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Incest मां और मैं

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बहुत ही गरमागरम और कामुक, उत्तेजना से भरपूर अपडेट है मजा आ गया
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Sangya

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मैंने आज सुबह से चाची को चूमने चाटने चोदने के अलावा कुछ नहीं किया था और चाची भी पूरी तरह से मेरे पागलपन का आनंद ले रही थी
हम दोनों सुबह से निपट नंगे चुदाई की मस्ती कर रहे थे चाची की चूचियां तथा नितंब और कोमल जांघें अभी भी मुझे उतना ही आकर्षित कर रहे थे जितना कि कुछ महीने पहले जब चाची की पिंकी मुझे नहीं मिली थी, तब मैं चाची की पिंकी चूचियों नितंबों मम्मों तथा चिकनी जांघों की कल्पना ही करता रहता था
और आज जब सुबह से 5 बार मेरा पप्पू चाची के पिंकी के अमृत कुंड में डुबकी लगाकर निहाल हो गया था और चाची भी आपने पिंकी को रगड़ने वाला पप्पू अपने अंदर लेकर जिंदगी में पहली बार किसी मर्द द्वारा इतना प्यार पाकर निहाल हुई जा रही थी।

मेरा तो हाल ही मत पूछो, आज दिन में चाची की पिंकी 5 बार लेने के तथा उससे पहले रात में दो बार मां की ममतामई चूत को रगड़ने का आदेश तथा आमंत्रण मिला था और मैंने अपनी मां की सेवा करने का कर्तव्य, अपने पप्पू से पूरी तरह से तैयार करके मां को निहाल किया था।

इस तरह से कर रात 10 बजे से आज शाम 6 बजे तक मैं 7 बार चूत मार चुका था फिर भी मेरा मन भरा नहीं था मैंने अब फिर से चाची को चूमना चाटना शुरू किया।
चाची बोली सुबह से किस्मत अच्छी है कि किसी ने दरवाजा नहीं खटखटाया और हम निश्चिंत नंगे घर में घूम रहे हैं कोई आ गया तो कपड़े ढूंढने में भी बहुत समय लगेगा तो कम से कम कपड़े अपने आसपास ही रखते हैं ताकि जल्दी से हम स्थिति को संभाल सके
चाची की दूर अंदेशी इस मस्ती के समय में भी काम कर रही थी यह स्त्री सुलभ एक रक्षात्मक छठी इंद्री का ही कमाल था तो मैंने अपना पजामा लाकर और चाची ने मैक्सी निकाल कर बिस्तर पर रख दी और
हमने पुनः एक दूसरे को आलिंगन में ले लिया मेरे मेरा एक पैर चाची की दोनों जांघों के बीच में फंसा हुआ था और मैं अपनी जांघ से चाची की पिंकी को मसल रहा था मेरे दोनों हाथ चाची के मम्मों की मालिश कर रहे थे और मेरा मुंह चाची के मुंह से जुड़ा हुआ था
चाची का एक हाथ मेरे नितंबों को मसल रहा था और दूसरा मेरे पप्पू को से खेल रहा था
देखते ही देखते मेरी जांघ से चाची की पिंकी द्वारा छोड़ा गया जल पर तथा चाची के हाथों में मेरे पप्पू का द्रव महसूस हुआ हमने आंखें मिलाई और मुस्कुरा दिए
चाची बोली बेटा रेल शुरू कर झटपट से सुरंग को पार कर,
मैंने चाची के दोनों पैर अपने कंधों पर रखे और झुक कर पप्पू को पिंकी की सीध में लगाया
चाची ने एक हाथ से पप्पू को पकड़ा और पिंकी के मुहाने पर जोड़ दिया
मैं अपने दोनों हाथों से चाची के मम्मों को लगातार मसल रहा था
