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Incest मां के हाथ के छाले

sahilgarg6065

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मां के हाथ के छाले
Part : 9
मां को ऐसे पैंटी में देख और ऊपर से उनकी ऐसी बातों से मैंने उनकी गांड़ मारने का मन बना लिया। फिर धीरे से मैनें उनकी पैंटी नीचे सरकाई और सामने का नजारा देख मेरे मुंह से लार टपकने लगी, सामने थी मां की पेशाब और उस अमृत रस से भीगी चूत जो अब तक गीली ही थी और शायद हमारी इन बातों से और गीली हो चुकी थी। पैंटी को उतारकर मैंने मां से कहा : मां, ये आपकी पजामी डालनी है अभी दोबारा या नहीं?
मां : अरे डालनी है बेटा, डालनी क्यूं नहीं, क्या मैं छोटे बच्चे की तरह घर में आधी नंगी घूमती फिरूंगी?
मैं और मां फिर हसने लगे और मैनें कहा : मां मेरा मतलब है के ये आपकी भीगी पड़ी है, इसलिए पूछा के डालूं अभी या नहीं?
मां : क्या भीगी पड़ी है?
मैं हंसते हुए : आपकी गांड़ और ये नीचे से भी
मां हंसते हुए बोली : अरे हां बेटा वो पेशाब से भीग गई थी ना, अच्छा हुआ तूने पूछ लिया पहले ही , वरना पजामी डालता तो वो भी भीग जाती। बेटा ऐसा कर इसे ना एक कपड़े से पोंछ दे पहले, फिर पजामी डाल देना।
मैं: ठीक है मां।
मैनें वही भीगी हुई पैंटी उठाई और उसी से गांड़ की दरार में फेरता हुआ चूत तक साफ करने लगा के मां बोली : अरे पागल है क्या.., ये तो पहले से ही भीगी है, कोई दूसरा कपड़ा ला
मैं हसने लगा और अपनी जेब से रुमाल निकल कर फेरने लगा और बोला : मां, आपका पेशाब इतना चिपचिपा आता है क्या?
मां : क्यूं, ऐसा क्यूं कहा तूने?
मैं: मां वो ये आपकी भीगी हुई जगह पर रुमाल लगाया ना तो चिपचिपा सा लगा मुझे, इसलिए।
मां सोचने लगी और हल्की सी हंसी को दबाके बोली : नहीं बेटा, शायद तेरा रुमाल ही ऐसा होगा।
मैं जानता था ये मां की चूत का रस है जो चिपचिपा और गाढ़ा है और मां को भी ये पता था पर वो जान कर भी अनजान बन ने का नाटक करती रही और मैनें भी मजे लेते लेते फिर से पूछा : बताओ ना मां, ऐसा पेशाब आता है क्या आपका?
मां : अरे नहीं बुद्धू ये तो बस...
मैं: ये तो बस, क्या मां?
मां : कुछ नहीं बेटा, छोड़ इसे अभी, फिर कभी बताऊंगी।
मैं भी सब्र के मीठे फल का ख्याल कर बोला : ठीक है मां
फिर रुमाल को धीरे से दरार से लेता हुआ पूरी चूत साफ करने लगा और साफ करके जब वो थोड़े से बाल टूट कर उस रुमाल में फसे तो मैं उन्हें मां को आगे की ओर दिखाने के लिए उनके पीछे झुका ही था के मेरा लोड़ा मां की नंगी गांड़ से जा टकराया और मां एकदम बोली : उई मां...आह
मैं रुमाल आगे करके बोला : क्या हुआ मां?
मां खुदको संभालते हुए बोली : कुछ नहीं बेटा, कुछ नहीं
मैं यूंही उनकी गांड़ से अपना लन्ड चिपकाए उनके पीछे झुका रहा और रुमाल दिखाते हुए बोला : देखो ना मां, आपके कितने बाल झड़ कर मेरे इस रुमाल में लग गए हैं।
मां मस्ती भरी आवाज में बोली : आ आ हां , बेटा टा, मेरे ये छाले ठीक हो जाएंगे ना तो मैं तेरा रुमाल साफ कर दूंगी और इन....
मैं भी उस गर्म गांड़ का एहसास लोड़े पे पाकर जन्नत की सैर करता बोला : और इन इन क्या मां , क्या मां?
मां : इन बालों को भी साफ कर दूंगी बेटा।
मैं: मां, आप कहो तो मैं कर दूं?
मां : जरूर बेटा।
हम दोनो बस एक दूजे के शरीर का मजा ले रहे थे बिना एक दूजे को जताए और हमारी ये बातें हम दोनो को ही मजबूर कर रही थी एक दूजे को चखने पर। इतने में मैं बोला : सच मां?
