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Incest मां और मैं

Sangya

Member
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मां और रचना की धमाधम मस्त चुदाई करने के बाद नया संतुष्ट होकर अपने-अपने पार्टनर यानी कि मैं अपनी नहीं अलमाई गदराए शरीर वाली सुंदर मां और दिनेश अपनी कमसिन पतले शरीर और छोटे-छोटे मम्मों वाली कुंवारी रचना बहन की बाहों में लिपटकर पड़े रहे हम चारों में से किसी को न तो खाने की होश थी और ना ही जाने के प्लान की चिंता, खिड़की से आती फड़फड़ाती हुई समंदर की हवा हमारे शरीर को सहला रही थी

मेरा लंड छुआरा बना हुआ टट्टों के ऊपर टिका हुआ था और मां का हाथ मेरे लिंग को सहला रहा था मेरा हाथ मां के मम्मों के ऊपर आराम से रखा हुआ था मां के निप्पल भी सिकुड़ कर अंगूर जैसे बने हुए थे मैं मां के साइड में लेटा हुआ मां के शरीर को महसूस कर रहा था पर दिनेश पीठ के बल लेटी बहन की टांगों के बीच में औंधा पड़ा उसकी छाती ढक रहा था जिससे मुझे रचना की सुंदरता पूरी तरह नहीं दिख रही थी
अचानक ही मेरी निगाहें रचना की खुली आंखों से मिली रचना ने मुझे जागते पाकर खूबसूरती से इशारा किया कि वह अपनी चुदाई से पूरी तरह से संतुष्ट को हुई है| एक भरपूर मस्त चुदाई के बाद का एहसास मेरे शरीर में भी दौड़ रहा था मैंने फिर रचना को देखकर उसे चुंबन का इशारा दिया

कुछ ही देर में दिनेश व मां भी उठ गए अब वासना का भूत उतरने के बाद सभी एक दूसरे को नंगा देखकर अजीब महसूस कर रहे थे तो औरतों ने जल्दी से ढूंढ कर अपने अपने ऊपर मैक्सी ओढ़ ली और मां मेरे को बोली मेरे बच्चे अब तू थोड़ा बड़ा हो गया है रचना बहन के सामने पजामा नहीं तो कम से कम कच्छा ही पहन कर अपने डंडे को ढक ले
दिनेश ने मां का इशारा समझा और कच्छा पहन लिया मैंने भी अपना वी शेप का अंडरवियर पहनकर मां को तसल्ली दी कि मेरा लौड़ा सिर्फ मां की चूत को ही देखकर सलामी देगा रचना की योनि की चिकनाहट में नहीं फिसलेगा
हमारा लाया खाना ठंडा होकर एक तरफ रखा था मैंने सब से पूछा कि खाना है तो मां मैं बोला कि मुझे बहुत तेज भूख लगी है पहले भी मैं खाना खाने लगी थी तो तुमने अपना कार्यक्रम चला दिया और मैं भी तुम्हारे साथ चोदम चोदी के खेल में शामिल होकर खाना भूल गई
रचना ने मां का साथ देते हुए कहा कि भूख से तो मेरी जान निकली जा रही है
मैं बोला : दो दो भाइयों का लोड़ा खाकर भी तेरी भूख शांत नहीं हुई
मां ने मुझे रोकते हुए बोला क्यों बेचारी को छेड़ रहा है इसमें कोई अलग से ही थोड़े ना लौड़े खाए हैं तेरी मां ने भी तो दो बार अपने नीचे के होठों में लौड़ा खाया है ।
रचना ने मेरा पक्ष लेते हुए कहा कि दिनेश ठीक कहते हैं मैंने तो 2-2 लौड़े खाए हैं आपको तो एक ही मिला है
मां गुस्से से बोली मुझे भी तो दो मिल रहे थे वह तो मैं ही एक से काम चला रही हूं भला मुझे लौड़ों की क्या कमी
रचना को इस उम्र में कच्ची उम्र में सास जैसी औरतों से लौड़े का कंपटीशन करना पड़ रहा था! ठीक है और माहौल माहौल की बात है, यही कोई कॉलेज के अनजान लड़कों को पटाने की बात होती तो रचना बहन के सामने चकाचक मस्त जवान लौड़े लाइन खड़े होते!!!! यहां घर में तो मां के लिहाज के कारण मैं मां से ज्यादा ध्यान रचना को नहीं दे पा रहा था
हमने सब ने खाना खाया और बैठ कर बातें करने लगे बातें फिर से घूम कर कर मां बेटे और भाई बहन के चुदाई संबंधों पर आ गई
रचना ने पूछा: पहली बार कैसे हुआ था तो मां बोली सब्र कर लड़की तेरी चूत में भी चींटियाँ सरसराती रहती हैं मेरी बातें सुनते सुनते कहीं अपनी चूत में उंगली मत करने लगना जरूरत पड़े तो मेरे दो दो जवान बेटे हैं अपने उन भाइयों में से एक का लौड़ा चूस लेना और दूसरे का अपनी चूत में पिलवा लेना
रचना ने नहले पर दहला मारा माँ जी वह तो मुझे कल से ही आपकी आज्ञा मिली हुई है और आप के बड़े बेटे का लौड़ा तू पहले ही दिन मेरी चूत में धमाल मचा रहा है आप इसे मेरी शादी कर दो फिर मजा रहेगा यह अपनी बहन और मां दोनों की एक साथ एक ही बिस्तर पर लिया करेगा और इसका साला भी कभी-कभी इसके सामने इसकी बीवी की हवाई करके इसके लंड को आराम देता रहेगा

मां ने जोर से रचना को बोला अब किस्सा भी सुनेगी या अपनी बातें चोदती रहेगी
रचना: मां, सच बताओ आपने आकाश को पटाया था या आकाश ने लगातार लाइन मार कर आपको अपना पेटीकोट उठाने और ब्लाउज खोलने के लिए मजबूर कर दिया था

मॉ ने कहा अच्छा तो मेरा किस्सा सुनना चाहती है ले सुन;

आकाश बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में व्यस्त रहने वाला और दुनिया से बेखबर प्यारा बच्चा रहा है
कि हमेशा से ही मां मेरे को ज्यादा प्यार देती थी और हर तरह से मेरा ख्याल रखना चाहती थी और मेरे पढ़ाकू और सीधे व्यवहार के कारण मां मुझे बाहर की लड़कियों और औरतों से सुरक्षित रखना चाहती थी,
मां यह बात रचना को बता रही थी और मैं मन में सोच रहा था कि मां को सच्ची बात पता ही नहीं की मां से पहले मैं चाची को चोद चुका था और पापा और मां की चुदाई के दौरान भी कितनी बार असली ब्लू फिल्म देखते देखते मैं और भाई आपस में गुल्ली डंडा खेल चुके थे मां को पता ही नहीं था कि जिसे वह पढ़ाकू बच्चा समझती है वह चूत में उंगली करके मलाई खाने वाला शैतान है

मेरे मन को पढ़ते हुए माँ आगे बोली मुझे पता है इसकी शैतानियां, यह मकान मालकिन चाची पर भी डोरे डाल रखा था और वह भी अपना पेटीकोट उठाकर इसको अपनी रसीली चूत दिखाती रहती थी और मुझे यह भी पता है कि यह दोनों भाई अपने मां बाप की रोज रात की चुदाई बड़े मजे से देखते हैं और आपस में मां को चोदने के सपने देखते हैं पर मैंने तो संजोकर रखी अपनी चूत आकाश के लिए रखी थी

मां ने कहाँ जारी रखा : मेरे पति के परदेस में रहने के कारण भए मेरे की शरीर की अपनी जरूरतें भी अपनी जगह खड़े होकर मां को विवश कर रही थी कि मां किसी पुरुष शरीर में का सहारा ले इधर मां मेरे जवान होते शरीर को की जरूरतों को भी समझ रही थी और मेरे मन में भी मां के लिए सेक्सी विचार आते थे जिनको मां मेरे कच्छे में खड़े-बड़े डंडे और मेरे बाकी व्यवहार के कारण भी मां को महसूस हो रहा था कि मेरा जवान होता शरीर स्त्री सुख तलाश में है इसलिए मां ने मेरे साथ और ज्यादा नंगा व्यवहार करना शुरू कर दिया जैसे की मां ने मैक्सी पहननी बंद करके बिना ब्रा और कच्छी के पतले कपड़े के झीने से पेटिकोट और ब्लाउज पहनती थी
पेटीकोट में भी नाड़ा बांधने की जगह पर लंबा सा कट काफी खुला रखी थी जिससे मुझे मां का शरीर क निचला हिस्सा ना केवल दिखता रहे बल्कि मां के ग़दराए हुए शरीर को मैं ललचा कर आलिंगन करता रहूं!!
मां ने आगे बताया कि मां का यह प्लान बहुत ही सुरक्षित और सहज ढंग से चल रहा था क्योंकि मैं भी उन दिनों मां से ज्यादा लिपटने चिपकने लगा था और मां को नंगा देखने के लिए बाथरूम कपड़े धोने के दौरान मां की मदद के लिए कपड़े खंगालने के बहाने से मां के सामने बैठकर मां के लगभग नंगे मम्मे देखता रहता था और घुटनों तक चढ़ा मां का पेटीकोट बीच-बीच में मुझे झांटों भरी योनि के भी दर्शन करा देता थी
प्रतिक्रिया में मेरे कच्छे के अंदर तनाव लेते लौड़े को देखकर मां आश्वस्त हो जाती थी कि उसका प्लानिंग ठीक चल रहा है
इस तरह से रोजमर्रा के काम में मां ने मुझे अपने साथ बैठने लेट चिपटने चुम्मी लेने को इतना नेचुरल बना दिया था कि मुझे कुछ भी अटपटा नहीं लगने लगा था
आलिंगन के दौरान जब मेरा लौड़ा मां के नितंबों के बीच में टक्कर मारता तो मां मेरे को और ज्यादा मजे देने के लिए अपने शरीर का दवाब मेरे लौड़े पर बढ़ा देती थी मां को पता था कि मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं मां ऐसा जानबूझकर मुझे खुश करने के लिए कर रही है
हमारा लिपटना चिपकना इतना ज्यादा बढ़ा हुआ था कि संभोग सिर्फ नाम मात्र की दूरी पर था क्योंकि कई बार आलिंगन में लेटे हुए कपड़ों के ऊपर से ही जोर-आजमाइश करके मां बेटे दोनों स्खलित हो चुके थे, हम दोनों का काम रस एक दूसरे के शरीर से चिपककर बह चुका था !!! माँ बेटे का कामरस दोनों ने एक दूसरे के लंड और चूत पर जोर लगा कर निकाला और दोनों ही सोच रहे थे कि शायद सामने वाले को उसके इरादों की जानकारी नहीं है यह अलग तरह का ही मजा था
मां मुझे अपने जाल में लेकर मेरे नीचे लेटना चाहती थी और धमाधम चुदाई का मजा लेना चाहती थी और मैं भी मां की चूत का बाजा बजाना चाहता था चोदते हुए मैं भी मां के मस्त मम्मे जोर से मसलते हुए मां की चूत में अपने मजबूत लौड़े को पेलते हुए मां के शरीर के कस बल निकालना चाहता था