चाची से मेरी आंखें चार हुई और चाची ने आंखों से ही मुझे धक्का लगाने का इशारा किया और मेरा पप्पू दनदनाता हुआ चाची की गहरी गुफा में प्रवेश कर गया
चाची के मुंह से एक आह निकली और मेरे लिंग ने तुरंत चाची की प्यारी नरम गुफा को ओखली की तरह कूटना शुरू कर दिया
मैंने अपने हाथ चाची के मम्मों से हटाकर उसके नितंबों पर रगड़ने शुरू किए और अपनी एक उंगली चाची की गुदा में डाल दी
अब मेरी उंगली पर गांड और चूत की पतली सी दीवार के अवरोध के बीच मेरे लंड की आवाजाही बिल्कुल स्पष्ट महसूस हो रही थी
जैसे ही उंगली चाची की गुदा में गई चाची एकदम चिल्लाई और चाची में अपने आप को कसकर मेरे से लपेट लिया
चाची जैसे सातवें आसमान पर पहुंच गई मुझे इस अवस्था में धक्के लगाने में मुश्किल हो रही थी, मैंने सड़क पर देखे हुए कुत्ता कुतिया वाले चुदाई के सीन की नकल करना चाहा और चाची को इशारा किया चाची घोड़ी बनो क्योंकि मुझे कुत्तिया कहते हुए शर्म आ रही थी
चाची को समझ नहीं आया तो मैंने चूत में से अपना पप्पू बाहर निकाला और चाची को उल्टा लिटाया फिर चाची समझ गई तो उसने अपने नितंबों को ऊंचा किया और घुटनों के बल कुत्तिया वाली पोजीशन में खड़ी होकर बोली चाची को कुत्तिया बनाना चाहता है मेरा कुत्ता बेटा।
मैंने कहा, चाची, क्यों नहीं ? क्या पता इसमें बहुत मजा आता है?
चाची ने नितंबों को और खोला जिससे चाची की पिंकी मुझे दिखने लगी और मैं घुटनों के बल चाची के पीछे खड़ा हुआ और अपने हाथ चाची की छातियों के कंधों पर रख कुत्ता बनकर कुत्तिया बनी चाची के ऊपर चढ़ने का प्रयास करने लगा।
इस स्थिति में मेरा लंड चाची की चूत के आसपास भी नहीं फटक पा रहा था और बार-बार नितंबों में रगड़ खाकर इधर-उधर बहक जाता था
चाची जोर से हंसी और बोली बेटा हमारे शरीर कुत्ता कुतिया से अलग हैं तो हम उनकी नकल नहीं कर सकते , थोड़ा सा आसन बदलकर कोशिश कर।
मैं चाची के पीछे घुटनों के बल खड़ा हुआ और अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ कर चाची की चूत के मुहाने पर रखा और थोड़ा सा झुका जिससे मेरा लंड सनसनाता हुआ चाची की चूत में आधा घुस गया
इस स्थिति में इससे ज्यादा अंदर प्रवेश करना मुश्किल लग रहा था तो मैंने आधे लंड की ही रेल बनाई और फच फच से चाची को चोदने लगा और मैं अपने हाथों से चाची को अपनी ओर खींचता तथा अपने कमर को आगे धक्का मार कर चुदाई का मजा लेने लगा चाची को भी अच्छा लग रहा था पर लंड पूरा अंदर नहीं जाने के कारण उसका मन नहीं भर रहा था
उसने अपनी तरफ से जोर लगा कर अपनी पिंकी में मेरे पप्पू को पूरा लेने का प्रयास किया पर सफलता नहीं मिली इसलिए मैंने फिर से चाची को वापिस कमर के बल लिटा दिया उसके घुटने उसकी छाती की तरह मोड़े और पिंकी को सामने पाकर मेरा पप्पू दोबारा से चाची की चूत पर हमला करने लगा
इस तरह से रेल चलाई कि चाची बोली शाबाश बेटा शाबाश

अचानक हमारे शरीर का सारा खून हमारे जननांगों की ओर बहने लगा और थोड़ी देर में ही हम झड़ने लगे
चाची गहरी सांसें लेने लगी और हम एक दूसरे से चिपक निढाल हो गए।
