहा था सुधिया काकी के मोटे मोटे तरबूज़ जैसे लटकते चुचों को दबाते हुए मैं उन्हें गरम कर रहा था….चुदाई के बीच ही रूपाली का ज़िक्र मैने करना शुरू किया…पहले तो सुधिया काकी चुपचाप मुस्कुराती सुनती रही..फिर उसके बाद मुझे उसकी मोटी टाँगें अपने कमर में लिपटी महसूस हुई

सुधिया काकी : अच्छा जी तो तेरा दिल अपनी ही भाभी पे आ गया है

आदम : हां काकी आहह ससस्स (मेरे लिंग को सुधिया ने बड़े मज़बूती से अपनी चूत की ताक़त से दबा लिया)

सुधिया काकी : ह्म पर ये बात ताहिरा को पता है

आदम : तुम मत बताना वरना वो मुझे मेरी हसरत पूरी करने नही देगी तुम तो जानती हो वैसे भी रूपाली भाभी का घर का माहौल ठीक नही उसे पति का प्यार तो मिलता भी नही होगा

सुधिया काकी : ह्म एक आध बार बताया था रूपाली ने मुझे उसका पति उसे बेदर्दी से चोद्ता है उसकी एक बार गान्ड भी छील दी अर्रे गान्ड मारने का शोकीन है ना

आदम : तो फिर क्या होगा आगे डाइवोर्स लेगी क्या?

सुधिया काकी : बेटा वो गाओं साइड से है जहाँ बेटियो को आज भी भारी समझा जाता है क्यूंकी दो वक़्त की रोज़ी रोटी जुटता नही कोई टाउन आ जाते है तो कोई बड़े शहर कोलकाता इन्ही वजहों से कयि घर की बहू बेटियाँ या तो नौकरी करके रहती है या फिर कोई किसी से भलोबशा करके शादी कर लेती है या फिर कोई धंधा करने लगती है या फिर किसी को बेच दिया जाता है

आदम : ओह्ह्ह तो यानी रूपाली भाभी बिशल दा का पिंड नही छोड़ने वाली

सुधिया काकी : ह्म सहह लेगी पर तेरे साथ चुदाई का खेल में उसका शामिल हो जाना आसान है

आदम : क्या सच काकी ? यार तुम कोशिश करो तो बात बन जाए बस एक बार

सुधिया काकी : भाई ताहिरा से हाथ धो बैठेगा अगर मालूम चला उसे तो पानी हुक्का लेके तेरे सर पे बैठ जाएगी भला कोई माँ अपने बेटे की अमानत किसी और को सौंपे या उससे खेलने दे

आदम : ह्म सो तो है

सुधिया काकी : बेटा इस शहर की है रूपाली पटाना तेरे हाथ में है मौका देखके हठोड़ा मार देना हो जाएगी पट जाएगी और भला क्यूँ ना पटे? तू तो उसके पति से हज़ार गुना मस्त है….और तेरा यह 8 इंच का हथियार मैं तो सोचती हूँ चुद भी पाएगी इससे वो

आदम : कोई बात नही वो मेरे हाथ में है

सुधिया काकी : तो फिर तू कोशिश शुरू कर मैं तेरे साथ हूँ अगर भला इस बुढ़िया को इस लंड से मज़ा मिल सकता है तो जिस कुँवारी या शादी शुदा भाभी को चोदेगा वो तो भाग्य शालि होगी
 
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सुधिया काकी ने मेरे अंदर उत्साह भर दिया था…और मैने लगभग तडातड उनकी चुदाई शुरू कर दी..कुछ देर बाद मैं उनके भोस्डे में ही फारिग हो गया…और इस बीच मेरे डबल कॉंडम के फटने से आधा कप वीर्य उनके अंदर चला गया…वो हँसने लगी….मैं काफ़ी बहेक गया था रूपाली की सोच से ही..

रूपाली से मिलने मैं घर आने लगा ताहिरा मौसी के…और वो भी तब जब घर में कोई नही होता खासकरके उसका पति..जब देखता ताहिरा मौसी काम में फसि हुई है तो कुछ घंटे बिताता और इन कुछ घंटो में मैं रूपाली से बातचीत करता…अब हम दोनो धीरे धीरे एकदुसरे से झिझकने कम लगे थे…एक दूसरे को जान गये थे…रूपाली का फोन नंबर हाथ लगते ही व्ट्सॅप पे मैने उसे टेक्स्ट करना शुरू कर दिया….रूपाली वो घी थी जिससे सीधी उंगली से नही टेढ़ी उंगली से निकाला जा सकता था..

धीरे धीरे रूपाली को मैं घुमाने शहर के अंदर ही कपल्स पार्क में ले जाने लगा….जो कि कपल लोगो के लिए बदनाम थी….हालाँकि इसमें रूपाली को कोई दिक्कत नही होती थी ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरे पास आना चाह रही थी…धीरे धीरे मैं रूपाली के साथ सनडे तक बिताने लगा उसे उसके घर के रास्ते से पिक अप करने लगा…और हम दोनो घंटो घंटा बाहर बिताने लगे…झूंट मूट का रूपाली कह देती फोन करके अपने पति को कि वो फलानी जगह है लेकिन ये गुमराही कभी ना कभी तो पकड़ी जाती इसलिए मैं सतर्क भी था क्यूंकी भाई के दोस्त लोग भी हमें नोटीस करके देख लेते या बिशल दा को बोल देते कि उसकी बीवी उसी के भाई के साथ घूम रही है..

धीरे धीरे जहाँ एक तरफ रूपाली और आदम साथ वक़्त बिता रहे थे तो दूसरी तरफ उसके पति के साथ रूपाली का रोज छोटी छोटी बातों पे लड़ाई झगड़ा बढ़ने लगा….धीरे धीरे हालात मारपीट के होने लगे…लेकिन रूपाली को उसका पति दामन ना कर सका…इससे हैरान तो ताहिरा भी थी वो तो बेटे को कोसते हुए ताना देती थी कि देख लिया जिसके लिए इतना कुछ किया वो कैसे तुझे गान्ड पे लात मारके निकल जाती है….अब तो रूपाली अपने मायके में ज़्यादा दिन ठहरने लगी और वहीं से आदम से मिलने लगी…अब आदम उसके दुखी पलों में भी उसका साथ देने लगा था….और रूपाली उसके सामने ही उसके भाई और ससुराल के खिलाफ शिकायत करती एक एक बात बताती….

धीरे धीरे आदम ने उसका कॉन्फिडेन्स जीत लिया और उसे देर रात तक घर ड्रॉप करने लगा पर दूर से ताकि ताहिरा मौसी की निगाहो में ना आ जाए….वो झूंट मूट का कभी कभी ताहिरा मौसी के सामने रूपाली को समझा देता जिससे लगे कि आदम और रूपाली के बीच कुछ ऐसा होता ही नही….धीरे धीरे रूपाली सेट हो गयी….और अब काफ़ी हद तक दोनो की दोस्ती आगे बढ़ने लगी….रूपाली वैसे ही शादी शुदा औरत थी तो उसका गरम होना कोई बड़ी बात नही थी….

