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दरवाजा खुलते ही आदम और ताहिरा को बंद कमरे में देख वो औरत थोड़ा अस्चर्य चकित हुई...लगभग 62 की उमर थी पुरानी सी साड़ी पहन रखी थी....देखके ही लग रहा था घरो पर काम करती होगी ग्राम क्षेत्र की थी फिगर उसका चर्बिदार शरीर...चुचियाँ जैसे ब्लाउस फाड़के लटक जाए...गोल गहरी नाभि जिसके नीचे से थोड़ा पेट उठा हुआ था...भारी उचे नितंब थे वजन लगभग 76 किलो तो होगा अढेढ़ उमर की औरत थी नाम था सुधिया....सुधिया काकी जो ताहिरा मौसी के घर आना जाना करती थी....जिसके बारे में ताहिरा मौसी ने पहले बताया था
ताहिरा मौसी उसको देखके सकपकाई ज़रूर पर उसकी घबराहट गायब हुई....
सुधिया काकी : तू बंद कमरे में क्या कर रही थी और ये लड़का कौन है?
मौसी : ये मेरी बहन अंजुम का बेटा मेरा भांजा
सुधिया : ओह अच्छा बेटा कैसा है तू? तेरी मौसी तेरे बारे में बड़ी बात करती रहती है तेरी माँ ठीक है?
आदम : हां काकी जी
मौसी : वो दरअसल ये मेरी मालिश कर रहा था
ये सुनके आदम थोड़ा सा चौंक ज़रूर गया...पर सुधिया काकी मुस्कुराइ जैसे उसे कमरे के अंदर क्या चल रहा था इस बात की भनक जैसी लग गयी हो...पर उसे कोई ज़्यादा हैरानी नही हुई..सॉफ ज़ाहिर था खेली खाई औरत थी कुछ कुछ समझ रही थी...
ताहिरा मौसी : अर्रे सुधिया काकी लेकिन आप इतनी जल्दी कैसे आ गयी? आप तो शाम को आने वाली थी ना
सुधिया काकी : गाओं गयी थी ना तो सोचा जल्दी से टाउन आ जाउ फोन आने लगे थे बर्तन कपड़े धोना था चार घर का 2 दिन से छुट्टी कर रखी थी सोचा जल्दी ही आ जाउ
ताहिरा मौसी : ये तो आपने ठीक किया (ताहिरा अब भी हाँफ रही थी उसका पूरा बदन काँप रहा था चेहरा लाल सा था उसकी हालत को सुधिया काकी ने नोटीस कर लिया और वो आदम को भी देखने लगी मेरे जीन्स के बटन और ज़िप खुली देखके वो मुस्कुराइ जिसे भाँपते ही आदम जल्दी जल्दी ज़िप लगाने लगा)
सुधिया काकी : वाह लगता है भानजे ने मालिश अच्छी की पर ताहिरा कम से कम अंदर कुछ पहन तो लिया कर
ताहिरा मौसी को समझ में आते ही वो हड़बड़ा सी गयी उसकी ज़ुबान लरखड़ाने लगी....सुधिया काकी को उसकी नाइटी के बाहर से चुचियो के सख़्त कठोर निपल्स सॉफ दिख रहे थे....
ताहिरा मौसी : ह..हां क्या कर..ए ? वो रात को बड़ी गर्मी लगती है ना इसलिए सिर्फ़ नाइटी पहन लेती हूँ
सुधिया काकी : हाहाहा मुझसे ना छुपा तेरा पति भी इस उमर में भी बड़ा थर्कि है मधमेय का रोगी है पर अब भी खड़ा हो जाता है उसका (मौसी के गाल शरम से लाल हो गये और सुधिया के लफ़्ज़ों ने आदम का लंड और खड़ा करवा दिया)
ताहिरा मौसी : काकी आदम सुन रहा है क्या सोचेगा आप भी ना ?
