किसी नरम एहसास से मेरी नींद खुली, पहले तो मां के अलावा कोई दूसरा ख्याल नहीं आया पर जो मैंने धीरे से आंखें खोली और देखा कि रचना मेरे सामने नंग धड़ंग खड़ी होकर मेरे बालों में हाथ फेर रही थी और मेरे गालों को चूम रही थी
जैसे ही रचना ने मेरी आंखें खुली देखी उसने अपने होंठ मेरे होंठों से जोड़ दिए और एक गहरा चुंबन लेने लगी तुरंत ही उसकी जीभ मेरे मुंह में आ गई जिसे मैं बहुत प्यार से चुभलाने लगा
रचना अपने हाथ मेरे बालों से हटकर मेरी छाती पर घुमाने लगी और मैंने भी अपने हाथ उठाकर उसके गालों पर रख दिए जिससे हमारा मुंह चुंबन और गहरा हो गया धीरे-धीरे रचना के हाथ फिसलते हुए मेरे लिंग तक पहुंच गए इस कोशिश में रचना काफी कुछ मेरे ऊपर लेट गई थी पर हमारा मुंह वैसे ही ताला बंद रहा
हम दोनों एक दूसरे की आंखों में मस्ती को महसूस कर रहे थे रचना के मम्मे मेरी छाती पर रगड़ रहे थे और उसके हाथ मेरे लिंग और अंडकोष में ताकत भर रहे थे
मैं भी अपना हाथ नीचे करते हुए उसकी दूध भरी छातियों पर रगड़ने लगा और इस तरह से हम दोनों एक दूसरे के अंगों को छूने का अपना-अपना सपना पूरा कर रहे थे
मैंने अपना लंड उसके हाथ में रख दिया और कहा- रचना, इसे थोड़ा चूसो ना!
मुझे लग रहा था कि रचना मेरा लंड चूसने से मन कर देगी पर हैरानी की बात थी कि मेरे एक ही बार कहने पर वो मेरा लंड चूसने लगी।
जब मेरा गर्म लंड उसके होंठों के बीच में दबा तो जिन्दगी का मजा आ गया यारो!
थोड़ी देर उसके लंड को चूसावाने के बाद मैंने उसे बिस्तर पर अपने ऊपर खींच लिया और उसकी पीठ और नितंबों को रगड़ने लगा
फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और धीरे धीरे चूत की दरार पर रगड़ने लगा।
मेरा लंड उसकी चूत में थोड़ा सा घुस गया और उसने एक आह निकाली ‘आह्ह!
माँ अचानक से बोली- अरे, आवाज कम करो … तुम्हारी आवाज़ से दिनेश जाग सकता है।
पर मुझे हैरानी हुई कि मां की आवाज सुनकर रचना बिल्कुल भी नहीं हड़बडाई और ना ही उसने ऐसे कोई प्रतिक्रिया दी कि मां के जागे होने से उसको कुछ फर्क पड़ रहा है |औरत ही औरत के मन की बात जानती है, रचना को मां को देखकर एहसास हो गया होगा कि मां मेरे और रचना के संबंधों को पसंद ही करेगी और हमारी चुदाई को देखकर अच्छा महसूस करेगी
फिर रचना ने थोड़ी गर्दन घुमा कर अपने भाई दिनेश जी और दिखा जो फर्श पर खराटे भर रहा था पर मुझे नहीं लगता कि अगर उसका भाई जागा भी होता तो रचना कुछ परवाह करती और दिनेश के बारे में मुझे भी यह एहसास हो रहा था कि उसे अपनी बहन मुझसे चुदवाने के मैं कोई एतराज नहीं है बल्कि वह तो इस बहाने से मेरी मां की चुदाई करना चाहता है
अचानक रचना ने मेरे ऊपर लेटे लेटे ही जोरदार धक्का दिया जिससे मेरे ख्यालों की लड़ी बिखर गई और मैं अपने ऊपर लेटी हुई रचना की पीठ और नितंब जोर जोर से मसलने लगा दुर्घटना थोड़ी पीठ घुमा कर मेरे निप्पल चूसने लगी मेरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया था मैंने कसकर रचना को अपने ऊपर दबाया और सीधी होती हुई रचना का मुंह मेरे होठों से जुड़ गया और हम दोनों एक दूसरे के नितंबों को चोरों से दबाते हुए मुख चुंबन लेने लगे हमारे चुंबन की बहुत जोरदार आवाज में आने लगी थी और हमारे संभोग से ध्यान हटने के कारण मेरा धीरे जो छलक ने वाला था वह थोड़ा रुक गया थोड़ी देर बाद रचना को अपनी कमर पर सीधे होकर बैठते देखा रचना मेरे लिंग पर अपनी योनि सटाकर बैठ गई और मेरी निपल्स के ऊपर अपनी हथेलियां रखकर आगे पीछे दाएं बाएं जोर से झूमने लगी