दो डीनो से मुसलाधार तूफ़ानी बारिश तेज़ चल रही थी…इसलिए आदम ने इस मौके का फ़ायदा उठाया…उस दिन आदम और रूपाली हमेशा की तरह मिलने का प्रोग्राम बना लेते है और फिर दोनो सिनिमा हॉल पहुचते है जो कि रूपाली के ससुराल से काफ़ी दूर था…बिशल रोज़ रूपाली को कॉल कर रहा था..जो कि उस वक़्त मायके आई हुई थी उसके सितम से…दो बार आया भी था उसे लेने पर उसके ससुराल वालो ने सॉफ कह दिया कि वो है नही बाहर गयी हुई है घंटो घंटा इंटिजार करता पर रूपाली घर नही आती….जैसे वो भी बिशल को तडपा रही थी

खैर तो उस दिन शाम 6 का शो था…अच्छी हॉलीवुड रोमॅंटिक फिल्म लगी थी…दोनो भाभी देवर अंदर आके मस्त फिल्म देख रहे थे बीच बीच में रूपाली के कानो में कुछ ऐसा गंदा शब्द आदम कह देता जिससे रूपाली मुँह पे हाथ रख लेती और मुस्कुरा के उसे या तो प्यार से धकेल देती या उसके हाथो में चूटी काट लेती…उसी दिन सुधिया काकी को घर की चाबी दे दी थी जिसने आदम के घर जाके उसकी गैर मज़ूद्गी में बिस्तर में फूलों की पंखुड़िया सज़ा दी और एक ग्लास ठंडे दूध में एक गोली भी डाल दी….वो मुँह पे हाथ रखके मुस्कुराते हुए घर को सुहागरात की सेज की तरह सजाए घर लॉक करके चाबी एक गुप्त जगह में रखके चली गयी थी..


फिल्म रात को ख़तम हुई फिल्म देखके दोनो पूरे गरम हो गये थे…सीन ही बीच बीच में इतने अश्लील थे कि लगभग नंगी औरतों की झान्टो के साथ साथ चुदाई के वक़्त हीरो हेरोयिन का लिंग चूत में घुसता निकलता भी दिखाया गया था..रूपाली की साँसें तेज़ थी

रूपाली : बड़ी गंदी पिक्चर थी छी

आदम : तो क्या हुआ भाभी?

रूपाली : फिर भी आंड प्लीज़ डॉन’ट कॉल मी भाभी मैं तुम्हारी दोस्त हूँ ओके

आदम : हाहाहा ओके

आदम रूपाली को लेके पास की एक दुकान गया और वहाँ उसकी पसंद की हरी हरी चूड़िया खरीदके उसे दिलाई..रूपाली बेहद खुश हो गयी….वो नज़ाकत भरे स्वर में आदम को छेड़ने लगी

रूपाली : क्या बात है? भाभी को ही पटाने के लिए इतना कुछ किया जा रहा है

आदम : अभी तो बोली तुम कि मैं दोस्त हूँ

रूपाली : फिर भी हूँ तो तुम्हारे भाई की बीवी ना

आदम : तो क्या हुआ?

रूपाली : अगर ऐसे तुम्हारे भैया देखेंगे तो क्या सोचेंगे?

आदम : सोचने दो कोई ग़लती थोड़ी कर रहे है हम वो लोग छोटी सोच के टाउन वाले है आटीस्ट तुम तो पढ़ी लिखी हो मैं तो हमेशा तुम्हारे साथ रहा हूँ ना

रूपाली : ह्म सो तो है

आदम ने रूपाली को एक रेस्टोरेंट में लेके दो कॉफी का ऑर्डर दिया साथ में दोनो ने फास्ट फुड भी ऑर्डर में बोल दिया…पेट पूजा के बाद दोनो बाहर आए कॉफी ने दोनो को और गरमा दिया था….रूपाली बार बार आदम से उन सब गंदे सीन्स की चर्चा कर राई थी थ्री वीलर में बैठे बैठे आदम को महसूस हुआ सुधिया काकी ने क्या कहा था?...अचानक तूफान तेज़ हो गया और बारिश भी बेहद तेज़ हो गयी….थ्री वीलर गाड़ी को ज़्यादा दूर ले जा ना पाया क्यूंकी शहर और गाओं के सामने पटरी पे पानी भर गया था….लोग वहाँ से घुटनो तक जैसे तैसे क्रॉस करके उस साइड जा रहे थे

आदम : उफ्फ हो रूपाली एक काम करो मेरे घर चल लो तुम्हारा गाँव आज जाना ना हो पाएगा

रूपाली : पर बाबा को क्या कहूँगी वो लोग तो!

आदम : अर्रे मेरा फोन यूज़ कर लो

रूपाली ने झट से अपने घर कॉल लगा लिया….कॉल लग तो गया पर रूपाली के माँ बाबा को निसचिंत करने के बाद कि वो आ नही पाएगी नेटवर्क आगे काम नही किया और फोन कट गया…रूपाली निराश हो गयी मैने उसके चेहरे को सहलाया “अर्रे तो क्या हुआ मेरे घर चल लो ना यही पास में तो है?”……पर वो डर रही थी अगर किसी को मालूम चल गया खासकरके उसे मौसी के घरवालो से यानी अपनी ससुराल वालो से डर लग रहा था….आदम ने उसे निसचिंत किया कि उन्हें तो यही मालूम है कि तुम मायके में हो तो फिर अगर कॉल भी करे तो यही कह देना कि तुम सहेली के यहाँ टाउन आई हुई हो कौन सा ट्रॅक कर लेंगे तुमको कि तुम मेरे यहाँ रुक रही हो?

इतना कहते हुए मैं रूपाली को लेके अपने घर आया…ताला खोला जो चाबी पास ही में सुधिया काकी छुपाके गयी थी जैसे अंदर आया लाइट ऑन करके तो अंदर का नज़ारा किसी सुहागरात की सेज जैसा था उफ्फ बिस्तर पे फूलों की पंखुड़िया रूपाली हैरानी से मेरी तरफ और फिर बिस्तर की तरफ देखने लगी

रूपाली : अर्रे तुम क्या रोज़ फूलों की पंखुड़ियो पे सोते हो?

