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Incest माँ को पाने की हसरत

Monster Dick

the black cock
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दरवाजा खुलते ही आदम और ताहिरा को बंद कमरे में देख वो औरत थोड़ा अस्चर्य चकित हुई...लगभग 62 की उमर थी पुरानी सी साड़ी पहन रखी थी....देखके ही लग रहा था घरो पर काम करती होगी ग्राम क्षेत्र की थी फिगर उसका चर्बिदार शरीर...चुचियाँ जैसे ब्लाउस फाड़के लटक जाए...गोल गहरी नाभि जिसके नीचे से थोड़ा पेट उठा हुआ था...भारी उचे नितंब थे वजन लगभग 76 किलो तो होगा अढेढ़ उमर की औरत थी नाम था सुधिया....सुधिया काकी जो ताहिरा मौसी के घर आना जाना करती थी....जिसके बारे में ताहिरा मौसी ने पहले बताया था

ताहिरा मौसी उसको देखके सकपकाई ज़रूर पर उसकी घबराहट गायब हुई....

सुधिया काकी : तू बंद कमरे में क्या कर रही थी और ये लड़का कौन है?

मौसी : ये मेरी बहन अंजुम का बेटा मेरा भांजा

सुधिया : ओह अच्छा बेटा कैसा है तू? तेरी मौसी तेरे बारे में बड़ी बात करती रहती है तेरी माँ ठीक है?

आदम : हां काकी जी

मौसी : वो दरअसल ये मेरी मालिश कर रहा था

ये सुनके आदम थोड़ा सा चौंक ज़रूर गया...पर सुधिया काकी मुस्कुराइ जैसे उसे कमरे के अंदर क्या चल रहा था इस बात की भनक जैसी लग गयी हो...पर उसे कोई ज़्यादा हैरानी नही हुई..सॉफ ज़ाहिर था खेली खाई औरत थी कुछ कुछ समझ रही थी...

ताहिरा मौसी : अर्रे सुधिया काकी लेकिन आप इतनी जल्दी कैसे आ गयी? आप तो शाम को आने वाली थी ना

सुधिया काकी : गाओं गयी थी ना तो सोचा जल्दी से टाउन आ जाउ फोन आने लगे थे बर्तन कपड़े धोना था चार घर का 2 दिन से छुट्टी कर रखी थी सोचा जल्दी ही आ जाउ

ताहिरा मौसी : ये तो आपने ठीक किया (ताहिरा अब भी हाँफ रही थी उसका पूरा बदन काँप रहा था चेहरा लाल सा था उसकी हालत को सुधिया काकी ने नोटीस कर लिया और वो आदम को भी देखने लगी मेरे जीन्स के बटन और ज़िप खुली देखके वो मुस्कुराइ जिसे भाँपते ही आदम जल्दी जल्दी ज़िप लगाने लगा)

सुधिया काकी : वाह लगता है भानजे ने मालिश अच्छी की पर ताहिरा कम से कम अंदर कुछ पहन तो लिया कर

ताहिरा मौसी को समझ में आते ही वो हड़बड़ा सी गयी उसकी ज़ुबान लरखड़ाने लगी....सुधिया काकी को उसकी नाइटी के बाहर से चुचियो के सख़्त कठोर निपल्स सॉफ दिख रहे थे....

ताहिरा मौसी : ह..हां क्या कर..ए ? वो रात को बड़ी गर्मी लगती है ना इसलिए सिर्फ़ नाइटी पहन लेती हूँ

सुधिया काकी : हाहाहा मुझसे ना छुपा तेरा पति भी इस उमर में भी बड़ा थर्कि है मधमेय का रोगी है पर अब भी खड़ा हो जाता है उसका (मौसी के गाल शरम से लाल हो गये और सुधिया के लफ़्ज़ों ने आदम का लंड और खड़ा करवा दिया)

ताहिरा मौसी : काकी आदम सुन रहा है क्या सोचेगा आप भी ना ?

सुधिया काकी : अर्रे ये क्या सोचेगा? ये तो नया नया जवान हुआ है क्या मर्द औरत के बीच का रिश्ता जानता नही होगा...लेकिन तुझे शरम आनी चाहिए कि कम से कम पीछे दीवार की छोटी सी खिड़की तो बंद करके मालिश करवाती

ताहिरा और आदम अचंभित होके एकदुसरे का मुँह देखने लगे.....यानी चोरी पकड़ी जा चुकी थी....आदम जनता था सुधिया काकी से कुछ छुपा नही है

सुधिया काकी : इतना घबराने या डरने की ज़रूरत नही तुम दोनो को मुझे आजतक लगता आया है कि इस खेल में सिर्फ़ मैं ही खिलाडन हूँ पर यहाँ तो ताहिरा तू भी खिलाड़ी बनी बैठी है अपने ही भानजे के साथ

ताहिरा : नही नही वो बस क्या बोलूं


सुधिया काकी : अर्रे तो छुपाना कैसा वो भी सुधिया से मैं क्या पराई हूँ? तू भी औरत है और मैं भी


ताहिरा : इसका मतलब आप भी अपने परिवार में किसी से


सुधिया काकी : किसी भानजे या भतीजे से नही अपने बेटे रामदीन से


ताहिरा : क्या रामदीन? (एकाएक ताहिरा मासी का मुँह खुला का खुला रह गया यानी कि अब तक उन्हें भी सुधिया काकी किससे फसि हुई है ये मालूम था नही)

अड़ेढ़ उमर की थी ज़रूर लेकिन लगता है भोसड़ी में अब भी खुजली बरक़रार थी जो सहावत वो अपने बेटे से पूरी कर रही थी...उसका बेटा रामदीन कोई 23 साल का लौंडा था जो शहर में काम करता था और 15 15 दिन घर बैठा रहता था....बाप रिकक्षावाला था 2 साल पहले मर गया उन्ही दो सालो के अंदर रामदीन सुधिया काकी यानी अपनी माँ को चोदने लगा था...इसमें पहल माँ ने ही कर दी थी


आख़िर उसे चूत की इतनी खुजली थी कि मिटाने वाला कोई था नही...हालाँकि चुदक्कड किसम की औरत थी और उसके काई नाजायेज़ रिश्ते रहे थे पर 1 राउंड के बाद कोई उसकी बुर में लंड नही डालता था क्यूंकी साली मर्दो को इस उमर में भी थका देती थी और शायद बुढ़िया होने की वजह भी कहीं थी....रामदीन को एकदिन माँ ने रंगे हाथो एक रंडी को खेतो में चोद्ता देख लिया...जिसके बाद दोनो माँ बेटों में कुछ दिन तक झगड़ा बरक़रार रहा...लेकिन बेटे ने सॉफ कह दिया मुझे शादी नही करनी बस ऐसे ही औरतों के साथ संबंध बनाने है अब तू किसी से भी बनवा....सुधिया बेशरम औरत थी बेटे के लिंग को उसने देखा था कितना मोटा और लंबा था उसे डर लगा कहीं ग़लत इरादा करके वो घर छोड़ ना दे जिससे कि वो सड़क पे आ जाए और उसने फ़ैसला करते हुए अपने बेटे के सामने नंगी पेश हो गयी....शुरू शुरू में बेटे को थोड़ा अज़ीब लगा पर अब काम से फारिग होके वो अपनी हसरत माँ के साथ घर की चार दीवारी में उसकी चूत गान्ड की चुदाई करके निकालता था

ताहिरा और आदम का डर गायब हो गया और वो निसचिंत हुए कि चलो उनकी चोरी किसी की आँखो में नही आई ....सुधिया ताहिरा को मशवरा देने लगी और उसे और प्रोत्साहन करने लगी कि वो आदम को ढंग से चुदाई करना सिखाए तभी उसे पूरा मज़ा मिलेगा....ताहिरा आदम के सामने बेशर्मो की तरह सुन रही थी आदम का लिंग अपनी औकात में खड़ा था


सुधिया : पीछे की गली बंद ज़रूर है पर कभी कभी कोई ना कोई गुज़र जाता है तेरी पीछे की खिड़की खुली थी और मैं तफ़सील करना चाह रही थी कि तू घर में है कि नही बस जैसे ही खिड़की से देखा तो तेरा ये भांजा तेरी पीठ की मालिश करते हुए तेरी गान्ड में अपना मोटा लिंग रगड़ने लगा था....उसके बाद इसने तुझे पलटा दिया और तेरी छातियो की मालिश कर ही रहा था इतने में मुझे लगा कि कोई सच में तेरे घर आ ना जाए वरना तेरी पोल तो खुल जाएगी इसलिए मैं खुद तेरे यहाँ आ गयी कब कौन आ जाए क्या पता तेरा बेटा या बहू आ जाते तो तू क्या करती? वैसे मालिश तो तेरा भांजा अच्छे से करता है मैने गौर किया है


आदम का चेहरा लाल हो गया उनकी बातों से


ताहिरा : ह्म पर आपने अच्छा किया दरअसल मैं और यह इतने ज़्यादा बहेक गये कि वक़्त और जगह देखा ही नही

सुधिया : चल कोई बात नही पर मुझे खुशी है कि तेरे पीछे कोई तो है अब


ताहिरा का मुँह लाल हो गया शरम से वो आदम से जैसे नज़र चुराने लगी ...फिर आदम ने ही बात छेड़ी और सुधिया काकी को अपनी समस्या बताई...ताहिरा भी आदम की बीमारी उन्हें बताने लगी सुधिया काकी कुछ देर सुनके काफ़ी गंभीर चुपचाप खड़ी रही

सुधिया : ह्म समस्या है पर गंभीर नही सुधिया किस मर्ज़ की दवा है इसके लिए आदम तुम्हें एक दवा खानी होगी और अपने लिंग की मालिश भी


आदम : क्या मालिश?


