शाम को मां जब घर से वापस आई तब तक मैं चाची को दो बार चोद कर अपने कमरे में आकर पढ़ाई में व्यस्त हो गया था
पिछले दो दिनों में दो समझदार मैच्योर अनुभवी चूतें मिलने के कारण मैं बहुत ही उत्साहित था चाहे उनमें से मां की चूत मुझे दया भाव या मां के वात्सल्य, प्यार के कारण मिली हो या चाची की चूत मुझे उस बेचारी के अकेलेपन, मिर्गी के दौरे तथा अंदर की कुंठा के कारण मिली हो पर मेरा लंड 2 चूतों में था और सिर मम्मों के बीच में, ऐसे में पढ़ाई में बहुत मन तो नहीं लग रहा था किंतु फिर भी मैं जैसे तैसे आपने कंपटीशन की तैयारी करने में लगा हुआ था। रात को जब मां बिस्तर पर लेटी तो मैं अपनी पढ़ाई पूरी करके मैं उसके पीछे जाकर आलिंगन करके लेट गया मैंने अपना एक हाथ उसके पेट पर रखा और दूसरा ब्लाउज की तरफ ले जाने लगा मां ने मेरा हाथ पकड़ कर वहीं रोककर पेट पर ही दबा दिया और बोली , आज नहीं बेटा, यह खेल रोज-रोज नहीं करना, तेरे को कमजोरी आ जाएगी कभी कबार जब बहुत मन करे तो मेरी चूत मार लेना और जब मुझे भूख लगेगी तो मैं तेरा लंड मांग लूंगी पर रूटीन में ऐसा नहीं करना।
मियां बीवी भी एक टाइम के बाद रोज-रोज नहीं करते हैं और मैंने तो तेरा ध्यान भटकने से रोकने के हिसाब से तुझे अपनी प्यारी योनि दी है। मैं समझ गया कि मेरे और मां के रिश्ते में संयम बहुत जरूरी है और हमें बिल्कुल मां बेटे वाला व्यवहार ही रखना है मां की चूत मस्ती के लिए ना लेकर केवल ऐसे ही लेनी है जैसे भूख लगने पर रोटी खानी है मन तो कभी नहीं भरता, भगवान श्री रजनीश ओशो ने एक थ्योरी दी थी कि चुदाई इतनी कर लो और इस तरह से ठोक ठोक कर, लंड चूत जो भी मिले, जिसका भी मिले, जिस पर भी मन करे उसको दे दो या उसे ले लो, भोग में इतने लिप्त हो जाओ कि तुम्हारा मन रूप से भर जाए।
जैसे मिठाई खाने से होता है किंतु मैंने मुठ मारने की मेराथन के बाद भी अनुभव किया था कि कितनी बार भी चूत ले लो या मुट्ठ मार लो कुछ घंटे या एक दिन के लिए तो लंड खड़ा नहीं होता किंतु उसके बाद वापस भूख लग जाती थी और लंड सपनों में ही किसी की चूत मारता था या मुझे जागते हुए हस्त मैथुन करना पड़ता था। इसलिए मां की सीख ठीक लगी कि जरूरी होने 1 नियम से ही हम आपस में चुदाई करें।
मां ने नियमित रूप से बिना कच्छी और ब्रा के पेटिकोट और ब्लाउज पहनना जारी रखा झाड़ू पोछा करते समय मां की थिरकती हुई गांड और जब पसीने से या पानी के सीटों से पेटीकोट थोड़ा सा गीला हो जाता था तो बीच की दरार और गांड के गाल बिल्कुल साफ दिखते थे।
जब कभी मैं अंदर होता था और मां दरवाजे के पास या रोशनी के सामने होती थी तो मुझे उस के पेटीकोट में से छनकर आती रोशनी से उसकी पिंडलियों जांघों और झांटों का एहसास हो जाता था।
जब मां पोछा लगाने के लिए नीचे झुकती थी तब उसके 40 साइज की मम्मी ब्लाउज से बाहर छलकते थे और मां सामने से मुझे अपने लन को कच्छे के अंदर सेट करते हुए देख कर मुस्कुरा देती है
