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आदम : हां बताया था उसने मुझे एक बार लेकिन वो दिल्ली आ गया स्ट्रेंज! और वो भी मुझसे मिलने
अंजुम : तूने दिल्ली को ज़रूर छोड़ा है पर आज भी तेरे कुछ अपने तुझे दिलोजान से याद करते है (अंजुम इस बात को कहते हुए जैसे जज्बाती हो गयी जैसे आदम को बताना चाह रही हो कि कुछ चन्द अपनो में उसकी माँ खुद शामिल थी जो उसे कितना मिस कर रही थी?)
आदम : अच्छा माँ मैं फिर देखता हूँ उसे कॉंटॅक्ट करके और मैं टिकेट जल्द से जल्द निकलवाने की पूरी कोशिश करता हूँ आप अपना ख्याल रखना
अंजुम : बिल्कुल बेटा और तू आराम से रहना और ये मत समझना कि मैने कुछ बुरा माना होगा तेरी बातों का तू मेरा खून है
आदम : हाहाहा थॅंक यू माँ चलो बाइ देन
अंजुम : बाइ बेटा
आदम ने फोन कट कर दिया वो थोड़ा जज्बाती हो गया था...उसे भी अंजुम की बेहद याद सता रही थी....उसने माँ की तस्वीर को ठीक से रखा और अपने काम में व्यस्त हो गया.....बीच में उसे याद आया कि अपने उस मुंबई वाले फ्रेंड का नंबर लेना वो भूल गया था हो ना हो वो खुद उसे कॉल करेगा यही सोचके आदम काम में वापिस से व्यस्त हो गया
उधर अंजुम आदम के ख्यालो में खोई खुशी से झूम उठी....आख़िर वो जिसे इतना मिस कर रही थी वो उसका इकलौता बेटा उसके पास वापिस आने वाला था...उसने ये खबर हेमा को बताना उचित समझा....लेकिन उसने पति को नही बताया क्यूंकी आदम की बात का उसे ख्याल था....हेमा को फोन करके बताने के बाद खुद हेमा को भी हैरानी हुई थी
हेमा : क्या सच तेरा बेटा वापिस आ रहा है? कितने दिनो के लिए
अंजुम : दिन मत गिन दिल बैठ जाता है मेरा बस आदम वापिस आ रहा है मैं यही चाहती हूँ (अंजुम थोड़ी मायूस सी बोली)
हेमा : अच्छा बाबा पर मुझे इस बात की हैरानी है कि वो वापिस कैसे आ रहा है? तूने कहीं मेरा वो तरक़ीब तो !
अंजुम : तू अपने गंदे दिमाग़ के घोड़े दौड़ाना छोड़ दे....मैने तेरी कोई भी गंदी आइडिया नही यूज़ की अर्रे बेटा है वो मेरा उसका मन पाक है भला वो ऐसा गंदा ख्याल क्यूँ अपने दिल में अपनी माँ के लिए रखेगा?
हेमा : ह्म (हेमा को भी यकीन नही हो रहा था)
अंजुम : उसे मेरी ममता खींच लाई है उसकी माँ की ममता
हेमा : कही जो आग वो यहाँ से लेके गया था कहीं वो भुज तो नही गयी?
अंजुम : तेरा कुछ नही हो सकता चाहे मेरा बेटा किसी और को साथ लेके क्यूँ ना आ जाए मुझे बस इसलिए खुशी होगी कि वो वापिस आ रहा है और पता है तुझे उसने अपनी पुरानी हरकतों के लिए मुझसे माँफी माँगी जितनी खुशी उसने आज मुझे फोन पे दी इतना मुझे किसी ने कभी नही दिया है
हेमा : ह्म तुझे आज इतना खुश देखके मुझे तो तुझसे जलन हो रही है मेरा तो कोई बेटा नही जिसे मैं समझू या वो मुझे समझे
अंजुम : हेमा खुशी इस बात की है मेरा बेटे को अपनी माँ से अब भी प्यार है
हेमा : हां अंजुम ये तो सच बात है उस ज़िद्दी को यहाँ भी ले आना साले को आने तो दे देख उसे वापिस जाने नही दूँगी
अंजुम : बिल्कुल अपनी हेमा आंटी और बहनों से मिलने तो वो आएगा ही और मैं उसे लाउन्गी तेरे पास
हेमा : चल तू खुश रह और मेरी कोई बात का बुरा मत मानना
अंजुम : अर्रे हेमा तू भी ना
हेमा : अच्छा चल बाइ
अंजुम : बाइ
हेमा ने फोन कट कर दिया...उसे भी ख़ुसी थी कि अंजुम को कोई गंदे पैतरे इस्तेमाल नही करने पड़े...पर अचानक ज़िद्दी बाघी आदम के दिल में जहाँ हरपल नफ़रत होया करती थी माँ से आज इतना लगाव और प्यार क्यूँ? हो सकता है अंजुम सच कह रही हो माँ की ममता
उधर काम से फारिग होके आदम घर लौटा तो रूपाली भाभी का कॉल आ गया....आदम ने फोन उठाया
आदम : हेलो भाभी तबीयत तो दुरुस्त है ना तुम्हारी?
