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Romance मां का "दूध छुड़वाने से चुसवाने" तक का सफर

Mosi ka Number lagaya jaaye ya nahi?


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मां का दूध छुड़वाने से चुस्वाने तक का सफर : पार्ट 67
मोसी: ओह तूने आइसक्रीम मंगवाई थी, वो तो मैं भूल ही गई खानी।
मैं: हां तो तभी तो मैने आपको याद दिलाया, आप दूध पिलाओ ना मुझे, मैं फिर आइसक्रीम ले कर आता हूं किचन में से।
मोसी हस्ते हुए : मै खुद ही ले लूंगी, उसमे क्या..
मैं: आप झूठे हो मोसी।
मोसी : हां तो तु भी तो झूट बोलता है कितने, एक मैनें बोल दिया तो इसमें क्या हो गया।
मैं: ठीक है, जाओ मुझसे बात मत करना अब।
मोसी: अच्छा जी, मोसी से नाराजगी।
मैं: हां तो जिस से हम प्यार करते हैं, उस से नाराज होने का हक है हमे।
मोसी (मेरे पास आकर) : अच्छा जी , इतना प्यार करता है मोसी से तु।
मैं: हां, मां जितना, बल्कि उनसे भी ज्यादा।
मोसी: अपनी मां से भी ज्यादा?....ऐसा क्यूं?
मैं: बस आपके पास ज्यादा है तो आपके लिए ज्यादा प्यार
मोसी: क्या ज्यादा है?
मैं (उनके बूब्स पर हाथ रख के) : इनमे भरा दूध।
मोसी हस्ती हुई : चुप कर बदमाश कहीं का, मतलब तु मुझसे प्यार नहीं करता, मेरे ये दूध से करता है।
मैं (मोसी की गांड़ को छूकर) : नहीं मोसी, मैं तो आपकी इस से भी करता हूं।
मोसी( मस्त सी होकर थोड़ी): अभी तो मैनें तुझे इसे चाटने भी नहीं दिया तेरी मां की तरह और तु अभी से इसे इतना प्यार करने लगा।
मैं: हां तो, कोई पागल ही जो आपकी इस से प्यार ना करे।
मोसी हस्ती हुई : हां सही बोला, तेरा मौसा जी है ना एक पागल इंसान।
मैं (गांड़ को हल्के से सहलाते हुए) : मोसा जी आपकी इस से प्यार नहीं करते क्या?
मोसी: कहां.... मैं तो बोलती ही उन्हें, पर वो हैं के...
मैं: क्या?
मोसी: कुछ नहीं, उन्हें बस काम से फुर्सत नहीं, प्यार तो क्या ही करेंगे वो।
मैं: मोसी फिर आप मुझे ही प्यार करने दो ना, मैं तो सच में करना चाहता हूं प्यार इसे।
मोसी: अच्छा बता कैसे करते हैं इसे प्यार?
मैं: जैसे मैं मां को कर रहा था।
मोसी : उफ्फ, वो तो.....
मे: वो तो क्या मोसी?
मोसी: वो तो प्यार की शुरुआत थी बस...
मैं: हां तो शुरुआत आपको देखकर अच्छा नहीं लगा क्या?
मोसी : अच्छा तो बहोत लगा, पर काश मैं पूरा प्यार देख पाती।
मैं: मोसी देखने से अच्छा आप, प्यार करके ही उसका असली मजा उठाओ ना।
मोसी : नहीं , मुझे पहले देखना पसंद है के सामने वाला केसा प्यार करता है, फिर मैं हां या ना करती हूं।
मैं: तो आपने जितना देखा, उतना तो आपको अच्छा लगा ना?
मोसी: हां वो तो लगा।
मैं: तो फिर आप उतना तो प्यार करवा कर देखो ना।
मोसी सोचने लगी और बोली : पर...