रचना ::: ऐसा कितने दिनों तक चलता रहा
मां ने जवाब दिया लगभग 8-10 महीने तक, मां बिना ब्रा और कच्छी के सिर्फ पतले से ब्लाउज और पेटीकोट में व बेटा सिर्फ एक छोटी सी कच्छी पहनकर कर बिस्तर पर आपस में लिपट सोने की एक्टिंग करते
आकाश मेरे नितंबों के बीच में अपना लोड़ा सटाकर मेरे को सोता हुआ समझकर मेरे नितंबों के बीच में अपना लौड़ा रगड़ता था
जब काफी दिन तक सूखी चुदाई का खेल चलता रहा दो फिर मैंने एक दिन अंतिम सीमा पार करने का निर्णय ले ही लिया मैंने आकाश को अपनी नंगी चूत सौंपने का निर्णय कर ही लिया

उस दिन में काफी थकी हुई थी और निढाल होकर बिस्तर पर पड़ी थी आकाश स्वाभाविक हमदर्दी के कारण मुझे आराम देने की कोशिश करने लगा तो मैंने पूरी तरह से नंगी होने का बहाना बनाने के लिए आकाश से मालिश करने को कहा
आकाश ने सोचा नहीं था कि उसे मां के टांगों के बीच की जन्नत मिल जाएगी और मुझे भी नहीं पता था कि उस दिन आकाश का दमदार और इमानदार लोड़ा मेरी चूत के नसीब में चार चांद लगा देगा


एक बार मैं घर में फिसल गई थी जिससे मेरे हाथ और कमर में बल पड़ गया था और इसके पापा दूसरे शहर में ड्यूटी पर थे चार-पांच दिन के लिए मैं हिल भी नहीं पा रही थी तो मेरे राजा बेटे ने मेरी सहायता करके मेरी सेवा सुश्रा की, नहलाया धुलाया मेरे पैर की पट्टी की और मालिश भी की थी

अब तुम सब समझ गए कि सरसों के तेल में सने हुए हाथों ने जांघों से फिसल कर झांटों तक की दूरी कैसे पूरी की और कैसे झांटों में लिपटी हुई चूत ने अपना मुंह खोल कर अपने बेटे आकाश की जवानी का स्वागत किया होगा फिर भी विस्तार में सुनो
आकाश मुझे उठा कर बाथरूम ले जाता मेरी मैक्सी ऊपर करके टॉयलेट में मुझे बैठाता मुझे लगभग नंगी करके नहलाता और मेरी पीठ कमर में तेल लगाता था
एक दिन जब मैं उठी तो मेरी मैक्सी कमर से ऊपर थी और आकाश मेरे सामने आकाश मेरे सामने बैठा हुआ एकटक से मेरी झांटों भरी चूत को देख रहा था मैंने मजाक में इससे बोला कि आकाश रोज तो तू इतने करीब से मां की योनि को देख और नहला रहा है अब इसमें क्या दिख रहा है ?
आकाश ने बोला कि "मां की चूत देख रहा हूं", हर बार यह नया रूप दिखाती है, मां की चूत की बात ही निराली होती है, मैं बचपन से इसमें वापिस घुसने का सपना देखता हूं
मैंने भी हंसते हुए उसको जवाब दिया बेटा तू इसमें घुसेगा तो मां की फट जाएगी इसलिए बेटा सुन : औरत अपने बेटे को वापस अंदर महसूस करने का मजा ले ले इसके लिए प्रकृति ने अच्छी व्यवस्था की हुई है
आकाश एकदम बोला सच में मां तुम मुझे अंदर महसूस करना चाहती हो तो मैंने बिना किसी लाग लपेट के और बिना किसी झोलझाल के आकाश को अपनी सहमति दे दी
आकाश वैसे ही आगे बढ़ कर मेरी जांघों को चूमने लगा यह पहली बार था जब आकाश ने मुझे साफ-साफ सेक्सी डॉल की तरह छुआ था
मैं भी उत्तेजित हो गई थी फिर आकाश मेरे साथ लेट गया और उसने मैक्सी का किनारा उठाकर मेरी कमर को सहारे उठाते हुए मैक्सी मेरी गर्दन तक ले आया मैं पूरी नंगी आकाश के सामने चुदने के लिए तैयार दिख रही थी
पिछले हफ्ते में नहलाते समय कई बार आकाश मेरे शरीर के हर एक अंग पर साबुन लगाया था और अपने हाथ से साफ भी किया था पर उस समय वह मन और अपने लंड की बातें साफ बयान नहीं कर सकता था हर बार कच्छे में इसका मैंने खड़ा लंड महसूस किया था एक दो बार आगे पीछे होते हुए अपनी गांड और जांघे बेटे के लौड़े से सटाई थी, सब ऐसे किया था कि सब साधारण लगे अब तो आकाश मेरे निमंत्रण के बाद मुझे नंगा करके मेरे साथ लेटा हुआ था मेरा इशारा पाकर आकाश में मौका समझते हुए अपना वी-शेप अंडरवियर भी उतार दिया था तो उसका तना हुआ लंड मेरी जांघ पर घंटे की तरह बज रहा था वाह मेरे आकाश बेटा पहली बार में ही मां की जान ऊपर लंड लपेटकर तूने मां को ठरकी बना दिया था आकाश ने आगे बढ़ाते हुए मेरे निपल्स को अपने अंगूठे और उंगली के बीच में दबाया और मसाले लगा और अपने होंठ मेरे गालों पर लाकर पहले वालों की पुचिया लेने लगा उसके बाद मेरे होठों से अपने होंठ जोड़कर गहरा चुंबन लेने लगा चुंबन के दौरान ही आकाश मेरे ऊपर चढ़ गया मेरी कमर पर ज्यादा जोर ना पड़े आकाश ने अपना वजन मेरे छाती के आसपास अपने हाथ रख कर उन पर डाला हुआ था पर आकाश का लोड़ा मेरी नंगी चूत के लबों पर रगड़ खा कर सनसनी फैला रहा था
आकाश में उठते हुए मेरे दोनों निप्पल को बारी-बारी चूसना शुरू किया तो मैंने अपने दोनों हाथ नीचे करते हुए आकाश के लौड़े को पकड़ा और उसे अपनी चूत मसलने लगी अचानक आकाश के लौड़े नहीं झाड़झाड़ा कर वीर्यपात कर दिया
मैंने मां की बात को समझाते हुए कहा कि जब मैं मां के पास लेटा तो मां को चोदने की है सहमति मिलने के बाद मेरे मन में किसी प्रकार की दुविधा नहीं थी और मैं और मेरा लौड़ा पूरी तरह से मां की चूत में गोते लगाने को तैयार हो गए थे अपने ख्यालों में मैं इतना डूबा की मेरी उत्तेजना सीमा पार कर गई और मेरे लंड ने मेरी जन्मभूमि और अब कर्म भूमि पर धीरे से सिंचाई कर दी थी मुझे भी समझ नहीं आया था कि क्या हुआ है
मां ने वापस बात कहानी को अपने हाथ में लेते हुए कहां थी झड़ने से आकाश अकबका गया था पर मैं अपने अनुभव से समझ गई थी कि बच्चे के लंड को पहली बार किसी औरत ने छुआ है तो यह अपने एक बार काबू नहीं कर सका
कोई बात नहीं मैंने इसको तसलली देते हुए कहा कि ज्यादा भूख लगी हो तो एक ग्रास खाना खाने से पेट में अफारा आ जाता है , खाली पेट हमेशा ही सहज से खाना खान चाहिए , चल अब दूसरी बार थाली परोसती हूं यहाँ थाली से मेरा मतलब अपनी चूत परोसने से था
 

Lib am

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मां और रचना की धमाधम मस्त चुदाई करने के बाद नया संतुष्ट होकर अपने-अपने पार्टनर यानी कि मैं अपनी नहीं अलमाई गदराए शरीर वाली सुंदर मां और दिनेश अपनी कमसिन पतले शरीर और छोटे-छोटे मम्मों वाली कुंवारी रचना बहन की बाहों में लिपटकर पड़े रहे हम चारों में से किसी को न तो खाने की होश थी और ना ही जाने के प्लान की चिंता, खिड़की से आती फड़फड़ाती हुई समंदर की हवा हमारे शरीर को सहला रही थी