आदम : नही तो बस सोचा तुम आज शायद रूको तो

रूपाली : अच्छा तो ये बात है तुम मुझे घर इस बहाने से लाए हो

आदम : अब समझ लिया तो कहना कैसा? बाकी इरादा तुमपे है

रूपाली : तुम्हारे इरादे तो मुझे नेक नही लगते

इतने में मैने रूपाली को कस कर पकड़ लिया और दरवाजे की कुण्डी लगा ली..उसकी आँखो में झाँकते हुए उसकी ज़ुल्फो को समेटने लगा…वो मुझसे दूर होने लगी पर मेरी पकड़ कसी और मज़बूत थी…उसने मेरी आँखो में सहँटे हुए झाँका जिसमें उसे अपने लिए प्यार और हवस दोनो एक साथ दिख रहा था…अचानक लाइट चली गयी मुझे बेहद तेज़ गुस्सा आया…मैं थोड़ा नर्वस भी था कि रूपाली कैसा बर्ताव करेगी मेरा इतना कुछ करने के बाद जब उसे समझ आएगा?....पर धीरे धीरे मेरा हाथ उसकी ब्लाउस पर से होते हुए उसके पेटिकोट पर आते हुए उसकी टाँगों के बीच के हिस्से पर चलने लगा….रूपाली ने मेरा हाथ कस के थाम लिया

रूपाली : यह ग़लत होगा उहह (पर वो रोक नही पा रही थी मुझे शायद काफ़ी दिन से बिना चुदे अपने शौहर से भड़की हुई थी)

मैने और कुछ ना कहा और ठीक उसके होंठो को काट खाया वो पहले तो कसमसाई फिर उसके दोनो हाथ मेरी गर्दन को सहलाने लगे…हम दोनो के होंठ आपस में मज़बूती से जकड़े हुए थे एकदुसरे की ज़ीब को भी हम बारी बारी से चूस रहे थे अचानक से मैने उसे अपने से अलग किया तो होंठो के अलग होते ही वो गरम साँसें छोड़ने लगी और हाँफने लगी…उसने अपने मुँह को पोन्छा

आदम : ये कपड़े पहन लो (उसमें लाल साड़ी थी) और बाहर पहन्के आओ मैं बिस्तर पे तुम्हारा इन्तिजार कर रहा हूँ

रूपाली ने कोई जवाब नही दिया जैसे उस वक़्त वो मेरी भाभी ना हो कोई और हो….रूपाली भाभी ने मेरे हाथ से वो साड़ी ली और कमरे से सटे घर के भीतरी लिविंग रूम के पास वाले गुसलखाने में घुस गयी…मैं आपको एक बात बता दूं कि गुसलखाने का कोई दरवाजा नही है सिर्फ़ एक परदा है जिसे दोनो तरफ फैला देने से सिर्फ़ नीचे से नहाने वाले की टाँगें दिखे…मैं जानभुज्के मोमबत्ती साथ ले आया गुसलखाने मे

आदम : ये लो इसे रख लो रोशनी में कपड़े बदल लोगि वरना कोई कीड़ा चढ़ जाएगा

रूपाली ने कपड़े शायद उतार लिए थे इसलिए पर्दे के किनारे उसका गोरा हाथ बाहर आया और उसकी हथेलियो में झूलती खनकती चूड़ियों को मैं लगभग छूते हुए उसके हाथ में मोमबत्ती दे देता हूँ…वो मोमबत्ती अंदर रखके अपनी गीली साड़ी उतारने लगती है मैं पर्दे को थोड़ा सा हटा कर अंदर झाँकता हूँ तो मुझे रूपाली अपने ब्लाउस की फितो को खोलते दिखती है…उसके फीतों के साथ वो ब्लाउस को अपने दोनो कंधो से उतारते हुए जुदा कर लेती है और फिर ब्रा का हुक भी खोल डालती है…मेरा देख देखके लंड पूरा फनफना सा गया था…

मैं फ़ौरन कमरे में लौटा और चारो तरफ मोमबत्तिया जला ली….मैने कपड़े उतार लिए और मार्केट से नया नया खरीदा जॉकी व शेप फ्रेंची पहन ली जिससे मेरी टाँगों के बीच अच्छा ख़ासा उभार बन गया….मेरा लिंग वैसे ही खड़ा था जिसे उस वी शेप की फ्रेंची में अड्जस्ट करना मुस्किल था….मैने पास के फ्रिज में से पानी की एक बोतल निकाल ली और पाया कि फ्रिज में एक ग्लास भरके दूध रखा हुआ था शायद सुधिया काकी ने मेरे और रूपाली के बीच होने वाली सुहागरात के लिए ये सारा इन्तिजामात कर लिया था वरना तो अगर ये भीषण तूफान और रूपाली भाभी का मेरे यहाँ ठहरने का प्लान ना होता तो शायद मुझे ये दूध ऐसे ही पीना पड़ जाता और पूरी रात ऐसे ही मुठियाते रह जाता

पर शायद आज रूपाली भाभी की सील पूरी तरीके से खोलने का मौका मुझे भगवान ने दिया था…इसलिए मेरा दिल पहले से ही उत्तेजना में मुझे उसकी धड़कने सुनाई दे रही थी जो रह रह के धक धक कर रही थी….मैने एक साँस में दूध का ग्लास खाली कर दिया..और वापिस बिस्तर पे आ लेटा बाहर से हम वैसे ही खा पीके आए थे इसलिए मुझे और शायद रूपाली भाभी को भूक नही थी…
 

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एक तन्हा कमरे में रात गये इस भीषण तूफ़ानी रात में हम एक दूसरे के साथ पल बिताने वाले थे…अचानक मैने चूड़ियो की खनकती आवाज़ सुनी और पैरो की पायल की छन छन सुनी जो कुछ देर पहले लाल साड़ी के जोड़े के साथ रूपाली भाभी को दी थी….रूपाली भाभी साड़ी के लाल जोड़े में अंदर आई हुई थी उसने नज़रें नीचे झुकाई सी थी और उसके होंठो पे लाल लाल लिपस्टिक की लाली दिखी मुझे वो ऐसे शर्मा रही थी जैसे अपने ख़सम के सामने खड़ी हो

मेरा लंड उसे इस आकृति में देखके उफान मचा रहा था अंडरवेर फाड़के बाहर आने को उत्सुक हो रहा था….उसने कलाई में आज मेरी दिलाई हरे रंग की चूड़िया पहनी हुई थी वो मेरे बिछाने पे आके बैठ गयी मेरे बगल में…उसने मेरे हालात पे गौर किया….मोमबत्ती की फीकी रोशनी में उसने मेरे हालत का जायेज़ा ले लिया था…..मैने धीरे से उसके आँचल को उतार दिया और उसके लाल रंग के ब्लाउस के बीच कटाव को घूर्रने लगा…उसकी चुचियाँ जैसे निकलने को हो रही थी शायद ब्लाउस उसे टाइट हो गया था या उसके साइज़ का नही ला पाया था मैं….लेकिन उसने कोई शिकायत नही की थी


बाहर मौसम बिगड़ता जा रहा था….और हवाओं का शोर लगभग घर के अंदर सॉफ सुनाई दे रहा था..बिजली कड़क रही थी और खामोश सन्नाटा जैसे चारो तरफ छाया हुआ था…

रूपाली भाभी को देख देखके मेरा लंड एकदम कठोर और सख़्त हो गया था...जो रह रहके कच्छे में फँसे रहने से दिक्कते दे रहा था..मैने रूपाली भाभी के पल्लू को एक झटके में हटा दिया तो मुझे उसके ब्लाउस में फँसी कबूतर की तरह फडफडाति उन चुचियो को दीदार हुआ...