मैंने सीधा मोसी की गांड़ पर हाथ रखा और कस कर लोवर के ऊपर से दबा कर बोला : पर वर छोड़ो ना मोसी।
ऐसा बोलते ही मैनें अपने हाथ की एक उंगली उनके लोवर के ऊपर से उनकी गांड़ की दरार में फेरी और उनके और करीब खिसक गया। मोसी भी मेरी इस उंगली से खुश सी हो गई और मस्त होकर अपने हाथ मेरी गर्दन पर रख लिए और चुप चाप मेरे बिल्कुल करीब आ गई।
मैनें कमरे के अंधेरे में जैसे ही हाथ से उनकी उस मोटी गांड़ को दबाया के मोसी की एक आह सी निकल गई। मैं मोसी की एक प्यार भरी दर्द की आह सुनकर और रोमेंटिक सा हो उठा और चाहने लगा के अपने होंठ मोसी के होंठो पर रख दूं।
मैं ये अपने अंदर चाह की रहा था के मोसी ने ही इसकी शुरुआत कर दी और जैसे मेरे मन की बात सी पढ़ उन्होंने अपने हाथ मेरी गर्दन से मेरे सर पर ले कर अंधेरे में ही मेरे मुंह पर अपने होंठ रखे।
उनके होंठ पहले तो मेरे गालों पर पड़े और मोसी भी किसी बरसों पुरानी तड़प को लेकर मेरे गालों पर बड़े ही प्यार भरे अंदाज से अपनों होंठों को काटने सी लगी। मोसी की जगह अगर मां होती तो वो जरूर अपने होंठों के बजाए डोमिनेंट होकर अपने उन नोकीले दांतो से मेरे गालों को काट जाती।
पर मोसी किसी सॉफ्टकोर वाले प्यार की तरह सब करती थी। उन्होंने तो मेरे गालों को अपने दोनों होंठो के बीच किसी रसगुल्ले की तरह रख चूसना सा शुरू किया। इधर मैं खुश होकर उनकी गांड़ में लोवर के ऊपर से ही बड़े मजेदार अंदाज से प्यार भरा हाथ फेरने लगा।
मन तो यूं किया के हाथ को छोड़ अपनी भीगी जीभ को मोसी की दरार में फिरने के लिए छोड़ दूं। मोसी भी अब खुदपर काबू सा जैसे खो चुकी हो और मेरे सर पर रखे हाथ से मेरे बालों को सहलाती हुई मेरे गालों को खाने लगी।
उफ्फ कितना मजा आ रहा था मोसी के इतने पास होकर, उनके बदन की वो खुश्बू वाक्य में लाजवाब थी। फिर मोसी के होंठ मेरे गालों से होते हुए साइड को आकर जैसे ही मेरे होंठो पर पड़े मैं भी अपनी सीमा को लांघ अपना एक हाथ मोसी के लोवर में डाल उनकी गांड़ की दरार में उंगली करने लगा और मस्त सा होकर उनकी जीभ पर अपनी जीभ फेरने लगा।
हमारे होंठ प्यार खुलकर एक दूसरे की जीभ को अंदर बाहर आने के लिए जगह दे रहे थे। मोसी का मेरे बालों को सहलाना और मेरे होंठो को चूसना यूंही चलता रहा जब तक मैनें अपनी एक उंगली उनकी दरार में फेरते फेरते उनकी गांड़ के उस छेद में ना दे दी।
मेरी एक उंगली का उस छेद में जाने पर ऐसा असर सा हुआ के मोसी ने एकदम ही अपने होंठ मेरे होंठों से हटाकर एक तेज सी आह की सिसकी भरते हुए मुझे जकड़ लिया और फिर उई मां बोलकर अपनी गांड़ को थोड़ी सी पीछे किया।
उनकी उस तेज पकड़ और गांड़ को एकदम पीछे करने से मानों उंगली पूरी उनकी छेद में उतर गई और वो प्यार भरी आह मेरे कमरे में गूंजाने लगी। मैनें भी मोसी की आह निकलते ही अपने होंठों को उनके होंठो पर रख दिया बस फर्क बस इतना था के हमारे होंठ अभी एक दूसरे को होंठो से चुपके थे और वो सिसकी बाहर ना आकर उसी में ही दब सी गई।
फिर मैनें अपनी उंगली को उनकी गांड़ से निकाला और अपने होंठ मोसी के होंठो से अलग कर उंगली को मुंह के पास लाकर खुश्बू सी लेते हुए चाट गया। उंगली के बाहर निकलते ही मोसी गांड़ को मेरे हाथ पर हिलाने सी लगी और धीरे धीरे आह आह की सिसकियां सी लेने लगी।
