• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest मां को अपना बनाया

Barbarian Viking

New Member
17
3
3
अपडेट

सुनीता सीधा कमरे से बाहर निकल जाती है और अजय उसको देखते ही रहता है।अजय भी कुछ नहीं बोलता और वो सीधा अपने दुकान निकल जाता।कुछ देर बाद सुधा वापस घर आ जाती है और खाना बनाने लगती है।अजय भी घर रात को देर में आता है और खाना खा कर अपने कमरे में चला जाता है।और किसी से कुछ नहीं बोलता है

अपने कमरे में सुनीता आज जो कुछ भी हुआ उसके बारे में सोचने लगती है और क्या करें और फिर वो फोन उठती है और किसी को कॉल करती है घंटी बजने लगती हैं और फिर उदर से आवाज आती है

शालिनी:हेलो

सुनीता:दीदी मैं सुनीता बोल रही हु माफ करना इतनी रात को आपको फोन किया

शालिनी:अरे कोई बात नहीं मैं जग ही रही थी बोलो क्या हुआ

सुनीता:दीदी मुझे आपसे कुछ बात करनी है

शालिनी: हा बोलो

सुनीता:दीदी फोन पे नहीं आपसे मिलके अकेले में

शालिनी:ठीक है कल दोपहर को मेरे घर आ जाओ मैं अकेली ही हु

सुनीता:ठीक है दीदी और इतना बोल के वो फोन कट कर देती है

और फिर शालिनी से बात करके वो सो जाती और सुबह होने का इंतजार करने लगती है।

सुबह होते ही सुनीता उठ के नहा धो कर नाश्ता बनाने लगती है तब तक सुधा भी उठ जाती है और वो सुनीता की मदद करने लगती है।फिर अजय कसरत करके नहा धो कर नाश्ता करने आता है।सुधा उसको नाश्ता देती है पर वो कुछ बोलता नहीं और न ही सुनीता से कोई बात करता है।और नाश्ता करके वो दुकान के लिए निकल जाता हैं।

सुनीता भी दोपहर का खाना बनकर वो सुधा को बोलती है कि वो शालिनी के घर जा रही है और सुनीता निकल जाती है और २० मिनिट बाद वो शालिनी के घर के समाने होती है और गेट खोल कर अंदर चलीं जाती है।शालिनी छत पे होती है और ऊपर से सुनीता को इशारा करके बोलती है कि गेट बंद करके छत पे आ जा।

सुनीता गेट बंद करके छत पे चली जाती है और फिर शालिनी बोलती है कि तू रुक मैं आती हु और जब वो वापस आती है तो उसके हाथ में दो कप चाय थी

सुनीता:अरे दीदी इसकी क्या जरूरत थी?

शालिनी:अरे जरूरत कैसे नहीं तुम मेरे घर आई हो और मैं चाय भी न पूछूं ये कैसे हो सकता है।और बताओ क्या बात है बड़ी परेशान लग रही हो

सुनीता:दीदी अब क्या बोलूं में

शालिनी:अरे बेझिझक बोलो तुम तो जानती हो कि जो बाते हमारे बीच होती है तो हमारे तक ही रहती है तुम बेफिक्र बोलो

सुनीता:दीदी बात अजय को लेकर है

शालिनी:क्या हुआ अजय को सब ठीक तो है न कल ही तो मैने उसे देखा था ठीक तो लग रहा था कल

सुनीता:ठीक तो है दीदी पर बहुत बिगड़ गया है

शालिनी:हुआ क्या है बताओ भी तो सही

सुनीता फिर वो सारे आगाज और गंदी तस्वीर की किताब सब शालिनी को देती है और शालिनी पहले तो वो गंदी तस्वीरों की किताब देखती है और फिर वो सारे आगाज जिसमें कहानी थी और फिर कुछ पन्ने पढ़ कर वो सुनीता की और देखती है और एक गहरी सांस लेती है।

शालिनी:सुनीता एक बात पूछूं तुमसे पर उसका सही सही उतर देना

सुनीता:बोलो दीदी

शालिनी:अजय तुम्हे कैसा लगता है।

सुनीता:दीदी अच्छा है

शालिनी:क्या तुमने कभी उसे एक मर्द की तरह देखा है

सुनीता:दीदी वो मेरा बेटा है और आप भी उसकी तरफ से बोल रही है मुझे तो ऐसा ही लग रहा है