सुधिया काकी : अर्रे ये क्या सोचेगा? ये तो नया नया जवान हुआ है क्या मर्द औरत के बीच का रिश्ता जानता नही होगा...लेकिन तुझे शरम आनी चाहिए कि कम से कम पीछे दीवार की छोटी सी खिड़की तो बंद करके मालिश करवाती
ताहिरा और आदम अचंभित होके एकदुसरे का मुँह देखने लगे.....यानी चोरी पकड़ी जा चुकी थी....आदम जनता था सुधिया काकी से कुछ छुपा नही है
सुधिया काकी : इतना घबराने या डरने की ज़रूरत नही तुम दोनो को मुझे आजतक लगता आया है कि इस खेल में सिर्फ़ मैं ही खिलाडन हूँ पर यहाँ तो ताहिरा तू भी खिलाड़ी बनी बैठी है अपने ही भानजे के साथ
ताहिरा : नही नही वो बस क्या बोलूं
सुधिया काकी : अर्रे तो छुपाना कैसा वो भी सुधिया से मैं क्या पराई हूँ? तू भी औरत है और मैं भी
ताहिरा : इसका मतलब आप भी अपने परिवार में किसी से
सुधिया काकी : किसी भानजे या भतीजे से नही अपने बेटे रामदीन से
ताहिरा : क्या रामदीन? (एकाएक ताहिरा मासी का मुँह खुला का खुला रह गया यानी कि अब तक उन्हें भी सुधिया काकी किससे फसि हुई है ये मालूम था नही)
अड़ेढ़ उमर की थी ज़रूर लेकिन लगता है भोसड़ी में अब भी खुजली बरक़रार थी जो सहावत वो अपने बेटे से पूरी कर रही थी...उसका बेटा रामदीन कोई 23 साल का लौंडा था जो शहर में काम करता था और 15 15 दिन घर बैठा रहता था....बाप रिकक्षावाला था 2 साल पहले मर गया उन्ही दो सालो के अंदर रामदीन सुधिया काकी यानी अपनी माँ को चोदने लगा था...इसमें पहल माँ ने ही कर दी थी
आख़िर उसे चूत की इतनी खुजली थी कि मिटाने वाला कोई था नही...हालाँकि चुदक्कड किसम की औरत थी और उसके काई नाजायेज़ रिश्ते रहे थे पर 1 राउंड के बाद कोई उसकी बुर में लंड नही डालता था क्यूंकी साली मर्दो को इस उमर में भी थका देती थी और शायद बुढ़िया होने की वजह भी कहीं थी....रामदीन को एकदिन माँ ने रंगे हाथो एक रंडी को खेतो में चोद्ता देख लिया...जिसके बाद दोनो माँ बेटों में कुछ दिन तक झगड़ा बरक़रार रहा...लेकिन बेटे ने सॉफ कह दिया मुझे शादी नही करनी बस ऐसे ही औरतों के साथ संबंध बनाने है अब तू किसी से भी बनवा....सुधिया बेशरम औरत थी बेटे के लिंग को उसने देखा था कितना मोटा और लंबा था उसे डर लगा कहीं ग़लत इरादा करके वो घर छोड़ ना दे जिससे कि वो सड़क पे आ जाए और उसने फ़ैसला करते हुए अपने बेटे के सामने नंगी पेश हो गयी....शुरू शुरू में बेटे को थोड़ा अज़ीब लगा पर अब काम से फारिग होके वो अपनी हसरत माँ के साथ घर की चार दीवारी में उसकी चूत गान्ड की चुदाई करके निकालता था