रूपाली : अब पूरी रात भाभी को सोने नही दोगे तो तबीयत तो खराब होगी ना
आदम : अर्रे फिर भी कोई प्राब्लम तो नही हुई ना चूत सही सलामत तो है ना तुम्हारी गान्ड भी काफ़ी ज़्यादा सख़्त थी
रूपाली : तुमने मेरे दोनो छेदों को छील दिया वो तो सुधिया काकी ने कोई मलम बताया उसे लगा लिया अभी आराम है पर आदम सच में तुमने मुझे औरत का जो सुख दिया है वो तुम्हारे भैया से तो मिलने से रहा
आदम : हाहाहा भाभी ये तो आपका और मेरे बीच का प्यार था खैर
रूपाली : अच्छा आज सुबह सुबह तुम्हारे भैया बिशल आए थे ? बहुत मनाया बोले घर में खाना नही बन पा रहा ढंग से तुम मेरे साथ चलो जो बोलोगि सो दूँगा एक दम पाओ पे गिर गये
आदम : और आप मज़े ले रही थी ?
रूपाली : नही भला किसी का पति अपनी पत्नी के सामने ऐसे रिक्वेस्ट करे उसके मायके वालो के सामने तो कैसा लगेगा?
आदम : ह्म आप उन्हें मांफ कर दो यार
रूपाली : ह्म मैं भी कुछ ऐसा सोच रही हूँ अच्छा वो आज मेरे घर आओगे
आदम : नही भाभी काम ज़्यादा है एक काम करते है ना कल सनडे है मैं कल आता हूँ मिलने
रूपाली : आओ तुम्हें अपना मायका और आम का बागान दिखाउन्गी शादी में तो तुम आए नही थे ना ?
आदम : अच्छा रूपाली भाभी
रूपाली : ओके बाइ
आदम : बाइ
यक़ीनन चूत की खुजली अब भी नही मिटी थी....आम के बागान के साथ साथ अपनी दो छाती में झूल रहे आमो का भी दीदार कराने के लिए जैसे रूपाली भाभी मरे जा रही थी आदम को दिखाने के चक्कर में आदम बस उसकी हरकत पे हंस रहा था चलो एक और औरत उसकी टाँगों के नीचे आ चुकी थी
अंजुम : तूने दिल्ली को ज़रूर छोड़ा है पर आज भी तेरे कुछ अपने तुझे दिलोजान से याद करते है (अंजुम इस बात को कहते हुए जैसे जज्बाती हो गयी जैसे आदम को बताना चाह रही हो कि कुछ चन्द अपनो में उसकी माँ खुद शामिल थी जो उसे कितना मिस कर रही थी?)
आदम : अच्छा माँ मैं फिर देखता हूँ उसे कॉंटॅक्ट करके और मैं टिकेट जल्द से जल्द निकलवाने की पूरी कोशिश करता हूँ आप अपना ख्याल रखना
अंजुम : बिल्कुल बेटा और तू आराम से रहना और ये मत समझना कि मैने कुछ बुरा माना होगा तेरी बातों का तू मेरा खून है
आदम : हाहाहा थॅंक यू माँ चलो बाइ देन
अंजुम : बाइ बेटा
आदम ने फोन कट कर दिया वो थोड़ा जज्बाती हो गया था...उसे भी अंजुम की बेहद याद सता रही थी....उसने माँ की तस्वीर को ठीक से रखा और अपने काम में व्यस्त हो गया.....बीच में उसे याद आया कि अपने उस मुंबई वाले फ्रेंड का नंबर लेना वो भूल गया था हो ना हो वो खुद उसे कॉल करेगा यही सोचके आदम काम में वापिस से व्यस्त हो गया
उधर अंजुम आदम के ख्यालो में खोई खुशी से झूम उठी....आख़िर वो जिसे इतना मिस कर रही थी वो उसका इकलौता बेटा उसके पास वापिस आने वाला था...उसने ये खबर हेमा को बताना उचित समझा....लेकिन उसने पति को नही बताया क्यूंकी आदम की बात का उसे ख्याल था....हेमा को फोन करके बताने के बाद खुद हेमा को भी हैरानी हुई थी
हेमा : क्या सच तेरा बेटा वापिस आ रहा है? कितने दिनो के लिए
अंजुम : दिन मत गिन दिल बैठ जाता है मेरा बस आदम वापिस आ रहा है मैं यही चाहती हूँ (अंजुम थोड़ी मायूस सी बोली)
हेमा : अच्छा बाबा पर मुझे इस बात की हैरानी है कि वो वापिस कैसे आ रहा है? तूने कहीं मेरा वो तरक़ीब तो !