मेरा लंड छुआरा बना हुआ टट्टों के ऊपर टिका हुआ था और मां का हाथ मेरे लिंग को सहला रहा था मेरा हाथ मां के मम्मों के ऊपर आराम से रखा हुआ था मां के निप्पल भी सिकुड़ कर अंगूर जैसे बने हुए थे मैं मां के साइड में लेटा हुआ मां के शरीर को महसूस कर रहा था पर दिनेश पीठ के बल लेटी बहन की टांगों के बीच में औंधा पड़ा उसकी छाती ढक रहा था जिससे मुझे रचना की सुंदरता पूरी तरह नहीं दिख रही थी
अचानक ही मेरी निगाहें रचना की खुली आंखों से मिली रचना ने मुझे जागते पाकर खूबसूरती से इशारा किया कि वह अपनी चुदाई से पूरी तरह से संतुष्ट को हुई है| एक भरपूर मस्त चुदाई के बाद का एहसास मेरे शरीर में भी दौड़ रहा था मैंने फिर रचना को देखकर उसे चुंबन का इशारा दिया

कुछ ही देर में दिनेश व मां भी उठ गए अब वासना का भूत उतरने के बाद सभी एक दूसरे को नंगा देखकर अजीब महसूस कर रहे थे तो औरतों ने जल्दी से ढूंढ कर अपने अपने ऊपर मैक्सी ओढ़ ली और मां मेरे को बोली मेरे बच्चे अब तू थोड़ा बड़ा हो गया है रचना बहन के सामने पजामा नहीं तो कम से कम कच्छा ही पहन कर अपने डंडे को ढक ले
दिनेश ने मां का इशारा समझा और कच्छा पहन लिया मैंने भी अपना वी शेप का अंडरवियर पहनकर मां को तसल्ली दी कि मेरा लौड़ा सिर्फ मां की चूत को ही देखकर सलामी देगा रचना की योनि की चिकनाहट में नहीं फिसलेगा
हमारा लाया खाना ठंडा होकर एक तरफ रखा था मैंने सब से पूछा कि खाना है तो मां मैं बोला कि मुझे बहुत तेज भूख लगी है पहले भी मैं खाना खाने लगी थी तो तुमने अपना कार्यक्रम चला दिया और मैं भी तुम्हारे साथ चोदम चोदी के खेल में शामिल होकर खाना भूल गई
रचना ने मां का साथ देते हुए कहा कि भूख से तो मेरी जान निकली जा रही है
मैं बोला : दो दो भाइयों का लोड़ा खाकर भी तेरी भूख शांत नहीं हुई
मां ने मुझे रोकते हुए बोला क्यों बेचारी को छेड़ रहा है इसमें कोई अलग से ही थोड़े ना लौड़े खाए हैं तेरी मां ने भी तो दो बार अपने नीचे के होठों में लौड़ा खाया है ।
रचना ने मेरा पक्ष लेते हुए कहा कि दिनेश ठीक कहते हैं मैंने तो 2-2 लौड़े खाए हैं आपको तो एक ही मिला है
मां गुस्से से बोली मुझे भी तो दो मिल रहे थे वह तो मैं ही एक से काम चला रही हूं भला मुझे लौड़ों की क्या कमी
रचना को इस उम्र में कच्ची उम्र में सास जैसी औरतों से लौड़े का कंपटीशन करना पड़ रहा था! ठीक है और माहौल माहौल की बात है, यही कोई कॉलेज के अनजान लड़कों को पटाने की बात होती तो रचना बहन के सामने चकाचक मस्त जवान लौड़े लाइन खड़े होते!!!! यहां घर में तो मां के लिहाज के कारण मैं मां से ज्यादा ध्यान रचना को नहीं दे पा रहा था
हमने सब ने खाना खाया और बैठ कर बातें करने लगे बातें फिर से घूम कर कर मां बेटे और भाई बहन के चुदाई संबंधों पर आ गई
रचना ने पूछा: पहली बार कैसे हुआ था तो मां बोली सब्र कर लड़की तेरी चूत में भी चींटियाँ सरसराती रहती हैं मेरी बातें सुनते सुनते कहीं अपनी चूत में उंगली मत करने लगना जरूरत पड़े तो मेरे दो दो जवान बेटे हैं अपने उन भाइयों में से एक का लौड़ा चूस लेना और दूसरे का अपनी चूत में पिलवा लेना
रचना ने नहले पर दहला मारा माँ जी वह तो मुझे कल से ही आपकी आज्ञा मिली हुई है और आप के बड़े बेटे का लौड़ा तू पहले ही दिन मेरी चूत में धमाल मचा रहा है आप इसे मेरी शादी कर दो फिर मजा रहेगा यह अपनी बहन और मां दोनों की एक साथ एक ही बिस्तर पर लिया करेगा और इसका साला भी कभी-कभी इसके सामने इसकी बीवी की हवाई करके इसके लंड को आराम देता रहेगा

मां ने जोर से रचना को बोला अब किस्सा भी सुनेगी या अपनी बातें चोदती रहेगी
रचना: मां, सच बताओ आपने आकाश को पटाया था या आकाश ने लगातार लाइन मार कर आपको अपना पेटीकोट उठाने और ब्लाउज खोलने के लिए मजबूर कर दिया था

मॉ ने कहा अच्छा तो मेरा किस्सा सुनना चाहती है ले सुन;

आकाश बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में व्यस्त रहने वाला और दुनिया से बेखबर प्यारा बच्चा रहा है
कि हमेशा से ही मां मेरे को ज्यादा प्यार देती थी और हर तरह से मेरा ख्याल रखना चाहती थी और मेरे पढ़ाकू और सीधे व्यवहार के कारण मां मुझे बाहर की लड़कियों और औरतों से सुरक्षित रखना चाहती थी,
मां यह बात रचना को बता रही थी और मैं मन में सोच रहा था कि मां को सच्ची बात पता ही नहीं की मां से पहले मैं चाची को चोद चुका था और पापा और मां की चुदाई के दौरान भी कितनी बार असली ब्लू फिल्म देखते देखते मैं और भाई आपस में गुल्ली डंडा खेल चुके थे मां को पता ही नहीं था कि जिसे वह पढ़ाकू बच्चा समझती है वह चूत में उंगली करके मलाई खाने वाला शैतान है

मेरे मन को पढ़ते हुए माँ आगे बोली मुझे पता है इसकी शैतानियां, यह मकान मालकिन चाची पर भी डोरे डाल रखा था और वह भी अपना पेटीकोट उठाकर इसको अपनी रसीली चूत दिखाती रहती थी और मुझे यह भी पता है कि यह दोनों भाई अपने मां बाप की रोज रात की चुदाई बड़े मजे से देखते हैं और आपस में मां को चोदने के सपने देखते हैं पर मैंने तो संजोकर रखी अपनी चूत आकाश के लिए रखी थी

मां ने कहाँ जारी रखा : मेरे पति के परदेस में रहने के कारण भए मेरे की शरीर की अपनी जरूरतें भी अपनी जगह खड़े होकर मां को विवश कर रही थी कि मां किसी पुरुष शरीर में का सहारा ले इधर मां मेरे जवान होते शरीर को की जरूरतों को भी समझ रही थी और मेरे मन में भी मां के लिए सेक्सी विचार आते थे जिनको मां मेरे कच्छे में खड़े-बड़े डंडे और मेरे बाकी व्यवहार के कारण भी मां को महसूस हो रहा था कि मेरा जवान होता शरीर स्त्री सुख तलाश में है इसलिए मां ने मेरे साथ और ज्यादा नंगा व्यवहार करना शुरू कर दिया जैसे की मां ने मैक्सी पहननी बंद करके बिना ब्रा और कच्छी के पतले कपड़े के झीने से पेटिकोट और ब्लाउज पहनती थी
पेटीकोट में भी नाड़ा बांधने की जगह पर लंबा सा कट काफी खुला रखी थी जिससे मुझे मां का शरीर क निचला हिस्सा ना केवल दिखता रहे बल्कि मां के ग़दराए हुए शरीर को मैं ललचा कर आलिंगन करता रहूं!!
मां ने आगे बताया कि मां का यह प्लान बहुत ही सुरक्षित और सहज ढंग से चल रहा था क्योंकि मैं भी उन दिनों मां से ज्यादा लिपटने चिपकने लगा था और मां को नंगा देखने के लिए बाथरूम कपड़े धोने के दौरान मां की मदद के लिए कपड़े खंगालने के बहाने से मां के सामने बैठकर मां के लगभग नंगे मम्मे देखता रहता था और घुटनों तक चढ़ा मां का पेटीकोट बीच-बीच में मुझे झांटों भरी योनि के भी दर्शन करा देता थी
प्रतिक्रिया में मेरे कच्छे के अंदर तनाव लेते लौड़े को देखकर मां आश्वस्त हो जाती थी कि उसका प्लानिंग ठीक चल रहा है
इस तरह से रोजमर्रा के काम में मां ने मुझे अपने साथ बैठने लेट चिपटने चुम्मी लेने को इतना नेचुरल बना दिया था कि मुझे कुछ भी अटपटा नहीं लगने लगा था
आलिंगन के दौरान जब मेरा लौड़ा मां के नितंबों के बीच में टक्कर मारता तो मां मेरे को और ज्यादा मजे देने के लिए अपने शरीर का दवाब मेरे लौड़े पर बढ़ा देती थी मां को पता था कि मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं मां ऐसा जानबूझकर मुझे खुश करने के लिए कर रही है
हमारा लिपटना चिपकना इतना ज्यादा बढ़ा हुआ था कि संभोग सिर्फ नाम मात्र की दूरी पर था क्योंकि कई बार आलिंगन में लेटे हुए कपड़ों के ऊपर से ही जोर-आजमाइश करके मां बेटे दोनों स्खलित हो चुके थे, हम दोनों का काम रस एक दूसरे के शरीर से चिपककर बह चुका था !!! माँ बेटे का कामरस दोनों ने एक दूसरे के लंड और चूत पर जोर लगा कर निकाला और दोनों ही सोच रहे थे कि शायद सामने वाले को उसके इरादों की जानकारी नहीं है यह अलग तरह का ही मजा था
मां मुझे अपने जाल में लेकर मेरे नीचे लेटना चाहती थी और धमाधम चुदाई का मजा लेना चाहती थी और मैं भी मां की चूत का बाजा बजाना चाहता था चोदते हुए मैं भी मां के मस्त मम्मे जोर से मसलते हुए मां की चूत में अपने मजबूत लौड़े को पेलते हुए मां के शरीर के कस बल निकालना चाहता था

