मैंने फिर से मौसी को चोदने का कार्यक्रम बनाया और उससे पहले जल्दी से किचन में जाकर जल्दी से दो गिलास गर्म दूध ले आया और साथ में ब्रेड टोस्ट रखे थे वह डुबोकर मौसी को खिलाने लगा मासी में कुछ ताकत आई और उठ कर बैठी फिर मौसी ने मुझे भी दूध टोस्ट खिलाए
खाली पेट में दौड़ते चूहों को राशन मिला तो वह चुप कर बैठ गए और हम दोनों मौसी बेटे ने मिलकर एक नींद की झपकी ले ली
नींद से उठते ही मैंने रसोई में जाकर फटाफट आधे बने हुए पराठें सेक कर मक्खन के साथ प्लेट में रख लाया और मौसी को उठा दिया और छोटे-छोटे कोर तोड़कर मौसी को खिलाने लगा
मौसी बोली मेरा राजा मेरी चूत को अपना लंड खिलाने के बाद मेरे पेट में भी अपने प्यारे हाथों से बने हुए पराठे खिला रहा है शाबाश मेरे बेटा
मैंने मौसी को बहुत प्यार से खाना खिलाते हुए कहा कि मेरी प्यारी मौसी मां जैसी मौसी मुझे इतनी प्यार से अपनी चूत में डुबकियां लगवा रही है उसको ताकत देने का तो मेरा फर्ज है ही
मौसी बोली बेटा ताकत तो तू अपने लौड़े से सारा प्रोटीन मेरी चूत में भरकर दे ही रहा है बल्कि सुबह से तूने अपने शरीर में से निचोड़कर सारा प्रोटीन मेरे में भर दिया है।
मैंने मौसी को चूमते हुए कहा कि तुम्हारे को प्रोटीन देने से मेरे शरीर में कम नहीं हुआ
"बांटने से प्यार ही नहीं प्रोटीन भी बढ़ता है"
देखो ना जितना प्रोटीन तुम्हें दे रहा हूं उससे ज्यादा प्रोटीन हर बार मेरे लौड़े में भरता जा रहा है
मौसी ने मेरे टट्टों को सहलाते हुए पुचकारा और बोली यह सारा प्रोटीन तो इन गोलियों के कारण आ रहा है मुझे इनकी सेवा करनी चाहिए,
साथ ही मौसी ने परांठे का एक कौर तोड़कर अपनी चूत में रगड़ा और मेरे मुंह में भर दिया मौसी की चूत की रबड़ी पराठे पर लगकर और स्वाद हो गई थी
मैंने एक पराठे का रोल बनाया और उसे मौसी की चूत में डालने लगा तो वह टूटकर मौसी की चूत के आसपास बिखर गया
फिर मैंने नीचे झुकते हुए मौसी की चूत पर लगा हुआ पराठा अपने दांतो और होठों से खाने लगा
मौसी मेरी जीभ के छूने से उत्तेजित होने लगी थी तो बोली अरे बावले लड़के अब थोड़ी देर सब्र कर ले अभी खाना खा रहे है जीभ से मेरी चूत को चाटेगा तो मुझे लंड घुसाने की ठरक चढ़ जाएगी जिससे पराठे मेरी चूत के ऊपर चटनी बन जाएंगे इसलिए पहले आराम से परांठा खा ले
इस तरह चुम्मा चाटी करते हुए खाना खाने के बाद हम मौसी बेटा आराम से पलंग पर लेटे रहे तो मौसी ने फिर से संजय की बात शुरू की
मैंने मौसी का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रखा और अपनी उंगलियों से मौसी की चूत कुरेदने लगा फिर बोला मौसी जब मैं तुम्हारे घर आया था तो संजय को मैंने तुम्हारी और मौसा जी की चुदाई देखते हुए पकड़ा था
अगले दिन मैंने बातों बातों में संजय से पूछा कि मां बाप की चुदाई देखने से क्या महसूस होता है तो उसने बताया कि काफी पहले से संजय तुम्हें चोदना चाहता है
मौसी बोली कब से? मैंने तो ध्यान ही नहीं दिया!!