मां जब जब कपड़े धोती थी तब पेटीकोट ब्लाउज पूरी तरह से गीले हो जाते थे तो उसके निप्पल और चूचक बिल्कुल साफ दिखते थे पेटिकोट जांघों से ऊपर उठा रहता था जिससे मेरा जन्मस्थान यानी कि मां की योनि झांटों में लिपटी हुई बहुत साफ दिखती थी पर मां ने पहले भी कभी इस प्रदर्शन को अस्वाभाविक मानकर ना तो इसको छिपाने की कोशिश और ना ही मेरे या भाई के द्वारा खुले दर्शन में कोई बिगर नहीं डाला मां का अपने शरीर का पूरा खुला प्रदर्शन हम दोनों भाइयों के लिए ही आरक्षित था जब कोई मेहमान या कोई अन्य व्यक्ति घर में होता था तो मां साड़ी लपेट लेती थी या मैक्सी पहन लेती थी।
मेरे को चूत देने के बाद भी मां ने उसी तरह से व्यवहार चालू रखा। मैं भी घर में कच्छे में ही घूमता था जिसमें मेरा लौड़ा दाएं बाएं झूमता रहता था जब तंबू बन जाता था तब मां को साफ दिख जाता था और मां हंस कर कहती थोड़ा शरारती हो रहा है इसको काबू कर।
मैंने निश्चय किया कि आगे से मैं मां से चूत हफ्ते में एक ही बार मांगूंगा और बड़े ध्यान से मां के इस प्रस्ताव को ग्रहण करके अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे दूंगा।
आमतौर पर शनिवार को पिताजी और भाई घर आ जाते थे इसलिए शनिवार और इतवार की रात मां की चूत मारना संभव नहीं था बाकी किसी दिन में हम लंड चूत का खेल, खेल सकते थे यह सोचते सोचते मैं पता नहीं कब नींद के आगोश में चला गया ।
अगले दिन पुराना ढर्रा शुरू हुआ मैं स्कूल गया वापस आने पर देखा की मां मेरा खाना रखकर नानी के घर गई हुई है और उधर घर में चाची अकेली थी। चाची अपने कमरे में कुछ साफ सफाई कर रही थी मैं खाना खाकर चाची के कमरे में गया तो देखा कि चाची कमरे में कुछ साफ सफाई कर रही है चाची : आ गया तू
मैं : हां चाची, तुम्हारी खुशबू ने मुझे खींच लिया,
चाची : तूने मेरे को ठीक करने का जिम्मा लिया है, मुझे पता है तू यह काम तू मेरी चुदाई मजे के लिए नहीं पर मेरी दवा के तौर पर कर रहा है
मैंने चाची को गले लगाया और कहा: नहीं चाची तुम्हारा इलाज तो जरूरी है ही पर मैंने तुम्हारा साथ देने का फैसला इसलिए किया है क्योंकि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं, चाची, मां की तरह, इसलिए चाहे मुझे अपना खून भी तुम्हें देना पड़े तो भी मैं दे दूंगा।
चाची अरे कब तक करेगा जब तेरी शादी हो जाएगी तो तू अपनी बीवी की चुदाई में लग जाएगा और चाची को भूल जाएगा
मैं तब तक तुम ठीक हो चुकी होगी और चाची को हस्तमैथुन भी सिखा दूंगा, कभी कबार जरूरत पड़ेगी तो हम चुदाई भी कर लेंगे। शादी के बाद तो मुझे अपनी बीवी को संतुष्ट करना ही पड़ेगा नहीं तो मेरी बीवी भी तुम्हारी तरह परेशान रहेगी।
चाची: नहीं नहीं ऐसा कुछ भी मत करना, अपनी बीवी को पूरा प्यार देना आपने लंड से उसकी चूत बराबर बजाना और उसकी तन मन से ढपली बजाना, तुझे मेरी कसम है, अगर तुने मेरे चक्कर में अपनी बीवी की चुदाई नहीं की तो।
मुझे किसी की बद्दुआ नहीं लेनी, बस अभी मेरी आग थोड़ी बहुत शांत कर दिया कर
मैंने कहा : चाची बेफिक्र रहो मैं तुम्हारा साथ दूंगा और अपनी बीवी के लिए भी अपना पूरा कर्तव्य निभाऊंगा, बीवी की नई नकोर चूत को पूरा आदर दूंगा और अगर कहीं पहले से भी चुद कर आई होगी तो भी उसे पूरे सम्मान के साथ स्वीकार कर लूंगा। चाची: चल , अब भाग, मुझे सफाई करने दे
मैं :चाची कल दो बार में ही थक गई, अब मन नहीं कर रहा क्या?
