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Incest मां और मैं

Sangya

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कुछ हंसते मुस्कुराते चूतकले

सर्दी में : पेटिकोट ही एकमात्र ऐसा कोट है जिसे उतारने के बाद सर्दी नहीं लगती

आदमी का की सेक्स लाइफ पेंट के बेल्ट वाले पिन जैसी है जिसके सामने बहुत सारे छेद होते हैं लेकिन लिंग हमेशा एक ही छेद में डालना पड़ता है

एक आदमी का के लोड़े पर मच्छर ने काट लिया और वह सूजकर दुगना हो गया
सुबह उसकी बीवी उसे डॉक्टर के पास ले गए तो खास तौर पर बोलती है डॉक्टर साहब इसको बहुत दर्द हो रहा है तो दर्द की दवाई दे दो लेकिन ऐसे करना कि सूजन बनी रहे

एक आदमी की शादी हुए कुछ समय हुआ था और वह घर जाते समय कंडोम लेकर चला गया उसकी बीवी ने कंडोम देखे तो बहुत खुश हुई पूछा यह कितने के हैं आदमी कहते हैं ₹50 के 10
बीवी बोली हाय राम, तुम्हें लूट लिया
मेरे भैया तो 5 रुपए के 3 लाते थे
 

Sangya

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आज पूरा दिन रोजी रोटी कमाने में व्यस्त रहा।
मन में बचपन पुरानी घटनाओं के कई चित्र मेरे मानस पटल पर चलते रहे इन सभी चलचित्रों में मां के साथ बिताए अमूल्य आंतरिक क्षण तथा हम दोनों का एक दूसरे के प्रति विश्वास, एक दूसरे को पूरी तरह से समझते हुए अपना सब कुछ एक दूसरे पर निछावर करने का जो भाव था वह मन में पुनः जागृत होता रहा। मन में था कि मैं किसी भी तरह से मां के पास पहुंचकर, रसोई में काम करती मात्र पेटिकोट तथा ब्लाउज पहनी मां को पीछे से आलिंगन करके एक सुखद सरप्राइस दूं। मां के आलिंगन तथा उसके चेहरे की खुशी को मैं लगातार महसूस करता रहा पर नौकरी के कारण मैं अपने मन मामोसकर रह गया।

उस समय के लंड चूत का खेल कब मेरे व्यक्तितव को पूरी तरह से बदल गया, मैं यह सब लिपिबद्ध करना चाहता था पर शायद सोमवार तक समय ना मिल पाए, सोमवार के बाद एक नया पोस्ट संस्मरण लिखूंगा।
मां के साथ साथ चाची का योगदान मेरे प्रति तथा मेरा चाची को अकेलेपन की गहराइयों से निकालकर समाज की धारा में लाने का योगदान भी बहुत आनंददायक रहा था।
इसका एक छोटा सा खंड जल्दी ही आपके सामने प्रस्तुत करूंगा
 
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Sangya

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आज चाची से जुड़ा एक मजेदार तथा रंग बिरंगा किस्सा
चाची से मेरे संबंध बहुत ही दोस्ताना से थे और जब भी हमने सहवास किया बहुत औपचारिक ढंग से किया किसी प्रकार के अश्लील शब्दों का प्रयोग किए बिना तथा आपस में बहुत ज्यादा छेड़खानी नहीं की हमारे संबंध बिल्कुल उसी प्रकार थे जैसे कुछ दशक पहले एक बड़े परिवार में रहने वाले दंपत्ति के बीच में होते हैं, कि सबके सामने ना कोई चुहल बाजी, ना कोई मजाक और जब चुपचाप मौका मिला तो तन मन की प्यास बुझा ली
चाची के मन में कई वर्षों से अपने पति द्वारा उपेक्षा के कारण बहुत तरह की कुंठाएं जन्म ले चुकी थी और हर बार उसे हर समय उसे यही महसूस होता था कि कहीं कुछ गलत तो नहीं है और मैंने उसकी कुंठा दूर करने के लिए बहुत स्वाभाविक तरीके से ही उसको अर्धनग्न करके और उसकी कामवासना को प्रज्वलित करके अपने डंडे का भोग लगाने के लिए तैयार किया था इस प्रकार हमारे संबंध बहुत सहज रहे और कहीं पर भी चाची के मन में ग्लानि भाव नहीं आया था जिसके कारण उसने सहजता से मुझे अपना मित्र समझकर सब कुछ मेरे को सौंप दिया था