मैंने बोला कि मौसी तुम मौसा जी के लंड से इतनी संतुष्ट थी कि तुमने घर के जवान लौड़े पर ध्यान ही नहीं दिया
हर एक लड़के का लंड पहली बार अपनी मां की मचलती जवानी और उत्तेजना को देखकर ही खड़ा होता है
हर मां शायद जानबूझ कर अपने सुंदर को प्रदर्शित करने की खातिर या जब तक मां नहीं समझती कि उसका बेटा उसको सेक्स का सुख देना चाहता है और मां के शरीर से अपनी चोदने की पहली ललक पूरी करना चाहता है तब तक मां बड़ी लापरवाही से अपने बेटे के सामने कपड़े बदलती है बिना पल्लू लिए अपने खुले ब्लाउज में से छलकते मम्मों पर पड़ी बेटे की निगाह भी मां को नहीं पता चलती ना ही मां ख्याल करती है कि मां की जांघों तक चढ़ी मैक्सी या पेटिकोट उसके बेटे के लंड खड़ा करके मुठ मारने पर मजबूर कर देती है
यह मेरे साथ भी हुआ था और आज भी मां को देखकर मेरी कामवासना काबू में नहीं रहती इसीलिए जब मैंने संजय से पूछना शुरू किया तो संजय ने एकदम खुलकर मुझे कहानी सुना दी
जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही उसे तुम्हारी छलकती हुई गांड और कसमसाते हुए मम्मे और मांसल जांघों के बीच में से कभी-कभी दिखती हुई तुम्हारी झांटें या चूत कितना उत्तेजित कर देती हैं कि मौका मिलते ही संजय तुम से लिपट-लिपट कर अपना लंड मां की गांड पर रगड़ता है और कभी तकिए पर लंड रगड़ कर अपना माल निकाल देता है
मौसी तुमने ख्याल नहीं किया होगा कि जब तुम कपड़े धोती थी तो कैसे संजय तुम्हारी मदद करने के बहाने से तुम्हारे सामने ही खड़ा रहता था और हर एक मां मौसी की तरह तुम भी पेटीकोट को जांघों तक चढ़ा पेटीकोट और लो कट वाले ब्लाउज पहनकर उसके लन्ड पर अपनी अदाओं से ठरक चढ़ा देती थी
जब कपड़े खंगालने के लिए तुम झुकती थी तो कैसे तुम्हारी सारी सेक्सी जायदाद बेटे को दिख जाती है ऊपर से पानी के छींटे पड़ने से ब्लाउज में ढके हुए निप्पल भी साफ-साफ दिखने लगते हैं संजय ही नहीं, मैं भी, बल्कि सारे ही लड़के अपनी मां को इस तरह देखने के लिए सारे जतन करते हैं और उसके अलावा आटा गूंधने के टाइम रसोई में या दुछत्ती में समान रख्ते उतारते समय भी मां और बेटे का एक दूसरे को छूना, बेटे को बहुत उत्तेजित कर देता है इसके बाद जो सबसे बड़ा मां की चूत मारने का कारण बनता है वह होता है बच्चों द्वारा मां बाप की चुदाई देखना मां बाप अपने बच्चों को अबोध समझ कर रात को या कभी-कभी दिन में भी अपने चुदाई की प्यास के चक्कर में जल्दबाजी कर लेते हैं उसी समय बच्चों को पहली बार लंड और चूत का असली प्रयोग पता चलता है कामुक आवाजें और सिसकारियां तथा अश्लील बातें बच्चे को इतना उत्तेजित कर देती हैं कि उस समय तो वह अपना माल निकाल ही देता है पर बाद में भी मां को चोदने के सपने बुनता रहता है और हद तो तब होती है जब घर में दोनों भाई बहन किसी खुशकिस्मती से इकट्ठे ही मां-बाप की चुदाई देख सुन लेते हैं तो उनकी जिज्ञासा उनके अंगों यौन अंगों को एक दूसरे के सामने खुलवा देती है