चाची : दवाई की गोली नियम से लेनी चाहिए यह नहीं कि जब मौका मिले तब ले ली, तेरा लंड भी मैं थोड़ा थोड़ा दवा के हिसाब से ही अपनी चूत के लिए मांगुगी। जब भी हम चुदाई करेंगे तब भी बहुत आराम से, प्यार से और समर्पण भाव से करेंगे मेरी चूत पूरे दिल से मैं तुझे समर्पित करूंगी और मुझे पता है तू एक डॉक्टर की तरह चूत की मालिश करेगा
मैं: आज तो एक बार दे दो
चाची: चल, ठीक है, ले ले, पर पहले यह अलमारी की सफाई कर दूं।
मैं: क्या चाची, तुम मम्मी की तरह घर में पेटीकोट ब्लाउज में क्यों नहीं रहती? काम करने के समय साड़ी गंदी भी हो जाती है, तुम्हें गर्मी भी लगती होगी तथा पल्लू से काम करने में दिक्कत भी होती है।
चाची: बदमाश लड़के, क्यों मेरी छोटी सी काया पर ललचा रहा है? तेरी मां की तो मोटी मोटी गांड और बहुत बड़े 40साइज के मम्मे हैं मेरी चूचियां तो सिर्फ 32 नंबर की हैं
मैं: नहीं चाची, तुम एक बिल्कुल कमसिन लड़की लगती हो, तुम्हारा अलग मजा है। चाची: अलग मजा? क्या मतलब? तूने मोटी चूचियों और गांड का भी मजा लिया है क्या?
अरे नहीं चाची, ऐसे ही बोल रहा हूं वैसे मम्मी के मम्मी और मस्त गांड देखकर मेरा लैंड खड़ा हो जाता है पर मां है पेल नहीं सकता, चाची एक कुटिल मुस्कान देकर साड़ी उतार दी और साथ में झाड़न लेकर अलमारी के ऊपर रखा सामान उतारने लगी, चाची का हाथ नहीं जा रहा था, मैंने कहा,चाची, जल्दी काम करते हैं तुम नीचे वाले खाने की सफाई करो मैं ऊपर वाले की करता हूं। मैं चाची के पीछे खड़ा हुआ चाची अपनी छाती के लेवल के समान को झाड़ने लगी और मैं हाथ ऊपर करके अलमारी के ऊपर रखे सामान को टटोल रहा था
चाची बोली, ध्यान से ऊपर एक शहद की जार रखी है, टूट ना जाए,
मैंने कहा शहद का जार तो नीचे रखते हैं और यहां भी नीचे लग रहा है, ऊपर क्यों और कौन सा शहद का जार रख दिया
चाची: ध्यान से कर, मैंने चाची के पीछे चिपककर चाची की गांड की दरार में लौड़ा दबा दिया और ऊपर हाथों से सामान देखने लगा, मेरी छाती चाची के कंधों पर लगी हुई थी और चाची भी अपनी गांड को पीछे करके मेरे लन्ड को जकड़ रही थी
चाची : ऊपर का शहद मिला क्या? मैं बोला अभी नहीं, फिर मेरे को एकदम से ख्याल आया और मैंने अपना मुंह आगे करके चाची के होठों से अपने होंठ मिला रही है और जीभ उसके मुंह के अंदर डाल दी और बोला चाची शहद क्या, यहां तो अमृत है, और नीचे का शहद चाची के जार के अंदर मेरा छोटा पप्पू भैया ढूंढ रहा है।
मैं ऊपर और कुछ ढूंढ रहा था। और छोटा बाबू अमृत और शहद को ढूंढ और चाट रहे थे मैंने दोनों हाथ चाची के आगे लाकर चाची के नंगे पेट से ऊपर सरकाते हुए दोनों हाथ ब्लाउज के अंदर डाल दिए और नंगी चूचियां अपने हाथों में पकड़ कर बड़े प्यार से मखमली ढंग से चाची को गुलगुली करने लगा चाची जब हंसी तो उसकी गांड के हिली और उसने मेरे लन पर जबरदस्त गुलगुली कर दी। चाची अलमारी के सामने खड़े खड़े डस्टिंग करने का एक्टिंग कर रही थी और मैंने दोनों हाथों ब्लाउज जींद से निकाला और उसकी कमर पर रखकर दोनों हाथों से चाची को जमीन से थोड़ा ऊपर उठा दिया चाची ने अपनी गांड का जोर मेरे लंड पर बनाए रखा। मैं बोला चाची! यहां तो शहद नहीं मिला, चल कहीं और चल के ढूंढते हैं, चाची बोली तुम्हारा यह सख्त औजार शहद के आसपास ही तो है इसे ढूंढने दे।
