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Incest मां को अपना बनाया

insotter

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अजय खुशी खुशी दुकान चला जाता है।और दूसरी ओर सुधा के चेहरे पे एक अलग ही खुशी थी मानो उसे स्वर्ग मिल गया हो।वो बिस्तर पे लेती हुई अपनी मैक्सी ऊपर करती और अपनी बुर को हाथ लगने ही वाली थी कि उसे अजय की बात याद आ जाती हैं कि बुर को हाथ नहीं लगाना है

सुधा अपने बुर से बात करती है और कहती है।

मैं तुझे हाथ नहीं लगा सकती क्योंकि तेरे मालिक का हुकुम है और ये कहकर वो मैक्सी नीचे करके थोड़ा आराम करने लगती है।सुनीत भी घास काट कर घर आ जाती है और खाना बनाने की तैयारी में लग जाती है और सुधा भी थोड़ी देर सोने के बाद उठकर अपनी मां का हाथ बटाने लगती है।

८ बजे तक अजय घर आ जाता है और सब खाना खा कर सो जाते है।सुबह अजय जल्दी उठता है और कसरत करने छत पे चला जाता है तब तक सुनीता भी उठ जाती है और नाश्ता बनाने लगती है और सुधा भी थोड़ी देर बात उठकर अपनी मम्मी की मदद करने लगती है।अजय कुछ कसरत खत्म हो जाती है और उसे पेशाब लगती है तो वो नीचे आ जाता है और देखता है कि सुनीता बाथरूम के अंदर जा रही होती है नहाने के लिए।और अजय फिर पेशाब करके किचेन में जाता है तो देखता है सुधा खड़ी होकर खाना बना रही होती है।सुधा इस टाइम मैक्सी पहनी होती है।अजय सुधा को देखकर अपने लौड़े को बॉक्सर के ऊपर से मसल देता है और सीधा उसके पीछे जाकर खड़ा हो जाता है।और फिर अपना खड़ा लन्ड उसकी गांड़ के दरार में फसा देता है और खिसने लगता है।सुधा को ये महसूस होता है तो पीछे मुड़कर देखती है और बोलती है।

सुधा:आप उठ गए.....आह आह आह आह थोड़ा धीरे मेरे राजा आपका लौड़ा बहुत कड़क है।और आराम से करिए मम्मी घर में हैं अभी।

ये सुनकर कर अजय मैक्सी के ऊपर से ही दो तपड़ जड़ देता है और कहता है मम्मी भी नहाने गई और आधे घंटे बाद ही निकलेगी तू मजे ले मेरी रानी।क्या हुआ पसंद नहीं आया क्या और ऐसा कहते ही अजय तोड़ा पीछे हो जाता है और उसका लन्ड उसकी गांड़ की दरार से निकल जाता है और सुधा चटपटा जाती है

सुधा:मेरे राजा कोई पागल लड़की या औरत ही होगी जिसको आपका लौड़ा पसंद नहीं आयेगा और ऐसा कहते ही वो अजय को वापस अपने पास खींच लेती है और फिर से अजय का लौड़ा उसकी गांड़ के दरार में फंस जाता है

सुधा फिर कहती है आप बस खड़े रहिए मेरे मालिक मैं आपको मजा देती हु और अजय पीछे स्लैब पकड़ के खड़े हो जाता और सुधा उसका लौड़ा अपने गांड़ के दरार में फसा कर अपने गांड़ को गोल गोल खुमाने लगती है अजय सातवे असमान पे था सुधा किसी अश्लील पिक्चर की हीरोइन की तरह अजय को मजा दे रही थी

अजय:वहां मेरी रण्डी तूने तो आज दिल खुश कर दिया इसका इनाम तुझे मिलेगा मेरी चमक छल्लों

और अजय उसकी गांड़ पे तपड़ की बारिश कर देता है और सुधा की आह निकल जाती है और अजय उसके बाल पकड़ कर उसको घूमता हैं और उसको घुटने पे बैठने बोलता है।सुधा के नधुनो में उसके पेशाब की गंद जा रही थीं और उस से वो मदहोश होने लगी और अपनी जीभ निकल कर वो पूरे लौड़े को चाटने लगती है बॉक्सर के ऊपर से जिससे अजय का बॉक्सर पूरा सुधा के थूक से गीला हो जाता है और इसी बीच अजय अपने मुंह से से थूक की लार निकलता है जो नीचे नहीं गिरती और वो थूक अजय के होंठों से अभी भी जुड़ी हुई होती है सुधा तो अभी भी लौड़ा चूसने में मगन थी वो तो अपने नाक को उसके लौड़े पे रख देती और उसकी खुशबू अपने नथुने से खींचने लगती और जैसे ही उसने देखा अजय का थूक नीचे आ रहा है वो किसी सड़क चाप रण्डी की तरह अपना मुंह खोल देती है और वो थूक जो अभी भी अजय के होंठों से लगा हुआ था उस अपने मुंह के अंदर सूड़क लेती है

फिर अजय अपना लौड़ा अपने बॉक्सर से निकलता है और उसका लन्ड अब सुधा के आंखों के सामने था सुधा खुशी के मरे पागल हो जाती है और उसको अपने मुंह में ले लेती है ।उसी टाइम अजय उसके बाल को खींचता है जिससे लौड़ा उसके मुंह से बाहर आ जाता है और बोलता है साली रुक

अजय फिर उसको अपना जीभ निकलने बोलता है और सुधा किसी दासी की तरह अपना मुंह खोल कर पूरा जीभ निकल देती है और अजय अपने हाथ से अपना लौड़ा पकड़ कर उसके जीभ पे अपने लौड़े से तपड़ मरने लगता है।उसके लौड़े की खोने से अभी भी कुछ पेशाब की बूंद आ रही थी जिसे सुधा बड़े चाव से पी जाती है और अजय पूछता है

अजय:सुधा रानी कैसा लगा मेरा पीला शरबत

सुधा:बहुत स्वादिश्ट है आपका शरबत मुझे अब सुबह रोज यही चाहिए।पिलाएंग न अपनी कुतिया को अपना अमृत

अजय:उसके लिए अभी तुझे इंतजार करना पड़ेगा कुतिया और तू अपना पीला शरबत कब पीला रही है।

सुधा:मेरे स्वामी आपको पूछने की जरूर नहीं है मेरे राजा बस आप मैक्सी उठ कर कभी भी पी लीजिए करिए आपकी दासी अब आपके लिए अपना शरबत बचा कर रखेगी।वैसे आप आन दोपहर हो जब मम्मी घास काटने जाए तो घर आ जाना आपको एक मस्त चीज दिखाऊंगी जिससे आप मम्मी को अपनी बनाने में मदद होगी।

और तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुलता है और दोनों एक दूसरे से अलग हो जाते है।सुनीता बाथरूम से नहा कर बाहर निकलती है और उसका पूरा जिस्म चमक रहा था।अजय उसको देखते ही अपना लौड़ा मसल देता है और अपने मन में बोलता है तुझे तो एक दिन अपनी पर्सनल कुतिया बन कर रखूंगा सुनीता रानी

और अजय नहा धो कर नाश्ता करके दुकान के लिए निकल जाता है और अपने मन में सोचता रहता है कि सुधा उसको क्या दिखाने वाली है और फिर वो पांच बाजें घर के लिए निकल जाता है

सुधा भी अपने पड़ोस में गई तो और भी घर वापस आ जाती है और अपनी साड़ी उतर देती है और खाली ब्लाउज और साया में होती है अपने कमरे में ओर तभी अजय दाखिल होता है उसके कमरे में और सुधा मुड़कर देखती है तो उसकी आंखे चमक उठती है और वो दौड़ कर अजय के गले लग जाती है और उसको चूमने लगती है और और अजय भी उसका साथ देता है और साया के ऊपर से उसकी गांड़ दबाने लगता है


अजय:मेरी रानी तेरी इस गांड़ का तो मैं दीवान हु बहुत तड़पाया है तेरी इस गांड़ ने और एक कस का तपड़ उसकी गांड़ पे जड़ देता है।

सुधा की आह निकल जाती है और वो कहती है

सुधा:मेरे मालिक माफ कर दीजिए आपकी सुधा ने आपको इतना तड़पाया कोई रेहम मत कीजिएगा मैं सब कुछ सह लूंगी आपके लिए राजा

और अजय अपना चूमना बंद कर देता है और वही सोफे पे बैठ जाता है और अपना जींस निकल देता है और सुधा को बोलता है मेरी रानी आज तुझे अपने लौड़े का पानी पिलाऊंग चल इधर आ साली और सुधा अपनी गांड़ मटकते हुए उसके कदमों में बैठ जाती है और चड्डी के ऊपर से पहले उसके लौड़े को ऊपर से चुस्ती है और उसकी पूरी चड्डी सुधा के थूक से गीली हो जाती है और अजय उसको इशारे से रुकने बोलता है और अपनी चड्डी निकल कर उसके नाक पे रगड़ने लगता है और सुधा पूरी मदहोश हो जाती है उसके अंदर आ रही खुशबू से वो पागल हो जाती और उसको अपने जीभ से चाटने लगती है।और फिर उसके चड्डी को बगल में रखकर कर उसके लौड़े को पूरा अपने मुंह के अंदर समा लेती है और अपने मुंह को उसके लौड़े पे आगे पीछे करने लगती है।अजय सोफे पे आराम से लेटकर आनंद लेता है।पर अचानक सुधा लौड़ा निकल कर कमरे से बाहर चली जाती है और जब वापस आती है तो उसके हाथ में एक कटोरी होती है और कटोरी नीचे रख कर वो वापस लौड़ा चूसने लगती है।

फिर अजय खड़ा होता है और उसके मुंह को चोदने लगता है

सुधा:गु गु गु गु गु गु गु कर रही होती है और लौड़ा बाहर निकल कर उसपे थूकती है और वही थूक वापस चाटने लगती है उसके लौड़े से

अजय: वाह मेरी रंड आज अच्छे से इसकी सेवा कर कुतिया

सुधा:आपकी इच्छा जरूर पूरी होगी मेरे स्वामी

और सुधा वापस लौड़ा मुंह से बाहर निकलती है और अपनी हथेली सामने रख कर उसपे तीन चार बार थूकती है और वही थूक से अजय के लौड़े की मालिश करने लगती है और उसकी आंखों में देखते हुए वो उसकी मालिश कर रहीं होती है और पूछती है

सुधा:कैसा लग रहा है मेरे मालिक आपकी रंड कैसे आपकी सेवा कर रहा है कोई कमी तो नहीं है न मेरे स्वामी

अजय उसको रोकते हुए अपना लौड़ा उसके हाथ से छुड़ा कर उसको बोलता है

अजय:जीभ बाहर कर चिनार

और सुधा उसकी आवाज सुनकर एकदम के आज्ञाकारी कुतिया की तरह अपना जीभ लपलपने लगती है जैसे कोई कुत्ता खाना देखकर अपनी जीभ से लार छुआने लगता है वैसे ही सुधा भी अपने जीभ से अपने थूक की लार रोक नहीं पाती और वो नीचे गिरने लगती है और अजय उसके जीभ पे थूक देता है और अपने लौड़े से उसके जीभ पे मरने लगता है और फिर पूरा लौड़ा उसके मुंह में ठुस देता है और सुधा की आंख बाहर निकल आती है

अजय:ले साली चिनार बहन की लौड़ी साली दो टके की रंड है तू मेरी सुधा रानी

पूरे कमरे में सुधा की गु गु गु गु गु गु की आवाज आने लगती है

सुधा भी कोई रोक टोक नहीं करती है वो भी आनंद ले रही होती है वो तो कब से तरस रही थी ऐसी चुदाई के लिए। वो भी चाहती थी कोई उसे तबियत से चोदे।सुधा के मुंह से उसके थूक की लार उसके होंठों से गिरकर जमीन पे गिर रही थी और अजय ने तभी वो कटोरी सीधा उसके मुंह के नीचे रख दिया जिस से सारा थूक ठीक उस कटोरी में गिरने लगा और फिर अजय बहुत तेजी से उसका बाल को गुच्छा बनाकर उसके मुंह को चोदने लगा और

अजय:ये ले मेरी रानी एक बूंद भी बेकार नहीं जाना चाहिए

और अपना लौड़ा निकल कर अपना सारा पानी उसके मुंह के ऊपर गिरा देता है और कुछ पानी वो कटोरी में गिरा देता है

सुधा अपने उंगली से पूरा पानी अपने मुंह से साफ करके वो उंगली पूरा अंदर अपने मुंह में ले लेती है और अपनी उंगली वो चूसने लगती है और इस दौरान उसकी आंखे सीधा अजय के आंखों से मिलकर अपनी उंगली चूस रही होती है और फिर सुधा वो कटोरी अपने हाथ में लेती है और एक ही बार में पूरा थूक और अजय के वीर्य से भरी कटोरी को पी जाती है अजय इसे देकर खुश हो जाता है

अजय: दीदी अगर आपको जायद तकलीफ हुई तो माफ कर देना

अजय बहुत समय बाद सुधा को दीदी बोल रहा था

और तभी सुधा बोलती है

सुधा:नहीं मेरे भाई मुझे कोई तकलीफ नहीं हुई और हर एक औरत की इच्छा होती है की उसे ऐसे प्यार करें। बहुत बहुत खुशनसीब हु जो मुझे ऐसा मर्द मिला है जो मेरी सारी इच्छा पूरी कर रहा हो और अगर कोई बाहर का आदमी होता तो बदनामी का डर अलग से .....और अब मुझे दीदी नहीं बुलाओ मेरे राजा भाई मुझे सुधा या फिर जो तुम्हारा मन करें मेरे स्वामी

