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Incest माँ को पाने की हसरत

Monster Dick

the black cock
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आदम : हां बताया था उसने मुझे एक बार लेकिन वो दिल्ली आ गया स्ट्रेंज! और वो भी मुझसे मिलने


अंजुम : तूने दिल्ली को ज़रूर छोड़ा है पर आज भी तेरे कुछ अपने तुझे दिलोजान से याद करते है (अंजुम इस बात को कहते हुए जैसे जज्बाती हो गयी जैसे आदम को बताना चाह रही हो कि कुछ चन्द अपनो में उसकी माँ खुद शामिल थी जो उसे कितना मिस कर रही थी?)

आदम : अच्छा माँ मैं फिर देखता हूँ उसे कॉंटॅक्ट करके और मैं टिकेट जल्द से जल्द निकलवाने की पूरी कोशिश करता हूँ आप अपना ख्याल रखना

अंजुम : बिल्कुल बेटा और तू आराम से रहना और ये मत समझना कि मैने कुछ बुरा माना होगा तेरी बातों का तू मेरा खून है


आदम : हाहाहा थॅंक यू माँ चलो बाइ देन


अंजुम : बाइ बेटा


आदम ने फोन कट कर दिया वो थोड़ा जज्बाती हो गया था...उसे भी अंजुम की बेहद याद सता रही थी....उसने माँ की तस्वीर को ठीक से रखा और अपने काम में व्यस्त हो गया.....बीच में उसे याद आया कि अपने उस मुंबई वाले फ्रेंड का नंबर लेना वो भूल गया था हो ना हो वो खुद उसे कॉल करेगा यही सोचके आदम काम में वापिस से व्यस्त हो गया

उधर अंजुम आदम के ख्यालो में खोई खुशी से झूम उठी....आख़िर वो जिसे इतना मिस कर रही थी वो उसका इकलौता बेटा उसके पास वापिस आने वाला था...उसने ये खबर हेमा को बताना उचित समझा....लेकिन उसने पति को नही बताया क्यूंकी आदम की बात का उसे ख्याल था....हेमा को फोन करके बताने के बाद खुद हेमा को भी हैरानी हुई थी

हेमा : क्या सच तेरा बेटा वापिस आ रहा है? कितने दिनो के लिए

अंजुम : दिन मत गिन दिल बैठ जाता है मेरा बस आदम वापिस आ रहा है मैं यही चाहती हूँ (अंजुम थोड़ी मायूस सी बोली)

हेमा : अच्छा बाबा पर मुझे इस बात की हैरानी है कि वो वापिस कैसे आ रहा है? तूने कहीं मेरा वो तरक़ीब तो !


अंजुम : तू अपने गंदे दिमाग़ के घोड़े दौड़ाना छोड़ दे....मैने तेरी कोई भी गंदी आइडिया नही यूज़ की अर्रे बेटा है वो मेरा उसका मन पाक है भला वो ऐसा गंदा ख्याल क्यूँ अपने दिल में अपनी माँ के लिए रखेगा?

हेमा : ह्म (हेमा को भी यकीन नही हो रहा था)


अंजुम : उसे मेरी ममता खींच लाई है उसकी माँ की ममता


हेमा : कही जो आग वो यहाँ से लेके गया था कहीं वो भुज तो नही गयी?

अंजुम : तेरा कुछ नही हो सकता चाहे मेरा बेटा किसी और को साथ लेके क्यूँ ना आ जाए मुझे बस इसलिए खुशी होगी कि वो वापिस आ रहा है और पता है तुझे उसने अपनी पुरानी हरकतों के लिए मुझसे माँफी माँगी जितनी खुशी उसने आज मुझे फोन पे दी इतना मुझे किसी ने कभी नही दिया है


हेमा : ह्म तुझे आज इतना खुश देखके मुझे तो तुझसे जलन हो रही है मेरा तो कोई बेटा नही जिसे मैं समझू या वो मुझे समझे


अंजुम : हेमा खुशी इस बात की है मेरा बेटे को अपनी माँ से अब भी प्यार है


हेमा : हां अंजुम ये तो सच बात है उस ज़िद्दी को यहाँ भी ले आना साले को आने तो दे देख उसे वापिस जाने नही दूँगी

अंजुम : बिल्कुल अपनी हेमा आंटी और बहनों से मिलने तो वो आएगा ही और मैं उसे लाउन्गी तेरे पास


हेमा : चल तू खुश रह और मेरी कोई बात का बुरा मत मानना

अंजुम : अर्रे हेमा तू भी ना


हेमा : अच्छा चल बाइ


अंजुम : बाइ

हेमा ने फोन कट कर दिया...उसे भी ख़ुसी थी कि अंजुम को कोई गंदे पैतरे इस्तेमाल नही करने पड़े...पर अचानक ज़िद्दी बाघी आदम के दिल में जहाँ हरपल नफ़रत होया करती थी माँ से आज इतना लगाव और प्यार क्यूँ? हो सकता है अंजुम सच कह रही हो माँ की ममता

उधर काम से फारिग होके आदम घर लौटा तो रूपाली भाभी का कॉल आ गया....आदम ने फोन उठाया

आदम : हेलो भाभी तबीयत तो दुरुस्त है ना तुम्हारी?

रूपाली : अब पूरी रात भाभी को सोने नही दोगे तो तबीयत तो खराब होगी ना


आदम : अर्रे फिर भी कोई प्राब्लम तो नही हुई ना चूत सही सलामत तो है ना तुम्हारी गान्ड भी काफ़ी ज़्यादा सख़्त थी


रूपाली : तुमने मेरे दोनो छेदों को छील दिया वो तो सुधिया काकी ने कोई मलम बताया उसे लगा लिया अभी आराम है पर आदम सच में तुमने मुझे औरत का जो सुख दिया है वो तुम्हारे भैया से तो मिलने से रहा

आदम : हाहाहा भाभी ये तो आपका और मेरे बीच का प्यार था खैर


रूपाली : अच्छा आज सुबह सुबह तुम्हारे भैया बिशल आए थे ? बहुत मनाया बोले घर में खाना नही बन पा रहा ढंग से तुम मेरे साथ चलो जो बोलोगि सो दूँगा एक दम पाओ पे गिर गये

आदम : और आप मज़े ले रही थी ?

रूपाली : नही भला किसी का पति अपनी पत्नी के सामने ऐसे रिक्वेस्ट करे उसके मायके वालो के सामने तो कैसा लगेगा?

आदम : ह्म आप उन्हें मांफ कर दो यार


रूपाली : ह्म मैं भी कुछ ऐसा सोच रही हूँ अच्छा वो आज मेरे घर आओगे


आदम : नही भाभी काम ज़्यादा है एक काम करते है ना कल सनडे है मैं कल आता हूँ मिलने


रूपाली : आओ तुम्हें अपना मायका और आम का बागान दिखाउन्गी शादी में तो तुम आए नही थे ना ?

आदम : अच्छा रूपाली भाभी


रूपाली : ओके बाइ


आदम : बाइ

यक़ीनन चूत की खुजली अब भी नही मिटी थी....आम के बागान के साथ साथ अपनी दो छाती में झूल रहे आमो का भी दीदार कराने के लिए जैसे रूपाली भाभी मरे जा रही थी आदम को दिखाने के चक्कर में आदम बस उसकी हरकत पे हंस रहा था चलो एक और औरत उसकी टाँगों के नीचे आ चुकी थी
 
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शाम तक ना जाने क्यूँ आदम का मूड चंपा से मिलने को कर रहा था....पर जब वो उसके घर गया तो ताला लगा देखा..उसे लगा शायद किसी मर्द के साथ धंधे पे गयी होगी....ना जाने वो क्यूँ आ गया था? लेकिन चंपा की खूबसूरती और उसकी गहरी दोस्ती उसे बुलाने का लालसा दे रही थी....

आदम ने उसे कॉल लगाया तो पाया कि वो बार बार डिसकनेक्ट कर रही थी यक़ीनन चुद रही होगी साली किसी से ...आदम के मन में ये ख्याल आया

रात 9 बजे तक आदम खाना तरकारी लेके लौटा...उसने चाव से खाना खाया और आज बाज़ार से लाई एक ब्लू फिल्म सीडी कंप्यूटर डिस्क प्लेट में चला दी....फिल्म बाहर की थी उसमें कहानी माँ बेटे के इन्सेस्ट रीलेशन के उपर थी...

आदम बड़ी दिलचस्पी से फिल्म देखने लगा उसने आजतक ऐसे रॉल्प्ले वाले फिल्म्स नही देखी थी....उफ्फ माँ की उमर उसमें लगभग 42 थी जो हद से ज़्यादा गोरी थी उसके निपल्स गुलाबी थे और उसकी झान्टे कुतरी हुई ट्रिम की हुई लग रही थी....हीरो के लिंग के उपर काफ़ी झान्टे उगी हुई थी...और उसकी चमड़ी भी कटी हुई नही थी उसकी माँ दना दन पूरे फिल्म में उसे ब्लोवजोब कुछ ज़्यादा ही देती है मुख मैथुन जिसे कहते है....

फिल्म की कहानी माँ की लज्जा से शुरू होते हुए बेटा और माँ के अवैध संबंध तक चलते है....उसके बाद उसके पिता को मालूम चल जाता है और फिल्म ख़तम

उस फिल्म की कहानी और रोमॅंटिक सीन देखके आदम का लिंग एकदम उत्तेजना में खड़ा था उसे एक बार मूठ भी मारनी पड़ी और टिश्यू पेपर से अपने लिंग और जहाँ वीर्य लगा था उस जगह को पोछना पड़ा...उसने दूसरी सीडी नही चलाई क्यूंकी ज़्यादा मूठ मारने से वो कमज़ोरी महसूस करता...और वो नहा धोके कपड़े बदलके सो गया

अगले दिन उसकी नींद खुली तो दरवाजे पे सुधिया काकी खड़ी थी साथ में उसके साथ एक 20-22 साल उमर की लड़की थी...आदम उसे पहचान ना पाया....


आँखो को मसल्ते हुए जब आदम अपने पलंग से उठ खड़ा हुआ तो पाया कि बाहर सुधिया काकी के साथ दरवाजे पे एक 20-22 साल की लड़की खड़ी थी...आदम उसे पहचान ना पाया....और आगे बढ़के उसने दरवाजा खोला...सुधिया काकी मुस्कुरा के उस लड़की को आदम के बारे में जैसे परिचय देने लगी....उस लड़की को देखके आदम ने अंदाज़ा लगा लिया वो कम उमर की थी...पर भरा पूरा बदन था शादी शुदा लग रही थी...रंग सावला था और साड़ी जरी का काम की हुई लग रही थी गले में सोने का एक मोटी चैन थी जो चमक रही थी...उसे देखके लग रहा था जैसे अच्छे घर से है वो बार बार आदम को देखके मुस्कुरा भी रही थी और शरमा भी रही थी....छोटे ज़िले की थी तो ऐसे यूँ किसी जवान लौन्डे के सामने आने में उसे शरम महसूस हो रही थी...