ताहिरा और आदम का डर गायब हो गया और वो निसचिंत हुए कि चलो उनकी चोरी किसी की आँखो में नही आई ....सुधिया ताहिरा को मशवरा देने लगी और उसे और प्रोत्साहन करने लगी कि वो आदम को ढंग से चुदाई करना सिखाए तभी उसे पूरा मज़ा मिलेगा....ताहिरा आदम के सामने बेशर्मो की तरह सुन रही थी आदम का लिंग अपनी औकात में खड़ा था
सुधिया : पीछे की गली बंद ज़रूर है पर कभी कभी कोई ना कोई गुज़र जाता है तेरी पीछे की खिड़की खुली थी और मैं तफ़सील करना चाह रही थी कि तू घर में है कि नही बस जैसे ही खिड़की से देखा तो तेरा ये भांजा तेरी पीठ की मालिश करते हुए तेरी गान्ड में अपना मोटा लिंग रगड़ने लगा था....उसके बाद इसने तुझे पलटा दिया और तेरी छातियो की मालिश कर ही रहा था इतने में मुझे लगा कि कोई सच में तेरे घर आ ना जाए वरना तेरी पोल तो खुल जाएगी इसलिए मैं खुद तेरे यहाँ आ गयी कब कौन आ जाए क्या पता तेरा बेटा या बहू आ जाते तो तू क्या करती? वैसे मालिश तो तेरा भांजा अच्छे से करता है मैने गौर किया है
आदम का चेहरा लाल हो गया उनकी बातों से
ताहिरा : ह्म पर आपने अच्छा किया दरअसल मैं और यह इतने ज़्यादा बहेक गये कि वक़्त और जगह देखा ही नही
सुधिया : चल कोई बात नही पर मुझे खुशी है कि तेरे पीछे कोई तो है अब
ताहिरा का मुँह लाल हो गया शरम से वो आदम से जैसे नज़र चुराने लगी ...फिर आदम ने ही बात छेड़ी और सुधिया काकी को अपनी समस्या बताई...ताहिरा भी आदम की बीमारी उन्हें बताने लगी सुधिया काकी कुछ देर सुनके काफ़ी गंभीर चुपचाप खड़ी रही
सुधिया : ह्म समस्या है पर गंभीर नही सुधिया किस मर्ज़ की दवा है इसके लिए आदम तुम्हें एक दवा खानी होगी और अपने लिंग की मालिश भी
आदम : क्या मालिश?
सुधिया : हां एक बार औज़ार दिखाना
आदम शर्मा गया और ताहिरा मौसी की ओर देखने लगा...."अब शरमाना कैसा? सुधिया काकी सबकुछ जान चुकी है चल तुझे डर है तो अंदर के कमरे में सुधिया काकी को दिखा दे....आदम ने हामी भरी और तीनो कमरे में आए
ताहिरा मौसी उसको देखके सकपकाई ज़रूर पर उसकी घबराहट गायब हुई....
सुधिया काकी : तू बंद कमरे में क्या कर रही थी और ये लड़का कौन है?
मौसी : ये मेरी बहन अंजुम का बेटा मेरा भांजा
सुधिया : ओह अच्छा बेटा कैसा है तू? तेरी मौसी तेरे बारे में बड़ी बात करती रहती है तेरी माँ ठीक है?
आदम : हां काकी जी
मौसी : वो दरअसल ये मेरी मालिश कर रहा था
ये सुनके आदम थोड़ा सा चौंक ज़रूर गया...पर सुधिया काकी मुस्कुराइ जैसे उसे कमरे के अंदर क्या चल रहा था इस बात की भनक जैसी लग गयी हो...पर उसे कोई ज़्यादा हैरानी नही हुई..सॉफ ज़ाहिर था खेली खाई औरत थी कुछ कुछ समझ रही थी...