मां कुछ बोलती के इस से पहले डोरबैल बजी और हम दोनों की फट गई के कहीं पापा तो नहीं आ गए। हम दोनो एक दूसरे से तुरंत अलग हुए और
मां बोली : बेटा, कहीं तेरे पापा तो नहीं आ गए, हे भगवान।
मैं: मां, पापा ने सुबह तो कुछ कहा नहीं था के वो आने वाले हैं, आप रुको मैं देखता हूं।
मां इस वक्त नीचे से पूरी नंगी थी । वो अपनी झांटों वाली फुली हुई चूत और मोटी गांड़ लेकर मेरे कमरे की तरफ दौड़ी और बोली : जा बेटा देख और सुन, अगर पापा हुए तो तू उन्हे बताना नहीं के मैं तेरे कमरे में हूं, बोल देना के पड़ोस में गई हैं। अगर मैं अपने रूम के बाथरूम में घुसी तो मुझसे वहां की कुंडी बंद होगी नहीं और उन्होंने ऐसे देख लिया तो गड़बड़ हो जाएगी।इसलिए तेरे कमरे में ही छुप जाती हूं। तेरे कमरे में तो वो ज्यादातर आते ही नहीं हैं, जा अब जल्दी गेट खोल।
 

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मां के हाथ के छाले
Part :7
फिर हम मिलकर खाना खाने बैठे। खाना खाते खाते मां बार बार अपनी टांगो को एक दूजे से मसल रही थी के मैंने उनसे पूछा : क्या हुआ मां, कोई परेशानी है क्या?
मां : बेटा वो मेरी पैंटी गीली हो रखी है ना थोड़ी सी, तो वो पेशाब को वजह से खुजली हो रही है थोड़ी थोड़ी।
मैंने बिना सोचे समझे बोल दिया : तो मैं खुजा दूं क्या मां?
मां चुप रही फिर सोच कर बोली : नहीं बेटा कोई बात नहीं, तू रहने दे।
अब मां के गर्म पेशाब का जलवा था ही ऐसा के उनकी झांटों में गुजली रुकना मुस्किल था तो जब कुछ मिनटों बाद मां से बर्दाश्त ना हुआ तो बोली : अच्छा बेटा सुन
मैं: हां मां?
मां : बेटा वो अब खुजली बर्दास्त नहीं हो रही, तेरे हाथों से करवा लेती पर इन हाथों से तु खाना भी खा रहा है और मुझे भी खिला रहा है, और अब साथ साथ खुजलाएगा तो हाथ भी गंदे हो जाएंगे।
मैं: अरे कोई बात नहीं मां। मैं एक हाथ से खुजा दूंगा और दूसरे हाथ से आपको खाना खिला दूंगा।
मैं फिर सोचने लगा के अब बार बार सामने हाथ ले जाना, खुजलाने के लिए तो बार बार उठ कर खुजाना पड़ेगा तो इस से अच्छा मां को इधर अपने सोफे पर ही बुला लेता हूं।
मैं फिर बोला : मां क्यूं ना एक काम करें, आप ऐसा करो सामने से उठ कर मेरे साथ बैठ जाओ जिस से आपको सही खाना खिलाया जाएगा
पहले सिचुएशन ऐसी थी के मां और मैं सिंगल सिंगल सोफे पर बीच में एक टेबल पर खाना रख कर बैठे थे और मैं उन्हें हाथ दूर कर कर खिला रहा था पर जब मैंने उन्हें अपने पास आने बोला तो वो मेरे वाले सोफे की साइड पर आ बैठी और बोली : अब ठीक है बेटा?
मैं: हां मां।
फिर मैनें उन्हे खाना खिलाते हुए कहा : मां जब खुजली हो तो बता देना।
मां : बेटा हो ही रही है, जरा सा खुजला तो जरा।
मैं: हां मां, खुजलाता हूं, बोलो किधर खुजलाऊं?
मां : बेटा ये थोड़ा पेट के नीचे जहां ये पैंटी है।
मैनें मुड़ में आकर सीधा मां की चूत पर हाथ रख दिया और मासूम बनकर बोला : यहां पर मां?
मां भी मस्ती में बोली : हां बेटा यही, और थोड़ा और नीचे भी।
मैं एक हाथ से धीरे धीरे खुजलाता और दूसरे हाथ से खाना खिलाता, उनको जब और मस्ती चढ़ने लगी तो बोली : बेटा ये कपड़ा पहले ही गिला है और तु खुजला रहा है तो अंदर घुस रहा है ये
मैं भी मस्ती में बोला : इसे थोड़ा सा हटा दूं क्या मां?