उस वक़्त आदम को ख्याल आया कि बीच रात में गर्मी की वजह से उसने अपने सारें कपड़े उतारके एक ढीला कच्छा पहन लिया था जिसमें उसका उभार सॉफ दिख रहा था उसके अंडकोष भी ऐसे झुलके उभार दे रहे थे..कि एक बार उस लड़की की भी नज़रें उस पर जैसे टिक गयी....आदम उसके बदन और उसके चेहरे को गौर से देख रहा था बार बार उसकी निगाह उसके वक्ष जिसपे पल्लू चढ़ा था उसी पे अटक जाती

इस बीच सुधिया काकी ने आदम का ध्यान तोड़ा...आदम ने अपनी हालात को जानते हुए फॅट से पास रखा पाजामा लेके उनके सामने ही पहन लिया...किंतु बदन अब भी खुला था....हाल ही में शेव्ड करने से छाती और पेट पे रोये रोये से बाल उग रहे थे

आदम : सुधिया काकी ये कौन है?

सुधिया काकी : अर्रे इसी से तुझे मिलवाने लाई हूँ पहचान इसको

आदम : आप मुझे लग तो जानी पहचानी रही हो पर मुझे (आदम अभी सोच ही रहा था कि उस लड़की ने टोक दिया)

"अर्रे हमारा नाम तबस्सुम है अर्रे आदम हमे नही पहचाना हम तुम्हारी बड़ी बुआ की लड़की असल में तुम कयि साल पहले आए थे और उस वक़्त तो छोटे थे तो कैसे पहचान पाओगे?"....इतना कह कर तबस्सुम हँसने लगी...आदम एकदम से पहचानते हुए खुश हुआ

आदम : अर्रे तबस्सुम दीदी आप हो मैं तो आपको भूल ही गया था क्या करू? ददिहाल आता जाता नही हूँ ना अब वहाँ है कौन मेरा? बस अकेले ही यहाँ रहता हूँ सेट्ल होने आया हूँ

तबस्सुम : ओह्ह माँ तो फिर काका काकी?

आदम : वो लोग तो नही आ सके आप तो जानती है ना माँ इस जगह को इतना पसंद नही करती

तबस्सुम : ह्म अच्छा हुआ तुम आ गये मैं बहुत दिनो से सुन रही थी ददिहाल भी गयी सुनी कि तुम यहाँ रहने लगे हो अकेले पर मुझे सच पूछो तो पता नही था तुम घर क्यूँ नही आते? तुम तो मेरी शादी में भी नही आए

आदम : क्या कहूँ? उस वक़्त हालात कुछ ठीक नही चल रहे थे घर के

आदम कुछ देर तक अपनी दीदी तबस्सुम से घरेलू बातें करने लगा....इतने में तबस्सुम ने बताया कि सुधिया काकी उसके यहाँ घर झारू पोछा लगाती है उसी ने बताया कि वो तुम्हें जानती है और तुम किसके लड़के हो ये भी? जानने पे उत्सुकता से तबस्सुम सुधिया काकी के साथ आई....सुधिया काकी ने बताया कि तबस्सुम पेट से हो गयी थी पर बच्चा मरा हुआ पैदा हो गया...जिस वजह से वो सदमे में घिर गयी....कोलकाता में ब्याही गयी थी अभी कुछ दिन अपने यहाँ मायके यानी आदम की बुआ के घर में रहने आई है...असल मामला सुधिया काकी ने आदम को ठीक तबस्सुम के सामने ही बताना शुरू कर दिया

पति कोलकाता में कॉन्स्टेबल की नौकरी करता है...पर तबस्सुम के माँ ना बनने से थोड़ा चिडचिडा गया है....यही वजह है कि उसकी अपने पति से एकदम बन नही रही और बात बात में पति उस पर हाथ उठा देता है.....सास के ज़ोर देने पे पति ने एक बार फिर कोशिश की लेकिन कोई ख़ास कामयाबी नही मिल सकी दोनो को सास चिकित्सालय भी हाल ही में लेके गयी थी पर डॉक्टर ने सॉफ कह दिया कि उसका पति दुबारा बाप नही बन सकता क्यूंकी उसे शराब की एक्सेस लत लग चुकी थी जिस वजह से उसके शुक्राणु में पतलापन और कमी सी हो गयी थी जबकि बीवी उसकी हशट पुष्ट और बच्चा जनम देने लायक थी यही नही उसका पति कयि कयि देर रात तक घर आता था जिस वजह से ठीक ढंग से संभोग भी अपनी पत्नी के साथ नही कर पाता था...

आदम : तो काकी मैं इसमें क्या मदद कर सकता हूँ? लेकिन जो हुआ ये तो बुरा हुआ (उदास तबस्सुम को देखके आदम ने भी अपना दुख प्रकट करते हुए कहा)

सुधिया काकी : देख आदम तबस्सुम तेरे घर की ही है या यूँ कह लो तेरी बहन ही लगी पर दूर की पर रिश्ते में तेरी बहन ही लगी इसलिए मैं इस नतीजे पे पहुचि हूँ कि तू ही अपनी बहन की मदद कर सकता है

आदम : ठीक है पर कैसे?

सुधिया काकी : देख तू शरमाना मत और ना तबस्सुम तुम्हे शरमाने या घबराने की कोई ज़रूरत है दुनिया यही जानती है कि तुम्हारा इससे क्या रिश्ता है? और आदम मैने तबस्सुम को तेरे लिंग के बारे में सबकुछ बताया है कि मैने इसकी मालिश की है

आदम जैसे घबरा गया और एका एक शॉक्ड हो गया सुधिया काकी ने उसके बारे में सबकुछ तबस्सुम दीदी को बता दिया था उफ्फ क्या उसे पता है कि उसने अपनी सग़ी मौसी और भाभी के साथ भी चुदाई का खेल खेला है...लेकिन तबस्सुम को कोई बुरा नही लग रहा था पर वो बेहद शरमा रही थी और मुस्कुराती हुई सर झुकाए हुई थी

आदम : क..क्या मतलब काकी मैं समझा नही ?

सुधिया काकी : अर्रे बोका (बेवकूफ़) मैं कह रही हूँ कि इसे तेरे लिंग के बारे में सबकुछ पता है और इसमें छुपाना कैसा? तूने इसकी रोज़ मालिश करके इसे इतना भरा पूरा बनाया है और उपर से ये कहा तेरे अंदर वीर्य की वृद्धि बहुत हुई है? तू तबस्सुम के सामने शरमा मत मैने इसे ऐसा वैसा कुछ नही बताया

आदम : लेकिन काकी मैं तो इनका भाई लगा ना आप कहना चाह रही हो कि मैं इनके साथ!

सुधिया काकी : देख तबस्सुम घर की है पड़ी लिखी सुशील लड़की है और समझदार भी . बुआ और रिश्ता सब जानती है और तू भी तो पढ़ा लिखा समझदार है अपनी बहन की मामले में थोड़ी मदद कर दे क्या जाएगा तेरा? इसकी खोख हरी कर दे
 

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सुधिया काकी इतनी अश्लीलता से कह रही थी कि अच्छे अच्छों का उस वक़्त खड़ा हो जाए...वो तबस्सुम और आदम के भाई-बहन के रिश्ते के सामने ऐसे खुले विचारो में गंदी से गंदी बात कहें जा रही थी...आदम तो चुपचाप हो गया और तबस्सुम.... ऐसा लग रहा था जैसे उसे पहले से सुधिया काकी ने मना लिया हो उसके गोल मटोल गाल एकदम लाल हो गये थे लज्जा से

सुधिया काकी : देख अगर तबस्सुम को गर्भ ठहर गया तो इसकी गृहस्थी बच जाएगी वैसे तो कोख खरीदी भी जा सकती है इंजेक्षन पुश करवाने से ही औरत को गर्भ आजकल ठहर जाता है पर इसका पति कतयि इसके लिए राज़ी नही होगा...और सास में भी यही सिर्फ़ कहा है कि जितना हो सके पति से हमबिस्तर हो ताकि दुबारा से घर की खोई खुशिया वापिस लौट जाए और पति वापिस ठीक हो जाए वो अपने बेटे को ठीक करना चाहती है और तेरी तबस्सुम अपने गृहस्थी को बचाना चाहती है

तबस्सुम : हां आदम काकी सही कह रही है अगर मैं कोख ख़रीदती हूँ तो अन्य पुरुष के बीज के लिए कभी भी मेरे शौहर इस बात के लिए तैयार नही होंगे और ना ही मैं किसी और के साथ संबंध बना सकती हूँ जो कि गैर= होगा वरना बदनामी का डर है

सुधिया काकी : इसलिए तू तो अपने रिश्ते में आता है अगर कुछ दिन अपनी तबस्सुम दी के साथ सो जाएगा तो इसे भरपूर मज़ा भी आएगा और तू इसकी सुनि कोख भर भी देगा

आदम सोच विचारने लगा.....पहले तो उसे काफ़ी डर लगा था पर सुधिया काकी अब धीरे धीरे उसकी मदद लेना चाह रही थी...एक बार आदम ने सुधिया काकी की तरफ देखा फिर उन्हें बाहर ले गया....सुधिया काकी ने निसचिंत किया ना ही ताहिरा मौसी को पता है और ना ही उसके ददिहाल या तबस्सुम दी के घरवालो को.....कुछ दिन तबस्सुम के साथ दिन रात गुज़ार लेना उसके बाद तबस्सुम अपने शौहर को यहाँ बुला लेगी अपने मायके उससे नाम का चुदवायेगि उन्हें यही लगेगा कि तबस्सुम को गर्भ उसके मर्द की वजह से ही ठहरा है

काफ़ी सोच विचार और हिचकिचाहट के बाद आदम ने सुनिसचिंत किया कि वो अपनी बड़ी दीदी तबस्सुम को चोदेगा....उसने अंदर आके तबस्सुम दी और सुधिया काकी के सामने आके रज़ामंदी दी "मैं तय्यार हूँ तबस्सुम दी पर ये बात हमारे बीच ही रहेगी वरना बवाल मच जाएगा".....ये सुनके तबस्सुम खुश हो गयी वो मुस्कुराइ और अपने भाई को गले लगा लिया....सुधिया तो ये सब देखके मस्तिया रही थी

आदम : लेकिन काकी आज मुझे जाना होगा (क्या कह पाता कि रूपाली भाभी भी उसके इन्तिजार में है)

सुधिया काकी : अर्रे तो कोई बात नही पहले घर का फ़र्ज़ तबस्सुम दी इतने दिनो बाद आई है उसकी खातिरदारी कर दोनो बैठके गपशप करो मैं शाम तक तुझे लेने आ जाउन्गी ठीक है तबस्सुम

तबस्सुम : अच्छा काकी

ये सुनके मेरा लिंग अंदर ही अंदर खड़ा होने लगा....आज बिना कहें ही एक और चूत खुद चुदाई के लिए मिली थी...रह रहके लिंग को अड्जस्ट करता हुआ कच्छे और प्यज़ामे के उपर से ही आदम सुधिया काकी को बाहर तक छोड़ने आया....सुधिया काकी शैतानी मुस्कुराहट दिए चल दी

आदम : अच्छा काकी तो फिर आप जाओ मैं दीदी के साथ वक़्त बिताता हूँ

सुधिया : हां हां जा रही हूँ तू अपनी दीदी को खुश कर देना और चिंता मत कर मैने उसे तेरे कोई भी संबंध के बारे में नही बताया उसे तय्यार करना थोड़ा मुस्किल हुआ पर मान गयी तेरे साथ खुद को सुरक्षित महसूस करेगी