मैनें उंगली को अच्छी तरह से चाटा और मोसी की मस्त गांड़ की छेद का मजा सा लेकर उस उंगली को अंधेरे में ही मोसी के मुंह में दे दिया। मोसी भी किसी मजेदार रण्डी की तरह उस उंगली को चूसने सी लगी। इधर मैनें अपना दूसरा हाथ उनकी गांड़ से हटाकर उनके बालों पर रख लिया और उन्हें आगे पीछे कर उंगली चुसवाने लगा।
अंधेरे में ही हम दोनों मस्त हो चुके थे और ऐसा लग रहा था जैसे मे अपनी उस गांड़ की छेद से निकली उंगली से मोसी का मुंह पकड़ कर चोद रहा हुं और मोसी भी मस्त होकर चूद रही है।
कमरे का माहोल तो गर्म हो चला था। इस से पहले के हम आगे बढ़ते मेरे फोन पर मैसेज की नोटिफिकेशन आई। मैनें मोसी के मजे में डूब कर उसे इग्नोर किया और फिर दोबारा से नोटिफिकेशन आई , पर फिर मैनें इग्नोर किया तो 1 मिनट बाद ही मेरा फोन बजने लगा।
फोन बजते ही मानों मोसी और मैं सैक्स की आग से बाहर निकल होश में आए हों और मोसी बोली : कोन इतनी रात में तुझे फोन कर रहा है।
मैनें फोन उठा कर जैसे ही देखा तो मां का फोन था, इधर मोसी ने भी देख लिया और बोली : दीदी....इस टाइम....क्या हुआ उन्हें?
मैं: पता नहीं , बात करता हूं।
मोसी: स्पीकर पर करना।
मैं सोचने लगा के कहीं मां उस सब के लिए तो नहीं बुला रही और स्पीकर पर किया तो मोसी सुन लेगी। तो मैं बोला : ऐसे ही सुनता हूं।
इस से पहले के फोन उठाता वो कट गया और मोसी मस्त भरी आवाज में बोली : दिखा फोन, मैं मिलाती हूं और स्पीकर पर करती हु, कहीं दीदी तुझे तेरी फेवरेट चीज के लिए तो नहीं बुला रही।
मैं: कोनसी फेवरेट?
मोसी हस्ते हुए: अपनी गांड़ चटवाने के लिए।
मैं हस्ता हुआ : अरे नहीं नहीं मोसी।
मोसी : तो मिला और स्पीकर पर रखना।
इतने में फोन आया और मोसी ने लेकर स्पीकर पर रख दिया और मां : हैलो,गोलू।
मैं: हां मां।
मां : सो गया था क्या बेटा?
मैं: नहीं मां।
मां : अच्छा सुन, तेरे पापा सो गए हैं, मोसी सो गई क्या तेरी?
मैनें मोसी की तरफ देख स्माइल दी और बोला : हां मां, सो गई है।
मां : फोन बजने से उठी तो नहीं ना?
मैं: नहीं मां वो फोन वाइब्रेशन पर था।
मां : तु किचन में आजा बेटा, मुझसे रहा नहीं जा रहा जब से तेरे पापा की मालिश की है।
मैं हस्ता हुआ : ठीक है मां, आता हूं।
फिर जैसे ही फोन कट हुआ , मोसी मुस्कुराकर : क्या बात है गोलू, किस लिए बुला रही है दीदी तुझे?
मैं: पता नहीं, आप चलो साथ देखा लेना, खुद ही।
मोसी : चल
Behtreen update
 

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मां का दूध छूडवाने से चुसवाने तक का सफर : पार्ट 68
फिर मैं और मौसी हम बैड से उतरे और मेने मौसी की गांड़ पर हाथ रख कर कहा : मोसी
मोसी : हां बोल
मैं: मोसी आपकी गांड़ के छेद का जवाब नहीं।
मोसी हस्ती हुई : अच्छा जी।
मैं: हां मोसी, वो आपकी गांड़ से निकाल कर उंगली जब से मैंने चूसी है, मेरा बार बार उंगली डाल कर चूसने का मन कर रहा है।
मोसी : तो चूस लेना मैं कोन सा अब तुझे मना कर रहीं हूं।
मैं: मां से मिल आऊं, फिर चुसुंगा।
मोसी : हां हां, पहले मां की में डालके चूस ले फिर मेरी में डालकर चूस लेना।
मैं हस्ता हुआ : देखो अब मां क्या चुसवाती है या चुस्ती है।
मोसी : क्या मतलब?