रचना ::: ऐसा कितने दिनों तक चलता रहा
मां ने जवाब दिया लगभग 8-10 महीने तक, मां बिना ब्रा और कच्छी के सिर्फ पतले से ब्लाउज और पेटीकोट में व बेटा सिर्फ एक छोटी सी कच्छी पहनकर कर बिस्तर पर आपस में लिपट सोने की एक्टिंग करते
आकाश मेरे नितंबों के बीच में अपना लोड़ा सटाकर मेरे को सोता हुआ समझकर मेरे नितंबों के बीच में अपना लौड़ा रगड़ता था
जब काफी दिन तक सूखी चुदाई का खेल चलता रहा दो फिर मैंने एक दिन अंतिम सीमा पार करने का निर्णय ले ही लिया मैंने आकाश को अपनी नंगी चूत सौंपने का निर्णय कर ही लिया

उस दिन में काफी थकी हुई थी और निढाल होकर बिस्तर पर पड़ी थी आकाश स्वाभाविक हमदर्दी के कारण मुझे आराम देने की कोशिश करने लगा तो मैंने पूरी तरह से नंगी होने का बहाना बनाने के लिए आकाश से मालिश करने को कहा
आकाश ने सोचा नहीं था कि उसे मां के टांगों के बीच की जन्नत मिल जाएगी और मुझे भी नहीं पता था कि उस दिन आकाश का दमदार और इमानदार लोड़ा मेरी चूत के नसीब में चार चांद लगा देगा


एक बार मैं घर में फिसल गई थी जिससे मेरे हाथ और कमर में बल पड़ गया था और इसके पापा दूसरे शहर में ड्यूटी पर थे चार-पांच दिन के लिए मैं हिल भी नहीं पा रही थी तो मेरे राजा बेटे ने मेरी सहायता करके मेरी सेवा सुश्रा की, नहलाया धुलाया मेरे पैर की पट्टी की और मालिश भी की थी

अब तुम सब समझ गए कि सरसों के तेल में सने हुए हाथों ने जांघों से फिसल कर झांटों तक की दूरी कैसे पूरी की और कैसे झांटों में लिपटी हुई चूत ने अपना मुंह खोल कर अपने बेटे आकाश की जवानी का स्वागत किया होगा फिर भी विस्तार में सुनो
आकाश मुझे उठा कर बाथरूम ले जाता मेरी मैक्सी ऊपर करके टॉयलेट में मुझे बैठाता मुझे लगभग नंगी करके नहलाता और मेरी पीठ कमर में तेल लगाता था
एक दिन जब मैं उठी तो मेरी मैक्सी कमर से ऊपर थी और आकाश मेरे सामने आकाश मेरे सामने बैठा हुआ एकटक से मेरी झांटों भरी चूत को देख रहा था मैंने मजाक में इससे बोला कि आकाश रोज तो तू इतने करीब से मां की योनि को देख और नहला रहा है अब इसमें क्या दिख रहा है ?
आकाश ने बोला कि "मां की चूत देख रहा हूं", हर बार यह नया रूप दिखाती है, मां की चूत की बात ही निराली होती है, मैं बचपन से इसमें वापिस घुसने का सपना देखता हूं
मैंने भी हंसते हुए उसको जवाब दिया बेटा तू इसमें घुसेगा तो मां की फट जाएगी इसलिए बेटा सुन : औरत अपने बेटे को वापस अंदर महसूस करने का मजा ले ले इसके लिए प्रकृति ने अच्छी व्यवस्था की हुई है
आकाश एकदम बोला सच में मां तुम मुझे अंदर महसूस करना चाहती हो तो मैंने बिना किसी लाग लपेट के और बिना किसी झोलझाल के आकाश को अपनी सहमति दे दी
आकाश वैसे ही आगे बढ़ कर मेरी जांघों को चूमने लगा यह पहली बार था जब आकाश ने मुझे साफ-साफ सेक्सी डॉल की तरह छुआ था
मैं भी उत्तेजित हो गई थी फिर आकाश मेरे साथ लेट गया और उसने मैक्सी का किनारा उठाकर मेरी कमर को सहारे उठाते हुए मैक्सी मेरी गर्दन तक ले आया मैं पूरी नंगी आकाश के सामने चुदने के लिए तैयार दिख रही थी
पिछले हफ्ते में नहलाते समय कई बार आकाश मेरे शरीर के हर एक अंग पर साबुन लगाया था और अपने हाथ से साफ भी किया था पर उस समय वह मन और अपने लंड की बातें साफ बयान नहीं कर सकता था हर बार कच्छे में इसका मैंने खड़ा लंड महसूस किया था एक दो बार आगे पीछे होते हुए अपनी गांड और जांघे बेटे के लौड़े से सटाई थी, सब ऐसे किया था कि सब साधारण लगे अब तो आकाश मेरे निमंत्रण के बाद मुझे नंगा करके मेरे साथ लेटा हुआ था मेरा इशारा पाकर आकाश में मौका समझते हुए अपना वी-शेप अंडरवियर भी उतार दिया था तो उसका तना हुआ लंड मेरी जांघ पर घंटे की तरह बज रहा था वाह मेरे आकाश बेटा पहली बार में ही मां की जान ऊपर लंड लपेटकर तूने मां को ठरकी बना दिया था आकाश ने आगे बढ़ाते हुए मेरे निपल्स को अपने अंगूठे और उंगली के बीच में दबाया और मसाले लगा और अपने होंठ मेरे गालों पर लाकर पहले वालों की पुचिया लेने लगा उसके बाद मेरे होठों से अपने होंठ जोड़कर गहरा चुंबन लेने लगा चुंबन के दौरान ही आकाश मेरे ऊपर चढ़ गया मेरी कमर पर ज्यादा जोर ना पड़े आकाश ने अपना वजन मेरे छाती के आसपास अपने हाथ रख कर उन पर डाला हुआ था पर आकाश का लोड़ा मेरी नंगी चूत के लबों पर रगड़ खा कर सनसनी फैला रहा था
आकाश में उठते हुए मेरे दोनों निप्पल को बारी-बारी चूसना शुरू किया तो मैंने अपने दोनों हाथ नीचे करते हुए आकाश के लौड़े को पकड़ा और उसे अपनी चूत मसलने लगी अचानक आकाश के लौड़े नहीं झाड़झाड़ा कर वीर्यपात कर दिया
मैंने मां की बात को समझाते हुए कहा कि जब मैं मां के पास लेटा तो मां को चोदने की है सहमति मिलने के बाद मेरे मन में किसी प्रकार की दुविधा नहीं थी और मैं और मेरा लौड़ा पूरी तरह से मां की चूत में गोते लगाने को तैयार हो गए थे अपने ख्यालों में मैं इतना डूबा की मेरी उत्तेजना सीमा पार कर गई और मेरे लंड ने मेरी जन्मभूमि और अब कर्म भूमि पर धीरे से सिंचाई कर दी थी मुझे भी समझ नहीं आया था कि क्या हुआ है
मां ने वापस बात कहानी को अपने हाथ में लेते हुए कहां थी झड़ने से आकाश अकबका गया था पर मैं अपने अनुभव से समझ गई थी कि बच्चे के लंड को पहली बार किसी औरत ने छुआ है तो यह अपने एक बार काबू नहीं कर सका
कोई बात नहीं मैंने इसको तसलली देते हुए कहा कि ज्यादा भूख लगी हो तो एक ग्रास खाना खाने से पेट में अफारा आ जाता है , खाली पेट हमेशा ही सहज से खाना खान चाहिए , चल अब दूसरी बार थाली परोसती हूं यहाँ थाली से मेरा मतलब अपनी चूत परोसने से था
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Nevil singh

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Shaandaar kahani ki mubarakbaad ho mitr
 
