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Incest मां और मैं

Nevil singh

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मां से शारीरिक संबंध बनने के बाद भी मेरा और मां का व्यवहार बहुत ही सामान्य रहा कहीं पर भी कोई ग्लानी अथवा अन्य प्रकार का बदलाव नहीं था ना ही हम द्विअर्थी बातें करते थे और ना ही आते जाते किसी प्रकार की छेड़छाड़।
मां और मैंने, हम दोनों ने मां द्वारा बेटे की शारीरिक भूख शांत करने के प्रेम का हमारे मां बेटे के नैसर्गिक संबंधों, ममता, वात्सल्य और मेरी मातृभक्ति पर कोई पर कोई प्रभाव नहीं डाला था और जैसे मां मुझे खाना खिला दी थी मेरी चिंता करती थी उसी प्रकार से जब मेरे को जब मां को लगता था कि मुझे अपने शरीर की भूख लग रही है तो मां चुपचाप से सामान्य दिनचर्या में ही ऐसी परिस्थिति बना लेती थी कि मैं मां की योनि में लिंग डालकर अपनी योनक्षुधा शांत कर लेता था। मां को तो शायद अपने शरीर की अतिरिक्त आवश्यकता नहीं लगती थी क्योंकि पिताजी हफ्ते में १-२ बार मां को रगड़ ही देते थे जब तक की पिताजी दूसरे शहर में नौकरी करते थे, मैं मां के अपने लिए उपलब्ध शरीर का कुछ अतिरिक्त लाभ ले लेता था और ना भूख होते हुए भी मां के साथ रात में सोते समय, उसका पेटीकोट उठा कर और अपना कच्छा नीचे करके चोदम चुदाई कर लेता था मां ने भी इसे सामान्य खेल ही समझा था और कभी भी मेरे द्वारा अतिरिक्त मांग को मना नहीं किया। शायद मां को कुछ आंनद आता हो या फिर सिर्फ अपने बेटे के लंड को ज्यादा लाड़ प्यार देने की खुशी।
शायद ही कभी मुझे ऐसा लगा हो कि मां भूखी है इसलिए मां की चुदाई करनी है पर जैसे मां को आलिंगन करना उसी प्रकार से कभी कबार जब मां को प्रसन्न करना होता था या मां को अपना भक्ति भाव दिखाना होता था तब भी मैं मां को पेल देता था।
मेरे हॉस्टल जाने से पहले यह कार्यक्रम निर्विघ्न चलता रहा जब तक पिताजी दूसरे शहर में नौकरी करते थे और इतवार को ही घर में रहते थे। मैं हफ्ते में एक दो बार मां की चूत ले लेता था। जब किराया पर रहते थे तो मकान मालकिन चाची की चूत भी सहज उपलब्ध थी पर अपने मकान में आने के बाद सिर्फ मां ही मेरी सैक्स साथी थी। एक बार पिताजी 15 दिन तक लगातार छुट्टी पर घर में थे और इस बीच मां को अपनी चूत मुझे देने का मौका नहीं मिला मेरा लौड़ा कसमसा रहा था शरीर और दिमाग में भी वासना का ज्वार बहुत उछाल मार रहा था किंतु मां से ना कुछ कह पा रहा था और ना ही मां को मौका मिल रहा था मुझे मालूम था कि मां मेरी मनोस्थिति समझ रही है और मुझसे अपनी चूत का भोग प्रस्तुत लगवाने को तत्पर है पर एकांत तो मिलना चाहिए।
जहां चाहा वहां रहा एक दिन जब मैं स्कूल के लिए तैयार हो रहा था उस समय पापा अपने मित्र से मिलने निकल गए पापा के जाते ही मैंने स्कूल का कार्यक्रम स्थगित कर दिया मां को बोला मां मेरे पेट में दर्द हुआ है मैं स्कूल नहीं जा रहा। मां ने अपनी स्नेहमई मुस्कान दी और बोली स्कूल ड्रेस उतारकर अंदर जाकर लेट जा।
मुझे मां का यह द्वारा मेरी जरूरत को तुरंत समझने की शक्ति और मेरी भूख शांत करने की तत्परता बहुत अच्छी लगी और मेरा लन्ड बहुत टनटनाने लगा थोड़ी देर बाद मां घर का मुख्य दरवाजा बंद करके कमरे में आ गई मां ने वही पतला ब्लाउज और पेटीकोट पहना हुआ था जिसके अंदर से मां का गुदाज भरा हुआ सांवला सा शरीर बाहर छलका जा रहा था। जैसे कि आपको मालूम है कि मां पैंटी और ब्रा पहनती ही नहीं थी। मां के हाथ में तेल की कटोरी थी, मां बोली राजा बेटा, आजा तेरी नाभि की मालिश कर दूं, पेटदर्द ठीक हो जाएगा।
मैंने अपना कच्छे का नाडा खोला और सीधा लेट गया मां ने हाथों में तेल लगाया और मेरे पेट पर मालीश शुरू की, 1-2 मिनट में ही मां के हाथ नीचे मेरे लिंग की तरफ जाने लगे तो मां बोली कच्छे में तेल लग जाएगा, इसे उतार दे!! मैंने मां की आज्ञा का पालन किया, चूत मिलने की उम्मीद में मेरा लन्ड टनटनाने लगा।
मां के चेहरे की मुस्कुराहट बढ़ गई और बोली मेरे बेटे को कुछ ज्यादा ही भूख लगी है मैंने आंखें झुका कर मां को अपनी भूख की स्वीकृति दी, मां ने अपने हाथों में तेल लगाया और मेरे लंबे डंडे की मालिश करने लगी मां के हाथों का स्पर्श होते ही मेरे लंड की बांछें खिल गई और वह मां को सलामी देने लगा मैं बोला तुम्हारे कपड़ों में भी तेल लग जाएगा, क्यों नहीं, तुम भी पेटीकोट ब्लाउज उतार देती, मां ने घड़ी की तरफ देखा और बोली, तेरे पिताजी को तो आने में एक घंटा लग जाएगा और मां ने ब्लाउज पेटीकोट उतार दिया बहुत दिनों बाद हम मां बेटा दिन के समय में बिल्कुल नंगे एक दूसरे के सामने थे
मां ने वापिस मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया मां करीब की तो मैंने भी मां की चूचियों पर हाथ फिराना शुरू कर दिया, मां के शरीर में भूख नहीं थी पर अपने बेटे को शांत करने का उत्साह जरूर था।
मेरे हाथों के मसलने से मां के निप्पल खड़े होने लगे, मैंने कहा,। मां मुझे दूध पीना है, मां मेरे लंड की मालिश करती रही और मैंने दोनों हाथों से मां की चूचियों को रगड़ना शुरू कर दिया, मां के शरीर में भी वासना उठने लगी थी, मां ने बारी-बारी दोनों चूचियां मेरे मुंह में डालनी शुरु कर दी और मालिश छोड़कर मेरे टट्टों को सहलाना शुरु कर दिया मैंने भी अपने हाथ मां की पीठ और नितंबों पर फेरने शुरू कर दिए धीरे-धीरे अपने हाथ में मां की जांघों के बीच में ले आया इस बीच में मां पूरी तरह से मेरे ऊपर आ चुकी थी मां ने कोहनियों के बल लेटकर मेरे तथा अपने शरीर के बीच में कुछ दूरी बनाई हुई थी ताकि मैं उसकी चूचियां अच्छे से चूस सकूं चूचियों को चाटते चाटते मैंने अपना मुंह ऊपर करके मां के होंठों से जोड़ दिया और अपनी जीभ मां के मुंह में डाल दी मां मेरी जीभ को अपने मुंह में चलाने लगी हमारे शरीर की दूरी मिट गई थी अतः मेरा लिंग मां की योनि पर दस्तक देने लगा था मैंने दोनों हाथ मां के नितंबों पर रखते हुए जांघों के अंदर की तरफ दबाव बना लिया मां की नरम जांघें और चूतड़ मेरे को बहुत उत्तेजित कर रहे थे मां ने इशारा समझ कर अपनी चूत को मेरे लंड के ऊपर एडजस्ट किया और एक हाथ से मेरा सुपाड़ा अपनी चूत के अंदर सरका दिया, मेरा लिंग फुफकारने लगा और अंदर जाने का रस्ता मिलते ही अंदर घुसने का प्रयास करने लगा मां की तेल भरी मालिश के कारण मेरा झंडा चिकना तो था ही और मेरे में भूख भी बहुत ज्यादा थी इसलिए मेरा लंड सरसराता हुआ मां की चूत में समा गया। मां ने अपने दोनों हाथ मेरे नितंबों के नीचे रखकर मुझे अपनी ओर खींचना शुरू किया मैंने भी अपने दोनों हाथों से मां के नितंबों को अपनी ओर खींचना शुरू किया जिससे उसकी चूत मेरे लन्ड को पूरी तरह ढककर मखमली रजाई का एहसास देने लगी, मां का भगप्रदेश पूरे जोर से मेरे ऊपर दबाव बनाने लगा अंदर जाकर मेरे लंड ने कुछ खलबली मचानी शुरू की कुछ मां ने ऊपर से उछल उछल कर उत्तेजना को बढ़ाना शुरू किया उसी स्थिति में लेटे-लेटे मां अपने घुटनों को मोड़कर मेरे नितंबों की तरफ ले आई और अपनी हथेलियों के बल से अपने ऊपर के शरीर को उठाने लगी इससे मां मेरे ऊपर अधलेटी की अवस्था में आ गई थी और मां का पूरा वजन मेरे लन्ड पर आ गया था यह एक अलग ही अनुभूति थी और मेरा लन्ड मां की बच्चेदानी तक ठोकर मार रहा था कुछ देर ऐसे रहने के बाद मां मेरी तरफ मुंह करके मेरे लन्ड के ऊपर बैठ गई और जोर-जोर से अपने शरीर को आगे पीछे करने लगे मैंने भी हाथ बढ़ाकर मां के मम्मों को जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया और नीचे से धक्के मारने लगा।
बहुत दिन से जमा लावा जल्दी ही पिघलने लगा और मेरे लंड ने मां की चूत में पिचकारी छोड़नी शुरू कर दी और मैं खाली हो गया।

पिचकारी छोड़ने के बाद मेरा लिंग मां की योनि से बाहर निकल आया और मां मेरे साथ ही नीचे लेट गई और अपने हाथों से मेरे पेट तथा छाती पर सहलाने लगी। मां की एक जांघ मेरी जांघ के ऊपर थी और मैंने एक हाथ से मां के मम्मों को छेड़ना शुरू किया और दूसरे से मां के चूतड़ की मालिश करने लगा।
मैंने कहा मां तेरा शरीर कुछ सुखा लग रहा है, मैं मालिश कर देता हूं मां बोली समय कम है, सिर्फ मेरी जांघ और पेट की मालिश कर दे, मैंने तेल की कटोरी उठाई और मां की जांघों पर मालिश करने लगा कुछ देर जांघों मालिश करने के दौरान मेरे लिंग में तनाव आना शुरू हो गया था अब मैंने मां की गहरी आकर्षक नाभि पर तेल लगाना शुरू किया और अपनी अंगुली मां की नाभि में डालकर मां के उत्तेजित करने लगा, मां मदहोशी की सीत्कार वाली आवाजें निकालने लगी, अपने दूसरे हाथ से मैंने मां की टांगों के बीच तेल लगाना शुरू किया और अपनी उंगली मां की योनि में प्रविष्ट करवा दी और धीरे-धीरे उसे योनि के अंदर रगड़ने लगा तो मां गीली होने लगी और जोर-जोर से मेरे छाती को मसलने लगी फिर एक हाथ से मां ने मेरा लिंग पकड़ा और खाल को आगे पीछे करने लगी, मां के हाथ में जादू था मेरा लिंग एकदम तन तना गया और तैयार हो गया अपनी चढ़ाई के लिए।
मैंने मां को बोला आपके पिछवाड़े में तेल नहीं लगा है, एक बार घूम जाओ तो थोड़ा पीठ और पिछवाड़ा भी मालिश कर देता हूं, मां बिना कुछ बोले घूम गई और मैंने कटोरी से तेल लेकर मां के नितंबों पर अच्छे से मालिश की ओर रगड़ने लगा मेरा मां की गांड को बार-बार सहला रहा था और मां कसमसाने लगी थी जब मुझे लगा कि मेरा लिंग तथा मां की योनि पूरी तरह से तैयार है तो मैंने मां को सीधा होने का इशारा किया मां पीठ के बल लेट गई और उसने अपनी टांगें मोड़ कर अपनी छाती पर रख ली जिससे मुझे मां की बालों से ढकी चूत का खुला दर्शन होने लगा, चूत के लबों के बीच में मां का भग्नासा बाहर की तरफ निकला हुआ था और रस छोड़ रहा था। मैंने जो कर उसकी एक चुम्मी ले ली, पिताजी कई दिनों से घर में ही थे और लगभग रोज ही मां की चूत मार रहे थे इसलिए मां पूरी तरह से संतुष्ट थी पर मेरे चुम्मी लेते ही मां ने झनझनाहट महसूस की और अपने पैरों को मेरी गर्दन के कस दिया जिससे मेरा मुंह मां की चूत के ऊपर कस गया और मैंने जीभ निकालकर मां की चूत को चाटने लगा मेरी खुरदुरी जीभ की रगड़ से मां की बालों से ढकी चूत के लबों तथा उससे बाहर निकला हुआ भग्नासा पर लगी तो मां को बहुत ही आनंद आने लगा और मां कसमसाने लगी पहली बार मां के मुंह से खुलकर सीत्कार निकल रही थी और मां ने अपने पैरों का दवाब मेरी गर्दन पर बढ़ा दिया था मुझे लग रहा था कि मां सख्लित ना हो जाए पर मेरी मां बहुत ही खेली और जिम्मेदार स्त्री थी उसको पता था कि मेरे ल़ड को शांत किए बिना सख्लित हो गई, झड़ गई, तो मेरे ऊपर दबाव बना रहेगा और दोबारा पता नहीं कब मौका मिलेगा हमें चोदम चुदाई के खेल में इसलिए मां ने मेरी जीभ का आनंद तब तक लिया जब तक वह अपने आप को काबू में रख सकी उसके बाद मां ने अपने पैरों की पकड़ ढीली की और मेरे कंधे पर हाथ रखकर मेरे को ऊपर आने का इशारा किया मैंने अपनी कमर सीधी की और अपना लंड अंदर ठेल दिया पूरी गहराई में मेरा लिंग पूरी तरह से फंस गया। मेरा लिंग एक ही झटके में गहराई तक मां की चूत में फंस गया और मैंने ताबड़तोड़ धक्के मारने शुरू कर दिए आज मुझ में बहुत ही जोश आ रहा था जिसे मां ने भी महसूस किया और बोली सहज से बेटा तेरी मां की अपनी चीज है, कोई जल्दी नहीं है, आराम से पेल संतुष्ट हो। कहकर मां ने मेरे पीठ और नितंबों को सहलाना शुरु कर दिया मैंने भी अपने एक हाथ से मां के निप्पल की घुंड़िया मरोड़नी शुरू कर दी और अपनी स्पीड को कम करके लंबे-लंबे धक्के मारने लगा एक बार मैंने बाहर खींचा तो लंड फ्ब्लॉक से बाहर आ गया मां ने तुरंत अपने हाथ से लंड को पकड़ा और योनि में लगा दिया मेरे दोनों हाथ मां के मम्मों पर थे मां के इशारे से लंड मां की योनि में चला गया और मैंने फिर से धक्के मारने शुरू कर दिए अब चूत ठोकते ठोकते फुद्दी मारते मारते मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी और मैंने अपने शरीर का रक्त अपने लंड की तरफ दोड़ता महसूस किया उधर मां भी तेजी से सांसे लेने लगी थी कुछ देर में मां भी गहरी सांसे लेने लगी थी और मेरे में समाने की कोशिश कर रही थी, अब मेरी उत्तेजना काबू से बाहर निकल गई थी और मैंने जैसे लंबी लंबी पिचकारिया अपनी जन्मस्थली में भरनी शुरू कर दी कुछ ही देर में दोनों का ज्वार शांत हो गया मां की निगाह घड़ी पर पड़ी और बोली तेरे पापा वापस आने वाले हैं। हम दोनों ने झटपट से अलग होकर अपने अपने कपड़े पहने मैंने वापिस स्कूल की ड्रेस पहन ली थी इसलिए मैं मां से बोला कि मैं स्कूल के लिए निकल जाता हूं आधी छुट्टी के बाद की कक्षा मैं पहुंच जाऊंगा मां ने सिर हिलाकर हां बोला और मैं मां की पप्पी ले कर बस्ता उठा कर घर से बाहर निकल गया और मां ने अपने को समेटकर घर का बचा हुआ काम करना शुरू कर दिया


अगले अपडेट में मां की एक बड़ी चुदाई का विवरण विस्तार में लिखूंगा जिसमे पहली बार मां ने मेरा लिंग अपने मुंह में डालकर चूसा था तथा मैंने जीभ से मां की चूत को सख्लित कर दिया था
जीभ से सख्लित होने का तथा लंड चूसकर वीर्य पीने का मां का पहला अनुभव था और इसमें मां को बहुत आनंद आया था
Fantastic update dost
 