शालिनी: देखो सुनीता तुम्हारा बेटा तुम्हें पसंद करता है और तुम्हे एक मा नहीं औरत की नजर से देखता है और तुम्हे बहुत चाहता भी है

सुनीता:दीदी पर ये तो गलत है ऐसे रिश्ते कहा होते है।

शालिनी:और अगर ऐसे रिश्ते होते तो क्या तुम्हे वो बताते की एक मा और बेटे के बीच शारीरिक सम्बन्ध है नहीं न कुछ रिश्ते सिर्फ चार दिवारी के भीतर ही पानाबते है।

सुनीता की विश्वास ही नहीं हो रहा होता है कि शालिनी ऐसा बोलेगी और अजय को सही बताएगी।

शालिनी: देखो सुनीता तुम्हें ऊपर वाले ने इतना हटा कटा और नौजवान बेटा दिया है जो तुम्हे पसंद करता है तो क्यों न तुम भी उसका इसमें साथ दो

सुनीता:दीदी आप क्या बोल रही है ऐसे कैसे बोल सकती है लोग क्या कहेंगे और ये समाज

शालिनी:सुनीता तुम अपनी खुशी देखी लोगो का मत सोचो।याद है उस दिन तुम मुझसे पूछ रही थी दीदी आप इतनी खिली खिली कैसे रहती है।मैं बताने वाली थी पर उस समय कोई आ गया था।

सुनीता:हा दीदी याद आया।

शालिनी:सुनीता अब मैं जो बताने जा रही हु एक राज है और ये राज कोई नहीं जानता और तुमपे भरोसा करके ये बाद बता रही हु

सुनीता:दीदी मेरी जान चली जाएगी पर आपकी बात किसी को पता नहीं चलने दूंगी।आप बेफिक्र होकर बताओ

शालिनी:सुनीता मैं और मेरे बेटे राजेश मां और बेटे तो है।पर वो रिश्ता सिर्फ बाहर वाले के लिए है और घर के अंदर मैं उसकी बीवी हु और हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते है।राजेश मुझे हर सुख देता है।और मैं भी खुश हु।

सुनीता ये सुनाते ही वो एकदम शांत हो जाती है उसे यकीन नहीं होता जो शालिनी कह रही थी।

सुनीता:दीदी पर आप खुश है इस रिश्ते से और समाज का क्या?

शालिनी:मैं बहुत खुश हु सुनीता मुझे ऐसा प्यार करने वाला मर्द मिला है जो मेरी शारीरिक जरूरत को पूरा करता है।और समाज क्या क्या है अगर बाहर किसी आदमी से रिश्ता रख लो तो यही लोग औरत को रण्डी बोलते है और बदनामी का डर अलग से।पर यह मैं और मेरा बेटा चार दिवारी के अंदर बड़े सुकून से रहते है वो तो मुझे घर के हर होने में चोद चुका है और बाहर हम एकदम मां बेटे की तरह रहते है और किसी को शक भी नहीं होता।तुम्ही बताओ क्या ये गलत है मैं एक औरत हु मेरी भी शारीरिक जरूरत है तो वही जरूरत अगर घर पे मिल रही हो तो क्या बुराई है और सबसे बड़ी बात बदनामी तो नहीं होती।सच काहू तो अगर मेरी एक बेटी होती न तो भी मैं उसे राजेश से चुदावा देती फिर हम तीनों एक हसी खुशी जिंदगी जीते।मैं तो कहती हु सुनीता अपने बेटे को अपना लो बहुत भाग्य से तुम्हे वापस प्यार मिला है ऐसे मत ठुकरा के जाओ उसे।

सुनीता बहुत ध्यान से शालिनी की हर के शब्द सुनती है और फिर एक गहरी सांस लेती है।

सुनीता:आप सच कह रही है दीदी समाज तो वैसे भी हम लोगों को जीने नहीं देता।वैसे भी अगर बाहर रिश्ता बनाओ तो बदनामी का दाग लग जाता है।

शालिनी:सही कहा।और जितना तुमने ये सब दिखाया है और ये सारी कहानी पढ़ी मैने उस से तो ये साबित हो जाता है कि अजय बहुत कामुक लड़का है और तुम्हारी आने वाली रातें रंगीन होने वाली है।

