मां ने जब दिनेश से पूछा कि उसका अपनी मां की चूत लेने, चुदाई करने का मन नहीं करता है क्या?
तो दिनेश ने बड़े मासूम अंदाज में जवाब दिया: मम्मी जी; अपनी मां की चूत लेने का तो बहुत इच्छा होती है परंतु डर लगता है
वैसे तो मां का गदराया हुआ गोरा भारी बदन, रस टपकाते मोटे मोटे मम्मे, जो गाहे-बगाहे मां को घर में काम करते समय, मुझे पूरे नंगे ही दिख जाते थे उनको देखकर मेरा लन खड़ा हो जाता था मां ने भी मेरे लिंग के तनाव को कई बार देखा और देख कर मुस्कुराती भी थी, किंतु ना मां ने, उससे आगे लिफ्ट दी और ना ही मेरी हिम्मत हुई कि कुछ शरारत करके पंगा ले लूं।
जब भी मां बाप का संभोग देखने का मौका मिलता था मैं मां की चुदाई की कल्पना करते हुए मुट्ठ मार लेता था।
बाद में रचना जब बड़ी हो गई और मुझे इसके शरीर का सुख मिलने लगा यानी हम दोनों भाई बहन आपस में चुदाई करने लगे तब भी कई बार रचना बहन से लिपटे हुए ही मैं मन में मां को चोदने का सपना घूमाता रहता था | रचना का जवान शरीर, हर जगह से कसा हुआ और पूरे जोश वाला है पर मां के ममता वाले गदराए हुए अधेड़ शरीर का जो सुख है उसकी मैं कल्पना ही कर सकता हूं
अब देखो ना! आज सुबह से जब से हम मिले हैं मैं आपको अपनी मां के रूप में देख रहा हूं पर मुझे पता है कि मुझे आपको भोगने का मौका नहीं मिलेगा इसलिए आपके अंगों की कल्पना करते हुए ही मैं रचना को जी भर कर चोद लूंगा
दिनेश की बात सुनने के बाद मां कुछ आश्चर्यचकित हुई और ठहराव के साथ बोली: मेरे बेटे ऐसा नहीं कि मैं तुझे प्यासा रखना चाहती हूं पर हर एक स्त्री की तरह मेरे भी कुछ नियम है और मैं अपने पति के अलावा, सिर्फ और सिर्फ अपने बेटे आकाश को ही अपना शरीर देने का साहस जुटा पाती हूं, यहां तक की अपने छोटे बेटे से भी मैंने परहेज रखा हुआ है |
माँ की इस बात पर दिनेश ने सिर हिलाते हुए मां से सहमति जताई और कहा कि ठीक है, मैं आपकी भावनाएं समझता हूं और मुझे ऐसा भी लगता है कि मेरी शादी से पहले किसी ना किसी दिन मेरी अपनी मां मुझे जरूर अपने प्यार का अमृत चखने का मौका देगी, शायद मां भी मुझे और मेरी जरूरत को समझ रही है और सही समय पर के बाद मुझसे पिलवाने का आनंद लेगी और मुझे अपने गदराए हुए शरीर का आनंद देगी|
इस पर मां ने जवाब दिया कि हां बेटे ऐसा ही होगा तेरी मां तेरे लिए सब कुछ न्योछावर करेगी, मैं हर मां के मन की भावना समझती हूं जरूर तेरी मां के मन में तेरे कसरती और चुलबुलाते, अपने तन में ही बनाए हुए, तेरे जवान शरीर को देखकर उसके मन में भी गहरी प्यार भरी भावनाएं छलकती होंगी और ना जाने कैसे देखें तेरी मां उन भावनाओं पर काबू रखती होगी, अगर तू माँ के इज्जत और बहुत प्यार के साथ मां से शारीरिक सुख की कामना करेगा तो, जरूर ना जरुर, किसी दिन तेरी मां तेरे नीचे लेट जाएगी |
अच्छा यह बता, अपनी मां के शरीर को तूने कहां तक छुआ है या मसला है ?