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Nevil singh

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मुझे अपनी मां पर मां के शरीर पर पूरा हक इसलिए भी मिल गया था कि मेरा भाई हॉस्टल में रहता था और बचपन में ही उसने पड़ोस की एक लड़की को पटा कर अपनी सेक्स लाइफ शुरु कर दी थी जबकि मैं उससे बड़ा होने के बावजूद मां की नजर में बहुत इंटेलिजेंट और सीधा बच्चा था.
उसके होस्टल जाने से पहले जब हम दोनों भाई मां के साथ इकट्ठे सोते थे तब मां के नितंबों पर लुल्ली रगड़ने पेट और नाभि पर हाथ मसलने करने का आनंद, भाई ने भी बराबर लिया था।
थोड़ा बड़ा होने पर जब उसकी अपने लिए एक चूत का इंतजाम हो गया था तो मां ने भी उसको सेक्सुअल फेवर देना बंद कर दिया था और ना ही वह मां से कुछ चाहता था, हां, उसने मेरे से जरूर एक दो बार कहा था कि मां की इच्छा का ध्यान रखना और मौका मिलते ही मां की पेल देना।
जब कभी वह छुट्टियों में आता या फिर मेरे साथ अच्छे से गपशप मारता तो मेरे और मां के संबंधों के बारे में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करता मैंने उसे यह अभी तक नहीं बताया था कि मैंने मां को चोद दिया है मां ने अपनी चूत मेरे को दे दी है मैंने अपना ल** मां की चूत में डाल कर अच्छे से चोदने का आनंद लिया है और ना ही पूरे नंगे होकर मां के साथ सोने की बात उसे बताई थी सिर्फ इतना कहा था कि कभी कबार जब मैं मां के साथ लेटता हूं तो मैं मां के नितंबों पर अपना ल** रगड़ता हूं एक दो बार मा जब गहरी नींद में थी तो मैंने अपना ल** कच्छे से निकाल कर भी मां के चूतड़ों पर रगड़ा है।
भाई : मां ने कभी मना नहीं किया
मैं :, मां को शायद पता नहीं है, क्योंकि वह ज्यादातर समय सो रही होती है
भाई : अबे चुतिया! यह तो हमारी बहुत समझदार मां है! वैसे भी, किसी औरत को अगर तुम अपना कोई भी अंग छू दो तो औरत के शरीर में करंट दौड़ जाता है और वह एकदम चैतन हो जाती है, ऐसा हो ही नहीं सकता की मां को पता ना चले कि तू मां की गांड में ल** लग रहा है भाई मुझे लगता है कि मां भी तेरे लंड का मजा लेती है शायद उसे पिताजी का लंड पूरा नहीं पड़ता इसलिए तेरे से मजे लेती है।
मैं बोला, अगर मां को पापा का ल** पूरा नहीं पड़ रहा होता तो जब मैं उसकी गांड पर अपना लिंग रगड़ता हूं तो वह पलट कर अपनी चूत में मेरे लोड़े को डलवा लेती।
भाई: औरत को हमेशा लन्ड को चूत में डलवाने की जरूरत नहीं पड़ती, अच्छा यह बता, जब तू अपने लंड को मां की गांड पर रगड़ता है तो क्या बहुत देर तक दबा कर रखता है और मां के पेट पर बाहें डालकर आलिंगन भी करता है।
मैंने बोला हां, मैं मां को कसकर जकड़ लेता हूं और अपना हाथ मां की नाभि पर रखता हूं और कभी कभी अपनी टांग मां की टांगों पर भी टिका देता हूं
भाई बोला मां का पेटीकोट इतना पतला होता है और अभी तो तू पतले वाले कच्छे पहनता है तो मां को पक्का तेरे लौड़े का एहसास होता होगा और शायद उस रगड़ा रगड़ी में मां भी झड़ जाती होगी या वैसे ही तेरी मजबूत पकड़ और रगड़ से और अपनी जांघों से चूत पर दवाब डालकर मां झढ़ कर शांत हो जाती होगी, पिताजी तो हफ्ते में एक बार ही आते हैं, कभी कभी भी नहीं भी आते, मुझे लगता है मां को तेरे से मरवाने में कोई एतराज नहीं है अगर तू मां की चूत पर लौड़ा रगड़ेगा तो मां स्वागत ही करेगी, अभी मां सिर्फ शर्म का पर्दा रख रही है इसलिए कुछ अपने मुंह से बोलती नहीं है पर अंदर से अपने बेटों का लंड चूत में पिलवाना चाहती है, बच्चों से चूत मरवाना सुरक्षित है इसमें बाहर बदनामी का डर नहीं लगता, तू ट्राई कर!
भाई आगे बोला : मुझे पक्का यकीन है बाकी, अगर तू डरता है तो खतरा मत उठा धीरे-धीरे कदम उठा अगली बार जब मां के साथ लेटेगा तो किसी तरह से मां का पेटीकोट उसके नितंबों से ऊपर कर दियो और अपने कच्छे के अंदर से ही अपने लन्ड को मां की गांड पर रगढ़ एक दो बार ऐसा करके मां की रिएक्शन देखना, शांत रहे और पिलाई का आनंद चुपचाप से लेती रहे तुझे मना ना करे और ना ही अपनी गांड दूर करे तो उससे अगले कदम में तू कच्छे से लंड अपना बाहर निकालकर मां की नंगी गांड पर अपना नंगा लंड रगड़ देना और अगर मां थोड़ा गनगनाए या आपत्ति दिखाए तो तू सोने की एक्टिंग करना और ऐसा जाहिर करना कि नींद में ही तेरे कच्छे से तेरा लंड बाहर निकल आया है। मां को भी पता है की वी शेप अंडरवियर तने हुए लंड को अपने अंदर नहीं संभाल सकता। यह कहते कहते भाई एकदम मेरे चूतड़ों पर अपना हाथ ठोका और बोला, साले मेरे से झूठ तो नहीं बोल रहा है? जब तुम मां की गांड पर अपना लिंग रगड़ता है तो फूला हुआ लौड़ा कच्छे के अंदर कैसे रहता होगा तो जरूर तू अपना नंगा लंड मां की गांड रगड़ता है और मुझसे छुपा रहा है!!
मैं बोला, नहीं भाई, तेरे से क्या छुपाना मां की नंगी गांड नहीं, अभी तक तो सिर्फ़ तेरी गांड पर ही मैंने अपना ल** रगड़ा है और तूने भी तो मेरी गांड पर ही अपने ल** की प्रैक्टिस की हुई है, तो तेरे से क्या छुपाना।
भाई बोला, अबे सच-सच बता दे, मैं कोई तेरे से मां की चूत का हिस्सा नहीं मांग रहा,तेरे को गाइड करना मेरा फर्ज बनता है ताकि तू और मां दोनों मज़े ले सकें
मैं बोला, नहीं भाई, जब मेरा लन्ड खड़ा होने लगता है तो मैं उसे ऊपर की तरफ करके सैट कर लेता हूं पर जब पानी छुटने लगता है तो कभी कभी लंड बाहर निकल आता है
भाई: फिर तो मां के पेटीकोट पर तेरा वीर्य लग जाता होगा
मैं : हां, पर मैं उसे तुरंत पौंछ देता हूं, और मां का पेटीकोट तो कभी उठाने का सोचा भी नहीं
भाई बोला: साले गांड़ू, अब बता रहा है, इसका मतलब मां सब जानती है और तूझे वह देती है, चल कोई बात नहीं, अब मां का पेटीकोट उठा कर अपने लंड को नंगा करके मां की गांड पर नीचे की तरफ रगड़ना, मुझे लग रहा है कि तू धीरे-धीरे बढ़ेगा तो अपनी जन्मभूमि में अपने मजबूत डंडे को गाढ़ ही देगा।
यह कहते-कहते भाई ने मेरे लंड को टटोला। मां के शरीर का ध्यान रखते रखते मेरा लौड़ा तनकर बड़ा हो चुका था, बात करते-करते भाई ने मेरे लंड को कसकर मुठियाने लगा और बोला बाप रे, तेरा तो मेरे से ज्यादा बड़ा हो गया है, कच्छे में से साफ़ साफ़ दिखाई देता है, मां सारा दिन इसको अपने अंदर लेने के सपने देखती होगी, इसलिए तेरे सामने खासतौर पर आधी नहीं बल्कि पौनी नंगी घूमती रहती है और तू हरामी मां को तरसा रहा है, साले अगली बार मेरे आने तक अगर तुने मां को नंगा करके ना चोदा तो मैं अपना लौड़ा बिना तेल के ही तेरी गांड में बेदर्दी से ठोक दूंगा।
मैने भी उसके लौड़े को पकड़ कर उसके कच्छे से बाहर निकाला और चुभलाने लगा उसका लगभग बराबर ही था पर मुझे उत्साहित करने के लिए भाई तारीफ कर रहा था, और मैंने भाई को वायदा किया कि मैं अगले हफ्ते तक मां की चूत में अपना झंडा फहरा दूंगा
उस दिन जब हम रात को सोने लगे तो भाई शरारती अंदाज में मां से बोला बहुत दिन से हम दोनों इकट्ठे तेरे साथ नहीं सोए हैं आज हम तीनों इकट्ठे सोयंगे
मां बोली पूछने की क्या बात है हम जमीन पर बिस्तर बिछा लेते हैं और मां अपने दोनों बेटों के साथ आराम-आराम से प्यार करते-करते सो जाएगी। मां के इस उत्तर से हम दोनों भाई बहुत खुश हुए और झटपट फर्श साफ करके उस पर चटाई और गद्दा बिछा दिए। मैं समझ गया भाई मुझे तथा मां को खोलना चाहता है पर मां तो पूरी खेली खाई थी और मैं भी सैक्स के खेल का मनोविज्ञान समझता था इसलिए अंदरुनी बात की भाई को कोई भनक भी नहीं लगने दी
खाना खाने के बाद मां को बुलाकर थोड़ी देर उधर ही बातें की फिर लूडो खेलने लगे। लूडो के खेल में हम आमने सामने बैठे हुए थे मां जब गोटी चलने के लिए झुकती तो उसके ब्लाउज में से उसकी चूचियां पूरी तरह से दिखाई दे जातीं गर्मी के दिन से पसीना भी आ रहा था मैंने तो हमेशा की तरह सिर्फ कच्छा पहना हुआ था भाई क्योंकि हॉस्टल में रहता था इसलिए उसे पजामे और बनियान की आदत हो गई थी मां ने उसे बोला तुझे गर्मी नहीं लग रही क्या? आराम से कपड़े उतार कर बैठ!
भाई ने झटपट अपना पजामा तथा बनियान उतार दिया तो हम तीनों ही अधनंगी अवस्था में लूडो खेलते रहे
कुछ देर बाद मां उसके मसल्स देखकर बोली तू होस्टल में कुछ एक्सरसाइज द्वारा भी करता है या नहीं भाई बोला मैं तो रोजाना कसरत करता हूं इससे पूछ यह कभी बाहर जा कर घूमता भी है या घर में किताबें लेकर ही बैठा रहता है
मां : इसको तो पढ़ाई से फुर्सत नहीं है कसरत कब करेगा
मैं : नहीं चैलेंज है पंजा लड़ाने में मैं भाई को हरा दूंगा
मां: तुझे तो मैं ही हरा दूंगी, बल्कि तुम दोनों को तो मैं ही हरा सकती हूं कहते-कहते हमारी शर्त लग गई और हमने पंजा लड़ाने का विचार बनाया सबसे पहले मां ने है भाई को पंजा लड़ाने का आमंत्रण दिया हम आगे झुक पालथी मारकर बैठे। मां का शरीर लगभग पूरा नंगा दिखाई दे रहा था।
मां और भाई आगे सरकने लगे, पता नहीं कैसे इस बीच में मां के ब्लाउज के दो हुक खुल गए थे, शायद मां ने ही अपना सुंदर बदन प्रदर्शित करने और हमें नयनसुख पहुंचाने के लिए ऐसा किया हो।
अब मां ऊपर से लगभग नंगी हो रही थी मां के उरोज बिल्कुल स्पष्ट दिख रहे थे उसके मां की खुली दुध की थैलियों को देखकर मेरा और भाई का लंड टनटनाने लगा और हमारे कच्छे में से साफ दिखने लगा।
मां ने हमारे ऊपर निगाह डाली और एक शातिर मुस्कान उसके चेहरे पर आ गई अब मां ने भाई का पंजा पकड़कर जायजा लिया और मुकाबला शुरू किया, मां की निगाहें भाई के डंडे पर और भाई की निगाहें मां की छातियों पर। कभी भाई का हाथ मां के छातियों को लगता और कभी मां का हाथ भाई के छाती पर, एक बार भाई ने अपना हाथ ढीला छोड़ा तो मां ने पंजा दबाकर भाई की गोदी में अपने हाथ को खड़े लंड को छुआ तुरंत भाई ने वापस मुकाबला किया और मां की छाती की तरफ मां का और अपना हाथ ले गया। मां ने भाई को अच्छे से मुकाबला दिया पर अंत में जीत भाई की हुई जीतने पर भाई बोला मेरा इनाम मां ने बोला "मां अपने बेटे को गले से लगाती है वही उसका ईनाम होता है"
मां: तुझे क्या चाहिए, बेटा बोल
भाई बोला मां तू मुझे गले लगा लेगी वही मेरे लिए सबसे बड़ा इनाम होगा
मां : वह तो मैं हमेशा ही तुझे अपने गले लगाती हूं
भाई : नहीं मां, मुकाबला जीतने पर स्पेशल गले लगाना चाहिए
मां खड़ी हुई और बोली आजा, मेरे बेटे, आजा, मेरे राजा, तूने मां को हरा दिया, तेरे को शाबाशी शाबाशी भरा आशीर्वाद तो बनता है।
भाई ने मां के पास जाकर मां को अपने बांहों में बांध लिया और मां ने भी भाई को अपनी बाहों में ले लिया
मां की चूचियां भाई के सीने में दब रही थी और भाई का लन्ड मां के पेट के ऊपर रगड़ रहा था।
मां के हाथ भाई की पीठ पर थे और भाई के हाथ मां के नितंबों पर, बहुत देर ऐसे आलिंगन चला तो मां ने भाई के मुंह पर पप्पी दे कर बोली "बेटा सांस तो लेने दे" भाई बोला मन नहीं भरता कितने कितने दिन बाद तो हम मिलते हैं, कितने दिनों बाद आज तेरा आशीर्वाद मिला है
मां बोली "अब तो छुट्टियों में एक महीना पूरा घर पर है जी भर के आशीर्वाद ले ले" यह सुनकर भाई ने मेरे को आंख मारी।
अब भाई का मेरे से पंजा लड़ाने का नंबर आया तो भाई ने कुछ ही देर में मुझे पस्त कर दिया। मेरे से जीतकर भाई मां से बोला "मां मेरा इनाम" मां बोली "जिस को तू ने हराया है, उसी से ले,
भाई ने कहा यह क्या बात बनी हम दोनों तेरे बेटे हैं, दोनों की हार जीत तेरी ही तो है मां ने फिर से भाई को कसकर गले से लगा लिया और फिर दोनों बहुत देर तक आलिंगन में बंधे खड़े रहे अब मेरा मां से पंजा लड़ाने का नंबर था मैंने मां से पढ़ाना शुरू किया मां के हाथ मेरे हाथों में बहुत सुखद लग रहे थे काफी जोर आजमाइश के बाद मैंने मां को हरा दिया मां बोली अब तू भी इनाम का हकदार हो गया है पर मैं थक गई हूं तू ऐसे लेट कर ही अपना इनाम ले ले। कहकर मां गद्दे पर लेट गई, मैं भी मां के सामने करवट के बल लेट गया और मां की कमर के नीचे से हाथ निकालकर मां को अपने सीने पर दबाने लगा स्वाभाविक रूप से मेरा तना हुआ लौड़ा अभी मां की चूत के ऊपर दस्तक देने लगा मां ने मेरे लंड को महसूस किया और मुझे कसकर अपने सीने से लगा लिया और अपनी जांघों को मेरे गिर्द बांध दिया जिससे मेरी लुल्ली पुरी तरह से मां की पेटीकोट में ढकी योनि पर दवाब डालने लगी जिससे मेरा शरीर झुरझुरी लेने लगा, यह देखकर भाई मां से बोला मां तू बड़े को ज्यादा बड़ा इनाम दे रही है और मुझे 2 मुकाबले जीतने के बाद भी कम देर तक इनाम दिया है, मां बोली चल आ जा मेरे नन्हें बेटे, तेरे को क्यूं कम प्यार मिले? तू भी थकी हुई मां की शरण में आ जा। भाई झटपट से मां के पीछे लेट गया और हम दोनों भाइयों ने अपने बीच में करवट के बल लेटी हुई मां को बांध लिया।
आप कल्पना कीजिए, दो बेटों ने सिर्फ कच्छे पहने हुए हैं और उन दोनों के बीच मां अधखुले ब्लाउज में दबी हुई है तीनों वासना से सुलग रहे हैं और एक बेटा आगे से चूत पर प्रहार कर रहा है दूसरा पीछे से पकड़ कर गांड पर लंड रगड़ रहा है।
हम दोनों भाई बारी बारी से मां के आगे और पीछे अपने-अपने लंड का प्रहार करने लगे हम दोनों के साथ मां को अपनी अपनी और खींच रहे थे मैं पीछे था मेरा लंड मां के गांड में चुभ रहा था और मेरे हाथ मां के मम्मों को मसल रहे थे भाई आगे से मां को की चूत पर लंड रगड़ रहा था और उसके हाथ मां की जांघों को मसल रहे थे इसी प्रकार से हम दोनों भाई मां को सैंडविच बना कर अपने तनाव को बढ़ा रहे थे मां भी मजे ले रही थी ऐसे करते करते ही पता नहीं कब मां के ब्लाउज के सारे हुक खुल गए और मां आगे से बिल्कुल नंगी हो गई इधर भाई ने भी घुटने से मां का पेटीकोट धीरे-धीरे ऊपर करके उसकी कमर के गिर्द लपेट दिया था मैंने भी थोड़ा पीछे हट कर मां के नितंबों से पेटीकोट ऊपर किया अब हम दोनों के कच्छौं में ढके लंड मां की नंगी गांड और नंगी चूत पर रगड़ खा रहे थे और बीच-बीच में हमारे लंड सुपाड़े आपस में भी एक दूसरे से टकरा जाते थे भाई ने हाथ जांघों से उठाकर मेरी पीठ पर और मैंने भी अपने हाथ बढ़ाकर भाई को आलिंगन में कर लिया इससे मां हम दोनों भाइयों के बीच में सैंडविच बन गई।
हम दोनों के मां की चूत और गान्ड को पूरी तरह से टटोल रहे थे मां बिल्कुल गरम हो गई थी मां के दोनों तरफ से पूरा दबाव पड़ रहा था और मां की सांसें भारी होने लगी थी हम दोनों भाइयों की उत्तेजना भी अत्यंत बढ़ रही थी पर हम दोनों इकट्ठे ही मां को संभोग नहीं करना चाहते थे स्थिति ऐसी बन गई थी कि मां शर्म लिहाज छोड़कर कामुक आवाज़ें निकाल कर आज हम दोनों भाइयों से इकठ्ठा चुद जाती पर फिर भी हम तीनों ने संयम रखा।
हम अपना-अपना पानी बहने रोक कर मां की रगड़ाई कर रहे थे फिर जब भाई का छूटने वाला था तो भाई उठने लगा पर मां मदमस्त आवाज में बोली, कहां जा रहा है, लेटा रह, अच्छा लग रहा है, यह सुनकर भाई ने एकदम से मां को जकड़ लिया और अपने कच्छे में ही वीर्य पात करने लगा जब उसकी सांस ठीक हुई तब तक मेरी सांस भारी हो गई थी अब मैंने मां को जकड़ लिया और अपनी पूरी ताकत से अपना लंड को मां के नितंबों में पेल दिया कुछ ही सेकंड मैं मेरा पानी छूट गया पर हम दोनों भाइयों ने ध्यान दिया की मां अभी भी हमारे बीच में मचल रही है तो हमने अपना दवाब मां के ऊपर बनाए रखा कुछ ही देर में मां भी गहरी सांस लेकर शांत हो गई फिर हमने अपना आलिंगन खत्म किया हमारे गीले कच्छों से मां की नंगी जांघों पर हमारा वीर्य लग रहा था पर मां सब जानते हुए भी चुप रही और मां पीठ के बल लेट गई हम तीनों को पता था कि हमने क्या किया है पर शर्म के पर्दे को बरकरार रखते हुए अपने मुंह से कुछ नहीं बोला
कुछ देर बाद मां बिल्कुल सामान्य ढंग से बोली, बहुत देर हो गई है दोनों बच्चे दूध पीकर सो जाओ, मैं बोला मां दूध ताजा पीना अच्छा लगता है, मां बोली बक-बक मत कर, तेरी शादी हो जाएगी तो तू जो मर्जी करना, ताजा दूध पीना या शहद चाटना, अभी भैंस का दूध पतीले में रखा है मैं गर्म करके लाती हूं, पी लो।
मैं बोला: मैं गर्म करता हूं और उठकर रसोई में गया तथा तीन गिलास दूध ले आया वापस आने पर देखा कि मां बिस्तर पर भाई के साथ आलिंगन करके लेटी हुई है मैंने गिलास वहीं रखे और मां के पीछे जाकर आलिंगन करके लेट गया अब हम दोनों भाइयों ने मां हम दोनों भाइयों के बीच में दुबारा सैंडविच बनकर लेटी हुई थी और हम दोनों भाई मां के अंदर घुसने का प्रयास कर रहे थे मां को शायद हमारी भावनाओं का एहसास हो गया था मेरे से तो मां को कोई आपत्ति नहीं थी पर भाई से मां कभी चुदी नहीं थी इसलिए मां थोड़ा सा असहज महसूस करने लगी थी पर भाई का लिंग पूरी तरह से मां की चूत के ऊपर दस्तक दे रहा था बीच में कसमसाते हुए एक समय ऐसा भी आया जब हम दोनों भाइयों के लिंग आपस में टकराए।
दूध ठंडा हो रहा है, पहले दूध पी लो हम तीनों ने दूध पिया अब मां मेरी तरफ मुंह करके लेट गई और भाई को मां के पिछवाड़े पर ही संतोष करना पड़ा हम तीनों ने वापस से आलिंगन किया हम दोनों के लंड मां की चूत तथा गांड पर लगे हुए थे मां की छातियां मेरी छाती में दब रही थी और भाई अपने हाथ से मां की जांघों के ऊपर हाथ फेर रहा था मेरे हाथ भाई की पीठ को छूने लगे थे अब स्थिति की कल्पना कीजिए हम दोनों भाई सिर्फ कच्छे में मां अपने खुले ब्लाउज तथा बिल्कुल पतले से पेटीकोट को पहने हुए हम दोनों के बीच में लेटी हुई थी हम तीनों में वासना का ज्वार चल गया था पर मां तो मां होती है दोनों बच्चों के सामने एक दम से कैसे अपना भोंसड़ा खोल देती इसलिए उसने तरकीब से काम लेते हुए सांस लेने की बात कहकर पीठ के बल लेट गई गई अब हम दोनों भाइयों ने अपनी-अपनी एक-एक जांघ मां की जांघ के ऊपर रखी तथा दोनों भाई एक एक हाथ से मम्मी के एक-एक मम्मे को सहलाने लगे दोनों का दूसरा हाथ मां के पेट पर सैर कर रहा था जिससे मां की वासना का ज्वार और बढ़ता जा रहा था मां की सांसें भारी होने लगी थी हम दोनों के लिंग में भी बहुत ज्यादा तनाव आ गया था मुझे लगा कि मेरा वीर्य छूटने वाला है तो मां ने कसकर हम दोनों को जकड़ लिया और इतनी जोर से कस कर पकड़ा की मां का कंपन मुझे स्पष्ट सुनाई दे रहा था मैंने कच्चे के साइड में से अपना लिंग बाहर निकाला मां का पेटीकोट के उपर से अपना लिंग दबा दिया और मां को कसकर अपने से लिपटा लिया मां और भाई करीब-करीब इकठ्ठे छुट्टे। भाई और मां दोनों समझ गए कि पानी छोड़ दिया है फिर भाई मेरी तरफ देख कर मुस्कुराया और हम दोनों भाई ऐसे ही मां के पेट पर हाथ रखकर सो गए सुबह जब हमारी नींद खुली तो मां को रसोई में काम करते पाया।
अगले दिन भाई मेरे को बोला मैंने कहा था ना कि मां को ठरक चढ़ी हुई है, कल देखा नहीं था मां कैसे हम दोनों के लंड की सवारी करना चाह रही थी पर किसी शर्म से रुक गई मुझे पक्का यकीन है कि तू मौका मिलते ही मां की चूत में अपना झंडा गाड़ सकेगा जब तक मैं हूं तब तक हम दोनों मिलकर मां को गर्म करते रहेंगे मैंने मन में सोचा कि कहीं भाई को हमारी असलियत पता ना चल जाए पर भाई मुझे बहुत भोला समझता था इसलिए वह मेरी बातों पर यकीन करके मुझे मां की चूत दिलवाने का जतन कर रहा था मैं भी भाई के साथ इस खेल को भोला लौड़ा बनकर खेल रहा था।