अजय:ठीक है दीदी....अरे नहीं मेरी सुधा अच्छा ये बताओ तुम मुझे क्या दिखाने वाली

और तभी सुधा अपना लैपटॉप चालू करती है और एक फोल्डर खोलती है और फिर एक वीडियो चालू करती है जो कि एक मिनिट का था जब अजय उसे देखता है तो उसकी आँखें फटी की फटी रह जाती है और उसके चेहरे पे एक कामिनी मुस्कान आ जाती है।
Nice update bro 👍
 

insotter

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सुधा अपना लैपटॉप खोलती है और उसपे एक वीडियो लगा देती जो कि एक मिनिट का होता है और उसको देखते ही अजय की आंखे फटी रह जाती है।वीडियो में सुनीता अपने बिस्तर पे लेटी हुई होती है और उसकी मैक्सी उसके कमर तक उठी हुई होती है और उसके हाथ में एक खीरा होता है जिसे वो अपने हाथों से अपने चूत में अंदर बाहर कर रही होती है और उसकी आँखें बंद होती और वो पूरा मदहोश होती है वीडियो में और पूरा आनंद ले रही होती है खीरे का।अजय को अभी १५ मिनिट हुए तो जड़े पर सुनीता को देखकर उसका लौड़ा लोहे की तरह सख्त हो जाता है उसके लन्ड की नशें फटने को थी और अभी सुनीता सामने होती तो उसको पटक कर चोद देता।और फिर वीडियो खत्म हो जाती है।

अजय:तूने इसे दिखाकर मेरी आग को और भड़कका दिया है।तुम दोनों मां बेटी को तो मैं इतना चोदूंगा कि दोनों मूत दोगी ।

सुधा:मेरे मालिक उस दिन का इंतजार रहेगा मुझे ।

फिर अजय कुछ देर सुधा के साथ समय बिताने के बाद दुकान पे निकल जाता है। सुनीता भी घास काट कर वापस आ जाती है पर आज उसका बदन थोड़ा गरम था और वो उसके कारण सो जाती और सुधा को खाना बनाने को बोल देती है। रात को अजय घर वापस आता है और खाना खाकर के सोने हीं वाला था कि सुधा से पूछता है कि मम्मी कहा है।

सुधा:मम्मी की तबियत सही नहीं है वो अपने कमरे में है

अजय सीधा अपने मम्मी के कमरे में आता है और सुनीता अंदर कंबल होड़कर लेती हुई अजय उसके सर को हाथ लगता है तो उसका शरीर तप रहा था और उसे बहुत तेज बुखार होता है अजय एक रुमाल को गिला करके उसके माथे पे रख देता है और ऐसे ही हर १५ मिनिट में रुमाल बदलता रहता है और ऐसे ही एक घंटा वो करता है और फिर सुनीत को थोड़ा सा खाना खिलकर उसे बुखार की दवाई खिला देता है।और बोलता है

अजय:आप आराम करो कल सुबह डॉक्टर के पास चलेंगे

सुनीता:नहीं बेटा मैं ठीक हु इसकी कोई जरूरत नहीं है।

अजय:कैसे जरूरत नहीं है आप बीमार हो और आपको दिखाना जरूरी है और घर की जिम्मेदारी मेरी है सुधा दीदी और आपकी जिम्मेदारी मेरी है घर का एकलौता मर्द मैं हु क्या मैं ये नहीं कर सकता

सुनीता:तुम सही कह रहे हो पर बेटा बुखार जायदा नहीं है।

अजय:मैने आप से पूछा नहीं है आप कल सुबह मेरे साथ डॉक्टर के साथ चल रही है बस

और फिर अजय कुछ देर रुककर वो अपने कमरे में चला जाता है।इदार सुनीता को नींद नहीं आ रही होती है और आज पहली बार उसका कोई इतना ख्याल रख रहा होता।उसके पति ने भी उसका इतना ख्याल नहीं रखा वो अपने मन में सोचती काश अजय उसका पति होता वो कितना खयाल रखता है जिस लड़की से भी उसकी शादी होगी वो कितनी खुशनसीब होगी।आज उसे अजय पे बहुत प्यार आ रहा था ।शायद वो भावनाओं में बह गई थी।

सुबह होती है और आज अजय जल्दी उठकर कर कसरत करके नहा धोकर सबके लिए नाश्ता बना देता हैं और फिर सुनीता उठती है और नहा धोकर किचेन में जाती है तो अजय वहां पे था और नाश्ता तैयार था।फिर अजय सुनीता को और खुद नाश्ता करके स्कूटी पे सुनीता को डॉक्टर के पास ले जाता है और वह डॉक्टर चेक करके बोलता है जायदा गंभीर बात नहीं है बस हल्का सा बुखार है और कुछ दवाई देकर उसको आराम करने बोलता हैं दो दिन तक।

फिर अजय सुनीता को घर छोड़कर वापस दुकान के तरफ निकल जाता है और दो दिन तक अजय सुनीता को कुछ काम करने नहीं देता सुनीता को बस दवाई खाकर आराम करने को बोलता है।सुनीता एकदम गदगद हो गईं थीं अजय से वो शायद अब अजय से प्यार करने लगीं थीं पर ये प्यार सिर्फ उसके मन में एक राज था और उसने अभी भी मां बेटे की मर्याद को लांगा नहीं था। उसे वो अभी भी एक बेटे के रुप में ही देखती थी।ऐसे ही तीन दिन बीत गए और सुनीत बिल्कुल ठीक हो गईं।

फिर ठीक होने के बाद सुनीता वापस घर का सारा काम करने लगी ।ऐसे ही एक दोपहर को अजय जब खान खाकर दुकान चला जाता है और सुधा अपने कमरे में सो रही थी तो सुनीता अजय के कमरे में जाती है और सफाई करने लगती है।उसके बिस्तर को बनती है झाड़ू पोछा करती है गंदे कपड़े को एकतरफ करती है और तभी उसके हाथ से कपड़े में से पेन गिरकर अलमारी के अंदर जाली जाती है और उसे उठाने के लिए सुनीता झुकती है तो उसे काले रंग का एक कपड़ा नजर आता हैं वो उसे हाथ से बाहर निकलती तो उसे अपने आंखों पे यकीन नहीं हो रहा था।ये तो उसकी कच्ची थी जो पिछले हफ्ते वो ढूंढ रही थी।और फिर उसने अच्छे से देखा तो उसपे सफेद गड़ा कुछ लगा हुआ और जब सुनीता ने उसे हाथ लगाया तो उसे ये समझते देर नहीं लगी कि वो सफेद चीज क्या है।फिर सुनीता ने अजय की अलमारी खोली और उसमें से उसे उसके बहुत सारे ब्रा और चड्डी मिली जो उसे लगा खो गई है पर ये यह है।उसे समझने में देर नहीं लगी और फिर उसने पूरे कमरे की तलाशी ली और उसे और भी चड्डी और ब्रा मिली।सुनीता बहुत गुस्से में थी।