हमारा सहवास का अंतरंग व्यवहार बहुत छिपे हुए ढंग से चल रहा था। मां को शायद कुछ आभास हुआ होगा, तो होगा, बाकी किसी को भी इसकी भनक नहीं लगी थी यह मेरे लिए हमारे लिए बहुत सकून का विषय था
कई बार मैंने चाची को सहवास के दौरान ज्यादा खोलने का प्रयास किया किंतु वह सीधे सादे संभोग के लिए अपना शरीर मेरे को सौंप देती थी जिससे योनि में उंगलियां डालकर या थपथपा कर या उसकी जांघों और पिंडलियों पर मालिश करके मैं उसको उत्तेजित करता था चूचियों से दूध पीना मेरे लिए बहुत बड़ा आकर्षण अब भी है ! ! चाची की चूचियां बहुत छोटी थी, एक कमसिन लड़की के बराबर जैसे कोई दसवीं बारहवीं की पतली दुबली लड़की हो तो जब मौका होता था, मैं चाची का ब्लाउज खोल कर छोटी छोटी सख्त सूचियों को मसल मसल कर लाल कर देता था और मेरी जीभ की रगड़ से तो चाची बहुत ही उत्तेजित हो जाती थी
मैंने मस्तराम की किताबों में कहानियों में नवयुवकों द्वारा चाची ताई बुआ बहन मां से संभोग के बारे में कहानियां पढ़ी थी जिसके कारण मेरे मन में संभोग से पहले कुछ खेल करने की इच्छा जागती थी परंतु एक तो एकांत में चाची के साथ सहवास का समय बहुत कम मिलता था और ऊपर से 2 महीने बाद मेरे बोर्ड के एग्जाम परीक्षाएं शुरू होने वाली थी इसलिए मैंने भी बहुत ज्यादा मौका तलाश करने का प्रयास नहीं किया था पर मन में था कि हम सकून से निश्चिंत होकर खुलकर संभोग कर सकें और अपने खेल खेल सके लेकिन मुझे इसके लिए परीक्षाओं के खत्म होने तक इंतजार करना पड़ा।
सर्दियों में जनवरी बुआ और रचना के जाने से पहले रचना के साथ बस 1 बार और हस्तमैथुन का मौका मिला उसके बाद फरवरी वैसे ही निकल गया और मार्च में परीक्षाएं शुरू हो गई थी जनवरी फरवरी-मार्च में मेरी चाची तथा मां के साथ संभोग की आवृत्ति बहुत ही कम हो गई थी जब भी कभी मौका मिलता है चाची मुझे अपने कमरे में ले जाकर झटपट से अपना कामरस निकालकर रिलैक्स हो जाती और रात्रि में रजाई में घुसकर मैं और मां लगभग नग्न अवस्था में जब सोते थे तो कुछ लंबा खेल चल जाता था पर वह चुदाई मेरी और से बहुत ही सभ्य और आदरपूर्ण तथा मां की तरफ से वात्सल्य से भरपूर होती थी। अश्लील बातें व मां की चूत चटाई इत्यादि जैसी हरकतों का विचार ही तब तक मन में नहीं आया था।
जैसे ही मेरी लिखित और प्रायोगिक परीक्षाएं खत्म हुई मुझे चैन की सांस आई और मैंने मां व चाची के साथ लंबा खेल खेलने का मन बना लिया था।
"जहां चाह वहीं राह" अप्रैल के पहले सप्ताह में मम्मी को नानी और मामा के साथ हरिद्वार जाने का प्रोग्राम बन गया था मेरे को भी मामा ने बोला कि चल साथ में पर मैंने मना कर दिया कि अभी कुछ एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी करनी है।
मम्मी नानी और मामा मामी के साथ हरिद्वार निकल गई सप्ताह के बीच में चाचा का घर आने का कार्यक्रम प्रायः नहीं होता था इसलिए मुझे मनचाहा मौका मिल गया जैसे ही मां सुबह 6:00 बजे घर से निकली मैं सोई हुई चाची के कमरे में जाकर उसके बिस्तर पर लेट गया
