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Romance मां का "दूध छुड़वाने से चुसवाने" तक का सफर

Mosi ka Number lagaya jaaye ya nahi?


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Nice story bhai 👍👍👍👍
 

ashik awara

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बीच में अपनी तरफ से स्टोरी लिखने वालों से एक विनती है के कृपया करके बीच में ख्च ना पाएं और स्टोरी जैसे चल रही है वैसे ही रहने दें।
अपडेट्स आने में कभी कभी वक्त लग जाता है। लिखने में काफी टाइम लगता है।
तो प्लीज ये एक छोटी सी गुजारिश का ध्यान रखें।
धन्यवाद।
साहिल जी में आपकी बात समझ सकता हूँ . कहानी लिखना और अपनी सोच के अनुसार उसे आकार देना मेगी नुडल की तरह नही हे जो जेसा मर्जी लिख दिया जाय , समय लगता हे , आप बेबिक्र होकर समय लीजिये हमे भी कोई जल्दी नहीं हे अच्छी कहानी पढने के लिए समय तो चाहिए ही
 

ashik awara

Member
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साहिल जी में आपकी बात समझ सकता हूँ . कहानी लिखना और अपनी सोच के अनुसार उसे आकार देना मेगी नुडल की तरह नही हे जो जेसा मर्जी लिख दिया जाय , समय लगता हे , आप बेबिक्र होकर समय लीजिये हमे भी कोई जल्दी नहीं हे अच्छी कहानी पढने के लिए समय तो चाहिए ही
बिच बीच में स्टोरी डालने वाले सज्जन से अनुरोध हे की वो अपनी कहानी अलग से लिखें पढने वालों को भी अच्छा लगेगा
 