मौसी के सामने मैंने संजय और संजना के आपसी चुदाई संबंध को जाहिर ना करना उचित समझा और कहा कि मैंने संजय से पूछा था कि क्या कभी संजना ने भी मौसी मौसा की चुदाई देखी है
तो संजय ने बोला कि शायद उसे नहीं पता होगा वह तो अपने कमरे में घोड़े बेच कर सोती है तब मेरे मन में आया था कि संजना घोड़े बेचकर नहीं घोड़े का लंड जैसा कुछ लंबा बैंगन खीरा या लौकी अपनी चूत में लेकर सोती होगी
मौसी ने बहुत डरे हुए स्वर में पूछा तुझे यकीन है कि संजय और संजना ने कभी भी इकट्ठे हमारी चुदाई नहीं देखी होगी
अब मैं मौसी को क्या बताता थी संजय संजना ने ना केवल मौसी मौसी चुदाई इकट्ठे देखी है बल्कि नंगे होकर एक दूसरे की से चिपक कर खिड़की में से देखते हुए जब मौसा मौसी की चूत में अपना लंड पेल रहे थे तब बाहर उनके बेटा-बेटी आपस में वही खेल, खेल रहे थे
यह बताने से मौसी निराश हो जाती इसलिए मैंने यह बात छिपाना ठीक समझा और मौसी को दिलासा दिया कि संजना ने शायद कभी अलग से तुम्हारी चुदाई की आवाजें सुनी होंगी पर मुझे नहीं लगता कि उसने संजय से इस बात का जिक्र भी किया होगा क्योंकि संजना बहुत ही शरीफ लड़की लगती है
अब मौसी को क्या बताता की उस दिन संजय से चुदवाने के बाद संजना ने भी मेरा लौड़ा घपा घप करके अपने मुंह और चूत में पिलवाया था
मेरे आश्वासन से मौसी को कुछ आराम मिला और मौसी ने अपनी टांगे फैलाकर मेरे को अपनी जांघों के बीच में एडजस्ट किया मैंने भी मौसी के होठों का चुंबन लिया और बात आगे बढ़ाई मौसी संजय कोई अपवाद नहीं है सारे ही लड़के अपनी मां को चोदने का सपना देखते हैं और कुछ खुश किस्मत मां होती हैं जो अपने बेटे का सपना पूरा करके अपनी चूत की प्यास भी बुझा लेती हैं इसमें कुछ भी गलत नहीं होता
मां बेटे का आपसी प्यार चूत के लेने देने से और बढ़ता है और मां को भी पति के बूढ़े होने पर बाहर कहीं भी अपनी इज्जत को खतरे में नहीं डालना पड़ता बेटा बचपन से ही मां की अदाओं और खूबसूरती का दीवाना होता है
तभी तो सारे बच्चे बचपन में कहते हैं कि मैं मम्मी से शादी करूंगा
माँ भी खुशी से बेटे के बड़े होने पर उसकी बातें याद करके अपनी चूत में उंगली करती है
मौसी मुस्कुराई और बोली सच में मैं तो ध्यान नहीं दिया था कि संजय का लौड़ा मेरी चूत की प्यास बुझा सकता है और संजय भी मेरी चुत चोदना चाहता है नहीं तो मैंने कई बार संजय के कच्छे धोते हुए उसमें लगे वीर्य के निशान चूमे और चाटे हैं और बहुत बार बहाने से संजय से लिपट लिपट कर अपनी चुत के कस बल निकालने की कोशिश भी की थी