सुनीता ये सुन कर किसी नई नवेली दुल्हन की तरह शर्मा जाती है।

शालिनी:एक बात याद रखना सुनीता मर्द की हर एक बात मानना और आज कल के लड़के बहुत गंदे हो गए है उन्हें गंदी सी गंदी चुदाई पसंद है और चुदाई के वक्त औरत जितना बेशरम होती है चुदाई का मजा उतना ही आता है।

सुनीत:दीदी मैं आपकी हर एक बात का खयाल रखूंगी ।अच्छा दीदी अब मैं चलती हु। अपने मेरे मन से बहुत बड़ा भोज उतर दिया।

शालिनी: कोई बात नहीं और जाओ और अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करो।

फिर कुछ देर तक दोनों आपस में बात करते है और फिर सुनीता अपने घर के लिए निकल जाती है।
Absolutely super duper hit and blockbuster story!
 

vision244

New Member
35
118
34
अपडेट

शाम के पांच बज रहे थे और सुनीता अपने घर वापस आ जाती है।और अपने कमरे में जाकर वो सारी गंदी कहानी के आगाज रख देती है और फिर अजय के कमरे में चली जाती है।और इदार उदर देकर वापस जाने को होती है तभी कुर्सी पे अजय की चड्डी दिखती है वो उसे उठती है और उसे लेकर चुपके से अपने कमरे में लेकर आ जाती है और अपने कमरे का दरवाज़ बंद करके अपने बिस्तर पे आ कर लेट जाती है और उस चड्डी को बड़े गौर से देखने लगती है उसमें से अभी भी महक आ रही होती है।

सुनीता अपने मन में बोलती है कि बहुत साल से तरस रही हु इस जिस्म की गर्मी को और शायद पूरी जिंदगी तरसना पड़ता पर ऊपर वाले ने मुझ अभगन पे दया किया और मुझे मेरे बेटे के रूप में एक मर्द दे दिया।और अजय भी मेरे जिस्म का दीवाना है।पर अब शायद मुझसे गुस्सा होगा।एक बार बस उसे माना लू अभी मुझसे गुस्सा होगा।फिर सुनीता वो सारे आगाज से कहानी पढ़ने लगती है और उसपे कहानी का खुमार चढ़ने लगता है और वो अजय की चड्डी को अपने नाक के पास ला कर उसको सूंघ रही थी और उसको खुशबू को अपने नथुनों में बसा रही और उसे वो पेशाब की बदबू मदहोश कर रही थी फिर उसने अपने जीभ से उस गीले हिस्से को चाटना शुरू कर दिया और देखते ही देखते अजय की चड्डी सुनीता के थूक से गीली हों गई थी।पर सुनीता की गर्मी शांत होने का नाम ही नहीं ले रही थी ।उसे तो एक तगड़े चुदाई की जरूरत थी और अब वो भी जान गई थी कि उसकी गर्मी बस अजय ही शांत कर सकता है।

कुछ देर आराम करने के बाद सुनीता खाना बनाने लगती है और फिर रात को अजय आता है और सुधा से बात करके खाना खाने लगता है वो सुनीता के तरफ बिल्कुल भी नहीं देखता और न ही उस से बात करता है।फिर सुधा किचेन में चली जाती है और बर्तन धुलने लगती है।तभी सुनीता अजय को बोलती है कि उसे कुछ बात करनी है और अजय कुछ नहीं बोलता और खाना खा कर सीधा अपने कमरे में चला जाता है।

ऐसे एक हफ्ता बीत जाता है पर अजय सुनीता से बात नहीं करता अजय की बेरुखी से सुनीता तड़प उठती है उसे लगता है कही अब अजय उस से कभी बात नहीं करेगा और अब वो सोचती है कि उसे ही कुछ करना होगा वरना बहुत देर हो जाएगी और वो अजय को एक मर्द के रूप खो देगी।

ऐसे ही एक सुबह सब घर में उठ चुके थे।और सुधा बाथरूम में थी और ये मौका देकर सुनीता अजय के रूम में चलीं जाती है।अजय कमरे में चाय पी रहा था।और सुनीता वहां आ जाती है।अजय अपने कमरे से निकलने वाला था कि सुनीता बोलती है।