भाई के होस्टल तक हम दोनों भाई मां को ऊपर से ही चोदते रहे मां को जब मौका मिलता मेरे लंड को शांत कर देती इस बीच में पापा भी दो बार आए और मां ने पापा के लंड की भी अच्छे से सेवा की।
एक रात पापा जब घर में थे तो रात को हम दोनों भाई मां के कमरे के दरवाजे पर कान लगा कर बैठ जाते और एक दूसरे को लंड को पकड़ कर मां बाप की चुदाई की बातें आवाजें सुनकर गर्म होते तथा मुट्ठ मार कर या एक दूसरे की गांड पर अपने लंड रगड़ कर पानी निकालते और सो जाते हैं अगले दिन मां जब हम दोनों के कच्छौं पर वीर्य लगा देती तो मुस्कुरा कर देखती और कभी हल्की चपत लगा कर काम में जुट जाती। एक दिन वह मेरे को बोली भाई के साथ क्या खेल खेलता रहता है, तूने उसे हमारे बारे में तो कुछ नहीं बताया
मैं बोला नहीं मां मैं उसे क्यों कुछ बताऊंगा तभी तो वह भी आपके साथ मेरी तरह प्यार करना चाहता है
मां बोली उसे मेरे प्यार की इतनी जरूरत नहीं है उसने बचपन से ही रेखा की लेनी शुरू कर दी थी खैर तू थोड़ा ध्यान से रहा कर कहीं तेरे भाई को शक हो गया तू वह भी मेरी लेने की कोशिश करेगा।
और यह क्या? मैंने महसूस किया है जब तेरे पिताजी घर पर होते हैं तो तुम दोनों भाई दरवाजे पर कान लगाकर हमारे जासूसी करते हो, यह तो ठीक नहीं है बेटा
मैं बोला मान तुम्हारी बातें सुननी अच्छी लगती है पापा के साथ तुम खुलकर आवाजें निकालती हो
मां: बेटा तू नहीं समझेगा, मेरा धर्म है अपने पति की तन-मन से सेवा करना और तू मेरा बेटा है, मैं तेरे साथ जो करती हूं वह तेरी भलाई के लिए नहीं तो तू भी किसी पड़ोसन के चक्कर में पड़कर अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं देगा
मैं :फिर भी कभी-कभी मेरा मन करता है कि मैं तुम्हें बिल्कुल खुलकर अच्छे से चूम लूं
मां: क्या बेटा? जब भी तेरा मन करता है, तू मेरे ऊपर चढ़ जाता है इससे ज्यादा क्या लेगा मैं तुम पापा के साथ जिस प्रकार से बातें करती हो करती हो उसका मुझे अलग आनंद महसूस होता है
मां: बेटा, एक बार हमारा रिश्ता खुल गया तो हमारा मां बेटे का नैसर्गिक प्यार खत्म हो जाएगा अभी तो हम मां बेटे वाला तथा प्रेमी प्रेमिका वाला, पति पत्नी वाला दोनों ही प्यार कर पा रहे हैं यह कहकर मां मेरे से लिपट गई और मुझे चूमने लगी शायद मेरे साथ बात करते-करते से मां को ठरक चढ़ गई थी, मां ने चुपके-चुपके ही मेरे लिंग को हाथ में पकड़ा और चुभलाना शुरु कर दिया मैंने भी अपने घुटने से मां का पेटीकोट ऊपर किया और खड़े-खड़े जी अपने घुटने पर जांघों से मां की योनि पर रगड़ने लगा
मां बोली, सब्र कर बेटा एक-दो दिन में तुझे खुल कर दे दूंगी अभी मेरा मन नहीं बन रहा कहकर मां ने और हाथ से मचोड़कर मेरा पानी निकाल दिया मैंने कहा मां मुझे तो तूने शांत कर दिया मेरा भी फर्ज है तुम्हारा पानी निकाल दूं मां कुछ नहीं बोली तो मैंने नीचे बैठकर अपनी उंगलियों से मां की योनि में सेवा शुरू कर दी मां ने खड़े-खड़े मेरे सिर पर हाथ फेरना शुरू कर लिया और मुझे कसकर अपनी टांगों के बीच में लेने लगी मैंने फिर एक बार मां का पेटीकोट उठाकर मां की योनि को सहलाता और अपनी जीभ से मां की योनि चाटने लगा कुछ ही देर में मां का पानी निकल गया और मां भी संतुष्ट लगने लगी
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भाई को अगले दिन होटल जाना था और पापा एक दिन पहले ही परदेस में अपनी नौकरी के लिए चले गए थे उसी दिन शाम को मैं और भाई आपस में मजाक करते हुए फिल्मी कलियां पत्रिका देख रहे थे उसमें हेमा मालिनी के बड़े-बड़े चूचे देखकर भाई ने इशारा किया देख तेरी मां की चूचे कित्ते बड़े हैं देखते ही मुठ मारने को मन करता है मैं : मेरी मां के चूचे अच्छे हैं पर तेरी मां के चूतड़ बहुत अच्छे हैं कितने गोल-गोल बाहर निकलने को बेकरार, हुए जब पोछा लगाने के लिए झुकती है तो जैसे दो तरबूज बाहर आ गए हैं मेरा मन तो तेरी मां की चूत में में अपना डंडा घुमाकर वीर्य निकालने का करता है।
भाई : तेरी मां झुकती है तो सामने से उसके मम्मे देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता है और मन करता है कि उसके दोनों मम्मे आपस में दबाकर उनके बीच में लंड डालकर पानी निकाल दूं
मैं: तेरी मां की गांड बहुत टाइट है पेटीकोट से चूतड़ों के गाल और चूत की झांटे साफ़ दिखाई देती है झुकती है तो लंड फड़फड़ाने लगता है मन करता है कि उसी में लिंग घुसा दो
भाई: तेरी मां को आलिंगन में लेकर उसकी पप्पीयां लेते लेते चोदने का मन करता है, ब्लाउज में दिखते हुए खुले खुले मम्मी और जब कभी ब्लाउज के 1-2 हुक खुलने से बीच की घाटी के साफ़ दिखती है उनमें अपना सांप रगड़ने तथा कठोर मम्मे को पेलने का मन करता है और चाहता है कि उसको लिटा कर एकदम से लंड तेरतेल में मैं और मेरा मन करता है कि तेरी मां का पेटीकोट पीछे से उठाकर उसकी च** पर हाथ से रूम उसके नितंबों की मालिश करूं और पीछे से ही घोड़ी बनाकर उसमें ल** ठोक दूं और जब उसकी कसमसाने की आवाज आएगी तो कितना मजा आएगा। भाई : जब मेरा बाप तेरी मां को चोदता है तो कितनी आवाज निकालती है कैसे वासना भरी सीत्कार और लंड खड़ा करने वाली आवाज निकालती है।
मैं : और जब मेरा बाप, तेरी मां को चोदता है तो मां कितनी जोर से कहती है पेले मेरे राजा, आजा मेरे राजा, जोर से चोद ऐसे बोलती है,
भाई: तेरी मां तो मेरे बाप से लिंग पर अपनी चूत रगड़ते हुए बोलती है कि मेरी चूत या गांड कुछ भी मार लो, और मैंने देखा है वह घोड़ी बनकर मेरे बाप से चुदती* है यह कहते-कहते मैं और मेरा भाई दोनों एक दूसरे के लंड को मुठियाने लगे।
हमें अपनी मां की कल्पना करके और अपने बाप से चुदाई करते देख कर उसकी चुचियों चूत को ख्याल में मारने में बहुत मजा आ रहा था और जो हम अपनी मां को एक दूसरे की मां बता रहे थे वासना को जागृत करने का एक अनूठा तरीका लग रहा था
गर्म होते होते भाई बोला, मां के लोड़े अपनी मां की कल्पना करने के बाद भी तेरा लंड पूरा खड़ा क्यों नहीं हो रहा, देख मेरा लौड़ा जैसे टनटनाने लग गया है
मैं बोला, तेरी मां की चूत साले तूने मेरे लंड को इतनी जोर से दबा रखा है कि खून का संचालन रुक गया है तो लंड खड़ा कैसे होगा इसको प्यार के पकड़ । तेरी मां की फुद्दी में लंड डालूं मादरचोद, फिर देख कैसे मां की चूत याद करके लोड़ा भी फनफनाने लगा है।
मैं : मुझे मादरचोद क्यों बोला है रहा है तू तो मेरे से बड़ा एक्सपर्ट मादरचोद है
भाई : तू लगातार मां के साथ रहता है तुझे मां चोदने का ज्यादा मौका मिलता है फिर भी तूने मां को नहीं चोदा तो मां का दिल ही तोड़ दिया और देख मैंने एक ही दिन में तेरे सामने दो बाहर मां के शरीर पर ना केवल अपना वीर्य निकाला पर तेरा वीर्य भी निकलवा दिया
मैं : सच भाई, मैं बहुत हैरान हुआ तेरा होंसला दाद देने वाला था कैसे तुने मां का हौंसला खोल दिया था, मुझे मां के इतना खुलने की उम्मीद नहीं थी।
भाई: मां को तो बहुत फर्क चढ़ी हुई थी, हम दोनों से अपने मम्मे दबा रही थी और गांड़ मम्मों और जांघों को रगड़ना रही थी और हमारे गीले कच्छों में से छलकते वीर्य को अपनी गांड तथा चूत के पास महसूस करके कितनी खुश हो गई थी, मुझे लगता है उस बीच में कम से कम 2 बार झड़ गई होगी
मैं: सही बोला भाई, मां संतुष्ट लग रही थी और उस दिन के बाद से मुझे लगता है कि अकेले में मां अपनी चूत में मेरा लन्ड जरूर डलवा लेगी और जब तू अकेला होगा तो तेरे को भी अपनी चूत का थाल परोस देगी।
भाई: यह हम दोनों का सौभाग्य है कि हमें हमारी मां अपनी चूत के थाल का भोग परोस रही है हमें अपने आनंद देने का पूरा प्रयास करती है, पड़ोस वाली सुनीता को जब मैं चोदता हूं तो पहले तो जगह ढूंढने में बहुत मुश्किल होती है और एकांत जगह मिल भी जाए तो किसी के आने के डर के कारण हम लोग खुलकर चुदाई नहीं कर पाते, मां के साथ तो हमें जब भी अपने शरीर को रगड़ने का मौका मिलता है मन में किसी तरह का डर नहीं होता
मैं : ठीक बोला भाई, बेफिक्री से कपड़े उतार कर चोदने का मेरा भी बहुत मन है मैंने जब भी मां के शरीर से अपना शरीर रगड़ा है तो मां चाहे पतले से ब्लाउज और पेटीकोट में ही हो और मैं भी एक पतला सा कच्छा जरूर पहने रहता हूं पर कल की खुली कुश्ती के बाद से मेरे मन से नंगा होने का डर निकल गया है मुझे यकीन है कि मैं मां के सामने नंगा होकर मां की गांड या जांघ मां चूत पर लगा भी दूंगा तो मां को कोई आपत्ति नहीं होगी बल्कि मां मेरे लंड* को अपनी चूत* का रास्ता दिखा देगी और भाई तेरे को चूत लेने का तजुर्बा है इसलिए लगता है कि मौका मिलते ही तू मां की चूत जरूर मार लेगा और मां तेरी चुदाई के अंदाज से बहुत संतुष्ट होगी

हम दोनों बातें कर रहे थे और एक दूसरे के लंड को रगड़ रहे थे इतने में मुझे खिड़की के पास एक साया सा दिखा, घर में हम दोनों के अलावा मां ही थी जो बाहर बरामदे में कपड़े धो रही थी
मेरी गांड फटी की मां ने हमारी बात सुन ना ली हो
मुझे बाहर की ओर देखता है पाकर भाई बोला, क्या हुआ?
मैं बोला : शायद मां ने हमारी बातें सुन ली हैं।
भाई : सही है, तेरा काम जल्दी बन जाएगा अब मां को पता है कि तू खुलकर मां का बाजा बजाना चाहता है
मैं बोला : बुरा ना लगे कि हम दोनों भाई मिलकर उसके बारे में ऐसी बातें कर रहे हैं भाई: तू औरतों की जिज्ञासा के बारे में कब समझेगा, मां ने अगर बात सुन ली होगी तो वह पहला मौका पाते ही तेरे सामने टांगों को खोल कर लेट जाएगी तुझे मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी
मैं बोला : तेरे तेरे लैंड पर चूत का ढक्कन हमेशा चढ़ा रहे
भाई यह क्या बोला : मैं तेरे मुंह में घी शक्कर वाली कहावत को सेक्सी भाषा में बोला है
भाई: अब यह सेक्सी बातें कुछ दिन मां से कर और मां की चूत पर अपना झंडा फहरा दे
इसके बाद हम दोनों भाई एक दूसरे के लंड को तेजी से मुड़ जाने लगे और कुछ देर में दोनों का पानी छूट गया
जब मैं बाहर आया तो देखा मां बाथरूम में कपड़े धो रही थी और उसका ब्लाउज तथा पेटीकोट बिल्कुल गीले थे मुझे डर था कि मां मैं हमारी बातें सुनी है तो कहीं गुस्सा ना हो पर भाई का अंदाजा ठीक था
मां मुझे देखकर मुस्कुराई और थोड़ा झुक कर कपड़े रगड़ने लगी जिससे मुझे उसकी चूचियां और ज्यादा दिखाई देने लगी मां ने नजर उठाई और बोली ,भूख लगी है मेरे बेटे को?
मैं मां की द्विअर्थी भाषा को समझ कर बोला, हां मां भूख तो लगी है, पर खाना जब तू खाली होगी जब तेरा मन करें तब आराम से परोस देना, मुझे जल्दी नहीं है, मैं तसल्ली के साथ अपने पेट की आग को शांत करना चाहता हूं।
मां ने तिरछी निगाहों से मेरे को देखा, मेरे कच्छे अंदर खड़े लंड को देखा और मुस्कुरा कर द्विअर्थी बोल बोली: ठीक है बेटा, मुझे भी लग रहा है कि रात में तू शर्म शर्म में पेट नहीं भर सका, अब तेरा थोड़ा इंतजार कर, आज तो मैं थकी हुई हूं अतः तुझे और तेरे भाई को आज तो कल जैसे ही खाना मिलेगा, कल तुझे आराम से थाली परोस दूंगी, तू आराम से सहज से तसल्ली से अपनी भूख शांत कर लेना।
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बहुत दिन पहले जब हम चाची वाले घर में रहते थे तब की एक रात का किस्सा
हम दोनों भाई एक बिस्तर पर लेटे हुए उसी कमरे में दूसरे बिस्तर पर मां-बाप की बातें सुन रहे थे बातें सुनते सुनते मेरे ठरकी भाई ने पीछे से मेरे नितंबों पर अपना डंडा लगा दिया और अपना हाथ बढ़ा कर मेरे लंड को सहलाने लगा

पापा: तू मेरे लंड के सिंहासन पर बैठ
मां : नहीं, यह तो राज महल का झंडा है इसे मेरी चूत की नींव पर लहराओ।
पापा: तुम्हारी चूत पर अपना झंडा फहरा रहा हूं जी ।
और मां के खिल खिलाने की आवाज आई।
पिताजी बोले: नहीं यह मेरे राजमहल की तिजोरी है मैं इसमें अपने हीरे जवाहरात की बारिश कर दूंगा
मां बोली: मेरे राजा मेरी तिजोरी तुम्हारे हीरो की राह देखती है आके भर दो
पिताजी : तिजोरी भरने से पहले तेरे सफेद सफेद कबूतर उड़ाने का रिवाज है अपने कबूतरों को आजाद कर दे
मां बोली मेरे कबूतरों पर पर्दा पड़ा हुआ है तुम ब्लाउज खोल कर कबूतरों को आजाद करो
कपड़े उतारने की आवाज
पिताजी ने मां का ब्लाउज खोल दिया है मां के हंसने की आवाज आई और पिताजी ने बोला अरे यह क्या ब्लाउज के नीचे तूने कबूतरों पर यह पिंजरा क्यों लगा रखा है
मां बोली ब्रा पहनी जरूरी थी सब मेहमान आए हुए थे और ब्लाउज के पतले कपड़े से कबूतर सब को दिखते हैं और मुझे लगता है सब के सब मौके की तलाश में रहते हैं कि कब किसी औरत के मम्मे या उरोज दिखाई दे जाएं, फिर सभी नज़र से ही चोद डालते हैं।
पिताजी बोले मेरा लौड़ा तो तेरे कबूतरों को देखे बिना, सोचने मात्र से ही पचपचाने लगता है
मां : सोचना क्या, सब आपके ही तो है, यह कबूतर, यह गुफा सब तुम्हारी ही है तुम्हारा पूरा हक है कि इसमें इस बिल में सांप डालो या कुएं में डंडा डाल कर पानी का मंथन करो या तिजोरी में अपना कड़क किया हुआ सोने का डंडा डालो या कबूतरों से खेलो
पिताजी के पजामे के सरसराहट की और मां की चूड़ियां खनखनाने की आवाज आई और पिता जी ने बोला थोड़ा धीरे हाथ चला मुझे बहुत तनाव हुआ पड़ा है यह ना हो कि पानी निकल जाए
मां बोली: यह मेरा शेर है, मेरी मांद में घुसे बिना पानी नहीं छोड़ेगा इसे लाड़ तो कर लूं इस साल की यह हमारी पहली चुदाई है इसे सुहागरात की तरह मनाना चाहिए
पिताजी बोले: धीरे बोल बच्चे सुन ना ले
मां बोली: बच्चे तो सो रहे हैं और सुन भी लें तो क्या है कुछ समय में उनकी शादी करनी है वह भी तो अपनी दुल्हन के साथ सुहागरात मनाएंगे
पिताजी: दुल्हन तो कुछ सालों बाद आएगी यह ना हो वह दोनों तुम्हारी खूबसूरती देखकर मादरचोद बन जाएं
मां: ऐसे कैसे बनने दूंगी, तुम्हारे को बुरा नहीं लगेगा अगर तुम्हारे अलावा कोई और मुझे चोदने लगे
पापा: बाहर का कोई होगा तो उसका खून कर दूंगा पर अपने बच्चों से मुझे कोई आपत्ति नहीं है अगर मेरे लड़के तेरी चूत ले भी लें उसमें तो मेरा क्या जाएगा और मेरा सब कुछ तो है भी इन दोनों बच्चों का इसलिए तू बच्चों को अपनी दे देगी तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है बल्कि ऐसा ही कर ताकि बच्चे बिगड़े नहीं
मां : ऐसे कैसे हो सकता है बच्चे मां को कैसे चोद सकते हैं
पिता जी बोले यह तो अनादि काल से होता है मां और बेटे का रिश्ता तो बहुत जगह पढ़ा सुना गया है और इसमें कुछ गलत भी नहीं है बच्चे मां के शरीर से बने होते हैं तो उनकी लुल्ली भी मां का ही एक हिस्सा होती है अगर वह मां की चूत में पानी निकाल दे दो क्या नुकसान है
मां : वाह क्या तुक लगा रहे हो, इतने खुले विचारों के भी मत बनो कि कल बहु आए तो बेटे बहू की चुदाई देख सुनकर तुम बहू को चोदने का मन बना लो
पापा : यह नहीं हो सकता, बाप का सब कुछ बेटों का होता है पर बेटों की जायदाद पर बाप कब्जा नहीं कर सकता
मां: अभी नियम की बात करते हो, जैसे अपनी साली के मम्मों को देखकर उत्तेजित हो वैसे ही कल बहु के मम्मे या कंपकंपाते नितंबों को देखकर अपना लंड सहलाते हुए मेरे पास आकर बोलोगे कि बहु कि चूत दिलवा दे
पापा; बहु के उरोज या नितंब देखकर या बहु बेटे की चुदाई सुनकर उत्तेजना आनी स्वाभाविक है पर नियम तो नियम है। मैं उस समय तेरी मार लिया करूंगा
मैंने कुछ लोगों को बातों से महसूस किया है कि वह बाप अपनी जवान बेटी के अंतःवस्त्र देखकर या उसको अधनंगी अवस्था में देखकर ठरकी हो जाते हैं पर कोई भी बेटी के उपर नही चढ़ जाता