आदम : ठीक है काकी

इतना कह कर सुधिया काकी चली गयी....अंदर आते ही तबस्सुम थोड़ी शर्मा ज़रूर रही थी...उसने सॉफ देखा कि आदम का पाजामा रह रहके उभार प्रकट कर रहा है उसका विशाल काय 8 इंच का लिंग एकदम तोप की तरह खड़ा है...आदम को याद आया कि आज तो रक्षा बंधन है उसने आज रूपाली से मिलने का मूड बनाया हुआ था तो उसने झूठ मूठ का फोन करके रूपाली भाभी को मना कर दिया...रूपाली भाभी का थोड़ा मूड ऑफ हो गया पर वो मान गयी थी

आज पूरा दिन तबस्सुम के साथ बिताना था....वो उसके पास बैठा और उसे फ्री करने लगा

आदम : अर्रे तबस्सुम दी थोड़ा अज़ीब लगेगा पर बाद में मज़ा आएगा

तबस्सुम : तू यहाँ आके संबंध भी बना चुका है और मुझे पता तक नही बस यही सुधिया काकी बताई कि तू किसी लड़की से फँसा हुआ है (यक़ीनन सुधिया काकी ने संबंध वाली बात झूठ कही थी)

आदम : हाहाहा बस अकेले जवान लड़के की तो कोई तो चाहत होगी उसी के लिए अपने पेनिस को इतना मोटा और लंबा किया हूँ देखोगी आप

तबस्सुम : इतनी जल्दी तुझे तो मौका मिल गया बहन के सामने नंगा होने का कोई लज्जा शरम नही तुझे

आदम शरमा गया उसके गाल लाल हो गये....तबस्सुम ने खुद ही उसके प्यज़ामे पे हाथ रखा और उसे एक आँख मारी "बुआ को मत बता देना".........

"पागल हो क्या? कभी ना बताऊ?"......इतना कह कर आदम ने अपना पाजामा सहित कच्छा नीचे सरका दिया उसका मोटा लंबा लिंग एकदम खड़ा और कठोर होके तबस्सुम के सामने सलामी देने लगा...तबस्सुम की आँखे फटने को हो गयी

तबस्सुम : हाए दैया ये तो कितना मोटा और लंबा है उफ़फ्फ़ हाए रे (उसके चूड़ी भरे हाथ आगे बढ़े और उसे मुट्ठी में लेके जाकड़ लिया आदम को उसके हाथो के स्पर्श से ही और ज़्यादा थरक महसूस हुई)

तबस्सुम के हाथ में मेहेन्दि का रंग चढ़ा हुआ था..वो उसी हाथ से अपने भाई के लिंग को आगे पीछे करके उसके सुपाडे को जैसे दबा रही थी..सुपाडा फूल सा गया था....तबस्सुम ने लिंग को हाथ से मलना छोड़ दिया

और अपने साड़ी के पल्लू को खीच के उतार दिया..आदम की दृष्टि फेल गयी क्यूंकी उसके सामने के ब्लाउस के दोनो तरफ गीलापन था...आदम को थोड़ा आश्चर्य हुआ उसने ब्लाउस के करीब सूँघके उस गंध को महसूस किया तो तबस्सुम मुस्कुराते हुए आदम की ओर देख रही थी....

तबस्सुम : अभी मेरे स्तनो से दूध निकलना बंद नही हुआ देखो....उसने दोनो छातियो को ब्लाउस के उपर से ही दबाया तो ब्लाउस और गीला होने लगा

आदम : अर्रे बाप रे
 
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तबस्सुम : क्यूँ तूने भी कभी इन्पे मुँह दिया होगा इन्ही को तू पीके बड़ा हुआ लेकिन वो तेरी माँ के स्तन थे नकी बहन के थोड़े ना थे हाहाहा ये जनम देने के बाद ही औरत को कुदरती तौर से दूध आने लगता है

आदम : ह्म जानता हूँ छोड़ो दी जो हो गया सो हो गया अब तुम्हारे ये दूध खाली नही जाएँगे लाओ ब्लाउस खोल दूं (आदम ने आगे बढ़के तबस्सुम की पीठ पे हाथ ले जाते हुए ब्लाउस खोल दिया....ब्लाउस के खुलते ही तबस्सुम की 38 साइज़ की बड़ी और मोटी चुचियाँ आदम के सामने झूल गयी)

आदम उसके सख़्त ब्राउन निपल्स को घूर्रते हुए उनपे कस्के हाथ की पकड़ बिठाता है..उसे इस बीच ग्यात हुआ कि वो कब्से अपनी दीदी के सामने नंगा बैठा हुआ है....उसने आगे बढ़ कर दोनो छातियो को मसलना शुरू कर दिया

तबस्सुम आँखे मूंदके आहें भरने लगी....उसके निपल से दूध की पिचकारिया छूटने लगी जो सीधे आदम के चेहरे को भीगा रही थी आदम मुँह खोले दूध का स्वाद चख रहा था उसने आगे बढ़ दोनो चुचियो को बारी बारी से दबाते हुए उनका रस्पान शुरू कर दिया उफ्फ ऐसा लग रहा था कि छातिया नही दूध की टंकी हो...आदम भरपूर तरीके से दोनो चुचियो से दूध पिए जा रहा था और चुचियो को बड़े प्यार से चूस रहा था उसने दोनो निपल्स के चारो तरफ ज़ुबान चलानी शुरू की फिर जीब से निपल को सहलाते हुए उसे चूसना शुरू कर दिया

ऐसा करने से उत्तेजित होके तबस्सुम ने उसे अपनी छातियो से लगा लिया....आदम का सर दोनो चुचियो के बीच दब गया था....जब उसने चुचियो के उपर से मुँह हटाया तो दोनो चुचियाँ एकदम लाल थी....आदम कस कस के छातियो को दबाता रहा....उनसे दूध की हल्की पिचकारिया निकल रही थी....

तबस्सुम : उफ्फ जब ना निकालु तो इनमें बड़ा दर्द होता है रे मेरी सूनी कोख भर दे आदम

आदम : तबस्सुम दी तुम फिकर मत करो तुम्हारी खोख सूनी नही रहेगी तुम्हारी गृहस्थी सम्भल जाएगी

इतना कह कर उसने तबस्सुम को लेटा दिया और उसके नाडे को खोल दिया...पेटिकोट जांघों के बीच तबस्सुम के फँस के रह गया जिसे हाथ नीचे ले जाके बीच में से आदम ने उतार फैंका...फिर उसने तबस्सुम को पूरा नंगा कर दिया

उसने तबस्सुम की फूली सी चूत को देखा जिसकी फांके सूजी चूत से धकि हुई थी उसकी चूत पूरी शेव्ड थी तल पेट के पास थोड़े स्ट्रेच मार्क्स नज़र आ रहे थे....और कांख के बाल भी सॉफ किए हुए थे...पेट थोड़ा बाहर निकला हुआ था...वजन लगभग 62 किलो तो होगा ही....आदम ने उसकी गहरी नाभि में जीब चलानी शुरू कर दी और उसके पेट पे हल्का हल्का चूमने लगा....

तबस्सुम मज़े लिए जा रही थी...उसने अपनी टाँगें चौड़ी कर दी...आदम जीब से चाटते हुए तलपेट (अब्डोमन) के पास आया और वहाँ के भी फटी चमड़ी को चाटने लगा उसने पाया कि तबस्सुम की चूत पहले से गीली थी...उसकी एक उंगली आसानी से दाने को छूते हुए फांकों के भीतर दाखिल हो गयी...मतलब पहले से ही चूत में उसके भडवे जीजा ने बड़ा सा गड्ढा कर दिया था मादरचोद लगता है उसकी दीदी को शादी के बाद और बच्चा पैदा करने से पहले खूब चोदा होगा

आदम ने हाथ अंदर तक घुसाना चाहा तो आगे बढ़के तबस्सुम ने उसके हाथ को पकड़ लिया...उसे हल्का दर्द हुआ था...आदम ने सूजी चूत को फैलाया और छेद में उंगली घुसाने लगा.... तबस्सुम के मुँह से हल्की सी आहह फुट पड़ती...आदम ने उसके चूत के दाने को मुँह में भर लिया और उसे खीचते हुए चूसने लगा....वो उस पर जीब चला रहा था बीच बीच में ताकि तबस्सुम पूरी तरीके से चुदने के लिए तय्यार हो जाए

ऐसी प्रक्रिया कुछ देर करने के बाद आदम ने उसके निचले भाग से लेके उपर उपर के भाग के बीच चाटना शुरू कर दिया..और लगभग पागलो की तरह चूत को चाट्ता रहा बीच बीच में आदम तीन उंगली चार उंगली डालके छेद के अंदर बाहर कर भी रहा था...अपने अंगूठे से उसकी दाने को सहलाते हुए तबस्सुम में उत्तेजना पैदा कर रहा था...

"ओह्ह्ह्ह्ह हुंओ हुनू आहह हाहह आहह"......तबस्सुम का शरीर आकड़ा और उसने पानी छोड़ दिया...उसकी चूत रस से भीग गयी...वो झड़ने के बाद शिथिल पड़ गयी...आदम ने फिर उसकी गीली चूत पे मुँह लगाया और उसे अच्छे से चाटने चूसने लगा...आहह क्या नमकीन स्वाद था उसकी बड़ी दीदी की चूत का

उसने तबस्सुम के चेहरे को एकदम गुलाबी सा पाया...उत्तेजना में वो आदम को गुलाबी निगाहो से देख रही थी...आदम ने उसे उठाया और फिर घोड़ी बनाया...."हाँ तबस्सुम दी बस ऐसे ही झुक जाओ मैं आपकी गान्ड देखना चाहता हूँ....गान्ड की छेद सिकुड़ी सी थी हल्के हल्के बाल थे इर्द गिर्द जिनको सॉफ करना आदम को ज़रूरी लगा तो वो वैसे ही तबस्सुम दी को घोड़ी बनाए झुकी हुई छोड़ गुसलखाने गया

एक मग भरके पानी लाया और तबस्सुम तब तक हाथ पलंग पे रख घोड़ी की मुद्रा में झुकी सी रही थी...आदम ने शेविंग क्रीम बड़े अहेतियात से पूरी योनि के निचले हिस्से से लेके गान्ड की फांकों के आज़ु बाज़ू लगाई जहाँ हल्के रोएँदार बाल थे...फिर वहाँ पे रेज़र को डुबो डुबॉके पानी में वापिस क्रीम लगी गान्ड पे चलाने लगा....आदम ने कोई जल्दबाज़ी नही की और कुछ ही देर में उसने गान्ड को एकदम शेव करते हुए चिकना कर दिया उसने ब्लेड को गुसलखाने ले जाके धोया और फिर अंदर आके टिश्यू पेपर से योनि का निचला भाग और गान्ड को अच्छे से पोंछ दिया फिर उस पर पानी डाला और तौलिए से पोंछ दिया...अब तबस्सुम दीदी की टाँगें दुखने लगी थी...पर आदम ने उसे वैसे ही घोड़ी बनाए रखा

उसने अपने हाथ पे थूक मलते हुए गान्ड की दोनो गोलाईयो पे एक एक चपत लगाई और तबस्सुम के आहह भरते हुए उसके छेद में थूक से सना हाथ रगड़ने लगा फिर छेद में एक अंगूठा सरकाया..."सस्सह आहहह".......तबस्सुम को हल्की सी जलन हुई तो वो दर्द से तडपी .