मां : हां मेरे बुद्धू।
मैनें उनकी कमीज थोड़ी सी ऊपर की और उनके क्लीवेज वाले एरिया में उसे हल्का सा फसा दिया मोड़ कर। फिर उनका गोरा पेट मुझे नजर आने लगा। मन किया की उनकी वो नाभि में जीभ फेर दूं। फिर सोचा जीभ ना सही फिलहाल के लिए कम से कम उंगली तो फेर ही सकता हूं। फिर मैं पजामी पर से खुजाने लगा के मां बोली : बेटा इसके अंदर हाथ डालके कर ना।
मैं ये सुनकर खुश हुआ और धीरे से उनकी पजामी में पेट से होता हुआ एक हाथ ले गया। अंदर हाथ जाते ही पैंटी पर पड़ा जो मेरी उम्मीद से कुछ ज्यादा ही गीली हो रखी थी पेशाब की वजह से। मैनें सोचा मां को ही सब कहने का मोका दिया जाए और जानकर उस पैंटी के ऊपर से ही रगड़ने लगा के मां खाते खाते हल्का हल्का सा सिसकियां भरने लगी और : आ आह आह करने लगी।
फिर बोली : बेटा अब अच्छा लग रहा है, ऐसे ही करता रह बस।
मैं भी कुछ देर ऐसे ही करता रहा और मेरे हाथ इस वक्त उनके पेशाब से पूरे भीग चुके थे। खाना तो अब खत्म हो ही चुका था और पेट की भूख भी और अब शायद बारी थी चूत और लन्ड की भूख शांत करने की। मैंने बिना उनके कहे उनकी पैन्टी में अंदर हाथ डाला और खुजाने लगा के मां और सिसकियां लेने लगी : आह उई सोनू बेटा, आ.. ब ब ब स करता रह ऐसे ही थोड़ी देर।
मेरा मन किया के उनका हाथ पकड़ कर अपने लन्ड पर रख दू पर ये छाले बीच में आ गए और मैं अपने मन में बोला : वाह रे छाले, पहले तूने ही ये सबके दर्शन करवाए और अब तू ही मुझे मजे लेने से रोक रहा है।
फिर जैसे ही मैनें खुजली करने के बजाए 1 उंगली उनकी चूत की छेद में डालकर खुजली के बहाने आगे पीछे करना चालू किया के 2 मिनट बाद ही मां झड़ गई और सीधा सोफे के साइड से हटके मेरे ऊपर आ गिरी। मेरा लन्ड उस वक्त पूरा टाइट और गर्म हो रखा था। ये पहली बार था के मैंने किसी की चूत में उंगली डाली हो। मां की चूत का रस टपक टपक के उनकी पैन्टी में ही छुट गया और मेरे उंगली भी उस से भर गई। फिर जैसे ही मां मेरे ऊपर गिरी उन्हे मेरे गर्म लन्ड का एहसास जरूर हुआ होगा अपनी गांड़ पर, 1 मिनट के लिए तो मानों फिर हम चुप से ही हो गए। पर जैसे ही मां का रस पूरा उनकी चूत से बाहर बह गया वो होश में आई और मुझसे खड़ी होकर अपने कमरे में जाने लगी और बिना मेरे तरफ देखे बोली : बेटा मैं थोड़ी देर आराम करने जा रही हूं।
मां अपने कमरे में चली गई और मैंने वो मां की चूत के रस से भरी उंगली चाट कर साफ की ओर मानों मैं भी कहीं खो सा गया और सोचने लगा के : ये चूत का रस इतना जबरदस्त है तो चूत कितनी जबरदस्त होगी भला। फिर खुदसे बाते करते करते बोला : शायद मां का रस छुटने के बाद उन्हें मेरे साथ ऐसा करने के खयाल से बुरा लगा और वो बिना कुछ कहे ही चली गई, या फिर मेरे लन्ड की वजह से तो नहीं ये। फिर मैं दोबारा खुद से बोला : चलो जो भी हुआ अच्छा ही हुआ, अब चूत मिलने में शायद ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। और मैं फिर वहां से उठा, मां के पेशाब और रस से सना हाथ धोकर, बर्तन उठाए और अपने कमरे में जाकर मूवी देखनेलग
Kamaal ka update diya bhai 👍👍.
 

sahilgarg6065

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मां के हाथ के छाले
Part : 10
मैं अपने आप को संभालता हुआ मां की पजामी और उनकी पैंटी को बैड के नीचे सरका कर गेट खोलने के लिए गया तो देखा पड़ोस वाली एक आंटी थी , ये देखकर मेरे मन को राहत मिली।
मैनें आंटी से कहा : जी आंटी?
आंटी : बेटा, मम्मी है घर पर?
मैं: नहीं आंटी, वो तो नहीं है, कुछ काम था आपको?