सुधिया : हां एक बार औज़ार दिखाना

आदम शर्मा गया और ताहिरा मौसी की ओर देखने लगा...."अब शरमाना कैसा? सुधिया काकी सबकुछ जान चुकी है चल तुझे डर है तो अंदर के कमरे में सुधिया काकी को दिखा दे....आदम ने हामी भरी और तीनो कमरे में आए
 

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आदम ने झट से अपनी जीन्स और कच्छा नीचे टाँगों तक उतार दिया...ठीक उसी पल ताहिरा और सुधिया काकी के सामने आदम का लंड फूँकारे मारते हुए उत्तेजना में खड़ा सलामी देने लगा....

सुधिया : ह्म ये तो पूरा अपनी औकात पे खड़ा है (सुधिया काकी के मज़बूत हाथो ने मेरे लिंग को जो पकड़ा तो मेरे पूरे शरीर में सनसनी दौड़ गयी)

सुधिया : अभी पानी नही निकाला इसलिए एकदम लोहे जैसा सख़्त हो रखा है...ह्म इलाज हो जाएगा इसका मुझे आज का वक़्त दे (काकी ने मेरे लिंग को मुट्ठी में कस्के इधर उधर घुमाके बड़े गौर से देखा)

"1 महीने की मालिश में ही इसका और भी लंबा और मोटा हो जाएगा और छूटने पे काबू पाने लगेगा जिससे ये लंबी चुदाई करेगा और औरतों को संतुष्ट भी कर सकेगा".......ताहिरा की आँखो में चमक सी आई वो मुझे देखके मुस्कुराइ

ताहिरा : तब तो जल्द से जल्द इलाज शुरू कर दो


सुधिया : लेकिन ये इलाज मुझे ही करना होगा क्यूंकी मेरे हाथ सख़्त है और तुझे भी शरीक होना होगा पर याद रहे इस 1 महीनो के अंदर आदम तुम्हें किसी के साथ यौन संबंध नही बनाना वो मालिश की औषधि मैं एक वैद से ले आउन्गि इसकी मालिश मैं खुद करूँगी


आदम : तो कितना देना होगा?

सुधिया : हट पगोल पैसा क्यूँ देगा तू? ताहिरा का भांजा मतलब मेरा भी ख़ास कोई पैसे वैसे देने की ज़रूरत नही मैं दवाई कल लाके ताहिरा को दूँगी तुम मौसी के पास आके ले लेना बाकी रही मालिश की तो मुझे यहीं करना होगा

ताहिरा : यहाँ नही कल तो रविवार है


सुधिया : तो जगह मुक़र्रर कर


आदम : अर्रे आप लोग चिंता क्यूँ करते है? मैं अकेले रहता हूँ कोई साथ में नही है आप लोग मेरे यहाँ आ जाइएगा मैं आपको घर तक का किराया दे दूँगा प्ल्स ना मत कीजिए बस इलाज जल्द से जल्द करवा दीजिए

ताहिरा : हां काकी


सुधिया : तो ठीक है कल मैं और ताहिरा तुम्हारे घर आके वही से तुम्हारी मालिश शुरू कर देंगे पर ध्यान रहे कोई हम तीन के अलावा ना हो

आदम : उसकी फिकर ना कीजिए मेरे अलावा और आप लोगो के अलावा कोई नही होगा


इरादा तय हो गया....सुधिया काकी और कुछ देर तक बात करके हमसे फिर चली गयी जाते जाते मुस्कुरा के कह गयी अधूरा काम जल्दी निपटा लो मौसी और मैं शर्मा गये....ताहिरा मासी लेट हो रही थी इसलिए वो मुझे झूठा गुस्सा दिखाते हुए कपड़े धोने गुसलखाने चली गई....अभी मौसा या किसी के आने का वक़्त नही था...मैं बहुत एग्ज़ाइटेड था कि ताहिरा मौसी ने मेरे इलाज का इंतज़ाम कर दिया है और ताहिरा मौसी भी रोमांचित थी मेरे इलाज से मेरे मोटे लंबे लिंग को लेने की चाहत उनमें भी कहीं ना कहीं थी

जो अधूरा रह गया था उसे पूरा करने दिया जाए सोचके मैने कमरा ठीक से बंद किया और गुसलखाने पे दस्तक देने लगा.....मौसी नहाने की तय्यारी कर रही थी..."अर्रे कौन है?".....मौसी ज़ोर से बोली


आदम : मौसी दरवाजा खोलो ना

मौसी : आदम बाज आजा तू इतना बेशरम हो गया है सुधिया काकी ने देख लिया अब भी जी नही भरा तेरा

आदम : वोई तो जी नही भरा मेरा

मौसी : हाए अल्लाह तू तो तेरे मौसा से भी ज़्यादा थर्कि है रुक तेरी शादी करवानी पड़ेगी

आदम : मौसी अभी हाथ में टाइम है खोल दो ना


मौसी : नही बाबा मुझे नहा लेने दे फिर कभी


आदम : प्लज़्ज़्ज़ ना मौसी एक बार बस एक बार प्लज़्ज़्ज़

काफ़ी उकसाने समझाने के बाद लोहे का दरवाजा हल्का सा खुला मैने झट से दरवाजा आधा खोला और अंदर दाखिल होके फटाक से कुण्डी लगा दी....मौसी हड़बड़ा के उठ गयी उनके पूरे बदन पे साबुन लगा हुआ था और फर्श पे कपड़े थे जो अब भी धो रही थी....मैने अपने कपड़े जैसे तैसे उतारे और कच्छा भी उतार लिया....मेरा फन्फनाता लंड देखके मौसी की आँखे बड़ी बड़ी हो गयी

मौसी : देख कितना काम पड़ा है अब तक तो मैं निपट भी जाती

आदम : अच्छा लाओ मैं मदद कर देता हूँ


मौसी की नही सुनी और सीधे कपड़ों को निचोड़ने लगा हम दोनो झुके हुए थे इसलिए ताहिरा मौसी के झुकने से उसकी झूलती साबुन लगी चिकनी छातियो को मैं घूर्रने लगा...एक को हाथ में लेके दबा सा दिया तो मौसी के मुँह से आआहह फुट पड़ी...

कपड़े निचोड़के धो देने के बाद मैने मौसी को अपनी बाहों में खेंच लिया उसकी कमर में हाथ लपेटे हुए उसके हाथो में अपना लंड दे दिया...वो मेरे मोटे लंड को आगे पीछे करके हिलाने लगी....पास में मग था जिससे मैं उनके शरीर पे और अपने शरीर पे पानी डालने लगा....मौसी की टाँगों के बीच काफ़ी झान्टे उगी हुई थी और कांख में भी बाल थे जो शायद कयि महीनो से सॉफ नही की थी मौसी
 

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मैं उनके कांख के बाल पे हाथ फेरने लगा और फिर अपना लिंग उन्हें सहलाने को बोला....उन्होने लंड को सहलाया और उसे बड़े गौर से देखने लगी...

ताहिरा : वाक़ई तेरा लंड मोटा है सस्स कितना कठोर है?

आदम : मुँह में लेके देखो

ताहिरा : छी घिन आती है

आदम : अच्छा मौसा जी का भी तो चुस्ती होगी तुम

ताहिरा मौसी का जवाब ना पाके मैं समझ चुका था....मैं उनके चेहरे पे आगे बढ़के लिंग का दबाव देने लगा...तो उन्होने अपने चेहरे से लिंग हटाते हुए अपने मुँह में ले लिया और दो-तीन बार बड़े प्यार से चुस्के मुँह से बाहर निकाल दिया जैसे उनसे हो नही पा रहा हो पर मैने सख्ती से उनके बाल पकड़े और उनके मुँह में अपना लंड घुसा दिया...वो फिर से मेरे लंड को उगलने लगी पर मैं डटा रहा और उनके बाल नही छोड़े पूरा जड़ तक हलक में घुसा दिया वो अओउूउ अओउू करने लगी उनकी आँखे बाहर को आ गयी फिर मैने लिंग को उनके मुँह से निकाला वो ख़ासने लगी और फिर मुँह से थूक फैक्ते हुए मेरे लिंग को दुबारा चूसा....इस बार बड़े प्यार से कुछ देर चुसवाने के बाद मैने अंडकोष के नीचे उनका मुँह लाया वो मेरे टट्टो को चाटने लगी उसमें अपना चेहरा रगड़ने लगी...वो किसी पेशेवर रांड़ की तरह दिख रही थी


फिर उसके मुँह में लंड दिया उसने फिर चूसा...उसके बाद मेरे लंड पे ढेर सारा थूक लगा दिया....मेरे गीले लंड को उसने हाथो में लिए दबोचा...मैने उन्हें उठाया और उनके चेहरे को पकड़के स्मूच करने लगा...हम दोनो एकदुसरे के होंठो को चुस्सते रहे....एक अज़ीब सा सुख प्राप्त हो रहा था जैसे हमे एकदुसरे की ज़ुबान और होंठो को चूस्ते हुए मज़ा आ रहा था ..उनके मुँह से आती गरम हवा मुझे अपने मुँह में महसूस हो रही थी...