मैने अपना एक हाथ आगे बढ़ाया और ब्लाउस के उपर हाथ रखके उसे कस कस के सहलाते हुए दबाने लगा....रूपाली भाभी कसमसा उठी उसने उत्तेजना में अपनी आँखे बंद कर ली थी...ब्लाउस थोड़ा टाइट था साइज़ में छोटा जिस वजह से चुचियाँ एकदम कसी हुई क़ैद थी...मैने ब्लाउस के बटन आगे के खोले...

और धीरे धीरे हाथ उनके पीछे पीठ पे ले जाते हुए उतारने लगा...मुझे विश्वास ना हुआ कि उन्होने अंदर ब्रा नही पहनी थी..क्यूंकी लाल टाइट ब्लाउस को जैसे अभी उतारके उनकी छातियो से अलग किया उनकी चुचियाँ क़ैद से आज़ाद हो गयी और मेरे सामने लटक रही थी..उनके सख़्त मोटे ब्राउन निपल्स को मैं उंगलियो में लेके मसल्ने लगा.

तो जैसे रूपाली भाभी ने आहें भरना शुरू किया...मैने उनके दोनो हाथो को चूमा और एक हाथ उनका अपने कच्छे के उभार पे रख दिया...वो मेरे बड़े लिंग को महसूस करते ही सिहर गयी...उसे कस्स्के एक बार उन्होने दबाया भी
क्यूंकी उत्तेजना की सागर में वो भी डूब सी रही थी...

उनकी छातिया उपर नीचे हो रही थी मैने उनकी चुचियो को मसलना शुरू कर दिया और उनके बीच अपना मुँह रगड़ने लगा.....रूपाली मेरे सर को अपनी छातियो पे भरपूर दबा रही थी और मैं उन दोनो खरबूजो जैसी छातियो के बीच अपना मुँह रगड़ के उन्हें लिक्क कर रहा था...

धीरे धीरे मुझे रूपाली भाभी की गहरी साँस लेने और छोड़ने का अहसास हुआ और फिर मैने उनकी अधखुली निगाहो को देखा.....उन्हें मैने पलंग पे लेटाया और फिर उनकी पेटिकोट की डोरी खोल दी....पेटिकोट फुरती से उनके पाओ के बीच फसि रह गयी जिसके बीच हाथ ले जाके उसे दोनो टाँगो से मैने आज़ाद कर दिया...

रूपाली अब तक चुपचाप थी वो मेरी अगली हरकत का इन्तिजार कर रही थी......मैने उसे हाथो के सहारे वापिस खड़ा किया और उसके पूरे बदन को निहारने लगा.....बगलो में बाल नही थे पर हल्का कालापन था...पूछने पे मालूम चला कि वो हर हफ्ते अपने फ्रेंच हेर रिमूवर क्रीम से अपने काक के बाल सॉफ रखती है...उसकी चुचियाँ एकदम खरबूजे जैसी 36 साइज़ की थी लटकी हुई...मोटे ब्राउन सख़्त कठोर निपल्स झूल रहे थे पेट और कमर में थोड़ी चर्बी थी इसलिए पेट थोड़ा बाहर निकला हुआ था....और मोटी मोटी जांघों के ठीक उपर हल्की रोयेदार बाल उग चुके थे जो शायद केयी दिनो पहले झान्टो को सॉफ करने से उगे होंगे

मैं पालती मारके बैठ गया और उसकी भरी भरी चूड़ियाँ पहने हाथो को पकड़े उसे अपनी गोद में बिठाने लगा उसने अपनी दोनो टाँगें मेरी जांघों के इर्द गिर्द लपेट ली और वो मेरी गोद में आके बैठ गयी अब उसका बदन मेरे बदन से रगड़ खा रहा था...उसके निपल्स मेरे सीने मे चुभ रहे थे...

मैने उसके बैठते वक़्त नाभि पेट और छातियो के बीच चूम लिया था...उसका वजन मुस्किल से 50 किलो था...भारी वज़नदार नितंब मोटे गोल गोल मेरे लिंग के उपर जैसे दब गये थे

मैं उसके नितंबो के बीच उंगली करते हुए छेद टटोलने लगा...उसका छेद वाक़ई सिकुडा हुआ था पर उंगली करने से अंगूठा अंदर प्रवेश कर गया....रूपाली सातवे आसमान पे जैसे पहुच गयी उसने मुझे पकड़ लिया और मेरी गर्दन और गले पे चूमने लगी....मैने उसके जुड़े किए हुए बाल खोल दिए....उसकी चुचियो को महसूस करने से ही सॉफ समझ आया कि बिना ब्रा के उसने चुचियो के उपर ऐसे ही अनफिट ब्लाउस पहन लिया था...उफ्फ मुझे लगा शायद ब्रा से वो कस गये होंगे पर मैं ग़लत था

रूपाली और आदम एकदुसरे को स्मूच करने लगे उनकी जीब एकदुसरे के मुँह में घुस और निकल रही थी...वो दोनो पागलो की तरह एकदुसरे को चूम रहे थे...आदम ने उसे अपने मज़बूत हाथो से कस्के पकड़ा हुआ था...उसने काक पे ज़ुबान रखके उसे चाटना शुरू कर दिया...तो उसमें साबुन से नहाने से हल्की हल्की मोगरे की खुसबु आ रही थी...

रूपाली ने दोनो बगल को उठा लिया ताकि आदम उसकी बगलो को आसानी से चाट सके...दोनो बगलो को चाटने के बाद आदम उसकी छातियो पे टूट पड़ा और करीब दोनो निपल को दांतो से खीच खीचके उसका रस्पान करने लगा...रूपाली आहें भरते हुए उसकी पीठ पे नाख़ून गढ़ा रही थी...

आदम ने कलाई की पकड़ उसकी कमर से ढीली की और रूपाली को सीधा लेटा दिया....फिर उसने उसकी टाँगों को भी थोड़ा फैला दिया...उसकी झान्टो के नीचे चूत रस छोड़ रही थी उस पर हाथ रखते ही रूपाली कसमसा गयी...आदम ने चिड़िया को मुट्ठी में लेके दो-तीन बार ज़ोर से दबा दिया....फिर उसने अपने गीले हाथ को मोमबत्ती की रोशनी में देखा...और उसे रूपाली के सामने चाट लिया...रूपाली के लिए पहला अनुभव था...