मैं बोला,। यहां नहीं, आराम से बैठकर ढूंढते हैं
चाची को गोद में उठाकर मैं सोफे की तरफ ले आया, खुद सोफे पर बैठा और चाची को अपने ऊपर बिठा लिया ऊपर बिठाने के दौरान में मैंने पीछे से चाची का पेटीकोट ऊपर कर दिया था और अपना लन कच्छे के साइड से बाहर निकाला हुआ था चाची की नंगी गांड में लंड पर लगी और मेरे दोनों हाथ चाची की छातियों पर अपना आंदोलन कर रहे थे।
चाची तू इस तरह से रोज मुझे झड़ झड़ाएगा तो मुझे आदत पड़ जाएगी और मैं रोज-रोज तेरा लंड मांगूंगी।
तेरी पढ़ाई का हर्ज होगा और तेरे चाचा या तेरी मां को शक पड़ गया तो तुम मकान खाली करके चले जाओगे मैं फिर से दुखी हो जाऊंगी।
मैं चाची चिंता मत करो, अभी इलाज शुरू हुआ है, कुछ दिन ज्यादा दवाई खानी है उसके बाद हम एतिहात से काम लेंगे
चाची ने अपना शरीर मेरे ऊपर लाद दिया मैंने अपने हाथों से चाची का ब्लाउज खोला और आगे से उसकी छातियां नंगी कर दी अपना गाल आगे करके चाची के गाल छूने लगा चाची ने भी थोड़ा मुंह पीछे किया तो हमारे होंठ मिल गए और लिप किसिंग का दौर शुरू हो गया
चाची ने थोड़ी करवट ली और मेरी तरफ घूम गई चाची की चूत, लन्ड पर रगड़ रही थी, हमारे होंठ मिले हुए थे चाची की चूचियां मेरी छाती पर रगड़ खा रही थी चाची के हाथ मेरी पीठ पर खरोंचे मार रहे थे चाची पूरी तरह से उत्तेजित हो गई थी मुझे भी अपना लंड संयम से बाहर जाता लग रहा था और चूसते चूसते मैंने चाची को अच्छे से रगड़ना शुरू किया अपनी छाती से ही चाची की चूचियों को दबाने लगा और चाची ने आपने हाथ नीचे करके अपनी चूत को मेरे लंड पर थोड़ा सेट किया एक हाथ से मेरा लंड अपनी योनि द्वार पर रखा और मसकते हुए लंड के सुपाड़े को अंदर कर लिया मैंने भी थोड़ा आगे बढ़कर अपना लौडा चाची की बूर में पूरा घुसा दिया
आप छक छक थक थक फक* फक* आ उच आ उच आ उई ओह आह हम धन दम छम छम रेल चल पड़ी जब जब तक की रेल ने पूरी स्पीड नहीं पत्ती तब तक चाची की सिसकारियां तेज होती जा रही थी मुझे डर था कि कहीं पड़ोस के घर तक आवाज ना जा रही हो मैंने चाची के मुंह पर हाथ रख दिया और गोदी में चाची मेरे ऊपर उछल उछल कर मेरे लिंग को अपनी चूत में घप घप करके डाल रही थी उसकी चूड़ियों की खनखन पायल की छम छम एक मधुर संगीत बजा रही थी अब चाची ने सिसकारियों पर काबू पाया और अपने दोनों हाथ मेरे कंधे पर रखकर होंठ चूसने लगी मेरा लन कभी चूत से बाहर निकलता है तो चाची हाथ नीचे करके निशाना बना कर फिर अपनी चूत को लंड के खंबे ऊपर गिरा देती थी जिससे उसकी चूत धड़धड़ाती हुई मेरे लन को जड़ तक अपने अंदर समा लेत थी उसकी गर्म मखमली रजाई जैसी चूत मेरे सख्त गरम लौड़े को एक बहुत ही सुखद मीठा एहसास दे रही था बीच-बीच में चाची मेरे निप्पल को भी चूम लेती थी और मैं अपने हाथों से उसकी चूची की कुंडलियों को मसल रहा था और चाची पूरे जोश के साथ, पूरी ताकत के साथ, पूरे आनंद में सरोवर होकर मेरे लन पर खेल कूद मचा रही थी