मैंने कहा मौसी आग तो दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी पर तुम दोनों में ही हिम्मत नहीं की
मौसी ने मुझे उलाहना दिया कि जब तुझे संजय की इच्छा पता चली थी तो तूने मुझे पहले क्यों नहीं बताई और संजय को भी क्यों हिम्मत नहीं दी कि वह आगे बढ़कर मेरी तैयार चूत में लंड का झंडा गाड़ दे
मैंने झूठ बोला की मौसी उस समय तक मेरे में भी हिम्मत नहीं थी और ना ही मैंने तब तक अपनी मां की चूत मारी थी तो मैं कैसे विशाल को उल्टी मति दे कर तुम्हारे से बलात्कार करने की सलाह देता वह तो गोवा में पापा के ना जाने से मम्मी बहुत निराश थी और मैं मां को अकेले में उदास और चुदासा देखकर मां की मदद करना चाहता था
आग तो हम दोनों में भी बराबर लगी हुई थी मुझे याद है कि जब मैं कपड़े धोने के समय मां की मदद करता था तो माँ पेटिकोट अपनी जांघों के जोड़ कर उठा लेती थी और ब्लाउज के भी बटन खोलकर अपनी चूची पूरी तरह मुझे दिखा देती थी और चादर निचोड़ने के समय माँ मेरे से चिपक कर मेरे गीले कच्छे के अंदर खड़े हुए लौड़े को अपनी जांघों पर रगड़ने का पूरा प्रयास करती थी
गोवा में हम बातों बातों में ही पता नहीं कैसे इतना खुल गए कि पता नहीं कब मां की मैक्सी कमर के ऊपर चढ़ गई मेरा कच्छा घुटनों तक सरक गया और मैं मां की जांघों के बीच में अपनी कमर फंसाकर मां की चूत में अपने लंड से मां की चूत के छेद को और गहरा करने में लगा हुआ था
जब मैं झड़ गया तू मां को मां और मेरे को लगा कि हमने अपने मां बेटे के रिश्ते में एक वह मंजिल पा ली है जिसके लिए हम दोनों मां बेटा कई बरस से सपने में देखते थे और वह रास्ता पार कर लिया है जिस रास्ते को हम दोनों मां बेटा बहुत लंबे समय से पार करना चाहते थे पर झिझक और अपने मन के डर के कारण उस रास्ते पर पैर रखने में डर रहे थे
जब बातें करते-करते हमें पता ही नहीं चला की हम मां बेटे के असली प्यार की असली मंजिल को छू चुके हैं उसके है पहले तक हम डरते ही रहते थे
एक बार मेरे लंड ने मां की चूत की गली देख ली तो वह बार-बार उसी रास्ते पर जाने की जिद करने लगा
गोवा में जाकर मेरी और मां की बरसों से दबी हुई इच्छा पूरी हो गई हमारे बीच में जो झिझक के कपड़े थे वह उतर गए और हम सेक्स के वर्जित लेकिन बहुत आनंददायक रास्ते पर दौड़ने लगे
मेरे लिए तो मेरी मौसी यानी तुम्हारी चूत मारने के अलावा यह दूसरा ही अवसर था और पहली बार भी मैंने जब तुम्हारी चूत में अपना लंड पेला था तब भी मैं काफी कुछ मां जैसा ही समझ कर तुम्हारे को पेल रहा था
यह सुनकर मौसी थोड़ा गुस्से हुई और बोली यानी कि तू मुझे जो उस दिन प्यार दिखा रहा था वह झूठा था
मैं बोला : अरे नहीं नहीं मां बेटे और मौसी बेटे के प्यार में कहीं कुछ फर्क होता है क्या?
