मेरी मां का सांवला सलोना रंग बहुत बड़े मम्मी पतली कमर थोड़े से भारी निगम वैसे ही आकर्षण आकर्षित करते हैं और जब मैं घर पर हद नंगी अध नंगी पतले से पेटीकोट वह भी कमर के नीचे बंधा हुआ पतला सा पेटिकोट जिसमें नाड़े वाले कट से मां की झांटे भी दिखती रहती हो और पीछे आदि रोशनी से मां की जांघों का आकार प्रकार महसूस होता हो पीछे से देखने पर पेटिकोट के पतले कपड़े से झलकता हुआ मां के नितंबों का कंपन और आकार का है शंभू के मांसल जूतों के चूतड़ का एहसास पतली कमर के बीच में गहरी नाभि जिस पर ना जाने कितनी बार उंगली डालकर मैं सोया हूं मलमल के कपड़े का हल्का बनाओ इसके ऊपर के 12 बटन हमेशा खुले रहते हैं लो कट होने से लगभग सारे के सारे मम्मी दिखाई देते हैं और मां जब पसीना आता है तब पूरे बूब्स और और निप्पल ऐसे दिखते हैं जैसे मां ने कुछ ब्लाउज पहना हो मेरा लौड़ा हमेशा में रहता था और ऊपर से खुद तो घर में अपना शरीर दिखाती रहती थी मेरे को भी सिर्फ लेडीस वाली ढूंढने की आदत डाल दीजिए जिससे मां मेरे को हमेशा देखो और महसूस कर सके यह था मेरे और मेरे बीच के मां के बीच में हमारे घर का माहौल जब से मैंने मां को चोदना शुरू किया जब से मेरे और मां के शरीर का इस दी पुरुष के रूप में मिलन हुआ था तब से हमारे बीच में आत्मीयता और बढ़ गई थी मां बेटे के अलावा हम प्रेमियों के रूप में भी एक दूसरे की जरूरत को समझते थे और जब भी किसी की इच्छा होती थी बिना किसी रोक-टोक और देरी के तुरंत पूरा कर देते हैं जब मां की महावारी होती थी जब भी कभी मां ने मुझे संभोग के लिए मना नहीं किया बल्कि शायद उन दिनों मां को भी चूत के जमाने में विश्व आने में
मां कहती थी, महामारी के दिनों में औरत ज्यादा चुदासी होती है, मां महावारी के दिनों में एक अच्छी सी मादक गंध छोडती थी जिससे मेरा मन बहका रहता था और मां भी चुदासी होकर मुझसे लिपटी रहती थी
मेरे को भी माहवारी के दिनों में मां के शरीर से आती हुई मादक गंध बहुत उत्तेजक लगती थी और मैं मां के पीछे खड़ा होकर मां के नितंबों में अपना मोटा मुसल जैसा लिंग रगड़ने लगता मां तो पहले से ही चुदासी बैठी होती थी एकदम से हाथ नीचे करके मेरे मोटे लोड़े को हाथ में पकड़ती और खींच कर मुझे सामने की तरफ ले आती या मेरी तरफ मुड़ जाती थी और अपने सेनेटरी पैड को थोड़ा साइड करके लोड़े को योनि के अंदर धकेल लेती और लगते ही मां पंजों के बल खड़े होकर कमर की हरकत से मेरे लोड़े पर अपनी चूत की पकड़ बना लेती मां की योनि की रगड़ बढ़ती रहती थी फिर मैं मां को अपने हाथों में उठाकर बिस्तर पर लिटा देता और धकाधक करके पेलने लगता
मां का सबसे ज्यादा मुझे उत्तेजक रूप मुझे महावारी के दिनों में ही दिखता था