मां: पर, मेंने अपने चाचा मामा को, मुझे चक्षु चोदन करते पकड़ा है
पापा: सभी ठरकी अपनी बेटियों से इसी सीमा तक रंग रलियां मना सकते हैं बहुत अधिक हुआ तो आलिंगन में कसकर उपर से सूखा रगड़ लेते हैं पीठ और चूतड़ सहला देते हैं
मां : पर मैंने बहु ससुर के कुछ सच्चे किस्से सुने हैं, तुम्हारी वह चचेरी बहन ही अपने ससुर से पिलवाती है
पापा: मजबूरी है, उसका पति नल्ला है, घर की इज्ज़त घर में ही रहे, बहु को बाहर मुंह ना मारना पड़े इसलिए उसके ससुर बहु को ना केवल चोदता है बल्कि मेरी चचेरी बहन अपने ससुर से दोनों बार गर्भवती भी हुई है।
मां: मुझे तो शक था पर तुम्हें कैसे मालूम
पापा: मेरी हमउम्र बहन है, इतनी बात तो हमारी हो जाती है
मां: हे राम, यहां तक बात, कहीं तुम भी उस पर अपना लंड तो साफ नहीं कर बैठे
पापा: मन तो बहुत था, बचपन में घर घर खेलते हुए हम पति-पत्नी बनते थे, पर अगर अभी ऐसी कोशिश करता तो उसका ससुर उसे घर से बाहर निकाल देता
मां: वाह तुम्हारी सच्चाई
पापा: मेरी सच्चाई ही नहीं, तुम्हारी सुंदरता भी, बातें छोड़, अच्छे से दूध पिलाओ और अपने कुएं में डुबकी लगवाओ
मां: हां! मेरे राजा!!!, आजा!!!
पापा: आज राजा नहीं, बेटा बोल!
मां: क्या?
पापा: आज मां बेटे की एक्टिंग करते हुए चुदाई करेंगे
मां: दिमाग खराब हो गया है
पापा: ठरक है, करके देख, बहुत मजा आएगा, एक बार मैंने तूझे चोदते समय चचेरी बहन की कल्पना करके तुझको पेला था, बहुत मजा आया था
मां: मुझे सहज नहीं लग रहा
पापा: मां मुझे दूद्दू पिला दे मुख लगी है
कुछ-कुछ रुककर मां बोली : आ मेरा बेटा आजा, मम्मी का दूधदू पी
मां: धीले बेटा, काट मत, मम्मी को दर्द होता है
पापा: मां, तेरे दूध के थन कितने अच्छे हैं
मां: आह उह आह, बेटा, मां को दर्द हो रहा है,
पापा: कहां पर मम्मी
मां: इधर , टांगों के बीच में बेटे
पापा : ओह मां, मैं कुछ करूं
मां: हां बेटा,। इधर मालिश कर,
जोर से मेरे प्यारे बेटे और जोर से!!

पापा: इधर से हाथ नीचे नहीं जा रहा मां अपनी टांगे खोल मां, मैं नीचे बैठकर मालिश करता हूं
मां: ओ मेले प्याले बच्चे, कितना ख्याल रखता है तू,
पुच्च पुच्ची की आवाज आई, फिर लगा पापा मम्मी के पैरों के बीच बैठ गए हैं
मां बोली इधर आराम से,। हां बेटा, इधर की पुच्ची ले
चुम्बन की आवाज
पापा: मां यहां की पुच्ची बहुत ज्यादा स्वादिष्ट है, यह गीली भी हो गई है, क्या मैं इसे चाटकर सुखा दूं
मां : हां बेटा बड़े शौक से
चुम्बन व चूसने की आवाजें आने लगी, बाहर मेरा तथा भाई का लन्ड तनाव से फटने को हो रहा था हम हैरान और अत्यधिक उत्तेजित हो गए थे
पापा : मां मेरी लुल्ली को देख, दर्द कर रही है, आह मेरी प्यारी मां, हां सहलाने से आराम आ रहा है
मां: बेटा, अओह ओह, हुम्म अब यह लुल्ली नहीं है बेटा, अब यह लौड़ा बन गया है, शाबाश बेटा, आह आह
अब मेरे पैरों के बीच में लेटकर मेरे दुध पी और अपने इस सख्त लौड़े से मेरी टांगों के बीच मालिश कर
पापा: मां क्या मेरी साइकिल अब पापा के ट्रक के बराबर हो गई है
मां: हां बेटा, तेरी साइकिल अब पापा के ट्रक के बराबर हो गई है, इसे तू मेरे गैराज में खड़ा कर सकता है
पापा: मां मेरे से ट्रक सीधा गैराज में नहीं जा रहा
मां: मैं तुझे रास्ता दिखाती हूं
कुछ चरमराने की आवाज आई और फिर तेरे से बिस्तर जोर जोर से हिलने लगी उनके धक्कों की आवाज हमारे कानों में साफ आ रही थी बीच में पुच्ची की आवाज भी आती थी
फिर पापा की आवाज : संभाल मेरी मां, मेरा निकलने वाला है, देख कहां लेना है मां मेरी मम्मी मैंने आपका दूध पिया है अब मेरा दूध निकलने वाला है क्या करूं
मां बोली इसे मेरे बिल में ही छोड़ दे तेरा ट्रक तक बहुत फंसकर गेराज में गया हुआ है इंजन से मोबिल आयल निकल रहा है उसको गैराज के फर्श पर डाल दे
पापा : हां मम्मी ट्रक का मोबिल आयल और मेरा शहद, इस शहद को तुम्हारी नितंबों की दोनों बन के बीच में लगा देता हूं
मम्मी : हां बेटा बिल्कुल ठीक है मेरी ब्रैड के बीचो - बीच में शहद लगा दे बाद में उसको चाट लेना और खा लेना

फिर हमें दोनों की भारी सांसों की आवाजें सुनाई दी गहरी सांसे और उसके बाद एकदम शांति
चुदाई का क्लाइमेक्स सुनते समझते मेरा और भाई का भी पानी छूट गया और हम बिना आवाज के उसी अवस्था में लेटे रहे पर हमारे मन में लड्डू फूट रहे थे कि पापा ने हमसे चुदाई की अनुमति दे दी है और मां भी बड़ी खुशी से हमारे शेर से चुदवाने की कल्पना करते पिताजी चुदी है, हम दोनों भाइयों का मन भाग बाग बाग हो रहा था
ऐसे ही पता नहीं कब हम दोनों भाई नींद की आगोश में समा गए सुबह जब मां ने हमें जगाने के लिए हमारी चादर खींची तो हमें आपस में लिपटे देखकर हल्के से मुस्कुराई और कुछ सोचने लगी फिर मां ने मेरे कच्छे में लंड के उभार को नोट किया और यह भी देखा कि भाई का हाथ मेरे लिंग के पास तथा उसका लंड मेरे नितंबों पर सटा हुआ है

मैं अपनी अधखुली आंखों से मां के चेहरे की जिज्ञासा को देखकर आश्वस्त हो गया कि मुझे जल्दी ही मां की चूत मिल जाएगी

अभी सिर्फ इतना ही बाकी फिर कभी ....
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Nevil singh

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जब हमारे मैं घर काम मुहूर्त हुआ था तब घर में अच्छी खासी चहल-पहल हो गई थी मेरी मौसी मामी ताई बुआ और उनके परिवार आए हुए थे तब मैंने ध्यान दिया कि हमारे परिवार की सभी औरतें शरीर दिखाने में परहेज नहीं करती सभी ने अपने मोटे-मोटे मम्मी को लो कट ब्लाउज से दिखा रही थी सभी की साड़ियां नाभि के नीचे बनी हुई थी जिनसे उनका सेक्सी पेट किसी भी देखने वाले की पैंट में तंबू बनाने के लिए पर्याप्त होता घर के काम के दौरान जब आंटु झुकती थी तो उनके 40 साइज के उरोज ब्लाउज से बाहर पूरी तरह से झलक जाते थे घर में मेहमानों की भीड़ होने के कारण मुझे तो मां का शरीर क्या मिलना था पिता जी ने मां को चोद नहीं पा रहे थे

1 हफ्ते में एक-एक करके सारे मेहमान विदा हो गए और उसके अगले दिन पापा को भी वापिस जाना था तो मुझे और भाई को पूरी उम्मीद थी कि आज नए घर में मम्मी पापा अपनी सुहागरात मनाएंगे इस घर में भी एक मम्मी पापा का अलग कमरा था और हम दोनों भाई दूसरे कमरे में जाकर सोने का दिखावा करने लगे ।
कुछ ही देर में मम्मी पापा के कमरे की लाइट बंद हो गई और मां की चूड़ियां खनखनाने लगी हम दोनों भाई आहिस्ता से उनके कमरे की खिड़की के पास जाकर बैठ गए और आने लगे कमरे में अंधेरा था मम्मी पापा के बिस्तर पर हमें तो छाया ही दिखाई दे रही थी पुराने ख्यालों के होने के कारण माता पिता ने लाइट नहीं जलाई हुई थी हमें सिर्फ कपड़ों की सरसराहट चूड़ियों की खनखनाहट या उनके मुंह से निकले आवाजों को ही सुन कर लगातार पुच्ची की आवाज आई चूमने चूसने की आवाज आ रही थी पापा मम्मी की कसमाहट की आवाज आई।
पापा यह इतने कपड़े क्यों पहन रखे हैं मां घर में सब मेहमान थे
पापा पर अभी तो तैयार होकर आती, कम से कम कच्छी ब्रा तो उतार देती
मां तो तुम उतार दो ना मेरे राजा तुम मालिक हो मेरे
पापा: जैसे कहो, तेरे कपड़े उतारता हूं और अपने भी
मां: तुम्हें तो कपड़े उतारने में मजा आता है और कल तो तुम मेरी बहन को कपड़ों के ऊपर से ही ऐसे देख रहे थे जैसे वहीं खड़े खड़े चोद दोगे
पापा: तेरी बहन इतने गहरे गले की कमीज पहनी हुई थी और और तेरी बहन की बहुत कसी हुई पजामी से उसके नितंब ऐसे दिख रहे थे जैसे शरीर पर कुछ हो ही ना और जब वह मुझे चाय देने आई तो झुक कर उसने अपनी चूचियां मुझे दिखाई थी तुम सोचो मेरी हालत क्या होगी
मां : वह तो छिनाल है एक नंबर की, मुझे लगता है अपने पति के साथ साथ अपने देवर को भी निहाल कर देती होगी पापा हां उसके देवर की हरकतों से लगता है कि वह अपनी भाभी से बहुत खुला हुआ है मां : इस चक्कर में कहीं तुम अपना नंबर मत लगाने लग जाना एक बार भी तुमने उसको छूने की कोशिश की तो मैं तुम्हें अपनी चूत क्या झांट भी नहीं दूंगी
पापा तेरी बहन कितनी भी बड़ी चुदक्क्ड क्यों ना हो ना हो तेरे सामने तो कुछ भी नहीं है तू तो मेरी प्यारी सी मधुबाला है तेरे बड़े बड़े मम्मे मुझे तो बहुत ही अच्छे लगते हैं तेरे मम्मे दबाने में मुझे स्वर्ग की अनुभूति हो रही है
मां तभी तुम इनके बीच में अपना लिंग रगड़ कर पानी निकालने का मजा लेते रहते हो। वैसे मेरी बहन तुम्हारे लौड़े के सामने टिक नहीं पाएगी उसका मन तो बहुत करता हुआ तुम्हारे से चुदवाने का
फिर एक पप्पी की आवाज आई जवाब में मां ने भी दो पप्पीयां दी
पिता: मेरी हेमा मालिनी अपने पैर तो खोल
मां : नहीं पहले दूध पी लो
पिताजी: ऊपर से दूध पी लूंगा और नीचे से उंगली करके तेरी फुद्दी को गिला करता रहूंगा
मां: तुम्हारी उंगली से मैं बहुत गर्म हो जाती हूं तो मैं तुमसे चुदाई से पहले की हरकतों का मजा नहीं ले पाती हूं पहले मुझे अच्छे से गर्म करो पापा ने कुछ किया जिससे मां की सिसकारी निकली
मां : बड़े बहनचोद हो बहन के बारे में सुनते ही लोड़ा खड़ा करके खेलने को तैयार हो गए
पापा :बहन चोद कहां साली चोद अपनी बहन नहीं तेरी बहन की बात कर रहा हूं
मां: मुझे पता है तुम अपनी बहन को भी तो ऐसे खुलकर देखते हो कि उसके मम्मों को निचोड़ दोगे, दूध पी लोगे
पापा: बहन को देखकर तो मां की याद आती है और मां की सेक्सी छवि दिखती है मां: फिर तो तुम तुम्हें मादरचोद कहूं
पापा : जो मर्जी के है पर अभी तो बीवी को चोदना चाहता हूं खुलकर खुदवा ले
पापा :अब थोड़ा सा अपने प्यारे डंडे को तो प्यार कर यह तेरी चूत की सेवा करने के लिए बिल्कुल तैयार हो रहा है
मां : ऐसे करुं , पापा: हां
मां ने फिर कुछ किया तो पिता को उत्तेजना भरी आवाज आई शाबाश मेरी रानी इसको मुंह में ले ले
मां बोली हट यह सिर्फ मेरी चूत में ही जाएगा तुम्हारा यह औजार मेरी चूत को खोलने के लिए ही बना है इसको इधर-उधर मत डालो
पापा : मेरी रानी मुंह में ले ले
मां: नहीं पापा से इसकी पप्पी ले ले
मां :मां द्वारा लंड की पप्पी लेने की आवाज आई
बाहर हम दोनों भाई बहुत गरम हो रहे थे अब भाई ने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया और उसका लंड मेरी गांड पर रगड़ खा रहा था अंदर
पापा: सीधी हो
मां: मेरे छोटू राजा को तूम और आगे बढ़ाओ अपना झंडा अपनी जन्मभूमि में डाल दो
पापा: ले , मेरी रानी मां
मां :एकदम चिल्लाई
पापा : अभी तो आधा ही गया है
मां बोली पेल दो ना, जड़ तक घुसा दो, इस दर्द का भी अच्छा मजा है
पापा : ले मेरी रानी मां
और दोनों की जाघें टकराने की आवाज बाहर तक आ रही थी
भाई ने मुझे वहीं घोड़ी बनने का इशारा किया और मेरी गांड पर अपना लंड* रगड़ने लगा मेरे मुंह से आवाज निकलने का डर था इसलिए मैंने आगे होकर भाई को इशारा किया कमरे में चलकर कर ले भाई चुपचाप मेरी गांड पर लंड* रगड़ता रहा पर अंदर नहीं घुसाया इधर अंदर मां-बाप के जुदाई का जबरदस्त आवाजें आ रही थी जिसके कारण हमारे ल** में तनाव बढ़ता जा रहा था कुछ देर बाद पापा के अंदर के कपड़ों की सरसराहट की आवाज आई हम समझ गए पापा बोले मैं झड़ने वाला हूं
मां: हां , मैं भी तैयार हूं छोड़ दो
और दोनों ने दोनों के संभोग की बहुत कामुक सिसकारियां बाहर आने लगी दोनों की सांस इतनी तेज चल रही थी कि हमें बाहर तक सुनाई दे रही थी
ढ़ेर: मां ने कहा मैं बस और खिलखिलाई पापा: जब तुम हंसती है तो मेरा ल** फिर से बाहर निकल जाता है
मां बोली एक बार होने के बाद झड़ने के बाद तुम्हारा ल** अंदर गुलगुली करता है कहकर मां ने पापा की 2-3 पप्पी दी
जवाब में पापा ने भी मम्मी की चुम्मीयां ले ली पुच्ची ले ली
पापा बोले : अब दूध पिलाओ
मां बोली नहीं अभी गुलगुली होगी इतने में हमारे लंड का बहुत तनाव बढ़ चुका था भाई ने इशारा किया और हम दोनों अपने कमरे में गए और जाकर मैं घोड़ी बन गया और पीछे से भाई ने अपना ल** मेरी गांड के छेद के पास सटा दिया साथ ही में भाई ने अपना हाथ बढ़ा कर आगे से मेरा ल** पकड़ लिया था भाई के हर एक धक्के से उसका सुपाड़ा मेरी गांड में घुस जाता और उसके हाथ मेरे ल** को एक जबरदस्त झटका देते हैं कुछ ही दिनों में मेरा पानी छूट गया और भाई अभी लगा हुआ था 10-15 और धक्के लगाने के बाद भाई ने मुझे कस कर पकड़ा और मेरी गांड पर वीर्य की धार छोड़ दी अब हम दोनों भाइयों ने एक अच्छे से कसकर आलिंगन में ही सो गए।
अगले दिन मां ने जब कपड़े धोए तो हमारे कपड़ों पर वीर्य लगा देखकर मुस्कुराई फिर मां मुझे अकेले में देख कर बोला क्यों रे! रात को मां बाप की जासूसी कर रहे थे तुम दोनों भाई
मैं बोला तुम्हारी बातें सुनने का तो मजा ही कुछ और है इतना खुलापन होता है तुम्हारी और पापा की बातों में
मां : पति की सेवा तो मेरा धर्म है तेरी सेवा तो प्यार वश करती हूं
पर तुम दोनों भाई इकट्ठे वीर्य निकालते हो
मैंने मां को आधा सच बताना ठीक समझा और कहा जब तुम्हारी आवाज सुन रहे थे तो हम दोनों भाई साथ में ही बैठकर अपना अपना हिला रहे थे जिसके कारण हम से रहा नहीं गया और वीर्य पात हो गया मां बोली संभल कर किसी दिन तुम्हारे पापा ने पकड़ लिया तो धुलाई कर देंगे
मैं: पिताजी धुलाई करेंगे ?
वह तो तुम्हें हमारे से चुदवाने आज्ञा देने को तैयार बैठे हैं
मां : कहने की बातें और हैं और जब उनको पता चलेगा कि मैं वास्तव में तुम्हारे को अपनी चूत तैयार हूं तो उनकी शक्ल बदल जाएगी
मैं : मैं नहीं मानता जी , पापा जो बोल रहे थे मन से ही बोल रहे थे
मां : ऐसा नहीं होता है चुपचाप पर्दे में मेरा प्यार मिल है उसके मजे लेते रहो , कहीं ज्यादा के चक्कर में जो मिल रहा है वह भी ना चला जाए, लालची कुत्ते वाली कहानी तो सुनी होगी
मैंने कहा :मां, मेरे पास आधी रोटी नहीं है तुम पूरी की पूरी मुझे मिली हो तो मैं लालच क्यों करूंगा?
मां ने सुनकर मुझे अपने गले से लगा लिया और कान में बोली सबर रख, कल पापा वापस ड्यूटी चले जाएंगे तब तुझे अच्छे से प्यार दूंगी मुझे पता है तू बहुत दिनों से भूखा है।