चाची ने सोने के समय साड़ी करना छोड़ दिया था तो पेटिकोट के नीचे कच्छी और ब्लाउज के नीचे ब्रा की तो जरूरत उसे वैसे भी नहीं होती थी, पतले कपड़े का पेटीकोट तथा पतले सूती कपड़े का ब्लाउज चाची को बहुत ही कामुक अवस्था में दिखा रहा था मैंने भी अपना पजामा उतारा और चाची के साइड में लेट गया मेरा तखत नन्ना भाई जिसका नाम आगे से हम पप्पू लेंगे चाची की जांघों से सट गया और मैंने चाची के पेट पर नाभि के गिर्द हाथ रख दिया और एक अंगुली से चाची की नाभि को टटोलने लगा चाची थोड़ा भुनभुनाई तो मैंने चाची की एक पप्पी ले ली अब इससे चाची की नींद खुलने लगी थी और चाची ने स्वाभाविक ढंग से ही अपना हाथ उठाकर मेरी कमर पर रख दिया मैं चाची के और करीब सट गया और मैंने अपना एक पैर उठाकर चाची के पैर के ऊपर रख दिया और चाची की गहरी पप्पी ली चाची ने अपना मुंह मेरी तरफ किया तो मैंने चाची के होठों को चूम लिया, उससे चाची ने भी मेरी तरफ करवट ले ली अब हम दोनों साइड केवल एक दूसरे की तरफ मुंह करके लेटे हुए थे मैंने सिर्फ अपनी मां द्वारा दी हुई उसकी कच्छी पहनी हुई थी तथा चाची ने सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज चाची ने अपने दोनों पैरों को खोलो तो मैंने अपना एक पैर चाची के दोनों पैरों के बीच में लगा दिया जिससे मेरा मेरी जांघ चाची की जांघों के बीच में दब गई और मेरा पप्पू चाची की जांघों के ऊपर दस्तक देने लगा मैंने अपने एक हाथ को चाची के नितंबों पर लगाया और उसे अपनी तरफ खींचा दूसरा हाथ मैंने चाची के कल गर्दन के नीचे लगाया और उसकी छाती को अपनी छाती से जोड़ लिया अब चाची के होंठ मेरे होंठों के बिल्कुल करीब थे मैंने चाची के लोगों से अपने लब जोड़ दिए और जब चाची ने मुंह थोड़ा सा खोला तो मैंने अपनी जीभ चाची के मुंह में सरका दी चाची को इसका शायद अनुभव नहीं था वह हकबकाइ तो मैंने जीभ को और उसके मुंह के अंदर डाल दिया जिससे मेरी लार चाची की लार से मिलने लगी अब चाची ने नैसर्गिक रूप से ही मेरी जीभ को काटना व अपनी जीभ से कुश्ती कराना शुरू कर दिया तो यह हमारा पहला लिप किस्स को गया। लिप किसिंग के बारे में मुझे पता नहीं था ना ही चाची को।
सेक्स बहुत ही नैसर्गिक क्रिया है सभी जीवित प्राणी इस क्रिया को आकर्षण स्वरूप शुरू कर देते हैं और धीरे-धीरे विभिन्न आसनों में पारंगत हो जाते हैं। जब मुझे बाद में बड़े होकर कॉलेज के दोस्तों के साथ वीसीआर को किराए पर लाकर देखने का मौका मिला तब जाना कि जो हमने किया वह ब्लू फिल्म बनाने वाले वालों का मुख्य थीम होता है
तो हमारा हमारी जीभ में आपस में अठखेलियां करती रही मैंने अपना हाथ चाची के नीचे से निकालकर चाची की पीठ पर देना शुरू किया और दूसरे हाथों से उसके नितंबों पर डालकर अपने पप्पू के पास आने लगा तब तक चाची की झांटों के बीच छिपी हुई योनी भी कसमसाने लगी थी और चाची को कामोत्तेजना की लहरें उठने लगी थी। वह