मां के मम्मे भी अधिक फूले तथा नरम होते थे निप्पल भी जो आमतौर पर अंगूर के दानों की तरह दिखते थे फूल कर खजूर जैसे लंबे हो जाते और मैं उन्हें चूस कर मां की ठरक को और बढ़ा देता था मोटे सख्त निप्पल मां के पतले से ब्लाउज से बाहर निकलने को आतुर रहने की कोशिश करते कि मैं मजबूरन अपनी उंगली और अंगूठे में उनको दबाकर मसलता रहता था
मम्मे दबाने से मां की सिसकारियां बहुत ही सुरीली लगती थी और मेरे धक्कों का मां उछल उछल कर जवाब देती थी
मासिक स्त्राव से मेरे लोड़े तथा अंडकोष को पूरी तरह से अच्छे से साफ करना अपने आप में एक हिम्मतवाला काम होता है पर चुदाई के मजे के सामने थोड़ा सा फैला हुआ रक्तस्राव कुछ भी मायने नहीं रखता था।
माहवारी के दिनों में मां की चुदाई मां के मासिक रुकने तक बहुत मजे से चलती रही
जब कभी पिताजी मां की माहवारी के दिनों में घर पर होते थे तो मां पिताजी से उछल उछल कर खूब शोर मचा कर चुदवाती थी जिसकी आवाज है हम भाइयों के कमरे तक भी साफ-साफ आती थी
कई बार तो मां ने दिनदहाड़े ही पिताजी को अपने कमरे में खींच कर इतनी घमासान चुदाई करवाई थी कि हम भाई सोच रहे थे कि शायद पड़ोसियों को भी मां की खुदाई के बारे में पता चल गया होगा
मां की महावारी के दिनों में चुदने की इच्छा इतनी प्रबल होती थी कि मुझे लगा शायद सभी औरतों में ऐसा होता होगा किंतु मकान मालकिन चाची महावारी के दिनों में बिल्कुल निढाल हो जाती थी और मुझे अपने पास भी नहीं फटकने देती थी
रचना बहन से मैंने एक बार पूछा था कि उसे माहवारी के दिनों में चुदना पसंद है या नहीं तो रचना ने बताया कि अक्सर रचना का पति महावारी के दिनों में भी सबर नहीं करता है और जब भी उसका लौड़ा खड़ा होता है तो उसे रचना की चूत मारने ही होती थी महावारी से उसे कोई एतराज नहीं था।
मैंने रचना से पूछा कि तेरे पति की नहीं तेरे ऐतराज़ की या मन की बात पूछ रहा हूं तो रचना बोली भाई माहवारी के दिनों में मेरे शरीर में एक अलग सी बेचैनी होती है और जब मैं इन दिनों में महावारी के दिनों में जब अपने पति का डंडा अपनी चूत में लेकर या मेरा पति जब मेरी चूत में अपना डंडा डालकर चुदाई करता है धक्के लगाता है अपना वीर्य छोड़ता है तो एक अलग ही मजा आता है मैं डिमांड तो नहीं करती पर अगर पति माहवारी के दिनों में अपना लौड़ा मेरी योनि में पेल देता है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है
रचना ने पूछा तू ऐसा क्यों पूछ रहा है मैंने जवाब दिया, कि वैसे ही,
रचना : महावारी के दिनों में छोटी या बड़ी मामी की चुदाई के बारे में तो नहीं सोच रहा तब हम रचना की मामी वाले मकान में ही रहते थे
मैं: नहीं पागल है क्या? तेरी मामी मुझे अपनी चूत क्यों मरने देंगी? मैं तो एक बार तेरी चूत मार कर ही निहाल हो गया हूं
इस पर रचना बोली वह तो तू ही मुझे एक बार पेल कर सिद्धांतवादी बन गया, मेरे को तो अच्छा लगेगा कि तू मौका मिलते ही मर्दानगी से मेरी चूत के कसबल निकाल दे!!!