फिर उसने अजय के बिस्तर की उठा कर देखा तो बहुत सारे कागज दिखे और उसपे हिंदी पे कुछ लिखा हुआ था l सुनीता को हिंदी पढ़ना आता था तो उसने पढ़ना चालू किया आर उसमें मां और बेटे की खूब गंदी गंदी चुदाई की कहानियां थी कि कैसे एक बेटा अपनी मां को चोदता है।और कभी कभी तो मां बेटे और बहन तीनों मिल कर चुदाई करते है।चुदाई बहुत ही अश्लील और गंदी होती है और खूब गलियां होती है जिसमें एक बेटा अपनी मां को खूब गंदी गालियां दे रहा होता और मां गुस्सा होने के बदले वो उसको और उकसा रही होती है।उसे उस कहानी में ऐसे ऐसे चुदाई के किस्से पढ़ने मिलते है जो उसे पहली बार सुना था।उसमें यह तक थूक और पेशाब का इस्तेमाल का भी ज़िक्र हुआ और सुनीता ये सब पढ़ कर बहुत गुस्से से लाल थी उसने कभी नहीं सोचा था अजय ऐसे सोचता है उसके बारे में।

तभी उसे किसी के कदमों की आवाज सुनाई देती है और वो कोई और नहीं सुधा होती है तब तक सुनीत सारे कागज वापस बिस्तर के अंदर रख देती है।

सुधा: अरे मम्मी आप यह आपको पूरे घर में ढूंढ रही हु

सुनीता:अरे मैने सोचा थोड़ा साफ सफाई कर दु तो तभी यह आई।बोल क्या हुआ

सुधा:अरे मैं थोड़ा मौसी के घर जा रही हु आती ही कुछ देर में

सुनीत:ठीक है जा

सुधा के जाते ही सुनीता अजय को फोन लगाती है और बोलती है।

सुनीता:अजय घर आ जा कुछ काम है और फोन कट कर देती है।

अजय बहुत हैरान होता है और जब तक वो कुछ बोलना चाह रहा था तब तक फोन कट हों जाता है।और फिर अजय घर की तरफ निकल जाता है।घर पहुंच कर वो सीधा अपने कमरे में जाता है और वह सुनीता को पता है।

अजय:क्या हुआ मम्मी

और जैसे ही अजय उसके पास पहुंचता है उसके गाल पे कस के एक तमाचा लगता है और वो सदमे में खड़े खड़े सुनीता को देखने लगता है।

सुनीता फिर सारी ब्रा और चड्डी निकल कर दिखाती है और पूछती है

सुनीता:क्या है ये सब अजय

अजय को सब समझ आ जाता है और वो रंगे हाथो पकड़ा जाता है और अब उसके पास कोई जवाब नहीं था।वो चुप चाप बस सुनीता को सुनता रहता है।

सुनीता फिर वो सारे आगाज अजय के ऊपर फेक देती है और बोलती है कि उसे ये उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा कितना घटिया होगा।और वो बहुत कुछ अजय को सुनती है।और तभी अजय से रहा नहीं जाता और वो एकदम गुस्से में आ जाता है और सुनीता को दीवार के सहारे ढकेल कर उसके उल्टा कर देता है और उसको बोलता है।

अजय:सुनीता रानी एक मौका दो तुम्हे ठंडा कर दूंगा पूरा पानी निकल दूंगा तेरा

सुनीता ये सुन कर और गुस्सा हो जाती है और उस से अपने आप को छुड़ाकर उसके गाल पे एक और तमाचा जड़ देती है

अजय:कितना अपने आप को तकलीफ दोगी मम्मी और फिर अपना मोबाइल निकल कर वो वीडियो चालू कर देता है जो सुधा ने उसे दिखाया था

सुनीता वो वीडियो वो देखकर उसके पैरो से जमीन खिसक जाती है और उसके पास अब कोई जवाब नहीं था वीडियो खत्म होते ही अजय बोलता है

अजय:मम्मी ऐसे कब तक अपनी आग को शांत करोगी ।मुझे बोलो मैं तुम्हे एक ही बार में ठंडा कर दूंगा। तुम्हारी सारी गर्मी निकल दूंगा।

और फिर सुनीता उसको एक आखिरी बार देखती है और तपड़ मर के कमरे से बाहर निकल जाती है।और अजय उसको खड़े खड़े देखता रहता है
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सुनीता सीधा कमरे से बाहर निकल जाती है और अजय उसको देखते ही रहता है।अजय भी कुछ नहीं बोलता और वो सीधा अपने दुकान निकल जाता।कुछ देर बाद सुधा वापस घर आ जाती है और खाना बनाने लगती है।अजय भी घर रात को देर में आता है और खाना खा कर अपने कमरे में चला जाता है।और किसी से कुछ नहीं बोलता है

अपने कमरे में सुनीता आज जो कुछ भी हुआ उसके बारे में सोचने लगती है और क्या करें और फिर वो फोन उठती है और किसी को कॉल करती है घंटी बजने लगती हैं और फिर उदर से आवाज आती है

शालिनी:हेलो

सुनीता:दीदी मैं सुनीता बोल रही हु माफ करना इतनी रात को आपको फोन किया

शालिनी:अरे कोई बात नहीं मैं जग ही रही थी बोलो क्या हुआ

सुनीता:दीदी मुझे आपसे कुछ बात करनी है

शालिनी: हा बोलो

सुनीता:दीदी फोन पे नहीं आपसे मिलके अकेले में

शालिनी:ठीक है कल दोपहर को मेरे घर आ जाओ मैं अकेली ही हु

सुनीता:ठीक है दीदी और इतना बोल के वो फोन कट कर देती है

और फिर शालिनी से बात करके वो सो जाती और सुबह होने का इंतजार करने लगती है।

सुबह होते ही सुनीता उठ के नहा धो कर नाश्ता बनाने लगती है तब तक सुधा भी उठ जाती है और वो सुनीता की मदद करने लगती है।फिर अजय कसरत करके नहा धो कर नाश्ता करने आता है।सुधा उसको नाश्ता देती है पर वो कुछ बोलता नहीं और न ही सुनीता से कोई बात करता है।और नाश्ता करके वो दुकान के लिए निकल जाता हैं।

सुनीता भी दोपहर का खाना बनकर वो सुधा को बोलती है कि वो शालिनी के घर जा रही है और सुनीता निकल जाती है और २० मिनिट बाद वो शालिनी के घर के समाने होती है और गेट खोल कर अंदर चलीं जाती है।शालिनी छत पे होती है और ऊपर से सुनीता को इशारा करके बोलती है कि गेट बंद करके छत पे आ जा।

सुनीता गेट बंद करके छत पे चली जाती है और फिर शालिनी बोलती है कि तू रुक मैं आती हु और जब वो वापस आती है तो उसके हाथ में दो कप चाय थी

सुनीता:अरे दीदी इसकी क्या जरूरत थी?