मेरा फूला हुआ लंड चाची की चूत में पूरी तरह से फंस कर जा रहा था फिर मुझे लगा कहीं चाची थक तो नहीं रही मैंने चाची की चूत में लंड डाले डाले ही उसको उठाकर पलंग पर लिटाया अपने पैर फर्श पर रखे और चाची की गांड के नीचे एक तकिया सरका दिया अब मेरा लोड़ा और चाची की चूत एक लेवल पर थे और मैंने भरपूर ताकत से अपने लोड़े से चाची की चूत पर हमला करना शुरू कर दिया चाची ने दोनों पैर मोड़कर मेरे नितंबों पर कस दिए है और जब मैं पीछे होता तो चाची के घुटने खुलते और मैं आगे होता तो वापस चाची अपनी एडियो से मेरे नितंबों पर जोर डालकर मुझे पूरा का पूरा अपनी चूत में भरने का प्रयास करती एक अलग ही समा बंधा हुआ था और हम दोनों पसीना पसीना हो गए थे मेरे शरीर का सारा रस मेरे लिंग की ओर प्रवाहित होने लगा और मैंने बहुत तेजी से अपनी अपनी स्पीड को तेज करते हुए चाची के योनि प्रदेश पर हमला जारी रखा और चाची ने भी मुझे अपने पैरों और हाथों से अपनी और ज्यादा खींचना शुरू कर दिया अब चाची का शरीर भी अकड़ने लगा था और मेरे शरीर के सारा सारे रोम रोम झन झन करते हुए मेरे लिंग की और अपने प्रभाव को धकेल रहे थे फिर लगा कि क्षण के किसी हिस्से के लिए दुनिया रुक गई है और फिर मेरे लिंग से लावा फूटने लगा जो चाची को अंदर में बच्चेदानी की तरफ जाता हुआ महसूस हुआ होगा क्योंकि चाची ने मुझे खींच कर अपने ऊपर लेटा लिया। अब चाची के पैर पलंग से नीचे घुटनों से मुड़कर फर्श पर रखे थे तथा मेरी जांघें चाची की जांघों पर रखी थी और नीचे का हिस्सा हवा में था मैं चाची के शरीर के ऊपर हवाई जहाज बन कर लेटा हुआ था को अवस्था में हम दोनों कुछ देर जाम होकर पड़े रहे और जब वासना के वेग की तीव्रता कम हुई तो हम अलग होकर लेट गए संभलने के बाद चाची ने मेरे गाल पर एक गहरी चुम्मी ली और मैंने भी चाची को कसकर जकड़ लिया एक बिल्कुल अलग अनुभूति हो रही थी हम दोनों के बिल्कुल नंगे शरीर एक दूसरे से चिपके हुए थे और हमारा काम ज्वार ठंडा पड़ गया था ऐसे ही लेटे लेटे हम नींद में चले गए 5- 10 मिनट बाद एक दम से मेरी तंद्रा खुली तो देखा कि 3:30 बज गए हैं मैंने चाची को हल्के से छुआ और कहा मां के आने का समय हो गया है अपने कमरे में जाता हूं चाची को भी होश आया और चाची ने कहा कि मेरे से उठा नहीं जा रहा मैं सोती हूं, तू मेरा कमरा थोड़ा सा समेट दे और मेरे को पेटीकोट ब्लाउज पहना दे मैंने चाची के तथा अपने शरीर को पौंछकर, उस समय मुझे चाची का शहद चाटने का मन नहीं किया, चाची को कपड़े पहनाए और अपना कच्छा पहनकर अपने कमरे में आकर किताब खोल कर बैठ गया
4:30 बजे मां ने दरवाजा खटखटाया मैंने खोला तो अंदर आ गई चाची का दरवाजा ढका हुआ था मां ने उधर ध्यान नहीं दिया और आकर अपने बिस्तर पर लेट गई और मेरे को बोली मेरा बदन दुख रहा है मैं कुछ देर सोना चाहती हूं पर तू से पहले मेरे शरीर को दबा दें मां ने साड़ी उतारी और पेटीकोट ब्लाउज में पेट के बल लेट गई।