सुनीता:इतना गुस्सा है मुझसे की बात भी नहीं करेगा।

अजय:अब बात करने को कुछ नहीं है।

अजय बड़े बेरुखी से बोलता है।

सुनीता:माफ करदे मुझे ।मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया।

अजय:नहीं अब हम इस बारे में कभी बात नहीं करेंगे।

सुनीता:पूरी बात तो सुन मेरी।जो तू चाहता है मैं उसके लिए तैयार हु

सुनीता का इतना बोलना था कि अजय उसको पहली बार देखता है इतने दिनों में और फिर तुरंत उसे अपने गले लगा लेता हैं दोनों मां बेटे किसी दो बिछड़े प्रेमी की तरह मिल रहे हो।

फिर सुनीता बोलती है आज शाम तक घर आ जाना मैं सुधा को शोभा के घर भेज दूंगी।और तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुलता है और दोनों एक दूसरे से अलग हो जाते है और अजय नाश्ता करके अपने दुकान निकल जाता है।सुनीता भी शोभा को बोल के सुधा को अपने पास बुलाने को कहती है एक हफ्ते के लिए पर सुनीता शोभा को ये नहीं बताती कि उसने अजय वो एक मर्द के रूप में स्वीकार कर लिया है।

शोभा फिर फोन करके सुधा को कुछ दिनों के लिए अपने घर आने को बोलती है और सुधा अपनी मम्मी से पूछ कर वह चली जाती है।शाम के ६ बज रहे थे।वैसे तो अजय ८ बजे घर जाता था पर अब उस से रहा नहीं गया और वो सविता को बोलता है कि उसके तबियत थोड़ी सही नही है और वो ८ बजे तक दुकान पे रहे और फिर दुकान बंद करके अपने घर चली जाए।

अजय घर के लिए निकल जाता है।शाम हो चुकी थी अंधेरा भी हो गया था बस चांद की रौशनी थी और फिर अजय घर पहुंच जाता है और मैन गेट बंद करके अंदर जाता है पर कोई नहीं होता है घर में और फिर वो अपन t shirt dal kar aur लोवर पहन कर छत पे जाता है उसे वहां सुनीता मिलती है। सुनीता इस टाइम एक मैक्सी में होती है और बहुत कामुक लग रही होती है मैक्सी के ऊपर से उसकी गांड़ के उभार के बारे में क्या कहना।अजय तो उसकी गांड़ का दीवाना था।

सुनीता पीछे मुड़कर देखती तो अजय खड़ा होता है।और दौड़कर वो उसके गले लग जाती है और अजय भी कस के उसे अपनी बाहों में सामा लेता है।और फिर दोनों एक दूसरे की बाहों में दस मिनिट तक रहते है।फिर अजय बोलता है।

अजय:मां मुझे माफ कर दो।शायद मैं कुछ जायदा ही गुस्सा हो गया।

सुनीता:नहीं नहीं मैं ही समझ नहीं सकी गलती मेरी है।

फिर वो अजय को सारी बातें बताती है जो आज से लेकर कल तक हुई और जो बातचीत उसकी शालिनी के साथ हुई और फिर वो वापस गले लग जाती है।फिर अजय बोलता है।

अजय:मेरी बहुत सारी इच्छाएं है क्या पूरा कर पाओगी।

सुनीता:मैने सारी कहानियों पढ़ी और उसको पढ़ एक बात साबित हो गई कि चुदाई बहुत तरीके से होती है और चुदाई में कुछ गंदा भी होता।

अजय सुनीता के मुंह से चुदाई सुन कर कामुक हो जाता है।और बोलता है।

अजय:तुम्हारे मुंह से गली बहुत अच्छी लग रही है।पर मेरी एक इच्छा और है

सुनीता:वो क्या?

अजय:मां मैं तुमसे शादी करना चाहता हु।तुम्हे अपनी दुल्हनिया बनाना चाहता हु।चार दिवारी के अंदर तुम्हे अपनी बीवी बना कर रखना चाहता हु।

सुनीता ये सुनकर कुछ देर मौन रहती है

अजय:क्या हुआ कुछ गलत बोल दिया?