शालिनी:अरे जरूरत कैसे नहीं तुम मेरे घर आई हो और मैं चाय भी न पूछूं ये कैसे हो सकता है।और बताओ क्या बात है बड़ी परेशान लग रही हो

सुनीता:दीदी अब क्या बोलूं में

शालिनी:अरे बेझिझक बोलो तुम तो जानती हो कि जो बाते हमारे बीच होती है तो हमारे तक ही रहती है तुम बेफिक्र बोलो

सुनीता:दीदी बात अजय को लेकर है

शालिनी:क्या हुआ अजय को सब ठीक तो है न कल ही तो मैने उसे देखा था ठीक तो लग रहा था कल

सुनीता:ठीक तो है दीदी पर बहुत बिगड़ गया है

शालिनी:हुआ क्या है बताओ भी तो सही

सुनीता फिर वो सारे आगाज और गंदी तस्वीर की किताब सब शालिनी को देती है और शालिनी पहले तो वो गंदी तस्वीरों की किताब देखती है और फिर वो सारे आगाज जिसमें कहानी थी और फिर कुछ पन्ने पढ़ कर वो सुनीता की और देखती है और एक गहरी सांस लेती है।

शालिनी:सुनीता एक बात पूछूं तुमसे पर उसका सही सही उतर देना

सुनीता:बोलो दीदी

शालिनी:अजय तुम्हे कैसा लगता है।

सुनीता:दीदी अच्छा है

शालिनी:क्या तुमने कभी उसे एक मर्द की तरह देखा है

सुनीता:दीदी वो मेरा बेटा है और आप भी उसकी तरफ से बोल रही है मुझे तो ऐसा ही लग रहा है

शालिनी: देखो सुनीता तुम्हारा बेटा तुम्हें पसंद करता है और तुम्हे एक मा नहीं औरत की नजर से देखता है और तुम्हे बहुत चाहता भी है

सुनीता:दीदी पर ये तो गलत है ऐसे रिश्ते कहा होते है।

शालिनी:और अगर ऐसे रिश्ते होते तो क्या तुम्हे वो बताते की एक मा और बेटे के बीच शारीरिक सम्बन्ध है नहीं न कुछ रिश्ते सिर्फ चार दिवारी के भीतर ही पानाबते है।

सुनीता की विश्वास ही नहीं हो रहा होता है कि शालिनी ऐसा बोलेगी और अजय को सही बताएगी।

शालिनी: देखो सुनीता तुम्हें ऊपर वाले ने इतना हटा कटा और नौजवान बेटा दिया है जो तुम्हे पसंद करता है तो क्यों न तुम भी उसका इसमें साथ दो

सुनीता:दीदी आप क्या बोल रही है ऐसे कैसे बोल सकती है लोग क्या कहेंगे और ये समाज

शालिनी:सुनीता तुम अपनी खुशी देखी लोगो का मत सोचो।याद है उस दिन तुम मुझसे पूछ रही थी दीदी आप इतनी खिली खिली कैसे रहती है।मैं बताने वाली थी पर उस समय कोई आ गया था।

सुनीता:हा दीदी याद आया।

शालिनी:सुनीता अब मैं जो बताने जा रही हु एक राज है और ये राज कोई नहीं जानता और तुमपे भरोसा करके ये बाद बता रही हु

सुनीता:दीदी मेरी जान चली जाएगी पर आपकी बात किसी को पता नहीं चलने दूंगी।आप बेफिक्र होकर बताओ

शालिनी:सुनीता मैं और मेरे बेटे राजेश मां और बेटे तो है।पर वो रिश्ता सिर्फ बाहर वाले के लिए है और घर के अंदर मैं उसकी बीवी हु और हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते है।राजेश मुझे हर सुख देता है।और मैं भी खुश हु।

सुनीता ये सुनाते ही वो एकदम शांत हो जाती है उसे यकीन नहीं होता जो शालिनी कह रही थी।

सुनीता:दीदी पर आप खुश है इस रिश्ते से और समाज का क्या?

शालिनी:मैं बहुत खुश हु सुनीता मुझे ऐसा प्यार करने वाला मर्द मिला है जो मेरी शारीरिक जरूरत को पूरा करता है।और समाज क्या क्या है अगर बाहर किसी आदमी से रिश्ता रख लो तो यही लोग औरत को रण्डी बोलते है और बदनामी का डर अलग से।पर यह मैं और मेरा बेटा चार दिवारी के अंदर बड़े सुकून से रहते है वो तो मुझे घर के हर होने में चोद चुका है और बाहर हम एकदम मां बेटे की तरह रहते है और किसी को शक भी नहीं होता।तुम्ही बताओ क्या ये गलत है मैं एक औरत हु मेरी भी शारीरिक जरूरत है तो वही जरूरत अगर घर पे मिल रही हो तो क्या बुराई है और सबसे बड़ी बात बदनामी तो नहीं होती।सच काहू तो अगर मेरी एक बेटी होती न तो भी मैं उसे राजेश से चुदावा देती फिर हम तीनों एक हसी खुशी जिंदगी जीते।मैं तो कहती हु सुनीता अपने बेटे को अपना लो बहुत भाग्य से तुम्हे वापस प्यार मिला है ऐसे मत ठुकरा के जाओ उसे।

सुनीता बहुत ध्यान से शालिनी की हर के शब्द सुनती है और फिर एक गहरी सांस लेती है।

सुनीता:आप सच कह रही है दीदी समाज तो वैसे भी हम लोगों को जीने नहीं देता।वैसे भी अगर बाहर रिश्ता बनाओ तो बदनामी का दाग लग जाता है।

शालिनी:सही कहा।और जितना तुमने ये सब दिखाया है और ये सारी कहानी पढ़ी मैने उस से तो ये साबित हो जाता है कि अजय बहुत कामुक लड़का है और तुम्हारी आने वाली रातें रंगीन होने वाली है।

सुनीता ये सुन कर किसी नई नवेली दुल्हन की तरह शर्मा जाती है।

शालिनी:एक बात याद रखना सुनीता मर्द की हर एक बात मानना और आज कल के लड़के बहुत गंदे हो गए है उन्हें गंदी सी गंदी चुदाई पसंद है और चुदाई के वक्त औरत जितना बेशरम होती है चुदाई का मजा उतना ही आता है।

सुनीत:दीदी मैं आपकी हर एक बात का खयाल रखूंगी ।अच्छा दीदी अब मैं चलती हु। अपने मेरे मन से बहुत बड़ा भोज उतर दिया।

शालिनी: कोई बात नहीं और जाओ और अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करो।