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मां ने मुझे शारीरिक और मानसिक रूप से संतुष्ट किया
बचपन से मैं अपनी मां के बहुत निकट रहा, पिताजी दफ्तर के काम में व्यस्त रहते थे
मैं और मेरा छोटा भाई सैक्स वाली उम्र के हुए नहीं होंगे तभी से हमने मां के साथ लिपटकर सोने में बहुत आनंद महसूस करते थे
यह आनंद उस आनंद के मुकाबले बहुत ज्यादा था जो कि हमें आपस में गले मिलकर सोने में या अपने मकान मालिक की बेटी के साथ घर-घर खेलते हुए गले मिलने में आता था
शायद मां का गदराया हुआ शरीर हमें अधिक आनंदित करता है
घर पर मां हमारे सामने सिर्फ बिना कच्छी के पेटीकोट तथा बिना ब्रा के ब्लाउज पहनती थी। सिर्फ जब कभी घर में कोई मेहमान आया होता था तो साड़ी लपेट लेती थी।
मां के साथ सोते-सोते हम अपनी अपनी छोटी सा नोनी कच्छी के अंदर से ही मां के पेटीकोट के उपर से मां के भारी चौड़ै नितंबों पर रगड़ते थे तो एक अलग मजा आता था
बीच-बीच में मां के नंगे पेट पर हाथ फेरना नाभि में उंगली डालना तथा कसकर अपनी छोटी सी लुल्ली को मां के चूतड़ों के बीच में डालकर हम दोनों भाई बहुत खुश हुआ करते थे। इस सब में हमें बहुत ही मजा आता था तक हमें यह नहीं पता था कि यह कोई वर्जित क्रिया है
दोपहर को सोते हुए मां से लिपटना मां की चूतड़ों में लुल्ली करना और इसी तरह से सो जाना क्या मजे के दिन थे और हैरानी की बात यह थी कि मां भी हमारे इस खेल को कभी भी नहीं रोकती थी बल्कि हरेक दिन मौका मिलते ही हमें अपने साथ लेटने और खेलने का पूरा अवसर एवं अधिकार देने का प्रयास करती थी
इस वजह से भी हम दोनों भाई मां के नितंबों व पेट पर बिना किसी शर्म या रोक-टोक के अपने अंगों को दबाते हुए मज़े लेते रहते थे
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Nevil singh

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मैंने पहले कोई कहानी नहीं लगी लिखी यह पहली बार प्रयास कर रहा हूं और यह सच्ची घटना पर आधारित है
मैं बचपन से ही मां के पास अपने से 1 साल छोटे भाई के साथ रहता था और पिताजी परदेस में नौकरी करते थे। मां बहुत भली तथा दिखने में नमकीन, सलोनी, बहुत सुंदर तो नहीं पर अपनी और ध्यान खींचने में सक्षम स्त्री थी, भरा हुआ शरीर भारी नितम्ब ब्लाउज से बाहर निकलते 40 इंच से भी बड़े उरोज सब को आकर्षित करते थे। मां पास पड़ोस में सबकी सहायता के लिए तत्पर रहती थी इसलिए आस पास के परिवारों में अच्छा मेलजोल था
हम दोनों भाई मां के साथ ही सोते थे यह पुरानी बात है तब ज्यादातर सब लोग साधारण तरीके से रहते थे, घर में पंखा ही होता था कूलर फ्रीज का अता पता भी नहीं था हमारा भी एक निम्न मध्यम मध्यम वर्गीय परिवार था
उन दिनों लोगों का आपस में व्यवहार अच्छा होता था तथा दिखावा कम, कपड़ों वगैरह पर हमारे आसपास लोग ज्यादा ध्यान नहीं देते थे
दोनों भाइ आपस में तथा पास पड़ोस के लड़कों लड़कियों से खेलते। मां से भी चुहल बाजी गलबहिया करते रहते तथा स्कूल से आकर मां से लिपट कर बैठ जाते थे
खाना खाकर सो जाते थे गर्मी के दिन थे तो फर्श पर ही तीनों लेट जाते थे और याद नहीं ना जाने कब ऐसा हुआ कि मां के चूतड़ों के बीच में अपनी नोनी दबाकर रखने में मजा आया और धीरे-धीरे यह एक आदत ही बन गई। पता नहीं मां को पता चलता था कि नहीं या वह इसे साधारण तरीके से ही लेती थी मां के शरीर पर एक पतला सा पेटिकोट तथा ब्लाउज ही होता था तथा मेरे शरीर पर पतले कपड़े का कच्छा ही होता था। इस प्रकार से यह मजा चलता रहा बाद में छोटे भाई ने भी इसी प्रकार का मां से खेलना शुरू कर दिया और कभी कभी हम दोनों भाई भी बारी-बारी आपस में एक दूसरे के चूतड़ों में अपनी नोनी रगड़कर मज़ा लेते थे
एक बात बताना भूल गया जब हम मकान मालकिन की लड़की मंजू से हम घर घर खेलते थे तो मैं तथा मंजू मम्मी-पापा बनते तथा दोनों के भाई बच्चे बनते थे और हम सोने के समय उसे कसकर अपनी बाहों में लेता था डॉक्टर की एक्टिंग के समय उसकी फ्रॉक उठाकर निप्पल को मसलता तथा कच्छी के अंदर हाथ डालकर नितंबों पर अपनी खड़ी हुई छोटी सी लुल्ली से इंजेक्शन लगाया करता था। बाद में बढ़ कर नितंबों तथा मुत्रद्वार को चाटने रगड़ने का खेल कब शुरू हुआ पता नहीं चला। मेरी लुल्ली बड़ी तो नहीं थी पर उसके गुप्तांगों पर रगड़ना उसको भी और बहुत ही अच्छा लगता था और वो भी मौका ढूंढकर मेरे पास आ जाती थी।
कभी-कभी दोनों के भाई जो बच्चों का अभिनय कर रहे होते थे वह भी अपनी नाटक वाली मां पर चढ़ते थे और उसकी फ्रॉक ऊपर करके सोने की एक्टिंग करते थे पर एक दिन मकान मालकिन ने हमें देख लिया तथा हमें डांट कर अलग कर दिया उस दिन के बाद से मकान मालकिन ने अपनी लड़की को हमारे हिस्से वाले बरामदे की तरफ भी भेजना बंद कर दिया

जब हम थोड़ा बड़े हो गए फिर हमने ध्यान दिया कि जब कभी पिताजी घर आते तो रात को मां हमारे साथ से उठकर पिताजी की चारपाई पर चली जाती थी
हमारा घर एक ही कमरे वाला था और रात को अंधेरे में तो कुछ मालूम नहीं पड़ता था परंतु कभी-कभी दोपहर में ही माता पिता के खेल को देखने का मौका मिलता था और उनके कसमसाहटों तथा चुम्मीऔं को सुनकर हम दोनों भाइयों की लुल्ली खड़ी हो जाती थी और रात को भी तो अंधेरे में हम दोनों भाई बकायदा एक दूसरे से आनंद लेते थे और जब पिताजी वापस परदेस चले जाते थे तो मां के साथ चिपक कर सोने का और रगड़ने का प्रयास करते थे अब तक मेरी लुल्ली भी बड़ी हो गई थी तथा में उससे बकायदा खेलने लग गया था संभवत मां को भी मेरी खड़ी लुल्ली तथा रगड़ने का एहसास होता होगा किंतु वह कभी भी मुझे अपने से लिपटने से मना नहीं करती थी। लिपटे हुए ही मां के नर्म से पेट पर हाथ फेरना नाभि को मसलना तथा कभी-कभी ब्लाउज के ऊपर से चूचियों को छेड़ना बहुत ही भाता था।
कभी-कभी मां के पैर दबाना पिंडलियों और जांघों तक मालिश करना या मां के पेट में दर्द होने के टाइम पर पीठ की मालिश करना मेरा नियम बन गया था इस काम में मुझे तो आनंद आता ही था संभवत मां को भी बहुत ही अच्छा लगता होगा तभी वह गाहे-बगाहे मालिश की फरमाइश कर देती थी
जब मैं दसवीं कक्षा में पढ़ने लगा तब तक पिताजी परदेस की नौकरी नौकरी में भी सुबह जल्दी जाकर रात को देर से आने का था और वो घर में इतवार को ही रहते थे अतः घर गृहस्ती के सारे काम मां तथा मेरे को ही करने होते थे छोटा भाई बहुत ज्यादा जिम्मेवारी नहीं लेता था और हम दोनों भाइयों का आपसी खेल भी बंद हो गया था, वह अपने दोस्तों में व्यस्त हो गया था उसने एक लड़की से दोस्ती कर ली थी तथा योन आनंद भी ले लिया था किंतु मुझे ऐसा मौका अभी तक नहीं मिल पाया था
भाई को शक था कि मां मेरे ऊपर बहुत मेहरबान है इसलिए कभी-कभी हो मुझसे मां के बारे में पूछता की क्या तुमने मां के साथ कुछ किया है तो मैं मैंने एक बार कह दिया कि हां कल मालिश करते करते मैंने मां की योनि में अंगुली डाली थी तथा उसको भी मसला है तो उसने बोला कि अपना लन्ड क्यों नहीं डाल दिया पर हम दोनों समझते थे कि बिना मां के आमंत्रण के ऐसा कुछ करने में खतरा है। जो कुछ मिल रहा है वह भी बंद हो सकता है मार पड़ने का ज्यादा बड़ा डर था
मां के साथ मेरे संबंध प्रगाढ़ होते गए और बड़ा होने के बावजूद भी जब भी मौका मिलता मैं मां के साथ बिस्तर में या जमीन पर सो जाता तथा कसकर आलिंगनबद्ध करना गालों पर पप्पी लेना पेट पर अच्छे से हाथ फेरना तथा मां के नितंबों पर अपना लिंग रगड़ना जारी रखे हुए था
अभी भी मां दोपहर को ब्लाउज तथा पेटीकोट ही पहनती थी और मैंने भी दोपहर को सोने के समय कच्छा उतार कर सिर्फ पजामें में ही मां के साथ लेटता था अब तक मुझे यकीन हो गया था कि मां मेरे लिंग को अपने नितंबों पर लगाना तथा गुदाद्वार से रगड़ना पसंद करती है क्योंकि मेरा लिंग अभी 7 इंच से बड़ा हो गया था और स्पूनिंग करते हुए मेरे हाथ उसके नंगे पेट तथा ब्लाउज में कसी चुचियों को अच्छे से दबाते थे कभी-कभी मां मेरी तरफ करवट लेकर अपने माम्मों को मेरी छाती से दबाकर और मेरे लिंग को अपनी योनि से सटाकर भी लेट जाती थी
इसी प्रकार से एक बार जब मां आलिंगन के बाद पीठ के बल लेटी तो मैं मैथुन मुद्रा में उसके ऊपर लेटने लगा तो मां ने मुझे मना कर दिया और वापस साइड में लेट गई, उसके बाद मुझे कई बार मां के साथ संभोग करते हुए स्वपनदोष होना शुरू हो गया था।
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Nevil singh