मैं उसी तरह से चाची को आलिंगन में लिए लिए पीठ के बल लेट गया और चाची मेरे ऊपर आ गई यह पहली बार हुआ था कि हमारे मिथुन के दौरान चाची मेरे ऊपर आई हो अभी तक मिशनरी पोजिशन में मैं ही हमेशा अपना पप्पू चाची की पिंकी में डालकर धक्के लगाता था और चाची नीचे से थोड़ा सहयोग करती थी चाची का वजन ज्यादा नहीं था इसलिए मैंने उसको अपने ऊपर हटाने के लिए उसकी पीठ पर और नितंबों पर खूब जोर लगाया और चाची भी नीचे से मेरे को जकडने का प्रयास कर रही थी उसने दोनों हाथों को मेरे कंधों के नीचे से निकालकर मेरी छाती को अपनी छाती से जोड़ लिया
मैंने अपने हाथ नीचे किए और चाची के पेटिकोट को धीरे-धीरे उठाने लगा और धीरे-धीरे चाची के की कमर के गिर्द लपेट दिया अब चाची कमर के नीचे बिल्कुल नंगी थी तो मैंने अपनी दोनों हथेलियां चाची की जांघों पर फेरनी शुरू कर दी क्योंकि चाची मेरे ऊपर उल्टी लेटी हुई थी तो मेंने अपनी हथेलियों को चाची के नितंबों पर और उंगलियों को जांघों के जोड़ की तरफ चला दिया जिससे मेरी दो अंगुलियों ने चाची की नर्म पिन्की के लबों को मचलना शुरु कर दिया था अब चाची ने अपनी जीभ मेरे मुख में डाल दी
वाह मजा आ गया
और चाची ने एक गहरा चुंबन मेरे होठों पर दे दिया मैं तो जैसे सातवें आसमान पर था फिर जैसे ही चाची ने अपने आपको ऊपर सरकाया कि उसकी पिंकी मेरे पप्पू एहसास ले सके मैंने झटपट से अपनी उंगलियां ऊपर करके चाची के ब्लाउज के बटन खोल दिए तो चाची ने हाथ ऊपर किए और मैंने ब्लाउज उतार दिया आप चाची दोबारा से मेरे से लिपट गई थी चाची की छोटी-छोटी चूचियां मेरे सीने में दब रही थी और मैं भी चाची के मुख का चुंबन लेता हुआ उसके कानो और गर्दन तक ले आया मैंने अपनी जीभ से चाची के कान की लौ को सहलाया फिर और नीचे लाकर चाची के गले के बीच में बने हुए छोटे से गड्ढे पर अपनी जीभ चुभलाने लगा नीचे से चाची ने अपनी दोनों जांघें जोड़ी और मैंने अपनी दोनों जांघों थोड़ी खोली जिससे चाची की दोनों टांगों मेरी टांगों के बीच में आई और मैं अपने घुटने मोड़कर चाची से टांगों को अपने ऊपर दबाने लगा
चाची ने अपना एक हाथ नीचे करके मेरी कच्ची को नीचे करना चाहा पर हमारे साथ जुड़े होने की वजह से इतनी जगह नहीं थी चाची ने लेडीस कच्छी के साइड में हाथ डाल कर मेरे पप्पू को मसलने लगी अभी तक पप्पू सख्त हो गया था और शिश्न से द्रव की 1-2 बूंदें चाची के अंगूठे ने महसूस की और चाची ने अंगूठे से मेरे उसे छिद्र को दबाया जिससे वह मेरे पप्पू तथा चाची के अंगूठे को चिकना करने लगा अब मैंने थोड़ा पीछे हो तो अपनी कच्छी नीचे की और चाची के हाथों में पप्पू की लंबाई पकड़ा दी जिससे चाची आराम से पप्पू को मन अनुसार हिला सके। चाची ने अपने हाथ से छल्ला बनाकर पप्पू को उमेठना शुरू किया दूसरी अंगुली से पप्पू के ऊपरी हिस्से पर चलाने लगी
इधर मैंने अपने मुंह चाची और दांतों से चाची के मम्मों की गोलियों को चूसने लगा सचाची की सीत्कार बढ़ती जा रही थी और मेरी भी सांस भारी होने लगी थी मेरे पप्पू ने चाची की पिंकी की खुशबू पाकर आंदोलन करना शुरू कर दिया था। यह अवस्था दोनों के लिए असहनीय होती जा रही थी इसलिए हम दोनों एक दूसरे को कसकर एक दूसरे के शरीर में समाने का प्रयास कर रहे थे। किंतु आज चाची ने भी अपने हाथों से मेरा लन्ड पकड़ लिया था। उसकी सख्ती देखकर चाची मेरे कान में फुसफुसाईं, मेरे बेटे का पप्पू क्या सोच रहा है? कर दे हमला!