फिर कुछ देर तक दोनों आपस में बात करते है और फिर सुनीता अपने घर के लिए निकल जाती है।
Nice update bro 👍
 
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vision244

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आप सभी लोगों को कहानी पसंद आ रही है।इसलिए मैं सभी लोगों का धन्यवाद करता हु।

और एक बात मैं बताना चाहूंगा कि जो भी लोग को गंदी बातें या फिर किंकी सेक्स से दिक्कत है कृपया आप सभी ये कहानी न पढ़ें क्योंकि ये कहानी आप लोगों को पसंद नहीं आएगी।और आगे के अपडेट में कहानी के किरदार और भी अश्लील और गंदी बातें करेंगे और चुदाई भी गंदी होगी।तो आप सभी लोगों से अनुरोध है कि जिसको भी डर्टी या फिर गंदी या फिर किंकी सेक्स पसंद नहीं है।कृपया आप सभी इस कहानी को न पढ़ें।

और एक बात उन सब के लिए भी जिसको ये कहानी पसंद आ रही है।ये सिर्फ ये कहानी है जिसका हकीकत से कोई लेना देना नहीं है।ये कभी भी हकीक़त में नहीं हो सकता और अगर आपको कोई बोलता है कि नहीं ऐसा होता है तो वो आपको बर्बाद कर रहा है और आप भी अपने मन को धोखा दे रहे है।ये कहानी सिर्फ मनोरंजन के लिए लिखी गई है और ये भी सिर्फ एक फैंटेसी है।
 
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sunoanuj

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बहुत ही जबरदस्त लिख रहे हो मित्र !

ऐसे ही लिखते रहिए !
 
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Enjoywuth

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आप सभी लोगों को कहानी पसंद आ रही है।इसलिए मैं सभी लोगों का धन्यवाद करता हु।

और एक बात मैं बताना चाहूंगा कि जो भी लोग को गंदी बातें या फिर किंकी सेक्स से दिक्कत है कृपया आप सभी ये कहानी न पढ़ें क्योंकि ये कहानी आप लोगों को पसंद नहीं आएगी।और आगे के अपडेट में कहानी के किरदार और भी अश्लील और गंदी बातें करेंगे और चुदाई भी गंदी होगी।तो आप सभी लोगों से अनुरोध है कि जिसको भी डर्टी या फिर गंदी या फिर किंकी सेक्स पसंद नहीं है।कृपया आप सभी इस कहानी को न पढ़ें।

और एक बात उन सब के लिए भी जिसको ये कहानी पसंद आ रही है।ये सिर्फ ये कहानी है जिसका हकीकत से कोई लेना देना नहीं है।ये कभी भी हकीक़त में नहीं हो सकता और अगर आपको कोई बोलता है कि नहीं ऐसा होता है तो वो आपको बर्बाद कर रहा है और आप भी अपने मन को धोखा दे रहे है।ये कहानी सिर्फ मनोरंजन के लिए लिखी गई है और ये भी सिर्फ एक फैंटेसी है।

हकीकत में तो लड़की या फिर औरत लन्ड को तो मुंह मैं भी नहीं लेती बहुत कम आदमी या लड़के है जिसको ये सुख प्राप्त होता है कि उनकी पार्टनर उनका मुंह में ले।थूक और पेशाब तो बहुत बहुत दुर की बात है।और ऐसा भी नहीं है कि हर शादीशुदा औरत प्यासी है ।अगर आप ऐसा सोचते है तो आप बिल्कुल गलत है।सब अपने पति या पार्टनर से खुश है।ये तो आप है जो हर समय कहानी ये फिर गंदी पिक्चर देकर लगता है कि हर औरत प्यासी है और उसकी प्यास सिर्फ मैं बुझा सकता हु।अपने मन से ये वहम निकल दीजिए।

लड़की या औरत को सेक्स चाहिए पर उसे सेक्स से जायदा इमोशनल सपोर्ट चाहिए।क्योंकि लड़कियां या फिर औरत जिस्म की भूख से जायद उन्हें वो पसंद है जो लड़का उन्हें सपोर्ट करे उन्हें प्यार करे।

दोस्तों ये मेरी अपनी राय है जरूरी नहीं कि आप सभी इस बात से सहमत हो।और अगर मेरी कोई बात आप सभी को बुरी लगी हों तो मैं उसके लिए माफी मांगता हु।मुझे माफ कर दीजिए का प्लीज़।
Batane ke liye sukriya...yeh kahani mere liye nahi hai..
Apki kahani ke liye apko all the best
 

insotter

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अपडेट

शाम के पांच बज रहे थे और सुनीता अपने घर वापस आ जाती है।और अपने कमरे में जाकर वो सारी गंदी कहानी के आगाज रख देती है और फिर अजय के कमरे में चली जाती है।और इदार उदर देकर वापस जाने को होती है तभी कुर्सी पे अजय की चड्डी दिखती है वो उसे उठती है और उसे लेकर चुपके से अपने कमरे में लेकर आ जाती है और अपने कमरे का दरवाज़ बंद करके अपने बिस्तर पे आ कर लेट जाती है और उस चड्डी को बड़े गौर से देखने लगती है उसमें से अभी भी महक आ रही होती है।

सुनीता अपने मन में बोलती है कि बहुत साल से तरस रही हु इस जिस्म की गर्मी को और शायद पूरी जिंदगी तरसना पड़ता पर ऊपर वाले ने मुझ अभगन पे दया किया और मुझे मेरे बेटे के रूप में एक मर्द दे दिया।और अजय भी मेरे जिस्म का दीवाना है।पर अब शायद मुझसे गुस्सा होगा।एक बार बस उसे माना लू अभी मुझसे गुस्सा होगा।फिर सुनीता वो सारे आगाज से कहानी पढ़ने लगती है और उसपे कहानी का खुमार चढ़ने लगता है और वो अजय की चड्डी को अपने नाक के पास ला कर उसको सूंघ रही थी और उसको खुशबू को अपने नथुनों में बसा रही और उसे वो पेशाब की बदबू मदहोश कर रही थी फिर उसने अपने जीभ से उस गीले हिस्से को चाटना शुरू कर दिया और देखते ही देखते अजय की चड्डी सुनीता के थूक से गीली हों गई थी।पर सुनीता की गर्मी शांत होने का नाम ही नहीं ले रही थी ।उसे तो एक तगड़े चुदाई की जरूरत थी और अब वो भी जान गई थी कि उसकी गर्मी बस अजय ही शांत कर सकता है।

कुछ देर आराम करने के बाद सुनीता खाना बनाने लगती है और फिर रात को अजय आता है और सुधा से बात करके खाना खाने लगता है वो सुनीता के तरफ बिल्कुल भी नहीं देखता और न ही उस से बात करता है।फिर सुधा किचेन में चली जाती है और बर्तन धुलने लगती है।तभी सुनीता अजय को बोलती है कि उसे कुछ बात करनी है और अजय कुछ नहीं बोलता और खाना खा कर सीधा अपने कमरे में चला जाता है।