sahilgarg6065

MyEroticDiary
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मां का दूध छुड़वाने से चुस्वाने तक का सफर : पार्ट 67
मोसी: ओह तूने आइसक्रीम मंगवाई थी, वो तो मैं भूल ही गई खानी।
मैं: हां तो तभी तो मैने आपको याद दिलाया, आप दूध पिलाओ ना मुझे, मैं फिर आइसक्रीम ले कर आता हूं किचन में से।
मोसी हस्ते हुए : मै खुद ही ले लूंगी, उसमे क्या..
मैं: आप झूठे हो मोसी।
मोसी : हां तो तु भी तो झूट बोलता है कितने, एक मैनें बोल दिया तो इसमें क्या हो गया।
मैं: ठीक है, जाओ मुझसे बात मत करना अब।
मोसी: अच्छा जी, मोसी से नाराजगी।
मैं: हां तो जिस से हम प्यार करते हैं, उस से नाराज होने का हक है हमे।
मोसी (मेरे पास आकर) : अच्छा जी , इतना प्यार करता है मोसी से तु।
मैं: हां, मां जितना, बल्कि उनसे भी ज्यादा।
मोसी: अपनी मां से भी ज्यादा?....ऐसा क्यूं?
मैं: बस आपके पास ज्यादा है तो आपके लिए ज्यादा प्यार
मोसी: क्या ज्यादा है?
मैं (उनके बूब्स पर हाथ रख के) : इनमे भरा दूध।
मोसी हस्ती हुई : चुप कर बदमाश कहीं का, मतलब तु मुझसे प्यार नहीं करता, मेरे ये दूध से करता है।
मैं (मोसी की गांड़ को छूकर) : नहीं मोसी, मैं तो आपकी इस से भी करता हूं।
मोसी( मस्त सी होकर थोड़ी): अभी तो मैनें तुझे इसे चाटने भी नहीं दिया तेरी मां की तरह और तु अभी से इसे इतना प्यार करने लगा।
मैं: हां तो, कोई पागल ही जो आपकी इस से प्यार ना करे।
मोसी हस्ती हुई : हां सही बोला, तेरा मौसा जी है ना एक पागल इंसान।
मैं (गांड़ को हल्के से सहलाते हुए) : मोसा जी आपकी इस से प्यार नहीं करते क्या?
मोसी: कहां.... मैं तो बोलती ही उन्हें, पर वो हैं के...
मैं: क्या?
मोसी: कुछ नहीं, उन्हें बस काम से फुर्सत नहीं, प्यार तो क्या ही करेंगे वो।
मैं: मोसी फिर आप मुझे ही प्यार करने दो ना, मैं तो सच में करना चाहता हूं प्यार इसे।
मोसी: अच्छा बता कैसे करते हैं इसे प्यार?
मैं: जैसे मैं मां को कर रहा था।
मोसी : उफ्फ, वो तो.....
मे: वो तो क्या मोसी?
मोसी: वो तो प्यार की शुरुआत थी बस...
मैं: हां तो शुरुआत आपको देखकर अच्छा नहीं लगा क्या?
मोसी : अच्छा तो बहोत लगा, पर काश मैं पूरा प्यार देख पाती।
मैं: मोसी देखने से अच्छा आप, प्यार करके ही उसका असली मजा उठाओ ना।
मोसी : नहीं , मुझे पहले देखना पसंद है के सामने वाला केसा प्यार करता है, फिर मैं हां या ना करती हूं।
मैं: तो आपने जितना देखा, उतना तो आपको अच्छा लगा ना?
मोसी: हां वो तो लगा।
मैं: तो फिर आप उतना तो प्यार करवा कर देखो ना।
मोसी सोचने लगी और बोली : पर...
मैंने सीधा मोसी की गांड़ पर हाथ रखा और कस कर लोवर के ऊपर से दबा कर बोला : पर वर छोड़ो ना मोसी।
ऐसा बोलते ही मैनें अपने हाथ की एक उंगली उनके लोवर के ऊपर से उनकी गांड़ की दरार में फेरी और उनके और करीब खिसक गया। मोसी भी मेरी इस उंगली से खुश सी हो गई और मस्त होकर अपने हाथ मेरी गर्दन पर रख लिए और चुप चाप मेरे बिल्कुल करीब आ गई।
मैनें कमरे के अंधेरे में जैसे ही हाथ से उनकी उस मोटी गांड़ को दबाया के मोसी की एक आह सी निकल गई। मैं मोसी की एक प्यार भरी दर्द की आह सुनकर और रोमेंटिक सा हो उठा और चाहने लगा के अपने होंठ मोसी के होंठो पर रख दूं।
मैं ये अपने अंदर चाह की रहा था के मोसी ने ही इसकी शुरुआत कर दी और जैसे मेरे मन की बात सी पढ़ उन्होंने अपने हाथ मेरी गर्दन से मेरे सर पर ले कर अंधेरे में ही मेरे मुंह पर अपने होंठ रखे।
उनके होंठ पहले तो मेरे गालों पर पड़े और मोसी भी किसी बरसों पुरानी तड़प को लेकर मेरे गालों पर बड़े ही प्यार भरे अंदाज से अपनों होंठों को काटने सी लगी। मोसी की जगह अगर मां होती तो वो जरूर अपने होंठों के बजाए डोमिनेंट होकर अपने उन नोकीले दांतो से मेरे गालों को काट जाती।
पर मोसी किसी सॉफ्टकोर वाले प्यार की तरह सब करती थी। उन्होंने तो मेरे गालों को अपने दोनों होंठो के बीच किसी रसगुल्ले की तरह रख चूसना सा शुरू किया। इधर मैं खुश होकर उनकी गांड़ में लोवर के ऊपर से ही बड़े मजेदार अंदाज से प्यार भरा हाथ फेरने लगा।
मन तो यूं किया के हाथ को छोड़ अपनी भीगी जीभ को मोसी की दरार में फिरने के लिए छोड़ दूं। मोसी भी अब खुदपर काबू सा जैसे खो चुकी हो और मेरे सर पर रखे हाथ से मेरे बालों को सहलाती हुई मेरे गालों को खाने लगी।
