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Incest मां और मैं

Sangya

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A teacher is teaching a class and she sees that Johnny isn't paying attention, so she asks him, "If there are three ducks sitting on a fence, and you shoot one, how many are left?" Johnny says, "None." The teacher asks, "Why?" Johnny says, "Because the shot scared them all off." The teacher says, "No, two, but I like how you're thinking." Johnny asks the teacher, "If you see three women walking out of an ice cream parlor, one is licking her ice cream, one is sucking her ice cream, and one is biting her ice cream, which one is married?" The teacher says, "The one sucking her ice cream." Johnny says, "No, the one with the wedding ring, but I like how you're thinking!"





Reporter: "Excuse me, may I interview you?"
Man: "Yes!"
Reporter: "Name?"
Man: "Abdul Al-Rhazim."
Reporter: "Sex?"
Man: "Three to five times a week."
Reporter: "No no! I mean male or female?"
Man: "Yes, male, female... sometimes camel."
Reporter: "Holy cow!"
Man: "Yes, cow, sheep... animals in general."
Reporter: "But isn't that hostile?"
Man: "Yes, horse style, dog style, any style."
Reporter: "Oh dear!"
Man: "No, no deer. Deer run too fast. Hard to catch."
 
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Pankaj123

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Awaiting comments from learned readers on changes n new update on my mom
Last update was superb 👌
But add something new to mom son relation, spice it up bit
And if possible make her pregnant or do as you wish but make it more erotica, interesting.
 
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Sangya

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Last update was superb 👌
But add something new to mom son relation, spice it up bit
And if possible make her pregnant or do as you wish but make it more erotica, interesting.
दोस्त आपका सुझाव सिर माथे पर

मैं पुराने विचारों का व्यक्ति हूं यह कहानी विशेषतः मां से मेरे संबंधों का विवरण काफी कुछ मेरी वास्तविक जिंदगी के अनुभव पर लिखा हुआ है
मेरी सुविधा के लिए मां ने बिना मांगे ही मुझे अपना शरीर सौंप दिया था और मैंने भी मां की जरूरतों का ध्यान रखते हुए मां को खुश रखने का प्रयास किया है
मेरे और मां के संबंध एक दूसरे की भावनाओं को इज्जत देने के हैं, ताई के घर की घटना काल्पनिक थी मुझे खुद पसंद नहीं आ रही थी किंतु कुछ पाठकों की मांग कि कुछ अलग लिखा जाए तो मैंने काल्पनिक घटनाएं जोड़ दी आप जैसे बहुत से सुधि पाठकों ने अपनी राय दी तो पता चला कि कहानी मैं यह बदलाव आपको भी अच्छा नहीं लगा तो मैंने उस विवरण को बदल दिया
मां को गर्भवती करना या पिताजी के सामने मां से संभोग करना संभव ही नहीं रहा और ना ही मुझे आकर्षित कर पाया
हां कुछ डबल मीनिंग कुछ मां के साथ कुछ ज्यादा मस्ती और बीच में कभी कभी हम दोनों ने कुछ खतरनाक स्थितियों में सिनेमा हॉल में पार्क में और एक बार समुंदर के किनारे भी पकड़े जाने के डर के बावजूद सेक्स किया वह घटनाएं कुछ अच्छे ढंग से आपके सामने पेश करूंगा
यह मेरा वादा है कि सच्ची घटनाएं तो पूरी लिखूंगा
मैं काल्पनिक पात्र सिर्फ पाठकों के मनोरंजन के लिए जोड़ता हूं किंतु यह ध्यान रहेगा कि किसी भी पात्र से अपनी मां के संभोग की काल्पनिक घटना नहीं लिखूंगा
 

Pankaj123

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दोस्त आपका सुझाव सिर माथे पर