मैं रचना का खुला आमंत्रण सुन के हक्का बक्का रह गया और मन में आया कि रचना का शरीर पूरी तरह से भर गया है । अब इसकी चुदाई करने में कितना मजा आएगा और मन में गांठ बांध ली थी मौका मिलते ही इस बार रचना की चूत का बैंड बजा देना है
रचना की तो चूत ही नहीं गांड (जबकि मुझे गांड मारने से ज्यादा मम्मे चूसने में मजा आता है) नाभि और मुंह भी चोदने लायक है।
रचना बहन ऐसे गहरे गले के लौ कट वाले सूट पहनती थी कि जरा सा झुकते ही उसके ढीले ढाले मम्मे लटक कर चूचियां तक साफ दिखा देते थे
पहले तो मैंने अपने वचन और रचना के पति के सीधेपन का ध्यान रखते हुए रचना को दुबारा कभी भी ना पेलने का नियम बनाया था किंतु आज रचना की प्यास देखते हुए मेरे मन में आया कि मौका मिलते ही रचना को के सभी छेदों को अपने लोड़े से भरकर रचना के सामने अपनी मर्दानगी दिखानी है और अपना मन भी पूरा भरना है
एक बार मां की माहवारी के दिनों में रविवार रात को पिताजी ने मां की चूत बहुत जोर शोर से रात भर बजाई और सोमवार सुबह सुबह पिता जी भाई के साथ अपनी नौकरी के लिए निकल गए
रात भर हमारे कमरे में मां की चुदाई की आवाजें आती रही थी शायद मां ने तीन बार पापा का लोड़ा खाया था
पापा भी जाने से पहले आपने लोड़े को ठंडा कर रहे थे और मां की महावारी की चुदास चरम पर थी
सुबह जब मैं स्कूल के लिए उठा दो पाया कि मां बिल्कुल नंगी होकर मेरे साथ बिस्तर पर लेटी हुई है मैंने स्कूल जाने के लिए उठने के लिए करवट ली तो मेरा हाथ मां के नरम गर्म शरीर पर लगा
मैंने आंख खुली हो बेटा जी मां बिल्कुल नंगी होकर मेरे बिस्तर पर लेटी हुई है मैंने आधी नींद में पूछा मैंने मां ठीक हो और मां ने मेरे को कसकर जकड़ लिया ऊपर से नीचे तक मां बिल्कुल नंगी थी और मैं भी हमेशा की तरह बिल्कुल नंगा होकर सोया हुआ था, लिंग पर सुबह का तनाव बना हुआ था और रात भर मां बाप की चुदाई की आवाजें सुनने के कारण मन में ठरक भरी हुई थी मैंने भी कस करके मां को अपने नंगे सीने से लगा लिया
मां के चूचक मेरी छाती में धंसने लगे और मेरा टनटनाता हुआ लंड मां की भीगी हुई योनि पर टक्कर मारने लगा
मां बहुत ठरकपन से मेरे से चिपक रही थी जैसे बहुत दिनों की प्यासी हो जबकि मां उसी रात पिताजी से कम से कम 3 बार चुदी थी, मैंने अपने हाथ मां के मोटे गद्देदार नितंबों पर जकड़े और करवट लेकर मां को अपने ऊपर ले लिया
मां ने अपनी जीभ मेरे मुंह में सरका दी और थोड़ा सा आगे पीछे हो कर मेरे लोड़े को अभी योनि के मुहाने पर सेट कर दिया और मेरे दोनों गालों पर अपने हाथ रख कर मेरे अधरों को चूमने लगी
मैं भी पूरी तरह से गर्म था मैंने नीचे से अपनी कमर को थोड़ा सा हिलाया और धक्क से अपना मुसल मां की ओखली में पेल दिया
मां ने मेरे मुसल को अपनी ओखली में कस लिया और मेरे कंधों पर अपने हाथ रख दे कर अपनी कमर का दबाव मेरे लिंग पर बनाने लगी और जैसे ही मेरा लौड़ा मां की योनि के अंदर जड़ तक घुसा मां मेरे लंड पर बैठ गई और पूरी स्पीड से धक्के मार कर मेरे लंड पर सवारी करने लगी
मैंने अपने हाथ मां के छलकते हुए मम्मों पर और जोर-जोर से चलाने लगा मेरे पंजों ने मां के माम्मों को संतरे की तरह दबाया हुआ था और मेरी एक उंगली तथा अंगूठा मां के दोनों निप्पल को उमेठ रहा था मां की सीत्कार बढ़ती रही और मैं भी पूरी ताकत से मां की योनि पर धक्के मारता रहा।
मां का पूरा वजन मां की चूत के द्वारा लोड़े पर आया हुआ था जिससे हमारी चुदाई बहुत करारे ढंग से हो रही थी