फिर हमने होंठ अलग किए मौसी अब तक चुदने को तय्यार हो चुकी थी आँखें लाल हो चुकी थी...मैने उन्हें वोई गुसलखाने में लेटा दिया और उनकी टाँगों को अपनी कमर में इर्द गिर्द लपेट दिया अपने लिंग को उनकी चूत में अड्जस्ट करने लगा....उनकी झान्टो के बालों में लिंग को रगड़ते हुए चूत के मुँह पे लंड रखा और धक्का दिया....लंड अंदर फ़च से घुस्स गया मौसी की चूत ने मेरा लंड खा लिया

आदम : ओह्ह क्या गरम भट्टी है? सस्शह उफ़फ्फ़


मौसी : उफ़फ्फ़ आहह मार धक्के इस्सह आदम (वो मुझे अपनी नंगी छातियो से लगाने लगी उनकी खरबूजे जैसी चुचियाँ मेरे सीने से दब गयी)

मैं नीचे से धक्के पेलने लगा..उफ्फ उनकी चूत काफ़ी रसभरी और गरम थी अंदर से...हर धक्के में मुझे पूरी ताक़त लगानी पड़ती अपनी कुल्हो में....मेरे चूतड़ आगे पीछे हो रहे थे और वो बुरी तरह छटपटा रही थी सर इधर उधर मार रही थी...मैं 5 धक्के ही लगाया होउंगा कि मेरा छूटने के कगार पे पहुच गया मैं कुछ देर शांत रहा तो एक जलन का अहसास हुआ चूत की गिरफ़्त में मेरा लंड था

और मौसी ने बड़े कस्के मेरे लंड को दबोच लिया था...फिर उन्होने अपनी पकड़ ढीली छोड़ी और खुद नीचे से लंड को भीतर से रगड़ने लगी चूत से...मैं उनकी चुचियो को चुस्सने लगा उन्हें शांत करने लगा...लेकिन वो मुझे चोदने के लिए उकसा रही थी

ताहिरा : और कर ना ?

आदम : मौसी निकल जाएगा

ताहिरा : आदम कर कुछ नही होगा


मैं फिर धीरे धीरे धक्के मारने लगा इस बार संयम से...अब तक मेरा लिंग छोटा पड़ गया था....मेरे धक्के मारते ही मुझे कुछ गरम गरम अहसास हुआ ताहिरा मौसी झढ़ चुकी थी वो आँखें मुन्दे सी पड़ी थी बस मुँह से ओह्ह्ह ओह्ह्ह आहह उम्म्म की आवाज़ें आ रही थी...कुछ धक्को बाद मैने चूत से लंड को पूरी ताक़त से बाहर खींचा और उसके बाद उनकी चूत की फांकों को देखने लगा जो बैगनी रंग की थी...उनकी चूत के दाने को मुँह में भरके तीन उंगली चूत में करने लगा..मौसी को मज़ा आ रहा था

उन्होने अपनी टाँगें चौड़ी कर ली...मैं उंगली तेज़ी से करने लगा...उसके बाद मैने तीन उंगली जब बाहर निकाली तो वो मौसी के रस से भीगी हुई थी एक को जब मुँह में लिया तो उसका स्वाद नमकीन सा था...मैने मौसी को हाथ देके खड़ा किया और उन्हें घोड़ी बनाया अब उनकी गान्ड की फांकों के बीच में था मेरा लंड मैं उनकी गान्ड मारना चाह रहा था...

ताहिरा : नही गान्ड नही वो मत मार ससस्स बहुत दिनो से नही मारी इसलिए टाइट हो गयी है


आदम : मैं उंगली करके चौड़ा कर देता हूँ

ताहिरा : नही नही तू चूत मार ले


आदम : अर्रे कुछ नही होगा थोड़ा घुसा लेने दो दर्द ख़तम हो जाएगा

ताहिरा : ठीक है जल्दी कर

मैने पूरी ताक़त से उनकी गान्ड को चौड़ा किया और अपने लंड पे और उनकी गान्ड के छेद पे ढेर सारा थूक डालके उसमें उंगली करके गीला कर दिया अब मैं लंड को उनके छेद में आहिस्ते आहिस्ते फिराते हुए घुसाने लगा जैसे काफ़ी मुस्किलो बाद सुपाडा अंदर दाखिल ही हुआ था तो मौसी ने अपने मुँह पे हाथ रख लिया....इतने में बाहर से मौसा की आवाज़ सुनाई दी....वो घर की कुण्डी लगी देख बाथरूंम में आवाज़ लगा रहे थे

मौसा : क्या री? बिशल की माँ अंदर हो क्या?

ताहिरा और मैं फिर एक बार हड़बड़ाये...ताहिरा मौसी को मैने इशारा करते हुए कहा कि जवाब दे ताहिरा मौसी ने डरते हुए जवाब दिया कि वो नहा रही है 10 मिनट लगेगा....मौसा ने कोई जवाब नही दिया बस इतना बोले कि उन्हें ज़ोरो की भूक लगी है इतना कह कर वो पास के कमरे में दाखिल हो गये थॅंक गॉड साथ में कोई कपड़ा नही लाया था वरना पूछते कि कौन आया हुआ है? और कहाँ है?....ताहिरा ख़ौफ्फ भरी निगाहो से मेरी ओर देखने लगी....मैने उन्हें फिर घोड़ी बनाके झुकाया और उनके नितंबो के बीच के छेद में फँसे मेरे लंड पे पूरा दबाव देने लगा


धीरे धीरे लिंग अंदर घुस्सने लगा और आधा लिंग जैसे अंदर गया वो तड़पने लगी...मैं वैसे ही धक्के पेलने लगा...वो हल्की हल्की आहें भर रही थी...मौसा को मालूम नही कि गुसलखाने मे उनकी बीवी अपने भानजे से चुद रही है इधर मौसी की गान्ड में आधा लिंग घुसाए मैं उनकी चुदाई कर रहा था

अब मेरा सबर का बाँध टूटने लगा और मैने मौसी की खरबूजे जैसी चुचियो को कस कस्स्के दबोचते हुए मुट्ठी कस्स ली और ठीक उसी पल मेरे लिंग ने बेतहाशा पानी छोड़ा जो उनकी गान्ड को गीली करते हुए अंदर दाखिल हो रहा था....उनका पूरा बदन काँप उठा फिर झड़ने के बाद मैं किसी सांड़ की तरह उनके उपर से उतर गया उनके गान्ड के छेद से लिंग बाहर को हल्के से निकाला जो अंदर की गंदगी और मेरे वीर्य से लथपथ था और फिर उनकी गान्ड के छेद की तरफ देखा जो खुल रहा था सिकुड रहा था...और मेरा वीर्य उगल रहा था छेद से लेके चूत के हिस्से तक मेरा गाढ़ा सफेद वीर्य बह रहा था...और फर्श पे टपक भी रहा था..

मौसी उठ खड़ी हुई फिर हम दोनो साथ में नहाए और उसने रास्ता देखके के जैसे तैसे मुझे बाहर जाने का इशारा किया मैं बाहर निकलके दबे पाओ गली से बाहर हो लिया उसके एक चक्कर बाद जब वापिस आया तो सीधे कमरे में आया मौसा से मिला....वो मुझसे गले लगे..कुछ देर बाद मौसी पीले रंग की नाइटी पहन के अंदर आई मुझे देखके शरमाने लगी....रात तक मैं रुका था

रूपाली भी आई जिसे देखके मेरे दिल की धड़कन फिर तेज़ हो गयी लेकिन उसके पति के आते ही कुछ देर हम साथ रात के खाने के वक़्त बैठे गपशप किए लेकिन उसके बाद रूपाली अपने पति के साथ उठके रूम में चली गयी...रात में मौसी के साथ फिर कोई चुदाई का प्रोग्राम नही बना क्यूंकी मौसा और मौसी भी अपने कमरे में जा चुके थे

रात को साथ मे परिवार के साथ भोजन करने का अलग आनंद था…रूपाली से इस बीच काफ़ी बात चीत करने का मन बना हालाँकि उसके पति के सामने इतना कुछ सवालात तो कर ना सका पर खातिरदारी में मौसी और रूपाली ने कोई कसर नही छोड़ी थी और मौसा और भाई से मिलके भी अच्छा महसूस हो रहा था…

लेकिन पूरी रात नींद नही आ रही थी मुझे....आज भीषण चुदाई जो की थी ताहिरा मौसी की उफ्फ अब भी आँखो में उनकी सिकुद्ती खुलती गान्ड के छेद से निकलता मेरा वीर्य दिख रहा था...कैसे गुसलखाने में ही उनकी मस्त चुदाई की थी...अभी सोच की कशमकश में डूबा सा था..कि एक शैतानी हरकत सूझी
 