मैं पुराने विचारों का व्यक्ति हूं यह कहानी विशेषतः मां से मेरे संबंधों का विवरण काफी कुछ मेरी वास्तविक जिंदगी के अनुभव पर लिखा हुआ है
मेरी सुविधा के लिए मां ने बिना मांगे ही मुझे अपना शरीर सौंप दिया था और मैंने भी मां की जरूरतों का ध्यान रखते हुए मां को खुश रखने का प्रयास किया है
मेरे और मां के संबंध एक दूसरे की भावनाओं को इज्जत देने के हैं, ताई के घर की घटना काल्पनिक थी मुझे खुद पसंद नहीं आ रही थी किंतु कुछ पाठकों की मांग कि कुछ अलग लिखा जाए तो मैंने काल्पनिक घटनाएं जोड़ दी आप जैसे बहुत से सुधि पाठकों ने अपनी राय दी तो पता चला कि कहानी मैं यह बदलाव आपको भी अच्छा नहीं लगा तो मैंने उस विवरण को बदल दिया
मां को गर्भवती करना या पिताजी के सामने मां से संभोग करना संभव ही नहीं रहा और ना ही मुझे आकर्षित कर पाया
हां कुछ डबल मीनिंग कुछ मां के साथ कुछ ज्यादा मस्ती और बीच में कभी कभी हम दोनों ने कुछ खतरनाक स्थितियों में सिनेमा हॉल में पार्क में और एक बार समुंदर के किनारे भी पकड़े जाने के डर के बावजूद सेक्स किया वह घटनाएं कुछ अच्छे ढंग से आपके सामने पेश करूंगा
यह मेरा वादा है कि सच्ची घटनाएं तो पूरी लिखूंगा
मैं काल्पनिक पात्र सिर्फ पाठकों के मनोरंजन के लिए जोड़ता हूं किंतु यह ध्यान रहेगा कि किसी भी पात्र से अपनी मां के संभोग की काल्पनिक घटना नहीं लिखूंगा
Dhanywad apka apne mere sujhaav ko positive way mai Liya
Apko jese lage vase likhe ap bohat hi shandar trike se apni kahani prastut kr rahe hai
 
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Sangya

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मेरी मां का शरीर जरीना वहाब जैसा है पतला शरीर मध्यम कद और पर कुछ ज्यादा निकली हुई चूचियां और उभरे हुए नितंब,
अभी भी पेटीकोट और ब्लाउज में मां का शरीर देखकर मेरा सांप खड़ा हो जाता है और सच तो यह है कि हमेशा ही खड़ा रहता था
मैं और मेरी मां घर पर अक्सर अकेले होते थे और जब भी अकेले होते थे 90 परसेंट नंगे होते थे मां ने एक पतला सफेद पेटीकोट और वैसा ही ब्लाउज पहना होता था यह दोनों कपड़े भी मां ज्यादातर मक्खी मच्छर ना लगे और शरीर पर कपड़े का एहसास रहे इसलिए ही पहनती थी क्योंकि मुझे तो पेटीकोट ब्लाउज के अंदर भी मां की चूचियां, चूचियों के ऊपर रखे अंगूर के दाने, जो कभी-कभी फूल कर छुआरे जैसे बन जाते थे और हिलते जुलते समय मां के बोब्बे दाएं बाएं होकर मुझे आकर्षित करते रहते थे पसीने के कारण चूचियों की, मम्मो की रूपरेखा ही नहीं बल्कि सब कुछ साफ-साफ दिखता था
पतले पेटीकोट को भी मां घुटनों तक उठाकर काम करती थी और पसीने या पानी से गीले पेटिकोट पर मां के नितंब ऐसे दिखते थे थिरकते थे जैसे मेरे लोड़े को आमंत्रित कर रहे हो कि आ जा बेटा अपनी जन्मभूमि पर अपना झंडा गाड़