मेरे शरीर में वासना का प्रचंड विवेक बहने लगा तो मैंने नीचे लेटे लेटे अपनी कमर उठा कर रचना की योनि में अपने लिंग की उपस्थिति दर्ज करवाई जिससे रचना कब का पाकर उत्तेजित हो गई और मेरे लिंग पर के खंभे पर अग्नि खुशी हुई योनि को उतारने चुराने लगेमुझ बहुत हैरानी हुई की माँ जागकर भी चुपचाप हमारी चुदाई को देख रही थी, यानि की उसको पता था की मैं ओर रचना मन ही मन चुदाई करने का मौका ढूंढ रहे है
मैंने अपना सिर उठाकर आखों ही आँखों मैं माँ का शुक्रिया याद किया और फिर एक हाथ माँ के नंगे शरीर पर फेरते हुए माँ को अपने प्यार का एहसास दिलाया
माँ ने भी मेरे हाथ को अपने पेट पर दबाकर मेरे को आश्वस्त किया की मेरी और रचना की चुदाई से माँ को कुछ भी अपति नहीं है
रचना ने मुझे चूमना शुरू कर दिया।
मैंने रचना को लेटाकर उसकी टाँगों को फैलाया और लंड को चूत के अन्दर कर दिया।
इसके बाद मैंने अब उसकी चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए।
उसने अपने चूतड़ों को हिलाना शुरू कर दिया। इससे बिस्तर हिलने लगी और उसमें से चूँ चूँ की आवाज आने लगी.
माँ ने बाहर से कहा- ओह यार … तुम लोग फर्श या दूसरे बिस्तर पर करो. यहां शोर आ रहा है।
उसके साथ मैंने रचना की दोनों टाँगें अपने कंधों पर रख लीं और उसकी जांघे मसलने लगा।
रचना की चुत गीली थी। मेरे शॉट ने उसकी जोर से आह निकल गई।
मैंने उसको को चोदना शुरू कर दिया और उसकी चूचियाँ मसलने लगा।
उसी समय रचना के मुँह से बड़ी-बड़ी आहें निकल रही थीं।
मैंने रचना को थोड़ी देर तक चोदा और फिर मेरा लंड तुरंत पानी छोड़ने के लिए तैयार था।
तो मैंने उसकी चूत से लंड निकाला और अपना वीर्य उसके पेट पर छोड़ दिया.
मेरे माल की एक पिचकारी रचना के बूब्स और होंठों तक गयी।
इसी के साथ हमारा सेक्स का एक दौर पूरा हुया इतने मैं मैंने मुड़कर देखा की दिनेश आँख फाड़कर रचना को देख रहा है और मूठ मार रहा है
दिनेश की हुंकार सुनकर रचना बिस्तर से उतरकार फर्श पर अपने भाई की कमर के ऊपर बैठ गई और मेरे और अपने कामरस से भीगी चुत को दिनेश के लंड पर टिकाकर उठने बैठने लगी.
रचना के हिलते मम्मों को थामकर दिनेश ने नीचे लेटे लेटे ही धक्के लगाने शुरू कर दिए उन भाई बहन को देखकर मैंने अपनी माँ को देखा की वह भी अपनी योनि पर अपना हाथ मसल रही है तो मैंने माँ को पीठ के बाल लिटाकर माँ के टंगे खोल दी और अपना टन हुआ लोडा माँ के चुत की गहराई मैं उतार दिया
बिस्तर पर हम माँ बेटा और फर्श पर भाई बहन की जोड़ी भयंकर तेजी से चिल्ला चिल्लाकर संभोग कर रहे थे हमरी आह ओह ऊह ओओह से कमरा गूंज रहा था
कुछ देर मैं हम चारों के झड़ने से तूफान शांत हो गया और हम थकने के बावजूद एक दूसरे को चूमते हुए तीसरी बार चुदाई की ओर बढ़ रहे थे