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बरामदे से ठीक दूसरे कोने वाले कमरे में मैं सो रहा था जो कि अक्सर गेस्ट के लिए ही खाली पड़ा रहा करता था...पर अक्सर झड़प मिया बीवी के बीच होते ही बिशल या तो मौसा जी यही आके सो जाया करते थे पर आज मैं कमरे में अकेला था...सुबह का 1 बज चुका था...दूर कहीं किसी काली के मंदिर मे धन्न धन्न की आवाज़ सुनाई दे रही थी शायद यहाँ रात्रि पूजा होती है

मैं उठके पानी पीने के लिए बाहर बरामदे में आया...फ्रिड्ज से पानी की बोतल निकालके गटागट पाँच घूँट मारें और फिर मूतने के लिए गुसलखाने में घुस गया...अचानक मूत ते वक़्त रूपाली का ख्याल आ गया उफ्फ बिशल उसे बड़ी जल्दी कमरे में ले गया था...वो भी माँ बाप के सामने बेशर्मी से क्या वो लोग अब भी चुदाई कर रहे होंगे? पर इतनी देर मे चुदाई का भूत उसके सर से उठ चुका होगा....क्यूँ ना एक बार झाँका जाए उनके कमरे में

सोचते ही मेरा लिंग फनफना कर खड़ा हो गया...मूतने में बड़ी दुविधा हुई... बाहर आया और अपने खड़े लिंग को पाजामे के भीतर ही अड्जस्ट करता हुआ पहले मौसा मौसी के कमरे के दरवाजे के पास आके कान लगाने लगा....अंदर से कोई आवाज़ नही आ रही थी चारो तरफ खामोशी छाई हुई थी

फिर मैं सामने वाले यानी बिशल के कमरे के नज़दीक आया उसके कमरे का दरवाजा लगा हुआ था...कान लगाके सुनने लगा पर पंखे की आवाज़ छोड़के मुझे कुछ और सुनाई ना दिया...फिर मैं चप्पल पहन कर गली से बाहर की ओर निकला वैसे तो इतनी रात गये रास्ते पे कोई चहेल पहेल नही होती फिर भी दूर दूर में कुत्तो की रोने की आवाज़ें आ रही थी....लेकिन जिसके दिमाग़ में उस वक़्त सेक्स का ही ख्याल उमड़ा हुआ हो वो इंसान जोश में अपने आस पास क्या हो रहा है इस पे ध्यान नही देता मेरी हालत बिल्कुल वैसी ही थी..

मैं बाहर आया और ठीक जहाँ से ताहिरा मौसी का घर दर्ज़ी की दुकान पे ख़तम हो जाता है उसके दरमियाँ एक खिड़की थी और मुस्किल ये थी कि वो खिड़की कोने की नाली के ठीक उपर थी...मेरी हाइट थोड़ी लंबी थी इसलिए मैं धीरे धीरे करके थोड़ा उचक के खिड़की को हल्का सा धक्का देने लगा..अचानक अंदर की रोशनी जल पड़ी और मेरी फॅट गयी

मैं दुबक के दीवार से नीचे सटा बैठा रहा...आस पास बहुतों के मकान थे कोई भी देख लेता तो चोर समझके शोर मचा देता या उसी वक़्त मुझे पकड़ लेता पर गनीमत थी सब अपने अपने घरो में बंद थे...मैने हिम्मत करके सर थोड़ा उपर उठाया तो कमरे का दृश्य दिखने लगा...अंदर नीले रंग की जॉकी का कच्छा पहने मेरा भाई पलंग पे चारो खाने चित खर्राटे भर रहा था और उसके कच्छे का उभार सामने दिख रहा था जबकि दूसरी ओर मुझे रूपाली दिखी जो अभी तक सोई हुई नही थी वो बिशल को देखते हुए आहिस्ते आहिस्ते चादर ठीक कर रही थी...पास की दराज़ के उपर अस्ट्रे में एक बुझी सिगरेट पड़ी हुई थी..और रूपाली नाइटी में हल्के पीले रंग की . काश 2 मिनट पहले आता तो उसे नंगी ज़रूर देख लेता

रूपाली और बिशल की शायद दोनो की काफ़ी देर पहले चुदाई हुई थी और इसी वजह से रूपाली को अब तक नींद नही आई हुई थी...जबकि बिशल नापकीयत में ही सो गया था...रूपाली की चाल ढाल और मुरझाया चेहरा और बिखरे बाल देखके सॉफ दिख रहा था कि बिशल ने उसे काफ़ी देर तक चोदा है हालाँकि उसकी आँखे बोझल सी ज़रूर लग रही थी

मैं तुरंत हड़बड़ाते हुए खिड़की को बिना सटाये वापिस गली से अंदर बरामदे में आया और तुरंत गुसलखाने में घुस गया मुझे वोई ठीक लगा...क्यूंकी रूपाली पेशाब करने के लिए गुसलखाने ही घुसती....मैने दरवाजा आधा सटाया और टाय्लेट की नाली के पास झूंट मूठ का बैठके ज़ोर लगाने लगा

लिंग वैसे ही एकदम खड़ा था...इतने में गुसलखाने की लाइट ऑन हुई और अचानक रूपाली ने आधा दरवाजा खोले मुझे अधनंगा पेशाब करते हुए बैठा पाया तो हड़बड़ा कर दरवाजा लगाए बाहर उतर गयी...मैं झूंट मूठ का पानी डाले बाहर आया और उससे माँफी मागने लगा

रूपाली : अर्रे तुम अभी तक सोए नही? कम से कम लाइट जला लेते मुझे लगा बाथरूम में कोई नही है

आदम : असल में मुझे लगा इस वक़्त तो सब सो रहे है और मैं थोड़ा नींद में था ध्यान नही दिया

रूपाली : हाहाहा कोई बात नही (उसके चेहरे पे सॉफ उत्तेजना देखी थी मैने शायद उसने मेरे लंड को पूरी तरीके से देख लिया)

वो उस वक़्त बिना ज़्यादा कुछ कहे मुस्कुराए गुसलखाने में चली गयी कुछ देर में ही मुझे उसके पेशाब करने की आवाज़ सुनाई दी...शायद उसकी चुत ने मोटी धार पेशाब की अपने छेद से बहाना शुरू किया था...लेकिन किस्मत खराब मैं उसे नंगी देख नही पाया क्यूंकी दरवाजा लोहे का था और उसमें कोई छेद नही था...

मैं अपने कमरे में आ गया ताकि उसे ये ना लगे कि मैं जानभुज्के बाहर अब भी उसके इन्तिजार में खड़ा हूँ छोटे टाउन की लड़की है ना जाने क्या उसके मन में विचार आए? मैं जल्दी से कमरे में आ गया दरवाजा हल्का सटा दिया और अपने सारे कपड़े उतारके चादर ओढ़ ली..मुझे गुसलखाने के दरवाजे के खुलने की आवाज़ सुनाई दी फिर बंद होने की फिर लाइट ऑफ करने की फिर बगल वाले कमरे का दरवाजा ज़ोर से लगाए जाने की....मैं चाहता तो आगे क्या हुआ फिर खिड़की से झाँक के देख सकता था...पर आँखे जल रही थी और मुझे कल सुबह जल्दी उठना था इसलिए मैं सो गया

अगले दिन प्रोग्राम में साला थोड़ी बाधा पड़ गयी....भारी भीषण बरसात शुरू हो गयी...सुधिया काकी थोड़ा दूर से आती थी इसलिए ताहिरा मौसी ने सुबह सुबह नाश्ते में ये जता दिया था कि शायद आज प्रोग्राम कॅन्सल हो सकता है....मैने उन्हें कहा कि मैं थोड़ा घर होके आ जाता हूँ एक बार चक्कर भी लगा लूँगा पहले तो ताहिरा मौसी ने मना किया फिर वो राज़ी हो गयी
 

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अगले दिन प्रोग्राम में साला थोड़ी बाधा पड़ गयी....भारी भीषण बरसात शुरू हो गयी...सुधिया काकी थोड़ा दूर से आती थी इसलिए ताहिरा मौसी ने सुबह सुबह नाश्ते में ये जता दिया था कि शायद आज प्रोग्राम कॅन्सल हो सकता है....मैने उन्हें कहा कि मैं थोड़ा घर होके आ जाता हूँ एक बार चक्कर भी लगा लूँगा पहले तो ताहिरा मौसी ने मना किया फिर वो राज़ी हो गयी

मैं जैसे तैसे भीगते भागते मेन रोड से थ्री वीलर लेके अपने घर पहुचा कपड़े बदले और सुधिया काकी का नंबर जो मौसी से हासिल किया था ऐसे पूछ ताछ के लिए सो उस पर एक रिंग मार दी....तुरंत सुधिया काकी ने फोन उठा लिया

सुधिया : हेलो?