कभी मैं मां के पीछे होता था और सामने रोशनी होती थी तो पेटिकोट का होना ना होना एक बराबर होता था यहां तक की मां की झांटे भी दिख जाती थी
पेटीकोट के साइड में नाड़े का कट इतना बड़ा था कि मां का की झांटे भी साफ-साफ दिखती थी कभी कबार में मां के पीछे खड़ा होकर अपना लंड मां के नितंबों में लगाकर अपना हाथ नाड़े के कट में से अंदर डालकर झांटों को और योनि को सहलाता था
मां भी बहुत बार हाथ पीछे करके मेरा लौड़ा पकड़ कर अपने नितंबों में एडजस्ट कर लेती थी और हम दोनों चिपका चिपकी चुम्मा चाटी करते, एक दूसरे के अंगों को दबाते, जांघों की मालिश शुरू करते और चूत तक पहुंच कर संभोग कर लेते थे
मैं मां द्वारा खरीदी गई पर कभी ना पहनी हुई कच्छियां पहन कर घर में घूमता रहता था जिससे मेरे लोड़े का तनाव या लोड़े की रूपरेखा मां को दिखती रहती थी
कभी जब मैं मस्ती नहीं कर रहा होता था तो मां ही आते जाते अपने हाथों से मेरे लोड़े को सहला देती थी और कभी जब मेरा लोड़ा तना, खड़ा हुआ होता था और मां मस्ती के मूड में होती थी तो मेरे लोड़े को पकड़कर मुठला देती थी अपने नितंब मेरे लोड़े पर रगड़ देती थी या आगे से आकर आलिंगन करके मेरे से चिपकती थी तो खड़ा हुआ लोड़ा मां की योनि के आसपास सलामी देता फिरता था फिर अगर हमारा मूड आगे बढ़ता तो मैं पेटीकोट को पकड़ कर ऊपर करता मां अपने हाथों से मेरी कच्छी को नीचे करती और हम मां बेटा चुदाई शुरू कर देते थे
हमारी चुदाई का कोई भी समय पक्का नहीं था पर दिन में कम से कम एक बार और कभी-कभी तीन बार भी हो जाती थी।

जब कभी शनिवार इतवार में पापा एक-दो दिन के लिए आते थे तो मां कुछ मोटा पेटीकोट और ब्लाउज पहन लेती थी ताकि पापा के सामने मां की ब्लू फिल्म देखकर मैं मां को चोदने ना लग जाऊं
रहने के दिनों में पापा, मां को दिन में एक बार और रात में भी दो बार चोद ही देते थे
मैं और कभी-कभी मेरा भाई मिलकर मां की मां बाप की चुदाई की आवाज सुनते कभी-कभी खिड़की के पास खड़े होकर अंदर से लाइव ब्लू फिल्म देखते और एक दूसरे के लोड़े को मुट्ठी में भरकर शांत कर देते मुझे पूरा यकीन था कि मां को तो पता था कि मैं उनकी पापा द्वारा चुदाई देखता और सुनता हूं और शायद पापा भी जानते थे आखिरकार वह भी हमारी उम्र से होकर निकले थे और अपनी जवानी में हमारे जैसे ही अपनी मां को चोदने के सपने देखे होते होंगे
अपनी मां की चूत का प्रसाद पाए कुछ भाग्यवान बाप अपने बेटे को भी उसकी मां की चुदाई करने का मौका दे देते हैं, ऐसे बाप अधिकतर लुके छिपे ढंग से अपने बेटे को मां की चुदाई के लिए प्रोत्साहित ही करते हैं इसलिए अपने पिता की मूक सहमति से मुझे लगता है कि मेरे पापा ने मेरी दादी को जरूर पेला होगा तभी पापा, घर में हमारे सामने मां के पेटीकोट ब्लाउज पहनकर अधनंगी घूमने और मेरी आंखों में मां को चोदने के सपने पढ़ने के बावजूद भी कुछ कहते नहीं थे और घर भी ऐसा बनवा कर दिया था कि घर के अंदर हम मां बेटा नंगे घूमते रहते और बाहर से किसी की नजर नहीं पड़ती थी।
इस तरह से बहुत साल तक मेरी दिनचर्या चलती रहती थी कि पिताजी के सामने पिताजी के घर होने पर मां बाप की चुदाई को देखना और पिताजी के परदेस जाने पर दिन रात मां की चूत की सेवा करना और मां भी मेरे लोड़े का पूरा ख्याल रखती थी
कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि मेरा मन कर रहा हो और माने अपनी चूत मुझसे ना मरवाई हो और ऐसे ही मां के मन में जैसे ही कुछ कामुकता आती थी मैं पहला मौका मिलते ही मां की चूत में अपना मोटा लौड़ा घुसा कर मां की सारी गर्मी निकाल देता था और मां के अरमान पूरे कर देता था
जब मैं कॉलेज में जाने लगा था तो भी मैं लगातार मां की सेवा करता रहा कई बार मां को रिश्तेदारों के यहां घुमाने ले गया वहां भी मां को चोदने का कोई मौका नहीं छोड़ा और कई बार मेरे पापा ने मुझे मां को घुमाने का काम सौंपा तो मां को मैं नैनीताल के पहाड़ और गोवा के समुंदर पर ले गया और गोवा के बीच पर मां को अच्छे से चोदा मां भी।
बीच पर नंगे लेटे हुए विदेशी जोड़ों के बीच में मां को अपने लंड से मस्त होकर पेला भी था और मां भी युवा जोड़ों की तरह ही बीच पर बहुत निडरता से चुदाई करवाई थी
गोवा में मां ने सिर्फ इतना फर्क किया था कि पेटीकोट की जगह स्कर्ट और टीशर्ट पहनकर घूमती थी, तो मां को कुछ अजीब नहीं लगा था बल्कि मां को पेटीकोट और ब्लाउज की ही फीलिंग आती थी