मैं: कुछ नहीं आप खुद ही देख लेना अभी।
मोसी : हां चल।
फिर मैने एक प्यार से थप्पड़ मारा मोसी की गांड़ पर और मोसी : आई मां
बोलकर आगे चलने लगी।
हम सोफे के पास पहुंचे के मैनें मोसी से कहा : मोसी आप यहीं सोफे के पास छिप जाओ।
मोसी हस्ती हुई : पहले की तरह?
मैं: हां वैसे ही।
फिर मोसी वहां नीचे अंधेरे में छिप गई। घर में अब बिल्कुल हल्की सी ही रोशनी थी जो उपर छत से दिखते चांद से आ रही थी। मैं किचन के पास खड़ा ही था के मां आती हुई दिखी। अंधेरे में बस यही दिख रहा था के कोई है या कोई आ रहा है, चेहरा भले नहीं दिख रहा था पर किसी के होने लायक रोशनी हो, इतनी तो थी ही।
मां आते ही मेरे गले लगी और फिर आगे हाथ बढ़ाकर किचन की एक लाइट ऑन कर दी। किचन में उपर छत की ओर वैसे तो 4 लाइट्स थी, 4 कोनों में 4 लाइट्स, जैसे आजकल के मॉडर्न किचन में होती ही है।
एक लाइट ऑन करने से किचन में सब दिखने लायक रोशनी हो गई। ओर उधर मोसी को अब मां और मेरा खेल दिखने ही वाला था।
मां लाइट ऑन करते ही मेरे कस के गले लग गई और बोली : गोलू , तेरे पापा की जब से मालिश की है , तभी से मेरी चूचियां टाइट होने लगी है और चूत है के खुजली करने लगी है।
मैं हस्ते हुए : इसमें क्या मां, अभी आपकी चूत की खुजली दूर कर देते हैं।
मां ये सुनते ही मेरी गर्दन पर किस करने लगी। मां का ये रूप देख मैं समझ गया के वाक्य में वो बहुत ज्यादा गर्म हो रखी थी और अब शुरू होने वाला था उनका डोमिनेंट अवतार।
वो तो मेरे लफ्ज़ सुनते ही मेरी गर्दन पर जैसे टूट सी पड़ी और अपने होंठों को मेरी गर्दन पर रख चूसने सी लगी। उनके होंठों के बीच से निकलती उनकी थूक ने मेरी गर्दन को जैसे भीगा सा दिया हो और मेरे हाथ तो सीधा मां की गांड़ पर जा रुके और मै उसे मां की पसंद के अनुसार डोमिनेन्ट सा होकर तेज तेज मसलने लगा।
मां अपने हाथों को मेरे दोनों ओर रख मुझे कस के जकड़ कर गर्दन से होती हुई मेरी चैस्ट की ओर आने लगी और किसी भूखी शेरनी की तरह मेरे शरीर पर हाथ फेर फेर उसे चाटने सी लगी।
अभी हम किचन के बीचों बीच खड़े थे और हमारा ये खेल शुरू हुआ था। मां जैसे ही मेरी चैस्ट से होती हुई नीचे की और जाने लगी , वो थोड़ी सी झुक सी गई और अपनी गांड़ को और पीछे की और कर लिया।
मैं भी मां के इस प्यार भरे सैक्स में खोकर मोसी को भूल सा गया और बस मां के साथ मजे करने लगा। मां अपनी जगह मस्त मजा देती थी और मोसी का तो अभी मजा लेना बाकी थी , वो तो उनकी चूत की बनावट ऐसी थी जिस करके मैं उनका भी दीवाना सा हो चुका था। नहीं तो अभी तो मां की भी तसल्ली से कहां ली थी मैनें जो मैं दूसरी चूत की चाह में निकल पड़ा था।
मां झुककर मेरी टी शर्ट को ऊपर कर मेरे पेट तक पहुंच गई और गांड़ को पूरी बाहर की और कर लिया। मैं भी हाथों की पकड़ ढीली सी कर उनकी गांड़ को मजे से दबाता रहा और मां अपनी जीभ मेरे पेट पर फेरने लगी।
उनकी जीभ जैसे ही मेरे पेट पर पड़ी , मुझे थोड़ी गुदगुदी सी हुई के मैनें एक दम एक हाथ से उनकी गांड़ दबा सी दी और मां की एक चीख सी निकल गई : आई मां.....