दिनेश के चेहरे पर मुस्कुराहट आई और बोला मम्मी जी आप तो बातों से मेरा लंड खड़ा करके आज रचना की चूत का बाजा इतना मजे से बजवएंगी की आकाश रचना कि सिसकारियां सुनकर उसकी नई चूत को छोड़कर सिर्फ और सिर्फ आपकी स्पेशल चूत पर हमला बोल पाएगा|
मां ने दांतों से अपने होंठ दबाएं और तिरछी मुस्कुराहट लेकर बोली इस कमरे में मेरे दो-दो बेटे हैं एक बेटा अपनी बहन को चोद देगा और दूसरा सबके सामने इसी कमरे में अपनी मां की चूत का बैंड बजा देगा जब हम चारों इकट्ठे ही धमाधम चुदाई करेंगे तो अलग ही मजा रहेगा
अब तू असली बातें याद करके अपनी मां के और अपने कारनामे बता ताकि तेरा डंडा पूरी ताकत के साथ खड़ा होकर तेरी बहन की ओखली में धमाधम कुटाई करने लगे|
इधर देख तो सही तेरी-मेरी बातें सुनकर ही तेरी बहन की योनि में से कैसे कामरस की लहर बह रही है।
शायद उसने तुझे और तेरी मां को सुखी मस्ती करते देखा होगा उन बातों के याद करके इसे अब मस्ती चढ़ रही है!!!!!
दिनेश ने सोचते हुए बोलना शुरू किया:::::: जैसे मैंने बताया कि मां-बाप को मैंने कई बार संभोग करते देखा उसके बाद मां कभी-कभी नंगी ही बाथरूम में आकर आ जाती थी जिससे मैं दीवार की ओट में होकर मां के थिरकते हुए नितंब और छलकते हुए बूब्स देखता जिससे मेरे तने हुए लंड में से पानी बहना शुरू हो जाता था
बचपन से ही हम सामान्य मां बेटे की तरह ही खूब लिपट चिपट के रहते थे, मैं कानी से भी वापस आते ही मौका देखकर मां की गोदी में बैठ जाता था और मां के बूब्स से खेलता मां के भारी पेट पर हाथ फेरता और मां की नाभि व गाल के चुम्मा लेता रहता था।
मां से इरादतन लिपटना मैंने मां बाप को संभोग करते देखने के बाद ही शुरू किया था, मां को जबरदस्त आलिंगन में लेना और कपड़ों के ऊपर से मां की गांड पर हाथ फिराना, माँ के पेटीकोट पहने होने पर के आगे से आलिंगन करते हुए मां की जांघों पर अपना लिंग मसलना और जब मौका मिले चुम्मीयां ले लेना,
जब मैं मां को आलिंगन करता था तो मां भी मेरे को वापस उतने ही जोरदार आलिंगन में कर लेती थी और हम सांस रोक कर एक दूसरे की धड़कन को महसूस करते रहते थे
कभी मां मैक्सी में होती थी और मां ने कच्छी ब्रा नहीं पहनी हुई है उस समय मां के शरीर से लिपटना एक अलग ही मजा देता था
जब कभी मां पेटीकोट ब्लाउज में होती थी और हम आलिंगन में बंधते थे तब मैं अपने हाथ से मां की नंगी कमर और पेटिकोट के ऊपर से नितंबों को मसल देता था जिससे मां गहरी सांस भरकर मेरे से और ज्यादा चिपक जाती थी। इस तरह से मेंने कई बार माँ से सुखा संभोंग किया था
कभी-कभी मैं पापा के पैर दुखते थे तो मैं उनके ऊपर खड़ा होकर उनकी पीठ और पैर दबाता था और कई बार अकेले होने पर मां ने भी मुझसे वैसे ही पीठ दबाने को कहती थी
मां बिस्तर पर उल्टा लेट जाती थी और मैं पहले हाथों से मां की पिंडलियों और पैर दबाता था फिर मां कहती थी कि मेरी कमर में भी दर्द है तो मैं मां की पीठ पर खड़ा होकर पीठ तथा नितंबों पर चलते हुए मां को दबा देता था, उसके बाद मां कहती बेटा तू थक गया होगा अब इधर ही मां के साथ लेट जा और हम लेट कर किस्स करते थे और कसकर एक दूसरे से आलिंगनबद्ध होकर लेटे रहते इस बीच में और कभी मां की जांघों के दवाब से मेरा कामरस वीर्य निकल जाता तब कुछ ज्यादा दबाव से मां भी तेजी से कसकर मेरे को जकड़ लेती और बाद में ठंडी पड़ जाती थी| मुझे हैरानी होती थी कि झड़ने के बाद में मेरे पाजामे पर कामरस से बने हुए धब्बे को देख कर भी मां ने कभी कुछ नहीं बोलती थी|