सुनीता:नहीं नहीं अपने कुछ गलत नहीं बोला बल्कि अपने मुझ जैसी अभगन पे कृपा की है।ये तो हर औरत का सौभाग्य होता है कि वो भी सज धज के अपने पति का इंतजार करे पर ये सुख ऊपर वाले ने मुझसे छीन लिया था और फिर आप मेरे जीवन में आए।और मुझे मां नहीं मेरे नाम से बुलाओ वो सब जो कहानी में बेटा जैसे अपनी मां के साथ करता है वो सब करो मेरे साथ।

अजय सुनीता के मुंह से आप सुन कर बहुत खुश होता है और उसे गले लगा लेता है और बोलता है।

अजय:मैं बहुत बेहराम हु सुनीता क्या तुम मुझे सह पाओगी।

सुनीता:मेरे राजा आप बस अपना प्यार दीजिए अब से मैं आपकी पत्नी हु और पत्नी का फ़र्ज़ होता है अपने पति को खुश रखना और उसकी हर इच्छा पूरी करना।आप की मर्जी आप चाहे मुझे जैसे प्यार करिए।और मुझे अब आप मेरे नाम से बुलाए या फिर कुछ भी बोलो।

अजय उसे का कर जकड़ लेता और मैक्सी के ऊपर से उसकी गांड़ को सहलाने लगता है।और पूछता है।

अजय:ये क्या है सुनीता?

सुनीता:मेरे स्वामी आपकी सुनीता की गांड़ है अरे माफ करना अब से ये आपकी गांड़ है मेरे मालिक।

और अजय उसपे एक तपड़ मरता है और बोलता है

अजय:कैसा लगा?

सुनीता:रण्डी से पूछा नहीं जाता बस किया जाता है और हुकुम दिया जाता है।

अजय सुनीता का समर्पण देख कर बहुत खुश होता है।

अजय:रण्डी तो अपनी कीमत भी लेती है। तेरी क्या कीमत है साली रंड

और फिर उसके गांड़ पे तपड़ की बारिश कर देता है मैक्सी के ऊपर से ही।

सुनीता:मेरे राजा कोई भी कीमत दीजिए ये रण्डी तो आपकी कनीज है आपकी पर्सनल रण्डी है।

अजय:सही बोला साली तूने छीनार।

और अजय अपनी उंगली उसके होंठों पे घूमने लगाता है सुनीता उसकी उंगली चूसना चाहती थी और वो उसके लिए मुंह भी खोलती है पर अजय अपनी उंगली उसके मुंह में नहीं डालता और उसे तड़पने लगता है

सुनीता:मेरे मालिक तरस खाइए अपनी इस रण्डी पे मेरे स्वामी

और फिर अजय अपनी उंगली उसके मुंह पे डाल देता है जिसे सुनीता बड़े प्यार से चूसने लगती है।ये सारा खेल मां बेटे के बीच छत पे हो रहा होता है पर शाम जायद हो गई थी।शाम क्या रात हो चुकी थी और ८ बज रहे थे और चारों तरफ अंधेरा था तो कोई नहीं देख पाता कि मां और बेटा क्या कर रहे है और वैसे भी अजय का मकान ऊंचा था तो कोई देख नहीं पाता कि छत पे क्या हो रहा है।

अजय ऐसे ही अपनी उंगली सुनीता के मुंह में डाल कर रखता है और सुनीता बड़े चाव से उसको चुस्ती है और उसे अचानक नीचे कुछ महसूस होता है तो अपना हाथ उसके ओर ले जाती है तो पाती है ये तो उसके मालिक का लन्ड है और उसे वो लोवर के ऊपर से मसलने लगती है और अजय की आहा निकल जाती है।

अजय:साली कुतिया आराम से मसल छीनार

सुनीता:करने दीजिए न स्वामी बहुत दिन बात लन्ड देख रही हु वो भी इतना तगड़ा।

अजय:साली ये लन्ड तेरी चूत का भोसड़ा बनाने वाला है और एक तपड़ जड़ देता है उसकी गांड़ पे

और फिर अपनी उंगली उसके मुंह से बाहर निकलता है और दोनों हाथों से मैक्सी उसके कमर तक उठाता है और बोलता है।

अजय:पकड़ इसे अपने हाथों से और अगर मैक्सी नीचे हुई तो एक महीने तक तुझे हाथ नहीं लगूंगा समझी साली।