मैं: आराम से करेंगे
चाची:अभी तेरी मां आवाज दे देगी तो तू अपनी घंटी टनटनाता हुआ मां के आलिंगन में घुस जाएगा और मैं यहां तड़पती रह जाऊंगी
मैं: आज हमारे पास पूरे 36 घंटे हैं
चाची : ऐसा क्यों ?
मैं : आज मामा, मम्मी को अपने साथ हरिद्वार ले गए हैं और घर में कोई भी नहीं है चाची : कब आएंगे
मैं : कल शाम तक!
चाची के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई, और बोली कि तेरे चाचा अगर आज रात ना आए तो हम पूरी रात मजे कर सकते हैं
मैं : इसी दिन का तो इंतजार कर रहा था कि कब हमें लंबा समय इकट्ठा बिताने को मिले, यह कहकर मैंने चाची की 4-5 पप्पी ले ली
चाची को उठे हुए लगभग एक घंटा हो गया था चल उठ मुझे सुसु करना है, मैं बोला आज के लिए तू मेरी रानी है आज तुझे पैदल नहीं चलने दूंगा।
चाची: मैं छोटी बच्ची हूं
मैं: आज हम नवविवाहित जोड़े की तरह पूरा दिन घर में नंगें रहेंगे। हनीमून पर जैसे बिल्कुल नंगे रहते हैं
चाची : हनीमून पर कहां नंगे रहते हैं? वहां तो होटल में जाते हैं, बाहर घूमते फिरते हैं खाना-वाना खाने जाते हैं
मैं : चाची, तुम्हें नहीं पता आजकल मैंने सुना है जोड़े किसी दूर होटल में चले जाते हैं और पूरा दिन कमरे से बाहर नहीं निकलते और लगातार एक दूसरे को सिर्फ चोदते हैं
चाची: तेरे को कैसे पता ?
मैं : मेरी क्लास मेरा एक दोस्त है उसके भैया की अभी शादी हुई है और वह आपने भाई भाभी की जासूसी कर के बता रहा था। उसकी भाभी ने तो पूरे गांव में पूरे मोहल्ले में शोर मचा दिया कि हनीमून में उसके पति ने उसको कितनी बार चोदा था
चाची को गोदी में उठाकर मैं बाथरूम की तरफ ले आया हम दोनों निपट नंगे थे और मेरा पप्पू चाची के नितंबों पर टन टना टन बज रहा था और मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो रहा था बाथरूम में पहुंचकर चाची एकदम से नीचे बैठकर पेशाब की धार सीटी बजाते हुए निकालने लगी
चाची ने शेव नहीं की हुई थी मैंने पूछा कि यह जंगल क्यों लगा रखा है चाची और बोली बिना माली के बगिया में छंटाई नहीं होती तो जंगल का रूप ले लेती है , अब तेरे पप्पू ने इस पर ध्यान दिया है तो मैं वीट क्रीम से अपने प्यारे बच्चे के लिए, जो यत्न से मेरी सेवा करता है जंगल को साफ कर दूंगी
मैं : सच्ची! आप कर दोगी तो बिल्कुल मेरी क्लास वाली सुनीता की तरह लगोगी
चाची: सुनीता वह शर्मा जी की बेटी? तूने उसकी चूत कब देखी?