इस मस्ती में हमें दरवाजे के खटखटाने की आवाज नहीं सुनी और जब तूफान शांत हो गया तो चाचा की आवाज आई क्या हुआ दरवाजा खोल
मैं हड़बड़ा कर अपने कमरे में भागा पजामा मेरे हाथ में था और अंदर से कमरा बंद कर लिया
चाची को भी पता नहीं क्या सूझा उसने झटपट से मेक्सी पहनी और मेरे कमरे को बाहर से ताला लगाकर मुख्य दरवाजा खोलने गई
दरवाजे की झिर्री से देखा कि मुख्य दरवाजे से आई रोशनी से बिना कच्छी ब्रा के उसके शरीर का पूरा प्रतिबिंब झलक रहा था
सुबह से लगातार उसका नंगा उसको नंगा देखने के बावजूद भी उसके शरीर की अधखुली झलक ने मेरे लिंग को फिर से खड़ा कर दिया
मैं हस्तमैथुन करने को मजबूर हो गया था
चाची ने दरवाजा खोला और चाचा को अंदर आने का रास्ता दिया
चाचा बोला इतनी देर क्यों लगा दी चाची बोली मैं सो रही थी
चाचा ने हमारे कमरे पर ताला देखकर पूछा भाभी और आकाश कहां है
चाची ने बोला भाभी हरिद्वार गई है सुबह से मैं जब उठी तो इनके कमरे का ताला बंद था।
चाची पर भरपूर ठरक चढ़ी हुई थी इसलिए चाची ने चाचा को आकर्षित करने का प्रयास करते हुए अपनी मैक्सी के बटन खोले और खुले गले से अपना यौवन को दिखाकर रिझाने का प्रयास किया
चाचा भी किसी कारणवश गर्म था वह बोला कुछ नहीं
पर मैंने देखा उसका हाथ उसकी पैंट के ऊपर से लंड को सेट करने में लगा था
चाची भी परिस्थिति को भांप गई और उसने चाचा का हाथ पकड़कर बोला कि आप आए हो मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।
आपकी क्या सेवा करूं
चाचा ने बरामदे में ही चाची को अपने आलिंगन में लिया और बोला, कुछ नहीं,
आज भाभी के घर में कुछ मेहमान आए हैं और वह सब आपस में मजा कर रहे हैं तो मैं इधर चला आया।
आज तू बहुत सुंदर लग रही है
चाची बोली आप अंदर चलो, आप थके हुए लग रहे हो आपका शरीर दबा देती हूं पर चाचा वही बरामदे में रखें तखत पर बैठ गया,
चाची फटाफट अंदर गई और मैक्सी उतारकर ब्लाउज पेटीकोट पहनकर बाहर आ गई
चाची का गोरा रंग उसके कपड़ों से बाहर छलका जा रहा था और सुबह से लगातार चुदाई के कारण उसके शरीर से वासना टपकी जा रही थी
चाचा को औरत का शरीर भांपने का अनुभव था इसलिए वह समझ गया कि उसकी बिल्ली एकदम तैयार है तो उसने अपनी पत्नी के तंदूर में अपने लिए रोटियां सेकने का मन बना लिया और बोला वाह क्या बात है।
चाची ने अपने हाथ में पकड़ी तेल की कटोरी को तख्त पर रखा और चाचा के सामने नीचे फर्श पर बैठकर उसके पैरों को दबाने लगी और बोली पैंट उतार दीजिए मैं मालिश कर देती हूं
चाचा फुल मस्ती में था उसने खड़े होकर अपनी पेंट तथा कमीज उतार दी
चाची ने चाचा के शरीर को निहारा और उसके अंडर वियर में से झांकते लिंग को देख कर खुश हो गई
चाचा का लिंग मेरे लिंग से काफी बड़ा और मोटा था,
वह चाची को बहुत ही कम नसीब होता था पर आज का दिन चाची के लिए की पिंकी के लिए बहुत ही खुशनुमा था।
चाची ने तेल को हाथों पर लगाया उड़ेला और चाचा की पिंडलियों पर मालिश करने लगी चाचा कुछ देर ऊपर से चाची के ब्लाउज में से छलकते उरोज को देखने लगा फिर अपने हाथ चाची के कंधों पर रख दिए।