उफ्फ कितना मजा आ रहा था मोसी के इतने पास होकर, उनके बदन की वो खुश्बू वाक्य में लाजवाब थी। फिर मोसी के होंठ मेरे गालों से होते हुए साइड को आकर जैसे ही मेरे होंठो पर पड़े मैं भी अपनी सीमा को लांघ अपना एक हाथ मोसी के लोवर में डाल उनकी गांड़ की दरार में उंगली करने लगा और मस्त सा होकर उनकी जीभ पर अपनी जीभ फेरने लगा।
हमारे होंठ प्यार खुलकर एक दूसरे की जीभ को अंदर बाहर आने के लिए जगह दे रहे थे। मोसी का मेरे बालों को सहलाना और मेरे होंठो को चूसना यूंही चलता रहा जब तक मैनें अपनी एक उंगली उनकी दरार में फेरते फेरते उनकी गांड़ के उस छेद में ना दे दी।
मेरी एक उंगली का उस छेद में जाने पर ऐसा असर सा हुआ के मोसी ने एकदम ही अपने होंठ मेरे होंठों से हटाकर एक तेज सी आह की सिसकी भरते हुए मुझे जकड़ लिया और फिर उई मां बोलकर अपनी गांड़ को थोड़ी सी पीछे किया।
उनकी उस तेज पकड़ और गांड़ को एकदम पीछे करने से मानों उंगली पूरी उनकी छेद में उतर गई और वो प्यार भरी आह मेरे कमरे में गूंजाने लगी। मैनें भी मोसी की आह निकलते ही अपने होंठों को उनके होंठो पर रख दिया बस फर्क बस इतना था के हमारे होंठ अभी एक दूसरे को होंठो से चुपके थे और वो सिसकी बाहर ना आकर उसी में ही दब सी गई।
फिर मैनें अपनी उंगली को उनकी गांड़ से निकाला और अपने होंठ मोसी के होंठो से अलग कर उंगली को मुंह के पास लाकर खुश्बू सी लेते हुए चाट गया। उंगली के बाहर निकलते ही मोसी गांड़ को मेरे हाथ पर हिलाने सी लगी और धीरे धीरे आह आह की सिसकियां सी लेने लगी।
मैनें उंगली को अच्छी तरह से चाटा और मोसी की मस्त गांड़ की छेद का मजा सा लेकर उस उंगली को अंधेरे में ही मोसी के मुंह में दे दिया। मोसी भी किसी मजेदार रण्डी की तरह उस उंगली को चूसने सी लगी। इधर मैनें अपना दूसरा हाथ उनकी गांड़ से हटाकर उनके बालों पर रख लिया और उन्हें आगे पीछे कर उंगली चुसवाने लगा।
अंधेरे में ही हम दोनों मस्त हो चुके थे और ऐसा लग रहा था जैसे मे अपनी उस गांड़ की छेद से निकली उंगली से मोसी का मुंह पकड़ कर चोद रहा हुं और मोसी भी मस्त होकर चूद रही है।
कमरे का माहोल तो गर्म हो चला था। इस से पहले के हम आगे बढ़ते मेरे फोन पर मैसेज की नोटिफिकेशन आई। मैनें मोसी के मजे में डूब कर उसे इग्नोर किया और फिर दोबारा से नोटिफिकेशन आई , पर फिर मैनें इग्नोर किया तो 1 मिनट बाद ही मेरा फोन बजने लगा।
फोन बजते ही मानों मोसी और मैं सैक्स की आग से बाहर निकल होश में आए हों और मोसी बोली : कोन इतनी रात में तुझे फोन कर रहा है।
मैनें फोन उठा कर जैसे ही देखा तो मां का फोन था, इधर मोसी ने भी देख लिया और बोली : दीदी....इस टाइम....क्या हुआ उन्हें?
मैं: पता नहीं , बात करता हूं।
मोसी: स्पीकर पर करना।
मैं सोचने लगा के कहीं मां उस सब के लिए तो नहीं बुला रही और स्पीकर पर किया तो मोसी सुन लेगी। तो मैं बोला : ऐसे ही सुनता हूं।
इस से पहले के फोन उठाता वो कट गया और मोसी मस्त भरी आवाज में बोली : दिखा फोन, मैं मिलाती हूं और स्पीकर पर करती हु, कहीं दीदी तुझे तेरी फेवरेट चीज के लिए तो नहीं बुला रही।
मैं: कोनसी फेवरेट?
मोसी हस्ते हुए: अपनी गांड़ चटवाने के लिए।
मैं हस्ता हुआ : अरे नहीं नहीं मोसी।
मोसी : तो मिला और स्पीकर पर रखना।
इतने में फोन आया और मोसी ने लेकर स्पीकर पर रख दिया और मां : हैलो,गोलू।
मैं: हां मां।
मां : सो गया था क्या बेटा?
मैं: नहीं मां।
मां : अच्छा सुन, तेरे पापा सो गए हैं, मोसी सो गई क्या तेरी?
मैनें मोसी की तरफ देख स्माइल दी और बोला : हां मां, सो गई है।
मां : फोन बजने से उठी तो नहीं ना?
मैं: नहीं मां वो फोन वाइब्रेशन पर था।
मां : तु किचन में आजा बेटा, मुझसे रहा नहीं जा रहा जब से तेरे पापा की मालिश की है।
मैं हस्ता हुआ : ठीक है मां, आता हूं।
फिर जैसे ही फोन कट हुआ , मोसी मुस्कुराकर : क्या बात है गोलू, किस लिए बुला रही है दीदी तुझे?
मैं: पता नहीं, आप चलो साथ देखा लेना, खुद ही।
मोसी : चल
 

sunoanuj

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Jabardast update
 

Enjoywuth

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Lagta hai aaj pira khaand mausi ke samne hi hoga aur phir mausi bhi khel main samil hogi..Waha kya update diya hai bhai..Agle ka intejar rahega ..Ki akhi kitchen main hota kya hai
 

sunoanuj

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Waiting for next update please…
 
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