बहुत बार मैंने जब मां को थका हुआ पाता था तो मां को मालिश के लिए आमंत्रित करता था और मां मैक्सी को जांघों के आसपास लपेट कर पीठ के बल बिस्तर पर लेट जाती थी या ऊंची चौकी पर बैठ जाती थी और मेक्सी को अपनी जांघों तक चढ़ाकर आपने पैर फैला देती थी मैं अपने हाथों में तेल से लगाकर मां के पैर के पंजे से घुटने और जांघों तक अच्छे से मालिश करता था
हमेशा ही जांघों पर मालिश के दौरान मां मेक्सी को और ऊपर कर लेती थी और मुझे मां की नंगी झांट और चूत दिखने लगती थी अपने हाथ धीरे-धीरे बढ़ाकर मैं कभी-कभी चूत को छू भी लेता था उस समय मां एक सिसकारी भर कर अपनी जांघों को आपस में जोड़ लेती थी जिससे मुझे और ज्यादा आगे बढ़ने का मौका कभी नहीं मिला
मां जब चौकी पर बैठी होती थी तो एक दो बार मैंने मां का पैर उठा कर अपने कंधे पर रखा और पूरी ताकत से मां की पिंडलियों घुटनें और जांघों को मालिश करने का प्रयास भी किया हर बार माँ कुछ देर तो चुपचाप उसी अवस्था में मालिश करवा हुए मजे लेती रहती थी पर जब देखती कि मैं मां की झांटे में छिपी चूत को देखते हुए अपना लंड खड़ा करके मां के दूसरे पैर को अपनी गोदी में रखकर उससे अपना डंडा दबा रहा हूं तो मां तुरंत ही दोनों पैर जमीन पर रख देती
मां इस सारे कार्यक्रम के दौरान कभी भी गुस्सा नहीं करती थी एक हल्की मुस्कान के साथ ही मुझे अपने शरीर को मसलने चिपकने और रगड़ने का मौका देती थी
यह सुनकर मां मैं दिनेश का कंधा थपथपाना और बोली, ” बेटा तू लगभग अपनी मां की चूत के मुहाने पर खड़ा है, तू नहीं समझेगा और न ही तेरी माँ खुलकर तुझसे अपने चुत मारने को कहेगी
तेरा लंड तेरी मां की चूत के मुहाने पर है, हर बार तेरी मां पक्का मन बना कर तुझे मालिश के लिए बुलाती है पर फिर बीच में ही किसी डर या हिचक से अपने कदम पीछे खींच लेते हैं पर बेफिक्र रहे, मुझे मालूम है की चुदाई की आग तुम दोनों के लंड और चूत में पूरी तरह से भड़की हुई है, जल्दी ही किसी दिन मौका मिलने पर तेरी मां तेरे लंड की सवारी करने लगेगी आउट तू भी तो कोशिश करके माँ के हिम्मत बढ़ा सकता है
अगली बार तू जब मालिश के उत्कर्ष पर पहुंचा हुआ हो और माँ भी उतेजित लग रही हो तब तू कुछ उत्तेजना दिखाकर मां की आग को भड़का देना, शायद माँ तेरे इशारे का भी इंतजार कर रही हो
मुझे पता है इस उम्र और अवस्था में कोई भी औरत अपने पति से तो नहीं डरती विशेषत: जब वह और मां अपने बेटे का लंड अपनी चूत में डलवा रही हो क्योंकि उसे इस काम संबंध को शुरू करने का हक भी है उस पर किसी को शक भी नहीं होता यानि के माँ बेटे की चुदाई में आनंद पुरा का पुरा और डर बिल्कुल जीरो होता है
माँ की बातें सुनते- सुनते दिनेश उठकर मेरे साथ लेटी हुई अपनी नंगी बहन रचना के पास आकर बैठ गया और उसकी जांघों पर हाथ फेरने लगा, हाथ चलते हुए दिनेश अपनी बहन की नाभि का चुंबन लेने लगा