मैंने साइड में बैठकर मां की पिंडलियां दवानी शुरू की, हल्के से तलवे मले और फिर वापस पिंडलियों मलते मलते गांड को दबाना शुरू किया मां बोलती है बहुत अच्छा लग रहा है तू इस पर लगातार दबाव डाल तू मेरे जांघों पर बैठकर मेरी पीठ को दबा मैं समझ गया कि मां गरम है और उसे मेरा लंबा वाला डंडा चाहिए मां की सेवा करने का मौका मैं छोड़ने वाला नहीं था अतः मैंने मां के पेटीकोट को थोड़ा सा ऊपर किया उसकी जांघें नंगी हुई तो उस पर बैठ गया और झुकते हुए मां की पीठ को दबाने लगा और झुक कर मैंने अपने हाथ मां के पीठ से होते हुए कंधों तक ले गया इस प्रयास में मैं पूरा मां के ऊपर लेट गया था और मेरा डंडा मां की गांड को छूने लगा था मैंने कंधों को मसलना शुरू किया और वापिस पीठ को दबाने लगा आज मां के ब्लाउज के हुक पीछे की तरफ से मैंने पीछे से ब्लाउज के हुक खोल दिए और मां की पीठ को बिल्कुल नंगी कर दिया
मां बोली शैतानी कर रहा है
मैंने कहा नहीं, वहां ठीक तरह से पीठ को ठीक से दबाना है मां चुप हो गई
मैंने पीठ पर हाथ दबाते दबाते शरीर पर फिर पूरा लेट गया फिर मैं मां से दूर होकर फिर वापस मां के ऊपर लेट गया इस तरह से मैं मां के ऊपर दंड बैठक कर रहा था बार-बार लेटने पर मेरा डंडा मां के नितंबों में घुस जाता और मेरे हाथ मा के कंधों को पकड़ लेते फिर मैंने धीरे धीरे उठने के प्रयास में अपने हाथों को मां के साइड से निकालते हुए उसके चूचियों को मसलना शुरू किया अब मां सिसकारियां लेने लगी थी और जब मेरा हाथ नीचे आया तो मैंने धीरे-धीरे पेटीकोट को नीचे सरकाया।
पेटिकोट का नाड़ा ढीला बंधा हुआ था इसलिए आराम से मां का पेट के नीचे कमर से नीचे हुआ और नितंबों पर आकर अटक गया मां ने अपने नितंबों को थोड़ा ऊपर उठाया तो मैंने पेटीकोट एक झटके में निकालकर घुटनों से नीचे कर दिया अब मां लगभग पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी मैंने भी अपना कच्छा उतार दिया और मां की जांघों के बीच में से लेट कर मां की कमर तथा पीठ को दबाता हुआ कंधों पर जाने लगा आप क्योंकि हम दोनों बिल्कुल नंगे थे मेरा खड़ा हुआ लिंग मां के नितंबों पर अच्छे से वार कर रहा था जब मां को मेरा लिंग अपनी योनि के आसपास महसूस हुआ तो मां ने अपने पैर थोड़े और खोल दिए जिससे मेरा सुपाड़ा मां की योनि के लोगों को छूने लगा था अब मैंने जब अंधों की तरफ हाथ किए तो अपना कमर को और आगे की तरफ झटका दिया जिससे मेरा लिंग आधे से ज्यादा मां की गुदाज गुफा में घुसने लगा मेरे से कुछ बूंदें छलक पड़े जिससे मां की च** चिकनापन लगने लगा मैंने दोनों हाथों से मां के पेट कमर और कंधे को दबाना जारी रखा और अपनी जानू से मां के नेताओं और नीचे के जानू और जानू के बीच छुपी हुई जो को दबाता रहा फिर मेरे को मां की चौकी पर ढीलेपन का एहसास हुआ मैं समझ गया कि मैं तैयार है मैंने बैठे हुए मां की टांगों को और खोला तथा एक हाथ से अपना पकड़ कर मां के पास ले गया और और कमर तथा दूध को दबाते हुए कंधों की तरफ ही उठ गया मैं