मां का दूध छूडवाने से चुसवाने तक का सफर : पार्ट 69
मैनें किचन में रखा एक कपड़ा उठाया और सीधा मां के मुंह में दे दिया और फिर नीचे बैठ अपने हाथों से उनकी टांगों को और खोलने लगा और जैसे ही वो मां की ट्रिम् की हुई चूत दिखी के मेरी जुबान खुदबखुद निकल कर उनकी उस चूत की पंखुड़ियों पर जा लगी।
मेरी जुबान के वहां पर लगते ही मां ने अपना एक हाथ मेरे सर रख लिया और सहलाने सी लगी। दूसरे हाथ को उन्होंने स्लैब पर मजबूती से रखा और इधर मैं चूत की खुशबू सूंघकर भुखा सा हो गया और मस्ती में अपनी जीभ को उनकी चूत पर फेर पहले से लगी उस मजेदार क्रीम को चाटने लगा।
मां की चूत से निकली वो क्रीम जैसी मलाई इतनी मजेदार थी के दिल किया बस उसे खाते जाऊं। उस गाड़ी क्रीम जैसी मलाई के थोड़े खट्टेपन से ने मुझे एहसास दिलाया के जैसे उसमे मां की चूत से निकली पेशाब की एक धार भी मिली हो।
अभी तो मेरी जीभ सिर्फ चूत के ऊपर लगी मलाई को ही चख कर खत्म करना चाह रही थी। जब जीभ उस मलाई की गुफा के अंदर जाती तो पता नहीं क्या ही होता।
मैं मां की उस मस्त मोटी मोटी झांगो को अपने हाथों से पकड़ खोल कर स्लैब के पास बैठा रहा और अपनी जीभ को पूरी चूत पर फेरता रहा। पूरी चूत को अच्छे से चाट चाट कर सारी मलाई खाने लगा। जब चूत पर लगी सारी मलाई खतम सी हो गई तो मेरे हाथों ने मां की स्लैब पर रखी गांड़ को थोड़ा सा अपनी ओर खींचा और मां एकदम स्लैब के पीछे लगी दीवार पर हाथ लगा कर उसकी टेक से बेटी सी गई।
अब मां की गांड़ के नीचे की वो दरार भी मेरी जुबां से दूर नहीं थी। मां की आधी गांड़ हवा में होने के कारण मेरा सीधा मुंह मां की गांड़ के नीचे रिस कर गई मलाई पर गया और मैं उसे भी किसी भूखे आशिक की तरह चाटने लगा।
मां की मस्त सिसकियां तो पहले से ही किचन में हल्की हल्की गूंज रही थी, बाकी वो कपड़ा ज्यादा आवाज को अपने अंदर ही रोक रहा था।
मेरे नीचे मुंह करके मां की गांड़ पर लगी मलाई चाटने का ये असर हुआ के मां ने फट से अपनी खुली टांगों को बंद सा कर लिया। ओर उनकी मोटी मोटी झांगों के बीच मुझे दबोच सा लिया। जैसे कोई कुटिया कुत्ते के लन्ड को अपनी चूत में दबा सा लेती है, मां ने मेरे मुंह को अपनी गांड़ चूसते वक्त दबा लिया।
मैं भी मस्ती में खोया था के मां की इस मोटी टांगों की पकड़ में भी गांड़ चाटना ना छोड़ा जब तक सारी मलाई ना खा ली हो।
फिर जैसे ही सारी नीचे लटकती गांड़ और चूत चाट कर एक दम चकाचक हो गई तो मैं खुश सा हुआ और एक गहरी सांस सी लेकर उपर उठा और मां को फिर से स्लैब पर अच्छी तरह से बिठा उनके मुंह से वो कपड़ा निकाला और मां भी एकदम गहरी गहरी सांसे सी भरने लगी और आ आह आह उह की सिसकियां लेने लगी।
1_2 मिनट की मां को शांति सी देकर मैनें अपने होंठो पर अपना हाथ सा फेरा और मुस्कुराकर मां के बालों को लगे क्लिप को हटा उन्हें अपनी ओर किया और फिर से होंठों से होंठ मिला कर चूसना शुरू कर दिया।