दिनेश को जगह देने के लिए मैं चुपचाप रचनाएं की साइड से थोड़ा सरक गया और जाकर बेड के दूसरे किनारे पर बैठी मां को आलिंगन में ले लिया
मां ने तुरंत मेरे चेहरे को चूमते हुए कहा देखना दिनेश मैंने तो अपने बेटे को खुश करने का फैसला बहुत पहले ही ले लिया था शायद उसमें इसके पापा के प्रदेश रहना एक महत्वपूर्ण कारक बना हो, हम मां बेटा पिछले 10-12 साल से बेझिझक जब भी मौका मिलता है या जब भी मन करता है हम चोदम चोदी करके अपने शरीर को शांत कर लेते हैं
वैसे तो तुम्हारा अपनी बहन रचना से चुदाई का संबंध होने के कारण तुम्हें भी अपनी मां की ओखली में अपना मुसल कूटने की बहुत जल्दी नहीं होगी पर बेटा जिस तरह से तुम माँ बेटे में कामुकता की आग जल रही है तुम अपनी तरफ से माँ को लिफ्ट देते रहो और फ्लर्ट करते रहो तुम्हारी मेहनत देखकर जब मां का मन सुरक्षित महसूस करेगा तब तुम्हारी मां अपने आप आकर तुम्हें अपनी चूत दे देगी, तब तुम हर तरीके से अपनी माँ को चोदकर अपने सारे सपने पूरे कर लेना
अच्छा दिनेश बेटा, अपनी मां की मालिश करने की घटना कुछ विस्तार में बता, दिनेश मुस्कुराया और बोला मम्मी जी आप भी बहुत ठरकी हो तो माँ ने कहा जिंदगी में मजे लेने के लिए ठरकी होना बहुत जरूरी होता है अगर तुम्हारी मां ठरकी नहीं होती तो तुम कहां से पैदा होते और तुम्हारी वासना शांति के लिए तुम्हारी बहन को कहां से पैदा करते
इस बात को बीच में ही रोकते हुए अपनी माँ को चोदने को उतावला दिनेश बोला: अच्छा मम्मी जी मैं भी पूरा किस्सा सुना कर आप और अपनी रचना बहन की रगो में वासना का ज्वार बढ़ाना चाहता हूं, इसलिए मेरी कहानी को ध्यान से सुनो
एक बार पापा किसी रिश्तेदार के घर 2 दिन के लिए गए हुए थे, घर में मैं रचना और मम्मी ही थे, उस दिन मम्मी सुबह से ही बार-बार मुझे मुझसे चुहल बाजी करती रही,
घर पर हमेशा ही मम्मी पतली सी पारदर्शी मैक्सी पहन कर घूमती थी उस दिन मम्मी ने मैक्सी की नीचे कुछ भी नहीं पहना हुआ था तो आते जाते रोशनी में मैक्सी के झीने से कपड़े के अंदर से मां का पूरा शरीर नुमायां हो रहा था जिससे मेरी वासना भी लगातार बढ़ रही थी बीच-बीच में मां दोहरे अर्थ वाले शब्द बोल रही थी
पहले तो सामान्य प्यार जताते हुए बोली मेरे प्यारे बेटे, अब तुम्हारे पास ज्यादा नहीं बैठता मैंने मां को आलिंगन करके चुम्मी ली और बोला “मां के अलावा मैं किसके पास बैठ सकता हूं, माँ तू तो सब से ज्यादा हसीन और प्यारी है ”
तो मां बोली मैं भी तो तुझसे वैसे ही बहुत प्यार करती हूं पर कभी-कभी अपने बेटे के प्यार की प्यासी महसूस करती हूँ
मैंने बोला मम्मी आपका आदेश हो तो आपका बेटा आपकी हर प्यास पूरी करेगा, मैं प्यास पूरी बुझाने की बात कहने से झिझक रहा था
मां ने भी मेरे शब्दों को पकड़ा और बोली अभी तो मेरी प्यास सिर्फ अपने बेटे से प्यार लेने और देने की है, कुछ समय मेरे पास ही बैठ, इस बात पर हम दोनों मां बेटा ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठ कर एक दूसरे का हाथ थामकर हमारे हाथ मां की गोदी में रखकर टीवी देखने लगे मैक्सी के पतली से कपड़े के अंदर से मां की झांटें मेरे हाथ पर छू रही थी
माँ को छेड़ने के लिए मैंने मां को बोला: यह क्या है ?