अभी रूपाली ने सोचा ही था कि इतने में आदम ने उसकी चूत के दाने को मुँह में भर लिया...रूपाली ने आँखें मूंद ली..भाभी के दाने को चुस्सते हुए आदम रूपाली के हालात को गौर कर रहा था....फिर चूत पे मुँह रखके उसमें अपना मुँह लगभग घुसाने लगा अंदर से आती रह रहके वो मस्त गंध आदम को पागल किए जा रही थी...आदम की ज़बान रूपाली की चूत के भीतर चल रही थी....रूपाली का पूरा बदन काँपने और उत्तेजित होने लगा वो बीच बीच में आदम के सर के बाल पे हाथ रख देती और उसके मुँह को जैसे अपने चूत पे दबाने की कोशिश करती...आदम रूपाली की चूत को ज़बान से गीला करता रहा...फिर आदम उठ खड़ा हुआ और पलंग के दाई ओर यानी रूपाली भाभी के सर के पास आके घुटनो के बल बैठ गया...

अपने सामने विशाल काय 8 इंच मोटा लंबा लिंग झूलता देख रूपाली की आँखे दंग रह गयी.."उफ्फ कितना मोटा"....रूपाली बस इतना ही कह पाई क्यूंकी उसके बाद आदम ने उसके मुँह में अपना लिंग ठूंस दिया था....रूपाली ने मुँह खोला और लिंग को चुस्सने लगी वो मुस्किल से उसके मुँह में पूरा जा पा रहा था...आदम इस बीच उसकी चूत में तीन उंगली करते हुए दाने को अंगूठे से छेड़ रहा था...रूपाली भी आदम के सुपाडे को गीला करते हुए लिंग को पूरा चूस रही थी उसकी आँखे एकदम बड़ी बड़ी हो गयी और मुँह ओ शेप में हुआ सा था...आदम ने थोड़ी कोशिश की तो रूपाली के हलक तक उसने अपने लिंग को प्रवेश कर दिया...हलक तक जाते ही रूपाली ने लिंग मुँह से बाहर निकाल दिया और ख़ासने लगी...

फिर शांत होने के बाद वो फिर आदम के लिंग को चुस्सने लगी...कुछ देर चुस्सने के पश्चात रूपाली को अहसास हुआ कि आदम का वीर्य नही निकल रहा तो उसे आश्चर्य हुआ...उसने लिंग को चुस्सना लगभग बंद कर दिया और हाथो में लेके ही उसे सहलाती रही...उंगली करने से रूपाली की चूत पानी छोड़ने लगी वो शिथिल पड़ गयी...

आदम के शरीर पे दूध में मिक्स गोली के असर ने उसके लिंग को अब तक मुरझाने नही दिया था...वो एकदम सख़्त कठोर टेढ़ा होके झूल रहा था...और लिंग पे मुँह की गर्मी ने और नसों में रक्त संचार कर दिया था....आदम ने रूपाली के पायल पहनी एडियों को अपनी कमर में लपेटने की कोशिश की....

रूपाली ने सख्ती से दोनो एडियाँ यानी कि टाँगें आदम के कुल्हो के उपर लपेट ली....आदम ने गीली रस छोड़ती चूत के मुंहाने पे अपना लिंग अड्जस्ट किया और धीरे धीरे दबाव देने लगा सुपाडे से लेके कुछ आधा इंच अंदर गया था लंड कि रूपाली तड़पने लगी..."ओह्ह्ह माआ सस्स"....उसकी रोई रोई जैसी हालत हो गयी...

आदम ने उसे शांत करना शुरू किया फिर एक करारा धक्का दिया....रूपाली दर्द को सहेन नही का पा रही थी वो अपने सर को इधर उधर मारने लगी अजगर जैसा मोटा लंबा लिंग उसकी चूत में आहिस्ते आहिस्ते धँसने लगा....करीब 1 इंच जब रह गया तो आदम ने रूपाली के दोनो कंधे कासके पकड़े और बेरहमी से करारा धक्का दे पेला...लंड चूत की गहराईयो में घुसता चला गया और लगभग चीरता हुआ बच्चेदानी की जड़ तक जा बैठा...

रूपाली रोने लगी वो आदम से रहम की भीक माँग रही थी..."सस्सह शोना हो गया बस बाबू ऐसे ऐसे ही चोदुन्गा तुम्हे मज़ा आने लगेगा".......रूपाली की चूत से आदम ने रत्तीभार भी लिंग बाहर नही निकाला....वो रूपाली के उपर वैसे ही पड़ा रहा....जल्दबाज़ी में उसने कॉंडम तक नही चढ़ाया था
 

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कुछ देर बाद भी जब रूपाली शांत नही हुई तो आदम उसकी छातियो को दबाने लगा चुस्सने लगा...फिर आहिस्ते आहिस्ते अंदर बाहर लिंग को करना शुरू किया..फिर एक करारा धक्का मारा रूपाली फिर ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी...पर बाहर मौसम खराब था और मकान मालिक काम से कोलकाता गया हुआ था इसलिए आदम निसचिंत था..कि उसकी चीखें पास के लोगो तक नही सुनाई देगी..

रूपाली : उईईइ आहह

आदम : सस्स्शह ओह्ह्ह बेहेन्चोद बड़ी टाइट है भाभी की तो उफ्फ बिशल दा ने क्या मारी होगी सुहागरात के दिन जो अब तक इतनी सख़्त है

लेकिन वहाँ कोई मज़ूद नही था जो उसे बताता कि इंसान और जानवर के लिंग में फरक होता है और वो खुद के लिंग की तुलना एक मामूली इंसान से कर रहा था ...सच में लंबा लिंग गधो का ही हो सकता है जिनकी बुद्धि भी मोटी होती है

आदम से सबर ना हो सका और उसने रूपाली के ठहरने का फ़ायदा उठाके उसकी पूरी रात कुटाई की...वो उसकी चूत में दनादन अपना बम्बू घुसाए कयि मर्तबा धक्के मारे जा रहा था...रूपाली दर्द के मारें अब बेहोश हो चुकी थी जब उसे होश आया तो आदम ने उसकी चूत से लिंग बाहर निकाल लिया था उसे अपनी चूत का मुंहाना काफ़ी फैला हुआ और चौड़ा नज़र आ रहा था जिसकी सूरत वापिस सामने होने की नही लग रही थी

आदम ने उसकी गान्ड की फांकों के बीच लिंग को छेद में घुसाना शुरू कर दिया...गान्ड के छेद में उसने पहले से ही पास रखे घी से आधा चम्मच डाल दिया ताकि छेद चिपचिपा और खुल जाए...उसका लंड छेद के अंदर बड़ी मुस्किल से सुपाडे तक गया...रूपाली सर को मज़बूती से तकिये के उपर रखे हुई थी...अंदर ही अंदर आदम को ना जाने कितनी गालियाँ बक रही थी..."अफ इस निगोरे ने तो चूत फाड़ दी मेरी अफ्फ इस्शह अयीई माँ ऐसे क्यूँ चोदता है?"......मन के शब्द अब मुँह पर आने लगे थे दर्द और आहों में सिमटी रूपाली का चेहरा आदम देख देखके उसे चोद रहा था...