हम दोनो में अब बातें तो बिल्कुल बंद सी ही हो गई थी बस अब तो एक दूसरे में खोकर असली मजा लूटा जा रहा था। थोड़ी देर उनके होंठ यूंही चूसने के बाद मैनें उन्हें उठाया और घुमा कर वहीं स्लेब के पास झुका दिया।
अब मां का चेहरा दूसरी तरफ था और उनकी वो मस्त मोटी गांड़ जिसका मैं दीवाना था वो मेरी तरफ थी। मां भी मस्ती में स्लैब पर अपना चेहरा नीचे रख गांड़ को पूरी तरह मोड़ कर बाहर निकलने लगी और मैं फिर से नीचे बैठ गया और उनकी उस गांड़ को पागल कुत्ते की तरह चूमने लगा।
उफ्फ क्या मस्त सॉफ्ट और मोटी गांड़ थी मां की, किसी किस्मत वाले को ही ऐसी गांड़ चाटने को मिली हो, मैं पहले तो उनके मस्त चूतड़ों पर चूमने लगा और ऐसे खाने सा लगा जैसे कोई सेब हो, मां की गांड़ तो मेरे चूसने चाटने से ही इतनी लाल हो गई थी के कश्मीरी सेब भी फेल हो जाएं उसके सामने।
मां के मुंह में कोई कपड़ा न था तो मां भी किसी राण्ड की तरह पूरे किचन में आह आह उह उह गोलू गोलू आह की सिसकियां निकाल माहौल को और महका रही थी। इधर अभी तो सिर्फ मैनें चूमा ही था मां की गांड़ को , अभी तो उनकी गांड़ के उस छेद का जायजा लेना भी बाकी था।
थोड़ी देर यूंही चूमने के बाद मैनें अपना चेहरा थोड़ा ऊपर किया और उनकी नाइटी को कमर तक उठाकर खुद भी किसी घोड़े के तरह घोड़ी बनी मां की कमर पर अपना चेहरा टिका दिया और उनकी कमर से होते हुए नीचे की ओर चाटता हुआ आया।
कमर को दोनों हाथों से अच्छे से पकड़ उनकी कमर पर जीभ फेरते फेरते जैसे जैसे मैं नीचे आया मां के बदन की उस खुश्बू ने मेरा मन मोह लिया और मैं खुदको जैसे मां के हवाले कर नीचे बैठ उनकी गांड़ पर अपना चेहरा रख खो सा गया।
अपनी नाक को मां की गांड़ की दरार के बीच फेर मैं उसे मस्त होकर सूंघने लगा। इधर मां ने मेरे सर पर अपना एक हाथ रखा और मुझे दबाते हुए अपने दोनों चूतड़ों के अंदर मेरा मुंह देने लगी।
आए हाए क्या ही खुश्बू थी वो मां के बदन की, मैं बेसुध सा होकर अपने आप को मां के हवाले सा कर बैठा और जैसे मां ही अब मेरे सर पर रख मुझे अपनी गांड़ पर मुंह फिरा रही थी।
फिर वो हुआ जो मैने सोचा भी नहीं था, मां घूमी और मेरे मुंह पर एक थप्पड़ सा मार मुझे होश में लाके बोली : क्या कर रहा है गोलू, अब और नहीं सह सकती मैं बेटा, अपना लोड़ा डाल दे मेरी चूत में।
मैं मां के थप्पड़ से होश में सा आया और जोश में उठकर मां की नाइटी पकड़ उतारने लगा। मां की नाइटी उतरते ही मां किचन में पूरी नंगी मेरे सामने थी अब। मैंने भी जोश में आकर मां को अपनी ओर कर नीचे बिठा दिया और किसी रण्डी की तरह उनके खुले बालों को पकड़ बोला : लोड़ा चूस तो ले पहले।
मां अपने बालों पर मेरी पकड़ के साथ बोली : आह आह, चुस्ती हूं चुस्ती हूं बाबा।
मां ने फट से मेरा लोअर नीचे किया और खड़ा लन्ड देख बोली : उफ्फ, कब से इसे अंदर लेने के लिए तड़प रही थी मैं।