जब हम नैनीताल गए तो ठंडक में मां को मेरे से चिपकने का और ज्यादा बहाना मिलता था और हम दोनों लगातार जुदाई के अलावा कुछ और नहीं कर सके।
हम हर रोज जल्दी से नैनीताल माल पर एक चक्कर घूमते और कमरे में आकर चुदाई कर लेते।
घर पर फोटो दिखाने के लिए हाफ डे टूर बुक करके बात करने लायक दार्शनिक स्थान देख लिए और फोटो खींची थी होटल वाले ने भी हमें एक थोड़ा बेमेल जोड़ा समझा और हमें कपल्स वाला थोड़ा अलग कमरा दिया ताकि हम बादस्तूर लगातार बिना शोर की चिंता किए चुदाई कर सकें
कमरे के वेटर और होटल का मालिक हमें पति-पत्नी ही समझते थे एक बार होटल के मालिक ने पूछा भी भाई साहब आप क्या कसरत करते हो कि भाभी के मुकाबले बहुत जवान दिखते हो मैं मुस्कुरा कर चुप रह गया
गोवा और नैनीताल में धुआंधार चुदाई के किस्सों का एक अलग अपडेट दूंगा।
हमारे घर में हमने मां ने कोई काम वाली भी नहीं रखी थी कि उसके आने जाने के कारण हमारी चुदाई में कोई व्यवधान आए। हम दोनों मां-बेटी मिलकर सफाई कर लेते थे और सफाई के दौरान भी बहुत बार चुदाई का मूड बन जाता था और हम दमादम धमाधम चुदाई कर लेते थे
कपड़े धोने के समय मैं मां कपड़े मसलती थी और मैं मां के सामने खड़ा होकर कपड़े खंगाल कर निचोड़ता था मां कपड़े धोने के समय हमेशा ही पेटीकोट का घेरा बनाकर कमर के गिर्द किया होता था और ब्लाउज गीला होने के कारण सब कुछ दिखाता था वैसे भी लो कट ब्लाउज में से मां के मम्मे पूरे के पूरे तो बाहर ही छलकते रहते थे तो मैं कपड़े खंगालने के समय जानबूझकर साबुन के झाग मां की चुचियों पर फेंकता फिर और कभी मजे से मां के योनि के आसपास पानी उड़ेल देता तो मां बदले में जब मैं असावधान होता था तो मेरे लोड़े को पकड़कर इतनी जोर से मरोड़ देती थी की मैंने कई बार मैंने वही पर मां को लिटा कर मां की टांग ऊपर करके मां की योनि में अपना खड़ा हुआ लोड़ा ठोक दिया था बाथरुम में पानी पसीने और साबुन के झाग के बीच में हमारी चुदाई बहुत मजेदार होती थी
सफाई करने के समय मां झुकती तो मैं पीछे जाकर मां के नितंबों में लौड़ा ठोक देता था तो मां कहती गलत चला जा रहा है इस स्कूटी की एंट्री दूसरी सड़क पर होनी है तो मैं बोलता मां तुम स्कूटी का हैंडल पकड़कर सही रास्ते पर डाल दो
जब मैं मां की दूध की थैलियां दबाता चलाता तो मां कहती मेरे मुन्ने को दूध पीना है तो मैं कहता हूं मां दूध पिला दो तो मां कहती दूध में ताला लगा हुआ है अपनी चाबी निकालकर नीचे ताले में लगा और ताला खोल तभी दूध मिल पाएगा तो मैं मां का पेटीकोट उठाकर अपनी कच्छी उतार कर मां की चूत में अपना लौड़ा डाल देता धक्के मारता तब तक मां अपना ब्लाउज खोल कर मेरे हाथ अपने मम्मों पर ले जाती और बोलती आ जा बेटा अब दूध पी ले दूध का ताला खुल गया है