"इसस्सह हहाए उफ़फ्फ़ धीरे करो ना निकाल लो निकाल लो दर्द हो रहा है".......तकिये में घुट्टी रूपाली की आवाज़ सुन आदम ने धक्के देने बंद किए...और उसके बदन पीठ और ज़ुल्फो को हटा चेहरे पे चुंबन लेने लगा

"रूपाली अभी तो तुम्हारी ठीक ढंग से गान्ड भी नही चोदि प्लस्स कॉपरेट करो थोड़ा"....आदम ने रूपाली को समझाते हुए धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए

"हाए मैं मर जाउन्गीई हआयईी आदम बहुत दर्द हो रहा है सस्स बहुत चुभ रहा है दर्द से गान्ड फॅट रही है तुम छोड़ दो ना".......रूपाली ने मिन्नत भरे लफ़्ज़ों में कहा

आदम मन ही माँ बुदबुदा रहा था "उफ्फ साली की क्या कसी गान्ड है? क्या चंपा? क्या ताहिरा मौसी ? और क्या सुधिया काकी? इसकी तो कच्ची उमर के साथ साथ गान्ड भी काफ़ी टाइट है उफ़फ्फ़ लगता है लंड अंदर घुसने से छिल गया".......इतने में बड़ी कस के आदम को अपने लिंग पे जलन महसूस हुई...रूपाली ने सख्ती से लिंग को अपनी गान्ड के भीतर दबा लिया था

आदम : गान्ड ढीली छोड़ो रूपाली वरना बहुत दर्द हो जाएगा

रूपाली : नही तुम निकाल लो ना


आदम : रोओ मत रूपाली देखो बस यही सील टुटनी रह गयी है फिर तुम पूरी तरीके से औरत बन जाओगी..बिशल दा ने तो ठीक ढंग से तुम्हारे साथ सेक्स भी नही किया मुझे तुम्हारे दोनो छेद खोलने पड़े

रूपाली : उस मदर्चोद का नाम मत लो कमीना पीके आता है और और मुरझाए लंड से 5-6 धक्के मारे बेदर्दी से लंड अंदर घुसाए झड जाता है ना मुझे मज़ा मिलता है और ना हम ठीक ढंग से एंजाय कर पाते है पता नही क्या देख लिया था उसमें?


आदम ने रूपाली को शांत किया और रूपाली की पकड़ ढीली हो गयी उसकी गान्ड के भीतर तक आदम अपना लंड घुसाने की नाकाम कोशिशें करता रहा....बीच बीच में उसे उठा कर गुसलखाने जाके आना पड़ता...उसका लिंग एकदम लाल हो गया था और उस पर घी और रूपाली का चिपचिपा सफेद सा कोई पदार्थ लगा हुआ था....आदम ने फिर गान्ड के छेद में लंड घुसाया...और लगभग कुछ घंटो की जद्दो जेहेद के बाद उसका लिंग पूरा रूपाली की गान्ड को फाड़ता हुआ घुस गया....रूपाली पहले बहुत तडपी बहुत चीखी..

पर उसे ऐसी कुँवारीयो की आगे लेनी थी...आदम ने कोई रहम नही किया...और वो उसे लगभग उस पर चढ़े हुए चोदता रहा...आदम का वजन पतला दुबला होने से कम ज़रूर था पर रूपाली के लिए उसका भार सहेन करना किसी बोझ से कम न था...वो बस औंधे मुँह पेट के बल तकिये में मुँह डाले लेटी पड़ी थी बेशुध....जब फ़च फ़च की आवाज़ और थप थप्प गान्ड और अंडकोष के लगने से आवाज़ आनी शुरू हुई तो महसूस हुआ कि उसकी आँखो में अब आँसू नही थे दर्द आहों में तब्दील हो गया था....गान्ड से हल्का खून भी रिस रिस के निकल गया था....और रूपाली पूरी आदम के नीचे दबी पड़ी थी...

आदम : देखा रूपाली मैने कहा था ना

रूपाली : हाए कमीने इस्शह उहह उहह एम्म्म आआहह सस्स आहह


आदम : उफ्फ क्या चिकनी गान्ड है रूपाली तुम्हारी? दिल करता है पूरी ज़िंदगी ऐसे ही घुसाए रखू


रूपाली आदम के धक्को को बर्दाश्त करते हुए सिसक रही थी....कुछ देर में आदम ने धक्के एकदम तेज़ कर दिए...आदम गरर गरर की आवाज़ निकालने लगा..और जब रूपाली को महसूस हुआ तो आदम तब तक झड चुका था...और उसके उपर ढह गया..दोनो पसीने पसीने हो रहे थे गर्मी अंदर की जैसे दोनो के जिस्मो से बह रही थी..थकावट और नींद की करवट दोनो की आँखे बुझा रही थी...

रूपाली को महसूस हुआ लिंग अब भी उसकी गान्ड के भीतर था और उसमें से कुछ चिपचिपा पर गरम गाढ़ा कुछ निकला था इससे पहले भी उसके पति ने अपना बीज उसके अंदर फैका था इसलिए वो जानती थी कि ये दूसरे मर्द का बीज उसके अंदर था....आदम ने लिंग बाहर निकाला तो फ़च की आवाज़ गान्ड के खुलने की जैसे आई...जैसे कोई थम्स अप की बोतल का ढक्कन ओपनर से खोलता है ठीक वैसी..

अगली सुबह 4 बजे के लगभग आदम को होश आया पूरी रात वो और रूपाली एकदुसरे से लिपटे सो रहे थे बस रूपाली को दी हुई लाल रंग की साड़ी चादर की तरह उनके नंगे बदन पे पड़ी हुई थी....रूपाली बिल्कुल नंगी आदम की पसीने से भरी छाती पे सर रखके सो रही थी....ऐसा लग रहा था जैसे कल उसकी शादी हुई हो और सुहागरात उसने रूपाली के साथ मनाई हो...बिस्तर पे फैले फूल अब मुरझा चुके थे कुछ दोनो की चुदाई से बिखरकर फर्श पे भी गिर पड़े थे...