आंटी : हां,बेटा , चलो कोई बात नहीं , मैं बाद में मिल लूंगी उनसे।
मैं: ठीक है आंटी।
फिर वो चली गई और मैंने गेट बंद किया और भगवान का शुक्र किया के पापा नहीं थे। फिर आंटी के जाने पर और पापा के ना होने की बात से खुश होकर लोड़े को पकड़कर खुद से बोला: वाह बेटे, बाप का नाम सुनते ही सो गया था। जैसे ही मैंने ऐसा किया और मां को याद किया तो लोड़ा फिर से धीरे धीरे खड़ा होने लगा और मैंने सोचा : क्यूं ना थोड़ी मस्ती की जाए और मां को थोड़ा और डराया जाए। मैंने प्लान बनाया के मां को कहूंगा के पापा हैं और फिर उनके हावभाव देखता हु और वो इसपर क्या कहती हैं देखता हूं। मैं 5 मिनट तक तो सब सोचता रहा और फिर सोच कर अपने कमरे में घुसा, अंदर से कुंडी लगाई और देखा तो कमरे में कोई था ही नहीं।
फिर मैनें मां को आवाज लगाई धीरे से : मां, ओ मां
मेरे रूम के बाथरूम में से मां की धीरे से आवाज आई : बेटा, मैं यहां हूं।
मैं जब वहां बाथरूम के गेट के पास गया तो मां आधी नंगी खड़ी घबराई हुई बोली : कोन था, पापा आगए क्या?
मैं हल्का सा घबराहट वाला चेहरा बनाकर : हां मां
मां : हे भगवान, अब क्या करूं, उन्होंने ऐसे देख लिया तो सवाल पे सवाल पूछेंगे।
मां घबराहट में आधी नंगी बाथरूम में ही छुप कर खड़ी रही और मुझसे बात करती रही। अपने रूम से हड़बड़ाहट में मेरे रूम में भाग भाग कर आने में उनके मोटे चूचे इतने उछले होंगे की वो आधे कमीज से बाहर की ओर झांक रहे थे। मैंने मां की घबराहट को संभालते हुए उन्हें हाथ से पकड़ कर बाथरूम से कमरे में लाते हुए कहा : मां, आप टेंशन मत लो, मैं हूं ना, मैं कुछ करता हूं।
मेरी इस बात से मां को भले नाम मात्र ही सही पर एक तसल्ली सी मिली और वो फिर इधर उधर फैले कपड़ों वाले मेरे कमरे में नीचे बिछे मैट पर बैठ गई और बोली : कुछ कर बेटा, ऐसे कैसे मैं उनके सामने जाऊंगी? और ये छाले देखकर वो मुझसे पूछेंगे के सुबह फोन पर तो कुछ नहीं बताया, फिर मैं क्या कहूंगी?...कुछ कर बेटा।
मैं: अरे आप इतना मत घबराओ मां, कुछ करता हूं मैं रुको।
मैंने थोड़ा सोचा फिर बोला : मां, ये छालों वाली बात तो हम बोल देंगे के आज आपके फोन के बाद हुआ ये सब पर आपको उनके सामने जाने से पहले कुछ कपड़े डालने पड़ेंगे, बस इतनी सी ही प्रोब्लम है, और आप यूंही परेशान हो रही हैं।
मां थोड़ा सोचने लगी और फिर हल्की सी नॉर्मल होकर बोली : अरे हां बेटा, बस वो मैं शायद यूंही , मेरे उस वक्त उस तरह बैठने के कारण परेशान हो गई।
मैं हल्का सा मामला ठीक करने के लिए हस्ते हुए : किस तरह मां?
मां हल्का सा मुस्कुराकर : अरे वही ...जो पहले भी बताया था
मैं: क्या मां..
मां : अरे पागल, वो तेरी भाषा में क्या कह रहा था तु, अरे हां वो घोड़ी बनकर और ऊपर से तु मेरे पीछे था तो शायद मैं उस वक्त डोरबैल बजने से ज्यादा सोच में पड़ गई थी।
मैं और मां फिर नॉर्मल हुए और हसने लगे। वैसे तो मैं पहले से ही नॉर्मल था पर मां को अपने मस्ती के प्लान में बनाए रखने के लिए जो घबराहट चेहरे पर लाया था, वो अब हट गई थी।
फिर मां बोली : एक काम कर, मेरे रूम में जा और मेरी कोई सलवार ले आ, मुझे पहना दे, फिर मैं मोका देख कर बाहर से आने का नाटक करूंगी, ठीक है ना।
मैं: हां मां, ये बाहर से आने का नाटक करने वाला तो ठीक है, पर आपके लिए कपड़े कहां से लाऊं?
मां : अरे मेरी अलमारी में से ले आ ना।
मैं: पर मां, पापा पूछेंगे के कहां लेकर जा रहा है तो?
मां : क्या, वो कमरे में ही हैं क्या।...अरे यार, अब बेटा तू ही बता क्या करूं मैं।
मैं: मां एक तरीका है, अगर आप कहो तो बताऊं?