आदम ने उसे सीधा खड़ा किया और फिर उसकी मोटी चर्बीदार गान्ड को हाथो में लिए दबोचा दो तीन बार दबाया कस्के और हाथ हटा लिया उसने तबस्सुम दी को पलंग पे सीधा लिटा दिया और उसके बालों को पकड़ते हुए उसकी चैन उतार दी ताकि परेशानी ना हो फिर उसके मुँह के पास अपना लंड ले आया

आदम : दीदी आप ये समझो कि कुछ दिन तक आप मेरी पत्नी हो और अपने मर्द के साथ चुदाई कर रही हो भूल जाओ दुनिया दारी और रिश्ते नाते को और भरपूर सेक्स का मज़ा लो ये मत समझो कि ये सब मजबूरी में हो रहा है ठीक है

तबस्सुम : उफ़फ्फ़ अगर समझी ना होती तो अपने भाई से क्यूँ चुदवाती? ला दे

तबस्सुम ने मुँह खोला और लंड को मुँह में लेके चुस्सना शुरू कर दिया...तबस्सुम के गरम मुँह के अहसास से ही आदम उत्तेजित हो गया पर उसने संयम बनाए रखा और हल्का हल्का मुँह में धक्का देना शुरू किया....तबसुम के मुँह में लंड अंदर बाहर होने लगा वो आँखे बड़ी बड़ी किए लिंग को चुस्स रही थी...उसे अहसास हुआ कि यही गीला लिंग उसकी योनि में उसका भाई डालेगा

वो इसी सोच से सिहर उठी...आदम ने तबस्सुम को बड़े आराम आराम से चूसाया...गोल सुपाडे को चाटते हुए तबस्सुम ने फिर मुँह में लंड लिया तो उसे हलक तक तबस्सुम ने घुसा दिया...तबस्सुम एक पल के लिए खांस उठी आदम ने लंड बाहर खीचा जो उसके थूक से गीला सना हुआ था

फिर सामान्य होते ही तबस्सुम ने लिंग को हाथ में लिए मुँह में लेके फिर चूसना शुरू कर दिया..वो करीब 1 मींनट तक आदम के लिंग को बड़े प्यार से चुस्ती रही बीच बीच में उसके निकल जाने के अहसास से अंडकोष और लिंग के जड़ को दबोच लेती कुछ देर में आदम अपने स्खलन पे जैसे काबू पा लेता...उसके ठीक कुछ देर बाद

मुद्रा बदली और मुँह से निकाला हुआ लिंग आदम ने फिर अपने थूक से गीला किया चूत अब सुख चुकी थी इसलिए उसमें ढेर सारा थूक डालके उसे गीला किया...और फिर आदम ने सख्ती से चूत के भीतर लंड घुसाना शुरू किया....इस बीच तबस्सुम ने भाई के दोनो हाथो में हाथ फँसा लिए थे...

चूत की गहराईयो में लिंग आहिस्ते आहिस्ते समाता चला गया...इस बीच तबस्सुम के हाथो की पकड़ आदम के हाथो में एकदम टाइट हो गयी....धीरे धीरे उसने अपने शरीर पे काबू पाया और शरीर ढीला छोड़ा...तो उसे अहसास हुआ कुछ गढ़ने का....आदम का लिंग उसकी बच्चेदानी को छू रहा था...

तबस्सुम ने कमर पे टाँगें इर्द गिर्द लपेट ली थी आदम के....आदम ने धक्के लगाने शुरू किए अंदर बाहर लिंग को करना शुरू किया...तो हल्की सिसक के साथ तबस्सुम शरीर को ढीला छोड़ती फिर चूत में लिंग के प्रवेश पाते ही उस पर पकड़ टाइट कर लेती जिससे लिंग चूत में अंदर तक जाके फँस जाता...इसी मुद्रा में आदम ने कोई 12 धक्के मारें होंगे फिर उसने अपना लिंग बाहर खीच लिया...अफ इतना तो रूपाली को भी चोदने में मज़ा नही आया था....फिर वो उठके गुसलखाने गया लिंग को गुनगुना पानी करके उसे पोन्छा फिर अंदर आया और इस बार उसने लिंग चूत में डाले ही कमर से तबस्सुम दीदी को पकड़के गोद में उठाए खड़ा हो गया....तबस्सुम भाभी के भारी भरकम चुतड़ों के बीच लिंग फँसा हुआ था
 
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आदम नीचे से धक्के पेलें जा रहा था और उसकी भीषण चुदाई कर रहा था उपर उसके छातिया उचकाने से आदम के चेहरे पे जैसे टकरा रही थी जिन्हें आदम मुँह में लेके चूसने की नाकाम कोशिश कर रहा था...

ऑश आहह आहह.....तबस्सुम चीखते हुए आदम की गोद में ही शिथिल पड़ कर ढह गयी उसके बेजान जिस्म को दबोचे गोद में लिए आदम नीचे से अपनी बड़ी दीदी की चुदाई में लगा हुआ था...अचानक उसे फिर लावा फूटने का अहसास हुआ उसने तबस्सुम को पलंग पे वापिस लिटाया और फिर मिशनरी पोज़िशन में उसे कुछ देर तक चोद कर उसकी चूत में ही फारिग हो गया...साँस भरता हुआ अपनी आखरी बूँद निचोड़े आदम तबस्सुम के उपर से उठ खड़ा हुआ....

तबस्सुम का पूरा जिस्म पसीने पसीने से हो रहा था.....कोई 1 घंटे के बाद चुदाई फिर जारी हुई और लगभग 3 बार आदम ने राउंड खेला उसके लिंग में बहुत जान आ गयी थी...उसने तबस्सुम को आराम करने तक नही दिया कोई 2 बार उसने तबस्सुम की गान्ड मार मारके चौड़ी कर दी...और आखरी 2 राउंड में उसने बेफ़िक्र होके तबस्सुम की चूत में ही लंड घुसाए फारिग हो गया...तबस्सुम और आदम दोनो बिस्तर पे ही नंगे कुछ देर सुसताने लगे....आदम का लिंग तबस्सुम की गान्ड और चूत के रस से सुख चुका था....

आदम की आँख लग गयी और जब उसकी आँख खुली तो तबस्सुम गुसलखाने से अंदर आई उसके चेहरे पे खुशी की मुस्कान थी....ऐसा लगा वो संतुष्ट थी...फिर आदम ने भी कपड़े चेंज किए इस बीच तबस्सुम साड़ी पहनने लगी...अचानक दरवाजे फिर दस्तक हुई....आदम ने जैसे दरवाजा खोला तो सामने चंपा को पाया सफेद टॉप और जीन्स में उसने एक बार साड़ी को ठीक करती तबस्सुम का जायेज़ा लिया और एक कातिलाना मुस्कुराहट आदम को दी..आदम उसे देखके सकपका गया...रंडी को अभी वक़्त मिला था आने का

इतने में सुधिया काकी आ गयी उसने एक बार चंपा की तरफ देखा पर थॅंक गॉड उसने चंपा की असलियत नही पहचानी वैसे उसका मेक अप किया चेहरा और रहन सहन देखके सोचा शायद आदम की कोई रिहायशी इलाक़े की दोस्त हो...वो तबस्सुम को लेके उसी पल जाने लगी...आदम ने उन्हें विदा किया और फिर 1 दिन बाद आने को कहा...तबस्सुम आदम के गले लग्के चली गयी...चंपा अंदर आई

चंपा : क्या जनाब ये कौन थी?

आदम : पहले तू बता तू यहाँ क्या कर रही है?

चंपा : क्यूँ कल तो बड़े उतावले होके हमे कॉल पे कॉल किए जा रहे थे...

आदम : मुझे लगा तू बिज़ी होगी मिलने आ रहा था पर तू तो घर में ताला लगाए कहीं गयी हुई थी

चंपा : अर्रे दूसरे शहर गये हुए थे माँ बहन से मिलने

आदम : अच्छा तेरा परिवार भी है

चंपा : क्यूँ मैं क्या अनाथ दिखती हूँ?

आदम : नही मुझे लगा किसी से

चंपा : हर वक़्त यही करती फिरुन्गि क्या? तुम भी ना सर

आदम : आज तो एकदम चंपा लग ही नही रही जो हमेशा खुले ब्लाउस और पेटिकोट में होती है

चंपा : मैं किसी कॉलेज की लड़की जैसी दिख रही हूँ ना सहेली बोली थोड़ा चेंज कर खुद को सो बस उसी का ख्याल किया सोचा आपको भी दिखाती चलूं

आदम : अब कहाँ जाएगी साली? चल अंदर

चंपा : वैसे ये थी कौन?

आदम : अर्रे बताया ना यह मेरी दीदी है बड़ी दीदी यही रहती है

चंपा : ह्म पर चाल से तो ऐसा लगा कि तुमने इसको भी ठोका है (आदम मन ही मन बुदबूदाया साली को औरतों की चाल भी समझ आ जाती है)

आदम : नही नही

चंपा : हाँ हाँ कह दीजिए कि बस ऐसे ही बहन बना रखा है

आदम : चल छोड़ यह सब चल मेरे साथ थोड़ा बाहर कुछ खा पी लेंगे

चंपा : वाहह मुझे लेके घुमोगे क्या इंप्रेशन जमाना है? वैसे जमाने की ज़रूरत तो नही हॅंडसम हो चश्मा लगाके सेक्सी लगते हो कोई भी देखेगा तो यही सोचेगा कि आइटम घुमा रहा है

आदम : तू ना बाज़ नही आएगी क्या सिर्फ़ हमारा साथ बिस्तर तक है? चल ना मुझे भूक लगी है

चंपा : बड़ी कट्टर बहन है तुम्हारी कोई भोजन लेके नही आई और भाई को भूका छोड़ दिया

आदम : चल छोड़ ये सब चल चल

आदम चंपा को लेके घर लॉक करके बाहर थोड़ा घूमने निकल गया...ये तो अच्छा हुआ की चंपा थोड़ा शहर के आउटसाइड में रहती थी इसलिए उसे कोई वहाँ जान ना सका....लेकिन उसके पहनावे से आदम को उसे ले जाने में आपत्ति नही हुई दोनो ने साथ बैठके एग्ग्रोल्ल खाया कुछ देर घूमे....फिर आदम ने टॅक्सी कर ली और दोनो घर पहुचे...

चंपा आदम की इस दरियादिली से बेहद खुश रहती थी...वो उसे कभी कोई कमी महसूस होने नही देता था...उसे दिल ही दिल में आदम पसंद था पर अपने प्रोफेशन के चलते उसने आदम से एक दरमियाँ बनाए रखा था...उसे हैरत थी कि आदम ने आज उसे बिना हाथ लगाए इतने घंटे महेज़ घूमने फिरने में बिताए....जबकि चंपा से उसकी सेक्स करने की हसरत कम नही होती थी

चंपा : क्या हुआ आज इतना सुधर कैसे गये डार्लिंग? कही किसी के प्यार व्यार में !