मां बोली: यह मेरी दाढ़ी है !!!
जो मैंने बोला मां नीचे की दाढ़ी साफ क्यों नहीं करती तो मां बोली तेरे पापा को मेरी दाड़ी बहुत पसंद है और मुझे दाढ़ी साफ करने में आलस आता है
मैं बोला मां मुझे भी हमेशा आपकी मालिश करते समय आपकी दाड़ी के कारण आपके होंठों की सुंदरता नहीं दिखती
मां ने दूसरे हाथ से मेरे गाल पर एक हलकी चपत लगाई और बोली नालायक मालिश के समय पर पर मां की दाढ़ी और अपना जन्मस्थान देखता है
मैं बोला मां की सेवा करते समय प्रसाद में कुछ दिख जाए तो क्या बुरा बल्कि अच्छा ही लगता है
इतने में टीवी पर एक पुराना गाना आने लगा तो मां गाना गुनगुनाने लगी “प्रेम की गली में अपना घर बसाएंगे” मैंने बोला पापा ने तो आपकी गली में अपना घर फंसा लिया, इतना फँसाया की बहुत रगड़ रगड़ कर अंदर बाहर जाते है
माँ बहुत ही मादक स्वर में बोली मदारचोद छुप छुप कर माँ बाप के प्यार को देखता है!!! अब तो तेरा कुछ इंतजाम करना पड़ेगा
मैं बोला : अब तो एक तंग गली में मेरा भी घर बसा दो
मां बोली : घर बसाने से पहले अपने घर में भैंस लाने से पहले अपना खूंटा तो तैयार कर ले!!! भैंस को लाकर कहां बांधेगा
मैं बोला: तुम्हें पता ही नहीं कि तुम्हारे बेटे का खूंटा बिल्कुल तैयार है!!!! यह कहते हुए मैंने हम दोनों के हाथ मां की गोदी से उठाकर मेरी गोदी में रख लिया और मेरे पजामे के अंदर से मेरे खड़े लोड़े को छूकर मां एक बार चोंकी फिर हाथ वापिस अपनी गोदी में रखकर बोली चुपचाप पिक्चर देख ले, रचना दोपहर का खाना खाने के बाद अपने कमरे में सो रही है|
माँ का इशारा पाकर मैं थोड़ा और फैलकर मां की गोदी में पसर गया मेरा मुहं माँ की जांघों के बीच में था और मां ने थोड़ा सा झुक कर अपने बड़े-बड़े भारी भरकम उरोज मेरे मुंह से सटा दिए और चुपचाप पिक्चर देखने की एक्टिंग करने लगी
कुछ क्षणों के बाद मैंने जीभ निकालकर मैक्सी के ऊपर से ही मां के तने हुए उरोज के निप्पल पर जीभ चलाने लगा फिर भी मां कोई रिएक्शन दिए बिना चुपचाप टीवी देखती रही,
सही में उसको मजा आ रहा होगा इससे मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने मां के निप्पल को अपने दांतो के बीच में दबाकर चुभलाने लगा माँ तब भी अनजान बनी रही तो मैंने थोड़ा हाथ बढ़ाते हुए मां की कमर को अपने घेरे में ले लिया तो मां ने पैर उठा कर सोफे के ऊपर ही पालथी बना ली इससे मेरा मां के उरोजों से और ज्यादा सट गया और मेरा सर मां की योनि पर रगड़ खाने लगा था
कुछ देर ऐसे ही कपड़े के ऊपर से मां के स्तन चूसने के बाद मैं बोला मां तुम्हारे पैर थक गए होंगे आराम से पैर फैलाकर बैठो
माँ समझ गई और सोफे से उठकर ड्राइंग रूम में रखे दीवान की ओर बढ़ने लगी मां ने अपने हाथ में मेरा हाथ थामा हुया था