मां : हां, बता ना जल्दी से।
मैं: क्यूं ना आप मेरी कोई पैंट या लोअर डाल लो और ऊपर से वो आपकी कमीज से ढक ही जाएगा ...फिर मोका देख कर अपनी अलमीरा से उठा लेना सलवार और मैं चेंज करवा दूंगा।
मां पहले तो थोड़ा सोच में पड़ी फिर हंसने लगी। मां को हंसता देख
मैं बोला : क्या हुआ, हंस क्यूं रही हो।
मां : अरे बेटा, तु अपना शरीर देख और मेरा देख।
मैं: क्या मां?
मां : अरे मेरे बुद्धू बच्चे, तु अपना साइज देख और मेरा देख
मैं: कोनसा साइज मां?
मां : अरे पागल मेरा मतलब है, तु अपनी गांड़ देख और मेरी देख।
इसपर हम दोनो हसने लगे और मैं पता नहीं अचानक बोल पड़ा : दिखाओ
मां हंसते हुए : चुप कर बदमाश, पापा के पास घर की दूसरी चाबी होती ना तो पकड़े जाते, उसका शुक्र मना रही हूं मैं और तुझे यहां मस्ती सूझ रही है।
मैं फिर से मस्त होकर : आपके पास कोई और आइडिया है?
मां (सोच कर) : हां, वो जो तूने अभी पजामी उतारी थी, वो ले आ, वही डाल लूंगी, जा।
मैं: मां वो तो जल्दबाजी में मैनें आपके बैड के नीचे सरका दी थी और साथ में आपकी वो गीली पैंटी भी।
मां : लो कर लो बात, तूने तो मुझे मरवाने का पूरा इंतजाम कर दिया है, अगर तेरे पापा को पता चला ना कुछ तो मेरी जान ले लेंगे।
मैं (थोड़ा रोमांटिक होते हुए) : ऐसे कैसे कोई आपकी जान ले लेगा।
मां भी माहोल में गर्म होते हुए एक स्माइल पास की और बोली : अच्छा जी,...
फिर मैं बोला : अब फिर करने हैं मेरे कपड़े ट्राई या यूंही आधी नंगी पापा के सामने जाओगी।
मां हंसते हुए : चुप कर , बदमाश।
ऐसा कहते ही मां खड़ी हुई और अपनी गांड़ मेरी तरफ कर अपने हाथ के ऊपरी हिस्से से अपनी कमीज को साइड करके हल्की सी हंसी और बोली : ले देख, इतनी मोटी गांड़ पर आ जाएगी क्या तेरी कोई जींस या लोवर?
 

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मां के हाथ के छाले
Part: 11
हम दोनों इस वक्त गर्म हो चुके थे और मां ने जैसे ही मुझे अपनी गांड़ दिखाई के मेरी तो मानों आखें चमक गई और मैंने खुद पर से कंट्रोल खोकर बिना सोचे समझे मां को बोल दिया : मां, आपकी गांड़ बहुत प्यारी है।
मां ये सुनकर चौंक सी गई फिर हल्का सा मुस्कुरा कर बोली : अच्छा जी, मेरे बुद्धू बेटे को अच्छी लगी ये।
मैं: अच्छी नहीं मां, बहोत ज्यादा अच्छी।
मां : चुप लुच्चा कहीं का। चल मुझे कोई कपड़े दे, तेरे पापा राह देख रहे होंगे के कहां चली गई मैं।
मैं: हां मां देता हूं।
मैंने अलमारी खोली और उसमे से 3 जींस निकाली और मां को दिखाकर बोला : बोलो मां, कोनसा कलर ट्राई करना चाहोगी?
मां : बेटा, ये जींस कहां ही आएगी मुझे और मैनें तो आजतक डाली भी नहीं कभी जींस।
मैं: अरे मां एक बार ट्राई तो करो, अच्छी लगेगी आप पास। आपकी गांड़ मेरा मतलब आपके हिप्स....
मां हंसते हुए : हां, कोई बात नहीं गांड़ हिप्स एक ही बात है, आगे क्या बोल रहा था।
मैं: मेरा मतलब आपकी गांड़ मोटी है ना काफी और ये जींस उन औरतों पर बहुत खिलती है जिनकी मोटी होती है।
मां और मैं हसने लगे के मां बोली : अच्छा जी, ऐसा भी होता है।
मैं: और नहीं तो क्या मां, तुम डालो तो सही एक बार, अच्छा चलो बताओ कोनसा कलर डालोगी इनमे से? ब्लू? ब्लैक ? या फिर ये ग्रे?