मैं: मां गुदगुदी हो रही है।
मां मुंह मेरी ओर करके : जो मेरी चूत में गुदगुदी मची है उसका क्या?
मैं हस्ते हुए : लाओ मैं उसे अपनी जीभ से मिटा देता हूं।
मां : उफ्फ गोलू, सच में ।
मैं: हां मां।
मेरे ये बोलते ही मां सीधी हुई और मेरे होंठो पर किस करने लगी। हमारे दोनों के होंठों के मिलते ही माहौल हंसी मजाक से फिर से गर्माहट में तब्दील हो गया और मां ने अपना एक हाथ मेरी गर्दन पर रख दूसरे से मेरे बालों को सहलाना शुरू कर दिया।
उधर मेरा हाथ उनकी कमर पर फिरने लगा और हम होंठों को एक दूसरे से ऐसे मिलने लगा के जैसे आज की रात ही हो हमारे पास इन सब के लिए। मां के उन मीठे होंठो पर मेरे होंठ का लगना फिर कभी बीच बीच में मेरी जीभ का लगना हम दोनो को बेहद मस्त बनाता जा रहा था।
मैं खड़े खड़े ही मां को किस करते करते पीछे की और ले जाने लगा और फिर स्लैब पर ले जाकर रुक गया और अपने हाथो को कमर से हटा उनकी गांड़ के इर्दगिर्द रख थोड़ा सा झुका और उनकी नाइटी को उपर की और कर उन्हें उठा कर स्लैब पर बिठा दिया।
अब उनकी नाइटी सिर्फ उनके वो दो भारी मोटे मोटे चूतड़ों के नीचे फसी थी और आगे से सब चमक सा ही रहा था। मेरी तो नजर वहां पर अभी गई ही नहीं थी पर एक नशा था जो हर चीज का अंदाजा मुझे लगाए जा रहा था।
इस सब में हमारे होंठों ने मिलना न छोड़ा और हम दोनों ही इस आनंद में खोए हुए पूरा साथ दे रहे थे एक दूसरे का। मैनें फिर अपना को थोड़ा सा आगे की ओर किया कर स्लैब पर बिलकुल साथ लग गया।
मां स्लैब पर बैठी थी, हमारे होठ आपस में चूस रहे थे और इधर मेरे हाथों ने उनकी टांगों को थोड़ा सा खोलना शुरू कर दिया। टांगे खोल जैसे ही मेरा एक हाथ मां की चूत के पास गया के मां की चूत तो मानों पूरी भीग सी चुकी थी उनके खुजाने से। मैनें अपना हाथ उनकी चूत पर फेरते हुए दो उंगलियों को अंदर उतारने का सोचा।
मैं जैसे ही उंगली अंदर डालने लगा के मैनें उनके होंठो से अपने होंठ अलग कर लिए और उंगली के अंदर घुसते ही मां की सिसकी निकली : उह आह.. गो गो गोलू...आह आह।
फिर क्या पच पच सी आवाज के साथ उनकी भीगी चूत में मेरी दो उंगली जाने लगी और किचन मां की सिसकियों से ज्यादा गूंजे इस से पहले ही मैंने दूसरे हाथ की 2_3 उंगली मां के मुंह में दे दी और मां अपना पूरा मुंह खोलकर बस आ आ की आवाज लिए दबी सी रह गई।
मेरे उंगली उनकी चूत में डालने से मां कांपने से लगी और मैं भी किसी शैतान की तरह उनके मुंह को कस के पकड़ उसमे उंगली घुसाने लगा।
मेरा भी सैक्स लेवल इस पर काफी भड़क सा गया था और फिर मेरे हाथ खुदबखुद ही एक दूसरे से बदलने की हामी भरने लगे और जो हाथ मां की चूत में था वो घूम कर मां के मुंह में आ गया और जो मां के मुंह में था वो मां की चूत में चला था।
मां की चूत में से निकला हाथ तो इतना चिपचिपा हो गया था जैसे किसी क्रीम के डब्बे में डालकर निकाला हो। मैं जैसे ही वो चूत से निकले हाथ की उंगलियां मां के मुंह में देने लगा के मां ने अपने हाथ से मेरे हाथ को घुमाया और मेरे मुंह में दे दिया।