तुम्हारा और मम्मी का स्वभाव और शरीर इतना ज्यादा एक जैसा है कि फिर गोवा में मैं मां को चोदते समय तुम्हारी चुदाई की बात सोच रहा कर तुम्हें चोदता हूँ तो मुझे मां की याद आती है और माँ को चोदते के समय तुम्हारी रसीली चुत की याद आती है
मेरी इस बात से मौसी तुनक कर बोली तेरी माँ हर जगह पर मेरे से आगे ही रहती है उसने हमेशा ही मेरे से ज्यादा चुदाई करवाने का भाग्य पाया है तेरे बाप से भी मैं चुद नहीं पाई और तेरी मां ने गोवा में अपने बेटे से भी खूब मजे लिए हैं
मैं बोला: मौसी, पर मेरे से तो मेरा लंड तो तुम्हें मां से पहले मिल गया था, इस मामले में तुमने मां से बाजी मार दी
मौसी बोली: बाजी नहीं मारी बल्कि चूत मरवाई!!! तेरी इस बात से मैं खुश हुई!!! तूने अपनी मां से पहले मुझे चोद कर मेरे लिए अपना ज्यादा प्यार दिखाया इस खुशी में मौसी तुझे आज एक बार और ज्यादा चुदाई का मौका देती है !!!
मैंने भी कमर अपना लंड मौसी की जांघों के बीच में रगड़ा और नारा लगाया “आकाश की मौसी जिंदाबाद” “मौसी जिंदाबाद”
मेरी इस बात पर मौसी चिल्लाई: मां के लौड़े नेताओं की तरह नारे ही लगाता रहेगा या कर्मभूमि में अपना झंडा भी गाढ़ेगा
मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए अपना लंड सीधा करके मौसी की चूत में पेल दिया और हुमक हुमक कर को चोदने लगा
चोदते चोदते ही मैं मौसी से बोला मौसी संजय से चुदवाने का क्या प्रोग्राम बना रही हो
मौसी बोली अब जो तू मेरी चूत मार रहा है मैं सोचकर तेरे लंड को खा रही हूं कि मेरा संजय पहली बार मेरी चूत मार रहा है मेरी भोसड़ी में अपना लंड डाल रहा है
इस पर मैंने मौसी की चुत को गहरे शाट से मस्त करते हुए बोला ले मेरी मां अपने संजय बेटे का लंड अपनी चूत में ले***
संजय का नाम सुनते ही मौसी ने भी नीचे से एक उछाल लेकर लंड को आधे रास्ते में ही अपनी चूत की गिरफ्त में लेकर गहराई तक उतार लिया और उछल उछल कर चुदवाने लगी
मैं भी संजय बनकर अपनी मौसी मां को चोदने लगा
मौसी बोली आजा मेरे संजय बेटा कितना प्यासा है तू तूने मां को बताया ही नहीं!!
कोई बात नहीं आज फाड़ दे अपनी मां की चूत, अपनी मां की चूत से निकला था अब लंड से शुरू करके दोबारा अपनी मां की चूत में घुस जा
मेरी मन की प्यारी चुत, मां की चूत, मेरी मां को पेलता हूँ , पहले मेरी मां अपने बेटे का करारा लंड !!! ** !! अपनी चूत में अंदर तक ले ले
चुदाई की गति धीरे करते हुए मैंने मौसी से पूछा मौसी कैसे बताओगी
मौसी बोली: मेरा मन तो कर रहा है कि किसी तरह से संजय यहां आ जाए और यहां पर ही मेरी चूत में अपने लंड का उद्घाटन कर दे पर अभी चिट्ठी भी डालेंगे तो टाईम लगेगा
मैं बोला मैं जाकर संजय को बुला लाता हूं!