एक हाथ से ही मां की कमर पर पीठ को दबा रहा था मां समझ गई कि मैं दूसरे हाथ से अपना लन्ड पकड़ कर उसकी चूत में घुसाने वाला हूं इसलिए उसने अपनी टांगे खोल दी थी और जैसे ही मैं लेटा मेरा सुपाड़ा मां की चूत के अंदर घुस गया मैंने फिर कमर से और थोड़ा जोर लगा कर आपने लंबे डंडे को मां की गहरी गुफा में अंदर तक झोंक दिया और अपना दूसरा हाथ भी मां के कंधों पर रख दिया अब मेरे दोनों हाथ मा के कंधों पर दे और मेरा लन मां की गहरी लंबी टाइट और मखमली चूत के अंदर टिक गया था कुछ समय ना मैंने कुछ हरकत की और ना ही मां ने
हम दोनों एक दूसरे के विशेष अंगों को एक दूसरे के फिर से सटा हुआ पाकर आनंद की तरंगों का को महसूस कर रहे थे फिर जैसे ही सांस आई मैंने अपनी कमर पीछे की लोगों को बाहर निकाला और झटके से वापिस अंदर भर दिया फिर लगातार बाहर किया या अंदर किया मेरे सुपाड़े की चमड़ी चमड़ी बार-बार खुलती और बंद होती और मां की योनि में भी बार-बार मेरा लौड़ा निकलता और फिर से उसे पूरी तरह से भर देता।
शक्ति और नरमी का मिलन कितना आनंददायक होता है यह हम दोनों पूरी तरह से महसूस कर रहे थे । अंदर बाहर करते करते हम लॉक हो जाते फिर अंदर बाहर करते-करते हम दोनों निहाल हो गए थोड़ी सांस लेते और फिर से स्पीड पकड़ ली मां इस बीच पहली बार मां बोली मेरे राजा बेटा मैं झड़ने वाली हूं मैंने कहा ना मैं भी झढ़ने वाला हूं । मां बोली, कोई बात नहीं मेरा मासिक धर्म रुक गया है तू बेफिक्री से अंदर डाल दिया कर। मेरी आनंद की कोई सीमा ना रही जोर से धक्के मार मार कर अपनी भरी पिचकारी को मां के अमृतबान में भरने लगा और मेरा सारा मक्खन मां की शहद भरे मर्तबान में मिलने लगा और जब थोड़ी देर बाद मेरी सांस वापस आई तो मैंने अपने आपको मां के ऊपर उठाया मेरी हरकत महसूस करके मां सीधी हुई और मैं फिर से मां के ऊपर लेट गया।
मैंने मां की पप्पी ली और हम दोनों नींद के आगोश में चले गए नींद खुली तो देखा कि रात के 9:00 बज गए थे ।
मां हड़बड़ाई और मां को लगा कि शायद चाची को कुछ महसूस अटपटा महसूस ना हो इसलिए मां बोलती है कि मैं लेटी ही रहूंगी तू बाहर चाची से कहकर दाल और रोटी बनवा दे कह दे कि मां की तबीयत अच्छी नहीं है
मुझे लगा की मां कवर करना चाहती है और मुझे भी शक था कि चाची सच जान लेगी पर अपने मुंह से मां के सामने मेरा चाची से संबधं तथा चाची के सामने मां से अपने संबंध को मैं किसी तरह से स्वीकार नहीं करूंगा चाहूंगा इसलिए थोड़ी देर पढ़ाई करके करने बैठ गया फिर चाची हमारे कमरे की तरफ आई और बोली, क्या बात है भाभी, कुछ खाना वाना नहीं बनाओगे मम्मी ने सोने की एक्टिंग की और मैंने अपने पढ़ाई की टेबल से बोला कि मैं तो आते ही सो गई थी मैं पढ़ने में लगा हुआ हूं चाची ने छूकर देखा और कहा इनको तो बुखार लग रहा है। भाभी आप आराम करो मैं खाना बना देती हैं
चाची को सामान्य देखकर मैंने चैन की सांस ली और बाद में चाची का खाना खाकर हम मां बेटा आलिंगन में सो गए
अगला अपडेट चाची के घर में आए मेहमानों के बारे में होगा