चाची थोड़ी देर पिंडलियों पर मालिश करने के बाद अपने हाथ चाचा के जांघों की तरफ ले आई और जांघों के अंदरूनी हिस्सों पर तेल लगाते लगाते चाचा के अंडरवियर के आसपास तेल लगाने लगी
वासना के कारण चाचा का लिंग बड़ा होता जा रहा था जो कि चाचा के कच्छे में से बाहर निकलने को आतुर हो गया था
चाची ने अपने हाथ चाचा के अंडरवियर के अंदर डाले और चाचा के लिंग को पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी चाचा ने गहरी सिसकारी ली और चाची के कंधों के नीचे हाथ डालकर चाची को उठा लिया
चाची ने भी तुरंत अपने पैरों को हल्का करते हुए चाचा की जांघों पर चढ़ बैठी और चाचा ने चाची का ब्लाउज के हुक को खोल कर उसको नंगा किया और चाची के निप्पल पर ओंठ लगाकर दूध चूसकने लगा
मुझे दिखाई नहीं दे रहा था पर लग रहा था कि चाची अपनी जांघों से चाचा के लिंग को दबा रही है और अपने हाथ चाचा की पीठ पर चलाने लगी
अब चाचा से रहा नहीं गया और चाचा ने वही चाची को तख्त पर लिटा कर उसका पेटीकोट उसकी कमर के गिर्द लपेट दिया चाची के पैर मेरे दरवाजे की तरफ थे इसलिए मुझे उसकी नंगी योनि का आभास हो रहा था
मेरा हाथ तेजी से लिंग पर चलने लगा इधर चाचा ने अपना कच्छा और बनियान उतारा और चाची की के पैरों के बीच में बैठकर मेरा दृश्य अवरुद्ध कर दिया पर मुझे महसूस हो रहा था कि चाचा ने अपना लिंग पकड़कर चाची की पिंकी के अंदर ठेल दिया है अब चाचा चाची के ऊपर लेट कर लगातार धक्के मार रहा था और चाची चाचू का मोटा लम्बा लोड़ा अपने अंदर लेकर निहाल हुई जा रही थी
उसने नीचे से अपने आप को उछालना शुरू किया और चाचा की धक्के मारने की गति बढ़ गई
2 मिनट में चाचा ने अपना वीर्य चाची की चूत में छोड़ दिया और साइड में हो कर लेट गया
पता नहीं चाची झाड़ पाई थी अथवा नहीं
वह फिर से चाचू के लिंग को हाथ में पकड़ कर खड़ा करने का प्रयास कर रही थी पर चाचू वही लेट गया था और अब उसे चाची के शरीर में कोई आकर्षण नहीं दिख रहा था
मैं समझ गया कि अपने भाई के दोस्त द्वारा अपनी भाभी को चुदता देखकर चाचू ठरक में अपने घर आया था और चाची को शांत किए बिना, अपनी ठरक शांत करके लेट गया है।
चाचा ने चाची को बोला कि चाय बना दे
चाची बोली गर्म दूध पी लो आपको अच्छा लगेगा और चाची ने किचन में गई इधर चाचा उठकर अंदर कमरे में चला गया
चाची हाथ में गिलास पकड़ कर बाहर आई वहां चाचा को ना पाकर उसने दूध भरा गिलास मेरी खिड़की के पास रख दिया और दूध का दूसरा गिलास लेकर चाची अपने कमरे में घुस गई
थोड़ी देर बाद फिर से मुझे चाची चाचू की चुदासी की आवाजें आने लगी
इस बार मेरा भी जोश बहुत बड़ा हुआ था और आवाजें सुनकर ही मैंने हस्तमैथुन करके अपने को शांत किया
थोड़ी देर बाद चाची बहार आई और मेरे कमरे की ओर देखकर किचन में चली गई
मैं समझ नहीं पा रहा था की चाची ने मेरे कमरे के बाहर ताला लगाया है तो मैं अंदर भूखा प्यासा कब तक रहूंगा पर औरतों की ममता का और-छौर नहीं होता