मौसी बोली: मैं तेरी मां की बीमारी का बहाना करके आई हूं और सोचती थी कि यहां मौका देख कर तेरे लंड से अपना बाजा बजवाऊंगी और किस्मत से तू घर पर अकेला ही मिला और हम मनमर्जी से मन भर कर अपनी तसल्ली कर रहे हैं
अब तू जाएगा तो कहीं तेरे मौसा जी संजना को भी संजय के साथ ना भेज दें
वैसे भी तेरे आने जाने में 2 रात 1 दिन लग जाएगा तब तक मैं तेरी दमदार मस्त चुदाई के लिए भी तरसती रहूंगी फिर उसके बाद हमारे लिए एक ही दिन तो बचेगा
कुछ और रास्ता सोचेंगे अभी तो तू मेरा प्यार आकाश बेटा अपनी मौसी को लगातार चोदकर अपनी मां जैसी मौसी की चूत की कई महीनों की अनबुझी प्यास बुझा
यह कहकर मौसी मेरे से लिपट गई और मैंने भी धक्के तेज करते हुए दनादन मासी को चोद कर मौसी की चूत में उसका कामरस छुड़वा दिया
मौसी की चूत का रस छूटते ही हमारे धक्कों से फच फच की आवाज होने लगी और उससे मेरे लंड ने भी मौसी की चूत में पानी छोड़ दिया
इसके बाद में मौसी को आलिंगन में लेकर मैं मस्त लेट गया मौसी ने मेरे कंधे पर अपना सिर रखकर अपनी जांघें मेरी जांघों पर चढ़ाई और प्यार करते हुए बोली आकाश जिस तरह तूने बताया है उसी तरह से मैं और संजय भी प्लान बना कर तो चुदाई शुरू नहीं कर सकते बल्कि सब कुछ अचानक पर सहज से स्वाभाविक तरीके से होना चाहिए
जैसे बिना उस दिन कुछ प्लान किए बस छूटने के बाद, तेरे मम्मी पापा को बहुत दिनों बाद मिले चुदाई के मौके में बिघ्न बनने से बचने के लिए हम घर वापस ना आकर धर्मशाला में रात बिताने चले गए थे, सच में तब तक मेरे मन में उस दिन तेरे साथ चुदाई का खेल शुरू होने का विचार ही नहीं था पर किस्मत से बिना कुछ विशेष जतन किए ही मुझे तेरा लौड़ा और तुझे मेरी चूत मिल गई
मैं बोला: मौसी हर चीज मिलने की एक जगह और टाईम फिक्स होता है, हम मां बेटे को इस संबंध में आना था और हमारी बरसों की आपसी चुदाई की चाहत उस दिन पूरी हो सकी, देखना जल्दी ही किसी दिन संजय आपको पेलने के बाद आपको चूम रहा होगा और आपकी यह रसीली चूत संजय के वीर्य से भरकर छलक रही होगी।
मौसी मुझे चौंकाते हुए बोली : "तेरी मां की चूत में तेरा लंड"
मैं सकपकाया तो मौसी बोली "तेरे मुंह में घी शक्कर" कहने का सैक्सी अंदाज है!!!
अच्छा!! जब कभी दिन में तेरे मौसा और संजना नहीं होंगे तभी मेरी चूत का रास्ता संजय के लिए खुल सकता है ??
मैंने कहा: मासी अगर संजना और मौसा जी की सुबह जाकर शाम को वापिस आने का समय होगा तो उनके आने की जल्दी में शायद तुम इतना ना खुल पाओ
मौसी बोली और तो कुछ चारा नहीं है ऐसा होना बहुत मुश्किल है कि संजना और तेरे मौसा जी वह दोनों बाप बेटी इकट्ठे कहीं जाए