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हर बार सपने में मैं अपनी मां को अकेले में पाकर बहुत ही रगड़ता और उसकी गांड पर अपना लिंग रगड़ कर उसकी चुचियों को मसल कर आनंद लेता था
एक बार स्वपन में देखा कि मां थकी हुई लग रही है तो मैंने उसे मालिश का प्रस्ताव दिया वह एकदम से मान गई अपनी सामान्य वेशभूषा बिना कच्छी का पेटीकोट तथा बिना ब्रा के ब्लाउज पहनकर वह पीठ के बल लेट गई मैंने एक कटोरी में सरसों का तेल लिया और कच्छा पहनकर उसकी पिंडलियों को मलने लगा जैसा कि हमेशा होता था इस अवस्था में उसका पेटीकोट आधा खुला होता था और मुझे उसके चूतड़ों तक जांघ अच्छे से दिखाई देती थी (कभी-कभी उसकी योनि भी दिखाई देती थी पर मैं सिर्फ उसे मूत्र द्वार ही समझता था इसका एक अलग से एक किस्सा है जो सपने के बाद बताऊंगा) तो मैंने मालिश करते करते मां की जाघं तक से अच्छे से मली और फिर मां को बोला पेट के बल लेट जाओ तो ऊपर तक मालिश कर देता हूं तो मां पेट के बल लेट गई तो मैंने उसके दोनों पैरों के बीच में बैठकर उसकी पीठ की अच्छे से मालिश की ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर मम्मों की साइड में भी तेल लगाया तथा इधर पेटीकोट काफी ऊपर उठाकर उसके चूतड़ों पर अच्छे से मालिश की और अपनी एक ऊंगली उसकी गांड में भी डाल दी तब तक मेरा लंड सख्त हो गया था तो मैंने मां के ऊपर लेटने का प्रयास किया मां बोलती क्या कर रहा है मैंने कहा ना कुछ नहीं आपका कंधा भी मालिश कर दूं बहुत सुखा लग रहा है मां कुछ नहीं बोली तो मैं मां की दोनों टांगों के बीच में बैठकर मां की पीठ पर लेट कर उसके कंधों को मसल रहा था और मेरा लंड कच्छे के अंदर से मां के नंगे नितंबों पर अच्छे से रगड़ रहा था ऐसा काफी देर करते हुए स्वप्न में ही मेरा वीर्यपात हो गया और मेरी नींद खुली तो देखा मैं मां के साथ स्पून दशा लेटा हुआ हूं और मेरा पजामा गीला है गिलापन के पेटीकोट पर भी लगा हुआ था और मां जाग रही थी पर कुछ बोली नहीं।

अब आते हैं मूत्र द्वार तथा योनि के बारे में
मुझे दसवीं कक्षा तक मुझे गुदाद्वार ही योनि द्वार लगता था एक दिन एक दोस्त मस्तराम की किताब स्कूल में लाया था उसको पढ़ा तो उसने बूर तथा गांड अलग-अलग दिए गए थे बूर चोदना गांड मारना शब्द कई बार आए तो मैंने मित्र से पूछा यह क्या है तो उसने बताया पर मैंने कहा नहीं, कुत्ता-कुतिया भैंस-भैंसा गाय-सांड को पीछे से ही करते देखा है तो आदमी औरत दूसरी तरफ से कैसे करेंगे इस पर काफी बहस हुई फिर एक मित्र तर्क लेकर आया कि सिनेमा में नहीं देखा कि हीरोइन की इज्जत लूटने के समय हीरो उसके आगे ही होता है उसका अकाट्य तर्क सुनकर तथा मस्तराम के ज्ञान प्रद विवरण को पढ़कर मुझे समझ में आया कि मूत्र द्वार ही योनि होता हैं फिर बात की बहस तथा एक अनुभवी मित्र और उसके बाद अपने छोटे भाई से कंफर्म करके यह पता चला कि मूत्र द्वार और गुदाद्वार के बीच में अति आनंद में स्वर्गमय योनि होती है जिससे हम बाहर आए हैं तथा जिसमें अपना लिंग डालकर स्त्री को झूला झूलाते हैंतथा खुद सातवें आसमान पर पहुंचते हैं

अब तक हम मंजू वाला मकान छोड़ चुके थे तथा दूसरे मोहल्ले में रहने लगे थे यह घर थोड़ा बड़ा था और मेरे पढ़ने में कुशाग्र होने के कारण परिवार में तथा आसपास के लोगों में मेरे गणना अच्छे बच्चों में होती थी
मैं 11वीं कक्षा में आ गया था और सपनों में अपनी मां मौसी बुआ तथा बहुत सारी पड़ोसिनों को चोद चुका था
दो बार ममेरी मौसेरी बहनों को पटाने का प्रयास किया पर असफल रहा।
हस्तमैथुन बहुत ज्यादा बढ़ गया था, चूत सिर्फ सपने में मिलती थी
सच में तो तकिए को बिस्तर पर रखकर उस पर अपना लंड रगड़ना ,पानी का नल खोल कर उसकी धारा में लंड पर गिराना , बान वाली चारपाई के बीच में लंड डालकर योनि का आभास लेना ही मेरा नसीब बन गया था।
अपनी मकान मालकिन सीमा जिसको मैं चाची कहता था के बहुत करीब आ गया था
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Nevil singh

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हुआ यूं कि मकान मालकिन चाची का पति आपनी बड़ी भाभी के साथ अवैध संबंध बनाए हुए था
वैसे तो अवैध कुछ नहीं होता लंड और चूत का जहां समन्वय हो जाए वह वैध है चाहे मां की वात्सल्य से भरी योनि और बेटे का आदरपूर्ण लिंग हो, बहू की शर्मीली चूत और ससुर का रौबदार लिंग हो, देवर का शरारती लंड या जेठ का अनुभवी लौड़ा और भाभी की कसी हुई रस टपकाती चूत हो, मामी-भांजा का छलकता प्यारा संबंध हो, बुआ-भतीजा का बहन भाई जैसा अंतरग चुदाई भाव हो, बेटी बाप के बीच बना संभोग का पक्का पुल या इनमें लिंग बदलकर विपरीत रिश्ते हों जिसमें मजा है वही जीवन आनंद है
अवैध बोलना शायद इन रिश्तों को अधिक आकर्षक बनाता है।

खैर जो भी हो चाची का पति ज्यादातर अपने बड़े भाई के घर में ही रहता था उसकी भाभी माया अपने पति तथा देवर दोनों को ही संतुष्ट करती थी
माया बहुत ही कंटीली जवानी थी बड़े-बड़े मम्मे भरा हुआ शरीर देखते ही उसको चोदने का मन बना देते थे तो क्या कसूर उसके देवर का जो अपनी पतली नॉटी तथा सादी पत्नी को छोड़कर माया भाभी के डनलप रूपी शरीर पर लेट कर अपने बांस को उसके कुएं में डाल कर मछली पकड़ता था
इधर सीमा चाची पति के वियोग या यूं कहें कि सेक्स के अभाव में लंड को ना प्राप्त करने के कारण मिर्गी रोग से ग्रस्त हो गई थी
मेरे को चाची के साथ समय बिताने का मौका इसलिए भी ज्यादा मिलने लगा था कि उस दौरान मेरी मां अपनी बीमार मां को देखने के लिए अक्सर दोपहर को अपने मायके चली जाती थी और शाम को 4:00 बजे ही जाती थी और मैं स्कूल से 1:00 बजे आकर चाची के साथ गप्पे मारता रहता था और वो बीच-बीच में अपने दुखड़े सुनाती थी
चाची कपड़ों के बारे में मेरे सामने बहुत लापरवाह रहती थी थी उसका लो कट ब्लाउज उसके छोटे से स्तनों और निप्पल पूरी नुमाइश करता था उसकी ब्लाउज के अंदर घाटियां निप्पल के आसपास का लाल व्यास तथा उसके दायें मम्मे के ऊपर छोटा सा तिल मुझे स्पष्ट दिखाई देता था। इस मकान में हमारे पोर्शन तथा चाची के पोर्शन के बीच में बाथरूम था और बारिश में बाथरूम का दरवाजा कुछ फूल जाता था जिसके कारण वह पूरा बंद नहीं होता था इस स्थिति में अक्सर नहाने के टाइम सब लोग झिर्रि पर तोलिया या कोई कपड़ा टांग देते थे किंतु चाची मेरे स्कूल से आने के बाद बात करते-करते बाथरूम में जाती और मैं भी दरवाजे के सामने खड़ा बातें करता खड़ा रहता था,
चाची दरवाजे पर कपड़ा नहीं टांगती थी और आराम से बात करते करते नहाती रहती थी नहाने के बाद पुरी तरह से नंगी अवस्था में अपने कुछ कपड़े भी धोती थी जिससे मैं रोज लगभग आधा घंटा उसको पूरी तरह से नंगा देखने का सुख प्राप्त करता था
मेरा लिंग उस समय उसके नितंब उसकी जांघें उसका योनि द्वार को देखकर खड़ा हो जाता था और जब चाची को नंगा देखने का सिलसिला बना तब मैं भी रोज बात करते-करते स्कूल की पेंट उतार कर सिर्फ कच्छे में ही खड़ा रहता था उससे चाची को भी मेरा खड़ा लन्ड कच्छे में साफ साफ दिखता था
एक दो बार तो मैंने चाची को बोला कि पीठ साफ कर दूं तो उसने हंसकर मना कर दिया और बोली बाथरूम में नहीं, कभी कमरे में करवा लूंगी।
इस प्रकार से सहानुभूति और दर्द का ऐसा रिश्ता हम दोनों के बीच बन गया कि मैं स्कूल से आकर उसके नहाने के बाद उसके साथ ही बैठकर खाना खाता था और कभी उसको हौसला देने के लिए, दुख कम करने के लिए पप्पी कर देता था आलिंगन करता था उस आलिंगन में उसकी छातियों को अपनी छाती में दबा देता था उसके नितंबों पर अपने हाथ से मालिश कर देता था उसका झीना सा ब्लाउज पेटीकोट और साड़ी हमारे शरीर के बीच में होती थी पर पेट व पीठ नंगा होता था और गालों पर पप्पी लेना भी खूब सामान्य हो गया था।
एक दो बाहर उसे मेरे सामने अकेले में ही दौरा पड़ा तो मैंने चाची की मालिश की व चाची को बांहों में उठाकर बिस्तर पर लिटाया और दवाई वगैरह दी
इसी तरह से एक बार जब मैं स्कूल से आया तो चाची बिस्तर में लेटी हुई निढाल पड़ी थी वह बोली मेरे शरीर में जान नहीं है उठा नहीं जा रहा उस समय बीपी वगैरा के बारे में तो पता नहीं होता था पर मां भी जब निढाल होती थी तो मैं उसकी मालिश करता था मैंने भी चाची की मालिश करने का प्रस्ताव रखा।
थोड़ी ना अंकुर के बाद वह मान गई और मैंने शुरुआत तो साफ मन से की थी पर करते करते यह घटना घटित हो गई
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Nevil singh