थोड़ी देर बाद चाची ने खाना बनाया और थाली में रखकर चुपचाप मेरी खिड़की के पास रख गई और दूसरी थाली में खाना परोस कर अंदर अपने पति की सेवा करने चली गई
चाची के कमरे में जाते ही मैंने अपनी खिड़की खोल कर थाली अंदर खींच ली और खाना खाकर लेट गया
अब मेरे में हिम्मत खत्म हो गई थी और मैं गहरी नींद में सो गया अगली सुबह जब नींद खुली तो सूरज की धूप से कमरे में आ रही थी घड़ी में देखा तो 11 बज गए थे
मैंने अंदर से दरवाजे की चिटकनी खोली और दरवाजा खोलने का प्रयास किया तो पाया कि वह बाहर से बंद है तब मुझे डर लगा कि नहीं चाचा ने मेरे कमरे को खोलने आवाज ना सुन ली हो पर किस्मत अच्छी थी चाचा भी अपने कमरे में अंदर सो रहा था और चाची रसोई में कुछ कर रही थी
आवाज सुनकर उसने खिड़की से बाहर झांका और मेरे को शांत रहने का इशारा करके वापस रसोई में घुस गई मुझे जोर से पेशाब आ रहा था पर क्या करता मैंने भी एक खाली बोतल देखकर उसमें पेशाब करके फिर से सो गया
लगभग 1 घंटे बाद मुख्य दरवाजे के खुलने की आवाज से मेरी नींद खुली तो मैंने झिर्री से देखा चाचा बाहर जा रहा था और चाची ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और दौड़कर मेरे कमरे का ताला खोलकर मेरे से लिपट गई
चाची की आंखों में आंसू थे और बोली: मेरे प्यारे बेटे को मैंने पूरी रात बंद रखा, माफ कर दे, बेटा मुझे,
चाची अभी भी ब्लाउज और पेटीकोट में थी चाची के मेरे से लिपटते ही मेरे शरीर में जैसे करंट छा गया हो और मैंने कसकर चाची को अपने आलिंगन में ले लिया तथा चाची के आंसुओं को अपनी जीभ से पोंछता हुआ बोला चाची तुम मुझे इतना प्यार करती हो, यह भी तो तुम्हारे प्यार ही था जिसने कल परिस्थिति को संभाल कर चाचा को शक नहीं होने दिया।
फिर मैंने चाची से पूछा कि मुझे लगता है रात में अंदर चाचा ने फिर से आपको ठोका पर अपना वीर्य निकाल कर आपकी संतुष्टि की परवाह किए बिना ही वह सो गया था।
चाची कुछ नहीं बोली बस कहा कि अभी भी मेरा मन नहीं भरा, मेरी चूत को भूख लग रही है।
मेरी जीभ का अपने चेहरे पर स्पर्श पाते ही चाची ने अपनी कमर को कस कर मेरी कमर से चिपका दिया और मेरे बड़े लिंग का अहसास होते ही उसने अपना पेटीकोट उठाकर अपनी कमर के आसपास लपेटा और हाथ नीचे करके मेरा अंडरवियर उतार कर मेरे लिंग को आजाद कर दिया अब लिंग और योनि के बीच में कोई दीवार नहीं थी और लिंग अपनी स्वाभाविक बुद्धि से योनि के अंदर आपने अमृत को तलाशने लगा
मैंने अपनी मां के पलंग पर चाची को लेकर धमासान चुदाई की और जब मुझे लगा की चाची संतुष्ट हो गई है तभी मैंने धक्के लगाने बंद किए और अपना वीर्य चाची की योनि में ही छोड़ दिया
चाची ने इतनी जोर से नाखून मेरी पीठ में नोचने लगे मैं : धीरे से, ध्यान से, कल परसों मां ने देख लिया तो आफत हो जाएगी।
चाची: तू मेरी चूत को फाड़ रहा है और मैंने चाचू को पता भी नहीं चलने दिया
मैं: मेरी छोटी छोटी सी लुल्ली तुम्हारी मस्त चूत का क्या बिगाड़ेगी, चाचू का मोटा लौड़ा तुम्हारे चूत की ओखली का बाजा बजा देता होगा?