आदम : हां काकी मैं बोल रहा हूँ आदम मुझे लगा थोड़ा पड़ताल कर लूँ आज सुबह से ही बरसात थमने का नाम नही ले रही तो मैं पूछना चाह रहा था आप आ पाओगि

सुधिया : ओह हां बेटा अच्छा ताहिरा ने मेरा नंबर दे दिया चलो ये अच्छा किया उसने अर्रे का बताए बेटा सच में आज तो हद हो गयी...लेकिन तुम फिकर मत करो दोपहर तक बारिश थम जाएगी ताहिरा भी तुम्हारे घर साथ चली आई क्या?

आदम : नही नही मैं अकेला आया हूँ

सुधिया : ठीक तो है पर मुस्किल ये है कि वैद का दवाखाना यहाँ से दूर है कल हम थक गये तो रात को जा ना सके

आदम : ओह्ह तो एक काम कीजिए आप मुझसे मिल लीजिए हम दोनो साथ में वैद के यहाँ चलते है

सुधिया : पर वो थोड़ा ग्रामीण क्षेत्र में है रास्ता थोड़ा कीचड़ भरा होगा और आज तो मुसलसल बारिश भी हुई है

आदम : काकी मैं चाहता हूँ कि मेरा इलाज जल्द से जल्द हो जाए मैं अपना दिन बर्बाद नही करना चाह रहा क्या पता इस बीच दिल्ली जाने का प्रोग्राम बन जाए

सुधिया : ओह हो ठीक है तुम एक काम करो 12 बजे तक अगर बारिश थम जाती है तो एक बार कॉल कर लेना मैं तुम्हें लाल बत्ती चौक पे मिल जाउन्गी जो टाउन और ग्राम की ओर रास्ता जाता है

आदम : ठीक है काकी

मैने फोन रख दिया और एक बार ताहिरा मासी से बात कर ली...ताहिरा मौसी ने कहा कि आज बरसात बहुत हुई है तो रहने दे पर मैं ज़िद्द में अड़ा रहा तो मौसी ने कुछ और नही कहा...खैर जल्द ही बरसात थम गयी बदल छांट गये और हल्की हल्की धूप निकल गयी दोपहर होते होते...मैने फ़ौरन काकी को फोन किया और घर से निकलते ही एक ऑटो पकड़ ली उसे ज़्यादा पैसो का लालच दिया तो वो ग्राम क्षेत्र तक जाने को मान गया...मैने लाल बत्ती चौक के पास मोर पे सुधिया काकी को खड़ा पाया और वो मेरे बगल में बैठ गयी

उसकी साड़ी पे थोड़ा बहुत कीचड़ लगा हुआ था..हम दोनो पूरे रास्ते बात करते रहे..पानी घुटनो तक था इसलिए ऑटो को ग्रामीण क्षेत्र तक पहुचने में थोड़ी मुस्किले हुई....उसके बाद हम उसी कीचड़ भरे रास्ते में आहिस्ते आहिस्ते दवाखाने तक पहुचे...दवाखाना वैद जी का घर था इसलिए शटर पे दो बार दस्तक देते ही....एक औरत ने दरवाजा खोला....सुधिया काकी बात करने लगी उससे फिर अंदर आए...एक कमरे में बहुत सी जड़ीबूटिया और दवाये और कुछ पूडिया और कुछ शीशो में काग़ज़ से धकि रखी हुई थी और ठीक उसके बीच एक साधु जैसा बुज़ुर्ग लगभग 64 साल की उमर का आदमी बैठा हुआ था गद्दी पे उसके छाती में बहुत सफेद बाल थे और उसका पूरा बदन बालों से जैसे ढका हुआ था सर के बाल भी काफ़ी लंबे लंबे थे उसने बस एक मैली सी लूँगी पहनी हुई थी उसने एक बार अपनी दृष्टि से हमारी ओर देखा और बैठने का इशारा किया

सुधिया काकी उससे कुछ देर बात करने लगी....बातों के बीच उसने मेरी समस्या को बड़े ध्यान से सुनते हुए मेरी तरफ देखा..फिर सुधिया काकी को चुप रहने का इशारा किया

वैद : ह्म समस्या इतनी बड़ी नही है इसका समाधान है लेकिन बेटे तुम्हें कुछ परहेज करने होंगे

आदम : ठीक है मैं तय्यार हूँ आप मुझे बस ठीक कर दीजिए

वैद ने अपनी एक दराज़ से एक शीशे का जार निकाला जिसमें शायद 500 ग्राम का कुछ घी जैसा पदार्थ था और फिर मेरी तरफ रखा फिर उसने मुझे कॅप्सुल की तरह दवाई दी

वैद : इसका सेवन तुम्हें दिन में एक ही बार करना है और साथ साथ इस पुराने गाय के घी की मालिश भी इसमें कुछ ऐसी जड़ीबूटिया मिलाई गयी है जिससे तुम्हारी नसों का ढीलापन ठीक हो जाएगा और तुम्हारा वीर्य जल्दी निकलेगा नही चाहे तुम जितनी भी औरत के उपर सवार हो जाओ लेकिन याद रहे 1 महीने तक कोई संभोग नही (पहले तो मुझे हँसी आई मन ही मन पर फिर मैं उनकी बात गौर से सुनने लगा)

वैद : लेकिन लिंग की मालिश तुम्हें औरत से ही करवानी है

आदम : लेकिन मैं कुँवारा हूँ

वैद : ये ज़रूरी है क्यूंकी जिस तरह पुरुष के हाथो की मालिश से औरतों की छातिया बढ़ती है उसी तरह पुरुष के लिंग को औरत के हाथो की मालिश चाहिए होती है क्यूंकी मर्दो के हाथ सख़्त होते है और औरतो के हाथ थोड़े नरम याद रहे लिंग आधा तनाव में होना चाहिए और मालिश के वक़्त किसी भी औरत से मुख मैथुन ना करवाना

आदम : और ये दवाइया ?

वैद : इसका उपयोग करने से तुम्हारे वीर्य में गाडापन आ जाएगा ताकि जिस भी औरत को संतुष्ट करोगे या जिसको भी संतान के लिए चोदोगे तो उसे गर्भ ठहर जाएगा तुम्हारा लिंग कभी ढीला नही पड़ेगा आम तौर पे तुम्हारा मोटा लिंग है पर लंबा और मोटा लिंग उमर के साथ साथ झुलस जाता है और लटक जाता है जिस वजह से असंतुष्टि बन जाती है और मर्द कुछ कर नही पाता इसलिए अहेतियात ख़ान पान में और और दवाई लेने में ज़रूरी है इन चीज़ों का सेवन करके तुम्हारा लिंग इतना मोटा और लंबा हो जाएगा कि तुम एक दिन में पाँच औरत को एक साथ चोद सकोगे

मैं चुपचाप हो गया फिर सुधिया काकी उनसे कुछ देर बात करने लगी....उन्हें ऐसा लगा जैसे मुझे अब भी यकीन ना हो तो उन्होने हमारी झिझक तोड़ते हुए खुद ही उठके अपनी लूँगी खोल डाली और मेरी और सुधिया काकी की आँख फॅट गयी उनका लिंग किसी गधे के बराबर मोटा और लंबा था करीब 9 इंच का था दिखने में उन्होने बताया कि उन्होने कयि औषधि और इसी दवा का प्रयोग किया है हालाँकि उनके जैसा लिंग सिर्फ़ कुछ ही मर्दो का होता है जिसका ख़ास ख्याल रखना पड़ता है....सुधिया काकी को विश्वास नही हो रहा था कि इतने बुज़ुर्ग आदमी का इतना मोटा लंबा हथ्यार अगर मैं ना होता तो शायद उसे अपने हाथो में लेके हिलाती...पर वैद ने मुस्कुरा के अपना तना हुआ 9 इंच का लिंग लूँगी के अंदर वापिस ढकते हुए लूँगी बाँध ली

हम बाहर आए....मैं अब भी चुपचाप था....काकी ने मेरी चुप्पी तोड़ी..."देख लिया कितना हबसी की तरह मोटा और लंबा घोड़े जैसा लिंग था उनका?"...........

."हां काकी मैने तो ऐसा सिर्फ़ ब्लू फ़िल्मो में देखा है वाक़ई".......

."तू वो सब चोद और ताहिरा को कॉल लगा और अपने घर आने को बोल"........

."जी काकी".......मैने इतना कह कर ताहिरा मौसी को कॉल लगा दी....ताहिरा मौसी दोपहर के भोजन का प्रबंध कर रही थी....उन्होने कहा घरवालो को खिलाके वो आ जाएगी

2 बजते बजते सुधिया काकी और मैं मेरे घर पहुचे...कुछ देर में ही ताहिरा मौसी भी आ गयी उनके हाथ में टिफिन था....शायद मेरे हिस्से का भी खाना वो लाई थी...मुझे बेहद खुशी हुई फिर उन्होने सुधिया काकी से वैद जी के यहाँ क्या हुआ हाल पूछने लगी?.....सबकुछ सुनने के बाद उन्हें भी काफ़ी हैरानी हुई...