अगले दिन सुबह सुबह पिताजी और भाई स्टेशन के लिए निकल गए उनके जाते ही मां ने मेन गेट बंद किया मुख्य दरवाजा बंद किया और मेरे साथ कमरे में आ गई आते ही मां ने मेरे कच्छे को खींचा तो मैं निपट नंगा हो गया मां ने मेरे लिंग को अपने हाथ में पकड़ा और सहलाने लगी , कमरे के अंदर आते आते ही मेरा लिंग खड़ा हो गया था
मां बोली यह तो हमेशा ही तैयार दिखता है
मैं बोला मां तुम्हारी खुशबू आ जाती है
मां बोली तो देर किस बात की
मैं बोला ना रात में तुम दो-तीन बार चुकी हो इतनी जल्दी तुम अपना प्रसाद मुझे देने के लिए तैयार हो जाती हो, सच्ची में मां तुम बहुत प्यार करती हो मुझसे
मां ने मेरा लौड़ा मसलते हुए कहा तेरी खुशी के सामने मेरी थकावट कुछ भी नहीं है रे बेटा !!! ले! ले!! जैसे ही तुझे मेरी चूत चाहिए वैसे ही ले ले !!!!
मैं बोला: मां रात को पापा मुंह में लेने के लिए कह रहे थे
मां मुझे अच्छा नहीं लगता, मुंह में बदबू आती है मैं बोला ना मैं अभी अच्छे से साफ कर लेता हूं बिल्कुल साफ हो जाएगा तो बदबू नहीं आएगी और पानी निकलने से पहले मुंह से बाहर निकाल दूंगा
मां बोली नहीं सिर्फ सहमति में सिर हिला दिया
मैंने मां का हाथ पकड़ा और मां को बाथरूम की तरफ ले गया
मां: मुझे क्यों खींच रहा है
मैंने कहा : मां, तू भी थोड़ा साफ हो जा तेरे को चाटने का भी मजा आएगा आएगा!!!
मां : वैसे पापा की कोई बात नहीं मानता है और यह चुदाई की बातें सुनकर बिल्कुल पापा से भी आगे बढ़ता जा रहा है
मैं: कुछ तो नया करना चाहिए
मां : तू मुझे भी बेशर्म बना देगा
मैं : बेशर्मी नहीं, यह जीवन का आनंद है
मां: अपनी मां के साथ?
मां : जो आनंद तुम ले रही हो और ममता से भरकर तुम मुझे चोदने दे रही हो वह अनुठा है
मां : यह आनंद अपनी बीवी के साथ ही लिओ
मैं बोला: मां जो आनंद तुम दे रही हो उसके बदले मेरा भी तो कुछ फर्ज है और ऐसा करने में मुझे भी तो अच्छा लगेगा
मां बोली तू अपनी खुशी के लिए कुछ भी कर मैं सब मान लेती हूं
मैं: मां, मेरे से कुछ ट्रेनिंग ले ले तो पिताजी को भी ज्यादा अपना पति धर्म भी अच्छे से निभा पाओगी, पति धर्म में पति की सेवा करने का भी तुझे आनंद आएगा मां : तू यह कहां से सीख रहा है
मैं: मां से क्लास में मेरी कक्षा में एक लड़का एक किताब लाया था उसमें कुछ फोटो बनी थी और लिखा था स्त्री और पुरुष एक दूसरे के योनांग चाटते हैं तो बहुत मजा आता है
मां : यह फिरंगियों वाली बातें मत कर
मैं : फिरंगी नहीं उसमें लिखा था कि हमारी कोकशास्त्र में भी बहुत तरह के आसन बताए गए हैं
मां : मुझे लगता है तू शादी से पहले सारे आसन मां के ऊपर प्रयोग करके देखेगा
मैं : मां तुम इतनी सुंदर हो मुझे शादी की क्या जरूरत है
मां : कुछ साल में मैं बिल्कुल बूढ़ी हो जाऊंगी तब तेरा क्या होगा और अभी तो तेरे चुदाई करने के दिन शुरू भी नहीं हुए, यह चूउ तो तुझे बोनस में मिल रही है जब बड़ा होगा तो बहुत सुंदर ही सी लड़की ढूंढ कर तेरे से शादी कर दूंगी
मैं : मां इतनी भी सुंदर मत ढूंढना कि पिताजी उस पर लाइन मारने लगे
मां : चल हट पगले वह भी तो तब तक बूढ़े हो जाएंगे और सुना नहीं था तूने वह अपना माल तो तुझे देने को तैयार हैं पर तेरे माल में हाथ नहीं डालेंगे
मैं : हां मां पर मैं हमेशा तेरी सेवा करूंगा और बीवी आने के बाद भी और अपने और जब तुम बिल्कुल बूढ़ी हो जाएगी तब भी अपनी जन्मदात्री की चूत चाट कर और पूरे प्यार से तेरे सब अंगों की मालिश कर सेवा किया करूंगा, जब भी तू कहेगी तेरी चूत की पूरी तरह से सेवा करूंगा
मां : रहने दे अभी बातें कर रहा है बीवी की जवान चूत मिलेगी तो सब भूल जाएगा मैं: नहीं मां कसम से बीवी की चूत बीवी की जगह होगी और मां की सेवा मेरा फर्ज रहेगा, देखा नहीं पिताजी अभी भी अपनी मां को याद करके रात में तेरे पर जबरदस्त धक्के लगा रहे थे।
हम दोनों पहली बार इतना खुलकर लंड* चूत* और इस तरह की बातें कर रहे थे बाथरूम में मैंने मां का पेटीकोट बिल्कुल उतार दिया मां ने अपना ब्लाउज भी खोल दिया और अब हम दोनों बिल्कुल नंगे खड़े थे मैंने पानी से मां की गर्दन चूचियां तथा चूतड़ साफ कर दिए । मां पटरे पर बैठ गई तो मैंने मां की चूत को भी अच्छे से साफ किया मां के झांटों में कुछ पसीने की महक थी मैंने साबुन से अच्छे से साफ कर दी
मां की चूत साफ करने के दौरान ही मां गहरी सांसे लेने लगी थी और मैंने और ज्यादा खतरा ना उठाते हुए मां को खड़ा होने का इशारा किया और मां के नितंबों पर साबुन से सफाई की अब मैंने भी अपने हाथों से मेरे ल** और मेरी जांघों की सफाई की
बाथरूम से बाहर आकर मां ने मेरे शरीर को बड़े इतिहास से चूमा और मुस्कुराते हुए बोली जब तू छोटा बच्चा था तो मैं तुझे रोज इसी तरह नहलाती थी
मैंने कहा मां आज एक फर्क और है आज मैं तुम्हें नहलाने का प्रयास कर रहा हूं मां : ऐसी किस्मत वाली मां बहुत कम होती है जिनका बेटा उसे नहलाएं
मैं: मां मेरी किस्मत इतनी अच्छी है कि मुझे तू मां तेरे जैसी मां मिली जो अपने बेटे का सब तरह से ध्यान रखती है चूत का प्रसाद देखकर भी ध्यान रखती है
मां: बेटे तेरा अंदाज भी इतना प्यारा है कि मैं तुझे अपनी चूत* देने का लोभ नहीं रोक पाती हूं यह बातें करते करते हम कमरे में आ गए इतने में मां को ख्याल आया कि नाश्ता नहीं किया है
मां बोली : बेटा पहले नाश्ता कर ले तुझे भूख लगी होगी
मैं : नहीं मां , जो काम शुरू किया है पहले वह खत्म करें और आज नाश्ते में मैं तेरा दूदू पी लूंगा और तेरा अमृत चाट लूंगा और मां तू भी आज मेरे मेरी लस्सी पीकर देख
मां बोली : उंह
यह कहते-कहते मैंने मां को अपने आलिंगन में ले लिया और ममां की चूचियां मेरे सीने में और मेरे हाथ मां के नितंबों तथा मां के हाथ मेरी पीठ पर चल रहे थे आगे मेरा लंड मां की चूत के कब्जे में था और मेरे हाथ मा के नितंबों को अपनी और दबा रहे थे फिर मैंने नीचे सरककर मां की चूचियां पीनी शुरू की , सूचियों की पप्पी लेते लेते मैं नीचे बैठ रहा था फिर मां की नाभि में जीभ डालकर मैंने मां को उत्तेजित किया इस बीच में मेरे हाथ मां के नितंबों को मसल रहे थे फिर मैंने मां की झांटे अपने होठों पर महसूस की
मैं थोड़ा और नीचे झुका, खड़ी हुई मां से कहा कुछ अमृत पिला दे और मेरा मुंह मां की चूत के ऊपर बिछ गया मैंने गहरी सांस लेकर मां की चूत को सूंघा एक अच्छी सी खुशबू आ रही थी फिर मैंने मां की चूत के दोनों लबों को अपने लबों में दबाया और जितनी भी चूत मेरे मुंह में आ सकी उतनी ही अपने मुंह में दबाकर जीभ से मां के भगनसे को खाने लगा मां जोर-जोर से सिसकारियां लेने लगी
फिर मैंने अपनी जीभ को मां की चूत में सरका दिया मां एकदम सनसना उठी
मैंने मां की जांघों के नीचे हाथ डालकर मां को उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया मां ने घुटने मोड़कर तलवे बिस्तर पर रख दिए तो मां की चूत पूरी तरह से मुझे दिखने लगी थी मैं मां की टांगों के बीच में सिर डालकर मां की चूत को चाटने लगा और फिर मैंने अपनी जीभ पूरी तरह से मां की चूत के अंदर डाल दी
मां ने अपने हाथों से मेरे बाल पकड़ लिए और मेरे मुंह को चूत पर दबाने लगी और जांघों के जोड़ से मेरे को मेरे मुंह को अपनी योनि के अंदर द खेलने का जोर लगाने लगी मां की गर्मी तथा उत्तेजना स्पष्ट दिख रही थी मैंने भी अपने हाथों से मां के नितंबों को दबाना शुरू किया जिससे मां की च** का जवाब मेरे मुंह पर बढ़ गया फिर मैंने हाथ लंबे करके अपने पंजों से मां के कंधों को नीचे दवाब देना शुरू किया जिससे मेरी जीभ मां की योनि में बहुत गहरे तक समा गई फिर मैंने अपने हाथों से मां के मम्मों को नीचोड़ने लगा अब मां की उत्तेजना का आरपार ही नहीं था
मां जल बिन मछली की तरह मचल रही थी और फिर एकदम से झड़ने लगी
मां की उत्तेजना शांत होने में बहुत समय लग गया और जब तक मां ने ठंडी होकर अपनी जांघों का जोर मेरे सिर से हटाया तब तक मेरा लिंग पूरी तरह से टनटनाता हुआ हो गया था
जैसे ही मैं थोड़ा ऊपर हुआ मां ने मेरी उत्तेजना को भापकर अपने हाथ बढ़ाएं और मेरे लिंग को अपनी मुट्ठी में भर लिया और मेरे नीचे अपने शरीर को सेट करके मेरे सुपाड़े को अपनी चूत* के मुहाने पर रख दिया
मेरे लिंग में बहुत उत्तेजना थी और एक धक्के में मैंने अपना लिंग पूरी तरह से मां की योनि में उतार दिया
हम दोनों ने एक दूसरे के नितंबों को अपने पंजों में जकड़ा हुआ था और दोनों एक दूसरे में समाने की कोशिश कर रहे थे मां एक बार झड़ चुकी थी तो उसको समय लग रहा था पर उसकी योनि उसके अपने स्त्राव से बहुत गीली हो चुकी थी अतः मेरा लिंग फचफचाकर अंदर बाहर हो रहा था
मां आहा उस उस ओहो ओहो करके मेरी उत्तेजना को बढ़ा रही थी
कुछ देर में मेरे से रहा नहीं गया और मैंने सझनझनाते हुए अपना सारा वीर्य मां की योनि में खाली कर दिया और एकदम से मिश्रण जैसा होकर मां के ऊपर सीधा लेट गया मां ने अपने हाथों से मुझे जकड़ में ले रखा था और मेरे सुस्त शरीर में छाती पर मम्मी के नरम नरम मम्मों का एहसास बहुत सुखद लग रहा था
हम ऐसे ही एक दूसरे के शरीर की नरम और गरम अहसास को महसूस करते करते सो गए और लगभग आधे घंटे बाद उठकर हमने जल्दी से कपड़े पहने तथा अपने अपने काम में जुट गए
.
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Nevil singh

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एक पुराना संस्मरण:
बात उन दिनों की है जब नायलॉन के ब्लाउज का फैशन चला था उससे पहले भी बहुत सारी औरतें उन का बुना हुआ ब्लाउज पहनती थी जिसमें उनके झूलते हुए मादक उरोज बहुत ज्यादा उत्तेजित करते थे क्योंकि हर बार महिला के झुकते या दाएं बाएं होते ही पमम्मे छलक कर बाहर आने का प्रयास करते थे और अगर भाभी आंटी इत्यादि ने नीचे ब्रा नहीं पहनी हो तो बुनाई के फंदों के बीच की जगह से उरोजों का अच्छा दर्शन हो जाता था इसी प्रकार जब नायलॉन के ब्लाउज फैशन में आए तो सब औरतों ने झटपट से उन्हें पहनना शुरू कर दिया इससे पुरुषों की उत्तेजना बहुत बढ़ गई क्योंकि नायलॉन का कपड़ा अपने आप को अंदर समाए अंग के अनुरूप अपने को ढाल कर अंग चाहे वह नितंब, जांघ हों या उरोज पर लिपटकर पूरी तरह से दिखा देता है अब उरोजों के वजन से गहरा गला और नीचे को लटक जाता था तो मात्र क्लीवेज ही नहीं आधे उरोज भी नंगे दिखते थे और जब भी घर में काम करते समय या कुछ परोसने के समय स्त्रियां झुकती थी तो पेट तक उरोज दर्शन हो जाते थे ।
मुझे छोटे बच्चों वाली महिलाओं के उरोजों पर बने स्ट्रेच मार्क्स बहुत ही उत्तेजित करने लगते हैं इस प्रकार नायलॉन उनके ब्लाउजों के फैशन के दौर में हम लड़कों को ब्लाउजों के अंदर झांकने का पूरा अवसर मिलता था और बहुत मजा भी आता था यह फैशन का आनंद 2-3 साल तक चला।
मेरी मां तो वैसे ही पतले सूती कपड़े के ब्लाउज बिना ब्रा के पहनती है तो मां के चूचे दर्शन बहुत बार बहुत अच्छे से किए हैं और जब मां की चूत लेने का सिलसिला शुरू हुआ था उससे पहले से ही आपने आहार दूध की थैलियों को हाथों तथा मुंह से मसलने का भरपूर आनंद लिया है पर मां जब जब मां ऊन का ब्लाउज पहनती थी तो मैं टकटकी लगाकर अपनी निगाहों से ही मां के मम्मों को निचोड़ देता था फिर जब मां ने उन या नायलॉन का ब्लाउज पहनना शुरू किया तो उसमें से मां के चूचक भी स्पष्ट दिखाई देने लगे थे एक मां ने मुझे निगाहों से मम्मों को निहारते हुए पकड़ लिया और बोली "तेरा मन कभी नहीं भरता है" तुने हाथों से भी कितनी बार इनको निचोड़ चुका है फिर भी निगाहों से इतना घूरता है कि मेरा मन तुझे दूध पिलाने का हो उठता है
मैं बोला "मां तेरा दूध हमेशा ऊर्जा देता है और तेरा दूध पीकर मेरा शरीर ही नहीं लिंग भी अत्यंत उत्तेजित हो जाता है
इस पर मां हंसते हुए मेरे करीब आई और मेरे लिंग को मुट्ठी में पकड़कर मसलने लगी
जैसे ही लिंग सख्त हुआ मां बोली इसे चूत के अंदर डालेगा या ब्लाउज के अंदर मम्मों के बीच में रगड़ेगा
बोल ! क्या चाहता है मेरे बेटे ?
इस पर मैंने मां के ब्लाउज को नीचे की और खींचा और मां के चूचक बाहर आते ही उनको चूसने लगा और अपने हाथ से मां की नाभि को सहलाने लगा, कुछ देर में मां की सिसकारियां निकलने लगी तो मैंने अपने हाथ से पेटीकोट ऊपर किया और कच्छे में से लंड निकाल कर मां की चूत में पेल दिया इस पूरे प्रकरण के दौरान मैं मां के चूचकों को अपने दांतों में चुभलाता रहा।
कुछ दिन बाद घर में मकान मालकिन चाची की 28 साल की बहन आई वह अभी कुंवारी ही थी परंतु उसके मम्मे बहुत बड़े बड़े शायद 40 नम्बर के थे वह हमेशा गहरे गले का ब्लाउज तथा साड़ी पहनती थी साड़ी कमर के ऊपर बंधी होती थी, नाभि तो नहीं दिखती थी पर पेट का कुछ हिस्सा तथा ऊपर से उसके उरोज हमेशा आमंत्रित करते रहते थे पता नहीं कैसे उसके उरोजों पर स्ट्रेच मार्क्स बने हुए थे और वह मेरे से बहुत खुली हुई थी हम साथ साथ बैठकर एक दूसरे के शरीर को सामान्य ढंग से छूते रहते थे जब नायलॉन के ब्लाउज पहनकर वह घर आई तो स्वाभाविक रूप से उसके मम्मे बहुत आकर्षक लग रहे थे उसमें नीचे ब्रा पहनी हुई थी जिससे उसके मम्मी कसे होकर क्लीवेज बना रहे थे और ऊपर से लगभग आधे दिख रहे थे मैंने उसके साथ बातें करते करते तथा ताश खेलते समय बहुत बार उसकी कमर के गिर्द अपनी बाजू का घेरा बनाकर अपने से सटाया और कई बार अपने गाल भी उसके मम्मों पर रगड़े। शायद यही तक उसकी यौन सीमा थी इससे आगे ना मैं बढ़ा और ना ही उसने आगे बढ़ने का आमंत्रण दिया। उसके गुदाज बदन को की कल्पना करते करते मैंने कई बार हस्तमैथुन किया था जिसके बाद ही मुझे शांति मिली।

आस पड़ोस की भारी मम्मों वाली भाभियां तथा आंटियां नायलॉन के ब्लाउज पहनकर अपने उरोज मस्ती में दिखाती थी और मैं भी उनके आमंत्रण के हिसाब से ब्लाउज के ऊपर से या गले के आसपास मम्मो के नंगे हिस्से को छूकर या मसल कर आनंद ले लेता था परंतु जैसे मां या चाची की चूत मार लेने का मेरे पास अनुभव तथा अधिकार था वैसा इन आंटियों या भाभियों के साथ नहीं था
इस लिपटा लिपटी चूमा चाटी को सिर्फ खेल खेल व किशोरावस्था के आकर्षण को मानकर भाभियों मेरे इस छेड़छाड़ को फ्लर्ट समझ कर मुस्कुरा देती थी और कभी-कभी गहरे आलिंगन में ले लेती थी पर कभी भी किसी आंटी या भाभी को इससे आगे बढ़कर चोदने का मौका नहीं दिया पर मेरे किशोर मन को इतनी छूट मिलना ही काफी था और बाद में मैं मां की चुदाई करते समय कई बार कल्पना में इन भाभियों या आंटियों की चुदाई करते हुए मां को अच्छे से पेलता था तो मां बोलती थी "क्या बात है आज ज्यादा जोश चढ़ा हुआ है" अब मां को सच बता कर कि मैं मां के शरीर को पड़ोस वाली सरोज या विमला आंटी या सुषमा भाभी मानकर चुदाई कर रहा हूं तो मां बुरा मान जाती इसलिए मैं मां के इस प्रश्न का उत्तर मां के मम्मों को मसल कर या नितंबों पर अपने हाथ रगड़कर देता कि मेरी मां ने आज मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजित किया है "मेरी प्यारी मां तू बहुत अच्छी है जो अपने बेटे की उत्तेजना का ख्याल रखते हुए मां होकर भी बेटे का लंड शांत कर देती है" कहकर मां की चुम्मी लेता और मां भी मेरे साथ कसकर लिपट जाती