मैं चुपचाप माँ के पीछे पीछे चल कर दीवान पर पसर गया मां ने दीवान की पुश्त पर अपनी पीठ टिकाई और पैर लंबे खोलकर बैठ गई
यहां भी मां की मैक्सी टांगों के बीच चढ़ी हुई थी, में आकर माँ के टांगों के बीच में लेट गया मैंने टी-शर्ट और पजामा पहना हुआ था\
माँ के मूड के देखकर मैंने कच्छा उतार दिया था जिससे मेरा तना हुआ लोड़ा पाजामे में 90 डिग्री का कोण बना रहा था
मां ने उसे कनखियों से देखा और मुस्कुराई मां फिर टीवी देखने की एक्टिंग करने लगी और मैंने मां के टांगों के बीच में लेटते हुए अपना मुंह मां के उरोजों पर रख दिया मां ने अपने हाथ बड़ा कर मुझे अपने आलिंगन में ले लिया जिससे मेरा लिंग माँ के छूट के ऊपर और मेरा मुंह में मां की स्तनों पर रगड़ खाने लगा
मेरा राजा बेटा मेरा प्यारा बेटा कितने टाइम बाद मां के पास बैठा है
मैं बोला मैं रोज आपसे प्यार करने के तैयार रहता हूँ पर आप किचन में या घर के काम में बिजी रहती हो तो आपको भी कहा मेरे साथ बैठने का समय मिलता है
मां बोली: बेटा जब मां से कुछ लेना चाहे तो मां हमेशा समय निकाल देती है
मैं बोला: मैं तो हर समय ही आपकी लेना चाहता हूं
मां बोली : क्या मतलब है तेरा
मैं बोला: माँ जब आप पापा को देती हो गरम गरम रोटी तो मैं भी सोचता हूं कि उसे गर्म तवे पर आप मेरे को भी एक रोटी सेकने दो
मां ने मेरे नितंबों पर एक थपकी मारी और बोली ज्यादा बदमाशी करता है
मां की थपकी से मेरा लिंग मां की योनि से और ज्यादा रगड़ गया जिससे माँ ने पैर और ज्यादा खोल दिए और अपनी जांघों के बीच में मेरी कमर को अपनी छूट के और ज्यादा करीब एडजस्ट कर लिया और मैं आगे बोले बिना मां के निप्पल को चुभलाने लगा
कुछ देर में मां की सिसकारियां निकलने लगी और मां ने अपने फैले हुए पैर मेरी कमर के गिर्द कस दिए मैं बिना रुके मां की चूचियां चूसता रहा
हम दोनों के बीच में सिर्फ पजामे और मैक्सी का कपड़ा था और उसके ऊपर से ही हम बिना बोले सूखी जुदाई कर रहे थे
अचानक से माँ कंपकपाकर मेरे से और ज्यादा चिपकने लगी इतने में मेरे लिंग ने भी पजामे के अंदर ही वीर्य छोड़ दिया उस कंपकपी के दौर में हम कुछ मिनट ऐसे ही एक दूसरे उसे कसकर आलिंगन बांधकर चिपके रहे
वासना का ज्वार शांत होने के बाद मां ने मुझे हल्के से साइड में किया और उठकर बाथरूम में चली गई मैंने भी अपने पाजामे पर वीर्य का फैलता हुआ धबबा देखा तो मैं भी उठ कर अपने कमरे में जाकर पजामा बदल आया
वापिस आकार देखा की मां दीवान कर लेटी हुई थी बिना कोई भाव बदले मां बोली कहां चला गया था पिक्चर खत्म होने वाली है देख ले तो हम दोनों एक दूसरे के कमर में हाथ डाल कर बैठे पिक्चर देखते रहे
4:00 बजे के आसपास रचना बाहर आई और हमें पिक्चर देखते हुए पाकर हमारे पास ही बैठ गई
आगे का किस्सा एक-दो घंटे में अपलोड करूंगा