कुछ ही देर में मां ने कंपकपाते हुए धकधकखते हुए मेरे लोड़े पर अपनी चूत को पूरी तरह से जकड़ दिया और गहरी सांसें लेने लगी
मेरे लिंग पर मां की योनि की दीवारों का कंपन साफ महसूस हो रहा था इस तरह से मैंने और कुछ ही देर में मेरे लोड़े ने भी लावा उगलना शुरू कर दिया और मां की योनि के अंदर की दीवारों पर जाकर टकराकर वापस मेरे लोड़े द्वारा सीलबंद की हुई चूत की डिब्बी में रुक गया जैसे ही मां थोड़ा सा उठी मां की माहवारी का रस और हमारा कामरस मेरे पेट पर फैल गया और मां आगे झुककर मेरे मुंह और गर्दन को चूमने लगी और दुबारा से मुझसे चिपट गई मैं समझ गया कि मां झड़ तो गई है पर आग शांत नहीं हुई है
मां को शांत करने की इच्छा होते ही मेरे लोड़े ने सख्त होना शुरू कर दिया और दुबारा से मां की योनि को अपनी मांसपेशियों से भर दिया अब मैंने मां को आनंद लेते हुए करवट ली और मां को पीठ के बल लिटा कर मां के ऊपर आ गया मां ने तुरंत अपने पैर पैरों के तलवे छत की ओर से जिससे मेरा पूरा का पूरा लौड़ा मां की चूय में धंस गया और मेरे अंडकोष मां की योनि के आसपास टकराने लगे
मैंने अपने हाथों से मां की चूचियां दबाने लगा, मां ने कमर हिला कर तेज तेज धक्के लेने की इच्छा जाहिर की तो मेरी कमर ने गति पकड़ ली और एक-एक, फच-फच करते हुए मां को ठोकना शुरू कर दिया
मां जोर जोर से चिल्लाने लगी पेल दे बेटा, मां को पेल दे, मां के दूध की ताकत अपने जन्म स्थान पर लगा, मां की चूत पर लगा, जोर से धक्के मार, मां को ठंडा कर दे, मां को मसल दे अपनी बाहों में लेकर मां से कस-बंद निकाल दे बेटा,
इस तरह से मां ने मुझे चुदाई के लिए उत्साहित करना जारी रखें मैं भी मां
मैं भी जोर जोर से धक्के लगाता हुआ, मेरी मां, प्यारी मां, अपने बेटे का मोटा बंबू ले ना, ले ले अपने बेटे का लंड, मेरा बंबू पिघलना चाहता है, बेटे का बंबू जकड़ कर पिला दे ले मां फचाक-फचाक की जोर जोर से आवाजें आ रही थी
घर में कोई नहीं था हमें किसका डर मैं कभी मां की मम्मी पर जोर से चूसता कभी मां के गालों की पप्पी लेता जोर से धक्का मारता मां की चढ़ाने की आवाज आती, मां बोलती शाबाश बेटा, मैं कहता ले ले मां ले मां,
मां कहती : और जोर से बेटा;; और मैं ताकत से दूसरा धक्का मार देता जब मैं मां के गाल चूमता रहता उस समय मेरे हाथ मेरे बचपन की दूध की थैलियों को फैला रहे होते और मेरा लंड बराबर से मां को ठोक रहा था, ले ले मां, बेटे का मोटा मुसल ले ले, तेरी चूत में सारा मसाला कूट देता हूं , ले ले मां
कहते कहते मां ने पानी छोड़ दिया और गहरी सांसें लेने लगी, पहली बार हम बहुत जल्दी झड़ गए थे इसलिए मैंने कुछ समय लगाने के लिए अपनी मां को चोदने की गति धीमी कर दी और अपना लंड बाहर निकाल कर की गर्दन छाती को चाटने लगा थोड़ा नीचे होकर अपनी जीभ, मां की नाभि में डाल दी जिससे मां और ज्यादा ठरक में आने लगी
हां, बेटा मेरे बेटा, आजा बेटा, मेरा प्यारा बेटा, शाबाश मेरे बेटे, चुम्मी लेते हुए मैंने अपना फुंफकारता हुआ सांप मां के बिल में डाल दिया
मां ने टांगे खोल कर पूरा का पूरा सांप अपने बिल में जाने दिया और फिर टांगे अंदर कसकर सांप को बिल के अंदर कैद कर लिया और नीचे से कमर हिला कर सांप के हड्डियों को दबाने लगी मैंने भी अपने सांप को मां के बिल में आगे पीछे करने लगा।
शाबाश मां ऐसे ही पकड़, तेरी पकड़ में मेरा सांप आज अच्छे से आया है ,पकड़ ले मां इस सांप को अपने बिल की गर्मी देकर शांत कर, शाबाश मां, कहता हुआ मैं धक्के मारने लगा