मैं; चाची सब कुछ देखना जरूरी तो नहीं सुनीता को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कभी छोटी बाजू वाली कमीज पहनती है तो उसकी बगलें बिल्कुल साफ दिखती है और इसलिए मुझे पक्का यकीन है कि वो नीचे का हिस्सा भी साफ करती होगी और उसकी पिंकी और रोटी के बीच में सब इलाका साफ होगा।
चाची: क्या बात है पिंकी बात करते-करते पावरोटी की तरफ ध्यान चला गया
मैं: चाची तुम्हारी पावरोटी बहुत ही मस्त है जब मैं पिंकी को प्यार करता हूं तो दोनों हाथ पावरोटी पर चलते हैं पावरोटीयां पिंकी के अंदर पप्पू घुसाने का हैंडल होती हैं, पावरोटी पर दबाव दो, उस समय पप्पू और पिंकी सही एंगल में हो तो पप्पू सीधा कोण बनाते हुए पिंकी की जड़ों तक पहुंच जाता है।
चाची: ओ, मेरा राजा मुन्ना अब चुदाई एक्सपर्ट हो गया है।
अगर तू पप्पू पिंकी ही सोचता रहा, पप्पू पिंकी ही करता रहा तो शादी में मुझे बहुत अच्छी पिंकी नहीं मिलेगी कोई बेकार सी लड़की मिल जाएगी, अनपढ़ वाली! जिससे तू अपनी मनचाही बातें भी नहीं कर पाएगा। मन लगाकर पढ़, अच्छी नौकरी देख फिर तुझे बहुत सुंदर लड़की मिलेगी जिससे तू पिंकी पप्पू- पिंकी पप्पू करता रहेगा
चूत मारने का तब तुझे बहुत आनंद आएगा। कहीं भी चाची की बातों से मुझे पूरी तरह शांति मिली की चाची अपना तन मुझे सोंपने के बदले में मेरे पर किसी तरह का अधिकार जमाना नहीं चाहती है चाची के मन में सिर्फ ऐसा ही लगा जैसे मैं चाची की सामान्य सेवा करता हूं और चाची को मेरे भविष्य की चिंता तथा मेरी होने वाली पत्नी के बारे में सुख सुविधा का ख्याल करने का पूरा हक है ।
यह बातें करते करते हम दोनों बाथरूम से कमरे में आ गए चाची बोली कुछ चाय वाय पी है सुबह से या अपना डंडा लेकर चाची के जाले साफ करने आ गया है
मै : आज कुछ खाने का मन नहीं है सिर्फ अपना दूध पिला दो तो मेरा पेट भर जाएगा
चाची बोली, और मैं
मैं: तुम मेरा दूध पी सकती हो
चाची: ये छोटा सा मेरा बेटा और मुझे दूध पिलाने की बात करता है तेरे मम्मे तो है भी नहीं, मुझे दूध कहां से पिलाएगा
मैं: मम्मे का दूध नहीं, यह मेरे डंडे का रस चाट लो, इस मलाई में तो नीरा प्रोटीन होता है यह बहुत ही ताकत देता है तभी तो सब किताबों में लिखा है वीर्य अमृत है इसको बेकार मत करो
चाची: मुर्ख, वह बेकार करने का मतलब हस्तमैथुन करने से है वीर्य सिर्फ बच्चे पैदा करने के लिए स्त्री की योनि में ही छोड़ना चाहिए, बाहर नहीं। पर चाची बच्चे पैदा नहींहो रहे हैं ऐसा सोचकर चाची एकदम उदास हो गई। तेरे चाचा मेरे संसर्ग में नहीं आते हैं अपनी मोटी चुदास तथा निर्लज्ज भाभी को चोदते हैं, भाभी को तो अपने पति का तथा तेरे चाचा का लिंग मिल जाता है उसके तीन बच्चे हैं कौन सा चाचा का है और कौन सा उनके बड़े भाई का पता ही नहीं । मैं अपने तन की संतुष्टि तेरे से करती हूं, पर हमेशा डर रहता है कि कहीं कभी बच्चा ना ठहर जाए
मैं : चाची, डर मत, मेरी स्टोप के बहुत सारे गर्भपात केंद्र हैं।
चाची: बेटा, एक स्त्री के मन की बात नहीं समझेगा फसली चाहती है कि अच्छे से ठुकाई पिलाई करवाएं और पुरुष का बीज अपने अंडे से मिलकर स्त्री अपने को संपूर्ण करे और मां बने। मां बनने के दौरान बहुत कठिनाइयां होती हैं पर आपने को एक बच्चे की मां कहलाने का जो सुख होता है वह सब मुश्किलों से बड़ा होता है, पर मेरा भाग्य देखो जिस पुरुष से मुझे बच्चा होना चाहिए वह मेरी तरफ ध्यान नहीं देता अपनी भाभी की चूत में ही मस्त है और तू मेरा ध्यान रखता है, पर तेरे और मेरे संभोग से अगर पेट ठहर गया तो कितना बड़ा बवाल हो जाएगा।