मां सोचने लगी और बोली : ब्लू वाली ट्राई करती हूं।
मैं: हां मां, ये जचेगी आप पर।
मां : देखते हैं, चल डाल तो सही जरा ये मुझे।
मैंने जींस पकड़ी और नीचे बैठ गया और मां को बोला उसमे पैर डालने को , मां ने पहला पैर रखा, मैंने उस पैर से जींस ऊपर की फिर दूसरा पैर रेखा, फिर वहां से जींस थोड़ी ऊपर की और फिर मैनें मां से कहा : मां अब घूम जाओ, देखते है ये अब आपको कमर से ...मेरा मतलब गांड़ से फिट आती है या नहीं।
मां हंसते हुए बोली : नहीं आएगी बेटा, बहुत फर्क है तेरे मेरे साइज में।
मैं: मां ये स्ट्रैच एबल है, ट्राई करके देखते है फिर डिसाइड करेंगे।
मां : ठीक है कर जो करना है।
अब सिचुएशन ये थी के मां बैड के ऊपर खड़ी थी अपनी गांड़ मेरी तरफ करके और मैं बेटा था उनके पैर जींस में डलवाने के लिए तो अभी भी मैं बेटा ही रहा और जींस ऊपर करने की कोशिश करने लगा और उनका गांड़ अब ठीक मेरे मुंह के सामने थी, मेरा दिल तो किया के उनकी गांड़ में अपना मुंह डाल दूं पर बर्दास्त करता रहा और किसी अच्छे मौके की तलाश में रहा। फिर मैनें धीरे धीरे जींस ऊपर की और जब बिल्कुल गांड़ के नजदीक आ गई तो थोड़ी अटक गई के मां बोल पड़ी : देखा, कहा था ना तुझे मैनें
मैं: अरे रुको तो सही मां।
मैनें अब खड़े होकर मां से कहा : मां घोड़ी बन जाओ
मां : क्या?
मैं: मेरा मतलब थोड़ा नीचे झुको ना, ये सही चढ़ जाएगी फिर।
मां : अच्छा अच्छा
बोलकर नीचे झुकी और अब मेरे लोड़े के बिलकुल सामने घोड़ी बनकर मेरी मां खड़ी थी जिनकी गोरी गांड़ बिलकुल मेरे सामने नंगी थी और मैं उन्हें चोदने के ख्यालों में खोने ही वाला था के मां बोल पड़ी : जल्दी डाल दे बेटा।
मैं अचानक ये सुनते ही बोला : डालने का तो मेरा भी दिल कर रहा है मां
मां हंसने लगी और बोली : क्या?
मैं: वो वो , क्या डालने को बोली थी आप?
मां फिर हंसते हुए : अरे बुद्धू मैं जींस डालने को बोल रही थी, तु क्या समझा?
मैं: वो वो, कुछ नहीं मां, जींस ही
मां : अच्छा जी,
और ऐसा बोलकर मां मुझे तड़पाते हुए थोड़ा सा और झुक के हल्की सी पीछे हुई जैसे मुझे न्योता दे रही हो के ले बेटा, चाट ले मेरी गांड़। मैंने अपने मुंह के बिल्कुल पास वाली गांड़ को सूंघने की कोशिश की ओर क्या कमाल की खुश्बू थी, ऐसे हल्का हल्का सूंघते सूंघते मैनें मां को आखिरकार जींस पहना ही दी। उनपर जींस एकदम मस्त लग रही थी , ये मोटी फूली हुई गांड़ पर टाइट जींस कहर ढा रही थी । जैसे ही जींस उनकी गांड़ पर डल गई मैं बोला : लो बोला था ना, डाल दूंगा
मां मस्ती में : क्या डाल देगा बेटा?
मैं भी मस्त आवाज में : वही
मां : क्या बेटा?
मैं: जींस
इसपर दोनो मुस्कुराने लगे और मां घोड़ी से सीधी हुई और घूम कर मेरी तरफ मुड़कर मुझे एक किस्स देकर बोली : थैंक्यू सो मच बेटा, मेरी इतनी मदद करने के लिए और 2 दिन मेरे हाथ बनकर रहने के लिए भी।
मैं: इसमें थैंक्यू कैसा मां
मां : नहीं बेटा, सच में थैंक्यू, और अगर तुझे कुछ भी चाहिए हो मुझसे तो बेझिझक मांग लेना।
ऐसा लगा मां अब पापा के पास जाने वाली थी तो थोड़ा इमोशनल हो गई हो जैसे मुझे छोड़ के अब कहीं और जा रही हो और फिर मैं बोला : ओके मां, अब चलो पापा राह देख रहे होंगे।
मां : हां बेटा,चल
फिर हम दोनो मेरे रूम से बाहर निकले, मैनें मां को मैन गेट के पास खड़ा करके मैन गेट को खोल कर बंद किया ताकि ऐसा लगे के कोई अभी अभी उस गेट से आया है, फिर मां को ऑल द बेस्ट बोलकर उन्हें उनके कमरे में जाने को कहा।
अब मां को पागल बनाया था के पापा रूम में हैं, तो इतना नाटक करना तो बनता ही था।
फिर मां अपने कमरे में घुसी और मैं उनके गेट पर खड़ा रहा। इधर मां अंदर जाते ही बोली : ए जी, आ गए क्या आप?....बाथरूम में हो क्या?