मैंने कई बार मां को नायलॉन का ब्लाउज पहने हुए देखा और और उससे मेरा लिंग एकदम खड़ा हो गया और मां ने जब भी मेरे खड़े लिंग को देखा तो मौका पाते हैं अपना पेटीकोट को उपर करके मेरा जन्म स्थान मुझे दिखाया था मेरे लिंग को खुला आमंत्रण दिया कि बेटा अपने जन्म स्थान में झंडा गाड़ दो और इस तरह से मैंने कई बार नायलॉन के ब्लाउज से उत्तेजित होकर मां को पेला और अपनी जन्मभूमि पर चढ़कर मां के पपीते मसलने का आनंद लिया
Ramniye update mitr
 
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मां की तबीयत कई दिनों से कुछ अच्छी नहीं चल रही थी तो मैंने गैस का चूल्हा स्लैब से उतार कर नीचे फर्श पर रख दिया और मां को बोला बैठकर खाना बनाओ थोड़ा आराम रहेगा
उन्हीं दिनों शाम को मैं रसोई में मां के सामने बैठकर खाने का इंतजार कर रहा था और मां फुल के सेंकने में लगी हुई थी
जैसे आप सबको पता ही है की मेरी मां कभी भी ब्रा और पेंटी नहीं पहनती थी हम शान से अपने अंको का प्रदर्शन खुलकर करती थी मां ने पेटीकोट को जांघों तक चढ़ाया हुआ था और आगे झुक कर चकले पर रोटी बेल रही थी
मैं मां के सामने बैठकर कामुक निगाहों से मैं अपनी आंखों से ही मां के शरीर को चोद रहा था
मां को भी मेरी हरकतें पता थी इसलिए उसने जैसे बेख्याली में अपने ब्लाउज के दो हुक खोल दिए ताकि मुझे मां के दूध कलश अच्छे से दिख सकें
मां रोटी बेलने में हिलती थी तो मां की चूचियां बहुत मादक अंदाज में हिलती थी मां की जांघ तथा घुटने जुड़कर बहुत ही मादक आकृति बना रहे थे मेरा मन तो कर रहा था कि घुटने के जोड़ के बीच में ही अपना लिंग डाल दूं
मां ने तिरछी नजर से तेढ़ी मुस्कुराहट मुस्कान देते हुए मुझसे पूछा क्या कर रहा है
मैं बोला: मां की सुंदरता देख रहा हूं
मां: हट बदमाश, मां की सुंदरता देख रहा है या कुछ और ?
मैंने मैं मां तुम्हारी सुंदरता के दो आकर्षक हिस्से हैं वह दोनों तो अभी मैं अच्छे से देख पा रहा हूं इसीलिए तुम पर बहुत प्यार आ रहा है
मां : तुम मर्दों की यही बात खराब है कि 1-2 आकर्षक हिस्सों को देखकर ही खुश हो जाते हो औरत के पूरे शरीर और मन को नहीं देखते हो
मैं: मां, मैं तुम्हारे सारे शरीर की पूजा करता हूं और तुम मेरी मां हो मेरा सब तरह से ध्यान रखती हो तो मेरा मन तुम्हारे अलावा किसी से नहीं मिल सकता
मां : चल, हट झूठे । जब शादी हो जाएगी तो मां को भूल कर बीवी में मन रमा लेगा
मैं : मां तुम मेरा पहला प्यार हो पैदा होने से अभी तक तुम्हारे अलावा किसी से प्यार नहीं किया है मन से तुम मैं तुम्हारा दिवाना हूं और तुम इतनी आकर्षक हो कि मैं भी तुम्हारे शरीर को देखकर छू कर बहुत अच्छा महसूस करता हूं
तुम्हारे सुंदर गोल -मटोल, नमकीन शरीर को देखकर मुझे बहुत अच्छा लगता है तुम क्यों कह रही हो एक दो हिस्से मुझे तो तुम्हारे शरीर का जो भी हिस्सा दिखाई देता है उसी पर भरपूर प्यार करने का मन करता है।
हट पगले: मां बोली: क्या मां को अलग से महसूस किया जाता है
मैं बोला मेरे शब्दों को मत पकड़ो मां तुमने खुद महसूस किया है कि मैं तुम्हारे हर हिस्से को कितना प्यार करता हूं जहां प्यार की बारिश करनी होती है , जिस गुफा में प्यार की बारिश करनी होती है वहां अच्छे से बारिश करता हूं जहां से अमृत पिया जाता है और जहां से दूध वहां से अपना अपने हिस्से का शहद व दूध चाटकर तृप्त होता हूं । पेट और नितंबों को मालिश की करने से मुझे अच्छा लगता है वहां बहुत देर तक मेरा हाथ तुम्हें सहलाने का काम करता है तुम्हारी नाभि और पेट कितना नाजुक व नर्म है वहां पर मेरे होंठ तुम्हें चुभलाते हैं
मां बोली जानती हूं जब तुम अपने होठों से मेरे पेट नाभि पर अपनी गर्म सांसे छोड़ते हुए चूमते हो तो मैं अपने आप को स्वर्ग में महसूस करती हूं जब तुम अपने दांतो से मेरे चूचकों को जो चुभलाते हो उस समय जय एक असीम आनंद की प्राप्ति होती है जब तुम मेरे कानों में उत्तेजक बातें बोलते हो तो मैं अपने काबू में नहीं रहती ।
सच में तू मेरा राजा बेटा है , मां का पूरा ख्याल करता है
मैं बोला मां तेरे सम्मान से ही मेरा सम्मान होता है जब तू अपना सब कुछ मेरे को सोंप देती है तो मेरा भी फर्ज बनता है कि तेरी सेवा अपने पूरे तन मन से करूं मेरी प्यारी मां
इस पूरे वार्तालाप के दौरान मेरी निगाहें मां के ब्लाउज के अंदर उसके हिलते हुए एकदम कसे हुए मम्मो पर थी मेरी निगाहों के एहसास से ही मां के सूचक बड़े हो गए थे जो कि मां के अधखुले ब्लाउज में से साफ दिखाई दे रहे थे मैंने बात बदलते हुए बोला मां बहुत भूख लगी है
मां कंटीली मुस्कान से बोली : मुझे तो नहीं लग रहा तुझे भूख लगी है मैंने मां की निगाहों का अनुसरण किया तो देखा कि मां मेरे कच्छे के उभार को देख रही थी
मैं बोला मां बहुत भूख लगी है और मैं रोटी सीकने का इंतजार कर रहा हूं मां रोटी तो सीक गई है और बहुत गर्म हो गई है पर तेरी भूख मुझे दिख नहीं रही
मैं : मां मुझे रोटी नहीं दिख रही, तुम रोटी दिखाओ, रोटी दिखते ही भूख दिखने लगेगी
मां :रोटी चाहे नहीं दिख रही हो पर तुझे रोटी का कटोरदान और मक्खन के दो बड़े बड़े पेड़े तो दिख रहे हैं
मैं :मक्खन के पेड़ों को तो चाटने का मन करता है जब मैं चाटूंगा तो तुम्हें मेरी भूख दिखाई देने लगेगी । पेड़े रोटी के साथ ही काटना चाटना ठीक है 'मां
मां: बोली ठीक है बेटा
मां ने इधर उधर देखा और उसे ख्याल आया बोली यहां घी नहीं दिख रहा, देख घी की हांडी ऊपर रखी है
मैं बोला मां घी की जरूरत नहीं है रोटी पर अपना शहद लगा दूंगा तो अच्छा लगेगा
मां : नहीं , रोटी पर घी ही लगा शहद को मक्खन में मिला लेना और मां ने खड़े होकर स्लैब के ऊपर से घी के डिब्बे को निकालने का प्रयास करने लगी
हमेशा मां का हाथ चला जाता था पर आज जैसे मां उसे क्यों नहीं उतार पा रही थी
मां बोली बेटा तू उतार दे और मां वहीं खड़ी रही मैंने मां के पीछे जाकर अपना शरीर मां से मिला लिया अभी तक मेरे लिंग में तनाव आ गया था मैंने अपनी मां के कंधों पर थोडी टिकाई और मां के कान में बोला हांडी ऊपर कैसे पहुंच गई, नीचे वाली हांडी में घी है
मां : तू ऊपर से उतार दे! मेरा लिंग मां के नितंबों में धंस रहा था और आगे से मेरे हाथों ने मां के मम्मों पर कब्जा किया हुआ था मां के मुंह से सिसकारि निकली फिर मां ने अपने नितंब पीछे की तरफ धकेले जिससे मेरा लिंग मां की नितंबों की दरार में और ज्यादा दब गया
मां बोली अरे हाथ ऊपर करके हांडी उतार
मैं बोला मां हांडी तो मेरे डंडे के पास है और मक्खन को मैं अपने हाथ से बिलो रहा हूं
मां फिर से हंसी और बोली मेरा भूखा बेटा सारा दिन अपनी मधानी ले कर मां की हांडी में दही बिलोने को तैयार रहता है, मां का मक्खन निकालने की मेरे बेटे को हमेशा ही इच्छा रहती है
मैं बोला तुम्हारी हांडी है ही इतनी अच्छी कि मेरी मधानी उसमें बहुत अच्छा मक्खन निकाल लेती है
मां बोली अभी भी मक्खन लगा रहा है
मैं बोला नहीं बातों का मक्खन नहीं लगा रहा मेरा डंडा तेरी हांडी के पास दस्तक देकर मक्खन बिलोने की तैयारी कर रहा है यह कहते कहते मां ने थोड़ा पीछे सरक कर अपने नितंब मेरे लिंग के आसपास दबा दिए मैंने भी थोड़ा आगे जोर लगा कर अपना लिंग मां के पेटीकोट के ऊपर से नितंबों की दरार में भर दिया और अपने हाथों से मां के मम्मों को और जोर से मसल दिया तथा अंगूठे और उंगली से मां के चूचकों को उमेठने लगा
मां बोली जल्दी से ऊपर से घी का डिब्बा उतार दे नहीं तो रोटी जल जाएगी
मैं बोला मैं भी तो रोटी गरम भी नहीं हुई जलेगी कैसे और जलने से पहले ही मैं अपने फव्वारे से रोटी को शांत कर दूंगा
मां बोली वाह बेटा, पहले खाना खा ले । तब तक मेरे लिंग में की सनसनाहट शुरू हो गई थी अपने वीर्य को मैं यूं ही बेकार नहीं करना चाहता था अतः खेल खत्म करने के लिए मैंने हाथ बढ़ाकर डिब्बा उठाया और नीचे करके मां की योनि के सामने रखते हुए बोला ले मां डब्बा खाली भी होगा तो अपने अमृत से इसको भर दे
मां बोली चल हट बदमाश
यह कहकर मां घूम कर वापस पटरे पर बैठ गई और रोटी बेलने लगी हमारे इस छेड़खानी से मां का मुंह लाल हो गया था और मां को गर्मी लगने लगी थी इसलिए मां ने पेटीकोट को जांघों के और ऊपर चढ़ा लिया जिससे मुझे मां की झांकी भी दिखने लगी थी पर इस समय छेड़खानी का मतलब वीर्य पात करना था इसलिए मैंने खुद रोटी खाई तथा बीच में 2-4 कौर मां को भी अपने हाथों से खिलाए फिर मैं बोला मां तू भी जल्दी से खाना खा ले तो हम आराम करते हैं
मां बहुत जोर से हंसी और बोली मां को चोदने की क्रिया को तू आराम करना कहता है
मैं बोला थोड़ी तो मेहनत होती है पर उसमें जो आनंद मिलता है उससे बड़ा आराम क्या होगा
मां: तू पक्का मादरचोद बन गया है, मां को चोदने का मौका नहीं छोड़ता है
तब तक मां को भी ठरक चढ़ चुकी थी इसलिए मां ने भी जल्दी से खाना खाया और अंदर कमरे में आ गई
कमरे में मैं पहले से ही अपने शरीर पर से कच्छा उतार कर लेटा हुआ था यह देखकर मां ने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल कर पेटीकोट वही दरवाजे के पास गिरा दिया तथा नीचे से नंगी ही चल कर बिस्तर के पास आ गई तथा झुककर मेरे चूचक को चूसने लगी मैंने तुरंत ही हाथ बढ़ाकर मां के ब्लाउज के बचे हुए दोनों हुक खोल दिए।
मां ने हाथ पीछे किए तो मैंने मां का ब्लाउज उतार दिया अब मैं जन्मजात नंगा अपनी पूरी तरह से नंगी मां के सामने लेटा हुआ था मां ने मेरे होंठ की चुम्मी लेनी शुरू की और मैंने अपना हाथ बढ़ा कर मां की योनि को टटोलने लगा मां की योनि पहले ही गीली हो चुकी थी इसलिए मेरी अंगुलियां आराम से मां की योनि में सरक गई
मैं अपने दूसरे हाथ से मां के दूध मसलने लगा तो मां ने गहरी सिसकारियां भरने शुरू कर दी मां बिस्तर के साइड में खड़े होकर मेरी और झुकी हुई थी और मैं सीधा लेटा हुआ था
मां की गहरी सिसकारियां सुनकर मुझे भी जोश आने लगा तब तक मां ने अपने दोनों हाथों से मेरे लिंग तथा टटृटों को पकड़कर मैं मसलना शुरू कर दिया
मेरा लिंग तो पहले ही 90 अंश का कोण बना कर छत की तरफ देख रहा था मां के इस हमले से उसकी लंबाई तथा शक्ति बहुत बढ़ गई
मां बोली तू क्या सोचता है तू ही मां को उत्तेजित कर सकता है मां को कुछ नहीं पता
मैं बोला: मैं ऐसा सोच भी नहीं सकता जितनी मेरी उम्र है उससे कम से कम 2 साल ज्यादा तुम्हें चुदने का अनुभव है
पापा ने तुम्हें हर प्रकार से चोदा है
मां : कैसा बेटा है तू मां बाप की चुदाई को छुप कर देखता है
मैं : खुलकर तो नहीं देख सकता इसलिए छिपकर ही देखना पड़ता है
पापा तुम्हारे ऊपर चढ़ते हैं और जोर जोर से धक्के लगाते हैं
तुम पूरा-पूरा लौड़ा अंदर ले लेती हो और पूरी शिद्दत के साथ पापा के लंड को अपनी चूत में समा लेती हो उस समय जो तुम्हारी आवाजें निकलती है उनसे ज्यादा मधुर संगीत मैंने कभी नहीं सुना
तुम्हारे चुदने से और पापा के उस ताबड़तोड़ चोदने से ही तो मैं इस दुनिया में आया हूं
मां : तू इतना शैतान हो गया है बाहर आकर भी इतना ही शैतान है जितना तू मेरे अंदर शैतान था वहां भी शैतानियां करता रहता था
मैं बोला : मां, मुझे याद नहीं उस समय अगर मुझे पता होता तो जब पापा का लिंग तुम्हारी योनि में घुसता था तो मैं हाथ बढ़ाकर उसे पकड़ लेता
मां बोली ज्यादा बकबक मत कर पापा को पता चल गया कि तू उनकी हक वाली मेरी चूत* पर अपना अधिकार बना रहा है तो तुझे घर से निकाल देंगे
मैं बोला :नहीं नहीं मां!! पापा तो मुझे अपनी सभी जायदाद देने वाले हैं और तुम उनसे सबसे उनकी सबसे कीमती जायदाद हो वह भी तो मुझे ही देंगे
मां: वाह बेटा वाह !!!!! पापा की जायदाद पर भी नजर लगा कर बैठा है
मैं बोला : पापा तो जब देंगे तब देंगे पर तुम मुझे अपनी प्यारी सी जायदाद रोज देती हो इसलिए मेरे मन में कोई जल्दीबाजी नहीं है पर पापा का डर भी नहीं है
मुझे पता है जब भी मेरा झंडा खड़ा होगा जब भी मुझे भूख लगी लगेगी तुम मुझे अपनी चूत और दूध देकर मेरी भूख प्यास को शांत कर दोगी
यह कहते कहते मैंने मां को अपनी ओर खींच लिया तथा मां बिस्तर पर मेरे ऊपर आकर लेट गई मैंने मां से बोला पापा हमेशा तुम्हें नीचे लिटा कर ही चोदते हैं क्या तुम्हारा किसी दूसरे आसन में चुदने का मन नहीं करता
मां बोली: यह चोदने वाले आसन कहां से सीख रहा है तू?
मैं : कभी-कभी मेरे दोस्त कोकशास्त्र वाली किताब स्कूल में लेकर आते हैं
तू स्कूल में पढ़ता है या कोकशास्त्र देखता है
मैं: घर पर चुदाई करता हूं इसलिए स्कुल में यह ज्ञान भी ले लेता हूं
मां: इसका मतलब तू हमेशा मां को चोदने के सपने देखता है। क्या तुम बच्चे आपस में मां को चोदने की बातें भी करते हो?

मैं बोला: नहीं मां, स्कूल में और अपने दोस्तों में इस बारे में तो बात करना ही बहुत गलत हो जाएगा , मैं पूरा ध्यान रखता हूं और बाकी बच्चे भी इस तरह की बातों के बारे में बहुत सावधानी रखते हैं, हो सकता है कि मेरे कई साथी अपनी मां या बहन को चोदते हों पर स्कूल में कोई इस तरह की कोई भी बात नहीं करता है ना ही किसी को भनक लगने देते हैं स्कूल में तो सारे बच्चे अपनी मां को देवी स्वरूप यह बताते हैं
मैं आगे बोला मां मैं सारा दिन तेरे ही ख्यालों में खोया रहता हूं तुझे चूमना तुझे चाटना तुझे चोदना यह सब मुझे बहुत अच्छा लगता है, मां!!! तू बता आज कोई दूसरे तरीके से तेरे को चोदूं क्या
मां जोर से नाटकीय अंदाज़ में बोली, नहीं! नहीं !!!!!इस खानदान की रीत है इस घर की बहू में बेटियां नीचे लेट कर ही चुदती है और सब अपने पति का लंड नीचे लेट कर ही अपनी चूत में डलवाती है
मैं घर की पुरानी रीत को बदले नहीं दूंगी
मैं बोला: मान जा मां, जमाना बदल रहा है पति से तुम नीचे लेट कर चुदती रहो पर बेटे से तो नए तरीके से चुदवा लो, कहते हुए मैंने मां की जांघों के बीच में योनि के ऊपर उंगली की
अब मां पूरी तरह से मेरे ऊपर लेती हुई थी मेरा लिंग की जांघों के बीच में था और मेरे हाथ मा की पीठ पर थे और मैं थोड़ा आगे पीछे हो कर अपनी योनि को मेरे लिंग पर रगड़ने का प्रयास कर रही थी
मैं बोला : मां आज तुम मुझे चोदो
मां बोली वह कैसे ?
मैंने मां को सहारा देकर बिठाया मां मेरी जांघों के ऊपर ही बैठी हुई थी तथा मां की योनि मेरे लिंग के पास में ही थी
अब मैंने मां के मम्मे निचोड़ने शुरू कीए और मां को थोड़ा आगे की तरफ खींचा
जब मेरे लिंग में मां की चूत को छुआ तो मां एकदम से समझ गई, क्यों ना समझती मां को चुदने का 20 साल से ज्यादा का अनुभव हो चुका था
मां ने अपने हाथ से मेरे लिंग को पकड़ा थोड़ा सा ऊपर उठी और अपनी योनि को मेरे लिंग से सुपाड़े पर रखकर हिलने लगी फिर थोड़ा सा जोर लगाकर नीचे की ओर बैठी तो मेरा लिंग सीधा मां की योनि के फोल्ड के ऊपर अटक गया तो मैंने मां से कहा बहुत अच्छे बहुत जल्दी सीख रही हो बेटे का लंड चूत में अच्छे से ले लो
मां ने फिर स्थिति को समझा और मेरी जांघों के आसपास पैर रखकर उकंडू वाली पोजीशन में बैठ गई और दुबारा से मेरे लिंग को पकड़कर अपनी चूत* के मुहाने पर रख दिया और हाथ छोड़कर नीचे की तरफ सरकने लगी
मेरा लिंग सरसराता हुआ मां की योनि के अंदर धंसने लगा था जैसे गर्म चाकू मक्खन की सिल्ली में जा रहा हो
जब एक बार मेरा लौड़ा* पूरा मां की चूत में समा गया तो मां हल्के से थोड़ा सा ऊपर उठी और धम्म से नीचे बैठ गई मेरे मूसले की सुपारी की चमड़ी मां के उठने और बैठने के साथ ही ऊपर नीचे हुई जिससे मेरे लिंग पर बहुत ज्यादा घर्षण उत्पन्न हो गया यह आनंद की चरम सीमा थी
वास्तव में मां हेमा मालिनी की तरह अपने मोटे मोटे मम्मे हिलाते हुए तथा अपनी मोटी मोटी जांघों के जोर से मुझे चोद रही थी
मैंने हाथ बढ़ाकर मां के मां के मम्मे पकड़ने की कोशिश की पर मां की उछलने की स्पीड इतनी ज्यादा थी मेरा हाथ मां के पेट के आसपास ही घूमता रहा
मेरे लिंग में तनाव बढ़ने लगा और मैंने मां को जोर से पकड़ा मां की गति भी बहुत ज्यादा तेज हो गई थी और जल्दी से ऊपर आ रही थी और दम लगा के ऊपर नीचे की बजाए आगे पीछे घिसने लगी
मां के नितंबों की घिसाई मेरे टट्टों पर हो रही थी जिससे मेरे पेट में बहुत उबाल आने लगा था फिर मां एकदम से मेरे ऊपर झुक गई और मेरा लन्ड मां की चूत* में एक अलग से कौन पर अटक कर अटक गया जिससे हमारा घर्षण बहुत ज्यादा बढ़ गया इस समय मां की योनि मुझे एक बंद मुट्ठी की तरह लग रही थी जिसने मेरे लिं को अपने आसपास घेर लिया था कुछ ही सेकंड में मुझे मां की योनि की दीवारों का घटता बढ़ता दबाव एहसास देने लगा कि मां झड़ने वाली है तो मैंने नीचे से कमर उचका कर मां को संभोग का असीम आनंद देने का प्रयास किया
मेरा यह जोर का झटका मां की चूत के लिए असहनीय हो गया था जिससे मां एकदम से कंपकंपाकर झड़ने लगी। मैं गई!!!! बेटा!! हो गया बेटा!!! मेरा शाबाश बेटा !!!मेरे आस पास मां की झूमती हुई योनि मेरे लिंग को पूरी तरह से दबा रही थी जिससे मेरा लिंग भी संकुचित तथा फैलने लगा था
मेरे शरीर का रक्त प्रवाह बढ़ गया था और मैंने भी मां की चूचियों को पकड़कर मां का आंनद लिया और बोला कि मां!!! मेरी प्यारी मां!!!!! ले अपने बेटे की बारिश!!!!!! कहते हुए मैंने अपने वीर्य की पिचकारीयां मां की योनि में छोड़ दी
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Nevil singh