मैंने कहा कि तो मौसी दूसरा यही रास्ता है कि किसी दिन आकाश को कॉलेज जाने से रोक लेना और संजना और मौसा जी के बाहर जाते ही तुम कपड़े धोने बैठ जाना, कपड़े धोने हमेशा की तरह तुम अपना पेटीकोट ऊंचा करके और ब्लाउज को ढीला करके संजय को मदद के लिए बुलाना और जब तुम्हारा मस्त सेक्सी शरीर देखकर संजय का लन्ड खड़ा होने लगे तो तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर संजय को का सहारा लेकर बेडरूम में आ जाना वहां संजय को तुम हाथ पैर मालिश करने के लिए कहना जिससे संजय को उस हालत में तुम्हें मसलने का मौका मिलेगा और धीरे-धीरे तुम अपने शरीर को संजय के हवाले करती रहना देखना एक सीमा पार करते ही मुझे तुमसे लिपट जाएगा और तुम्हें पता भी नहीं चलेगा कि कब संजय ने अपना हथियार अपनी जन्मभूमि में गाड़ देगा और अपनी मां की प्यास और अपनी चाहत शांत करेगा
मौसी बोली हां कुछ ऐसा ही करूंगी और मैं और मौसी ऐसे ही बहुत देर तक लेटे हुए एक दूसरे के शरीर की गर्मी का आनंद लेते रहे
थोड़ी देर में ही कमरे में अंधेरा छा गया मैंने उठकर लाइट जलाई घड़ी देखी तो शाम के 7:30 बज चुके हैं और मुझे ध्यान आया कि मैं और मौसी पिछले 10 घंटे से लगातार चुदाईही करते आ रहे हैं लाइट जलते मौसी मैक्सी ढूंढने लगी बेडरूम में नहीं मिली तो बैड की चादर ही अपने ऊपर ओढ़कर बाथरूम में चली गई
मैं अभी तक नंगा था मैंने भी अपना कच्छा ढूंढने की कोशिश की तो याद आया कि मौसी की मैक्सी और मेरा कच्छा किचन में ही रह गए थे
मैं मुस्कुराते हुए किचन में गया, मैक्सी और कच्छा उठा ले आया
मौसी बाथरूम से आकर फिर बिस्तर पर लेट गई और मैंने पेंट कमीज पहनकर बाहर ढाबे से कुछ खाने का सामान लेने निकल गया
ढाबे का खाना खाकर हम दोनों फिर से नंगे होकर बिस्तर पर एक दूसरे से लिपट कर सो गए लेट गए ना जाने उस दिन मौसी की खूबसूरती में क्या खुशबू आ रही थी कि बार-बार मेरा लंड मौसी को चोदने के लिए खड़ा हो रहा था और मौसी की चूत भी उतनी ही गर्मजोशी से मेरे लंड को अपनी गहराइयों में समाने के लिए तैयार हो रही थी
हमने एक बार फिर तूफानी चुदाई की और थक कर सो गए दोबारा फिर कुछ देर बाद नींद खुली तो देखा कि मौसी मेरे लंड को सहलाते हुए खड़ा करने की कोशिश कर रही थी
मौसी के हाथों का एहसास होते ही मेरा लंड से से पूरी ताकत से खड़ा हो गया और मैंने फिर एक बार मौसी को घोड़ी बनाकर चोद डाला घोड़ी बनी हुई मौसी जब झड़ गई तो मौसी बोली अब दूसरी सीधा नीचे लेट जा मैं तेरे ऊपर सवारी करूंगी
मैं पीठ के बल बिस्तर पर लेटा मौसी ने दोनों घुटने मेरी चूतड़ों के आसपास रखें और नीचे सरकते हुए अपनी रसीली चूत को मेरे तने हुए लौड़े के ऊपर टिका कर धम्म से बैठ गई और फिर तेजी से मेरे लंड के ऊपर दंड बैठक करने लगी
सुबह से लगातार इतनी बार चुदाई होने के बाद भी मौसी की चूत पूरी कसी हुई थी और मेरा लंड की पूरा तना हुआ था
मौसी की चूत में मेरा लंड बहुत फंस कर रगड़ खाकर जा रहा था जिससे मेरे और मौसी दोनों को बहुत मजा आ रहा था मौसी जब मेरे ऊपर सवारी कर रही थी तो उसके उछलते हुए मम्मे मेरे सामने बज रहे थे