मां ने मुझे इशारा किया के रूम में तो नहीं हैं शायद रूम के बाथरूम में होंगे। मां के इशारा करने पर मैं उनके कमरे में घुस गया और धीरे से उनके पास जाकर बोला : हां मां, बाथरूम में होंगे शायद, ये अच्छा मौका है आपके कपड़े लेने का।
मां : हां बेटा, धीरे से अलमारी खोल और मेरी एक सलवार उठा ले।
मैंने अलमारी खोली और एक सलवार उठा कर उन्हे बोला : ये ठीक हैं?
मां : हां ठीक है।
मां का फिर ध्यान बाथरूम के थोड़े से खुले गेट पर गया और वो उसके पास जाकर देखने लगी के है भी कोई या नहीं....फिर मां मेरी तरफ देखने लगी और मुझसे हंसी बर्दाश्त नहीं हुई और मैं हंसने लगा। मां ये देख कर समझ गई के कुछ न कुछ गडबड है।
तभी मैं बोला : मां, पापा नहीं आए, वो पड़ोस वाली आंटी थी।
ये सुनते ही मां दौड़ कर मेरी ओर आई और मुझे पलंग पे गैर खुद मेरे उपर गिर गई और बोली : लुच्चे, मां को पागल बनाता है, शर्म नहीं आती।
मैं : नहीं मां शर्म तो नहीं पर प्यार जरूर आता है।
मैं बेड पर पड़ा था और मां उस टाइट जींस में मेरे ऊपर और हम दोनों ही मस्त हो रखे थे। मेरा लोड़ा गर्म होकर नीचे टाइट पड़ा था जिसपर उनकी जींस में कैद गर्म चूत और मेरे चैस्ट के पास उनके मोटे बाहर निकलने को उतावले चूचे थे।
मां : अच्छा बच्चू, ज्यादा ही प्यार आ रहा है, सब महसूस हो रहा है मुझे
मैं सोचने लगा और खुदसे बोला : हां, मां , लोड़ा महसूस ही मत करो , अब अंदर भी लेने का प्लान बना लो, और नहीं रुका जाता।
मां मेरी ओर देखते बोली : कहां खो गया?
 
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मां के हाथ के छाले
Part :7
फिर हम मिलकर खाना खाने बैठे। खाना खाते खाते मां बार बार अपनी टांगो को एक दूजे से मसल रही थी के मैंने उनसे पूछा : क्या हुआ मां, कोई परेशानी है क्या?
मां : बेटा वो मेरी पैंटी गीली हो रखी है ना थोड़ी सी, तो वो पेशाब को वजह से खुजली हो रही है थोड़ी थोड़ी।
मैंने बिना सोचे समझे बोल दिया : तो मैं खुजा दूं क्या मां?
मां चुप रही फिर सोच कर बोली : नहीं बेटा कोई बात नहीं, तू रहने दे।
अब मां के गर्म पेशाब का जलवा था ही ऐसा के उनकी झांटों में गुजली रुकना मुस्किल था तो जब कुछ मिनटों बाद मां से बर्दाश्त ना हुआ तो बोली : अच्छा बेटा सुन
मैं: हां मां?
मां : बेटा वो अब खुजली बर्दास्त नहीं हो रही, तेरे हाथों से करवा लेती पर इन हाथों से तु खाना भी खा रहा है और मुझे भी खिला रहा है, और अब साथ साथ खुजलाएगा तो हाथ भी गंदे हो जाएंगे।
मैं: अरे कोई बात नहीं मां। मैं एक हाथ से खुजा दूंगा और दूसरे हाथ से आपको खाना खिला दूंगा।
मैं फिर सोचने लगा के अब बार बार सामने हाथ ले जाना, खुजलाने के लिए तो बार बार उठ कर खुजाना पड़ेगा तो इस से अच्छा मां को इधर अपने सोफे पर ही बुला लेता हूं।
मैं फिर बोला : मां क्यूं ना एक काम करें, आप ऐसा करो सामने से उठ कर मेरे साथ बैठ जाओ जिस से आपको सही खाना खिलाया जाएगा
पहले सिचुएशन ऐसी थी के मां और मैं सिंगल सिंगल सोफे पर बीच में एक टेबल पर खाना रख कर बैठे थे और मैं उन्हें हाथ दूर कर कर खिला रहा था पर जब मैंने उन्हें अपने पास आने बोला तो वो मेरे वाले सोफे की साइड पर आ बैठी और बोली : अब ठीक है बेटा?
मैं: हां मां।
फिर मैनें उन्हे खाना खिलाते हुए कहा : मां जब खुजली हो तो बता देना।
मां : बेटा हो ही रही है, जरा सा खुजला तो जरा।
मैं: हां मां, खुजलाता हूं, बोलो किधर खुजलाऊं?
मां : बेटा ये थोड़ा पेट के नीचे जहां ये पैंटी है।
मैनें मुड़ में आकर सीधा मां की चूत पर हाथ रख दिया और मासूम बनकर बोला : यहां पर मां?