आजा मेरे बेटा गुफा में अपना सांप सरका दे, मां को बहुत अच्छा लग रहा है ऐसे ही मां की तसल्ली करता रह बेटा!! शाबाश मेरे बेटा!! तू मेरा प्यारा बेटा है ना!!! मां का ख्याल रखता है!!! कर दे मां को मिला, मां को शांत कर दे, बुझा दे आपने होज पाइप से मां की निचली मंजिल पर लगी हुई आग,
मैंने भी मैंने आव देखा न ताव और जोर-जोर से मां को चोदने लगा मां को चोदने का कितना मजा आता है
यह किसी मादरचोद से ही पूछो मां की चूत सबसे ज्यादा रसीली और शांति तृप्त करने वाली होती है
बहन की चूत मैं कुछ प्रतियोगिता सी रहती है जो बहन चोदों को एक अलग तरह का मजा देती है
बीवी या प्रेमिका की चूत का मुकाबला::: , बीवी की चूत जैसे दाल रोटी खाना हो, भूख लगी खा लिया, बहुत ज्यादा वेरिएशन बदलाव नहीं होता है और प्रेमिका की चूत मारने का एहसास अपनी ताकत से कुछ जीतने का होता है, प्रेमिका को चोदने से ऐसा महसूस होता है कि हमने अपनी ताकत अपनी स्मार्टनेस के बल पर दुनिया जीत ली हो
रिश्तों में चूत मारने का अपना एक अलग मजा होता है, अभी मां की उत्तेजना भी बहुत ज्यादा बढ़ गई थी और मेरी भी दोनों ने जोर-जोर से घिस्से मारने शुरू किए और पूरी ताकत से एक दूसरे की आपको आग को ठंडा करने में लग गए
थोड़ी ही देर में मेरे लंड में फूलने और सिकुड़ने लगा और मां की योनि में भी कंपन आने लगा
हम दोनों झड़ने के करीब आ रहे थे शाबाश मेरे बेटे, शाबाश अंदर तक, मां को के जाले साफ कर दे!!!!, घुमा अपना डंडा, गुफा की सब दीवारों पर ठोक दे बेटा, !!!- कर दे सफाई!!! हां मां ले ले अपने बेटे का डंडा!!! डंडा लेकर खा जा और हम दोनों एक दूसरे को जकड़ कर बिल्कुल शांत हो गए !!! कुछ सेकंड में ही मेरा वीर्य उबलता हुआ मां की योनि में गिरने लगा और मां की योनि का की दीवारों ने भी कामरस मेरे लिंग के आसपास चिपका दिया
झड़ने के बाद भी बहुत देर हम उसी तरह आलिंगन में लेटे रहे
मां की चूत* में से सारा रस निकल कर बाहर गिरने लगा था
मेरा मुरझाता हुआ मेरा लंड मां की रसभरी थैली के बीच में रखा हुआ था मेरी छाती मां के मम्मों को दबा रही थी
हमारे गाल एक दूसरे के को छू रहे थे, रगड़ रहे थे मेरे हाथ मां की जांघों के बाहर की ओर रगड़ खा रहे थे और मां के हाथ मेरे नितंबों पर थे पता नहीं कितनी देर हम ऐसे ही चिपक कर एक-दूसरे का प्यार महसूस करते रहे मैं मां के ऊपर लेटा रहा और मां मेरे वजन को अपने ऊपर महसूस करते हुए गर्मी महसूस कर रही थी और मेरे हाथ और हम अलसाते हुए ऐसे ही लेटे रहे।
काफी देर बाद मेरी निगाह दीवार घड़ी पर पड़ी तो देखा 10:00 बज गए थे मैंने मैं मां के कान में बोला मां मेरी बहुत अच्छी मां, आज आपके प्यार में बहुत मजा आया,
मां तुम मेरे लिए कब से भर के बैठी थी अभी नाश्ते में मक्खन लगाकर अपने मोटे मोटे बंद खिला दो यह वाले, मैंने मां के नितंबों पर चूतड़ पर थपकी दी,
मां ने अपना हाथ हम दोनों के बीच में लाकर मेरे दुबारा फुलते हुए लोड़े को पकड़ा और बोली मेरा बेटा मां की सेवा करने के लिए फिर से तैयार हो रहा है
एक बार फिर से मां की योनि को तृप्त कर दे एक बार फिर से मेरे अमृत को कुंड में अपना डंडा चला दे उसके बाद तुझे बंद का मक्खन लगे बंद का पाव मस्के का नाश्ता कराउंगी कहकर मां ने फिर से अपनी टांगे ज्यादा खोल दी और मेरे लंड पर मालिश करते करते उसे अपनी योनि के मुहाने पर टिका दिया मैंने भी फच फचाक से अपना लंड मां की चूत में ठोक कर फक फक से चुदाई करने लगा।