ऐसे एक हफ्ता बीत जाता है पर अजय सुनीता से बात नहीं करता अजय की बेरुखी से सुनीता तड़प उठती है उसे लगता है कही अब अजय उस से कभी बात नहीं करेगा और अब वो सोचती है कि उसे ही कुछ करना होगा वरना बहुत देर हो जाएगी और वो अजय को एक मर्द के रूप खो देगी।

ऐसे ही एक सुबह सब घर में उठ चुके थे।और सुधा बाथरूम में थी और ये मौका देकर सुनीता अजय के रूम में चलीं जाती है।अजय कमरे में चाय पी रहा था।और सुनीता वहां आ जाती है।अजय अपने कमरे से निकलने वाला था कि सुनीता बोलती है।

सुनीता:इतना गुस्सा है मुझसे की बात भी नहीं करेगा।

अजय:अब बात करने को कुछ नहीं है।

अजय बड़े बेरुखी से बोलता है।

सुनीता:माफ करदे मुझे ।मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया।

अजय:नहीं अब हम इस बारे में कभी बात नहीं करेंगे।

सुनीता:पूरी बात तो सुन मेरी।जो तू चाहता है मैं उसके लिए तैयार हु

सुनीता का इतना बोलना था कि अजय उसको पहली बार देखता है इतने दिनों में और फिर तुरंत उसे अपने गले लगा लेता हैं दोनों मां बेटे किसी दो बिछड़े प्रेमी की तरह मिल रहे हो।

फिर सुनीता बोलती है आज शाम तक घर आ जाना मैं सुधा को शोभा के घर भेज दूंगी।और तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुलता है और दोनों एक दूसरे से अलग हो जाते है और अजय नाश्ता करके अपने दुकान निकल जाता है।सुनीता भी शोभा को बोल के सुधा को अपने पास बुलाने को कहती है एक हफ्ते के लिए पर सुनीता शोभा को ये नहीं बताती कि उसने अजय वो एक मर्द के रूप में स्वीकार कर लिया है।

शोभा फिर फोन करके सुधा को कुछ दिनों के लिए अपने घर आने को बोलती है और सुधा अपनी मम्मी से पूछ कर वह चली जाती है।शाम के ६ बज रहे थे।वैसे तो अजय ८ बजे घर जाता था पर अब उस से रहा नहीं गया और वो सविता को बोलता है कि उसके तबियत थोड़ी सही नही है और वो ८ बजे तक दुकान पे रहे और फिर दुकान बंद करके अपने घर चली जाए।

अजय घर के लिए निकल जाता है।शाम हो चुकी थी अंधेरा भी हो गया था बस चांद की रौशनी थी और फिर अजय घर पहुंच जाता है और मैन गेट बंद करके अंदर जाता है पर कोई नहीं होता है घर में और फिर वो अपन t shirt dal kar aur लोवर पहन कर छत पे जाता है उसे वहां सुनीता मिलती है। सुनीता इस टाइम एक मैक्सी में होती है और बहुत कामुक लग रही होती है मैक्सी के ऊपर से उसकी गांड़ के उभार के बारे में क्या कहना।अजय तो उसकी गांड़ का दीवाना था।

सुनीता पीछे मुड़कर देखती तो अजय खड़ा होता है।और दौड़कर वो उसके गले लग जाती है और अजय भी कस के उसे अपनी बाहों में सामा लेता है।और फिर दोनों एक दूसरे की बाहों में दस मिनिट तक रहते है।फिर अजय बोलता है।

अजय:मां मुझे माफ कर दो।शायद मैं कुछ जायदा ही गुस्सा हो गया।

सुनीता:नहीं नहीं मैं ही समझ नहीं सकी गलती मेरी है।

फिर वो अजय को सारी बातें बताती है जो आज से लेकर कल तक हुई और जो बातचीत उसकी शालिनी के साथ हुई और फिर वो वापस गले लग जाती है।फिर अजय बोलता है।

अजय:मेरी बहुत सारी इच्छाएं है क्या पूरा कर पाओगी।

सुनीता:मैने सारी कहानियों पढ़ी और उसको पढ़ एक बात साबित हो गई कि चुदाई बहुत तरीके से होती है और चुदाई में कुछ गंदा भी होता।

अजय सुनीता के मुंह से चुदाई सुन कर कामुक हो जाता है।और बोलता है।

अजय:तुम्हारे मुंह से गली बहुत अच्छी लग रही है।पर मेरी एक इच्छा और है

सुनीता:वो क्या?

अजय:मां मैं तुमसे शादी करना चाहता हु।तुम्हे अपनी दुल्हनिया बनाना चाहता हु।चार दिवारी के अंदर तुम्हे अपनी बीवी बना कर रखना चाहता हु।

सुनीता ये सुनकर कुछ देर मौन रहती है

अजय:क्या हुआ कुछ गलत बोल दिया?

सुनीता:नहीं नहीं अपने कुछ गलत नहीं बोला बल्कि अपने मुझ जैसी अभगन पे कृपा की है।ये तो हर औरत का सौभाग्य होता है कि वो भी सज धज के अपने पति का इंतजार करे पर ये सुख ऊपर वाले ने मुझसे छीन लिया था और फिर आप मेरे जीवन में आए।और मुझे मां नहीं मेरे नाम से बुलाओ वो सब जो कहानी में बेटा जैसे अपनी मां के साथ करता है वो सब करो मेरे साथ।

अजय सुनीता के मुंह से आप सुन कर बहुत खुश होता है और उसे गले लगा लेता है और बोलता है।

अजय:मैं बहुत बेहराम हु सुनीता क्या तुम मुझे सह पाओगी।

सुनीता:मेरे राजा आप बस अपना प्यार दीजिए अब से मैं आपकी पत्नी हु और पत्नी का फ़र्ज़ होता है अपने पति को खुश रखना और उसकी हर इच्छा पूरी करना।आप की मर्जी आप चाहे मुझे जैसे प्यार करिए।और मुझे अब आप मेरे नाम से बुलाए या फिर कुछ भी बोलो।

अजय उसे का कर जकड़ लेता और मैक्सी के ऊपर से उसकी गांड़ को सहलाने लगता है।और पूछता है।

अजय:ये क्या है सुनीता?

सुनीता:मेरे स्वामी आपकी सुनीता की गांड़ है अरे माफ करना अब से ये आपकी गांड़ है मेरे मालिक।

और अजय उसपे एक तपड़ मरता है और बोलता है

अजय:कैसा लगा?