फिर जैसे ही मां के भीगे होंठ मेरे लोड़े के टोपे पर पड़े, मैं एक दम अपने हाथों की पकड़ को उनके बालों पर ढीला छोड़ बड़े ही प्यार भरे अंदाज में आ गया। मां जैसे जैसे मेरा लोड़े पर अपनी जीभ फेरती गई, मैं वैसे वैसे ही खुश सा होकर ऊपर छत की ओर देखने लगा और अपने होंठ चबाने लगा।
मां ने फिर अपनी थूक से टोपे को चूस चूस कर उसकी चमड़ी पीछे की और की और फिर जैसे ही पूरा लाल हुआ टोपा मां के सामने आया , उन्होंने खप से करके उसपर उपर की और से मुंह किया और अपने मुंह में लोड़ा निगल लिया।
मां के मुंह में लौड़ा जाते ही मेरे हाथों ने उनके सर को सहला कर उनकी माथे पर आती जुल्फों को पीछे सा किया और थोड़ा सा आगे पीछे हो उनका मुंह चोदने लगा।
इतना सॉफ्ट और बड़ा मुंह था मां का के उनकी चूत भी इतनी खुली ना हो जैसे, मां अपने बड़े से मुंह में मेरा लोड़ा भर किसी कुल्फी की तरह चुस्ती रही और इधर मैं भी उन्हें चुसवाते चुसवाए मस्ती में उनके मोटे चूचों को दबाता रहा।
जब लोड़ा मां की थूक से पूरा भीग गया तो वो फट से खड़ी हुई और बोली : अब डाल दे बस लोड़ा, अपनी रांड़ की चूत में, मैं और नहीं रुक सकती मेरे लाल।
ऐसा बोलते ही मां फिर से स्लैब पर घोड़ी की तरह झुककर खड़ी हो गई और अपने दोनो हाथों को पीछे कर अपनी टांगों को खोलने सी लगी। मां के ऐसा करते ही मैं भी फट से अपना लोड़ा पकड़ मां की कमर पर अपना सर रख बैठा और मां के बदन को सूंघता सूंघता नीचे से लोड़े को उनकी चूत में सैट करने लगा।
इधर जैसे ही लोड़ा सैट हुआ उनकी चूत के रास्ते पर, वहीं उसके प्यार से थोड़ा सा घुसते ही मां : आह उह मेरे लाल, मार ले मेरी आज तसल्ली से, आई उह आह।
की सिसकियां भरने लगी।
लोड़ा धीरे धीरे अंदर बाहर करके मैनें उनकी चूत में उतार ही दिया और पूरा लोड़ा अंदर जाते ही मैं रुक गया और उनकी चूत की वो जबरदस्त गर्माहट को अपने लोड़े पर महसूस करने लगा। लोड़ा जैसे किसी भट्टी में डाल दिया हो, इतनी गर्म चूत थी मां की। मां अपने दोनों हाथों को पीछे कर अपने चूतड़ों को खोल खड़ी थी और मै उनकी कमर से चेहरा उठाकर सीधा हुआ और एक कस के थप्पड़ उनकी गांड़ पर रख दिया।
थप्पड़ पड़ते ही वो चीख पड़ी और उनकी चीख निकलते ही मैनें अपने लैफ्ट हैंड को उनके में मुंह में ठूसा और दूसरे से उनकी गांड़ पर फिर तेज का थप्पड़ मारा और बोला : चीख मेरी रॉड, और चीख, चीख।
मां भी पूरी राणड ही निकली और मेरे हाथों पर काटने लगी। हाथों पर जैसे ही मां ने काटा के मैनें एक तेज का थप्पड़ फिर से उनके उस चूतड पर जड़ दिया और मां तेज से चीख सी पड़ी : आई मां, मर गई, माह, आह उह।
मैं भी लन्ड फट से उनकी चूत से निकाल एकदम तेज झटका दिया और खप से करके फिर से अंदर ठोक दिया। ये झटका वाक्य में तेज था और मां एकदम से झटके को सहन न कर सकी और चीख पड़ी : आह।
एक तो चूत में लोड़ा घुसा और ऊपर से झटके से को स्लैब से लगी तो चीख तेज ही निकली उनकी।
मां की चीख इतनी तेज आई के मैं भी डर सा गया एक टाइम तो।