खाना खाने के समय मां पुछती बेटा एक बार लेगा कि दो बार?
मैं बोलता मां जितनी बार भी दोगी मैं ले लूंगा
फिर मां कहती गरम लेगा कि ठंडी?
तो मैं बोलता की मां, गरम ही चाहिए तो मां बोली बोलती मेरे में इतना दम नहीं है, तू खुद गर्म कर और जब गर्म हो जाए तो खा लेना तो मैं बोलता मां गरम तो मैं कर लूंगा पर तू स्टोव की राॅड पंप करके चूल्हे को ऑन तो कर दे !!!
तब मां मेरा लंड पकड़ कर मुठलाती मैं मां की चूत में उंगलियां डालकर सहलाता रगड़ता और हम दोनों गर्म होकर रोटी तो बाद में खाते पहले चुदाई का एक दौर चला लेते थे
मैं सुनता था कि शादी के बाद एक-दो साल में जोड़ों की ठरक उतर जाती है और उनकी संभोग की आवृत्ति कम हो जाती है पर मेरे और मेरी मां की चुदाई की निरंतरता 10 से ज्यादा वर्ष तक बनी रही
मैं तो जवान था मेरा स्टेमिना बहुत था पर मां अधेड़ उम्र में भी मेरे लोड़े को आराम नहीं करने देती थी और इतवार को जब पापा घर पर होते थे तो पापा के लोड़े के साथ साथ पापा के तन मन को भी अपनी चूत की गर्मी से सरोबर कर देती थी

मां का जवाब नहीं ....
डिटेल फिर कभी
 

Sangya

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Why did I get divorced? Well, last week was my birthday. My wife didn't wish me a happy birthday. My parents forgot and so did my kids. I went to work and even my colleagues didn't wish me a happy birthday. As I entered my office, my secretary said, "Happy birthday, boss!" I felt so special. She asked me out for lunch. After lunch, she invited me to her apartment. We went there and she said, "Do you mind if I go into the bedroom for a minute?" "Okay," I said. She came out 5 minutes later with a birthday cake, my wife, my parents, my kids, my friends, & my colleagues all yelling, "SURPRISE!!!" while I was waiting on the sofa... naked.
 
Last edited:

doctorchodu

MILFLOVER
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2,030
123
Bhai kahani ekdum Dhakad chal rahi hai, aapki kahani ke updates padhkar mann aur lund dono trapt ho jaate hain aur dil karta hai ki update saala khatam hi na ho , bhai ek stanpan wala scene bhi daalo aur thoda ladna jhagadna bhi dikhao aur phir ruthna manana isse pyar aur badhta hai
 
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