चाची ने उदास होकर मेरी छाती पर अपना सिर रखकर अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी। आंखों से चाची का दुख मेरी छाती पर बह रही था। मैंने चाची का मुख उठाकर देखा, मुख को अपने हाथों में पकड़ा और अपनी जीभ से उसके आंसुओं को चाटने लगा
मैं बोला : फिक्र मत कर जब भी कभी चाचा तुझे चोदे दो उसके बाद एक-दो दिन में हम लगातार बिना निरोध के हम संभोग करेंगे और तुम चाचा को बार-बार जताना कि चाचा ने अच्छे से संभोग किया था जिससे फिर बच्चा अगर ठहर जाए तो भी चाचा को लगेगा कि बच्चे का बीज उसने डाला है ।
चाची गहरी सांस लेकर बोली अगर ऐसा हो तो मजा आ जाए
मैं बोला चाची करते हैं चिंता मत करो चाची के मन में कुछ संतोष की भावना आई और मेरे से लिपट गई हम ऐसे ही लिपटे लिपटे बिस्तर पर गिर गए।
कुछ मिनट के बाद चाची ने मेरे छोटे-छोटे चूचक चूसने शुरू कर दिए यह पहला मौका था कि मेरे चूचकों पर चाची या किसी भी स्त्री की जीभ चल रही थी उत्तेजना की बड़ी ऊंची लहरें मेरे शरीर में बहने लगी और मेरा लिंग फुल कर वीर्यपात की चेतावनी देने लगा मैंने भी झटपट अपनी दो उंगलियां चाची की योनि में डाली और खूब जोर से मसलने लगा अपने होठों को मैंने चाची के मुंह से जोड़ दिया और अपनी जीभ चाची के मुंह में डाल दी सिर्फ चाची के उरोजों को मसलता हुआ चाची के चूचक चूसने लगा और अपने दोनों हाथ से चाची को कसकर अपने सीने से लगा लिया अब चाची के हाथ मेरे नितंबों पर तथा मेरे हाथ चाची के नितंबों पर थे
पूरी तरह से हम दोनों को एक दूसरे में घुसने का पूरा जोर लगा रहे थे मेरे लिंग ने इस जोर आजमाइश के दौरान चाची की गुफा ढूंढ ली और अपना सुपाड़ा चाची की योनि के ऊपरी भाग में ठेल दिया मुझे और उत्तेजना आने लगी और मैंने झट से अपनी कमर को एक झटका देकर लिंग को चाची की चूत में पूरी तरह से पेल दिया, चाची भी जोर जोर से सिसकारियां भरने लगी थी हम दोनों के गाल आपस में रगड़ रहे थे चाची ने पैर उठा कर मेरे पैरों के ऊपर कैंची बना ली और मैंने सरपट रेल की तरह चाची की रसीली चूत पर अपने लिंग का लगातार वार करने लगा। चाची को मेरी स्पीड को झेलना मुश्किल लग रहा था फिर भी बोली
हां बेटा चाची को भर दे
मेरी चूत बहुत प्यासी है
वाह बेटा
मेरे प्यारे राजा
मेरे सुंदर बेटे मेरे साथी
तूने मुझे निहाल करना है
अपनी चाची की बरसों की प्यास बुझा दे बेटा कहां हो अहा अहा अहा अहो
आजा बेटा कसले जोर से कसले
जोर से पेल
लगा ताकत
कहते-कहते चाची नीचे से उछल उछल कर अपनों को मेरे लिंग के ऊपर गिराने लगी
मैं भी बहुत जोश में आ गया था,
ठीक चाची, चोदता हूं
ऐसी पिचकारी छोडूंगा बच्चेदानी में जाएगी संभाल जांघों के आपस में टकराने की आवाज आने लगी चाची ने अपने दोनों हाथ मेरे वक्ष पर रखे और मुझे खींचने लगी
बिजली की लहर मेरे शरीर में दौड़ रही थी और मैं धकाधक चाची को पेल रहा था चाची भी बहुत खुशी से मेरे धक्कों का पूरा जवाब दे रही थी अचानक मुझे लगा मेरा वीर्य छूटने वाला है मैंने और लंबा करने का प्रयास किया एकदम से ब्लॉक करके अपना लिंग चाची की योनि से बाहर निकाला और अपने मुंह से चाची की चूचियां चूसने लगा चाची एकदम हड़बड़ा गई, क्या किया बेटा? लय बन रही थी मंजिल तक पहुंचा दे
मैंने कहा कि आज अपने पास पूरा दिन है और ताकत है आपकी पिलाई करूंगा