दोपहर के भोजन के बाद...मालिश की विधि शुरू हुई मैने पूडिया की एक दवाई दूध के साथ खा ली जैसा उन्होने कहा था....उसके बाद सुधिया काकी ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए....ताहिरा मौसी ने भी बिना झिझक अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए...वो ब्रा पैंटी में खड़ी हो गयी और पास में चटाई बिछा दी...दरवाजा लगा दिया...हम तीनो के अलावा कमरे में कोई नही था

सुधिया काकी मेरा लिंग पकड़े मुझे चटाई के उपर खड़ा करते हुए ताहिरा मौसी के नंगे बदन को घूर्रने लगी...फिर उसने अपने सख़्त हाथो से मेरे लिंग को आगे पीछे करके उसे मसलना शुरू कर दिया....."अर्रे ओ ताहिरा अपनी कच्छी और ब्रा भी तो उतार डाल".........ताहिरा मौसी के ब्रा उतारते ही उनके खरबूजे जैसी चुचियाँ मेरी आँखो के सामने थी उनकी टाँगों के बीच के गुच्छेदार बाल मुझे दिखने लगे...वो मेरे लंड पे हाथ रखते हुए उस जगह को रगड़ने लगी

सुधिया काकी ने भी खड़े होके खुद को कपड़ों से आज़ाद कर दिया साड़ी ब्लाउस पेटिकोट उतरते ही वो मेरे सामने नंगी खड़ी हो गयी उनका मस्त बदन मेरे सामने पेश हो गया उनकी चुचियाँ तो तरबूज़ की तरह लटक रही थी उनके मोटे काले निपल्स भी काफ़ी कठोर थे उनके पेट से होते हुए झान्टे चूत के उपरी सिरे तक स्ट्रेच मार्क्स थे....उन्होने मेरे लंड को वैसे ही नंगी खड़ी होके मसलना शुरू कर दिया

और उसे पूरा खड़ा कर दिया...."देख रे ताहिरा इसका कितना मोटा लिंग है".....वो मेरे लिंग को हाथो से पीटने लगी उस पर थप्पड़ मारने लगी मुझे हल्का सा दर्द हुआ...फिर ताहिरा मौसी ने उन्हें वैद जी का वो घी दिया....उसे अपनी हथेलियो में लगाते हुए सुधिया काकी मेरे अंडकोष के नीचे से लेते हुए लिंग की जड़ से लेके सुपाडे तक लगाने लगी उनके हाथो की घिसाई से मेरा लिंग एकदम लाल और कठोर हो गया था...ताहिरा मौसी थूक गले से निगल रही थी कल इसी लिंग से उसकी चुदाई की थी मैने .
 
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दो नंगी औरतें और उनके बीच उनके बेटे की उमर का लड़का जिसका लंड हाथो में लिए मालिश की जा रही थी..फिर सुधिया काकी ने थोड़ा सा घी और लिया और मेरे अंडकोष को मला और उसकी अच्छे से मालिश की..."बेटा जब झड़ने को हो तो बता देना".....सुधिया काकी ने कहा

आदम : जी काकी (मैं अपने दोनो हाथ पीछे एकदुसरे से जोड़े हुए था...वो मेरे लिंग को अपने दोनो हाथो से मालिश करे जा रही थी)

जैसे ही कुछ ही टाइम में मैं झड़ने को हो गया तो उन्होने मेरे लिंग को जड़ से मज़बूती से मुट्ठी में थाम लिया और मालिश रोक दी...मेरे लिंग का रक्त संचार जैसे थम सा गया और फिर उन्होने मेरे लिंग के सुपाडे को भी दबा दिया कुछ देर मे मेरा लिंग छोटा होने लगा और फिर वो ज़ोर ज़ोर से मेरे लिंग की मालिश करने लगी...मेरे चमड़ी कटे लिंग को वो बड़े ही प्यार से मालिश कर रही थी फिर उन्होने लिंग ताहिरा के हाथो में दे दिया....ताहिरा मौसी के हाथो के स्पर्श से मेरा लिंग फन्फनाते हुए फिर अपनी औकात पे खड़ा हो गया

मौसी को सुधिया काकी अहेतियात करते हुए समझा रही थी कि कैसे मालिश करनी है कुछ ही देर में ताहिरा मौसी बिल्कुल सुधिया काकी की तरह मेरे लिंग को भरपूर तरीके से मालिश करने लगी सुपाडे के चारो तरफ उंगली से घी लगाते हुए उस जगह को मालिश करने लगी मेरे आने के वक़्त उसने भी कस्के मेरे लिंग को दबोच लिया अंडकोष और लिंग की जड़ से फिर मेरे थमते ही उन्होने मेरी मालिश फिर शुरू कर दी....उसके बाद अंडकोष को एक हाथ से सुधिया काकी तो दूसरे हाथ से ताहिरा मौसी मेरे लिंग की मालिश कर रही थी दोनो औरतों की हाथो के स्पर्श से मुझे काफ़ी मज़ा मिल रहा था.....

सुधिया काकी : एक बार इसे मोटा और लंबा होने दे फिर देखना ताहिरा चुदाई में तुझे बड़ा मज़ा आएगा

ताहिरा मौसी : हां काकी आप भी चाहो तो इस लिंग का मज़ा ले सकती हो

सुधिया काकी : हां पर अभी 1 महीने तक सिर्फ़ हाथ लगाके मालिश करना ना इसे मुँह में लेना है और ना अपनी चूत में समझी

दोनो औरतो को बेशर्मी से बात करते देख मेरा तो जैसे मन कर रहा था कि दोनो को पटक के चोद दूं ख़ासकर अपनी मौसी को..पर सुधिया काकी को लगता था खुजली ज़्यादा थी इसलिए मेरे जैसे जवान उमर के लड़के का लंड देखके उसकी आँखो में चमक आ गयी थी...आख़िरकार 20 मिनट बाद मालिश थम गयी फिर उन्होने एक कपड़े से बड़ी सख्ती से मेरे लिंग को पोंछ दिया...और दोनो औरतें अपने अपने कपड़े पहन्के हाथ धोने चली गयी

यही प्रक्रिया कयि दिनो तक चलती रही जब कभी ताहिरा मौसी ना आ पाती तो सुधिया काकी आके मेरे लिंग की मालिश करके चली जाती...तो कभी मौसी साथ में आके मालिश करने में उनका सहयोग करती मैं जब झड़ने को होता तो वो रोक देती...इस तरह मैं अपने झड़ने पे संयम पाने में सक्षम हो गया

और अब बिना उनके कहें मेरे लिंग की कयि मिनटों तक मालिश के बाद भी वीर्य निकलता था....मेरे लिंग के झड़ने का समय बढ़ गया था...और इस बीच मैने मूठ तक नही मारी थी हालाँकि दोनो औरतो की गरम मालिश देने के बाद मैने काफ़ी हद तक खुद को काबू किया था मूठ मारने से रोकने से...और साथ में दवाई के सेवन से मेरे अंदर सेक्स करने की अज़ब सी तलब जागने लगी....मैं 1 दिन में कभी कभार 2-3 बार मूठ मारने लगा था उन एक मूठ मारी के नाम पर मुझे अपनी माँ अंजुम का चेहरा भी दिख जाता जो कि मेरे लिए ताज्जुब की बात थी....लेकिन मुझे ऐसा करने से अच्छा लगता था

धीरे धीरे 1 महीने बाद भी मालिश जारी थी और काफ़ी देर की मालिश के बाद दोनो औरतों के हाथ दुख जाते पर मेरा लिंग एकदम आइरन रोड जैसा खड़ा ही रह जाता था हालाँकि उसके कफि देर बाद ढीले होने से हल्की हल्की पानी जैसी प्री-कम की बूँदें निकल जाया करती थी...3 महीने की कड़ी मालिश और दवाई के सेवन से मेरा लंड काफ़ी हद तक 8 इंच लंबा और 4 इंच मोटा हो चुका था और अंडकोष भी नींबू जैसे आकार के हो गये थे जो सदा लिंग के नीचे झूलते हुए से रहते थे...

मेरी माँ अंजुम को इस बात का ज़रा सा भी ईलम नही था....कि उसका बेटा होमटाउन में क्या गुल खिला रहा है?....और कितनी औरतों को अपने लंड के नीचे ला चुका है जो उसकी माँ की उमर से भी बड़ी है....वो अपने से दुगनी उमर की औरतों को चोदता है और उन्हें संतुष्ट करता है...ना अंजुम को ये मालूम था कि उसका बेटा चंपा नाम की रंडी के साथ भी कयि रातें गुज़ार चुका है.....यही वजह थी कि उसका आगाह डोल जाता था और उसे लगता था कि उसका बेटा ग़लत संगत में फँसता जा रहा है

हालाँकि माँ का दिल था इसलिए वो ये सोच अपने दिमाग़ से कयि बार झटकते हुए ना मंज़ूर कर देती थी....पर असलियत कुछ ऐसी ही थी...अब तो बेटा भी दिल्ली अपने घर कम कॉल करने लगा था अब उसे रत्ती भर का बड़े शहर आने का दिल नही करता था....उसकी थरक की प्यास उसे सस्ते में ही अपने जनम स्थान में ही मिल जाती थी...उपर से अब तो सुधिया काकी भी लिस्ट में शामिल थी...तो ऐसे में किसका दिल बड़े शहर में आके कमाई करने और ठोकर खाने में लगे

अच्छी टाउन में कमाई भी थी और दिल बहलाने को ताहिरा मौसी और चंपा जैसी चुदक्कड औरतें....अब तो अंजुम ने अपनी सहेली हेमा के यहाँ जाना कम कर दिया था...क्यूंकी आजकल उसका सो-कॉल्ड सरदार पति घर पे होता था....हालाँकि सरदार जी अंजुम की बड़ी इज़्ज़त करते थे....पर अंजुम को किसी मर्द की प्रेज़ेन्स में हेमा के घर जाना भाता नही था....सरदार जी के आने से हेमा के चाहने वाले भी घर में कम आने लगे....