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मेरी सहन शक्ति खतम हो रही थी और उत्तेजना सीमा से अधिक बढ़ चुकी थी मेरा लिंग फनफनाकर बार-बार मां के नंगे बदन को सलामी दे रहा था और मेरे खून में मेरा वीर्य उबलने लगा था।
मैंने मां को अपनी बाहों में उठाया मां कोई बहुत हल्की नहीं थी पर मुझे उत्तेजना इतनी हो रही थी कि मां का शरीर 16 साल की कमसिन हीरोइन की तरह हल्का लग रहा था
मेरा एक हाथ मां की गर्दन के पीछे और दूसरा घुटनों के नीचे था और मां की गांड नीचे को झुकी हुई मेरे बड़े लिंग को छू रही थी मां को सहज से उठाकर मैं बिस्तर पर ले आया और गद्दे पर लिटा दिया मां ने अपने हाथ दोनों तरफ फैला लिए और पैरों को भी खोल दिया जिससे मां का 1-1 अंग मुझे दिखाई दे रहा था
बड़े-बड़े भारी मम्मी उनके नीचे सपाट मांसल पेट के बीच में से झांकती गहरी नाभि उसके नीचे तराशी हुई झांटे जिससे 1-2 सफेद बाल भी झलक रहे थे उसके नीचे योनि का प्रदेश जैसे कि करेला हो चीरा लगा हुआ करेला हो, योनि के आसपास कुछ बड़ी बड़ी झांटों की हिफाजत के अंदर योनि के लब कुछ आज खुले दिख रहे थे और लबों के बीच में हल्का सा गीलापन आया हुआ था आसपास सांवली सलोनी जांघें आकर्षण पैदा कर रही थी जांघों से नीचे कसी हुई पिंडलियां और उससे नीचे मां अपने पंजों को खोल बंद करके अपनी उत्तेजना को काबू में करने का प्रयास कर रही थी मैंने मां के चेहरे की ओर देखा खुले होठों से वासना वाली फुसफुसाहट आ रही थी ।
आंखें मेरे को निहार रही थी और उत्तेजना के कारण मां गर्दन को दांय-बांय कर रही थी मैंने अपना हाथ मां के 42 नंबर के उरोजों की ओर बढ़ाया और दोनों हाथों से मम्मों के निचले हिस्से को उठाते हुए उंगली तथा अंगूठे के बीच में मां के दोनों चूचक दबा लिए और हल्के हल्के उमेठने लगा
मां के साइड में लेटकर मैंने अपने होंठ मां के होठों से जोड़ दिए मां ने एकदम से अपनी जीभ मेरी मेरे मुंह में सरका दी
मैंने मां की जीभ को काबू में लिया और अपनी जीभ से मां की जीभ पर रगड़ने लगा फिर मैंने अपनी अपने जीभ मां की जीभ से जुडी जुडी ही मां के मुंह में पेल दी और अपने आपको मां के उपर दबाना शुरू किया हम दोनों की लार मिल रही थी मैंने एक कश से खींच कर सारा द्रव्य अपने मुंह में ले लिया और अपने हाथों के द्वारा मां के उरोज जोर-जोर से उठने लगा और मेरी जीभ दुबारा से मां के मुंह में प्रवेश कर गई मां को बहुत ही आनंद आ रहा था अब मैंने सारा द्रव्य अपने मुंह में खींच लिया मैं थोड़ा नीचे होकर मां की गर्दन को चाटने लगा मां सिसकारियां भर रही थी फिर मैंने मां की गालों की चुम्मी ली और अपनी जीभ से मां के कान की लौ को चुभलाने लगा जिससे मां की उत्तेजना और बढ़ गई मैंने अपने दोनों हाथ मां के कंधों के नीचे करके मां को थोड़ा ऊपर किया मां ने इशारा समझ कर अपने दोनों हाथ सिर से ऊपर उठा लिए तो मैंने मां की बगलों को चाटना शुरू किया इस दौरान मेरा लिंग मां की जांघों से टकरा रहा था और मखमली स्पर्श से मेरा लिंग फूलकर बढ़ता जा रहा था मां के बगल से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी जिसे मैं चाट रहा था मेरे दोनों हाथ मां के उरोजों से हटकर मां की नाभि की तरफ आए और मेरा मुंह मां के मम्मों को चुभलाने लगा मां के चूचक किशमिश के बड़े दाने जैसे फूल रहे थे जब मां की सिसकारियां और बढ़ने लगी तो मैंने अपने हाथ नीचे करके मां की चूत* के आसपास खेलने लगा और अपनी जीभ से मां की नाभि को कुरेदने लगा
मां ने अपनी जांघें आपस में जोड़ी जिससे मेरे हाथ की उंगलियां मां की योनि के आसपास दबाव बनाने लगे और मैंने अपना एक अंगूठा मां की योनि में पेल दिया और योनि को अंदर से सहलाने लगा मेरा अंगूठा मां की चूत की अंदर की दीवारों को सहला रहा था और मेरे हाथ की उंगलियां मां की योनि के नीचे मालिश कर रही थी दूसरे हाथ से मैंने मां के उरोज को उमेठना शुरू किया
इस समय मेरी जीभ मां की नाभि में थी मेरा एक हाथ मां की योनि के आसपास के हिस्से को सहला रहा था अंगूठा मां की योनि के अंदर था तथा दूसरे हाथ से मां के उरोजों का मर्दन कर रहा था और मेरे होंठ मां के होठों से जुड़े हुए खोकर हमारे मुखरस एक दूसरे के मुंह में प्रवाहित कर रहे थे
मेरी तथा मां दोनों की उत्तेजना सीमा से अधिक बढ़ती जा रही थी मां ने मेरे योनि के ऊपर वाले हाथ को कसकर अपनी टांगों के बीच में दबा दिया और अपने दांतो से मेरी जीभ को कुरेद ने लगी मैंने मां का इशारा समझा तथा सीधा होकर मां के ऊपर आ गया मां ने अपनी टांगे खोल दी जिससे मैंने अपनी कमर मां की कमर के नीचे ले आया और अपने लिंग को हाथ से पकड़ कर मां की योनि के मुहाने पर टिका दिया
मां के दोनों हाथ मेरे नितंबों को सहलाने लगे और मेरे दोनों हाथ मां के मम्मों को मसलने लगे
मां बोली पेल दे बेटा अपना मुसल मेरे में पेल दे ठोक दे रे अपनी मां को, अब नहीं सहा जा रहा प पूरी ताकत से अपने मुसल को मेरी चूत में ठोक दे , अच्छे से मां की चूत की सेवा कर, पेल दे , मेरे बेटा मां को प्यासा मत रख, मां काम अग्नि में जल रही है अपने काम रस की वर्षा करके मां को शांत कर दे मेरे बेटे
मैंने मां के गालों की चुम्मी ली और जोर से झटका मारकर बोला मेरी प्यारी मां ले तेरा ही पाला पोसा मुसल है यह लंड* तेरी चूत* में नहीं जाएगा तो इसका क्या फायदा , मेरे होते हुए मेरी मां प्यासी रहे काम की अग्नि में जले तो धिक्कार है मुझ पर, ले मेरी मां मेरा लौड़ा* सिर्फ तेरे लिए ही बना है और सिर्फ तेरी ही योनि में समा रहा है , तूने ही इसको बनाया है, ले मेरी मां मेरा लंड तेरा अपना लंड ले! ले ले !!! ले मेरी मां ! यह ले और जोर से
कहकर मैंने आपने लौड़े को बाहर खींचा और दोबारा से मां की योनि के अंदर ठोक दिया
मां ने भी उत्तेजित होकर अपने पैर उठाकर मेरे पैरों पर कैंची बना ली जिससे मेरे लिंग को मां की योनि के अंदर बहुत सहजता से गहराई नापने का अच्छा आसन मिल गया
नीचे से मां अपनी कमर को झुका कर मेरे लिंग को अपने काबू में करने का प्रयास कर रही थी और मैं ऊपर से धक्के मार कर अपने लिंग को मां की योनि की पूरी गहराइयों में उतारने का प्रयास कर रहा था मेरे दोनों हाथ मां के कदमों से नीचे निकलकर मां की मेरी छाती से चिपका रहे थे और योनि लिंग हमारे पेट तथा छातियां कंधे एकाकार हो रहे थे सिर्फ कमर धक्के लगाने के कारण कुछ क्षण के लिए ही लिंग और योनि अलग होते थे और फिर से हम दोनों के शरीर एकाकार हो जाते थे
बहुत ही जोश उत्तेजना और आनंद का वातावरण था मां मेरे को उत्तेजित करने के लिए , बेटा पेल दे!! बेटा मां की सेवा कर!! मेरे राजा!! मेरी आग बुझा दे !!! बोल रही थी और मैं भी पूरे जोश के साथ मां को ठोकते हुए ले मेरी मां ! ले मेरी प्यारी मां!! भरले अपनी योनि !!!मां तेरा बेटा तेरी सेवा में लगा हुआ है! अपने में समा ले मुझे !!!!मेरी मां !!!
यह कर मैं जोर-जोर से धक्के लगा रहा था फिर मां ने अपने पैरों की कैंची से मेरे पैर बांध लिए और अपने नाखून मेरी पीठ में चुभोने लगी
मैंने भी अपने बाजू से मां के कंधे के नीचे से निकाल कर मां को अपनी और जोर लगाकर खींचा तथा कमर से लगातार झटके मारता रहा ऐसा करते करते मेरी सांस तेज होने लगी तथा मां की सास गहरी होने लगी
शाबाश मेरे बेटा !!शाबाश!!! मैं आने वाली हूं !मैं झड़ने वाली हूं!!! हां मेरे बेटा ;;;; आजा , मेरे प्यारे राजा बेटा!!!!
ले मेरी मां मेरी प्यारी मां! मेरी सुंदर मां! ले !!! तेरा बेटा तेरे ऊपर प्रेम की वर्षा कर रहा है!!! ले मेरी मां !!!
कहते कहते मेरे पूरे शरीर में झनझनाहट बढ़ने लगी और मैंने महसूस किया कि मेरे लिंग से लावा निकलकर मां की योनि में भरता जा रहा है मां ने भी मेरी पीठ पर अपने हाथ सटा दिए और अपनी कमर की गति को विराम दे दिया और कस कर मेरे से लिपट गई कुछ गहरी सांसो के बाद मां स्खलु हो गई और हमारे हमारा आलिंगन कुछ ढीला पड़ गया,
हम दोनों थक कर चूर हो गए थे क्योंकि यह सुबह से हमारा लगातार तीसरा संभोग था
काफी देर तक सांसे व्यवस्थित करने में लगी फिर मां मुस्कुराई और बोली वाह मेरे बेटा!!! तेरी प्यास तो बुझती ही नहीं है! जब देखती हूं , अपना घोड़े जैसा लिंग लेकर मां के ऊपर चढ़ने को तैयार रहता है !!
मैं बोला: मां मेरी, यह प्यास नहीं यह मेरी शक्ति है जो तुम्हारी सुंदरता और प्यार के कारण मिलती है। मैं इस पूरी शक्ति के साथ मां की शरीर और मन की सारी भूख मिटाना चाहता हूं
मां ने मेरे नितंबों पर हल्की सी चपत मारी और बोली मां की चूत* भी मारता है और एहसान भी चढ़ाने का प्रयास करता है । शुक्र मना ऐसी मां मिली है जो तुझे बिना हिचके अपनी चूत मारने देती है
मैंने मां की नाभि को चूमा और बोला !! मेरी मां मेरा पूरा ध्यान रखती है सच में मां!! तूने मुझे सब तरह से संतुष्ट करके मुझे भटकने से रोका हुआ है, मुझे पढ़ाई के अलावा सिर्फ तेरा ही ख्याल रहता है
मां मेरे नितंबों को सहलाते हुए बोली बेटा कुछ खा ले
मैंने मां के मम्मों को थोड़ा सा सहलाया और बोला मां तेरा दूध पीकर पीने के बाद भूख कहां लगती है
मां: तू मेरा दूध मुंह से पीता है और लंड से निकाल कर मेरी चूत में भर देता है भूख तो लगी ही होगी
मैं बोला चूत में कहां भरा जाता है चूत में सिर्फ रखा जाता है चल आज उसी दूध और उसमें मिले हुए तेरे अमृत को चाट लेता हूं
मां बोली हट गंदे चूत चाटेगा
मैं: मां की चूत* चाटने में जो आनंद होगा वह शायद दुनिया का सबसे अच्छा अमृत चाटने में भी नहीं होगा
कहकर मैं नीचे की ओर सरका तथा अपने होंठ मां की चूत पर लगा दिए मैंने एक बार जोर से सांस खींचकर चूत की हांडी में रखा हुआ मेरा तथा मां का कामरस मेरे मुंह में समा लिया तथा स्वाद लेकर उसे निगल लिया बहुत स्वाद था। मैंने दुबारा सांस भरी और कुछ और कामरस मेरे मुंह में आ गया,
मां बोली: मुझे भी चखा तो मैंने ऊपर होकर अपने होंठ मां के होठों से जोड़ दिए और दोनों का मिलाजुला काम रस मां के मुंह में भर दिया मां ने चटखारे लेकर जूस को निगल लिया और बोली: वाह रे वाह!!! अभी तक मैं इसे बेकार ही कर देती थी आगे से तेरा वीर्य हम दोनों पी लेंगे अब इसे बेकार नहीं गिराएंगे
मैं बोला: मां अगली बार चूदाई से पहले एक एक बार मैं तेरी मलाई सीधी चूत में से चाट लूंगा और तुम मेरे गन्ने को चूसना दोनों का विशुद्धानंद लेंगे और चुदाई के बाद वीर्य रस तथा मलाई का मिश्रण आपस में मिलकर खाएंगे
मां ने हामी भरी तो मैंने पलट कर मां के ऊपर अपनी पोजीशन संभाल ली
मां की योनि मेरे मुख पर थी और मेरा लिंग मां के होठों को छू रहा था मैंने झुक कर मां की योनि में अपनी जीभ डाल दी और मां ने सिर थोड़ा सा ऊपर करके मेरे लिंग को अपने होठों में ले लिया और मेरे लिंग के सुपाडे को से खेलने लगी मैंने भी अपनी जीभ से मां की योनि को कुरेदना जारी रखा
वासना के आवेश में मां ने अपने पैर कुछ खोलें जिससे मेरा सिर मां की जांघों के बीच में समा गया और जीभ मां की योनि में बहुत गहराई तक समा गई
इधर मां ने भी मेरे आधे से ज्यादा लिंग को अपने मुंह में भर लिया था और जीभ से मेरे लन को पर दबाव डाल रही थी मैंने अपने हाथों से मां के नितंबों को पकड़ा और अपना सिर और गहराई में मां की जांघों के बीच में दबा दिया
मां ने झुकते हुए मेरे लिंग को अपने मुंह में ले लिया इस प्रकार से इकट्ठे ही एक दूसरे का लंड और चूत चाटते हुए हम आनंद लेते रहे क्योंकि पहले हम तीन बार संभोग कर चुके थे इसलिए हमें का उत्कर्ष पहुंचने में समय लग रहा था लिंग और योनि चूसने की मां को बहुत मजा आ रहा था हम दोनों को झड़ने का एहसास होने लगा
मां ने मेरा लिंग मुंह से निकाल कर पूछा ऐसे ही चाट लें या मेरी च** में झड़ेगा?
मैंने बोला आज मुख्य मंथन का पूरा आनंद लेते हैं
कहकर मैं मां के मुंह में लगा लगातार झड़ने लगाओ और मां ने भी अपने दांतो जीभ तथा होठों के दबाव से मेरे लिंग को पूरा निचोड़कर एक छोटी सी लुल्ली बना दिया था
अब मैंने अपना ध्यान मां की चूत पर केंद्रित किया और अपने उंगलियों को मां की योनि के आसपास रगड़ने लगा तथा जीभ मां की योनि के अंदर अपना काम कर रही थी इस प्रकार से, मैं , मां को पूरा आनंद देने की कोशिश कर रहा था कि मुझे लगा की मां को और ज्यादा आनंद देना चाहिए तो मैं मां के ऊपर से उतरकर मेंढक बनकर मां की टांगों के बीच में बैठ गया और अपने मुंह से मां की योनि को चाटने लगा जीभ लंबी निकालकर मां की योनि को चाटने लगा मां की सिसकारियां भरने लगी मैंने अपने हाथ नीचे ले जाकर मां के नितंबों पर रखें टांगों को थोड़ा सा और खोलकर अपनी जीभ मां की योनि में पूरी तरह से डाल दी और अपने होठों से मां के योनि के होठों को सील बंद कर दिया और मां की योनि में से रस को खींचने लगा
सांस की खींचने के कारण मां की योनि संकुचित होने और फैलने लगी मां की कसमसाहट बढ़ने लगी थी
मां ने अपनी दोनों टांगों और दोनों जांघे मेरे सिर के आसपास लपेट दी
मां की उठी हुई बांहे मेरे कंधों से होते हुए मेरी पीठ पर तबला बजा रही थी और मैं गहरी सांस लेता हुआ मां की योनि के अमृत को खाली करने में जुटा हुआ था
मेरे इस तेज आक्रमण से मां की सांसे फिर से गहरी होने लगी मैंने हाथ नीचे करके मेरे बालों को पकड़ लिया और जोर से मुझे अपनी योनि के अंदर करने लगी अब मेरी जीभ मां की योनि की दीवारों पर संकुचन को महसूस कर रही थी और धीरे-धीरे मां की अंदर की दीवारों से स्त्राव शुरू हो गया और मैं जीभ से दूध के अंदाज से, मां के रस को अपने मुंह में खींचने लगा
मां की कामुकता अपनी चरम सीमा पर थी और मां बहुत देर तक झढ़ती रही और जैसे ही मां का वासना ज्वर शांत हुआ मां ने अपने दोनों हाथों से दोनों पैर ढीले छोड़कर बिल्कुल सीधी होकर बिस्तर पर लेट गई जैसे कोई शक्ति ही ना बची हो मैं भी मां की बगल में पीठ के बल लेट गया और अपना हाथ मां के ऊपर रख दिया
एक असीम शांति का अनुभव हो रहा था ऐसे ही पता नहीं कब हम सो गए और बहुत देर बाद हम दोनों की मेरी नींद खुली तो मैंने देखा मां वैसे ही नंगी सो रही थी मैं धीरे से उठा और एक पतली चादर मां के शरीर पर डाली तथा बाथरूम में चला गया वापस आने पर देखा ना वैसे ही सो रही है अब मैंने मां को और ज्यादा मेरा लौड़ा* तनाव में आ गया था पर मैंने अब मां को बहुत ज्यादा परेशान करना उचित नहीं समझा और मां की बगल में लेट कर सो गया
Amazing update dost
 