चाची ने मेरे को अपनी बाहों में कस लिया और दुबारा से मेरे नितंबों पर पैर डालकर मेरे लिंग को अपनी योनि में डाल दिया मैंने भी नाश्ता पूरा करने का विचार बनाया और फच्च फच्च करके चाची की चूत में अपना लौड़ा डाल दिया और पूरी स्पीड से जैसे दुनिया में अंत होने वाला हो, चाची की पिंकी की ठुकाई करने लगा मेरा पप्पू चाची की पिंकी मैं बहुत फंस कर जा रहा था पूरा आनंद आ रहा था और एक बार जब पप्पू के अंदर होता था तो पिंकी का मखमली एहसास मेरी उत्तेजना को और बढ़ा देता था बहुत तेजी से मेरा पप्पू चाची की पिंकी को अपने गिर्द समेट रहा था मेरी सांसो की तेजी बढ़ती गई उधर चाची भी नीचे से पूरा जवाब दे रही थी चाची की सांसें भारी होने लगी और मेरी उत्तेजना भी चरम तक पहुंच गई थी ठक ठक करके मेरे वीर्य के छीटें चाची के योनि मार्ग में प्रवेश कर गई और चाची भी कंपकंपाकर मेरे से चिपक गई। हम बिल्कुल स्थिर अवस्था में एक दूसरे को जकड़कर लेटे रहे दोनों के शरीर में भयंकर कपंन हो रही थी, पसीने ने हमारे शरीर को नहला गया था लगभग 5 मिनट बाद में सांस आई और चाची ने करवट लेकर अपने पेटीकोट से अपनी योनि को पौंछा और मेरे लिंग को भी साफ किया
मेरी पप्पी ले कर बोली थक गया है मेरा प्यारा बेटा, चल, नाश्ते में दूध पी ले ।

मैंने चाची को दुबारा कस लिया, लंड छोटा होकर सुस्त पड़ा था चाची ने गुलगुली की तो वह दुबारा रिझाने की कोशिश करने लगा। मैंने चाची की चुम्मीआं ली और बारी बारी चाची के दोनों मम्मों को चूसता रहा और चाची सिसकारियां भरती रही मैं पीठ के बल बिस्तर पर लेट गया और चाची मेरे ऊपर आकर अपने मम्मी मेरे मुंह में डालने लगी चाची ने अपने दोनों जांघों मेरे पेट के दाएं बाएं रखी हुई थी जिसे चाची की योनि मेरे लिंग प्रदेश पर रगड़ खा रही थी धीरे-धीरे मेरा लिंग पुनः खड़ा हो गया
मैं बोला चाची यह पप्पू तो अपनी पिंकी का घर जाने के लिए दोबारा खड़ा हो गया है चाहत की बोली इसकी पिंकी भी उसको बुला रही है करके चाची थोड़ा पीछे हटी तो पिंकी पप्पू के संपर्क में आ गई चाची ने हाथ नीचे करके पप्पू पिंकी को सटा दिया और एक जोर से धक्का मारा जिससे मेरा लिंग चाची की योनि में प्रवेश कर गया
अब चाचीमेरे लिंग पर बैठकर दाएं बाएं हिलने लगे मेरा लिंग पूरी तरह से चाची की योनि में बहुत गहराई तक गया था और मुझे बहुत आनंद आने लगा था चाची की भी यही अवस्था थी धीरे-धीरे चाची अपने जादूई हाथों से मेरे लिंग को छेड़ने लगी जब वह मेरे ऊपर मचल रही थी तो चाची के छोटे-छोटे मम्मे मुझे लालायित कर रहे थे मैंने हाथ बढ़ाकर चाची के उरोजों से खेलना शुरू कर दिया जिससे चाची की उत्तेजना और बढ़ने लगी और मेरी प्यारी चाची गहरी गहरी सांसें लेने लगी शरीर को मेरे शरीर से एक कर दिया
मैंने भी आलिंगन को पूरी तरह से दबाव में ले लिया अब हमारे बीच में हवा निकलने लायक भी जगह नहीं थी हम फिर कंपकंपाए और फिर मैंने दो करारे शॉट मारे जिससे मैं मेरा वीर्य भर बढ़ाता हुआ चाची की योनि में गिरने लगा चाची उनके शरीर में कंपन बहुत देर तक जारी रहा और पूरी शिद्दत के साथ उसने मेरे वीर्य को अपनी योनि में समा लिया और सांस आने से पहले ही चाची ने मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल दी और हम दोनों एक असीमानंद को महसूस करते करते नींद के आगोश में चले गए इस तरह से हमारा सुबह का नाश्ता पूरा हुआ अगले अपडेट में लंच तथा डिनर की संतुष्टि के बारे में लिखने का प्रयास करूंगा
 
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