ताहिरा मौसी : अर्रे सुधिया काकी लेकिन आप इतनी जल्दी कैसे आ गयी? आप तो शाम को आने वाली थी ना
सुधिया काकी : गाओं गयी थी ना तो सोचा जल्दी से टाउन आ जाउ फोन आने लगे थे बर्तन कपड़े धोना था चार घर का 2 दिन से छुट्टी कर रखी थी सोचा जल्दी ही आ जाउ
ताहिरा मौसी : ये तो आपने ठीक किया (ताहिरा अब भी हाँफ रही थी उसका पूरा बदन काँप रहा था चेहरा लाल सा था उसकी हालत को सुधिया काकी ने नोटीस कर लिया और वो आदम को भी देखने लगी मेरे जीन्स के बटन और ज़िप खुली देखके वो मुस्कुराइ जिसे भाँपते ही आदम जल्दी जल्दी ज़िप लगाने लगा)
सुधिया काकी : वाह लगता है भानजे ने मालिश अच्छी की पर ताहिरा कम से कम अंदर कुछ पहन तो लिया कर
ताहिरा मौसी को समझ में आते ही वो हड़बड़ा सी गयी उसकी ज़ुबान लरखड़ाने लगी....सुधिया काकी को उसकी नाइटी के बाहर से चुचियो के सख़्त कठोर निपल्स सॉफ दिख रहे थे....
ताहिरा मौसी : ह..हां क्या कर..ए ? वो रात को बड़ी गर्मी लगती है ना इसलिए सिर्फ़ नाइटी पहन लेती हूँ
सुधिया काकी : हाहाहा मुझसे ना छुपा तेरा पति भी इस उमर में भी बड़ा थर्कि है मधमेय का रोगी है पर अब भी खड़ा हो जाता है उसका (मौसी के गाल शरम से लाल हो गये और सुधिया के लफ़्ज़ों ने आदम का लंड और खड़ा करवा दिया)
ताहिरा मौसी : काकी आदम सुन रहा है क्या सोचेगा आप भी ना ?
सुधिया काकी : अर्रे ये क्या सोचेगा? ये तो नया नया जवान हुआ है क्या मर्द औरत के बीच का रिश्ता जानता नही होगा...लेकिन तुझे शरम आनी चाहिए कि कम से कम पीछे दीवार की छोटी सी खिड़की तो बंद करके मालिश करवाती
ताहिरा और आदम अचंभित होके एकदुसरे का मुँह देखने लगे.....यानी चोरी पकड़ी जा चुकी थी....आदम जनता था सुधिया काकी से कुछ छुपा नही है
सुधिया काकी : इतना घबराने या डरने की ज़रूरत नही तुम दोनो को मुझे आजतक लगता आया है कि इस खेल में सिर्फ़ मैं ही खिलाडन हूँ पर यहाँ तो ताहिरा तू भी खिलाड़ी बनी बैठी है अपने ही भानजे के साथ
ताहिरा : नही नही वो बस क्या बोलूं
सुधिया काकी : अर्रे तो छुपाना कैसा वो भी सुधिया से मैं क्या पराई हूँ? तू भी औरत है और मैं भी
ताहिरा : इसका मतलब आप भी अपने परिवार में किसी से
सुधिया काकी : किसी भानजे या भतीजे से नही अपने बेटे रामदीन से
ताहिरा : क्या रामदीन? (एकाएक ताहिरा मासी का मुँह खुला का खुला रह गया यानी कि अब तक उन्हें भी सुधिया काकी किससे फसि हुई है ये मालूम था नही)
अड़ेढ़ उमर की थी ज़रूर लेकिन लगता है भोसड़ी में अब भी खुजली बरक़रार थी जो सहावत वो अपने बेटे से पूरी कर रही थी...उसका बेटा रामदीन कोई 23 साल का लौंडा था जो शहर में काम करता था और 15 15 दिन घर बैठा रहता था....बाप रिकक्षावाला था 2 साल पहले मर गया उन्ही दो सालो के अंदर रामदीन सुधिया काकी यानी अपनी माँ को चोदने लगा था...इसमें पहल माँ ने ही कर दी थी