अंजुम : तू अपने गंदे दिमाग़ के घोड़े दौड़ाना छोड़ दे....मैने तेरी कोई भी गंदी आइडिया नही यूज़ की अर्रे बेटा है वो मेरा उसका मन पाक है भला वो ऐसा गंदा ख्याल क्यूँ अपने दिल में अपनी माँ के लिए रखेगा?
हेमा : ह्म (हेमा को भी यकीन नही हो रहा था)
अंजुम : उसे मेरी ममता खींच लाई है उसकी माँ की ममता
हेमा : कही जो आग वो यहाँ से लेके गया था कहीं वो भुज तो नही गयी?
अंजुम : तेरा कुछ नही हो सकता चाहे मेरा बेटा किसी और को साथ लेके क्यूँ ना आ जाए मुझे बस इसलिए खुशी होगी कि वो वापिस आ रहा है और पता है तुझे उसने अपनी पुरानी हरकतों के लिए मुझसे माँफी माँगी जितनी खुशी उसने आज मुझे फोन पे दी इतना मुझे किसी ने कभी नही दिया है
हेमा : ह्म तुझे आज इतना खुश देखके मुझे तो तुझसे जलन हो रही है मेरा तो कोई बेटा नही जिसे मैं समझू या वो मुझे समझे
अंजुम : हेमा खुशी इस बात की है मेरा बेटे को अपनी माँ से अब भी प्यार है
हेमा : हां अंजुम ये तो सच बात है उस ज़िद्दी को यहाँ भी ले आना साले को आने तो दे देख उसे वापिस जाने नही दूँगी
अंजुम : बिल्कुल अपनी हेमा आंटी और बहनों से मिलने तो वो आएगा ही और मैं उसे लाउन्गी तेरे पास
हेमा : चल तू खुश रह और मेरी कोई बात का बुरा मत मानना
अंजुम : अर्रे हेमा तू भी ना
हेमा : अच्छा चल बाइ
अंजुम : बाइ
हेमा ने फोन कट कर दिया...उसे भी ख़ुसी थी कि अंजुम को कोई गंदे पैतरे इस्तेमाल नही करने पड़े...पर अचानक ज़िद्दी बाघी आदम के दिल में जहाँ हरपल नफ़रत होया करती थी माँ से आज इतना लगाव और प्यार क्यूँ? हो सकता है अंजुम सच कह रही हो माँ की ममता
उधर काम से फारिग होके आदम घर लौटा तो रूपाली भाभी का कॉल आ गया....आदम ने फोन उठाया
आदम : हेलो भाभी तबीयत तो दुरुस्त है ना तुम्हारी?
रूपाली : अब पूरी रात भाभी को सोने नही दोगे तो तबीयत तो खराब होगी ना
आदम : अर्रे फिर भी कोई प्राब्लम तो नही हुई ना चूत सही सलामत तो है ना तुम्हारी गान्ड भी काफ़ी ज़्यादा सख़्त थी
रूपाली : तुमने मेरे दोनो छेदों को छील दिया वो तो सुधिया काकी ने कोई मलम बताया उसे लगा लिया अभी आराम है पर आदम सच में तुमने मुझे औरत का जो सुख दिया है वो तुम्हारे भैया से तो मिलने से रहा
आदम : हाहाहा भाभी ये तो आपका और मेरे बीच का प्यार था खैर
रूपाली : अच्छा आज सुबह सुबह तुम्हारे भैया बिशल आए थे ? बहुत मनाया बोले घर में खाना नही बन पा रहा ढंग से तुम मेरे साथ चलो जो बोलोगि सो दूँगा एक दम पाओ पे गिर गये
आदम : और आप मज़े ले रही थी ?
रूपाली : नही भला किसी का पति अपनी पत्नी के सामने ऐसे रिक्वेस्ट करे उसके मायके वालो के सामने तो कैसा लगेगा?
आदम : ह्म आप उन्हें मांफ कर दो यार
रूपाली : ह्म मैं भी कुछ ऐसा सोच रही हूँ अच्छा वो आज मेरे घर आओगे
आदम : नही भाभी काम ज़्यादा है एक काम करते है ना कल सनडे है मैं कल आता हूँ मिलने
रूपाली : आओ तुम्हें अपना मायका और आम का बागान दिखाउन्गी शादी में तो तुम आए नही थे ना ?
आदम : अच्छा रूपाली भाभी
रूपाली : ओके बाइ
आदम : बाइ
यक़ीनन चूत की खुजली अब भी नही मिटी थी....आम के बागान के साथ साथ अपनी दो छाती में झूल रहे आमो का भी दीदार कराने के लिए जैसे रूपाली भाभी मरे जा रही थी आदम को दिखाने के चक्कर में आदम बस उसकी हरकत पे हंस रहा था चलो एक और औरत उसकी टाँगों के नीचे आ चुकी थी