सुनीता:रण्डी से पूछा नहीं जाता बस किया जाता है और हुकुम दिया जाता है।

अजय सुनीता का समर्पण देख कर बहुत खुश होता है।

अजय:रण्डी तो अपनी कीमत भी लेती है। तेरी क्या कीमत है साली रंड

और फिर उसके गांड़ पे तपड़ की बारिश कर देता है मैक्सी के ऊपर से ही।

सुनीता:मेरे राजा कोई भी कीमत दीजिए ये रण्डी तो आपकी कनीज है आपकी पर्सनल रण्डी है।

अजय:सही बोला साली तूने छीनार।

और अजय अपनी उंगली उसके होंठों पे घूमने लगाता है सुनीता उसकी उंगली चूसना चाहती थी और वो उसके लिए मुंह भी खोलती है पर अजय अपनी उंगली उसके मुंह में नहीं डालता और उसे तड़पने लगता है

सुनीता:मेरे मालिक तरस खाइए अपनी इस रण्डी पे मेरे स्वामी

और फिर अजय अपनी उंगली उसके मुंह पे डाल देता है जिसे सुनीता बड़े प्यार से चूसने लगती है।ये सारा खेल मां बेटे के बीच छत पे हो रहा होता है पर शाम जायद हो गई थी।शाम क्या रात हो चुकी थी और ८ बज रहे थे और चारों तरफ अंधेरा था तो कोई नहीं देख पाता कि मां और बेटा क्या कर रहे है और वैसे भी अजय का मकान ऊंचा था तो कोई देख नहीं पाता कि छत पे क्या हो रहा है।

अजय ऐसे ही अपनी उंगली सुनीता के मुंह में डाल कर रखता है और सुनीता बड़े चाव से उसको चुस्ती है और उसे अचानक नीचे कुछ महसूस होता है तो अपना हाथ उसके ओर ले जाती है तो पाती है ये तो उसके मालिक का लन्ड है और उसे वो लोवर के ऊपर से मसलने लगती है और अजय की आहा निकल जाती है।

अजय:साली कुतिया आराम से मसल छीनार

सुनीता:करने दीजिए न स्वामी बहुत दिन बात लन्ड देख रही हु वो भी इतना तगड़ा।

अजय:साली ये लन्ड तेरी चूत का भोसड़ा बनाने वाला है और एक तपड़ जड़ देता है उसकी गांड़ पे

और फिर अपनी उंगली उसके मुंह से बाहर निकलता है और दोनों हाथों से मैक्सी उसके कमर तक उठाता है और बोलता है।

अजय:पकड़ इसे अपने हाथों से और अगर मैक्सी नीचे हुई तो एक महीने तक तुझे हाथ नहीं लगूंगा समझी साली।

और सुनीता ये सुन कर मैक्सी अपने दोनों हाथों से पकड़ लेती है और अजय अपना वही हाथ उसी चड्डी में डालता है जिसकी एक उंगली वो चूस रही होती है और वही उंगली जो सुनीता के थूक से सन चुकी थी उसे वो उसकी गांड़ की दरार में घिसने लगता है और ऐसा करने से सुनीता तड़प उठती है कर उसकी आहा निकल जाती है।

सुनीता:मालिक मत तरसाए चोद दीजिए यही अपनी कुतिया को मेरे बलम

अजय:चुप साली छीनार तुझे तो मैं दुल्हन के जोड़े में चोदना चाहता हु रण्डी बस अभी मजे ले साली रंड

और फिर कुछ देर अपनी उंगली सुनीता के गांड़ में घिसने के बाद वही उंगली वो बाहर निकलता है और सुनीता के नाक के पास ले जाता है जिसे सुनीता एक पालतू कुतिया की तरह सूंघने लगती है और अजय उंगली को उसके नाक के आस पास नाचने लगता है और सुनीता अपना मुंह और नाक वही ले जाती है जहां जहां अजय की उंगली ले जाती है और अजय ये सब देकर बोलता है।

अजय: तू तो एक सस्ती रंड निकली साली मुझे बता तू क्या है।

सुनीता:मैं आपकी दासी हु मेरे राजा मेरे सजन आपकी सस्ती रण्डी हु छीनार आपकी कुतिया सब कुछ हु मेरे मालिक ये सुनीता आपकी कनीज है।

ये सुनकर अजय बहुत खुश होता है और वही उंगली जिससे उसने सुनीता की गांड़ घिसी थी उसे अपने नाक के पास ले जाता है और उसकी खुशबू सूंघ कर वो पागल हो जाता है और बोलता है।

अजय: क्या खुशबू है मेरी रानी तेरी गांड़ की मन करता है अभी खा जाऊं तेरी गांड़ को

सुनीता: मेरे बलम आपको रोका किसने है पूरी रात है हम दोनों के पास और हम दोनों अकेले है एक हफ्ते तक फिर वो बताती है कि सुधा शोभा के घर गई है और एक हफ्ते बाद आने वाली है।

अजय:नहीं अभी नहीं तुझे तो मैं शादी के जोड़े में चोदूंगा जब तू मेरे नाम का सिंदूर और मंगलसूत्र पहन कर मुझसे चुदाई की भीख मांगेगी।बोल मेरे नाम का सिंदूर और मंगलसूत्र पहनेगी न

सुनीता:मेरे स्वामी आप बस मुझे आज रात का समय दीजिए कल रात आपकी सुनीता आपको दुल्हन के रूप में मिलेगी और आपकी हर इच्छा पूरी करेगी मेरे सजन

अजय:ये सही कहा तूने चल अपना मुंह खोल और सुनीता अपना मुंह खोल देती है और अजय वही उंगली सूंघने के बाद सीधा सुनीता के मुंह में डाल देता है

सुनीता भी बिना किसी झिझक के वो उंगली चूसने लगती है और फिर कुछ देर बात अजय उसके मुंह को चोदने लगता है अपनी उंगली से तेज तेज जिसमें सुनीता को भी बहुत मजा आता है और अजय अपनी उंगली निकल लेता है अचानक और सुनीता का मुंह खुला होता है तो अजय उसके मुंह पे थूक देता है और सुनीता अपनी जीभ बाहर निकल कर पहले तो अजय को अपनी जीभ पे उसका थूक दिखाती है और फिर वही थूक पी जाती है और वापस जीभ निकल देती है।

अजय समझ जाता है कि उसे क्या चाहिए पर फिर भी पूछता है।

अजय:क्या चाहिए मेरी रानी

सुनीता:अपना थूक दीजिए स्वामी बहुत स्वादिश्ट है मेरे बलम का थूक।

अजय: इंतेज़ार कर सुनीता रानी कल तो तुझे इतना पेलूंगा कि तू मूत देगी साली कुतिया।

और फिर दोनों मां बेटा वही छत की मचान पे सो चाहते है और सुनीता अगली रात का इंतेज़ार करने लगती और आज जो कुछ भी अजय ने उसके साथ किया उसको सोच करके उसकी बुर पानी छोड़ने लगती है और अगली रात का इंतेज़ार करने लगती है
Nice update bro 👍
 
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