आदम : हाहाहा तुझे लगता है मुहब्बत करूँगा छोड़ ना वो सब अच्छा सुन मैं दिल्ली जा रहा हूँ

चंपा : ओ हो माँ से मिलने उफ़फ्फ़ हाए कही माँ भी तुम्हारे अकेलेपन से तड़प तो नही रही (आज आदम ने उसका गला नही दबोचा था उसके डबल मीनिंग अंदाज़ पे भी नही)

आदम : ह्म हाँ अकेलापन दूर करने चल माँ से ख्याल आया कुछ सीडी लाया हूँ देखेगी

चंपा : अब चढ़ा ना सुरूर वरना अब तक लग रहा था कि मैं किसी ठंडे आदमी के साथ घूम रही थी जो ऑलरेडी ठंडा हो गया था...

आदम : तू ना फ्रेंडशिप कभी नही समझेगी मुझे तेरा साथ अच्छा लगता है तो इसका ग़लत मतलब निकालती है कुछ भी उः

चंपा : अच्छा मेरे राजा मांफ कर दो हमे और घुसा थूक दो कौन सी सीडी है यह बताओ?

चंपा ने देखा कि सीडी में एक अड़ेढ़ उमर की पॉर्नस्टार है जिसे एक यंग लड़का नंगा पकड़ा हुआ है उसका लिंग झूल रहा है उस पर सॉफ लिखा हुआ है मोम सन...ये देखके उसे हैरत हुई उसने एक बार आदम को देखा उसका इशारा था यह शौक कब से पाल लिया? कही उसकी बात पे आदम अमल तो नही करने लगा था

आदम : बस ऐसे मज़ा आने लगा है

चंपा : तो चलो आज तुम्हारे मज़े को दुगना कर दिया जाए आज सोचो कि मैं तुम्हारी माँ हूँ और तुम मेरे प्यारे से गोरे बेटे (आदम की नाक को शरारत से दबाते हुए)

आदम ने आगे बढ़के सीडी लगा दी और फिर दोनो बैठके फिल्म एंजाय करने लगे
 

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कुछ ही देर में दोनो अपनी उखड़ती हुई साँसों पे काबू पाते हुए जैसे हाँफ रहे थे....उन दोनो का चेहरा एकदम गुलाबी हो चुका था....आदम के बगल में एकदम नंगी चंपा लेटी हुई उसके पसीने भरी छाती और पेट को सहला रही थी....दोनो पसीने पसीने हो रहे थे बीच बीच में चंपा आदम के पसीने से भरी बगलो में अपनी नाक रगड़ते हुए उसे गुदगुदी कर रही थी..आदम ने उसके पसीने भरे चेहरे पे आती ज़ुल्फो को समेटा और उसके होंठ का एक चुंबन लिया

सामने टीवी पे अब भी बीएफ चल रही थी....जिसमें माँ को कुतिया बनाए उसकी गान्ड में लंड अंदर बाहर करता हुआ उसका बेटा आहें भर रहा था....आदम और चंपा दोनो ही मज़े लेके देख रहे थे...चंपा ने मुट्ठी में आदम के गीले लिंग को लिया और उसे भीच भीच के दबाने लगी...सुपाडे के छेद से अब भी वीर्य की बूँदें निकल रही थी..जिसे निचोड़के चंपा ने अपने हाथो में मसल लिया

चंपा : वाहह अब तक की भीषण चुदाई के बाद भी ये कैसे फौलाद की तरह खड़ा है मानना पड़ेगा वियाग्रा ख़ाके माहौल गरम करते हो आजकल?

आदम : अर्रे नही चंपा ये तो कुदरती है

चंपा : अच्छा जी इतने दिनों से तुम्हारा लंड अपने तीनो छेदों में ले रही हूँ (चंपा ने अपने मुँह और गीली चूत उसके निचले हिस्से पे उंगली का इशारा करते हुए कहा) मुझसे झूठ ना कहना बोलो क्या लेने लगे हो आजकल और उपर से ये इतना मोटा और लंबा कैसे हो गया?

आदम : ह्म तुझसे क्या छुपाना तो सुन? आज मैने करीब 3 बार चुदाई की है

चंपा : हाँ तुम्हारी ये चादर पे लगा वीर्य का दाग मैने पहले ही बैठते वक़्त देख लिया था वाहह रक्षा बंधन के दिन ही अपनी बहन पे चढ़ गये तुम

आदम : ह्म चोदा हूँ उसको पर उसकी मदद के लिए असल में (आदम ने अपनी और तबस्सुम की सारी स्टोरी बता दी)

चंपा : ह्म वाक़ई लेकिन साली मान कैसे गयी तुम्हारे साथ करने को? अच्छा छोड़ो ये सब मुझे क्या? तुम आजकल छुपे रुस्तम हो गये और कहते हो दोस्त हो? मुझसे पहले क्या किया है तुमने? जो लड़का 1 घंटे तक टिक नही पाता था वो आज 3 बार चुदाई करने के बावजूद मेरे उपर चढ़ने से कतराया नही

आदम : ह्म ठीक है लेकिन वादा कर कि ये राज़ तू अपने अंदर तक रखेगी

चंपा : तुम्हारा बदलाव जानने के लिए मैं उत्सुक हूँ सरकार

आदम : तो सुन (फिर आदम उसे बताता चला गया शुरू से लेके अपनी कहानी कैसे चंपा के बाद वो ताहिरा मौसी को पटाने लगा और ठीक उस वक़्त उसकी सुधिया काकी से मुलाक़ात हुई उसके बाद वेद्य जी का नुस्ख़ा और फिर उनकी दी दवाई...उसके बाद चुदाई का सिलसिला ताहिरा मौसी,सुधिया काकी,रूपाली भाभी और अब तबस्सुम के साथ)

चंपा : बाप रे तुम तो बहुत बड़े वाले चोदु निकले अपने अपनो को ही नही छोड़ा वाक़ई तुम्हारी खानदान की औरतें बेशरम है कभी ददिहाल में ट्राइ मारा वो लोग भी चुदवा ले हाहहाहा तभी सोचु चंपा की याद इस जनाब को अब क्यूँ नही आती?

आदम : चल साली ये सब कुछ तो मेरी ठरक ने मुझसे करवाया और अब मुझे कोई मन नही किसी और से संबंध बनाने का और रही बात अगर तेरी याद ना आती तो तू मेरे बिस्तर पे इस वक़्त क्या कर रही होती? एनीवे मैं किसी और सोच में हूँ चंपा माँ को लेके सोच रहा हूँ दिल्ली हो आऊ पर साला प्राब्लम आ गया है

चंपा : क्या मुसीबत? (चंपा हाथ पे सर रखके आदम के एकदम नज़दीक लेट गयी और उसके लिंग को हिलाना छोड़ा नही वो शायद उसे दूसरी चुदाई करने के लिए तय्यार कर रही थी अब तक आदम का लिंग छोटा हो गया था और चंपा के हाथो में क़ैद था)

आदम : क्या है ना? साला मादरचोद बॉस नौकरी से बर्खास्त करने की धमकी दे रहा है बोल रहा है कि अभी अगर कही के लिए भी सोचा है तो छोड़ दो वरना तुम्हारे जैसे बहुत है यहाँ पे...मादरचोद बस खडूस है अगर मेरे बस में होता ना तो साले की नौकरी उसके मुँह पे मारके निकल जाता पर क्या करू? ये डिसट्रिब्युटर की नौकरी भी बड़ी मुस्किल से मिली है

चंपा : ह्म एक वक़्त था कि तुम दिल्ली जाना नही चाह रहे थे और आज एक वक़्त है कि माँ से मिलने के लिए कितना छटपटा रहे हो? सबकुछ दाँव पे लगाने को तय्यार हो यहाँ बसा बसाया घर नौकरी अयाशी सबकुछ

आदम : ऐसा ही होता है चंपा पता नही जबसे मोम सन की फिल्म्स और तुम्हारी बातों पे गौर किया है तबसे माँ को मैं एक अलग नज़र से देख रहा हूँ यू नो चंपा जब मैं किसी भी औरत को जो मुझसे दुगने उमर की होती है चोदता हूँ तो उसमें मुझे अपनी माँ दिखती है हालाँकि ये सब ग़लत है गुनाह है पर क्या करू यार? (चंपा आदम की बात सुनके मुस्कुरा रही थी)

चंपा : तो फिर तुम अब माँ को माँ की नज़र से नही उन्ही हवस भरी निगाहो से देखते हो वरना उस रात तो गला पकड़ा था आज तो तुम्हारी माँ के बारे में इतना कुछ कहने के बावजूद तुम्हारा हाथ नही उठा

आदम कुछ नही बोला जैसे वो चंपा की बातों से सहमत था...."हर मर्द को देखते आई हूँ आदम और तुम्हारे अंदर ज़रा सी भी झिझक नही है वरना अब तक तुम अपनी मौसी जिसने तुम्हें दूध पिलाया उसके साथ भी संबंध ना बना पाते....क्यूंकी तुम्हारा जो ये लंड है तुम्हारी अपनी औरतों को देखके खड़ा होता है कहो झूठ है ? तुम्हारे दिल में माँ की अलग जगह बन रही है और ये तो कलयुग है यहाँ रिश्तो का कोई मोल नही रहा"........चंपा ने आदम के चेहरे के पास खुद का चेहरा सटाते हुए उसके लिंग को कस्स कस के मसलना शुरू कर दिया अपने हाथो से

आदम बेसूध हो गया....."तुम माँ के पास नही अपनी औरत के पास जा रहे हो ये हसरत तुम्हारे दिल में पनप चुकी है....बस उनकी रज़ामंदी और माँ बिना बेटे के नही रह सकती जितना तुम उनसे प्यार करते हो उतना वो भी तुमसे....और ये प्यार का अनमोल रिश्ता तुम और भी हद तक कायम कर सकते हो सोचो पहली बार तुमने अपनी माँ को नंगा कब देखा था सोचो कभी भीतो"............आदम सोचने लगा उसकी आवाज़ में लरखड़ाहट थी...वो काँप सा गया और सोचने लगा

उसे याद आया कि करीब 10 साल पहले जब वो लोग दिल्ली के पिछले घर में रहा करते थे तो माँ गर्मी से रात को भी नहाया करती थी....उस रात आदम की नींद जल्दी टूट गयी थी तो वो उठके बातरूम के पास आया करीब 1 बाज रहा था...बाप उसका काम से आउट ऑफ सिटी गया हुआ था...और तभी उसने बातरूम के अधखुले दरवाजे से अंदर देखा तो एक पल के लिए उसे अज़ीब लगा पर वोई अज़ीब किस्सा आज उसके दिल को अजीब सा सुख दे रहा था...

जब अंजुम के बदन को उसके बेटे ने देखा...बिना जिम गये वो एकदम स्लिम थी...उसकी कलाइयाँ पतली थी...किंतु छातिया सख़्त थी 35 के आस पास थी जिनके लटकते हल्के गुलाबी निपल्स पे वो पानी डाल रही थी....उसकी टाँगों के बीच अनगिनत झान्ट उगी हुई थी इसलिए उसकी चूत बेटे की आँखो में ना आ सकी....जब अंजुम ने बगल उठाई तो कांख के बाल दिख गये...