आदम ने जब साड़ी उठाके रूपाली की चूत और गान्ड देखी तो दोनो पे लाल लाल खून के धब्बे जैसे लगे हुए थे...उसे अपने लिंग पे मिला जुला घी का चिपचिपापन और उस पर रूपाली की सील तोड़ने का खून लगा हुआ था आदम ने रूपाली के चेहरे को चूमा और टाय्लेट करने चला गया उसका लिंग अब सुस्त पड़ चुका था उसने पेशाब की मोटी धार छोड़ी और वापिस कमरे में आके रूपाली से लिपटके सो गया...

सुबह 10 बजे तक भी उनकी नींद नही खुली थी...और दरवाजे पे सुधिया काकी आके दस्तक दे रही थी..जब किसी ने दरवाजा ना खोला तो उसने आदम को रिंग मारके जगाया उसके फोन पे...आदम नंगा ही उठा अपनी कल की गिरी अंडरवेर डाली और दरवाजा खोला...सुधिया काकी उसको और रूपाली को बिस्तर पे नंगा सोया देख मुँह पे हाथ रखके शरमाने लगी

सुधिया काकी : मन गयी सुहागरात? हो गयी मौज मस्ती पूरी तोड़ दी सील अपनी भाभी की

आदम : हाहाहा आओ आओ काकी आप भी ना


सुधिया काकी : ऐसी नींद तो भीषण चुदाई के बाद आ सकती है तेरी आँखो को देखके लगता है तू पूरी रात सोया नही उफ्फ उपर से कल रात का तूफान तेरे घर के एरिया का पेड़ तक गिर गया

आदम : हां काकी कल बहुत भारी तूफ़ानी बारिश हुई थी और रूपाली ने तो मुझे थका ही दिया उफ्फ अच्छा मैं नहा कर आता हूँ तुम रूपाली की चूत थोड़ा सैक दो उसे तुम्हारी ज़रूरत है बहुत मज़े से कल चुदवाइ दर्द में होके भी

सुधिया : ऐसा क्या? चल ठीक है तू फारिग होके आ मैं कल रात से ही नही सोई थी सोच रही थी कि काश तुम दोनो की चुदाई देख सकूँ पर मैं तुम दोनो को अकेला छोड़ना चाहती थी ताकि रूपाली फ्री हो और उसे तो अब तक मेरे मज़ूद्गी का अहसास भी नही


आदम : लेकिन मैं डर गया था कि कहीं आपके साथ बाहर दरवाजे पे ताहिरा मौसी तो नही खड़ी

सुधिया : मैं तेरी राज़दार हूँ भला उसे कैसे यहाँ आने देती? आना तो चाह रही थी पर काम में फसि हुई थी वरना यहाँ आके अपनी बहू को तेरा बिस्तर गरम करते देख लेती

आदम : ह्म्म्म्म ये अच्छा किया आपने चलिए मैं आता हूँ (सुधिया काकी बिस्तर के करीब आई आदम अंदर किचन में आया)
 

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Jabardast story bhai..........
Plz keep posting...........
Waiting for update............
 

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इतने में आदम ब्रेकफास्ट बनाने लगा रूपाली और खुद के लिए साथ में सुधिया काकी के लिए चाइ भी चढ़ा दी चूल्हे पे....सुधिया काकी ने एक बार बिस्तर पे बिखरी पंखुड़िया और गंदी चादर को देखा फिर उसके उपर सो रही लाल रंग की आदम की दी साड़ी मे लिपटी रूपाली की ओर देखा और उसे जगाया...रूपाली आँखे मसल्ते हुए उन्हें देखके एकदम से डर कर साड़ी को अपनी छाती तक रख ली..सुधिया काकी मुस्कुराइ तब तक आदम भी उसकी चीख सुनके बाहर आया

उसने यह कहानी बनाई कि सुधिया काकी ने उन दोनो का रिश्ता पहले से बनता देख लिया था घूमते फिरते भी कयि दफ़ा देखा था इसलिए उनसे कुछ छुपाए नही पर रूपाली डर गयी थी उसकी ससुराल मे सुधिया काकी का आना जाना था...पर सुधिया काकी ने उसे समझाया कि वो डरे नही उसकी सास को कुछ मालूम नही चलेगा ना ही उसके पति को...

कुछ देर बाद रूपाली सुधिया काकी के सामने फ्री महसूस करने लगी रूपाली की साड़ी हटा के सुधिया काकी ने उसे नंगा कर दिया रूपाली उनके सामने एकदम नंगी लेटी हुई थी....आदम के दिए गरम पानी के पतीले को रखके उसमे गरम कपड़ा डालके उसने पहले एक रुमाल से रूपाली की चूत और गान्ड की छेद में लगे वीर्य और खून को सॉफ किया फिर उसकी चूत सैकी....रूपाली से सुधिया मज़ाक करने लगी कि कल रात सुहागरात कैसी कटी? देवर मिया का लिंग कैसा लगा? शरम के मारें रूपाली ने मुँह पे हाथ रख लिया...आदम इस बीच रूपाली की चूत सिकाई देख रहा था....कुछ देर बाद रूपाली को रहात महसूस हुई तो वो भी गुसलखाने से पेशाब करके लौटी...तीनो ने साथ में ब्रेकफास्ट किया फिर रूपाली को सुधिया काकी उसके मायके छोड़ने चली गयी...

सुबह 10 बजे तक मैं नाश्ता वास्ता तय्यार होके ऑफीस के लिए निकल पड़ा था....पूरा वक़्त थकान सा महसूस हो रहा था बार बार उबासिया ले रहा था...मालिक ने भी टोक दिया कि कल रात क्या सोए नही थे क्या?....मैं उन्हें क्या जवाब देता कि अपनी भाभी को पूरी रात चोद रहा था

खैर काम में मशगूल हो गया और वक़्त का पता ना चला....इतने में माँ की तस्वीर जो अक्सर मैं अपने टेबल पे रखे रखता था नज़र पड़ी...उफ्फ इस बीच माँ से बात तक नही की...एक कॉल कर ही लेता हूँ...ये सोचते हुए माँ को फोन लगाया

उधर हालत की कशमकश में अंजुम चुपचाप अपने ख्यालो में तन्हा घर को पोंच्छा लगा रही थी...पसीना पसीना होने से सलवार कमीज़ जिस्म से पूरी चिपकी हुई थी....अचानक तेज़ आवाज़ में मोबाइल की रिंगटोन बजते ही अंजुम पोंच्छा को निचोड़ते हुए बाल्टी में डाले उठ खड़ी होती है..उसके उठ खड़े होने से पाजामा उनके गोल गोल 36 साइज़ के नितंबो के बीच बिल्कुल पसीने से चिपक जाता है

अंजुम कमर पे हाथ रखके अपने माथे के पसीने को पोंछते हुए फोन उठाती है....उधर आदम की आवाज़ सुन उसका चेहरा ऐसे खिलखिला जाता है जैसे बेटे के ही फोन की उसे प्रतीक्षा थी...आज आदम ने खुद फोन किया था

अंजुम : हेलो हां बेटा बोल? आज माँ की याद आ गयी तुझे (अंजुम पलंग पे बैठते हुए कहती है)

आदम : हां माँ वो दरअसल सोचा आपसे बात कर लूँ (आदम जैसे मन ही मन पिछले वार्तालाप के लिए शर्मिंदा था)

अंजुम : हां हां क्यूँ नही? बोल बेटा वहाँ सब कैसा चल रहा है?