चाची: मुझे पता है कल तूने बाहर हुई हमारी चुदाई को देखा ही होगा कि तेरे चाचू ने अपने बड़े मुसल को तो शांत किया पर उसने मेरी ओखली की परवाह भी नहीं की और अपना काम होते ही अलग होकर लेट गया
तेरी लुल्ली चाहे छोटी है पर अंदर तक मेरी योनि की सिकाई करती है और जब मैं संतुष्ट होती हूं तभी यह बाहर आती है इसलिए मेरे प्यारे बेटे की लुल्ली मुझे अपने पति के मोटे लौड़े से भी ज्यादा पसंद है कहकर चाची मेरी लुल्ली को चूमने लगी
लूल्ली तो कहने को ही थी, था तो जवान आदमी का लंड, चाची की चुम्मी से फिर से खड़ा होने लगा और अचानक चाची को पता नहीं क्या हुआ, उसने मेरे लिंग को अपने मुंह में ले लिया ,
मुझे तो स्वर्गीय आनंद की अनुभूति हुई, मेरे मुंह से तेज तेज सिसकारियां निकलना शुरू हो गई चाची समझ गई कि मैं आनंद ले रहा हूं तो उसने अपने एक हाथ से मेरे टट्टों को मसलना शुरू किया तथा जीभ तथा दांतों से लिंग पर रगड़ शुरू की जिससे मेरा आनंद बढ़ता गया उस देर बाद चाची ने अपना मुंह ऊपर करके अपनी जीभ मेरे लिंग के क्षिद्र पर रगड़नी शुरू की तो मेरे आनंद की कोई सीमा ही ना रही
मैंने हाथ नीचे करके चाची के योनि को छेड़ना शुरू कर दिया और चाची ने दुबारा मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और मुख मैथुन करने लगी
उस समय मुझे मुखमैथुन के बारे में ज्यादा नहीं पता था पर जो हो रहा था बहुत अच्छा लग रहा था कुछ देर बाद मेरा लिंग झटके देने लगा और मुझे महसूस हुआ कि मेरा वीर्य निकलने वाला है
चाची ने मुंह पीछे किया तो मेरा वीर्य मेरे पेट पर बरसने लगा चाची शरारती आंखों से मुझे देख रही थी
मुझे आइडिया आया कि मेरे लिंग पर चाची ने अपना मुंह रगड़ा तो मुझे कितना अच्छा लगा अगर मैं भी चाची की योनि पर अपना मुंह रगड़ता हूं उसे बहुत अच्छा लगेगा
मैंने चाची को पीठ के बल बिस्तर पर लेटा कर उसकी उसके उसकी जांघें छाती की तरफ की तो उसकी योनि पूरी तरह से खुलकर दिखने लगी और मैंने झुककर चाची की योनि की चूम्मियां लेनी शुरू की और धीरे-धीरे योनि के आसपास के हिस्से को चाटने लगा।
चाची सिसकारियां ले रही थी और मेरे बाल पकड़कर मेरे मुंह को अपनी योनि के पास रखने की कोशिश कर रही थी।
मैंने जीभ चाची की योनि के अंदर डाल दी
चाची एकदम से सिसकारियां भरने लगी वह बेटा वाह बेटा वाह, मेरे लाल , आहा बेटा, हां हां चाची को चाट, क्या आनंद है, तेरी जीभ तो कमाल कर रही है, हां बेटा, करते-करते चाची ने इशारा किया और मेरे कंधे उपर खींचने लगी
मैं समझ गया कि चाची की छूत को लन्ड की आवश्यकता है
मैंने ऊपर होते हुए अपना पप्पू चाची की पिंकी में डाल दिया और सरपट से रेल बना कर फिर से चाची की ओखली में अपनी मूसली को डालकर चाची को संतुष्ट करने लगा
कुछ देर में ही चाची गहरी सांस लेकर झड़ गई और मैं भी चाची के ऊपर लेट गया