उफ्फ क्या टेस्ट था मां की उस मस्त चूत से निकली क्रीम का। मैं तो पागलों की तरह अपने हाथों की उंगलीयों को चाटने लगा और मां अपने हाथ से मेरे मुंह में मेरे हाथ को अंदर बाहर सा करने लगी।
उंगलियों को चाट मैं अपना पूरा हाथ चाट गया और जब हाथ पर लगा मां की चूत से निकला अमृत जल खतम हो गया तो मुझसे रहा नहीं गया और मैं फट से नीचे बैठ गया।
 

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मां का दूध छूडवाने से चुसवाने तक का सफर : पार्ट 69
मैनें किचन में रखा एक कपड़ा उठाया और सीधा मां के मुंह में दे दिया और फिर नीचे बैठ अपने हाथों से उनकी टांगों को और खोलने लगा और जैसे ही वो मां की ट्रिम् की हुई चूत दिखी के मेरी जुबान खुदबखुद निकल कर उनकी उस चूत की पंखुड़ियों पर जा लगी।
मेरी जुबान के वहां पर लगते ही मां ने अपना एक हाथ मेरे सर रख लिया और सहलाने सी लगी। दूसरे हाथ को उन्होंने स्लैब पर मजबूती से रखा और इधर मैं चूत की खुशबू सूंघकर भुखा सा हो गया और मस्ती में अपनी जीभ को उनकी चूत पर फेर पहले से लगी उस मजेदार क्रीम को चाटने लगा।
मां की चूत से निकली वो क्रीम जैसी मलाई इतनी मजेदार थी के दिल किया बस उसे खाते जाऊं। उस गाड़ी क्रीम जैसी मलाई के थोड़े खट्टेपन से ने मुझे एहसास दिलाया के जैसे उसमे मां की चूत से निकली पेशाब की एक धार भी मिली हो।
अभी तो मेरी जीभ सिर्फ चूत के ऊपर लगी मलाई को ही चख कर खत्म करना चाह रही थी। जब जीभ उस मलाई की गुफा के अंदर जाती तो पता नहीं क्या ही होता।
मैं मां की उस मस्त मोटी मोटी झांगो को अपने हाथों से पकड़ खोल कर स्लैब के पास बैठा रहा और अपनी जीभ को पूरी चूत पर फेरता रहा। पूरी चूत को अच्छे से चाट चाट कर सारी मलाई खाने लगा। जब चूत पर लगी सारी मलाई खतम सी हो गई तो मेरे हाथों ने मां की स्लैब पर रखी गांड़ को थोड़ा सा अपनी ओर खींचा और मां एकदम स्लैब के पीछे लगी दीवार पर हाथ लगा कर उसकी टेक से बेटी सी गई।
अब मां की गांड़ के नीचे की वो दरार भी मेरी जुबां से दूर नहीं थी। मां की आधी गांड़ हवा में होने के कारण मेरा सीधा मुंह मां की गांड़ के नीचे रिस कर गई मलाई पर गया और मैं उसे भी किसी भूखे आशिक की तरह चाटने लगा।
मां की मस्त सिसकियां तो पहले से ही किचन में हल्की हल्की गूंज रही थी, बाकी वो कपड़ा ज्यादा आवाज को अपने अंदर ही रोक रहा था।
मेरे नीचे मुंह करके मां की गांड़ पर लगी मलाई चाटने का ये असर हुआ के मां ने फट से अपनी खुली टांगों को बंद सा कर लिया। ओर उनकी मोटी मोटी झांगों के बीच मुझे दबोच सा लिया। जैसे कोई कुटिया कुत्ते के लन्ड को अपनी चूत में दबा सा लेती है, मां ने मेरे मुंह को अपनी गांड़ चूसते वक्त दबा लिया।
मैं भी मस्ती में खोया था के मां की इस मोटी टांगों की पकड़ में भी गांड़ चाटना ना छोड़ा जब तक सारी मलाई ना खा ली हो।
फिर जैसे ही सारी नीचे लटकती गांड़ और चूत चाट कर एक दम चकाचक हो गई तो मैं खुश सा हुआ और एक गहरी सांस सी लेकर उपर उठा और मां को फिर से स्लैब पर अच्छी तरह से बिठा उनके मुंह से वो कपड़ा निकाला और मां भी एकदम गहरी गहरी सांसे सी भरने लगी और आ आह आह उह की सिसकियां लेने लगी।