और सुनीता ये सुन कर मैक्सी अपने दोनों हाथों से पकड़ लेती है और अजय अपना वही हाथ उसी चड्डी में डालता है जिसकी एक उंगली वो चूस रही होती है और वही उंगली जो सुनीता के थूक से सन चुकी थी उसे वो उसकी गांड़ की दरार में घिसने लगता है और ऐसा करने से सुनीता तड़प उठती है कर उसकी आहा निकल जाती है।

सुनीता:मालिक मत तरसाए चोद दीजिए यही अपनी कुतिया को मेरे बलम

अजय:चुप साली छीनार तुझे तो मैं दुल्हन के जोड़े में चोदना चाहता हु रण्डी बस अभी मजे ले साली रंड

और फिर कुछ देर अपनी उंगली सुनीता के गांड़ में घिसने के बाद वही उंगली वो बाहर निकलता है और सुनीता के नाक के पास ले जाता है जिसे सुनीता एक पालतू कुतिया की तरह सूंघने लगती है और अजय उंगली को उसके नाक के आस पास नाचने लगता है और सुनीता अपना मुंह और नाक वही ले जाती है जहां जहां अजय की उंगली ले जाती है और अजय ये सब देकर बोलता है।

अजय: तू तो एक सस्ती रंड निकली साली मुझे बता तू क्या है।

सुनीता:मैं आपकी दासी हु मेरे राजा मेरे सजन आपकी सस्ती रण्डी हु छीनार आपकी कुतिया सब कुछ हु मेरे मालिक ये सुनीता आपकी कनीज है।

ये सुनकर अजय बहुत खुश होता है और वही उंगली जिससे उसने सुनीता की गांड़ घिसी थी उसे अपने नाक के पास ले जाता है और उसकी खुशबू सूंघ कर वो पागल हो जाता है और बोलता है।

अजय: क्या खुशबू है मेरी रानी तेरी गांड़ की मन करता है अभी खा जाऊं तेरी गांड़ को

सुनीता: मेरे बलम आपको रोका किसने है पूरी रात है हम दोनों के पास और हम दोनों अकेले है एक हफ्ते तक फिर वो बताती है कि सुधा शोभा के घर गई है और एक हफ्ते बाद आने वाली है।

अजय:नहीं अभी नहीं तुझे तो मैं शादी के जोड़े में चोदूंगा जब तू मेरे नाम का सिंदूर और मंगलसूत्र पहन कर मुझसे चुदाई की भीख मांगेगी।बोल मेरे नाम का सिंदूर और मंगलसूत्र पहनेगी न

सुनीता:मेरे स्वामी आप बस मुझे आज रात का समय दीजिए कल रात आपकी सुनीता आपको दुल्हन के रूप में मिलेगी और आपकी हर इच्छा पूरी करेगी मेरे सजन

अजय:ये सही कहा तूने चल अपना मुंह खोल और सुनीता अपना मुंह खोल देती है और अजय वही उंगली सूंघने के बाद सीधा सुनीता के मुंह में डाल देता है

सुनीता भी बिना किसी झिझक के वो उंगली चूसने लगती है और फिर कुछ देर बात अजय उसके मुंह को चोदने लगता है अपनी उंगली से तेज तेज जिसमें सुनीता को भी बहुत मजा आता है और अजय अपनी उंगली निकल लेता है अचानक और सुनीता का मुंह खुला होता है तो अजय उसके मुंह पे थूक देता है और सुनीता अपनी जीभ बाहर निकल कर पहले तो अजय को अपनी जीभ पे उसका थूक दिखाती है और फिर वही थूक पी जाती है और वापस जीभ निकल देती है।

अजय समझ जाता है कि उसे क्या चाहिए पर फिर भी पूछता है।

अजय:क्या चाहिए मेरी रानी

सुनीता:अपना थूक दीजिए स्वामी बहुत स्वादिश्ट है मेरे बलम का थूक।

अजय: इंतेज़ार कर सुनीता रानी कल तो तुझे इतना पेलूंगा कि तू मूत देगी साली कुतिया।

और फिर दोनों मां बेटा वही छत की मचान पे सो चाहते है और सुनीता अगली रात का इंतेज़ार करने लगती और आज जो कुछ भी अजय ने उसके साथ किया उसको सोच करके उसकी बुर पानी छोड़ने लगती है और अगली रात का इंतेज़ार करने लगती है
 
Top