काफी समय बाद चाची को एहसास हुआ और हड़बड़ा कर बोली मेरे प्यारे बेटे को मैंने रात भर कमरे में बंद रखा और अब सुबह से नाश्ता पानी देने की बजाय उसका रस निकालने में लगी हूं।

मैं बोला चाची रस निकाल नहीं रही आज तो तूने अपना अमृत पिला दिया।
चाची फिर भी बहुत चिंतित लग रही थी उसने फटाफट हमारी रसोई में ही जाकर मेरे लिए चाय बनाई और लेकर बाहर आई
मैं: ऐसे नहीं चाची, हम दोनों इकट्ठे पिएंगे
चाची: नहीं अब तू चाय पी और थोड़ा आराम कर ले कल से मेरी सेवा कर रहा है
मैं : चाची रात तक शायद मां वापिस आ जाए अभी कुछ ही समय हमारे हाथ में है चल मन भर कर अपना आनंद लेते हैं
चाची: नहीं बेटा बहुत हुआ अब पहले कुछ खा पी ले ।
कहकर चाची अपनी रसोई में चली गई मैंने भी कच्छा पहना और चाची की रसोई के सामने आकर बैठ गया, खाना खाकर हमने शाम से लेकर सुबह तक तीन बार और अच्छे से संभोग किया। हर बार चाची और मैं बहुत संतुष्ट हुए और मैंने बेफिक्री से चाची की योनि में अपने काम रस की वर्षा की ।
मां अगले दिन दोपहर को वापस आई तब तक हमने एक बार और चुदाई का आनंद ले लिया था।

मां के आने के बाद वापस वही सप्ताह में एक-दो बार चुदाई का नियम चलने लगा पर चाची मेराथन चुदाई के बाद खुश रहने लगी थी और उसके दौरे मिर्गी के दौरे भी खत्म हो गए थे

जून में मेरी प्रतियोगी परीक्षा का नतीजा आया तो मुझे घर से 500 किलोमीटर दूर दाखिला मिला था अतः मेरा हॉस्टल में जाना निश्चित हो गया था
इस बीच चाची ने मुझे खबर दी कि उसे रजस्वला नहीं हुआ है और वह शायद मां बनने वाली है
खुशकिस्मती से उन दिनों हमारी धमाकेदार चुदाई वाले दिनों में चाचा घर आया था और उसने अपने मनोयोग से चाची की ठुकाई की थी इ
सलिए चाची ने जब उसे खबर दी कि रहना बनने वाली है चाचा को किसी प्रकार का शक नहीं हुआ

मेरे हॉस्टल जाने के बाद पिताजी ने वहां से कुछ दूर अपना छोटा सा घर खरीद लिया था और मेरी प्रियतमा चाची का घर खाली कर दिया था।
छुट्टी में जब घर आया तो पता चला की चाची के बेटी हुई है और मुझे पूरा यकीन है कि वह मेरी ही बेटी है,
मैं उनके घर जाकर कई बार अपनी बेटी से मिल आया था धीरे-धीरे मैं पढ़ाई तथा उसके बाद नौकरी में व्यस्त हो गया और चाची से संसर्ग करने का अवसर नहीं मिला
शायद चाची भी मिर्गी ठीक होने और घर में बच्चा होने के कारण हमारे अनैतिक संबंध को आगे बढ़ाना श्रेयस्कर नहीं समझती थी।
मैं अपनी चाची के ठीक होने तथा चाची बच्चा प्राप्त होने के कारण बहुत खुश थी और हमारा प्रेम आलौकिक प्रेम में बदलकर अभी तक बना हुआ है,
मेरी बच्ची बड़ी हो गई है और जब कभी मिलती है बहुत आदर से भैया कहकर मेरे से अपने व अपने परिवार के बारे में बातें करती है ।

अगले अपडेट में रचना की शादी के बाद उसको उसके शहर में मिलना तो था आपने पुराने छोड़े हुए संभोग के बारे को पूरा करना आपके सामने प्रस्तुत करूंगा
 
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