आदम : सब ठीक है माँ बस आप बताओ वहाँ सब ठीक है (आदम जैसे उखड़ी आवाज़ से कह रहा था जैसे वो बहुत शर्मिंदा था पर उसके पास कहने को शब्द नही थे)

अंजुम : बेटा यहाँ तो सब चल ही रहा है....मकान मालिक ने भाड़ा बढ़ा दिया और तेरे पिता वोई एक ही लेक्चर देते है छोड़ने की (अंजुम अपनी हालात से वैसे ही परेशान थी और अपने घर के हालात को बेटे को ना कहे उसे शांति नही मिलती)

आदम : क्या उन कुत्तो ने किराया बढ़ा दिया? उफ़फ्फ़ ये तो होना ही है हर जगह यही हाल है...और पापा अब क्या सोच रहे है?

अंजुम : वो क्या सोचेंगे? बोल रहे है नोयेडा शिफ्ट होंगे वहीं एक कमरा लेके रहेंगे और मुझे अपने मायके जाने को बोला

आदम : यार इस आदमी का कुछ नही हो सकता (आदम को सख़्त गुस्सा आया पर इस बार उसकी माँ को बुरा ना लगा उसे अपने पति से रत्तिभर प्यार नही था)

अंजुम : तू छोड़ ना बेटा तू काहे चिंता करता है तू आराम से रह

आदम : माँ अगर मैं कहूँगा तो तुम आओगी नही खैर मैं उस बारे में कुछ कहूँगा भी नही मर्ज़ी अपनी अपनी है लेकिन माँ मैं बहुत शर्मिंदा हूँ आज तक मैं इतने दिनो से आपसे रूड पेश आता आया

अंजुम चुपचाप सुन रही थी....उसका कलेजा जैसे भर आया था...उसे खुशी हुई कि बेटा वापिस शांत हो चुका था

आदम : आजतक मैने आपसे गाली गलोच से बात की अपनी विश के आगे इतना अँधा हो गया कि आपको भी मैं भूल गया एनीवे आइ आम सॉरी माँ मुझे मांफ कर दो

अंजुम : अर्रे बेटा अपने कभी अपनो से माँफी माँगते है भला और तू इतना ज़ज़्बाती क्यूँ हो रहा है? तू मेरा बेटा है मुझे भला तेरी बात क्यूँ बुरी लगेगी अगर तेरे पिताजी ने तुझे समझा होता तो तू आज ऐसा होता वहाँ अकेले रहता खैर तू अपनी ज़िंदगी जी और खुश रह

आदम : माँ मैं कह रहा था कि मैं दिल्ली आ रहा हूँ अगले महीने अपनी राखी का त्योहार है तो ट्रेन की टिकेट्स नही मिल रही (आदम के आने से मानो मान अंजुम के चेहरे पे खुशी की ल़हेर उमड़ पड़ी)

अंजुम : क्या सच में? आजा फिर देर किस बात की?

आदम : हाहाहा बिल्कुल माँ मैं जल्द से जल्द आने की पूरी कोशिश करूँगा एक बार टिकेट्स निकल जाए वेटिंग में होगा तो ट्रॅवेल एजेंट से निकलवा लूँगा


अंजुम : अच्छा तू जब भी आएगा तो तारीख बता देना मैं तेरे पिताजी को बता दूँगी तुझे रिसीव कर लेंगे स्टेशन से


आदम : अर्रे माँ व्हाई यू सो वरीड अबाउट मी? आइ कॅन टेक गुड केर ऑफ माइसेल्फ मैं अपना खुद का ख्याल रख सकता हूँ और यहाँ अकेले रहता हूँ नौकरी करता हूँ तो फिर फिकर कैसी?


अंजुम : हर माँ को अपने बेटे की फिकर होती है बाबू तुम नही समझोगे


आदम : ह्म एनीवे माँ तुम बाबूजी को मत बताना मैं तारीख बता दूँगा और खुद आ जाउन्गा

अंजुम : अच्छा बाबा अच्छा सुन बातों बातों में एक बात बताना तो भूल ही गयी

आदम : हां बोलो ना


अंजुम : मैं यह कह रही थी कि कल तेरे दोस्त की माँ आई थी मेरे घर सोफीया नाम बता रही थी तूने बताया नही कि तेरा कोई दोस्त भी था इंटरनेट पे


आदम जैसे सोच में डूब गया वो याद करने लगा कि यह किस दोस्त की माँ थी? कौन उसके घर आया था?

अंजुम : नाम कुछ उम्म्म उफ्फ देख मेरी याद्दाश्त को हाए अल्लाह वो बाप रे बड़ा तारीफ कर रही थी तेरी और उसके बेटे के बारे में बता रही थी कि वो और तू बहुत अच्छे दोस्त होया करते थे कॉलेज टाइम से अब याद आया कुछ तुझे मुंबई के है वो लोग

आदम : मुंबई के? हां हां (आदम को याद आया कि कॉलेज में उसका एक दोस्त होया करता था...जो काफ़ी लड़को से हटके था उसका यही अलग बर्ताव आदम को यूनीक लगा था और वोई कारण था दोनो की दोस्ती होने का हालाँकि वो लड़का आदम की बड़ी केयर करता था)

आदम : अच्छा हां वो कॉलेज में जब पढ़ रहा था तब उसने भी अड्मिशन लिया था हालाँकि उसके बाद वो मुंबई चला गया और हमारा कॉंटॅक्ट जो था टूट गया था

अंजुम : हां वोई बाप रे तेरी इतनी तारीफ कर रही थी वो बेटा उसका आया नही था साथ में पता नही कैसे करके उसे हमारा अड्रेस मिल गया शायद तूने कभी बताया होगा

आदम : हां शायद एरिया बताया था उस वक़्त तो हम दूसरे किराए का घर लिए हुए थे


अंजुम : ह्म तुझसे मिलने की ख्वाहिश जाहिर की है मैने उसे तेरा नंबर भी दे दिया तुझे उसने कॉल नही किया अभीतक

आदम : ह्म नही माँ कोई बात नही शायद बिज़ी होगा और आजकल क्या कर रहा है वो?

अंजुम : बाप रे फर्म चला रहा है आजकल सुना है बाप पहले ही चल बसे थे उनके
 
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