आदम : उफ़फ्फ़ सस्स (आदम सिसक उठा और उसका लिंग एकदम हरकत में आ गया वो मुट्ठी में उपर नीचे मसलती चंपा के हाथो में बड़े आकार का हो गया चंपा भूकि निगाहो से लिंग को घूर्र रही थी)

चंपा : इसका मतलब तुमने उन्हें नंगा देखा था फिर कभी कोई सीन याद करो

आदम : उसके बाद एक बार उन्हें फिरसे नहाते हुए देखा था पर उन्होने मुझे देख लिया वो घुटनो के बल बैठी हुई थी और उनकी छातिया जांघों से दबी हुई थी...शायद वो उसी मुद्रा में अपने पूरे बदन पे साबुन मल रही थी....उन्होने मुझे देख लिया और ज़ोर से डाँट दिया मैं डर के बाहर आ गया

चंपा : उफफफ्फ़ सोचो अब 10 साल बाद वो कितनी गदराई हो गयी होंगी

आदम : सस्स्शह आहह नही अब उनके पेट पे स्ट्रेच मार्क्स अब भी मौजूद है जो मेरी पैदाइश के बाद हो गये थे पेट थोड़ा बाहर आ गया है उनका पर छातियो का साइज़ वही है 35 की
 

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चंपा नंगी आदम के उपर सवार उसकी बातों को सुनते हुए उसके लिंग को हाथो में लेके जबरन हिला रही थी..."मादरचोद अब तक तेरा पानी नही निकला कसम से लोहे के रोड जैसा सख़्त हो गया है देख कैसे अपनी माँ के नाम पे खड़ा हो गया कमीना".......चंपा की वाहियात बातों को सुनते हुए आदम ने कस के अपनी आँखे बंद कर ली क्यूंकी उसे महसूस हो रहा था वो चंपा नही उसकी माँ है जो उसे गाली देते हुए उसका हिला रही है

अचानक उसे लंड पे अज़ीब सा कुछ महसूस हुआ...जब उसने आँखे खोली तो देखा कि चंपा नीचे झुक कर उसके लिंग को अपने मुँह में ले चुकी थी...उसके मुँह की गर्मी का अहसास सीधा अपने लिंग पे हो रहा था....अफ चंपा उस पर अपने दाँत घिस्स रही थी चंपा फिर उसे मुँह से निकाल कर उसका चुम्मा ले रही थी..फिर उसके टट्टो पे ज़ुबान फेरने लगी...उसने दोनो गोलियो को बारी बारी से मुँह में लेके चूसा

फिर उसके लिंग को मुँह में लेके चुस्सने लगती...."ओह चंपा"........चंपा ने आदम के चेहरे पे उंगली रखी...उसने गुलाबी निगाहो से मुस्कुराया "माँ भूल गये मैं तुम्हारी माँ हूँ और मुझे हक़ है कि मैं तुम्हारा लिंग चुसू इस्पे सिर्फ़ मेरा हक़ है और इसकी तूने मालिश करके इसे कितना मोटा और लंबा बनाया है....तू मेरे अंदर से निकला और अपनी माँ से ही इसे दूर कर रहा है..पराई औरतो को चोद रहा है अर्रे कमीने बेटे पे बीवी और गर्लफ्रेंड से पहले माँ का हक़ होता है क्यूँ माँ की इज़्ज़त नही करेगा? माँ को वो प्यार नही देगा जिसके लिए वो तुझे कोख में रखी तुझे पाला पोसा बड़ा किया क्या तू उसकी हसरतें पूरी नही करेगा? क्या तेरी माँ भी औरत नही जिसे मर्द का सुख चाहिए क्या उसकी कुरबानी का तू ये सिलाह देगा?"......चंपा की बातों को सुनते हुए आदम फिर से लेट गया

"शाबाश"....चंपा ने मुस्कुराते हुए लिंग को फिर मुँह में लेके उसे चुस्सना शुरू कर दिया अब उसके हाथ भी उसे मुठिया रहे थे कुछ देर चूसने के बाद जब वो एकदम सख़्त और कठोर हो गया...तो चंपा लेट गयी और उसने प्यार भरी निगाहो से आदम की तरफ देखा

"चल चढ़ जा अपनी माँ पर कुत्ते अब तू कतरा क्यूँ रहा है? पराई औरतो को तू कितना मज़ा देता आया कमीने आ आज माँ को संतुष्ट करके दिखा देखूं तू कितना बड़ा मर्द हो गया आ तुझे ललकार रही हूँ".......

आदम जोश में आने लगा

चंपा मुस्कुरा रही थी क्यूंकी उसका लिंग बार बार उत्तेजना से सलामी दे रहा था...आदम ने आगे बढ़के चंपा को अपनी माँ के स्वरूप मे देखते हुए उसकी दोनो टाँगें एकदुसरे से अलग की और उसकी चूत को फैला दिया...

."चाट यहाँ पे".......चंपा ने अपनी योनि पे उंगली का इशारा करते हुए कहा "चाट बेटा चाट".....

आदम ये भूल गया कि चंपा का क्या अस्तित्व था?

उसने बिना समझे योनि द्वार पे अपना मुँह लगा दिया और यही समझने लगा कि ये उसकी माँ की चिकनी चूत है...वो उस पर ज़ुबान फेरने लगा पसीने और चूत से बहते रस के कारण उसका स्वाद कुछ नमकीन सा था जो आदम को चखने से मिल रहा था....आदम बड़े प्यार से उसके क्लाइटॉरिस को चूस्ते हुए चूत की गहराईयो में जीब ले जा रहा था....चंपा काँप रही थी उसे खूब मज़ा मिल रहा था...उसने आदम के सर को अपनी चूत पे दबाना शुरू कर दिया...आदम मुँह घिस्सने लगा चूत पे...और कुछ ही देर में वो चंपा की चूत में उंगली करने लगा...."साली निकाल अपना पानी निकाल तुझपे भी मेरा ही हक़ है तू सिर्फ़ मेरी है तेरे पे मेरे बाप के बाद मेरा अधिकार है"........आदम ने कस कर उंगली करनी तेज़ कर दी

चंपा : ओह्ह्ह आहह हान्ं बेटा हान्न्न सस्सस्स हान्न्न ठीक इस ब्लू फिल्म के इस अंग्रेज लड़के की तराहा मेरी बुर मार आहह ससस्स मेरी योनि तेरी उंगली से रस छोड़ रही है आहह

चंपा इतना कह कर झरने लगी उसकी चूत से निकला तेज़ फवारा रस की छींटों का पूरे बिस्तर पे गिरने लगा....चंपा की उंगली जड़ तक घुसाए आदम उसकी हालात देख रहा था...चंपा ने गान्ड को उपर उठाया और काँपतें हुए गान्ड को फिर बिस्तर पे रख दिया...चूत से उंगली खीचता हुआ बाहर उसके नमकीन और चिपचिपे रस की उंगलियो को अपने हाथो पे मलते हुए उसकी गंध सुघने लगा

आदम ने फिर उसे पेट के बल लिटाया....और उसके छेद को चौड़ा करने लगा....उसने ठीक ब्लूफिल्म के सीन की तरह चंपा के पैरो को मोड़ा और उसके छेद में अंगुल करते हुए अपना लिंग घुसाना शुरू कर दिया "उहह आहह हाए कितना बड़ा हो गया है तेरा लंड"........असल में चंपा को उसके मोटे लंबे लिंग से अब चुदने में और मज़ा आ रहा था....वो किसी बकरे की तरह काँप रही थी जिसपे कसाई का चाकू चल रहा था

आदम ने बेरहमी से चुदाई शुरू कर दी और गुदा द्वार को उसका लिंग चौड़ा करता हुआ अंदर बाहर हो रहा था.....उसने करीब 15 धक्को के बाद लिंग बाहर खींच लिया फिर उसने लिंग अंदर दुगनी तेज़ी से धकेला और 15 धक्के मारे...नीचे से चंपा अपनी योनि पे हाथ रगड़ रही थी "आहह देख रे बेटा देख मेरा निकल रहा है आहह"......नीचे से योनि पानी छोड़ने लगी और चंपा बदहवास होने लगी....चंपा के पेट पे अपना हाथ लपेटे हुए आदम ने उसे उपर से ही फिर चोदना शुरू किया...फिर गुदा द्वार से लिंग दुबारा चूत के भीतर पेल दिया

अब चंपा लेटके अपनी एक टाँग आदम की टाँगों के उपर रख चुकी थी नीचे से उसका लिंग अपने भीतर ले रही थी....उसकी गीली चूत लंड को आराम से अंदर बाहर खा रही थी....आदम बड़ी जबरदस्त उसकी चुदाई कर रहा था..."और ज़ोर से आहह और ज़ोरर्र से आहह आहह बेटा बुझा दे आहह उहम्म"......और चंपा से कहा ना गया और वो आदम से लिपट गयी....आदम उसकी नाभि और पेट को सहला रहा था...उसकी बगलो पे जीब चला रहा था बीच बीच में चंपा मुँह पीछे किए उसके होंठ चुस्स देती

चुदाई अपनी चरम सीमा पे थी...और ठीक उसी पल आदम मुँह से गरर गरर की आवाज़ निकालने लगा....

."अंदर अपना बीज डाल बेटा माँ को ठंडी कर दे कर और ज़ोर से और ज़ोरर सी आहह कितने बरसो से इसने अंदर किसी को लिया नही अर्रे कमीने जिस छेद से निकला उसी में अपना बीज फैक कुत्ते".....

आदम ने धक्के और तेज़ कर दिए

"आहह माआ माआ आहह मैं आआयाअ आय्ाआ".....कहते कहते आदम चंपा की चूत में ही फारिग होने लगा....चंपा को अपनी चूत में गरम गरम वीर्य का अहसास हुआ

उसने झट से अपनी योनि से लिंग बाहर निकाला...चूत से रस की धार बहाने लगी चंपा घुटनो के बल बैठ गयी और आदम को खड़ा कर दिया...आदम बचे कुचे वीर्य को निकालते लंड को उसके मुँह के सामने लाया तो उसने घप्प से एक पेशेवर रंडी की तरह उसे चूस लिया....उसने आदम के सामने ही उसका गाढ़ा वीर्य अपने गले में गार्गल करते हुए गटक लिया...उसके चेहरे की संतुष्टि और शैतानी मुस्कुराहट आदम को जैसे पागल कर रही थी उसने उसके होंठ पे लगे वीर्य को पोंच्छा
 

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दोनो एक बार फिर बिस्तर पे ढेर हो गये....."देखा मज़ा आया ना तुम्हें अपनी माँ के बारे में सोचके तुमने मुझे किस तरह चोदा इस तरह तो किसी ने भी मुझे मज़ा नही दिया".........आदम उसके पीठ पे हाथ फैरने लगा उसकी बात सुनके

आदम : हां रे चंपा सच में मैं यूँ ही भटक रहा था और आज इसे महसूस करते ही मुझे बहुत संतुष्टि महसूस हो रही है पर हीचिकिचाहट है कि इस रिश्ते के लिए माँ तो कभी राज़ी ना हो पाएगी

चंपा : तुम कर सकते हो राज़ी? पर उसकी आग को बढ़काना है वो खुद पे खुद तुम्हारे से ताल से ताल मिलाके चलेगी

आदम : लेकिन सच में मुझे मज़ा आएगा

चंपा : मेरी चूत का बुरा हाल कर दिया तुमने आज सोचो तुम्हें तो उनसे मुझसे दुगना मज़ा मिलेगा...