मां भी मस्ती में बोली : हां बेटा यही, और थोड़ा और नीचे भी।
मैं एक हाथ से धीरे धीरे खुजलाता और दूसरे हाथ से खाना खिलाता, उनको जब और मस्ती चढ़ने लगी तो बोली : बेटा ये कपड़ा पहले ही गिला है और तु खुजला रहा है तो अंदर घुस रहा है ये
मैं भी मस्ती में बोला : इसे थोड़ा सा हटा दूं क्या मां?
मां : हां मेरे बुद्धू।
मैनें उनकी कमीज थोड़ी सी ऊपर की और उनके क्लीवेज वाले एरिया में उसे हल्का सा फसा दिया मोड़ कर। फिर उनका गोरा पेट मुझे नजर आने लगा। मन किया की उनकी वो नाभि में जीभ फेर दूं। फिर सोचा जीभ ना सही फिलहाल के लिए कम से कम उंगली तो फेर ही सकता हूं। फिर मैं पजामी पर से खुजाने लगा के मां बोली : बेटा इसके अंदर हाथ डालके कर ना।
मैं ये सुनकर खुश हुआ और धीरे से उनकी पजामी में पेट से होता हुआ एक हाथ ले गया। अंदर हाथ जाते ही पैंटी पर पड़ा जो मेरी उम्मीद से कुछ ज्यादा ही गीली हो रखी थी पेशाब की वजह से। मैनें सोचा मां को ही सब कहने का मोका दिया जाए और जानकर उस पैंटी के ऊपर से ही रगड़ने लगा के मां खाते खाते हल्का हल्का सा सिसकियां भरने लगी और : आ आह आह करने लगी।
फिर बोली : बेटा अब अच्छा लग रहा है, ऐसे ही करता रह बस।
मैं भी कुछ देर ऐसे ही करता रहा और मेरे हाथ इस वक्त उनके पेशाब से पूरे भीग चुके थे। खाना तो अब खत्म हो ही चुका था और पेट की भूख भी और अब शायद बारी थी चूत और लन्ड की भूख शांत करने की। मैंने बिना उनके कहे उनकी पैन्टी में अंदर हाथ डाला और खुजाने लगा के मां और सिसकियां लेने लगी : आह उई सोनू बेटा, आ.. ब ब ब स करता रह ऐसे ही थोड़ी देर।
मेरा मन किया के उनका हाथ पकड़ कर अपने लन्ड पर रख दू पर ये छाले बीच में आ गए और मैं अपने मन में बोला : वाह रे छाले, पहले तूने ही ये सबके दर्शन करवाए और अब तू ही मुझे मजे लेने से रोक रहा है।
फिर जैसे ही मैनें खुजली करने के बजाए 1 उंगली उनकी चूत की छेद में डालकर खुजली के बहाने आगे पीछे करना चालू किया के 2 मिनट बाद ही मां झड़ गई और सीधा सोफे के साइड से हटके मेरे ऊपर आ गिरी। मेरा लन्ड उस वक्त पूरा टाइट और गर्म हो रखा था। ये पहली बार था के मैंने किसी की चूत में उंगली डाली हो। मां की चूत का रस टपक टपक के उनकी पैन्टी में ही छुट गया और मेरे उंगली भी उस से भर गई। फिर जैसे ही मां मेरे ऊपर गिरी उन्हे मेरे गर्म लन्ड का एहसास जरूर हुआ होगा अपनी गांड़ पर, 1 मिनट के लिए तो मानों फिर हम चुप से ही हो गए। पर जैसे ही मां का रस पूरा उनकी चूत से बाहर बह गया वो होश में आई और मुझसे खड़ी होकर अपने कमरे में जाने लगी और बिना मेरे तरफ देखे बोली : बेटा मैं थोड़ी देर आराम करने जा रही हूं।
मां अपने कमरे में चली गई और मैंने वो मां की चूत के रस से भरी उंगली चाट कर साफ की ओर मानों मैं भी कहीं खो सा गया और सोचने लगा के : ये चूत का रस इतना जबरदस्त है तो चूत कितनी जबरदस्त होगी भला। फिर खुदसे बाते करते करते बोला : शायद मां का रस छुटने के बाद उन्हें मेरे साथ ऐसा करने के खयाल से बुरा लगा और वो बिना कुछ कहे ही चली गई, या फिर मेरे लन्ड की वजह से तो नहीं ये। फिर मैं दोबारा खुद से बोला : चलो जो भी हुआ अच्छा ही हुआ, अब चूत मिलने में शायद ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। और मैं फिर वहां से उठा, मां के पेशाब और रस से सना हाथ धोकर, बर्तन उठाए और अपने कमरे में जाकर मूवी देखने लगा।
Jabardast scene create kar rahe ho maa bete me
 
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