1_2 मिनट की मां को शांति सी देकर मैनें अपने होंठो पर अपना हाथ सा फेरा और मुस्कुराकर मां के बालों को लगे क्लिप को हटा उन्हें अपनी ओर किया और फिर से होंठों से होंठ मिला कर चूसना शुरू कर दिया।
हम दोनो में अब बातें तो बिल्कुल बंद सी ही हो गई थी बस अब तो एक दूसरे में खोकर असली मजा लूटा जा रहा था। थोड़ी देर उनके होंठ यूंही चूसने के बाद मैनें उन्हें उठाया और घुमा कर वहीं स्लेब के पास झुका दिया।
अब मां का चेहरा दूसरी तरफ था और उनकी वो मस्त मोटी गांड़ जिसका मैं दीवाना था वो मेरी तरफ थी। मां भी मस्ती में स्लैब पर अपना चेहरा नीचे रख गांड़ को पूरी तरह मोड़ कर बाहर निकलने लगी और मैं फिर से नीचे बैठ गया और उनकी उस गांड़ को पागल कुत्ते की तरह चूमने लगा।
उफ्फ क्या मस्त सॉफ्ट और मोटी गांड़ थी मां की, किसी किस्मत वाले को ही ऐसी गांड़ चाटने को मिली हो, मैं पहले तो उनके मस्त चूतड़ों पर चूमने लगा और ऐसे खाने सा लगा जैसे कोई सेब हो, मां की गांड़ तो मेरे चूसने चाटने से ही इतनी लाल हो गई थी के कश्मीरी सेब भी फेल हो जाएं उसके सामने।
मां के मुंह में कोई कपड़ा न था तो मां भी किसी राण्ड की तरह पूरे किचन में आह आह उह उह गोलू गोलू आह की सिसकियां निकाल माहौल को और महका रही थी। इधर अभी तो सिर्फ मैनें चूमा ही था मां की गांड़ को , अभी तो उनकी गांड़ के उस छेद का जायजा लेना भी बाकी था।
थोड़ी देर यूंही चूमने के बाद मैनें अपना चेहरा थोड़ा ऊपर किया और उनकी नाइटी को कमर तक उठाकर खुद भी किसी घोड़े के तरह घोड़ी बनी मां की कमर पर अपना चेहरा टिका दिया और उनकी कमर से होते हुए नीचे की ओर चाटता हुआ आया।
कमर को दोनों हाथों से अच्छे से पकड़ उनकी कमर पर जीभ फेरते फेरते जैसे जैसे मैं नीचे आया मां के बदन की उस खुश्बू ने मेरा मन मोह लिया और मैं खुदको जैसे मां के हवाले कर नीचे बैठ उनकी गांड़ पर अपना चेहरा रख खो सा गया।
अपनी नाक को मां की गांड़ की दरार के बीच फेर मैं उसे मस्त होकर सूंघने लगा। इधर मां ने मेरे सर पर अपना एक हाथ रखा और मुझे दबाते हुए अपने दोनों चूतड़ों के अंदर मेरा मुंह देने लगी।
आए हाए क्या ही खुश्बू थी वो मां के बदन की, मैं बेसुध सा होकर अपने आप को मां के हवाले सा कर बैठा और जैसे मां ही अब मेरे सर पर रख मुझे अपनी गांड़ पर मुंह फिरा रही थी।
फिर वो हुआ जो मैने सोचा भी नहीं था, मां घूमी और मेरे मुंह पर एक थप्पड़ सा मार मुझे होश में लाके बोली : क्या कर रहा है गोलू, अब और नहीं सह सकती मैं बेटा, अपना लोड़ा डाल दे मेरी चूत में।
मैं मां के थप्पड़ से होश में सा आया और जोश में उठकर मां की नाइटी पकड़ उतारने लगा। मां की नाइटी उतरते ही मां किचन में पूरी नंगी मेरे सामने थी अब। मैंने भी जोश में आकर मां को अपनी ओर कर नीचे बिठा दिया और किसी रण्डी की तरह उनके खुले बालों को पकड़ बोला : लोड़ा चूस तो ले पहले।
मां अपने बालों पर मेरी पकड़ के साथ बोली : आह आह, चुस्ती हूं चुस्ती हूं बाबा।
मां ने फट से मेरा लोअर नीचे किया और खड़ा लन्ड देख बोली : उफ्फ, कब से इसे अंदर लेने के लिए तड़प रही थी मैं।