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मेरी मौसी मेरी मां से लगभग 12 साल छोटी है और बहुत ही मस्त है मुझसे बहुत ज्यादा स्नेह करती है और बचपन से ही मुझे अपनी गोदी में लेकर घूमना खेलना अपने साथ सुलाना उसको बहुत पसंद है जब मौसी की शादी हुई तो मैं बहुत छोटा था तो कई बार मौसी के घर जाकर भी रह जाता था वहां पर भी मैं मौसी के साथ ही सोता था
धीरे-धीरे हमारा मिलना कम होता गया पर मौसी का स्नेह उसी प्रकार से बना रहा पिछले महीने मौसी घर पर हमारे घर रहने आई मौसी के दोनों बच्चे पढ़ाई में व्यस्त थे अतः मौसी को अकेले ही आना पड़ा यहां आकर मौसी पूरी मस्ती के मूड में थी और मेरे से मेरे साथ घूमना फिरना ताश खेलना सब चलता था मां, मैं और मौसी हम तीनों बहुत ही मस्ती कर रहे थे
मौसी भी यहां आकर अपने कपड़ों से बेपरवाह रहती थी मौसी सिर्फ एक नाइटी पहन कर घूमती थी मौसी को भी कच्छी या ब्रा पहनने की आदत नहीं थी वह ब्रा और कच्छी के बिना बहुत सुविधा महसूस करती थी मैं मौसी के सामने कच्छे की जगह पजामा पहने लगा था कभी कभी ऊपर टी-शर्ट डाल लेता था तो मेरे बिना कच्छे वाले पजामे में टनटनाता हुआ लिंग झूलता रहता था उधर मौसी की नाइटी में मौसी के बड़े-बड़े मम्मे मुझे आकर्षित करते रहते थे
मेरे लिए मां और मौसी में कुछ फर्क नहीं था और मौसी भी मुझसे मां की तरह ही व्यवहार करती थी पर मौसी को क्या पता था कि पिछले वर्षों में मेरा और मां का संबंध किस प्रकार से और ज्यादा प्रकार हो गया है पर स्त्री की छठी इंद्री बहुत जागृत होती है इसलिए मौसी ने बिना कुछ कहे सुने ही मेरे साथ मां जैसा व्यवहार करना शुरू कर दिया था मौसी ने जरा भी नहीं सोचा कि मेरा और मां का व्यवहार सामान्य मां बेटे के व्यवहार से ज्यादा शारीरिक संबंध वाला है
मौसी इसी तरह से अपने मैक्सी के बटन खुले रहती थी जिसमें उसके मम्मे मुझे स्पष्ट दिखते थे और उठते बैठते समय मौसी कई बार अपनी मैक्सि को जांघों तक उठा लेती थी जिससे मास्सी की मांसल जांघें तथा जांघों के जोड़ तक का हिस्सा कई बार मुझे दिखाई देता था मौसी उठने बैठने खेलते समय कभी मुझे अपनी गोदी में लिटा लेती थी कभी गहरा आलिंगन कर लेती थी और कभी मैं मौसी के साथ लेट कर चिपक कर सो जाता था और मेरे हाथ मौसी के पेट पर होते थे तथा मेरा लिंग मौसी की चूतड़ों की दरार में अटका होता था हम दोनों जफ्फी डालकर लेटते थे और कभी स्पून की तरह मेरे लिंग तथा मौसी के गांड के बीच में सिर्फ मेरे पजामे तथा मौसी की मैक्सी का महीन कपड़ा ही होता था पर लिंग की सख्ति तथा चूतड़ों के नर्म गाल हम दोनों एक अच्छे से महसूस करते थे
इस तरह से हम लोग पूरी मस्ती में थे
मैं मौसी के आलिंगन को आमंत्रण समझता था पर बचपन से अभी तक के घनिष्ठ बेतकल्लुफ संबंधों के कारण डरता भी था कि कहीं मौसी नैसर्गिक रूप से ही मुझसे मां की तरह प्यार करती हो और मेरे द्वारा किया गया नंगापन कहीं मौसी को आहत ना कर दे
पर बहुत बार मुझे मौसी के साथ लेट कर चिपकने तथा मौसी के पेट पर हाथ फेरने उसके नितंबों को दबाने और बहाने इत्यादि से मां जैसी मौसी के उरोजों को छूने सहलाने दबाने में मुझे बहुत आनंद आता था और मौसी ने कभी भी अपना इस बात का बुरा नहीं माना था
इस प्रकार से बहुत दिन बीत गए थे मौसी के घर में होने के कारण मेरा तथा मां की चुदाई का कार्यक्रम भी नहीं बन पा रहा था और इधर मौसी तथा मां के साथ चिपकने लिपटने के कारण मेरे मन में कामवासना का दबाव बढ़ता जा रहा था और एक दो बार तो मैंने मुट्ठ मार कर अपने को शांत किया पर मुझे लगा, मां का क्या? मैं इतना स्वार्थी क्यों हूं कि सिर्फ अपनी भूख की शांति पर ध्यान देता हूं, मां के कामवासना की भी शांति जरूरी है । इसलिए मैंने मौका ढूंढना शुरू किया बीच में 1 दिन मौसी किसी काम से बाहर गई तो मैंने झटपट से मां को इशारा किया मां भी चुदासी सी तैयार बैठी थी मां ने झटपट आंगन का दरवाजा बंद किया और मुझ पर टूट पड़ी मैंने मां के पेटीकोट को ऊपर किया और नीचे बैठकर मां की योनि चाटने लगा मेरी जीभ के प्रभाव से मां की सिसकारियां निकलने लगी और मां ने अपने आप अपना ब्लाउज खोल दिया तथा मेरे पजामे का नाड़ा भी खोल दिया
मैंने मां को गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा कर मां की जांघों के बीच में अपना मुंह देकर योनि चटाई करने लगा और अपने हाथों से मां के उरोजों का मर्दन करने लगा मां की सिसकारियां बढ़ती जा रही थी और मां ने अपने हाथ से मेरे लिंग तथा अंडकोषो को सहलाना शुरू किया हुआ था मां तथा मुझमें वासना का ज्वार एकाएक ही बहुत बढ़ गया था मैंने अपने दोनों हाथ मां के चुतड़ों के नीचे लाया कर मां के शरीर को सेट किया मां ने अपने हाथ से मेरा लिंग अपनी योनि के मुख पर दिखाया और मेरे उबलते हुए सख्त तमतमाए हुए लंड को अपनी योनि के तंग रास्ते पर सैर करवाने के लिए थोड़ा सा ऊपर को उचकी
मैंने भी जोर से धक्का मारा और मेरा लिंग सनसनाता हुआ सीधा मां के गर्भ के मुहाने पर टक्कर देने लगा
मेरे से और तनाव बर्दाश्त नहीं हो रहा था इसलिए मैंने झटपट से धक्के मारने शुरू किए ***ले मेरी रानी मेरी प्यारी मां---- मेरी सुंदर मौसी .....
यह सुनते ही मां एकदम से रुकी और बोली **** भूतनी के मां को चोदते चोदते मौसी को याद कर रहा है शर्म नहीं आती
मैं देख रही हूं जब से आई है तब से तुम मौसी के मिक्सी के अंदर ही झांटता रहता है तथा उससे लिपटता चिपकता रहता है
सारा दिन मैं तेरा लिंग भी खड़ी अवस्था में दिखती हूं
मैं हंसने लगा और बोला मां मौसी तेरा ही तो रूप है तेरे जैसे नरम नरम गाल, मासांल मोटे मोटे जांघ नर्म नर्म उरोज सख्त गांड बड़े-बड़े मम्मे सब कुछ तेरे जैसे ही तो हैं
मुझे तो लग रहा है इन दिनों घर में मेरी दो दो मां है
मां हंसी और बोली मां चाहे दो हों या चार, तू मादरचोद एक ही मां का बनेगा दूसरी मां की चुदाई करने की सोची भी तो पूरे खानदान में शोर मच जाएगा और दो के चक्कर में एक मां की चूत भी को देखा
भूल कर भी मौसी को अपना मासी पर अपना नंगा लंड मत पर रगड़ना कपड़ों के ऊपर से जो भी करेगा मौसी उसे सहज में बर्दाश्त कर लेगी पर जैसे ही तूने नंगापन किया तो हड़बड़ा उठेगी
उसे कभी भी अपने पति से इतर संबंध बनाने में किसी प्रकार का आकर्षण नहीं दिखता इसलिए सावधान रहना सिर्फ ब्लाउज के ऊपर से दूध लेना पर अपने पंजों से दूर से भी उसके उरोजों पर कभी मत लगाना तथा कभी भी आपने लिंग को बिना कपड़ों की उसके ऊपर मत रगड़ना इसी में तेरी और मेरी भलाई है
यह मैं उससे ईर्ष्या बस नहीं कह रही हूं बल्कि उसके स्वाभाव को समझकर कह रही हूं यह बात करते-करते हम सामान्य गति से धक्के लगा रहा था मां को भी आनंद आ रहा था मैंने अपने हाथ मां के मम्मों से हटाकर मां के कंधों के नीचे से निकाले और मां की छाती को अपनी छाती से जकड़ लिया और अपनी कमर का दवाब मां की जांघों के बीच में लगाया और अपना लिंग जड़ तक मां की योनि में घुसा दिया अब मेरे अंडकोष मां की योनि के आसपास रगड़ खा रहे थे अपनी मां होंठ मां के होंठों से जोड़े और अपनी जीभ मां के मुंह में सरका दी
मां भी जोर जोर से मेरी जीभ चूसने लगी और नीचे से कमर उचका कर मेरे लिंग का दवाब अपनी योनि के अंदर महसूस करने लगी मेरी छाती मां के मम्मों को दबा रही थी मेरे हाथ मां के कंधों को सहला रहे थे फिर मैंने एक हाथ से मां की गर्दन और दूसरे हाथ से मां के कान के लौ को सहलाना शुरू किया
मां अपने दोनों हाथों से मेरे नितंबों पर दबाव बना रही थी हम एक दूसरे में एकाकार हो रहे थे फिर मां का वासना का जोर बढ़ने लगा और मां ने अपने पैरों की कैंची बनाकर मेरे पैरों के ऊपर दबाव बनाया और मैंने भी मां के गालों का चुंबन लेते हुए जोर जोर से धक्के मारने शुरू किया
मेरे खून में वासना का ज्वार उठने लगा और मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ गई मां की सांसे भी गहरी होती जा रही थी
और मैंने मां की योनि में लिंग में से वीर्य का ज्वालामुखी छोड़ना शुरु कर दिया मां की योनि भी फैलने सिकुड़ने लगी और फिर मेरे लिंग ने महसूस किया कि चूत की दिवारों ने उसको जकड़ लिया है
चूत का इतना जोर मैंने पहली बार अपने लिंग पर महसूस किया और मुझे लगा मेरे लिंग और अंडकोष में से वीर्य की 1-1बूंद निचुड़ गई है अपने होठों से मां के होंठों को चूसना शुरू किया और मां भी साथ देने लगी मैंने जीभ को थोड़ा और गहरा सरकाया और हम एक-दूसरे का मुखरस पीने लगे
फिर मां ने इशारा किया तो हम करवट के बल लेट गए मां के दोनों पैरों के बीच में मेरे दोनों पैर थे और हम दोनों के हाथ एक दूसरे को दबा रहे थे
मेरी छाती मां के छाती पर पूरी तरह से दबी हुई थी इस प्रकार से हम एकाकार होने का आनंद ले रहे थे
मां ने फिर मौसी का जिक्र छेड़ा और बोली कि बेटा तेरी मौसी को मैं बहुत प्यार करती हूं और तुझ से भी
अगर तुम उसको चोद देगा तो मुझे मुझे अच्छा ही लगेगा क्योंकि इसमें दोनों को खुशी मिलेगी परंतु मैं उसके स्वभाव को जानती हूं आत: तुम दोनों का रिश्ता अच्छा बना रहे इसके लिए सुझाव देती हूं कि तू चाहे लगातार मौसी से चुम्मा चाटी कर कपड़ों से ऊपर से तू सुखी चुदाई कर ले मौसी नीचे लेटी हो तो उसके ऊपर लेट कर जोर से कुश्ती लड़ ले अपना लिंग उसकी जांघों पेट और चूत* के आसपास भी रगड़ देगा या उसकी गांड में भी रगड़ कर झड़ भी जाएगा तो वह उसे तेरा बचपना समझ कर कुछ नहीं बोलेगी और तेरे को झड़ने का आनंद देने में आनंदित महसूस करेगी
पर अगर तुम्हें उसको खुले रूप से चोदने की कोशिश की तो उसके भावनाएं आहत हो जाएंगी और तेरे प्रति उसका प्यार कम हो जाएगा या खत्म हो जाएगा इसलिए ऐसा मत करना
मैंने झुक कर मां की चूत के आसपास फैले हुए अपने तथा मां के रस को थोड़ा सा चाटा और चूत को चूमकर बोला
मां !!! मेरी प्यारी मां जैसा तुम बोलती हो वैसा ही करूंगा तेरे से ज्यादा मेरी खुशी का ख्याल और कौन रख सकता है। कहकर मैं वहां से थोड़ा पीछे हुआ दोबारा से चुम्मा लिया तथा और अपना पजामा पहने लगा मां ने भी उठकर अपना ब्लाउज पहना इतने में ही आंगन के दरवाजे खटखटाने की आवाज आई तो मैं अंदर कमरे में चला गया तथा मां ने दरवाजा खोला
मौसी वापस आ गई थी । मासी ने घर पर फैला सामान देखा और बोली जैसे मैं गई थी सब वैसे ही फैला हुआ है
मां बोली मैं टॉयलेट चली गई थी इस पर मौसी ने कोई शक नहीं किया और कमरे में आकर मुझे ताश खेलने के लिए आवाज देने लगी और हम दोनों बैठ कर फिर से लिपट कर ताश खेलने लगे
Nice update mitr
 
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मौसी मेरे साथ पूरी मस्ती के मूड में रहती थी मौसी का अधनंगा शरीर मैक्सी में से छलकते मम्मे हिलते थिरकते हुए नितंब झुकने पर खुले गले में से दिखते हुए निप्पल हमेशा मुझे उत्तेजित रहते थे और मौसी बहुत ही लापरवाही से मुझे अपने उघड़े हुए बदन का दर्शन करवाती रहती थी
उठते बैठते घूमते फिरते हमारा आलिंगन तथा एक दूसरे से लिपटना चिपटना आग में घी जैसा काम करता था और पजामे में मेरा लिंग हमेशा तंबू बनाता रहता था मासी ने भी शायद मेरे तंबू को महसूस किया हो पर उसने कभी जाहिर नहीं किया
स्वाभाविक रुप से हमारा एक दूसरे से लिपटना चिपकना चलता रहता था मौसी जब झुकती थी तो उसकी मैक्सी के गहरे गले में से मोटे मोटे मम्मे और उनके ऊपर अंगूर की तरह गहरे रंग के निपल्स गहरी नाभि सब दिखता था क्योंकि मासी ब्रा और पेंटी नहीं पहनती थी तो कई बार मासी जब कपड़े निचोड़ने के समय ज्यादा झुकती थी उसकी झांटे तक दिखाई दे जाती थी और यह देखते समय मेरा मन उत्तेजित हो जाता था तो मेरा तना हुआ लिंग पजामे में बड़ा तंबू बना देता था।
मासी की नंगी योनि का दर्शन मुझे अभी तक नहीं हुआ था कई बार टीवी देखते समय सामने सोफे पर मैं और मासी एकसाथ लेट से एक दूसरे को छूते रहते थे मासी मेरी गोदी में सिर रख कर लेट जाती थी तो उसका उसके गाल मेरे तने हुए लिंग को कभी कबार छू जाते थे पर मासी ने कभी हड़बड़ा कर मुंह नहीं हटाया इसी प्रकार लेटी हुई मासी की गोदी में लेटने पर मेरा मुंह मासी की नाभि और मम्मी को रगड़ जाता था तो भी मासी ने कोई नोटिस लिया हो ऐसा नहीं दिखाया एक दो बार तो मुझे मासी की गोदी में लेटे हुए मासी के मैक्सी के पतले कपड़े के बीच में से मासी की झांटों के चुभने का एहसास भी अपने गालों पर हुआ और जब मैंने अपना मुंह ज्यादा दबाया तो मासी की योनि के होंठों का भी एहसास मुझे अपने मुंह पर हुआ तो मैंने अपने गाल मौसी की चूत के आसपास रगड़ दिए फिर भी मासी ने जैसे कुछ ध्यान ही नहीं दिया हो
जब कभी हम आलिंगन करते हैं तो मासी के बड़े बड़े दूध मेरी छाती से दब जाते थे मासी आलिंगन को और गहरा कर देती थी तथा मैं भी कसकर मासी को अपनी छाती से चिपका लेता था और इस तरह हमारा आलिंगन कई बार बहुत देर तक चलता था पर मासी ऐसा जाहिर कर दी थी जैसे यह मां बेटे का ही आलिंगन हो
1 दिन मौसी बहार छत पर रेलिंग के पास खड़ी बालकनी में रेलिंग के पास खड़ी गली में देख रही थी मैं मौसी के साइड में खड़ा था और कुछ देर बाद मुझे मेरी कोहनी के ऊपर नरम नरम रुई के फाहे जैसा एहसास हुआ तो मैं उसी स्थिति में रुक गया
कुछ देर बाद मैंने ध्यान दिया की मेरी कहानी पर सुखद अहसास बढ़ गया है जब मैंने कनखियों से देखा की मौसी मेरी तरफ सरक गई थी और मौसी ने अपने बूब्स को मेरे हाथ पर और ज्यादा दबा दिया था
मौसी तिरछी खड़ी होकर आगे कुछ देखने का प्रयास कर रही थी मैं उसी मुद्रा में खड़ा रहा फिर अचानक मौसी बोली अरे देख गली में किसकी आवाज आ रही है
मैं मौसी के पीछे खड़ा हो गया मैंने दोनों हाथ मौसी की बगल से निकालकर रेलिंग पर रखे और मौसी के कंधों के ऊपर से झांककर गली में देखने लगा मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था
मौसी ने बोला आगे झुक कर देख जब मैं आगे झुका तो मेरी कमर मासी के नितंबों से पूरी तरह से सट गई और मैं मौसी के पीछे स्पून की तरह खड़ा हो गया और गर्दन आगे करके देखा तो मुझे एक बंदर का नाच दिखाने वाला मदारी आता दिखा उसने हमारे घर के सामने ही रुक कर मजमा जमा दिया और बंदर बंदरिया का नाच दिखाने लगा थोड़ी देर में ही गली के बहुत सारे बच्चे खड़े हो गए मैं उसी प्रकार मौसी के पीछे मौसी से सटकर खड़ा रहा मेरा लिंग मौसी के नितंबों पर दबाव बना रहा था ना मौसी ने कोई रिएक्शन दिया और ना ही मैंने कुछ नरमी बरती और उसी प्रकार से आनंद लेता रहा
...... आगे फिर..........
Gajab ka update mitr
 
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