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मैंने उसकी साड़ी खोली और ब्लाउज पेटीकोट में उसको नीचे चटाई पर लिटा दिया
सरसों का तेल हल्का सा गर्म करके लाया उस के तलवों की मालिश की हथेलियों की बारिश की फिर पिंडलियों की मालिश करने से देखा तो उस की रंगत थोड़ी वापस आ रही थी और वह मुस्कुराने लगी थी
मैंने कहा कुछ फायदा मिला मेरी प्यारी चाची को तो वो बोली मेरा मीठा सा भतीजा चाची को खुश कर रहा है और ठीक करने की कोशिश कर रहा है तो चाची क्यों ठीक नहीं होगी
मैंने कहा अच्छा ऐसी बात है तो आज पूरा ही ठीक कर दूंगा और कोशिश करूंगा कि तुम्हारा मिर्गी का रोग की जड़ भी खत्म हो जाए।
पहले मैं कई बार उससे कह चुका था कि पति का लिंग ना मिलने की वजह से उसकी योनि सूखी-सूखी होगी और मन में कुंठा आ रही होगी और जब ठरक पूरी तरह से मन और दिमाग में भर जाए तो मिर्गी का दौरा पड़ता है।
मैंने उसे एक दो बार बैंगन या मोमबत्ती प्रयोग करने के बारे में कहा था पर वह मानी नहीं या मेरे सामने उसने स्वीकार नहीं किया था किंतु जैसे वह नहाते हुए मुझे अपना नंगा बदन दिखाती थी और सारा दिन पल्लू नीचे गिरा कर अपनी चूचियां दिखाती थी इससे मुझे आमंत्रण तो लगता ही था और आज उसका मन चुदाने का लग भी रहा था
घर में मेरे और उसके अलावा कोई नहीं था अतः आज मैंने चाची को स्वस्थ करने का जिम्मा उठाने का निश्चय किया।
मैंने चाची को बोला कि पूरा ठीक करने के लिए तुम्हारे पैरों में ऊपर तक, पेट तथा पीठ पर भी मालिश करनी पड़ेगी तब उसमें जान आ जाएगी
चाची ने मुस्कुराकर पलके झुकाई और कहां मेरा राजा बेटा जो करेगा वह ठीक ही करेगा मैं बहुत खुश हुआ और मैंने चाची को ठीक करना शुरू कर दिया:::::::::
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Nevil singh

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चाची और मेरे बीच प्यार-लगाव,सहानुभूति- विश्वास का एक अनूठा रिश्ता बन चुका था मैं उसके दुखों को सुनकर सांत्वना सहारा देता और आलंबन भी बनता था और वह मुझे अपने नहाते, कपड़े धोते समय नंगे शरीर को देखते हुए पाकर भी शर्माती नहीं थी ना ही उसने कभी मुझे आलिंगन करने से या चूमने से रोका था कई बार आलिंगन करते समय में मेरा खड़ा लंड उसकी जांघों या नितंबों पर ठोकर लगाता था पर उसने कभी भी आपत्ति नहीं की ना ही कोई बुरा माना और ना ही उन परिस्थितियों में अपने को छुड़ाना चाहा यह सब देखते हुए मैं उसके विश्वास को नहीं तोड़ना चाहता था परंतु उसके पति द्वारा चाची के शरीर की भूख शांत होनी चाहिए थी वह ना होने के कारण उसको जो मिर्गी आती थी वह दूर करना मुझे मेरा कर्तव्य ही लगता था अतः मैं उसको शारीरिक रूप से संतुष्ट करना चाहता था अब मैं 18 साल का हो गया था मेरा लिंग में भारी तुफान आने लगे थे और मैं अपनी मां तथा मुंहबोली चाची से लंड शांति की उम्मीद लगाए बैठा था। आसपास की हमउम्र लड़कियों में मेरा अच्छा प्रभाव था और मैं एक सुशील पढ़ाई लिखाई में होशियार और चरित्रवान लड़का माना जाता था उनमें से कुछ पर लाइन भी मारी 1-2 से बातें शातें भी होती थी किंतु कोई भी बात सिरे नहीं चढ़ पाई और मैं "जुलाहे की मस्तियां मां बहनों के साथ" की कहावत चरितार्थ करते हुए चाची और मां पर ही अपना समय तथा ध्यान लगाए हुए थे बाकी समय 12वीं की पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित था आखिरकार इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लेने लायक नंबर प्राप्त करने थे
अब वापिस चुदाई कक्ष में प्रवेश करते हैं
हाथों पैरों की मालिश करने के बाद चाची को चैतन्य लग रही थी फिर मैंने उसको रसोई शिमला कर पिलाने का प्रयास किया उसमें चाची को चाची में बैठने की हिम्मत तो नहीं थी अतः एक हाथ से सहारा देखकर उसका बिठाया फिर उसके पीछे एक घुटना लगाकर और दूसरा पैर चाची की जाघों पर रखकर अपने हाथ से गिलास उसके मुंह में लगाकर दूध पिलाया। एसएससी इससे सांची चैतन्य होने लगी थी मैंने कहा की चाची अब अब पूरे शरीर की मालिश कर देता हूं जिससे तुम्हारी मांसपेशियों में जान आ जाएगी चाची ने सहमति में सिर हिलाया तो मेरा मन खुशी से नाच उठा
यह करते-करते 3:00 बज गए थे लगभग 4:00 बजे मां वापिस आ जाती थी अत: मेरे पास 1 घंटे का ही समय था
मैं उसको सहारा देकर अंदर वाले कमरे में ले गया और सोफे पर बिठा दिया उसका पेटिकोट ऊपर करके उसकी पिंडलियां व घुटने मलने लगा धीरे धीरे मेरे हाथ उसकी जांघों पर चहल कदमी करने लगे इस हाथों की चहल कदमी में चाची का पेटिकोट उसकी कमर के उपर इकठ्ठा कर दिया मुझे उसकी योनि और नितंब बहुत अच्छे से दिख रहे थे अपने हाथों की गति बढ़ाते हुए तेल लगाया और मालिश करते-करते जांघों के अंदर की तरफ हाथ आगे बढ़ने लगे और उंगलियों के पोर मेरी प्यारी चाची की चूत के मुख्य द्वार तक पहुंच गए पर चाची ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी मैंने निडर होकर हाथ आगे बढ़ाएं और दवाब भी बढ़ाने लगा मेरे बदन में झनझनाहट सी होने लगी थी मैंने पहली बार चाची की चूत को इस तरह से छुआ था किंतु चाची का कोई रिएक्शन नहीं था फिर मैंने उंगली का पहला पोर चूत के अंदर डाला और मालिश करने लगा अब चाची के चेहरे पर उत्कंठा के भाव दिखने लगे थे
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Nevil singh

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मां जब नानी के घर से वापस आई तो
मैंने देखा कि मां का मन ठीक नहीं लग रहा इस पर मैंने झटपट चाय बनाई और आकर मां के बगल में पलंग पर बैठ कर गलबहिया डाली और पूछा कि मां क्या लग रहा है वह बोली कि नानी की तबीयत ठीक नहीं है और मुझे घबराहट हो रही है