फिर जैसे ही मां के भीगे होंठ मेरे लोड़े के टोपे पर पड़े, मैं एक दम अपने हाथों की पकड़ को उनके बालों पर ढीला छोड़ बड़े ही प्यार भरे अंदाज में आ गया। मां जैसे जैसे मेरा लोड़े पर अपनी जीभ फेरती गई, मैं वैसे वैसे ही खुश सा होकर ऊपर छत की ओर देखने लगा और अपने होंठ चबाने लगा।
मां ने फिर अपनी थूक से टोपे को चूस चूस कर उसकी चमड़ी पीछे की और की और फिर जैसे ही पूरा लाल हुआ टोपा मां के सामने आया , उन्होंने खप से करके उसपर उपर की और से मुंह किया और अपने मुंह में लोड़ा निगल लिया।
मां के मुंह में लौड़ा जाते ही मेरे हाथों ने उनके सर को सहला कर उनकी माथे पर आती जुल्फों को पीछे सा किया और थोड़ा सा आगे पीछे हो उनका मुंह चोदने लगा।
इतना सॉफ्ट और बड़ा मुंह था मां का के उनकी चूत भी इतनी खुली ना हो जैसे, मां अपने बड़े से मुंह में मेरा लोड़ा भर किसी कुल्फी की तरह चुस्ती रही और इधर मैं भी उन्हें चुसवाते चुसवाए मस्ती में उनके मोटे चूचों को दबाता रहा।
जब लोड़ा मां की थूक से पूरा भीग गया तो वो फट से खड़ी हुई और बोली : अब डाल दे बस लोड़ा, अपनी रांड़ की चूत में, मैं और नहीं रुक सकती मेरे लाल।
ऐसा बोलते ही मां फिर से स्लैब पर घोड़ी की तरह झुककर खड़ी हो गई और अपने दोनो हाथों को पीछे कर अपनी टांगों को खोलने सी लगी। मां के ऐसा करते ही मैं भी फट से अपना लोड़ा पकड़ मां की कमर पर अपना सर रख बैठा और मां के बदन को सूंघता सूंघता नीचे से लोड़े को उनकी चूत में सैट करने लगा।
इधर जैसे ही लोड़ा सैट हुआ उनकी चूत के रास्ते पर, वहीं उसके प्यार से थोड़ा सा घुसते ही मां : आह उह मेरे लाल, मार ले मेरी आज तसल्ली से, आई उह आह।
की सिसकियां भरने लगी।
लोड़ा धीरे धीरे अंदर बाहर करके मैनें उनकी चूत में उतार ही दिया और पूरा लोड़ा अंदर जाते ही मैं रुक गया और उनकी चूत की वो जबरदस्त गर्माहट को अपने लोड़े पर महसूस करने लगा। लोड़ा जैसे किसी भट्टी में डाल दिया हो, इतनी गर्म चूत थी मां की। मां अपने दोनों हाथों को पीछे कर अपने चूतड़ों को खोल खड़ी थी और मै उनकी कमर से चेहरा उठाकर सीधा हुआ और एक कस के थप्पड़ उनकी गांड़ पर रख दिया।
थप्पड़ पड़ते ही वो चीख पड़ी और उनकी चीख निकलते ही मैनें अपने लैफ्ट हैंड को उनके में मुंह में ठूसा और दूसरे से उनकी गांड़ पर फिर तेज का थप्पड़ मारा और बोला : चीख मेरी रॉड, और चीख, चीख।
मां भी पूरी राणड ही निकली और मेरे हाथों पर काटने लगी। हाथों पर जैसे ही मां ने काटा के मैनें एक तेज का थप्पड़ फिर से उनके उस चूतड पर जड़ दिया और मां तेज से चीख सी पड़ी : आई मां, मर गई, माह, आह उह।
मैं भी लन्ड फट से उनकी चूत से निकाल एकदम तेज झटका दिया और खप से करके फिर से अंदर ठोक दिया। ये झटका वाक्य में तेज था और मां एकदम से झटके को सहन न कर सकी और चीख पड़ी : आह।
एक तो चूत में लोड़ा घुसा और ऊपर से झटके से को स्लैब से लगी तो चीख तेज ही निकली उनकी।
मां की चीख इतनी तेज आई के मैं भी डर सा गया एक टाइम तो।
 
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