उस दिन अंजुम को हेमा ने सुबह कॉल किया कि उसका पति टूर पे उसे आउट ऑफ स्टेशन लेके जा रहा है..हो सकता है वैष्णो देवी जाने का प्रोग्राम बन जाए...अंजुम को लगा इतने दिन हो गये है तो चलो आज हेमा से मुलाक़ात कर ली जाए....अंजुम दोपहर तक काम निपटाके हेमा के घर पहुचि वो दूसरी माले पे रहती थी...इसलिए उपर आके उसे घंटी बजाने की ज़रूरत नही पड़ी...अंदर का माहौल शांत था...लिविंग रूम में आते ही अंजुम को कुछ आहों की आवाज़ सुनाई दे रही थी

अंजुम पास के टेबल पे बैठने वाली थी कि बिना उसने शोर किए रूम के दरवाजे के करीब आके खड़ी हो गयी....दरवाजा कमरे का खुला था और अंदर का दृश्य सॉफ दिख रहा था...अंदर हेमा अपने पति सरदार जी के साथ बिस्तर के उपर मदरजात नंगी खड़ी हुई थी और सरदारजी भी बिल्कुल नंगा था उसका फनफनाया मोटा सांवला खाल से ढका लिंग हेमा के हाथो में था....जिसे वो मुत्ठियाँ रही थी.....अंजुम का यह दृश्य देखके दिल की धड़कने तेज़ हो गयी..

हेमा : लगता है बीवी को चोदना कम कर दिया इसलिए आजकल ये कुछ ज़्यादा ही खड़ा हो जाता है

सरदार जी : साली तू कुछ छोड़ती है सारा रस निकाल देती है तो बीवी की चूत में क्या डालु खाली लंड...साली यहाँ 1 हफ़्ता भी रहूं तो कोई दिन छूटता नही तेरा मुझसे चुदवाने में तेरी वजह से बीवी के लिए कुछ बचता नही....बहेन की लॉडी जब भी हाथ में लेती है तो कहती है इससे क्या चुदवाऊ ये तो पहले से ही मुरझाया हुआ है किस रंडी की चूत में खाली करके लाए हो

हेमा : हाहाहा फिर तू क्या करता है रंडवे ?

सरदार जी : बेहेन्चोद एक तो अंधविश्वासी है और उपर से साली की सुखी चूत मारने का मन भी नही करता जिसका खड़ा भी होता होगा वो भी मुरझा जाएगा उसका देखकर मैं क्या करता हूँ साली को उस वक़्त दो थप्पड़ लगाता हूँ कुतिया बनाता हूँ और उसकी वैसी ही रफ चुदाई करता हूँ पूरा बंग्लॉ उसकी चीख से गूँजता है एक बार बहेन की लॉडी को ज़ोर से क्या किया खून आ गया उसका...तब से पूजा पाठ ज़्यादा और बिस्तर पे हाज़िरी देना कम करने लगी है हराम ज़ादी

हेमा : हाहाहा तब तो तू मान ले कि मेरे बाद तू किसी को चोदने लायक बचता नही

सरदार जी : भोसड़ी की तू इतनी उमर दराज़ हो गयी है पर तेरी भोसड़ी की आग और ज़्यादा भी ज़्यादा भड़क गयी है इसे चोदने के लिए तो हबशियो के लंड की ज़रूरत पड़े

हेमा : वो तो है मेरी भोसड़ी इतना निचोड़ लेती है लंड से की मर्द को नामर्द कर दे उसका भी खड़ा ना हो

सरदार जी : बहेन की लॉडी मुझसे पहले तो तूने दूसरे मर्द का लंड चूसा भी है और अपनी भोसड़ी और गान्ड की छेद में लिया भी है पर मुझे कहीं ना कहीं लगता है कि तू अब भी किसी को घर में लाके चुदवाति है

हेमा : हाए राम अपने सुहाग के होते हुए मैं ऐसा क्यूँ करूँगी? तुझे लगता है तो मेरी बेटियो की कसम

सरदार जी : अर्रे बेहेन्चोद झूठी कसम ना खा अपने बच्चों की तुझ जैसी छिनाल औरत शराब की बोतल तक अपनी भोसड़ी में डाल ले अबे रंडियो को तो तुझसे ट्रैनिंग लेनी चाहिए याद है तुझे कैसे मेरे बिज़्नेस पार्ट्नर सावंत को जो कि घर की इस घर में आया था साली तुझे क्या ज़रूरत थी चाइ लाने की तेरा पल्लू सरका और तेरी मोटी मोटी छातियो को घूर्रने लगा वो

हेमा : फिर तूने क्या किया? (मन ही मन मज़ा लेते हुए)

सरदार जी : बहेन की लॉडी मैं क्या करता? वोई कहने लगा अँग्रेज़ क्लाइंट के साथ एक रात भेज दो होटेल में तुम्हारे सारे प्रॉजेक्ट पास करा देगा....मैने जब उसे गुस्सा किया और कहा कि तू मेरी बीवी है तो लौडे को साँप सूंघ गया और माँफी मागने लगा लेकिन उसकी आँखो की हवस मुझे दिख रही थी पर साली तू इतना इतरा मत तू अब बुढ़िया हो रही है अब तेरी बेटियो का दिन है तेरी भोसड़ी में तो कोई भी अपना 5 इंच का लिंग भी ना डाले

हेमा : अर्रे मदर्चोद तो फिर मुझसे शादी करके यहाँ बिस्तर गरम करने क्यूँ आता है? अपनी बीवी को ही यंग बनाके चोदा कर

सरदार जी :बेहेन्चोद बीवी है इसलिए फ़र्ज़ निभा रहा हूँ वरना रखैल बनाके ही तुझे चोदता वैसे तुझमें कुछ रहा तो नही पर क्या करू? आदत पड़ गयी तुझे चोदते हुए तेरे जैसा मज़ा कोई रंडी भी नही दे सकती इस उमर में

हेमा : पत्नी मानते हो तो बेटियों के सामने ही सुबह सुबह अपनी बीवी पे चढ़ने लगे छोटी बेटी उमा देख लेती तो वो तो हमारे बिस्तर पे ही थी

सरदार जी : अबे साली तेरी बेटियो के सामने रात गये तुझे उपर ले जाता हूँ तीसरे माले में क्या वो समझती ना होंगी कि मैं उनकी माँ को चोदने ले जा रहा हूँ वो लोग तो सवाल नही करेगी क्यूंकी उनकी जेबे इतना भर देता हूँ जितना उनके बाय्फ्रेंड नही भर सकेंगे चल जल्दी चुदाई करवा फिर मैं घर भी जाउन्गा कल पूरी रात रुका था यहाँ

हेमा : हां रे ये देख ये अभी से रस निकाल रहा है

सरदारजी के लिंग को हेमा ने एक ही झटके में अपने में मुँह में लेके झुकके चूसना शुरू कर दिया....अब तक दोनो अंजुम के दरवाजे पे खड़े होने से वंचित थे....इधर अंजुम जो इतने बरसो से सेक्स की आग को दबाए हुए थी एकदम से उसकी चूत में ये दृश्य देखेक आग उठ गयी कैसे उसकी सहेली सरदार का मोटा खाल से ढका 6 इंच का लिंग मुँह में लेके चुस्स रही थी सरदार के पूरे बदन पे बाल थे और अंडकोष और लिंग के उपर सबसे ज़्यादा...
 
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सरदार ने हलक तक हेमा के बाल पकड़के उसे लंड चुस्वाया...उसे साँस लेने तक की राहत ना दी...और हेमा भी आँखे आँखे बड़ी बड़ी किए लंड चूसे जा रही थी....अंजुम इन सब चीज़ो से वाक़िफ़ थी पर आज उसका औरत होना उसे टटोल रहा था कि अकेली तो बिन मर्द के वो भी है...गले से थूक निगल रही थी अंजुम..

सरदार ने लिंग हेमा के मुँह से बाहर निकाल लिया...हेमा ख़ास्ते हुए उसके अंडकोष के नीचे मुँह ले जाके ज़ीब से दोनो गोलियो को चाटने लगी....कभी एक को मुँह में लेके चूस भी लेती....सरदार उसके बालों को समेट रहा था...फिर उसने हेमा को जल्दी से उठाया और उसकी दोनो टाँगें अपनी कमर में कसी और नितंबो से उसे एक झटके में हवा मे उठा लिया

सरदार की गोद में हेमा थी और नीचे से सरदार उसकी चूत छोड़ती रस से मैली और गीली चुत में अपना लिंग घुसाने लगा...एक ही झटके में फ़च्छ की आवाज़ के साथ लिंग गीली चूत के जड़ तक समा गया...सरदार बड़ी फुरती से पूरा धक्का पेलें जा रहा था...हेमा का पूरा शरीर माँस के लोतड़े (टुकड़ा) की तरह उसके जिस्म में बाउन्स कर रहा था..