मैंने अपने हाथ बढ़ाकर मौसी के मम्मों को अपनी हथेलियों में भरा और जोर जोर से मसलने लगा थोड़ी देर में मौसी दोहरी होकर मेरी छाती पर लेट गई और अपने मुड़े हुए पैर सीधे करके अपनी जांघें मेरी जांघों से रगड़ने लगी
इस समय मैं नीचे सीधा लेटा हुआ था और मौसी मेरे ऊपर लेट कर ही मेरे लंड को अपनी चूत में ऊपर की तरफ मुड़ कर मजे ले रही थी
लौड़े के लौड़े के उस एंगल से मौसी की चूत की अंदर तक की गहराइयों को रगड़ दिया और मौसी ने कसकर मेरे को पकड़ा और कांपते हुए झड़ने लगी हम पता नहीं वैसे ही झड़ते झड़ते दुबारा नींद के आगोश में चले गए
मौसी मेरे ऊपर ही लेटी रही जबकि लगने के बाद मेरी नींद खुली तो देखा की मौसी मेरे ऊपर बेसुद्ध सो रही है और मेरा लौड़ा मां मौसी की चूत के आसपास मुरझाया सा पड़ा है पर मेरे आंख खुलते खुलते ही लौड़े ने भी जाग कर मौसी की चूत को कुरेदना शुरू कर दिया
मेरे मन में फिर से मौसी को चोदने की इच्छा तेज हो गई मैंने मौसी को आलिंगन में लेकर नीचे पलट दिया और सोती हुई मौसी की ही टांगे खोल कर भक्क करके अपना लौड़ा मौसी के अंदर पेल दिया मौसी कसमसाई और मौसी की नींद खुल गई
मेरे लौड़े को अपनी चूत के अंदर महसूस करके मौसी फिर मजे से चुदने लगी
इस बार हमने बहुत ही धीमे धीमे पैसेंजर ट्रेन की तरह चुदाई का मजा लिया हम धक्के मारते एक दूसरे को चूमते मैं मौसी के निप्पल दबाता कभी झुक कर मौसी की नाभि चूमता,
कभी मौसी मेरे होठों से अपने होंठ जोड़ती और फिर से धक्के लेने लगती मैं भी कभी तेज कभी धीरे धीरे धक्के मारकर फिर से मौसी को चोदता रहा
इस चुदाई सैशन में हमें बहुत ही देर लगी और हम थके हुए पैदल यात्रियों की तरह जैसे थके हुए पैदल यात्री पैर घसीट कर चलते हैं वैसे ही हम मस्ती में अपनी चुदाई का मैराथन पूरा करते रहे
बहुत देर चुदाई के बाद मेरे लंड को झनझनाहट होने लगी और मैंने धक्के तेज कर दिए मौसी का शरीर भी सख्त होने लगा मौसी ने अपने पैरों की कैंची बनाकर मेरे पैरों पर लपेट दी और हम फिर से तेज तेज धक्के मार कर चुदाई करने लगे
कुछ ही समय में हम दोनों झड़कर फिर से एक दूसरे की बाहों में ही सो गए
मेरी नींद खुली तो पाया कि कमरे में डुबकी रोशनी के अलावा भी तेज रोशनी फैली हुई है खिड़की में से सुबह 10:00 बजे की धूप कमरे में फैली हुई थी
अलसाते हुए हम दोनों उठे एक दूसरे को चुम्मा और मौसी बोलीली तेरा क्या प्रोग्राम है
मैं बोला मौसी मुझे ऑफिस जाना था पर तुम मेरे पास हो इसलिए ऑफिस जाने का मतलब ही नहीं ऑफिस के काम से मौसी की चुदाई का काम ज्यादा जरूरी है
मौसी ने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर जोर से दबाया और बोली मेरे इस पप्पू को अब थोड़ी देर आराम करने दें और मैं भी तेरी मुनिया को साफ करके कुछ नाश्ता बनाती हूं फिर आगे का काम करेंगे
अगले अपडेट में कि कैसे दोपहर को 12 बजे के आसपास अचानक ही मेरे घर की घंटी बजी और दरवाजा खोलने पर मैंने संजय को सामने खड़ा पाया