आदम : हाहाहा चल छोड़ ये ले (आदम ने पैसे दिए तो चंपा ने पैसा लेने से इनकार कर दिया आदम हैरत में आ गया)

चंपा : दोस्त कहता है और पैसे देता है ये तो हमारे बीच का संबंध है रे

आदम : लेकिन ये तो तेरा पेशा है ना दूसरे मर्दो को सुख देना

चंपा : तेरी बात जुदा है आज फ्री राइड दिया तुझे सोच रही हूँ अब ये घिनोना काम छोड़ दूं तंग आ चुकी हूँ दो बार पेट गिराया भी है मैं थक चुकी हूँ

आदम : ओह्ह हो तो फिर क्या करेगी आगे? इस पेशे के बाद क्या शादी करेगी?

चंपा : कॉल गर्ल और रंडियो से कोई शादी करता है.....हर रात का साथ देने अनेक मर्द आते है लेकिन कोई एक मर्द भी नही जिंदगी का साथ देने के लिए छोड़ ना मेरी बात

आदम : चल ठीक है लेकिन चंपा तू अपना ख्याल रखा कर तूने टेस्ट तो करवाया ना

चंपा : हमेशा कराती हूँ डर मत कोई बीमारी नही मुझे मुझसे मिलके तुझे कुछ नही होगा

आदम : हाहाहा ऐसा नही है तेरा पूरा भरोसा है साली

चंपा : लेकिन दिल्ली जाके हमे भूल मत जाना

आदम : तू भूलने की चीज़ है तूने ही तो मेरी आँख खोली और मुझे तेरे जैसा मज़ा किसी औरत ने कभी नही दिया

चंपा : अब देगी ना तेरी माँ अंजुम तुझे मेरी याद मे चढ़ जाना उस पर

आदम : साली माँ है कोई रंडी नही

चंपा : हाहाहा

चंपा खूब हँसने लगी....पूरी रात उसने आदम के घर में गुज़ार दी....तभी बातों बातों में आदम को होश आया तो पाया कि 6 मिस्ड कॉल आए हुए थे फोन किसी अननोन नंबर से था....आदम को याद आया कि माँ ने उसके मुंबई वाले दोस्त का ज़िक्र किया था जो दिल्ली में रहने लगा है शायद उसी ने कॉल किया हो....

चंपा : कौन है यह?

आदम : है एक दोस्त इसकी भी कहानी मुझसे मिलती जुलती है सुनेगी

चंपा : पूरी रात है अगर गर्म हुई तो फिर मूड बना लेना

आदम : तू औरत नही काम देवी की मूरत है साली इतने ठरकी तो मर्द भी नही होते

चंपा ने प्यार से आदम के सीने पे सर रख लिया...आदम उसे उसके दोस्त के बारे में बताने लगा
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एक ऐसा दोस्त जिसकी सोच बाकी लड़को से अलग थी....जिसकी माँ को अगर कोई बुरी निगाहो से देख भी ले तो उसकी आँख निकाल दे....इसी चक्कर में वो 2 बार थाने की चक्कर भी काट आया था.....महेज़ इसलिए कि उसकी माँ को उस मर्द ने बहाने से बस छू दिया था...इतनी बुरी पिटाई की थी उसकी नौबत पोलीस तक की आ गयी

आदम की दोस्ती में वो हर पल बस अपनी माँ की तारीफ करता था...उसकी माँ सोफ़िया भरे पूरे गठीले शरीर की औरत थी....उसने अपनी माँ की कुछ नंगी तस्वीरे भी दिखाई जिसे देखके आदम उसकी भावनाओ को बेहद अज़ीब से देखने लगा उसने आदम को अपना ख़ास माना था उससे कुछ छुपाया नही था राज़दार था आदम उसका....बातों बातों में आदम ने चंपा को बताया कि वो लड़का अपनी माँ से बेपनाह मोहब्बा करने लगा था और उसे माँ की निगाहो से नही बल्कि अपनी बीवी की निगाहो से देखने लगा था उसका अपना सागा बेटा होके कोई सोच भी सकता है...धीरे धीरे उसकी ये अब्सेशन की वजह से वो पागल सा होने लगा बाप बहुत पहले चल बसा था सुना था माँ के साथ वो अकेला घर में रहता था कोई कामवाली या बाहरी नौकर भी नही रखा था....

और एक दिन तो आदम डर गया जब उसने अपने दोस्त को अपनी माँ के साथ ही बिस्तर पे नंगा पाया था....अपनी माँ होके अपने ही बेटे के साथ जिस्मानी तालुक़ात उसने सिर्फ़ अँग्रेज़ी फ़िल्मो में देखा था वो लोग भी रोल निभाते है पर अपनी से आधी उमर में बड़ी एक औरत के साथ वो भी जिसने उसे पैदा किया कैसे उसकी माँ ने उससे संबंध?.....आदम का सर चकरा गया था उसे बेहद अज़ीब लगा था कुछ दिन तक तो वो उस दृश्य को अपने ज़हन से भी नही निकाल पाया...2 दिन तक उसने कुछ खाया पिया नही था.पर आज अयाशी के इस माहौल में उसे उस दोस्त की बड़ी याद आ रही थी....आदम को अहसास हुआ कि चंपा थक चुकी थी वो सुनते सुनते उससे लिपटी ही सो गयी उसकी गरम साँसें अपने सीने पे महसूस करते हुए आदम मुस्कुराया...पर वो पूरी रात सो ना सका बस उस दोस्त के बारे में ही सोचता रहा....

कल की थकान और चुदाई भरी रात के बाद मैं जल्दी जल्दी नाश्ता किए ऑफीस जाने से पहले एक बार रेलवे स्टेशन का सुबह सुबह चक्कर काट आया था....मालूम चला कि दिल्ली जाने वाली सभी ट्रेन में वेटिंग लिस्ट चल रहा था....निराशा हाथ लेके मैं फिर ऑफीस आया मालिक साला दोपहर के वक़्त पधारा...मैने उससे फिर मीटिंग की...तो वो जैसे फिर मुझपे भड़का...किसी तरह वो राज़ी नही हो रहा था धौस दिखाने लगा कि मेरे जैसे बहुत लड़के घूम रहे है अगर मैं छोड़ता हूँ तो वेकेन्सी खाली देखते ही एंप्लाय्मेंट की लाइन लग जाएगी....वैसे भी छोटा शहर था इसलिए कमाई करने वालो की कोई कमी नही थी...

पर मेरी गुस्से की इंतेहा ना रही और मैने जल्दबाज़ी में उससे झगड़ा कर लिया..और खुद ही उसकी नौकरी छोड़के घर आ गया मेरा मूड बहुत खराब था...नयी नौकरी के लिए महीनो इंतेज़ार करना पड़ता...प्राइवेट नौकरी का यही हाल होता है लेकिन माँ बाप को सूचित करना मुझे ठीक ना लगा क्या मालूम डॅड भड़क जाएँ? या फिर कहें कि अपनी मर्ज़ी से वहाँ गया और वहाँ भी पटरी नही खाई जो वापिस आना चाह रहा है

लेकिन मैं माँ के पास जाने के लिए तय्यार था...इसलिए ट्रॅवेल एजेन्सी में बात की और आने वाली 10 तारीख का टिकेट कटवा लिया...मैं काफ़ी सोच में डूबा घर लौटा मूड बेहद खराब था...पर एक तरफ दिल का शैतान भी डोल रहा था और चंपा ने जो आग लगा दी थी मेरे लिंग में उससे तो मैं माँ को अब एक नये नज़रिए से देखने लगा था...

मैने चंपा को कॉल करके बता दिया कि मेरी नौकरी छूट गयी है तो हो सकता है कि मैं वापिस आ ना सकूँ तो मेरे लिए इन्तिजार मत करना और फोन पे तो बात होती ही रहेगी....चंपा ने मुझे हौसला देके कहा कि जाओ और किला फ़तेह कर लो....जो सुख वहाँ है वो यहाँ नही....पर अपनी चंपा को भूल मत जाना

आदम : साली तू क्या भूलने की चीज़ है?

चंपा : पर वापिस ज़रूर आना हो सके तो माँ को लेके ही आ जाना

आदम : देखता हूँ यार अगर ना मानी तो

चंपा : एक बार अपनी औरत बना लोगे तो फिर तो तुम्हारे साथ किसी भी जहांन वो चलने को तय्यार हो जाएगी मनाना तुम्हारा काम है और पटाना भी

मैं मुस्कुराया और चंपा से बात ख़तम किए फोन काटा...चलो 1 महीने तक का किराया तो पे था...पर बुरा लग रहा था खामोखाः महेज़ दिल्ली जाने के लिए मैं इतना उतावला हो गया कि काम भी दाँव पे लगा दिया..अगर बाबूजी को या किसी को भी बताना पड़ा तो यही कह दूँगा कि मालिक अच्छा नही था और कह रहा था धंधा अभी ठंडा है तो कुछ महीने शहर चले जाओ या फिर काम कहीं और ढूँढ लो....हो सकता था बाबूजी ताना ज़रूर देंगे कि देख लिया क्या फ्यूचर रहा? पर सह लूँगा अब कुछ पाने के लिए तो कुछ खोना पड़ता ही है और मुझ जैसे दीवाने बेटे को कुछ भी खोने का कोई गम नही था क्यूंकी चूत और गान्ड के लिए मैं पानी की तरह पैसा बहाता था

खैर ताहिरा मौसी या तबस्सुम को मालूम नही चला अभी हाथ में 10 दिन बाकी थे....बाहर निकल ही रहा था कि सुधिया काकी का फोन आ गया उन्हें बता दिया कि 10 दिन बाद थोड़ा घूमने दिल्ली जा रहा हूँ माँ ने बुलावा भेजा है हो सकता है कि मुझे बहुत महीने लग जाए आने में तो ताहिरा मौसी को समझा देना मैं उनसे इन 10 दिनो में मिल लूँगा...सुधिया काकी भी मान गयी पर उनका दिल थोड़ा मायूस हो गया पर तबस्सुम के लिए मैने उनसे 7 दिन का वक़्त ले लिया अब तो मैं फ्री था तो कभी भी उन्हें बुला ले....वैसे भी अकेला रहता हूँ कोई फिकर नही है...सुधिया काकी मान गयी...

घर को ताला लगाए मैं दोपहर बेला तक मोहोना ग्रामीण क्षेत्र के लिए बस पकड़ चुका था...हालाँकि बस में भीढ़ बहुत थी पर मुझे सीट पहले से मिल चुकी थी...खैर रूपाली भाभी के मायके मैं कुछ ही देर में पहुच गया...शहर से 5 किमी दूर था....मैं बस की भीड़ भाड़ को ठेलता हुआ उतरा...एक बार रूपाली भाभी को कॉल किया तो पाया कि उनका घर ठीक सामने के रास्ते की ओर पड़ता था...

थोड़े देर चलने पे ही मेरे सामने बड़ी सी हवेली मौज़ूद थी....और उसके ठीक सामने रोड क्रॉस करके उनका आम का बागान शुरू हो रहा था.....मेरे कुछ देर प्रतीक्षा के बाद गेट को खोलते हुए लाल रंग का सूट और मॅचिंग दुपट्टा पहनी रूपाली मुस्कुराते हुए चलके आई..."अर्रे आ गये तुम? आओ अंदर आओ अर्रे आओ ना यहाँ माँ बाबूजी है मेरे?"......