आख़िर उसे चूत की इतनी खुजली थी कि मिटाने वाला कोई था नही...हालाँकि चुदक्कड किसम की औरत थी और उसके काई नाजायेज़ रिश्ते रहे थे पर 1 राउंड के बाद कोई उसकी बुर में लंड नही डालता था क्यूंकी साली मर्दो को इस उमर में भी थका देती थी और शायद बुढ़िया होने की वजह भी कहीं थी....रामदीन को एकदिन माँ ने रंगे हाथो एक रंडी को खेतो में चोद्ता देख लिया...जिसके बाद दोनो माँ बेटों में कुछ दिन तक झगड़ा बरक़रार रहा...लेकिन बेटे ने सॉफ कह दिया मुझे शादी नही करनी बस ऐसे ही औरतों के साथ संबंध बनाने है अब तू किसी से भी बनवा....सुधिया बेशरम औरत थी बेटे के लिंग को उसने देखा था कितना मोटा और लंबा था उसे डर लगा कहीं ग़लत इरादा करके वो घर छोड़ ना दे जिससे कि वो सड़क पे आ जाए और उसने फ़ैसला करते हुए अपने बेटे के सामने नंगी पेश हो गयी....शुरू शुरू में बेटे को थोड़ा अज़ीब लगा पर अब काम से फारिग होके वो अपनी हसरत माँ के साथ घर की चार दीवारी में उसकी चूत गान्ड की चुदाई करके निकालता था
ताहिरा और आदम का डर गायब हो गया और वो निसचिंत हुए कि चलो उनकी चोरी किसी की आँखो में नही आई ....सुधिया ताहिरा को मशवरा देने लगी और उसे और प्रोत्साहन करने लगी कि वो आदम को ढंग से चुदाई करना सिखाए तभी उसे पूरा मज़ा मिलेगा....ताहिरा आदम के सामने बेशर्मो की तरह सुन रही थी आदम का लिंग अपनी औकात में खड़ा था
सुधिया : पीछे की गली बंद ज़रूर है पर कभी कभी कोई ना कोई गुज़र जाता है तेरी पीछे की खिड़की खुली थी और मैं तफ़सील करना चाह रही थी कि तू घर में है कि नही बस जैसे ही खिड़की से देखा तो तेरा ये भांजा तेरी पीठ की मालिश करते हुए तेरी गान्ड में अपना मोटा लिंग रगड़ने लगा था....उसके बाद इसने तुझे पलटा दिया और तेरी छातियो की मालिश कर ही रहा था इतने में मुझे लगा कि कोई सच में तेरे घर आ ना जाए वरना तेरी पोल तो खुल जाएगी इसलिए मैं खुद तेरे यहाँ आ गयी कब कौन आ जाए क्या पता तेरा बेटा या बहू आ जाते तो तू क्या करती? वैसे मालिश तो तेरा भांजा अच्छे से करता है मैने गौर किया है
आदम का चेहरा लाल हो गया उनकी बातों से
ताहिरा : ह्म पर आपने अच्छा किया दरअसल मैं और यह इतने ज़्यादा बहेक गये कि वक़्त और जगह देखा ही नही
सुधिया : चल कोई बात नही पर मुझे खुशी है कि तेरे पीछे कोई तो है अब
ताहिरा का मुँह लाल हो गया शरम से वो आदम से जैसे नज़र चुराने लगी ...फिर आदम ने ही बात छेड़ी और सुधिया काकी को अपनी समस्या बताई...ताहिरा भी आदम की बीमारी उन्हें बताने लगी सुधिया काकी कुछ देर सुनके काफ़ी गंभीर चुपचाप खड़ी रही
सुधिया : ह्म समस्या है पर गंभीर नही सुधिया किस मर्ज़ की दवा है इसके लिए आदम तुम्हें एक दवा खानी होगी और अपने लिंग की मालिश भी
आदम : क्या मालिश?
सुधिया : हां एक बार औज़ार दिखाना
आदम शर्मा गया और ताहिरा मौसी की ओर देखने लगा...."अब शरमाना कैसा? सुधिया काकी सबकुछ जान चुकी है चल तुझे डर है तो अंदर के कमरे में सुधिया काकी को दिखा दे....आदम ने हामी भरी और तीनो कमरे में आए