मैंने मां को अपने पर खींच लिया और कहा कि कुछ समय लेट जाओ, मां मेरी गोदी में सिर रखकर पैर फैला कर लेट गई मैंने सिर्फ कच्छा पहना हुआ था फिर मां के सिर के दवाब से आपसे मैंने महसूस किया कि चाची की हरकतों से वीर्य से गिला हुआ मेरा कच्छा मेरी जांघ पर लग रहा है किंतु भाग्यवश वीर्य के ऊपर मां का सिर था बालों के होने की वजह से शायद मां को गीलापन नहीं लगा, मैंने एक हाथ से मां के बालों में उंगलियां फिरानी शुरू की तथा दूसरे हाथ से उसकी पीठ सहलाने लगा
कुछ पल ऐसे ही बीते फिर मुझे अपनी जांघों पर कुछ ज्यादा गीलापन लगा मैंने गौर से देखा तो पता चला मां के आंसू बह रहे हैं मैंने अपना हाथ मां के गालों पर रखा तो मां सुबक सुबक कर रोने लगी

मां का मन नानी बीमारी के कारण बहुत ही परेशान था इसलिए मैंने अपने दोनों पैर फैलाए और मां को सांत्वना देने के लिए मां से लिपट गया
मां ने मेरी छाती पर अपना सिर रखा हुआ था और मुझे कसकर जकड़ा हुआ था जैसे मां मुझ में सहारा ढूंढ रही हो,
मैंने भी मां को आश्वस्त करने के लिए खूब जोर से आलिंगन बद्ध कर लिया अब मां की की चूचियां मेरे पेट पर तथा मेरा सुस्त पड़ा लंड मां के पेट पर लग रहा था मां का रोना बंद नहीं हो रहा था
मां ने मुझे कसकर अपने आलिंगन में ले लिया था मैंने भी दोनों हाथ मां की पीठ पर रखे और कसकर अपने से लिपटाए रखा हम दोनो ऐसे ही लेटे रहे किंतु लिंग को कहां ऐसी स्थिति का भान होता है उसे तो स्त्री शरीर की गर्मी मिल जाए तो अपना करतब दिखाने लगता है धीरे-धीरे मेरा लंड जोर पकड़ रहा था जब तक मुझे इसका एहसास हुआ तब तक मेरा लंड मां के पेट में चुभने लगा था

मैंने मां को सुविधा देने के लिए कंधों से पकड़ा और उसे ऊपर की और खींच लिया इससे मेरी स्थिति और विकट हो गई क्योंकि अब मेरा लोड़ा मां के जांघों के बीच में आ गया था वह उसकी चूचियां मेरी छाती में गढ़ने लगी थी और हमारे गाल एक दूसरे को छू रहे थे हम दोनों पूरी तरह से आलिंगनबद्ध थे
मैंने एक हाथ मां के पल्लू को साइड करके उसकी पीठ पर रखा तथा दूसरा हाथ उसके चूतड़ों पर, आलिंगनबद्ध होने के कारण मेरे दोनों हाथों का दबाव उसकी पीठ तथा गांड पर पड़ रहा था जिससे मेरा लोड़ा और भी ज्यादा उसके शरीर पर फड़कने लगा था उसकी चूचियां मेरी छाती में ज्यादा घुसने लगी थी।
मेरे लौड़े में खून का दौरा बढ़ रहा थि अभी कुछ देर पहले ही चाची के पंजों ने मेरा वीर्यपत किया था किंतु मां से इस लिपटा लिपटी ने मेरे लोड़े में बहुत ज्यादा ताकत भर दी थी उसी मुद्रा में मैंने मां के गाल पर चुंबन ले लिया
मां का रोना कुछ कम हो गया था पर उसका मन भरा हुआ था मेरे चुंबन के जवाब उसने भी मेरे गाल का चुंबन ले लिया
मां मुझमें अपना सहारा ढूंढ रही थी अब मेरे हाथों ने अगली हरकत की और मां को मैंने पीठ के बल लिटा दिया मां अपनी घरेलू ड्रेस यानी बिना पेंटी के पेटीकोट तथा बिना ब्रा के ब्लाउज में थी फिर मैंने साइड के बल लेटकर अपना एक हाथ मां के सिर में फिराने लगा दूसरा हाथ उसके पेट पर फिराने लगा तथा अपना एक पैर मोड़कर मां की दोनों जांघों के ऊपर रख दिया इसे मेरा लंड मां की जांघ पर रगड़ खाने लगा
मैंने धीरे से अपना हाथ ऊपर करते हुए मां के ब्लाउज के ऊपर रख दिया और जोर से दबाने लगा इस तरह से करते करते मैं मम्मी को मुंह को लगातार चूमने लगा, मां भी बहुत निढाल होकर अपने आप को हवाले कर रही थी।
मां का ब्लाउज बहुत ढीला था मां के मम्मी बहुत बड़े हैं और ढीले ब्लाउज में से मां की चूचियां और निप्पल बहुत साफ दिख रहे थे फिर भी मैंने हाथ चलाते चलाते ब्लाउज के दो हुक खोल दिए और मां की छाती पर मुंह रख कर रगड़ने लगा मां ने मुझे ऊपर खींचा और मेरी पपिया लेनी शुरू कर दी शायद पिताजी के बहुत दिन से ना आने के कारण तथा तनावग्रस्त होने के कारण मां को कुछ सूझ नहीं रहा था और वह बहुत गर्म हो रही थी
इस हिलने डुलने के बीच में मां का पेटीकोट उसकी जांघों के ऊपर चढ़ आया था मैंने एक हाथ उसकी नंगी जांघों पर घुमाने लगा और घूमाते घूमाते मेरे हाथ से मां के पेटीकोट को उसकी जांघों बहुत ऊपर करके उसके पेट के गिर्द इकट्ठा कर दिया।
अब स्थिति समझिए मेरा एक हाथ मां की नंगी जांघों को मसल रहा है और दूसरा हाथ मां के ब्लाउज के अंदर मम्मी के निप्पल को मसल रहा है दे रहा है हमारे हौंठ मिले हुए थे और मेरा कच्चे में लिपटा लंड मां की नंगी चूत को में घुसने का प्रयास कर रहा था
मैंने अपने दोनों हाथ मां के कंधों पर रखे और उसके होठो को चूसने लगा मां ने सहयोग देना शुरू कर दिया और अपने हाथ मेरी पीठ तथा नितंब पर फिराने लगी
मैंने अपनी जीभ मां के मुंह में डाली तो मां उसे चूसने लगी मां को चूसते हुए मेरी निगाह मां के आंसुओं पर पड़ी और मैं अपनी जीभ से मां के आंसू चाटने लगा और धीरे धीरे नीचे आने लगा गाल चाटे और मां की कान की लौ को चुभलाया और फिर घुटनों के बल होकर मां की चूचियां पीने लगा
मां के निप्पल सख्त हो गए थे और उसकी घुंडिया पर मेरी जीभ अलग से सेंसेशन बना रही थी अब मां भी सिसकियां लेने लगी थी मुझे बहुत सनसनी महसूस हुई और मैं सीधा होकर मां के ऊपर पूरी तरह से लेट गया मेरा कच्छे में ढका लंड मां की नंगी चूत के ऊपर झटके खा रहा था पता नहीं कैसे मां ने हाथ कच्छे के अंदर डाल कर मेरा लंड अपनी चूत से स्पर्श करवा दिया
मैंने अभी तक चूत नहीं मारी थी केवल हस्तमैथुन ही किया था फिर भी लंड बुद्धि से मेरा लौड़ा मां की योनि में घुसने लगा मैं मां की चूत को आधार बनाकर भुजंग आसन करने लगा तो मेरा लौड़ा मां की चूत के अंदर घुस गया मां ने अपने हाथ मेरी कमर के गिर्द लपेट लिए और अपने पैरों की कैंची बनाकर मेरे पैरों को कस लिया मैं स्थिर अवस्था में रहा क्योंकि मुझे बहुत अनुभव नहीं था

लोड़े के अंदर जाते ही मां ने नीचे से अपने नितंबों को हिलाना शुरू किया जिससे चूत और लंड के बीच में घर्षण पैदा होने लगा अब मुझे समझ आया और मैंने फच फचा फच करते हुए अपना लौड़ा अपने जन्म कुंड के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया मेरे दोनों हाथ मां के कंधों पर तो आप डाल रहे थे और मेरा लौड़ा मां की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह चल रहा था कुछ ही मिनटों में मुझे बहुत तनाव आया और मैं वीर्यपात करने लगा
मां नहीं झड़ी थी उसने मुझे कसकर जकड़ लिया और गहरी उत्तेजक सांसें भरने लगी मां की जकड़न और बढ़ी और अचानक से ठंडी पड़ गई हम उसी तरह कुछ देर लेटे रहे।
अचानक मां तथा मेरे को होश आया कि यह क्या हो गया है किंतु इसकी भूमिका तो कहीं वर्षों से बन रही थी और हम दोनों एक दूसरे का सहारा बन रहे थे अतः यह सब स्वाभाविक ही लगा,
मां ने अपने कपड़े ठीक किए और करवट लेकर लेट गई मैं स्पून बन कर मां से लिपट गया एक हाथ मां के पेट पर रखा और लिपटकर उसके गालों से अपने गाल सटा दिए देखा तो मां की आंखों में आंसू थे मैंने धीरे से मां के आंसू पोंछे और कहा मां मैं तेरा प्यारा बेटा हूं और तुझे किसी चीज की कमी महसूस होने नहीं दूंगा
मां करवट लेकर मेरे से आलिंगन बंद हो गई और मेरी छाती पर सिर रखकर बोली हां मेरे राजा बेटे मुझे पता है
फिर मां तनाव मुक्त होकर नींद के आगोश में चली गई और मैंने मां को चद्दर औढ़ा कर अपनी पढ़ाई में लग गया।
Jakash update dost
 
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