मैं अंदर आया तो पाया कि हॅंडपंप से पानी निकालते हुए एक धोती पहना खुले बदन वाला शक्स उठ खड़ा हुआ...वो मुस्कुराते हुए पास आया....उसकी मुन्छे थी और वो बार बार अपनी धोती को अड्जस्ट कर रहा था....उफ्फ लगता है साले का हथ्यार काफ़ी मोटा था जिसका उभार अंदर कुछ ना पहनने से बन रहा था...

उसने मेरी तरफ आते हुए मुझसे हाथ मिलाया "अर्रे आओ बाबू आओ अंदर आओ तुम तो हमारे जमाई बाबू के परिवार से हो आओ आओ"......उन्होने मेरे परिवार के बारे में पूछना शुरू किया...मैं उनसे बात करते हुए एक पल के लिए रूपाली की मज़ूद्गी का अहसास भुला चुका था...जब हम अंदर आए तो उसके बाबूजी ने अपनी बीवी को बुलाया...जो कि रूपाली की माँ थी....गोल गदराए बदन की जवान थी..उन्होने झट से मेरे लिए खातिरदारी के सारे इंतज़ाम शुरू कर दिए
 

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काफ़ी अपनापन सा लगा उनके बीच....रूपाली भाभी ने बताया कि उनकी एक बहन भी है पर वो बर्दमान में ब्याह दी गयी है इसलिए उनका वहाँ से आना जाना बेहद कम होता है....फिर रूपाली का बाप ताहिरा मौसी के घर के लोगो के बारे में पूछने लगा....मैने कहा कि वो लोग भी सही है बिशल दा आए भी थे लेने पर रूपाली भाभी गयी नही....रूपाली अंदर चली गयी थी शायद माँ का हाथ बटाने

खैर दोपहर तक भोजन ख़तम करके रूपाली के पिता ने मुझे सोने और आराम करने को कहा.....लेकिन मेरी आँखो में नींद कहाँ थी...लेकिन इसी बीच रूपाली ने पिता से इजाज़त लेते हुए मुझे आम के बागान दिखाने की बात कही...उसके पिता ने बिना आपत्ति जताते हुए कहा हां पहली बार आया है तो उन्हें भी दिखाओ कि हमारी कितनी बड़ी खेती है? जाओ तुम दोनो देवर भाभी....उन्हें जब कोई आपत्ति नही हुई तो मुझे आश्चर्य हुआ...मैने रूपाली भाभी की तरफ सवालिया निगाहो से देखा...लेकिन वो मुझे ले जाने को ज़्यादा उत्सुक थी...मेरा लगभग हाथ पकड़े मुझे वो अपने घर से बाहर ले आई

आदम : अर्रे तुम्हारे माँ बाबूजी तो बड़े फ्रॅंक है उन्हें कोई ऐतराज़ भी नही हुआ कि तुम मेरे साथ यूँ अकेले

रूपाली : हां और नही तो क्या? तुम कौन से बाहरी आदमी हो जो ऐतराज़ करते....हमे बच्चे ही समझते हैं वो..और देखा नही कैसे बाबूजी मुझे और तुम्हें बाहर भेजने को उत्सुक थे

आदम : ह्म पर इसका कारण क्या है? कही तुम्हारे आने से तुम्हारे माँ बाबूजी की प्राइवसी तो नही भंग हो गयी

रूपाली : ह्म कुछ कुछ ऐसा ही पर अभी दोपहर का वक़्त है ना यहाँ दोपहर के वक़्त आराम करने का रिवाज़ है जब तक शाम के 6 नही बज जाएगे लोग अपने घरो से नही निकलेंगे बस बच्चे लोग ही बाहर कंचे खेलते हुए दिखेंगे और हमारे बाबूजी को तो माँ को बस चोदने की इच्छा हर पल रहती है देखा नही दोनो हमारे सामने कैसे शरमा से रहे थे

आदम : तुम्हारे पिताजी बड़े ठरकी है रूपाली और अगर ठरकी ना होते तो इतनी उमर के बावजूद भी उनका औज़ार कैसे काम कर रहा होता?

रूपाली : ह्म सो तो है रोज़ दोपहर और रात को माँ की जमके चुदाई करते है देखा नही जवान बेटी का भी लिहाज़ नही और ना रिश्तेदारो का (मेरी तरफ उंगली करते हुए) कैसे हम दोनो को बाहर भगा रहे थे

आदम : ह्म लेकिन कसम से तुम उनपे गयी हो तभी तो मेरे भाई के साथ साथ मुझे भी थका देती हो

रूपाली : अच्छा जी (रूपाली ने मुझे ज़ोर से पिंच किया) भाभी से मज़े अच्छा मैं बहुत नाराज़ हूँ कि तुम कल आए नही

आदम : अर्रे सॉरी बाबा वो क्या है ना? कि कल मैं रेलवे स्टेशन गया हुआ था एक तो नौकरी छूट गयी और उपर से माँ से मिलने की तलब उठ रही है

सुनके रूपाली का चेहरा थोड़ा भारी हो गया..."फिर कब आओगे? 1 महीने में लौट आओ ना".......ऐसा लग रहा था जैसे उसका मेरे बिना मन नही लग रहा हो

आदम : देखो रूपाली मुझे जाना तो होगा और वैसे भी यहाँ दूसरी नौकरी मिलने का जल्दी तो कोई चान्स नही पर तुम फिकर मत करो मैं बहुत जल्द लौटूँगा (मैने रूपाली के चेहरे को सहलाते हुए कहा)

रूपाली : अर्रे इधर चेहरे पे हाथ मत रखो (रूपाली ने इधर उधर देखते हुए मेरे हाथ को अपने चेहरे से हटाते हुए जल्दी जल्दी कहा) गाओं है ना लोग बातें बनाएँगे सब जानते है मैं शादी शुदा हूँ

आदम : तो चलो बागान ले चलो वहाँ के आम खा भी लूँगा

रूपाली : चलो फिर हम यहाँ क्यूँ रुके हुए हैं?

रूपाली ने नज़ाकत से मेरे हाथो को पकड़ा और हम कुछ ही देर में रोड क्रॉस करते हुए रूपाली के पिता के बागान पहुचे.....वहाँ कुछ औरत मज़दुरान थी....जिन्हें रूपाली ने गाओं की भाषा में घर चले जाने को कहा...वो लोग वैसे भी शाम तक घर लौट जाते थे....अब हम खुले मैदान जैसे बागान में अकेले खड़े थे....हवा तेज़ चल रही थी....

हम धीरे धीरे काफ़ी अंदर पहुचे....वहाँ पेड़ों पे आम ही आम लटके हुए थे....बागान इतना घना था कि दूर सड़क दिख भी नही रही थी पेड़ और उनकी टहनियों से....सामने एक मचान जैसा बना हुआ था जो कि 4 लंबी लकड़ियो पे टिका हुआ था...उस मचान के उपर एक झोपड़ा जैसा बना हुआ था....रूपाली ने बताया कि यहाँ साँप बहुत होते है इसलिए कभी कभार मज़दूर चौकसी या रखवाली करने के लिए उपर सो जाता है....झोपडे के दरवाजे से सटी एक लकड़ी की सीडी बनी हुई थी...हम दोनो उस पर चढ़ते हुए उपर पहुचे

सीडी चढ़ते वक़्त मुझे रूपाली के हिलते चूतड़ एका एक पाजामे के बाहर से दिख रहे थे...हम दोनो उपर आए उसने दिखाया कि वहाँ दायि ओर से महेज़ झाकने से दूर उसका घर दिखता है..अगर बाबूजी जाग भी जाएँगे तो हमे इत्तिला हो जाएगी...मैं काफ़ी खुश था कि रूपाली का बड़ा इंतज़ाम था उसने तो मुझे जैसे निश्चिंत सा कर दिया था....हम सुखी घास से भरी उस फर्श पे लेट गये....ना जाने इतने दिनो से ना मिले पाने से रूपाली भाभी के तन बदन में आग लगी हुई थी ठरक से वो मुझसे कुछ ज़्यादा चिपक रही थी

आदम : क्या करूँ रूपाली बस कोशिश तो यही रहेगी कि वापिस आ जाउ भला मेरा तुम्हारे बगैर दिल कैसे लगेगा? पर प्लीज़ तुम बिशल दा के परिवार को मालूम मत चलने देना कुछ वरना अगर उन्हें मालूम चला कि मैं अकेला तुमसे मिलने आया तो खामोखाः तुमपे शक़!

रूपाली : क्यूँ सोचते हो इतना तुम? पहले ही मुझे अपना बना चुके तो अब डर कैसा? निसचिंत रहो तुम मेरे घर में हो मेरे ससुराल में नही जो ताहिरा काकी या सुधिया काकी या मेरा पति आके इंटर्फियर करेगा....और वैसे भी उस दिन तुमने सच में बहुत ज़ोर से किया था

आदम : आइ आम सॉरी (रूपाली के हाथो को चूमते हुए जिसपे महेन्दि का रंग चढ़ा हुआ था)

आदम : आज मन है

रूपाली : मन नही है होता तो हम यहाँ क्या सिर्फ़ दिल का बोझ हल्का करने आते

आदम : ह्म ये तो है पर कसम से मेरा भाई बहुत लकी है

रूपाली : तुम्हारे लिए भी लकी हो सकती हूँ उसे तलाक़ देके तुमसे शादी कर लूँगी

मैं और रूपाली ठहाका लगा कर हँसने लगे.....मैने फ़ौरन रूपाली भाभी के होंठो को मुँह में लेके चूसना शुरू कर दिया...रूपाली भी मेरा सहयोग करते हुए मुझे किस करने लगी....इतने दिनो से लगी आग जैसे आज भड़क उठी थी रूपाली के तन बदन में....मैने रूपाली की गर्दन गाल गले को हर जगह चूमा...रूपाली भी पागलो की तरह मुझे किस करने लगी....लगभग मेरे कपड़े उतारने लगी...मैने फट से घुटनो के बल बैठते हुए अपनी शर्ट के बटन्स जैसे तैसे खोले और उसे उतार दिया.....साथ ही रूपाली ने मेरे जीन्स की बेल्ट ढीली की और टॉप का बटन खोलते हुए मेरी ज़िप खोल दी....उसने कच्छे के साथ मेरे जीन्स को घुटनो तक उतार दिया....उसके सामने मेरा झूलता लिंग प्रस्तुत था

जिसे हाथो में लिए रूपाली ने गॅप से मुँह में ले लिया...ऐसा लग रहा था उसे मेरे लंबे मोटे लिंग को लेने की कितनी चाहत उमड़ी हुई थी....अपने पति से भी ज़्यादा उसका देवर के लंड की भूक थी....जिस चाव से वो उसे चूस रही थी उसे बड़ी ही गहराई से मुँह के भीतर तक लेके चूस रही थी...रूपाली बड़े गौर से मुझे देखते हुए मेरे लिंग को कस कस कर चुस्सने लगी...फिर उसने लिंग मुँह से बाहर निकाला और उस पर थुक्ति हुई उस पर मलने लगी फिर मुठियाते हुए दुबारा मुँह में भर लिया...
 
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