उसके नितंब की गोलाइयाँ भी और उसकी एकदुसरे से टकराती लटकी चुचियाँ भी जिसे मुँह में भरके सरदार एक बार उसके मोटे ब्राउन निपल्स को भी चूस देता....सरदार ने कोई निरोधक नही चढ़ाया था उसने खुद ही हेमा को एक बार प्रेग्नेंट करने के बाद ऑपरेशन करवा लिया था..हालाँकि हेमा ने बाद में अबॉर्षन करवा लिया था ये बहुत पहले की बात है उसके बाद आजतक सरदार उसे बिना झिझके दोनो छेदों को बुरी तरह चोदता है

"ओह्ह हाहह मैईन्न गाइ आहह"........हेमा सिसकते हुए कस्स्के सरदार की छाती पे सर रख के हाफने लगी....सरदार ने उसके काँपते जिस्म को दबोच लिया और उसे उल्टा बिस्तर पे लिटाया फिर उसकी नितंबो के बीच के छेद में ज़ुबान चलाने लगा वो किसी कुत्ते की तरह जीब निकालके हेमा की रसभरी चूत और सिकुडे गान्ड के छेद को चाट रहा था...जब हेमा को मज़ा मिलने लगा

तो सरदार ने उसके गान्ड में लंड घुसा दिया...उसने फिरसे ताबड़तोड़ धक्के मारने शुरू कर दिए...हर धक्के के साथ हेमा का जिस्म काँप जाता...उसके हिलते चूतड़ इस बात के गवाह थे....काफ़ी देर तक सरदार हेमा के उपर चढ़ा उसकी गान्ड मारे जा रहा था...और कुछ ही पल में सरदार के मुँह से गरर गरर की आवाज़ आने लगी और वो लगभग दहाड़ता हुआ हेमा की गान्ड में फारिग हो गया...

जैसे ही उसने अपना लिंग हेमा की गान्ड के छेद से बाहर खींचा तो अंजुम की आँखो में हेमा की गान्ड का चौड़े छेद से लावा की तरह फुट पड़ा सफेद गाढ़ा चिपचिपा वीर्य दिखा...वो कुछ मिनटों तक गान्ड से बहता रहा...हेमा के पूरे बदन पे लाल लाल निशान थे जो सरदार ने चुदाई के वक़्त बनाए थे चूतड़ पूरे लाल थे जो अंडकोष से टकराने से हुए थे पीठ पे नाख़ून के निशान थे...सरदार हान्फ्ते हुए अंदर सटे बाथरूंम मे घुस गया

अंजुम की हालत खराब हो गयी वो बिना हेमा को अपनी मज़ूद्गी का अहसास कराए घर से बाहर निकल गयी पूरे रास्ते उसका मुँह गला सब लाल हो गया था वो गहरी साँस छोड़ रही थी..उसे महसूस हुआ कि वो गरम हो गयी है तो पास के जूस कॉर्नर पे जाके उसने लगभग 1 ग्लास मौसमी का ठंडा जूस पीया

तबजाके अंजुम को कुछ राहत मिली...कोई 30 मिनट बाद वो घूम फिरके फिर हेमा के घर का चक्कर लगाती है अब जब वो कमरे में पहुचती है तो हेमा उसे अपने बाल सुखाते हुए मिलती है सरदार वहाँ मज़ूद नही होता ऐसा लगता है कि वो घर में नही है...हेमा अंजुम को देखके मुस्कुराती है और उसे अंदर आने को कहती है....हेमा को ज़रा सा अंदाज़ा भी नही होता कि अंजुम ने सरदार जी और उसके बीच की लगभग कुछ देर पहले हुई चुदाई पूरी देख ली है...

अंजुम हेमा की उखड़ती साँसों को अब भी महसूस कर सकती थी..."और तू अब जाके नहा रही है शाम को?"............अंजुम ने सवाल किया

हेमा : अर्रे बस गर्मी ज़्यादा लग रही थी

अंजुम : नहाती है तो कम से कम चादर तो बदल लिया कर (हेमा को समझ ना आया जब उसने चादर की तरफ देखा तो वो खिलखिला कर हंस पड़ी उसे लगा अंजुम को समझ आ चुका है)

हेमा : क्या करें? ख्याल नही आया उफ्फ कुत्ते ने पूरी चादर खराब कर दी (हेमा ने उठते हुए चादर को समेटा और एक तरफ फ़ैक् दिया)

रज़ाई पे हेमा के चूतड़ से बहता वीर्य अब भी वहाँ लगा हुआ था...लेकिन अंजुम ने इस बात को नज़रअंदाज़ किया

अंजुम : देख जब कभी ये सब करे तो घर को लॉक कर लिया कर अर्रे तुझे ज़रा सा भी बेटियो का ख्याल नही है क्या?

हेमा : जिसकी माँ को दुनियावाले रखैल कहते हो और जिसको उनका दूसरा बाप उनके सामने ही रात गये तीसरे माले पे अकेले सोने ले जाता हो तो उन्हें क्या ख्याल नही आता होगा? कि उनकी माँ के साथ क्या करता है वो रातभर

अंजुम : अब मैं क्या कहूँ? खैर जाने दे वैसे तुम लोगो का क्या प्रोग्राम बन रहा है?

हेमा : कल निकल जाएँगे बड़ी मुस्किल से मनवाई हूँ चुदाई कर करके कि शिमला चलो शिमला चलो लेकिन प्रोग्राम वैष्णो देवी का बना है बच्चों को भी साथ ले जाने को तय्यार है

अंजुम : ह्म

हेमा : और तुझे कैसे पता चला कि हम दोनो?

अंजुम : बस ग़लती से नज़र पड़ गयी कुछ देर पहले आके सब देखके गयी हूँ

हेमा : हाए तब तो आग अब भी तेरे नीचे लगी हुई होगी

अंजुम : हट पागल

हेमा : हाहाहा तू उंगली क्यूँ नही कर लेती चोरी चोरी देखती है हमारी चुदाई और भैया को लंड पकड़े ही रहने देती है जल्दी बुलाके चुदवा लेती अब तो तेरा बेटा भी नही है घर पे

अंजुम : देख हेमा तू ऐसी बात मत कहा कर तेरे भैया के साथ मेरा कोई रिश्ता नही बचा अब पहले थोड़ा बहुत था भी तो वो मेरे लायक हो ही ना पाए बस कपड़े उतारते ही उनका निकल जाता था

हेमा : अर्रे तो फिर आदम कैसे हो गया?

अंजुम : आदम को पैदा करने के लिए उनमें मर्दानगी आ गयी होगी उस रात

हेमा : हाहाहा तू भी ना खैर ये सब छोड़ तेरे बेटे की क्या खबर है?

अंजुम : पता नही हेमा मुझे डर लग रहा है जब भी रात को सोती हूँ तो मुझे सपने में दिखता है कि मेरा बेटा किसी गंदी औरत को चोद रहा है उफ्फ और वो उससे उमर में इतनी बड़ी इस्सह मुझे डर लगता है कि कहीं उसे कोई बीमारी!

हेमा : देख तू माँ है इसलिए तेरा आगाह डोलता है वो एक मर्द है और एक मर्द को सबसे ज़्यादा समझने वाली औरत उसकी माँ ही होती है बीवी भी माँ जैसा कोई फ़र्ज़ नही निभा पाती अगर मेरा बेटा होता तो क्या मुझे यूँ सरदार जी से सेक्स करते हुए देखना पसंद करता बेटियो की बात जुदा है पर उसे सबसे ज़्यादा लगता

अंजुम : ह्म

हेमा : मैं तो जानती हूँ मेरी क्या औकात है? पर तेरे पास तो तेरा बेटा है बस बड़ा हो गया है रास्ते पे तू उसे ले आ अगर तू ऐसा करेगी उसके नज़दीक उसकी एक गर्लफ्रेंड की तरह उसके साथ रहेगी उसे समझेगी उसकी माँ से ज़्यादा केर करेगी तो देख लेना वो तुझे छोड़के फिर कही नही जाएगा

अंजुम : मैं नही चाहती कि मेरे लिए वो अपनी ज़िंदगी बर्बाद करे...मैं तो बुढ़िया हो रही हूँ वो भला अपनी माँ में क्यूँ इतनी दिलचस्पी लेगा?

हेमा : एक बार कोशिश तो कर मेरी बात तुझे बुरी लगे चाहे जैसी अज़ीब लगे....अगर आज तूने अपने घोड़े की लगाम नही खींची तो जो सपना तूने देखा वो सच हो जाएगा क्या पता उससे ज़्यादा आगे बढ़ जाए और कोई गंदी औरत उस जैसे भोले मासूम लड़के को फसा कर उससे शादी करके उसकी ज़िंदगी बर्बाद कर दे

अंजुम : तू ठीक कह रही है
 
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